Update 81
काल से शादी होने के बाद केतकी और शिवानी खुशी में चमक रही थी ,केतकी रिश्ते में शिवानी की मौसी थी पर दोनो की उम्र में अंतर समझ ही नही आता ,दोनो सगी बहन ज्यादा लगती थी ,केतकी बड़ी होंने के बावजूद शिवानी ज्यादा भरी हुवीं थी जहाँ केतकी का साइज 36 28 38 था वही शिवानी 38 28 40 की थी ,दोनो एकदम लाल गोरी सी सुंदर चेहरा ,बड़ी बड़ी आंखे ,लाल सुर्ख ओठ जिसमे लाली लगाने की भी जरूरी नही पड़ती ,शरीर का हर अंग उठवदार था ,दोनो की गांड़ गजब की गोलाई वाली थी ,जब वो चलती तो उनके गांड़ की थिरकन से काल का दिल मचल उठता था ,दो महीने से कालने अपने लंड पर जरा भी ध्यान नही दिया था ,जो दिन के 24 घन्टो में 20 घण्टे सिर्फ चुदाई करता था,वो दो महीनों से भूका था ,आज उसकी दो महीनों की भूक मिटने वाली थी ,पर उसकी भूक मिटाने के चक्कर मे दो पाताल कन्याओं पर कहर गिरने वाला था ,काल के शरीर से भले ही उसके पांच अंश अलग हो गए थे पर उसकी ताकत पहले जितने ही थी यही तो कमाल था अश्व देवता के आत्म भंजन सिद्धि का ,उसके हर अंश में उतनी ही ताकद थी जितनी उनकी पूर्ण रूप में होती थी, साथ ही काल के हर अंश में पाँचो अंशो से मिलकर बनी ताकद भी मौजूद थी ,सिर्फ काल मे ही उन पाँच अंशो से ज्यादा ताकद थी ,
केतकी और शिवानी दोनो को अलग कमरों में सुहाग की सेज पर बिठाकर काली नागीने चली गई , काल सबसे पहले केतकी के कमरे में चला गया ,जहा शादी के लाल जोड़े में बैठी ,काल का इंतजार कर रही थी,काल जब कमरे में आया तो केतकी की धड़कनें बढ़ गई थी ,उसे जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था वो आज आ गया था ,केतकी के बलिलोक में कोई पुरुष नही था ,यहाँ हजारो सालो से सिर्फ औरतो का ही राज था ,शिवानी के पिता भी उसके जन्म के पहले ही मर चुके थे ,शिवानी की माँ सुरभि भी इसी गम में काली शक्तिया के पीछे पड़ गई और कालनेत्री के हाथों अपनी जान गवा बैठी ,महानाग से मिलना उसकी शक्ति धारण करने वाले के साथ कालीनागिनो और बलिलोक के हर औरत का रिश्ता बनना पहले से निर्धारित था ,आज केतकी और शिवानी के शादी से वह सब सच हो गया था ,केतकी एक परम शिवभक्त थी जिसके पास कालनेत्री जैसेही शक्तिया थी ,पर उसके पास भगवान शिव की एक अमानत थी जो उसके पति के लिये रखी गई थी ,यह बात केतकी के सिवा सिर्फ भगवान शिव ही जानते थे ,केतकी काल को उसकी अमानत सौपने के लिये आतुर थी जो हजारो साल से उसने अपने पास सुरक्षित रखी हुवीं थी
काल केतकी के पास आकर बड़े प्यार से उसके चेहरे को देख रहा था ,केतकी उसके घर मे रहने के लिये एक पल में आ गई थी जब उसे काल के रूप में रखना था ,बिना कोई शर्त के ,उसकी हर बात को वो मान जाती ,ना कभी कोई शिकायत करती ,ना कोई बात की जिद ,एक औरत होकर मर्द बनकर रही फिर भी उसकी मुस्कान वैसी ही बरकरार रही ,आज वो उसकी पत्नी बनकर उसके सामने थी ,काल ने उसके पास बैठकर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में पकड़कर उसे माथे पर चुम्बन किया ,मेरी पत्नी बनकर मेरी जिंदगी में आने के लिये शुक्रिया ,मेरी कितने दिनों की मुश्किल का हल मुझे तुम्हारे यहाँ पर ही मिल गया ,में यहा नही आता तो ना अपने बच्चों को मिल पाता ,ना उनके बारे में कभी जान पाता ,तुमने मुझे बहुत ही नायाब खुशी दी है जिसका कोई मोल नही ,में तुम्हारा जिंदगीभर ऋणी रहूँगा ,
केतकी ,आप मेरे पति है ,भले ही आज आपने मुझसे शादी की हो पर जब मेने आपको पहली बार देखा था ,तबसे ही मेने आपको अपना पतीं मान लिया था ,मेने तो बस अपना पत्नी धर्म निभाया है ,आप मेरे नही बल्कि में आपकी ऋणी हु जो आपकी पत्नी बनने का सौभाग्य मुझे मिला ,
काल ने केतकी की बात सुनकर मुस्कुराया और केतकी के होठो को प्यार से चुसने लगा ,केतकी भी उसका साथ बखूबी देती उसके नरम होठो से काल को उसके होठो का शहद पिलाने लगी ,काल ने उसके लाल ब्लाउज में छिपी कठोर चुचियो को पकड़ लिया ,उन चुचियो को नरम करता केतकी को चुंबन करता उसे बेड पर पीठ के बल लिटा दिया और उसे अपने साथ समयमनी मे ले आया ,
कालने उसके बदन से उसके ब्लाउज को अलग करके उसकी नंगी चुचिया को मसलने लगा ,उसके होठ केतकी ओठो से उसके रस को पीने में लगे थे ,तो उसके हाथ उसकी चुचियो को नरम करने में ,केतकी अपने बदन पर होते इस मर्दाना हमले से कसमसा रही थी ,उसे बहुत ही ज्यादा आनंद मिल रहा था ,काल ने उसके होठो को छोड़कर उसके गोरी गोरी गलाबी चुचियो को अपने दोनो बड़े पंजे से दबा रहा था ,केतकी की 36 की गोल चुचिया काल ने मसलकर पूरी लाल कर दी थीं,उसके निप्पल खड़े होकर सुई की नोक की तरह उभर के सामने दिख रहे थे ,उन किसिमिस के दानों को कालने अपने मुह में लेकर चुसना शुरू कर दिया ,केतकी काल के इस हमले से गर्म होती काल के बालों में उंगलिया घुमाती ,उसे अपने छाती में दबा रही थी ,उसकी चुत से पानी रिसने लगा था ,काल बदल बदल कर कभी एक चूची को पिता तो कभी दूसरी को दोनो चुचिया को चूसकर उसने अपने थूक से गिला कर दिया था ,तभी केतकी के मुह स्व एक हल्की सी चीख निकल गई ,आ ssss माँ ssss केतकी काल के चुचिया चुसने पर ही पहली बार अपनी चुत का पानी निकाल चुकी थी ,काल ने केतकी की चुचियो को छोड़ कर उसके साड़ी को कमर से निकाल दिया ,केतकी ने साड़ी के नीचे एक लाल कलर की पैंटी पहनी हुवीं थी ,केतकी भी धरती पर आकर सब सिख चुकी थी ,काल ने उसकी पैंटी के ऊपर गीले धब्बे को अपने जीभ से चाट लिया ,केतकी जो अपनी आंखें बंद करके, अपने पहले चरम सुख का आनंद लेती ,अपनी आंखें बंद करके लेटी थी ,काल की इस हरकत ने झट से उसने आंखे खोल दी ,काल उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को चाटता उसके नमकीन पानी का स्वाद ले रहा था ,केतकी की आंखे पूरी लाल हो गई थी ,काल ने उसके पैंटी के इलास्टिक को पकड़कर नीचे किया तो ,केतकी ने अपनी गोल गांड को उठाकर उसे अपने आप को नंगा करने में मदत की ,जब काल उसके चुत के ऊपर झुक कर उसकी चुत को चाटने लगा तो केतकी एकदम से उठ गई और काल के हाथ को पकड़ लिया ,केतकी अपनी नजरे नीचे करती ,शर्मा कर बोली ,में भी आप जैसा करना चाहती हु ,काल को पहले उसकी बात समझ नही आयीं, पर जब काल ने उसके मन की बात सुनी तो वो हैरान हो गया ,नेत्रा ,हिमांनी ,और केतकी धरती पर अपने कमरे एक बार ब्लू फ़िल्म देख चुकी थी ,उसे सेक्स का पूरा ज्ञान उससे मिल गया था ,हिमांनी और केतकी को एक बार नेत्रा ने ही ब्लू फिल्म धरती पर सेक्स किस तरह से किया जाता है इस बात को सीखने के लिये ही वो फ़िल्म दिखाई थी ,केतकी भी काल के लंड को चूसना चाहती थी ,काल ने उसके मन की बात समझ कर अपने पूरे कपड़े निकाल दिए और 69 कि अवस्था में आकर उसने केतकी की नाजुक सी गोरी गलाबी चुत के बिना बालो वाली चुत को देखता ही रह गया ,काल ने उसकी चुत की कोमल पंखुड़ियों को प्यार से चूम लिया ,केतकी तो काल के लन्ड को ही देख रही थी,एकदम रक्त की तरह लाल सुपड़ा जो एक लाल टमाटर जितना बड़ा,लन्ड के ऊपर बनी हुवीं मोटी सी नसे ,किसी सन्त्रो की तरह बड़े बड़े आंड, एकदम गोरा लंड ,जो असमान्य रूप का था ,जिसकी लम्बाई 16 इंच की और मोटाई 10 इंच की थी ,किसी गरम लोहे की पाइप की तरह एकदम कड़क था ,केतकी के दोनो हाथो में नही आ रहा था ,उसे मुह में लेना तो दूर की बात है उसकी चुत में यह लंड कैसे जाएगा यही केतकी सोच रही थी, काल के लंड से आती तेज गन्ध से केतकी को नशा होंने लगा था ,उसके चुत में काल ने जैसे ही एक चुम्बन किया ,केतकी के पुर बदन को एक तेज बिजली का झटका लगा ,काल की जीभ जब उसके चुत को चाटने लगी तो केतकी को ऐसे बहुत से झटके लगने लगे पर इसमें बहुत ज्यादा मजा था ,उसने काल के लंड को अपने जीभ से चाटना कब शुरू किया ,इसका पता खुद उसे नही लगा ,उसे काल के लंड का स्वाद बहुत पसंद आ गया और उसके लंड को अपने मुह में लेने की कोशश करती उसको तेजी से चुसने लगी ,अपना पूरा मुह फैलाकर भी बस उसके टोपे को ही अपने मुह में ले पायी ,नीचे उसकी चुत में काल अब अपने हाथ की एक मोटी ऊँगली डालकर उसे कुरेदने लगा था ,इस छेड़खानी से उसकी चुत ने फिर एक बार अपना पानी छोड़ दिया था ,जो काल ने पूरा पी लिया था ,केतकी काल के लन्ड को मुह में पकड़कर अपने झड़ंने का आनंद लेती रही ,काल ने उसकी चुत को अच्छे से चाटकर साफ किया ,केतकी के मुह से लंड निकालकर काल उसे पीठ के बल सुलाकर उसके नाजुक से पैरों को अपने हाथों में लेकर लेकर अच्छे से फैला दिया ,अपने हाथ में उसने तेल लेकर पहले केतकी के चुत को अच्छे से चिकनी करने लगा ,उसके चुत के छेद में भी अपनी उंगली घुमाकर अंदर तक उसके चुत को चिकना कर दिया ,थोड़ी देर अपने लन्ड को भी तेल से मालिश करके उसे तेल से पूरा भिगो दिया ,काल ने अपने लंड के दहकते सुपाडे को केतकी की छोटी सी चुत के छेद पर लगाकर ,केतकी के ऊपर लेट गया ,उनने केतकी के कानों में कहा ,थोडी देर दर्द को सह लेना
केतकी ने अपनी आंखे काल के आंखों से मिलाकर हसकर कहा ,आपके लिये में किसी भी दर्द को सह सकती हूं,आप मेरे दर्द की परवाह मत कीजिये ,आज में पूर्ण रूप से आपकी होना चाहती हु ,काल ने केतकी के होठों को अपने होठो से लगा लिये, अपने दोनो हाथ उसकी 38 की गोल नरम गांड के नीचे लेकर उनको अपने बड़े से पंजो में लेकर कस के पकड़ लिया,थोड़ी देर उसके होठो को चुसता उसकी नरम गांण्ड को मसलता उसे गर्म करता रहा फिर थोड़ी ही देर में अपने लन्ड से एक जबरदस्त धक्का लगा दिया ,काल का लंड उसकी चुत को भेदकर 1/3 अंदर घुस गया ,केतकी के मुह से एक दबी सी चीख निकल गई ,उसके आंखो से जल धारा बहने लगी ,काल ने उसके होठो को चुसने का काम जारी रखते एक और जोरदार प्रहार के साथ अपना लंड 12 इंच तक अंदर घुसा दिया ,इस बार केतकी के मुह से जोरदार चीख निकल गई ,काल कुछ देर रुक गया ,उसने केतकी का दर्द कम होने तक उसकीं चुचिया दबाता रहा ,उसके होठो को धीरे से चूमता रहा ,केतकी की चुत पूरी तरह से फट चुकी थी ,उसकी चुत से निरंतर खून टपक रहा था ,उसके दर्द को समझकर काल अपने लंड को उसकी चुत में वैसाही फसाकर रखते हुवे ,उसे गर्म करता रहा ,उसके चुत ने काल के लंड को बुरी तरह जकड़ के रखा था ,काल उसके चुत में गीलापन आने तक रुका रहा ,जब उसकी चुत भी थोड़ी देर काल के उसके गर्म करते रहने से ,काल अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करता उसे अपना लंड पूरा अंदर तक ना घुसाकर चोदता रहा ,केतकी भी गर्म होकर काल के होठो को चूसती अपनी गांड़ नीचे हिलाने लगी ,थोडी देर काल से चुदने के बाद , उसने काल को तेजीसे पकड़ कर अपनी चुत से एक बार और झड गयी ,उसके झड़ंने तक काल कुछ देर रुका रहा ,उसने केतकी को झड़ने का पूरा आनंद लेने के बाद ,उसकी चुत को पुनः चोदने लगा ,इस बार काल का लंड उसकी चुत में आराम से जाने लगा ,केतकी भी फिर से गरम होकर मजे से चुदने लगीं,इस बार काल थोडी तेजीसे उसे चोद रहा था ,पर उसने अपना पूरा लंड अंदर नही घुसाया था ,उसका लंड 4 इंच चुत के बाहर हीं रखकर केतकी को अपना लंड12 इंच अंदर घुसाकर ही चोद रहा था ,केतकी मजे चुदते हुवे यही सोच रहीं थीं उसकी चुत में इतना बड़ा लंड कैसे घुस गया ,चुदते हुवे हीं उसने अपने एक अपनी चुत पर रकेख कर देखने लगी ,उसे पता चल गया काल ने अपना लंड पूरा अंदर नहीं घुसाया है ,उसका लंड थोड़ा बाहर ही रह रहा है चुदते हुवे ,उसने काल लंड को पकड़ लिया ,और काल से कहा ,आप मुझे पूर्ण रूप से अपना लीजिये ,में आपको अपने अंदर पूरा समाना चाहती हु ,क्या आप मेरी इस बात को नही मानेंगे ,काल ने उसकी आँखों मे देखकर अपनी आंखें झपकाकर हा कहा ,और एक जोरदार झटके के साथ अपना पूरा लन्ड उसकी चुत में उतार दिया ,केतकी ने अपनी चीख और दर्द को दबाने के लिये अपने होठो को जोरसे काट लिया ,उसके होठो से खून और आंखों से आसु निकलने लगे थे ,काल ने उसे कहा ,लो समा गया में तुम्हारे अंदर पूरी तरह ,ले लिया दर्द ,केतकी इतने दर्द में भी हसकर बोली ,में इस शरीर मे नही आपको अपनी आत्मा में समाना चाहती हु ,इसके लिये ऐसे हजारो दर्द में हसते हुवे कबूल कर लुंगी ,काल ने उसके आसु को अपने होठो से पीकर साफ किया ,और केतकी से बोला ,तुम बहुत ज्यादा जिद्दी हो ,पर तुम्हारी हर जिद ,हर ख्वाइश में पूरी करने की कोशिश करूंगा ,
केतकी ने काल के बालों में हाथ डालकर उसके होठो को चूमने लगी ,उसकी मुह में अपनी जीभ घुसाकर उसे बड़ी शिद्दत से चुसने लगी ,काल भी उसका साथ देता कुछ देर बिना लंड को हिलायें उसे चूमने लगा ,उसकी चुचियो को सहलाने लगा ,केतकी जब खुद अपनी गांड़ हिलाकर ऊपर नीचे होने लगी तो काल ने भी अपनी कमर को थोड़ा तेजीसे हिलाने लगा ,धीरे धीरे दोनो की गति बढ़ने लगी ,काल अपनी कमर की तेजीसे हिलाता केतकी को अब अपने पुरे जोश से चोदने लगा ,केतकी अब मजे लेकर काल के लंड से चुदने का भरपूर आनंद लेने लगी ,काल की लंड की गर्मी उसकी चुत अपना पानी थोड़े समय बाद बहाकर कम करने का प्रयास करती पर काल उसके चुत के झड़ने के बाद और दुगनी तेजीसे उसे चोदने लगता ,एक ही आसन में चुदने से केतकी की पीठ दर्द करने लगी तो काल ने उसे घोडी बनाकर चोदना शुरू कर दिया ,उसकी 38 की गांड को दबाकर उसके गांड़ के लाल छेद को छेड़कर काल केतकी को चुदाई के नए नए मजे देकर झडा देता ,जब काल के लंड ने अपना लावा उगलना चाहा तो काल ने अपने लंड को केतकी चुत में एकदम अंदर तक दबाकर उसके गर्भाशय में अपने गाढे और गर्म सफेद रस को भरने लगा ,काल के इस वीर्य को अपने चुत में महसूस करती केतकी रंगबिरंगी दुनिया की सैर करने लगी ,काल ने अपने वीर्य की आखरी बून्द तक उसके चुत में भरता रहा ,अपने वीर्य को केतकी के चुत में भरने के बाद ,उसके बाजू में लेट गया ,केतकी घोडी बनी कुछ देर वैसी ही रही और काल के वीर्य को अपने चुत में पूरी तरह हजम करने के बाद बिस्तर पर लेट गई ,केतकी पूरी पसीने सी भीग गई थी,उसके बाल बिखर गए थे ,पूरा चेहरा लाल हो गया था ,पर उसमे एक खुशी की चमक थी ,काल ने केतकी को अपने पास लेकर उसके बाल ठीक किये ,उसका पसीना पोछकर उसे पानी पिलाया ,और उसको समय मनी से बाहर ले आया ,काल जब उसे बिस्तर पर ठीक तरह से लिटाकर उसके कमरे से जाने लगा तो ,केतकी ने अपनी आंखें खोलकर कहा ,सुनिये पहले आप मेरी बात सुन लीजिये फिर कमरे से बाहर चले जाइये ,
काल ने कहा ,बोलो केतकी तुम क्या कहना चाहती हो
केतकी ,पहले आप स्नान कर लीजिये ,में भी नहाकर आती हु ,उसके बाद हमे शिव मंदिर जाना है ,वही हम बात करेंगे ,
काल ,ठीक है जैसा तुम चाहो ,
उसके बाद काल ने केतकी को सहारा देकर स्नानगृह में छोड़ा, खुद भी उसके साथ उसी में जाकर उसके साथ नहाकर दूसरे कपड़े पहनकर दोनो शिव मंदिर चले गए ,केतकी ने शिवमन्दिर जाकर काल के साथ शिव की पूजा की उसके बाद उसने अपनी आंखें बंद करके अपने मन मे कुछ गुप्त मंत्र पढ़े ,उसके मंत्र पढ़ने के बाद उसके हाथ मे एक नीला मनी आ गया जो आकर में एक बड़े हीरे जितना था ,उस मनी को काल के हाथ मे देकर ,केतकी ने कहा ,यह आपकी अमानत जो मेरे पास हजारो साल से भगवान शिव ने आपके लिये रखी थी ,आप इस मनी को अपने दिल के पास रखे वो आपके अंदर समा जाएगी ,
केतकी की बात सुनकर काल को हैरानी नही हुवीं ,उसे इसी तरह पहले एक तोहफा भगवान शिव से मिल गया था ,उसने बिना कुछ कहे उस मनी को अपने दिल के पास रखा तो वो अपने आप उसके शरीर मे दाखिल हो गया ,उस मनी के काल के दिल मे दाखिल होते ही काल का पूरा बदन नीले रोशनी से भर गया और कुछ देर बाद सामान्य हो गया ,
केतकी ने कहा ,यह कोई साधारण मनी नही है ,यह एक दिव्य शक्ति का मनी है ,इसकी वजह से आप का बल और ताकद पहले से हजारो गुना बढ़ जाएगी ,आप जब चाहे आपके पूरे शरीर पर एक नीला कवच आ जायेगा ,जो एक शिवकवच है ,आपके बदन पर शिवकवच आने पर आपका चेहरा तक इसमें आ जायेगा ,कोई भी आपकी शक्कल नही देख पायेगा ना कभी आपके बारे में पता कर पायेगा, इस कवच को त्रिशक्ति के शक्ति के अलावा कोई भी कभी भेद नही पायेगा ,इसके साथ ही आपके पास एक शिव धनुष भी आ जायेगा ,जिसके ऊपर बाण लगाने की भी आवश्यकता नही है ,आप बस इसकी प्रत्यंचा खिंचकर जिसे मारना होगा उसके बारे सोचकर इसे छोड़ दीजिए ,इसमें प्रत्यंचा खिंचते ही अपने आप बाण आ जायेगा और जिसको आपने सोचा होगा उसे लग जायेगा ,भले वो आपके सामने हों या लाखो मिल दूर ,उसे यह बाण जाकर लग जायेगा ,इसके बाण में अमोघ शक्ति है जिसको भी यह बाण लगेगा पल में वो भस्म हो जाएगा ,भले ही उसके बदन पर कितना भी शक्तिशाली कवच हो, कोई कवच या ताकद इस बाण को रोक नही सकती ,आप किसी देवता को भी इस बाण से मार सकते हो ,सिर्फ त्रिशक्ति ही बाण को रोक सकते है ,आप किसी निर्दोष और मासूम को इस बाण से कभी मार नही सकते ,ऐसा करने पर यह धनुष आपके पास से चला जायेगा ,इस धनुष के साथ आपके पास एक तलवार भी आ जायेगी ,जिसकी ताकद भी इस बाण की तरह अमोघ होगी ,आप तलवार के एक वार से किसी पहाड़ को भी चिर सकते है ,आप के पास जैसा कवच और धनुष और तलवार है ,वैसाही सब आपके जो अंश आप अपनी आत्मा से बनाएंगे उनके पास होगा ,आप चाहे तो उनके पास ऐसी ही ताकद रखने वाले गदा ,भाला ,खड्ग ,दंड, या आप चाहे वैसा दूसरा हत्यार दे सकते है ,आप जब इस नील मनी को त्याग देंगे यह अपने आप मेरे पास आ जायेगी ,आपके सिवा कोई भी इस मनी को धारण नही कर सकता ,ना आप यह किसी दूसरे को दे सकते है ,
काल को अपने बदन में असीम बल महसूस हों रहा था ,केतकी ने जिस कहा उसने करके देखा तो उसके सोचने पर ही उसके पूरे बदन पर एक निलकवच बन गया ,उसने धनुष के बारे में सोचते ही उसके हाथ मे धनुष भी आ गया ,कालने उसकी प्रत्यंचा खिंच कर देखी तो उसमे अपने आप एक बाण आ गया पर काल ने बाण चलाया नही ,उसने धनुष को अदृष्य करने का सोचा तो वह पल में अदृष्य हो गया ,काल ने तलवार के बारे में सोचते ही उसके हाथों में एक तलवार आ गई ,वो तलवार में कोई बिजली हो इस तरह वो चमक रही थी ,कालने उसे भी अदृश्य कर दिया और अपने सामान्य रूप में आ गया ,कालने कुछ सोचकर अपने सभी अंशो को याद किया जिसमें काल 2 भी था ,सभी अंश उसमे समा गए और कुछ देर बाद सब बाहर आ गए ,काल 2 अदृष्य ही रूप में आया और उसी तरह वापिस लौट गया ,उसके बाकी अंश के शरीर पर भी काल की तरह नील कवच आ गए थे ,सबने काल की तरह ही धनुष रख लिया पर तलवार की जगह सबने अलग हथियार चुने महानाग ने गदा ली ,कालसुर ने खड्ग लिया ,कालअश्व ने भाला लिया ,कालभेड़िया ने दंड लिया ,तो कालसूवर्ण ने पाश चुन लिया ,सब कुछ देर वहां रुककर वापिस चले गए ,
केतकी ने काल से कहा ,और कुछ जरूरी बातें है ,अगर आपको पाताल की काली आग की ताकद चाहिए तो आपको उसे पाने के लिये पहले पृथ्वीशक्ति ,जलशक्ति ,अग्निशक्ति ,वायुशक्ति ,नभशक्ति ,बिजलिशक्ति को पाना होगा ,तभी आप पाताल की काली आग को काबू कर सकते हो ,यह सारी शक्तिया आपको खुद ढूंढनी होगी ,इस शक्ति की धारक कन्याए हजारो साल से जन्म ले रही है ,पर उनको पहचान कर आजतक कोई भी उन्हें हासिल नही कर पाया है ,आपको अपनी बुद्धि और सूझबूझ से उन्हें ढूढ़कर पाना होगा ,मुझे पता है तुम्हे शक्तियो का मोह नही है ,पर यह सब तुम्हे अपने लिये नही शिवानी के लिये करना होगा ,अगर आप शिवानी से इन शक्तियों के हासिल किये बिना संभोग करोगे तो ,आप को पाताल के काली आग की शक्ति मिल जायगी पर शिवानी की कुछ दिनों बाद मौत हों जाएगी ,आप शायद इस आग पर काबू पा सको यह कहा नही जा सकता ,और इतनी सब बातें किसी और को पता नही है मेरे सिवा और शिवानी के ,शिवानी रोज रात को इस पाताल की काली आग की पीड़ा को सहन करती है ,उसके पूरे शरीर को वह अंदर से जलाती रहती है पर शिवानी कभी किसिको उसकी पीड़ा नही बताती है , उसने तो आपसे शादी सिर्फ आपके प्यार पाने और साथ मे रहने के लिये की है ,ना कभी आपसे वो संभोग करेगी ना आपको करने देगी ,वो खुद मरना पसन्द करेगी पर आप पर कोई भी आंच नही आने देगी ,आज उसकी सुहाग रात है ,पर वह उसके कमरे में नही होगी ,वह नदी के तट पर अकेली बैठी होगी अपने दर्द को अकेली बर्दाश्त करती ,मैंने और शिवानी ने शादी से पहले यह बात नही बतायी इस बात की में आपसे माफी मांगती हु ,अगर में यह बात आप को बता देती , तो शायद आप सिर्फ मुझसे शादी करते ,शिवानी से नहीं करते ,और में शिवानी का दिल नही तोड़ना चाहती थी ,आपसे शादी मेने इसी लिये की ताकि में आपको नीलमनी दे सकू जो सिर्फ मेरे पति को ही मिल सकता था ,मेरे साथ सुहागरात मनाने के बाद ही वो नीलमणि मेरे शरीर से निकल सकता था ,आप जिस काम के लिये जान की बाजी लगा रहे है ,जिस तरह से आप लोगों का भला करने के लिये खुद की भी पर्वा नही करते ,आप के सिवा इस नीलमणि का असली हकदार कोई नही हो सकता ,आपने आज मुझे त्याग भी दिया तो मुझे कोई गम नही होगा ,मेने अपना काम पूरा कर दिया है ,आपने जो सुख आज मुझे दिया है ,उसके सहारे पुरा जीवन आपकी सुहागन बनकर खुशी से गुजार सकती हूं , मैने भावना में बहकर जो आपसे 6 तत्वों की शक्तिया पाने के लिये कहा में उसकी क्षमा मांगती हु ,आप पर अनजाने में अपना हक समझकर मेने वह बात जोश में कह दी थी ,आप मेरी सभी गलतियों के लिये माफ कर दीजिए ,
केतकी इतना कहकर काल के पैरों में गिरकर फुट फुट के रोने लगी ,काल ने एक पल में उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया ,काल की आंखों में भी आंसू थे ,पत्नी कितनी महान और आदर्श हो सकती है ,आज उसे दूसरी बार देखने को मिल गया था ,पहली मंदा और दूसरी केतकी ,काल खुद को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समंझने लगा था जो उसे इतना प्यार करने वाली पत्नियां मिली थी ,कालने केतकी को बडी मुश्किल से अपनी कसम देकर शांत किया और कह,केतकी तुम मेरी पत्नी हो तुम्हारा मुझ पर पुरा हक है ,और हमेशा रहेगा ,तुमने मुझसे कुछ भी बात नही छुपाई है ,में किसी के भी मन को पढ़ सकता हु ,मुझे शिवानी के बारे में सब पता है ,तुम बलिलोक आने से पहले ही मुझे सब बताना चाहती थी ,यहा भी तुम रोज मुझे बताने की कोशिश करती ,तुम दोनो को शादी के लिये मेने पूछा था उसी वक्त तुम दोनो मुझे सब बताने वाली थी ,पर मैंने अपनी माया के जादू से तुम दोनो का मन बदल दिया था ,तुम कभी दोषी नही थी ,तुम मुझसे इतना प्यार करती हो की तुमने मेरे माया के जादू को आज तोड़ डाला और मुझे सब बता दिया ,मेने ऐसा माया का जादू किया था कि तुम दोनो कभी यह बात मुझे नही बताओगी तुमने ही नही शिवानी ने भी उस माया के जादू को तोड़ दिया है ,मेने शिवानी से शादी उसकी तकलीफ दूर करने के लिए ही कि है ,तुम बिलकुल चिंता मत करो में बहुत जल्दी शिवानी को उसके दर्द से हमेशा के मुक्त कर दूंगा ,मेरी पत्नी का दर्द मेरा भी दर्द है ,उसकी तकलीफ़ ज्यादा दिन नही रहेगी यह मेरा वादा है ,चलो अब तुम मुझे मेरी गलती के लिये माफ कर दो जो मेने तुम दोनो के मन को अपनी माया के जादू से बदला था ,
केतकी ,आप ने कोई गलती नहीं कि हे आप को माफी मांगने की कोई जरूरत नही है ,आप ने जो कुछ किया हमारे भले के लिये ही किया है ,आप जैसा पतीं मिलना मेरा सौभाग्य है ,
काल ने केतकी से पूछा 6 तत्वों की कन्या को में कैसे पहचान सकता हु ,तब केतकी ने बताया की अब आपके पास नीलमणि है ,सभी तत्व को भगवान शिव ने ही बनाया है ,जब भी कोई ऐसी कन्या आप को मिल जायेगी तब आपके दिल मे बसा नीलमणि उसे पहचान लेगा और आपको पता चल जायेगा ,पर इसके लिये उस कन्या का आपके दिल पर स्पर्श होना चाहिए तभी आपको उसकी पहचान हो सकती है ,उसके बाद दोनो शिवानी के पास पहुच गये वो भी रो कर काल से माफी मांगने लगी ,तब काल ने उसे सब बताकर चुप करवाया ,और उसे बाहो में लेकर प्यार भरी बातें करता रहा ,बलिलोक बाकी दिन सबके साथ खुशी से मनाए ,वो केतकी को दिन में एक बार समयमनी मे लेकर 24 घण्टे जमकर चोदता पर उसने केतकी की गांड़ नही मारी ,उसे वादा किया जिस दिन शिवानी की गांड़ मारूंगा उसी दिन तुम्हारी भी सील पीछे से खोल दूँगा ,पर काल के साथ एक महीना जमकर चुदने से केतकी जबरदस्त निखर गई थी ,उसकी चुचिया 38 की और गांड़ कालने बिना मारे ही दबादबाकर 40 कि कर दी थी ,बलिलोक में निकलने से पहले उसने सब बच्चों से वादा किया कि वह हमेशा उनसे मिलने आता रहेगा ,महानाग और कालभेड़िया बलिलोक में ही रहने वाले थे सबके साथ ,काल ने केतकी के साथ शिवानी को भी धरती पर अपने साथ ले आया ,उनके साथ कलसूवर्ण भी था जो अब काल बनने वाला था ,काल ने मुंबई के सब घरवालों के दिमाग मे अपनी माया से यह बिठा दिया कि केतकी और शिवानी उनके साथ ही रहते है ,हिमांनी केतकी और शिवानी तीनो बहने है और मुंबई में पढ़ती भी है और उनके साथ ही रहती है ,उनके काम मे मदद भी करती है ,शिवानी को भी धरती के बारे में सब जरूरी ज्ञान अपनी माया से दे दिया ,सब सुबह 6 बजे घर पहुंच कर अपने कमरे में आराम करने चले गए थे ,
शिवा अपने कमरे में बैठ कर कुछ सोच हिं रहा था ,तभी दरवाजे से आरपार होकर काल यानी कलसूवर्ण उसके पास आ गया ,
काल सुवर्ण ,शिवा भाई में आपसे कुछ बात करना चाहता हु
शिवा ,बोलो क्या बोलना है
काल सूवर्ण ,भाई सबसे पहले आप मेरा नाम बदल दो ,धरती के नामो की तरह कोई धांसू नाम दो ,आपकी तरह ही कोई शिव का कोई नाम
शिवा कुछ देर सोचकर ,आजसे तुम्हारा नाम शिवाय होगा ,पसन्द आया की दूसरा नाम दु
शिवाय ,भाई पसन्द भी आया और मैने रख भी दिया ,अब आप पहले सुन लो फिर हा या ना कहना ,में घर मे ज्यादा वक्त तो रहुँगा नही ,यहा पर जब आप बोलो तब आ जाऊंगा ,घर मे सब लडकिया है तो में उन सब मे ज्यादा वक्त रुक नही सकता ,में उन सबमे ऊब जाऊँगा ,में अपने घर मे चोरों की तरह डर के रहने वाले विनोद और सनी के साथ ज्यादा रहुँगा ,रोज 3 घण्टे अश्वलोक और 3 घण्टे बलिलोक में सबको मिलने जाता रहुँगा ,में अपने बच्चों को रोज मिलने जाया करूँगा ,आप का वक्त उन दोनों लोको में आने का अलग होगा और मेरा अलग ,क्या आपको यह मंजूर है
शिवा ,मंजूर है ,
शिवाय ,भाई हम सिर्फ मन्दिर की रक्षा करते हुवे बाहर के खतरे को सोचते है ,लेकिन हम धरती के उन इन्सानी चेहरे के पीछे हैवानों को भूल रहे है ,हम बाहर की गंदगी के साथ ,अंदर के भी गंदगी को मिटाना चाहिए ,समाज के कितने दुश्मन है जो आज बेखौफ होकर अपने काले धंदे करते है ,निर्दोष और मासुंम लोगो को मारते है ,में सब स्मगलर,लुटेरे,खूनी,बलात्कारी, बेइमान लोगो को इस धरती से मिटाना चाहता हु ,उनको उनके कर्मों की सजा ऐसी देना चाहता हु की लोग बुरे काम करने से डरे और सुधर जाए ,में यह सब काम चेहरा छुपाकर करूँगा ,ना किसी के सामने कोई चमत्कारी शक्ति का इस्तेमाल करूँगा ,ना किसी निर्दोश और मासूमो को तकलीफ़ दूँगा ,में इस काम को बड़ी सावधानी से करूँगा ,नरेश दादा ,पृथ्विजी ,शक्ति इन सबको में इस काम मे अपने साथ काल के रूप उनसे बात करने पर मिला लूंगा ,बोलो मंजूर हैं ,
शिवा ,मंजूर है पर तुम यह सब अकेले कर सकते हो ,किसी को अपने साथ मत लो ,और कुछ बाकी है ,
शिवाय ,बस भाई और कुछ नही ,आप जाओ सर्पलोक में तब तक अपनी लिस्ट बना लेता हूं ,भाई पहले में सब गुंडों की धुलाइ करू क्या आज दिन भर
शिवा ,तुम और में अलग नहीं है शिवाय तुम जो कुछ करोगे सब मेरी मर्जी से ही होगा ,चलो तुम लग जाओ अपने काम पर