Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

Well-known member
1,131
1,460
143

Update1

मुम्बई का एक नामी बिजनेसमैन अपनी बीवी और उसके ** साल के बच्चे के साथ गर्मियों की छुट्टी बिताने के लिए हिमाचल घूमने आया था , मनोज देसाई और उसकी बीवी नीता दोनो बहोत खुश थे , इसकी वजह यह थी कि बेटा होने के बाद और काम की वजह से वो 4 सालो से कहि घूमने गए नही थे , लेकिन आज वो अपने बेटे के साथ अपनी मनपंसद जगह पर आये थे, मनोज एक स्टील के बड़ी कंपनी का मालिक था ,पैसा बहोत था उसके पास लेकिन वो दिल का भी उतना ही अमीर था और उसकी बीबी निता भी उसके जैसी ही थी, देखा जाए तो एक दूजे के लिए दोनों बने थे, उनको छोटे बच्चों से बहोत लगाव था और उसकी वजह थी उनके शादी के 5 साल तक कोई संतान न होना
लेकिन उनको इस बात का कोई गम नही था , उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा था कि उन्हें मा बाप बनने की खुशी जरूर मिलेगी , ना तो मनोज में कोई कमी थी ना नीता में कमी थी तो बस किस्मत की , और ऐसी बातों को भूलकर मनोज और नीता ने मुम्बई में एक अनाथ आश्रम खोल दिया था दोनो अपना खाली वक्त वही बिताते और वहां के छोटे बच्चो में अपना प्यार देते रहते, उन्ही नन्हे भगवान की दुवा कहिए कि नीता को एक बेटा हो गया , पर बेटा होने के बाद भी मनोज और नीता ने अनाथ आश्रम को और ज्यादा प्यार देते थे
मनोज और नीता आज अपने तीन साल के बेटे के साथ जिसका नाम मनोज ने अपने पिता के नाम पर रखा था विजय,( कहानी का हीरो या बदनसीब)
अपने कुलदेवता के पास दर्शन करने आये थे , माता के मंदिर में दर्शन करके ,वहां के गरीबो को अपने बेटे के नाम से बहोत बड़ा भंडारा करवाया ,भोजन के साथ कपड़े भी बाट दिए और मन्दिर के पुजारी के कहने पर वहां के लोगो लिए एक अस्पताल ,स्कूल और अनाथ आश्रम भी खोलने का वचन दिया , वचन देके वो वहां से गये नही बल्कि जबतक वह बन नही जाते तबतक वही रुक कर वह 3 महीने में पूरा कर दिया ,और उसका खर्च के लिए एक बडी रकम बैंक में जमा करके उसके ब्याज पर सारा खर्चा हो इसका इंतजाम भी कर दिया,
औऱ उसका सारा भार मन्दिर के पुजारी के हवाले कर दिया
उस गांव का नाम था भवानि गढ़ और मंदिर के पुजारी थे जगत राम जी जो कि एक बहोत ही बड़े पंडित के साथ भले आदमी थे ,मनोज का एक बहोत बड़ा पुश्तेनी घर भी उसी गांव में था, वह तो बस अपने काम की वजह से ही मुम्बई रहता था नही तो उसको अपने गाँव से बहोत लगाव था , नीता को वह मुंबई में ही मिला था कॉलेज पढ़ते समय और दोनो में प्यार और शादी मुम्बई में ही कर ली,निता भी एक बड़े घर की बेटी थी उसका भी एक बड़ा परिवार था 3 भाई , 2 बहने ,नीता सबसे बड़ी थी ,उसके पिता का कपड़े के कारखानों के मालिक थे, उनका बिजनेस पूरे हिन्दुस्तान में फैला हुवा था ,मनोज के पिताजी भी बहोत बड़े जमींदार थे, और उनका भी स्टिल का कारोबार था, और मनोज के 2 बड़े भाई थे वो सारा काम देखते थे
सबसे बड़े भाई का नाम मुकेश वो दिल्ली में रहता था ,उससे छोटा मिलिंद भी दिल्ली में रहकर अपने बड़े भाई के साथ कम्पनी में काम देखता था, तीनो भाई एक दुसरे से बहोत प्यार करते थे, और मनोज तो सबका बचपन से लाडला था ,उसको मुम्बई पढ़ने उसके कहने पर ही भेजा था क्योंकि मनोज को मुंबई में रहकर देखना था ,और उसके पिताजी भी मुंबई से ही पढे थे तो उसका बचपन से एक ख्वाब था कि अपने पिताजी की तरह वो भी वही से कॉलेज करे
अब आते ही कहानी की तरफ आज भवानीगढ़ में स्कूल अस्पताल और अनाथालय का काम पुरा हुवा था और उसका उद्धाटन के समय मनोज और नीता के दोनों के सब घर के लोग वही आये थे
मुकेश ,मुकेश की बीवी शांति उनकी 3 बच्चे थे
पूनम **साल
मोना ** साल
पायल ** साल
मिलिंद ,और उसकी बीवी सिमा उनके 2 लड़कियां थी
रीमा **साल
नेहा ** साल
निता के पिताजी और माँ
नीता के भाई
रोहित उसकी बीवी मनीषा उसकी एक बेटी थी
रिना ** साल
रितेश और उसकी बीवी हेमा उनकी भी एक बेटी थी
मधु **साल
सबसे छोटा भाई राजन उसकी अभीतक शादी नही की गई थी
छोटी बहन नीलम उसका पति अशोक उनके 2 बच्चे थे
रोमा * *साल
दिया **साल
सबसे छोटी बहन नन्दिनी उसकी पति शुभम ,और एक बेटी जूही **साल की
वहां पर सिर्फ मनोज के पिताजी और माँ नही थी , आज से 10 साल पहले एक कार दुर्घटना में दोनों नही रहे थे
आज बहोत दिनों बाद सब एक साथ थे ,सब बहोत खुश थे और सब लोगो के कहने पर विजय के हाथो से ही रिबन काट कर अस्पताल, स्कूल और अनाथ आश्रम का उद्घाटन किया गया !
शाम को सब लोग आराम करने अपने पुराने घर पर आ गए ,रात के खाने के साथ सब लोग अपनी बातों में लगे रहे ,फिर सब लोग अपने कमरो में सोने चल दिए ,वो घर इतना बड़ा था कि उसके अंदर 30 से ज्यादा कमरे थे, दो मंजिल वो मकान मनोज के दादा ने बनाया था , आज भी वह इतना पुराना होकर भी ,किसी राजमहल जैसा था, और वह हमेशा वैसा ही रह इस लिए उस घर मे काम करने के लिए बीस से ज्यादा नौकर काम करते थे,वो घर के काम के साथ मनोज और उनके भाई लोगो की खेती का काम भी देखते थे,जब तक मनोज के माता पिता जिंदा थे वही सब काम नोकरो से करा लेते थे, लेकिन उनके मरने के बाद सब काम उनका सबसे पुराना नोकर भीमा ही देखता था,उसकी 3 पीढयों से वह मनोज के परिवार के पास काम करतें थे, और आज भी भीमा पूरी ईमानदारी से सब काम करता था,मनोज और उसके भाई कभी भीमा को नोकर नही बल्कि अपना एक भाई ही मानते थे, भीमा उसकी बीवी कांता के साथ वही बने एक घर मे रहता था ,
रात के पहर में सब अपने कमरे में सो रहे थे पर एक कमरे में जोरदार चुदाई चालू थी
एक आदमी औरत के ऊपर चढ़कर उसके 7 इंच के लंड से उसकी चूत में किसी कुते की तरह उसको चोद रहा था और वह औरत भी अपनी टाँगे उठाकर उसको और जोर से चोदने को उकसा रही थी, करीब 5 मिनिट में ही वह अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और वह औरत बस अपनी चुत की की आग ठंडी नही होने से चिढ़ गयी और उसने उस आदमी को एक छाती में लात मार कर पलँग से नीचे गिर दी,
साले हरामी तू मुझे ठीक से ठंडा नही कर पाता है ,5 मिनिट नही टिक पाता तु मेरी चुत के आगे ,
तू क्या नीता को चोदेगा
में अपने पति को नींद की गोली देकर तुज़से अपनी चुत की आग ठंडी करने आयी थी ,लेकिन तू कुछ काम का नही है
चल और जबतक मेरी आग ठण्डी नही होती तब तक मेरी चुत चाट ,वो आदमी बिना कुछ बोले उसकी चुत चाटने लगा ,और वह औरत अपनी चुत में चाटते देख कर खुश हो गई ,जब तक वह उसकी चुत ने अपना पानी नही छोड़ा तबतक वह उसके सर को अपनी टांगो में दबा के रखी और पूरा चुत का पानी उसको चाटकर साफ करने को बोली ,पूरा काम होने के बाद वो बोली सुन भड़वे अगर कल तूने कोई अपने काम मे गलती की में तुझे जिंदा नही छोडूंगी , में तेरा लन्ड काट कर तुझे हिजडा बना दूंगी और जबतक तू जिंदा रहेगा तब तक मेरे भाई के आदमी तेरी गांड मारते रहेंगे
कल किसी भी कीमत पर मनोज ,नीता और वह हरामी का पिला विजय मरने चाहिए, अगर उन तीनों में से कोई भी जिंदा बचा तो तू भी नही बचेगा, चल जा अब अपनी बीवी के पास
वह आदमी सब बात सूनकर वहा से अपने कमरे में चला गया, और वह औरत अपने मन मे बोली मनोज काश तुम मेरी बात मान जाते ,मैंने तो तुम्हे बस कभी कभी मेरी तन की प्यास पूरी करने को कहा था पर तुम ने मुझे ठुकरा कर बहोत बड़ी गलती कर दी ,अब इसकी सजा तुम को मरकर चुकानी होगी
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 2
होली का दिन था और भवानीगढ़ में आज सब तरफ धूम मची थी ,बच्चे बूढे जवान हर कोई होली के रंगों में भीगा हुवा था और एक दूसरे को भी रंगों में भीगा रहा था, मनोज अभी बारवीं में था और वो नया नया जवान हुवा था उसको तो होली में बस सबके साथ खेलते हुए बहोत मजा आ रहा था ,आज उसकी होली सबसे अलग होने वाली थी उसको अगले साल से पढ़ाई करने मुम्बई जाने की इजाजत उसके पिताजी दे चुके थे, तो बस मनोज ये होली में अपने सभी दोस्तों के साथ मजे कर रहा था ,
मनोज के दोस्तों ने आज भांग पीने के मन बना लिया था और भांग पीकर वो देखना चाहते थे कि भांग का नशा कैसा होता है, भांग तो आज बड़े लोग पीते थे पर बच्चों को पीना गाव में मना था और ये मनाई मनोज की पिता एव गाव के मुखिया विजय जी ने की थी, पूरा गांव उनकी बात कभी टालता नही था, और कुछ थे जो बस मजे के लिए चोरी छुपे पीते थे ,लेकिन पीकर गाव में नही आते थे ,गाव के बाहर एक तालाब था वही पीते ,और मजे करते ,आज मनोज भी तालाब पर आया था उसे मालूम था कि यहां भांग पीते है ,वो तो बस सबके साथ आज मिलने और बाते करने आया था
मनोज के दोस्तों ने भांग का एक एक गिलास पी कर देखा तो उन्हें कुछ नशा हुवा नही और भांग का नशा तो धीरे धीरे होता है ये बात उनको कहा पता थी ,तो कुछ ने दो तो कुछ लोगोने दो से ज्यादा पी ली , मनोज को सब ने मनाया की आज तू भी पीकर देख ले ,इसमे कुछ ज्यादा नशा नही है , देख हमने पी हमे देखकर लगता है हमने नशा किया है , सबने उसे मनाकर एक गिलास पिला दिया, मनोज भी पी गया उसे भी लगा ज्यादा नशा होगा नही ,सबके साथ वही तालाब पर रंग खेलते दो घण्टे हो गए अब शाम होने को आई थी ,सब लोग तालाब पर नहा धोकर अपने अपने घर वापिस निकल रहे थे,निकलते समय भी कुछ बची हुवी भांग सबके साथ मनोज ने भी पी ली, और वो अपने घर लौट आ रहे थे, मनोज को घर जाते समय हल्का सा नशा होने लगा था इसीलिए वो जल्दी घर पहोच गया, आज घर पर बहोत से मेहमान आये थे, उसके बडे भाई की शादी होकर 2 साल हुवे थे और शांति भाभी के मायके से भी कुछ लोग आए थे ,
मनोज सधे कदमो से और चुपचाप घर दाखिल होकर सबसे मिलकर ज्यादा बातचीत नही किया और थकावट का बहाना बनाकर अपने कमर में जाने लगा, तभी उसे पीछे से उसकी माँ ने पुकारा
मनु रुक जा, कहा जा रहा है, ये देख तेरी पसन्द बंगाली मिठाई बनाइ है ,वो तो खा ले सुबह से घर पर नही था पता नही कुछ खाया या नही
नही मा दोपहर में मैने सुल्तान चाचा के यहा खाना खाया था आज उन्होंने मुझे ख़ास दावत दी थी, लगे तो आप उनसे पुछ ले
सुल्तान चाचा घर पर पिताजी से बातचीत कर रहे थे ,वो भी तुरंत बोले ,हा भाबीजी मनु को आज मेने ही बुलाया था खाने पे, सुल्तान की बात पर पिताजी हस दिए ,अरे भई उसने उसकी पसंद की मिठाई तो खाई नही ना ,जो हमारे साले साहब लाए है ,उसे वो दो , और रात में जी भरकर के खाना खिला दो
माँ ने भी मनु को एक प्लेट में थोड़ी ज्यादा ही मिठाई दी ,खाने के को उसकी सबसे छोटी सन्तान जो थी वो ,मिठाई तो मनु को बहोत पसन्द थी ,वो पूरी प्लेट डकार गया ,और अपने कपड़े बदलने और नहाने अपने कमरे में आ गया , नहाते समय उस कुछ ज्यादा ही नशा होने लगा था ,अब उसे क्या मालुम भांग पीकर मिठा खाया तो नशा दुगने तेजीसे बढ़ता है ,कैसे तैसे नहा कर वो सिर्फ़ टॉवेल कमर पर लपेटकर अपने बिस्तर पर आया औऱ वही पसर गया
रात को सब लोग खानों को थे ,बस मनोज नही था ,माँ ने सब को यही बोला की थकावट से वह सो रहा है ,उसे थोड़ी देर के बाद उठाके खाना खिला देगी
सबने खाना खाकर बाहर बगीचे में बैठे थे, तब मनोज की माँ
ने अपनी बहू को मनोज को खाना खिलाने भेज दिया
शांति 20 साल की थी, गाँव मे रहने से और अच्छे खान पान से वह एक तन्दुरुस्त बदन की थी और शादी के बाद तो उसकी उरोज और नितम्ब में भराव आ गया था ,शादी से पहले वो 32 28 34 की थी और अब उसकी फीगर 36 30 38 हो गई थी ,वह अभी तक मा नही बनी थी लेकिन अपने पति के लंड से निकलने वाला पानी उसकी चुत और नितम्ब को बहोत अच्छे से बढ़ा रहा था , मुकेश ने अपने 6 इंच लंड से दोनों तरफ चोद चोद कर हरा भरा कर दिया था , शांति बहोत दिखने में पहले से बहोत सुंदर थी और शादी के बाद तो वो कयामत बन गई थी ,उसके मायके वाली सहेलिया उसे हमेशा कहती शांति ,तू बिना बच्चों के पैदा करके भी तू दो दो बच्चों की माँ लगती है, पता नही जब बच्चे पैदा करने पर कहा तक बढेंगी तू, शांति भी हँसी मजाक में सब बातों को लेती रहतीं, शांति मनोज के सबसे करीब थी घर मे ,क्योंकि शादी के बाद मनोज ही ऐसा था ,जो उसको हमेशा हँसता, उसके सब काम कर देता था ,ऐसा नही था कि घर मे शांति को बहोत काम था उसे तो बस 2 वक्त का खाना ही बनना पडता था ,और वो बनाने में भी दो नोकरानी मद्त करती थी ,काम तो ज्यादा नही था ,तो खाली वक्त वो मनोज को पढ़ाती थी ,उसे बस एक ही शौक था किताबे पढना , और मनोज उसे हमेशा शहर से नई किताबे ला देता था, कुछ सेक्स की किताबें मुकेश के पास भी ,जो शांति मुकेश के चोरी छुपे देख लेती थी ,उन किताबो मा बहन भाभी की गंदी कहानियॉ के साथ ,बहुत सारी चोदने की गंदी तस्वीरों वाली किताबे भी थी, उसमे आदमी यो के इतने मोटे और बड़े लंड देखके तो पहले उसे बडी हैरानी हुवी, उसने आजतक सिर्फ मुकेश का ही लंड देखा था ,उसे तो वही बड़ा लगता था लेकिन जब विदेशियों के लंड देखकर उसे पता चल गया था कि ऐसे भी कुछ लोगो के रहते है, उसकी सहेलियों से भाबियों से भी उसे पता चला कि भारत के लोगो के लंड 6 से 7 इंच तक ही होते है ,कुछ खास लोगो के ही पास उनसे बड़े रहते थे , शांति को भी शादी के बाद लन्ड का चस्का लग गया था , मुकेश ने शादी के बाद उसे दिन रात चोद कर उसकी प्यास ठंडी कर देता था, पर उसे 2 सालो में वो माँ नही बना पाया था , मुकेश ने शहर जाकर चुपचाप दोनो मियां बीबी का एक बड़े डाक्टर से चेकअप भी कराया था ,लेकिन दोनों तन्दुरुस्त थे,और बच्चे पैदा करने के काबिल थे ,कमी दोनो में नही थी, बस बच्चे न होनेके वजहसे डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाई दी थी ,जो दोनो रोज लेते थे, दवाई लेकर भी 2 महीनों में कुछ फरक नही पड़ने से ,आज मुकेश रात के खाने बाद शांति के मा बाप के साथ काम के बहाने से दिल्ली चला आया था ,और अगले दिन डॉक्टर से मिलकर बात करने वाला था उसने शांति को भी यह बात बताई थी आनेसे पहले ,
शांति खाने की थाली लेकर मनोज के कमरे में दाखिल हो गई ,उसने देखा कि मनोज पानी में ज्यादा भीगने की वजह से अपने आप को पूरा गर्म रजाई में घुसकर सोया था, शांति ने खाने की थाली पलँग के बाजू रखे टेबल पर रखी और मनोज को उठाने लगी ,लेकिन मनोज तो नशे में चूर सोया था, बहोत बार जगाने पर भी नही उठने पर शांति को लगा कि हमेशा की तरह सोने का नाटक कर रहा है, तो शांति ने उसकी रजाई जोरसे खीच ली ,लेकिन रजाई खींचकर उसे यह अहसास हो गया कि उसने गलती करदी है ,मनोज पूरा नंगे बदन सोया था ,और उसका लंड किसी रॉड की तरह खड़ा था ,मनोज का लंड उसके बड़े भाई के मुकाबले दुगना मोटा और लंबा भी था ,शांति कुछ पल तो क्या करें ये समज ही नही पा रही थी , फिर बाद में उसने सब वैसा ही छोड़कर वापिस आ गयी और मनोज का कमरा बाहर से बंद करके अपने कमरे की और जाने लगी तभी उसे उसकी सासु मा ने आवाज देकर बुलाया , शांती तुमने मनोज को खाना दीया की नही ,वो बिना खाने के सो तो नही गया
नही मा जी मनु भैया ने खाना खा लिया है ,और वह फिरसे सो गए
उसके बाद शांति और ऊसकी सास ने मिलकर खाना खाया ,उसकी सास ने हमेशा की तरह शांति को अपने साथ किसी बेटी की तरह खाना खिलाया और खुद शांति को सोने के लिए भेजकर ,किचन का बाकी काम करके सोने को गई
शांति ने अपने कमरे में साड़ी उतारकर एक नाइट गाउन पहन लिया , जो वो सिर्फ अपने कमरे में ही पहना करती थी, क्योंकि वह गाउन मुकेश ने ही लाके दिया था, उसमे उसके बड़ी बड़ी चुचिया और उसकी नितम्ब की गोलाई कहर ढाती थी, शांति अपने बिस्तर पर लेटी यह सोच रही थी कि उसने गलत किया या सही लेकिन वो फैसला नही कर पा रही थी , उसने कुछ देर आँख बंद कर के सोने की कोशिश की लेकिन वो सो नही पा रही थी, उसके मन मे यही खयाल आ रहा था कि कैसे मनोज उसे जब वो नाराज होती अपने माँ बाप की याद से, या कभी मुकेश के साथ कुछ अनबन होने से वो दुखी रहती और खाना नही खाती तो ,मनोज उसे मनाकर अपनी कसम देकर या खुद खाना ना खाने की धमकी देकर खाना खिला देता था, और आज वह बिचारा भूका ही सो गया ये बात शांति को दिल मे खाये जा रही थी इसलिए वो मनोज के कमरे जाने को निकल गयी ,उसे यह भी याद नही रहा की उसके बदन पर जो कपड़े है वह सिर्फ अपने पति के सामने ही पहने जाते है
शांति जब मनोज के कमरे में दाखिल हुवी तो उसने देखा मनोज अभी भी नंगा ही सो रहा है, वो एक बार शरमाई फिर मनोज के बदन पर वापिस रजाई डाल कर उसे ढक दिया और मनोज के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ,दरवाजा बन्द करने की वजह यह थीं कोई अचानक मनोज के कमरे में दाखिल हो गया और उसने मनोज को शांति के साथ नंगा पाता तो दोनों की बहुत बदनामी होनी थी, शांती मनोज के पलंग पर बैठकर उसे उठाने लगी मनु भैया उठ जाइए और खाना खा लीजिये ,लेकिन मनोज तो उठने के नाम नही ले रहा था ,शांति थोड़ी डर गई इसलिए वो जल्दी से पानी लेकर मनोज के मुँह पर मारने लगी, पानी मारने की वजह से मनोज नींद भी खुल गई लेकिन उसका नशा कम नही हुवा था ,वो तो नशे में यही देख रहा था कि वह कहा पे है और कौन उसे आवाज दे रहा है उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था, उसको सिर्फ कोई लडक़ी का चेहरा ही दिख रहा था पर धुंधला दिख रहा था, मनोज अपने ही धुन में था वो बोला सालो को अच्छा बोल रहा था मुझे भांग मत पिलाओ लेकिन नही माने ,ऐसा कैसा नशा चढ़ गया मुझे की पेशाब लगा है ,और मेरा लंड मुझे मिल नही रहा और यह कोंन मेरी बहन पैदा हो गईं एक दिन में मुझे मनु भैया तो सिर्फ मेरी भाभी बोलती है ,लेकिन यह लड़की है कौन, मनोज की बाते शांति भी सुन रही थी ,उसे सब बात समझ आयी क्या हुवा है मनोज के साथ ,उसे मनोज की बातों से हँसी आ रही थी, वो मनोज को पलँग से उतारकर बाथरूम में ले गई और बोली करो यहां पेशाब लेकिन मनोज को खड़े होने में मुश्किल हों रही थी तो शांति उसे पकड़कर खड़ी रही लेकिन मनोज पेशाब नही कर पा रहा था उसको अपने हाथ मे लैंड पकडकार शांति ने उसे पेशाब करवाई ,लेकिन नशे में मनोज आधा अपने पाव पर मुत दिया, यह देखकर शांति ने उसे शावर के नीचे खड़ा करके पानी चालू कर दिया ,लेकिन मनोज को पकड़े रहने से वो भी पूरी भीग गई
मनोज को बाथरूम से बाहर लाकर शांति ने पहले टॉवेल से उसको अच्छे से साफ करके कमर पर टॉवेल लपेटकर पलंग पर बिठा दिया ,उसके बाद शांति को अपने गीले कपड़े के बारे में ख्याल आया ,उसके सब कपड़े गीले हो गए थे ,इसीलिए उसने बाथरूम में जाकर सब कपड़े उतार के सूखने डाल दिया और वहां पर रखा हुवा बाथ गाउन पहन के बाहर आ गयी , फिर उसने मनोज को अपने हाथसे खाना खिलाया ,पानी पिलाकर सब खाने का सामान बाजू में रख दिया, बादमे उसने मनोज के कपाट से एक हाफ पैंट और टी शर्ट मनोज को पहनाने के लिए निकाल लिए, मनोज को टी शर्ट तो आराम से उसने पहना दी ,लेकिन जब मनोज को वो हाफ पैंट पहना रही थी तो उसके हाथ उसके लन्ड से टकरा गया था ,मनोज के लंड को जैसे शांति ने छुवा फिर अकड़कर कड़ा हो गया ,शांति को उसको पैंट पहनाने में बहोत मुश्किल हो रही थी , मनोज का लैंड बार बार शांति के हाथों में आ रहा था जो वो उसको पैंट पहना रही थी
मनोज भी अपने लंड पर नरम हाथ के अहसास से खुश हो रहा था, ऊसके मुह से जो बात निकली वह सुनकर शांति एकदम किसी सदमे में पहोच गई थी
मनोज बड़बड़ा रहा था ,कब तक हाथों से काम करोगी शोभा मामी ,जबतक आप मेरे लंड को चूस कर पूरा पानी नही पीती तब तक आप की प्यास नही बुझती और मेरा भी मन खुश नही होता
चलो जल्दी से मेरा लैंड मुह में ले लो आज तुम्हारी इस गांड को भी आज में अपना पानी पिला के रहुँगा ।
शोभा मामी कोई और नही बल्कि शांति के मा का नाम था
और वह अपने बेटे जैसे लड़के से चुद रही है ये सुनकर शांति के दिमाग सुन्न हो गया था ,
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 3
शांती मनोज की बाते सुनकर खुद का वजूद ही भूल गई थी ,वो तो बस अपनी आंखों से निरन्तर पानी बहाये जा रही थी उसको यह तक भान नही था कि वह मनोज का लंड दोनो हातो से पकड़ी वैसी ही बैठी हुई है,
मनोज तो नशे में अपने सामने कोंन यह भूल कर उसके हाथों में अपने लंड को सिर्फ पकड़े रहने से चिढ़कर शांति को अपने ऊपर खीच लिया, मनोज अभी सिर्फ 12 वी की क्लास में था उसकी उम्र महज 20 साल की थी ,लेकिन अभी से वह एकदम मजबूत शरीर का मालिक था , मनोज के घर के सभी मर्द 6 फुट के लम्बे थे ,उसकी वजह थी उनके पिता विजयजी उनकी कदकाठी साढ़े 6 फिट के आसपास थी , उनके जैसा मजबूत और ताक़दवर इंसान पूरे भवानीगढ़ में तो क्या आस पास के 50 गाँव मे भी नही था, विजयजी की तरह उनके बेटे उनकी तरह मजबूत ,लम्बे चौड़े कदकाठी के थे ,मनोज तो तीनो भाइयो में सबसे ऊंचा निकला था और उसका बदन भी किसी पहलवान की तरह ही मजबूत था,
मनोज ने शांति को अपनी बाहों में भरकर उसके होठो को अपने होठों में लेकर चुसने लगा , शांती का तो होश तब आया जब मनोज के हाथ उसके गांड पर महसूस हुवे , मनोज अपने मजबूत पंजो में शांति की गांड निचोड रहा था ,कब उसने शांति के बदन से बाथ गाउन हटा दिया ये शांति को समझ ही नही आया ,वो तो बस मनोज की बाहों में कसमसा रही मनोज कभी उसके होंठ चूसता तो कभी गाल चाटता ,तो गर्दन चुम रहा था , शांति को क्या करे यही समज़ नही आ रहा था ,मनोज ने उसे अपने चूमने से,और उसके हाथोने की हुवी उसकी गांड की और चुत की मालिश से वह बहोत ज्यादा गर्म हो गई थी उसकी चुत तो इतनी गीली हो गई थी कि उसके चुत के पानी से मनोज की कमर और उसका लंड दोनों पर बरस रहा था,
एकाएक उसने शांति को पकड़ कर घुमा दिया और 69 की स्थिति में आ गया , शांति कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसकी चुत पर अपने होठों को लगाकर और अपनी जीभ उसके चुत में डालकर मनोज उसकी चुत चुसने लगा ,मनोज की इस हरकत से शांति को ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उसकी जान उसके चुत से खींच रहा हो, वो तो पहली बार जिंदगी में अपनी चुत चुसने का सुख ले रही थी, उसकी आंखे बंद हो गई थी, उसको तो पुरे बदन पर रोये खड़े हो गए थे, उसके मुंह मे प्यास के वजह से जुबान सुख गई थी ,कब वो अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे ऐसा उसे लग रहा था, और उसका पूरा बदन अकड़ गया और उसकी चुत ने इतना पानी निकाला था जितनो वो दस बार चुदने के बाद निकलता हो,
शांति तो किसी ऐसी दुनिया मे पहोंच गई थी जहा उसे अपना बदन बहोत हल्का और उसकी अंतरात्मा भी एक सुकून में आई थी ,ये सुकून उसे आज पहली बार मिला था, मुकेश ने आज तक शांति की चूत नही चाटता था ,उसको पसन्द नही था चुत चूसना ,और वो अपना लंड शांति को हमेशा चोदने से पहले चूसने को बोलता , शांति ने कभी मुकेश का मन नही दुखाया , मुकेश जो उसे बोलता वो मान जाती उसके लिए मुकेश उसका पति नही भगवान था ।
पर आज होली के दिन अनर्थ हो गया था ,शांति आज उसके पति के बजाय उसके देवर के बाहोंमे विवस्त्र पड़ी थी, वो एक अलग दुनिया मे ही थी लेकिन जब मनोज ने शांति की बड़ी और नरम गांड को दोनो हाथसे पकड़ कर उसके गांड के लाल छेद में जुबान डालने लगा और उसकी गांड चाटने लग गया, शांति तो क्या करे यह समझ नही आ रहा था, पहली से चुत चुसने से जो आनंद उसे मिला था उसकी तरंगे उसके बदन में उठ रही थी कि अचानक अपने अंदर एक और बदन को काटने वाली एक और लहर उठ गई ,इस बार वो इतनी मचल रही थी क्या बोले क्या करे उसे समझ नही आ रहा था और कब उसने मनोज का लंड पकड़ कर अपने मुह में ले लिया और उसे चुसने लगी ये उसको पता ही नही चला ,मनोज के लंड को वह दोनों हाथों से पकड़कर पूरा अपने गले तक उतार के चूस रही हो ,उसके गले की प्यास और बढ़ गई थी ,उसको भुजाने के लिए वो अपनी जीभ मनोज के लंड के टोपे पर बने छेद में डालने और उस छेद को बहोत शिदत से चाटने लगी ,मनोज भी ज्यादा देर इतनी गर्म लंड चूसें जाने से शांति के मुह में झड़ने लगा ,मनोज का वीर्य बहोत गाढ़ा और गर्म था ,शांति तो उसके वीर्य को पूरा गटक गई ,उसे वो इतना पसंद आया था कि वह जब उसके मुह में मनोज अपना वीर्य छोड़ रहा था तो वो भी अपनी चुत से पानी छोड़ रही थी, मनोज का लंड पूरा अपनी जीभ से चाट के साफ करके मनोज के पाव के पास लुढ़क गई,
शांति तो अपने आप को काबू में करने की कोशिश कर रही थी, अभीतक जो हुवा था मनोज और उसके बीच ,वो यही सोच रही थी क्या कर बैठी वो , लेकिन वो और कुछ बोल पाती या पलँग से उठ पाती उससे पहले मनोज के लंड का स्पर्श उसे अपनी चुत पर होने लगा ,उसको मनोज ने घोड़ी बनाके अपना लंड उसकी चुत में ठोक दिया मनोज के तगड़े लंड ने शांति की चुत की गहराई तक खुदाई कर डाली मनोज के मोटे लंड की वजह से उसके चुत का छल्ला ऐसे फैल गया था कि बस , शांति तो लैंड जब चुत में घुस रहा था ,तभी अपना मुह अपने दोनो हाथो से दबाली थी नही तो उसकी आवाज सूनकर पूरा गांव उनके घर पर जमा हो जाता, अपना मुह दबाकर वो मनोज के लंड को अपनी चुत में झेलती रही ,मनोज लगातर किसी घोड़े की तरह शांति के चुत में कोहराम मचा रहा था, वो शांति की नरम चुत और उसकी गर्मी और एकदम टाइट चूत जितनी उसको अलग अहसास दिला रही थी ,उसके लंड को शांति की चुत इतना सुकून दे रही थी , की उसका लंड भी शांति की चुत को कुछ देना चाहता था और वही देने के लिए वो दनदनाता वो शन्ति की चुत में गर्म गर्म पिचकारी छोड़ने लगा ,और शांति की चुत भरने लगा , शांति भी अपने चुत में मनोज के पानी को पाकर गनगना गई ,मनोज तो एक बार ही झडा था लेकिन शांति कितने बार अपने चुत का पानी इस चुदाई में निकाली थी ये उसको ही नही पता था ।
मनोज का नशा अभी तक उतरा नही था वो शांति को अपने पास खिचके वापस उसके ओठ चुसने लगा और बोलने लगा मामी आज आप को चोदने में बहोत मजा आया ,पता नही ये भांग पीने से हुवा लेकिन आज आप की चुत का पानी पीकर मेरा मन भरा ही नही आपके गांड का रस तो जैसे में पहली बार पिया हु ऐसा लग रहा था ,आपकी चुत ने आज मेरे लंड को भी पिघला दिया ,आपकी चुत के सामने में पहली बार हार गया ,नही तो में हमेशा आप की गांड में ही झडता था , आज आप की चुत तो मेरे लंड का पानी निकाल ही ली, आप जो बोलेगी वो में करने को तैयार हूं लेकिन आप वादा कीजिये कि मुकेश भैया कभी बाप नही बन सकते यह बात आप भैया और भाभी को कभी नही बतायेगी , अगर भैया को मालूम हुवा तो वो जान दे देंगे और मेरी भाबी भी जिंदा नही रहेगी ,में दोनों को बहोत चाहता हु ,उनको अगर कुछ हुवा तो हमारा परिवार बर्बाद हो जाएगा , आपको मालूम है मेरी भाबी को बच्चे कितने पसन्द है, आज हमारे पास इतना पैसा है लेकिन वो पैसा क्या काम का जो हमारे भाई की बीमारी ठीक नही कर सकता , आपने तो विदशों में भी उनकी फाइल दिखाई थी वहा के डॉक्टरों ने भी बता दिया है कि ,कितना भी पैसा खर्च करो ,कोई फायदा नही होगा, आप बस अपना मुह बन्द रखे बाकी में देख लूंगा क्या करना है, आप अपनी बेटी को बहोत प्यार करती है यह बात में जानता हूं और आप जो मुझे करने को बोल रही है वो गलत बात है, में भाबी को कभी धोखा नही दूंगा , में उनको नीद की गोलियाँ खिलाकर चोद कर मा बना दु , यह काम मे कभी नही करूँगा , भाभी मुझे इतना प्यार करती है ,मेरी माँ भी मेरा नही करती इतना मेरी भाभी करते रहती है में उन्हें कैसे धोका दे सकता हु , मुकेश भैया के साथ मेने मिलिंद भैया और मेरा भी रिपोर्ट लैब से चेक करवाए , उसमे बस मेरा ही रिपोर्ट में कोई प्रॉब्लम नही थी और मेरे दोनो भाई कभी बाप नही बन सकेंगे यह बात मुझे बहोत दुख देती है
मेरे मा बाप को जब यह मालूम गिरेगा तो क्या होगा यह सोचकर ही मेरी रूह कांप उठती है , अगले महीने मिलिद भैया की शादी भी पक्की होने वाली है ,उनके होने वाली बीवी की जिंदगी भी बर्बाद होने वाली है, में चाहके भी सिमा भाभी को सच नही बोल पाऊंगा, सिमा भाबी तो मेरे ही उम्र की है, सीमा भाबी तो मुझे अपना देवर नही एक भाई मानती है, शांति भाभी ,सिमा भाबी को अपनी बहन ही मानती है,
में क्या करूँ यह सोचके मेरा दिमाग काम करना बंद हो गया है, 3 महीनों से में अपने सारे गम छुपा कर जी रहा हु, और कभी लगता है आप की बात मान कर भाबी को उनके नींद में चोद कर गर्भवती बना दु ,
शांति चुपचाप मनोज की बाते सुनती रही उसने सब बातें सोचकर अपने मन मे एक फैसला किया और मनोज को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके लन्ड को अपनी मुठी में पकड़कर अपने चुत पे लगा के खुद एक झटका मारकर अपने अंदर ले ली ,मनोज के साथ उस रात भर वो अपनी चुत मरवाती रही ,मनोज ने 3 बार और शांति की चुत में अपना पानी भर दिया ,जो उसकी चुत में जाके शांति के तनबदन के साथ उसकी आत्मा को सुकून दे रहा था ,यह रात शांति के जीवन मे मनोज को वो स्थान दिया था जो किसी का नही था उसके पति मुकेश का भी नही
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 4
मनोज को सुबह बहोत जोर से पेशाब लगी थी उसका नशा भी पूरा उतर गया था , वो थोड़ा नींद में ही बाथरूम में जाके पेशाब कर आया और वापस बिस्तर पर सो गया, अपनी आँख बंद करके वो रात को जो भी उसके साथ हुवा था उसको सपना समजकर मन मे सोच रहा था की वो आगे क्या करे ,तभी उसको अपने लंड पर कुछ गिला महसूस हुआ उसने नीचे देखा तो शांति भाबी उसका लंड मुह में लेके चूस रही थी, भाभी के बदन पे एक कपड़ा नही था
मनोज ये देख के एकदम हड़बड़ा गया
मनोज बोला ,आप ये क्या कर रही है भाबी
शांति ने मनोज का लंड अपने मुह से बाहर निकाला और मनोज की आखों में देखती हुवी बोली मनुजी में तो बस इस परिवार को एक वारिस देने की कोशिश कर रहीं हु,
भाबी के मुह से सुनके मनोज सोच में पड़ गया कि भाभी कैसे बाते कर कर रही है ,कहि भाबी की माँ ने भाबी को सच तो नही बता दिया, आखिर भाभी को हो क्या गया है
मनोज ने पूछा ,भाबी आप ये कैसी बाते कर रही है ,में कुछ समज नही पा रहा हु
शांति ने फिर रात जो कुछ भी हुवा वो सब बात बता दी
मनोज को अहसास हो गया कि नशे में सब कुछ उसने किया है ,उसको बहुत बुरा लग रहा था
वो बोला भाभी मुझे माफ़ कर दो ,मेने आप से यह बात छुपाई ,लेकिन आप भैया को मत बताना कुछ, वरना वो कभी मुझसे बात नही करेंगे
शांति मनोज के चेहरे को देखकर समझ गई अब उसको ही मनोज को सम्भालना होगा
वो मनोज के पास सरक गई ,अरे बड़े प्यार से उसे समजाने लगी ,मनुजी आप अपने मन से सब बातें निकल दे, में आप को कभी गलत नही मान सकती ,आप जो कुछ कर रहे थे मेरे भले के लिए ही कर रहे थे, आज से आप बस में जो आप को बोलूँगी आप वही करोगे
आप आज के बाद जब तक मे मा नही बन जाती तब तक मेरे साथ शारिरिक सम्बन्ध रखेंगे, जिस दिन में म बन जाऊँगी हम यह बंद कर देंगे
मनोज बोला ,लेकिन भाबी यह पाप है, आप समझ नही सकती में भैया को धोखा नही दे सकता ,अगर किसी को मालूम हुवा तो कितनी बदनामी होगी ,सब आपको ही गलत समजेंगे
नही मनुजी आप समझे नही शांति ने फिर मनोज से कहा
हम यह सब इस घर की इज्जत बचाने के लिए और आप के भाई की जान बचाने के लिए कर रहे ,ना में किसी को बोलूंगी और ना आप कुछ बोलेंगे
बस यह समझ लीजिए कि यह एक नियति का फैसला है ,
लेकिन भाभी आप समज़ नही सकती ,में आपके साथ यह सब नही कर सकता
शांति को मालूम था जब तक वो मनोज आसानी से नही मानेगा उसे अब अपनी शर्म छोड़ कर ,खुलकर मनोज को अपने औरत होने के जलवे दिखाने पड़ेंगे
वो बोली अच्छा लेकिन आप का लौड़ा तो देखो आप की बात नही मान रहा है ,कैसे वो किसी घोड़े की तरह फड़फड़ा रहा है, कल रात को तो आप को मेरी चुत का पानी बहोत पसन्द आ रहा था , अब आप की प्यास बुझ तो नही गई ,
शांति की बात सुनकर मनोज का चेहरा लाल हो गया
उसकी उसकी आँखें नीचे हो गयी
शांति ने सोचा अगर आज बात यहां खत्म हो गई तो , मनोज कभी उसके पास नही आएगा , और अपने आप को कसूरवार मानता रहेगा ,उसने मनोज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़कर अपने गुलाबी होठ मनोज के आठो से जोड क़े चुसने लगी,और मनोज के हाथों को अपने बड़ी चुचिया पे रख दी ,मनोज के तो होश ही उड़ गये उसने आज तक सिर्फ शोभा मामी को ही चोदा था लेकिन कहा वो 40 साल की औरत औरत कह जवान शांति की कातिल जवानी ,मनोज था तो एक जवान मर्द ,वो कहा तक बच पाता
मनोज के मुह में शन्ति ने अब अपनी जीभ डालकर उसकी जुबान चुसने लगी ,शन्ति के इस वार से मनोज भी गर्म होने लगा ,वो शांति के मुह रस पीने लगा ,उसके हाथ भी शांति के कड़क छातियों को दबाने लगे ,वो उसकी स्तन को दबाता तो कभी स्तन के ऊपर के किसमिस जैसे दाने को को अपनी दोनों उंगलियों से दबाता ,कब वो शांति ऊपर आ गया उसे पता ही नही चला, शांति पीठ के बल लेटी थी ,उसने एक हाथ से मनोज का लंड पकड़के अपनी चुत पर लगा दिया, और नीचे से एक धक्का लगा दिया ,मनोज का लन्ड शान्ती की चुत में आधा घुस गया ,शान्ती के मुह से एक कामुक चीत्कार निकल गई
उइ मा
मनोज भी अब गर्म हो गया था उसने शन्ति की आखों में देखते हुए अपना बाकी बचा हुवा लन्ड भी अंदर एक करारा
धक्का लगाकर डाल दिया ,और शन्ति के होठों को चूसते हुवे उसे चोदने लगा शन्ति भी उसका साथ देने लगी ,दोनों एक दूसरे की आंखों में देखकर जबतक अपना चरम सुख तक नही आये तब तक लगे रहे ,शन्ति के अंदर अपना वीर्य भरकर वो उसके ऊपर ही पसर गया,
थोड़ी देर के बात दोनो ने अपने कपड़े पहने ,और शन्ति मनोज को सब बातें प्यार से समज़ाकर अपने कमरे में चली गई
अब मनोज भी समझ गया था कि उसे क्या करना है, मनोज ने अपने घर के फोन से शोभा मामी को सब समजा दिया कि उन्हें क्या करना है
शोभा मामी ने भी मुकेश भैया जिस अस्पताल में जाने वाले थे वहा के डॉक्टर को बोलकर मुकेश को वही 15 दिन इलाज के बहाने से रुकवाया ,इस 15 दिनों में मनोज ने शान्ती को अपने घर मे जमकर चोदा
मुकेश भैया भी 15 दिन बाद वापिस आ गए ,जैसा डॉक्टर को शोभा मामी ने बताया था , डॉक्टर ने मुकेश को बताया की आप के अंदर वीर्य में शुक्राणुओं की कमी है हम आप को कुछ इजेक्शन देँगे जिसके बदौलत आप बाप बन सकते है यह इजेक्शन सलाईन से देने होंगे ,अस्पताल में मुकेश को रख कर सलाईन से बस ताकत बढ़ने वाली ग्लूकोज की स्लाइन दी गई थी ,मुकेश ने शन्ति को फोन करके सब बता दिया था ,लेकिन उसे यह बात पता नही थी कि यह सब तो शांति का ही प्लान था ,मुकेश ने घर आने के बाद सात दिन तक शांति के साथ हमबिस्तर हो रहा था, मुकेश हमेशा अपनी कंपनी में काम की वजह से रुकता था ,इसलिए उनके घरवालों को भी कूछ बात का पता नही चला
एक महीने में ही शन्ति के मासिक रुक गये ,जब डॉक्टर के पास जाकर चेकअप किया तो यह बात कन्फर्म हो गई कि वो मा बनने वाली है, सब लोग बहोत खुश थे ,मुकेश की खुशियां के तो क्या कहने थे
मनोज और शांति के शारीरिक संबंध भी नही रहे जैसा उन दोनों की बीच बात हुवी थी, शान्ती मनोज को एक भगवान ही मानती थी, अब मनोज अपनी जिंदगी जी रहा था ,वह अब अपने दूसरे भाई का क्या करे यही सोच रहा था ,शन्ति को भी यह बात पता थी ,वो मनोज को हमेशा भरोसा देती की वह सिमा से बात करके कुछ न कुछ तरकीब निकाल लेगी
मिलिद और सिमा की मंगनी एक साल पहले ही हो गई थी ,दोनो एक दूसरे को बहोत प्यार करते थे ,उन दोनों की शादी एक महीने में होने वाली थी
लेकिन सिमा से क्या बात की जाये ये शांति को समझ नही आ रहा था ,वो तो बस मनोज ज्यादा दुखी ना रहे इस वजह से ,मनोज को बोला करती थी के वह सब ठीक कर देगी
लेकिन इसका हल उसको नही मिल रहा था ।
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 5
आज मनोज का पूरा परिवार दिल्ली में शादी की लिए कपड़े ,जेवर खरीदने आये थे ,सिमा का परिवार भी साथ मे था ,सिमा के पिता दिल्ली के जाने माने बिल्डर थे ,वो पैसे के मामले में विजयजी के बराबर ही थे ,दोनो परिवार की महिलाएं अपने पसन्द की साड़ियां खरीद रही थी ,और आदमी लोग अपने कपड़े ले रहे थे सिमा को शादी का जोड़ा मनोज की माँ जिनका नाम अभीतक मेने बताया नही जो कामिनी था
कामिनी ,सिमा ये देखो ये तीन शादी के जोड़ हमने पसंद किये थे ,तुम्हे देखो कोनसा पसन्द है इनमें
सिमा ,माजी जो आपको पसन्द हो में वो लुंगी
कामिनी , एक काम करो तुम कोई एक पसन्द कर लो
सिमा ,शान्ती दीदी आप बताये हम कोनसा ले
शांति ,सिमा तुम ये लाल वाला लो इसमे तुम बहोत सुंदर लगोगी,
सिमा, ठीक है दीदी
ऐसी ही एक दूसरे को दिखाते हुए सब कुछ सामान खरीद कर सन सब लोग खाना खाने के लिए होटल निकल गए,
खाना होने के बाद सब लोग सिमा के घर पर ही रुक गये थे
सिमा के पिता ने विजयजी को विनती करके अपने घर आज आराम करने को कहा था ,वैसे दिल्ली में भी विजयजी का मकान था जहाँ पर मुकेश और मिलिद रहते थे ,पर आज सिमा के पिता के कहने पर वह मां गए
शान्ती भी दिल्ली की रहने वाली थी उसके पिता जी दिल्ली में एक होटलो के ग्रुप के मालिक थे ,उनके होटलो हिदुस्तान के हर बड़े शहर में थे, वो भी अपने पत्नी के साथ दिनभर विजय जी के साथ रहे और जब सब लोग सिमा के घर पर रुकने वाले थे तो वह अपने काम पर लौट गए थे ,उनकी पत्नी शोभा भी अपने घर आ गई थी
सिमा और शांति दोनों सिमा के कमरे में बाते कर रहीं थी
शांति का बातो पर ज्यादा ध्यान नही था वो तो बस दिखावे के लिए बातो का जवाब दे रही थी ,वो तो यह सोच रही थी कि सिमा को कैसे मिलिंद की कमजोरी कर बारे में बताए
सिमा ,दीदी एक बात सच बोलोगे
शांति , सिमा मेने कभी तुझे झूठ बोल है ,पूछ क्या पूछना है
सिमा ,दीदी आप कुछ परेशान दिख रही है मुझे, आप पहले की तरह खुलकर मुझसे बात नही कर रही है
शान्ती ,अरे ऐसा नही है बस अब में पेट से हु ऐसे दिनो में हर औरत थोड़ी बदल जाती है, तो तुझे ऐसा लग रहा होगा
सिमा ,आप की बात ठीक है में मानती हूं ,लेकिन मनु भी अब मुझसे ज्यादा बात नही करता पहले की तरह उसकी क्या वजह है
शांति , अरे वो मुम्बई जाने वाला है ना अगले साल तो थोड़ा वो भी सोच में होगा अपने परिवार से दूर जाने की बातों से
सिमा , आप मुझसे कुछ छिपा तो नही रही ना दीदी
शांति ,अरे में तुझसे क्या छुपाने लगी
सिमा ,दीदी आप को मेरी कसम है आप बोलो के कोई बात नही है
शांति अब फस गई थी ,वो सिमा को क्या बोले उसे ऐसा हो गया था ,शन्ति अब चुप हो गई
सिमा बस शान्ती की आँखों मे आंसू देखकर और ज्यादा डर गई ,उसने शान्ती के दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़कर कहा दीदी आप अगर मुझे अपनी छोटी बहन मानती हो ना आप बोलिये क्या बात है ,में कसम खाती हु में किसीको कुछ नही बोलूंगी ,
शांति कुछ देर सोचती रही फिर उसने सिमा को सब सच बोलने का फैसला कर लिया, औऱ उसने सिमा को सब बात बता दी, उसके पेट मे पलने वाले बच्चे के बारे में भी की उसका बाप मनोज है
शान्ती की बाते सुनकर सिमा का सब सपने ही टूट गए थे ,वो तो बुरी तरह रो रही थी उसकी आंखों से पानी तो रुकने का नाम ही नही ले रहा था ,वो तो मिलिद को बहुत प्यार करती थी, वो ना तो मिलिंद को छोड़ सकती थी ना उससे शादी तोड़ के किसी दूसरे के साथ शादी के बारे में सोच सकती थी
शान्ती ने सिमा को अपनी बाहों में लेके उसको चुप कराने की कोशिश कर रही थी ,पर सिमा का दुःख उसे भी समज रहा था , बहोत देर तक सिमा को समझाने के बाद सिमा का रोना थोड़ा कम हुवा था
शांति ने सिमा को पानी पिलाकर ,उसके आंसू साफ़ कर के उसको यही बोल रही थी कि मुझे माफ़ करना में तुम्हे यह बात बोलना नही चाहती थी, पर में तुझसे झूठ बोलकर तेरी जिंदगी बर्बाद नही करना चाहती थी, मनु भी तुझे यह सब बोलना चाहता था ,पर वह बोल नही पा रहा था ,उसे मिलिद के साथ तेरी भी बहोत चिन्ता है,
सिमा ,दीदी अगर आप मेरी सगी बहन होती तो क्या करती
शांति ,सिमा में तुझे अपनी बहन ही मानती हूं, में तो यही बोलूंगी की तू अपना फैसला खुद करे
सिमा और शांति दोनो अब चुपचाप बेड पर एक दूसरे के साथ सो रही थी, सिमा अपने मन मे यही सोच रही थी अगर मुझमे कोई दोष होता ,तो मिलिद मुझे कभी नही छोड़ते, वो तो खुद से ज्यादा मुझसे प्यार करते है, सिर्फ बच्चे पैदा ना करने की कमी से में कैसे छोड़ दु, शांति दीदी जैसी बहन ,अपने भाई के लिए ना सोचकर मेरे बारे में सोचने वाला देवर, मा बाप समान सास मुझे कहा मिलेंगे ,में तो कभी किसी दूसरे के साथ शादी का सोच भी नही सकती ,शान्ती दीदी तो कितनी खूबसूरत है,लेकिन उन्होंने तो अपने बारे में ना सोच कर अपने पति को बचाने के लिए मनु से मा बन गयी, में इतनी खुदगर्ज नही बन सकती ,में मिलीद के बिना नही जी सकती , में मिलिद से ही शादि करूँगी,आगे मेरी किस्मत ,
यही सोच कर उसने फैसला कर लिया कि वह शादी मिलिंद से ही करेगी ।
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 6
दिल्ली के होटल में मिलिंद और सिमा की शादी बड़े धूम से हो रही ,उस पूरे हॉटेल को किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था, दिल्ली की सब बड़ी हस्तियां वहा शादी में मौजूद थी, मिलिद और सिमा दोनो तो शादी के जोड़ो में बहुत जच रहे थे आज उन दोनों की आखों में एक अलग ही खुशी थी , जिसे बयान करना मुश्किल था ,सिमा तो किसी परी की तरह ही दिख रही थी हर कोई मिलिद के किस्मत की तारीफ कर रहा था ,सिमा थी ऐसी कयामत 30 27 32 की उसकी फिगर किसी का भी मन डोलने की लिए काफी थी,सबसे हसीन तो उसकी आँखें थी ,नीली किसी समंदर की तरह और उसका चेहरा ऐसा की किसी का मन मोह ले,
मनोज शादी में अपने बड़े भाई और भाभी के साथ खड़ा था, शादी से पहले शांति ने उसे बता दिया था कि सिमा को मिलिद के बारे में सब जानते हुवे भी शादी को राजी हो गई ,वो कभी मिलिद को उसकी कमी नही बतायेगी ,शान्ती ने यह भी बताया थी उसने सिमा को शांति के पेट मे पलने वाले बच्चे के बाप का सच भी मेने बता दिया है, वो कभी यह बात किसको नही बोलेगी, मनोज के नजर में सिमा की इज्जत और बढ़ गई थी जो उसके भाई से इतना प्यार करती है कि उसने अपनी जिंदगी के बारे में सोचे बिना मिलिद के लिए यह फैसला लिया था ,
शादी होने के बाद उनके गांव में भी पूजा रखी थी उस पूजा के बाद हजारो लोगो को खाना के लिए दिया गया था, आसपास के 50 के लोग वहा मौजूद रहे थे, उनके घर मे तो जैसे खुशियों का ही दौर आया था पहले शांति के मा बनने खबर और अब नई बहू का आगमन विजयजी और कामिनी की खुशी का तो ठीकाना नही था,
मनोज के कॉलेज का एडमिशन हो गया था वो अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने जाने वाला था , अब शन्ति के साथ सिमा भाबी के आने से कामिनी जी का भी आराम मिल गया था , मनोज ने मुंबई जाने से पहले सब से आशीर्वाद लिया उसे मुंबई छोड़ने सिमा भाबी और मिलिद साथ। गए थे वहा मनोज का एडमिशन और रहने का इंतजाम कॉलेज के ही होस्टल में कर दिया था ,उसके मुंबई छोड़ कर सिमा और मिलिद गाव वापिस आ गए थे, मनोज घर मे सबका लाडला था ,उसके मुंबई जाने का सब को दुख था लेकिन मनोज के बचपन से मुंबई में पढ़ना था इसलिये सब यह बात मान गए थे , कुछ दिन बाद शान्ती ने एक बेटी को जन्म दिया , विजयजी ने पूरे गाँव को मिठाई बांटकर इसकी खुशी मनाई थी, मनोज भी मुंबई से आकर अपने परिवार के खुशी में शामिल हुवा था , उसका नाम पूनम रखा गया , बच्ची दिखने में बहुत सुंदर थी ,विजयजी को तो घर मे नया खिलोना मिल गया था ,कामिनी और विजयजी तो पूनम के अपने पास ही रखते थे ,ऐसी ही हँसी खुशी में 2 महीने निकल गए
विजयजी के परिवार पर किस्मत मेहरबान थी उनके घर मे सब कुछ अच्छा चल रहा था ,लेकिन एक दिन विजयजी और कामिनी जी अपने गाड़ी से किसी काम के सिलसिले में जा रहे थे , की उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया ,उनकी कार को इतनी बुरी तरह तेल के टैंकर ने कुचला था कि उनकी लाशें पहचान पाना भी मुश्किल था, उनके परिवार को जब यह खबर मालूम हुवी तो सबपे दुखों का पहाड़ गिर गया था , सबसे बुरी हालत तो मनोज की हुवी थीं, उसे तो यकीन ही नही हों रहा था कि उसके मा बाप नही रहे ,लेकिन किसी को तो इस मुश्किल घड़ी में मजबूती से परिवार को संभालना था ,यह काम मुकेश और शान्ती ने किया अपने दुख अपने अंदर समेटकर दोनो ने पूरे परिवार को संभाला लिया ,मिलिद और सिमा को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास था वो भी मुकेश भैया का इस मुश्किल घड़ी में साथ दे रहे थे, मनोज तो पूरा टूट गया था लेकिन शांति ने उसे अपने प्यार से इस गम से बहार निकाल लिया , मुकेश और मिलिद तो मनोज को वापीस मुम्बई भेजने को तैयार नही थे ,लेकिन शांति के कहने पे वो आखिर यह बात मान गये, लेकिन मनोज को उन्होंने मुंबई अकेले नही जाने दिया एक महीना मिलिद और सिमा उसके साथ मुम्बई में ही रहे और बाद में शांति और मुकेश उसके साथ रहे और जब उन्हें लगा कि मनोज अब पहले से बेहतर है वो वापिस गाव आ गए लेकिन हर शनिवार और रविवार कोई ना कोई मनोज के पास जाकर ही रहते थे
जंगल के अंदर आलीशान घर बना हुवा था ,उस घर के आसपास 10 फुट की चारदीवारी बनी हुवी थी और चारदीवारी में किसी किल्ले की दरवाजे की तरह ही मजबूत गेट बना हुवा था ,उस मकान में रहनेवाले कोई खास ही था ,क्योंकि गेट पर बंदूक लिए पहरेदार थे ,वो सब पहरेदार ऊँचे, तगड़े किसी को भी मारने के लिए उनके हाथ ही काफी थे ,बंदूक का इस्तेमाल करने की भी उनको जरुरत न पड़े ऐसे दिखते थे
उस घर में बने एक बेडरूम में पलँग पर एक बहोत ही गदराई बदन की औरत पूरी नंगी अपनी बड़ी गांड मरवा रही थी उसकी 42 की मतवाली गोल गांड में 9 इंच लम्बे और 3 इंच से ज्यादा मोटे लन्ड किसी मशीन की तरह घुस के अंदर तक जा रहा था ,जब जब उसकी गांड में पूरा लन्ड घुसता तब किसी आलू की तरह मजबूत उस आदमी के आंड उसकी चुत से टकराते थे ,उसकी लटक रही बड़ी चुचिया पकड कर वो आदमी उन्हें अपने पंजो से मसल कर लाल में कर रहा था, उस औरत की चुत से पानी रिसकर उसकी जांघो को पुर गिला कर रहा था ,उस औरत की मुह से निकल रही कामुक आवाजे यह बता रही थी कि उसको कितना आनंद मिल रहा है ,जाने कबसे वह अपनी गांड में उस मूसल को झेल रही थी इसका अंदाजा दोनों के पसीने से लथपथ बदन से चल रहा था ,उसको अपने गांड में जाने वाला लंड थोड़ा और फूलके मोटा महसूस हो रहा था और एकदम उसे अपने गांड में एकदम गरमा गरम वीर्य की बौछार महसुस होने लगी ,उस मूसल ने उसके गांड में इतना पानी छोड़ था कि उसकी गांड के अंदर भरकर कुछ उसकी गांड से नीचे टपक रहा था ,जब उस आदमी ने अपना लंड ऊसकी गांड से निकाला तो वो बिस्तर पर गिर गई और उसकी गांड से पानी निकलकर
बिस्तर पर गिरने लगा था, वह आदमी ने पहले बाथरुम में जाकर पेशाब की अपने लंड को धोया और कपड़े पहनके बिस्तर पर आकर उस औरत के बालों को प्यार से सहलाने लगा , उस औरत ने आदमी हाथो को पकड़ा और प्यार से चुम लिया, बाद में वह बिस्तर से उठकर धीरे धीरे कदमो से बाथरम जाकर नहा धोकर बाहर आई और अपने कपड़े पहन कर पानी पीने लगी उसने उस आदमी को भी पीने को पानी दिया और उसके साथ आकर बैठ गई ,
उस आदमी ने उस औरत से पूछा ,कामिनी तुम आज खाना खाकर सो जाओ ,में रात को आज जगतराम को मिलने मन्दिर जाने वाला हु
वो बोली ,ठीक है लेकिन जल्दी आना विजयजी ,आप को पता है कि इस घर के बारे में किसी को मालूम नही है ,हमे कुछ दिन यही रहना है अगर सुल्तानभाई को पता चला तो वो नाराज हो जायेगा कि आप उसके बिना गाव में गये थे, वो आपसे कुछ नही कहेगा लेकिन मुझसे झगड़ा करने लगेगा कि मैने आपको कैसे जाने दिया
भीमा गाडी लेकर आया है बाहर तुम चिंता मत करो , सुलतान को बिना बताए भीमा नही आया होगा
मनु के बारे में सोचकर मुझे बहोत बुरा लग रहा है ,उसकी दुःख से भरी आँखे देखकर लगता है कि उसे जाकर बोल दे कि उसके मा बाप मरे नही जिंदा है, लेकिन आपकी कसम ने मुझे रोक रखा है
कामिनी मेने यह सब अपने लिये नही अपने बच्चों की जान बचाने के लिये ही किया है ,अगर हम दोनों जिंदा है यह बात हमारे दुश्मनो को मालूम हुई तो सब की जान को खतरा हो सकता है
आप जल्दी कुछ कीजिए विजयजी में अपने बच्चों से ज्यादा दिन दूर नही रह सकती ,जगतभैया तो कितने ग्रन्थों को पढ़े है ,उन्हें तो मालूम ही होगा ना मन्दिर में ऐसी कोनसी चमत्कारी चीज है जिसके पीछे हमारे दुश्मन पड़े है
नही कामिनी उसे भी कुछ मालूम नही है ,उसके बारे में सिर्फ हमारे पिताजी और जगत के पिता ही जानते थे , उन्होंने बस उससे निकलने वाला पानी ही हम दोनों को पिलाया था, ताकि जब तक उस चीज का असली मालिक नही आता तब तक हम दोनों उसकी हिफाजत कर सके, उसके निकलने वाले पानी से हम दोनों में कितने बदलाव आये ये तुमने देखा है ना ,आज भी तुम और में दादा दादी बनने के बाद भी जवान रहे है, हम दोनो के बराबर वालो उम्र वाले अब बूढ़े दिखने लग गये थे, लेकिन हम अभीतक जवान ही रहे
विजयजी हम दोनों की खूबियां हमारे बच्चों में क्या नही आई यह बात में समज नही पायी
कामिनी यह बात आजतक में भी समझ नही पाया और जो यह बात जानते थे वो अब हमारे बीच अब नही रहे
विजयजी आप कुछ याद तो होगा ना कि आपको वो पानी पिताजी ने कहा से लाया था मन्दिर में हमे देने के लिये
नही कामिनी में तो तुम्हारे साथ ही था मन्दिर में ,पिताजी अकेले ही गए थे
आप का आपके पिता ने कभी नही बताया कि वह चमत्कारी चीज क्या है
नही कामिनी कभी नही बताई यह बात और में तुम्हे कई बार यह सब बताया भी है
अच्छा ठीक है में खाना बनाती हु ,आप आराम कीजिए तब तक और भीमा को भी खाने के लिये अंदर बुला लीजिये ।
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 7
कामिनी ने जल्दी से खाना बना दिया ,भीमा के साथ विजय जी को मिलकर बाते करते हुए तीनो ने मिलकर खा लिया ,विजयजी भीमा को लेकर निकल गए कामिनी किचन में सब काम समेटकर अपने कमरे में बिस्तर पर आकर टेक लगाकर बैठ गई ,उसे नींद तो आने वाली नही जबतक विजयजी घर पर सहीसलामत नही आ जाते उसे चैन नही आने वाला था
कामिनी को अपने बेटों से बहोत प्यार करती ,तीनो को बडे लाड़ प्यार से उसने बड़ा किया था,उसके और विजयजी ने मिलके उन्हें अच्छे संस्कार दिए थे,उनके बेटे भी अपने माँ बाप की तरह निकले थे, ना उन्हें अपने पैसे का घमंड था ना कोई बुरी आदत, तीनों बेटे की एक दूसरे में जान बस्ती थी, मुकेश की शादी शान्ति से उन्हीने ने ही करवाई थी जो उनके सहेली शोभा की बेटी थी, शांति भी एक भली लड़की थी उसे किसी बहु की तरह न समजकर अपनी बेटी की तरह ही प्यार करती थी कामिनी , शादी के कुछ दिनों में ही शान्ती परिवार का एक अटूट हिस्सा बन गई थी ,मिलिंद और मनु को अपने छोटे भाइयो की तरह प्यार देती थी ,जब उसने पूनम को जन्म दिया था तो कामिनी को को लगा जैसे वही मा बन गयी हो, पूनम को तो अपने पास ही लगा के रखती थी, लेकिन जब विजयजी ने बताया कि उन्हे अपनी मौत का नाटक करके परिवार से दुर रहना होगा तो उन्हें बहोत बुरा लगा था, लेकिन विजय जी का फैसला उन्हे मानना ही पड़ा था
आजतक विजयजी ने बहुत से बाते अपने बेटों से छिपा के रखी थी, उनके परिवार पर बहुत बार हमले करने की कोशश हुवी थी पर विजयजी ने सबको मार दिया था ,उनके परिवार पर पहोचने वाले हर खतरे को उन्होंने पहले ही भापकर मिटा दिया था, उनके बेटे भी कोई डरपोक नही थे वो भी एकसे बढ़कर एक थे,अपने बाप की तरह वो भी किसीसे डरते नही थे, उनके खून में ही बाप की तरह उबाल था , एक बार दस आदमियों को एक साथ मारने की काबिलियत उनमे रहती थी, बचपनसे उन्हें विजयजी ने मेहनत कर के इस काबिल बनाया था कि वह किसी भी खतरे का सामना आसानी से कर सके, लड़ाई का हर तरीके को उन्हें सीखकर किसी फौलाद की तरह ही बनाया था,उनके अंदर के दमखम को परखने के लिए हर साल गाव में होनेवाले माता के मंदिर कुश्ती का दंगल होता था,उनमे हिस्सा लेके वो बड़े से बड़े पहलवानों को धूल चखाते थे, पिछले 100 सालों से गाव में मेला होता था और उस मेले पूरे हिमाचल से लोग आते थे माता के मंदिर के पास नवरात्रि की बहोत पड़ी पूजा होती थी, उस पूजा में भाग लेने और माता का आशीर्वाद लेने हजारों लोग वहा आते थे ,भवानी माता का मंदिर तो बहुत पुराना था ,वो कब बना ये किसी को मालूम नही था, कहते है कि कमसे कम 400 साल पुराना यह मंदिर है लेकिन यह बात भी एक अफवा ही थी,
पिछले दस पीढ़ी से विजयजी का परिवार ही मन्दिर के सुरक्षा का जिम्मा था ,उनकी हर पीढ़ी ने मंदिर में कुछ बदलाव करके उसमें सुधार करते थे, मंदिर का खर्चा सब उनका ही परिवार करता था, माता के आशीर्वाद से उनके पास भी धनदौलत की कमी नही थी , उनका परिवार हिमाचल के सबसे अमीर परिवार था,
माता के मंदिर में लगने वाले मेले का खर्चा भी विजयी ही करते थे उन्होंने हर सुविधा वहा मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए बनावकर रखी थी खाने पीने से लेकर रहने लिए भी वहां बड़ी इमारत बनाई गई थी, जिससे वहां पर आने वाले लोगों को कोई तकलीफ ना हो ,वहां दस दिन तक खाना बनाने की लिये बड़ी रसोई लगाई जाती थी ,जिसमे दिन रात हजोरो लोगो को भोजन बनाया जाता था, यह सब काम विजयजी के साथ उनके बेटे भी देते थे और साथ मे पूरा गांव भी मदत करता था ,उस दस दिन पूरा गांव ही मंदिर की सेवा में लगा रहता
कामनी अपनी यादों में गम थी उसे मेले का वो दिन याद आ रहा था जिस दिन मेले में अपने पूरे परिवार के साथ खुश रह करती और आज वो एक जंगल मे सुनसान बने मकान में अकेली बैठी है सबसे दूर, उनके परिवार ने तो उनको मरा समझ लिया था, अपने जिंदगी में यह कैसे दिन आ गए ये उसने कभी सोचा भी नही था, ऐसी क्या गलती हो गई जो भगवान ने उनको यह सजा दी ,अपनी सारी जिंदगी में उन्होंने कभी किसी का दिल को दुख हो ऐसा कोई काम भी नही किया था ना किसीका नुकसान किया था ,बस वो तो अपने पतिधर्म का पालन कर रही थी जो अपने पति नो बोला उन्होंने वही किया आजतक बिना बोले, विजयजी जैसा इंसान उनका पति बना था जो किसी किस्मत वालो की ही मिलता था ,उनमे बुराई ढूंढने पर भी कोई मिलती ही नही थी ,अपने आप को कोई भी तकलीफ को वो बिना किसी को दिखाई दिए अपने अंदर समेट लेते थे,लेकिन किसी दुसरो को कोई भी परेशानी हो तो वो उनको हर सम्भव मद्त करते थे,पैसा हो और कोई मद्त कोई उनके पास मद्त मागने आये और उन्होंने मद्त ना कि हो ऐसा कभी नहीं हुवा था,कितने ही लोगो मद्त वो बिनबोले किया करते थे,उनके इसी आदत की वजह से हर कोई उनका मुरीद हो जाता था, अपने गाँव को तो वह एक परिवार ही मानते थे और हमेशा उन्हें मद्त करते थे, उनके लिये कोई भी आदमी बुरा सोच ही नही पाता था, हरकोई उनके लिये अपनी जान तक देने से पीछे नही हट सकेगा इस कदर लोग उन्हें चाहते थे ,
जगत, सुल्तान तो उनके दोनों हाथ ही थे विजय जी उनके लिये अपने एक भाई से कम नही थे और जंगल मे रहने वाले रोही के आदिवासी कबीले वाले तो उनके अंगरक्षक ही थे ,लम्बे तगड़े और किसी शेर से हाथो से लड़ने वाले वो लोग बरसो से मन्दिर के साथ विजय जी के परिवार की गुप्त रक्षा करते थे, किसी साये की तरह वह हर परिवार वाले की हिफाजत करते ते, किसी के नजर में आये बिना अपना काम करते थे ,विजयजी ने अपने मौत के दिखावे के बाद अपने परिवार की सुरक्षा और ज्यादा बढ़ा दी थी, वो अब पर्दे के पीछे रहकर अपने परिवार को कौन दुश्मन है उसे ढूंढ रहे थे,और इसका बखूबी साथ कामिनी दे रही थी
कामिनी को विजयी ने बताया था कि उनके दुश्मन को यह बात पता है कि मंदिर के राज के बारे में सिर्फ कामिनी और उनके अलावा उनको बेटों को भी मालूम नही है, और जिस दिन पूनम का नामकरण का कार्यक्रम था उस दिन उनके बेटे या किसी परिवार वालों को अगवा करके वो विजयजी से वो राज जानना उगलवाने वाले थे, लेकिन उन सब आदमियों को रोही के सरदार सोमा ने पकड़ कर तड़पाकर मार दिया था ,उन आदमियों को मुखिया ने ही अपने आदमियों को इतने बुरी तरह टुकड़ो में कटते देखकर डर से सब बता दिया था , लेकिन वो यह काम उसको करने वाले के बारे कुछ नही जानता था ,उसके मुताबिक उसको काम देने वाले कि शक्ल उसने नही देखी थी ,लेकिन वो आदमी बहोत ही लंबा तगड़ा और किसी राक्षस की तरह था,उसने तो पहले विजयजी का नाम सुनकर काम करने से मना किया था लेकिन उस आदमी और उसके साथ उसके दो बेटे थे उन्होंने उसके दो सबसे तगड़े आदमियों को एक एक हाथ से बस गर्दन तोड़ के मार दिया था मानो वो कोई आदमी ना होकर खेलने वाले गुड्डे हो, और उसे यह भी बताया था कि वह पकड़ा जाएगा यह काम करने से पहले ,उसे तो विजयजी को यह सन्देश देंना था कि मंदिर का राज अगर उसने नही बताया तो वो विजयजी के पूरे परिवार को मार देगा
एक महीने की मोहलत उस आदमी ने विजयजी को दी थी राज बताने के लिए, विजयजी तो उसकी बाते सोचकर चिन्ता में पड़ गये थे, की मन्दिर का राज के बारे में यह बात बाहर कैसे गयी , उनके बीवी और जगत के अलावा यह बात किसी को मालूम नही थी ,सुल्तान को भी यह बात मालूम नही थी,तो इतने सालो बाद यह कौन पैदा हो गया राज के बारे में जानने वाला ,और अगर उसे यह राज के बारे में पता था तो अबतक वो चुप किस वजह से रहा, इतने दिनों तक उनके परिवार पर हमले होते रहे वो यही तो नही कर रहा था ,अबतक विजयजी को लगता था उनके परिवार होने वाले हमले कोई पैसे या दौलत के लिए कर रहा था , लेकिन यह बात पता चलने से वो अब परेशान हो गए थे, उन्हें खुद इस बात का पता नही था कि मंदिर में कहा पर चमत्कारी वस्तु है , अगर उन्हें पता भी होता तो अपने परिवार को भी वह कुर्बान कर देते उसे बचाने के लिये , लेकिन ना तो उन्हें उस चीज का पता था ,ना इस दुश्मन का ,अगर उनका दुश्मन उनके परिवार को अगवा करने में कामयाब हो गया तो बेवजह वो मारे जाते, दस दिनों तक उन्होंने बहुत तलाश की अपने दुश्मन को ढूंढने कि लेकिन वो उसे नही मिला, फिर काफी सोचने के बात उन्होंने अपने मौत का दिखावा करके ,अपने दुश्मन को चकमा देंना ही बेहतर समजा ,उनके मरने से उनका राज भी ख़त्म उनके साथ खत्म हो जाएगा और वो अपने दुश्मन को भी आसानी से ढूंढ लेंगे, कामिनी को सब समाजाकर वो दुश्मन को चकमा देने में कामयाब हो गए थे, उनका दुश्मन भी उनकी मौत की खबर से अब सोच में पड़ गया था कि अब वह क्या करे, उनके परिवार के आसपास जो अनजान लोग दिखाई देते थे वो भी विजयजी के मौत के बाद दिखने बन्द हो गए थे, तीन महीने तक विजयजी जंगल मे बने उस घर मे रहकर हर बारीक चीज पर नजर रख रहे थे, जब उनको इस बात की पुष्टि हो गई थी तो आज वो जगत से मिलने गये थे औऱ आगे क्या करना है इसके बारे में बताने गए थे ।
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 8
गाव के बाहर बने एक घर मे चारों तरफ अंधेरा था ,ऐसा लगता था कि सब घर कोई रहता ही नही है, एक अजीब सी खामोशी उस घर मे थी, आवाज आ रही तो बस घर के पास लगे पेड़ो के जो हवा से झूल रहे थे ,एक पेड़ के पीछे एक कार खड़ी थी वो उस अंधेरे का हिस्सा बन कर लगाई गई थी ,उसमे बैठा शख्स अपने मालिक की राह देख रहा था कि कब वो आये और वह उनको जल्दी यहा से लेकर निकल जाए ,
उसी घर मे एक खूफिया कमरे दो लोग किसी बातो पर सहमत नही हो रहे थे और एक दूसरे को अपनी ही बात कैसे सही यह समजाने में लगे थे
जगत में यह गाव छोड़के नही जा सकता, में अपनी जान बचाने के लिये तुम सबको मौत के सामने खड़ा करके नही जा पाऊंगा ,में मरने से नही डरता
विजय में तुम्हे जानता हूं तुम डरपोक नही हो ,लेकिन तुम यही रहे तो एक न एक दिन यह बात सब को मालूम होगी तुम दोनों जिंदा हो,तब बात और बिगड़ सकती है
जगत लेकिन मुझे उस आदमी का पता करना जरूरी है ,वो कोंन अपनी पहचान छिपाकर हमारा दुश्मन बना बैठा है,
अगर में चला गया और उसने किसी दिन मेरे बच्चो को नुकसान पहुँचा दिया तो में कभी अपने आप को माफ नही कर पाऊंगा ,
नही विजय अगर उसे करना होता तो वो यह तीन महीनों में कब का कर चुका होता वो अब ऐसा नही करेगा ,वो अब मेरे खयाल से जब तक उस चीज का वारिस आकर उसको यह से हासिल नही करता तबतक वो कुछ नही करेगा ,वो अब बस अपना पूरा ध्यान मन्दिर पर ही रखेगा ,उसको यह बात पता होगी कि तुम्हारे तीनो बेटे वारिस नही है ,वह अब वारिस कौन होगा यही तलाश करेगा
लेकिन मेरे पिताजी ने कहा था कि इसका वारिस कौन होगा ये बात उनको भी मालूम नही है ,उसकी पहचान खुद वही पत्थर कर लेगा और यह भी हो सकता है कि वह हमारे खानदान से भी नही होगा
विजय यह बात हम भी जानते है ,लेकिन हमारे दुश्मन को यह पता तो नही है ना कि हम पूरी बात नही जानते ,तुमको तो बस उसके निकलने वाले पानी को पिलाया था ,ताकि तुम उसकी रक्षा कर सको ,यह ताकद तुम्हे उसे गलत हाथो में जाने से बचाने के लिये दी गई थी, तुम्हे तो बस अब खुद को सबकी नजरों से दूर रहना होगा ताकि वो तुमतक कभी पोहच नही पाए
में कब तक दूर रहूंगा अपने परिवार से मेरे भाई, जाने कब वो वारिस आएगा ,बस माता से यही दुवा करता हु मेरे मरने से पहले वो आकर अपनी अमानत मन्दिर से ले जाये ,ताकि अपने पिता की दी हुवी जिम्मेदारी पूरी कर सकू
विजय मेरी बात मानो तुम कुल यहां से विदेश चले जावो , यहा पर हम सब है तुम्हारे परिवार के रक्षा हम अपनी जान देकर भी करेंगे ,भाभी को भी समझाना अब तुम्हारा ही काम है,
आखिर विजयजी को जगत की बात माननी ही पड़ी ,जगत जी ने यह भी बता दिया कि सुल्तान की पहचान से उन्हें दूसरे नाम से विदेश जानी की सब तैयारी वह पहले ही कर चुके है
जगत से एक बार गले मिलकर वह बाहर खड़ी गाड़ी में बैठ गए, भीमा ने भी गाड़ी वह से निकाल ली और जंगल वाले घर की तरफ मोड़ दी, एक घण्टे में वह जंगल वाले घर मे पहोच गए ,
कामिनी अभी तक सोई नहीं थी वो विजयजी की राह देख रही थी ,जब वह घर मे आये तो अपने कपड़े उतारकर सिर्फ एक नाइट पेंट में ही कामिनी के पास बिस्तर पर लेट गये
कामिनी ने भी एक नाइट गाउन पहन के लेटी हुवी थी,वो विजयजी के पास सरक कर उनके मजबूत बाहों में चिपक गई,
विजय जी ने फिर धीरे धीरे जगत की साथ हुवी सब बातें बता दी ,कामिनी भी सोच में पड़ गयी थी सब बातों को जानकर ,और थोड़ी देर में वो बोली
मुझे भी जगतभाई की बाते सही लग रही है ,हमे यहा से दूर जाना ही ठीक रहेगा सब के लिये ,आप भी मान जाइए इसमे हम सबकी भलाई ही है
विजयजी को कामिनी की बात सुनकर बहुत बुरा लग गया ,उस बेचारी को अपने बच्चों से दूर रहना कभी पसन्द नही था,लेकिन अपनी ममता का गला घोंटकर सिर्फ वह अपना पतिधर्म निभा रही थी
उन्होंने अपनी बीवी को अपने बाहों में भरकर उसको ओठो को चूमकर कहा ,तुम चिंता मत करो कामिनी में तुमसे वादा करता हु हम बहोत जल्द अपने परिवार के पास होंगे
विजयजी औऱ कामिनी को जो पानी उनके पिता ने पिलाया था ऊसकी वजह से दोनों हमेशा जवान ही रहने वाले थे,उन दोनों में आम आदमी के मुकाबले दस गुना ताक़द आयी थी
विजय जी के शरीर के साथ उनके लिंग में भी विकास हुवा था ,जो पहले 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा था वो 9 इंच बड़ा और 3 इंच मोटा हो गया था , कामिनी के हर अंग में भी जबरदस्त भराव आया था जहा पहले वो 34 26 36 की थी उस पानी के पीने से कुछ दिनों में ही वह 38 28 40 की हो गई थी, उसकी चुत भी फूलकर पावरोटी की तरह बन गई थी
शादी होने के 1 महीने बाद उनको वो पानी उनके पिता ने पिलाया था , शादी के बाद ही कामिनी की चुत की सील विजय ने खोल दी थी लेकिन जब पानी पीकर विजयजी के शरीर का विकास हुवा था तब पहली बार विजयजी के मूसल ने कामिनी की हालत खराब कर दी थी 3 दिन तक वो ठीक से चल नही पाई थी, उन दोनों की कामवासना भी अब औरो के मुक़ाबले कही ज्यादा बढ़ गई थी, दोनो को जब तक दिन में 3 या चार बार चुदने के बाद ही शांति मिलती थी
उन्हें लगा था कि बच्चे होने के बाद कम होगा लेकिन 3 बच्चे होने बाद भी वह वैसी ही रही , कामिनी का बदन तो बच्चे होने के बाद भी बदला नही था ,वो एकदम गदराई घोड़ी बन गई थी ,जो अपने पति का मूसल ऊसकी चुत और गांड को अंदर तक जाकर उसकी जमकर ठुकाई करता था तभी उसको चैन मिलता था
उस रात भी विजयजी ने कामिनी को सुबह होने तक अपने लंड से उसकी चुत और कि गांड में अपना गर्म पानी से उसको भरते रहे ,औऱ दोनो नंगे ही एक दूसरे की बाहों में चैन की नींद सो गये ।
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 9
कामिनी और विजयजी मुम्बई को पहुच गए थे ,भवानीगढ़ से निकलकर मुम्बई तक आने का उनका सफर बहुत ही सावधनी के साथ किया था किसी की नजरों में ना आते हुए अपने भेष बदलकर किया था,वो मुम्बई के हवाई अड्डे के पास बने होटल में रुके वहां नहा धोकर उन्होंने थोड़ा आराम किया सुल्तान भी उनके पास पहुंच गया था ,आज शाम को उनकी अमेरिका के न्यूयॉर्क की टिकट थी ,मिस नरेश गुलाटी और सुनीता गुलाटी के नामसे पासपोर्ट औऱ नकली कागज बनाये गए थे, सुल्तान ने वह कागजात
की फाइल उन्हें दे दी और साथ मे अमेरिकी बैंक के एटीएम भी उन्हें दे दिये थे,
विजयभाई और भाबी आप दोनो वहाँ जाने के बाद मेरे भाई से मिल लेना ,उसका नाम सलीम हैं वह आपके लेने वहा हवाई अड्डे पे पहुच जाएगा ,आपके वहाँ रुकने का इंतजाम उसने वहा पर कर दिया है ,वो वहा पर एक नामचीन डॉक्टर है ,वो आपका वहा पर पूरा साथ देगा
ठीक है सुल्तान लेकिन तुम भी यहां का पुरा ध्यान रखना और कुछ भी बात हो तो तुम मुझे खबर कर देना
विजय भाई आप यहा की चिंता ना करे मेरे होते बच्चों पर कभी कोई आंच नही आयेगी
थोड़ी बहोत उनके बीच और बाते होती रही उसके बाद सुल्तान वापिस गाव लौट गया, शाम को दोनो ( आगे से उनके नाम नरेश और सुनीता से आयेंगे ) हवाई अड्डे पहोच गए,और अमेरिका जाने वाले हवाई जहाज से न्यूयार्क के लिए रवाना हो गये ,
न्यूयॉर्क में उन्हें लेने सलीम आया था ,उन दोनों को वहा से लेके जहा पर उन दोनों को लिए उसने मकान लिया था वहा चल दिया ,नरेश और सुनीता पहले भी कई बार यहां पर आए थे तो उन्हें वहा पर ज्यादा परेशानी नही हुवी ,सलिम ने मकान उसके बाजू वाला ही लिया था, वहा जाकर उन्हें मकान खोल कर दिखा दिया ,और कुछ भी काम हों तो उन्हें अपने घर का फोन नंबर देकर अपने घर चला गया
सुनीता, सलीम को हमारे असली नाम और हम कहा के इसके बारे में कुछ भी पता नही चलना चाहिए ,सुल्तान ने उसे बताया कि हम उसके दोस्त के बेटे ही जिसने तुम्हें भगाकर शादी की है, और तुम्हारे घरवाले हम दोनों को जान से मारना चाहते थे इसलिए हम यहाँ रहने आये है ,
ठीक है ,जैसा आप कहे
में नहा लेती हूं ,बाद में आप भी नहा लीजिए
तभी उनके घर का फ़ोन बजा ,नरेश ने फोन उठाया तो सामने सलीम बात कर रहा था ,उसने नरेश को बताया कि आप नहाकर खाना खाने हमारे यहा पर आ जाईए
नरेश और सुनीता दोनो तयार होकर सलीम के घर खाना खाने पहुँच गये सलीम 40 साल का थे उसके घर मे उसकी बीवी नुसरत 35 साल की थी दोनो मिया बीबी डॉक्टर थे और साथ मे ही काम करते थे ,आजतक दोनो को कोई औलाद नही थी नुसरत एक बेमिसाल खूबसूरत थी उसकी फिगर भी 34 28 38 की थी ,ऊँची गोरी चिट्टी नुसरत हसमुख और बहुत ही मीठी बाते करने वाली थी ,बहुत जल्द उसकी सुनीता के साथ अच्छी दोस्ती हो गई ,
नरेश भाई आप की उम्र कितनी है ,सलीम ने पूछा
जी मेरी 30 साल और मेरी बीवी की 28 साल है, नरेश बोला
नरेश ने उससे अपनी उम्र इसलिए झूठी बोली क्यों कि अगर वो असली उम्र बताता तो उनको यकीन नही होता और फिर उनको सलीम से अपना इतिहास भी छिपाना था
चलो अच्छा है मुझे एक छोटा भाई मिल गया और मेरी बीवि को एक छोटी बहन,
सलीम की बातों से सब के मुह पर हँसी आ गई
सुनीता तुम आज से मुझे दीदी बोला करना मेरी बहुत बड़ी तमन्ना थी कोई मेरी छोटी बहन हो
जी ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी
नरेश तुम यहा पर काम क्या करने वाले हो,अगर तुम्हें यहा पर कोई जॉब करनी हो तो मुझे बता देंना ,में तुम्हे किसी अच्छे जगह पे काम लगा दूंगा
सलीम भाई में यहा पर अपना कोई बिजनेस करना चाहता हु , मैंने यहा आने से पहले अपनी जमीन और घर बेच दिए थे उन पैसे की मदद से मेरा यहां काम चल जाएगा
ठीक है जैसा तुमको सही लगे और कुछ पैसे कम पड़े तो मुझसे ले लेना ,मुझे अपना पार्ट्नर बना लेने लगे तो
सलीम की बाते सुनकर नरेश को बहोत अच्छा लगा था,वह दिल का नेक इंसान लग रहा था पैसे की मदद भी इस तरह कर रहा था कि सामने वाले का दिल ना दुखे ,अब उसे क्या पता सामने वाला खुद अरबो का मालिक है
ठीक है सलीम भाई अगर कम पड़े तो आप से ही लूंगा पैसे
नुसरत भी उनकी बातें सुन रही थी ,जब से नरेश उनके घर आया था वो उसको ही देख रही थी साडे 6 फिट का कद, चौड़ी छाती ,मजबूत कंधे ,लम्बे हाथ , खूबसूरत चेहरा ,बात करने का अंदाज उसको घायल कर रहा था,वो यही सोच रही थी ,काश सलीम की जगह यह मेरा पति होता ,नुसरत कोई हवसी औरत नही थी लेकिन नरेश को देखकर उसके दिल मे उसके लिये अलग ही कशिश पैदा हो गई थी ,जिसे वो समज नही पा रही थी
नरेश तुम ने यह बात कभीं सोची है अगर तुम्हें पहचान वाले किसी ने तुम्हे यहा देख लिया और सुनीता के घर पर बता दिया ,या वो लोगो ने तुम्हे यहा पे ढूंढ लिया तो क्या करोगे
तुम ने बताया की सुनीता के पिता बहोत अमीर है तो उनके लिये तुम कहा गये थे यह मालूम करना ज्यादा मुश्किल नही होगा ,
नही सलीम भाई मेने यह बात नही सोची, आगे जो होगा उसे देख लेंगे , किस्मत में जो लिखा ही आखिर वही होगा
सलीम उसकी बात सुनकर खमोश रहा और कुछ सोचकर बोला अगर मेरी बात मानो तो तुम दोनों प्लास्टिक सर्जरी से अपनी शक्ल बदल लो, फिर कोई तुम्हे पहचान ही नही पायेगा,और तुम्हारी जान का खतरा भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा
सलीम की बातों से नरेश की आंखे चमक उठी ,उसने सलीम से पूछा क्या यह सही ऐसा स हो सकता है, और कौन डॉक्टर करेगा यह काम किसी को पता न चले बिना
सलीम हसने लगा अरे भाई तुम्हारे सामने ही दो डॉक्टर बैठे है ,जो तुम्हारा काम कर देंगे ,बोलो करोगे हमारे पास सर्जरी और हम तुमसे कोई फीस भी नही लेंगे
नरेश यह सुनके बहुत खुश हुवा उसने सुनीता की तरफ देखकर उसे पूछा ,की तुम्हारा क्या राय इस बारे में
सुनीता को समझ नही आ रहा था वो क्या जवाब दे, उसे खामोश देखकर सलीम ही बोल पड़ा अरे इतनी जल्दी फैसला मत करो आराम से एक दो दिन सोचकर फैसला करना ,नरेश ने भी सोचा कि घर जाकर सुनीता से बात करना ही ठीक है
बहोत देर तक उनकी बाते चलती रही फिर नरेश और सुनीता अपने घर सोने के लिये आ गए
नरेश देख रहा था सुनीता थोड़ी सी उदास हो गई है सब बातों से, तो उसने पूछा ,क्या हुवा सुनीता तुम उदास लग रही हो
नही ऐसी कोई बात नही
तुम्हे अपनी सर्जरी नही करनी है ना
नही ऐसा कुछ नही
तो फिर तुम इतनी उदास क्यो हो,
में यह सोच रही थी अगर हमारी शक्कल बदल गई तो हमारे बच्चे हमे कैसे पहचान पाएंगे, हम दोनों हमेशा के लिये उनसे दूर हो जाएंगे
नरेश उसकी बात सुनकर हसने लगा, अरे तुम यह बात सोचो कि यह बदली हुई शक्कल ही हमे अपने परिवार के पास लेके जायगी
सुनीता बोली आप की बात मेरे समझ मे नही आ रही है
नरेश बोला अरे हम सर्ज़री करके कुछ दिन यहा रहेंगे और उसके बाद हम अपने परिवार के पास चले जायेंगे ,में किसी भी तरह सुल्तान के जरिये अपने परिवार में शामिल हो लेंगें, फिर जब तक हमारे दुश्मन का पता नही चलता हम उनके पास ही रहेंगे, उनकी हिफाजत भी कर सकेंगे और पूरा परिवार हमारी नजरो के सामने ही रहेगा
नरेश की बातें सुनकर सुनीता बहोत खुश हो गई , वो बोली जी मे तैयार हूं आप सलिम भाई को फोन करके यह बात अभी बता दीजिए हम कल ही कर लेंगे सर्जरी
नरेेश हसने लगा ,और बोला अभी बहोत रात हो गई है में कल सुबह उन्हें फ़ोन करके यह बात बोल दूँगा
नरेश औऱ सिमा दोनों फिर एक दूसरे की बाहों में प्यार भरी बातें करते हुवे चैन की नींद सो गए
 
Well-known member
1,131
1,460
143

Update 10
नरेश ने सुबह उठने के बाद सलीम को फोन करके यह बात बता दी कि वह दोनो सर्जरी के लिए तैयार है जब आप कहेंगे हम आपके साथ अस्पताल आने को तैयार है , सलीम को भी यह बात जानकर खुशी हुवी उसने नरेश को कहा कि उसे वो एक दिन का समय दे ,सर्जरी के लिए थोड़ी तैयारी करने के लिये, उसके बाद नरेश ने सुल्तान को फ़ोन करके उससे भी बात की , उसको भी सब बातें बताई की वह यह किसलिए कर रहा है, सुल्तान को भी सब बातें सुनकर खुशी हो गई ,उसे भी नरेश की सोच सही लगी ,उसने नरेश को अमेरिका आने से पहले उसके खाते में 25 करोड़ जमा करके उसका एटीएम और बैंक के पासबुक ,चेक़ की फाइल नरेश को मुम्बई में ही अमेरिका जाने से पहले दे दी थी ,यह पैसा नरेश का ही थे जो कुछ साल पहले नरेश ने सुल्तान को एक बड़ी दिल्ली की प्रॉपर्टी को खरीदने के लिये दिए थे और जब सुल्तान को उस प्रॉपर्टी को बाद में बेचकर अच्छा मुनाफा हुवा था, सुल्तान ने तब नरेश को उसके पैसे वापिस देने की पेशकश की थी ,तब नरेश ने उसे कहा था ,यह पैसा उसके पास ही रहने दे ,और अपना बिजनेस में लगाकर उसे बड़ाता रहे जब उसे पैसे की जरूरत होगी वो ले लेगा, आज वही पैसा नरेश को कम में आ रहा था , सुल्तान भी नरेश की मदद से एक अच्छा पैसे वाला प्रोपेर्टी डीलर बना हुवा था ,और नरेश के यह अहसान को वो हमेशा मानता था ,नरेश उसके लिए किसी भगवान से कम नही था ,नरेश के लिए वो अपनी पुरी दौलत भी दांव पर लगाने से पीछे हटने वालो में से नही था, नरेश को अमेरिका में भेजने की सोच उसकी थी ,और उसने जगत से चर्चा करके ही नरेश का अमेरिका जाने से पहले सब जरूरत के चीजो को बन्दोबस्त किया था ,
नरेश ने सुल्तान से बात करके फोन रख दिया ,सुल्तान ने भी उसी वक्त जगत के पास अपने आदमी को भेजकर अपने घर बुला के सब बातें बता दी ,सुल्तान के घर जगत हमेशा जाता था ,नरेश ,सुल्तान और जगत की दोस्ती सब को पता थी , तीनो दोस्त से ज्यादा एक दूसरे के भाई से बढ़कर थे, और जब नरेश की मौत के नाटक करने के बाद ,जगत और सुल्तान और ज्यादा साथ मे रहने लगे थे,
जगत भी अपने कुछ देर सुल्तान से बात करने के बाद अपने घर लौट आया ,जगत को नरेश के बारे में पता था कि वो अपने परिवार से ज्यादा दिन दूर नही रह सकता ,जगत के साथ उसकी बीवी और उसकी एक बेटी ,और एक बेटा रहता था
जगत की बीवी लीला 40 साल
बेटा मोहन 22 साल
बहु सोनम 20 साल
बेटी शीबा 20 साल
उसके बेटी की शादी अभी बाकी थी, जगत का एक सुखी परिवार था, जगत का परिवार के पास मन्दिर का जिम्मा कई पीढयों से चलता आ रहा था , और नरेश के पुरखो ने 100 एकड़ से ज्यादा जमीन जगत के परिवार को अपने पालन पोषण के लिये दी थी, उस खेती के मिलने वाले फसल की आमदनी से जगत का अच्छी तरह गुजारा हो जाता था, नरेश ने भी जगत के लिए मन्दिर के पास ही एक बड़ा घर बनाके दिया था, नरेश ने अपने बच्चों की तरह ही जगत के बच्चों को मानता था ,उसने ही जगत के बेटे और बेटी को दिल्ली में शिक्षा करवाई थी, जगत को भी पैसा का ज्यादा मोह नही था ,ना उसके परिवार को
सुल्तान की बीवी का नाज़िया 40 साल
बड़ी बेटी रेहाना 22 साल
छोटी बेटी नूरी 20 साल
दोनो की शादी हो गई थी और दोनों बहनें एक ही परिवार में दी थी जो दिल्ली में अपने पतियों के साथ रहती थी
जगत आज जब घर पर अपने कमरे में आया तो उसे लीला ने पूछा , क्या बात है आज आप बहुत खुश दिख रहे है
जगत ,ऐसी कोई बात नही आज सुल्तान से मनोज के बारे में पता चला कि वह अब ठीक से कॉलेज जाने लगा है ,वो अब ज्यादा अपनो दुःखोंसे बहार निकल रहा है धीरे धीरे
लीला , यह सूनकर मुझे भी अच्छा लगा ,मनोज तो जैसे जीना ही भूल गया था उस हादसे के बाद,
जगत औऱ लीला थोड़ी देर बात करते रहे लेकिन ,बाद में लीला सो गई लेकिन जगत की आँखों मे नींद नही थी ,वो अपनी ही सोच में गम था ,जगत के पिता और नरेश (विजय) के पिता ने वह मन्दिर में रखा हुवे चमत्कारी चीज बारे जगत को बताया था तब उन दोनों ने उससे निकला हुवा पानी की खूबियों के बारे में बताकर वह पानी जगत और लीला को देने की पेशकश की थी ,लेकिन जगत ने बिना किसी मोह और लालच से उसे लेने से इंकार किया ,जगत ने वह चमत्कारी पानी नरेश ( विजय) और उसके पत्नी को देने की बात कही और खुद नरेश को अपनी कसम देकर उसे मनाया था ,उन दोनों के पिता को भी अपने बच्चों का आपस मे प्यार देखकर बहुत खुशी हुवी थी ,
जब जगत ने अपने पिता से पूछा था कि ऐसी कोनसी चीज है जिसके निकलने वाले पानी मे इतनी ताकद है ,तो उसमें कितनी ज्यादा ताकत होगी ,तब उसके पिता ने बताया था कि यह बहुत ही शक्तियो की खूबी वाला चमत्कारी पत्थर है, वो जिसके नसीब में होगा उसे ही मिलेगा ,अगर वह किसी गलत के हाथों में लगा तो अच्छा नही होगा ,ताकद अगर गलत हाथों में होगी तो वह हमेशा उसका उपयोग अच्छे कामो के लिये नही करेगा ,तुम्हे हमेशा यह ध्यान देना होगा कि वह किसी गलत हाथ मे ना जाये, में और नरेश (विजय) के पिता तुम दोनो को वो चमत्कारी पत्थर कहा पर है और कैसा है वह कुछ दिनों में बता देंगे, लेकिन उनको वो बात बताने के पहले ही जगत के मा और पिता के साथ विजय के मा बाप को किसी ने बुरी तरह से गला काटकर मार दिया था
उस घटना के बाद जगत और विजय बहुत परेशान हुवे थे ,विजय ने जमीन और आसमान एक कर दिया था उनके कातिलों को ढूढ़ने के लिये , पूरे हिमाचल में विजय ने खून के पाट बहा दिये थे, उनको शक था कि मंदिर का राज जाने की लिये उनके मा बाप का कत्ल किया होगा , लेकिन जल्द ही उन्हें पता लगा था की उनकी गाव की पूरी जमीन खरीदने के लिये दिल्ली के बड़े कंपनी के मालिक कोशिस कर रहा था, उसको विजय के पिता ने मना किया था इसलिये उसने अपने आदमियों से उनका कत्ल कर दिया था ,विजयजी ने उसको और उसको आदमियों का नामोनिशान मिटा दिया था,इस काम मे विजय का साथ दिया था सुलतान ने ,दोनो ने मिलकर सबको तड़पाकर मार दिया था
इस सब घटना के बाद जगत ने नरेश ( विजयजी) को रोही कबीले वालो की सुरक्षा में रखना शुरू कर दिया
जगत ने ही नरेश को बताया था कि उस पानी की मिलने वाली ताकद के बारे में किसी को न बताये ,जब धिरे धिरे वक्त गुजरने लगा तो जगत ने ही विजय को थोड़ी दाढ़ी मुछ रखने को कहा ,अपनी उम्र बढ़ नही रही यह राज छिपाने के लिये हर कोशिश करते ,लोग अपने सफेद बाल छुपाने के लिए काले करते है लेकिन यह दोनों उल्टा अपने बोले में सफेदी लगाते थे, जगत को सब पुरानी बातें याद आ रही थी ,उनको इस बात की खुशी की थी उनका दोस्त उनके आसपास ही रहेगा
अगले दिन नरेश और सिमा दोनो सलीम के साथ उसके अस्पताल पहुच गये ,वहा पर उनकी सर्जरी के बाद उनको एक महीने तक वही रुकना था ,सलीम ने सब इंतजाम करके रखा था अब तो बस एक महीने में दोनों की शक्ल बदलने वाली थी और वह अपने परिवार के पास लौट सकते थे ।
लेकिन किस्मत में क्या लिखा होता है किसे पता
 

Top