Romance Shrishti - Ajab Duniya Ki Gazab Reet Re (Complete)

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*****:wave4:Dear Lustyweb Members, :wave3:

We are thrilled :kicking:to announce our latest community event, the "Desktop Decor Contest" :lamo: This is your chance to showcase your creativity and personalize your digital space in a unique and inspiring way.

Do you take pride in your desktop setup? Is your wallpaper a window into your imagination? Are your icons arranged with precision and flair? If so, we invite you :elephantride: to share a screenshot of your desktop and compete for the title of the most stylish and original setup in our community. :cowboy:

Here's how it works:

1. Submission Period: From 4/05/2024 to 30/05/2024, post a screenshot of your desktop setup in the dedicated contest thread.

2. Judging: Experienced and Senior members from staff will judge the contest.

Whether your desktop:lamo: reflects your love for minimalist design, showcases your favorite fandom, or transports you to another world entirely, we can't wait to see what you come up with! :pizza:

To participate, simply head over :scooty1: to the "Desktop Decor Contest" thread and share your creativity with the community.

Let's make our forum as vibrant and expressive as our imaginations!

Please do visitLW Desktop Decor Contest May 2024 - Rules and Query Thread

Warm regards,:music2:***********

Admin Team******
 
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भाग -1

श्रृष्टि कितना खूबसूरत नाम हैं। जितनी खूबसूरत नाम हैं उतना ही खूबसूरत इसकी आभा हैं। जिसमें पूरा जग समाहित हैं। न जानें कितने अजीबों गरीब प्राणिया इसमें अपना डेरा जमाए हुए हैं। उन्हीं अजीबो गरीब प्राणियों में इंसान ही एक मात्र ऐसा प्राणी हैं। जिसकी प्रवृति को समझ पाना बड़ा ही दुष्कर हैं। कब किसके साथ कैसा व्यवहार कर दे यह भी कह पाना दुष्कर हैं। कोई तरक्की की सीढ़ी चढ़ने के लिए रिश्तों को ताक पर रख देता है। तो कोई विपरीत परिस्थिति में भी रिश्तों की नाजुक डोर टूटने नहीं देता हैं। वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं कोई रिश्ता न होते हुए भी ऐसा कुछ कर जाता हैं जिसके लिए लोग उन्हे उम्र भार याद रखते हैं। हैं न बड़ा अजीब श्रृष्टि हमारी। बहुत हुई बाते अब मुद्दे पर आता हूं और कहानी की सफर शुरू करता हूं…..

श्रृष्टि, ओ श्रृष्टि! सुन रहीं हैं कि नहीं, बेटा जल्दी से बाहर आ।

एक व्यस्क महिला रसोई की द्वार पर खड़ी होकर श्रृष्टि नाम की एक शख़्स को आवाज दे रहीं हैं। बुलाने के अंदाज और संबोधन के तरीके से जान पड़ता हैं। व्यस्क महिला का श्रृष्टि से कोई खास रिश्ता हैं।

आवाजे अत्यधिक उच्च स्वर में दिया गया था किन्तु इसका नतीजा ये रहा कि श्रृष्टि ने न कोई आहट किया और न ही बाहर निकलकर आई, इसलिए महिला खुद से बोलीं... इस लडकी का मै क्या करू, एक बार बुलाने से सुनती ही नहीं!

इतना बोलकर कुछ कदम आगे बढ गई और कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए बोलीं... श्रृष्टि, ओ श्रृष्टि सो रहीं है क्या?

"नहीं मां" की एक आवाज़ अंदर से आई, तब महिला फ़िर से बोलीं...बहार आ बेटा कुछ काम हैं।

एक या दो मिनट का वक्त बीता ही होगा कि कमरे का दरवाजा खुला, दुनिया भर की मसूमिया और भोलापन चहरे पर लिए, मंद मंद मुस्कान लवों पर सजाएं श्रृष्टि बोली... बोलों मां, क्या काम हैं?

"पहले तू ये बता, कर क्या रहीं थीं? कितनी आवाजे दिया मगर तू है कि सुन ही नहीं रहीं थी" इतना बोलकर महिला ने एक हल्का सा चपत श्रृष्टि के सिर पर मार दिया।

"ओ मेरी भोली मां (प्यार का भाव शब्दों में मिश्रित कर श्रृष्टि आगे बोलीं) कल मुझे साक्षात्कार के लिए जाना है उसकी तैयारी कर रही थीं। आप ये अच्छे से जानती हों जब मैं काम में ध्यान लगाती हूं फ़िर मुझे कुछ सुनाई नहीं देता हैं।"

"अब उन कामों को अल्प विराम दे और बाजार से रसोई की कुछ जरूरी सामान लेकर आ।"

"ठीक है मैं तैयार होकर आती हूं।"

इतना बोलकर श्रृष्टि पलटकर अंदर को चल दिया और महिला किचन की और चल पड़ी। श्रृष्टि बाजार जानें की तैयारी कर ही रहीं थी कि उसके मोबाइल ने बजकर श्रृष्टि का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, "कौन है" बस इतना ही बोलकर श्रृष्टि ने मोबाइल उठा लिया और स्क्रीन पर दिख रहीं नाम को देखकर हल्का सा मुस्कुराई फिर कॉल रिसीव करते हुए बोलीं... बोल समीक्षा कैसे याद किया।

समीक्षा...यार मुझे न कुछ शॉपिंग करने जाना था। तू खाली हैं तो मेरे साथ चल देती , तो अच्छा होता।"

श्रृष्टि...मैं भी कुछ काम से बजार ही जा रहीं थीं तो लगें हाथ तेरा भी काम करवा दूंगी, मेरा मतलब है तेरा शॉपिंग भी करवा दूंगी। तू घर आ जा तब तक मैं तैयार हों लेती हूं।"

श्रृष्टि से सहमति पाते ही "अभी आई" बोलकर समीक्षा ने कॉल कट कर दिया और श्रृष्टि तैयार होकर मां के पास पहुंचकर बजार से आने वाली सामानों की लिस्ट लिया फ़िर बोलीं…मां, वो समीक्षा भी आ रही है उसे शॉपिंग करनी हैं। तो हो सकता हैं कुछ वक्त लग जाय, इससे आपको दिक्कत तो नहीं होगी।"

"नहीं" बस इतना ही बोल पाई कि बहार से हॉर्न की आवाज़ आई। जिसे सुनकर श्रृष्टि बोलीं... लगता हैं समीक्षा आ गई है। मैं चलती हूं। बाय मां।

कुछ ही वक्त में दोनों सहेली दुपहिया पर सवार हों, हवा से बातें करते हुए बजार में पहुंच गईं। दोनों इस वक्त शहर के सबसे मशहूर शॉपिंग माल के गेट से भीतर पार्किंग में जा ही रहीं थीं कि एक चमचती कार दोनों के स्कूटी से बिल्कुल सटती हुई आगे को बढ़ गईं। जिसका नतीजा ये हुआ की समीक्षा का बैलेंस बिगड़ गया, किसी तरह गिरने से खुद को बचाकर समीक्षा बोलीं... अरे ओ आंख के अंधे, अमीर बाप के बिगड़े हुए औलाद दिन में ही चढ़ा लिया जो दिखना बंद हों गया।

श्रृष्टि...अरे छोड़ न यार जानें दे।

समीक्षा...क्या जानें दे, उसके पास चमचमाती कार हैं। इसका मतलब हमारी दुपिया का कोई वैल्यू ही नहीं मन कर रहा हैं पत्थर मारकर उसके चमचमाती कार का नक्शा ही बिगड़ दूं।

श्रृष्टि...अरे होते हैं कुछ लोग जिन्हें पैसे कि कुछ ज्यादा ही घमंड होता हैं। तू खुद ही देख उसके पास लाखों की कार हैं उसके आगे हमारी इस दूपिया की क्या वैल्यू?

"एक तो उस कमीने ने दिमाग की दही कर दिया। अब तू उसमें चीनी डालकर लस्सी बनाने पे तुली हैं।" तुनककर समीक्षा बोलीं तो श्रृष्टि मुस्कुराते हुए जवाब दिया...उसमें से एक गिलास निकलकर पी ले और गुस्से को ठंडा कर लें ही ही ही...।

"श्रृष्टि" और ज्यादा तुनक कर समीक्षा बोलीं तो श्रृष्टि फिर से मुस्कुराते हुए बोलीं...अरे अरे गुस्सा थूक दे और चलकर वहीं करते है जो हम करने आएं हैं।

समीक्षा को थोड़ा और समझा बुझा कर मॉल के भीतर लेकर जानें लगीं कि मुख्य दरवाजे से भीतर जाते वक्त एक हाथ श्रृष्टि के जिस्म को छू कर गुजर गया। श्रृष्टि को लगा शायद अंजाने में किसी का हाथ छू गया होगा। इसलिए ज्यादा तुल नहीं दिया। इसका मतलब ये नहीं की उसे बुरा नहीं लगा। बूरा लगा मगर वो उस शख्स को देख ही नहीं पाई जिसका हाथ श्रृष्टि के जिस्म को छूकर निकल गया। सिर्फ और सिर्फ़ इसी कारण श्रृष्टि ने मामले को यही दावा देना बेहतर समझा। बरहाल दोनों सहेली आगे को बढ़ गई और अपने काम को अंजाम देने लग गई।

लड़कियों का भी क्या ही कहना? इनको शॉपिंग करने में ढेरों वक्त चाहिए होता है। देखेगी बीस और खरीदेगी एक दो, ऐसे ही करते हुए दोनों आगे बढ़ती गई। कहीं कुछ पसंद आया तो खरीद लिया वरना आगे चल दिया। ऐसे ही एक सेक्शन में कुछ ज्यादा ही भिड़ था और उन्हीं भीड़ में समीक्षा अपने लिए कपडे देख रहीं थीं और श्रृष्टि उसकी हेल्प करने में लगीं हुई थीं।

तभी श्रृष्टि को लगा कोई उसके जिस्म को छूकर निकल गया। पलटकर पिछे देखा तो उसे अपने पिछे कई चहरे दिखा। अब दुस्वारी ये थीं कि उन चेहरों को देखकर कैसे पहचाने, उनमें से किसने उसके जिस्म को छुआ, जब पहचान ही नहीं पाई तो कोई प्रतिक्रिया देना निरर्थक था। इसलिए वापस पलटकर समीक्षा की मदद करने लग गईं।

कुछ ही वक्त बीता था की एक बार फ़िर से किसी का हाथ उसके जिस्म को छु गया। इस बार श्रृष्टि को गुस्सा आ गया। गुस्से में तमतमती चेहरा लिए पीछे पलटी तो देखा उसके पीछे कोई नहीं था। गुस्सा तो बहुत आई मगर किसी को न देखकर अपने गुस्से को दावा गई और पलटकर उखड़ी मुड़ से समीक्षा को जल्दी करने को बोलीं, कुछ ही वक्त में समीक्षा की शॉपिंग पूरा हुआ फिर ग्रोचारी स्टोरी से मां के दिए लिस्ट के मुताबिक किचन का सामान लेकर दोनों बिल देने पहुंच गई। समीक्षा अपना बिल बनवा ही रहीं थीं कि अचानक "चटकक्क" के साथ "बेशर्मी की एक हद होती हैं" की तेज आवाज़ वहां मौजुद सभी के कान के पर्दों को हिलाकर रख दिया।


जारी रहेगा...

देवियों और सज्जनों प्रस्तुत हैं।

डेस्टनी की एक अद्भुत रचना,
लेखन कला से बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए
लेखन कला को परिपूर्ण ,
एक पूर्ण रचना स्मृति,

श्रृष्टि - अजब दुनियां की गज़ब रीत रे !

यह रचना भले ही ज्यादा बड़ी नहीं बस कुछ ही भागों में पूर्ण की गयी है,





tumblr-oc4i7z-ALBV1r2pp2to1-500

पाठकों का मनोरंजन भरपूर इस्तेमाल और प्रदर्शन गया हैं
पाठकों के सभी पैमाने पर खरी।

अति सुंदर अभिव्यक्ति,
रोचक और दूरदर्शिता से भरी बहुत बेहतरीन प्रदर्शन।

 
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देवियों और सज्जनों प्रस्तुत हैं।

डेस्टनी की एक अद्भुत रचना,
लेखन कला से बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए
लेखन कला को परिपूर्ण ,
एक पूर्ण रचना स्मृति,

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यह रचना भले ही ज्यादा बड़ी नहीं बस कुछ ही भागों में पूर्ण की गयी है,





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रोचक और दूरदर्शिता से भरी बहुत बेहतरीन प्रदर्शन।


बहुत बहुत आभार मन्यवार बकलोल बाज जी
 
I am here only for sex stories No personal contact
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Dear readers jinhone bhi iss story ko read kiya, unse mera ek sawal hai kya iss story ki dusra part likha jaye?
YES

AWAITING EAGERLY

Aisi kahaani ke bahot se parts hone chahiye

Bas aap likhte jaaiye ..............Maan gayi aap ki rachna ko aur likhavat ko .........
 
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Samay ki kaami ke chalte nahi likh pa raha hoon saath hi meri ek aur story running chal raha hai usko pura karne ke baad likhunga
 
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Samay ki kaami ke chalte nahi likh pa raha hoon saath hi meri ek aur story running chal raha hai usko pura karne ke baad likhunga
शुक्रिया

जी मै वो स्टोरी अभी पढूंगी


:sex:
 

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