Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

Will Change With Time
Moderator
8,722
16,968
143
Update - 17

दलाल का इलाज हों चुका था। डॉक्टर उसके होश में आने का वेट कर रहे थे। होश में आते ही डॉक्टर ने थाने फोन कर बता दिया। दो पुलिस के ठुल्ले आए। जिनमे एक इंस्पेक्टर और एक हवलदार था। उनके छीने पर लगे बिल्ला पर एक का नाम अटपटे और दूसरे का नाम झटपटे लिखा हुआ था। दोनों आए ओर डॉक्टर के केबिन में ऐसे घुस गए जैसे उनका ससुराल हों ओर अपने लुगाई को लेने आए हों। डॉक्टर उनको देखकर…आइए आइए सर अपना तसरीफ कही पर भी टीका लीजिए।

हवलदार झटपटे को डॉक्टर का मजाकिया अंदाज पसंद नही आया, अपना एक फिट का डंडा लहराते हुए बोला…साहब जी लगता हैं इस व्हाइट कोर्ट वाले का किसी ने चालान नहीं काटा आप कहो तो खाता खतौनी निकलकर इसके नाम का एक पर्चा फाड़ दूं।

अटपटे…तू भी न झटपटे! जब देखो झटपट अंदाज में काम करने लग जाएगा। पहले ऊंट को पहाड़ के नीचे आने दे फिर फर्चा काट देना। अभी हम इनकी पहाड़ी के नीचे आए हैं। ऐसा न हों ये हमारा ही पर्चा कांट दे।

Ahhhhh Ahhhhh Ahhhhh तीनों साथ मे हंस दिया। तीनों के हंसने का तरीका बता रहा था। एक दूसरे की टांगे जोरों से खींचा जा रहा हैं। खींचा तानी के बाद अटपटे बोला…डॉक्टर जल्दी से बोल क्यों बुलाया था। बहुत काम हैं आज बीबी ने सोने का नेकलेश मांगा हैं उसका खर्चा पानी भी निकालने जाना हैं।

डॉक्टर…कल आप जैसे दो वर्दी धारी एक विचित्र प्राणी को छोड़ गए थे। उसको होश आ चुका हैं। इसलिए बुलाया था।

झटपटे...आई ला डॉक्टर तुझे सकल वकल याद रहता की नहीं,हम जैसे नहीं हम ही छोड़ गए थे उस कुटे हुए प्राणी को, चल अब हमे भी मिलवा दे, पुछूं तो किस छत्ते में हाथ डाल मधु निकालने गया था।

डॉक्टर के केबिन से निकलकर तीनों एक वार्ड में गए। जहां मरीजों से ज्यादा उनके तीमारदारो का भीड़ लगा हुआ था। इतनी भीड़ देखकर झटपटे बोला…आई ला ये हॉस्पिटल हैं या मछली बाजार। चलो वे सब अपना अपना थोबड़ा और पिछड़ा बाहर लेकर जाओ।

खाकी वर्दी देख ओर बाते सुन "आ गए ठूल्ले ठुल ठुलाते हुई।" बोलते हुए सभी एक एक कर बाहर चले गए। तीनों आगे बढ़े ओर एक बेड के पास जाकर रुक गए। दलाल के दोनों हाथों में बाजू तक प्लास्टर लगा हुआ था। दोनों पैरों में भी जांघों तक प्लास्टर लगा हुआ था। सिर पे पट्टी और गालों पे पट्टियां चिपका हुआ था। मतलब दलाल पूरा सफेद पट्टी से पैक था। दलाल की दशा देखकर दोनों पुलिस वालों की हसीं छूट गया। हंसते हुए झटपटे बोला…आई ला ये तो आठवां अजूबा बन गया। साहेब मैं क्या कहता हूं हमे न वर्ल्ड रिकॉर्ड रखने वालो को बुला कर इसका नाम भी दर्ज करवा देना चाहिए मस्त फुटेला वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा।

अटपटे दलाल से पूछा…चल वे उजड़ा चमन बिगड़ा बदन अपनी आप बीती सुना किसने तुझे रुई की तरह धुन डाला।

दलाल बोला कुछ नहीं बस दर्द को सहते हुए दांत दिखा दिया। दलाल के सामने के चार दांत भी टूट गए थे। जो दिखने में वाहियात लग रहा था। बिना दांत के मुस्कुराते देख झटपटे बोला…ओय मुस्कुरा रहा हैं या डरा रहा हैं। दांत कहा छोड़ आया जा पहले दांत लेकर आ।

दलाल फिर भी कुछ नहीं बोला बस चुप रहा। तब झटपटे एक फुटिया डंडा दलाल के माथे पर टिकाकर बोला...सुना नहीं साहेब तेरा जन्म कुंडली पूछ रहें हैं। बता दे नहीं तो डंडे से तेरे सिर में एक ओर होल कर दूंगा फिर तू स्वर्ग की यात्रा पर निकल जायेगा।

दलाल मोटी मोटी आंखे बनाकर दोनों पुलिस वालों को देखने लग गया। लेकिन बताया कुछ नहीं एक बार फिर पूछा गया तब दलाल सोच समझकर बोला...सर मैं दार्जलिंग का रहने वाला हूं। पेशे से एक वकील हूं। यहां एक काम से आया था, न जाने किस'ने मुझे मारा मुझे कुछ पता नहीं ओर क्यों मारा ये भी नहीं जानता।

अटपटे…तू उन अनजान लोगों के खिलाफ चार्ज सीट दाखिल करवाना चाहता हैं तो बोल हम पूरी करवाई आगे बढ़ाते हैं।

दलाल…सर मैं भी एक वकील हूं ऐसे केस का क्या हाल होता हैं अच्छे से जानता हूं। इसलिए मुझे कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करवाना हैं। आप बस मुझे मेरे घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दीजिए।

दलाल के माना करने पर दोनों पोलिस वाले उसके घर का एड्रेस लेकर चले गए। दलाल उसी बेड पर पड़ा रह जाता हैं। तीन चार दिन बाद दलाल को हॉस्पिटल की एंबुलेंस से दार्जलिंग भेज दिया गया था। दलाल का बिगड़ा हाल देखकर उसकी दूसरी बीवी जी भरके शोक विलाप करने लग गई और तरह तरह की गलियां देने लग गई। लेकिन एक शख्स दलाल की अवस्था देखकर मन ही मन खुश हों रहा था ओर बोला…मर जाता तो अच्छा होता एक पापी तो दुनिया से कम हों जाता। इसका तो कुछ इलाज हों चुका हैं। उस रावण का कौन इलाज करेगा। इन दोनों की बुरी गत देखने के लिए ही तो इस दुनियां में अकेले जिए जा रहा हूं। हे ऊपर वाले मेरी विनती कब सुनेगा तूने आज तक मेरी सुना क्यों नहीं मेरा पुरा परिवार छीन गया तब भी तू चुप रहा। मेरे जैसे न जानें कितने लोगों ने अपनो को खोया हैं। तब भी चुप रहा अब तो किसी को भेज जो हमें इन दोनों पापी से मुक्ति दिलवाए।

वहा शख़्स कोई और नहीं दलाल का सबसे चहेता नौकर संभू ही था। संभू का एक हंसता खेलता परिवार हुआ करता था। जो रावण के जुल्मों का शिखर बना, शिकार तो संभू भी बना था लेकीन ऊपर वाले की दया दृष्टि के चलते बच गया। जिंदा बचने के बाद कुछ दिनों तक परिवार जनों के शोक में भूखा प्यासा यह वहां भटकता रहा।

ऐसे ही एक दिन भटकते भटकते रघु से टकरा गया रघु को उसके हाल पर दया आ गया। उसका इलाज करवाया रहने खाने पीने की व्यवस्था करके दिया। लेकिन सम्भू खुश नहीं था उसके अंदर प्रतिशोध की ज्वाला धधक रहा था। धधकती ज्वाला को शांत करने के लिए रावण से बदला लेने का निश्चय कर लिए।

लेकिन अकेले कर नहीं सकता था। इसलिए दूसरे लोगों से मदद लेने की सोचा, जिससे भी बात किया, मना कर दिया और कहा...हम जैसे जी रहे हैं हमें जीने दे हमारे किस्मत में रावण का आत्यचार सहना लिखा हैं। तो सह रहे हैं। तेरे आगे पीछे कोई नहीं हैं लेकिन हमारा भरा पुरा परिवार हैं। हमे कुछ हुआ तो उन्हें कौन देखेगा उनका भरण पोषण कौन करेगा। तू भी बदला लेने की भावना छोड़ कर बाकी बचे जीवन को खुशी खुशी जी।

लेकिन सम्भू पर उनके बातो का कोई असर न हुआ। अपने मकसद को पुरा करने के लिए अकेले डाटा रहा। गुपचुप तरीके से रावण पर नजर रखने लग गया। कई बार हमला करने की कोशिश भी किया लेकिन नाकाम रहा। रावण का पीछा करते करते एक दिन संभू ने जाना दलाल भी रावण के साथ सभी बुरे कामों में भागीदार हैं और सम्भू के परिवार के खात्मे के पीछे दलाल का भी हाथ हैं।

अब सम्भू के रडार में दलाल और रावण दोनों आ गए। दोनों पर एक साथ नजर रखना संभव नहीं था। इसलिए दलाल के घर नौकर बनकर आ गया। पहले तो दलाल ने माना कर दिया तब संभू ने एक पासा और फेक

"मैं आप'के यह मुफ्त में काम करूंगा मेरे आगे पीछे कोई नहीं हैं बस आप रहने और खाने पीने को दे देना।"

मुफ्त में मिल रहा नौकर कौन छोड़ देता, दलाल जैसा लोभी तो कभी नहीं छोड़ सकता था। इसलिए संभू को काम पर रख लिया। सम्भू ने दूसरा चाल चला, दलाल के दिल में जगह बनाना इस काम में सम्भू को बहुत वक्त लगा और आखिर कर दलाल को अपने लपेटे में ले ही लिया। सम्भू के निष्ठा भाव को देखकर दलाल उससे बहुत सी बातें शेयर करने लग गया था।

अपना मकसद वो ऐसा क्यों कर रहा था क्या पाना चाहता हैं। जिसे जानकर सम्भू जान गया जो कुछ भी रावण कर रहा था। दलाल को सब पता होता था, बिना दलाल से सलाह मशविरा के रावण कोई काम नहीं करता था। तब उसे लगा रावण और दलाल एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं।

सभी पाप कर्म जो रावण ने किया उसमे दलाल अप्रत्यक्ष रूप से भागीदर था। दलाल के साथ रहकर संभू को लगने लगा दलाल के दिमाग में कोई बहुत बड़ी साजिश चल रहा था जो अब तक किसी को पाता नहीं था इसलिए सम्भू उसके दिमाग में छुपी साजिश को जानने के लिए दलाल के साथ चाटुकारिता करने लग गया। लेकिन दलाल अपने भूत कल की कुछ बाते और भविष्य में क्या करने वाला था। सम्भू को अभी तक नहीं बताया था।

इधर महल में राजेंद्र और सुरभि के न होने से अचानक न जानें सुकन्या को क्या हुआ। सुकन्या का व्यवहार बादल गया। जब मन कर रहा था नौकरों को खरी खोटी सुना दे रहा था। सुकन्या के रडार में सबसे ज्यादा धीरा ही आ रहा था लेकिन धीरा भी एक नंबर का ढीट था उसे सुकन्या की बातों का कोई असर ही नहीं हो रहा था। धीरा सुकन्या को सबक सिखाने के लिए कुछ न कुछ करता रहता था। जिससे कई बार सुकन्या उसे खरी खोटी सुनने के साथ तप्पड़ भी जड़ दिया करता था। लेकिन धीरा ठहरा महा ढीट अपने करस्तानी करने से बाज़ नहीं आ रहा था।

रघु का इन सबसे कुछ लेना देना नहीं था बाप के न होने पर ऑफिस का कार्य भर मुस्तैदी से सम्भाल रहा था। इस काम में मुंशी और ऑफिस में काम करने वाले रघु की हेल्प कर रहें थे। रघु सुबह घर से निकल जाता और देर रात घर आ रहा था इसलिए उसे पाता नहीं होता, घर में हों किया रहा हैं।

काम करते हुऐ रघु कभी कभी बेचैन हों जाता था काम में मन नहीं लगता था रघु समझ नहीं पा रहा था। उसके साथ हों किया रहा था। उसका मन कर रहा था। कमला से ढेर सारी बातें करे उसके आस पास रहे लेकिन चाहकर भी रघु ऐसा नहीं कर पा रहा था। क्योंकि कमला का एग्जाम शुरू हों गया था। इसलिए रघु कमला को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था।

इधर कमला भी बेचैन रहने लगीं थी। सारा काम धाम छोड़ कर गुमसुम बैठी रहती थी। पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहीं थी। दोनों पहली नजर के आकर्षण की पीढ़ा से पीड़ित जो हों गए थे। बार बार एक दूसरे से मिलने की चाह दोनों के दिल में जग रहा था लेकिन किसी से कुछ कह नहीं पा रहे थे। इसलिए एक दूसरे से दिन में थोड़ा बहुत बातें करके मन को शांत कर ले रहे थें। पर रघु कुछ ज्यादा ही बेचैन रहने लग गया। जिसका असर काम पर भी पड़ने लग गया। रघु के मन में कमला से मिलने की तीव्र इच्छा होने लग गया। एग्जाम खत्म होने से एक दिन पहले ही रघु जरूरी काम बताकर कलकत्ता के लिए चल दिया।

रघु के घर से निकलते ही सुकन्या बोली...रघु आज फ़िर कलकत्ता जा रहा हैं। जेठ जी और सुरभि भी कब से कलकत्ता में हैं। आप'ने पूछा नहीं क्या बात हुआ हैं?

रावण...कुछ तो बात हैं नहीं तो दादा भाई इतने दिन तक कभी कलकत्ता नहीं रुके न जानें क्या बात हों गया।

सुकन्या…मेरी तो चलो सुरभि से बनती नहीं आप तो कम से कम पूछ सकते हों। पर अपने एक बार भी नहीं पूछा कैसे भाई हों।

रावण…सुकन्या तुम्हें कब से उनकी फिक्र होने लग गई।

सुकन्या मन ही मन में... फिक्र तो मुझे उनकी हमेशा रहती हैं। आप नहीं जानते दीदी के साथ बुरा सलूक कर मुझे कितनी तकलीफ होता हैं। न चाहते हुए भी मुझे दीदी के साथ बुरा सलूक करना पड़ता है। कहीं न कहीं इसकी वजह आप के साथ कोई ओर भी हैं जिसके कहने पर मुझे ऐसा करना पड़ रहा है।

रावण...क्या सोच रहीं हों?

सुकन्या...कुछ नहीं आप ऑफिस जाकर एक बार उनसे बात कर लेना।

रावण...बीबी ने कहा तो करना ही पड़ेगा। मैं ऑफ़िस जा रहा हूं देर हों रहा हैं।


इतना कह रावण ऑफिस जाने के लिए निकल गया। अपश्यु जब से डिंपल से मिला था तब से एक भी दिन कॉलेज जाना बंद नहीं किया था। डिंपल के साथ आंख मिचौली जो चल रहा था। दोनों लव बर्ड कही भी चोंच लडाने लग जाते थे। अपश्यू एग्जाम में बैठ तो रहा था। लेकिन पास होगा कि नहीं यह तो विधाता ही जानते थे। क्योंकि पढ़ाई तो वो करता नहीं था।

जब तक कॉलेज में रहता डिंपल के आगे पीछे घूमता रहता था। कॉलेज के बाद देर रात तक अपने डाक बंगले में बिताया करता था। कभी कभी आस पास के गांव में जा'कर लोगों को परेशान कर लिया करता था। बेवजह उनपर अत्याचार कर रहा था। जबरदस्ती उनके बहु बेटियो को उठवाकर ले जाता उनके आबरू के साथ खेलता फिर मन भर जानें पर अपने मुस्तांडो के हवाले कर देता था फिर देर रात अकेले घर को निकल जाता था। विंकट जो नज़र रख रहा था एक निपुण जासूस की तरह अपश्यु के एक एक गति विधि पर नजर बनाया हुआ था। अपश्यु के कारनामे देखकर विंकट भी सोचने लगा...कोई इतना कमिना कैसे हों सकता हैं। जो जबरदस्ती दूसरे की बहू बेटियो को उठाकर ले जाता, खुद भी नोचता और अपने साथियों से भी नूचबाता हैं।

ऐसे ही एक दिन डिंपल के बुलाने पर अपश्यु डिंपल से मिलने गया। दोनों एक पार्क में बैठें बाते कर रहें थें। बाते करते हुए डिंपल बोली...अपश्यु तुम मुझ'से सच में प्यार करते हों या सिर्फ टाईम पास करने के लिए मुझे gf बनाया।

अपश्यु...ये सवाल तो मैं भी तुम'से पुछ सकता हूं।

डिंपल नाखरे करते हुए बोली...मैंने पहले पूछा बताओ न तुम सच में मुझ'से प्यार करते हों कि नहीं!

अपश्यु...तुम नखरे बहुत करती हों पर तुम्हारा ये नखरा करना मुझे अच्छा लगता हैं। रहीं बात प्यार करने की तो तुम ही वो पहली लड़की हों जिसे देखकर मेरे दिल में एक अलग ही फीलिंग आया था। मैं समझ नहीं पा रहा हू ये प्यार वाली फीलिंग हैं या कुछ ओर, मुझे लगाता हैं शायद मैं तुम'से प्यार करने लगा हूं।

डिंपल मन में...अनुराग के कहने पर मैंने झूठा प्यार का खेल शुरू किया था पर अब मेरा भी फीलिंग तुम्हारे साथ रह रह कर बदलने लगा हैं। क्या करूं अपश्यु को सच सच बता दूं या नहीं…!

अपश्यु...क्या सोचने लग गई।

डिंपल...कुछ नहीं! चलो घर चले बहुत देर हों गया।

अपश्यु...ठीक हैं चलो।

दोनों पार्क से चल दिया पर डिंपल मन ही मन सोच रहीं थीं क्या करें क्या न करें जब कोई फैसला नहीं कर पाया तो खुद से ही बोली... अपश्यु इतना बूरा लड़का है जानते हुए भी मेरा फीलिंग उसे लेकर क्यों बदलने लगा। क्या करूं किससे बात kaarunnn? सुगंधा के पास जाती हूं। नहीं नहीं सुगंधा से बात किया तो वो मेरा मजाक उड़ाएगा फिर किस'से बात karunnn हां अनुराग से बात करता हूं। क्या पाता अनुराग ही कुछ बता पाए?

इधर विंकट अपने पास जुटाए खबर संकट को देने के लिए उससे मिलने गया। संकट उसे नहीं मिला तो वेट करने लग गया। संकट के आते ही थोड़े बहुत इधर उधर की बाते किया फिर मुद्दे पर आया…उस्ताद मेरी बात मानो तो आप अपश्यु से जितना हों सके दूर रहो।

संकट...ये अकाल के भिकारी क्या बोल रहा हैं? सोच समझ कर बोल नहीं तो अभी के अभी….!

विंकट…बस बस आगे बोलने की जरूरत नहीं हैं। मैं जानता हूं आप क्या बोलने वाले हों आप'को मेरे पिछाड़ी से इतनी नफरत क्यों हैं?

संकट...तू बात ही जलाने वाला करता हैं इसलिए घूम फिर कर मेरी सुई तेरी पिछाड़ी पर अटक जाता हैं। अब तू मुद्दे की बात बता नहीं तो आज तेरे पिछाड़ी की खैर नहीं।

विंकट...उस्ताद मुद्दे की बात ये हैं अपश्यु को हम जितना कमिना समझ रहें थें। अपश्यु उससे भी बड़ा कमिना हैं। साला दूसरे की बहू बेटी को जबरदस्ती उठा कर ले जाता हैं और उनका चिर हरण करता हैं। आस पास के गांव वालो पर बहुत अत्याचार करता हैं। लेकिन एक अच्छी खबर ये हैं अपश्यु का यहां से कुछ दूरी पर वीराने में एक डाक बंगला हैं। वह पर ही सभी घिनौना काम करता हैं फिर देर रात वह से अकेले घर जाता है। आप अपने काम को उसी वक्त ही अंजाम दे सकते हों।

संकट...ये तो अच्छी बात हैं ये बाता अपश्यु डाक बंगले कब कब जाता हैं और कितने देर तक रहता हैं।

विंकट...जाता तो रोज ही हैं लेकिन कुछ वक्त के लिए, जिस दिन आस पास के गांव से किसी की बहू बेटी को उठता हैं उस दिन रात को बहुत देर तक रुकता हैं।

संकट...दिल खुश कर दिया बहुत अच्छा काम किया इसके ईनाम में मैं तेरी पिछाड़ी से अपनी नज़र हटाता हूं।

विंकट…शुक्रगुजार हूं आप'का जो अपने ये इनायत मुझ पर किया। उस्ताद आप'को एक सलाह देता हूं आप अकेले इस काम को अंजाम न दे।

संकट…मेरे माथे पर तुझे कहीं पर चूतिया लिखा हुआ दिख रहा हैं। तूने कैसे सोच लिए मैं उस कमिने से अकेले भिड़ने जाऊंगा। मैंने कुछ लोगों से बात कर लिया हैं। अब तू बस नजर रख जिस दिन अपश्यु आस पास के गांव से किसी को उठाया मुझे बता देना। मैं उसका काम तमाम कर दूंगा।

कुछ और यहां वहां की बाते कर विंकट चल दिया। संकट भी कहीं ओर जाने के लिए निकल गया। शाम को रावण दलाल के घर पहुंचा, दलाल को प्लास्टर में लिपटा हुआ देखकर चौक गया।


दोनों के बीच होने वाली बाते अगले अपडेट में जानेंगे। आज की अपडेट का फुल स्टॉप यह लगाता हूं। यह तक साथ बने रहकर अपना प्यार बरसाने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
 
Eaten Alive
4,118
4,183
143
Kar bura to ho bura....
dalal ke sath to bura ho chuka hai ab baari hai apsyu ki.....
waise apsyu ko saza ek bura insaan hi dene wala hai, wo bhi apne swarth ke chalte....
Sankat ready hai puri taiyari ke sath ab bas deri hai to apsyu akele ghar jaane ki....
Udhar raghu ka yun baar baar kolkata jana, bade bhai aur bhabhi itne din udhar hi kolkata mein rehna....ye baatein ravan aur sukyana ke mann mein shaq paida karne ke liye kaafi tha... ab jaankari ke abhav aur sukanya k salah maan ravan gaya dalal paas jaankari lene, lekin jaankari ki jagah wo khud hairaan ho gaya dalal ki haalat dekh....
waise sambhu ko sab pata hai dalal aur ravan ke planning ke bare mein... wo raghu ya uske pita ko kyun nahi bata deta ye sab baatein....

Well sabhi pehlu mein arthpoorn baaton, kirdaaro bich huye vaartalaap ko aur gatividhiyo ko sathik gati ke sath samete huye the .....

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan...

let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 
expectations
22,454
14,682
143
Badhiya update waise ye dalaal na mast banda hai bilkul masoom chaar dant toot gawa aur pura badan patti hua pada fir bhi sasur hans raha aisa masoom aadmi apan aaj Tak na dekha
 
Will Change With Time
Moderator
8,722
16,968
143
Badhiya update waise ye dalaal na mast banda hai bilkul masoom chaar dant toot gawa aur pura badan patti hua pada fir bhi sasur hans raha aisa masoom aadmi apan aaj Tak na dekha

Bahut bahut shukriya 🙏🙏

Bada masoom hai tabhi to logo ne masoomiyat nikal diya. Aise hi saath bane rahiyega
 
Will Change With Time
Moderator
8,722
16,968
143
Kar bura to ho bura....
dalal ke sath to bura ho chuka hai ab baari hai apsyu ki.....
waise apsyu ko saza ek bura insaan hi dene wala hai, wo bhi apne swarth ke chalte....
Sankat ready hai puri taiyari ke sath ab bas deri hai to apsyu akele ghar jaane ki....
Udhar raghu ka yun baar baar kolkata jana, bade bhai aur bhabhi itne din udhar hi kolkata mein rehna....ye baatein ravan aur sukyana ke mann mein shaq paida karne ke liye kaafi tha... ab jaankari ke abhav aur sukanya k salah maan ravan gaya dalal paas jaankari lene, lekin jaankari ki jagah wo khud hairaan ho gaya dalal ki haalat dekh....
waise sambhu ko sab pata hai dalal aur ravan ke planning ke bare mein... wo raghu ya uske pita ko kyun nahi bata deta ye sab baatein....

Well sabhi pehlu mein arthpoorn baaton, kirdaaro bich huye vaartalaap ko aur gatividhiyo ko sathik gati ke sath samete huye the .....

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan...

let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:

Itna shandaar aur motivated revo diya iske liye bahut bahut shukriya 🙏🙏

Dalal ke saath bura hua isme sirf aur sirf dalal ka dhosh hai. Ek savak dalal ko mila ab is ghatna se dalal kitna sikhta hai ye samay hi batayega.

Sabhu bata sakta hai par abhi use puri jankaari nehi hai sambhu ye janna chahta hai ki dalal ke maan me kiya hai jiske liye vo ravan ka saath de raha hai.
 
Will Change With Time
Moderator
8,722
16,968
143
Update - 18

दलाल टूटी फूटी हाल में बेड पर पसरा हुआ था। उसी वक्त रावण उसके घर पंहुचा दलाल की दशा देखकर रावण चौक गया फिर बोला...तुझे किसने तोड़ फोड़ के फटीचर बना दिया रे दलाल।

दलाल…मत पूछ यार गया था। अपना काम बनाने पर मेरा ही काम तमाम हों गया।

रावण...किसने तेरा काम तमाम कर दिया।

दलाल…ओर कौन कर सकता हैं? दामिनी के यारों ने कूट कूट के फटीचर बना दिया।

रावण…दामिनी भाभी! तू वहा गया ही क्यों था?

दलाल…अरे यार तू न अपने दिमाग का ईलाज करा भूल गया मैंने तुझे क्या कहा था?

रावण सर खुजाते हुऐ सोचने लग गया। रावण के दिमाग ने अटकी हुई dvd को प्ले कर दिया तब जा'कर कही रावण को याद आया। दलाल ने क्या कहा था और क्यों दामिनी के पास गया था? याद आते ही रावण ने कहा...haaaa याद आया! लेकिन इस बात का तेरे फटीचर हाल से किया लेना देना।

दलाल….उस बात का मेरे फटीचर हाल से सीधा सीधा सम्बन्ध हैं। दरअसल हुआ ये था…... दलाल ने फोन करने से लेकर बैंगलोर में उसने क्या किया फिर उसके साथ क्या क्या हुआ? बता दिया सुनने के बाद रावण बोला...गलती तो तूने खुद ही किया था। तेरे घर बेटी हुई थी इसमें न दामिनी भाभी की कोई गलती थी न ही उस बच्ची की जो तेरे घर पैदा हुआ था। अरे ये तो भगवान की देन हैं जो तूने माना नहीं और भाभी को तलाक दे दिया। तुझे तो वह जाना ही नही चाहिए था। जब भाभी ने तुझे फोन पर इतना बुरा भला कहा तब तुझे समझ जाना चाहिए था भाभी तुझ'से अब भी नाराज है।

रावण के चुप होते ही दलाल मुस्कुराकर देखा और मन ही मन बोला...अरे बुड़बक तू नहीं जानता मुझे बेटा किस लिए चाहिए था। मैं उससे क्या करवाना चाहता था। तू जान गया तो तू मुझे कब का मार देता खैर कोई नहीं बेटा नहीं हैं तो किया हुआ मैं मरने से पहले वह काम करके दिखाऊंगा।

दलाल...मेरे साथ जो हुआ उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे ठीक होने दे फिर देख मैं दामिनी को कैसे सबक सिखाता हूं। दामिनी को सबक सिखाए बिना मैं चैन से नहीं बैठूंगा। उसने मेरे बनाए साजिश पर पानी फेर दिया।

रावण…तुझे जो करना हैं कर लेकिन मै इतना ही कहूंगा जो हुआ हैं भूल जा उनको उनके हाल पर छोड़ दे। हम कुछ ओर सोच लेंगे।

दलाल...छोड़ यार ये बता तू किस काम से आया था।

रावण...मैं जिस काम से आया था वो तो हों नहीं सकता इसलिए मैं घर जा रहा हूं।

दलाल…तू चाहें तो अकेले अकेले थकान मिटा ले मैं आज तेरा साथ नहीं दे सकता।

रावण...कोई बात नही आज रहने देता हूं। फिर कभी देख लेंगे।


इतना कह रावण चला गया। रावण के जाने के बाद दलाल बोला…मुझे जो करना हैं वो मैं करके रहूंगा तू भी मुझे नही रोक पायेगा।

दलाल को उसके हाल पर छोड़ देते है। हम चलते हैं संकट के पास वो किया कर रहा हैं। संकट इस वक्त एक चाय के टपड़ी में बैठा था। धूम्र पान करते हुए चाय की चुस्कियां ले रहा था और बार बार रोड की ओर देख रहा था। जैसे किसी के आने का वेट कर रहा हों। संकट वेट करते हुए दो तीन चाय ओर पी गया जब कोई नहीं आया तो टपड़ी से बाहर आ'कर इधर उधर टहलने लग गया ओर मन ही मन गली बकने लग गया। तभी एक लड़का उसके पीछे से….khankhaaa कमीना तू मुझे गली दे रहा था।

संकट पलटकर पीछे देखा फ़िर लड़के को देखकर मुस्कुराते हुए बोला…आ गया भैरवा इतनी देर क्यों लगा दी कब से तेरा वेट कर रहा हु।

(ये भैरवा वहीं भैरवा हैं जो पहले अपडेट में अपश्यु के सामने हाथ जोड़े बैठा था और बाद में मुखिया से राजेंद्र को अपश्यु के बारे में बताने को कह रहा था।)

भैरवा...अरे भाई काम काजी बंदा हूं इसलिए देर हो गया। तू बता मुझे क्यों बुलाया था?

संकट…बहुत जरूरी बात करना हैं चल यह से थोडा दूर चल कर बात करते हैं।

संकट भैरवा को एक सुनसान जगह पर ले गया फिर बोला…भैरवा मैं कुछ ऐसा करने जा रहा हूं जिससे बहुत से लोगों को उनके परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा।

भैरवा…तू कब से परेशान लोगों के बारे में सोचने लग गया। गधे के सिर पर सिंग कब से उग आया।

संकट...भैरवा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करने वाला हूं जिससे बहुत से लोगों को फायदा होने वाला हैं। उनके बहु बेटियो की आबरू लूटने से बचने वाला हैं।

भैरवा...तू कब से दूसरे की बहु बेटियो के आबरू के बारे में सोचने लग गया तू भी तो अपश्यु के विरादरी का हैं।

संकट…मै kameena हूं लेकिन अपश्यु के बिरादरी का नहीं हूं वो तो दूसरे के बहु बेटी को जबरदस्ती उठवा कर ले जाता हैं फिर उनकी आबरू लूटकर छोड़ देता हैं। मैं जो कुछ भी करता हूं उनके सहमति से करता हूं।

भैरवा...चल ठीक हैं मै मदद करूंगा आखिर हमें भी उस कमीने अपश्यु के जुल्मों से छुटकारा चाहिए। लेकिन तू मुझे इतना तो बता ही सकता हैं तू क्यों और क्या करना चाहता हैं।

संकट…क्यो? तू बस इतना जान ले दुनिया में मेरा भी कोई सबसे खास था जिसे अपश्यु के कारण मैंने खो दिया। इसलिए मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करना चाहता हूं। वो जिंदा तो रहे लेकिन हर पल मरने की दुआ मांगे, फिर भी उसे मौत न आए।

भैरवा...ठीक हैं मैं समझ सकता हूं। बस इतना बता दे कब अपश्यु का काम तमाम करना हैं।

संकट..जल्दी ही करना हैं मै तुझे बता दूंगा लेकिन ध्यान रखना किसी को कानो कान खबर न हो।

भैरवा...तू मेरे ओर से बेफिक्र रह। मेरे अलावा किसी को खबर नहीं होगा।

इसके बाद दोनों चले गए। इधर रघु कलकत्ता पहुंच चुका था। घर पर इस वक्त पुष्पा और सुरभि ही थे। राजेंद्र कहीं गया हुआ था। रघु को देखकर पुष्पा बोली…भईया आप कैसे हों।

रघु…. मैं ठीक हु तू बता कैसी हैं।

पुष्पा... मै मस्त हूं।

सुरभि…रघु तू बिना सूचना दिए ही आ गया। कुछ काम था।

रघु…क्या मां आप भी बेटा इतनी दूर से आया हैं। चाय पानी पूछने के जगह क्यों आय, काम क्या हैं पूछने लग गए।

सुरभि...achaaa तो बताओ बेटा जी आप चाय लेंगे या फिर पानी पियेंगे।

रघु कुछ नहीं बोला चुप चाप जा'कर मां के पास बैठ गया फिर सुरभि बोली...चंपा कुछ चाय नाश्ते की व्यवस्था कर रघु आया हैं। रघु अब तू बता किस काम से आया।

रघु...मां बहुत दिन हों गया आप सभी से मिले हुए। याद आ रहा था तो मिलने आ गया ।

पुष्पा…हमारी याद आ रही थीं या भाभी की बोलो..बोलो बोलो

रघु कुछ नहीं बोला बस बैठे बैठे मुस्कुरा दिया और नजरे चुराने लग गया। उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। बस फ़िर किया था पुष्पा को मौका मिल गया और शुरू हों गई…मां भईया को न आप'की याद आ रही थीं, न ही मेरी इन्हें तो भाभी की याद आ रहीं थी। मां अब तो आप भूल जाओ भईया कभी आप'को याद करेंगे अब तो इन्हें सिर्फ भाभी ही याद रहेगा।

सुरभि…achaaa ऐसा हैं तो सिर्फ मै ही क्यों तू भी तो तेरे भईया को याद नहीं रहेगी।

पुष्पा...ऊं हूं भईया मुझे कभी भूल ही नहीं सकते क्यों भईया सही कह न।

रघु…हां मेरे लाईफ में चाहें कोई भी आ जाए मैं तुम दोनों को कभी भूल ही नहीं सकता।

सुरभि...हां हां मैं जानती हूं मेरा बेटा मुझे कितना याद करता हैं। मुझे याद न करता होता तो मुझ'से मिलने क्यों आता।

तीनों बातो में मगन रहते हैं। राजेंद्र घर आने पर रघु को देखकर खुश हुआ फिर उससे काम और सभी का हल चल लिया। ऐसे ही हंसी खुशी रात बीत गया। अगले दिन दोपहर को रघु घर से निकला और कमला से मिलने चल दिया।

इधर कमला अखरी पेपर देकर कॉलेज से निकला कमला बहुत खुश दिख रही थीं। हो भी क्यों न रघु जो उससे मिलने आ रहा था। कमला रोज पेपर के बाद अपने सहेली के लिए रुका करती थी लेकीन आज बिना रुके ही घर को चल दिया। कमला अपनी ही धुन में चली जा रही थीं। कालू और बबलू एक दुकान में खड़ा आती जाती लड़कियों पर फफ्तीय काश जा रहा था। कोई उन्हें गाली देखकर निकल जाती तो कोई उन्हें चप्पल निकल कर दिखाते हुए जा रही थी। कमला को अकेले अकेले जाते हुए देखकर दोनों उसके पीछे पीछे चल दिया। कुछ दूर पीछे पीछे चलने के बाद कालू बोला...यार देख किया नजारा हैं जैसे सागर में बड़ी बड़ी लहरे उठ रहा हों।

बबलू...हां यार मन कर रहा हैं इन लहरों में अपना नाव उतार दूं और लहरों के सहारे किनारे तक पहुंच जाऊं।

कालू...अरे ओ कमला कहा चली ऐसे बलखाती लहराती हुई हमे भी साथ ले चल। देख तेरे दीवाने भावरा बने तेरे पीछे पीछे मंडरा रहें हैं।

बबलू... हां कमला पीछे पलटकर देख तेरी जैसी खूबसूरत फूल की खुशबू सुंगते हुए दो भावरा पहुंच चुके हैं। जरा इनकी इच्छा तो पूरी कर दे।

कमला...आ गए तुम दोनो इतनी बार पीट चुके हों फिर भी तुम्हे शर्म नहीं आया।

कालू…शर्म haaa haaa haaa वो तो कबाड़ी को बेच दिया हैं।

कमला…बेच दिया ठीक किया मैंने भी नया चप्पल खरीद लिया हैं। जिससे आज तुम दोनों की जमकर पिटाई होने वाली हैं।

बबलू…आज नहीं आज हमारा दिन हैं…।

बबलू पुरा बोल पता उससे पहले ही कमला ने चप्पल उतरा बबलू के पास गया फिर बबलू के गाल पर एक रख दिया कालू नजदीक आय उसके भी एक रख दिया तब कालू बोला…बबलू पकड़ इसे क्या कर रहा हैं? एक लड़की होकर भी हम दोनों को पीट रही हैं।

एक एक ओर कमला ने दोनों के गाल पर छप दिया दोनों के गाल लाल हों गया था पर दोनों को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं था। दोनों कमला के जिस्म में यह वहा हाथ फेरने लग गया जिससे कमला का गुस्सा इतना बड़ गया कि कमला खुद पर से काबू खो दिया फ़िर चांडी बन दोनों पर टूट पड़ी दे चप्पल दे चप्पल मारे जा रही थीं।

बबलू और कालू के गाल लाल हो चुके थे नाक से खून बह रहा था पर कमला आज आर पार की मुड़ में लग रहीं थीं। दोनों भागना चाह रहें थें पर कमला गिरा गिरा के मारे जा रही थीं। कभी बबलू चीख रहा था तो कभी कालू चीख रहा था, दोनों के चीखों का कमला पर कोई असर ही नहीं हों रहा था। अपने धुन में मस्त हों दोनों को धुने जा रही थीं। धुनते धुनते कमला का चप्पल टूट गया। पर कमला रुकी नहीं दूसरे चप्पल लेकर पीटने लग गईं। बबलू किसी तरह बचकर भाग गया लेकीन कालू भाग नहीं पाया इसलिय उसका अंधाधुन पिटाई जारी था।

उसी वक्त रघु वह से गुजरा एक लड़की को इतनी बेरहमी से एक लड़के को पीटते देख रूक गया फिर कार से बाहर आ'कर उस ओर चल दिया। तभी कमल बोली...कमीनें तुम दोनों ने मुझे छेड़ने का रोज का धंधा बना रखा हैं कितनी बार कहा मारा पीटा पर तुम दोनों बाज़ नहीं आए। आज ऐसा हल करूंगा फ़िर कभी किसी लड़की को नज़र उठाकर नहीं देखेगा।

कालू...छोड़ दे मेरी मां आगे से ऐसा नहीं करूंगा। बक्श दे नहीं तो मर जाऊंगा। मर गया तो तुझे एक निरीह प्राणी को मारने का पाप लग जाएगा।

कमला...किया कहा छोड़ दे! इससे पहले भी तुम दोनों ने कहा था लेकीन हुआ किया मौका मिलते ही फिर से शुरू हों गए आज नहीं छोड़ने वाली आज तुझे जान से मर दूंगी। तू निरीह नहीं दानव है तुझे मरने पर पाप नहीं लगेगा बल्कि पुण्य मिलेगा।

रघु आवाज़ सुनकर पहचान गया ये तो कमला हैं। जल्दी से रघु पास गया ओर कमला का हाथ पकड़ लिया फिर बोला...रुक जाओ कमला और कितना मरोगी मर जायेगा।

कमला...हाथ छोड़ो मेरा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की अब तो तुम भी पीटने वाले हों।

कालु को छोड़ कमला रघु को मरने ही जा रही थीं की रघु को देखकर रूक गई। कमला के रुकते ही कालू मौका देखकर भाग गया। कालु के भागते ही कमला बोली…अपने मुझे रोका क्यों आप के वजह से ये भाग गया अब आप ही इसे पकड़कर ले'कर आओ ।

कमला का गुस्से में तमतमाया चेहरा और सुर्ख लाल आंखों को देखकर रघु अंदर ही अंदर कांप गया। उससे कुछ बोला नहीं गया। रघु के कुछ न बोलने से कमला फ़िर बोली...आप बोलते क्यों नहीं आप'ने उसे क्यों बचाया। जाओ उसे अभी के अभी पकड़कर लाओ मुझे ओर पीटना हैं मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ।

रघु किसी तरह खुद को संभाला फिर बोला…कमला शांत हों जाओ लंबी गहरी सास लो खुद को शांत करो फ़िर बात करते हैं।

कमला...मेरा गुस्सा तब तक शांत नहीं हों सकता जब तक मैं उसे जी भार कर पीट न लूं। आप जाइए उसे पकड़ कर लाइए मुझे ओर पीटना हैं।

रघु…शांत कमला शांत मेरा कहना मन लो ओर गुस्सा थूक कर शांत हों जाओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे साथ बने रहने के लिए और बहुत सारा प्यार देने के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
 

Top