Fantasy हीरोइन (completed)

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पर बड़ा ही मनमोहक दृश्य था वो...
और आनंदमयी भी.


शायद अंदर ही अंदर ईशा चाह रही थी की काश वो बॉल अंदर तक चली जाए...
पर ये कैसे पासिबल हो सकता था...
हाँ, उसके पापा का लंड ज़रूर जा सकता था अंदर...
और अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा लगेगा ना उसे...
बॉल की तरह मोटा लंड उसकी चूत में से रास्ता बनाता हुआ जब अंदर तक जाएगा तो कितना अच्छा लगेगा उसे,
उस एहसास हो जीने का एक अलग ही मज़ा होगा..
ये सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी.

राजेश ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और बोला : "देखा...ये तो अभी सिर्फ़ शुरूवात है, अभी और अंदर जाएगा तो ज़्यादा मज़ा आएगा...''

उसने हाँ में सिर हिला कर अपनी मोन स्वीकृति दे डाली.

पर पहले ही दिन राजेश उसे पूरी तरह से भोगना नही चाहता था...
उसके लंड में अब उतनी भी ताक़त नही रह गयी थी जितनी जवानी के दिनों में होती थी...
हालाँकि एक बार और झड़ने के लिए उसका लंड तैयार था पर एक नयी नवेली चूत को चोदने के लिए जिस कडकपन की ज़रूरत एक मर्द को होती है वो अभी के लिए नही थी उसमें...
आज के कड़कपन का रिचार्ज ख़त्म को चुका था उसका...
हाँ , कल या परसो में वो एक नये दिन के साथ नयी शुरूवात करके उस चूत का उद्घाटन ज़रूर कर सकता था.

इसलिए अभी के लिए उसने उस रसीली बॉल को उसकी चूत के घरोंदे से बाहर निकाला और उसकी जगह अपना मुँह लगाकर वहाँ से अवीरल बह रहे रस को चूसने लगा...

ईशा एक बार फिर से उसी गहरे एहसास में डूब गयी जो कुछ देर पहले उसे मिला था...
और अपने पापा के सिर को अपनी चूत में अंदर तक समेटते हुए उनके होंठो को अपनी चूत के होंठो से रगड़ने लगी...

''आआआआआआआआआहह पापा.................. उम्म्म्ममममममममममम..... मज़ा आआआआआ रहा है.......... अहह....ऐसे ही करते रहो........ अहह....''

राजेश ने अपने होंठो को गोल करते हुए जितना हो सकता था आगे तक निकाला और उन्हे एकसाथ उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया, उसके होंठों को ईशा की चूत के होंठों ने ढक सा लिया, और फिर वो उन्न्नध्ह हुउन्न्न् करते हुए उस एक इंच के छोटे से लंड से उसकी चूत की खुजली दूर करने लगा...

वो ज़ोर से चीखी : "अहह..... पापा........................... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... मार डालोगे क्या................. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... कितना मज़ा आ रहा है ऐसे करवाने में .....अहह....''

मज़ा तो उसे ही आ रहा था....
राजेश का लंड तो ऐसे ही झूल रहा था बेड से नीचे लटका हुआ,
उसने भी एक छलाँग मारी और उछलकर बेड पर आया और 69 के पोज़ में उसे अपने उपर लिटाया और एक बार फिर से उसकी चूत चूसने लगा......
जो ईशा इतनी देर से सिसकारियाँ और चीखें मार रही थी उसके मुँह को बंद करने के लिए इससे अच्छा कोई ओर उपाय हो ही नही सकता था..

और जल्द ही दोनो की घुटि-2 सिसकारियाँ निकलने लगी
और अगले ही पल ईशा की चूत का ढेर सारा रस निकलकर राजेश के मुँह में जाने लगा और राजेश के लंड का पानी निकलकर ईशा के मुँह में.

ईशा ने अच्छी तरह से अपने पापा के लंड को सॉफ किया, उनके लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़कर पी डाली और फिर फिसलकर वापिस अपने पापा की तरफ मुँह किया और उनसे लिपटकर आँखे बंद कर ली....

राजेश भी झड़ने के बाद गहरी साँसे लेता हुआ ईशा के मखमली बदन को सहलाते हुए आँखे बंद करके लेट गया....
और उसकी आँख कब लग गयी उसे भी पता नही चला..

अचनका लगभग 1 घंटे बाद उसे कुछ हिलता हुआ सा महसूस हुआ....
कमरे में अंधेरा था इसलिए उसे कुछ सॉफ-2 दिखाई नही दे रहा था...
ईशा और वो अभी तक नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे...
कोई सामने खड़ा हुआ ईशा को हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था

और तभी उसे फुसफुसाति हुई सी आवाज़ सुनाई दी , जो उसकी बीबी रजनी की थी

वो उनके बेड के पास खड़ी हुई ईशा को झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रही थी..

रजनी को देखते ही राजेश की सिट्टी पिटी गुम सी हो गयी....
उसकी जवान बेटी नंगी होकर उससे लिपट कर सो रही थी और उसकी बीबी उनके कमरे में आकर ईशा को उठाने का प्रयास कर रही थी,
उसे तो समझ ही नही आ रहा था की वो क्या करे...
अब वो उठकर भाग तो नही सकता था,
इसलिए उसने गहरी नींद में सोए रहना ही बेहतर समझा...
पर आने वाले पल उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदलने वाले थे.
 
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अब आगे
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शायद ये पल राजेश की लाइफ का सबसे गांड फाड़ू पल था,
उसकी वाइफ ने आज तक उसपर शक नही किया था क्योंकि राजेश ने ऐसा कोई मौका ही नही दिया था उसे,
और आज वो रंगे हाथो पकड़ा गया था अपनी बीबी के सामने
और वो भी अपनी नंगी बेटी के साथ......

रजनी ने फिर से ईशा को झींझोड़ा और फुसफुसाई : "ईशा.....ओ ईशा.....उठ....खड़ी हो...''

ईशा की गहरी साँसे राजेश की गर्दन पर पड़ रही थी....
उसने ऊंघते हुए अपनी आँखे खोली और बुदबुदाई : "क्या है मोम ....क्यूँ उठा रहे हो....''

रजनी : "चल उठ, मेरे साथ बाहर आ ड्राइंग रूम में....''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....
राजेश भी अपनी अधखुली आँखो से हैरान परेशान होकर उसे जाते हुए देखता रहा..
और वो हैरान परेशन इसलिए था की रजनी ने कुछ बोला क्यों नही,
उन दोनो को ऐसी हालत में सोते देखने के बाद भी उसका रिएक्शन एकदम शांत सा था...
और तो और वो फुसफुसा कर बाते कर रही थी ताकि राजेश की नींद ना खराब हो जाए...
और फिर अचानक उसे फिर से शेफाली का ध्यान आया और इन सब बातों को शेफाली की मेहरबानी समझ कर अपने विचारों पर विराम लगा दिया.

तब तक ईशा उठ चुकी थी...
और उठकर अपने कपड़े देख रही थी जो पूरे कमरे में इधर उधर फेले पड़े थे...
उसकी हालत भी कुछ ऐसी ही थी, बिखरी हुई सी, पर इस हालत में वो और भी ज़्यादा सैक्सी दिख रही थी.

उसे शायद फिर से कपड़े पहनने का आलस आ रहा था इसलिए वो ऐसे ही उठी, एक नज़र उसने सोते हुए राजेश पर डाली और नंगी ही बाहर की तरफ चल दी..हालाँकि उसके पैर में प्लास्टर लगा था, पर एक पैर को मोड़कर वो राजेश की लाई बैसाखी के सहारे चलती हुई बाहर आ गयी.

राजेश भी तुरंत उठा और बंद दरवाजे के पीछे से बाहर ड्राइंग रूम का नज़ारा देखने लगा,
उसके मन में भी उत्सुकतता थी की आख़िर वो इतनी रात को ईशा को ऐसे बाहर क्यों बुला रही है..

बाहर रजनी एक सोफे पर बैठी उसका ही इंतजार कर रही थी, उसे ऐसे नंगी ही बाहर आते देखकर वो मुस्कुराइ और उठकर उसे गले से लगा लिया.. और फिर उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गयी...

माँ बेटी का ऐसा प्यार देखकर राजेश भी हैरान हो रहा था..

रजनी ने उसके फूल जैसे नर्म मुम्मो पर लगे राजेश के दांतो के निशान देखे और बोली : "देखा, मैने कहा था ना , पापा के दांतो से बचकर रहना, काफ़ी तेज है वो,ख़ासकर आगे के दो दाँत, देख मुझे भी काटा था कल...''

इतने कहते हुए रजनी ने अपने गाउन की सामने वाली जीप नीचे की और अपना दांया मुम्मा बाहर निकाल कर उसपे लगे राजेश के दांतो के निशान दिखाने लगी..

ईशा ने हंसते हुए अपनी मोम के निशान को सहलाया और बोली : "इस दर्द में भी अपना ही मज़ा है मॉम ..जैसे भी है ये निशान, इन्हे महसूस करके बहुत अच्छा फील हुआ...''

रजनी भी मुस्कुराइ और बोली : "अच्छा छोड़ ये सब, पहले बता की हुआ या नही...''

ईशा (थोड़ा मायूस सा चेहरा बनाकर बोली ) : "नही मॉम ...आज रात नही हुआ...इन्फेक्ट पापा ने पूछा भी था, और मैने हां भी कर दी थी, पर पता नही क्यों सिर्फ़ सकिंग करके ही सो गये वो...मैं भी काफ़ी थक गयी थी इसलिए नींद आ गयी वरना पापा को सोने नही देती जब तक वो मेरी वर्जिनिटी नही ले लेते...''

ये सब बाते दोनो इतने आराम से कर रही थी मानो रात को क्या पकना है ये डिसकस कर रहे हो...
और राजेश उनकी बाते सुनकर फिर से उसी हैरानी परेशानी में डूबने लगा जो उसे थोड़ी देर पहले महसूस हुई थी.

रजनी : "कोई बात नही....आज नही तो कल वो कर ही लेंगे...अब जब हमने इतनी मेहनत से ये सब प्लान किया है तो ऐसे ही थोड़े जाने देंगे, असली चुदाई का मज़ा ज़रूर मिलेगा तुझे...''

ईशा भी आँखे चमकाती हुई बोली : "हाँ बिल्कुल, जैसा मज़ा आप ले रहे हो आजकल, दिन रात...''

ये सुनकर दोनो माँ बेटियाँ ज़ोर-2 से हँसने लगी....
और राजेश बेचारा चूतिया सा बनकर उनकी बाते सुनता रहा और समझने की कोशिश करने लगा की आख़िर ये हो क्या रहा है..

जब उन्होने हँसना बंद किया तो ईशा बोली : "मॉम, आपने और राधिका ऑन्टी ने मिलकर जो ये प्लान बनाया है ना, इसमे मज़ा भी बहुत आ रहा है, और रोमांच भी फील हो रहा है...''

राजेश ने जब राधिका आंटी का नाम सुना तो उसका माथा ठनका,
ये तो चाँदनी की माँ का नाम है,
ईशा और चाँदनी तो काफ़ी सालो से दोस्त है और अक्सर ईशा को छोड़ने या लेने जब भी वो चाँदनी के घर जाता तो राधिका उसे ज़रूर मिलती,
और क्या माल है वो,
एकदम गदराया हुआ सा बदन था उसका...
डाइवोरसी थी और एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी

घर में सिर्फ़ वो अपनी बेटी के साथ ही रहती थी
राजेश का मन कई बार हुआ की उसके उपर लाइन मारके देखे, पर अपनी ही बेटी की सहेली की माँ के साथ ऐसा कुछ करना उसे शोभा नही देता था, इसलिए बेचारा कुछ नही कर पाया था आज तक..

अक्सर वो फॅमिली गेट-टुगेदर में भी मिला करती थी और शायद इसलिए रजनी की भी ख़ास सहेली बन चुकी थी वो..

पर ईशा ये क्या बोल रही थी अभी, की राधिका आंटी के साथ मिलकर अच्छा प्लान बनाया रजनी ने...
अब तो उसे दाल में कुछ काला लग रहा था..
 
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रजनी ने ईशा की बात सुनी और बोली : "बैबी, ये सब तो तुम्ही दोनो के लिए किया है हम दोनो ने...''

तुम्ही दोनो याहि ईशा और चाँदनी के लिए...
तो इसका मतलब ये सब प्लान था...
कल वो चांदनी का घर पर रुकना और उसके साथ मजे लेना और आज की रात ईशा का उसके साथ मजे लेना ?
पर कैसे ??
ये कैसे हो सकता है आख़िर..???

राजेश को तो लग रहा था की ये सब शेफाली का पर्ल सेट और उसकी आत्मा का असर होने की वजह से है...
तो क्या वो सब ग़लत था...

और उसकी बात को अगले ही पल ईशा ने साबित भी कर दिया

ईशा : "हम दोनो के लिए भी किया और अपने आप के लिए भी....है ना...हे हे''

ईशा की बात सुनके रजनी फिर से मुस्कुरा उठी और बोली : "ये तो बस यूँ समझ लो की पापा के उस हेरोयिन के साथ लगाव का फायदा उठाकर और उसके भूत के चक्कर मे फँसाकर ये सब करवाया है...सो ऐक्चुयल में तो हम सभी को शेफाली को थेंक्स बोलना चाहिए...''

इतना कहकर वो दोनो उपर मुँह करके बोली : "थेंक्स शेफाली''

और एक बार फिर से दोनो की हँसी पूरे घर में गूँज गयी...

अब तो राजेश को पक्का विश्वास हो चुका था की वो एक बहुत बड़े षड्यंत्र का शिकार बन चूका है ...
हालाँकि इसमें उसका कोई नुकसान नही था,
बल्कि इस प्लानिंग का विक्टिम बनकर भी उसे फायदा ही हुआ था....
अपनी बीबी के बदले हुए रूप का,
चाँदनी और ईशा के जवान जिस्म को भोगने का मौका जो मिला था उसे...

पर उन्होने ऐसा क्यों किया.....
और उन्होने शेफाली के नाम का फायदा उठाकर इतनी सफाई से ये सब कैसे किया की उसे भी भनक तक नही लग पाई की वो सब एक्टिंग कर रहे थे.

उसे अपना माथा घूमता था सा प्रतीत हुआ,
शेफाली तो फ़िल्मो में काम करती थी
पर आज उसकी लाइफ खुद एक फिल्म की स्टोरी बनकर रह गयी थी,
ऐसी स्टोरी जिसमें सैक्स था
सस्पेंस था
हॉरर था
यानी कुल मिलाकर एक धमाकेदार स्टोरी का हीरो बन चुका था वो.

पर अभी भी कई सवाल थे जिनका जवाब मिलना बहुत ज़रूरी था,
और इसका सिर्फ़ एक ही उपाय था...
रजनी की डाइयरी.

जी हाँ , रजनी के पास एक डायरी थी जिसमें वो अपनी लाइफ की आप बीती और ख़ास चीज़े लिखा करती थी,
ये अलग बात थी की आज तक उसे वो डाइरी देखने का मौका नही मिला था,
शादी के बाद वो 2 डायरियां भर चुकी थी और आजकल तीसरी चल रही थी,
यानी इतने सालो का लेखा जोखा उसकी डाइरी में क़ैद था,
राजेश ने भी आज तक उसे देखने की जिद्द नही की थी क्योंकि एक समझदार पति होने का फ़र्ज़ वो अपनी तरफ से निभाना चाहता था...
पर इसके बावजूद भी रजनी उन डाइरीस को अपनी अलमारी की सेफ में लॉक करके ही रखती थी...
जिसकी चाभी उसके पर्स में रहती थी.

वो ये सोचे जा रहा था और बाहर एक अलग ही लीला शुरू हो चुकी थी..

रजनी ने अपनी गोद में बैठी ईशा के बूब्स को सहलाते-2 उसे पीना भी शुरू कर दिया था...
ये शायद राजेश को अपनी लाइफ का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला था
जिसमें एक माँ अपनी ही बेटी का दूध पी रही थी...
और अपनी मस्त चुचियाँ पिलाते हुए ईशा भी अजीब तरह से पीछे सिर करके सिसकारियाँ मार रही थी...

वैसे एक बात तो सच है दोस्तो, एक औरत को कैसे सक्क और किस्स करना है ये दूसरी औरत को ज्यादा अच्छे से पता होता है.
अपने होंठो, दांतो और जीभ का दबाव किस पॉइंट पर कितना रखना है ये उनसे अच्छा कोई मर्द भी नही जान सकता क्योंकि ऐसा करते हुए वो सामने वाले के बदले अपने शरीर पर उस प्रभाव को महसूस करते है, वो उसे उतना ही चूसते और चुभलाते है जितना खुद को अच्छा लगता है...
और शायद यही कारण था की इस वक़्त ईशा भी कुछ ज़्यादा ही सैक्सी तरीके से सिसकारियाँ मार रही थी,
इतनी तो उसने अपने पापा की गोद में बैठकर नही मारी थी जितनी अपनी माँ की गोद में बैठकर मार रही थी..

रजनी का भी एक मुम्मा अभी तक बाहर ही लटका हुआ था, ईशा ने नीचे होते हुए उसे अपने मुँह में लिया और एक बार फिर से रजनी को 15 साल पीछे ले गयी जब वो उसे अपना दूध पिलाया करती थी...
 
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रजनी भी उन चिर-परिचित होंठो के एहसास को महसूस करके ईशा को अपनी छाती की ओर भींच सी रही थी..

''आआआआआआआआअहह........ मेरी बच्चीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उम्म्म्ममममममममममममममममममममम......चूसssssssss ज़ोर से....''

रजनी के ऐसा कहने की देर थी और ईशा ने खड़े होकर अपनी माँ का गाउन निकाल फेंका और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया....

कमरे की मद्धम रोशनी में रजनी का मांसल बदन जगमग करके नहा उठा...

रजनी ने आँखो का इशारा करके ईशा को अपने बेडरूम में आने को कहा, और वो दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़कर राजेश और रजनी के बेडरूम में आ गये...

पीछे-2 राजेश भी ईशा के बेडरूम से निकलकर बाहर आया, उसे अपने बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ ही मिला, दोनो माँ बेटियों को बहुत जल्दी थी एक दूसरे को प्यार करने की शायद.

अंदर का नज़ारा देखा तो उसके लंड ने अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी,
रजनी ने अपनी जवान बेटी को काम पर लगा दिया था,
उसने ईशा के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रखा था जिसे ईशा बड़ी उत्तेजना के साथ चूस रही थी.

ये थी मॉडर्न जमाने की औलाद,
जो कुछ देर पहले पापा का लंड चूस कर आई थी और अब अपनी माँ की चूत चूस रही थी..
रजनी की चूत का बाँध शायद शाम से ही बँधा सा पड़ा था जब से उसने राजेश को ईशा के साथ सोने के लिए भेजा था, और उन बाप बेटी की चुदाई को सोचकर ही वो अंदर से भरी पड़ी थी,
सुबह का भी इंतजार नही हुआ था उससे ,
इसलिए रात को ही उसे उठाकर बाहर ले गयी ये पता करने की उसकी ठुकाई हुई या नही...
सच में , राजेश को इन माँ बेटी के रिश्ते की गहराई का अंदाज़ा भी नही था.

पर इस वक़्त तो ईशा ठुकाई कर रही थी रजनी की चूत की,
अपनी नन्ही सी जीभ से...
वो जीभ उसकी चूत में किसी ड्रिल की तरह अंदर बाहर कर रही थी और हर बार खुदाई के रूप में ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आती...
ये रसीली लड़ाई करीब 10 मिनट तक चली और उसके परिणामस्वरूप जब रजनी झड़ी तो उसने एक जोरदार बौछार मारकर ईशा के चेहरे को भिगो डाला...

''आआआआआआआआआआआआहह मेरी जाआआआआन...... उम्म्म्ममममममममममममममम..............''

इतना कहकर वो वहीं गिर पड़ी...
और ईशा अपने चेहरे की मलाई सॉफ करते हुए उपर तक आई और अपने नंगे जिस्म को अपनी माँ के नंगे बदन के साथ मिलाकर उनसे लिपटकर सो गयी...
ईशा तो पहले ही 2 बार झड़ चुकी थी इसलिए उसमे अब और हिम्मत नही थी अपनी चूत की खुदाई करवाने की,
और जैसा उसके रूम में हुआ था, बाप बेटी के साथ,
वैसा ही अब इस रूम में माँ बेटी कर रही थी
सैक्स के बवंडर के निकल जाने के बाद दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गये.

पर राजेश के दिमाग़ में अब चैन नही था....
उसे तो इस षड्यंत्र की तह तक जाना था और इसके लिए उसे वो डायरीस पढ़नी ज़रूरी थी,
वो किचन में गया जहाँ फ्रिज के उपर रजनी का पर्स रखा रहता था, उसमें से उसने चाभी निकाली , और फर्स्ट फ्लोर में पड़ी रजनी की अलमारी खोली और वो तीनो डाइयरीस निकाल कर ले आया, जिसमें वो सारे राज दफ़न थे और अपने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक करके उन्हे पढ़ना शुरू कर दिया..

आज की रात उन्हे पढ़कर कई राज से परदे उठने वाले थे.
 
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सैक्स के बवंडर के निकल जाने के बाद दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गये.पर राजेश के दिमाग़ में अब चैन नही था....उसे तो इस षड्यंत्र की तह तक जाना था और इसके लिए उसे वो डायरीस पढ़नी ज़रूरी थी, वो किचन में गया जहाँ फ्रिज के उपर रजनी का पर्स रखा रहता था, उसमें से उसने चाभी निकाली , और फर्स्ट फ्लोर में पड़ी रजनी की अलमारी खोली और वो तीनो डाइयरीस निकाल कर ले आया, जिसमें वो सारे राज दफ़न थे और अपने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक करके उन्हे पढ़ना शुरू कर दिया..आज की रात उन्हे पढ़कर कई राज से पड़दे उठने वाले थे.

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अब आगे
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टोटल 3 डायरीस थी,
पहली 2 डायरीस में तो शादी के बाद से लेकर ईशा के जन्म तक की कहानी थी...
इसलिए उन्हे उपर-2 से पढ़कर राजेश ने 10 मिनट में ही तीसरी डायरी उठा ली, जो आधी से ज़्यादा भर चुकी थी...
इस डाइयरी में ही वो सभी राज थे जो राजेश के लिए एक पहेली बन चुके थे.

उसने पढ़ना शुरू किया , जिसमें रजनी ने लिखा था की

ईशा के जन्म के बाद मुझमें सैक्स की चाहत ख़त्म सी हो गयी है....
राजेश के कहने पर ही मैं बुझे मन से सैक्स किया करती थी वरना अंदर से मुझे कुछ फील ही नहीं होता था.


राजेश भी सोचकर उस वक़्त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा..
उसे याद आया की उन दिनों रजनी कैसे एकदम से सैक्स के नाम से दूर भागने लगी थी...
और शायद वही दौर था जब दोनो के बीच शारीरिक संबंधो में बदलाव आने शुरू हुए थे...
हालाँकि एक डॉक्टर होने के नाते वो भी जानता था की औरत के शरीर में प्रेगनेंसी के बाद हॉर्मोनल चेंजस आते है जिसमें ऐसा अक्सर होता है...
पर फिर भी एक ठरकी मर्द होने के नाते वो अपने लंड की ठरक दूर करने के लिए उसे अपने अनुसार ही पेलता रहता था.

आगे डाइरी में उसने लिखा था की कैसे रजनी ने अपनी लाइफ ईशा का इर्द गिर्द ही रखनी शुरू कर दी और इसी में उसे सबसे ज़्यादा खुशी मिलती थी...
अगले 15-20 पन्नो में उसकी जवानी की दहलीज तक पहुँचने का सफ़र था...
और आख़िरकार एक पन्ने पर आकर उसकी नज़रें रुक गयी.

ये 112th के बोर्ड एग्जाम्स के दिन थे जब ईशा और चाँदनी अक्सर घंटो तक एक दूसरे के साथ कमरे में बैठकर पढ़ा करती थी...
राजेश को भी याद आया की उन दोनो पर राजेश और रजनी ने कैसे प्रेशर बनाकर रखा हुआ था ताकि कॉलेज में एडमिशन के लिए अच्छे नंबर आए.

रजनी ने एक वाकये का ज़िक्र किया हुआ था उस पेज पर जब ईशा और चाँदनी रूम में बैठकर स्टडी कर रहे थे..

दोनो बच्चे रूम में बैठकर पढ़ रहे थे...मैं भी काफी थकी हुई थी इसलिए रूम में जाकर सो गयी जो मेरा रोज का नीयम था... अचानक मेरी नींद खुली क्योंकि मुझे ज़ोर से पेशाब आया था...अभी मुझे एक घंटा और सोना था, इसलिए जल्दी-2 पेशाब करके मैं बेड तक आई पर फिर सोचा की एक बार बच्चों से पूछ लेती हूँ की किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही है, ये सोचकर मैं उनके रूम में गयी पर वो अंदर से लॉक था, वो पहले भी ऐसा अक्सर करते थे पर इसके लिए मैने उन्हे डाँटकर मना किया हुआ था, मैं जैसे ही दरवाजा खटकाने लगी तो अंदर से मुझे ईशा की सिसकारी सुनाई दी....मेरा दिल धक् से बैठ गया...उस सिसकारी की गहराई बता रही थी की अंदर क्या चल रहा है...मैं एक स्टूल उठा कर लाई और उसपर चड़कर दरवाजे के उपर बनी विंडो से अंदर झाँक कर देखा और अंदर का नज़ारा देखकर मेरा शक़ यकीन में बदल गया

चाँदनी और ईशा एकदम नंगी होकर बेड पर बैठी थी...
दोनो नंगी होकर एक दूसरे से चिपकी हुई बैठी थी और एक दूसरे के मुम्मे सहलाते हुए, स्मूच कर रही थी...बीच-2 में चाँदनी का हाथ ईशा की चूत को भी मसल रहा था जिसकी वजह से वो सिसकार रही थी....
ये देखकर मेरा पूरा शरीर काँप सा गया...मैं चेयर से गिरते-2 बची...नीचे उतरकर मैं वापिस रूम में गई और फफक-2 कर रोने लगी...ये सोचकर की आख़िर ये सब कब हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ...उसकी बेटी एक लेस्बियन है.....ये कैसे हो सकता है...राजेश और उसके प्यार में क्या कमी रह गयी थी जो ईशा इस दिशा में चली गयी....माना की इस उम्र में प्यार और एट्रेक्शन होता है, सैक्स के प्रति जिज्ञासा रहती है, पर एक लड़की के साथ ...छी: ...वो ऐसा कर भी कैसे सकती है...

फिर मैने सोच लिया की शाम को चाँदनी के जाने के बाद वो ईशा को समझाएगी और फिर भी वो ना मानी तो राजेश के घर आने के बाद उसे ये सब बताएगी और ईशा की पिटाई करवाएगी...


राजेश भी ये सब पड़कर सोचने पर विवश हो गया की उसकी बेटी गे कैसे हो सकती है...
 
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आगे रजनी ने लिखा

शाम को जब मैने ईशा को समझाने की कोशिश की तो उसने अलग ही रंग दिखना शुरू कर दिया...पहले तो ये जानकार वो डर गयी की मुझे उसका पता चल चुका है पर बाद में वो उस रिश्ते की तरफ़दारी करने लगी...दूसरे देशो के एग्ज़ाम्पल देने लगी...अपने देश के नये क़ानून के बारे में बताने लगी जिसमें सविधान में भी इस रिश्ते को स्वीकृति मिल चुकी थी...

पर बात क़ानून और सविधान की नही थी....दुनिया में क्या हो रहा है इस से मुझे कोई मतलब नही है, पर ये सब मेरे घर में नही होना चाहिए...शायद एक माँ होने के नाते या एक रूढ़िवादी परिवार में जन्म लेने के कारण मुझमें ये सब बाते अंदर तक समा चुकी थी.

वो जब नही मानी तो मैने अगले दिन ईशा के स्कूल जाने के बाद चाँदनी की माँ राधिका को अपने घर पर बुलाया...मुझे लगा की अब इसके सिवा कोई और चारा नही रह गया है, पर मेरी लाइफ का सबसे बड़ा शॉक लगा जब मुझे पता चला की वो उन दोनो के रिश्ते के बारे में पहले से ही जानती है.

राधिका : "देखी रजनी, मैने पहले भी तुम्हे इस बारे में बताने की सोची थी पर मुझे पता था की तुम्हारे घर का माहौल अलग है, मैं तो सिंगल मॉम हूँ , अगर मेरी बेटी किसी लड़के के साथ चक्कर चलाए और कुछ उंच-नीच हो जाए तो मेरा तो कोई आगे है ना पीछे, मैं क्या करूँगी, चाँदनी को लड़को से दूर रखने की नसीहत देने वाला बाप भी नही है मेरे पास तो...पर यही काम अगर वो एक लड़की के साथ करती है तो इसमें मुझे कोई बुराई नही दिखती...ये सेफ भी है और दोनो के विचारो में अपनी सहमति जताकर हम इन बच्चों का भरोसा भी जीत सकते है....समझने की कोशिश करो रजनी, आजकल जमाना बदल रहा है....हमे भी बदलना होगा...मैने चाँदनी और ईशा को पहले ही समझा दिया है की अभी के लिए ये सब ठीक है पर आगे चलकर तुम्हे लड़को में भी इंटेरेस्ट रखना होगा और उनसे ही शादी भी करनी होगी....और वो दोनों इसके लिए राजी भी हैं''

उसकी बात मेरी समझ में आ गयी....उसके बाद मैने ईशा और चाँदनी को नही रोका...अब तो वो दोनो दरवाजा खुला छोड़कर भी अपने कामो में लगे रहते थे....

और एक दिन तो उन्होने मुझे भी इस काम में शामिल कर लिया....शुरू में थोड़ा अजीब लगा पर जब उन दोनो ने उपर और नीचे दोनो जगह से मुझे चूसा तो एक अलग ही मज़ा मिला...शायद राजेश से इतने दिनों तक दूर रहने के बाद मेरे शरीर को भी इस प्यार की ज़रूरत थी....दोनो बच्चियों ने मुझे अच्छी तरह से चूम चाटकार वो प्यार दिया जिसके लिए मेरा बदन काफ़ी दिनों से तड़प रहा था.

पर एक औरत होने के नाते मुझे एक मर्द के प्यार की भी ज़रूरत थी, जिसके लिए मुझे राजेश के लंड का ही सहारा लेना पड़ता था ...हालाँकि वो थोड़े थके होते थे पर 15-20 दिन में एक आध बार उनसे चुदाई करवाकर और बाकी के दीनो मे चाँदनी और ईशा से बदन चुस्वाकार मेरे शरीर की ज़रूरत पूरी होने लगी...2 बार तो राधिका भी हमारे ग्रूप का हिस्सा बनी...उस पार्टी को शब्दो मे बयान करना काफ़ी मुश्किल है, पर वो एक अलग ही तरह का एक्सपीरियन्स था..बीच-2 में मैं और राधिका उन्हे समझाती भी रहती थी की ये उपर के प्यार मे कुछ नही रखा, असली मज़ा तो मर्द के लंड से ही मिल सकता है.

ऐसे करते-2 एग्जाम्स के बाद दोनो का कॉलेज में एडमिशन भी हो गया.

इसी बीच एक दिन राधिका ने मुझे एक सुझाव दिया...
मैं जिस तरह से राजेश के लंड की तारीफ अक्सर बच्चों और उसके सामने कर दिया करती थी तो उसने कहा की क्यों ना राजेश को भी इस खेल में शामिल किया जाए...मेरे लिए ये सोचना भी एक पाप जैसा था, पर राधिका के समझाने का तरीका ही ऐसा था की मैं भी सोचने पर विवश हो गयी

राधिका : "देखी रजनी, एक बार इन लड़कियो को किसी लंड की आदत पड़ गयी तो आजकल के लड़को को तो तुम जानती ही हो, उन्हे बस अपने मज़े से मतलब होता है...जैसे आज तक हमने इन्हे बचा कर रखा है वैसे ही आगे भी वो सेफ्टी बनी रहे और इन्हे लाइफ में दूसरे रिश्ते यानी मर्द के सुख से भी परिचित करवाए इसके लिए एक ही उपाय है, हमें राजेश को भी इसमें इन्वॉल्व करना होगा...मुझे पता है तुम्हारे लिए ये सोचना भी मुमकिन नही है की एक बाप अपनी ही बेटी को कैसे प्यार करेगा, पर मेरी बात मानो, एक जवान शरीर हर मर्द की कमज़ोरी होती है, और तुम्हारा पति भी कम ठरकी नही लगता मुझे, जब भी मिलता है तो उसकी आँखो में छुपी भूख मुझे सॉफ दिखाई देती है....हम लोग ट्राइ करेंगे, इसके लिए ईशा से पहले चाँदनी के साथ राजेश की सेट्टिंग करवाएँगे...उसने अगर अपनी तरफ से कोई पहल नही की तो हम ये आइडिया ड्रॉप कर देंगे...''

मैं तब तक समझ चुकी थी की ये बात तो सही है, ऐसा करने से कोई बदनामी भी नही होगी और घर की बात घर में ही रह जाएगी..

राधिका : और ये सब हमें प्लानिंग करके ही करना होगा ताकि उसे कोई शक ना हो, और सब कुछ ऐसा लगे जैसे ये अंजाने में ही हुआ है.''

उस वक़्त मुझे ये बात समझ नही आई पर राधिका ने कहा की वो वक़्त आने पर इस बात को संभाल लेगी.
 
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उसने एक बार ये भी पूछा था की राजेश को क्या पसंद है, तब मैंने उसे ईशा को हीरोइन बनाने के बारे में भी बताया था और शेफाली के प्रति राजेश के लगाव के बारे में भी..तभी वो समझ गयी की वही एक रास्ता है जिसका इस्तेमाल करके राजेश को इसमें इन्वॉल्व किया जा सकता है.

एक दिन राधिका घर आई और उसने मुझे समझाया की राजेश की ईशा को हीरोइन बनाने वाली बातों को सीरियसली लिया करे और ईशा को भी चांदनी की तरह कॉलेज ड्रामा में पार्ट लेने के लिए कहा ताकि राजेश को लगे की उसकी बातें मानी जा रही हैं.

पर अगले ही दिन राजेश के हॉस्पिटल जाने के बाद जब रजनी ने टीवी ओंन किया तो उसमे शेफाली की सुसाईड की न्यूज़ आ रही थी....इस न्यूज़ को देखकर मुझे लगा की हमारा सारा प्लान चोपट हो रहा है पर राधिका को जब फोन किया तो उसने कहा की ये तो एक ऑपर्चुनिटी है जिसका हमें इस्तेमाल करना है.

उसने समझाया की हम ऐसा माहौल क्रियेट करेंगे जिसमें राजेश को लगे की शेफाली की आत्मा अब उनके घर आ चुकी है....और वही ये सब करवा रही है....रही सही कसर उस पर्ल सेट ने पूरी कर दी जो राजेश हॉस्पिटल से चुरा कर ले आया था...राजेश ने जब वो सेट निकाल कर अपनी ड्रॉयर में रखा तो मैने उसे देख लिया, मैने जब वो ड्रॉयर खोली तो उसमें एक प्लास्टिक पाउच में वो सेट था, और उसपर शेफाली के नाम की स्लिप लगी थी, मुझे समझते देर नही लगी की ये उसकी बॉडी से उतरा हुआ सेट है जो मेरा भोला पति उसकी निशानी के तौर पर अपने साथ ले आया है...वैसे तो शेफाली की आत्मा का नाटक नॉर्मली ही स्टार्ट कर देना था पर अब इस सेट को एक जरिया बनाकर वो नाटक अच्छे से किया जा सकता था, बस मेरे दिमाग़ में उसी वक़्त एक प्लानिंग ने जन्म ले लिया और मैने वो सेट निकाल कर पहन लिया.


राजेश ने जब ये सब पड़ा तो उसने अपना माथा पीट लिया.....
और अपनी बीबी और राधिका के दिमाग़ की दाद भी दी उसने....
क्योंकि उसे उस दिन तो ये सब इत्तेफ़ाक ही लगा था जब रजनी ने वो सेट पहना था और रात को उसे चुदाई की एक अलग ही दुनिया दिखाई थी. तब राजेश को पगा था की उस सेट को पहनने की वजह से रजनी में ये चेंजेस आये हैं.

आगे के पेजस पर रजनी ने वही सब लिखा जो उसके साथ घटित हुआ था....
रजनी ने ये भी लिखा की अब खुलकर सैक्स करने की वजह से उसे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था....
आजतक वो जिन बातो से शरमाती थी यानी कॉक सकिंग, और रेग्युलर सैक्स या और भी कुछ, वो सब अब काफ़ी अच्छा लगने लगा था उसे...राधिका को भी उसने जब पर्ल सेट के बारे में बताया तो उसने भी इस प्लान की तारीफ की....आगे रजनी ने लिखा था की उनका प्लान यही था की राजेश को इस बात का यकीन दिलाया जाए की जो भी उस सेट को पहन रहा है वो शेफाली की आत्मा की वजह से उसके साथ सैक्स करने को, हर तरह के मज़े लेने को तैयार है....इसलिए चाँदनी को भी वो सेट प्लान के अनुसार पहनाया गया और ईशा को भी....आगे चलकर शायद राधिका भी वो पहने.

राधिका के बारे में सोचकर ही राजेश के लंड ने फूलना शुरू कर दिया.

और अपने लंड को मसलते हुए वो बोला : "प्लान तो तुम सभी ने बहुत अच्छा बनाया है....और सबसे बड़ी बात मुझे इसमें मज़ा भी आ रहा है...पर अभी तक तुमने मुझे अपने इशारों पर नचाया है, अब मेरी बारी है....तुम्हारा प्लान अपने हिसाब से ही चलेगा पर होगा वही जैसा मैं चाहूँगा....क्योंकि अब मुझे भी इस बात का डर नही है की ईशा क्या सोचेगी...रजनी को पता चलेगा तो उसे कैसा लगेगा....बेटी की सहेली चाँदनी के साथ ऐसा कुछ करना सही नही होगा...या फिर एक डाइवोर्सी लेडी राधिका को पटाना एक डॉक्टर को शोभा नही देता....अब तो ये सब होगा भी और शोभा भी देगा...''

ये बुदबुदाते हुए उसने उस डायरी को एक कुटिल मुस्कान के साथ चूमा और उसे लेजाकर फिर से उसी जगह रख दिया जहाँ से उठाई थी.

अब पासा पलट चुका था....
जो शिकारी थे अब शिकार बन चुके थे
और शिकार अब शिकारी बनकर ये सोच रहा था की इस मौके का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा कैसे उठाया जाए.

आने वाले दिनों के बारे में सोचकर राजेश का लंड एकदम से टाइट होने लगा.
 
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अगले दिन की प्लानिंग राजेश ने बेड पर लेटे -2 ही बना ली...
वो आने वाले दिनों में होने वाली संभावनाओ को ध्यान में रखते हुए ये सब कर रहा था
जिससे उसे ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा मिले.

राजेश अगली सुबह जल्दी उठ गया, वो सोया तो ईशा के बेड पर हुआ था और वो वहाँ थी नही..
रात को अपनी मोम के साथ मज़े लेने के बाद शायद वो वहीं सो गयी थी...उसने वापिस आने की जहमत भी नहीं उठायी,
वो उठा और अपने बेडरूम की तरफ चल दिया...
वहाँ दोनो माँ बेटियाँ एक दूसरे से लिपटकर नंगी ही सो रही थी...
हालाँकि उन्होने एक ब्लेंकेट ओढ़ रखा था पर उनके नंगे कंधे बाहर थे जो ये बयान कर रहे थे की मज़े लेने के बाद उन्होने कुछ पहनने की जहमत ही नही उठाई.

राजेश ने उस वक़्त एक सेंडो और पायजामा पहना हुआ था, वो मुस्कुराता हुआ बेड के अंदर घुसा गया, और वो जान बूझकर दूसरी तरफ से अंदर गया जहाँ ईशा सो रही थी...
अब ईशा उन दोनो के बीच में थी...
एकदम नंगी,
रजनी की तरह.

राजेश का लंड तो उसके नंगे बदन को सोचकर ही खड़ा हो चुका था,
इसने पायजामे में उभरे लंड को ईशा की चिकनी गांड पर दबाते हुए उसे पीछे से दबोच कर अपनी बाहों में ले लिया...
उसके अमरूद के साइज़ के नन्हे और कठोर बूब्स को उसने जब अपने हाथो में पकड़ा तो उसके मुँह से एक सिसक सी निकल गयी...
उसके हाथो में अपनी बेटी के बूब्स थे और हाथो के पिछले हिस्से पर रजनी के मोटे मुम्मो का दबाव....
ऐसा सुखद एहसास उसे आज तक नही हुआ था...

अचानक उसे महसूस हुआ की ईशा जागने को हो रही है,
उसने गहरी साँस लेते हुए एक मजेदार सी अंगड़ाई ली और फिर अपनी नशीली आँखे खोलकर सामने सो रही रजनी को बड़े ही प्यार से देखा...
राजेश ने तब तक अपने हाथो की पकड़ ढीली कर दी और आँखे बंद करके सोने की एक्टिंग करने लगा..

और ईशा को जब एहसास हुआ की कोई उसके पीछे चिपककर सो रहा है तो उसने तुरंत पीछे गर्दन घुमाई,
अपने पापा को अपने साथ लिपटकर सोते देखा तो एक पल के लिए उसकी सिट्टी पिटी ही गुम हो गयी, क्योंकि इस वक़्त वो अपनी मोम के साथ नंगी सो रही थी...
यानी उसके पापा ये बात शायद जान चुके थे की माँ बेटियाँ नंगी सोई हुई है...
या शायद नही...
उसने राजेश के चेहरे को गोर से देखा,
उन्हे थोड़ा सा हिलाकर पुकारा भी पर वो उठा नही...
फिर उसने तुरंत गर्दन घुमा कर अपनी माँ को उठाया..
वो भी उंघते हुए बोली : "क्या है ईशा...इतनी सुबह क्यों उठा रही है...''

ईशा : "मोम ....यहाँ देखो...पापा लेटे हैं मेरे पीछे...''

रजनी भी चोंक गयी...
उसे तुरंत अपनी और ईशा की हालत का ध्यान आया,
चादर उठा कर देखा तो दोनो नंगी ही थी अभी तक...
राजेश का हाथ ईशा की छाती पर रखा हुआ था.

रजनी : "ये कब आए यहाँ ....इन्होने देख तो नही लिया हमे ऐसी हालत में.''

ईशा : "आई डोंट नो मोम ....मैने भी अभी देखा...पर आई थिंक कमरे में अंधेरा था, इसलिए सीधा आकर सो गये ये...वर्ना चिल्ला कर उठा देते हम दोनों को...''

रजनी कुछ देर तक सोचती रही और बोली : "यू डोंट वरी, जस्ट एंजाय....ज़्यादा कुछ हुआ तो वो शेफाली है ना, वो संभाल लेगी...''

इतना कहकर दोनो माँ बेटियां हँसने लगी...
ईशा ने राजेश के हाथ पर हाथ रखकर उसे अच्छी तरह से अपने जिस्म से चिपका लिया..
रजनी की नींद खुल चुकी थी और उसका इस तरह से साथ लेटे रहना शायद उसे भी सही नही लगा, इसलिए वो नंगी ही अपने बिस्तर से निकली और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी.

इधर ईशा धीरे-2 वो अपनी कमर मटका कर अपने नंगे चूतड़ राजेश के लंड पर रगड़ने लगी...
राजेश के लंड का आकार बढ़ने लगा और उसके हाथ की ग्रिप भी उसके मुम्मो पर ज्यादा होती गयी.

ईशा का एक हाथ पीछे की तरफ आया और उसने अपना हाथ सीधा राजेश के पायजामें में घुसा दिया और उसके खड़े लंड को पकड़ लिया...
अब राजेश के बस की बात नही थी ज़्यादा देर तक सोने का नाटक करना, इसलिए वो भी जम्हाई लेता हुआ उठ गया

राजेश : "उम्म....गुड मॉर्निंग हनी...''

ईशा भी मुस्कुराती हुई अपने पापा की तरफ घूम गई और उनके लिप्स पर एक प्यारी सी किस्स करते हुए बोली : "गुड मॉर्निंग पापा...उठ गये आप...''

ह्म....
इतना कहकर राजेश ने अपनी जवान बेटी के जिस्म को अपने आगोश में लेकर एक गहरी साँस ली....
उसका लंड इस वक़्त स्टील की तरह खड़ा था और वो अगर चाहता तो रात के अधूरे काम को अभी निपटा डालता क्योंकि सुबह के इरेक्शन में अलग ही बात होती है..

पर अब वो पूरी कहानी जान चुका था,
इसलिए अपने प्लान के अनुसार अभी तो उसे कुछ दीनो तक ईशा को तड़पाना था और उसके मज़े धीरे-2 लेने थे....
इसलिए उसने वो सब भी नही पूछा की वो इस रूम में कैसे आई या वो अपनी माँ के साथ नंगी क्यों सो रही थी...
 
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ईशा का हाथ एक बार फिर से उसके पयज़ामे में जाने लगा तो राजेश ने उसे रोक दिया और बोला : "अभी नही...आज हॉस्पिटल जल्दी जाना है...मुझे नहाने जाना है अभी....''

ईशा ने रुंआसा सा मुँह बना लिया और बोली : "आप चले जाओगे तो मुझे कौन नहलाएगा...''

बात तो वो सही कह रही थी,
उसके पैर में प्लास्टर लगा हुआ था, अकेले नहाना तो उसके बस की बात नही थी...
वैसे तो रजनी को ही नहलाना चाहिए था उसे
पर आजकल समीकरण बदल चुके थे उनके रिश्तों के
इसलिए वो अपने पापा को नहलाने के लिए बोल रही थी.

उसकी प्यारी सी ख्वाहिश सुनकर राजेश मना नही कर पाया और बोला : "ओ के ...मैं पहले इस प्लास्टर को कवर करता हूँ किसी चीज़ से...''

वो उठा और किचन से एक प्लास्टिक रोल ले आया जो फ्रूट्स को कवर करने के लिए रखा हुआ था...
उससे उसने ईशा के पैर को अच्छी तरह से कवर करके पैक कर दिया.
अब वो नहाने के लिए बिल्कुल तैयार थी.

इसी बीच रजनी भी नहा धोकर बाथरूम से बाहर आ गयी...
राजेश को ईशा के पैर को कवर करते देख वो समझ गयी की नहलाने के लिए वो सब कर रहा है,
इससे पहले की राजेश उसकी मदद लेता, बड़ी चालाकी से वो वहाँ से निकलते हुए बोली : "आप इसको नहलाओ , मैं तब तक आपके लिए ब्रेकफास्ट और लंच का टिफ़िन तैयार कर देती हूँ.''

दोनों को उनकी मर्ज़ी के काम करने के लिए छोड़कर वो किचन में जा घुसी.

राजेश ने अगर डायरी ना पढ़ी होती तो वो शेफाली की करामात ही समझता इसे भी,
पर अब वो सब कुछ जान चुका था,
और वो जानता था की रजनी ये सब उन्हे चुदाई के लिए पूरी तरह से छूट देने के लिए ही कर रही है..

राजेश अपने कपड़े उतारे और वो भी नंगा हो गया और उसने ईशा को अपनी गोद में उठाया और बाथरूम की तरफ चल दिया...
अपनी नंगी जवान बेटी को वो एकदिन इस तरह से उठा कर बाथरूम में ले जाएगा, ये शायद उसने भी नही सोचा था.

बाथरूम काफ़ी बड़ा था, हालाँकि उसमें बाथटब नहीं था जिसकी कमी इस वक़्त राजेश को काफी खल रही थी पर फिर भी शावर के नीचे अच्छी तरह से मज़े लिए जा सकते थे.

ईशा को शावर के नीचे खड़ा करके राजेश उसे उपर से नीचे तक देख रहा था
और ईशा मन में सोच रही थी की शायद अब वो पल आने वाला है जब उसके पापा उसकी चूत का उद्घाटन करेंगे,
पर वो नही जानती थी की राजेश उन सबका खेल अब समझ चुका है...
वो तो अब अपने हिसाब से ही चलेगा.

खैर, अभी के लिए मज़े लेने के लिए राजेश जब पूरा नंगा हुआ तो दिन की रोशनी मे अपने पापा का खड़ा लंड देखकर एक पल के लिए तो ईशा भी घबरा गयी...

वो हकलाते हुए बोली : "पा...पापा....ये ...ये कैसे अंदर जाएगा....''

जवाब में राजेश मुस्कराता हुआ उसके करीब आया और शावर चला कर उसे लेकर पानी के नीचे खड़ा हो गया...
और धीरे से उसकी गर्दन को चूमते हुए बोला : "शुरू में बस तकलीफ़ होगी...फिर तो खुद ही इसे अंदर लेने के लिए तड़पेगी..''

ये बात तो वो भी जानती थी...
पर अभी तक जिसकी चूत पर सिर्फ़ अपनी सहेली के होंठ और जीभ का वार हुआ हो, वो ऐसे ख़तरनाक लंड को देखकर डरेगी तो सही ना.
जब दोनो के जिस्म पर गिरकर उनकी आग को और भी भड़का रहा था...
ईशा से वो गर्मी बर्दाश्त नही हुई और वो उछलकर अपने पापा के गले से लिपट गयी....
उसके कच्चे टिकोरे छप्प की आवाज़ के साथ राजेश की छाती से छिपककर पिसते चले गये.

अब बारी थी राजेश के गेम प्लान की, जो उसने रात को सोच कर रखा था...

वो उसे अपने बदन से चिपका कर धीरे से बोला : "अब तो तुम हीरोइन बनोगी ना...''
 
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इस बात का ऐसे मौके पर ज़िक्र करना ईशा को चौंका सा गया...
पर फिर भी अपने आप को संभालते हुए वो बोली : "जी पापा...जैसा आप कहे...कॉलेज में भी स्टेज शो करते हुए मैं यही सोच रही थी की आपकी बात सही है...मुझे भी अब इसमे इंटेरेस्ट आ रहा है...मुझे भी अब हीरोइन बनना है...''

राजेश ने उसका कान चुभलाते हुए पूछा : "किस हेरोयिन की तरह बनना चाहोगी....''

ईशा : "शेफाली की तरह.....वाइल्ड....सैक्सी ....जैसी आपको पसंद है...''

राजेश जानता था की वो यही बोलेगी....
इन माँ बेटियो ने अच्छी तरह से सोचकर प्लान बना रखा था की राजेश का चूतिया शेफाली के नाम से ही काटना है...

राजेश पहले तो सिर्फ़ सोचता था अपनी बेटी को हीरोइन बनाने के लिए,
पर अब उसने ठान लिया था की वो उसे बनाकर ही रहेगा..
फ़िल्मो में काम करने वाली ना सही,
उसकी पर्सनल हीरोइन ज़रूर बनाएगा वो उसे...
ये सोचता हुआ वो उसे गले लगाकर मंद-2 मुस्कराने लगा और धीरे से बोला : "हाँ ...क्यों नही...मैं बनाऊंगा तुम्हे ....टॉप की हीरोइन.''

और फिर जैसे उसपर कोई भूत सवार हो गया....
वो ईशा को पागलो की तरह चूमने लगा....
नीचे झुकते हुए उसने उसके पानी में भीग रहे मुम्मो को मुँह में भरा और उनका पानी निचोड़ कर पीने लगा....

ईशा का एक पैर उपर आकर उसकी जाँघ को रगड़ने लगा...
साफ़ दिख रहा था की उसकी चूत में खारिश हो रही है...
जिसे वो अपने पापा के लंड से बुझाना चाहती थी...
पर अभी के लिए राजेश ने अपना लंड नही बल्कि अपनी 2 उंगलियाँ उसकी चूत में उतार दी...

''आआआआआआआआआआआआअहह.......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...........पापा.... ........म्‍म्म्मममममम''

उसकी चूत इस वक़्त वेल्वेट जैसी फील हो रही थी...
इतना रस भरा हुआ था उसके अंदर जिससे शराब का एक जाम तैयार किया जा सकता था..

और ऐसे जाम को पीने के लिए राजेश नीचे झुका और उसने अपना मुँह उसकी रसीली चूत पर लगा दिया....

ईशा खड़ी हुई थी और उसने अपना एक पैर अपने पापा के कंधे पर रख दिया और उनके सिर को पकड़ कर अपना बेलेन्स बनाया, बाकी का काम राजेश ने अपनी नुकीली जीभ से उसकी चूत भेदकर कर दिया...
एक रसीली लय के साथ वो ईशा की चूत अपने मुँह से चोद रहा था...
और वो पागल हुए जा रही थी अपने शक्तिमान पापा से मिल रही इस मुख चुदाई को महसूस करके...

''आआआआआआआआआआआआआअहह पापा......ओह मेरे प्यारे पापा....... उम्म्म्ममममममममममममममम मज़ा आ रहा है....... प्लीज़ पापा......ज़ोर से चूसो....... खा जाओ....मुझे.......... मेरी चूत को......ईईट मिईई पापा.......... ओह पापा.....आई एम कमिंग पापा....... आई एम कमिंग.......''

उसका शरीर काँप सा गया....
जब वो झड़ने लगी तो.

राजेश ने उसे सहारा दिया और उसकी दूसरी टाँग को भी अपने दूसरे कंधे पर लिया और उसकी दोनो जांगो के बीच अपना मुंह पूरा घुसा गया....
वो एक भी बूँद जाया नही जाने दे सकता था.
 

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