कभी रो के मुस्कुराए कभी मुस्कुरा के रोए,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए,
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा, जितना लिख के खुश हुए उस से ज्यादा मिटा के रोए..!!
हमको आज़माने की ज़ुर्रत नहीं किसी की,
हम खुद अपनी तक़दीर लिखते है,
खुदा की लिखावट को बदलना तो हमारी फ़ितरत है, हार को जीत में बदल कर हाथो की लकीर बदलते है..!!