Incest तीनो की संमति से .....

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मैं छलाँग लगाकर जल्दी से दीदी के पीछे टायलेट में चला गया, जीजू सो रहे थे। टायलेट में पहुँचते ही मैंने दीदी को दबोच लिया, उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुए बोला-“दीदी मैं आपको चोदने के लिये कितने बरस तरसा, कितना तडपाया आपने मुझे?”

दीदी मेरे बालों में उंगलियां फिरते हुए बोली-“सारी मेरे बच्चे… मैंने तुमको बहुत तरसाया है, मुझे पता है। काश मैं उस वक़्त तुम्हारी फीलिंग्स समझ जाती, तो अपने घर हम बहन भाई जो मर्ज़ी करते… अब जब मैंने तुझे इतना तरसा कर गलती की है तो मैं तुझे इसका इनाम भी दूंगी। तू मम्मी को चोदना चाहता है मेरे भैया राजा? अब मैं तुम्हारी मम्मी को चोदने में हेल्प करूँगी ताकि तुझे और तुम्हारे इस लण्ड को चूत के लिए कभी तरसना ना पड़े…” यह कहते हुए वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच करने लगी।

मैंने शावर खोल दिया, और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे।

दीदी मेरे बालों में अपनी लंबी-लंबी उंगलियां फिराते हुए बोली-“अया मेरे राजा भैया, मुझे तुमको तरसाने की सज़ा मिल रही है, तुम्हें क्या पता कि मैं शादी करके कितनी प्यासी हूँ, तुम्हारे जीजू दो मिनट में अपना काम करके सो जाते हैं, इससे मेरी प्यास क्या बुझनी है, उल्टा मेरे अंदर आग लगाकर सो जाते हैं, उसके बाद मुझे ही पता है मेरी क्या हालत होती है? सुहागरात से लेकर आज तक तेरे जीजू मुझे एक बार भी शांत नहीं कर पाये, कभी-कभी फिंगरिंग करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ। कल तुम्हारे साथ सेक्स करके मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है? मर्द से औरत की प्यास कैसे बुझती है? कल तूने मुझे कली से फूल बनाया…” यह कहती वो मेरे जिश्म को जल्दी-जल्दी चूमने लगी थी।

शावर का पानी हम दोनों पे गिर रहा था और अब दीदी मेरे लण्ड को नहीं छोड़ रही थी और मैं उसके गोल-गोल चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था। मैं दीदी के कान को किस करता बोला-“दीदी आपको पता है कि मैं आपको चोदने के लिये 10 साल पहले से स्कूल टाइम से कोशिश कर रहा हूँ…”

दीदी-“मुझे सब पता है मेरे भाई, एक-एक बात याद है, लेकिन पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त तुमको समझ नहीं पाई, शायद इसीलिये आज प्यासी हूँ। तुम्हारे जीजू तो मुझे अपने किसी कजिन विकास के साथ यह सब करने को कह रहे थे, लेकिन मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं था, उसकी बाडी पे परफ्यूम लगाने के बाद भी इतनी गंदी गंध आती है कि उसके पास खड़े होना भी मुश्किल है। पता नहीं कैसे-कैसे मैंने तेरे जीजा को तुम्हारे लिये पटाया है, मेरे सोना भाई…”

मैं-“दीदी, मैं आपकी प्यास बुझाऊूँगा। आप फिकर मत करो, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा…” यह कहते हुये मैं दीदी के गालों पे, होंठ पे, कानों पे और गर्दन पे किस करने लगा। हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे, दीदी मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी, मैंने दीदी की टांगों के बीच चूत पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया फिर धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां दीदी की चूत में घुमाने लगा।

दीदी बहुत गरम हो चुकी थी उसके होंठ फड़फडाने लगे थे। वो मेरा हाथ अपनी चूत पे दबाती हुई बोली-“दीपू मेरे बच्चे, अब और मत तड़पाओ… मैं पहले ही दो साल से तड़प रही हूँ…”

मैं दीदी की टांगों के बीच बैठ गया और दीदी की चूत चाटने लगा।


बने रहिये
 
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दीदी ने अपनी टांगें फैला ली और मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबाने लगी, शावर का पानी हम दोनों के जिश्म पे गिरता जा रहा था और हम दोनों बहन भाई सेक्स के इस दौर में मस्त होते जा रहे थे, कुछ देर बाद दीदी ने मुझे ऊपर उठा लिया और हम फिर एक दूसरे की जीभ चूसने लगे।

फिर दीदी बोली-“दीपू मेरे बच्चे, जल्दी करो अब सबर नहीं हो रहा और तेरे जीजू भी पता नहीं कब उठ जाये?” यह कहते हुये दीदी डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुक गई, और पीछे हाथ करके मेरा लण्ड पकड़कर खुद ही अपनी चूत के छेद पे रख दिया।

मैंने दीदी की कमर को दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर से झटका मारा।

तो दीदी चैन की सांस लेते हुए दबी आवाज़ में बोली-“अया दीपू मेरे भाई, अपनी दीदी के अंदर चल रही हलचल को शांत कर दो मे ेरे बच्चे, जितना भी जोर से चोद सकते हो अपनी इस बहन को चोदो…”

अपनी बहन के मुँह से ‘दीपू मेरे भाई और चुदाई’ जैसे शब्द सुनकर मैं बेकाबू होता जा रहा था। मैंने दीदी के ऊपर झुक के दीदी की दोनों चूचियां पकड़ ली और दबाने लगा।

अब दीदी अपनी कमर हिला-हिलाकर चुदवाने की कोशिश करती हुई बोली-“दीपू, तुम्हारी दीदी का सारा जिश्म तुम्हारा है, जैसे दिल चाहता है वैसे खेलो मेरे भाई…”

मैंने जोर-जोर से दीदी की चुदाई शुरू कर दी, और जीजू के उठने के ख्याल से तेज-तेज करने लगा। तकरीबन 10-15 मिनट के बाद दीदी झड़ गई, लेकिन जब तक मैं अपने आपको झड़ने के लिये तैयार करता और स्पीड तेज करता तो किसी ना किसी बात पे डिस्टर्ब हो जाता और फिर झड़ने से रह जाता। बाथरूम के अंदर कोई ठीक से पोज़ीशन सेट नहीं हो पा रही थी, मैंने शावर बंद किया और दीदी को अपने कंधे पे उठाकर वापिस बेड के करीब आ गया।

जीजू अभी भी सो रहे थे और हम दोनों बहन भाई पानी से भीगे हुए रूम में आ गये थे, मैंने दीदी को कुर्सी पे बिठाया और सामने से उसकी टांगों को अपने कंधों पे रख लिया। दीदी ने खुद ही जल्दी से अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत के अंदर कर लिया। मैंने चुदाई शुरू कर दी जोर-जोर से। अब दीदी की गरम सांस भी मुझे पूरी तरह महसूस हो रही थी और दीदी की भीगी चूत बता रही थी कि दीदी फिर से तैयार हो रही है। मेरे सामने दीदी के लाल होंठ। गोल-गोल गोरी चूचियां और गरम सांसें थीं, जो कि मुझे झड़ने में बहुत हेल्प करने वाले थे।

दीदी का सारा जिश्म मेरे सामने गोल गठरी की तरह इकट्ठा हो गया था, मैं जोर-जोर चोदता तो कुर्सी हिलने लगती और कुर्सी के गिरने का भी खतरा रहता। लेकिन मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने चोदते-चोदते दीदी की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। फिर कुर्सी पे भी स्ट्रगल करते हमें 10-15 मिनट तक लग गये तो मैंने दीदी की तरफ देखा।

दीदी स्माइल करती हुई बिल्कुल धीमी आवाज़ में मेरे कान में बोली-“दीपू रुक जाओ, मैं फिर से छूटने वाली हूँ, तुम अपना करने के लिये थोड़ा टाइम मेरे पीछे वाले छेद में कर लो…”

नेक्स्ट कमेन्ट में बाकी की
 
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मैं रुक गया, मैंने चोदना बंद करके अपना लण्ड निकालकर दीदी के मुँह में दे दिया। दीदी मेरे लण्ड को चूसने लगी और जोर-जोर से स्ट्रोक भी करने लगी ताकी मैं जल्दी झड़ सकूँ। करीब 5 मिनट के बाद मैंने फिर से अपना लण्ड दीदी की चूत में डालकर जोर-जोर से बहुत तेज चुदाई शुरू कर दी। करीब 2-3 मिनट के अंदर ही दीदी की सिसकियां निकली और वो मेरे जिश्म से लिपटकर उसे नोचने लगी, फिर कुछ झटकों के बाद शांत हो गई। मैं चोदता रहा, रुका नहीं।
दीदी झड़ने के वाबजूद भी मेरी हेल्प कर रही थी, अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे होंठ सॉफ कर रही थी।

अगले 5 मिनट के अंदर मेरी चुदाई की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई और फिर मेरे जिश्म को भी 4-5 झटके लगे और मेरे अंदर की सारी गरम क्रीम दीदी के अंदर खाली हो गई। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड के मुँह पे मेरी फेवीकौल जैसी गाढ़ी वीर्य के कुछ बूँदें बाकी थीं।

दीदी ने उन्हें भी बरबाद नहीं होने दिया, झट से मेरा लण्ड पकड़कर अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया। जीजू के उठने के बाद फिर नाश्ता वगैरा करने के बाद यही सब चलता रहा। हम दो दिन शिमला में रहे लेकिन होटेल से बाहर निकलकर नहीं देखा। बस खाना पीना सब अंदर ही ऑर्डर करके आ जाता था। हम लोगों को 3 ही काम थे चोदना, चुदवाना, सोना, खाना-पीना और फिर शुरू चोदना, चुदवाना। टाइम का किसी को कुछ पता नहीं था कितना हुआ, बस सोकर उठते तो चोदना और खाना शुरू हो जाता।

जीजू मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप ले आये और दीदी को प्रेग्नेन्सी टेस्ट करने को कहा।

मैं और जीजू आमने सामने लिविंग रूम में बैठे थे और टायलेट जीजू के पीछे और मेरी फ्रंट साइड की तरफ था। दीदी टेस्ट करने के लिये टायलेट जाती हुई टायलेट के दरवाजे के सामने जाकर रुक गई, फिर पलट के पीछे देखा तो मेरी नज़र दीदी की नज़र से मिली। तो दीदी ने मुझे प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप दिखाते हुए उसे अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया, टेस्ट स्ट्रिप टूट फूट के एक गोली की शकल में आ गई थी। दीदी वो गोली मुझे दिखाते हुए टायलेट के अंदर चली गई।

मेरा आँखें सिकुड़ गई कि दीदी करना क्या चाहती है? अगर टेस्ट नहीं करेगी तो प्रेग्नेन्सी का पता कैसे चलेगा? फिर 10 मिनट के बाद दीदी टायलेट से बाहर निकली और पीछे से आकर जीजू के गले में अपनी बाहें डालती और मुँह बनाते हुए बोली-“जानू, टेस्ट अभी भी नेगेटिव है आया है…”

जीजू थोड़ा सोचने लगे फिर उठकर मेरे पास आकर बोले-“मैं पूजा को कुछ दिन यहीं छोड़कर घर जा रहा हूँ…” जीजू वहीं से वापिस निकल पड़े।

फिर मैं और दीदी घर के लिए रवाना हो गये। जैसे ही मैं और दीदी घर पहुँचे तो मम्मी ने दरवाजा खोला।
 
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मैं रुक गया, मैंने चोदना बंद करके अपना लण्ड निकालकर दीदी के मुँह में दे दिया। दीदी मेरे लण्ड को चूसने लगी और जोर-जोर से स्ट्रोक भी करने लगी ताकी मैं जल्दी झड़ सकूँ। करीब 5 मिनट के बाद मैंने फिर से अपना लण्ड दीदी की चूत में डालकर जोर-जोर से बहुत तेज चुदाई शुरू कर दी। करीब 2-3 मिनट के अंदर ही दीदी की सिसकियां निकली और वो मेरे जिश्म से लिपटकर उसे नोचने लगी, फिर कुछ झटकों के बाद शांत हो गई। मैं चोदता रहा, रुका नहीं।
दीदी झड़ने के वाबजूद भी मेरी हेल्प कर रही थी, अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे होंठ सॉफ कर रही थी।


अगले 5 मिनट के अंदर मेरी चुदाई की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई और फिर मेरे जिश्म को भी 4-5 झटके लगे और मेरे अंदर की सारी गरम क्रीम दीदी के अंदर खाली हो गई। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड के मुँह पे मेरी फेवीकौल जैसी गाढ़ी वीर्य के कुछ बूँदें बाकी थीं।

दीदी ने उन्हें भी बरबाद नहीं होने दिया, झट से मेरा लण्ड पकड़कर अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया। जीजू के उठने के बाद फिर नाश्ता वगैरा करने के बाद यही सब चलता रहा। हम दो दिन शिमला में रहे लेकिन होटेल से बाहर निकलकर नहीं देखा। बस खाना पीना सब अंदर ही ऑर्डर करके आ जाता था। हम लोगों को 3 ही काम थे चोदना, चुदवाना, सोना, खाना-पीना और फिर शुरू चोदना, चुदवाना। टाइम का किसी को कुछ पता नहीं था कितना हुआ, बस सोकर उठते तो चोदना और खाना शुरू हो जाता।

जीजू मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप ले आये और दीदी को प्रेग्नेन्सी टेस्ट करने को कहा।

मैं और जीजू आमने सामने लिविंग रूम में बैठे थे और टायलेट जीजू के पीछे और मेरी फ्रंट साइड की तरफ था। दीदी टेस्ट करने के लिये टायलेट जाती हुई टायलेट के दरवाजे के सामने जाकर रुक गई, फिर पलट के पीछे देखा तो मेरी नज़र दीदी की नज़र से मिली। तो दीदी ने मुझे प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप दिखाते हुए उसे अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया, टेस्ट स्ट्रिप टूट फूट के एक गोली की शकल में आ गई थी। दीदी वो गोली मुझे दिखाते हुए टायलेट के अंदर चली गई।

मेरा आँखें सिकुड़ गई कि दीदी करना क्या चाहती है? अगर टेस्ट नहीं करेगी तो प्रेग्नेन्सी का पता कैसे चलेगा? फिर 10 मिनट के बाद दीदी टायलेट से बाहर निकली और पीछे से आकर जीजू के गले में अपनी बाहें डालती और मुँह बनाते हुए बोली-“जानू, टेस्ट अभी भी नेगेटिव है आया है…”

जीजू थोड़ा सोचने लगे फिर उठकर मेरे पास आकर बोले-“मैं पूजा को कुछ दिन यहीं छोड़कर घर जा रहा हूँ…” जीजू वहीं से वापिस निकल पड़े।

फिर मैं और दीदी घर के लिए रवाना हो गये। जैसे ही मैं और दीदी घर पहुँचे तो मम्मी ने दरवाजा खोला।
Nice,
Great going n keep updating 👌
Love ❤️
 
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मम्मी के चेहरे पर आज अलग ही तरह की मुश्कान थी। हमें अंदर बुलाते हुये मम्मी ने कहा-“पूजा, अब तू दामाद जी के साथ आई है, या फिर दीपू मेरे लिए बहू लेकर आया है?”

मम्मी की बात सुनकर मैंने शर्म से अपनी आँखें नीची कर ली।

दीदी मेरी ओर देखकर मम्मी के गले मिलती हुई बोली-“मम्मी, अभी तो मैं इसे लेकर आई हूँ, तो इस नाते ये तुम्हारा दामाद हुआ और जब ये मुझे लेकर आएगा तब तुम समझ लेना की दीपू तुम्हारी बहू लेकर आया है…” और इतना कहकर वो दोनों हूँसने लगी।

मैंने देखा की मम्मी ने दीदी के धइले पर हाथ रखते हुए कान में फुसफुसाई “क्या तेरा सही इस्तमाल हुआ की नहीं ?”

पूजा ने भी ऐसे ही जवाब दिया “मम्मी सब सुजा पड़ा है”

और एक जोरदार दोनों के मुह से अटहास्य निकला

मम्मी: चलो दामादजी अब अन्दर नहीं आओगे ?

मै: मम्मी हम अन्दर ही है आपको शायद ध्यान में नहीं है

मा: शायद आपको ध्यान में नहीं है दामादजी!!!! दामादजी पे भार रखते हुए

मै: मोम क्या आज मेरी ही लेकने की बारी है तो मै ऊपर जाऊ

“हा हा जाओ और सब कुछ रेडी कर लो” मोम ने टोंट मारते हुए कहा

मुझे वहां से खिसक जाना ही बेहतर लगा



आजा मेरी बच्ची कह के मा ने पूजा को गले लगाया और उसके पेट के निचले हिस्से पे हाथ रखते हुए पूछा “क्या खबर लायी है ? फुग्गा फूलेगा ?”

“अरे मा अभी तो उसको शांति मिली है सालो के बाद मै नहीं चाहती की अभी से मेरा फुग्गा फुले”

“हा बेटे जहा इतनी देर हुई है थोड़ी और सही” मा ने आँख मिच्कारते हुए कहा तो दीदी शर्मा गई

वो सब तो ठीक है बेटे बाकी सब ठीक हुआ न जैसा तू चाहती थी या हम चाहते थे कैसा है दीपू “

“मा अब मै तुम्हे क्या बताऊ कैसा है दीपू ये संजो की मैंने बहोत बड़ी गलती की थी उस दिन वर्ना आज उतनी देर नहीं हुई होती मै कब की उसके बच्चे की मा बन गई होती”

“क्या कड़क माल है मा उसका”

बस बस ज्यादा नहीं

माने दीदी की गांड को मसलते हुए कहा “इसकी खबर ली गई है या बाकि है अगर बाकी है तो दीपू को कह देती हु की अभी सब छेद सही नहीं हुए”

किस की मा “गांड की” कोई छोड़ता है भला

मोम एक बात बता दू की दीपू सही मर्द है और उसने मेरा हर पुर्जा ढीला कर दिया है मेरी चूत अब उसके लंड की साइज़ की बना दी है और अब बाकि सब फुग्गे उस के लंड से ही फुलेगे”

“ठीक है ठीक है ज्यादा प्रशंसा मत कर”

दीदी ने मा के कुल्हे पे हाथ रख के बोली “आप को भी टेस्ट कर ही लेना चाहिए तो मुज से पूछ ने की जरुरत नहीं पड़ेगी हा थोडा चलने में तकलीफ कर देगी”

चल जा बा यहाँ से बोल के मम्मी ने उसके हाथ अपने कुल्हे से हटा दिए और रसोई के अन्दर चल ने को निकल गई पर मुझे ऐसा लग रहा था की दीदी ने इसके स्तन को थोड़े टटोल दिए थे और मा ने एक हलकी सी आह निकाल के बोली “बहन और भाई दोनों अब बदमाश है”

लेकिन अब मुझे ये बता की रमेश वह सब सही रहे थे ना कुछ गर्बाद तो नहीं की

नहीं मा ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि हम साथ ही रहे और सब कुछ उनके सामने हुआ लेकिन .....

लेकिन क्या बेटे ?????

कुछ नहीं मोम

अब बता भोसड़ीकी रहा नहीं जाएगा जाने बगैर

अब वो मा बस ऐसे ही अब क्या बताऊ ??

बोल ना भाई लोडी

“रमेश आप को नंगा देखना चाहता है” “और यही बात थी जब उन्हों ने पहले कहा था की सब बाते कर ली ना “
क्या ..................... रंडी का बच्चा लंड उठता नहीं और मुझे ......... छी गन्दा साला



मोम मैंने वादा किया था अगर दीपू से चुदवा लू तो कम एस कम एक बार मा को आपके सामने नंगा कर दूंगी

क्या ये गलत है समज में अत है तुम दोनों को ???

मा हम ने जो किया वो भी गलत ही तो था फिर भी आपने परमिशन दी थी

मादरचोद वो बच्चे के लिए थी नहीं की वासना के लिए

मा वासना ना हो तो बच्चा कैसे होगा ?

हां वो भी है

देख पूजा वादा तो नहीं करती पर कोशिश करुँगी लेकिन सही समय आने पर

और मा दीपू के बारे में क्या सोचा है आपने ??

सोचना क्या है ???

मै चाहती हु की आपकी भूख वोही तोड़ सकता है

पागल लड़की ये गलत सोच कब से पाल ली

जब से दिपू ने चोदते हुए कहा

क्या उसने मेरे बारे में कहा ऐसा ???????????? चुटिया है क्या वो

फिर दीदी ने चुदाई की सब घटना बता दी

ओ बाप रे तुम दोनों मुझे भी ले लोगे ??? या अपनी चुदाई में मुझे भी शामिल या मेरे बारे में बाते करते हुए और वो भी रमेश के सामने !!!!!!!!!! शर्म से लाल हो गई

हा मोम अब जो था वो बता दिया

वैसे एक बात बता मेरी बात होती थी तब दीपू का क्या रिअक्शन था

और जोर से चोदता था मुझे और तुम्हारे बारे में सोच के

मुझे लगा की दीदी कुछ ज्यादा ही मसाला डाल रही थी उस बात को लेके

मोम मुझे पता है आप कब से भूखी है और अब इसका इलाज है

रमेश chat देगा तुम्हारी तो दीपू तुम्हारी परी की सेवा कर देगा पीछेवाली भी

बंध कर तेरी ये बकवास

थोड़ी देर के बाद मा थोड़ी ढीली हुई “तो दीपू की भी वहीच्छा है ?“

मा अब जाने दो जहा छह नहीं वह राह नहीं

मम्मी थोड़ी निराश हुई तो दीदी ने मम्मी की गांड की दरार को नापते हुए बोली “लेकिन चाह तो है”

मम्मी थोड़ी मुस्कुराई और बोली “ अब तुमने ये सब और उतना सब बता के मेरी सोई हुई आग जला दी”

तो हां शायद चाह है अब राह तुम दोनों देखोगे मेरे लिए और थोड़ी मुश्कुराई और शरमाई भी

दीदी: "बस तुम्हारी चाह है तो राह अपने आप बनेगी मा" और मा की गांड के दरार में अपनी ऊँगली डाल दी जो मा ने उसे हटा के बोली

अब ये सब तेरे लिए नहीं है बेटी दीपू..................

और वो दोनों अपने कुल्हे मटकाए हुए रसोई में चली गई | हाला की दोनों के हाथ एकदूसरे के कुल्हे पे ही रखे हुए थे

पता नहीं अन्दर जाके मा बेटी ने क्या किया लेकिन शाम को मा कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी जब की दीदी ने मुझे इशारे से कह दिया की रास्ता साफ़ है ..........


रात को
 
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रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,


दीदी: “मोम से बात हुई” ?

दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है

मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी

बने रहिये
 
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रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,

दीदी: “मोम से बात हुई” ?

दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है


मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी

बने रहिये
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आपका बहोत बहोत आभार

जी हां कुछ ही देर में नए एपिसोड के साथ हाजिर होती हु ..
 
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जय भारत के साथ

सभी पाठको को मेरी और से
रात्री की शुभकामनाये

मा अम्बा और मा भारती सभी हम भारतीयो को अपनी आशीष दे और कृपा बनाए रखे
 

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