Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Ye gadi khadi kyu hai kya aapki shadi ho gayi sir ji :D
Abhi nahi huyi hai jab ho jayegi tab bata dunga. Bas kuch technical problem ke karan gadi station 🚉 pe ruk gayi hai lekin jaldi hi use green signal 🚦 milne wala hai aur yaha gadi sucharu roop se chal padegi.
 
R

Red Skull

[Mod]
Dear readers lusty web par post hone wala yah mera pahla kahani hai. Mai koyi lekhak nehi hu bas kuch jane mane lekhako ki kahani ko padkar jo shavd mere mastishk me panpa unko rachna ka roop de kar aap sabhi readers ke samne pesh kar raha hu. Mere kahani me koyi bhi sex scen nehi hoga. Yah kahani parivarik gathnao par adharit hai. Jisme apko parivarik man mitao, apsi ranjish, perm ka mila jula bhav darshya jayega. Atah mai ummid karta hu aap sabhi readers dusre writers ko jitna support karte hai utna hi mera bhi support karenge pahla sham tak post kar dunga
[/Mod]
:congrats: FOR NEW STORY
 
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Kya story ko suru kiya jaye ya phir hamesha ke liye close kar diya jaye?
 
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Update - 1


पहाड़ी घटी में बसा एक गांव जो चारों ओर खुबसुरत पहाड़ियों से घिरा हुआ हैं। गांव के चौपाल पर एक जवान लड़का पुलिसिया जीप के बोनट पर बैठा था। लड़के के पीछे दो मुस्टंडे, हाथ में दो नाली बंदूक लिए मुस्तैदी से खड़े थे। दोनों इतने मुस्तैदी से खड़े थे कि थोडा सा भी हिल डोल होते ही तुरंत एक्शन में आ'कर सामने वाले को ढेर कर दे। उनके सामने एक बुजुर्ग शख्स हाथ जोड़े खड़ा था। शख्स के पीछे कईं ओर लोग हाथ जोड़े घुटनों पर बैठ थे। सभी डर से थर थर कांप रहे थें। सबको कांपते हुए देखकर लड़का अटाहास करते हुए बोला…क्यों रे मुखिया सुना है तू कर भरने से मना कर रहा था।

मुखिया जो पहले से ही डर से कांप रहे थे। अब तो उससे बोला भी नहीं जा रहा था। परिस्थिती को भाप कर मुखिया समझ गया कुछ नहीं बोला तो सामने खडे मुस्टंडे पल भर में उसके धड़ से प्राण पखेरू को आजाद करे देंगे और कुछ गलत बोला तो भी पल भार में उसके शरीर को जीवन विहीन कर देंगे। इसलिए मुखिया वाणी में शालीनता का समावेश करते हुए बोला….माई बाप हम'ने अपना सभी कर भर दिया हैं। आप ओर कर मांगेंगे तो हम बाल बच्चों को क्या खिलाएंगे उन्हें तो भूखा रखा पड़ेगा। कुछ रहम करे माई बाप हममें ओर कर भरने की समर्थ नहीं हैं।

मुखिया की बातों को सुनकर लड़का रूखे तेवर से बोला….जो कर तुम लोगों ने भरा वह तो सरकारी कर था। मेरा कर कौन भरेगा? तुम्हारे बाल बच्चे मरे या जिए मुझे कोई लेना देना नहीं, तुम्हें कर भरना ही होगा कर नहीं भरा तो मुझसे रहम की उम्मीद न रखना।

लड़के की बातों को सुन मुखिया सोच में पड गया अब बोले तो क्या बोले फिर भी उसे बोलना ही था नहीं बोला तो उसके साथ कुछ भी हों सकता था। इसलिए मुखिया डरते डरते बोला….माई बाप इस बार बागानों से उत्पादन कम हुआ हैं। सरकारी कर भरने के बाद जो कुछ भी हमारे पास बचा हैं उससे हमारे घर का खर्चा चला पाना भी सम्भव नहीं हैं ऐसे में आप ओर कर भरने को कहेंगे तो हमारे घरों में रोटी के लाले पड़ जायेंगे।

मुखिया की बातों को सुन लड़का गुस्से से गरजते हुए बोला…सुन वे जमीन पे रेगने वाले कीड़े मेरा नाम अपस्यू राना है। मैं कोई तपस्वी नहीं जो मुझ'में अच्छे गुणों का भंडार होगा या मैं अच्छा कर्म करुंगा इसलिए मैं तुम सभी को कल तक का समय देता हूं। इस समय के अदंर मेरा कर मुझ तक नहीं पहुंचा तो तुम्हारे घर की बहू बेटियो के आबरू को नीलाम होने से नहीं बचा पाओगे।

बहु बेटियो के आबरू नीलाम होने की बात सुन मुखिया असहाय महसूस कर रहा था। घर की मान सम्मान बचाने का एक ही रास्ता दिखा, वह हैं अपस्यू की बातों को मान लेना। इसलिए मुखिया दीन हीन भाव से बोला…माई बाप हमे कुछ दिन का मौहलत दे दीजिए हम कर भर देंगे।

मुखिया की बाते सुन अपस्यू हटाहास करते हुए बोला….तुम्हें मौहलात चाहिए दिया, जितनी मौहलत चाहिए ले लो लेकिन जब तक तुम कर नहीं भर देते तब तक अपने घरों से रोज एक लड़की एक रात की दुल्हन बनाकर मेरे डाक बंगले भेजते रहना। फ़िर साथ आए साथियों से बोला…चलो रे सभी गाड़ी में बैठो नहीं तो ये कीड़े मकोड़े मेरे दिमाग़ का गोबर बाना अपने आंगन को लीप देंगे। सुन वे मुखिया कल तक कर पहुंच जाना चाहिए नहीं तो जितना देर करेगा उतना ही अपने बहु बेटियो की आबरू लुटवाता रहेगा और एक बात कान खोल कर सुन ले यह की बाते राना जी के कान तक नहीं पहुंचना चाहिए नहीं तो तुम सभी जान से जाओगे और तुम्हारे बहु बेटियां अपनी आबरू मेरे मुस्टांडो से नुचबाते नुचबाते मर जाएंगे।

अपस्यू साथ आए मुस्टांडो को ले'कर चला गया। उसके जाते ही बैठें हुए भीड़ में से एक बोला….मुखिया जी ऐसा कब तक चलेगा। हमे कब तक एक ही कर को दो बार भरना पड़ेगा। ऐसा चलाता रहा तो एक दिन हमे जमीन जायदाद बेचना पड़ जायेगा।

मुखिया…शायद जीवन भर इस पापी से अपने घरों की मन सम्मान बचाने के लिए एक कर को दो बार भरना पड़ेगा।

"हम कब तक अपश्यु और उसके बाप का जुल्म सहते रहेंगे। हम राजा जी को बोल क्यों नहीं देते।"

मुखिया….अरे ओ भैरवा तू बावला हों गया हैं सुना नहीं ये पापी क्या कह गया। यहां की भनक राजाजी की कानों तक पहुंचा तो दोनों बाप बेटे हमें मारकर हमारे बहु बेटियों के आबरू से तब तक खेलते रहेंगे जब तक हमारी बहु बेटियां जीवित रहेंगी।

भैरवा…मुखिया जी हमने अगर इस पापी की मांग पुरा किया तो हम भूखे ही मर जायेंगे।

मुखिया….ऐसा कुछ भी नहीं होगा। हर महीने महल से राजाजी हमारे भरण पोषण के लिए जो अनाज, कपडे और बाकी जरूरी सामान भिजवाते हैं। उससे हमारा गुजर बसर चल जाएगा। अब तुम सब जाओ और कल इस पापी तक उसका कर पहूचाने की तैयारी करों।

सभी दुखी मन से अपने अपने घरों को चल देते हैं। मुखिया भी उनके पीछे पीछे चल देते हैं। दूसरी ओर पहाड़ की चोटी पर बना आलीशान महल जिसकी भव्यता को देखकर ही अंदाजा लग जाता हैं। यह रहने वाले लोगों का जीवन तमाम सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होगा। महल के अदंर राजेंद्र प्रताप राना बेटे को बुला रहें थें। आवाज में इतनी गरजना था मानो कोई बब्बर शेर वादी को दहाड़ कर बता रहा हों। मैं यह का राजा हूं। बाप की गर्जना भरी आवाज सुन रघु थार थार कांपने लग गया। मन में सोचा जाए की न जाएं, नहीं गए तो पापा कहीं नाराज न हों जाएं इसलिए कुछ साहस जुटा रूम से बाहर आया फिर पापा के सामने जा खडा हों गया। उससे खडा भी नहीं होया जा रहा था हाथ पैर थार थार कांप रहे थे। रघु से बोला भी नहीं जा रहा था फ़िर भी लड़खड़ाते जुबान से बोला….अपने बुलाया पापाजी।

बेटे को कांपते देख और लड़खड़ाती बोली सुन राजेंद्र बोला….हां मैंने बुलाया लेकिन तुम ऐसे कांप क्यों रहे हों। जरूर तुम'ने कुछ गलत किया होगा। बोलों तुमने ऐसा क्या किया जो तुम्हें मेरे सामने आने में इतना डर लग रहा हैं।

रघु कुछ न बोला चुपचाप खड़ा रहा। रघु को बोलता न देख वहां बैठे रघु की मां सुरभि बोली….रघु बेटा तू मेरे पास आ, आप भी न मेरे बेटे को हर बार डरा देते हों। राजपाठ चाली गईं लेकिन राजशाही अकड़ अभी तक नहीं गई।

रघु चुपचाप मां के पास जा'कर बैठ गया। राजेंद्र पत्नी की बात सुन मुस्कुराते हुए बोला…अरे सुरभि राजपाठ भले ही न रहा हों लेकिन राजशाही हमारे खून में हैं। खून को कैसे बदले वो तो अपना रंग दिखायेगा ही।

सुरभि बेटे का सिर सहलाते हुए बोली...खून रंग दिखाना हैं तो घर से बाहर दिखाओ। आप के करण मेरा लाडला बिना कोई गलती किए ऐसे डर गया जैसे दुनियां भर का सभी गलत काम इसने किया हों। आप खुद ही देखो कैसे कांप रहा हैं इससे तो बोला भी नहीं जा रहा था।

सुरभि की बाते सुन राजेंद्र के चहरे पर आया हुआ मुस्कान ओर गहरा हों गया फिर राजेंद्र अपने जगह से उठ, बेटे के पास जाकर बैठते हुए बोला…रघु मैं तेरा दुश्मन नहीं हूं मैं ऐसा इसलिए करता हूं ताकि तू रह भटक कर गलत रस्ते पर न चल पड़े। तुझे ही तो आगे चलकर यह की जनताओं का सुख दुःख का ख्याल रखना हैं। जब तू कुछ गलत करता ही नहीं, तो फिर डरता क्यों हैं। मैं तेरा बाप हूं। अपना फर्ज निभाऊंगा ही। हमेशा एक बात का ख्याल रखना अगर तूने कुछ गलत नहीं किया तो बिना डरे बिना झिजके साफ साफ लावजो में बात करा कर। तेरा डरना ही मेरे मन में शक पैदा करता हैं तूने कुछ तो गलत किया होगा।

रघु कुछ कहा नहीं सिर्फ हां में सिर हिला दिया। बेटे को असहज देख राजेंद्र रघु के सिर पर हाथ फिरा मुस्कुरा दिया। बाप को मुस्कुराता देख रघु भी मुस्कुरा दिया। फ़िर धीरे धीर खुद को सहज कर लिया। रघु को मुस्कुराते देख सुरभि बोली….सुनिए जी आप अभी से मेरे बेटे पर काम का बोझ न डाले अपको कितनी बार कहा हैं आप मेरे लाडले को दहाड़ कर न बुलाया करे। अगली बार अपने मेरे लाडले को दहाड़ कर बुलाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

दुलार और बचाव के पक्ष में बोलते देख रघु पूर्ण सहज होकर मुस्करा दिया। बेटे को मुस्कुराते देख राजेंद्र बोला….मुझे दाना पानी बंद नहीं करवाना हैं। इसलिए रानी साहिबा जी आप'की बातों का ध्यान रखूंगा।

राजेंद्र जी की बाते सुन सुरभि बनावटी गुस्सा करते हुए बोली….अच्छा तो मैं आप'का दाना पानी बंद कर देती हूं। अब आना दाना चुगने दाने के जगह कंकड़ परोस दूंगी।

राजेंद्र ….जो भी परोसो मैं उससे ही अपना पेट भरा लूंगा, पेट भरने से मतलब हैं। क्या परोसा जा रहा हैं क्या नहीं इसकी छान बीन थोडी न करना हैं।

दोनों में प्यार भारी नोक झोंक चलता रहता हैं। मां बाप के झूठी तकरार को देख रघु बोला….मां पापा मैं जान गया हूं यह सब आप मेरे लिए ही कर रहे हैं। अब आप दोनों अपनी झूठी तकरार बंद कीजिए और मुझे बताइए अपने क्यों बुलाया कुछ विशेष काम था?

राजेंद्र….कुछ विशेष काम नहीं था मैं तो तुम्हारे साथ मसकारी करना चाहता था इसलिए बुलाया था।

सुरभि…अपका मसखरी करना मेरे बेटे पर कितना भारी पड़ता हैं आप'ने देखा न, मेरा लाडला कितना सहम गया था। आप को कितना कहा लेकिन आप हों की सुनते नहीं बे वजह मेरे बेटे को डरते रहते हों।

रघु…मां आप फिर से शुरू मत हों जाना मैं बच्चों को पढ़ाने जा रहा हूं। मेरे जानें के बाद आप'को पापा से जितना लड़ना हैं लड़ लेना।

ये कह रघु उठकर चल दिया सुरभि बेटे को आवाज दे रही थीं लेकिन रघु बिना कोई जवाब दिए चला गया। रघु के जाते ही राजेन्द्र बोला….सुरभि रघु को जानें दो हम अपने नोक झोंक को आगे बढ़ाए बेटा भी तो यही कह गया हैं।

सुरभि उठकर जाते हुए बोली… अभी मैं दोपहर की खाने की तैयारी करवाने जा रहीं हूं आप'से बाद में निपटूंगी।

सुरभि उठकर कीचन की और चल दिया। राजेंद्र आवाज दिया, सुरभि मुड़कर राजेंद्र को बोली... अभी नोकझोक करने का मेरा मूड नहीं हैं जब मुड़ होगा बहुत सारा नोक झोंक करूंगा।

राजेंद्र... जब तुम्हारा मुड़ नहीं हैं तो मैं यहां क्या करूंगा मैं भी कुछ काम निपटा कर आता हुं।

सुरभि मुस्कुराते हुई कीचन की और चल दिया फिर राजेंद्र रूम से कुछ फाइल्स लेकर चला गया।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। पहला अपडेट कैसा रहा बताना न भूलिएगा।

Bravo!!! dhansu start... pehle bhaag se hi Lekhak ne apni kalaa kaa level bata diya he...

Apasu ke roop mein aik takat ke nashe mein mast... buraa insaan...

Doosri taraf... Raghu ki surat mein.... achhe subhaav ka... apne Mata Pita kaa roop... wo zaroor aage chal kar yeh saabit kare gaa... ke ... yadi mata pita bachpan se hi apne bachho ko sathik soch vichar tatha sathik raah dikhaye, sathik anushaasan mein Koyi kami na aane de to aulad kabhi apne sachhayi aur achhayi ke maarg nahi bhatakega... virashat mein jo achhe soch vichar mile hai ushe apne aage aane wale pidiyo ko bhi sikhaya jayega...

Issi tarah Apasu kaa vayvahaar drshata he ke uss ka pita kessa ho ga...

Shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan.... Kaya bunna he kirdaaro ko start se hi aik badi kahani jis ke kayi pehlu hon ge...

Padhte samay aessa laga jesse ki kirdaar ankhon ke saamne bhumika nibha rahe ho....

aage dekhte hein kaya hone jaa raha he... :yourock: :yourock:
 

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