Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Dost... weekly update bhi chale gaa... no issues... but dont break promise and hearts of your fans!!!

It is indeed a great story... :dil2:

Bandhu mai puri khushi karunga lekin parishti ke aage ham kaha tik sakte hai. Bahi rahi new update ki to past update me kiya kiya hua jara uspe ek najar pher loon phir new update pe kaam suru karta hoon.
 
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Iss bhaag mein 2 alag alag families dekhne ko milli…

1- Family jahan Rajendra aur Surbhi… jo ke sanskaar ko sab se bada maante hein… waheen… Ravana… Sukanya aur Apasyu… dikhave ki reeti rivaaj nibha rahe hein… andar se kale… chal kapat kaa doosra naam… dekhte hein yeh family kab tak bach paati he in ke vaar se…

2- family jahan Kamla… Mahesh aur Manorma ki beti ne bavaal machaya huaa he… lekin yeh aik hansta khelta parivaar he… zindagi ko bharpoor dhang se jeene vala…

Well shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi... Khas Kar kamla aur uske mom dad ke bich huye pyar bhare nok jhok ..

Aage dekhen kaya hota he… 💕

Aap bhi kam parkhi nahi hoon do yaha kahu teen parivaro ke mano bhav samjh gaye vaise apke review ke aant ke kuch shvdon ne naina ji ki jhalak dikhi. Iss mahtvpurn review ke liye bahut bahut dhanyawad.
 
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Aap bhi kam parkhi nahi hoon do yaha kahu teen parivaro ke mano bhav samjh gaye vaise apke review ke aant ke kuch shvdon ne naina ji ki jhalak dikhi. Iss mahtvpurn review ke liye bahut bahut dhanyawad.
"Lekhan"… "kalaa" ke aik roop he… jiss mein kahaani likhnaa ya pratikriya dena shaamil hai... yeh aik rachanaatmak kaary hai... aaj kal, peers aur saathi lekhakon se prerana lene sahit kayi lekhan sahayogiyon ki madad se yeh aasaan ho gaya hai...

Kabhi-kabhi... lekhak yeh bhi dekhna chahte hein ki any lekhak kisee avadhaarana, vichaar ya kahaani ko kaise dekh rahe hain aur aksar unake dvaara istemaal kiye gaye shabd pasand aate hain... yaa phir yeh dekhne ke liye ke vichaaron ya shabdon kee samaanata ya ekeekaran ko pratibimbit karane ke lie kalaatmak duniya ke bheetar shrrnkhala kaise banaee jaatee hai...

Aur main vishvaas rakhta hoon ki... yeh jitana adhik saamanjasy paida karata hai, yeh duniya ko vivaad mukt bhee banaata hai ya yoon kahen... bheed ko ek hee raaste par chalaane ke liye sansaadhanon ya dimaagon ko sanrekhit karata hai...

Vinamr abhivaadan... 💕
 
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:wave4:Dear Lustyweb Members, :wave3:

We are thrilled :kicking:to announce our latest community event, the "Desktop Decor Contest" :lamo: This is your chance to showcase your creativity and personalize your digital space in a unique and inspiring way.

Do you take pride in your desktop setup? Is your wallpaper a window into your imagination? Are your icons arranged with precision and flair? If so, we invite you :elephantride: to share a screenshot of your desktop and compete for the title of the most stylish and original setup in our community. :cowboy:

Here's how it works:

1. Submission Period: From 4/05/2024 to 30/05/2024, post a screenshot of your desktop setup in the dedicated contest thread.

2. Judging: Experienced and Senior members from staff will judge the contest.

Whether your desktop:lamo: reflects your love for minimalist design, showcases your favorite fandom, or transports you to another world entirely, we can't wait to see what you come up with! :pizza:

To participate, simply head over :scooty1: to the "Desktop Decor Contest" thread and share your creativity with the community.

Let's make our forum as vibrant and expressive as our imaginations!

Please do visitLW Desktop Decor Contest May 2024 - Rules and Query Thread

Warm regards,:music2:


Admin Team
 
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Jo bhi purane readers hai jinho yaha story read kiya hai vo chaye to eb baar phir se iss story ko read kar le. 7 to 10 days ke andar new update post karne wala hoon
 
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Jo bhi purane readers hai jinho yaha story read kiya hai vo chaye to eb baar phir se iss story ko read kar le. 7 to 10 days ke andar new update post karne wala hoon
it is very good news for all of your fans... lagta he ab mujhe bhi jald hi baaki ke updates padhane hon ge...
 
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Update - 4

अपर धन संपत्ति राज परिवार का बडा बेटा होने के बाद भी न जानें राजेंद्र को किया सूझा जो रघु को स्कूल में बिना किसी शुल्क के छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने के काम में लगा रखा था। रघु जब से कॉलेज छोड़ा तभी से ही छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने जा रहें थें। आज भी रघु नाश्ते से निपट कर स्कूल जा रहा था रस्ते में लोगों का भीड देख कार को रोका फिर भीड़ की ओर बढ़ गया। उचक उचक कर देखने की कोशिश कर रहा था कि इतनी भीड़ जामा होने का करण क्या हैं? लेकिन कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए आगे जानें की सोच कर भीड़ में से होकर आगे बढ़ने लगा। लेकिन भीड़ हटने का नाम ही नहीं ले रहा था। भीड़ में से निकलने की जद्दोजेहद में एक नौजवान लड़के को धक्का लगा। नौजवान तिलमिलाकर बोला...कौन हैं वे जो धक्का दे रहा हैं।

बोलकर पीछे मुड़ा, रघु को देख हाथ जोड़ लिया फिर सफाई देते हुए बोला…मालिक आप! माफ करना मैं किसी अन्य को समझ बैठा था।

मुस्कुराते हुए रघु नौजवान को देखा फिर जोड़े हाथ को खोलते हुए बोला…भाई भीड़ में अक्षर एक दूसरे को धक्का लग ही जाता हैं। इसमें आप'का कोई गलती नहीं हैं। गलती तो मुझ'से हुआ, धक्का आप'को मैंने मारा और माफी आप मांग रहे हों जबकि माफ़ी मुझे मांगना चाहिए। माफ करना भाई।

माफ़ी शब्द सुन नौजवान दाएं बाएं देखने लग गया, कोई देख तो नहीं रहा जब उसे लगा कोई देख नहीं रहा तब बोला...मालिक माफी मांगकर आप मुझे शर्मिंदा न करें।

रघु आगे कुछ कहता तभी भीड़ पार से कोई तेज तेज चीखते हुए बोला…इस भीड़ में ऐसा कोई नहीं हैं जो मुझे इन जालिमों से बचा सके, कोई तो मुझे बचाओ नहीं तो ये जालिम मुझे मार डालेंगे।

आवाज आई दिशा की ओर भीड़ को चीरते हुए रघु बढ़ने लग गया आगे जानें में रघु को दिक्कत हों रहा था। इसलिए नौजवान चीख कर बोला…हटो हटो रास्ता दो मालिक आए हैं।

भीड़ में से कुछ लोग पीछे पलट कर देखा रघु को देख वो लोग सक्रिय हो गए और आगे जाने के लिए रस्ता बनाने लग गए, पल भर में खचा खच भरी भीड़ में एक गलियारा बन गया। गलियारे से हो'कर रघु आगे बढ़ गया। नौजवान भी रघु के पीछे पीछे चल दिया। आगे जा ही रहे थे तभी एक ओर आवाज सुनाई दिया…बुला जिसे बुलाना हैं आज तुझे कोई नहीं बचा पाएगा। इन नामर्दों के भीड़ में से तो कोई नहीं!

जल्दी जल्दी कदम तल करते हुए रघु भीड़ के सामने पहुंचा वहा एक बुजुर्ग बहुत घायल अवस्था में लेटा हुआ था एक नकाब पोश बंदा बुजुर्ग के छीने पर लाठी टिकाए खड़ा था। आस पास तीन बंदे ओर हाथ में लाठी लिए खडे थे। इस मंजर को देख रघु का पारा चढ़ गया फिर दहाड़ कर बोला…एक बुजुर्ग को चार लोग मिलकर मार रहे हों और ख़ुद को मर्द बोल रहे हो। मुझे तो तू सब से बड़ा नामर्द लग रहा हैं।

अचानक रघु की दहाड़ सुन नकाब पोश बंदे और वह मौजुद सभी लोग रघु की ओर देखने लगे रघु को वहा देख सभी अचंभित हो गए। बुजुर्ग रघु की ओर दयनीय दृष्टि से देख रहे थे जैसे कह रहा हों…मालिक मुझे बचा लो नहीं तो ये जालिम मुझे मार डालेंगे।

नकाब पोश बंदे रघु को पहली बार देख रहे थे इसलिए पहचान नहीं पाए, उनमें से एक अटाहास करते हुए बोला...देखो देखो नामर्दों के भीड़ में एक मर्द पैदा हों गया। जब तू मर्द बन ही रहा हैं तो अपना परिचय खुद ही बता दे, तू कौन हैं?

नकाबपोश की बात सुन भीड़ में से कुछ लोग सिर पर हाथ मरते हुए मन ही मन बोले…अरे नासपीटे जिनकी जागीर में खडे हो कुकर्म कर रहा हैं। उनसे ही उनका परिचय पुछ रहा हैं।

नकाबपोश कि बात सुन रघु मुस्कुरा दिया फिर दहाड़ कर बोला…तुझे मेरा परिचय जानना हैं तो सुन तू जिस जागीर पर खडे हो मर्दानगी दिखा रहा है। मैं उस जागीर के मालिक राजेंद्र प्रताप राना का बेटा रघु वीर प्रताप राना हूं। मिल गया मेरा परिचय।

रघु से परिचय सुन नकाब पोश बंदे आपस में ही खुशर पुशर करते हुए बोला…अरे ये तो राजाजी का बेटा हैं मैं कहता हू निकल लो नहीं तो सूली पे टांगना तय हैं।

"अरे ये कहा से आ गया भाई भागो नहीं तो पक्का आज मारे जाएंगे"

"अब्बे भागेंगे कैसे अपने हाथ में लठ हैं बंदूक नहीं जो डरा धमका के निकल जाएंगे"

"अब्बे सालो डरा क्यों रहें हों जान बचाना हैं तो सब से पहले रघु को ही निपटा देते हैं नहीं तो पकड़े जाएंगे। पकड़े गए तो हमारा भांडा फुट जायेगा ऐसा हुआ तो छोटे मालिक हमे और हमारे परिवार वालों को जिंदा ही दफन कर देंगे"

खुशार पुशार करते देख रघु बोल...क्या हुआ परिचय पसंद नहीं आया नहीं आय तो कोई बात नहीं, जान की सलामती चहते हों तो काका को छोड़ दो और घुटनो पर बैठ जाओ फिर भीड़ से बोला….सुनो तुम सब भीड़ में खडे खडे तमाशा क्या देख रहे हों पकड़ो इन जालिमों को।

रघु की बात सुन भीड़ में से कुछ नौजवान बाहर आने लग गए। भीड़ में हलचल होता देख नकाब पोश अपने अपने जगह से हिले, रघु की ओर बढ़ते हुए लीडर बोला...कोई अपने जगह से नहीं हिलेगा नहीं तो रघु की हड्डी पसली तोड़ देंगे।

नकाबपोश लीडर की धमकी सुन भीड़ में हों रहा हलचल रूक गया। नकाब पोश बंदे रघु की ओर बड़ने लगे तभी गोली चलने कि आवाज आया फिर वादी में एक आवाज गूंजा...कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा जो जहां खड़ा है वही खडे रहे नहीं तो तुम्हारे धड़ से प्राण को आजाद कर दुंगा।

भीड़ को चीरते हुए एक शख्स हाथ में दो नाली लिए आगे आ रहा था, पीछे पीछे चार पांच बंदे दो नाली लिए आ रहे थे उनको देख भीड़ ने रस्ता बाना दिया। जब रघु की नज़र उन'पे पडा तो मुस्कुराते हुए बोला…वाह काका बिल्कुल सही टाइम पर एंट्री मारे हों देखो ये गुंडे आप'के भतीजे की हड्डी पसली तोड़ना चाहते हैं।

रावण तब तक उनके नजदीक पहुंच चुका था। रावण को देख नकाब पोश बंदे लठ छोड़ घुटनों पर बैठ गए। नकाबपोशों को बैठते देख रावण बोला…रघु बेटा ये तो ख़ुद थर थर कांप रहे हैं ये किया हड्डी पसली तोडेंगे। फिर अपने आदमियों से...तुम लोग खडे खडे मेरा मुंह क्या देख रहे हों इनके भेजे में एक एक गोली दागों ओर इनके पापी प्राण को मुक्त कर दो।

चार गोली चली ओर चारों नकाब पोश ढेर हों गए। तब रघु बोला…ये क्या काका मारने की इतनी जल्दी क्या थी पहले इनसे पता तो कर लेते बजुर्ग काका को मार क्यो रहें थे?

रावण…रघु बेटा इन सभी ने तुम्हारे हड्डी पसली तोड़ने की बात कहीं। मैं इन्हे कैसे छोड़ देता अब जो होना था हों गया। फिर भीड़ से बोला…तुम सभी खडे खडे तमाशा क्या देख रहे हों जाओ सब अपना अपना काम करो कभी किसी को मरते हुए नहीं देखा।

भीड़ पाल भर में ही तीतर बितर हों गया रावण और रघु बुजुर्ग के ओर बढ़े, दोनों को पास आते देख बुजुर्ग डर से कांपने लग गए। रावण बुर्जुग को देख मंद मंद मुस्कुरा रहा था मुस्कान साधारण नहीं था। उसके मुस्कान को देख लग रहा था जैसे बड़ा कुछ होते होते टाल गया। दोनों बुजुर्ग के पास पहुंचे रावण खडे खडे मुस्कुरा रहा था और रघु बुजुर्ग के पास बैठ गया। बुजुर्ग डर कर पीछे को खिसक रहें थें। तब रघु बुजुर्ग का हाथ पकड़ रोक लिया फिर बोला…काका आप डर क्यों रहे हों। आप को कुछ नहीं होगा। देखो आप'को चोट पहुंचाने वाले मुर्दा बन जमीन पर लेटे हैं। चलिए आप'को डॉक्टर के पास ले चलते हैं आप'को बहुत चोट लगा हैं।

रावण…रघु बेटा इनको डॉक्टर के पास मैं ले जाता हूं तुम जाओ बच्चे तुम्हारा प्रतिक्षा कर रहे हैं।

रघु…पर

रावण…पर वार कुछ नहीं तुम जाओ मैं इनको अच्छे से अस्पताल पहुंचा दूंगा।

रघु…ठीक हैं काका।

बुजुर्ग रावण के साथ अस्पताल जाने की बात से ओर ज्यादा डर गया। पर कुछ कर नहीं पा रहा था न ही कुछ कह पा रहा था। रावण के आदमी बुजुर्ग को उठा जीप में डाला और रावण के पीछे पीछे चल दिया। रघु भी कार ले मंजिल की ओर चल पड़ा। रावण बुर्जुग को लेकर भीड़ भाड से दूर जंगल की ओर चल दिया। कुछ दूर जाने के बाद एक सुनसान जगह गाड़ी रोका फिर अपने आदमियों को साथ ले जंगल की ओर चल दिया। कुछ दूर अदंर जानें के बाद रावण ने बुजुर्ग को धक्का दे गिरा दिया फिर दो नली बंदूक बुजुर्ग के सिर पे टिका बोला…क्यों रे हरमी तुझे जान प्यारा नहीं जो दादा भाई को हमारे साजिश के बारे में बताने जा रहा था।

बुजुर्ग डर के मारे थर थर कांपने लगा। मुंह जो अब तक सिला हुआ था अचानक खुला फिर बुजुर्ग बोला…मालिक मुझे माफ़ कर दो मैं भूल कर भी ऐसा नहीं करूंगा मुझे बख्श दो।

रावण…बख्श दू तुझे हा हा हा हा मैं कलियुग का रावण हूं मुझमें दया नाम कि कोई चीज नहीं हैं। हां हां हां हां हां

ढिसकाऊऊऊ एक गोली चला फ़िर वादी में एक मरमाम चीख गूंजा और सब शान्त हों गया फिर रावण बोला…चलो रे लाश को पहाड़ी से नीचे फेंक दो जंगली जानवर खाकर भूख मिटा लेगा ।

रावण के आदमियों ने शव को उठाया और कुछ दूर जा पहाड़ी से नीचे खाई में फेक दिया फिर उस जगह को अच्छे से साफ कर दिया फिर चल दिया।

रघु कुछ वक्त कार चलाने के बाद एक स्कूल के अदंर कार रोका और चल दिया एक पेड़ कि ओर जहां बच्चे बैठे हुए थे। रघु बच्चों को पढ़कर दोपहर दो बाजे तक घर पहुंच गया। इस वक्त महल में सब खाना खा कर आराम कर रहे थे। रघु भी खान खाकर आराम करने चला दिया।

आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यह तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Jahan ham Rajender ko credit den ge samaj sevak hone kaa wahan Raghu ka bhi kaary sarahanjanak he ke wo bagher kissi lalach ke ghareeb bcahon ko shiksha de raha he….

Raghu kee ragon ke andar Rajendar ka khoon he iss liye uss ne lalkaar diya he in ghundon ko… lekin jahna wo bahadur he waheen masoom bhi he… ke apne chacha ki baton mein aagaya he…

Shandaar kahani… shabd darshaa rahe hein umdaa likhni… lekhak ki…
 
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Jahan ham Rajender ko credit den ge samaj sevak hone kaa wahan Raghu ka bhi kaary sarahanjanak he ke wo bagher kissi lalach ke ghareeb bcahon ko shiksha de raha he….

Raghu kee ragon ke andar Rajendar ka khoon he iss liye uss ne lalkaar diya he in ghundon ko… lekin jahna wo bahadur he waheen masoom bhi he… ke apne chacha ki baton mein aagaya he…

Shandaar kahani… shabd darshaa rahe hein umdaa likhni… lekhak ki…

Bahut Bahut dhnyvad

Putr ke prtyek kary ka credit pita aur mata ko hi jata hai kyuki vohi uski prtham guru ya sikhshak hota hai aur raghu ka man saf hai isliye vo chacha pe bharosha kar liya
 
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Update - 5


समय अपने गति से चल रहा था। समय के गति के साथ साथ सभी के जीवन से एक एक कर दिन काम होते जा रहे थे। रावण खुद के रचे साजिश को ओर पुख्ता करने में लगा हुआ था। चाैसर की विसात बिछाए एक एक चाल को सावधानी से चल रहा था। रावण के बिछाए बिसात में पत्नि और बेटा मुख्य पियादा था। अपस्यु को बाप के बनाए रणनीति की जानकारी नहीं था इसलिए बाप जैसा कह रहा था वैसा ही व्यवहार कर रहा था। लेकिन सुकन्या को पति के रणनीति की जानकारी थी। जानकारी होते हुऐ भी भुल कर रहा था। न जाने क्यूं सुकन्या ऐसा कर रही थी न जानें सुकन्या के मन में क्या चल रहा था। रावण को आभास हो रहा था सुकन्या जान बूझ कर कर रही हैं। इसलिए दोनों में मत भेद हों जाया करता था जो कभी कभी झगड़े का रूप भी ले लेता था। कुछ दिन के मन मुटाव के बाद दोनों में सुलह हों जाया करता था। सुलह इस शर्त पर होता की सुकन्या मन मुताबिक सभी से व्यवहार करेंगी। थोडी टाला मटोली के बाद रावण सहमत हों जाया करता।

पिछले कुछ दिनों से राजेंद्र कुछ ज्यादा ही परेशान था। करण सिर्फ राजेंद्र जनता था। सुरभि ने कई बार पुछा पर राजेंद्र टाल दिया करता था। सुरभि भी जानने को ज्यादा जोर नहीं दिया। क्योंकि राजेंद्र सुरभि से छुपना पड़े ऐसा कोई काम नहीं करता था। धीरे धीर राजेंद्र की चिंताए बढ़ने लगा जो सुरभि से छुपा न रहा सका इसलिए सुरभि जानना चाहा तो इस बार भी राजेंद्र ने टाल दिया जिससे सुरभि भी चिंतित रहने लग गया। सुरभि को चिन्तित देख राजेंद्र से रहा न गया। इसलिए पुछ लिया।

राजेंद्र…सुरभि पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं तुम कुछ परेशान सी रहने लग गई हों। बात क्या हैं? मुझे बता सकती हों।

सुरभि...यही सवाल तो मुझे आप से पुछना था।

राजेंद्र…तुम्हारा मतलब क्या हैं? तुम पुछना क्या चाहती हों?

सुरभि…सीधा सा मतलब हैं आप पिछले कुछ दिनों से अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार कर रहें हों। क्या आप मुझे बता सकते हों ऐसा क्यो?

राजेंद्र…तुम कैसे कह सकती हों मैं अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार कर रहा हूं। तुम्हे कोई भ्रम हुआ होगा।

सुरभि…मुझे कोई भ्रम नहीं हुआ मैं देख रही हूं आप पिछले कुछ दिनों से चिड़चिड़ा हों गए हों बिना करण गुस्सा कर रहे हों। कोई बात हैं जो अपको अदंर ही अदंर खाए जा रहा हैं जिससे आप के चहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रहा हैं।

राजेंद्र…अब तो ये पक्का हो गया हैं। तुम भ्रम का शिकार हों गई हों। इसलिए मैं तुम्हें चिंतित और चिड़चिड़ा दिखाई दे रहा हूं।

सुरभि...सुनिए जी आप सभी से छुपा सकते हों, पर मुझसे नहीं हमारे शादी को बहुत समय हों गया हैं। इतने सालो में मैं आप'के नस नस से परिचित हों गयी हूं इसलिए आप मुझे सच सच बता दीजिए नहीं तो मैं आप'से रूठ जाऊंगी। आपसे कभी बात नहीं करूंगी।

राजेंद्र…ओ तो तुम मुझसे रूठ जाओगी। लेकिन ऐसा तो कभी हुए ही नहीं मेरी एक मात्र धर्मपत्नी मुझ'से रूठ गई हों।

सुरभी…आप मुझे बरगलाने की कोशिश न करें मैं आप'की बातो में नहीं आने वाली इसलिए जो आप छुपा रहे हों सच सच बता दीजिए।

राजेंद्र…ओ हों देखो तो गुस्से में कैसे गाल गुलाबी हों गया हैं। सुरभि तुम्हारे गुलाबी गालों को देख तुम पर बहुत प्यार आ रहा हैं। चलो न थोडा प्यार करते हैं।

इन दोनों की बातों को कोई सुन रहा था। हुआ ऐसा की रावण रूम से बाहर आया नीचे आने के लिए सीढ़ी तक पंहुचा ही था की सुरभि को राजेंद्र से बात करते हुए देख लिया, पहले तो रावण को लगा दोनों नार्मल बाते कर रहे होंगे लेकिन जब सुरभि बार बार राजेंद्र से जानने पर जोर दे रहीं थीं। और राजेंद्र बात को टालने की कोशिश कर रहा था। ये देख रावण का शक गहरा हों गया। इसलिए रावण जानना चाहा, राजेंद्र इतना टाला मटोली क्यों कर रहा था। इसलिए रावण छुप कर दोनों की बाते सुनने लग गया।

राजेंद्र की बातों को सुन सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर शर्मा कर नजरे झुका लिया, एकाएक ध्यान आया राजेंद्र भटकने, मन बदलने के लिए ऐसा बोल रहा हैं तब सुरभि झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली...आप को मुझ पर, न प्यार आ रहा हैं, न ही आप मुझ'से प्यार करते हों। आप झूठ बोल रहें हों, झूठे प्यार का दिखावा कर रहें हों,आप झूठे हों।

राजेंद्र…ओ हों सुरभि देखो न गुस्से में तुम्हारे गाल गुलाबी से लाल हों गए हैं अब तो मुझे तुम पर ओर ज्यादा प्यार आ रहा हैं। मन कर रहा हैं तुम्हारे लाल लाल गालों को चबा जाऊं।

पति की बाते सुन सुरभि मुस्करा दिया फ़िर मन ही मन बोली…आज इनको हों क्या गया? मुझसे प्यार करते हैं जताते भी हैं लेकिन आज ऐसे खुले में जरूर कुछ बात हैं जो मुझसे छुपाना चाह रह हैं इसलिए खुलेआम प्यार जाता रहें हैं जिससे मैं झांसे में आ जाऊं और जानें की कोशिश न करू। वहा जी आगर ऐसा हैं तो मैं जानकर ही रहूंगी। जानने के लिए मुझे क्या करना हैं? मैं भली भाती जानती हूं।

पति की परेशानी कैसे जानना हैं इस विषय पर सोच सुरभि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया। पत्नी को मुस्कुराते देख राजेंद्र बोला…क्या सोच रहे हों और ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हों?

सुरभि…आप यह पर प्यार करेंगे किसी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे इसलिए मैं सोच रहीं थी जब आप का इतना मन हों रहा हैं तो क्यों न मैं भी बहती गंगा में हाथ धो लू। चलो रूम में चलते हैं फिर आपको जितना प्यार करना हैं कर लेना।

राजेंद्र…हां हां क्यों नहीं चलो न देरी किस बात की फिर मन में बोला…अच्छा हुआ सुरभि उस बात को भुल गई नहीं तो आज मुझ'से सच उगलवा ही लेती जिसे मैं छुपाना चाहता हूं।

राजेंद्र सोच रहा था सुरभि जो जानना चाहती थी उस बात को भुल गई लेकिन राजेंद्र यह नहीं जानता की सुरभि उससे बात उगलवाने के लिए ही उसके बात को मान गयी। रावण जो छुप कर दोनों की बाते सुन रहा था वो भी सोचने पर मजबूर हो गया...लगता हैं दादा भाई का किसी ओर महिला के साथ संबंध हैं जिसका पाता भाभी को लग गया होगा। शायद उसी बारे में भाभी पुछना चाहती हों और दादाभाई बचने के लिऐ टाला मटोली कर रहे हों। चलो अच्छा हैं अगर यह बात हैं तो मेरा काम ओर आसान हों जायेगा करने दो इनको जो करना हैं। मैं चलता हूं ।

रावण छुपते हुए निकलकर वापस रूम में चला गया। सुरभि उठकर मस्तानी चाल से चल दिया। राजेंद्र भी पीछे पीछे चल दिया। सीढ़ी से ऊपर जाते वक्त सुरभि कमर को कुछ ज्यादा ही लचका रही थी। चाल देख लग रहा था कोई हिरनी मिलन को आतुर हों, विभिन्न मुद्राओं में चलकर साथी नर को अपनी ओर आकर्षित कर रही हों।

राजेंद्र भी खूद को कब तक रोक कर रखता सुरभि की लचकती कमर और मादक अदा देख मोहित हों गया और चुंबक की तरह खींचा चला गया सुरभि सीढ़ी से ऊपर पहुंचकर पलटा राजेंद्र की ओर देख, उंगली से इशारे कर जल्दी आने को कहा, सुरभि को इशारे करते देख राजेंद्र जल्दी जल्दी सीढ़ी चढ ऊपर पहुंच गया। सुरभि जल्दी जल्दी राजेंद्र को ऊपर आते देख कमर को ओर ज्यादा लचकते हुए चल दिया, कमरे के पास पहुंच कर रूक गई फिर पलट कर सोकी और कामुक नजरों से राजेद्र को देखा। सुरभि के हाव भाव देख राजेंद्र मन ही मन बोला….आज सुरभि को हों क्या गया? मन मोहिनी अदा से मुझे क्यों आकर्षित कर रही है? कामुक नजरों से ऐसे बुला रहीं हैं जैसे हमारा मिलन पहली बार हों रहा हों लेकिन जो भी हों आज सुरभि ने शादी के शुरुवाती दिनों को याद दिला दिया।

सुरभि मंद मंद मुस्कुराते हुए दरवजा खोल अदंर जा'कर खड़ी हो गई। राजेंद्र कमरे में प्रवेश करते ही, सुरभि को देख मंत्र मुग्ध हो गया। कमर को एक तरफ बाहर निकल, ऊपरी शरीर को एक ओर झुका, एक हाथ कमर पर रख दूसरे हाथ से केशो को खोल पीछे से सामने की ओर ला रही थीं। सुरभि को इस मुद्रा में देख राजेंद्र के तन में जल रहा काम अग्नि ओर धधक उठा। राजेंद्र धीरे धीरे सुरभि की ओर कदम बढ़ाता गया। सुरभि उसी मुद्रा में पलटकर राजेंद्र को देखा उसी मुद्रा में पलटने से सुरभि के भौगोलिक आभा ओर ज्यादा निखर आया। जिसे देख राजेंद्र "aahaaaa" की आवाज निकाला फिर बोला… सुरभि लगता हैं आज जान लेने का विचार बना लिया हैं।

सुरभि होटों को दांतो से कटते हुए कामुक आवाज में बोली.... जान कौन किसकी लेगा बाद में जान जाओगे। आगे बढ़ने से पहले दरवजा अच्छे से बंद कर दीजियेगा नहीं तो हमे एक दूसरे की जान लेते किसी ने देख लिया तो जवाब देना मुस्किल हों जायेगा।

राजेंद्र पलटकर दरवजा बंद कर कुंडी लगा दिया फिर आगे बढ़ सुरभि के कमर में हाथ डाल अपनी ओर खींच चिपका लिया फिर सुरभि के गर्दन को झुकाकर एक चुम्बन अंकित कर दिया। जिससे सुरभि का बदन सिहर उठा और मूंह से एक मादक ध्वनि "ऊंऊंऊं अहाहाहा" निकला। आवाज में इतनी मादकता और कामुक भाव था कि राजेंद्र हद से ज्यादा काम विभोर हों सुरभि के गर्दन, कंधे पर चुम्बन पे चुम्बन अंकित किए जा रहा था। हाथ को आगे ले सुरभि के पेट को सहलाते हुए ऊपर की ओर ले जानें लगा। सुरभि एक हाथ राजेंद्र के हाथ पर रख उसके हाथ को आगे बढ़ने से रोक दिया। रुकावट का असर ये हुआ राजेंद्र ओर ज्यादा ललायित हो हाथ को बाधा से मुक्त करने लगा गया। राजेंद्र की सभी कोशिशों को सुरभि ने विफल कर दिया। विफलता से विरक्त हों राजेंद्र बोला…सुरभि मुझे क्यो रोक रहीं हों? तुम्हारे रस से भरी गागर में मुझे डूब जाने दो तुम्हारे जिस्म की जलती अग्नि में,मुझे भस्म हो जानें दो।
मेरे तन में जलती ज्वाला को बुझा लेने दो।

सुरभि समझ गई पति के मुंह से बात उगलवाने का वक्त आ गया l इसलिए सुरभि पलटकर राजेंद्र से चिपक गई फिर गले में बांहों का हर डाल दिया फिर बोली…अगर आप'को तन की ज्वाला बुझानी हैं तो मैं जो पूछू सच सच बता दिजिए फिर जितनी बुझानी हैं बुझा लेना नहीं तो आप'के तन कि अग्नि ऐसे ही जलता हुआ छोड़ दूंगी।

राजेंद्र...ahaaa सुरभि ये बातो का समय नहीं हैं चलो न बिस्तर पर काम युद्ध को शुरू करते हैं।

राजेंद्र कहकर सुरभि के सुर्ख होटों को चूमना चाहा लेकिन सुरभि होटों पर उंगली रख दूसरे हाथ से धक्का दे राजेंद्र को खुद से दुर कर दिया फ़िर सोकी से बोली…काम युद्ध बाद में पहले वार्ता युद्ध हों जाएं।

राजेंद्र हाथ पकड़ सुरभि को खीच लिया फिर खुद से चिपका कमर को कसकर पकड़ लिया फिर बोला…सुरभि मुझसे मेरे तन की ज्वाला सहन नहीं हों रहा इसलिए पहले जिस्म में जलती अंगार को ठंडा कर लूं फिर जो तुम पूछना चाहो पूछ लेना।

सुरभि…मेरे जिस्म में भी अंगारे दहक रहें हैं। मैं भी मेरे जिस्म में जल रही अंगारों को बुझाना चाहती हूं। इसलिए मैं जो पूछती हूं सच सच बता दो फिर दोनों अपने अपने जिस्म की ज्वाला बुझा लेंगे।

राजेंद्र कई बार प्रयास किया असफलता हाथ लगा। करण सुरभि मन बना चूका था जब तक राजेंद्र सच नहीं बता देता तब तक आगे नहीं बढ़ने देगा। आखिर सुरभि ने इतना प्रपंच सच जानने के लिए ही किया था। इतना ज्यादा रोका टोकी राजेंद्र से बर्दास्त नहीं हुआ इसलिए खीसिया गया फिर बोला...सुरभि तुम अपने पति को रोक रहीं हों। तुम जानती हों मैं अपने मन की इच्छा पूर्ण करने के लिए तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती से जो मुझे करना हैं कर सकता हूं।

राजेंद्र की बाते सुन सुरभि खुद को राजेंद्र से अलग कर थोड़ दूर खड़ी हो गई फिर बोली…आप एक मर्द हो और मर्द अपने मन की करने के लिए किसी भी औरत के साथ जोर जबरदस्ती कर सकता हैं। जो करना हैं आप भी मेरे साथ कर लिजिए लेकिन आप'के ऐसा करने से मेरे मन को कितना ठेस पहुंचेगा अपको जरा सा भी इल्म हैं।

सुरभि के बोलते ही राजेंद्र को ज्ञात हुआ, अभी अभी उसने क्या बोला जिससे सुरभि का मन कितना आहत हुआ। सुरभि के दिल को कितना चोट पहुंचा। राजेंद्र के जिस्म में जो काम ज्वाला धधक रहा था पल भर में सुप्त हों गया और राजेंद्र का मन ग्लानि से भर गया। इसलिए राजेंद्र सुरभि के पास आ सफाई देते हुए बोला…सुरभि मुझे माफ कर दो मैं काम ज्वाला में भिभोर हो खुद पर काबू नहीं रख पाया, जो मेरे मन में आया बोल दिया।

सुरभि की आंखे नम हों गईं थीं। सुरभि जाकर बेड पर बैठ गई फिर नम आंखो से राजेंद्र की ओर देख बोली…इसे पहले भी न जानें कितनी बार आप को तड़पाया था लेकिन आप'ने कभी ऐसा शब्द नहीं कहा, कहते हुए जरा भी नहीं सोचा मैं आप की पत्नी हूं मेरे साथ जोर जबरदस्ती करके खुद को तो शांत कर लेंगे। लेकिन आप के ऐसा करने से मेरे मन को मेरे तन को कितना पीढ़ा पहुंचेगा।

राजेंद्र...सुरभि हां मैं मानता हु इससे पहले भी तुमने मेरे साथ ऐसा अंगिनत बार किया हैं जिससे हम दोनों को अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुआ था लेकिन मैं पिछले कुछ दिनों से परेशान था। आज जब तुमने बार बार मना किया तो मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया और जो मन में आया बोल दिया अब छोड़ो न इन बातों को और मुझे माफ कर दो।

सुरभि…आप के परेशानी का करण जानें के लिए ही तो मैं आप'को बहका रही थीं सोचा था आप को तड़पाऊंगी तो आप तड़प को मिटाने के लिए मुझे परेशानी का करण बता देंगे लेकिन आप ने जो कहा उसे सुनकर आज मैं धन्य हों गई। जिसे जीवन साथी चुना वह अपनें इच्छा को पूर्ण करने के लिए मेरे साथ जोर जबरदस्ती भी कर सकता हैं।

राजेंद्र…kyaaaa तुम उन बातों को जानने के लिए ही सब कर रहीं थीं जो मेरे परेशानी का करण बाना हुआ हैं। सुरभि तुमने सोच भी कैसे लिया मैं तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती करके खुद को शान्त करुं लूंगा। सुरभि मैं हमेशा तुम्हारे मन का किया हैं। जब तुम्हारा मन हुआ तभी मैंने तुम्हारे साथ प्रेम मिलाप किया हैं।

सुरभि…हां मैं जानती हूं अपने हमेशा मेरा मान रखा हैं। मैंने भी आप'को कभी निराश नहीं किया। आप'के इच्छाओं को समझकर प्रेम मिलाप में खुद की इच्छा से आप'का संयोग किया लेकिन आज पूछने पर आप सच बताने को राजी नहीं हुए तो सच जानें के लिए मुझे ये रास्ता अपना पड़ा लेकिन मेरे अपनाए इस रस्ते ने आप'के मन में छुपी भावना से मुझे अवगत करा दिया। जिसके साथ मैं इतने वर्षों से रह रहीं हूं जिसके सभी सुख दुःख का साथी रही हूं। वह आज मेरे साथ जोर जबरदस्ती करके शारीरिक सुख पाना चाहता हैं।

राजेंद्र…सुरभि मैं जानता हूं जोर जबर्दस्ती से सिर्फ शारीरिक सुख पहुंचता हैं और मन मस्तिष्क को पीढ़ा पहुंचता हैं। मैं यह भी समझ गया हूं मेरे कहें दो शब्द जो सुनने में साधारण हैं लेकिन उसी शब्द ने मेरे प्रियतामा जो हमेशा मेरे बिना कहे मेरे इच्छाओं का ध्यान रखती आई हैं। मेरे परिवार को जोड़कर रखने की चेष्टा करती आई हैं उसके मन को बहुत चोट पहुंचा हैं और मुझसे रूठ गया हैं अब तुम ही बताओ तुम्हें मानने के लिए मैं क्या करूं?

सुरभि…मुझे मानने के लिए आप को कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। आप वही करिए जिसके लिए आप को भड़काया था। शान्त कर लिजिए अपने तन की ज्वाला मिटा लिजिए आप की पिपासा।

सुरभि के कहते ही राजेंद्र हाथ बढ़ा सुरभि के कमर पर रख दिया फिर धीरे धीरे सहलाते हुए पेट पर लाया फ़िर नाभी के आस पास उंगली को घूमने लग गया जिससे सुरभि के तन में सुरसुरी होने लग गया। सुरभि निचले होंठ को दांतों के नीचे दबा चबाने लग गई और इशारे कर माना करने लग गईं। सुरभि के बदलते भाव और माना करते देख राजेंद्र बोला…मैं अपनी प्यास मिटा लूंगा तो मेरी सुरभि जो मुझसे रूठी हुई हैं मान जायेगी। बोलों सुरभि!

सुरभि हां न कुछ भी नहीं बोला बस राजेंद्र को देखने लग गई। नाभी के आस पास सहलाए जाने से सुरभि का हाव भाव बदलने लग गया। सुरभि के बदलते हाव भाव देख राजेंद्र हाथ को धीरे धीरे ऊपर की ओर सरकाने लग गया। सरकते हाथ का अनुभव कर सुरभि ने आंखे बन्द लिया फिर धीर धीरे मदहोश होने लग गई। सुरभि को मदहोश होता देख राजेंद्र थोड़ ओर नजदीक खिसक गया फ़िर हाथ को सुरभि के उभारों की ओर बढ़ाने लग गया। उभारों की ओर बढ़ते हाथ को महसूस कर सुरभि आंखें खोल दिया फिर राजेंद्र के हाथ को रोक कर बोला… हटो जी आप न बहुत बुरे हों। पत्नी रूठा हैं उसे मानने के जगह, बहका रहें हों।

राजेंद्र…मुझे तो पत्नी को मानने का यहीं एक तरीका आता हैं जो मेरे लिए कारगर सिद्ध होता हैं अब तुम ही बता दो ओर क्या करूं जिससे मेरी बीवी मान जाए।

सुरभि…बीबी को मनाना हैं तो उन बातों को बता दीजिए जिसे जानने के लिए आप की बीबी ने इतना कुछ किया लेकिन फायदा कुछ हुआ नहीं बल्कि बात रूठने मनाने तक पहुंच गया।

राजेंद्र…इसकी क्या गारंटी हैं जानने के बाद मेरी बीवी रूठ कर नहीं रहेगी
मान जाएगी।

सुरभि…रूठ कर रहेगी या मान जाएगी ये जानने के बाद ही फैसला होगा। आप बीबी को मना रहे हों इसलिए आप शर्त रखने के स्थिति में नहीं हों।

राजेंद्र…सुरभि मैं जिन बातों को छुपा रहा था उसके तह तक पहुंचने के बाद तुम्हें बताना चाहता था। लेकिन अब तुम्हें मनाने के लिए तह तक पहुंचने से पहले ही बताना पड़ रहा हैं।

सुरभि…आप जिस बात की तह तक पहुंचना चाहते हों। क्या पता बताने के बाद उस बात की तह तक पहुंचने में मैं आप'की मदद कर सकती हूं।

राजेंद्र…अरे हां मैं तो भूल ही गया था। मेरे जीवन में एक नारी शक्ति ऐसी हैं जो सभी परेशानियों से निकलने में हमेशा सहायक सिद्ध हुआ हैं।

सुरभि…ज्यादा बाते बनाने से अच्छा जो पूछा हैं बताना शुरू कीजिए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

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Ravan aur Sukayna ke beech ho rahi khit phit iss baat ki or ishara karti he ke dono ki nature kitni ghatiya he… Ravana saazish ko kaamyab karne me laga huaa he…

Wow… kaya khoobsurat nok jhok he pati patni ki… Rajder ka payar apni patni ke liye aur uss se bhi badh kar uss ke liye respect… adhbut likhni… kaya shabd hein bro…

Wow kaamuk kaary ne tau aag hi laga di he poore kamre mein… atti uttam… kabhi aage badhna phir ruk jana… shabd hein kea ag ke gole… bro sach mein behtreen update…
 

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