Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 11
निता ने मनोज की उठाते हुवे कहा चलो उठो मनु सुबह के 7 बजे है ,हमे मुंबई को निकलना है आज , देखो मुझे अभी विजय को भी तैयार करना है
मनोज भी नीता की बात सुनकर उठ गया और बाथरुम में नहाने चला गया
निता भी विजय को लेने अपने कमरे से निकलकर नीचे चली गयी ,विजय रात को सुनीता के कमरे में उसके पास ही सोया था ,सुनीता उनके यहां रहने वाले नरेश की बीवी थी जो पिछले 9 साल से अपनी पति के साथ मुकेश भैया साथ दिल्ली में रहा करते थे,मनोज ने उसे बताया था की नरेश के पिता और उसके पिता कॉलेज में दोस्त थे ,बादमे नरेश के पिता काम करने अमेरिका चले गए और वही उन्होंने शादी की ,नरेश जब 5 साल का तब कार एक्सीडेंट में उसके माता पिता मारे गए ,तब मनोज के पिता ने उसको सहारा दिया था ,नरेश को वहा उसकी मौसी के पास रखकर उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा करते रहे , जब वह बडा हुवा तो उसे एक कंपनी भी खोल दी थी, मनोज के मा बाप नरेश को अपना बेटा ही माना करते थे ,और जब अपने काम से वो अमेरिका जाते तो नरेश को मिलकर ही आते थे ,नरेश भी उन्हें मा बाप ही मानता था ,जब मनोज के माता पिता का देहांत हुवा नरेश को यह बात मालूम नही थी ,और जब उसे उनके मौत के बारे में पता चला था तो वो उनके गाव आया था ,नरेश के बारे में परिवार में किसी को कुछ पता नही था ,लेकिन जगत चाचा और सुल्तान को उसके बारे में सब पता था, दोनो ने आकर मुकेश और सबको सारी बाते बताई थी,नरेश भी सुल्तान और जगत के गले लगकर खूब रोया था, मुकेश को अपने पिता के दोस्तो पर पुरा भरोसा था ,उसने नरेश को फिर वापिस जाने नही दिया ,बल्कि अपना बड़ा भाई बनाकर अपने साथ ही रख लिया ,और इस बात का समर्थन पुरे परिवार ने किया ,जगत और सुल्तान भी इस बात से बहुत खुश हो गये ,और 9 साल से वह परिवार एक अटूट हिस्सा बन गए थे , नरेश और सुनीता को एक बेटी थी जिसका नाम महि था
नीता ने जब नरेश के कमरे का दरवाजा बजाया तो दरवाजा सुनीता ने खोला, अरे निता तुम अंदर आ जाओ
निता जब अंदर आई तो उसने देखा विजय नरेश का साथ खेल रहा था ,और महि भी उनके साथ ही थी
विजय को शन्ति नहा धोकर अच्छे से तयार कर दिया था
नीता आज तुम लोग मुम्बई जाने वाले हो ना ,
हा दीदी, मनोज अभी नहाने गया है , उसके बाद हम निकलने वाले है,
ठीक है ,में नाश्ते को लगा देती हूं कूछ खाकर ही निकलना
उसके बात सब लोगोंने मिलकर नाश्ता किया ,मनोज और नीता फिर अपना सामान कर में रख दिए जब निता ने विजय को सुनीता से लेना लेगी तो वो सुनीता को छोड़ नही रह था, वो उसे अपनी दोनों नन्हे हाथों से पकड़कर बस रो रहा था,सुनीता के आँखों से भी पानी बह रहा था , दोनो का आपस मे प्यार सबको पता था बचपन से विजय को सुनीता ने बहुत प्यार बड़ा किया था, निता से ज्यादा वो सुनीता के पास ही रहता था ,सुनीता सब बच्चों से प्यार करती थी तीनो भाई के बच्चे उसे बड़ी माँ ही कहते थे, नरेश ने फिर विजय को अपने पास लेकर चुप कराया ,और उस वादा किया तुम मा के साथ जावो में तुम्हारी बड़ी मा को लेकर तुम्हारे पीछे दूसरी कार में आ जाऊंगा, वो तो छोटा बच्चा था नरेश की बातों से खुश होके नीता के पास चला गया ,सबसे मिलकर मनोज और नीता कार से निकल गये ,विजय निता की गोद मे ही बैठा था , नीता ने मनोज से कहा, सुनीता दीदी के बिना मेरा भी अब नही लगेगा मुम्बई में,विजय भी उनके बिना उदास ही रहेगा
मनोज, मुझे पता है सब, तुम सुनीता भाबी की बात करती हो तुम देखना नरेश भैया आज खाना ही नही खायंगे दिनभर,उन्हें विजय के आखो में आंसू बर्दाशत ही नही होते, वह तो सभी बच्चों से कितना प्यार करते है तुम्हें पता है ना यह बात
निता , हा सही कहा तुमने जब विजय माता के मंदिर में एक महीने पहले खेलते हुवे बेहोश हुवा था तब मैंने उनकी आंखों में पहली बार आँसू देखे थे, विजय को लेकर जब हम अस्पताल गये थे तब वो तीन दिन तक उसके पास ही बैठे थे,पानी की एक बूंद तक नही पी थी उन्होंने,विजय हमारा बेटा है लेकिन जो प्यार वो दोनों उससे करते है वो हमसे कहि ज्यादा है,
मनोज, सही कहा निता नरेश भैया ने हमारे पिता की कमी हमे कभी महसूस नही होने दी ,सुनीता भाबी तो एक माँ से ज्यादा मेरा खयाल रखती है, ऐसा लगता है भगवान ने चेहरा बदल कर हमारे मा बाप ही वापिस भेज दिये है
मनोज और निता कार से दिल्ली आये और फिर वहां से मुंबई हवाई जहाज से रवाना हो गए, मुम्बई में उन्हें लेने उनका ड्राइवर आया था फिर वह वह से अपने घर के रास्ते पर जा रहे थे ,जब उनकी कार ब्रिज से जा रही थी तब सामने से एक ट्रक ने आके उनकी कार को उड़ा दिया कार ब्रिज से के दीवार से टकरा गई और ट्रक भी दीवार तोड़ कर नीचे गर गया, कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी कार का ड्राइवर जगह पे मर गया था ,कार के सब शीशे टूट गये थे ,मनोज और नीता भी बुरी तरह घायल हो गए थे, मनोज की पीछे ही उनके सुरक्षा के लिये रखे हुए कार लोग चल रहे थे, उन्होंने जैसे ही यह सब देखा वो कार से उतरकर उस तरफ भागे, नीता और मनोज को उन्होंने बाहर निकाला दोनो की सांसे चल रही थी ,उन्हें विजय कार में नही मिला तो कुछ लोग विजय को ढूंढने लगें और बाकी लोग निता और मनोज को अपनी कार में लेकर अस्पताल लेकर चले गये
जो ट्रक पुल से नीचे गिरा था उसमें केमिकल भरा हुवा था जैसे ट्रक नीचे गिरा उसमे आग लग गयी थी और जैसे ही आग उस केमिकल तक पहुची एक जोर का धमाके से वह पूरी जगह हिल गईं ,जहा वह ट्रक गिरा था वहां गरीब लोगों की झोपड़िया थी वो लोग भी इस के आग की चपेट में आ गए और बेवजह ही मारे गये , विजय को ढूंढने वाले लोग भी जख्मी हो गए थे,लेकिन वो विजय को ढूंढने में ही लगे रहे, वहा आग लगने से अफरातफरी मची थी वो आग से बचने के लिए लोग उस जगह को छोड़के भाग रहे थे , कुछ ही देर में वहा पुलिस और फायरब्रिगेड की गाड़िया भी आ गई ,आग को जल्द ही क़ाबू में कर लिया गया लेकिन फिर भी उस आग में 20 से ज्यादा लोग मारे गए,उनमे कुछ छोटे बच्चों की भी लाशें मिली थी जो आग में पूरी तरह जल गई थी,
जब यह खबर गांव में पहुंच गई तब सब लोग तुंरत मुंबई आ गये, मनोज और नीता का इलाज चल रहा था उस अस्पताल में जाकर सब पहुच गये, उनकी हालत देखकर सबका बुरा हाल था और जब उन्हें यह मालूम हुवा की विजय नही मिला तो नरेश,सुल्तान बाकी लोगो को अस्पताल में छोड़कर विजय को ढूंढने निकल गए, जहा यह हादसा हुवा था वह जगह पहुचकर वो विजय को ढूंढने में लगे रहे लेकिन उन्हें विजय उन्हें मिला नही, पुलिस का कहना था कि जो बच्चों की लाशें मिली है उनमें से कोई लाश विजय की लेकिन नरेश यह बात माना हि नही ,वो 2 दिन तक विजय ढूंढ़ता ही रहा, उधर अस्पताल में नीता और मनोज को बचा लिया गया था,
मनोज और नीता का एक महीने तक इलाज चलता रहा उन्हें यह नही बताया की विजय लापता है , दोनो को जब अस्पताल से घर लाये तब यह बात बताई गई ,यह खबर सुनकर दोनो का बहुत ही बुरा हाल हो गया था, नीता और मनोज को मुम्बई से दिल्ली लाया गया ताकि वह अब परिवार में ही रहे,नरेश और सुनीता पूरे परिवार को संभलने में ही लगे रहे, नरेश हमेशा मुम्बई जाकर विजय को ढूंढता ,लेकिन उसके हाथ कुछ नही लगता
सब लोग विजय को अब मरा हुवा ही मानते सिवाय नरेश के उसे हमेशा लगता विजय जिंदा है और एक न एक दिन वह जरूर मिलेगा
 
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Updated 12
एक आदमी शराब के नशे अपने झोपड़ी में दाखिल हुवा उसने आवाज लगाई ,साले मनहूस लाइट बन्द कर ,बिल तेरा बाप भरेगा क्या इसका ,और मैने तुझे कितनी बार बोला है ,तू स्कूल नही जाएगा फिर भी मेरी बात नही सुनता रुक आज तुझे दिखता हु में
फिर उस आदमी ने उस लड़को किसी जानवर की तरह अपने बेल्ट से मारना शुरू किया ,और जब तक उसके हाथ थक नही जाते उसे मारता ही रहा , वह लड़का चुपचाप मार खाता रहा उसके मुह से एक आवाज तक नही निकली थी मार खाते वक्त ,जब वह शराबी सो गया तो उस लड़के ने झोपड़ी का दरवाजा लगा दिया और वह भी नीचे चादर पर सो गया
सुबह कोई बाहर से आवाज दे रहा था, भीकू ए भीकू दरवाजा खोल ,हमे आज जल्दी जाना है मंडी में
उस लड़के ने उठकर दरवाजा खोला और बोला शफी चाचा बापू सो रहे है अभीतक ,आप ही उन्हें उठा दो अगर मेने उठाया तो मुझे फिर मारेगा
चल ठीक है ,तुझे रात को मारा क्या भीकू ने ,मुझे बोल फिर में इसको दिखता हु
नही चाचा ऐसी कोई बात नही है
शफी ने फिर भीकू को उठाया ,भीकू उठके नहा धोकर मंडी जाने के लिये तैयार हो गया
सुन बे मनहूस तू अगर आज स्कूल गया तो तेरे हाथ पांव ही तोड़ दूंगा, तू नासिर के यहां काम को जा चुपचाप, वो तुझे खाने का भी देगा दो वक़्त का, उतने ही मेरे पैसे बचेंगे
शफी बोला, भीकू साले इतने छोटे बच्चे को काम को भेजते तुझे शर्म नही आती ,और उसका नाम है शिवा ,उसे मनहूस मत बोला कर
अरे शफी भाई में तो इसे इस घर मे रहने देता हूं यही बहोत है ,ना जाने यह मनहूस मेरी टेम्पो में कैसे आया में तो दादर की मंडी में माल खाली करके वही पुल के नीचे बने ठेके से शराब ले रहा था ,वहां जब एक ट्रक का धमाका हुवा था पूल से नीचे गिरकर ,साला में भी मारा जाता उस धमाके से ,लेकिन में तब टेम्पो में बैठ गया था ,फिर वहासे में कैसे अपनी जान बचाकर आये मुझे ही मालूम ,जब नाके पे चैकिंग चल रहि थी तब यह पीछे रो रहा था, उस वक्त शिंदे भी वही डयूटी पे उसने बड़े साहब को बोल दिया के में बच्चे अगवा करता हु, साला पहले ही दो साल उस शिंदे की वजह से मुझे जेल जाना पड़ा था ,अगर में फिर किसी केस में फंसता तो लम्बा अंदर जाता, मजबूरन मुझे बोलना पड़ा कि यह मेरा बेटा है इसे में अपने साथ ही रखता हूं हमेशा ,उस वक्त तूने ही मेरी गवाही दी थी साहब के पास की यह मेरा बेटा है ,नही तो में फस गया था
भीकू में उस नाके पे सब्जी लेने आया था, तेरा टेम्पो देखकर में तेरे पास ही आ रहा था तब मैंने तेरी सारी बात सुन ली थी मेने तो तुझे बचाने के लिए झूठ बोला था,मुझे लगा तू बाद में इस बच्चे को इसके मा बाप के पास छोड़ कर आएगा,लेकिन तूने ऐसा नही किया इसे अपने पास ही रख लिया
नही शफी भाई शिंदे को मुझपे भरोसा नही था ,उसने मुझे बोला था कि वह मुझपे नजर रखेगा ,अगर यह बच्चा मेरे पास नही दिखता तो वो और कोई बड़ा केस करता मुझपे
तबसे इस मनहूस को पाल रहा हु में
भीकू तूने कभी उसे खाना तो भी खिलाया क्या, वो मेरी बीबी ने इसे पाला नही तो यह अब तक जिंदा भी नही रहता
शफी चल हमे मंडी जाना है,यह तो रोज की किटकिट है साले की
भीकू और शफी के जाने के बाद शिवा ने सोचा अब स्कूल जाऊ या नासिर भाई के पास ,उसे अब इतने सालोंसे समझ चुका था भीकू उसका बाप नही है, बल्कि वह एक लावारिस है ,अगर वह यहां रहा तो उसकी जिंदगी कभी नही बदलेगी
उसे स्कूल में मास्टर पढ़ने लिखने के फायदे बताया करते थे , और जिस स्कूल में शिवा पढ़ता था उसको फीस नही लगती थी,वहा पर अनाथ बच्चों के रहने का भी इंतजाम था,उसने फिर अपना स्कूल का बस्ता उठाया और शफी चाचा के घर चला गया ,शफी चाचा की बीवी का नाम ज़ीनत था उसने ही शिवा को मा का प्यार देकर पाला ,उसे शिवा नाम भी उन्होंने ही दिया था, आज उनसे मिलकर वो यह बताने जाने वाला था कि वह भीकू का घर छोड़कर अनाथालय में रहने जाने वाला है ,जीनत को चार बेटिया थी उसे कोई बेटा नही था तो वह शिवा को ही अपना बेटा मानती थी ,
सनम 20 साल
नीलोफर 19 साल
सलमा और बेनज़ीर ** दोंनो जुड़वां थी
शिवा जब शफी चाचा के घर पहुचा सनम बाहर ही खड़ी थी
उसने अपनी माँ को आवाज दी, अम्मी बहार आ जा देख तेरा कुत्ता आया है रोटी खाने
सनम शिवा से बहुत नफरत करती थी उसे शिवा बिल्कुल पसंद नही था
शिवा को उसके ऐसी बातों की आदत थी ,वह बाहर ही खड़ा रहा ,जीनत बाहर आईं सबसे पहले उसने सनम को बोला ,बेटी यह तेरा भाई है तुझे कितनी बार बोला है ऐसा मत बोला कर
अपनी माँ की बातों से वह बहुत गुस्सा हो गई और अन्दर चली गयी
शिवा ने जीनत को अपना फैसला बता दिया कि वह भीकू का घर छोड़के जा रहा है,उसने यह नही बताया कि वह कहा जा रहा है उसे पता था कि शफ़ी चाचा उसे अपने घर मे रहने के लिये अनाथालय से वापिस ले आएंगे ,उसे उनकी आमदनी का पता था ,उनका घर शफ़ी चाचा की कमाई से नही चलता था ,इसलिए ज़ीनत चाची कुछ बड़े लोगो के घरोमे खाना बनाने का काम करती थी, जीनत चाची ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नही माना, सनम भी सब बातें सुन रही थी ,उसकी तो सब बाते सूनकर आँखों से पानी बहने लगा पता ही नही चला ,जैसे उसको शिवा की आवाज आना बंद हो गई वो दौड़कर बाहर आई उसने देखा शिवा जा रहा है ,वो उसके पीछे भागी ,जीनत को इस बात का पता भी नही चला वो तो अपने ही गम में थी
शिवा को पीछे से आवाज आई , कहा जा रहे है कुत्ते
शिवा ने मुड़के देखा ,सनम थी वो ,उसको सनम रोनी सूरत देखके बुरा लगा ,वो कुछ नही बोला
सनम फिर बोली ,तूने मेरी बात का जवाब नही दिया कुत्ते
शिवा, सनम दीदी में स्कूल जा रहा था
सनम ,दीदी किसे बोला कुते में तेरी दीदी नही हु ,और ना तू मेरा भाई है कितनी बार बोला है तुझे ,
वापिस कब आने वाला हैं स्कूल से
शिवा ने कुछ जवाब नही दिया
सनम ,सुन कुत्ते तू वापिस नही आया ना देख लेना में तेरी दोनो टाँगे तोड़ दूंगी
शिवा,कुछ देर चुप रहा फिर बोला मे वापस आऊँगा तब तक तुम सबका खयाल रखना
सनम के पास आकर उसकी आँखे से बहते आँसू साफ करके शिवा बोला, सनम तू रो मत ,में तुम्हारी आँखों मे आंसू नही देख सकता ,यह शिवा का वादा है कि वह वापीस जरूर आयेगा
इतना बोलकर वह बिना पीछे मुड़े चला गया
सनम बस उसे जाते हुवे देखती रही जब तक वो ऊसकी आंखो से ओझल नही हूवा वो उसे देखती रही
तीन साल बाद
मुम्बई के होटल में एक लड़का मैनेजर के केबिन के बाहर खड़ा था ,वहां पर आज एक अखबार में नोकरी की ऐड देखकर वह आया था ,जब वह अंदर दाखिल हुवा तो मैनेजर उसे देखता ही रह गया साढे 6 फिट से लम्बा कद ,चौड़े सीना ,मजबूत हाथ ,सन्दर चेहरा जो किसी का मन मोह ले, गोरा रंग ,सलीके से कटे हुवे बाल किसी पहाड़ की तरह वो मजबूत लगमबरी रहा था वो
तुम्हारा नाम क्या है जी
जी सर शिवा
सिर्फ शिवा, मेने पुरा नाम पूछा है ,मा बाप ने सिखाया नही तुम्हें कुछ, तुम्हारी फ़ाइल कहा है
शिवा ने अपनी हाथ मे से फाइल उन्हें दे दी
मैनेजर ने उसके फ़ाइल को खोलकर देखना शुरू किया
उसकी 10 कि मार्कशीट में नांम लिखा था शिवा मनोज देसाई, उसे 10 वी में 92 % थे और 12 वी में 95 %, उसकी पुरी फ़ाइल में स्पोर्ट्स के सर्टीफिकेट थे कुश्ती,कब्ड्डी, बॉक्सिंग हर खेल में वो कॉलेज का स्टेट लेवल का गोल्ड मेडलिस्ट था,उसकी फ़ाइल देखकर मैनेजर को बहुत खुशी हुई उसने अपने सामने खड़े शिवा को बैठने को कहा
बेटा तूम्हारी उम्र कितनी है
जी सर 19 साल
तुम्हारा नाम शिवा मनोज देसाई है तो तुमने मुझे तुम्हारा नाम पूरा क्यों नही बताया
जी सर में एक अनाथ ही, में जिस अनाथालय में बडा हुवा उसको चलाने वाले हे मनोज देसाई ,वही हम अनाथ लोगो को पिता बनकर अपना नाम देते है
मैनेजर ,बेटा में तुम्हे यहाँ काम तो दे दूंगा पर तुम आगे की पढ़ाई करते औऱ आगे जाते,सिर्फ 12 तक पढ़कर कोई फायदा नही होता
सर ,मुझे यही मुम्बई में इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में फ्री सीट पे एड्मिसन मिल गई है,में काम करने के साथ पढ़ने भी वाला हूं
मैनेजर, यह तो बहुत अच्छी बात है ,तो समजो तुम्हारा काम यहां पक्का
ठीक है सर ,सिर्फ़ में आपसे एक गुजारिश करूँगा आप मुझे नाईट डयूटी ही दीजिये इससे मुझे सुबह कॉलेज जाना आसन होगा
नही बेटा तुम रोज दोपहर 4 बजे से रात 12 बजे तक डयूटी करना ,
मैनेजर की अच्छाई देखकर शिवा को बहुत अच्छा लगा ,शिवा को उस होटल में एक एकाउंटर की नौकरी लग गई ,उसे हर महीने का 12,000 मिलने वाले थे
वहाँ से निकलकर शिवा शफ़ी चाचा की घर तरफ चल दिया,उनके घर जाते वक्त उसे शाम हो गई थी
शिवा ने उनके घर का दरवाजा बजाया और आवाज दी शफ़ी चाचा
दरवाजा सनम ने ही खोला ,जब उसने शिवा को देखा तो पहले उसे बिनबोले देखती ही रही ,और बाद मे जोर से चिल्लाई ,कुत्ते और उसके गले लगाकर रोने लगी ,शिवा को सनम की आगोश में एक अलग ही सुख मिल रहा था ,उसे आजतक इस तरह किसी ने अपने गले नही लगाया था, सनम की गुदाज चुचिया उसके सीने को लगने से और सनम के बदन से आती खुश्बू से एक अलग ही नशा आ रहा था उसने भी अपने दोनों हाथो से सनम को अपने सीने में कस लिया था, तभी उसके कानों मे जीनत की आवाज आई शिवा बेटा तुम, शिवा ने सनम को अपने आप से दूर करना चाहा लेकिन वो शिवा को छोड़कर दूर ही नही हो रहीं थी ,
सनम ,मुझे चाची से मिलने दो
शिवा की आवाज से उसने शिवा के छोड़ा और बोली ,लो अम्मी आ गया आपका कुत्ता
जीनत ने उसे कुछ नही बोली और शिवा को गले लगा ली ,शिवा भी बाद मे सबसे मिला उसने देखा कि शफ़ी चाचा बिस्तर में ही लेटे है,वो बोला चाचा मेरे गले नही लगोगे
जीनत बोली ,शिवा अब यह कभी अपने पाव पर खड़े नही हो पाएंगे ,यह सुनकर शिवा को बहुत दुःख हुवा
यह कैसे हुवा चाची
तब जीनत बोली भीकू और शफ़ी चाचा टेम्पो लेके मण्डी से
घर आ रहे थे भीकू ने उस दिन ज्यादा हि शराब पी थी ,उसने नशें में गाड़ी सम्भली नही और वह पलटी हो गया भीकू तो जगह पे मर गया ,तेरे चाचा भी बहोत घायल हो गए थे ,उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है,उनके इलाज के लिए 20 लाख रुपये लगने वाले थे, मेरे पास इतने पैसे नही थे, मेने बस्ती के कुछ लोगो से पैसे उधार लिए थे, जो इनके इलाज में ख़र्च हो गए,इसलिये हम इन्हें घर लेकर आ गए
ज़ीनत की बाते सुनकर शिवा को बहुत बुरा लगा जिस इंसान के पैसे से वो दस साल तक अपना पेट भर रहा था, आज वो इंसान बेबस उसके सामने पड़ा हूवा था
जीनत बोली शिवा,भीकू के घर की चाबी हमारे पास ही ,तुम ही अब भीकु के बाद उसके मालिक हो,तुम वह रह सकते हो
शिवा ने फिर रात का खाना उनके साथ हीं खाया, खाना खाकर शिवा ,सनम और नीलोफर तीनो भीकु के खोली में गये वह जाकर तीनो ने उसकी सफाई करके उसे घर बनाया ,दो ही रूम की घर था वो ,एक पलंग ,रसोई का सामान,पीने का पानी पीने के बर्तन, सब काम करने के बाद सनम ने शिवा से पूछा वो कहा रहा तीन साल तब शिवा ने उन दोनों को सब बताया कि वह कहा रहा कैसे पढ़ाई की ,उसने यह भी बताया कि उसे एक होटल में जॉब भी लग गई है अब वह आगे पढ़ने वाले है,
दोनो बहने फिर अपने घर लौट गई और शिवा बी बेड पर अपनी आँखें बंद करके सोच में पढ़ गया ,उसे शफ़ी चाचा का इलाज कैसे कीया जाए उसकी चिंता हो रही थी,बहुत देर तक वह सोचता रहा ,फिर उसे कुछ याद आया उसने अपने बैग में कुछ ढूंढने लगा थोडी देर बात उसे जो चाहिए था उसे मिल गया,वो एक विस्टिंग कार्ड था ,उसपे नाम लिख हुवा
था और एक मोबाइल नंबर था
कार्ड पे नाम था विनोद शर्मा 98********
 
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Update 13
शिवा सुबह जल्दी उठ गया ,नहाधोकर उसने कपड़े बदल लिए, अनाथालय छोड़ने से पहले उसे अनाथलय की तरफ से
तीन जोड़ी कपड़े ,दो अंडरवेयर, एक बैग जिसमे वो सब सामन रखे दिया गया था ,अनाथलय में हर लड़के का बैंक में खाता खोलकर देते थे उसमे उस अनाथलय के तरफ से 25 , 000 जमा होते ते, और जिन बच्चों ने स्कूल में इनाम जीते उसकी राशि भी उसी में जमा की जाती थी ,शिवा ने भी बहुत नगद इनाम जीते हुए थे , स्पोर्ट्स में उसने इसी लिये ज्यादा भाग लिये क्योंकि उसमें नगद राशि अछि मिलती थी उसके बैंक के खाते में 2 लाख के आसपास रकम जमा थी ,उसने यही सोचा था यह पैसे सो शफ़ी चाचा के दे देगा ,लेकिन उसने जब यहाँ आकर देखा तो शफ़ी चाचा के लिये और 18 लाख रुपये लगने वाले है इलाज में तो उसने विनोद शर्मा की याद आयी थी जो शिवा को एक बार जब उसने स्टेट लेवल के कराटे ,बॉक्सिंग, और कुश्ती इन तीनों में गोल्ड मेडल जीते थे तब मिला था ,विनोद ने तब उसे कहा था कि जब उसे लगे कि उसे ज्यादा पैसा कमाना हो और मरने से डर नही लगता हो तब मेरे आना और अपना कार्ड देकर चला गया था,
शिवा बस्ती से निकला बाहर एक ठेले वाले के पास जाकर उसने चाय पी ,बादमे एक टेलीफोन बूथ से उसने विनोद को फ़ोन किया दो बार पूरी रिंग बजने के बाद तीसरी बार विनोद फ़ोन उठाया ,सामने से आवाज आयीं, हैल्लो कौन बोल रहा है
जी सर में विनोदसर बात करना चाहता हु
में विनोद ही बोल रहा हु ,तुम कोन हो
जी सर में शिवा बोल रहा हु
कौन शिवा ,तुम्हे मेरा नंबर किसने दीया
सर में शिवा आपने पहचाना नही जब आप मुझे कॉलेज के चैंपियन शिप में मिले थे औऱ कहा था कि ज्यादा पैसा कमाना हो और जान की चिंता ना हों तब मुझे फ़ोन करना,
कुछ देर बाद सामने से ,हा याद आया बोलो क्या तुम तयार हो
जी सर में तैयार हूं,
ठीक है अभी तुम कहा हो
में धारावी में ही सर
एक पता बताता हूं वहा पर 1 घण्टे में पहोच जावो
शिवा का बचपन मुम्बई में ही गुजरा था इसलिए उसे वहां पहुंचने में ज्यादा मुश्किल नही हूवी,शिवा जब वहा पहुचा तो एक आलीशान ऑफिस था वहा पर 10 से 12 लोग कंप्यूटर पर काम कर रहे थे ,एक बहुत खूबसूरत लडक़ी वह रिसेप्शन पे बैठी थी शिवा ने उससे पूछा मैडम मुझे विनोद सर से मिलना है ,उन्होंने मुझे बुलाया है, उस लडक़ी ने उसे कुछ देर रुकने को कहा और विनोद सर जब आएंगे तब वो उसे उनसे मिला देगी ये बताया ,शिवा वही एक सोफे पर बैठकर विनोद की राह देखने लगा ,आधे घण्टे में उसे उस लड़की ने बुलाकर एक केबिन में भेज दिया ,शिवा जब केबिन में गया विनोद वही बैठा था, विनोद से अपने सामने बैठने का कहा
बोलो क्या तुम तयार हो ,
जी सर में तैयार हूं
पहले मेरी पूरी बात सुन लो फिर फैसला करना ,जिंदगी में पैसा कमाना इतना आसान नही होता ,और एक दिन में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के लिये तो और मुश्किल होती है,दुबई में हर महीने एक फाइट होती है उसमें दुनियाभर से फायटर आते है ,उसमे जितने वाले को 50 लाख मिलते है ,लेकिन इसमें सबसे खास बात यह है कि वहा इंसान एक दूसरे से नही बल्कि जंगली और खूंखार भालू, शेर ,भेड़िये, बाघ होते है ,उनसे फायटर लडता है वो भी सिर्फ एक छोटे चाकू से ,एक फायटर एक जानवर से लड़ता है, फायटर को जानवर को मारना होता है या मार मार कर बेहोश करना होता है,अगर कोई फायटर बिना हथियार से लड़ता है तो इनाम दुगना मिलता है 1 करोड़ ,अगर तुम वहा जीते तो इनाम का आधा हिस्सा मेरा होगा अगर तुम हार गए तो वो जानवर तुम्हे वैसे भी मार ही देगा ,अगर तुम बीच फाइट से या तुम्हारे सामने आए हुए जानवर को देखके लड़ने से भागे या मना किया तो तुम्हारे दोनों पैरों पर गोलियां मारकर उसी जानवर के सामने तुम्हे मरने के लिये छोड़ा दिया जायेगा
विनोद की बाते सुनके शिवा को भी डर लगा ,उसे लगा किसी आदमी से लड़ना होता तो कोई बात नही लेकिन एक जानवर से लड़ना वो भी एक चाकू से बहुत मुश्किल लग रहा था उसे,
वो थोड़ा सोच में पड़ गया ,
विनोद बोला , अच्छी तरह से सोच लेना शिवा फिर मुझे बताना ,तुम्हारे पास 7 दिन का समय है ,अगर तुम्हारी लड़ना हो तो 7 दिन के अंदर मुझे फोन कर देना तुम्हारा फोन नही आया तो में समज जाऊंगा तुन नही लड़ने वाले
शिवा उसके ऑफिस से बाहर आ गया ,उसे बहुत भूक लगी थी , सुबह से उसने कुछ नहि खाया था पास के ही एक सस्ते होटल में वहां खाना के लिये गया उसने अपने लिये खाने का आर्डर देकर आया हुवा कहना खा रहा था ,की अचानक उसे कांच टूटने की आवाज आयीं उसने जहाँ से आवाज उस तरफ देखा तो एक आदमी वह काम करने वाले लड़के पर चिल्ला रहा था, उसे गन्दी गालिया दे रहा था ,उस लड़के से कांच के गिलास टूट गए थे ,ये सब देखकर शिवा को अपने पुराने दिन याद आये थे जब वो भी इसी तरह होटल में काम करता था और उसके हाथ से कुछ नुकसान होने पे उसका मालिक भी उसे ऐसा ही करता थे उस वक्त शफ़ी चाचा ही उसे बचाते थे ,शिवा ने खाना वैसा ही छोड़ दिया और उठकर उस लड़के को मालिक से अलग करके ,जो नुकसान हुवा वो खुद भर देगा ऐसा बोलके उसने खाने का ,और जो उस लड़के ने नुकसान किया था वो पैसे भर दिये, शिवा ने उस लड़के के सर प्यार से हाथ घुमाकर कहा ,अपना ख्याल रखना और आगे से ध्यान देना , उस लड़के ने कहा शुक्रिया सर, शिवा बोला ,में कोई सर नही हु छोटे ,में तुम्हारा ही एक भाई हु ,और शिव होटल से निकल गया
शिवा एक पार्क में जाकर बैठ गया उसे समझाने वाला ,या किसी को बताकर वो क्या करे ऐसा उसका कोई नही था ,एक अनाथ को सही गलत क्या है वह उसका खुद का दिल ही बताता है, शिवा को पैसा सिर्फ शफ़ी चाचा के लिये ही चाहिए थे ताकि उनका इलाज हो सके,वो अपने पाव पर फिर खड़े हो सकें चल सके ,शिवा बस अपने बीते कल की यादों में अपने सवालों के जवाब ढूंढ रहा था ,तब उसे अपने अनाथलय के स्कूल में कुश्ती सिखाने आने वाले एक आदमी की याद आई उनका नाम नरेशदादा था ,वो कोई स्पोर्ट्स टीचर नही थे बल्कि अनाथलय को चलनेवाले मनोज देसाई के बड़े भाई थे, वो इतने बड़े ,पैसे वाले होकर भी सब बच्चों को बहुत प्यार करते थे ,सबको अच्छी बातें सिखाते,
शिवा जब अनाथलय में नया नया था वह सबसे अलग ,अकेला ही रहता था,किसीसे ज्यादा बात भी नही करता ,ना कोई खेल खेलता था, भीकु उसे रोज घर मे शराब पीकर किसी जानवर की तरह मारता था,उसके दिल मे बचपन से डर बैठ गया था ,उसने यहां पर कुछ गलती कि तो उसे यहाँ भी मारेंगे
एक दिन शिवा खेल के मैदान में अकेला ही बैठा था ,सब लड़के खेल रहे थे ,उसके बगल में तब उसे किसी ने पुकारा
बेटा तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो ,सब के साथ खेल क्यू नही रहे, शिवा ने जब देखा ये किसकी आवाज है तो वह नरेशदादा थे,शिवा उनको अच्छी तरह जानता था, उसने जवाब दिया ,बस सर ऐसे ही नही खेल रहा
नरेश ,में तुम्हारा कोई टीचर हु
नही सर
तो फिर मुझे सर क्यों बुलाते है, मुझे यहा सब बच्चे क्या बुलाते है
जी नरेशदादा बुलाते है
तुम भी तो सबमे से हो मुझे तुम इसी नाम से बुलाना आगे
जी आप मुझसे बड़े है में आपको नाम से नही बुला सकता
नरेश ,तो क्या नाम से बोलोगे
जी मे आपका दादा बुला सकता हु
नरेश को यह सुनकर बड़ी खुशी हुई ,चलेगा तुम यही नाम से बुलाना ,यहा मुंबई में बड़े भाई को दादा बुलाते और दिल्ली में अपने बाप के पिता को दादा बोलते है
नरेश के प्यार भरी बातो से शिवा का डर भी थोड़ा कम हुवा वो भी नरेश से धीरे धीरे के खुलने लगा उसने अपने डर के बारे में बताया ,उसने नरेश को यह नही बताया कि भीकु को वह कहा मिला ,बस इतना ही बताया कि 10 साल तक वह उसको रोज रात को बेल्ट से मारता था और रोने लगा और बोलने लगा भीकु बोला करता कि में लावारिस हु,उसकी बात जानकर नरेश को खून गुस्से से उबलने लगा ,उसे लग रहा थी अभी जाकर भीकु के हाथ पांव काट दे ,लेकिन अपने गुस्से को अपने अंदर समेटकर नरेश ने पहले शिवा के आंसू पोछे, उसे अपने गले लगाकर चुप करने लगा,नरेश को ऐसा लग रहा था कि शिवा कोई पराया नही बल्कि उसका अपना ही है, शिवा को उसने एक बात समझाई, बेटा हर कोई इंसान में डर रहता है ,बस हमे जिंदगी में एक बात का ही डर रहना चाहिए, कि अगर हम किसी मजबूर को मदद करने से अपने किसी स्वार्थ की वजह से पीछे हट गए और हमारे सिवा उसकी कोई मदद नही करना वाला हो तो ऐसी जिंदगी जीने का क्या फायदा ,अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा शर्मनाक पल ना आ आये बस इसी चीज का डर हमेशा रहे बाकी सब डर किसी काम के नही होते ,उस मजबूर की मदद करने में अपने जान की बाजी भी लगानी पड़े तो पीछे नही हटना नही चाहिए ,नरेश ने उसके बात कुछ दिन शिवा के साथ ही रहकर उसके अंदर जैसी नई जान फूंक दी थी ,उसके बाद एक नये शिवा का जन्म हुवा था ,नरेश जब भी मुम्बई आता शिवा के साथ वक्त गुजरता ,नरेश ने शिवा को कुश्ती के और लड़ने के उसे आने वाली सारी कलाये सिखाई थे,और शिवा भी नरेश की बात दिल से मानता था
उन दोनों को पता नही था कि वह एक दूसरे के खून से जुड़े है,नरेश को यह पता नही था कि शिवा ही उसका पोता है,और शिवा को यह नही पता था कि उसे सिखाने वाले उसका अपना ही दादा है,
इन तीन सालों में एक बात और हुवी थी जो शिवा को पता नही थी नरेश ने बड़े प्यार से शिवा से भीकु का पता जान लिया था नरेश जब जब मुम्बई आता था रोज रात को भीकु के घर पर जाकर उसकी जमकर अपने बेल्ट से धुलाई करता था ,
और आज शिवा भी अपनी नरेशदादा की दिखाई राह पर चलने वाला था ,उसके अंदर अब डर खत्म हो गया था ,खून ही अपन खून को सही रास्ता दिखा रहा था
शिवा के कदम वापिस विनोद के ऑफिस की तरफ चल पड़े,विनोद वही मौजूद था ,वो शिवा को देख कर हैरान गया
विनोद ,बोलो शिवा क्या बात है तुम दो घण्टे में वापस आ गए ,कुछ और पूछना था क्या
शिवा ,नहीं सर ,में यह बताने आया था की में दुबई आने को तैयार हूं
विनोद ,शिवा जल्दबाजी मत करो ,तुम्हारे पास सात दिन है
शिवा, मेरा फैसला नहि बदलेगा सर
विनोद ने फिर भी उसे थोड़ा समझाया लेकिन शिवा नही माना, फिर उसने अपने एक आदमी को पास बुलाकर शिवा को दुबई जाने के लिये लगने वाले कागज की लिस्ट देने को बोला और अपने एक आदमी को शिवा यहां से जाने के बाद क्या करता है ,उसे पैसे की क्यो जरूरत है यह पता करने उसके पीछे लगा दिया
शिवा वहां से निकलके पहले बैंक गया वहा जाकर उसने अपने खाते से 1 लाख नब्बे हजार निकाल लिये ,सबसे पहले उसने उन पैसों दो फोन खरीदे एक एंड्राइड और सस्ता
कीपैड वाला दोनों में सिम कार्ड डालकर अपने आधारकार्ड से उनको चालू कर लिया ,वहाँ से वो थोड़ी खानेपिने की चीजें लेकर शफ़ी चाचा के घर पहुंच गया, घर जाकर उसने खानेपीने का सामान जीनत के हाथ मे दे दिया ,सबने मिलकर फिर खाना खाया ,शिवा ने अपनी जेब से डेढ़ लाख रुपये निकालकर जीनत के हाथ मे दिये, जीनत उससे पैसे लेने को तैयार ही नही थी उसे अपनी कसम देकर उसने पैसे लेने को मजबूर किया और यह भी बताया कि यह पैसे उसके अपने मेहनत के है,कोई गलत काम करके उसने यह पैसे कमाए नही है,शिवा ने फिर एंड्राइड फ़ोन सनम के हाथ मे दे दिया ,सनम पढ़ीलिखी थी उसने बी ए तक पढ़ाई की थी ,उसे फोन चलाना आता था ,शिवा ने बोला अभी आप सब मिलके यह फोन इस्तेमाल करो बाद में सबको एक एक फोन लेके दूंगा, शिवा ने सुबह चारो बहनों को अपने साथ लेकर कपड़े की दुकान में लेके गया और सबको अपनी पसंद के दो दो ड्रेस लेके दिए ,जीनत और शफ़ी चाचा को भी उसने दो जोड़ी साड़ी और ड्रेस लेके दिए ,फिर सबको बाहर ही खाना खिलाके घर लौट आए, नए कपड़े लेने से सब लड़कियां बहुत खुश थी, शिवा ने विनोद ने जो कागज बोले थे वो अपने घर से लेके उसके ऑफिस में जमा करवा दिये , विनोद ने शिवा को पहले ही यह बता दिया था कि उसके दुबई का पूरा खर्चा वह खुद करने वाला है,
शिवा ने होटल जाकर मैनेजर से भी मुलाकात की ,उसे अपने काम पर जॉइन होने के लिये अभी 20 दिन बाकी थे,उसने कहा अगर वो होटल में अभी 6 दिन एकाउंट का काम कैसे चलता है यह आकर सीखना चाहेगा ,इससे उसे काम करने में बाद में आसानी होगी,मैनेजर ने भी यह बात को मान लिया ।
 
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Update 14
शिवा पिछले 4 दिनोसे होटल में सुबह 9 बजे जाता और शाम को 6 बजे घर लौट आता था ,शिवा तेज दिमाग का था ,अपनी 12 की पढाई करते वक्त ही कंप्यूटर का कोर्स भी उसने कर लिया था जिसकी वजह से उसे होटल में एकाउंट का वह एक ही दिन में आसानी से समझ गया था ,
शिवा को सुबह होटल की तरफ से ही खाना दे दिया जाता था और शाम को वह शफ़ी चाचा के यहा खाना खाता था ,आज जब वह शाम को घर आया तो उसने देखा शफ़ी चाचा की तबीयत थोड़ी खराब हो गई है,घर पर सिर्फ जीनत ही थी चारो बहने उनके रिश्तेदार के यहां शादी में गये थी ,फिर
उसने पास के एक डॉक्टर को बुलाकर लाया ,डॉक्टर ने उन
का चेकअप करके बताया कि उनका बीपी बढ़ गया है,आप इनको अस्पताल में लेकर जाइए ,ज्यादा डरने की बात नही है एक दिन इनको वहां रखना होगा ,में तबतक लिये एक इजेक्शन दे देता हूं ,बाकी दवा इनको सलाइन से देनी होगी ,डॉक्टर ने ही एक एम्बुलेंस का इंतजाम कर दिया शफ़ी चाचा को लेकर वह दोनों अस्पताल में चले गए ,अस्पताल में उन्हें चेक करके डॉक्टर ने एक सलाइन लगा दी ,1 घण्टे के अंदर ही शफ़ी चाचा को आराम मिल गया था, शफ़ी चाचा ने उन दोनो से थोड़ी देर बाते भी की ,जीनत और शिवा ने खाना भी नही खाया था ,शिवा बाहर से कुछ खाना लाने जा रहा था ,तो उसे शफ़ी चाचा ने कहा कि फिजूल में पैसे खर्च मत करो ,मुझे तो आज कुछ भी खाने से मना किया है, और 9 बजे के बाद तुम दोनों को यहाँ रुकने भी नही देंगे ,इससे अच्छा तुम दोनो घर चले जावो ,घरपर ही खाना बनाकर खा लेना रात को घर पर ही आराम करके सुबह जल्दी आ जाना ,अभी मेरी तबियत बिल्कुल ठीक है ,जीनत को भी यह सही लगा वहाँसे जाने से पहले शिवा ने अपना फ़ोन नंबर नाईट डूटी वाले नर्स के पास देकर गया था ,और यह भी बताया कि अगर कुछ चाचा को रात को तकलीफ हूवी तो उसे फोन करना वह यहां पहुच जाएगा
जीनत और शिवाने घर जाने के लिये एक सिटी बस में चढ़ गए बस में अच्छी भीड़ थी यहां से घर तक का सफर 1 घण्टे से ज्यादा था ,बस में चढ़ते वक्त पहले शिवा ने जीनत को चढ़ाया बाद में वह खुद बस में सवार हो गया बस में भीड़ बहोत ज्यादा थी, जीनत शिवा के आगे ही खड़ी थी ,उन दोनों को मुंबई के भीड़ में ऐसे सफर करने की आदत थी, अगले स्टॉप पर और भीड़ बढ़ गई जिससे लोग एक दूसरे से अब सटकर खडे थे, जीनत अब शिवा से ऐसी चिपक गई थी कि दोनों में अब हवा भी न जा सके ,सिग्नल पर ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया जिसकी वजह से जीनत की बड़ी गांड एकदम शिवा के लंड से चिपक गई, जीनत एक चलती फिरती कयामत थी, 38 32 42 की उसकी फिगर थी, खूबसूरत चेहरा ,कमर तक लम्बे बाल ,दूध सी गोरी जब वह रस्ते से चलती थी तो उसकी बडी गांड की थिरकन से कसी की लंड पानी ही छोड़ दे ऐसी ,लेकिन वो थी बहुत तीखी जिसकी वजह से कोई उसे छेड़ता नही था ,4 लडकिया वो भी एक से एक कोहनूर उसने पैदा किये थे, शफ़ी एक दुबला पतला इंसान था ,उसने बस 4 बेटियाँ होने तक जीनत को चोदा ता, उसके बाद वो महीने में एखाद बार जीनत को चोदता था ,लड़कियां जैसी बड़ी होने लगे तो वो साल में कभी मौका मिलने पर उसे चोदता था ,जीनत को पिछले 8 साल से शफ़ी ने हाथ भी नहीं लगाया था
जीनत अपनी चुत की आग अपने उंगलियों से भुजाति थी, जीनत खाना बनाने जिन घरों में काम करने जाती उसने वहा उन औरतो के साथ बहुत बार सेक्सी फिल्में देखती ,उनमें चुत चूसना ,लन्ड मुह में लेना ,गांड मरवाना ,घोड़ी बनके चुदने ,यह सब कभी उसके साथ हुवा ही नही था, उसे वो सब करने की बहुत इच्छा होती ,लेकिन शफ़ी को यह सब पसन्द नही था,
जब बस में में जीनत की गांड उसके लंड से टकराई तो शिवा को पहले कुछ नही लगा ,लेकिन जब जीनत की गर्म गांड उसके लंड को अपनी गर्मी देती रही तब शिवा का लंड भी उसका आकार धीरे धिरे बढ़ाने लगा और अकड़कर जीनत की गांड को अपनी मोजुदगी बताने लगा ,जीनत को भी अपने गांड पे किसी मजबूत गर्म सलाख के चुभन की मौजूदगी महसूस हो रही थी ,उसे समज नही आ रहा था यह क्या है इसिलए जीनत ने अपना एक हाथ पीछे लेके उसे अपने हाथ से टटोलने लगी वो उसके हाथ की पकड़ से भी बड़ा था उसने ऊपर से नीचे की तरफ एक दो बार अपने हाथ मे पकड़कर थोड़ी गर्दन पीछे की तरफ करके देखा तो उसकी आंख बड़ी हो गई और उसने झट से उसे अपने हाथ से छोड़ दिया ,शिवा के लंड का साइज देखके उसे पसीना आने लगा था ,सबसे ज्यादा पसीना उसकी चुत को आ रहा था ,उसका मन उसको कोस रहा था कि उसने क्यू शिवा का लंड पकड़ा तो शरीर गाली दे रहा था क्यू छोड़ा, उसे ख्याल आ रहा था कि ऐसा ही लंड उसकी प्यास भुजा सकता है ,उसकी चुत और गांड गहराई कितनी है इसका अहसास यही करवा सकता है ,जीनत को लग रहा था कि वापस हाथ पीछे लेके लंड अपनी चुत या गांड में घुसा ले ,शिवा को भी जीनत की नरम गर्म गांड अपने लंड से चिपकी बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन जब जीनत के हाथ ने उसके लंड को छूकर छोड़ दिया तब शिवा को भी थोड़ा बुरा लगा था कि ऊसकी सोच कितनी गन्दी है ,उसे ऐसा बिल्कुल नही करना चाहिए था ,जीनत चाची मुझे कितना पापी समझेगी ,वो तो मुझे अपने बेटे जैसा मानती है, इसलिये शिवा थोड़ा पीछे हुवा था ,दो मिनट के बाद फिर बस का ब्रेक लगा और उसके साथ जीनत की गांड उसके लंड पर चिपक गई,शिवा तुरंत थोड़ा पीछे हटा लेकिन जीनत के गांड पे शिवा लंड के लगने से जीनत तो खुशी से झूम उठि और जब शिवा थोड़ा पीछे हुवा तो जीनत ने अपना एक हाथ पिछे करके शिवा के कमर पकड़कर अपने और दबाने लगी, शिवा यह देखकर हैरान हो गया जीनत ने शिवा कमर को अपने गांड पर दबाने से शिवा का लंड उसकी बड़ी गांड के पाटो को भेदकर उसके गांड के छेद से जा भिड़ा
जीनत ने एकदम पतला सलवार कमीज पहना था और शिवा काम से आकर एक नाइट पैंट पे ही जीनत के घर खाने पे आया था ,जीनत को अपने गांड के छेद पे शिवा के लंड की गर्मी बहुत अच्छी लग रही थी उसके गांड में यह लंड पूरा घुसेगा तो कितना मजा देगा यह सोचकर वह अपनी गांड शिवा के लंड पे घिसने लगी शिवा भी पहले थोड़ा हिचक रहा था लेकिन जीनत पहल करने उसकी भी सोच बन्द हो गई थी अब वह अपने दिमाग से नही अपने लंड से सोच रहा था ,जीनत शिवा के लंड पे अपनी गांड घिसने से इतनी गर्म हो गयी कि उसने कब शिवा के हाथ को पकड़ कर अपने बड़ी चुचिया पर रखकर उसके हाथ से अपनी चुचिया दबावणि लगी उसे पता ही नही चला ,शिवा भी धीरे चुचिया दबा रहा था उसे भी किसी स्पंज जैसी चूची को दबाने में मजा आ रहा था ,बाद में अपने बड़े पंजो में एक एक करके दोनो गेंदों को जोरसे मसल ने लगा जीनत को तो ऐसा किसी नही रगड़ा था ,चलती बस में उन दोनों को खेल चालू था ,लेकिन बस में भीड़ इतनी थी किसी को ध्यान देनेपर भी कुछ समंझने वाला नही था, जीनत अपने आप को इन हमलों से ज्यादा देर तक बचा नही पाई और उसकी चुत ने अपना पानी छोड़कर उसकी खुशी दिखा दी जीनत के चुत से बहते पानी ने भी शिवा का लंड के टोपे को भीगा दिया और शिवा ने जीनत को अपनी तरफ खिंचकर अपना लन्ड जोरसे गांड के छेद पर दबा दिया और लम्बी लम्बी पिचकारियां छोड़ने लगा ,उसके लंड से निकलने वाला वो गर्म पानी उसके सलावर से होकर उसकी गांड के छेद को लगकर जीनत को सुकून दे रहा था, दोनो अपनी वासना शांत करके कुछ देर एक दूसरे से चिपक कर खड़े रहे बाद में अलग हो गए ,और अपने आप को दुरुस्त करके अपना स्टॉप आने तक चुप रहे ,अपना स्टॉप आने पर दोनो उतर गए और घर की और चलने लगे दोनो यही सोच रहे थे ,क्या बोलु ,कैसे बोलू
शिवा अपनी खोली आने के बाद उस की तरफ जाने लगा,तो जीनत बोली चुपचाप घर चलो पहले खाना खा लो उसके बाद बात करंगे ,जीनत ने घर आकर खुद को साफ किया कपड़े बदलकर खाना बनाने लगी शिवा भी तब तक बाथरम जाकर पेशाब करके लंड धोके आ गया, जीनत ने खाना बनने का बाद दोनों के लिये खाना परोसा ,दोनो ने खामोशी से खाना खा लिया
शिवा ने अपने हाथ धोकर पानी पिया और बोला ,चाची में सोने जा रहा हू आप भी आराम करो
जीनत ,शिवा रुको मेरा थोड़ा रसोई काम बाकी है,मुझे तुमसे कुछ बाते करनी है अगर आज नही कह पाई तो जिंदगीभर मुझे अफसोस रहेगा
शिवा, ठीक है ,जैसी आपकी मर्जी ।
 
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Update 15
जीनत ने किचन का काम दस मिनिट में पूरा कर लिया उसके बाद उसने खुद को कपड़े बदलकर तैयार करने लगी ,उसे तो सिर्फ शिवा से बात करनी थी ,लेकिन वो आज ऐसी बन बनठन रही थी जैसे वो कोई नई नवेली दुल्हन हो, शिवा दूसरे कमरे में बैठा जीनत की राह देख रहा था ,उसे लगरहा था बस में उसने जो हरकत की थी वही बात होगी ,उसके मन मे यही चल रहा था जीनत चाची को क्या जवाब दे,
जीनत जब शिवा के सामने आई तो शिवा उसे देखता ही रह गया ,जीनत ने ऐसे कपड़े पहने थे मानो वो किसी शादी या फंक्शन में जा रही हो ,उसने मानो अपने बदन का हर कटाव साफ नजर आए ऐसे कपड़े जानबूझकर पहने हो ,शिवा बी उसे एकटक देख रहा था ,जीनत शिवा को अपने आप को इस नजर से देखने की वजह से शर्मा रही थी मानो वो अपने पति के सामने खड़ी हो
दोनो खमोश नजरो से एक दूसरे को देख रहे थे,यह खामोशी जीनत ने ही तोड़ी
शिवा ,में तुमसे माफी मांगना चाहती हु
शिवा ने कुछ जवाब नही दिया
में जानती हो शिवा बस में मैने जो कुछ तुम्हारे साथ किया वह गलत है,में अपने अंदर की हवस में सब भूल गई थी और यह सब कर बैठी,
तुम हमारे पूरे परिवार को मुश्किल घड़ी में सहारा दे रहो हो,जहा सगे भी अपने मुह मोड़ ले ,और में इस उम्र में यह हरकत कर बैठी ,हो सके तो मुझे माफ़ कर देना ,में आगे से ऐसी कोई हरकत नही करूंगी , मेने जो कुछ भी किया वो इस लिये हुवा की में कितने सालो से अपनी बदन की गर्मी की वजह से परेशान थी ,तुम्हारे चाचा ने पिछले कई सालों से मुझे हाथ की नही लगाया ,में अपने अंदर ही हमेशा जलती रही हु, मेने आज तक कभी कोई गलत कदम नही उठाया ,मुझे यह बात अच्छे से पता है कि अगर मेने कभी किसी पराये आदमी से अपने जिस्मानी रिश्ते नही रखें ,मेरी 4 जवान बेटीयो पे इसका गलत असर होता ,मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर वो मेरी बेटियों के साथ भी खेलता , लेकिन तुम को बचपन से जानती हूं ,तुम पर मेरा अपने आप से ज्यादा भरोसा है ,तुम कभी हमारा गलत फायदा नही ले सकते, जब बस में मेरा बदन को तुमने छुवा अपने आप पर काबू नही रख सकी, तुम्हारे चाचा ने बस मुझे 4 बेटियां दी है ,बाकी ना उन्होंने मुझे प्यार दिया या मेरे बारे में कभी सोचा ,मेरे भी बहुत अरमान थे शादी के बाद हर लड़की तरह ,मुझे ना दौलत की चाह थी पैसों की, मुझे तो बस प्यार चाहिए था वो भी नही मिला मुजे आज तक
इतना बोल कर जीनत रोने लगी
शिवा सारी बाते चुप चाप सुन रहा था ,पहले उसे लग रहा था चाची उसे भला बुरा कहेगी ,लेकिन चाची की बाते सुनकर उसे बहुत बुरा लगा ,वो बचपन से देखता आया था चाची को
वो एक पाकसाफ औरत थी, वो चाहती तो किसके साथ भी अपने जिस्मानी रिश्ते रख सकती थी बस्ती की कितने लोग उसके पीछे पागल थे लेकिन उसने किसको भाव नही दिया था,
शिवा कुछ सोचकर जीनत के पास गया और बोला रो मत चाची में आपको कभी गलत नही मान सकता ,आप नही होती तो में कबका भूका प्यासा ही मर गया होता ,आप खुद को दोष मत दो
जीनत ने शिवा की बात सुनकर उसे गले लगा लिया और रोने लगी, शिवा उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा ,वो चाची की पीठ सहला रहा था, और चाची उसके छाती में लिपटकर रो रही थी ,उसकी चुचिया शिवा के छाती में रोने की वजह से ऊपर नीचे हो रही थी ,जिसकी वजह से जीनत की चुचिया कड़क होकर उसके निप्पल शिवा की छाती में उसे उनका अहसास करा रहे थे,शिवा का लन्ड भी अपना सर उठाने लगा था , उसके लंड चुभन का अहसास जीनत को भी हो रहा था ,वो भी गर्म होने लगी थी
उसने अपने दोनो हाथो से शिवा के चेहरा पकड़ कर थोड़ा नीचे झुकाया और अपने ओठ शिवा के होठो से भिड़ा दिए ,और उसे चुसने लगी ,शिवा को यह हो रहा है वही समझ नही आया जीनत के मखमली ओठ को स्पर्श से उसके अंदर एक बिजली ही दौड़ गई थी, यह शिवा का जीवन का पहला किस था , वो इतनी खूबसूरत औरत के नशीले ओठो का
जीनत एक लंबी चौड़ी औरत थी लेकिन शिवा को उसको किस करते हुवे थोड़ा झुकना पड़ रहा था ,शिवाने जीनत को अपने दोनों हाथों से किस तोड़े बिना ही गोद मे उठा लिया ,जीनत ने अपने दोनो पैर डर के मार उसकी कमर से जोड़ के किसी बन्दर की तरह चढ़ गई अब ,शिवा की हाथ अब जीनत की बड़ी गांड को पकड़ रखे थे ,शिवा ने जीनत को जो किस करना अपनी बाहों में उठने के बाद थोड़ा टूट गया था फिर चालू कर दिया ,अब शिवा के हाथों में जीनत की गांड थी उसे वो अब जोर लगाकर उसकी नरमी देखने की कोशिश कर रहा था ,जीनत इस हमले से और गर्म हो गई अब उसकी चुत शिवा के लंड पे थी जो कपड़े पहने होने के बावजूद अपने वजूद का अहसास दे रहा था ,जीनत ने अब अपनी जीभ शिवा के मुह में घुसा दी , शिवा तो इस हमले से पागल हो गया उसे जीनत की जुबान चुसने से बड़ा मजा आने लगा वो अब अपने दोनों हाथों में जीनत की गांड पकड़कर उसकी चुत को अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा, दोनो का किस अब बहुत ही वाईल्ड हो गया था ,दोनो अपनी सास उखड़ने की वजह से रुक गए थे लेकिन उनकी प्यास अब भड़क गई थी
शिवा मेरी इस बदन की प्यास बुझा दे नही तो में इस आग में एक दिन भर जाऊंगी
चाची में आपको कुछ नही होने दूँगा, में आपकी बात कभी टाल नही सकता पर मुझे आपको ही सिखाना होगा मुझे ज्यादा कुछ पता नही है
शिवा की बातों से जीनत बहुत खुश हो गई ,जल्दी जाकर उसने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया ,और शिव को लेके अपने बिस्तर पर आ गई ,सबसे पहले उसने शिवा को अपने खुद के कपड़े उतारने को कहा ,पहले शिवा को थोड़ी शर्म आ रही थी ,जीनत के कहने पे उसने जीनत को पूरा नंगा कर दिया जीनत के बदन को शिवा देखता ही रह गया , 38 32 42 कि उसकी उसकी पूरी बॉडी कमरे की रोशनी में चमक रही थी ,जीनत ने भी शिवा के बदन से उसके कपड़े उतार दिए सिर्फ उसके अंडरवियर को छोड़कर, जीनत अब बिस्तर पर लेट गई और शिवा को अपने ऊपर ले लिया ,शिवा जीनत जैसे बोल रही थी वैसाही कर रहा था, उन दोनों एक बहुत प्यार भरा किस हुवा जो बाद में एक दम जंगली हो गया ,शिवा ने उस किस के दौरान जीनत की चुचिया का कड़क पन कम करके उन्हें नरम बना रहा था , पहले शिव ने जीनत के ओठो का रस पिया उसके बाद उसके गाल गर्दन को चाटते हुए ,उसकी चुचिया को किसी बच्चे की तरह अपने दोनों हाथों में दबादबाकर 10 मिनिट चूसता रहा ,उसने जीनत की चुचिया दबाके ओर चुसके पूरी लाल कर दी
शफ़ी तो बस जीनत का सलावर खोलता ,अपना लन्ड चुत में डाल के अपना पानी 5मिनीट के अंदर निकल के ,सो जाता उसने आज तक कभी जीनत को नंगा करके नही चोदा था
ना कभी उसके चुचिया दबाई थी या चूसी थी, उसकी 4 बेटीयो ने ही उनके जन्म के बाद उन्हें चूसा था और उसके बाद शिवा
जीनत तो चुचिया चुसने और दबाने से ही एक बार झड गई थी ,धिरे धीरे शिवा अब उसकी पेट पे किस करते करते उसकी नाभि तक पहुच गया और उसमें अपनी जीभ डाल कर उसे चुसने लगा, जीनत को आज जन्नत के दर्शन शिवा उसके बदन के साथ खेलकर दे रहा था , जीनत जैसा शिवा को बोल रही वो वैसाही कर रहा था ,अब वो जीनत की चुत को देख रहा था किसी पाव रोटी सी फूली हुवी दिख रही थी उसके ऊपर एक भी बाल नही था, उसका छेद एकदम लाल दिख रहा था उससे बूंद बूंद पानी टपक कर बिस्तर गीला कर रहा था
जीनत के कहने पे वो उसकी चुत चाटने को तैयार हो गया था, वो आज पहली बार कोई चुत देख रहा था,उसने अपनी जुबान एक बार जीनत की चुत फिराई ,उसकी जुबान पे उसे उनके चुत के पानी का टेस्ट उसे कुछ अजीब सा लगा लेकिन उसे वो पसन्द आया वो फिर अपनी जीभ जीनत की चुत को घुमा कर वो पानी चाटने लगा उसने देखा कि वो पानी छेद से आरहा है ता अपने हाथ से उसने चुत को फ़ैलाया और जुबान अंदर डालकर वो पानी को चुसने लगा, अपनी लंबी जुबान शिवा जीनत की चुत के अंदर तक घुमा रहा था, जीनत की तो शिव के वजह से ऐसा लग रहा थी कोई उसकी जान उसके चुत से खीच रहा हो ,शिवा की जुबान इतने अंदर तक जा रही था जहाँ तक कभी शफ़ी का लन्ड भी नही गया था, जीनत ज्यादा देर तक इस हमलों को झेल नही पाई और शिव के सर को अपनी दोनो जांघो में पकड़ कर और अपने हाथ से उसके बालो को पकड़ कर उसके मुह को अपने चुत पर दबाती हुई झड गई ,शिवाने भी उसकी चुत से बहता एक भी बून्द को जाय नही जाने दिया उसने पूरी चुत को चाट कर साफ़ कर दिया ,
जीनत को आज अपनी चुत चुसवाने की उसकी बरसो पुरानी चाहत पूरी होने से बहुत खुश थी ,वो कुछ देर तो अपनी सासों को ठीक करती रही, बादमे उसने उठकर शिवाको को चूम लिया ,
शुक्रिया शिवा, तुमने तो आज मुझे बहुत बड़ी खुशी दे,में अब तुम्हे भी खुश करती हूं ,अब देखो मेरा कमाल
यह बोलकर वो शिवा को बेड के किनारे बिठा दी,और खुद शिवा के पैरों के पास बैठकर उसकी अंडरवियर उतारने लगी,शिवा के अंडरवियर के उभार को देखके उसको लग रहा था अंदर बड़ा लंड होगा जब उसने उसके अंडरवियर को उतारा एक झटके में उसके सामने शिवा का लंड आ गया ,उसको देख कर जीनत के तोते उड़ गये ,10 इंच लंबा 4 इंच मोटा ,एकदम गोरा, लाल सूपड़ा ,किसी आलू जितने आंड
शिवा ने जीनत को अपने लंड को ऐसे देखते हुए पूछा ,क्या हुवा चाची ,आप चुप क्यों हो गई ,
बेटा यह असली ही है ना ,कहि में कोई सपना नही देख रही,
हा चाची ,लगे तो आप छुकर देखो ,यह असली है
जीनत तो आज तक शफ़ी के लंड से चुदी थी ,उसका तो सिर्फ 5 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा था ,उसने जहा वो काम करती थी उनके घरों में ब्लू फिल्म में भी बड़े लंड देखे ते लेकिन शिवा का तो उनसे भी बड़ा था
जीनत ने अपने दोनों हाथ आगे करके शिवा के लंड को पकड़ लिया और उसके लंड को सहलाने लगी ,वो शिवा के लंड के चमड़ी को नीचे करके उसके सुपाडे को बाहर निकलने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके सुपाडे के पास चमड़ी चिटकी हुवी थी ,जिसके वजह से जीनत समझ गई शिवा बिल्कुल कोरा है
शिवा तेरा लंड बहुत ही बड़ा है ,इसके साथ अगर तूने किसी कवारी लडक़ी को चोदा तो वह मर ही जाएगी, तेरे लंड के लिए तो कोई तगड़ी घोड़ी ही ठीक रहेगी ,वोही तुझे झेल सकेगी,
शिवा बोला में कुछ समझ नही चाची, और में कहा से तगड़ी घोड़ी ढूंढ़ के लावू
जीनत अरे में हु ना तेरी घोड़ी में झेल लुंगी इस मूसल को
शिवा ,औऱ आप क्या बोल रही थी कवारी लडक़ी के बारे में वो में समझा नही
अरे मेने तो ऐसे ही बोला कोई भी चुत कितना भी बड़ा लंड ले सकती है,बस उसके लिए तम्हे ढंग से चोदना आना चाहिए ,में तुझे सब सीखा दूंगी तू चिंता न कर
जीनत ने फिर शिवा के लंड के साथ खेलने लगी ,उसने उसके लंड से रही मर्दाना ख़ुश्बू को सूंघा, और उसे तो जैसा नशा होने लगा वो अब उसके लंड को चाटने लगी ,वो शिवा के लंड को पकड़ कर अपने मुह मे लेके चुसने लगी ,उसके मूसल को पूरा लेना मतलब अपनी जान गवाना था, उसने कुछ देर उसके लंड को चूसा फिर अपने मुह से निकाल दिया शिवा को जीनत के लंड चुसने से बड़ा मजा आ रहा था वह अपनी आँखें बंद करके मजे की वादियों में उड़ रहा था ,लेकिन जब जीनत ने उसके लंड को मुह से निकाला तो उसने अपनी आँखें खोलकर देखा,
जीनत बोली अब आगे का सिखाता हु में तुम्हें, और किचन में जाकर एक कटोरी में सरसो का तेल लेकर आ आयी ,पहले उसने शिवा के लंड को तेल लगाकर उसे चिकना कर दिया ,और शिवा को उसकी चुत में तेल लगाने को कहा और पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनो टाँगे अच्छी से फैला दी
शिवा ने भी जिस तरह जीनत ने बताया था कि उसी तरह पहले अपने एक उंगली से फिर दोनो उंगलियों से जीनत की चुत को अंदर तक चिकना कर दिया
शिवा कोई भी कवारी लड़की हो या औरत उसको भी तुम जैसा मेरे साथ किया था वैसे ही करना ,तेल ,क्रीम अगर कुछ नही मीले तो अपनी थूक का इस्तेमाल करना लेकिन कभी किसीकी सुकी चुत नही मारना उसे भी तकलीफ होगी और तुम्हे भी ,अगर किसी के साथ तुमने ऐसा किया तो फिर कभी वो तुमसे नही चुदेगि, अपनी खुशी के साथ हमेशा सामने वाले कि खुशी का ख्याल रखना चहिये ,
अब आगे बढ़कर मुझे भी आज ठंडा करो , तुम यह बात याद रखना में कितना भी रोई ,चिल्लई ,तुम अपना लंड नही निकालना ,तुम जब तक पूरा अंदर नही डालते तब तक नही रूकना, तुम मेरे ओठ चुसने ,मेरे चुचिया दबाना ,लेकिन रुकना नही ,
शिवा भी जैसा कहा वैसा ही करने लगा उसने अपने लंड को आगे बढ़कर जीनत के चुत पे लगाकर अपना लंड उसकी चुत में घुसाने लगा पर उसका लंड बार बार फिसल रहा था,जीनत ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके लंड को अपने चुत के छेद को लगा दिया ,शिवा ने एक झटका मारा तो उसका लंड फच्च की आवाज के साथ जीनत की चुत में 2 इंच तक घुस गया दोनो की चीख निकल गई इससे शिवा के टोपे से खाल निकल जाने से तकलीफ हो रही और जीनत को इस मूसल ने अपनी औकात दिखाई थी
शिवा अब जीनत के लबो का रस पीते हुवे उसकी चुचिया भी सहला रहा था ,जीनत को अब थोड़ा बेहतर लग रहा कि शिवा ने जीनत की कमर पकड़ कर एक जबरदस्त धक्का लगा दिया जीनत की चुत को फाड़ता हुवा दनदनाता अंदर तक घुस गया ,जीनत के मुह से भयंकर चीख निकल गई ,उसे भयानक पीड़ा होने लगी,उसने 4 बेटीया पैदा करने के वक्त भी उसे इतना दर्द नही हुवा था जितना आज हो रहा था, अगर शिवा उसके चुम नही रहा होता तो उसकी चीख सुनके पूरी बस्ती जमा होनी थी,उसकी चिख ऐसी थी मानो किसी ने उसका खून कर दिया हो चाकू घोप कर, खून तो हुवा लेकिन उसकी चुत का जो शिवा के लंड ने कर दिया था जिसका गवाह था उसकी चुत से टपक रही खून की बूंदें
शिवा जीनत के लगातकर किस करते हुए उसकी चुचिया भी दबाता रहा , जीनत की आखों से लगातार आंसू बह रहे थे ,5 मिनिट रूकर शिवा ने अपने लंड को धीरे से अंदर बाहर करना चालू कर दिया ,शिवा पहले थोड़ धीरे फिर जोरसे जीनत की चुत की ठुकाई करने लगा,जीनत को भी अब आराम मिल गया था ,वो अपनी गांड उठाकर शिवा के लंड को अपनी चुत में निगलने लगी ,अपनी दोनो टाँगे उठवाकर जीनत शिवा से अपनी चुत में शिवा के ताकद से भरपूर धक्के 10 मिनिट तक झेलते हुए भलभलाकर झड गई, उसके झड़ने के बाद वो घोड़ी बनके शिवा से अपनी चुत मरवाने लगी ,शिवा को तो बहुत मजा आ रहा ,वो अपने मूसल से जीनत की चुत को बड़ा करने में लगा था, पिछले आधे घंटे से जीनत शिवा से अपनी चुत मरवा रही थी ,वो दो बार झड गई थी लेकिन शिवा अभी झडा नही था ,जीनत उसके ताकद को देख कर हैरान हो गई थी, यह आदमी है या कोई घोड़ा जो झड ही नही रहा ,कभी घोड़ी,तो कभी कुतिया ,कभी खड़े खड़े हर आसन में उसे शिवा ने चोद कर तृप्त कर दिया था , जीनत अब पीठ पर लेटकर अपनी टाँगे शिवा के कंधे ने रखकर अपनी चुत मरवा रही थी उसकी गांड बिस्तर से थोड़ी उठ गई थी ,शिवा और जीनत दोनो पसीने से लथपथ थे, शिवा भी अब अपनी पूरी गर्मी को बाहर निकलना चाहता था, जीनत की चुत भी 3 बार झड रही थी उसे अब अब शिवा का लंड थोड़ा और अपनी चुत में फुलता हुवा महसूस होने लगा, शिवा के लंड ने अब अपने बड़ी बड़ी पिचकारियां लगानी शुरू कर दी ,और जीनत की चुत को इस गर्म पानी से बड़ा आराम मिल रहा था, शिवा ने अपने लन्ड की आखरी धार तक जीनत के अंदर खाली कर दीं और लंबी साँसे लेता हुवा पसर गया,
जीनत के चुत से अब शिवा का वीर्य बहकर नीचे गिरने लगा था, जीनत ने अपने चुत से बहने वाले शिवा के वीर्य को दो उंगलियों में लेकर देखा बिल्कुल सफेद ,और गाढ़ा माल था वो जीनत ने उसे अपनी जीभ से चाटकर देखा और बाद में पूरी उंगलिया चाट गई ,जीनत को आज ऐसी जबरदस्त चुदाई मिली थी जिसकी उसे कल्पना भी नही थी, वो थोड़ी देर सोती रही बाद में जब वो बाथरूम जाने की लिए खड़ी हुई उसे अपने चुत में बहोत दर्द होने लगा ,उसे वो बर्दास्त करती हुवी धिरे जाकर अपने आप को साफ करके वापिस आयी ,उसने आकर शिवा को उठाकर सबसे पहले चादर बदली और अपने खून से भरी हुवी चादर देखी ,इतना खून तो उसकी सील टूटने पर भी नही निकला जितना आज उसने निकाला था,
उस चादर को सबसे पहले उसने धोकर सुखाने को डाल दिया ,अगर उसकी लड़कियों ने सुबह चादर देखी होती तो जवाब देना मुश्किल होता , वापिस वो शिवा के पास नंगी ही उसकी बाहो में लेट गयी ,शीवा ने भी उसे अपने पास लिटाकर उसे प्यार से चुम लिया, जीनत का हाथ अब शिवा के लौड़े को सहला रहे थे,उसने देखा अब भी शिवा का लंड खड़ा है और उसका सुपड़ा भी खुलकर बाहर आ गया है,
शिवा ,कैसा लगा तुम्हे मजा आया
जी चाची बहुत अच्छा लगा मुझे
किसको बताना नही अभी हम दोनों के बीच जो हुवा ,
नही चाची नही बताऊंगा,
अगली बार मे तुमसे अपनी गांड मरवाना चाहती हु, मारोगे ना मेरी गांड
जैसा आप कहे चाची
शिवा जब हम दोनों हो तब मुझे जीनत ही कहना ,चाची सबके सामने बोला करना
शिवा ,ऐसा क्यों चाची
मेने बोला ना बस मेरे लिए इतना नही करोगे
ठीक है ,जैसे आपकी मर्जी
एक बार बोलो ना मेरा नाम लेकर
क्या बोलू
यही की तुम मेरी गांड मरोगे
शिवा कुछ देर चुप रहा फिर जीनत की आखों में देखता हुवा बोला जीनत में तुम्हारी गांड मारना चाहता हु
जीनत को बड़ा मजा आ रहा था शिवा की बातोंसे, उस रात जीनत की शिवा ने एक बार और चुत का भोसड़ा बनाया ,जीनत को पता था अगर उसने आज अपनी गांड भी मरवाई तो वो 8 दिन उठ नही पाएगी बिस्तर से एक तो उसकी गांड कवारी थी, और आज शिवा ने चुत का हाल किया था उससे ही उसको 2 से 3 दिन चलना मुश्किल था,
रात को दूसरी बार चुदने के बाद दोनों ने अपने कपड़े पहन कर सब ठीक करके सो गए थे, सुबह सुबह 4 लडकिया घर आ गई थी, उनके आने के बाद सनम और शिवा जाकर शफ़ी चाचा को अस्पताल से घर लेकर आये थे ,जीनत को भी बुखार आया था रात की मेहनत से उसकी चुत भी फूल के सूज गई थी , वो अब 2 दिन बिस्तर से उठने के काबिल भी नही थी ,शिवा ने उसे भी बुखार और दर्द कम करने की दवाई लाकर दी ,शिवा को कल दोपहर को को दुबई जाना था ,वो दिनभर जीनत के घर ही रहा ,और शाम को विनोद से मिलकर कब जाना है, किधर आना है सब पूछकर आ गया
विनोद ने दोपहर की फ्लाइट होने के बाद भी उसने सुबह ही बुला लिया था
शिवा ने रात को खाने के वक्त सबको बता दिया कि वो होटल के काम सीखने की वजह से कुछ दिनों के लिये दिल्ली जाने वाला है,वहा होटल के मालिक भी मिलने वाले है सब नए काम करने वालो से,और मैने सुना है उनका एक ट्रस्ट भी है जो गरीबो की लिये चलाते है ,अगर भगवान ने चाहा तो उनसे शफ़ी चाचा के इलाज के लिये हमे मदद मिल जाएगी
शिवा की बातों से सबको बहुत खुशी हुवी, उनके लिए शिवा एक भगवान ही था
शिवा ने जो ट्रस्ट की बात कही थी वो झूठ नही थी उनके होटल के मालिक की सच मे ट्रस्ट थी जो गरीबो को मदद करती थी ,उस ट्रस्ट के बारे में जब वो होटल के अकाउंट का काम सिख रहा था तब पता चला था
उसे मालूम था अगर विनोद के साथ वो दुबई में जाने की बात इनको बताता तो वो इसे हरगिज नही जाने देंगे,और उन पैसों से शफ़ी चाचा का इलाज भी नही करेंगे,
रात को बहुत देर तक वो सब के साथ बाते करता रहा फिर बादमे अपने घर जाके वो सो गया ,
सुबह विनोद के ऑफिस जाने की लिये वो जल्दी उठकर तैयार हुवा फिर अपना बैग लेकर शफ़ी चाचा और जीनत घर सबसे मिलके निकलने लगा वो थोड़ा आगे आया तो उसे सनम की आवाज आई ,उसने पीछे मुड़ के देखा तो सनम थी ,शिवा मेरा कुछ सामान तुम्हारे घर मे रह गया है मुझे वो लेंना है, सनम बोली ,
हा ,तो ले लेना चाबी तो तुम्हारे पास ही देकर आया था में ,
लेकिन तुम अभी मेरे साथ चलो तुम्हारे घर में तुम्हारे सामने ही लुंगी ,नही तो तुम बोलोगे मेने तुम्हारे यहा से कुछ चोरी कि हे,
सनम की बातों से शिवा को थोड़ा बुरा लगा उसे सनम कभी समझ नही आई थी ,बचपन में उसके साथ बहोत प्यार से रहती थी ,सनम शिवा से 5 साल बड़ी थी ,उसने शीवा को बहुत प्यार दिया था ,उसने कभी शिवा को भाई बोला ही नही ,और जब शिवा उसे दीदी बोलता तो उसको वो एक थपड जमा देती थी, उसके घर वापिस आने पर उसे लगा था सनम बदल गई है ,लेकिन वो कुछ भी नही बदली थी
शिवा ने सनम से अपने घर की चाबी ली और जाकर अपने घर का दरवाजा खोला और अंदर जाकर बिस्तर पर बैठ गया ,सनम उसके पीछे ही घर मे आ गई और दरवाजे पर खड़े रहकर शिवा के चेहरे को एकटक देख रही थीं, शिवा ने उसे ऐसे खड़े देखकर कहा ,जल्दी करो सनम मुझे जाने में देरी हो रही है
सनम कुछ देर दरवाजे पर खड़ी रही, फिर उसने दरवाजे को अंदर से बंद करके शिवा बाजू में जाकर बैठ गई
शिवा ,तुमने दरवाजा क्यो बन्द कर दिया सनम
सनम बहुत गुस्से में उसको चेहरे को पकड़ के बोली ,नही बीच रास्ते मे भरे बाजार तूमको चुमना चाहिए ,और अपने प्यार का इजहार करना चाहिये,तुमको तो कुछ समझ हि नही आता मेरे मन का बचपन से,
और शिवा को प्यार से किस करने लगी ,पहले तो शिवा उसकी बाते सुनकर हैराण हो गया, सनम की होठो की नरमी,उसकी लज्ज़त, शिवा के रोम रोम बस गई ,सनम और शिवा दोनों अब अलग ही दुनिया मे चले गये थे, सनम और शिवा की साँसे उखड़ने से दोनो के लब अलग हो गए, सनम की अब गर्दन नीचे हो गई थी उसका पूरा चेहरा शर्मसे लाल हो गया था
शिवा कुछ नही बोला ,उसे जाने में देरी हो रही थी ,सनम में चलता हूं मुझे देरी हो रही है
सनम उसकी बातों से उखड़ गई जो गर्दन नीचे करके बैठ गई थी,कुत्ते मेरी बात का जवाब नही दिया अभीतक,
शिवा ,सनम में वापिस आने के बाद इस पर बात करेंगे,
सनम शिवा के गले लगकर रोने लगी और उसे कहने लगी ,शिवा में तुमसे बचपन से प्यार करती हूं ,अब्बू मेरी शादी नईम से करना चाहते है,में सिर्फ तुमसे शादी करना चाहती हु ,अगर तुमने मुझसे शादी नही की तो में अपनी जान दे दूंगी,
शिवा ने सनम को पहले चुप कराया ,उसे पलंग पर बिठाकर पानी पिलाया ,सनम में वापिस आने के बाद चाचा से बात करूंगा , तुम चिंता मत करो ,मुझपर भरोसा रखो,
सनम बोली ,शिवा तुम मुझसे प्यार नही करते,
शिवा, इसका भी जवाब में तुम्हें आके दूँगा
सनम और शिवा थोड़ी देर बात करते रहे ,फिर सनम घर चली गई और शिवा, विनोद के आफिस की ओर चला पड़ा,
शिवा सोच रहा था एक परेशानी खत्म नही हो रही तो दूसरी खड़ी हो गई ,अब इसका रास्ता भी निकलना ही होगा ।
 
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Update 16
शिवा अपनी ही सोच में डूबा विनोद के ऑफिस पहुंच गया ,
ऑफिस में विनोद मौजूद था, शिवा को देखकर उसने उसके सेक्रेटरी को बुलाकर शिवा को उसके साथ जाने को कहा ,शिवा और वो लड़की बाहर आकर कार में बैठ गये ,उसने ड्राइवर से कुछ कहा ,फिर वो कार वहासे मुम्बई के सड़को से दौड़ने लगी ,कुछ देर बाद वो एक कपड़े के दुकान के सामने रुकी, उस लड़की ने शिवा को कार से उतरकर उसके पीछे आने को कहा ,दोनो दुकान के अंदर चले गए ,
हेलो नरगिस ,कैसी हो , आज यहां कैसे
अरे सनी भाई आप ,में ठीक हु यह है शिवा ,विनोदसर ने इनके लिए ही कपड़े लेने भेजे है,
शिवा का तो उन दोनों की बातों पर ध्यान ही नही था, सनी एक आदमी को आवाज दी और शिवा का कपड़े का नाप लेने को बोला ,उस आदमी के पीछे शिवा औऱ नरगिस एक काउंटर पर चले गये,
नरगिस ,शिवा देखो जो तुमको पसन्द हो वो ले लो
शिवा, जी मेरे पास कपड़े है ,मुझे नही लेने है कपड़े ,यह माप ले रहे थे तो मुझे लगा मेरे फाइट के लिए कपड़े का माप ले रहे है इसलिये मेने माप दिया ,नही तो में मेरा माप भी नही लेने देता
नरगिस ,मुझे विनोदसर ने बोला है तुम्हें यह सब लेके देने के लिये , मुझे क्या शौक नही चढ़ा तुम्हारे साथ शॉपिंग करने का, में मेरा काम कर रही हु , लो विनोद सर से बात कर लो वही तुम्हें समझाएंगे, फिर उसने विनोद को फोन करके सब बोल दिया ,विनोद ने शिवा से फ़ोन पे बात करके उसको समजाया की उनको दुबई जाना है जहां पर सब अमीर लोग ही होंगे ,वहां पर उसके कपड़े नही चल सकते , वहां पर सब होता है लेकिन वो भी एक स्टाइल में ,ना कि देसी लड़ाई ,
फिर विनोद ने फोन रख दिया
शिवा ने अब नरगिस के तरफ देखकर बोला ,मैडम ,आप जो बोलोगी वो में ले लूंगा,
नरगिस ,तुम क्या मेरे पती हो या बॉयफ्रेंड जो में तुमको पसन्द करके दु ,तुम देखो तुम्हे क्या पसन्द है
शिवा, मैडम में आपको बताना नही चाहता था पर सुनिये मेने बचपन से आज तक कभी नए कपड़े नही पहने ,मुझे हमेशा किसी के पहने हुए कपड़े ही मिले है, मुझे नया मिला है तो बस स्कूल के कपड़े ही मिले है, आप मेरे बदन पे जो कपड़े देख रही है वो भी मुझे अनाथलय से मिले है वहां पर सबको ऐक जैसे ही कपड़े मिलते है , आप विनोद सर के साथ काम करती है आपको पता होंगा कैसे कपड़े होने चाहिये इसलिये में आपसे कह रहा था ,आप बस क्या लेना है उन्हें बता दीजिए ये दे देंगे इनकी पसन्द के
उसके बाद नरगिस ने उस सेल्समन को कुछ लिस्ट बनाके दी और शिवा को उस सेल्समन के पास छोड़के दूसरी तरफ चली गईं
शिवा को उस सेल्समन ने एक कुर्सी पर बिठा दिया और कहा की वह सब कपड़े लेके आ जायेगा
1घंटे के बाद सेल्समन वहां पर सब लेके आ गया वो पसीने से लथपथ था,शिवा और सेल्समन काउंटर पर बिल करने गए नरगिस उनके पीछे ही थी,
काउन्टर पे सनी ही था उसने नरगिस को देखके कहा ,नरगिस तुमने आज हमारे आदमियों के तो पसीने निकल दिए ,अच्छा हुवा तुम्हे दोपहर को जाना है और इसके साइज का सूट सीने में हमे 2 घण्टे लगने वाले है बताया नही तो तुमको पता नही चलता वक्त का ,
नरगिस ने कुछ जवाब नही दिया बस सेल्समन को कुछ इशारा किया ,उस सेल्समन ने एक बैग शिवा की तरफ कर दिया और बोला ,सर आप यह कपड़े पहन लीजिये आपको एयरपोर्ट भी जाना है यही से
शिवा ने उसके पास से वह बैग लिया और उसने दिखाए हुवे कमरे की तरफ जाकर कपड़े बदल लिए ,उस बैग में एक बहुत खूबसूरत ब्लू कलर की फुल स्लेव की टी शर्ट, ब्लू जीन्स ,बेल्ट ,अंडरवियर बनियान , सॉक्स और वुडलैंड के ब्लू शूज थे ,शिवा ने सब कपड़े पहन कर बाहर आ गया उसके एक हाथ वही बैग था जो वो अंदर लेके गया था लेकिन अब उसमे नए नही बल्कि उसके पुराने कपड़े और जूते थे ,शिवा पहले से दिखने में खूबसूरत था लेकिन अब इन कपड़ो की वजह से वो अब और भी ज्यादा हैंडसम दिख रहा
था । नरगिस भी शिवा को एकटक देख रही थी ,
सनी ने शिवा को देखकर कहा ,शिवा में तुम्हे नही पूछुंगा की तुम्हारे हाथ मे जो बैग है उसमें क्या है,मुझे पता है उसमें तुम्हारे पुराने कपड़े और जूते है और क्या पता तुम बोल दो भाई यह कपड़े औकात है और आदमी को अपनी औकात कभी नही भूलनी चाहिए, जैसे अमिताभ ने बोला था लावारिस फ़िल्म में ,और सनी जोरसे हसने लगा
फिर बोला ,शिवा बुरा मत मानना मेरी बात का, में तो बस मजाक कर रहा था
शिवा,नही सनी भाई मुझे बुरा नही लगा और मैने कभी फिल्में देखी ही नही,और जिसके साथ उसकी खुद की जिंदगी ने मजाक किया हो उसका मेने कभी बुरा नही माना तो आप की बात इसके मुकाबले बहुत मामूली है
सनी को शिवा की बात सुनकर थोड़ा बुरा लगा सनी एक मस्तमौला बन्दा था ,इतने बड़े शोरूम का मालिक होकर भी उसमे इंसान दिल का भला था, उसने अपने आदमी को बिल बनाने को लगाकर बाहर आया ,और शिवा के पास जाकर बोला ,शिवा मुझे माफ़ करना यार अगर मेने तेरा दिल दुखाया हो तो ,में ऐसे ही तुम्हे हँसाने के लिये बोल रहा था
शिवा ,सनीभाई आप मुंझसे बड़े है आपको मुझसे माफी मांगने की जरूरत नही ,में अनाथ जरूर हु पर अनाड़ी नही, मुझे दिल दुखाने वाली और दिल मे दुखने वाली बात समझ आती है, यह बात शिवा ने नरगिस की तरफ उसकी आँखों मे झांककर कहि थी
सनी ,शिवा यार तुम बात दिल से ,दिल में उतरने वाली करतो हो ,और हम तो आदमी ही दिल वाले है आज से तुम मुझे अपना दोस्त या भाई समझ सकते हो
तब तक शिवा का बिल भी बन गया उसको नरगिस ने अपने कार्ड से भर दिया ,तब शिवा ने उस आदमी न अपना बिल मांग लिया ,नरगिस बोली ,में नही दे रही तुम्हारे पैसे ,वो विनोद सर का ही क्रेडिट कार्ड है ,
शिवा, मैडम आप गलत समझ रही है ,मुझे पता यह बात की पैसे विनोद सर ही दे रहे ,में बिल इस लिए माँग रहा था ताकि बाद में उनके पैसे वापस कर सकू ,में अनाथ जरूर हु पर भिकारी नही, यह बोलके शिवा ने बिल लिया अपने सब कपड़ो का बैग लेकर गाड़ी की तरफ बाहर चल दिया ,नरगिस औऱ सनी उसके पीछे ही चल रहे थे
सनी बोला, नरगिस एक बात बोलू , लोगों के लिये में एक पागल हु , लेकिन में इंसान की पहचान कभी गलत नही करता, यह शिवा दिल से बात करता है, और दिल की बात मानता है ,यह किसी बड़े घर की औलाद है,इसकी रगों में जरूर कोई अच्छे आदमी का खून दौड़ रहा है ,यह बहुत आगे जाने वाला बन्दा है ,और यह जिससे भी प्यार करेगा ना वो भी बड़ी शिद्दत से करेगा ,उसके बाद सनी ने कहा कि वह इसके कपड़े एयरपोर्ट पर पहुचा देगा ,
नरगिस औऱ शिवा फिर रास्ते में मोबाइल के शोरूम पर रुक गए वहां पर एक एंड्राइड मोबाइल एक घड़ी लेकर वो वापिस विनोद के आफिस आ गए ,विनोद के आदमी ने शिवा के पास उसका पुराना फ़ोन माग लिया ,और उसके फोन में उसका सिम कार्ड डालके वो फ़ोन शिवा को वापिस दे दिया और थोड़ी देर शिवा के पास बैठकर शिवा को मोबाइल के सब फंक्शन सीखा दिए ,वो आदमी जाकर बादमे नरगिस को बोला ,मैडम मेने शिवा के फोन में एक सॉफ्टवेयर डाल दिया है और एक बग भी उसमे लगा दिया है जिससे आपको उसकी सब बातें सुनाई देगी , लेकिन मेरी यह बात समझ मे नही आती विनोदसर ने तो बोला था कि उसके फोन से बग निकलने को आज के दिन ,लेकिन आप की वजह से मैने वह फिर लगा दिया और उसके फ़ोन में भी एक सॉफ्टवेयर भी डाल दिया ,मैडम अगर विनोद सर को मालूम गिरा तो मेरी नोकरी चली जायेगी ,मुझे आप को ही बचाना पड़ेगा मैडम
नरगिस ,तुम्हे कुछ नही होगा इसकी जिम्मेदारी मेरी ,
जाव अपने टेबल पर , मुझे भी जाना है पैकिंग के लिए
उसके बाद नरगिस अपने घर चली गई ,विनोद ने शिवा के साथ वही खाना खाया और बाद में दोनो एयरपोर्ट पहुँच गए,वह नर नरगिस भी मिल गई ,थोड़ी देर में शिवा के कपड़े लेकर आदमी भी एयरपोर्ट पोहच गया ,कपड़े लेके खुद सनी आया था, वो सिर्फ कपड़े देने नही बल्कि अपना बैग लेके इनके साथ ही दुबई जाने वाला था ,चारो चेकिंग करके अपनी फ्लाइट में चढ़ गए ,शिवा पहली बार फ्लाइट से जा रहा था उसे ज्यादा परेशानी नही हो इसलिये उसके पास विनोद नही तो नरगिस बैठने वाले थे, लेकिन अब सनी के आने से वही शिवा का गाइड बनने वाला था ,उसने नरगिस को यह भी बताया कि वह शिवा के ही रूम में रहने वाला है ,
नरगिस तो पहले से ही भड़की हुवी थी ,सनी ने शिवा के बाजू में बैठकर उसमे पूरा पेट्रोल छिड़क दिया था ,और जब फ्लाइट में सब बैठ रहे थे तब विनोद और नरगिस के पास आकर सनी ने होटल में शिवा के ही रूम में रुकने के बात बताकर शिवा के पास चला गया ,
नरगिस की आँखे गुस्से से लाल हो गई ,उसने विनोद से कहा ऐसा लग रहा इस सनी को फ्लाइट हवा में उड़ने के बाद नीचे फेंक दे ,लेकिन इसकी सजा इतनी कम नही हो सकती ,इस सनी को तो दुबई आने ही दो पहले इसको हम रियाज भाई की हरम में रहने वाले सिनोब के पास छोड़ेंगे और बाद में कोकी पास बहुत आशिकी है ना इसके अंदर सब निकल जायेगी 7 दिन में
पहले तो विनोद को नरगिस की बाते सुनकर बहुत हँसी आई उसकी आंख से पानी आ गया था हसते हसते ,उसने नरगिस से कहा तुम मजाक में ही बोल रही थी ना
नरगिस ,नही विनोद यह मजाक नही है सनी एयरपोर्ट से ही भाई के हरम में जाने वाला है
विनोद की हंसी गायब हो गई थी उसे पता था कि नरगिस क्या है और वह क्या कर सकती हे, उसे सिनोब और कोकी ये दोनों नामो की दहशत उसे मालूम थी
विनोद ,नरगिस अगर सनी ने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया हो तो में माफी मांगता हूं उसकी तरफ से ,उसे नही मालूम कि तुम कौन हो ,उसे लगा होगा कि तुम मेरी सेक्रेटरी हो इसीलिये उसने तुम्हे कुछ कहा होगा ,या छेड़ा होगा ,लेकिन वो गलत आदमी नही है,
नरगिस ,विनोद मेने उसे बता दिया था के में कौन हूं
विनोद, फिर भी उसने तुमको छेड़ा,( विनोद अपने मन मे बहनचोद ,साला इस आशिक के औलाद सनी को बोला था इस आफत का नाम मत ले ,इससे तो इसके घर के आदमी डरते है, जिन आदमीयो को पूरी दुनियां काँपती ,वह इसके आगे नही टिकते वहां यह सनी किस खेत की मूली
सिनोब -- दुनिया का सबसे खूबसूरत हिजडा था ,उसके सामने अच्छी अच्छी औरते फीकी थी वो किसी दूध की मलाई की तरह था उसकी गांड दुनिया की सबसे नरम गांड थी उसमें कितना भी बड़ा लंड हो आराम से घुस जाता था,वो लंड इस तरह से चूसता की कोई भी आदमी हो 5 मिनीट में झड जाए, और जिस आदमी का लंड झड गया हो वह 5 मिनिट में चुसके खड़ा करवाता
किसी को सजा देनी हो या कुछ कबूल करवाना हो उसे सिनोब के सात एक रखते थे सिनोब दिन में 10 बार आदमी का पानी निकाल लेता था,सिनोब के साथ जो 3 दिन भी रहा वह सब कबूल करता था जो उसने गुनाह किये हो,लेकिन उसके बाद जिंदगी में उस आदमी का लन्ड खड़ा नही होता ,ऐसी जालिम चीज थी सिनोब ,।।।
कोकी--- यह दुनिया का सबसे तगड़ा हिजडा इसकी हाइट 7 फुट 2 इंच और फिगर 48 36 52 ,जहा सिनोब के पास लंड के नाम पे छोटी गाठ थी ,वहा कोकी के पास 8 इंच बड़ा 3 इंच मोटा लंड है ,यह भी दिखने में खूबसूरत है पर कोई आज तक इसकी गांड की खुजली मिटा नही पाया है
जिस आदमी को सजा देनी हो उसे अगर कोकी के पास छोड़ दिया या तो वो 2 घण्टे में ही अपना गुन्हा कबूल कर लेते जिसको भी 1 दिन से भी ज्यादा कोकी के पास छोड़ा वह मर जाता था, जब तक कोकी के गांड खुजली बन्द नही होती उसके लन्ड से पानी नही निकलता ,किसीका भी लैंड आज तक कोकी के गांड अंदर तो दूर गांड के छेद तक नही गया था, कोकी जिसका सजा दी हो पहले उसे अपनी गांड मरवाने को बोलती ,कोई भी उसकी गांड नही मार सकता अब 52 की पहलवानी गांड कोंन मार पायेगा ,फिर वह आदमी के उसकी गांड न मारने की वजह से ,वह उसी आदमी की गांड मारती ,अब कोकी का तो माल निकलता ही नही और लन्ड कितनी देर तो झेलेगा कोई अपनी गांड में भला ,और कोकी दिन भर में सिर्फ 2 घण्टे ही खाने और हगने रुकती ,रात को वह सिर्फ 6 घण्टे सोती अब दिन भर में 16 घण्टे गांड मराणे वाला कहा जिंदा बचता है
)
नरगिस ,उसने मुझे आज तक नही छेड़ा लेकिन आज शिवा के साथ मे बैठने वाली थी और यह बात मुझे पसंद नही है
विनोद ने नरगिस की बात सुनी वह फौरन अपने सीट से उठा और सनी के पास जाके उसे जोरसे बोला, सनी लवड़े उठ यहां से ,यहा बैठना है या अपनी गांड बचानी है , बहनचोद आज तेरी वजह से मेरी भी गांड के लवड़े लग जाने है, फ्लाइट अभी उड़ी नही थी ,सब लोग विनोद के चिल्लाने से पहले उसकी बातें सुनने लगे और सब बातें सुनने के बाद सब जोर जोर से हसने लगे,सनी के साथ विनोद कभी ऐसी बाते नही करता था सनी को पहले हैरानी हुवी ,उसने विनोद से पूछा ,विनोद तेरी तबियत तो ठीक है ना ,ऐसी कैसी बहकी बहकी बाते कर रहा है ,लोग सुन रहे है थोड़ी शर्म कर, धीरे बात कर
विनोद पहले से बौखलाये हुवे था ,जब उसने सनी की बाते सुनी जोरसेही बोला ,अरे बावली गांड, जब लंड कभी नही उठेगा औऱ गांड का दर्द जिंदगी भर रहेगा तब क्या करेगा शर्म का चल उठ यहां से और मेरे पास बैठ ,
विनोद की बातों से लोग फिर हसने लगे ,विनोद ने सनी को जबरदस्ती उठाकर अपने साथ बिठा लिया औऱ नरगिस को शिवा के पास भेज दिया ,नरगिस भी खुशी खुशी शिवा के पास जाके बैठ गई
शिवा भी विनोद के हरकत से थोड़ा चिन्तित था , लेकिन नरगिस ने बता दिया की दोनो दोस्तो में ऐसा हमेशा चलता ,यह कोई बड़ी बात नही
नरगिस को शिवा के साथ मे बैठकर बहुत अच्छा लग रहा था,नरगिस एक 22 साल की अरब के सबसे बडे तेल के खदान के मालिक अल गफूर के एकलौती बेटी थी ,नरगिस की हाइट 6 फुट 2 इंच थी, 38 30 40 की तगड़ी फिगर, 90 किलो का वजन ,गोरा रंग , नीली आँखे, भूरे लंबे बाल
एक साथ दस तगड़े पहलवानों को मात दे ऐसी ताकद ,तलवार बाजी में तो कोई उसके सामने टिक ही नहीं पाता ,गुस्सेल,खुद के मन मे जो आये वो करती
एक असली अरबी घोड़ी थी जिसको आज पहली बार कोई पसन्द आया था वो था अपना शिवा ,
विनोद और सनी पास में ही बैठे थे सनी को विनोद ने पाँच मिनिट रुकने के बाद सब बताया जब सनी ने सिनोब और कोकी के बारे में सुना ,उसकी तो सिटीपीटी गुम हो गई ,उसने फिर फ्लाइट से उतरने की सोची लेकिन तब तक फ्लाइट आसमान में उड़के दुबई की और आधे घण्टे से चल रही थी ,सनी फ्लाइट रुकवाना चाहता था या पैराशूट से भी नीचे कूदने को तैयार था ,उसने थोडा तमाशा करने की कोशिश की लेकिन नरगिस ने उसे कान में कुछ कहने से वो एकदम मान गया और दुबई आने तक शांत ही रहा ,शिवा को हैरानी हो रही थी कि एक मिनिट में सनी कैसे मान गया , उसने नरगिस से भी पूछा ,तो उसने इतना ही कहा कुछ नही सिनोब और कोकी हमेशा के लिये वो विनोद के घर भेजने वाली थी अगर वो चुप नही होता तो ,
शिवा ने पूछा कि ,कौन है यह सिनोब और कोकी
नरगिस , रीडर्स को पता है उनसे पूछ लो
 
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Update 17
शिवा औऱ नरगिस दुबई के एयरपोर्ट पर उतर गए लेकिन विनोद और सनी फ्लाइट से उतरने को राजी ही नही थे, ना वो नरगिस का फोन उठा रहे थे ना एयरपोर्ट पर आने को तैयार थे 30 मिनिट तक यह चलता रहा ,तभी एयरपोर्ट में एक ही जैसे कपड़े पहने 30 से ज्यादा आदमी जमा हो गए ,नरगिस ने अरबी में उनसे कुछ कहा तो 5 आदमी एयरपोर्ट के अन्दर चले गये, उसके बाद नरगिस ने बताया कि विनोद और सनी पीछे से आने वाले है ,अब हमें चलना चाहिए, शिवा तो यहा पर पहली बार आया था जैसा नरगिस ने बोला उसने वैसा ही किया ,अपना सामान लेकर वो अपने रुकने वाली जगह पर चले गये, वो एक बहुत ही महंगा और शानदार होटल था नरगिस ने होटल में एक शानदार रूम लेकर शिवा ने उसे उस रूम में छोड़ दिया ,जाने से पहले अपना मोबाइल नंबर भी दीया ,और यह भी बता दिया उसे बताये बिना कही जाये नही ,अगर कहि भी गया तो अपना फोन साथ मे रखे
शिवा ने नरगिस के जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया फिर अपने खिड़की से बाहर के नजारे देखने लगा ,
नरगिस के आदमियों ने विनोद और सनी को पकड़ के उसके सामने खड़ा कर दिया ,उन दोनों को नरगिस ने प्यार से समझाया कि शिवा को उन दोनों की हरकतों से तकलीफ हो रही है वो ऐसे डरना बन्द करदे ,अगर वो दोनो की वजह से शिवा थोड़ा भी और डिस्टर्ब हुवा तो उन दोनों को वो पमी के साथ पिंजरे में बंद कर देगी ,विनोद तो पमी का नाम सुन के ही अपनी पैंट में मुत दिया ,विनोद ने नरगिस से कहा ऐसी शिक़ायत का मौका अब कभी नही आएगा,शिवा के रूम का नंबर पूछकर सनी का हाथ पकड़के वो शिवा की रूम की तरफ दौड़े, सनी को पता था पमी कोई और बडी आफत होंगी तभी विनोद ने मुत दिया होगा ,वो दोनो पहले शिवा से उसके कमरे के बाहर ही मिले उसने बहुत बार कमरे में बुलाया लेकिन दोनों अंदर आये ही नही बाहर से ही उहोने जसके साथ बाते की और शिवा को आराम करने को बोल कर उसको कहा कि वह अब वह थोड़े काम मे बिजी रहने वाले है ,विनोद बोला कि उसे अब फाइट की तैयारी शुरु करनी पड़ेगी ,तुम्हे कुछ भी लगे तुम नरगिस को बता देना और उसके साथ ही रहना
उसके बाद दोनों शिवा को छोड़कर उनको दिए हुए कमरे में गये ,सनी ने पूछा भाई पमी कौन है
विनोद ,दरवाजा बंद कर लवड़े और टॉयलेट चल मेंने तो मुता तूने देखा, लेकिन अब तू सुनने वाला है तो तेरी गांड ही फटेगी ,दोनो टॉयलेट में चले गए तब विनोद ने बोला पमी एक बड़ी जंगली आदिवासी मादा है ,जो 6 फिट से ज्यादा लंबी है उसमें पूरे बदन पे 2 फुट लंबे बाल है ,उसके पकड़ के 5 साल हो गए है तब से वह नहाई नही है ,वो मादा होने से हमेशा लंड के लिये पागल है ,उसके पिंजरे में किसी औरत को छोड़ा तो उसे तुरंत मार के खा जाती है ,लेकिन वो बहुत खुश होती है ,वो दिनभर उस आदमी को नंगा रखती है कभी उसक लंड चूसकर उसका पूरा माल पी जाती है, कभी उसके लन्ड से अपनी चुत मरवाती या अपनी गांड,उस आदमी को वह अपनी चुत और गांड भी चाटने को लगाती है तू सोच उसने अपने बदन पर 5 साल से पानी की एक बूंद को लगने नही दिया है ,उसके पिंजरे की बदबू 25 फिट से दूर तक जाती है तो सोच पास जाने पर क्या हाल होता होगा,मैने पमी को एक ही बार देखा था 4 साल पहले भाई में आठ दिन तक सो नही पाया था
विनोद ने सनी की तरफ देखा तो सनी सब सुनकर मूत ने साथ थोड़ा पिला काम भी किया था
सनी बोला ,विनोद बहनचोद ये ,शिवा डिस्टर्ब नही होना चहिये, नही तो वो नागिन हम दोनों को डरा डरा कर मार देगी,
नरगिस शिवा के साथ दुबई में 3 दिनों तक घूमती रही ,वो शिवा को ऐशोआराम करने वाली सब जगह घुमाती रही ,उसने शिवा को शॉपिंग पर भी लेके गई लेकिन शिवा को कोई चीज पसन्द ही नही आई ,शिवा रोज पूछता की फाइट कब है ,कब हमे मिलना है यहाँ के मालिक को वो बस शिवा को दिलासा देते रहती ,शिवा ने तीन दिन से अपना फोन बंद ही रखा था उसने शफ़ी चाचा के यहा बोल के रख था की उसके ट्रेनिंग पीरियड में 7 दिन तक फ़ोन का इस्तेमाल करना मना है,7 दिन बाद में फोन करूंगा,
शिवा यहां सिर्फ शफ़ी चाचा के ऑपरेशन के वास्ते पैसे जमा करने ही आया था लेकिन नरगिस उसे फाइट कब है यह बताती नही,आखिर शिवा ने अपने कमरे में आने वाले वेटर उस फाइट के बारे में पूछा तब उसे पता चला कि फाइट 2 दिन से शुरू हो चुकी है ,उस वेटर ने शिवा को वह फाइट आज कब शुरू होगी और कहा होगी यह बात भी बता दी,
नरगिस को उसने अपने कमरे में बुलाया ,फिर उसको लेके वह जह फाइट की जगह पे हाथ पकड कर उसकी गाड़ी में बैठकर ले गया था, वहा पर विनोद और सनी भी मौजूद थे ,शिवा को वहा देखकर दोनो के देवता कूच कर गये, नरगिस ने शिवा को वहां से अपने साथ वापिस होटल जाने के लिए बहुत बार मनाया लेकिन वो नही माना, फिर नरगिस ने शिवा को वही पर एक रूम में लेकर गई उसने विनोद और सनी को भी वहाँ बुला लिया ,उसने विनोद को एक इशारा किया विनोद ने अपने फ़ोन से एक फोन किया फिर 5 मिनट बाद विनोद के फोन पर 1 वीडियो कॉल आई पहले विनोद ने बात की फिर उसने शिवा को फोन दिया , और कहा सिर्फ सुनो तब सामने शफ़ी चाचा और पूरा परिवार वो किसी अस्पताल कमरे से बात कर रहे थे ,तब चाची ने बताया कि शिवा जिस दिन ट्रेनिंग के लिये गया था तभी उसके होटल से कुछ लोक एम्बुलेंस लेकर आये फिर चाचा को अस्पताल में एडमिट करा दिया ,कल ही उनका ऑपरेशन हो गया है ,अब 1 महीना अस्पताल में रुकना होगा फिर चाचा चल फिर सकेंगे
यह सब बात करते हुवे चाची रो रही थी , लेकिन वह खुश थी ,थोडी देर सबके साथ बात करके शिवा ने भी फोन काट दिया ,शिवा की भी आंखे नम हुवी थी सब देखकर उसने अपनी आँखें पोछकर विनोद सर से कहा ,शुक्रिया सर आपने आज मेरे चाचा को नई जिंदगी दी है, में यह अहसान कभी नही भूलूंगा, अब यह बात का जवाब दीजिए के आप मेरी फाइट कब रखवाने वाले है ,
विनोद कुछ नही बोल पा रहा था ,वो कभी शिवा को देखता तो कभी नरगिस को ,शिवा ने यह देख कर नरगिस को ही पुछा ,आप ही बता दो मैडम आखिर क्या बात है
नरगिस ,तुम्हें जिस काम के लिये पैसे लग रहे थे ,वो हो गया है ना फिर क्यों करनी फाइट ,तुम्हे और पैसे चाहिए तो बोलो तुम्हे जो चाहिए वो मिल जाएगा बस फाइट भूल जावो
शिवा , ऑपेरशन के लिए ही पैसे लग रहे थे मुझे बाकी मुझे और पैसे की जरुरत नही है
नरगिस,यह तो अच्छी बात है ना फिर ,तुम जितने दिन यहाँ रहना चाहते हो उतने दिन यह पर रहो घूमो फ़िरो तुम्हे जो खरीदना है वह तुम ले सकते हो
शिवा, मैडम आप मेरी एक बात भूल रही है में अनाथ हु ,अनाड़ी नही ,आप यहां की राजकुमारी है , अल गफूर आप के पिता है और वह यहां के राजा ,अपने जो मोबाइल दिया था उसमें आपके बारे में यूट्यूब पर देखा मेने
और दूसरी बात में भिखारी नही हु किसीसे से जो कुछ भी ले लू,यह सब पैसा आप ने खर्चा किया है आप ने किस मकसद से यह पैसा खर्च किया मुझे नही पता ,आपने मेरे फोन में एक बग लगाया था ताकि में क्या करता हु आप को पता चले ,और अब इस नए फोन में भी बग के साथ एक सॉफ्टवेयर डाल दिया आपने, आप को मुझ जैसे अनाथ से क्या हासिल हो सकता है यही बात मेरे समझ मे नही आती
शिवा की बातों से नरगिस चुप हो गई ,उसे क्या जवाब दे यह समझ नही आ रहा था
शिवा ,मैडम में शफ़ी चाचा के इलाज के लिए आपने जो पैसे खर्च किये थे वो लौटाना चाहता हु, उनके इलाज के लिए पैसा जमा करना मेरी जिम्मेदारी थी ,और आप को पैसे देने के लिए इस वक्त यहा पर इस फाइट में हिस्सा लेकर आपके पैसे लौटना को बहुत अच्छा मौका है मेरे पास ,अगर आज यह मौका मेरे हाथ से निकल गया तो ,मेरे दिल मे हमेशा यह टिस रहेगी कि मेरी मर्दानगी पर आपको यकीन नही था, इस वजह से आपने मुझे यहा से लौटा दिया ,भले ही बाद में आपके पैसे में लौटा दु, पर मुझे यह दर्द जिंदगी भर चैन से जीने नही देगा कि मेरी मर्दांगी मेरे काम न आई ,शायद में खुद को ही ख़त्म कर लूं,ऐसे बोझ लेकर जीने से ,मुझे किसी कायर की मौत मरने के बजाय एक मौका दे दीजिए ताकि बाद में कायरो की मौत मरने की बजाय आज ही अपने आप को परख सके ,कि हम किस काबिल है ,हम पर भरोसा करे हम आपको निराश नही करेंगे ,
नरगिस ,विनोद जाकर शिवा भी मुकाबले में हिस्सा ले सके इस बात का प्रबंध कर दो
विनोद और सनी उस रूम से बाहर आ गए और काउंटर की तरफ जाकर शिवा का नाम दाखिल कर दिया उन्हें वहां से 102 नंबर का टोकन मिला,
नरगिस की आखों में शिवा की बाते सुनकर आंसू आ गए थे उसने शिवा से कहा, हमे आप पर अपने आप से ज्यादा भरोसा है ,हमने आप मे दूसरे के लिए जीने वाला इंसान देखा था, जो खुद के भले के बारे मे ना सोचकर ,दूसरे का भला सोचता हो ,जिसके लिये अपनी जान की बाजी लगाने में भी आप पीछे नही हटते ,ऐसे अनमोल इंसान को बचा रही थी में जो बहुत मुश्किल से मिलता है ,आप को भिकारी में कभी समज ही नही सकती ,में खुद आप के प्रेम की भीख मिल जाये इसलिए आप के पीछे घूम रही थी ,कोई धन दौलत देकर भी ,मुझे आप जैसा इंसान नही मिल सकता ,आप की मर्दानगी पे हमे पूरा भरोसा है ,कायर तो हम है जो आप को दांव पर लगाने के डर रहे है,लेकिन अगर यह आपके सन्मान की बात है ,तो जाइए दिखा दीजिए एक मर्द की मर्दानगी कैसी होती है इन हिजड़ो को ,जिस तरह मेरा हाथ पकड़कर आप इस जगह मुझे लाये थे ना ,बता दीजिये इस अरबी घोड़ी पर चढ़कर उसकी सवारी करने वाले मर्द की ताकद क्या है , मुझे आप पर पूरा भरोसा है जाइये ,
शिवा बाहर आकर अब उस पूरी जगह को देखने लगा,विनोद और सनी उसे काउंटर के पास दिख गए तो वो उनके पास चला गया ,ये एक बहुत बड़ा इनडोर स्टेडियम था जिसमे चारो तरफ भीड़ थी ,उस स्टेडियम में जाने के लिये एक ही रास्ता था जो 30 फुट चौड़ा था उसके दोनों तरफ बड़े बड़े पेड़ थे,उस पूरे स्टेडियम में 6 बड़े बड़े पिंजरे थे जो साइज में 25 फुट की लंबाई और चौड़ाई के साथ 20 फुट ऊंचे थे ,हर पिजरों को इतनी मोटी और मजबूत लोहे की जाली लगाई थी कि 10 हाथी मिलकर भी ना तोड़ पाये, हर पिंजरे में एक जंगली जानवर के साथ एक आदमी उतरता था ,उन दोनों में जो जीवित बचे उसे विजेता माना जाता ,आदमी को जंगली जानवर के साथ लडने के लिए एक चाकू दिया जाता था, पहले पिंजरे में आदमी को उतारा जाता,जो पिंजरे में ही एक साइड बने 6 बाय 3 फुट दरवाजे से हो पाता था ,आदमी के पिंजरे में जाने के बाद ही जंगली जानवर को छोड़ते थे
हर पिंजरे में सैकड़ों कैमरा लगे होते थे,जिसकी रिकॉर्डिंग होते रहती और उसका टेलीकास्ट डार्क वेब से होता था ,उन कैमरों से हर पिजरों की लड़ाई स्टेडयम में लगे बड़ी बडी स्क्रीन पर दिखाई जाती ,हर लड़ाई के लिये करोड़ी का सट्टा खेला जाता अगर पिंजरे में आदमी जीता तो उसे मिलते 50 लाख ,बिना चाकू से लड़ने पर 1 करोड़ मिलते थे ,लेकिन जानवर जीता तो वो आदमी को मार देता था ,
पिंजरों में लडने वाला जानवर जीते या आदमी हर लड़ाई पर करोड़ो का सट्टा लगता ,और फायदा सिर्फ उन जुआ के खेल को चलाने वालों को ही होता था ,ये जुआ बन्द हो ऐसी किसीने कोशिस नही की थी ,अगर कोई भी आदमी बिना हथियार एक साथ 6 जनावरो को हरा दे ,तो ही यह जुआ बन्द होने वाला था हमेशा के लिए और अगर कोई यह कर दे तो उसे पूरे 5000 करोड़ मिलने वाले थे इस साल ,यह 5000 संख्या इसलिये थी क्यो की अभी तक पांच हजार लोग मारे गए थे इस खूनी खेल में ,
और कोई माई का लाल पैदा ही नही हुवा था जो एक साथ 6 जानवरो को बिना हथियार हरा सके ,इन 50 सालो में ,सिर्फ शक्ति नाम का एक बन्दे ने एक एक करके 6 जंगली जानवर को बिना हथियार लड़के मार दिया था ,शिवा ,विनोद से सब बातें सुन रहा था उस सब सुनकर बहुत बुरा लग रहा था वो अपने सामने जानवरो को इंसान को मारते हुवे देख रहा था ,हर पिंजरे में खून का खेल चल रहा था ,शिवा की आंखे यह सब देखकर नम हो गई थी उसका नंबर आने के लिये 15 मिनट बाकी थे ,आज भी 95 लोग मारे गए थे ,
विनोद ने तक तरफ इशारा करते हुवे कहा वो देखो वो सामने शक्ति बैठा है ,यह वही योद्धा है जिसने पिछले साल 6 जानवरो को अलग अलग लड़कर मार दिया था , शिवा ने देखा कि एक उससे भी लम्बा, चौड़ा ,मजबूत बदन का मालिक सामने 20 फुट कि दूरी पे एक खुर्सी पर बैठा था, उसकी नजरे भी शिवा की तरफ थी ,लेकिन वो जलती निगाहे थी ,वो अपनी नजरो में दिख रहे क्रोध के ताप से ही शिवा को जला देना चाहता हो, शिवा ने देखा ,शक्ति के बाजू में ही एक उससे भी तगड़े लेकिन उम्र में उसके पिता लगने वाले शख्स बैठा था उसके चेहरे पे भी एक तेज था ,लेकिन उसकी आँखों मे शिवा को देखकर कोई भी भाव नही था, शिवा पल भर दोनो को देख रहा था ,फिर उसने अपने कदम दोनो की तरफ बढ़ा दिए ,और दोनो के सामने जाकर खड़ा हो गया ,शिवा दोनो को देख रहा था और वो उसको , अचानक शिवा ने नीचे झुककर शक्ति के बाजू में बैठे हुए आदमी के पाव छु लिये ,य देख कर शक्ति की आखों में आश्चर्य था ,और उस व्यक्ति के आँखों मे समाधान ,उस आदमी ने शिवा के सर पर हाथ फेरकर कहा ,बोलो बेटे क्या आशीर्वाद चाहते हो हमसे ,
शिवा ,आपने मुझे बेटा कहा है ना ,तो अपने बेटे के लिए सही क्या होता है ,यह आप मुझसे बेहतर जानते हो ,की मेरे लिए सही क्या है
उस आदमी ने उठकर शिवा को गले लगा लिया ,उनकी आँखों मे पानी छलक आया था ,उनके आंसू की कुछ बन्दे भी शिवा के कपड़ो पर गिर गयी थी ,अपने आंसू पोछकर उन्होंने शिवा के सर पे हाथ फेरकर कहा ,सदा विजयी भव ,
शिवा ने फिर शक्ति की तरफ अपना रख किया और उसको कहा कि, इन्होंने मुझे बेटा कहा ,आप इनके भी बेटे समान ही है ,आप मुझसे बड़े है ,तो अपने छोटे भाई को आशीर्वाद दो बड़े भैया ,और शक्ति के चरण स्पर्श कर लिए
शक्ति की तो लगा ही नही, के शिवा ऐसा करेगा , शिवा को अपने पैरों से उठाकर गले लगा लिया और कहा ,छोटे ,तेरा बड़े भाई का आशीर्वीद है ,कि तुम हमेशा अपने कर्त्तव्य में उतीर्ण हो ,शिवा उन दो पहाड़ जैसे इंसानो के सामने में कुछ भी नही था
शिवा जहा 6 फुट 8 इंच था, वही शक्ति सिंग 7 फुट और साथ मे उसके दादा थे पृथ्वी जो 7 फुट 2 इंच के थे ,शिवा को उन्होंने अपने नाम बताया ,और यह भी बताया कि वह पंजाब के अमृतसर से है ,थोड़ी देर उन दोनों से बात करते हुवे ,शिवा ने फिर दोनों को प्रणाम किया और विदा ली,
शिवा उनके पास से निकलकर जहा पर माइक के पास जाकर अपना फाइट का टोकन दिखाकर उनसे गुजारिश की की वह कुछ कहना चाहता है, फिर शिवा ने वहां पर माइक लेकर कहा कि वह 6 जानवरो से एक साथ लढना चाहता है वह भी बिना हथियार के,
शिवा की बात सुनकर सब पहले एकदम खामोश हो गए,फिर सब की तेज आवाजे आनी लगी हर कोई एक दूसरे से बात कर रहा था, बहुत से लोक अपने मोबाइल से अपने जानने वालों को यह बात की खबर दे रहे थे ,उस स्टेडयम मे पहले केवल 8000 लोग थे, उस स्टेडियम की केपेसिटी 25000 थी ,
50 साल में पहली बार यह 5000 करोड़ की इनामी फाइट होने वाली थी ,फाइट करने वालो ने इसे चालू होने में अभी 3 घण्टे लगने वाले है यह बात सबको बताई ,सबसे पहले स्टेडयम से 6 पिंजरे निकाल लिये ,और 60 बाय 60 फुट लंम्बा ,चौड़ा और 25 फुट ऊँचाई वाला एक ही पिंजरा सेंटर में लगा दिया ,1घण्टे के अंदर ही पूरा स्टेडयम अब फूल हो गया था, सुरक्षारक्षक नो अब स्टेडियम का गेट बंद कर दिया और किसी को अब अंदर नही लेने वाले थे स्टेडियम के बाहर 200 से ज्यादा और अंदर 500 के आसपास सुरक्षा रक्षक अपने हाथों में हाइटेक गन लेके ,बालकनी में, छतपे मौजूद थे ,ताकि कोइ भी गड़बड़ी ना हो सके
तभी सफेद घोड़े पे बैठकर किसी योद्धा के कपड़ों में नरगिस वहा दाखिल हो गई ,उसको यहाँ ऐसे देखकर सब लोग हैरान थे ,तभी बाहर स्टेडियम के बाहर बड़े बड़े ट्रक खड़े होने की और उसके ट्रक के गेट खोंलने की आवाज आ रही थी ,सब लोग दहशत में बैठे हुवे थे अपनी अपनी जगह, ,विनोद और सनी दोनो अब सिर्फ रोने को ही बाकी थे,
नरगिस ने जाकर एक माइक उठा लिया और माइक पर ही बोली ,स्टेडियम का गेट खोलो, नरगिस के एक आवाज पे ही गार्ड लोगो ने गेट खोल दिया ,
गेट में से 10 गार्ड और उनके पीछे 5 शेर ,12बाघ, 4 चीते अंदर आ गए, नरगिस ने उन गार्ड को कुछ इशारा किया उन गार्ड के हाथ मे एक बैग था ,उन सब गार्ड ने अपने पास के बैग से ,किसी मोबाइल जितने आकर वाले इलेक्ट्रॉनिक आयटम, सब वहां तैनात 500 गार्ड में बाट दीये ,
नरगिस ने माईक पर ही उन गार्ड को उनको कैसे चालू करना है यह बता दिया ,उन सब गार्ड ने भी, नरगिस ने जैसा उनको बोला वैसा ही किया ,नरगिस के साथ आये एक गार्ड ने एक एप्पल का टैब दिया उसे देखकर , नरगिस ने अपने पास बैठे उन शेर , बाघ और चितो को एक सिटी मारी उसकी सिटी सुनते ही वो सब खड़े हो गए ,नरगिस ने उनको जो पिंजरा उस स्टेडियम के सेंटर पर ही रखा था ,वहा पर अपनी ऊँगली दिखाई, नरगिस के उंगली दिखाते ही उन सब शेर बाघ और चितो ने उस पिंजरे को चारों तरफ से घेर लिया ,और वो उस पिंजरे के पास बैठ गए ,आधे घण्टे से नरगिस की ही आवाज वह पे गूंज रही थी ,तभी एक और आवाज गुंजी वहां ,नरगिस ,यह क्या लगा रखा है तुमने यहां पर ,यह आवाज रियाज की थी जो नादिया से बड़ा लेकिन खानदान में 3 रे नंबर का लड़का था ,वही इस खूनी खेल को चलाता था और इस से अरबो रूपये कमाता था ,वह बोला ,तूम्हे पता है ,आज क्या होने वाला है यहा ,आज दुनिया की सबसे बड़ी बाजी खेली जाने वाली है ,जिसकी कीमत है 5000 करोड़ ,और इस फाइट पर अब तक का सबसे बड़ा सट्टा लग रहा है 90 हजार करोड़ तक लग चुका है ,आने वाले वक़्त में यह कहा तक जाएगा कोई नही जानता ,तुम अपने यह जानवर यह से निकालो ,और घर जाओ,
नरगिस ने उसकी तरफ देखा और कहा ,तुम्हे पता है यहाँ क्या होने वाला है ,रियाज
नरगिस ने फिर अपने हाथ मे माइक लिया और बोली , कोकी कहा हो तुम
थोड़ी ही देर में कोकी नरगिस के सामने था उसको देखकर जितने शेर, बाघ को देखकर नही डरे होंगे उससे ज़्यादा अब डर गए थे,सबसे ज्यादा डरे थे विनोद और सनी
नरगिस ने कोकी से कहा ,कोकी यह लो तलवार इस मादरचोद का लंड काट के फेक दो ,और जब तक यह फाइट खत्म नही होती ,तबतक इसकी यही सबके सामने गांड मारते रहना , नरगिस ने यह अपने सामने खड़ी कोकी से कहा लेकिन उसके हाथ मे माइक चालू ही था उसकी आवाज सब को सुनाई दी ,रियाज कुछ समझ पाता उससे पहले कोकी ने उसे पकड लिया और उसकी पतलून फाड़ के उसको नंगा किया और उसका लंड एक झटके में जड़ से काट दिया ,रियाज गला फाड़ के चिल्लाया और बेहोश हो गया ,नरगिस ने कोकी से कहा, इसे होश में लेके आवो ,और याद रहे जब तक फाइट खत्म नही होती यह मरना नही चाहिए ,नरगिस ने फिर कहा अगर ये होश में आने के बाद इसकी गांड मारने का वीडियो बड़ी स्क्रीन पर नही दिखने लगा तो कोकी आज यहां के सब केमरामेन के लन्ड भी काट देना और उन्हें भी चोद चोद कर मार डालना ,
नरगिस की बात पूरी होकर 1 मिनिट भी होने से पहले ही 4 कैमरामैन के आकर सब सेट अप करके रियाज भाई की चुदाई शुरू होने से पहले ही ,सब बड़ी स्क्रीन पर दिखाने लगे थे ,
सनी ,विनोद देखा बहनचोद डर किसे कहते है ,
विनोद, हा भाई सनी देखा मेने डर ,लेकिन मुझे आज डर बहुत पतला लगा यार
सनी ,में समझा नही भाई
विनोद ,यार कुछ नही ,जब कोकी ने रियाझ भाई का लंड काटा तो पहले मुझे लगा साला मेरा ही लंड कट गया है ,जब मैने अपने अपने लंड को हाथ लगाकर देखा ,तो वो वही था ,इसी खुशी में ,मेंरे नीचे से पिले आंसू बह गए यार पैंट के अंदर ही ,
सनी ,भाई तुन्हें तो भी पता चला था बहने से पहले ,मुझे तो आपने बताया तब मैंने खुद को चेक किया ,सेम कंडीशन भाई
सनी, विनोद भाई आज के बाद दुनिया मे सिर्फ एक ही चीज से डरने वाला हु और वो है नरगिस ,।
 
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Update 18
नरगिस के वजह से सब लोगो की फट गई थी ,अरे भाई जो अपने रियाजभाई जैसे दुनिया के काले धंधे पर राज करता हो उसका यह हाल कर सकती है ,वो बाकी सब का क्या कर सकती है
शिवा भी सब देख रहा था ,उसने नरगिस का आजतक सिर्फ प्यार भरा चेहरा ही देखा था ,आज वो पहली बार उसने नरगिस के इस अवतार को देखा था, नरगिस ने कहा,में यहा कोई मुकाबला रूकवाने नही आई हूं ,में यह इस मुकाबले में कोई भी दगाबाजी ना हो इसलिए आई हूं, यह मुकाबला की चुनौती देने वाला सिर्फ़ पैसे और नाम के लिये नही , बल्कि यहा पर इस खूनी खेल से हर साल जो सैकड़ो लोग मरते है उनके परिवार अनाथ हो जाते है ,अब आज के बाद यह नही होगा ,यहा पर इन बेजुबान जानवरो से जो वहशी खेल खेला जाता है वह भी अब खेला नही जाएगा ,अपने शौक़ के लिए किसी की जान तक कि पर्वा न करने वाला, यह मेरे भाई रियाज की यही सजा है, कि उसे भी दर्द और जिल्लत का क्या होती है उसका भी अंदाजा हो ,और आप सब को भी पता रहे कि इस तरह का पापी खेल खेलने वाले का अंजाम आखिर क्या होता है ,और यहाँ जो हो रहा है वो इंटरनेट से दुनिया देख रही होगी ,तो मेरी बातें उन तक जरूर जा रही होगी ,बस यह याद रखना की आज जो रियाज का हाल है ,वैसा ही हाल यह खेल अगर किसी ने गलती से भी फिर शुरू करने की कोशिस की तो उसका होगा या उससे भी बुरा ,
यह चुनोती देने वाला को आप सबने देख लिया है ,लेकिन उसका चेहरा और उसे ध्यान में रख लेना वो इस नरगिस का प्यार है,मेरे लिए वो किसी भगवान से कम नही है ,मुझ जैसी अरबो की मालिक को वो अपनी पाव की धूल समझता है, जो मुझे ठुकरा सकता है उसकी औकात क्या होगी यह आप सोचो ,भले वो मुझे कभी ना अपनाए लेकिन वो हमेशा इस नरगिस के मालिक रहेंगे ,इन को नुकसान पोहचाने से पहले यह बात याद रखना ,की इनसे टकराने से पहले मेरा सामना करना होगा , आप सबको आज पता चल जाएगा कि क्या खास बात है इनमें ,जो मेरे जैसी अरबी घोड़ी की सवारी कर पा रहे है,यह अपने दम पर ही अकेले इस चुनोती को पूरा करेंगे ,जल्द यह मुकाबला शुरू कर दो और किसीने बी कोई चालबाजी की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, यहां पर जो मेने डिवाइस बांटे है ,वो सब एक टाइम बॉम्ब है, जिसका रिमोट मेरे पास है ,500 बम बाटे है मेने ,सब फट गये तो यह पूरा स्टेडियम के साथ इसके पास वाला इलाका भी राख में बदल जायेगा, यह मुकाबला तो मेरे शिवा ही जितने वाले है ,यह बात मुझे पता है ,पर अगर किसी के चालबाजी से या मेरी बुरी किस्मत की वजह से शिवा को कुछ हुवा तो में सबको इसी बम से उड़ा दूंगी,
विनोद, सनी यार आज पहली बार इसकी धमकी से अपनी गांड नही फ़टी है, वैसे डर तो बहुत लगा रहा पर अजीब सी खुशी भी है साथ मे ,
सनी, विनोदभाई आप को पता है, आप को आज ज्यादा डर क्यो नही लग रहा , हम बहुत जल्द मरने वाले है ,और इस नागिन के चंगुल से हमेशा के लिए मुक्त होने वाले है ,आगे हमें कोई अब नही डराने वाला इस जिंदगी में,
नरगिस ने पूछा अब कितनी देर है जमाल इस मुकाबले में तो एक आदमी ने बोला बस आधा घंटा और लगने वाला है,
नरगिस ने कुछ सोचा और माइक में बोली ,विनोद कह हो सनी को लेकर मेरे पास आजावो जल्दी,
विनोद, सनी यार यह हमें सुख से मरने भी नही देगी भाई जरूर कुछ नया सोचा होगा इसने
सनी, चल भाई अब उसने बुलाया है तो जाना ही होगा नही तो कोकी देख साला इधर ही है,
दोनो नरगिस के पास पहुच गए ,नरगिस ने उन दोनों को देखकर कहा ,तुम एक काम करना, मेरे आदमियों के साथ जाकर रियाज के हरम की सारी लड़कियों को वहां से बाहर लेके जावो ,में नही चाहती वो बेगुनाह लडकिया यह पर मारी जाये,
इतना बोलकर उसने विनोद और सनी को उन आदमियों के साथ भेज दिया ,दोनो भी खुशी खुशी उनके साथ चले गए ,विनोद सनी के कान में ,सनी चल आज तुझे में ऐसी लडकिया दिखाऊंगा की जो तूने कभी सपने में भी नही सोची होगी ,पूरी दुनिया से नायाब चीजें जमा करता था यह हरामी रियाज, यहां पर बहुत सी लड़कियां ऐसी भी होंगी जिनकी आज तक सील भी नही खुली होगी किसीने
सनी ,ऐसा क्यों भाई
विनोद ,अरे सनी यह रियाज दौलत कमाने के पीछे पागल है यह बस दिखाने के लिए ही मर्द है,यह तो बस 5 मिनिट भी नही टिक पाता था तो एक से एक महंगी सेक्स की गोलियां लेकर अपने लंड का इसने कबाड़ा कर लिया है,यह अपनी मर्दानगी पाने के लिये करोड़ो रुपये खर्च कर चुका है अभीतक ,लेकिन कुछ हासिल नही हुवा इसको
सनी ,फिर यह क्या करता है इन लड़कियों का
विनोद ,सनी ,इसने अपनी जवानी में कदम रखते ही हवस का खेल शुरू कर दिया था ,अपनी हवस के लिए ही इसने यह सब तामझाम खड़ा किया ,लेकिन इसकी मर्दानगी ने इसको ऐसी वक्त पर दगा दिया जब इसकी शादी के 10 दिन बाकी थे, यह पुरी दुनिया के सामने अपनी अय्याशी का नाटक दिखाता है ,की देखो में कितना बड़ा मर्द हु, लेकिन यह अपनी बीवी को भी आज तक चोद नही पाया है, इसने अपने हरम में सिर्फ औरतो और हिजड़ो को ही जाने दिया जाता है ,इसके हरम में 100से ज्यादा हिजड़ो की फौज है जो सब इन लड़कियों पे नजर रखती है ,उस हरम में आदमियों को जाने की परमिशन नही है,
सनी ,फिर हम क्यू जा रहे है वहा
विनोद, नरगिस के खास आदमी है हमारे साथ वो देख लेंगे सब
सनी ,विनोद तुम्हे यह सब बातें कैसे पता है इतनी अंदर तक ,तुम कभी इतने रियाज के खास नही थे ,जितना मुझे पता है,
विनोद , सही कहा पर इसकी वजह है नरगिस जो पिछले 3 सालों से मुझे अपने साथ रख रही है ,उसीने सब बताया मुझे सब ,वो तो कितने दिनों से यह सब मिटाना चाहती थी ,पर उसे किसी ऐसे का इंतजार था, जिसकी सोच नरगिस जैसी ही हो ,वो उसकी तलाश में थी ,इसलिए वो हमेशा दुनिया भर घूम फिर कर ऐसे आदमी को ढूंढ रही थी ,जो उसकी सोच जैसा हो ,तुम्हे पता है शिवा को यह फाइट का पता देने वाला वेटर उसीका आदमी था ,उसने जानबूझकर शिवा तक यह बात खबर दी थी, वो शिवा को परख रही थी, अगर शिवा शफ़ी चाचा की सच्चाई जानकर यहाँ पर लडने से मना करता तो ,नरगिस उसे यह कुछ दिन रखती और वापिस भेज देती ,उसे मारती नही, पर फिर कभी उसकी शक्कल नही देखती ,
आज शिवा ने जो किया वो ही तो नरगिस चाहती थी कि वो लड़े, पर शिवा तो किसी एक जानवर से नही लड़ा, बल्कि जो 50 सालो में किसीने नही सोचा वो कर दिया ,इसीलिये नरगिस भी खुलकर सामने आकर यह सब कर रही है ,
वो सब हरम में पहुच गए पर हरम में तो अलग ही तमाशा हो गया ,वहां नरगिस की बाते सब ने हरम लगे टीवी सेट से देख ली थी कोई भी नरगिस का साथ छोड़ना नही चाहते थे, उनका कहना था जिएंगे तो साथ और मरेंगे तो साथ ,कोई भी हरम से जाने को तैयार ही नही हुवा ,जब विनोद और सनी के साथ नरगिस के आदमी उनके जबरदस्ती करने लगे ,तो वो सब हिजड़ो ने इनकी खटिया खड़ी कर दी,
विनोद,सनी के साथ, नरगिस के आदमियों को लेकर कुछ हिजडे नरगिस की तरफ जाकर नरगिस से मिले और सबका फैसला सुनाया ,और यह भी कहा कि सबने कहा है की नरगिस उनकी बात का मान जाए ,नरगिस ने भी सबकी बात मान ली ,विनोद और सनी की हालत उन हिजड़ो ने बुरी कर दी थी ,उन्होंने उन सब को मारा नही था बस अपना प्यार दिखाया था पर उनका प्यार इन दोनों पर बहुत भारी पड़ गया था ,सनी बोला ,विनोदभाई आप की एक बात माननी पड़ेगी ,आप जुबान के बहुत पक्के हो,जो बात आप बोलते हो उसे जरूर पूरी करते हो,
विनोद ,सनी क्या बात कर रहा है, में समजा नही ,
सनी ,भाई आपने बोला था , ऐसी लडकिया दिखाओगे की लन्ड हमेशा खड़ा ही रहेगा ,सचमुच भाई आप ने सही कहा था ,उन हिजड़ो ने मेरा लंड मसल मसल कर इतना सूजाकर रख दिया है कि वह जिंदगी भर कभी बैठगा नही ,भाई पता है उन हिजड़े ने तो मेरी गोटिया भी नही छोड़ी, इतनी दबाई है की क्या बोलू ,में जिंदा कैसे हु अभी तक यही मुझे समझ नही आ रहा है
विनोद उसकी बातें सुनकर दर्द में भी हस रहा था ,
उधर यह सब हो रहा था और स्टेडियम में दो लोग आपस मे बात कर रहे थे,
आप को क्या लगता है ,वह कर पाएगा , पहला
देख लेते है ना ,अपने सामने ही होगा फैसला थोड़ी देर में,दूसरा बोला
वो मेरे मुकाबले बहुत कमजोर लगता है ,मेरे ख्याल से वह नही जीत पायेगा दादाजी ,पहला बोला
कोई भी मुकाबला जितने के लिए तुम कितने मजबूत हो या कमजोर यह बात मायने नही रखती शक्ति बेटा, वो बोले
जी हा दोस्तो यह है दादा पोते पृथ्वी सिंग और शक्ति सिंग
दादाजी आपके हिसाब से क्या मायने रखता है ,
शक्ति ,इसान की सोच बहोत मायने रखती है हमेशा,
में समजा नही दादाजी,
बेटा शिवा यहा खुद के लिये नही लड़ रहा ,ना उसे कुछ चाहिए , वो तो बस सबके भले का सोच रहा है ,चाहें इस काम को पूरा करते हुए उसकी जान भी जाये वो पीछे नही हट सकता
दादाजी आपको यकीन था शिवा हमारे पास आकर हमसे आशीर्वाद मांगेगा, और आपने उसे मुझे ऐसा क्यू आशीर्वाद देने को कहा था
हा हा हा, शक्ति तुम बाते बहुत जल्दी भूल जाते हो ,एक बात हमेशा याद रखना ,हमारी सोच ही हमारी जिन्दंगी बना सकती और बिगाड़ सकती है ,अच्छी सोच हमेशा जीवन को
एक रास्ता देती है जहाँ पर हमेशा जीवन को बेहतर करने के साधन मिल जाते है ,अब देखो यह मेरी सोच थी के शिवा हमारे बारे में जानकर हम दोनो से मिलेगा और आशिर्वाद भी मांगेगा, मेरी सोच शिवा ऐसा ही करेगा ऐसी क्यू बनी ,यह तुमने सोचा है कभी शक्ति ,
नही दादाजी ,मेने तो बस जो आपने बोला वही किया ,
शक्ति हमारी शिवा के खानदान के साथ 7 पीढ़ियों से दुश्मनी है ,ना शिवा को पता है हम उसके दुश्मन है और ना उसके खानदान में किसीको पता है,में अपनी पहली पीढ़ी से आज अपनी 7 वी पीढ़ी तक जिंदा हु, भले ही तुम मुझे दादा बोलते हो समाज के लिए पर तुम मेरे ही बेटे हो, मेरे बाद हर पीढ़ी में औलादे मुझसे ही पैदा हुई है , मुझे मेरे पिता ने जो चमत्कारी पानी पिलाया था उसके कितने फायदे मुझे मीले कि क्या बताऊँ ,आज मुझमे इन 400 साल जीकर उस पानी के वजह से हर ताकद मिली है ,में किसी का भी मन पढ़ सकता हु,में एक साथ 100 आदमियों को मार सकता हु ,में पानी मे सास ले सकता हु, सब जानवरो की भाषा जानता हूं,किसी भी बांझ औरत को मा बना सकता हु, में जीतनी तेजीसे दौड़ सकता हु उतना तो कोई हवाई जहाज भी ना दौड़े , बस में उड़ नही पाया अभी तक ,लेकिन इतना होकर भी बेटा हमने कभी शिवा के परिवार पर पीठ के पीछे वार नही किया,इतने सालों से, में अगर चाहता तो कबका सबको मिटा सकता था
पर में हमेशा एक काबिल दुश्मन से लड़ने मे ही यकीन रखता हूं ,में किसी भी ऐसे के साथ नही लड़ना चाहता था जिसकी वजह से मेरी मिली हुवी शक्तियों का अपमान हो,
जैसा चमत्कारी जल मेने 400 साल पहले पिया था वैसा ही विजय ने भी 40 साल पहले पिया था पर उसने सिर्फ अपनी शारिरिक बल के साथ मे काम शक्ति का ही विकास किया ,अपनी पत्नी के साथ ,पर विजय और कामिनी दोनो भी मेरे और ज्वाला जो तुम्हारी दादी के सामने कहि नही टिक सकते, तुम्हारी दादी ही अकेली इन सबको मिटा सकती है,
दादा जी आप को तो पता ही होगा ना वो चमत्कारी चीज क्या है जो मन्दिर में रखी है ,शक्ति बोला
हा बेटा मुझे पता है ,वह शक्ति क्या है मन्दिर में ,दादाजी बोले
 
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Update 20
( मन्दिर का राज कहानी अभी खोल दिया तो ज्यादा मज नही आयेगा स्टोरी पढने में ,इसको बीच 50 update में खोलूंगा )
शक्ति ने अपने दादा से मंदिर के राज के बारे में सब बातें जान ली थी ,
तो दादाजी आपको एक काबिल दुश्मन की जरुरत है खुद को परखने के लिए ,और आप को शिवा पर इतना यकीन भी नही है कि वो बन सकता है आपका प्रतिद्वंदी ,तो आपने उसको उसकी जीत का आशीर्वाद क्यों दिया ,
बेटा मेने उसे कहा सदा विजयी भव ,मेने तो उसके असली नाम का ही इस्तेमाल किया इसमें ,मेने उसे हमेशा विजय बने रहने को ही कहा है , मेने उसे आशीर्वाद में अपने तरफ से कुछ नही दिया
और मेरे दिये हुए आशीर्वाद का क्या अर्थ है
उसका मतलब है उसके जितने भी कर्तव्य है वो उसे पूरा कर पाये अपनी जिंदगी में,
उसने जब मुझे बड़े भाई करके पुकारा उस वक्त मुझे बहुत अच्छा लगा सुनकर और अब मेरे मन मे उसके लिये कोई नफरत भी नही रही ,में तो यही चाहूंगा कि वो कभी मेरे सामने दुश्मन बनकर ना खड़ा रहे ,अगर ऐसा हुवा तो उसे मारते वक्त मुझे बहुत बुरा लगेगा,
शक्ति एक बात याद रखना कभी भी अपने शत्रु के लिए अपने दिल मे सम्मान होंना अच्छी बात है पर दया रखना मतलब अपने पराजय को आमंत्रित करना है ,
दादाजी आप ही कहते है कि शिवा मे कोई भी चमत्कारी शक्ति नही है, ना उसके पास हमारे जैसा कोई युद्धकला ,फिर हम कैसे वो हरा पायेगा, एक मिनिट भी नही टिक पायेगा वो मेरे सामने
शक्ति ,शिवा की उम्र 19 साल है तो तुम्हारी 28 ,तुम्हे मेने बचपन से हर कला सिखाई है ,तुमको मेने शक्ति बढ़ाने वाली कई दुर्लभ दवाएं भी देता आ रहा हु, तुम्हे सिखाने के लिए में हर समय तुम्हारे साथ ही रहता हूं , तुम सब 14 भाइयो में सबसे बड़े और ताकदवर तुम ही हो ,तुमने अपने आप को हमेशा साबित किया है कि हर परीक्षा में ,लेकिन शिवा की यह पहली ही परीक्षा है , उसको बचपन से सिखाना वाला कोई नही था कि सही और गलत क्या है ,वो तो बस 2 साल ही कुश्ती ,बॉक्सिंग ,और कराटे ही सीखा है ,जो किसी आदमी के साथ लडने के लिये तो चल जाएगा ,पर इन जंगली जानवरों के सामने वो टिक नही पाएगा ,वो भी बिना हथियार के लड़ना ,किसी मौत को बुलावा देंना है, मुझे बस यही देखना है जिस सोच के ऊपर चलकर वो यह कदम उठा रहा है ,वह सोच के साथ टिक पाता है या नही,
दादाजी एक बात का सही जवाब दीजिये में जब पिछले ,साल यहां लडने आया था तब आपने क्यो मुझे कुछ नही ,
कहा कि में हथियार के साथ लडू या बिना हथियार के ,
शक्ति यहा पर तुम खुद का शारिरिक बल आजमाने के लिए आये थे, तुम्हे खुद की काबिलियत के बारे में सोचकर ही हथियार से लढे थे,तुम यहा पर सिर्फ खुद की जीत की सोच के साथ ही आये थे ,तुमने भी यहाँ सब बातें सुनी थी ,तुम चाहते तो एक साथ 6 जानवरो के साथ भी लड़कर जीत सकते थे ,वो हथियार से हो या बिना हत्यार के ,पर तुमको किसी भी हाल में जितना था,तुम एक साथ 6 जानवरों से लड़कर कोई खतरा नही उठाना चाहते थे ,और तुम्हे पता है ,हमेशा सबको खुद के फैसले लेने का में स्वातंत्र्य देते रहता हूं,
शिवा अब पिंजरे में खड़ा था ,उसका चेहरा शांत था ,न कोई डर ,ना कोई चिंता ,शिवा जब पिंजरे में जा रहा था तब नरगिस ने उसे कहा था जिंदा जरूर लौटना , शिवा बिना कोई जवाब दिए ही पिंजरे में आ गया ,एक साथ 6 जानवर को उसको हराना था वो भी बिना हथियार के, शिवा सोच रहा था कि उसके सामने कौनसे जानवर आएंगे और किस तरह उन्हें हराना है, बस अपने दिल की बात सुनकर वो अब लड़ने वाला था, वो यहां सिर्फ शफ़ी चाचा के इलाज के पैसे के वास्ते आया था ,पर नरगिस की सच्चाई उसके सामने आने के बाद जब उसे पता चला कि उसने शफ़ी चाचा का ऑपरेशन कर दिया है ,उसे तो बस नरगिस के पैसे लौटने के लिए ही लड़ना के बारे में सोचा था ,वो किसी के अहसान नही लेना चाहता था,पर जब उसने यहा पर होने वाली मौते देखी ,यहां का सच जानकर उसे बुरा लगा ,चंद पैसे के लिए कितने लोग अपनी जान गवा रहे थे ,शिवा भी तो खुद पैसे के लिए ही तो यहा पर था, जब उसे मालूम हुवा की अगर किसीने 6 जानवरो मो एक साथ बिना हत्यार से लड़कर हराया तो यह सब हमेशा के लिये बन्द होगा ,अब यह तो एक ऐसी चाल थी जो इस खेल को चलाने वालों ने खेली थी ,जिसके वजह से अगर कोई बहुत ही ताक़दवर शख्स ने यह बन्द करने के बारे में सोचा तो उसे इसमे आसानी से फसाकर मार सकते थे,बाकी यहां पर मिलने वाली कमाई के जरिये उन्होंने सब का मुह बन्द कर के रखा था, कोई कितना भी बड़ा सुरमा हो या ताक़दवर एक सात 6 जानवरो को हराना नामुमकिन ही था
शिवा के कानों में एक आवज पड़ी जो नरगिस की थी ,उसने देखा कि वह किसी आदमी के पास खड़ी होकर माइक से बोल रही थी, यहां पर पहली बार ऐसा मुकाबला हो रहा है ,जहाँ 6 जानवरों के साथ कोई एक लड़ने वाला है ,पिंजरे में हर 5 मिनिट बाद एक जानवर को छोड़ा जाएगा ,अगर जानवर एक दूसरे से लड़कर मर गए तो जो पिंजरे में बचा हुवे जानवरो को हराना होगा जब तक सब जानवर मर नही जाते या मार खाकर बेहोश नही होते तब तक मुकाबला जारी रहेगा ,अगर फायटर को किसी जानवर ने मार दिया तो फाइट खत्म हो जाएगी ,
शिवा ने अपने आँख बंद करके अपने मन मे सोचा कि अगर में यहां पर मारा भी गया, तो कोई उसके पीछे रोने वाला नही है ,पर अगर वो यहा पर कामयाब हो गया तो यह खूनी खेल हमेशा के लिये खत्म होगा ,कोई भी आगे यहां पर पैसे के लिए मरने नही आएगा, एक जोरदार आवाज के साथ शिवा की आँखे खुली ,उसके सामने 30 फुट पर 7 फुट लम्बा ,चौड़ा जंगली सांड खड़ा था उसके बड़े बड़े नुकीले सिंग थे, उसको शराब पिलाकर पहले बहकाया गया था ,बाद में उसे मार था थामार कर गुस्सा दिलाकर पिंजरे में छोड़ दीया था उस सांड ने शिवा को अपने सामने देखकर गुस्से में आ गया ,उसने अपनी नथुनों को फुलाते हुए,शिवा को कुचलने के लिए शिवा की तरफ दौड़ लगा दी ,उसको अपनी तरफ आते देख कर शिवा पहले थोड़ा बौखला गया ,लेकिन वो जल्दी सम्बल गया ,वो सांड ने शिवा के सम्भल ने से पहले ही उसको एक टक्कर मार दी उस ,सांड के एक ही टक्कर में शिवा को 10 फीट ऊपर और 20 फिट से ज्यादा फेक दिया था, उस सांड के सिर्फ सर की ही मार लगी थी ,शिवा की किस्मत थी कि उस सांड के सिंग नही चुभे थे, शिवा को लग रहा था उसके शरीर का पूरा ढाचा ही हिल गया हो ,शिवा का एक पैर में बहुत ज्यादा मार लगी थी ,उसको खड़े होने में भी परेशानी हो रही थी ,उसके सर पर भी चोट लग गई थी ,जिससे खून टपक रहा था ,वो सांड शिवा को कुचलकर तेजीसे मुडा और शिव को फिरसे अपने सामने देख कर वो और गुस्साए शिवा की तरफ लपका ,शिवा पहली हमले से ही नही उभरा था ,वो खड़ा होने से पहले ही साँड़ ने उसे अपने सींग से उठकर फिर फेक दिया ,इस बार सांड का एक सींग शिवा की पीठ पर घुसा था ,जिसका बहुत बड़ा जख्म हो गया था ,शिवा को सांड ने इस बार पिंजरे पर दे मारा था ,शिवा को सांड ने दो ही हमलों से पूरा जख्मी कर दिया था ,पहले उसकी टांग और अब पीठ का जख्म शिवा अब उसके बदन से बहते खून से पूरा लाल हो गया था ,वो अब अपनी पीठ पिंजरे को सहारे बैठने की कोशिश कर रहा था ,
नरगिस के हरकतों से पहले सबको लगा था शिवा में भी कुछ बात जरूर होगी ,कुछ तो दम होगा नही तो कैसे नरगिस जैसी एक आफत को वो पसन्द आ सकता है, लेकिन वह तो किसी कागज के शेर से भी गया गुजर निकला , शिवा पिंजरे को अपनी पीठ लगाए बैठ कर अब सांड को देख रहा था ,वो अब तीसरी बार शिवा की तरफ दौड़ लगाने लगा इस बार ऐसा लग रहा था कि शिवा को वह अपनी टककर से अब खत्म ही कर देगा , शिवा ने इस बार सांड को अपने पास आने दिया और आंखरी वक्त पर थोड़ा साइड को हो गया ,सांड ने अपनी पूरी ताकद से टककर मारी थी, धा ss ड़ एक जोर की आवाज से सांड पिंजरे के मजबूत दरवाजे से टकरा गया ,सांड का एक सींग इस टक्कर से टूट कर नीचे गिर गया था ,सांड भी दरवाजे की लोहे की मार लगने से और अपना सींग टूटने की वजह से दर्द में एक जगह पर खड़े होकर कपकपा रहा था, शिवा के पास उस सांड का सिंग का टुकड़ा गिरा हुवा था उसे शिवा ने उठा लिया ,और अपनी जगह से उठने की कोशिश करने लगा तभी एक और जानवर को पिंजरे में छोड़ा गया ,क्योंकि 5 मिनिट जो पूरे हो गए थे सांड को छोड़के ,इस बार एक जंगली कुत्ते को छोड़ा गया था ,वो भी बहुत तगड़ा दिख रहा था बडा मुह ,नुकिले दाँत, पैरों में बड़े बड़े नाखून ,एक भैसे जितना वो लम्बा ,मोटा था, पहले शिवा को वह भेड़िया ही लगा ,लेकिन उसके भोकने की वजह से शिवा को समझ आया कि वह कुत्ता है ,उस कुते ने पहले सांड को देखा फिर शिवा को ,लेकिन शिवा के बदन से बहते खून की वजह से वो शिवा पर टूट पड़ा और शिवा की एक टांग को अपने मजबूत जबड़े में पकड़ के उसको नोचने लगा ,शिवा के मुह से दर्द भरी जोरदार चीख निकल गई ,माँ,
शिवाने अपने हाथों में जो सांड में सिंग को पकड़ा था उसे पूरी ताकद के साथ उस कुत्ते के पेट मे घोप दिया ,जिसकी वजह से उस कुत्ते ने शिवा की टांग को छोड़ दिया ,शिवा ने दूसरी बार भी सींग घोप दिया ,तभी उस कुते को सांड ने आके जोरदार टक्कर लगा दी ,वो कुत्ता दर्द भरी आवाज के साथ दूर जाकर गिरा , सांड के सर पर जो बचा हुवा सींग था उसकी मार से कुत्ता और ज्यादा जख्मी हो गया था ,उसके पेट मे पहले ही शिवा ने सींग मार दिया था ,अब वो सांड की टक्कर से वह अब और ज्यादा पागल हो गया, उस कुते ने अब सीधा सांड पर हमला बोल दिया उसने जाकर सीधे अब सांड के पीठ पर हमला कर दिया और सांड की पीठ में अपने दाँत गाड़ दिए, सांड और कुत्ते की इस जंग में शिवा भी कूद गया और उसने अपने हाथ मे पकड़े सींग से कुते की गर्दन में वार कर दिया ,शिवाने उस कुत्ते की गर्दन में वार करने से उसने सांड को छोड़ कर शिवा पर झपटना कि चाहा पर ,तभी शिवाने फिर सींग का एक वार किया यह वार कुत्ते के सर पर लगने से कुत्ता नीचे गिर गया ,पहले से ही कुते घायल था ,लेकिन शिवा के सर पर वार करने को वह झेल नही पाया ,और उसने दम तोड़ दिया था ,वो सांड भी कुते के हमले की वजह से लहूलुहान हो गया था ,वो अब नीचे गिर गया था ,शिवाने अब उसके पास जाकर उस सांड के गले मे उसी सींग के वार करने लगा वो सांड भी लुढ़क गया,
अंदर जब शिवा पर उस कुत्ते ने हमला किया नरगिस का दिसमाग ही घूम गया उसने अपनी तलवार निकालकर , कोकी से अपनी गांड मरवा रहे रियाज के पास जाकर उसकी गर्दन ही काट दी और उस गर्दन को अपने जनावरो के सामने फेक दिया ,तब तक पिंजरे में शिवा ने कुत्ते को मार दिया था
नरगिस ने यह देखकर कहा अब यह मुकाबला खत्म ,अगर किसी ने और कोई जानवर पिंजरे के अंदर छोड़ा तो में सबको मार डालूंगी ,
नरगिस ने रियाज के धड़ को भी कोकी को उन बाघो को सामने फेकने को कहा ,
शिवा ने सांड को मार दिया था अब वो अगले जानवर का इंतजार कर रहा था पर उसको खून बहने से चक्कर आ गई औऱ वह नीचे गिर पड़ा
तब तक नरगिस पिंजरे में दाखिल हो गई थी, उसने शिवा को अपने आदमियों की मदद से अस्पताल लेकर चली गई और उस मुकाबले को खत्म कर दिया था,
विनोद औऱ सनी वही स्टेडियम में ही बैठे थे
विनोद बोला ,सनी हम बच गए मेरे भाई,मुझे नही लगा था में जिंदा कभी घर लौट पाऊंगा,
सनी , भाई में भी खुश हूं, पर मैने कभी नही सोचा था, कि में इतने सूजे हुवे अपने लंड से कभी अब मुत भी पाउंगा ,पर उस डायन ने कर दिखाया, जब उसने उस रियाज के सर को काटके उसके जनावरो में फेंका ,साला उन जानवरो के पास ही हम बैठे थे ,जब वो उसके सर को खा रहे थे ना भाई, मुझे पता भी नही चला कि मैने कब मुत दिया
 

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