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पर बड़ा ही मनमोहक दृश्य था वो...
और आनंदमयी भी.
शायद अंदर ही अंदर ईशा चाह रही थी की काश वो बॉल अंदर तक चली जाए...
पर ये कैसे पासिबल हो सकता था...
हाँ, उसके पापा का लंड ज़रूर जा सकता था अंदर...
और अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा लगेगा ना उसे...
बॉल की तरह मोटा लंड उसकी चूत में से रास्ता बनाता हुआ जब अंदर तक जाएगा तो कितना अच्छा लगेगा उसे,
उस एहसास हो जीने का एक अलग ही मज़ा होगा..
ये सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी.
राजेश ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और बोला : "देखा...ये तो अभी सिर्फ़ शुरूवात है, अभी और अंदर जाएगा तो ज़्यादा मज़ा आएगा...''
उसने हाँ में सिर हिला कर अपनी मोन स्वीकृति दे डाली.
पर पहले ही दिन राजेश उसे पूरी तरह से भोगना नही चाहता था...
उसके लंड में अब उतनी भी ताक़त नही रह गयी थी जितनी जवानी के दिनों में होती थी...
हालाँकि एक बार और झड़ने के लिए उसका लंड तैयार था पर एक नयी नवेली चूत को चोदने के लिए जिस कडकपन की ज़रूरत एक मर्द को होती है वो अभी के लिए नही थी उसमें...
आज के कड़कपन का रिचार्ज ख़त्म को चुका था उसका...
हाँ , कल या परसो में वो एक नये दिन के साथ नयी शुरूवात करके उस चूत का उद्घाटन ज़रूर कर सकता था.
इसलिए अभी के लिए उसने उस रसीली बॉल को उसकी चूत के घरोंदे से बाहर निकाला और उसकी जगह अपना मुँह लगाकर वहाँ से अवीरल बह रहे रस को चूसने लगा...
ईशा एक बार फिर से उसी गहरे एहसास में डूब गयी जो कुछ देर पहले उसे मिला था...
और अपने पापा के सिर को अपनी चूत में अंदर तक समेटते हुए उनके होंठो को अपनी चूत के होंठो से रगड़ने लगी...
''आआआआआआआआआहह पापा.................. उम्म्म्ममममममममममम..... मज़ा आआआआआ रहा है.......... अहह....ऐसे ही करते रहो........ अहह....''
राजेश ने अपने होंठो को गोल करते हुए जितना हो सकता था आगे तक निकाला और उन्हे एकसाथ उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया, उसके होंठों को ईशा की चूत के होंठों ने ढक सा लिया, और फिर वो उन्न्नध्ह हुउन्न्न् करते हुए उस एक इंच के छोटे से लंड से उसकी चूत की खुजली दूर करने लगा...
वो ज़ोर से चीखी : "अहह..... पापा........................... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... मार डालोगे क्या................. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... कितना मज़ा आ रहा है ऐसे करवाने में .....अहह....''
मज़ा तो उसे ही आ रहा था....
राजेश का लंड तो ऐसे ही झूल रहा था बेड से नीचे लटका हुआ,
उसने भी एक छलाँग मारी और उछलकर बेड पर आया और 69 के पोज़ में उसे अपने उपर लिटाया और एक बार फिर से उसकी चूत चूसने लगा......
जो ईशा इतनी देर से सिसकारियाँ और चीखें मार रही थी उसके मुँह को बंद करने के लिए इससे अच्छा कोई ओर उपाय हो ही नही सकता था..
और जल्द ही दोनो की घुटि-2 सिसकारियाँ निकलने लगी
और अगले ही पल ईशा की चूत का ढेर सारा रस निकलकर राजेश के मुँह में जाने लगा और राजेश के लंड का पानी निकलकर ईशा के मुँह में.
ईशा ने अच्छी तरह से अपने पापा के लंड को सॉफ किया, उनके लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़कर पी डाली और फिर फिसलकर वापिस अपने पापा की तरफ मुँह किया और उनसे लिपटकर आँखे बंद कर ली....
राजेश भी झड़ने के बाद गहरी साँसे लेता हुआ ईशा के मखमली बदन को सहलाते हुए आँखे बंद करके लेट गया....
और उसकी आँख कब लग गयी उसे भी पता नही चला..
अचनका लगभग 1 घंटे बाद उसे कुछ हिलता हुआ सा महसूस हुआ....
कमरे में अंधेरा था इसलिए उसे कुछ सॉफ-2 दिखाई नही दे रहा था...
ईशा और वो अभी तक नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे...
कोई सामने खड़ा हुआ ईशा को हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था
और तभी उसे फुसफुसाति हुई सी आवाज़ सुनाई दी , जो उसकी बीबी रजनी की थी
वो उनके बेड के पास खड़ी हुई ईशा को झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रही थी..
रजनी को देखते ही राजेश की सिट्टी पिटी गुम सी हो गयी....
उसकी जवान बेटी नंगी होकर उससे लिपट कर सो रही थी और उसकी बीबी उनके कमरे में आकर ईशा को उठाने का प्रयास कर रही थी,
उसे तो समझ ही नही आ रहा था की वो क्या करे...
अब वो उठकर भाग तो नही सकता था,
इसलिए उसने गहरी नींद में सोए रहना ही बेहतर समझा...
पर आने वाले पल उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदलने वाले थे.
और आनंदमयी भी.
शायद अंदर ही अंदर ईशा चाह रही थी की काश वो बॉल अंदर तक चली जाए...
पर ये कैसे पासिबल हो सकता था...
हाँ, उसके पापा का लंड ज़रूर जा सकता था अंदर...
और अगर ऐसा हुआ तो कितना अच्छा लगेगा ना उसे...
बॉल की तरह मोटा लंड उसकी चूत में से रास्ता बनाता हुआ जब अंदर तक जाएगा तो कितना अच्छा लगेगा उसे,
उस एहसास हो जीने का एक अलग ही मज़ा होगा..
ये सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी.
राजेश ने उसे मुस्कुराते हुए देखा और बोला : "देखा...ये तो अभी सिर्फ़ शुरूवात है, अभी और अंदर जाएगा तो ज़्यादा मज़ा आएगा...''
उसने हाँ में सिर हिला कर अपनी मोन स्वीकृति दे डाली.
पर पहले ही दिन राजेश उसे पूरी तरह से भोगना नही चाहता था...
उसके लंड में अब उतनी भी ताक़त नही रह गयी थी जितनी जवानी के दिनों में होती थी...
हालाँकि एक बार और झड़ने के लिए उसका लंड तैयार था पर एक नयी नवेली चूत को चोदने के लिए जिस कडकपन की ज़रूरत एक मर्द को होती है वो अभी के लिए नही थी उसमें...
आज के कड़कपन का रिचार्ज ख़त्म को चुका था उसका...
हाँ , कल या परसो में वो एक नये दिन के साथ नयी शुरूवात करके उस चूत का उद्घाटन ज़रूर कर सकता था.
इसलिए अभी के लिए उसने उस रसीली बॉल को उसकी चूत के घरोंदे से बाहर निकाला और उसकी जगह अपना मुँह लगाकर वहाँ से अवीरल बह रहे रस को चूसने लगा...
ईशा एक बार फिर से उसी गहरे एहसास में डूब गयी जो कुछ देर पहले उसे मिला था...
और अपने पापा के सिर को अपनी चूत में अंदर तक समेटते हुए उनके होंठो को अपनी चूत के होंठो से रगड़ने लगी...
''आआआआआआआआआहह पापा.................. उम्म्म्ममममममममममम..... मज़ा आआआआआ रहा है.......... अहह....ऐसे ही करते रहो........ अहह....''
राजेश ने अपने होंठो को गोल करते हुए जितना हो सकता था आगे तक निकाला और उन्हे एकसाथ उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया, उसके होंठों को ईशा की चूत के होंठों ने ढक सा लिया, और फिर वो उन्न्नध्ह हुउन्न्न् करते हुए उस एक इंच के छोटे से लंड से उसकी चूत की खुजली दूर करने लगा...
वो ज़ोर से चीखी : "अहह..... पापा........................... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह.... मार डालोगे क्या................. उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... कितना मज़ा आ रहा है ऐसे करवाने में .....अहह....''
मज़ा तो उसे ही आ रहा था....
राजेश का लंड तो ऐसे ही झूल रहा था बेड से नीचे लटका हुआ,
उसने भी एक छलाँग मारी और उछलकर बेड पर आया और 69 के पोज़ में उसे अपने उपर लिटाया और एक बार फिर से उसकी चूत चूसने लगा......
जो ईशा इतनी देर से सिसकारियाँ और चीखें मार रही थी उसके मुँह को बंद करने के लिए इससे अच्छा कोई ओर उपाय हो ही नही सकता था..
और जल्द ही दोनो की घुटि-2 सिसकारियाँ निकलने लगी
और अगले ही पल ईशा की चूत का ढेर सारा रस निकलकर राजेश के मुँह में जाने लगा और राजेश के लंड का पानी निकलकर ईशा के मुँह में.
ईशा ने अच्छी तरह से अपने पापा के लंड को सॉफ किया, उनके लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़कर पी डाली और फिर फिसलकर वापिस अपने पापा की तरफ मुँह किया और उनसे लिपटकर आँखे बंद कर ली....
राजेश भी झड़ने के बाद गहरी साँसे लेता हुआ ईशा के मखमली बदन को सहलाते हुए आँखे बंद करके लेट गया....
और उसकी आँख कब लग गयी उसे भी पता नही चला..
अचनका लगभग 1 घंटे बाद उसे कुछ हिलता हुआ सा महसूस हुआ....
कमरे में अंधेरा था इसलिए उसे कुछ सॉफ-2 दिखाई नही दे रहा था...
ईशा और वो अभी तक नंगे होकर एक दूसरे से लिपटकर सो रहे थे...
कोई सामने खड़ा हुआ ईशा को हिला कर उठाने की कोशिश कर रहा था
और तभी उसे फुसफुसाति हुई सी आवाज़ सुनाई दी , जो उसकी बीबी रजनी की थी
वो उनके बेड के पास खड़ी हुई ईशा को झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रही थी..
रजनी को देखते ही राजेश की सिट्टी पिटी गुम सी हो गयी....
उसकी जवान बेटी नंगी होकर उससे लिपट कर सो रही थी और उसकी बीबी उनके कमरे में आकर ईशा को उठाने का प्रयास कर रही थी,
उसे तो समझ ही नही आ रहा था की वो क्या करे...
अब वो उठकर भाग तो नही सकता था,
इसलिए उसने गहरी नींद में सोए रहना ही बेहतर समझा...
पर आने वाले पल उसकी लाइफ को पूरी तरह से बदलने वाले थे.