Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update - 28


इधर जब रावण को रिश्ता टूटने की सूचना मिला तो खुशी के मारे फुले नहीं समा रहा था। रावण खुशी के मारे वावला हुआ जा रहा था। रावण को खुश देखकर सुकन्या ने पुछा…आज आप ओर दिनों से ज्यादा खुश लग रहे हों। आप'के खुशी का राज क्या हैं?

सुकन्या के पूछते ही रावण मन में बोला इसे सच बता दिया तो फिर से ज्ञान की देवी बनकर ज्ञान की गंगा बहाने लग जाएंगी। इसके प्रवचन से बचना हैं तो कोई मन घड़ंत कहानी सुनाना पड़ेगा।

सुकन्या...क्या हुआ? बोलिए न आप के खुशी का राज क्या हैं?

रावण...मैं खुश इसलिए हूं क्योंकि मैं कहीं पर पैसा लगाया था जो मुझे कही गुना मुनाफे के साथ वापस मिला हैं। इसलिए बहुत खुश हूं।

सुकन्या...ये तो बहुत ख़ुशी की ख़बर हैं। क्या अपने ये ख़बर जेठ जी और दीदी को दिया?

खुशी की ख़बर राजेंद्र और सुरभि को देने की बात सुनकर रावण मन ही मन बोला... ये तो दादाभाई और भाभी की चमची बन गई। लेकिन इसे नहीं पाता इस वक्त उनका जो हाल हो रहा हैं उनको जो जख्म पहुंचा हैं वो किसी भी खुशी की ख़बर से नहीं भरने वाला न कोई दवा काम आने वाला हैं।

मन की बातो को विराम देकर रावण बोला...अभी तो नहीं बताया मैं सोच रहा हूं फोन में बताने से अच्छा जब हम शादी में जाएंगे तब बता दुंगा।

सुकन्या...ये अपने सही सोचा अच्छा ये बताईए हम कब जा रहे हैं। दीदी के बिना मेरा यहां मन नहीं लग रहा हैं।

सुकन्या की बाते सुनकर रावण मन ही मन बोला...ये तो भाभी की दीवानी हों गई पहले भाभी इसको कांटे की तरह चुभा करती थी। अब देखो कैसे आंखो का तारा बन गई हैं। एक पल उन्हे देखें बिना इसे चैन नहीं आ रहीं हैं।

मन ही मन ख़ुद से बात करने के बाद रावण बोला...दो तीन दिन रुक जाओ फिर चलेंगे। फिर मन में बोला...हमे जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगा क्योंकि जो काम मै करना चाहता था वो हो गया हैं एक दो दिन में वो ख़ुद ही शोक विलाप करते हुए आ जाएंगे।

सुकन्या...ठीक है।

रावण ऐसे ही ख़ुशी माना रहा था। लेकिन रावण की खुशी को न जाने किसकी नज़र लग गया शाम होते होते रावण की ख़ुशी मातम में बदल गया। रावण के आदमी जो महेश पर पल पल नजर बनाया हुआ था। जब उन्हें पाता चला कुछ पल का टूटा हुआ रिश्ता फिर से जुड़ गया। ये ख़बर जब रावण को दिया तब रावण ने आपा खो दिया। गुस्से में अपने आदमियों को ही सुनने लग गया। जो मन में आया बकने लग गया। गाली गलौच करने के बाद भी रावण का गुस्सा शान्त नहीं हुआ तो रूम में ही तोड़ फोड़ करने लग गया तोड़ फोड़ की आवाज सुनकर सभी नौकर और सुकन्या भागकर रूम में पहुंचे रावण को तोड़ फोड़ करते देखकर नौकर कुछ नहीं बोला लेकिन सुकन्या रावण को रोकते हुए बोली...ये क्या कर दिया? इतना तोड़ फोड़ क्यों कर रहे हो?

रावण कुछ नहीं बोला बस गुस्से में लाल हुई आंखों से सुकन्या को देखा फिर तोड़ फोड़ करने लग गया। रावण के लाल खून उतरे आंखे को देखकर सुकन्या भयभीत हों गई। सिर्फ सुकन्या ही नहीं सभी नौकर भी भय भीत हों गए। रावण को किसी की कोई परवाह नहीं था वो तो बस गुस्से में तिलमिलाए तोड़ फोड़ करने में मगन रहा। रावण के हाथ जो आया तोड़ता गया। एकाएक रावण ने एक फ्रेम किया हुआ फोटो उठा लिया फोटो में पूरा परिवार एक साथ था। रावण के हाथ में फ़ोटो देखकर सुकन्या रावण के पास गया हाथ से फोटो छीन लिया फिर बोली…इतना भी क्या गुस्सा करना? सभी समान ही तोड़ दो छोड़ों इस फ़ोटो को, आप इसे नहीं तोड़ सकते।

सुकन्या के फ़ोटो लेते ही रावण और ज्यादा तिलमिला गया। बिना सोचे समझे चटक चटक चटक तीन चार चाटे सुकन्या को लगा दिया। चाटा इतना जोरदार मरा गया। सुकन्या के होंठ फट गए, फटे होंठ से खून निकल आया। चाटा लगने से सुकन्या खुद को संभाल नहीं पाई इसलिए निचे गिर गई। सुकन्या गिर कर रोने लगीं लेकिन रावण इतना बौखलाया हुआ था। उसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा, दामदामते हुए रूम से बहार निकल गया। रावण के जाते ही एक नौकर ने जाकर सुकन्या को उठाया। धीरा भाग कर पानी और फास्ट ऐड बॉक्स लेकर आया।

सुकन्या को पानी पिलाकर धीरा होंठ से खून साफ कर दवा लगाने लगा और सुकन्या रोते हुए बोली….मैंने ऐसा किया कर दिया जो इन्होंने मुझे इस तरह मरा आज सुरभि दीदी होती तो वो इन्हें बहुत डांटते।

"छोटी मालकिन आप चुप रहें दावा लगाने दीजिए। अपने देखा न छोटे मलिक कितने गुस्से में थे।"

सुकन्या...किस बात का इतना गुस्सा आज तक इन्होंने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया आज उठाया तो इतने बुरी तरीके से मरा मेरा होंठ फट गया। उन्होंने पलट कर भी नहीं देखा।

"छोटी मालकिन गुस्से में हों जाता हैं आप शान्त हों जाइए छोटे मलिक का गुस्सा जब शान्त होगा वो आप'से माफ़ी मांग लेंगे।"

सुकन्या...मुझे उनके माफ़ी की जरूरत नहीं हैं। मैं जान गई हूं ये मेरे पाप का दण्ड हैं जो मैंने सुरभि दीदी और आप सभी के साथ किया था।

नौकर आगे किया बोलता उन्हें पता था सुकन्या ने उनके साथ और सुरभि के साथ कैसा व्यवहार किया था। खैर कुछ वक्त तक ओर सभी नौकर सुकन्या के पास रहे फिर सुकन्या के कहने पर सभी नौकर अपने अपने काम करने चले गए। सभी के जाते ही सुकन्या सोफे नुमा कुर्सी पर बैठे बैठे रोने लग गई और मन ही मन ख़ुद को कोशने लग गई।

इधर रावण घर से निकलकर मयखाने में जाकर बैठ गया। शराब मंगवाकर पीते हुए मातम मानने लग गया। आधी रात तक मयखाने में बैठा बैठा शराब पीकर बेसुध होता रहा। मयखाने के बंद होने का समय होने पर रावण को घर जाने को कहा गया तो रावण नशे में लड़खड़ाते हुए घर आ गया। घर आकर रावण रूम में जाकर सोफे पर ही लुड़क गया। उसने जानने की जहमत भी न उठाया सुकन्या किस हाल में हैं।

जब रावण रूम में आया तब सुकन्या जागी हुई थीं। रो रो कर आंखें सूजा लिया था। रावण को देखकर सुकन्या को एक अश जगा शायद रावण उससे हलचाल पूछेगा पर ऐसा हुए नहीं तो सुकन्या का रूदन ओर बढ़ गया। रोते रोते खुद वा खुद सो गई।

अगले दिन सुबह उठते ही रावण को सोफे पर लेटा देख सुकन्या मुंह फेरकर चली गई। नित्य काम से निवृत होकर अपने काम में लग गई। जब रावण उठा तो खुद को सोफे पर लेटा देखकर सोचने लगा वो सोफे पर क्यों लेटा हैं। तब उसे याद आया उसने गुस्से में कल रात को क्या क्या कर दिया। याद आते ही रावण झटपट उठ गया फिर सुकन्या को ढूंढने लग गया। सुकन्या उस वक्त निचे बैठक हॉल में बैठी थीं। रावण सुकन्या के पास गया फिर बोला...सुकन्या कल रात जो मैंने किया उससे मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मुझे माफ़ कर दो।

सुकन्या ने कोई जवाब नहीं दिया। उठकर जानें लगीं तब रावण ने सुकन्या का हाथ पकड़ लिया। रावण के हाथ पकड़ने से सुकन्या हाथ को झटका देकर छुड़ाया फिर बोली…माफ़ी मांगकर किया होगा आप'के करण मुझे जो चोट पहुंचा क्या वो भर जाएगा।

रावण की नजर सुकन्या के होंठ पर लगी चोट पर गया चोट देखकर रावण को अपने कृत्य पर पछतावा होने लग गया। इसलिए रावण बोला…सुकन्या मुझे माफ़ कर दो मैं कल बहुत गुस्से में था। गुस्से में न जानें क्या क्या कर गया? मुझे ही होश न रहा।

सुकन्या…जो भी अपने किया अच्छा किया नहीं तो मुझे कैसे पाता चलता आप इंसान के भेष में एक दानव हों जिसे इतना भी पता नहीं होता मै किया कर रहा हूं किसे चोट पहुंचा रहा हूं।

रावण…माना कि मुझसे गलती हुआ है लेकिन तुम तो ऐसा न कहो तुम्हारे कहने से मुझे पीढ़ा पहुंचता हैं।

सुकन्या...मेरे कहने मात्र से आप'को पीढ़ा पहुंच रहा हैं तो आप सोचो मुझे कितनी पीढ़ा पहुंची होगी जब बिना किसी करण, अपने मुझ पर हाथ उठाया।

रावण...मानता हूं तुम पर हाथ उठकर मैंने गलती कर दिया। मैं उस वक्त बहुत गुस्से में था। गुस्से में मै किया कर बैठ मुझे सुध ही न रहा। अब छोड़ो उन बातों को मैं माफ़ी मांग रहा हूं माफ़ कर दो न।

सुकन्या…माफ़ कर दूं ठीक हैं माफ़ कर दूंगी आप मेरे एक सवाल का जवाब दे दीजिए आप'के जगह मै होती और बिना किसी गलती के आप'को मरती तब आप किया करते।

रावण के पास सुकन्या के इस सवाल का जवाब नहीं था। इसलिए चुप खडा रहा। रावण को मुखबधिर देख सुकन्या बोली…मैं जनता हूं मेरे सवाल का आप'के पास कोई जवाब नहीं हैं। जिस दिन आप'को जबाव मिल जाए मुझे बता देना मैं आप'को माफ़ कर दूंगी।

सुकन्या कह कर चली गई रावण रोकता रहा लेकिन सुकन्या रूकी नहीं सुकन्या के पीछे पीछे रावण रूम तक गया। सुकन्या रूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। रावण दरवजा पिटता रहा लेकिन सुकन्या दरवजा नहीं खोली थक हर कर रावण चला गया। सुकन्या रूम में आकर रोने लगीं रोते हुए बोली…सब मेरे पाप कर्मों का फल हैं जो कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाते आज उन्होंने मुझ पर हाथ उठा दिया। मन तो कर रहा है कहीं चला जाऊं लेकिन जाऊ कहा कोई अपना भी तो नहीं हैं जिन्हें अपना मानती रहीं वो ही मुझे मेरा घर तोड़ने की सलाह देते रहें। जिन्होंने मुझे पल पोश कर बडा किया आज वो भी मुझसे वास्ता नहीं रखना चाहते। हे ऊपर वाले मेरे भाग्य में ये क्या लिख दिया? क्या तुझे मुझ पर तोड़ी सी भी तरस नहीं आया? क्या तेरा हाथ भी नहीं कंपा ऐसा लिखते हुए?

सुकन्या रोते हुए खुद से बात करने में लगी रहीं। रावण घर से निकलकर सीधा पहुंच गया सलाह मिसविरा करने सलाहकार दलाल के पास। रावण को देख दलाल बोला…क्या हुआ तेरा हाव भाव बदला हुआ क्यों हैं? लगता हैं किसी ने अच्छे से मार ली।

रावण...अरे पूछ मत बहुत बुरा हल हैं। चले थे मिया शेखी बघारने बिल्ली ने ऐसा पंजा मरा औंधे मुंह गिर पडा।

दलाल को कुछ समझ न आया तब सिर खुजते हुए बोला..अरे ओ मिया इलाहाबादी मुशायरा पड़ना छोड़ और सीधे सीधे कविता पढ़के सुना।

रावण...अरे यार रघु की शादी तुड़वाने को इतना तामझाम किया शादी तो टूटा नहीं उल्टा मेरा और सुकन्या का रिश्ता बिगाड़ गया।

रघु की शादी न टूटने की बात सुन दलाल अंदर ही अंदर पॉपकॉर्न की तरह उछल पड़ा। दलाल का हल बेहाल न होता तो वो उछलकर खडा हों जाता लेकिन बंदा इतना बदकिस्मत था कि एक्सप्रेशन देकर काम चलाना पड़ा।

दलाल...kiyaaa बोल रहा हैं शादी नहीं टूटा लेकिन ये हुआ तो हुआ कैसे?

रावण...सही कह रहा हूं। शादी नहीं टूटा ये ख़बर सुनकर मुझे इतना गुस्सा आ गया था। मैं बता नहीं सकता अब गुस्से का खामियाजा मुझे ये मिला सुकन्या मुझसे रूठ गई।

दलाल...क्या कह रहा हैं सुकन्या भाभी तुझसे रूठ गई लेकिन क्यों?

फिर रावण ने शॉर्ट में बता दिया किया हुआ था। सुनकर दलाल बोला…सुकन्या भाभी आज नहीं तो कल मान जायेगी लेकिन बडी बात ये हैं रघु का शादी कैसे नहीं टूटा इससे पहले तो हमारा आजमाया हुआ पैंतरा फेल नहीं हुआ फिर आज कैसे हों गया।

रावण...मैं भी हैरान हूं एक बार टूटने के बाद फ़िर से कैसे शादी करने को लडकी वाले मान कैसे गए।

दलाल...मान गए तो किया हुआ अब दूसरा पैंतरा आजमाते हैं ये वाला पक्का काम करेगा।

रावण...हां दूसरा पैंतरा काम जरुर करेगा। मैं अब चलता हूं समय बहुत कम हैं काम बहुत ज्यादा जल्दी से काम खत्म करना हैं।

रावण फिर से शादी तुड़वाने की तैयारी करने चल दिया। रावण कुछ बंदों को आगे किया करना हैं ये समझकर घर आ गया। जहां सुकन्या को मनाने का बहुत जतन करता रहा लेकिन सुकन्या मानने के जगह रावण को ही खरी खोटी सुना दिया। सुकन्या का उखड़ा मुड़ देखकर रावण कोशिश करना छोड़ दिया। बरहाल रूठने मनाने में दिन बीत गया।

शादी टूटने की बात आई गई हों गई। दोनों ओर से आगे की तैयारी करने में जी जान से लग गए। अगले दिन दोपहर को सभी बैठे थे तभी राजेंद्र बोला.. सुरभि लगभग सभी तैयारी हों गया हैं तो बोलों शॉपिंग करने कब जाना हैं।

सुरभि...कल को चलते है साथ ही महेश जी कमला और मनोरमा जी को बुला लेंगे सभी शॉपिंग साथ में कर लेंगे।

राजेंद्र आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बोली...मां भाभी का लहंगा मैं पसन्द करूंगी।

रमन...तू क्यू करेगी भाभी के लिए लहंगा तो उनका देवर रमन पसन्द करेगा।

पुष्पा...नहीं मैं करूंगी मेरी बात नहीं माने तो देख लेना।

रमन...देख लेना क्या माना की तू महारानी हैं लेकिन मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला।

पुष्पा...मां देखो रमन भईया मेरी बात नहीं मान रहें हैं जिद्द कर रहें। उनसे कहो महारानी का कहना मान ले नहीं तो कठोर दण्ड मिलेगा।

रमन...मैं जनता हूं महारानी जी कौन सा दण्ड देने वाली हों इसलिए मै अभी दण्ड भुगत लेता हूं।

ये कहकर रमन कान पकड़कर उठक बैठक लगाने लग गया। रमन को उठक बैठक करते देख पुष्पा मुंह बना लिया। ये देख राजेंद्र, सुरभि और रघु ठहाके लगाकर हंसने लग गए। मां बाप भाई को हसता हुआ देखकर पुष्पा समझ गई रमन उसके साथ मजाक कर रहा हैं। इसलिए पुष्पा भी मुस्करा दिया फिर बोली…रमन भईया आप मेरा मजाक उड़ा रहे थें हैं न, तो आप'को सजा मिलेगी। आप'की सजा ये है आप कल शाम तक ऐसे ही उठक बैठक करते रहेगें।

पुष्पा की बात सुनकर रमन रूक गया और मन में बोला...क्या जरूरत थी महारानी को छेड़ने की अब भुक्तो सजा।

रमन को रूका हुआ देखकर पुष्पा बोली...भईया आप रुक क्यों गए? chalooo शुरू हों जाओ।

रमन पुष्पा के पास गया फिर मस्का लगाते हुए बोला...तू मेरी प्यारी बहना हैं इसलिए भाभी के लिए लहंगा और रघु के लिए शेरवानी तू ही पसन्द करना बस मुझे सजा से बक्श दे नहीं तो इतना लंबा चौड़ा सजा भुगतकर मेरा चल चलन बिगाड़ जायेगा।

पुष्पा...भईया आप'का चल चलान बदले मुझे उससे कुछ लेना देना नहीं, मुझे मेरे मान की करने से रोकने की हिम्मत कैसे हुआ रोका तो रोका मजाक भी उड़ाया न न अपने बहुत संगीन जुर्म किया हैं इसलिए आप'को सजा तो मिलकर रहेगा। Chalooo शुरू हों जाओ।

रघु…pushpaaaa...।

रघु की बात बीच में काटकर पुष्पा बोली…चुप बिल्कुल चुप आप एक लफ्ज भी नहीं बोलेंगे।

राजेंद्र...पुष्पा बेटी जाने दो न रमन से गलती हों गया अब माफ़ भी कर दो।

पुष्पा…इतना संगीन जुर्म पर माफ़ी नहीं नहीं कोई माफ़ी नहीं मिलेगा। आप चुप चप बैठे रहों। आप के दिन गए अब महारानी पुष्पा के दिन चल रहे हैं। जो भी गलती करेगा उसे महारानी पुष्पा सजा देकर रहेगी।

सुरभि उठकर पुष्पा के पास गई कान उमेटते हुए बोली...क्यू रे महारानी मेरे बेटे को माफ़ नहीं करेंगी।

पुष्पा..ahaaaa मां कान छोड़ो बहुत दर्द हों रहा हैं

सुरभि कान छोड़ने के जगह थोड़ा और उमेठ देती हैं। जिससे पुष्पा का दर्द थोड़ा और बढ गई। तब पुष्पा राजेंद्र की ओर देखकर बोली…पापा मैं आप'की लाडली हूं न देखो मां मेरे कान उमेठ रहीं हैं। आप'की लाडली को बहुत दर्द हों रहा हैं आप रोको न इन्हें।

राजेंद्र...मेरे तो दिन गए अब तुम महारानी हों तो खुद ही निपटो मैं न कुछ कहने वाला न कुछ करने वाला।

बाप के हाथ खड़े करते ही पुष्पा को दर्द से छुटकारा पाने का एक ही रस्ता दिखा रमन को बक्श दिया जाएं। इसलिए पुष्पा बोली…मां कान छोड़ो मैं रमन भईया को माफ़ करती हूं।

सुरभि कान छोड़ देती हैं। पुष्पा कान सहलाते हुए बोली…कितनी जोर से महारानी की कान उमेठा रमन भईया आज आप बच गए सिर्फ इसलिए क्योंकि आप'का दल भारी था। लेकिन आप ये मात सोचना की मेरा दल कभी भारी नहीं होगा जल्दी ही कमला भाभी मेरे दल का मेंबर बनने वाली हैं।

पुष्पा की बातों से सभी फिर से खिलखिला कर हंस दिया। पुष्पा भी कान सहलाते हुए खिलखिला दिया। ऐसे ही यह हसी ठिठौली चलता रहा शाम को सुरभि फोन कर मनोरमा से बात करती हैं

सुरभि….बहन जी कुछ जरूरी शॉपिंग करना हैं। इसलिए मैं सोच रहीं थीं आप लोग भी हमारे साथ चलते तो अच्छा होता।

मनोरमा…जी मैं भी यही सोच रहीं थीं आप ने अच्छा किया जो पुछ लिया।

सुरभि...ठीक हैं फ़िर काल को मिलते है।

सुरभि फ़ोन रख कर राजेंद्र को बता दिया। अगले दिन दोपहर बाद मनोरमा, कमला और महेश, राजेंद्र के घर आए। कमला के आते ही रघु और कमला की आंख मिचौली शुरू हों गया। रघु कमला को बात करने के लिए पास बुलाने लगा पर कमला आने के जगह मुस्कुराकर माना कर दिया। रघु बार बार इशारे करने लग गया। कमला तो आई नहीं पर दोनों के हरकतों पर पुष्पा की नजर पड़ गई। पुष्पा के खुराफाती दिमाग में न जानें कौन सी खुराफात ने जन्म लिया बस मुस्कुरा कर दोनों को देखती रहीं। बरहाल जब शॉपिंग करने जानें लगें तो पुष्पा बोली...मां मैं भाभी और भईया एक कार में जाएंगे।

सुनते ही रघु का मान उछल कूद करने लग गया। लेकिन उसे डर था कही मां माना न कर दे किंतु मां तो मां होती हैं। सुरभि शायद रघु के मान की बात जान गई इसलिए हां कह दिया। सुरभि के हा कहते ही रमन बोला…वाह पुष्पा वाह तू कितनी मतलबी हैं। मेरा भी तो मान हैं भाभी और दोस्त के साथ शॉपिंग पर जाने का लेकिन तू सिर्फ अपने बारे में सोच रहीं हैं। मैं किसके साथ जाऊ मुझे घर पर ही छोड़ कर जाएगी।

पुष्पा…मुझे क्या पता? आप'को जिसके साथ जाना हैं जाओ मैने थोडी न रोक हैं।

रमन...ठीक हैं फ़िर मैं भी अपने दोस्त के साथ ही जाऊंगा।

कौन किसके साथ जाएगा ये फैसला होने के बाद सभी चल देते हैं। रघु का मन था कमला उसके साथ आगे बैठे लेकिन पुष्पा जिद्द करके कमला को पीछे बैठा लिया। रघु अनमने मन से आगे बैठ गया। ये देख कमला मन ही मन मुस्कुरा देती हैं। रघु कार चलते हुए बैक व्यू मिरर को कमला के चेहरे पर सेट कर बार बार मिरर से ही कमला को देखने लग गया। ऐसे ही देखते देखते दोनों की नज़र आपस में टकरा जाता हैं तब कमला खिली सी मुस्कान बिखेर आंखो की भाषा में एक दूसरे से बाते करने लगीं। बगल में बैठी पुष्पा दोनों को एक दूसरे से आंख मिचौली करते हुए देख लिया। एक शैतानी मुस्कान से मुस्कुराकर पुष्पा बोली…भईया आप शीशे में किया देख रहे हों, सामने देख कर कार चलाओ।

अचानक पुष्पा के बोलने से रघु झेप गया और नज़रे बैक व्यू मिरर से हटा सामने की ओर देखने लगा गया। ये देख कमला मुस्करा देती हैं। थोड़े देर के बाद फिर से दोनों आंख मिचौली करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस बार पुष्पा कुछ और सोच कर कमला को शीशे में देखने ही नहीं देती, कुछ न कुछ बहाना बनाकर बहार की ओर देखने पर मजबूर कर देती हैं।

खैर कुछ क्षण में एक मॉल के सामने कार रुकता हैं सभी उतरकर अंदर चल देते हैं। यह भी पुष्पा कमला का साथ नहीं छोड़ी अपने साथ लिए एक ओर चल दिया। रघु इधर उधर घूमा फ़िर बहाने से पुष्पा के पास पहुंच गया। रघु को डांट कर पुष्पा भगा दिया ये देख कमला मुस्कुराए बिन रह न पाई। रघु एक बार फिर से आया इस बार भी पुष्पा रघु को भगा दिया फिर बोली…भाईया भी न एक बार कहने से मानते नहीं लगता है इनका कुछ ओर इंतेजाम करना पड़ेगा।

कमला... ननदरानी जी क्यों उन्हें बार बार भगा रहीं हों। उन्हे हमारे साथ रहने दो ना।

पुष्पा...ओ हों आग तो दोनों तरफ़ बराबर लगा हुआ हैं। आप सीधे सीधे कहो न सैयां जी से बात करना हैं।

कमला…सीधा टेडा कुछ नहीं रखा मेरे सैयां जी हैं तो बात करने का मान तो करेगा ही।

पुष्पा...ओ हों बड़े आए सैंया वाले अब बिल्कुल भी बात नहीं करने दूंगी।

पुष्पा कह कर मुस्कुरा दिया और कमला पुष्पा को दो तीन चपत लगा दिया। ननद भाभी की हंसी ठिठौली करते हुए रमन दूर खड़े देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। तभी रघु मुंह लटकाए रमन के पास पहुंचा। रघु को देख रमन बोला…आओ आओ कमला भाभी के इश्क में पागल हुए पगले आजम।

रमन की बात सुन रघु मुस्कुरा दिया। लेकिन जब रमन के कहीं बातो का मतलब समझा तब रमन को मक्के पे मुक्के मरने लग गया और बोला...बहन राजा शैतान सिंह बने कमला से बात करने नहीं दे रही हैं। तू मदद करने के जगह खिल्ली उड़ा रहा हैं।

रमन...अरे रुक जा नहीं तो सच में कोई मदद नहीं करूंगा।

रघु रुक गया फिर रमन पुष्पा की ओर चल दिया। पुष्पा उस वक्त कमला के लिए लहंगा देख रही थीं। एक लहंगा पुष्पा को बहुत पसन्द आया। उसे दिखाकर कमला से पुछा….भाभी मुझे ये वाला लहंगा बहुत पसंद आया आप बताइए आप'को पसन्द आया।

कमला…ननदरानी जी अपकी पसंद और मेरी पसन्द एक जैसी ही हैं मै भी इसी लहंगे को लेना चाहती थीं।

फिर पुष्पा ने लहंगा को उतरवा कर कमला को ट्राई करने भेज दिया कमला के जाते ही रमन वहा आ पहुंचा। रमन कुछ बोलता उससे पहले पुष्पा बोली...मैं जानती हूं आप दोस्त की पैरवी करने आए हों। आप जाकर भईया से कहो जब तक भईया मेरी इच्छा पूरी नहीं कर देते तब तक भईया को भाभी से बात करने नहीं दूंगी न यहां न ही फोन पर।

रमन…मैं भी तो जानू तेरी इच्छा किया हैं जिसके लिए पहली बार इश्क में पड़े मेरे दोस्त और उसके प्यार के बीच दीवार बन रहीं हैं।

पुष्पा…भईया से पूछो उन्होंने कुछ वादा किया था जब तक वादा पूरा नहीं करते तब तक मैं दीवार बनी खड़ी रहूंगी।

रमन... मैं भी तो जानू रघु ने कौन सा वादा किया था।

पुष्पा... भईया ने कहा था डेट तय होने के बाद मुझे जी भरकर शॉपिंग करवाएंगे पर उन्होंने ऐसा किया नहीं आप जाकर उन्हें थोड़ा डांटो और याद दिलाओ।

रमन...ऐसा है तो आज पक्का रघु शापिंग करवायेगा ये वादा तेरा ये भाई कर रहा है।

इतना कहा रमन चल दिया और पुष्पा मुंह पर हाथ रख हंसने लग गई। रघु के पास जाकर रमन बोला... रघु तूने पुष्पा से वादा किया था उसे शॉपिंग करवायेगा पर तूने करवाया नहीं इसलिए पुष्पा तेरे और भाभी के बीच दीवार बनी खडी हैं। जा पहले शॉपिंग करवा फ़िर जितना मर्जी भाभी से बात कर लेना।

रघु…हां तो कर ले शॉपिंग मैंने कब मना किया। पूरा मॉल खरीद ले पैसे मैं दे दुंगा।

रमन... तो जा न करवा शॉपिंग सुन रघु मैं पुष्पा से वादा कर आया हूं। अब तुझे जाना ही होगा।

रघु…kyaaaa wadaaa मरवा दिया तू जनता है न शॉपिंग के बाद पुष्पा किया हाल करती हैं फिर भी वादा कर आया।

रमन...भाभी से बात करना हैं तो तुझे पुष्पा की बात मान ले नहीं तो फिर भुल जा भाभी से बात कर पाएगा।

रघु...शॉपिंग करवाने में कोई दिक्कत नहीं हैं मेरा इकलौती बहन हैं। लेकिन शॉपिंग करने के बाद जो जुल्म पुष्पा करती हैं मै उससे डरता हूं। तू भी तो कई बार उसके जुल्मों का शिकार हों चूका है।

रमन...haaa हों चूका हूं पर क्या करु दोस्त और उसके होने वाली बीबी दोनों बात करना चाहते हैं पर ये नटखट बात होने ही नहीं दे रहा हैं। तू कहे तो जाकर बोल देता हूं रघु माना कर रहा हैं।

रघु…तू भी न चल करवाता हूं नहीं तो सच में कमला से बात नहीं करने देगी सिर्फ आज ही नहीं शादी के बाद भी, बहुत जिद्दी और नटखट हैं।

रघु जाकर पुष्पा को शॉपिंग करवाने लग गया। शॉपिंग करते हुए रघु बीच बीच में कमला से बात कर रहा था। ये देख पुष्पा मुस्कुरा रहीं थीं। इधर चारो समधी समधन अपने अपने शॉपिंग कर रहे थे। शॉपिंग करते हुए सुरभि को एक शेरवानी पसन्द आता हैं। उसे सभी को दिखाया जाता हैं। जो सभी को पसन्द आता हैं तब रघु को भी बुलाया जाता हैं। रघु का हल बेहाल हुआ पड़ा था। पुष्पा ने इतना सारा शॉपिंग किया था जिसे रघु कुली बने ढो रहा था। रघु को कुली बने देख सुरभि, मनोरमा, राजेंद्र और महेश मुस्कुरा देते हैं फिर सुरभि बोली…पुष्पा आज तो छोड़ देती बहु के सामने ही रघु को कुली बना दिया।

पुष्पा…भाभी को आज नहीं तो कल पता चलना ही था भईया कितना अच्छा कुली हैं। इससे भाभी को ही फायदा होगा जब भी भाभी और भईया शॉपिंग करने आयेंगे तब भाभी को बैग ढोने के लिए अलग से किसी को लाने की जरूरत नहीं पड़ेगा।

पुष्पा के बोलते ही सभी मुस्कुरा देते हैं। फिर रघु, रमन , कमला और पुष्पा को शेरवानी दिखाया जाता हैं। शेरवानी कमला के लहंगे के साथ मैच कर रहा था और डिजाईन भी बहुत अच्छा था। तो शेरवानी सभी को पसन्द आ जाता हैं। सुरभि शेरवानी को पैक करवा लेती हैं फिर कुछ और शॉपिंग करने के बाद सभी घर को चल देते हैं। जाते समय पुष्पा रघु और कमला को एक ही कार में जाने को कहती हैं। रघु खुशी खुशी कमला को साथ लिए चल देता हैं।

रघु और कमला एक साथ थे तों इनके बीच बातों का शिलशिला शुरू हों गया। बरहाल सभी घर पहुंच गए। मनोरमा और महेश को घर भेज दिया जाता हैं कमला को पुष्पा रोक लेती हैं। शाम को रघु ही कमला को घर छोड़ आता हैं।

ऐसे ही शादी की तैयारी में दिन पर दिन बीतने लगता हैं। उधर रावण से सुकन्या अब भी रूठा हुआ था। रावण बहुत मानने की कोशिश करता हैं लेकिन सुकन्या बिलकुल भी ठस ने मस नहीं होती हैं जिऊं की तीऊं बनी रहती हैं।

राजेंद्र ने कहीं बार फोन कर रावण को आने को कह लेकिन रावण कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल देता। क्योंकि उसके दिमाग में शैतानी चल रहा था। रावण के दिमाग की उपज का नतीज़ा ये निकला शादी को अभी एक हफ्ता ओर रहा गया था। तब शाम को महेश जी के घर का फोन बजा महेश जी ने फोन रिसीव किया।


आज के लिए इतना ही फोन पर क्या बात हुआ ये अगले अपडेट में जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Shopping karte huye raghu aur kamla kitne khush hai. par unko to pata hi nahi ravan har samay dono ki life mein grahan lagaye betha hai. haweli me ek kohraam aaya ho ,ravan to pagal hi ho gaya tha, sukanya ko bhi lappad jhappad mar diya . dusro ka bura chahne wala ravan ab uski biwi hi usse naraj hai .
 
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Sukanya ravan ka rishta ab to aur bigadne wala... aakhir surbhi sukanya ki sachhi mohabbat ka sawal hai :D ravan se alag hogi tabhi to surbhi se jud paayegi na sukanyaaaaa..... :hot:
Ssuknya aur ravan ke riste bigdne se ke aur rista judta hai to judne do isme burai hi kya hai.:dance3:
 
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Ravan to sach mai ravan ban gaya. Sukanya ko bahut buri tarah se mara kitna kurure hai ye mujhe ye bilkul bhi pasand nahin aaya :protest: .
Kitna gira huwa insaan hai phirse shaddi todne ka plan bana raha he. Niche kahi ka.
Pushpa to raghu ki band bajadi kyuki raghu ne pushpa naam sunke usko flower samjha usko pata nahin ki phushpa flower nahin fire hai fire.
Amazing update. Loved it
Waiting for next
Shukriya 🙏 ji
New reader ka tahe dil se welcome:group-welcome:
Chal kapat jiske man me hota hai vo chaye kitna bhi muh ki khaye karstani karne me baz nehi aate to ravan bhi vaisa hi hai vo kaise rook sakta hai.

Pusha sirf naam ka pushpa hai baki kaam sabhi natkhat air fire wala hai bas saath bane rahiyega abhi to pushpa ki natkhat pan ke bahut se so aage aane wala hai.
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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Update - 28


इधर जब रावण को रिश्ता टूटने की सूचना मिला तो खुशी के मारे फुले नहीं समा रहा था। रावण खुशी के मारे वावला हुआ जा रहा था। रावण को खुश देखकर सुकन्या ने पुछा…आज आप ओर दिनों से ज्यादा खुश लग रहे हों। आप'के खुशी का राज क्या हैं?

सुकन्या के पूछते ही रावण मन में बोला इसे सच बता दिया तो फिर से ज्ञान की देवी बनकर ज्ञान की गंगा बहाने लग जाएंगी। इसके प्रवचन से बचना हैं तो कोई मन घड़ंत कहानी सुनाना पड़ेगा।

सुकन्या...क्या हुआ? बोलिए न आप के खुशी का राज क्या हैं?

रावण...मैं खुश इसलिए हूं क्योंकि मैं कहीं पर पैसा लगाया था जो मुझे कही गुना मुनाफे के साथ वापस मिला हैं। इसलिए बहुत खुश हूं।

सुकन्या...ये तो बहुत ख़ुशी की ख़बर हैं। क्या अपने ये ख़बर जेठ जी और दीदी को दिया?

खुशी की ख़बर राजेंद्र और सुरभि को देने की बात सुनकर रावण मन ही मन बोला... ये तो दादाभाई और भाभी की चमची बन गई। लेकिन इसे नहीं पाता इस वक्त उनका जो हाल हो रहा हैं उनको जो जख्म पहुंचा हैं वो किसी भी खुशी की ख़बर से नहीं भरने वाला न कोई दवा काम आने वाला हैं।

मन की बातो को विराम देकर रावण बोला...अभी तो नहीं बताया मैं सोच रहा हूं फोन में बताने से अच्छा जब हम शादी में जाएंगे तब बता दुंगा।

सुकन्या...ये अपने सही सोचा अच्छा ये बताईए हम कब जा रहे हैं। दीदी के बिना मेरा यहां मन नहीं लग रहा हैं।

सुकन्या की बाते सुनकर रावण मन ही मन बोला...ये तो भाभी की दीवानी हों गई पहले भाभी इसको कांटे की तरह चुभा करती थी। अब देखो कैसे आंखो का तारा बन गई हैं। एक पल उन्हे देखें बिना इसे चैन नहीं आ रहीं हैं।

मन ही मन ख़ुद से बात करने के बाद रावण बोला...दो तीन दिन रुक जाओ फिर चलेंगे। फिर मन में बोला...हमे जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगा क्योंकि जो काम मै करना चाहता था वो हो गया हैं एक दो दिन में वो ख़ुद ही शोक विलाप करते हुए आ जाएंगे।

सुकन्या...ठीक है।

रावण ऐसे ही ख़ुशी माना रहा था। लेकिन रावण की खुशी को न जाने किसकी नज़र लग गया शाम होते होते रावण की ख़ुशी मातम में बदल गया। रावण के आदमी जो महेश पर पल पल नजर बनाया हुआ था। जब उन्हें पाता चला कुछ पल का टूटा हुआ रिश्ता फिर से जुड़ गया। ये ख़बर जब रावण को दिया तब रावण ने आपा खो दिया। गुस्से में अपने आदमियों को ही सुनने लग गया। जो मन में आया बकने लग गया। गाली गलौच करने के बाद भी रावण का गुस्सा शान्त नहीं हुआ तो रूम में ही तोड़ फोड़ करने लग गया तोड़ फोड़ की आवाज सुनकर सभी नौकर और सुकन्या भागकर रूम में पहुंचे रावण को तोड़ फोड़ करते देखकर नौकर कुछ नहीं बोला लेकिन सुकन्या रावण को रोकते हुए बोली...ये क्या कर दिया? इतना तोड़ फोड़ क्यों कर रहे हो?

रावण कुछ नहीं बोला बस गुस्से में लाल हुई आंखों से सुकन्या को देखा फिर तोड़ फोड़ करने लग गया। रावण के लाल खून उतरे आंखे को देखकर सुकन्या भयभीत हों गई। सिर्फ सुकन्या ही नहीं सभी नौकर भी भय भीत हों गए। रावण को किसी की कोई परवाह नहीं था वो तो बस गुस्से में तिलमिलाए तोड़ फोड़ करने में मगन रहा। रावण के हाथ जो आया तोड़ता गया। एकाएक रावण ने एक फ्रेम किया हुआ फोटो उठा लिया फोटो में पूरा परिवार एक साथ था। रावण के हाथ में फ़ोटो देखकर सुकन्या रावण के पास गया हाथ से फोटो छीन लिया फिर बोली…इतना भी क्या गुस्सा करना? सभी समान ही तोड़ दो छोड़ों इस फ़ोटो को, आप इसे नहीं तोड़ सकते।

सुकन्या के फ़ोटो लेते ही रावण और ज्यादा तिलमिला गया। बिना सोचे समझे चटक चटक चटक तीन चार चाटे सुकन्या को लगा दिया। चाटा इतना जोरदार मरा गया। सुकन्या के होंठ फट गए, फटे होंठ से खून निकल आया। चाटा लगने से सुकन्या खुद को संभाल नहीं पाई इसलिए निचे गिर गई। सुकन्या गिर कर रोने लगीं लेकिन रावण इतना बौखलाया हुआ था। उसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा, दामदामते हुए रूम से बहार निकल गया। रावण के जाते ही एक नौकर ने जाकर सुकन्या को उठाया। धीरा भाग कर पानी और फास्ट ऐड बॉक्स लेकर आया।

सुकन्या को पानी पिलाकर धीरा होंठ से खून साफ कर दवा लगाने लगा और सुकन्या रोते हुए बोली….मैंने ऐसा किया कर दिया जो इन्होंने मुझे इस तरह मरा आज सुरभि दीदी होती तो वो इन्हें बहुत डांटते।

"छोटी मालकिन आप चुप रहें दावा लगाने दीजिए। अपने देखा न छोटे मलिक कितने गुस्से में थे।"

सुकन्या...किस बात का इतना गुस्सा आज तक इन्होंने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया आज उठाया तो इतने बुरी तरीके से मरा मेरा होंठ फट गया। उन्होंने पलट कर भी नहीं देखा।

"छोटी मालकिन गुस्से में हों जाता हैं आप शान्त हों जाइए छोटे मलिक का गुस्सा जब शान्त होगा वो आप'से माफ़ी मांग लेंगे।"

सुकन्या...मुझे उनके माफ़ी की जरूरत नहीं हैं। मैं जान गई हूं ये मेरे पाप का दण्ड हैं जो मैंने सुरभि दीदी और आप सभी के साथ किया था।

नौकर आगे किया बोलता उन्हें पता था सुकन्या ने उनके साथ और सुरभि के साथ कैसा व्यवहार किया था। खैर कुछ वक्त तक ओर सभी नौकर सुकन्या के पास रहे फिर सुकन्या के कहने पर सभी नौकर अपने अपने काम करने चले गए। सभी के जाते ही सुकन्या सोफे नुमा कुर्सी पर बैठे बैठे रोने लग गई और मन ही मन ख़ुद को कोशने लग गई।

इधर रावण घर से निकलकर मयखाने में जाकर बैठ गया। शराब मंगवाकर पीते हुए मातम मानने लग गया। आधी रात तक मयखाने में बैठा बैठा शराब पीकर बेसुध होता रहा। मयखाने के बंद होने का समय होने पर रावण को घर जाने को कहा गया तो रावण नशे में लड़खड़ाते हुए घर आ गया। घर आकर रावण रूम में जाकर सोफे पर ही लुड़क गया। उसने जानने की जहमत भी न उठाया सुकन्या किस हाल में हैं।

जब रावण रूम में आया तब सुकन्या जागी हुई थीं। रो रो कर आंखें सूजा लिया था। रावण को देखकर सुकन्या को एक अश जगा शायद रावण उससे हलचाल पूछेगा पर ऐसा हुए नहीं तो सुकन्या का रूदन ओर बढ़ गया। रोते रोते खुद वा खुद सो गई।

अगले दिन सुबह उठते ही रावण को सोफे पर लेटा देख सुकन्या मुंह फेरकर चली गई। नित्य काम से निवृत होकर अपने काम में लग गई। जब रावण उठा तो खुद को सोफे पर लेटा देखकर सोचने लगा वो सोफे पर क्यों लेटा हैं। तब उसे याद आया उसने गुस्से में कल रात को क्या क्या कर दिया। याद आते ही रावण झटपट उठ गया फिर सुकन्या को ढूंढने लग गया। सुकन्या उस वक्त निचे बैठक हॉल में बैठी थीं। रावण सुकन्या के पास गया फिर बोला...सुकन्या कल रात जो मैंने किया उससे मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मुझे माफ़ कर दो।

सुकन्या ने कोई जवाब नहीं दिया। उठकर जानें लगीं तब रावण ने सुकन्या का हाथ पकड़ लिया। रावण के हाथ पकड़ने से सुकन्या हाथ को झटका देकर छुड़ाया फिर बोली…माफ़ी मांगकर किया होगा आप'के करण मुझे जो चोट पहुंचा क्या वो भर जाएगा।

रावण की नजर सुकन्या के होंठ पर लगी चोट पर गया चोट देखकर रावण को अपने कृत्य पर पछतावा होने लग गया। इसलिए रावण बोला…सुकन्या मुझे माफ़ कर दो मैं कल बहुत गुस्से में था। गुस्से में न जानें क्या क्या कर गया? मुझे ही होश न रहा।

सुकन्या…जो भी अपने किया अच्छा किया नहीं तो मुझे कैसे पाता चलता आप इंसान के भेष में एक दानव हों जिसे इतना भी पता नहीं होता मै किया कर रहा हूं किसे चोट पहुंचा रहा हूं।

रावण…माना कि मुझसे गलती हुआ है लेकिन तुम तो ऐसा न कहो तुम्हारे कहने से मुझे पीढ़ा पहुंचता हैं।

सुकन्या...मेरे कहने मात्र से आप'को पीढ़ा पहुंच रहा हैं तो आप सोचो मुझे कितनी पीढ़ा पहुंची होगी जब बिना किसी करण, अपने मुझ पर हाथ उठाया।

रावण...मानता हूं तुम पर हाथ उठकर मैंने गलती कर दिया। मैं उस वक्त बहुत गुस्से में था। गुस्से में मै किया कर बैठ मुझे सुध ही न रहा। अब छोड़ो उन बातों को मैं माफ़ी मांग रहा हूं माफ़ कर दो न।

सुकन्या…माफ़ कर दूं ठीक हैं माफ़ कर दूंगी आप मेरे एक सवाल का जवाब दे दीजिए आप'के जगह मै होती और बिना किसी गलती के आप'को मरती तब आप किया करते।

रावण के पास सुकन्या के इस सवाल का जवाब नहीं था। इसलिए चुप खडा रहा। रावण को मुखबधिर देख सुकन्या बोली…मैं जनता हूं मेरे सवाल का आप'के पास कोई जवाब नहीं हैं। जिस दिन आप'को जबाव मिल जाए मुझे बता देना मैं आप'को माफ़ कर दूंगी।

सुकन्या कह कर चली गई रावण रोकता रहा लेकिन सुकन्या रूकी नहीं सुकन्या के पीछे पीछे रावण रूम तक गया। सुकन्या रूम में जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। रावण दरवजा पिटता रहा लेकिन सुकन्या दरवजा नहीं खोली थक हर कर रावण चला गया। सुकन्या रूम में आकर रोने लगीं रोते हुए बोली…सब मेरे पाप कर्मों का फल हैं जो कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाते आज उन्होंने मुझ पर हाथ उठा दिया। मन तो कर रहा है कहीं चला जाऊं लेकिन जाऊ कहा कोई अपना भी तो नहीं हैं जिन्हें अपना मानती रहीं वो ही मुझे मेरा घर तोड़ने की सलाह देते रहें। जिन्होंने मुझे पल पोश कर बडा किया आज वो भी मुझसे वास्ता नहीं रखना चाहते। हे ऊपर वाले मेरे भाग्य में ये क्या लिख दिया? क्या तुझे मुझ पर तोड़ी सी भी तरस नहीं आया? क्या तेरा हाथ भी नहीं कंपा ऐसा लिखते हुए?

सुकन्या रोते हुए खुद से बात करने में लगी रहीं। रावण घर से निकलकर सीधा पहुंच गया सलाह मिसविरा करने सलाहकार दलाल के पास। रावण को देख दलाल बोला…क्या हुआ तेरा हाव भाव बदला हुआ क्यों हैं? लगता हैं किसी ने अच्छे से मार ली।

रावण...अरे पूछ मत बहुत बुरा हल हैं। चले थे मिया शेखी बघारने बिल्ली ने ऐसा पंजा मरा औंधे मुंह गिर पडा।

दलाल को कुछ समझ न आया तब सिर खुजते हुए बोला..अरे ओ मिया इलाहाबादी मुशायरा पड़ना छोड़ और सीधे सीधे कविता पढ़के सुना।

रावण...अरे यार रघु की शादी तुड़वाने को इतना तामझाम किया शादी तो टूटा नहीं उल्टा मेरा और सुकन्या का रिश्ता बिगाड़ गया।

रघु की शादी न टूटने की बात सुन दलाल अंदर ही अंदर पॉपकॉर्न की तरह उछल पड़ा। दलाल का हल बेहाल न होता तो वो उछलकर खडा हों जाता लेकिन बंदा इतना बदकिस्मत था कि एक्सप्रेशन देकर काम चलाना पड़ा।

दलाल...kiyaaa बोल रहा हैं शादी नहीं टूटा लेकिन ये हुआ तो हुआ कैसे?

रावण...सही कह रहा हूं। शादी नहीं टूटा ये ख़बर सुनकर मुझे इतना गुस्सा आ गया था। मैं बता नहीं सकता अब गुस्से का खामियाजा मुझे ये मिला सुकन्या मुझसे रूठ गई।

दलाल...क्या कह रहा हैं सुकन्या भाभी तुझसे रूठ गई लेकिन क्यों?

फिर रावण ने शॉर्ट में बता दिया किया हुआ था। सुनकर दलाल बोला…सुकन्या भाभी आज नहीं तो कल मान जायेगी लेकिन बडी बात ये हैं रघु का शादी कैसे नहीं टूटा इससे पहले तो हमारा आजमाया हुआ पैंतरा फेल नहीं हुआ फिर आज कैसे हों गया।

रावण...मैं भी हैरान हूं एक बार टूटने के बाद फ़िर से कैसे शादी करने को लडकी वाले मान कैसे गए।

दलाल...मान गए तो किया हुआ अब दूसरा पैंतरा आजमाते हैं ये वाला पक्का काम करेगा।

रावण...हां दूसरा पैंतरा काम जरुर करेगा। मैं अब चलता हूं समय बहुत कम हैं काम बहुत ज्यादा जल्दी से काम खत्म करना हैं।

रावण फिर से शादी तुड़वाने की तैयारी करने चल दिया। रावण कुछ बंदों को आगे किया करना हैं ये समझकर घर आ गया। जहां सुकन्या को मनाने का बहुत जतन करता रहा लेकिन सुकन्या मानने के जगह रावण को ही खरी खोटी सुना दिया। सुकन्या का उखड़ा मुड़ देखकर रावण कोशिश करना छोड़ दिया। बरहाल रूठने मनाने में दिन बीत गया।

शादी टूटने की बात आई गई हों गई। दोनों ओर से आगे की तैयारी करने में जी जान से लग गए। अगले दिन दोपहर को सभी बैठे थे तभी राजेंद्र बोला.. सुरभि लगभग सभी तैयारी हों गया हैं तो बोलों शॉपिंग करने कब जाना हैं।

सुरभि...कल को चलते है साथ ही महेश जी कमला और मनोरमा जी को बुला लेंगे सभी शॉपिंग साथ में कर लेंगे।

राजेंद्र आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बोली...मां भाभी का लहंगा मैं पसन्द करूंगी।

रमन...तू क्यू करेगी भाभी के लिए लहंगा तो उनका देवर रमन पसन्द करेगा।

पुष्पा...नहीं मैं करूंगी मेरी बात नहीं माने तो देख लेना।

रमन...देख लेना क्या माना की तू महारानी हैं लेकिन मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला।

पुष्पा...मां देखो रमन भईया मेरी बात नहीं मान रहें हैं जिद्द कर रहें। उनसे कहो महारानी का कहना मान ले नहीं तो कठोर दण्ड मिलेगा।

रमन...मैं जनता हूं महारानी जी कौन सा दण्ड देने वाली हों इसलिए मै अभी दण्ड भुगत लेता हूं।

ये कहकर रमन कान पकड़कर उठक बैठक लगाने लग गया। रमन को उठक बैठक करते देख पुष्पा मुंह बना लिया। ये देख राजेंद्र, सुरभि और रघु ठहाके लगाकर हंसने लग गए। मां बाप भाई को हसता हुआ देखकर पुष्पा समझ गई रमन उसके साथ मजाक कर रहा हैं। इसलिए पुष्पा भी मुस्करा दिया फिर बोली…रमन भईया आप मेरा मजाक उड़ा रहे थें हैं न, तो आप'को सजा मिलेगी। आप'की सजा ये है आप कल शाम तक ऐसे ही उठक बैठक करते रहेगें।

पुष्पा की बात सुनकर रमन रूक गया और मन में बोला...क्या जरूरत थी महारानी को छेड़ने की अब भुक्तो सजा।

रमन को रूका हुआ देखकर पुष्पा बोली...भईया आप रुक क्यों गए? chalooo शुरू हों जाओ।

रमन पुष्पा के पास गया फिर मस्का लगाते हुए बोला...तू मेरी प्यारी बहना हैं इसलिए भाभी के लिए लहंगा और रघु के लिए शेरवानी तू ही पसन्द करना बस मुझे सजा से बक्श दे नहीं तो इतना लंबा चौड़ा सजा भुगतकर मेरा चल चलन बिगाड़ जायेगा।

पुष्पा...भईया आप'का चल चलान बदले मुझे उससे कुछ लेना देना नहीं, मुझे मेरे मान की करने से रोकने की हिम्मत कैसे हुआ रोका तो रोका मजाक भी उड़ाया न न अपने बहुत संगीन जुर्म किया हैं इसलिए आप'को सजा तो मिलकर रहेगा। Chalooo शुरू हों जाओ।

रघु…pushpaaaa...।

रघु की बात बीच में काटकर पुष्पा बोली…चुप बिल्कुल चुप आप एक लफ्ज भी नहीं बोलेंगे।

राजेंद्र...पुष्पा बेटी जाने दो न रमन से गलती हों गया अब माफ़ भी कर दो।

पुष्पा…इतना संगीन जुर्म पर माफ़ी नहीं नहीं कोई माफ़ी नहीं मिलेगा। आप चुप चप बैठे रहों। आप के दिन गए अब महारानी पुष्पा के दिन चल रहे हैं। जो भी गलती करेगा उसे महारानी पुष्पा सजा देकर रहेगी।

सुरभि उठकर पुष्पा के पास गई कान उमेटते हुए बोली...क्यू रे महारानी मेरे बेटे को माफ़ नहीं करेंगी।

पुष्पा..ahaaaa मां कान छोड़ो बहुत दर्द हों रहा हैं

सुरभि कान छोड़ने के जगह थोड़ा और उमेठ देती हैं। जिससे पुष्पा का दर्द थोड़ा और बढ गई। तब पुष्पा राजेंद्र की ओर देखकर बोली…पापा मैं आप'की लाडली हूं न देखो मां मेरे कान उमेठ रहीं हैं। आप'की लाडली को बहुत दर्द हों रहा हैं आप रोको न इन्हें।

राजेंद्र...मेरे तो दिन गए अब तुम महारानी हों तो खुद ही निपटो मैं न कुछ कहने वाला न कुछ करने वाला।

बाप के हाथ खड़े करते ही पुष्पा को दर्द से छुटकारा पाने का एक ही रस्ता दिखा रमन को बक्श दिया जाएं। इसलिए पुष्पा बोली…मां कान छोड़ो मैं रमन भईया को माफ़ करती हूं।

सुरभि कान छोड़ देती हैं। पुष्पा कान सहलाते हुए बोली…कितनी जोर से महारानी की कान उमेठा रमन भईया आज आप बच गए सिर्फ इसलिए क्योंकि आप'का दल भारी था। लेकिन आप ये मात सोचना की मेरा दल कभी भारी नहीं होगा जल्दी ही कमला भाभी मेरे दल का मेंबर बनने वाली हैं।

पुष्पा की बातों से सभी फिर से खिलखिला कर हंस दिया। पुष्पा भी कान सहलाते हुए खिलखिला दिया। ऐसे ही यह हसी ठिठौली चलता रहा शाम को सुरभि फोन कर मनोरमा से बात करती हैं

सुरभि….बहन जी कुछ जरूरी शॉपिंग करना हैं। इसलिए मैं सोच रहीं थीं आप लोग भी हमारे साथ चलते तो अच्छा होता।

मनोरमा…जी मैं भी यही सोच रहीं थीं आप ने अच्छा किया जो पुछ लिया।

सुरभि...ठीक हैं फ़िर काल को मिलते है।

सुरभि फ़ोन रख कर राजेंद्र को बता दिया। अगले दिन दोपहर बाद मनोरमा, कमला और महेश, राजेंद्र के घर आए। कमला के आते ही रघु और कमला की आंख मिचौली शुरू हों गया। रघु कमला को बात करने के लिए पास बुलाने लगा पर कमला आने के जगह मुस्कुराकर माना कर दिया। रघु बार बार इशारे करने लग गया। कमला तो आई नहीं पर दोनों के हरकतों पर पुष्पा की नजर पड़ गई। पुष्पा के खुराफाती दिमाग में न जानें कौन सी खुराफात ने जन्म लिया बस मुस्कुरा कर दोनों को देखती रहीं। बरहाल जब शॉपिंग करने जानें लगें तो पुष्पा बोली...मां मैं भाभी और भईया एक कार में जाएंगे।

सुनते ही रघु का मान उछल कूद करने लग गया। लेकिन उसे डर था कही मां माना न कर दे किंतु मां तो मां होती हैं। सुरभि शायद रघु के मान की बात जान गई इसलिए हां कह दिया। सुरभि के हा कहते ही रमन बोला…वाह पुष्पा वाह तू कितनी मतलबी हैं। मेरा भी तो मान हैं भाभी और दोस्त के साथ शॉपिंग पर जाने का लेकिन तू सिर्फ अपने बारे में सोच रहीं हैं। मैं किसके साथ जाऊ मुझे घर पर ही छोड़ कर जाएगी।

पुष्पा…मुझे क्या पता? आप'को जिसके साथ जाना हैं जाओ मैने थोडी न रोक हैं।

रमन...ठीक हैं फ़िर मैं भी अपने दोस्त के साथ ही जाऊंगा।

कौन किसके साथ जाएगा ये फैसला होने के बाद सभी चल देते हैं। रघु का मन था कमला उसके साथ आगे बैठे लेकिन पुष्पा जिद्द करके कमला को पीछे बैठा लिया। रघु अनमने मन से आगे बैठ गया। ये देख कमला मन ही मन मुस्कुरा देती हैं। रघु कार चलते हुए बैक व्यू मिरर को कमला के चेहरे पर सेट कर बार बार मिरर से ही कमला को देखने लग गया। ऐसे ही देखते देखते दोनों की नज़र आपस में टकरा जाता हैं तब कमला खिली सी मुस्कान बिखेर आंखो की भाषा में एक दूसरे से बाते करने लगीं। बगल में बैठी पुष्पा दोनों को एक दूसरे से आंख मिचौली करते हुए देख लिया। एक शैतानी मुस्कान से मुस्कुराकर पुष्पा बोली…भईया आप शीशे में किया देख रहे हों, सामने देख कर कार चलाओ।

अचानक पुष्पा के बोलने से रघु झेप गया और नज़रे बैक व्यू मिरर से हटा सामने की ओर देखने लगा गया। ये देख कमला मुस्करा देती हैं। थोड़े देर के बाद फिर से दोनों आंख मिचौली करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस बार पुष्पा कुछ और सोच कर कमला को शीशे में देखने ही नहीं देती, कुछ न कुछ बहाना बनाकर बहार की ओर देखने पर मजबूर कर देती हैं।

खैर कुछ क्षण में एक मॉल के सामने कार रुकता हैं सभी उतरकर अंदर चल देते हैं। यह भी पुष्पा कमला का साथ नहीं छोड़ी अपने साथ लिए एक ओर चल दिया। रघु इधर उधर घूमा फ़िर बहाने से पुष्पा के पास पहुंच गया। रघु को डांट कर पुष्पा भगा दिया ये देख कमला मुस्कुराए बिन रह न पाई। रघु एक बार फिर से आया इस बार भी पुष्पा रघु को भगा दिया फिर बोली…भाईया भी न एक बार कहने से मानते नहीं लगता है इनका कुछ ओर इंतेजाम करना पड़ेगा।

कमला... ननदरानी जी क्यों उन्हें बार बार भगा रहीं हों। उन्हे हमारे साथ रहने दो ना।

पुष्पा...ओ हों आग तो दोनों तरफ़ बराबर लगा हुआ हैं। आप सीधे सीधे कहो न सैयां जी से बात करना हैं।

कमला…सीधा टेडा कुछ नहीं रखा मेरे सैयां जी हैं तो बात करने का मान तो करेगा ही।

पुष्पा...ओ हों बड़े आए सैंया वाले अब बिल्कुल भी बात नहीं करने दूंगी।

पुष्पा कह कर मुस्कुरा दिया और कमला पुष्पा को दो तीन चपत लगा दिया। ननद भाभी की हंसी ठिठौली करते हुए रमन दूर खड़े देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। तभी रघु मुंह लटकाए रमन के पास पहुंचा। रघु को देख रमन बोला…आओ आओ कमला भाभी के इश्क में पागल हुए पगले आजम।

रमन की बात सुन रघु मुस्कुरा दिया। लेकिन जब रमन के कहीं बातो का मतलब समझा तब रमन को मक्के पे मुक्के मरने लग गया और बोला...बहन राजा शैतान सिंह बने कमला से बात करने नहीं दे रही हैं। तू मदद करने के जगह खिल्ली उड़ा रहा हैं।

रमन...अरे रुक जा नहीं तो सच में कोई मदद नहीं करूंगा।

रघु रुक गया फिर रमन पुष्पा की ओर चल दिया। पुष्पा उस वक्त कमला के लिए लहंगा देख रही थीं। एक लहंगा पुष्पा को बहुत पसन्द आया। उसे दिखाकर कमला से पुछा….भाभी मुझे ये वाला लहंगा बहुत पसंद आया आप बताइए आप'को पसन्द आया।

कमला…ननदरानी जी अपकी पसंद और मेरी पसन्द एक जैसी ही हैं मै भी इसी लहंगे को लेना चाहती थीं।

फिर पुष्पा ने लहंगा को उतरवा कर कमला को ट्राई करने भेज दिया कमला के जाते ही रमन वहा आ पहुंचा। रमन कुछ बोलता उससे पहले पुष्पा बोली...मैं जानती हूं आप दोस्त की पैरवी करने आए हों। आप जाकर भईया से कहो जब तक भईया मेरी इच्छा पूरी नहीं कर देते तब तक भईया को भाभी से बात करने नहीं दूंगी न यहां न ही फोन पर।

रमन…मैं भी तो जानू तेरी इच्छा किया हैं जिसके लिए पहली बार इश्क में पड़े मेरे दोस्त और उसके प्यार के बीच दीवार बन रहीं हैं।

पुष्पा…भईया से पूछो उन्होंने कुछ वादा किया था जब तक वादा पूरा नहीं करते तब तक मैं दीवार बनी खड़ी रहूंगी।

रमन... मैं भी तो जानू रघु ने कौन सा वादा किया था।

पुष्पा... भईया ने कहा था डेट तय होने के बाद मुझे जी भरकर शॉपिंग करवाएंगे पर उन्होंने ऐसा किया नहीं आप जाकर उन्हें थोड़ा डांटो और याद दिलाओ।

रमन...ऐसा है तो आज पक्का रघु शापिंग करवायेगा ये वादा तेरा ये भाई कर रहा है।

इतना कहा रमन चल दिया और पुष्पा मुंह पर हाथ रख हंसने लग गई। रघु के पास जाकर रमन बोला... रघु तूने पुष्पा से वादा किया था उसे शॉपिंग करवायेगा पर तूने करवाया नहीं इसलिए पुष्पा तेरे और भाभी के बीच दीवार बनी खडी हैं। जा पहले शॉपिंग करवा फ़िर जितना मर्जी भाभी से बात कर लेना।

रघु…हां तो कर ले शॉपिंग मैंने कब मना किया। पूरा मॉल खरीद ले पैसे मैं दे दुंगा।

रमन... तो जा न करवा शॉपिंग सुन रघु मैं पुष्पा से वादा कर आया हूं। अब तुझे जाना ही होगा।

रघु…kyaaaa wadaaa मरवा दिया तू जनता है न शॉपिंग के बाद पुष्पा किया हाल करती हैं फिर भी वादा कर आया।

रमन...भाभी से बात करना हैं तो तुझे पुष्पा की बात मान ले नहीं तो फिर भुल जा भाभी से बात कर पाएगा।

रघु...शॉपिंग करवाने में कोई दिक्कत नहीं हैं मेरा इकलौती बहन हैं। लेकिन शॉपिंग करने के बाद जो जुल्म पुष्पा करती हैं मै उससे डरता हूं। तू भी तो कई बार उसके जुल्मों का शिकार हों चूका है।

रमन...haaa हों चूका हूं पर क्या करु दोस्त और उसके होने वाली बीबी दोनों बात करना चाहते हैं पर ये नटखट बात होने ही नहीं दे रहा हैं। तू कहे तो जाकर बोल देता हूं रघु माना कर रहा हैं।

रघु…तू भी न चल करवाता हूं नहीं तो सच में कमला से बात नहीं करने देगी सिर्फ आज ही नहीं शादी के बाद भी, बहुत जिद्दी और नटखट हैं।

रघु जाकर पुष्पा को शॉपिंग करवाने लग गया। शॉपिंग करते हुए रघु बीच बीच में कमला से बात कर रहा था। ये देख पुष्पा मुस्कुरा रहीं थीं। इधर चारो समधी समधन अपने अपने शॉपिंग कर रहे थे। शॉपिंग करते हुए सुरभि को एक शेरवानी पसन्द आता हैं। उसे सभी को दिखाया जाता हैं। जो सभी को पसन्द आता हैं तब रघु को भी बुलाया जाता हैं। रघु का हल बेहाल हुआ पड़ा था। पुष्पा ने इतना सारा शॉपिंग किया था जिसे रघु कुली बने ढो रहा था। रघु को कुली बने देख सुरभि, मनोरमा, राजेंद्र और महेश मुस्कुरा देते हैं फिर सुरभि बोली…पुष्पा आज तो छोड़ देती बहु के सामने ही रघु को कुली बना दिया।

पुष्पा…भाभी को आज नहीं तो कल पता चलना ही था भईया कितना अच्छा कुली हैं। इससे भाभी को ही फायदा होगा जब भी भाभी और भईया शॉपिंग करने आयेंगे तब भाभी को बैग ढोने के लिए अलग से किसी को लाने की जरूरत नहीं पड़ेगा।

पुष्पा के बोलते ही सभी मुस्कुरा देते हैं। फिर रघु, रमन , कमला और पुष्पा को शेरवानी दिखाया जाता हैं। शेरवानी कमला के लहंगे के साथ मैच कर रहा था और डिजाईन भी बहुत अच्छा था। तो शेरवानी सभी को पसन्द आ जाता हैं। सुरभि शेरवानी को पैक करवा लेती हैं फिर कुछ और शॉपिंग करने के बाद सभी घर को चल देते हैं। जाते समय पुष्पा रघु और कमला को एक ही कार में जाने को कहती हैं। रघु खुशी खुशी कमला को साथ लिए चल देता हैं।

रघु और कमला एक साथ थे तों इनके बीच बातों का शिलशिला शुरू हों गया। बरहाल सभी घर पहुंच गए। मनोरमा और महेश को घर भेज दिया जाता हैं कमला को पुष्पा रोक लेती हैं। शाम को रघु ही कमला को घर छोड़ आता हैं।

ऐसे ही शादी की तैयारी में दिन पर दिन बीतने लगता हैं। उधर रावण से सुकन्या अब भी रूठा हुआ था। रावण बहुत मानने की कोशिश करता हैं लेकिन सुकन्या बिलकुल भी ठस ने मस नहीं होती हैं जिऊं की तीऊं बनी रहती हैं।

राजेंद्र ने कहीं बार फोन कर रावण को आने को कह लेकिन रावण कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल देता। क्योंकि उसके दिमाग में शैतानी चल रहा था। रावण के दिमाग की उपज का नतीज़ा ये निकला शादी को अभी एक हफ्ता ओर रहा गया था। तब शाम को महेश जी के घर का फोन बजा महेश जी ने फोन रिसीव किया।


आज के लिए इतना ही फोन पर क्या बात हुआ ये अगले अपडेट में जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
khadda khodne wala khud us khadde mei ja gira. Ravan ne khud ka hi nuksaan kar liya, isse acha lesson kya ho sakta hai ravan ke liye . Lekin ravan thokar khakar bhi nahi sikha..
 

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