मैंने जानबूझ कर यह नहीं बताया कि वो गुलाब जामुन नीचे मेरे कमरे में रखे हुए हैं और मैं उन्हें कुछ अलग तरीके से खाना चाहता था।
"कोई बात नहीं बेटा, मैं जानती हूँ कि गुलाब जामुन तुम्हें बहुत पसंद हैं… ज्यादा खा लोगे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हो जाएगी…" आंटी ने हंसते हुए वो प्लेट मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैं भी मुस्कुराते हुए प्लेट ले ली और नीचे उतर गया। अपने कमरे में जाकर मैंने सारी मिठाइयों को अलग करके एक प्लेट में रख दिया और सारा रस एक अलग कटोरी में डाल दिया।
शायद आप लोगों को यह एहसास हो रहा होगा कि मेरे दिमाग में क्या शैतानी चल रही होगी उस वक़्त।
खैर मैं मुस्कुराते हुए सारा सामान बेड के साइड टेबल पर रख दिया और बाथरूम में घुस गया। वैसे तो मैं अपने सारे अनचाहे बालों को हमेशा साफ़ रखता हूँ लेकिन आज फिर से रेजर लेकर अपने लण्ड के आसपास के बालों को साफ़ किया और बढ़िया से आफ्टर शेव लोशन लगा दिया ताकि मेरी प्रिया रानी को अच्छी खुशबू मिले जब वो मेरे लंड से खेले।
मैंने बाहर आकर अपने बिस्तर को ठीक किया और बैठ कर प्रिया का इंतज़ार करने लगा। कंप्यूटर पर अपने सेक्सी फिल्मों के खजाने से मैंने ढूंढ कर एक फिल्म निकाली जिसमें चूत और लण्ड की चुसाई के ढेर सारे अलग अलग तरीके दिखाए थे। उनमें से एक में लड़का और लड़की एक दूसरे के पूरे बदन पे कुछ टेस्टी लिक्विड डालकर एक दूसरे को चाट रहे थे और मज़े ले रहे थे। मैं यह देख कर काफी उत्तेजित हो गया था और ऐसा ही करने का मन बना लिया।
नीचे आये हुए काफी देर हो चुकी थी और किसी की आवाज़ भी नहीं आ रही थी यानि सब लोग अपने अपने कमरे में सो चुके थे।
तभी किसी के सीढ़ियों से उतरने की आवाज़ सुनाई दी और मेरा दिल धड़कने लगा। मुझे पता था कि यह मेरी प्रिया ही है और मेरा सोचना सही था।
प्रिया अपने हाथों में किताबें लेकर मेरे दरवाज़े पर खड़ी हो गई और मुझे देखकर एक कातिल अदा के साथ मुस्कुराने लगी।
मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद कर दिया, मैं नहीं चाहता था कि प्रिया वो फिल्म देख ले क्यूंकि मैं आज उसे सरप्राइज देना चाहता था।
मैंने कुर्सी से उठ कर उसका स्वागत अपनी बाहें फैला कर किया और उसने इधर उधर देख कर यह सुनिश्चित किया कि कहीं कोई देख न रहा हो और वो भाग कर मेरी बाहों में समां गई, उसके हाथों से किताबें छूट कर नीचे गिर गईं और हम दोनों एक दूसरे से ऐसे लिपट गए जैसे कई जन्मों के बिछड़े प्रेमी हों।
हम वैसे ही थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में चिपके हुए खड़े रहे फिर मेरी नज़र दरवाज़े और खिड़कियों पर गई। मुझे रिंकी की याद आ गई और मैं मुस्कुराकर प्रिया से अलग हो गया। मैंने बढ़ कर दरवाज़ा और खिड़की बंद कर दिए। वापस घूम कर मैंने प्रिया का हाथ थाम कर उसे अपने साथ बिस्तर पर बिठा दिया। हम दोनों बिस्तर पे एक दूसरे के सामने बैठ गए और मैं प्रिया को गौर से देखने लगा।
आज प्रिया ने एक ढीली सी सफ़ेद रंग टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे लाल रंग का ढीला सा शलवार के जैसा पजामा पहना हुआ था जैसा कि लड़कियाँ अक्सर पहनती हैं। मुझे यकीन था कि उसने अन्दर कुछ नहीं पहना होगा लेकिन आज उसकी चूचियाँ बिल्कुल खड़ी खड़ी सी दिख रही थीं। शायद मेरे पास होने की वजह से वो उत्तेजना में थी और इस वजह से उसकी चूचियाँ फूल गई थीं।
मैं वैसे ही उसे घूरे जा रहा था और उसके रूप का रसपान कर रहा था। प्रिया मेरी तरफ देख कर मुस्कुराये जा रही थी। हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं कह रहा था। तभी प्रिया की नज़र साइड टेबल पर रखे हुए गुलाब जामुन और रस की कटोरी पर गई और उसने तुरंत मेरी तरफ देख कर पूछा- अरे ! ये अभी तक ऐसे ही पड़े हैं…आपने खाए क्यूँ नहीं?
"आपका इंतज़ार कर रहा था ताकि आप आओ और अपने हाथों से हमें खिलाओ !" मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
"कोई बात नहीं बेटा, मैं जानती हूँ कि गुलाब जामुन तुम्हें बहुत पसंद हैं… ज्यादा खा लोगे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हो जाएगी…" आंटी ने हंसते हुए वो प्लेट मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैं भी मुस्कुराते हुए प्लेट ले ली और नीचे उतर गया। अपने कमरे में जाकर मैंने सारी मिठाइयों को अलग करके एक प्लेट में रख दिया और सारा रस एक अलग कटोरी में डाल दिया।
शायद आप लोगों को यह एहसास हो रहा होगा कि मेरे दिमाग में क्या शैतानी चल रही होगी उस वक़्त।
खैर मैं मुस्कुराते हुए सारा सामान बेड के साइड टेबल पर रख दिया और बाथरूम में घुस गया। वैसे तो मैं अपने सारे अनचाहे बालों को हमेशा साफ़ रखता हूँ लेकिन आज फिर से रेजर लेकर अपने लण्ड के आसपास के बालों को साफ़ किया और बढ़िया से आफ्टर शेव लोशन लगा दिया ताकि मेरी प्रिया रानी को अच्छी खुशबू मिले जब वो मेरे लंड से खेले।
मैंने बाहर आकर अपने बिस्तर को ठीक किया और बैठ कर प्रिया का इंतज़ार करने लगा। कंप्यूटर पर अपने सेक्सी फिल्मों के खजाने से मैंने ढूंढ कर एक फिल्म निकाली जिसमें चूत और लण्ड की चुसाई के ढेर सारे अलग अलग तरीके दिखाए थे। उनमें से एक में लड़का और लड़की एक दूसरे के पूरे बदन पे कुछ टेस्टी लिक्विड डालकर एक दूसरे को चाट रहे थे और मज़े ले रहे थे। मैं यह देख कर काफी उत्तेजित हो गया था और ऐसा ही करने का मन बना लिया।
नीचे आये हुए काफी देर हो चुकी थी और किसी की आवाज़ भी नहीं आ रही थी यानि सब लोग अपने अपने कमरे में सो चुके थे।
तभी किसी के सीढ़ियों से उतरने की आवाज़ सुनाई दी और मेरा दिल धड़कने लगा। मुझे पता था कि यह मेरी प्रिया ही है और मेरा सोचना सही था।
प्रिया अपने हाथों में किताबें लेकर मेरे दरवाज़े पर खड़ी हो गई और मुझे देखकर एक कातिल अदा के साथ मुस्कुराने लगी।
मैंने जल्दी से कंप्यूटर बंद कर दिया, मैं नहीं चाहता था कि प्रिया वो फिल्म देख ले क्यूंकि मैं आज उसे सरप्राइज देना चाहता था।
मैंने कुर्सी से उठ कर उसका स्वागत अपनी बाहें फैला कर किया और उसने इधर उधर देख कर यह सुनिश्चित किया कि कहीं कोई देख न रहा हो और वो भाग कर मेरी बाहों में समां गई, उसके हाथों से किताबें छूट कर नीचे गिर गईं और हम दोनों एक दूसरे से ऐसे लिपट गए जैसे कई जन्मों के बिछड़े प्रेमी हों।
हम वैसे ही थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में चिपके हुए खड़े रहे फिर मेरी नज़र दरवाज़े और खिड़कियों पर गई। मुझे रिंकी की याद आ गई और मैं मुस्कुराकर प्रिया से अलग हो गया। मैंने बढ़ कर दरवाज़ा और खिड़की बंद कर दिए। वापस घूम कर मैंने प्रिया का हाथ थाम कर उसे अपने साथ बिस्तर पर बिठा दिया। हम दोनों बिस्तर पे एक दूसरे के सामने बैठ गए और मैं प्रिया को गौर से देखने लगा।
आज प्रिया ने एक ढीली सी सफ़ेद रंग टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे लाल रंग का ढीला सा शलवार के जैसा पजामा पहना हुआ था जैसा कि लड़कियाँ अक्सर पहनती हैं। मुझे यकीन था कि उसने अन्दर कुछ नहीं पहना होगा लेकिन आज उसकी चूचियाँ बिल्कुल खड़ी खड़ी सी दिख रही थीं। शायद मेरे पास होने की वजह से वो उत्तेजना में थी और इस वजह से उसकी चूचियाँ फूल गई थीं।
मैं वैसे ही उसे घूरे जा रहा था और उसके रूप का रसपान कर रहा था। प्रिया मेरी तरफ देख कर मुस्कुराये जा रही थी। हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं कह रहा था। तभी प्रिया की नज़र साइड टेबल पर रखे हुए गुलाब जामुन और रस की कटोरी पर गई और उसने तुरंत मेरी तरफ देख कर पूछा- अरे ! ये अभी तक ऐसे ही पड़े हैं…आपने खाए क्यूँ नहीं?
"आपका इंतज़ार कर रहा था ताकि आप आओ और अपने हाथों से हमें खिलाओ !" मैंने मुस्कुराते हुए कहा।