Incest तीनो की संमति से .....

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दूसरी ओर घर पर मम्मी पूजा से बात कर रही थी-“पूजा बेटी, तुझसे एक बात पूछूं?”

पूजा दीदी-हाँ मम्मी पूछो, क्या बात है?

मम्मी-“बेटी, तुम्हारी शादी को दो साल हो गये और ये क्या तुम लोगों ने अभी तक अपने बच्चे का कुछ प्लान नहीं किया?”

पूजा दीदी-“वो मम्मी बस ऐसे ही… कर लेंगे…”

मम्मी-“बेटी, देखो मैं जानती हूँ की आजकल के बच्चे, शुरू में मस्ती के लिए बच्चा नहीं करते फिर बाद में प्राब्लम हो जाती है। तुम्हारी शादी को दो साल हो गये हैँ, अब तुमको अपने बच्चे के बारे में सोचना चाहिए। कहीं ये तो नहीं की दामाद जी अभी बच्चा नहीं चाहते?”

पूजा दीदी-“नहीं मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है, हम दोनों चाहते हैं…”

मम्मी-“तो फिर तुम्हें बच्चा क्यों नहीं होता? क्या तुम सेक्स के टाइम पिल्स इस्तेमाल करती हो? या फिर दामाद जी कंडोम इस्तेमाल करते हैं?”

पूजा दीदी-“मम्मी, हम दोनों ये सब कुछ इस्तेमाल नहीं करते…”

मम्मी-“बेटी, तो फिर किसी डॉक्टर को दिखाना था। देखो बेटी, जब लड़की की शादी हो जाती है तो वो बेटी नहीं सहली बन जाती है, और अपनी हर सुख दुख की बातें शेयर करती है। देखो बेटी मुझसे क्यों छुपा रही हो? अगर कुछ है तो मुझे बता ताकि अगर कोई दिक्कत हो तो उसका कुछ हल निकल सके। अगर तूझमें कोई कमी है तो फिर उसका भी कुछ करेंगे?”

पूजा दीदी-“मुझमें तो कोई कमी नहीं है, पर आप ये जान लो की मैं कभी माँ नहीं बन सकती…”

मम्मी-“पर क्यों? तू माँ क्यों नहीं बन सकती? क्या दामाद जी तुझसे सेक्स नहीं करते?”
 
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पूजा दीदी मम्मी के गले लगकर-“मम्मी, अब क्या बताऊूँ मैं आपको… आप सेक्स की बात करती हैं, तो आप ये समझ लो की आपके दामाद किसी औरत के काबिल नहीं हैं, वो किसी भी औरत को संतुष्ट नहीं कर सकते…”

मम्मी को पूजा दीदी की बात सुनते एक झटका सा लगता है-क्या बोल रही है?

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, ठीक कह रही हूँ। वो सच में किसी औरत की काबिल नहीं हैं…”

मम्मी-“तो बेटी, किसी डॉक्टर को दिखाना था…”

पूजा दीदी-“मम्मी, क्या दिखाऊूँ? उनका इतना छोटा और पतला है…” और इतना बोलते ही दीदी चुप हो गईं।

मम्मी-“क्या कहा पूजा? उसका लण्ड इतना छोटा है…” और मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, उनका 3 इंच से भी छोटा है, उन्होंने कभी शर्म के मारे मुझे हाथ भी नहीं लगाया…”

क्या ......क्या .........बेटी तू अभी तक कुवारी है ??

“एसा ही कुछ मम्मी “ पूजा ने रोते रोते बोला

मम्मी: वैसे मै तुम्हारी हिस्ट्री तो जानती हु पर बेटे शादी के बाद ऐसा होना मतलब .............आगे वो कुछ नहीं बोली

मम्मी पूजा दीदी की बात सुनकर सदमें खा गई और बोली-“पूजा, अब तेरा क्या होगा? कैसे तू सारी जिंदगी बिना मर्द के गुजार पायेगी। क्यों नहीं तुम कोई बच्चा गोद ले लेती?”

बिना सेक्स कैसे जिया जाएगा तुज से !!!!!! आगे बहोत लम्बी उमर पड़ी है

पूजा दीदी-“मम्मी, मैं किसी और का बच्चा गोद नहीं लूँगी। वैसे ये भी बोलते हैं कि उन्हें भी बच्चा मुझसे ही चाहिए…”

मम्मी गुस्से से-“तुझसे बच्चा चाहिए उस नामर्द को, कैसे होगा ये? क्या गांड से पैदा करेगा ??? शादी को दो साल हो गये, और वो नामर्द तुझे चोद नहीं पाया तो बच्चा कौन उसका बाप पैदा करेगा?”

पूजा दीदी-“मम्मी, आपके दामाद भी यही कहते हैं की किसी और साथ हम-बिस्तर होकर उसके साथ बच्चा पैदा करूं…”

मम्मी-“उस नामर्द का तो दिमाग़ खराब हो गया है। ऐसा कौन होगा जिससे तू ये सब करेगी?” और अगर उस चु ..... को पता भी है उसके परिणाम क्या हो सकते है ??? बीवी खो बैठेगा क्या ???

पूजा दीदी-“मम्मी, मेरे ससुराल में इनके एक अंकल हैं, जो आर्मी में थे, अकेले रहते हैं। वो अक्सर मुझे घूरते रहते हैं। और कभी-कभी गंदे-गंदे इशारे भी करते हैं। मैंने इनको कहा तो इन्होंने कहा-पूजा, ये तो अच्छा है की तुम उनको लिफ्ट दो और उनके साथ हम बिस्तर होकर बच्चा पैदा करो…”

मम्मी-“तो फिर तूने क्या सोचा? अगर वो तैयार है तो तुझे क्या दिक्कत है? देख बेटे ऐसा ही है तो उस से चुद जा उसे पता के रख ले, इससे तुझे मर्द का सुख भी मिलेगा और शायद तुझे उनसे बच्चा भी हो जाए…”

पूजा दीदी-“मम्मी वो सब तो ठीक है की उनके साथ सेक्स करके मुझे ये सब मिलेगा। पर सोचो अगर ये बात मेरे ससुराल में पता चल गई तो कितनी बदनामी होगी? वहां सब मुझे एक बदचलन औरत कहेंगे। इसे वो सब इनका कसूर नहीं, बल्की मुझे ही वेश्या समझेंगे…”

मम्मी-“ये बात तो तेरी ठीक है… तो फिर ये सब कैसे होगा?”

पूजा दीदी-“मम्मी, मैंने इनसे कहा था की अगर आप चाहें तो मैं आपके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाकर बच्चा पैदा कर सकती हूँ। ये उसके लिए मान भी गये थे, पर जो इन्होंने मुझसे कहा की अगर मैं इनके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाती हूँ तो हम लोग कितनी बड़ी मुश्किल में फँस सकते हैं…”


मम्मी-“मुश्किल? वो कैसी? बेटी, अगर तुम किसी और से संबंध बनाती हो और दामाद जी भी यही चाहते हैं तो फिर कैसी मुश्किल? इससे तो तुम लोगों को फ़ायदा ही होगा। एक तो तेरी जिंदगी में मर्द की कमी पूरी हो जाएगी, तेरा कुआ भरा रहेगा और दूसरा तुम्हारी लाइफ में बच्चे की जो कमी है वो भी पूरी हो जाएगी…”

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, मुझे उसके साथ संबंध बनाने के ये फ़ायदे तो हैं। पर सोचो इससे बड़ा नुकसान भी है। मम्मी, अगर मैं इनके किसी दोस्त से सेक्स करती हूँ तो वो आदमी कभी किसी और के सामने ये बोल सकता है की यार (रमेश) की बीवी मुझसे फँसी हुई है, मेरी रखैल है, मैं रोज उसकी लेता हूँ। और हो सकता है की मुझे चोदने के बाद वो मुझे अपने दोस्तों से भी चुदवाए। रोज मुझे नये-नये मर्दों के नीचे लिटाए। और इसकी क्या गारन्टी है कि अगर मैं उसके बच्चे की माँ बन जाऊँ तो कल को वो उसे अपना बच्चा कहकर हमसे छीन भी सकता है। उस हालत में हम क्या करेंगे?” मुझे रंडी का उपनाम तो नहीं चाहिए मम्मी

मम्मी-“ये बात तो ठीक है बेटी, फिर क्या करोगे तुम लोग?”

पूजा दीदी-“मम्मी, ये तो कह रहे थे कि हम कहीं आउट स्टेशन चलते हैं। वहां पर किसी वेटर से या फिर ये किसी आटो ड्राइवर को बुलाकर मुझे पेट से करवा देंगे। पर मैं किसी लो क्लास आदमी का बच्चा पैदा नहीं करूँगी, इसके लिए मैंने इन्हें एक लड़के का नाम बताया, जिसे सुनकर ये झट से तैयार हो गये। अब पता नहीं वो लड़का तैयार होता भी है या नहीं, मुझे माँ बनाने के लिए? इन्होंने तो मुझसे वादा भी लिया है कि अगर वो लड़का तैयार नहीं हुआ मुझे माँ बनाने के लिए तो मुझे मजबूरन इनकी बात मान कर आउटस्टेशन जाकर किसी वेटर या किसी ड्राइवर से चुदवाकर माँ बनना पड़ेगा…”

मम्मी-“पूजा, आख़िर कौन है वो लड़का, जिसके साथ तू सेक्स करके माँ बनना चाहती है? और तूने ये क्या कहा कि अगर वो तुझसे सेक्स करने को नहीं माना तो? आख़िरकार वो लड़का क्यों नहीं मानेगा? तू खूबसूरत है सेक्सी है, मैं जहाँ तक जानती हूँ की तेरी एक झलक पाने के लिए लड़के तो क्या बुड्ढे भी घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे। वो प्रिसिपाल अभी भी मुझे याद है

आख़िर उस लड़के का नाम क्या है?”
 
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पूजा दीदी-“दीपूउ…”

मम्मी-“क्या दीपू? तेरा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया? जानती भी है, तू क्या बोल रही है? दीपू तेरा भाई है…

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, जानती हूँ कि दीपू मेरा भाई है और मैं ये भी जानती हूँ कि इसके लिए दीपू ज़रूर राज़ी हो जाएगा और जहाँ तक मैं सोचती हूँ, दीपू तो खुशी के मारे पागल हो जाएगा और फिर पूजा मम्मी को दीपू और उसके बीच क्या-क्या हुआ था सब बताती है।

जिसे सुनकर मम्मी के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। मम्मी-“पूजा, इसका मतलब की जिस बच्चे की तू माँ बनेगी, मैं उस बच्चे की नानी की बनूंगी और उस बच्चे की दादी भी बनूंगी…” और फिर दोनों आपस में ऐसे ही बातें करती रहती हैं।

मा दीदी के बिच में काफी ओपन बाते हुई जैसे की मैंने शुरुआत में कहा था की मा और दीदी रिलेशन से ऊपर के दोस्त भी थे और पहले से ही वो दोनों लंड चूत गांड जैसी बाते करती थी तो उसमे आश्चर्य में आना जरुरी नहीं

म : वैसे रमेश ने अज तक तुजे छुआ नहीं तो तू आज मुझे बता रही है ??

पु: क्या करू मम्मी ?? तुजे भी उस चिंता में डालू ??? जिस का कोई उपाय नहीं और वैसे भी तुम्हे मुज पर से भरोसा भी तो उठ चुका था मेरी ही करतूतों की वजह से और जो दीपू ने बताया उसको ही सच मानके वैसे सच भी था

म: हा सच है बेटा मै अकेली और आगे कोई प्रॉब्लम खड़ा ना हो इस लिए मुझे तेरी शादी करना ही बेतर समजा कल उठ के तुजे बच्चा ठहर जाता तो सोच कितनी बदनामी होती और वैसे भी उस उम्र में ऐसा होता है मै कहा कहा मुह छुपाती फिरती ?

पु: अब जो हुआ मम्मी उसमे तो कोई कुछ नहीं कर सकता पर अब रहा भी नहीं जाता ना

म: सच है बेटा खास कर तुज जैसे चुदास लड़की जिसने कम से कम 3 लंड देख चुकी हो या चूस चुकी हो काफी मुश्किल है अब सहन करना

वैसे मै सोच रही हु की एक बार उस नामर्द रमेश से बात तो करू क्या बोल रहा है वो आखिर कैसा लंड लेके जन्मा है वो भी

पु: ना मम्मी अब तुम उस से कुछ बात नहीं करोगी

म: क्यों ?? क्यों ना करू ??

पु: देख मम्मी एक तो अब वो राजी हो गए है की मै किसी और से मेरा कुआ भरु और आगे भी भरती रहू और मेरे पेट से फुग्गा फूलता ही रहे

म: वो सब तो ठीक है पर

पु: सब से बड़ा फायदा ये है की मै जिस से चाहू चुद सकती हु मा मुझे कोई रोक टोक नहीं होगी

पु: और दीपू से कायमी रिश्ता बन सकता है वो जितनी बार चाहे मेरा फुग्गा फुला सकता है और मै फुलाने के लिए तैयार भी हु

मम्मी कुछ सोचती है और फिर मुस्कुराके बोलती है ठीक है बेटा तुम अपने भाई की बीवी बन के रह और ये नामुराद को अपना लंड हाथ से ही खेल ने दे| साले को मस्त माल के रूप में मैंने उसको मेरी बेटी दी लेकिन साला चुटिया निकला ना लंड का ना गांड का

पु: वो सब मुज पे छोड़ देना मा बस ये दीपू तैयार हो जाए

म: हो जाएगा उसे भी तो एक बाहें के स्वरुप में अच्छा और कच्चा माल मिलेगा कोई भी लंड तेरी खाई में जाना चाहेगा खेर देखते है अगर जरुरत पड़ी तो मै भुदिपू से बात करुँगी

मेरी मम्मी मुझे पता था की तुम मेरी बात को समझेगी

म: वैसे एक बात्बता अब तक तूने कैसे चलाया क्या कही और कोई प्रिंसिपल तो नहीं मिला न

पु: नहीं मम्मी अभी तक तुम वोही लेके बैठी हो मै किसी से नहीं चूदी बस लंड चूसा है रोहित का और वो प्रिंसिपल का लेकिन अब तक गाजर मुली से काम चलाया है बस
म; मेरी तरह !!!! और दोनो हस देती है


बने रहिये
 
Dark knight
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पूजा दीदी-“दीपूउ…”

मम्मी-“क्या दीपू? तेरा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया? जानती भी है, तू क्या बोल रही है? दीपू तेरा भाई है…

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, जानती हूँ कि दीपू मेरा भाई है और मैं ये भी जानती हूँ कि इसके लिए दीपू ज़रूर राज़ी हो जाएगा और जहाँ तक मैं सोचती हूँ, दीपू तो खुशी के मारे पागल हो जाएगा और फिर पूजा मम्मी को दीपू और उसके बीच क्या-क्या हुआ था सब बताती है।

जिसे सुनकर मम्मी के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। मम्मी-“पूजा, इसका मतलब की जिस बच्चे की तू माँ बनेगी, मैं उस बच्चे की नानी की बनूंगी और उस बच्चे की दादी भी बनूंगी…” और फिर दोनों आपस में ऐसे ही बातें करती रहती हैं।

मा दीदी के बिच में काफी ओपन बाते हुई जैसे की मैंने शुरुआत में कहा था की मा और दीदी रिलेशन से ऊपर के दोस्त भी थे और पहले से ही वो दोनों लंड चूत गांड जैसी बाते करती थी तो उसमे आश्चर्य में आना जरुरी नहीं

म : वैसे रमेश ने अज तक तुजे छुआ नहीं तो तू आज मुझे बता रही है ??

पु: क्या करू मम्मी ?? तुजे भी उस चिंता में डालू ??? जिस का कोई उपाय नहीं और वैसे भी तुम्हे मुज पर से भरोसा भी तो उठ चुका था मेरी ही करतूतों की वजह से और जो दीपू ने बताया उसको ही सच मानके वैसे सच भी था

म: हा सच है बेटा मै अकेली और आगे कोई प्रॉब्लम खड़ा ना हो इस लिए मुझे तेरी शादी करना ही बेतर समजा कल उठ के तुजे बच्चा ठहर जाता तो सोच कितनी बदनामी होती और वैसे भी उस उम्र में ऐसा होता है मै कहा कहा मुह छुपाती फिरती ?

पु: अब जो हुआ मम्मी उसमे तो कोई कुछ नहीं कर सकता पर अब रहा भी नहीं जाता ना

म: सच है बेटा खास कर तुज जैसे चुदास लड़की जिसने कम से कम 3 लंड देख चुकी हो या चूस चुकी हो काफी मुश्किल है अब सहन करना

वैसे मै सोच रही हु की एक बार उस नामर्द रमेश से बात तो करू क्या बोल रहा है वो आखिर कैसा लंड लेके जन्मा है वो भी

पु: ना मम्मी अब तुम उस से कुछ बात नहीं करोगी

म: क्यों ?? क्यों ना करू ??

पु: देख मम्मी एक तो अब वो राजी हो गए है की मै किसी और से मेरा कुआ भरु और आगे भी भरती रहू और मेरे पेट से फुग्गा फूलता ही रहे

म: वो सब तो ठीक है पर

पु: सब से बड़ा फायदा ये है की मै जिस से चाहू चुद सकती हु मा मुझे कोई रोक टोक नहीं होगी

पु: और दीपू से कायमी रिश्ता बन सकता है वो जितनी बार चाहे मेरा फुग्गा फुला सकता है और मै फुलाने के लिए तैयार भी हु

मम्मी कुछ सोचती है और फिर मुस्कुराके बोलती है ठीक है बेटा तुम अपने भाई की बीवी बन के रह और ये नामुराद को अपना लंड हाथ से ही खेल ने दे| साले को मस्त माल के रूप में मैंने उसको मेरी बेटी दी लेकिन साला चुटिया निकला ना लंड का ना गांड का

पु: वो सब मुज पे छोड़ देना मा बस ये दीपू तैयार हो जाए

म: हो जाएगा उसे भी तो एक बाहें के स्वरुप में अच्छा और कच्चा माल मिलेगा कोई भी लंड तेरी खाई में जाना चाहेगा खेर देखते है अगर जरुरत पड़ी तो मै भुदिपू से बात करुँगी

मेरी मम्मी मुझे पता था की तुम मेरी बात को समझेगी

म: वैसे एक बात्बता अब तक तूने कैसे चलाया क्या कही और कोई प्रिंसिपल तो नहीं मिला न

पु: नहीं मम्मी अभी तक तुम वोही लेके बैठी हो मै किसी से नहीं चूदी बस लंड चूसा है रोहित का और वो प्रिंसिपल का लेकिन अब तक गाजर मुली से काम चलाया है बस
म; मेरी तरह !!!! और दोनो हस देती है


बने रहिये
Nice update
Keep posting
Love ❤️
 
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जिस दिन किसी की बहुत गुस्से से चुदाई करनी हो या बहुत देर तक चोदना हो तो मैं 10 मिनट पहले इसको अपने लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे कर लेता हूँ, फिर 30-60 मिनट तक तो गारन्टी के साथ मेरा पानी नहीं निकलता और लड़की का इस दौरान 3-4 बार पानी निकल जाता है और वो लड़की मुझसे मिन्नतें करती है की बस कर अब वो सहन नहीं कर सकती। मैं जैसे चाहूं वैसे आराम से चुदाई कर सकता हूँ, इतना टाइम लगने के बाद भी मुझे लण्ड का पानी निकालने के लिए बहुत जोर- जोर से तेज चुदाई करनी पड़ती है।


मैं अपनी इस स्प्रे को कल के लिए तैयार करने लगा, ताकि मैं कल जब इस स्प्रे को लगाकर दीदी की चुदाई करूं तो वो मेरी मर्दानगी के पीछे मर मिटे । उसकी चीखों से पूरा कमरा गूँज उठे। फिर जब मैंने बेड पे लेटकर अपनी आँखें बंद की तो सामने दीदी की सेक्सी फिगर घूमने लगी, पूजा दीदी की मस्त बड़ी-बड़ी टाइट चूचियां गोल मटोल उभरी उठी हुई गाण्ड, सब मेरी आँखों के सामने आ रहा था।

मैंने इतनी पी हुई थी की नशा होने के वाबजूद भी नींद नहीं आ रही थी, आने वाले कल के बारे में सोचकर खुशी भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था, कि जब मेरा लण्ड तरस रहा था तब तो मेरी मादरचोद बहन ने मेरी एक ना सुनी, और अब अपनी गाण्ड फटने लगी है तो दीपू भैया याद आ गया। दिल कर रहा था कि मूठ मारकर हल्का हो जाऊँ। लेकिन मैं करीब एक महीने से रुका हुआ अपने लण्ड का कीमती माल बरबाद नहीं करना चाहता था। अब मैं अपना ये कीमती लण्ड का माल पूजा दीदी के जिश्म के अंदर ही डालना चाहता था, और अपने अंदर की पूरी आग दीदी को दिखाने के लिए यह रोकना ज़रूरी भी था। मेरे मन में अभी से बेचैनी थी दीदी को चोदने की।


मैंने देखा कि दीदी बाहर मम्मी के साथ अभी बातें कर रही थी और कल आउटस्टेशन पर जाने की तैयारी कर रही थी। कुछ देर बाद दीदी उठी और सीधा जीजू के पास रूम में गई और जीजू से उत्सुकता से पूछने लगी-“क्या हुआ, दीपू ने क्या कहा? क्या वो मान गया मुझे माँ बनाने के लिए?”

जीजू-“हाँ पूजा दीपू मान गया है, अरे उसका लण्ड तो अभी से खड़ा हो गया था तुझे चोदकर माँ बनाने के लिये। तू देखना कल वो तेरी ऐसी चुदाई करेगा की सब कुछ भूल जाओगी, वो अपनी बरसों की हसरत तेरी चूत फाड़कर निकालेगा। मुझे नहीं लगता की वो तुम्हें अगले 3 दिन में एक पल के लिए भी आराम करने देगा। वो बस तुझे इन तीन दिनों तक कभी तेरी आगे से और कभी तेरी पीछे से फाड़ता रहेगा, हर टाइम तुझे अपने लण्ड पर चढ़ाकर है रखेगा। और मुझे पूरा यकीन है की इन तीन दिनों में तुम दीपू से चुदवाकर माँ ज़रूर बन जाओगी। लेकिन एक बात ध्यान रखना डार्लिंग तेरे तीनो छेड़ सही तरीके से रेडी होने चाहिए या फिर रख लेना वो साला कब कहा कैसे अपनी पिपुडी बजाएगा पता नहीं| पर इतना यकीं से कह सकता हु की तेरी चूत का अब बजा ऐसा बजेगा की अब वो छेड़ चूत में नहीं भोस में गिना जायेगा | गांड की तो मा बहन एक करके छोड़ेगा तो मुझे लगता है की तुम्हे हर तरीके से रेडी रहना पड़ेगा क्यों की मै ही जानता हु की मैंने उसे कैसे तैयार किया है और मैंने उसकी आँखों में एक हवसीपन देखा है | उस से मै ये कह सकता हु की अगले कुछ दिनों में तेरे निचे के दोनों छेद उसके लंड की साइज़ के बन ही जायेंगे|

पूजा दीदी-“मैं तो कब से जानती थी की दीपू मुझे चोदने का ये हसीन मोका कभी हाथ से जाने नहीं देगा। ये तो उसकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशखबरी होगी की मैं पूजा, उसकी बहन, जिसे वो बचपन से चोदना चाहता था और जिसके नाम पर ना जाने उसने कितनी बार अपने लण्ड का गाढ़ा माल निकाला होगा, आज खुद उससे चुदवाकर उस पर मेहरबानी कर रही हूँ…” पूजा दीदी को अपने इस रूप और हुश्न पर घमंड था। और बोली साला चुतिया कुछ नाटक कर रहा था आपके साथ मुझे पता है| बचपन से जानती हु मै उसे| और हां मा भी अब रेडी हो गई है तो यहाँ से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी शायद|
जीजू: तुम्हारी मा से वो बात हुई है क्या ?

दीदी: नहीं साले अभी वो टाइम नहीं है मैंने कहा है ना कर दूंगी तो कर दूंगी| अपने चेहरे पे जीजाजी की बाते सुनके काफी चमक आ गई थी | उसे ये महसूस हो चुका था की अब उसकी चूत भोसड़े में तब्दील हो के रहेगी दीपू के लंड की मेहरबानी से


फिर वो जीजू की ओर देखकर बोली-“देखना कल मैं दीपू को अपनी जवानी के ऐसे जलवे दिखाऊूँगी की वो सारी उमर मेरे तलवे चाटता रहेगा, मेरे पीछे दुम हिलाता रहेगा…”



पूजा दीदी की ये बात सुनकर मुझे बड़ा गुस्सा आया की साली की इतना गरूर है अपने इस जिश्म पर। कल देखना इस साली कुतिया को मैं ऐसे चोदूंगा कि साली खुद तड़पेगी मुझसे चुदवाने को। इस साली को अनजान तरीको की तरह चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा ना बनाया तो मेरा भी नाम दीपू नहीं। और गांड ऐसी मारूंगा की वो चलने के काबिल ही नहीं रहगी कल ये खुद मुझसे भीख माँगेगी कि प्लीज़… दीपू, मैं मर जाऊँगी।

दोनों भाई बहन अपने अपने मनगड़ंत विचारो से प्रफुल्लित थे | उधर रमेश (जीजू) भी अभी से बच्चे से खेलना शुरू कर दिया था



दारू पीने की वजह से अगले दिन सुबह मैं काफ़ी देर से उठा। दीदी सुबह बहुत जल्दी ही उठ गई थी और दीदी ने अपनी बाडी को पूरी तरह से वेक्स कर लिया था। जीजू और दीदी अपना सामान कार में रख रहे थे।

मैं शावर करके नीचे आया तो मम्मी के सामने जीजू ने दीदी से कहा-“पूजा, क्यों ना हम दीपक को भी साथ ले चलें?”

दीदी-“हाँ… आपको ड्राइविंग में भी हेल्प हो जायेगी…” यह कहते हुये दीदी मेरे और जीजू के बीच में खड़ी जीजू को स्माइल दे रही थी, उसने जींस और टाइट टाप के साथ काले चश्मे को सर के खुले बालों पे चढ़ा रखा था। फिर अपना सैंडल ठीक करने के बहाने जानबूझकर मेरे सामने झुक गई, जिससे दीदी का टाइट टाप ऊपर सरक गया और जींस भी थोड़ा नीचे, दीदी की गोरी कमर और गुलाबी पैंटी की इलास्टिक मुझे नज़र आने लगी वो मेरे सामने एकदम डोगी स्टाइल में झुक के अपना सैंडल ठीक कर रही थी, उसके बड़े-बड़े गोल मटोल चूतड़ मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे, जैसे कह रहे हों कि दीपक आओ, अब डाल भी दो ना अपना लण्ड मुझसे अब और बर्दास्त नहीं होता।

कुछ भी हो दीदी साली शादी के दो साल बाद भी मेरे दिल पे राज कर रही थी, शादी के बाद उसके जिश्म में कोई खास फरक नहीं पड़ा था, वो आज भी सेक्सी फिट थी।

मा भी ये सिन देख के मुस्कुरा उठी थी ( मन में साली क्या माल है मेरी बेटी, सच में चोदने जैसी तो है ही, उसकी चूत भी काफी कसी हुई होगी क्यों की ये साला कुछ कर ही नहीं पाया, गांड तो इतनी आकर्षक है की मै खुद भी बिना लंड उसका टेस्ट कर दू, क्या मेरी गांड भी ऐसे ही है सोच के उसके एक हाथ उसकी गांड पे चले गये, अपनी गांड की साइज़ नापती हुई, छेद तो मेरा भी टाईट है)

फिर जीजू मेरी तरफ देखते हुए बोले-“दीपक, जल्दी से अपना सामान तैयार करके आ जाओ, हमें आधे घंटे के अंदर शिमला निकलना है, जाते ड्राइव तुम करोगे और आते हुए मैं करूँगा या फिर आधी-आधी कर लेते हैं…”

वो दोनों ऐसा शो कर रहे थे कि वो दोनों ही जा रहे हैं, फिर मेरे जाने का अचानक प्रोग्राम बन गया ड्राइविंग की वजह से।

मैंने कहा-“जीजू, आप लोग जाओ मेरी तबीयत ठीक नहीं है…”

यह सुनते ही दीदी हैरान हो गई और खेल उल्टा घूमते देखकर दीदी ने आकर मुझे दाईं बाँह से पकड़ लिया और बहुत अच्छे तरीके से अपने चूचियों को छुआते हुए मेरा हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़कर बोली-“दीपूउउ, प्लीज़्ज़… चलो ना मेरे अच्छे भैया…”

फिर मुझे छोड़कर मम्मी के पास चली गई और बोली-“मम्मी, आप बोलो ना दीपू को कि हमारे साथ चले, हमें आराम हो जायगा…”
 
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मम्मी भी मुझे जाने के लिये बोलने लगी और मम्मी ने कहा-“जा दीपू चला जा, अगर तुम्हारी दीदी कह रही है तो दीदी की बात मना मत कर। दीदी की सेवा करेगा तो तुझे इसका फल अच्छा मिलेगा…” और मम्मी मेरी ओर देखकर फिर पूजा दीदी की ओर देखकर मुश्कुराने लगी।

मम्मी के इतना बोलने पर भी मैं कुछ ना बोला और दीदी से हाथ छुड़ाकर ऊपर अपने रूम में चला गया।

मुझे इस तरह बर्ताव करता देखकर दीदी का चेहरा उतर गया और वो मेरे पीछे-पीछे ऊपर कमरे में आ गई। और कमरे में आकर मेरा हाथ पकड़कर बोली-“क्या हुआ दीपू, तू क्यों नहीं चल रहा हमारे साथ?”

मैं-“दीदी, मैं आपके साथ इसलिए नहीं चल रहा की आप नहीं जानती की जीजू मुझसे क्या चाहते हैं…” और मैं इतना कहकर चुप हो गया।

पूजा दीदी-“मैं सब जानती हूँ, क्या तू ये नहीं चाहता?”

मैं-“नहीं दीदी, आप कुछ नहीं जानती…”

पूजा-“अरे बाबा, मैंने कहा ना मैं सब जानती हूँ…”

मैं-“अच्छा… अगर आप सब जानती हैं तो बताओ फिर कि जीजू ने मुझसे क्या कहा?”

तो इस पर दीदी थोड़ा मुश्कुराते हुए बोली-“ मैं जानती हूँ की तू हमारे साथ चलकर मुझे माँ बना देगा…”

मैं-“दीदी, मैं ये सब नहीं कर सकता। आप सब बड़ी मतलबी हैं…” अब मैं अपना निशाना सीधा दीदी पर लगाना चाहता था।

पूजा दीदी-“ये तू क्या कह रहा है दीपू?”

मैं-“और नहीं तो क्या? आप चाहती हैं कि मैं आपको चोदकर, आपको माँ बना दूं और फिर आप मुझसे माँ बनकर चली जाएंगी, फिर मेरा क्या होगा? मैं तो फिर उसी तरह तड़पता रहूंगा। आप तो मुझे फिर हाथ नहीं लगाने देंगी। ये तो वोही बात हुई कि आपका मतलब हुआ तो आपने मुझे इस्तेमाल कर लिया…”

पूजा दीदी मेरे गले में अपनी बहे डालकर, और मेरी आँखों में देखकर-“ये तुझे किसने कहा की माँ बनने के बाद मैं तुझे अपने बदन पर हाथ नहीं लगाने दूंगी। अगर तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बनाओगे तो तुम भी तो उसके पिता बनागे। मेरे अच्छे भैया, जो मर्द किसी लड़की को माँ बनने का सुख देता है वो लड़की उस मर्द को कभी नहीं भूल सकती, वो मर्द उस औरत के लिए देवता होता है, उसके दिल पर वो मर्द राज करता है। आज से ये सब अधिकार मैं तुम्हें देती हूँ। मेरे इस बदन, मेरी आत्मा, मेरे हर एक अंग-अंग के तुम स्वामी हो। मैं तुम्हारे चरणों की दासी हूँ। मैंने तुम्हें इतने सालों तक दुख दिया शायद ये उसी की सज़ा है। अब तुम मुझे अपनी दासी, बीवी, रखैल, कुछ भी बनाकर रखोम मुझे मंजूर होगा। तुमको दुख देकर मेरे नसीब में देखो की मैं दो साल शादी हो जाने पर भी अभी औरत नहीं बनी, शादी शुदा होते हुए भी कुँवारी हूँ…”

पूजा दीदी की दर्द भरी बातें सुनकर मैंने पूजा दीदी को अपनी बाहों में कस लिया और फिर अपने होंठ दीदी के नाज़ुक लाल होंठों पर रख दिया और अपना हाथ नीचे ले जाते हुए दीदी की बड़ी-बड़ी गाण्ड पर रख दिए। मैं दीदी के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसता रहा और दीदी भी मेरे चुंबन के जवाब में मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं दीदी के होंठों को चूस रहा था और साथ ही साथ दीदी की बड़ी गाण्ड को सहला रहा था। दीदी की आँखें मस्ती में बंद थीं।

तभी मैंने दीदी के होंठों को अपने होंठों से अलग किया। जैसे ही मैंने अपने होंठों को दीदी के होंठों से अलग किया, दीदी जैसे नींद से जागी। मैंने दीदी की आँखों में अपनी आँखें डालकर कहा-“दीदी, आज मैं तुम्हें पूरी औरत बना दूंगा, एक कच्ची कली से पूरा फूल बना दूंगा, और उस फूल की खुशबू सिर्फ़ मेरे लिए ही होगी…”

मेरी बातें सुनकर दीदी की आँखें शर्म से झुक गईं और फिर दीदी मेरी बाहों से निकलकर नीचे भाग गई।

तो मैंने दीदी की कलाई को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। दीदी मेरी सीने से टकराई और मैंने पूजा दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी गाण्ड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारते हुए मुश्कुराते हुए पूछने लगा-“फिर आज तुम अपने भैया को अपना सैंया बनाओगी, तो बताओ ना फिर जो दुनियाँ के सामने तुम्हारा सैंया है, उसे क्या भैया बनाओगी?”

तो दीदी भी मेरे गले में बाहें डालते हुए बोली-“जो तेरी मर्ज़ी हो, उसे बना डालना…”

अब मैं भी दीदी की आँखों में आँखें डालकर मुश्कुराते हुए पूछने लगा-“क्या तुमको लगता है की मेरा ‘वो’ तुमको संतुष्ट कर पाएगा? मेरा छोटा सा तो है…”

इस पर दीदी टपक से बोली-“छोटा और तेरा? मुझे तो लगता है की मेरी तो फाड़ ही देगा…”

तो मैंने दीदी की चुटकी लेते हुये कहा-“अच्छा तो तुमको अभी भी मेरा वो याद है?”

दीदी शर्मा गई और मेरी बाहों से निकलकर भाग गई।

फिर मम्मी के कहने पे मैं तैयार हो गया। मैं भी तो ड्रामा ही कर रहा था। सारी रात तो में दीदी को चोदने की प्लानिंग करता रहा था। मैंने अपने सारे कपड़े और डिले स्प्रे वगैरा सब पहले से ही तैयार किया हुआ था, बस बैग उठाकर कार में रखना था। जाइनली मैं ड्राइविंग सीट पे जा बैठा, जीजू मेरे साथ आगे की सीट पर और मेरी कुतिया बहन पीछे वाली सीट पे थी। रोड पे ड्राइविंग करते हुये भी मेरे दिमाग़ में दीदी के जिश्म के बारे में सोच-सोचकर लड्डू फूट रहे थे।
 
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जैसे ही सिटी से बाहर निकले, तभी जीजू ने मुझसे कहा-“दीपू, लाओ मैं ड्राइविंग करता हूँ…”

जीजू की बात सुनकर मैंने कहा-“नहीं आप रहने दीजिए जीजू, मैं करता हूँ…”

तभी जीजू ने कहा-“चल यार छोड़, मैं ड्राइविंग करता हूँ और तू पीछे जाकर उस कुतिया की ड्राइविंग कर, साली कब से इंतेजार कर रही है की कब तू आएगा और इस कुतिया के मस्त बदन की सवारी करेगा…”

जीजू की बात सुनकर मैं मुश्कुराता हुआ ड्राइविंग सीट से उठा और पीछे जाकर दीदी के बगल में बैठ गया। मैं अपना हाथ दीदी के गले में डालकर दीदी के नरम गालों को सहलाता हुआ जीजू से बात करने लगा।

जीजू गाड़ी चलाते हुए हुए मुझसे बोले-“दीपू देख ले, तुम्हारी दीदी बिल्कुल वैसे ही है जैसे पहले थी…”

मैं दीदी की चूचियों को टाप के ऊपर से सहलाते हुए बोला-“जीजू, लगता है आपने ज्यादा मेहनत दीदी की चूचियों पर ही की है…”

इससे पहले कि जीजू कुछ बोलते, दीदी बोल पड़ी-“बस इन्होंने मेहनत इनपर ही की है और कही नहीं की…”

दीदी की बात सुनकर मैं पूजा दीदी को अपनी बाहों में समेटते हुए उसके होंठों को चूमते हुए बोला-“मेरी जान, चिंता क्यों करती हो, जीजू ने अगर तुम्हारी चूचियों पर मेहनत की है तो हम नीचे मेहनत कर लेंगे…”

दीदी की बात सुनकर जीजू को थोड़ा गुस्सा आया और वो मुझसे बोले-“दीपू, आज इस कुतिया को ऐसे चोदना की साली चीखती रहे। आज तू इसकी चूत का भोसड़ा बना दे, साली की चूत की सारी आग ठंडी कर दे…”

मैं-“जीजू आप चिंता ना करो, आज मैं इसको ऐसे चोदूंगा कि ये चिल्लायेगी-प्लीज़… मुझे बचाओ, मैं मर जाऊँगी, निकाल लो मेरी चूत से लण्ड, आगे से कभी भी कुछ नहीं कहूंगी…”

मेरी बात सुनकर दीदी ने शर्म और स्माइल के साथ अपनी आँखें नीची कर ली। पूरे रास्ते मैं दीदी के होंठों को चूमता रहा, कभी दीदी की चूची को मसलता रहा, और दीदी सारे रास्ते मेरे लण्ड को सहलाती रही। और जीजू को मुझसे अपनी बीवी यानी दीदी को चुदवाने की जल्दी थी इसलिये शायद कार की स्पीड अपने आप तेज हो रही थी, 4 घंटे का सफ़र 3 घंटे में पूरा कर लिया।

हम शिमला पहुँचे तो जीजू ने होटेल में मुझे और दीदी को पति-पत्नी के रूप में बताया और खुद को दीदी के भाई के रूप में बताकर दो रूम लिए। अब जब जीजू ने यहां पर मुझे और दीदी को मियाँ-बीवी और अपने को दीदी का भाई बताया तो इस तरह से अब जीजू मेरे साले बन गये। हम दोनों रूम की चाबियाँ लेकर रूम में चले गये।

रूम में जाते ही दीदी बोली-“भाई, मुझे तो पहले नहाना है, मैं फ्रेश होकर आती हूँ…” यह कहते हुए दीदी अपने बैग से कुछ कपड़े निकालकर टायलेट की तरफ चली गई।

हम दोनों जीजा साला बेड पे बैठ गये फिर जीजू बोले-“कम ओन दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार… हम घर से बहुत दूर हैं अब। देखा मुझे पता थाकि तुम दोनों अकेले कुछ नहीं कर पाओगे, इसीलिये मुझे तुम लोगों को शुरूवाती प्रोत्साहन देना ज़रूरी था…” यह कहते हुये जीजू ने बैग से पीटर स्कॉच की बोतल निकाल ली।

फिर फ़ोन उठाकर काउंटर से कुछ ऑर्डर करने लगे। फिर जीजू ने दो डिस्पोजल ग्लास निकालकर उनको आधा व्हिस्की से भर दिया और दीदी की आधी पी और बाकी आधी पड़ी पेप्सी की बोतल से पेप्सी मिक्स कर ली फिर बोले-“उठा यार, और बच्चों की तरह मत पीना, एक ही बार में खतम कर, चीयर्स…”

हम दोनों ने ग्लास उठाई और खाली करके रख दी।

फिर जीजू बोले-“तुम्हारी दीदी तो आइस के बिना पीती नहीं और आइस और बाकी सामान का ऑर्डर आने में अभी पता नहीं कितना टाइम लगेगा? हमसे तो इंतेजार नहीं होता भाई, सामान आने तक तो अपना पूरा मूड बन चुका होगा…”

यहाँ मै किसी को नहि कहुंगी की बने रहिये सब जानते है की आगे अब क्या होगा
 
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लग रहा था कि आज जीजू मुझे शराबी बनाने के चक्कर में थे, उन्होंने दूसरा पेग भी काफ़ी स्ट्रांग बना लिया था। हम कुछ देर बैठे रहे फिर जीजू बोले-“दीपक, तू कपड़े चेंज कर ले, शॉर्टस वगैरा पहन ले…”

फिर शरारत में आँख दबाकर इशारा करते हुये बोले-“वैसे कपड़ों की ज़रूरत तो पड़ेगी नहीं, चाहे तो तू नंगा ही रह…”

फिर झट से हम दोनों की नज़र दूसरी तरफ पलटी, तो सामने दीदी टायलेट की तरफ से आ रही थी। हे भगवान्, दीदी ने स्काइ ब्लू कलर की पतली सिल्की नाइटी पहनी थी, नाइटी बस घुटनों से ऊपर तक ही थी, उसकी गोरी लंबी टांगें तो सॉफ-सॉफ नज़र आ ही रही थीं, लेकिन चलकर आने से उसके गोरी-गोरी गोल-गोल जांघें भी नज़र आ रही थीं। ओिफ्र्फ… ऊपर से व्हिस्की का नशा, मेरा लण्ड थकावट के वाबजूद भी खड़ा होना शुरू हो गया था। साली कितनी सेक्सी लग रही थी, नाइटी का गला नीचे तक खुला था, जिससे डाकद कलर की नाइटी में दोनों चूचियां बाहर झाँकती कितनी सेक्सी लग रही थीं। ब्रा ना पहनी होने के कारण दोनों निप्पल्स ने पतली नाइटी को ऊपर उठा रखा था, यानी नाइटी से तीखे निपल बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे। मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अभी ही दीदी पे झपट पड़ूं, लेकिन जीजू की वजह से मैं चुप था।

मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”
 
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मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”



मैंने कहा-“मैं भी पहले नहा लूँ…”

दीदी हम दोनों के पास आकर बैठ गई। मैंने अपना दूसरा पेग भी खतम किया और धीरे से अपनी डिले स्प्रे, शॉर्टस और टी-शर्ट निकालकर नहाने चला गया, और टायलेट में जाते ही मैंने पहले अपनी डिले स्प्रे निकालकर अपने खड़े लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे किया, क्योंकि मुझे पता था कि मैं दीदी के जिश्म का भूखा था, और कहीं ऐसा ना हो कि उसके नंगे सेक्सी जिश्म को देखकर ही मेरी पिचकारी निकल जाये। अच्छी तरह से अपने लण्ड की टोपी पे स्प्रे करने के बाद मैंने नहाना शुरू कर दिया और 10 मिनट के बाद जब मेरा लण्ड स्प्रे की वजह से पत्थर जैसा सख्त हो गया तो मैं शॉर्ट और टी-शर्ट में बाहर निकल आया।

बाहर दीदी और जीजू के सामने टेबल पे एक ट्रे पड़ी थी जिसमें व्हिस्की में आइस से भरे तीन काँच के गिलास और कुछ खाने का सामान, आइस, सोडा, और पेप्सी वगैरा पड़ा हुआ था, शायद मेरे पीछे वेटर ऑर्डर दे गया था। दीदी जीजू के करीब बैठी थी और जीजू का दायां हाथ दीदी की जांघों पे रेंग रहा था। मेरा लण्ड शॉर्टस में तना हुआ था। इस बार भी मैंने शॉर्टस की पाकेट में हाथ डालकर उसको दबाया हुआ था, मैं उनके पास आकर बैठ गया।

दीदी और जीजू ने अपने-अपने ग्लास उठाये और मुझे भी उठाने के लिये इशारा किया। हम तीनों ने चीयर्स किया और सिप करने लगे। दीदी मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी, लेकिन उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पे रखकर मसाज करना शुरू कर दिया। फिर जीजू बेड से उठकर दीदी की टांगों के बीच फर्श पे बैठ गये और उसकी टांगों को फैलाकर नाइटी को पीछे हटाकर धीरे-धीरे दीदी के घुटनों को चूमते हुए ऊपर दीदी की चूत की तरफ जाने लगे।

दीदी की दोनों जांघों को कुछ देर चूमने के बाद उठकर खड़े हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। फिर अपना व्हिस्की का ग्लास उठाकर खतम कर दिया और हम दोनों को भी खतम करने के लिये बोलने लगे। जीजू के जिश्म पे सिर्फ़ अंडरवेर थी, वो ऐसे ही दीदी के सामने खड़े हो गये।

मैं बैठा सब देख रहा था।

दीदी बाहर से ही उनकी अंडरवेर के ऊपर से ही उनके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी, लेकिन मुझसे नज़र चुरा रही थी, जैसे इस रूम में वो दोनों ही थे।

जीजू ने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और बोले-“कम ओन दीपक यार, अभी तक व्हिस्की ने भी असर नहीं किया क्या? दारू पीकर तो सब माँ-बहन भी सेक्सी लगने लगती हैं, और तुम अभी भी शर्मा रहे हो?”

फिर वो मेरी तरफ पलटे और मेरी शॉर्टस में हाथ डालते हुए उन्होंने मेरे लण्ड को बाहर निकालते हुए कहा-“लगता है मुझे ही सब करना पड़ेगा?”

मेरा लण्ड बाहर आते ही उनके मुँह से निकला-“यार तुम्हारा हथियार तो मुझसे भी बड़ा लग रहा है…” फिर मुझे बाँह से पकड़ते हुए खड़ा होने के लिये बोले .

मैं उनके साथ ही दीदी के सामने खड़ा हो गया, मेरा शॉर्टस मेरी कमर से थोड़ा नीचे था और मेरा खड़ा लण्ड शॉर्टस से बाहर था। दीदी ने जीजू की अंडरवेर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके लण्ड को बाहर निकाल लिया और मेरा अंडरवेर नीचे खींच दी, अब मेरा खड़ा लण्ड दीदी के मुँह के बिल्कुल सामने था।

मेरा ध्यान जीजू के लण्ड की तरफ गया, उनका लण्ड 3” से 4” लंबा, लेकिन पतला था। मेरा लण्ड उनके मुकाबले काफ़ी मोटा था और लंबाई तकरीबन 8” थी। दीदी जीजू की आँखों में देख रही थी।

तभी जीजू बोले-“कम ओन बेबी, गेट हिम रेडी, गिव हिम रियली नाइस ब्लो जाब, ऐसे चूसना, ऐसा कुछ करना कि हम सब रिश्ते भूल जायें और यह ट्रिप यादगार बन जाये…”

बने रहना है आगे कहानी में ???????? तो आगे लिखू
 
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दीदी ने हम दोनों के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। आज पहली बार दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मर्ज़ी से अपने नाज़ुक हाथों में पकड़ा था। आप लोग मानोगे नहीं कि उस वक़्त मुझे कैसी फीलिंग हो रही थी। दीदी बैठे-बैठे हम दोनों के लण्ड से खेलने लगी। फिर जीजू का सिग्नल मिलते ही दीदी ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डालकर अंदर गले तक ले गई। वो अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पे रखकर उसे दबाने लगी। मेरा 8” से भी बड़ा और मोटा लण्ड दीदी के मुँह में पूरा समा चुका था, और दीदी उसको और अपने मुँह के अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। पता नहीं ऐसा अनुभव उसे कहाँ से मिला? (याद है ना ??) शायद जीजू ने ही उसे ट्रेंड किया होगा।

कुछ देर मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर ही रहा, मैं हैरान था कि उसका इतना स्टैमना कैसे बन गया? इतनी देर तक सांस रोकना कौन सी आसान बात है। मैं उड़ने लगा था, मेरा लण्ड और भी सख्त होता चला गया। थैंक गोड कि मैंने अपने लण्ड पे डिले स्प्रे लगा रखा था जिससे मेरे लण्ड को दीदी के मुँह की गर्मी का कुछ खास फरक नहीं पड़ा, नहीं तो अब तक 100% मेरे लण्ड से पिचकारी दीदी के मुँह में ही छूट जानी थी। उसके मुह की गरमी का तो क्या कहना

व्हिस्की भी अब हम तीनों पे अपना असर खूब दिखाने लगी थी, मैं सोच रहा था कि जीजू के सामने शर्म करने का ड्रामा भी अब खतम कर दूं। फिर झटके से दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और हाँफने लगी। मेरा लण्ड पहले से बड़े नज़र आ रहा था, उसपे लगा दीदी का सलाइवा नीचे फर्श की तरफ टपक रहा था। मेरी आँखों में कामुकता देखकर जीजू मुश्कुरा रहे थे। फिर उन्होंने दीदी की नाइटी के गले से अंदर हाथ डालकर उसकी चूची को मसलना शुरू कर दिया।

दीदी ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा था और दूसरे से जीजू का लण्ड पकड़कर उसपे अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ और मुँह पूरा बिजी थे। क्या नजारा था… मेरी बहन किसी से कम नज़र नहीं आ रही थी। कोठेवाली भी इतनी मस्ती से अपने यार का लण्ड नहीं चूसती, जितना मेरी बहन मेरा चूस रही थी। लग रहा था की आज लंड की बोतल खाली कर के ही रहेगी

जीजू मेरी तरफ देखते हुये बोले-“दीपू यार, मैं पूजा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, पता नहीं क्यों मैं जल्दी डिस्चार्ज हो जाता हूँ? व्हिस्की पीने से फिर भी थोड़ा टाइम लग जाता है लेकिन बिना पिए तो बस 5 मिनट भी नहीं लगते, बस पूजा के हाथ लगते ही मेरा लण्ड पानी छोड़ देता है…”

दीदी जीजू के लण्ड को चूसे जाया रही थी और मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी। पता नहीं मुझे ऐसा लगा की दीदी जीजू के लंड को पहले खाली करना चाहती हो ताकि उसकी चूत का सही तरीके से बाजा बजे|

करीब 3-4 मिनट के बाद जीजू पीछे की तरफ सरक गये और दीदी को बोले-“पूजा यार, मेरा होने वाला है, थोड़ा रुक जाते हैं, मैं नहाकर फ्रेश होकर आता हूँ तब तक तुम दीपक का मस्त टेस्टी लोलीपोप चूस लो…” फिर वो जाते-जाते सबके लिये पेग बनाने लगे।

हम तीनों बैठकर ड्रिंक खतम करने लगे, दीदी हमारे बराबर दारू पी रही थी। पेग खतम करने के बाद जीजू नहाने चले गये। पूजा दीदी ने जल्दी से उनके कुछ कपड़े निकालकर उनको दे दिए और मेरे पास बैठती हुई मेरी आँखों में आँखें डालती हुई, किसी बेशर्म माल की तरह स्माइल देते हुए मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर मेरी टांगों के बीच फर्श पे बैठ गई, और मेरे लण्ड को हिलाती हिलाती मेरी जांघों पे किस करने लगी। फिर ऊपर आते-आते मेरे बाल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई पेशेवर सदियों से सेक्स की प्यासी हो। फिर बाल्स पे अपनी जीभ फिराती हुई लण्ड की टोपी के आस-पास जीभ फिराती रही। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मुँह के अंदर ही मेरी टोपी के ऊपर जीभ घुमाने लगी।


यही तक बाकी कल
 

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