"प्लीज जान…अपने हाथ ऊपर करो और मैं जो करने जा रहा हूँ उसका मज़ा लो…" मैंने उसे समझाते हुए कहा।
"हाय राम…पता नहीं तुम क्या क्या करोगे…मुझसे रहा नहीं जा रहा है…" प्रिया ने अपनी हालत मुझे व्यक्त करते हुए कहा और फिर अपने हाथों को ऊपर अंगड़ाई लेते हुए हटा दिया।
अब मैंने उसे मुस्कुरा कर देखा और कटोरी से धीरे धीरे उसकी नाभि में रस की बूँदें गिराने लगा… जैसे ही रस की बूँदें उसकी नाभि में गिरीं, प्रिया ने एक सिसकारी भरी और उसका पेट थरथराने लगा।
मैंने एक साथ कुछ 10-12 बूँदें गिराई होंगी कि उसकी छोटी सी नाभि पूरी तरह से भर गई और थोड़ा सा रस नाभि से होकर नीचे की तरफ बहने लगा। मैंने फट से कटोरी को साइड में रखा और झुक कर बह रहे रस को अपनी जीभ से चाट लिया और अपनी जीभ को उसकी त्वचा पे रखे हुए ही ऊपर की तरफ चाटते हुए उसकी नाभि तक पहुँचा और अपनी जीभ की नोक उसकी नाभि में डाल दी।
"उम्म… सोनू… तुम तो पागल ही कर दोगे…!" प्रिया ने एक जोरदार आह भरी और अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने अपनी जीभ को निरंतर उसकी नाभि में घुमाते हुए जी भर कर चूमा और चाटा और प्रिया को आहें भरने पर मजबूर कर दिया। प्रिया मेरी इस हरकत से तड़प रही थी और लगातार हिल रही थी। मैं उसकी जाँघों पर बैठ था इस वजह से वो बस कमर से ऊपर ही हिल पा रही थी। उसकी गर्दन इधर से उधर हिल हिल कर उसकी बेताबी का सबूत दे रहे थे।
मैंने फिर से रस की कटोरी उठाई और इस बार उसके पूरे पेट पर थोड़ी थोड़ी बूँदें गिरा दी और वापस झुक कर उसके पूरे पेट को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।
प्रिया कुछ ज्यादा ही हिल रही थी… उसकी गलती नहीं थी, असल में मैं समझ रहा था कि उसे कितनी बेचैने और सिहरन हो रही थी। मुझे डर था कि उसके ज्यादा हिलने की वजह से उसकी चूचियों पे रखे गुलाबजामुन कहीं गिर न जाएँ। मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके दोनों हाथों को थाम लिया और उसे हिलने से रोका।
अब प्रिया बस तड़प रही थी और मुँह से अजीब अजीब सिसकारियाँ निकले जा रही थी। मैंने रस की कटोरी से थोड़ा सा रस दोनों चूचियों पे रखे हुए गुलाब जामुनों पे गिराया और एक गुलाब जामुन को अपने होठों में दबा लिया, होठों से गुलाब जामुन को पकड़ कर मैंने उसे उसकी चूचियों की निप्पल पर रगड़ा और फिर अपना मुँह उसके मुँह के पास ले जा कर आधा गुलाब जामुन खुद खाया और आधा उसके मुँह में डाल दिया। प्रिय ने भी उत्सुकतावश अपना मुँह खोलकर गुलाबजामुन खा लिया और फिर मेरे होठों को अपने होठों से पकड़ कर जोर से चूसने लगी।
मैंने अपने होंठ छुड़ाये और दूसरी चूची के ऊपर रखे गुलाब जामुन के साथ भी ऐसा ही किया।
गुलाबजामुन के हटने से उसके खड़े खड़े निप्पल बिल्कुल सख्त होकर मुझे आमंत्रण दे रहे थे। उसके निप्पल पे गुलाब जामुन का ढेर सारा रस लगा हुआ था, मैं रुक नहीं सका और अपने होठों के बीच निप्पलों को जकड़ लिया और सारा रस चूसने लगा।
"हम्म्म्म…मेरे मालिक…मेरे राजा…मैं मर जाऊँगी…!" प्रिया की बहकी हुई आवाज़ मेरा जोश और बाधा रही थी और मैं मस्त होकर उसकी चूचियों को चूस रहा था। एक चूची को चूस चूस कर लाल करने के बाद मैंने दूसरी चूची को मुँह में भरा और वैसे ही चूस चूस कर लाल कर दिया।
उसकी चूचियों को मैंने सूखने नहीं दिया और फिर से रस डाल-डाल कर दोनों चूचियों को चूसता रहा। प्रिया मेरे सर को पकड़ कर आहें भरते हुए इस अद्भुत खेल का मज़ा ले रही थी।