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Riya
Wonderful update. naye jode ko dekh sabhi ne tarif ki. dono ki jodi rab ne banayi ho. Khane ki mahak itni achi thi ki sabhi ko bhukh lagne lagi thi. apashyu ko sabse jyada . lekin jab serve karne ki bari ayi to kamla fans gayi ke kisko pehle serve kare nasta aapsyu ko ya puspa ko. kyoki dono ne muh latka liya tha. end me kamla ne dono ko ek hi thali me khane kaha jisse wo dono bhi khush ho gaye. raghu aur aman bhi join kiya unke sath. lekin kamla ki khushi dekhi nahi ja rahi thi ravan ko. age chalke ravan jarur kamla kisi kisi problem me dalne ki kosish karega. dekhna ye hai ke kamla kaise ravan ke plannings se bachti hai.Update - 35
मस्त मौला गाने की धुन धीरे धीरे गुनगुनाते हुऐ कमला नहा रहीं थीं। बाहर बैठा रघु कल्पनाओं में उड़ान भर रहा था। रघु की कल्पना का कोई सीमा न था न जानें क्या क्या कल्पना कर मुस्कुरा रहा था। कल्पना में सेंध तब लगा जब खट से बाथरूम का दरवाज़ा खुला, दरवाज़ा खोलकर कमला बाहर निकली फिर श्रृंगार दान के सामने खड़ी होंकर बाल संवारने लग गई और चोर नज़रों से रघु को देखने लगीं। रघु कुछ पल बेसुद सा कमला को देखता रहा फिर उठ ही रहा था कि कमला बोली...नहीं बिलकुल नहीं, एक कदम भी हिला तो अच्छा नहीं होगा।
रघु...मैं तो बस तुम्हारा हेल्प करना चाहता हूं।
कमला...मैं जानती हुं आप किस तरह का हेल्प करना चाहते हों इसलिए बिना हिले डुले चुप चाप बैठे रहो।
रघु…नहीं ! मैं चुप चाप बैठा नहीं रहूंगा मुझे मेरी बीबी की मदद करना हैं वो मैं करके रहूंगा।
कमला...आप हिले तो मैं जैसी हू वैसे ही बाहर चली जाऊंगी फिर करते रहना हेल्प।
रघु...ठीक हैं तुम तैयार हों लो मैं चुप चाप बैठा रहूंगा।
पति को रिझाने का मौका कमला को मिल गया तरह तरह की अदाएं कर खुद को संवारने में लग गई। कमला की अदाएं देखकर रघु से रूका न जा रहा था। मन कर रहा था कमला को बाहों में भींच ले और प्रेम अलाप करें लेकिन कर नहीं पा रहा था। ऐसा किया तो कहीं कमला सच में रूम से बिना सजे सांवरे बाहर न चली जाएं बाहर चली गई तो सभी को जवाब देना दुभर हो जायेगा इसलिए मन मार कर बस देखता रहा और कमला साज श्रृंगार करने में लगी रहीं। श्रृंगार पूरा होते ही दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर चल दिया।
डायनिंग टेबल पर सभी आ चुके थे। स्वादिष्ट खाने की सुगन्ध सभी को लालायित कर रहे थें। अपश्यु हद से ज्यादा लालयित हों गया था इसलिए बोला... मां बैठे बैठे खाने की सुगन्ध ही सूंघने को मिलेगा या फ़िर चखने को भी मिलेगा। मेरा भूख स्वादिष्ट नाश्ते की महक सूंघकर बढ़ता ही जा रहा हैं। जल्दी से परोस दीजिए मुझ'से भूख ओर बर्दास्त नहीं हों रहा है।
पुष्पा...अरे मेरे भुक्कड़ भईया थोड़ा तो वेट कीजिए नाश्ते की खुशबू से जान पड़ता हैं नाश्ता रतन दादू नहीं किसी ओर ने बनाया हैं फिर सुरभि से बोला मां बताओं न नाश्ता किसने बनाया।
राजेंद्र...सुरभि नाश्ते की सुगंध जाना पहचाना लग रहा हैं। ऐसा खाना कौन बना सकता haiiii हां याद आया जरूर आज बहु ने नाश्ता बनाया होगा।
सुकन्या...जेठ जी आप ठीक पहचानें आज का नाश्ता बहु ने ही बनाया हैं।
राजेंद्र...क्या जरूरत थीं? बहु से कीचन में काम करवाने की विदा होकर आए एक दिन भी नहीं हुआ और तुमने बहु को कीचन में भेज दिया।
रावण...भाभी ये आपने ठीक नहीं किया। रतन और धीरा हैं फिर अपने बहु से नाश्ता क्यों बनवाया।
रावण की बात सुनकर सुकन्या टेढ़ी नज़र से रावण को देखा फिर मन में बोली... पहले तो खुद शादी तुड़वाने के लिए न जानें कितने षड्यंत्र किया अब देखो कैसे बहु की तरफदारी कर रहें हैं। कितनी जल्दी रंग बदलते हैं शायद गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग न बदल पाता होगा।
सुरभि...चुप करों आप दोनों! मुझे श्वक नहीं हैं जो मैं बहु से कीचन में काम करवाऊं वो तो आज पहली रसोई का रश्म था इसलिए बहु से नाश्ता बनवा लिया।
उसी क्षण कमला और रघु एक दूसरे का हाथ थामे सीढ़ी से नीचे आने लगें। डायनिंग टेबल जहां लगा हुआ था वहा से सीढ़ी बिल्कुल सामने था। पुष्पा की नज़र सीढ़ी की ओर गया फिर वापस घुमा लिया, अचानक लगा जैसे सीढ़ी पर कुछ हैं जो ठीक से दिखा नहीं इसलिए फ़िर से नज़रे सीढ़ी की ओर घुमा लिया। भईया भाभी को एक साथ आते देखकर उत्साह से बोली...मां देखो देखो भईया और भाभी एक साथ आते हुऐ कितने अच्छे लग रहें हैं।
सुरभि…कहा seeee
पूरा बोलता उससे पहले ही बेटे और बहू पर सुरभि की नज़र पड़ गई। बेटे और बहु को साथ में देखकर "नज़र न लागे किसी की" बलाई लेते हुऐ बोली
राजेंद्र...दोनों को साथ में देखकर लग रहा हैं जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। उत्तम जोड़ी राव ने मिलाया हैं शायद इसीलिए इतने सारे रिश्ते टूटे होगे।
रावण... सही कहा दादा भाई दोनों की जोड़ी सबसे उत्तम हैं। आप ने रघु के लिए सही जोड़ीदार ढूंढा हैं फिर मन में बोला…दादा भाई रघु और बहु की जोड़ी राव के कारण नहीं मेरे कारण बना हैं मैं इतने रिश्ते न तुड़वाया होता तो इतनी सुंदर बहू आप कभी नहीं ला पाते न ही इतनी सुंदर जोड़ी बनता।
सुकन्या...दीदी दोनों की जोडी बहुत जांच रहे हैं। हमारे महल की बड़ी बहु होने का हकदार कोई था तो वो कमला ही थी जो बड़ी बहु बनकर आ गई।
सुरभि खिला सा मुस्कान बिखेरकर सुकन्या की ओर देखा। सुरभि की मुस्कान बता रहीं थीं कमला की तारीफ बहुत पसन्द आया। दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले अपश्यु बोला... दादा भाई आप और भाभी तो छा गए दोनों साथ में बहुत खुबसूरत लग रहे हों। लग रहा है जैसे स्वर्ग से देव देवी चल कर धरती पर आ रहे हों।
रमन जो अपश्यु के बगल वाले कुर्सी पर बैठे ख्यालों में खोया था। अचानक हों रहें तेज आवाजे सुनकर ख्यालों से बाहर आया फिर आस पास का जायजा लेने लगा तो देखा सभी सीढ़ी की ओर देख रहें थें। रमन की नज़रे भी सीढ़ी की ओर हों लिया। रघु और कमला को साथ में देखकर रमन बोला...Oooo hooo क्या लग रहे हैं। इससे खुबसूरत जोड़ी दुनिया में कोई ओर हों नहीं सकता फिर धीर से बोला…यार तेरा तो हों गया मेरा जोड़ीदार, शालु कब बनेगी न जानें मुझे क्या हों गया हैं हर वक्त शालू के ख्याल में खोया रहता हूं।
सभी कमला और रघु को साथ में देखकर अपना अपना कॉमेंट पास कर रहें थें। सभी की बाते सुनकर और ध्यान खुद की ओर देखकर कमला शर्मा गई फिर नज़र झुकाकर हाथ को झटकर छुड़ाना चाहा पर रघु हाथ न छोड़ा बल्कि ओर कस के पकड़ लिया। हाथ पर हो रहे कसाव को भापकर कमला कसमसाते हुऐ बोली...क्या कर रहें हों छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।
रघु...क्यों छोड़ूं मैने किसी गैर का हाथ नहीं पकड़ा मेरी बीवी का हाथ पकड़ा हैं।
कमला...मैं जानती हूं आप अपने बीबी का ही हाथ पकड़े हैं पर मुझे शर्म आ रहीं हैं। छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।
रघु…देखने दो मुझे फर्क नहीं पड़ता हैं। तुम्हारे साथ, सात फेरे तुम्हारा हाथ पकड़ने के लिए ही लिया हैं। परिस्थिति कैसा भी हों तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।
कमला नज़रे उठाकर रघु की ओर देखा जैसे पूछ रहीं हों क्या आप सही कह रहें हों। रघु शायद आंखो की भाषा पढ़ लिया था इसलिए मुस्करा कर हां में सिर हिला दिया पति के मुस्कान का जवाब कमला खिला सा मुस्कान बिखेर कर दिया फिर कांफिडेंटली पति का हाथ कसकर थामे चलते हुऐ डायनिंग टेबल के पास आ गए। जोड़े में ही बारी बारी सभी से आशीर्वाद लिए सभी ने मन मुताबिक आशीष दोनों को दिया फिर सभी अपने अपने जगह बैठ गए। कमला उठकर सभी को नाश्ता परोशने की तैयारी करने लगीं। तब राजेंद्र बोला...बहु तुम क्यों उठा गई? तुम बैठो नाश्ता रतन और धीरा परोस देंगे।
कमला...नहीं पापाजी! नाश्ता मैंने बनाया हैं तो मैं ही परोसुंगी।
राजेंद्र... पर..!
राजेंद्र के बातों को काटकर कमला बोली...पर वार कुछ नहीं आप बिल्कुल चुप चाप बैठिए और जो मैं दे रहीं हूं चख कर बताइए कैसा बना हैं।
कमला की बाते सुनकर सभी मुस्कुरा दिया, सभी को मुसकुराते देखकर कमला बोली…क्या मैने कुछ गलत बोला? जो आप सभी मुस्करा रहे हों।
सुरभि...नहीं बहु तुमने बिल्कुल सही बोल हैं हम तो बस इसलिए मुस्कुरा रहें थें क्योंकि इनकी बातों को पुष्पा के अलावा कोई ओर नहीं कटते हैं।
कमला…माफ़ करना पापाजी आगे से ध्यान रखूंगी।
राजेंद्र…नहीं नहीं बेटी तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। तुम मेरी बहु नहीं दूसरी बेटी हों इसलिए पुष्पा की तरह तुम भी मेरे बातों को काट सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।
राजेंद्र की बाते सुनकर कमला की आंखो में नमी आ गई। सभी को नमी का पाता न चल जाए इसलिए बहने से पहले ही रोक लिए फिर राजेंद्र को परोसने जा ही रही थीं की पुष्पा बोली...भाभी सबसे पहले मुझे परोसों, पहले मुझे नहीं परोसा तो पहली रसोई के टेस्ट में आप कतई पास नहीं हों पाओगी।
राजेंद्र...हां बहु जाओ पहले पुष्पा को परोस दो पुष्पा हमारे परिवार की महारानी हैं। मैं भी उसके बातों का निरादर नहीं कर सकता तुम भी मात करना नहीं तो सभी के सामने सजा दे देगी। मैं नहीं चाहता कोई मेरे बहु को सजा दे।
पुष्पा…haaaaan आप समझें भाभी पापा ने किया कहा। चलो अब देर न करों जल्दी से परोस दो बड़ी जोरों की भूख लगीं हैं।
कमला पुष्पा को परोसने जा ही रही थी की अपश्यु बोला...भाभी rukooo! आज सबसे पहले आप मुझे परोसेगे।
पुष्पा...नहीं सब से पहले मुझे मैं महारानी हूं।
अपश्यु...नहीं सबसे पहले मुझे मैं भाभी का सबसे छोटा देवर हूं।
पुष्पा...मैं भाभी की इकलौती ननद हूं इसलिए सबसे पहले मुझे परोसेंगे।
अपश्यु...मैं भी भाभी का eklautaaa नहीं नहीं रमन भईया भी हैं। फिर रमन की ओर देखकर बोला... रमन भईया आप कुछ बोलो न!
रमन... मैं क्या बोलूं? मैं तो बस इतना ही बोलूंगा भाभी आप पहले पुष्पा को ही परोस दो।
रमन की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए पुष्पा सेखी बघेरते हुऐ बोली...भाभी सूना न रमन भईया भी मेरे पक्ष में बोल रहें हैं इसलिए देर न करों जल्दी से परोस दो।
अपश्यु...रमन भईया आप से ये उम्मीद न था आप मेरे पक्ष में नहीं हैं तो किया हुआ मैं अकेले ही ठीक हूं। भाभी पहले मुझे पारोसो नहीं तो मैं आप'से नाराज हों जाऊंगा। क्या आप चाहते हों आप'का छोटा देवर आप से नाराज रहें? अगर आप चाहती हों तो पुष्पा को ही पहले परोस दो।
कमला...मैं कभी नही चाऊंगा मेरा छोटा देवर मुझ'से नाराज रहें।
पुष्पा...अच्छा ब्लैकमेल रुको अभी बताती हूं। भाभी मैं आप'की एकलौती ननद होने के साथ घर में सबसे छोटी हूं। इसलिए आप पहले मुझे परोसो नहीं परोसा तो मैं आप'से नाराज हों जाऊंगी फिर कभी आप'से बात नहीं करुंगी। सोच लो haaa।
असमंजस की स्थिति में कमला फांस गई। किसे पहले परोसे समझ नहीं पा रही थीं। कुछ भी ऐसा करना नहीं चाह रहीं थी। जिससे इकलौती ननद और देवर नाराज़ हों जाएं। इसलिए आशा की दृष्टि से रघु की तरफ देखा पर रघु भी कंधा उचकाकर बता दिया मैं इसमें कोई सहयता नहीं कर सकता मैं असमर्थ हूं।
पुष्पा और अपश्यु को जिद्द करते देखकर रावण मुस्करा रहा था और मन ही मन बोला...दादी भाई बहु तो विश्व सुंदरी ढूंढ कर ले आए लेकिन अब जो परिस्थिति बन रहा हैं इससे बहु कैसे निपटेगा अब पाता चलेगा बहु कितनी समझदार और चतुर हैं बस दोनों में से कोई पीछे न हटे तब तो और मजा आयेगा।
बाकी बचे घर वाले अपश्यु और पुष्पा के मामले में पड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि सभी जानते थे दोनों जब जिद्द करने पर आ जाए तो किसी की नहीं सुनते पर कमला को असहाय देखकर सुकन्या अपश्यु को समझते हुऐ बोली... अपश्यु मन जा न बेटा तू मेरा अच्छा बेटा हैं। देख पुष्पा घर में सबसे छोटी हैं पहली बार में उसे परसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी।
अपश्यु...मां मैं जनता हूं आप पुष्पा को मुझ'से ज्यादा प्यार करते हों। आप करों पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आज मैं किसी की नहीं सुनने वाला। आज तो पुष्पा की भी नहीं चलने दुंगा।
बेटे के जिद्द के आगे सुकन्या सिर झुका लिया। क्योंकि सुकन्या जान गई थी आज अपश्यु किसी की नहीं सुनने वाला, अपश्यु को अड़ा हुआ देखकर सुरभि पुष्पा को समझते हुऐ बोली...पुष्पा बेटी क्यों जिद्द कर रहीं हैं? क्यों बहु को परेशान कर रहीं हैं? अपश्यु को पहले परोसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी। अपश्यु तूझ'से बड़ा है बोल हैं न बड़ा!
पुष्पा…हां
सुरभि….बस फिर किया हों गया फैसला बहु अपश्यु को पहले परोस दो।
अपश्यु को पहले परोसने की बात सुनकर पुष्पा उदास हों गई। ये देखकर कमला को अच्छा नहीं लगा। कमला पहले ही दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहतीं थी जिससे देवर और ननद उदास हों जाएं इसलिए इस मसले का हल मन ही मन ढूंढने लग गई।
पुष्पा के पीछे हटने से रावण को उसका मनसा टूटता नज़र आया और पुष्पा को उदास बैठा देखकर रावण को अच्छा भी नहीं लग रहा था इसलिए बोला... बहु मुझे पुष्पा की उदासी अच्छा नहीं लग रहा हैं तुम कुछ ऐसा करों जिससे दोनों के मन की हों जाएं और कोई तुमसे नाराज हों'कर न रह पाए।
रावण की बाते सुनकर सुकन्या रावण को एक नज़र देखा पर कुछ बोला नहीं बाकी सभी भी रावण की और देखा जैसे पूछ रहे हों बहु इसका क्या हल निकलेगी। चाचा की बात सुनकर पुष्पा भी मुस्करा दिया और कमला विचार करने में मग्न हों गईं। कमला को इतना गहन विचार करते देखकर सुरभि बोली... बहु इतना सोच विचार करने की जरूरत नहीं हैं तुम पहले अपश्यु को परोस दो पुष्पा भी तो मान गई हैं।
पुष्पा...हां भाभी आप भईया को ही पहले परोस दो मैं तो ऐसे ही बहना कर रहीं थीं।
सुकन्या...हां हां मैं जानती हूं तुम कितना बहना कर रही थीं बहना कर रहीं होती तो अपश्यु को पहले परोसने की सुनकर तुम्हारा चेहरा न लटक गया होता। बहु अपश्यु को छोड़ो तुम पहले पुष्पा को ही परोस दो मैं मेरी एकलौती बेटी का लटका हुआ चेहरा नहीं देख पा रहीं हूं।
सुकन्या की बात सुनकर पुष्पा जो उदास हो गई थी उसके चेहरे पे मुस्कान लौट आई और अपश्यु को चिड़ाने लग गईं। पुष्पा को चिड़ाते देख अपश्यु का चेहरा लटक गया ये देखकर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गया लेकिन कमला अभी भी सोचने में मग्न थी। अचानक कमला के चेहरे पर मुस्कान आया और बोली... सुनो मेरे प्यारे देवर और ननदरानी आप दोनों को एक साथ मैं पहले परोस सकती हूं लेकिन आप दोनों को एक ही प्लेट में खाना होगा। बोलों मंजूर हैं।
अपश्यु और पुष्पा दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया फिर पुष्पा बोली...भईया बहुत दिनों बाद आप के साथ फिर से एक ही प्लेट में खाने का मौका मिल रहा हैं ये हों रहा हैं तो सिर्फ भाभी के कारण मैं तो भुल ही गई थीं।
कमला...मतलब मैं कुछ समझ नहीं पाई।
सुकन्या…बहु बचपन में इन दोनों की आदत थी जब तक दोनों को एक ही थाली में खाना न दो तब तक दोनों खाते नहीं थे। बाद में रघु भी इनके साथ हों लिया बड़ी मुस्कील से इनकी ये आदत छुड़वाया था। क्यों दीदी मैंने सही कहा न?
सुरभि...हां छोटी तुमने सही कहा जाओ बहु दोनों को एक ही प्लेट में परोस दो।
पुष्पा जाकर अपश्यु के पास बैठ गई दोनों के देखा देखी रघु भी धीरे से उठा और पुष्पा के दूसरे सईद बैठ गया। सभी देखकर मुस्कुरा दिए और भाई बहनों में प्यार देख गदगद हो गए फिर कमला ने एक प्लेट में रघु , अपश्यु और पुष्पा को परोस दिया। साथ ही बाकी सभी को भी परोस दिया। रमन थोडा सा खिसका फिर रघु से बोला...चल थोड़ा सा किसक मुझे भी जगह दे मैं भी पुष्पा के साथ ही खाऊंगा।
एक बार फिर से सभी के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गई। रावण अभी अभी जो भी हुआ उसे देखकर मुस्कुराते हुऐ मन में बोला...बहु ये तो एक साधारण सी उलझन था जिससे तुम पार पा लिया लेकिन जीवन बहुत बड़ा हैं। इससे भी बड़ी बड़ी उलझने जीवन में आगे आएंगे तब कैसे पार पाओगी।
न जानें रावण किया सोचा रहा था। साधारण मुस्कान बदलकर कुटिल हों गया। सभी ने अपने अपने प्लेट से एक एक निवाला खाया फिर आंख बन्द कर खाने की स्वाद लेने लगे। अपश्यु फटाफट दो तीन निवाल खाकर खाने का स्वाद लिया फिर रुक गया। यकायक न जाने किया सूझा उठकर भाग गया।
आज के लिए इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे अपश्यु क्यों उठकर भागा? यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।