मजे लो ये डांस क्लब है अंदर बहुत मस्ती होती है चलो हम लोग भी चलते हैं, मैं कुछ कहती उससे पहले ही अविनाश ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपने साथ अंदर ले जाने लगा। अविनाश का इतना प्यार देख आगे उससे कुछ कह ही नहीं पाई और क्लब के अंदर चली गई। अंदर अंधेरा था लेकिन डांस वाले एरिया में जरूर हल्की रोशनी थी जो रंग बिरंगी थी। फ्लोर पर कई जोडे डांस कर रहे थे। मेरे आंखें भी अब अभ्यसत हो रही थी।
डांस क्लब में जब मैंने चारों तरफ देखा तो वहां कई कुर्सी टेबिल लगी हुई थी। जहां लोग बेठे दारू, वीयर पी रहे थे अधिकांश लोग जोडे में ही बैठे थे। बाद में अविनाश ने बताया कि यहां जोडों को ही एंट्री मिलती हैं। फिर हम लोग एक टेबिल पर बैठ गए।
अविनाश : बताओ दीप्ति कौन सा ब्रांड पियोगी
दीप्ति : क्या मैं शराब नहीं पीती
अविनाश : यार तुम यूरोप में रही हो फिर भी शराब नहीं पीती
दीप्ति : वहां जरूर कभी कभी जीवन के साथ पी लेती थी लेकिन
अविनाश : अच्छा जीवन के साथ पी सकती हो लेकिन मेरे साथ पीने में तुम्हें दिक्कत हो रही है। तुम बोलो तो जीवन को बुला लूं फिर तो पी लोगी उसके साथ।
दीप्ति को मेरी बातों से झटका लगता है मुझे भी लगता है कि शायद मैं ज्यादा बोल गया और दीप्ति से बोलता हूं सॉरी जान वो मुंह से निकल गया। सॉरी आगे से ऐसा नहीं होगा।
मेरी बात सुनकर दीप्ति भी नार्मल हो जाती है और कहती है नही जान इसमें सॉरी बोलने की कोई बात नहीं है तुमने सही ही कहा यदि मैं जीवन की खुशी के लिए शराब पी सकती हूं तो तुम्हारी खुशी केलिए क्यो नहीं जबकि तुम मुझे जो खुशी दे रहे हो वो जिंदगी में किसी ने नहीं दी।आज मैं अपनी जान के साथ जरूर शराब पियूंगी लेकिन एक शर्त पर।
अविनाश : अब इसें शर्त कहां से आ गई, लेकिन फिर भी बोले अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा।
दीप्ति : में शराब सिर्फ अपनी जान के हाथों से पियूंगी और वो भी उसकी गोद में बैठकर
अविनाश : अरे ये कौन सा मुश्किल काम है। तुझे अपनी गोद में नहीं बल्कि अपने लंड को तेरी चूत में डालकर तुझे शराब पिलाउंगा और फिर अविनाश एक वेटर को इशारा और उससे दो पैग का ऑर्डर करता है और कुछ खाने को भी मंगाता है। वेटर के जाने के बाद अविनाश और दीप्ति बाते करते रहते हैं। अब उनकी आंखें अंधेरे मेें भी सब कुछ साफ साफ देख सकती थी। दीप्ति की नजर डांस फ्लोर पर जाती है तो वो चौंक उठती है क्योंकि वहां बहुत ही भदï्दा डांस हो रहा था। लडकियों की टीशर्ट, टॉप या जो भी वो उपर पहने हुई थी उनमें लडकों का हाथ घुसा हुआ था लडकियां बडे मजे से अपनी चुचियां मिसवा रही थी और खुद लडको का लंड सहला रही थी कई लडकों का तो लंड भी पेंट के बाहर था। दो औरतों के ब्लाउज के पूरे बटन खुले हुए थे और ब्रा भी लटक रही थी। उनके निप्पल भी साफ साफ दिख रहे थे। हमारी टेबिल के पास भी लडके लडकियां एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे थे। ये देख मैं और अविनाश दोनों ही गरम हो रहे थे। तभी बेटर हमारा आर्डर ले आता है और मैं अविनाश की गोद में बैठ जाती ही अविनाश भी मुझे अपनी गोद में बैठाने से पहले अपना लंड निकलता है और उसे मेरी चूत पर सेट करता है। शर्ट स्कर्ट और उपर से बिना पेंटी के थी माहौल इतना कमोत्तेजक था कि चूत पहले ही गीली हो चुकी थी तो अविनाश का लंड आसानी से मेरी चूत की गहराईयों में समाज आता है इसके बाद अविनाश अपने हाथों से मुझे शराब पिलाने लगता है मुझे इस बात का होश ही नहीं था कि अविनाश खुद तो शराब नहीं पी रहा था लेकिन पिलाता जा रहा था. दूसरा अंधेरा भी था तो मुझे ज्यादा कुछ समझ में आ भी नहीं रहा था और इस तरह दोनों पैग में पी जाती हूं। अब अविनाश ने मुझे उठाया है और मुझे लेकर डांस पर आ गया। मैं लडखडा रही थी। जबकि अविनाश को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उसे शराब पी है। क्योंकि हकीकत में उसने शराब पी ही नहीं थी। अविनाश मुझे लेकर डांस करने लगे मैं भी अपनी आप को संभालने के लिए अविनाश के गले में बाहें डालकर डांस करने लगी।
तभी एक नया गाना शुरू होता है गाना अंग्रेजी में था लेकिन उसका संगीत बहुत ही मादक था। अविनाश ने मुझे अपने से चिपका लिया। और अपना लंड पेंट से निकलकर मेरी चूत पर सेट कर दिया। मैं अविनाश से चिपकी हुई थी। और जैसे ही अविनाश के लंड को मैंने महसूस किया तुरंत ही चूत का प्रेशर उस पर डाला जिससे लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। अब डांस फ्लोर पर मौजूद 20-25 लोगों के सामने अविनाश मुझे चोद रहा था। लेकिन मुझे कोई फिक्र नहीं थी फ्लोर पर माहौल ही कुछ ऐसा था अब अविनाश ने मेरी चूत में अपने लंड से धक्के लगाना शुरू कर दिए। वो पहले स्लो और फिर तेजी से मेरी चूत में धक्के लगाता रहा। मेरे मुंह से सिसिकियां निकल रही थी। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह लेकिन तेज संगीत में मेरी आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी।
पांच मिनिट बाद गाना बदल जाता है लेकिन अविनाश मेरी चुदाई उसी तरह से जारी रखता है। मैं बुरी तरह से मदहोश हो चुकी थी। मुझे ये भी खबर नहीं थी कि मेरे आसपास क्या हो रहा है। अब मैं अविनाश को अपने अंदर समा लेना चाहती थी। अचानक अविनाश ने अपना लंड निकाल लिया और मुझे घुमा दिया। और जल्दी ही अपना लंड पीछे से मेरी चूत में सेट कर एक ही धक्के में अंदर कर दिया। मैं आई आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह जान बहुत मजा आ रहा है इतनी भीड के बीच में चुदने में। कोई डर नहीं कोई परेशानी नहीं और मजा ऐसे जो मुझे कभी भी नहीं मिला।
अविनाश : चिंता मत करो जान तुम्हें ऐसा मजा अब में रोज ही दूंगा और अविनाश अब मेरी चूत में धक्को की रफ्तार और तेज कर देता है मुझे लगता है कि अब मैं टिक नहीं पाउंगी तभी संगीत अचानक बंद हो जाता है और सभी जोडे जो डांस कर रहे थे रूक जाते हैं। अविनाश को भी मेरी चूत में से अपना लंड निकालना पडता है जिस कारण से मैं मायूस सी हो जाती हूं क्योंकि यदि दो मिनिट और संगीता चलता तो मेरी चूत पानी छोड चुकी होती। फिर एक नया गाना शुरू होता है जिसमें पाटर्नर चेंज हो रहे थे और ऐसे ही डांस करते करते मैं किसी और की बाहों में चली गई और एक दूसरी लडकी अविनाश की बाहों में आ गई। जिस लडके की बाहों में मैं गई थी। वो 6 फुट का था और अविनाश के साथ मेरी मस्ती या यूं कहें मेरी चुदाई देख रहा था। वो समझ चुका था कि मैं नीचे से नंगी ही हूं। दूसरी ओर जो लडकी अविनाश की बाहों में थी वो अविनाश से चिपकी हुई थी और उसका एक हाथ अविनाश के लंड से खेल रहा था। मैंने एक नजर उधर डाली लेकिन अविनाश के चेहरे के भाव में पढ नहीं पाई। इधर मैं जिस लडके की बाहों में थी वो मेरी कमर को पकड कर मुझे अपने से सटा लिया डांस करने लगा। अचानक उसका हाथ मेरी स्कर्ट के नीचे पहुंचा और फिर नीचे से उसने मेरी स्कर्ट थोडा सा उठाई और मेरे चूतडों को मसलने लगा। मैं मदहोश हो चुकी थी। मुझे ये भी होश नहीं था कि इस समय मैं अपने पति अपने मालिक अविनाश की बाहों में नहीं किसी और की बाहों में हूं। तभी उस लडके ने अचानक अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं ना तो साथ दे रही थी और ना ही विरोध कर रही थी। अचानक मुझे अपनी चूत पर उसी उंगुलियां महसूस हुई और फिर दो उंगुलियां मेरी चूत के अंदर पहुंच गई और वो तेजी से मेरी चूत में अपनी उंगूली अंदर बाहर करने लगा। मेरी सिसकियां निकलने लगी आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह मेरे मुंह से निकल गया जान अब रूका नहीं जा रहा प्लीज अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। मेरी ये बात सुनकर वो लडका खुश हो गया और अपना लंड निकालकर मेरी चूत पर टिका दिया। वो लडका कुछ कर पाता तभी किसी ने मुझे खींचकर अपनी बाहों में ले लिया। ये अविनाश था। अविनाश के ऐसा करते ही उस लडने भी मुझे अपनी ओर खींचने की कोशिश की लेकिन अविनाश मुझे खींचता हुआ फ्लोर से बाहर ले आया। पीछे पीछे वो लडका भी आ गया उसे लगा कि अविनाश मुंझे जबरदस्ती ले जा रहा है। उस लडके का नाम श्याम था।
श्याम : ये क्या बदतमीजी है इस लडकी को ऐसे कैसे ले जा रहे हो।
अविनाश : तू कौन होता है हमारे बीच में आने वाला अविनाश का गुस्सा इस समय सातवें आसमान पर दिख रहा था उसकी आंखों में अंगारे से निकल रहे थे।
श्याम : तू शायद मुझे जानता नहीं है
अविनाश : जानने की जरूरत नहीं है। कोई भी मेरी बीबी के साथ जबरदस्ती करेंगे तो मैं क्या करूंगा मुझे मालूम नहीं।
श्याम जैसे ही अविनाश के मुंह से ये सुनता है कि मैं उसकी बीबी हूं तो वो एकटक हम दोनों को देखता है। उसे लगता है कि शायद अविनाश मजाक कर रहा है। लेकिन मेरी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र देखकर वो थेाडी देर खडा रहता है और फिर कुछ सोचकर वापस अंदर चला जाता है। दूसरी ओर मुझे अभी भी कोई होश नहीं था।
मैं : जान क्या हुआ तुम्हें तुमने बीच में ही क्यो मुझे चोदना बंद कर दिया। प्लीज मेरी चुदाई करो ना मैं बहुत बैचेन हूं। दूसरी ओर अविनाश का गुस्सा बढता जा रहा था। अचानक एक जोरदार आवाज आई और मेरा गाल लाल हो गया। ये आवाज अविनाश के झपड की थी जो मेरे गाल पर पडा था। मुझे दिन में तारे नजर आने लगे। नशे की हालत में तो मैं थी ही अविनाश के झापड से खुद को संभाल नहीं पाई और वहीं जमीन पर गिर पडी. शराब का नशा और उपर से अविनाश के झापड ने मेरी पूरी ताकत और हिम्मत तोड दी। इसके बाद मैंने उठने की कोशिश की लेकिन उठने में कामयाब नहीं हो पाई। और वहीं सडक पर फैल गई। मेरी हालत को देख अविनाश को भी ध्यान आया कि मैं तो होश में ही नहीं हूं। उसे भी अपनी गलती का एहसास होने लगा अविनाश ने मुझे कंधों को पकडकर उठाया मैं अविनाश की बाहों में झूल गई। अविनाश किसी तरह से सहारा देकर मुझे अपने साथ कुछ दूर तक लेकर आया। अब उसे मेरी चिंता होने लगी थी। क्योंकि हमें घर पहुंचना था। वैसे अविनाश की बाइक से सफर 15 मिनिट का भी नहीं था लेकिन दिक्कत ये थी कि मैं बाइक पर बैठूंगी कैसे। अविनाश की भूख, चैन सभी उड गया था। एक घंटे तक इस तरह से अविनाश मुझे अपने से चिपकाए एक कोने में खडा रहा। इस बीच मुझे दो बार उल्टी भी हो चुकी थी. जिससे मेरा नशा तो कम हो गया लेकिन मेरा सिर घूम रहा था।
अविनाश : तुम बाइक पर बैठने वाली स्थिति में या फिर हम लोग टैक्सी ले ले।
दीप्ति : नहीं नहीं आपके साथ ही चलूंगी,
अविनाश : अरे मैं तुम्हें छोडकर कहीं नहीं जा रहा सिर्फ ये पूछ रहा था कि बाइक पर बैठने लायक स्थिति में हो कि नहीं टैक्सी से भी चलेंगे तो साथ में ही चलेंगे।
दीप्ति : नहीं आपके साथ बैठकर चली चलूंगी आप बाइक निकाल लाइए मैं यहीं खडी हूं।
अविनाश : दो मिनिट खडी रह सकती हो। इस हालत में।
दीप्ति : कोशिश करूंगी। वैसे सिर में दर्द सा हो रहा है।
अविनाश : कोई बात नहीं रास्ते में मेडिकल मिलेगा वहां से दवा ले लूंगा। तभी मुझे याद आया कि हम लोगों ने खाना भी नहीं खाया रात के 11 बज रहे थे। सामने एक रेस्टोरेंट भी दिखाई दे रहा था पहले मैं दीप्ति को लेकर रेस्टोरेंट में गया और खाना पैक करवाया खाना ज्यादा नहीं लिया था कि पता नहीं था दीप्ति खाना खा भी पाएगी या नहींं। उसके बाद में दीप्ति को लेकर बाइक से निकल पडता हूं। बाइक अब बहुत ही धीमे चलाना पड रही थी। दीप्ति के दोनों हाथों में मैंने अपनी कमर से लपेट लिया था और एक हाथ से उसकी दोनों हाथों को पकड रखा था औरएक हाथ से ही बाइक चला रहा था। थोडी ही देर में शहर समाप्त हो गया और गांव का रास्ता शुरू हो गया। करीब पौने 12 बज चुके थे मैं धीरे धीरे गांव की ओर बढ रहा था कि तभी
दीप्ति : जान जरा गाडी रोको
अविनाश : क्या हुआ।
दीप्ति : जान मुझे बहुत जोर की वाथरूम आ रही है प्लीज रोक लो नहीं तो निकल जाएगी।
अविनाश : गाडी रोकता है और मैं गाडी से उतरती हूं मेरे एक गाल पर दर्द हो रहा था नशा अभी भी था लेकिन इतना नहीं कि अपने आप को संभाल ना पाउं मैं सडक के किनारे बनी झाडियों में शूशू करने बैठ जाती हूं झाडियों में कुछ कांटे लगे हुए थे जिसमें मेरी टॉप और स्कर्ट उलझ जाते हैं। मैं खींचती हूं तो वो और ज्यादा उलझ जाते हैं और टॉप तो दो हिस्सो में फटता चला जाता है लेकिन झाडियों से नहीं निकलता स्कर्ट भी बीच से फट जाती है अब सडक पर मैं एक दम मादरजात नंगी खडी थी। गनीमत ये थी कि रास्ता गांव का शुरू हो चुका था हम लोग मुख्य सडक से 300 मीटर अंदर आ चुके थे। इसलिए हाइवे से निकलने वाली गाडियों की कोई परेशानी नहीं थी। मैं नंगी ही खडी थी पांच मिनिट तक मैं वैसे ही खडी सोचती रहती हूं कि क्या करूं तभी अविनाश बाइक लगाकर वहां आ जाता है और मुझे एकदम नंगी देख कर चौकजाता है।
अविनाश : अरे तुझे क्या हुआ तेरे कपडे कहां चले गए।
दीप्ति: पता नहीं झाडियों में उलझ गए थे और मैंने निकालने की कोशिश की तो वो फट गए।अविनाश मेरे पास आया तो मैं उससे चिपक गई। और रोने लगी।
अविनाश : अरे क्या हुआ जान,
दीप्ति : तुमने मुझे मारा ना आज तक मुझे किसी ने नहीं मारा था। मैं बहुत बुरी हूं इसीलिए तुमने मारा।
अविनाश : नहीं जान मैं तुम्हें दूसरे की बाहों में और किसी और को तुम्हारे शरीर से खोलता देख बर्दाश्त नहीं कर सका। मैं ये भी नहीं समझ पाया कि तुम होश में ही नहीं हो। प्लीज जान मुझे माफ कर देना। और अविनाश मुझे चूमने लगता है।
दीप्ति : एक शर्त में माफी मिलेगी।
अविनाश : तुम्हारी हर शर्त मंजूर है।
दीप्ति : पहले सुन तो लो
अविनाश : हां बोले तुम कुछ भी मांग सकती हूं।
दीप्ति : तो ठीक है मुझे पहले ठंडा करो मैं तडक रही हूं।
अविनाश : क्या यहां रास्ते पर घर चल घर पर चलकर करता हूं, अविनाश समझ जाता है कि मैं अभी भी होश में नहीं हूं।
दीप्ति : नहीं या तो तुम मेरी यहीं चुदाई करोगे नहीं तो मैं कहीं नहीं जा रही।
अविनाश : मुझे मनाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन जब मैं नही मानती तो वो आखिर हथियार डाल देता है और थोडी ही देर में अविनाश अपना लोअर उतार कर देता है और अपना अंडरवियर भी उतार कर नीचे से नंगा हो जाता है। अविनाश मुझे बाइक पर झुका देता है और अपना लंड मेरी चूत में पीछे से डाल देता है। इसके साथ ही मेरी सिसकियां निकलना शुरू हो जाती है आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह अविनाश इस समय मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था। शराब का नशा था या कुछ ओर मुझे मदहोश कर रही थी। लेकिन मेरा पानी नहीं निकल रहा था।
फिर अविनाश मुझे पलट देता है और मुझे खडा करके अपना लंड मेरी चूत में डाल देता है मेरा एक पैर बाइक की सीट पर था और एक जमीन पर मैं अविनाश की बाहों में सिमटी हुई थी और अविनाश मुझे चोदे जा रहा था। फिर मैंने अपने होठ अविनाश के होठ पर रख दिए और उसके होठों को चूसने लगी। 25 मिनिट हो चुके थे वहां सडक किनारे अविनाश से चुदते हुए। लेकिन अज मेरा पानी नहीं निकल रहन था।
खडे खडे हम थकने लगे थे तो अविनाश ने मुझे वहीं जमीन पर लटने को कहा, सडक किनारे हल्की घास थी और मैं धास पर लेट गई। लेकिन कुछ सोचकर मैं उठकर बैठ गई और अविनाश के लंड को पकड लिया और उसे सीधा अपने मुंह में ले लिया और अविनाश का लंड चूसने लगी।
अविनाश : जान यदि तू मेरा पानी ऐसे निकाल देगी तो तेरा पानी कैसे निकलेगा। अविनाश की बात सुनकर मैं लेट गई और उससे 69 पोजीशन में आने को कहा अब अविनाश मेरी चूत चूस रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी। अविनाश की चूत चुसाई से मेरी सिसकियां निकल रही थीं आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह लेकिन मैं अपने मुंह से उसका लंड नहीं निकाल रही थी। अ
अविनाश अपनी कमर के हल्के धक्के भी मार रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे मुंह की चुदाई करना चाहता हो। थोडी देर बाद मैं फिर बैठ जाती हूं औरअविनाश को जमीन पर लिटा देती हूं अविनाश समझ गया था कि मेरे मन में क्या है मैं अविनाश के लंड पर बैठकर अपनी चूत टिका देती हूं और उसके लंड पर बैठती चली जाती हूं। लंड पूरा मेरी चूत में आसानी से चला जाता है और अब मैं अपने दोनों हाथ अविनाश की छाती पर रखकर अविनाश के लंड पर उछलने लगती हूं। अविनाश मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर जाते देख रहा था। मेरे मुंह से निकलने वलाी सिसकियां तेज होती जा रही थी। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह फिर मैं अविनाश के उपर झुक जाती हूं और उसके होठ चूसने लगती हूं। हमारी जीभ एक दूसरे की लार को चूस रही थी। 15 मिनिट बाद में बुरी तरह से थक जाती हूं और
दीप्ति : जान अब मुझमें ताकत नहीं बची लेकिन समझ में नहीं आ रहा आज मेरा पानी क्यो नहीं निकल रहा नहीं तो अब तक तीन बार तो पानी निकल ही जाता था। अविनाश कोई जबाव नहीं देता ओर मुझे जमीन पर ही डोगी स्टाइल में करता है और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डालकर उसकी चुदाई शुरू कर देता है। मेरे बूब हवा में झूल रहे थे। मैं अपनी गांड आगे-पीछे कर रही थी जिससे अविनाश का लंड मेरी चूत की गहराईयों तक जा रहा था। फचच… फचच… की आवाज़ों से माहौल बहुत गर्म हो गया. जीतनी जोर से अविनाश मेरी चूत में धक्का मारता उतनी जोर से में गांड आगे-पीछे धकेल देती। अविनाश ताबडतोड मेरी चूत में धक्के लगा रहा था। चुदवाते हुए सातवें आसमान की सैर कर रही थीं और उनके लंड की अपनी चूत की गहराई में घर्षण महसूस कर रही थी. अविनाश मुझे चोदने के साथ ही मेरी पीठ को बेतहाशा चूम भी रहा था। और अपने हाथों से मेरे बूब भी दबा रहा था। अब मेरा शरीर अकडने लगा था और उधर अविनाश के धक्के भी तेज होते जा रहे थे।
अविनाश : सॉरी जान माफ कर देना आज शायद मैं तुम्हें ठंडा नहीं कर पाउंगा एक घंटे से तुझे चोद रहा हूं और अब मेरा पानी निकलने वाला है लेकिन अविनाश को ये नहीं पता था कि मैं भी अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी हूं और मेरा पानी निकलना शुरू हो जाता है अविनाश भी तीन चार धक्के मारता है और मेरी चूत में झड जाता है। चुदाई की मेहनत के बाद हम दोनों बुंरी तरह से थक गए थे हमारे शरीर पसीने और मिट्टी से लथपथ हो चुके थे। सेक्स का नशा उतरने के साथ ही शराब का नशा भी काफी हद तक उतर चुका था अब जब मैंने अपनी स्थिति देखी तो घराब गई।
दीप्ति : जान मेरे कपडे कहां चले गए।
अविनाश : अरे तुम्हें याद नहीं हैं तुम्हारे कपडे यहीं झाडियों में उलझकर फट गए थे;
दीप्ति: लेकिन मैं यहां झाडियों में क्यो गई थी तुम लेकर गए होगे;
अविनाश : लगता है तुझे कुछ याद नहीं है;
दीप्ति : हल्का सा याद है लेकिन मेरे गाल में बहुत दर्द हो रहा है अब मैं घर कैसे जाउंगी;
अविनाश : एक काम कर बाइक पर बैठ इस समय करीब एक बज रहा है हमें कोई मिलेगा नहीं। यदि तुझे शरम आ रही है तो तू मेरे कपडे पहन ले;
दीप्ति : नहीं आप बाइक चलाएंगे कोई देखेगा तो वो आपको ही देखेगा मैं पीछे बैठ जाउंगी वैसे पांच मिनिट का ही रास्ता है और फिर मैं बाइक स्टार्ट करता हूं और दीप्ति बाइक पर पीछे बैठ जाती हैं। हमारी किस्मत अच्छी थी कि रात को कोई मिला नहीं और हम लोग घर पहुंच गए।
घर में सबसे पहले मैंने गेट खोलकर दीप्ति को अंदर किया और फिर बाइक को अंदर कर गेट बंद कर लिया; इसके बाद ही मुझे राहत की सांस मिली। दीप्ति अभी भी नंगी ही थी मैंने उसे गोद में उठा लिया।
दीप्ति : क्या कर रहे हो जान गिर जाउंगी चोट लग जाएगी। वैसे भी पता नहीं गाल में दर्द कैसे हो रहा है।
अविनाश मेरे गाल पर किस लेते हुए चलो पहले हम लोग नहा लेते हैं। दोनों का ही शरीर धूल और पसीने से गंदा हो रहा है और अविनाश मुझे सीधा वॉशरूम में ले जाता है और शॉवर चालू कर देता है। पानी के नीचे 15 मिनिट खडे रहने के बाद मेरा बचा हुआ नशा भी उतर जाता है। इसके बाद हम लोग टॉवल से अपना शरीर साफ करते हैं और विस्तर पर पहुंच जाते हैं।
दीप्ति : जान हम लोग डांस क्लब में गए थे तुमने मुझे शराब पिलाई उसके बाद तुम मुझे डांस फ्लोर पर ले गए उसके बाद कुछ हुआ क्या
अविनाश : क्यो तुम ऐसा क्यो पूछ रही हो जबकि अब अविनाश की हालत खराब हो रही थी।
दीप्ति : वैसे ही क्योंकि मेरे एक गाल में बहुत दर्द हो रहा है;
अविनाश : कुछ नहीं इस मामले में हम सुबह बात करेंगे;
दीप्ति : ठीक है लेकिन मुझे भूख लग रही है;
अविनाश : हां भूख तो मुझे भी लग रही है। थोडा खाना रखा है चलो उसे ही खा लेते हैं और उसके बाद होटल से जो खाना लाया था उसे हम दोनों लोग मिलकर खा लेते हैं। इसके बाद हम सो जाते हैं। दीप्ति मेरी बाहों में ही सो रही थी।
दीप्ति : जान लगता है मुझे तुम्हारी बाहों में सोने की आदत हो गई है।
अविनाश : कोर्इ् बात नहीं और अविनाश मेरेगालों में किस करता हैं और हम लोग वैसे ही सो जाते हैं। सुबह करीब 8 बजे फोन की घंटी बजती है मैं उठती हूं और फोन देखती हूं तो वो तृप्ति का फोन था।
दीप्ति : हां तृप्ति कैसी है केसे फोन किया
तृप्ति : अरे ये बात मुझे पूछनी चाहिए दीप्ति तू तो हम लोगों को भूल ही गई। अविनाश क्या मिला हम लोग पराए हो गए।
दीप्ति : अरे कैसी बातेें करती हो।
तृप्ति : अच्छा तो चार दिन से कोई फोन नहीं किसी की चिंता नहीं है। वैसे आपके पति और होने वाले दामाद क्या कर रहे हैं।
दीप्ति : अरे सो रहे हैं अभी रात को दो बजे सोए थे।
तृप्ति : अच्छा तो रात दो बजे तक मेहनत हो रही है।
दीप्ति : तू भी ना मार खाएंगी।
तृप्ति : अरे वो अविनाश से बात करनी थी उठे तो बोल देना कि मेरा फोन था।
दीप्ति : रूक वो उठ गए हैं और में अविनाश को फोन पकडाकर कहती हूं कि मैं चाय बनाकर लाती हूं तब तक आप तृप्ति से बात कीजिए;
तृप्ति : हैलो अविनाश कैसा चल रहा है दीप्ति परेशान तो नहीं करती, सपोर्ट कर रही है या नहीं वैसे जिस तरह से हमने देखा था लगता नहीं है तुम्हारे खिलाफ उसके मन में कुछ भी है। और आज जिस तरह से बात कर रही थी साफ लग रहा था वो वहां बहुत खुश है।
अविनाश : हां तुने जो काम किया है उसके बाद तो मैं तेरा गुलाम हो गया। मेरा सपना था एक बार दीप्ति को चोदने का लेकिन तूने ऐसी व्यवस्था करा दी कि अब दीप्ति मुझे छोड किसी को हाथ नहीं लगाने देगी।
तृप्ति : अरे जनाब आप मेरे गुलाम नहीं हैं मैं आपकी गुलाम हूं। आपको मेरा काम करना है मुझे अपने बच्चे की मां बनाना है;
अविनाश : चिंता मत कर पहले दीप्ति का नम्बर लगेगा उसके बाद तेरा, और ये बता जो काम मैंने तुझे दिया था उसका क्या हुआ।
तृप्ति : जान तुम मुझे कोई काम दो और वो पूरा ना हो। तुम जो जो चाहते हो वो वो होगा। कहो तो बात करा दूं। तुम जैसे चाहों वैसे यूज कर सकते हैं और हां तुम यदि दीप्ति को एक महीने और वहां रखना चाहो तो वो भी हो जाएगा। और ये बताओं रोहित से क्या क्या करवाना है;
अविनाश : नहीं किसी से बात करने की जरूरत नहीं है तेरे उपर पूरा भरोसा है। और रोहित वाला मैटर क्या है उससे क्या करवाना है
तृप्ति : अरे जान तुमने ही तो कहा था रोहित कोकल्ड बनाना है। वैसे वो तो पहले से ही तैयार है। तुम जैसा चाहोंगे मैं रोहित से वो वो करवा लूंगी।
अविनाश : कुछ सोचते हैं ठीक है वहां आकर देखूंगा।
तृप्ति : तो कब तक आ रहे हो
अविनाश : तीन चार दिन में आता हूं तभी दीप्ति चाय भी ले आती है और अविनाश फोन काट देता है;
दीप्ति : लीजिए चाय पीजिए
अविनाश दीप्ति का चेहरा देखता है जो एक तरफ हल्का सा सूझा हुआ था। अविनाश दीप्ति को अपनी गोद में बैठाता है और उसके गाल को चूसते हुए कहता सॉरी जान;
दीप्ति : किस बात के लिए
अविनाश : तुम्हारा जो गाल सूजा है उसके लिए
दीप्ति : अरे वो तो कल नशे में गिर गिरा पडी होउंगी तुम उसके लिए माफी क्यो मांग रहे हो।
अविनाश : तुम कहीं गिरी नहीं थी। बल्कि कल रात गुस्से में मैंने तेरे उपर हाथ उठा दिया था।
दीप्ति: क्या आपने मारा था मुंझे लेकिन क्यों
अविनाश : कल रात को तू किसी और की बाहों में डांस कर रही थी यदि मैं तुझे नहीं रोकता तो तू उस आदमी से चुद भी जाती।
दीप्ति : क्या आप सच बोल रहे हैं ये हो ही नहीं सकता।
अविनाश : तुझे क्या लगता है मैं तुझसे झूठ बोल सकता हूं। ये सच है।
दीप्ति : यदि ऐसी बात थी तो फिर आपने मुझे जिंदा क्यो छोड दिया मार क्यो नहीं दिया। और मैं अविनाश से लिपट कर रोने लगी। जान मैं नशे में थी इसलिए वो हो गया होगा यदि होश में होती तो ऐसा कभी नहीं करती।
अविनाश : मुझे मालूम है जान ऐसा ही हुआ था। इसलिए तुम वो सब भूल जाओ वैसे भी तुम्हें कुछ याद भी नहीं हैं। लेकिन दीप्ति की रूलाई रूक नहीं नहीं थी।
दीप्ति : जान तुम जो चाहे मुझे सजा दे दो मुझे हर सजा मंजूर होगी।
अविनाश : यार तेरी कोई गलती ही नहीं थी तो सजा किस बात की, मुझे तो अपने उपर ही गुस्सा आ रहा है जो अपनी इतनी प्यारी बीबी पर हाथ उठा दिया था। और फिर हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लिए रहते हैं। मैं समझ जाती हूं कि अविनाश को बुंरा लग रहा है इसलिए मैं अपने आंसू पोछते हुए कहती हूं चलो पहले नाश्ता कर लो फिर मुझे दूसरा नाश्ता भी करता है और अविनाश के लंड को पकड लेती हूं।
अविनाश मुझे मुस्कुराकर देखता है और एक बार फिर मुझे बाहों में भर लेता है थोडी देर बाद मैं अविनाश की बाहों से निकलती हूं और नाश्ता विस्तर पर लगा देती हूं;
अविनाश : जान बहुत दर्द हो रहा होगा ना
दीप्ति : नहीं अब बिल्कुल नहीं हो रहा, जबकि मुझे ही पता था कितना दर्द है।