Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

I

Ishani

Update - 36


अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देखकर सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कहकर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई।

जो भी हों रहा था उसे देखकर कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखाकर सभी का मन मोह लेगी पर हों उल्टा रहा हैं।

कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। आप'की बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोचकर कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोलकर पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देखकर बोली...भाभी क्या हुआ? आप'का चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधारकर बनावटी मुस्कान होटों पर सजाकर बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो। कमला सब्जी देने लगीं तब पुष्पा फिर बोली... भाभी आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

रघु भी कमला की ओर देखा तो उसे भी लगा कमला का चेहरा कुछ उतरा हुआ हैं इसलिए रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला बनावटी मुस्कान से मुस्कराकर बोली...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी रघु क्या बतायेगा मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकती। मेरा पेट ittuuuu सा हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई फिर राजेंद्र बोला...हां बहु बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का मैं पहले से ही कायल हूं। फ़िर रावण से बोला... रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया हैं। सभी तारीफ कर रहें तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया हैं।

खुद की तारीफें सुनकर कमला खुश हों गईं पर जब उसे ख्याल आ की आगर खाना इतना अच्छा बना हैं तो वो तीनों उठकर क्यों चले गए। इसलिए कमला बोली...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आकर डायनिंग हॉल में प्रवेश कर रहा था। तभी वो कमला की बाते सुन लिया। कमला के पास गया फिर बोला...भाभी सच में अपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। कल से आप'को गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आप'का गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा थाली को साफा चाट कर चुके थे। थाली साफ चाट देखकर अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही थाली साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया हैं।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देना जानती हैं। तू मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…achchhaaaa ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाला करे और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर सभी हंस दिये। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरी सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देखकर सुरभि बोली...छोटी ये toooo..।

सुरभि की बातों को बीच में काटकर सुकन्या बोली...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था। मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किए थे और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बाते सुनकर सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं हैं जब मन करे देख लेना। बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मान लूंगी।

इतना कहाकर कमला खिलखिला कर हंस देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भिचकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिलखिला कर हंस देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट देकर सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया हैं इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोचकर रावण कमला के पास जाकर गले में से एक सोने की चेन उतारा फिर कमला को दे दिया। एक नज़र सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुराकर नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण की नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब ओर नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल देना। सुरभि शादी निपट गया अब सोच रहा हूं सभी दार्जलिंग बसी को एक पार्टी दूं बताओ कब दिया जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कहकर रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गई, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लाने भेज दिया। कुछ वक्त में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल लिया और खंगालने लग गए कुछ देर तक पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे कौन कौन से तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिए वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो गईं। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना करके रूम में गया फिर फोन उठाकर एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर कुछ बोला जवाब में अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तरस रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिया।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो ही कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन काट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया हूं सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुनकर कल सभी से बात करने को बोलकर दोनों सो गए।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोला…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। फिर उर्वशी से पूछा... भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए। रघु ने कमला को साथ लेकर दोनों का आशिर्वाद लिया। रमन भी मां बाप का आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां बाप कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कहकर उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बनाकर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठो मैं अभी बना कर लाई।

इतना कहकर कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहुरानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खा लेंगे।

कमला बैठ गई। मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जी जरूर आएगा।

कुछ ओर इधर उधर की बाते हुआ फिर रमन के आते ही तीनों चले गए। मुंशी के जाते ही राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुनकर सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब में माना कर देता था। अपश्यु को हां कहते सुनकर सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब देकर माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी कैसे करना हैं तुम्हारे जिम्मे हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां में हां मिलते हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
रघु कि चाची ने रघु के चाचा को चांदी के चम्चे से चट्नी चताई
रघु के चाचा ने मारा चनस,
चाची को बोले डांस विद मी, :dance4: च च चा
चाची बेब-बैब, चल हत चल फुट दूं क्या, चाचा से
चाची बोलि,
दो'न्त टच माय चान्या चोली
ओर चाची ने चाचा को दिया चमाट
1 , 2 , 3, 4 , चाचा गेत अन दा फ्लोर 🤭
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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Update - 36


अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देखकर सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कहकर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई।

जो भी हों रहा था उसे देखकर कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखाकर सभी का मन मोह लेगी पर हों उल्टा रहा हैं।

कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। आप'की बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोचकर कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोलकर पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देखकर बोली...भाभी क्या हुआ? आप'का चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधारकर बनावटी मुस्कान होटों पर सजाकर बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो। कमला सब्जी देने लगीं तब पुष्पा फिर बोली... भाभी आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

रघु भी कमला की ओर देखा तो उसे भी लगा कमला का चेहरा कुछ उतरा हुआ हैं इसलिए रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला बनावटी मुस्कान से मुस्कराकर बोली...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी रघु क्या बतायेगा मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकती। मेरा पेट ittuuuu सा हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई फिर राजेंद्र बोला...हां बहु बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का मैं पहले से ही कायल हूं। फ़िर रावण से बोला... रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया हैं। सभी तारीफ कर रहें तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया हैं।

खुद की तारीफें सुनकर कमला खुश हों गईं पर जब उसे ख्याल आ की आगर खाना इतना अच्छा बना हैं तो वो तीनों उठकर क्यों चले गए। इसलिए कमला बोली...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आकर डायनिंग हॉल में प्रवेश कर रहा था। तभी वो कमला की बाते सुन लिया। कमला के पास गया फिर बोला...भाभी सच में अपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। कल से आप'को गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आप'का गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा थाली को साफा चाट कर चुके थे। थाली साफ चाट देखकर अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही थाली साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया हैं।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देना जानती हैं। तू मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…achchhaaaa ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाला करे और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर सभी हंस दिये। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरी सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देखकर सुरभि बोली...छोटी ये toooo..।

सुरभि की बातों को बीच में काटकर सुकन्या बोली...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था। मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किए थे और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बाते सुनकर सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं हैं जब मन करे देख लेना। बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मान लूंगी।

इतना कहाकर कमला खिलखिला कर हंस देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भिचकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिलखिला कर हंस देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट देकर सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया हैं इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोचकर रावण कमला के पास जाकर गले में से एक सोने की चेन उतारा फिर कमला को दे दिया। एक नज़र सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुराकर नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण की नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब ओर नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल देना। सुरभि शादी निपट गया अब सोच रहा हूं सभी दार्जलिंग बसी को एक पार्टी दूं बताओ कब दिया जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कहकर रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गई, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लाने भेज दिया। कुछ वक्त में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल लिया और खंगालने लग गए कुछ देर तक पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे कौन कौन से तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिए वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो गईं। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना करके रूम में गया फिर फोन उठाकर एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर कुछ बोला जवाब में अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तरस रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिया।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो ही कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन काट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया हूं सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुनकर कल सभी से बात करने को बोलकर दोनों सो गए।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोला…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। फिर उर्वशी से पूछा... भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए। रघु ने कमला को साथ लेकर दोनों का आशिर्वाद लिया। रमन भी मां बाप का आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां बाप कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कहकर उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बनाकर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठो मैं अभी बना कर लाई।

इतना कहकर कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहुरानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खा लेंगे।

कमला बैठ गई। मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जी जरूर आएगा।

कुछ ओर इधर उधर की बाते हुआ फिर रमन के आते ही तीनों चले गए। मुंशी के जाते ही राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुनकर सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब में माना कर देता था। अपश्यु को हां कहते सुनकर सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब देकर माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी कैसे करना हैं तुम्हारे जिम्मे हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां में हां मिलते हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
ek minute ke liye laga ke kahi mirchi to jada nahi ho gai. par baad me ye jaan ke acha laga ke apshyu sukanya aur surbhi gift lene gaye the. ajj ravan bhi khul kar tarif kar raha tha khane ki . lekin ravan bharosa nahi kar sakte.
Kuldevi ke mandir me puja karke ane ke baad raghu aur kamla ki wedding reception dene wale hai. udhar apshyu ko agyakari bacha banta dekh sabhi chakit hai.
 
R

Riya

Update - 36


अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देखकर सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कहकर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई।

जो भी हों रहा था उसे देखकर कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखाकर सभी का मन मोह लेगी पर हों उल्टा रहा हैं।

कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। आप'की बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोचकर कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोलकर पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देखकर बोली...भाभी क्या हुआ? आप'का चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधारकर बनावटी मुस्कान होटों पर सजाकर बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो। कमला सब्जी देने लगीं तब पुष्पा फिर बोली... भाभी आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

रघु भी कमला की ओर देखा तो उसे भी लगा कमला का चेहरा कुछ उतरा हुआ हैं इसलिए रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला बनावटी मुस्कान से मुस्कराकर बोली...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी रघु क्या बतायेगा मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकती। मेरा पेट ittuuuu सा हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई फिर राजेंद्र बोला...हां बहु बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का मैं पहले से ही कायल हूं। फ़िर रावण से बोला... रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया हैं। सभी तारीफ कर रहें तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया हैं।

खुद की तारीफें सुनकर कमला खुश हों गईं पर जब उसे ख्याल आ की आगर खाना इतना अच्छा बना हैं तो वो तीनों उठकर क्यों चले गए। इसलिए कमला बोली...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आकर डायनिंग हॉल में प्रवेश कर रहा था। तभी वो कमला की बाते सुन लिया। कमला के पास गया फिर बोला...भाभी सच में अपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। कल से आप'को गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आप'का गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा थाली को साफा चाट कर चुके थे। थाली साफ चाट देखकर अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही थाली साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया हैं।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देना जानती हैं। तू मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…achchhaaaa ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाला करे और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर सभी हंस दिये। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरी सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देखकर सुरभि बोली...छोटी ये toooo..।

सुरभि की बातों को बीच में काटकर सुकन्या बोली...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था। मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किए थे और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बाते सुनकर सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं हैं जब मन करे देख लेना। बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मान लूंगी।

इतना कहाकर कमला खिलखिला कर हंस देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भिचकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिलखिला कर हंस देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट देकर सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया हैं इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोचकर रावण कमला के पास जाकर गले में से एक सोने की चेन उतारा फिर कमला को दे दिया। एक नज़र सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुराकर नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण की नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब ओर नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल देना। सुरभि शादी निपट गया अब सोच रहा हूं सभी दार्जलिंग बसी को एक पार्टी दूं बताओ कब दिया जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कहकर रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गई, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लाने भेज दिया। कुछ वक्त में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल लिया और खंगालने लग गए कुछ देर तक पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे कौन कौन से तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिए वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो गईं। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना करके रूम में गया फिर फोन उठाकर एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर कुछ बोला जवाब में अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तरस रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिया।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो ही कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन काट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया हूं सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुनकर कल सभी से बात करने को बोलकर दोनों सो गए।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोला…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। फिर उर्वशी से पूछा... भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए। रघु ने कमला को साथ लेकर दोनों का आशिर्वाद लिया। रमन भी मां बाप का आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां बाप कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कहकर उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बनाकर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठो मैं अभी बना कर लाई।

इतना कहकर कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहुरानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खा लेंगे।

कमला बैठ गई। मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जी जरूर आएगा।

कुछ ओर इधर उधर की बाते हुआ फिर रमन के आते ही तीनों चले गए। मुंशी के जाते ही राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुनकर सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब में माना कर देता था। अपश्यु को हां कहते सुनकर सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब देकर माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी कैसे करना हैं तुम्हारे जिम्मे हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां में हां मिलते हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Wonderful update dear . .Kamla ke hatho me jadu hai. sabhi uske hatho ka bana khake khush the. sabhi ne gift bhi di sibhaye pushpa ke ke. par maharania jab khush hoti hai tab inam baatte hai. pushpa kanjus maharani nikli. ek baat se me kafi hairan hu. ye pehli baar hua hoga jab ravan kisiko man hi man prashansa kar rahe ho . sukanya ki prathna karne se pehle hi upar wale ne uski sun li thi. apashyu tou usi kshan badal gaya tha jab use ahsas hua ke uske karan ek din uski puri family ki nak kat sakti hai. society me ijjat ja sakti hai.
 
expectations
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Update - 36


अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देखकर सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कहकर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई।

जो भी हों रहा था उसे देखकर कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखाकर सभी का मन मोह लेगी पर हों उल्टा रहा हैं।

कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। आप'की बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोचकर कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोलकर पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देखकर बोली...भाभी क्या हुआ? आप'का चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधारकर बनावटी मुस्कान होटों पर सजाकर बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो। कमला सब्जी देने लगीं तब पुष्पा फिर बोली... भाभी आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

रघु भी कमला की ओर देखा तो उसे भी लगा कमला का चेहरा कुछ उतरा हुआ हैं इसलिए रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला बनावटी मुस्कान से मुस्कराकर बोली...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी रघु क्या बतायेगा मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकती। मेरा पेट ittuuuu सा हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई फिर राजेंद्र बोला...हां बहु बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का मैं पहले से ही कायल हूं। फ़िर रावण से बोला... रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया हैं। सभी तारीफ कर रहें तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया हैं।

खुद की तारीफें सुनकर कमला खुश हों गईं पर जब उसे ख्याल आ की आगर खाना इतना अच्छा बना हैं तो वो तीनों उठकर क्यों चले गए। इसलिए कमला बोली...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आकर डायनिंग हॉल में प्रवेश कर रहा था। तभी वो कमला की बाते सुन लिया। कमला के पास गया फिर बोला...भाभी सच में अपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। कल से आप'को गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आप'का गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा थाली को साफा चाट कर चुके थे। थाली साफ चाट देखकर अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही थाली साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया हैं।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देना जानती हैं। तू मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…achchhaaaa ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाला करे और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर सभी हंस दिये। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरी सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देखकर सुरभि बोली...छोटी ये toooo..।

सुरभि की बातों को बीच में काटकर सुकन्या बोली...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था। मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किए थे और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बाते सुनकर सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं हैं जब मन करे देख लेना। बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मान लूंगी।

इतना कहाकर कमला खिलखिला कर हंस देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भिचकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिलखिला कर हंस देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट देकर सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया हैं इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोचकर रावण कमला के पास जाकर गले में से एक सोने की चेन उतारा फिर कमला को दे दिया। एक नज़र सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुराकर नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण की नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब ओर नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल देना। सुरभि शादी निपट गया अब सोच रहा हूं सभी दार्जलिंग बसी को एक पार्टी दूं बताओ कब दिया जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कहकर रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गई, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लाने भेज दिया। कुछ वक्त में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल लिया और खंगालने लग गए कुछ देर तक पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे कौन कौन से तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिए वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो गईं। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना करके रूम में गया फिर फोन उठाकर एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर कुछ बोला जवाब में अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तरस रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिया।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो ही कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन काट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया हूं सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुनकर कल सभी से बात करने को बोलकर दोनों सो गए।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोला…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। फिर उर्वशी से पूछा... भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए। रघु ने कमला को साथ लेकर दोनों का आशिर्वाद लिया। रमन भी मां बाप का आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां बाप कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कहकर उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बनाकर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठो मैं अभी बना कर लाई।

इतना कहकर कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहुरानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खा लेंगे।

कमला बैठ गई। मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जी जरूर आएगा।

कुछ ओर इधर उधर की बाते हुआ फिर रमन के आते ही तीनों चले गए। मुंशी के जाते ही राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुनकर सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब में माना कर देता था। अपश्यु को हां कहते सुनकर सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब देकर माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी कैसे करना हैं तुम्हारे जिम्मे हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां में हां मिलते हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Ye ravan ke papon ka ghada abhi tak bhara nai lagta hai
 
ADMIN :D
Senior Moderator
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रघु कि चाची ने रघु के चाचा को चांदी के चम्चे से चट्नी चताई
रघु के चाचा ने मारा चनस,
चाची को बोले डांस विद मी, :dance4: च च चा
चाची बेब-बैब, चल हत चल फुट दूं क्या, चाचा से
चाची बोलि,
दो'न्त टच माय चान्या चोली
ओर चाची ने चाचा को दिया चमाट
1 , 2 , 3, 4 , चाचा गेत अन दा फ्लोर 🤭
:clapping:
 
Eaten Alive
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रघु कि चाची ने रघु के चाचा को चांदी के चम्चे से चट्नी चताई
रघु के चाचा ने मारा चनस,
चाची को बोले डांस विद मी, :dance4: च च चा
चाची बेब-बैब, चल हत चल फुट दूं क्या, चाचा से
चाची बोलि,
दो'न्त टच माय चान्या चोली
ओर चाची ने चाचा को दिया चमाट
1 , 2 , 3, 4 , चाचा गेत अन दा फ्लोर 🤭
:wtfrol: :roflboow:
 
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Ye bilkul thik nahi ho raha hai Destiny sahab...... sham daam dand bhed laga ke ju us apsyu ko achha banane ki koshish kar rahe hai...:bat: taaki kal ko sankat uski dhunayi kare to readers ko bura lage.....
pata nahi kyun ab in kirdaaron ki khushi mujhe dekhi nahi jaa rahi hai.... To aaj se balki abhi se main raghu ke chacha ravan ke paksh mein khadi rahungi :D
aur yahin kaamna karungi ki ravan ka plan sau phisidi kaamyaab ho :devil:
Aur ye pushpa :D..... Ye ab se meri main target mein rahne wali hai :stopdevil:
( aur apsyu ko achha banane ki koshish kijiye :laugh1: ....)

Well ....Shaandaar kahani, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan sath dilchasp kirdaaron ki bhumika bhi dekhne ko mili hai...
.
Brilliant storyline with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
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अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देखकर सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कहकर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई।

जो भी हों रहा था उसे देखकर कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखाकर सभी का मन मोह लेगी पर हों उल्टा रहा हैं।

कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। आप'की बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोचकर कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोलकर पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देखकर बोली...भाभी क्या हुआ? आप'का चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधारकर बनावटी मुस्कान होटों पर सजाकर बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो। कमला सब्जी देने लगीं तब पुष्पा फिर बोली... भाभी आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

रघु भी कमला की ओर देखा तो उसे भी लगा कमला का चेहरा कुछ उतरा हुआ हैं इसलिए रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला बनावटी मुस्कान से मुस्कराकर बोली...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी रघु क्या बतायेगा मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकती। मेरा पेट ittuuuu सा हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई फिर राजेंद्र बोला...हां बहु बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का मैं पहले से ही कायल हूं। फ़िर रावण से बोला... रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया हैं। सभी तारीफ कर रहें तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया हैं।

खुद की तारीफें सुनकर कमला खुश हों गईं पर जब उसे ख्याल आ की आगर खाना इतना अच्छा बना हैं तो वो तीनों उठकर क्यों चले गए। इसलिए कमला बोली...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आकर डायनिंग हॉल में प्रवेश कर रहा था। तभी वो कमला की बाते सुन लिया। कमला के पास गया फिर बोला...भाभी सच में अपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। कल से आप'को गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आप'का गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा थाली को साफा चाट कर चुके थे। थाली साफ चाट देखकर अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही थाली साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया हैं।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देना जानती हैं। तू मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…achchhaaaa ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाला करे और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं।

पुष्पा की बाते सुनकर सभी हंस दिये। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरी सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देखकर सुरभि बोली...छोटी ये toooo..।

सुरभि की बातों को बीच में काटकर सुकन्या बोली...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था। मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किए थे और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बाते सुनकर सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं हैं जब मन करे देख लेना। बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मान लूंगी।

इतना कहाकर कमला खिलखिला कर हंस देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भिचकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिलखिला कर हंस देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट देकर सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया हैं इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोचकर रावण कमला के पास जाकर गले में से एक सोने की चेन उतारा फिर कमला को दे दिया। एक नज़र सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुराकर नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण की नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब ओर नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल देना। सुरभि शादी निपट गया अब सोच रहा हूं सभी दार्जलिंग बसी को एक पार्टी दूं बताओ कब दिया जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कहकर रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गई, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लाने भेज दिया। कुछ वक्त में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल लिया और खंगालने लग गए कुछ देर तक पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे कौन कौन से तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिए वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो गईं। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना करके रूम में गया फिर फोन उठाकर एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर कुछ बोला जवाब में अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तरस रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिया।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो ही कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन काट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया हूं सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुनकर कल सभी से बात करने को बोलकर दोनों सो गए।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोला…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। फिर उर्वशी से पूछा... भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए। रघु ने कमला को साथ लेकर दोनों का आशिर्वाद लिया। रमन भी मां बाप का आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां बाप कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कहकर उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बनाकर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठो मैं अभी बना कर लाई।

इतना कहकर कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहुरानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खा लेंगे।

कमला बैठ गई। मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जी जरूर आएगा।

कुछ ओर इधर उधर की बाते हुआ फिर रमन के आते ही तीनों चले गए। मुंशी के जाते ही राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुनकर सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब में माना कर देता था। अपश्यु को हां कहते सुनकर सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब देकर माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी कैसे करना हैं तुम्हारे जिम्मे हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां में हां मिलते हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
mast update tha bhai.
gift ke bahane mast topi pehnane ki kosis ki ravan ne sukanya ko. par sukanya bhi maf nahi kargi asani se. uske rag rag se wakif hai wo. khana sach me tasty tha to ek adh plate me meko bhi pados deti. aapshyu sachi muchi me sudhar gaya re baba. sukanya ke to balle balle hai. :D
 

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