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Rat 9 ya10 baje tak next update post karta hoonIntezaar agle update ke liye
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OkayRat 9 ya10 baje tak next update post karta hoon
ye ravan to sach mein ravan nikla..somlata ke pati ko to jaan se maar diya, upar se somlata ke suhag ko chinne ke baad , somlata dhamki bhi di ki agar wo rajendra ke paas kuch bhi batane ko gayi to jaan se maar dega uske puri pariwar ko..Update - 11
रात्रि भोजन का समय हों रहा था दार्जलिंग से कोसो दूर एक घास फूस की बनी झोपड़ी में तीन लोग जिसमे दो महिलाएं और एक जवान लड़का जमीन पर बिछावन बिछाए भोजन कर रहें थे। भोजन करते हुए जवान लड़का बोला…मां हम अपना घर वार अपने लोगों को छोड़कर इतनी दूर इस अंजान जगह पर कब तक रहेगें।
सोमलता...कमलेश तू इतना न समझ तो हैं नहीं जो कुछ भी समझ नहीं पा रहा हैं हम क्यों अपना बसेरा छोड़ इस अंजान जगह सिर छुपाने को मजबूर हुए।
कमलेश…मां मैं सब समझ रहा हु। लेकिन हम कब तक अंजान जगह पर रहेगें और कब तक डर के छाएं में जीते रहेगें हम राजा जी से मिलकर उन्हें बता क्यों नहीं देते।
सोमलता निवाला बनाकर मुंह में ले रही थीं। कमलेश की बातों को सुनकर निवाला वापस थाली में रख दिया फिर बोली…कमलेश तूने सुना था न राजा जी के भाई रावण ने किया कहा था। उसने तेरे बापू को मार दिया मेरा सुहाग उजड़ दिया तेरे सिर से बाप का छाया छिन लिया और धमकी भी दिया अगर हम में से किसी ने राजा जी से मिला या उनको कुछ भी बताया तो वो हम सब को मार देगा। मैं कैसे जीते जी अपने परिवार को उजड़ते हुए देख सकती हूं।
कमलेश…मां मैंने सुना था लेकिन मेरे समझ में नहीं आ रहा हैं उस कमीने रावण ने बापू को मरा क्यों और हमे राजा जी से मिलने को मना किया फिर गांव छोड़कर दूर जानें को कहा मुझे लगाता हैं आप कुछ जानते हों अगर आप जानती हों तो मुझे बता दो।
सोमलता…बेटा ये एक राज हैं जो तेरे बापू जानते थे ओर अब मैं जानता हूं जो तेरे बापू मरने से कुछ दिन पहले मुझे बताया था। ये राज रावण से जुड़ा हैं इसलिए रावण ने तेरे बापू को मार दिया और हमे धमका कर गांव से भगा दिया।
कमलेश…मां ये राज रावण से जुड़ा हैं तो हमें राजा जी को बता देना चाहिए था न की ऐसे कायरों की तरह मुंह छुपा कर भाग आना चाइए था।
सोमलता…हम भाग कर नहीं आते तो रावण जैसा धूर्त और क्रूर आदमी जिसके अदंर दया का लेस मात्र भी भाव नहीं हैं। मेरे वंश का समूल नाश कर देता ।
कमलेश…मां रावण के जुल्म को हम कब तक सहते रहेंगे, किसी न किसी को उसके खिलाफ आवाज़ तो उठाना ही होगा। आप मुझे वो राज बता दो जिसके कारण पिता जी को मार दिया गया और हमे अपना घर अपना माटी छोड़ने पर मजबुर किया गया।
सोमलता…वो राज मेरे छीने मे दफन हैं और हमेशा हमेशा के लिए दफन रहेगा।
कमलेश…मां जिस राज के कारण मेरे सिर से बाप का छाया उठ गया। उस राज को जानने का हक मुझे हैं।
सोमलता…बेटा जानने का हक तुझे हैं लेकिन वो राज बता कर मैं ओर कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती। इसलिए तू जिद्द न कर ओर चुप चाप खाना खा।
कमलेश…मां आप राज बताना नहीं चाहती तो मत बताओ मैं आप'से जिद्द नहीं करूंगा। लेकिन मैं आप'को एक बात साफ़ साफ़ कह देता हूं। जिसके कारण मेरे बाप की मौत हुआ। उस रावण से बाप के मौत का बदला मैं लेकर रहूंगा।
कमलेश की बात सुनकर सोमलता अचंभित हों गईं। सोमलता मुंह में अभी अभी निवाला ढाला था जो उसके गाले में अटक गई जिससे उसे धसका लग गया ओर सोमलता खांसने लग गई। मां को खंसते देखकर कमलेश पानी का गिलास आगे बढाकर सोमलता को दिया फिर जा'कर सोमलता के पीठ को सहलाने लग गया। सोमलाता दो घुट पानी पिया पानी पीने के कुछ देर बाद ही सोमलता की खासी कम हो गया। तब कमलेश बोला…मां आप ठीक हों न।
सोमलता…अभी तो ठीक हू लेकिन लगाता है ज्यादा दिन तक ठीक नही रहूंगी।
कमलेश…मां क्या कह रहीं हों आप भली चांगी तो हों फिर कोई दिक्कत हैं तो कल ही डॉक्टर के पास ले'कर चलता हूं।
सोमलता…डॉक्टर के पास जानें की जरूरत नहीं है बस तू बदला लेने की बात दिमाग से निकल दे फिर मुझे कुछ नहीं होगा।
कमलेश…तो किया मैं वह सब भूल जाऊ जो हमारे साथ हुआ। मां मैं नहीं भूल सकता न ही भुल पाऊंगा। मैं जब तक बदला नहीं ले लेता तब तक मैं चैन से नहीं बैठ पाऊंगा।
सोमलता…कमलेश मैं तुझे भूलने को नहीं कह रहा हूं क्योंकि मैं खुद नहीं भुला सकती हूं। मैं बस इतना कहना चाहती हूं तू जिन लोगों से बदला लेना चाहता हैं वो लोग बहुत ताकतवर हैं तू अकेले उनका कुछ नहीं बिगड़ सकता। इसलिए तू बदले की भावना को छोड़ दे।
कमलेश…मां आप एक बात भूल रहीं हों हाथी दुनियां के बड़े जीवों में से एक हैं और ताकतवर भी हैं लेकिन चींटी जैसा एक छोटा जीव जब उसके नाक में घुसता हैं तो हाथी से तांडव करवा कर अपनी मौत मरने पर मजबूर कर देता हैं।
सोमलता…बेटा मैं जानता हूं लेकिन तु ये क्यों भुल रहा हैं। चींटी का हाथी से
तांडव करवाने के कारण बहुत से निरीह प्राणी को नुकसान पहुंचता हैं। इसलिए तू रावण जैसे धुर्त व्यक्ति से टकराने का विचार त्याग दे ओर जो हों गया उसे भूल कर बिखरी हुईं हमारी जिन्दगी को संवारने मे लग जा।
कमलेश…मां रावण धुर्त हैं जुल्मी हैं। उसने बहुत से निरीह लोगों पर जुल्म किया हैं। उसके जुल्मों को बहुत सह लिया लेकिन अब नहीं उसके जुल्मों का प्रतिकार होना चाहिए। किसी एक ने विरोध किया तो देखना कड़ी से कड़ी जुड़ता चला जायेगा फिर लोगों का हुजूम उसके विरोध में खड़ा हों जायेंगे।
सोमलता…रावण के जुल्मों का प्रतिकार बहुत से लोग करना चाहते हैं लेकिन हिम्मत नहीं जूठा पा रहे हैं क्योंकि रावण के जुल्मों का प्रतिकार करने के लिए उसके जैसा धुर्त होना होगा और उससे एक कदम आगे चलना होगा तभी रावण को मात दिया जा सकता हैं।
कमलेश…मैं रावण जीतना धुर्त नहीं हूं लेकिन मेरा आत्मबल बहुत ज्यादा हैं और आत्मबल से बडे़ से बडे़ बाहुबली को भी मत दिया जा सकता हैं।
सोमलता...तेरा आत्मबल इस वक्त बड़ा हुआ हैं इसमें कोई दो राय नहीं हैं लेकिन जिस रस्ते पर तू चलना चाहता हैं वह जीत की उम्मीद कम और हार की ज्यादा हैं ओर जब बर बर पराजय का सामना करना पड़ेगा तब आत्मबल ख़ुद वा ख़ुद काम हों जायेगा।
कमलेश…मां मेरा आत्मबल कभी कम नहीं होगा। मैं धीर्ण संकल्प के साथ आगे बढूंगा ओर रावण को मात दे'कर रहूंगा।
सोमलता…तूने बदले की रस्ते पर चलने का फैसला ले लिया तो मैं तुझे नहीं रोकूंगा। तू आगे बढ़ने से पहले मेरे और तेरी गर्ववती बीबी के बारे में सोच लेना क्योंकि तुझे कुछ हों गया तो हम बेसहारा हों जायेंगे।
कमलेश…ठीक हैं मां कुछ भी करने से पहले मैं अच्छे से विचार कर लूंगा।
दोनों मां बेटे के बीच तर्क वितर्क खत्म हुआ फिर सोमलता हाथ धो'कर विस्तार पर जा'कर लेट गई। कमलेश की बीबी झूठे बर्तन उठाकर धोने ले गई। कमलेश भी उसके पीछे पीछे गया और बर्तनों को धोने में मदद करने लग गया । बर्तन धुलने के बाद दोनों पति पत्नी सोने गए लेटकर कामलेश बोला…संध्या रावण से बदला लेने का जो फैसला मैंने लिया हैं। तुम्हें क्या लगता हैं मैने सही फैसला लिया हैं।
संध्या…आप एक बेटे का फर्ज निभा रहे हैं तो आप'का लिया फैसला गलत कैसे हों सकता हैं।
कमलेश…एक बेटे की नजरिए से मेरा लिया फैसला सही हैं। लेकिन एक पति और होने वाले बाप की नजरिए से क्या मैंने सही फैसला लिया हैं?
संध्या…मैं सिर्फ़ खुद के और हमारे आने वाले बच्चे के बारे में सोचूं तो आप'का लिया हुआ फैसला गलत होगा। लेकिन उन लोगों के बारे में सोचूं जो रावण का अत्याचार सह रहे हैं तो आप'का लिया हुआ फैसला सही हैं इसलिए आप अपने फ़ैसले पर अडिग रहे।
कमलेश…सांध्य तुम जो कह रहीं हों वो सही हैं और मां जो कह रहे थे वो भी सही हैं इसलिए मैं समझ नहीं पा रहा हु मै करू तो क्या करूं।
संध्या…आप इस वक्त असमंजस की स्थिति में हों इसलिए आप इस वक्त कोई निर्णय न लें तो बेहतर ही होगा।
कमलेश…ठीक हैं संध्या मैं इस मुद्दे पर अच्छे से सोच समझकर फैसला लुंगा।
संध्या...हां यहीं सही होगा। अब सो जाइए।
अगले दिन पुष्पा कॉलेज जानें की तैयारी कर निचे आई। नीचे सुरभि और राजेंद्र बठे अखबार में छपे आज के घटनाओं का जायजा ले रहे थे। उनको अखबार पढ़ते देखकर पुष्पा बोली…मां मैं कॉलेज जा रही हूं आप लोग चाहो तो कहीं घूम आओ।
सुरभि…हमे अभी कहीं जाना हैं वह का काम निपटाकर हमे दार्जलिंग वापस जाना हैं।
वापस जानें की बात सुनकर पुष्पा उदास हो गई फ़िर बोली…मां अपने तो कहा था आप दो तीन दिन रुकने वाले हैं फिर अचानक जानें की बात क्यों कर रहें हों। मां बस आज रूक जाओ कल चले जाना।
सुरभि…बेटा तुम्हारे पापा को दार्जलिंग का काम भी देखना होता हैं इसलिए हमे जाना पड़ेगा।
पुष्पा…मां एक दिन रुकने से कोई आफ़त नहीं आ जायेगी फिर भी अगर आप जाना चाहती हों तो जाओ मैं नहीं रोकूंगी।
इतना कहकर पुष्पा पैर फटकते हुए बहार निकाल गई ओर सुरभि आवाज देती रह गई पर पुष्पा रुकी ही नहीं, पुष्पा के जानें के बाद राजेंद्र बोला…हमारे जानें की बात बोलने की क्या जरूरत थीं। खमाखा मेरी लाडली को नाराज कर दिया। सुरभि तुमने अच्छा नहीं किया।
सुरभि…अच्छा मैंने सही नहीं किया तो क्या आप रुक जाते?
राजेंद्र…मेरे लिए मेरी बेटी की खुशी सबसे बड़ी हैं। उसकी खुशी के लिए मुझे एक दिन क्या दस दिन भी रुकना पड़ेगा तो मैं रुकने के लिए तैयार हूं।
सुरभि…तो क्या मुझे मेरी लाडली की खुशी प्यारी नहीं हैं मेरे लिए मेरी बेटी की इच्छाएं सबसे अधिक मायने रखती हैं। मैं तो बस आप'के काम को सोचकर बोल रही थीं।
राजेंद्र…इस बहस को यह विराम देते हैं ओर जल्दी से तैयार हो'कर पुष्पा के कॉलेज चलते हैं नहीं तो मेरी लाडली का आज का दिन खराब हों जाएगा।
दोनों तैयार होकर पुष्पा के कॉलेज को चल दिया। इधर पुष्पा खराब मूढ़ के साथ कॉलेज पहुंच गईं, कही मन नहीं लगा तो क्लास में जा'कर बैठी ही थी। तभी एक लड़का क्लास में आया, पुष्पा को गुमसुम बैठा देखकर बोला…क्या हुआ पुष्पा? गुमशुम क्यों बैठी हैं।
पुष्पा…मुझे कुछ नहीं हुआ मैं ठीक हू। आशीष तुम कैसे हो?
आशीष…मैं बिल्कुल ठीक हूं लेकिन मेरी जानेमन का मूड कुछ उखड़ा उखड़ा लग रहा हैं। बताओ न बात किया हैं?
पुष्पा…तुम्हारे जानेमन का आज कॉलेज में मन नहीं लग रहा हैं। इसलिए मुड़ उखड़ा उखड़ा हैं।
आशीष…ऐसा हैं तो बोलों तुम्हारा मुड़ कैसे सही होगा। तुम्हारा मुड़ सही नहीं हुआ तो मेरा भी आज का दिन खराब हों जाएगा। पुष्पा चलो घूम कर आते हैं।
पुष्पा…मेरा कहीं जानें का मन नहीं हैं। जहां जाना हैं तुम अकेले ही जाओ।
आशीष…इतनी खुबसूरत गर्लफ्रेंड को छोड़कर मैं अकेले क्यों जाऊंगा। बोलों न बात किया हैं जो तुम्हरा मुड़ उखड़ा उखड़ा हैं।
पुष्पा…कल मां और पापा आए हैं और आज ही जानें की बात कर रहें हैं इसलिए मेरा मूड खराब हैं।
आशीष बेखयाली में बोला…ओ मेरे होने वाले ससुरा और सासु मां आए हैं। बेखयाली में आशीष क्या सुना और क्या बोला ध्यान नहीं दिया जब ध्यान दिया तो चौंककर बोला…क्या तुम्हारे मम्मी पापा आए हैं तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया मैं आज कॉलेज ही नहीं आता उन्होंने आगर मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो मेरा क्या हाल करेंगे मुझे ही नहीं पता।
पुष्पा…तुम उनके नाम से इतना क्यो डर रहे हों वो कॉलेज थोड़ी न आने वाले इतना डरोगे तो मेरे पापा से मेरा हाथ कैसे मांग पाओगे।
आशीष…कैसे न डरूं तुम्हारे पापा ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो वो कहेंगे मेरी राजकुमारी की ओर देखने की दुस्साहस कैसे किया चल तुझे शूली पर लटका देता हूं। मुझे शूली पर नहीं लटकना, मुझे तुम्हारे साथ शादी करके बची हुई जिंदगी जीना हैं।
पुष्पा…मेरे साथ बाकी की जिन्दगी जीने की इच्छा रखते हों फ़िर भी मेरे बाप से इतना डरते हों। मेरे बाप से इतना डरोगे तो मेरे साथ जिन्दगी जीने का सपना देखना छोड़ दो।
आशीष…ऐसी बाते करके मेरा दिल न दुखाओ मैं तुम्हारे बगैर जीने की सोच भी नहीं सकता। मैं तुम्हारे साथ जीने की सपने को साकार होते हुए देखना चाहता हूं।
पुष्पा…सपना हकीकत तब बनेगा जब तुम पापा से मेरा हाथ मांगोगे वरना तुम्हारा सपना और हमारा प्यार अधूरा रह जाएगा।
आशीष…कोई अधूरा बधुरा नहीं रहेगा। तुम्हारा हाथ मैं क्यों मांगने जाऊंगा तुम्हारा हाथ तो मेरे मां बाप मांगने जायेंगे। अच्छा छोड़ो इन बातों को तुम्हारा मुड़ सही करने के चाकर में मेरा ही सिर भरी हो गया चलो कुछ वक्त बहार टहलकर आते हैं।
दोनों बाहर आ'कर गार्डन में बैठे बाते करने लग गए। राजेंद्र और सुरभि दोनों कॉलेज पहुंचे फिर पुष्पा से मिलने के लिए प्रिंसिपल के ऑफिस की ओर चल दिया। दोनों गार्डन से हो'कर जा रहे थें तभी राजेंद्र की नजर गार्डन में बैठी पुष्पा पर पड़ गया। पुष्पा के साथ बैठे लड़के को देखकर राजेंद्र सुरभि को कोहनी मार कर पुष्पा की ओर दिखाया। पुष्पा की हाथ पकड़कर आशीष कुछ कहा रहा था।ये देखकर सुरभि मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर राजेंद्र को देखा फ़िर पुष्पा की ओर चल दिया पुष्पा के पास पहुंच कर राजेंद्र कड़क मिजाज में बोला…पुष्पा तुम कॉलेज पढ़ने आते हों या लडको से बतियाने। तुम ऐसा करोगे मैंने कभी सोचा नहीं था।
पापा को सामने देखकर पुष्पा सकपका गई। क्या बोले समझ नहीं पा रही थीं। बस मूर्ति बाने ऐसे खड़ी हों गई मानो जान ही न हों ओर आशीष की आशिंकी उड़ान छूं हों गया। हाथ पाओ थर थर कांपने लग गया। जैसे अभी अभी भूकंप आया हों ओर जमीन पर मौजुद सभी चीजों को हिलने पर मजबूर कर दिया हो। दोनों का हल देखकर राजेंद्र और सुरभि को हंसी आने लगा लेकिन खुद को रोककर राजेंद्र कड़े तेवर में बोला…ये लड़का तू भाग यह से मुझे तुझसे कोई शिकवा नहीं हैं। मुझे तो मेरी बेटी से शिकवा हैं। जो भी पुछना हैं पुष्पा से पूछूंगा। जो भी कहूंगा पुष्पा को कहूंगा।
पापा ने इतना ही कहा था कि पुष्पा की आंखे डबडबा गई। चहरे से लग रहा था। अब रो दे तब रो दे। पापा से नज़रे मिलाने की हिम्मत पुष्पा नहीं कर पा रही थीं। आशीष एक नज़र पुष्पा की ओर देखा फ़िर पुष्पा का हाथ पकड़ लिया। आशीष की ओर देख पुष्पा इशारे से हाथ छोड़ने को कहा लेकिन आशीष हाथ नहीं छोड़ा बल्कि ओर कस'के पकड़ लिया। हाथ छुड़ाने के लिए पुष्पा कलाई को मरोढने लग गई। दोनों की हरकतों को देखकर राजेंद्र बोला…ये लड़के पुष्पा का हाथ क्यों पकड़ रखा हैं? छोड़ उसका हाथ ,बाप के सामने बेटी का हाथ पकड़ते हुऐ तुझे डर नहीं लग रहा।
राजेंद्र के कहने पर भी आशीष हाथ नहीं छोड़ा बस नजर निचे की ओर रखकर बोला…आप'के सामने पुष्पा का हाथ पकड़ा इससे आप'को बुरा लगा हों, तो मुझे माफ़ कर देना। मैं पुष्पा से बहुत प्यार करता हूं। पुष्पा का हाथ छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा जिन्दगी में चाहें कैसा भी मोड़ आए मैं पुष्पा का हाथ ऐसे ही पकड़े रहना चाहता हुं।
आशीष की बाते सुनकर पुष्पा आशीष को एक टक देखने लग गईं । सुरभि और राजेंद्र को आशीष की बाते सून मुस्कुराने का मन किया पर मुस्कुराए नहीं बस आस पास नज़रे घुमा कर देखा फिर राजेंद्र बोला…देखो बहुत से लोग हमारे ओर ही देख रहे हैं इसलिए तुम पुष्पा का हाथ छोड़ो और अपने क्लॉस में जाओ।
आशीष फिर भी पुष्पा का हाथ नहीं छोड़ा न ही पुष्पा को छोड़कर गया ये देख सुरभि बोली…बेटा कम से कम हमारे उम्र का लिहाज करके हमारी बात मान लो।
सुरभि के कहते ही आशीष पुष्पा का हाथ छोड़ दिया ओर पुष्पा को इशारे से साथ चलने को कहकर चल दिया। चुप चाप नज़रे झुकाए पुष्पा भी आशीष के पीछे पीछे चल दिया। दोनो को जाते हुए देखकर राजेंद्र मंद मंद मुस्करा दिया फ़िर राजेंद्र और सुरभि प्रिंसिपल के ऑफिस ओर चल दिया । कुछ वक्त प्रिंसिपल से बात करने के बाद राजेंद्र और सुरभि कॉलेज से चले गए। पुष्पा और आशीष क्लास में पहुंचे ओर अपने अपने सीट पर बैठ गए। पुष्पा के दिमाग में अभी हुई घटनाएं घूम रहा था। तो पुष्पा सोच में ही घूम थी ये देख अशीष बोला...पुष्पा क्या सोच रहीं हों?
पुष्पा…मुझे डर लग रहा हैं। जो नहीं सोचा था आज वो हों गया। अब मैं पापा का सामना कैसे करूंगा पापा ने आज जिस तरीके से मुझसे बात किया ऐसे कभी बात नहीं किया था।
आशीष…जो हुआ अच्छा ही हुआ एक न एक दिन उनको पाता चलना ही था तो आज ही चल गया।
पुष्पा…पाता तो चलना ही था लेकिन ऐसे पाता चलेगी मैंने सोचा नहीं था मैं आज खुद को उनके नजरों में गिरा हुआ महसूस कर रही हूं। पाता नहीं मां और पापा मेरे बारे में क्या सोच रहे होगे।
आशीष…जो सोच रहें हैं वो तो बाद में पाता चल ही जाएगा। इस बरे में अभी सोचकर हम क्यों सर दर्द ले हम एक दूसरे से प्यार करते हैं। ऐसे ही प्यार करते रहेगें चाहे कुछ भी हों जाए।
आगे इन दोनों में कुछ ओर बाते हो पता उससे पहले ही क्लास में टीचर आ गया इसलिए दोनों बातों को विराम देकर क्लास में ध्यान देने लग गए।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे, साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
ye ravan to sach mein ravan nikla..somlata ke pati ko to jaan se maar diya, upar se somlata ke suhag ko chinne ke baad , somlata dhamki bhi di ki agar wo rajendra ke paas kuch bhi batane ko gayi to jaan se maar dega uske puri pariwar ko..
Sach mein ravan ka aatank itna tha ki kamlesh aur somlata gaon chhodke jana para.
Well... ab kamlesh ko jaise bhi karke jaanna hai us raaz ko jo somlata ke sine mein dafan hai... lekin somlata mana kar deti thi bataane se har baar ...
waise kamlesh ne pran le liya hai ki kaise bhi karke by hook or crook ravan se badla leke hi rahega
Wohi dusri taraf college mein gumsum si khoyi huyi thi pushpa.... aur behad udash bhi thi kyunki rajendra aur surbhi ghar wapas jaane wale the....
Ashish bhi ushe samjhane ki koshish ki...
Waise ye baat kisiko bhi pata nahi hoti hai ki jindagi mein kab kounsa twist aa jaaye, kounsa surprise mil jaaye ... waise kayi baar aise twists ya surprises unaccepted hota hai aur shocking bhi
Jaise puspa sapne bhi nahi soch hoga ki uske parents yun achanak college aa jayenge.. wo bhi uske aur uski premi ke saamne...
Natak hi sahi lekin jis tarah rajendra aisi ki taisi ki un dono...Padhke bada bada maza aaya
puspa ki to dar maare band baj gayi.. ab kaise nazren milayegi apne papa se ...
Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills![]()
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Wel abhi to bas chai ke sath namkin aa rahi hai bas...चाय बनते ही तीन काफ में चाय डाला और कुछ नमकीन एक प्लेट में डालकर चाय का काफ एक प्लेट में रखकर उठा लिया, सुरभि नमकीन की प्लेट उठा लिया फिर दोनों आ'कर चाय और नमकीन रखकर बैठ गए