Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update - 34


रूम से बाहर आकर कमला नीचे बैठक में पहुंची वहां सुकन्या और सुरभि बैठी आपस में बाते कर रहीं थीं। कमला दोनों के पास गईं दोनों का पैर छूकर आर्शीवाद लिया फिर खड़ी हों गई। कमला को खड़ी देखकर सुरभि बोली...बहू खड़ी क्यों हों आओ मेरे पास बैठो।

सुरभि के पास जाकर कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके बोझिल सा हुआ और नैना बरस पड़ी। बस फिर होना क्या था सुरभि से लिपटकर कमला सुबक सुबककर रोने लग गई। कमला को यूं अचानक रोता देखकर सुरभि का मन विचलित हों उठा कमला का सिर सहलाते हुए बोली...अभी तो कितनी खुश लग रहीं थीं। अचानक क्या हुआ जो रोने लग गई? बताओं!

कमला बोली कुछ नहीं बस रोए जा रहीं थीं। सुकन्या उठकर कमला के पास आकर बैठ गई फिर सिर सहलाते हुऐ बोली... हमारी बहु तो अच्छी बच्ची हैं। ऐसे नहीं रोते बताओं क्या हुआ?

खुद से अलग कर कमला के आंसु पोछते हुऐ सुरभि बोली…नहीं रोते मेरे फूल सी बच्ची कितनी खिली खिली लग रहीं थीं पल भर में मुरझा गईं। बताओं बात क्या हैं जो तुम रो रहीं हों। रघु ने कुछ कहा हैं। मुझे बताओं मैं अभी उसका खबर लेता हूं।

कमला...नहीं मम्मी जी उन्होंने कुछ नहीं कहा वो तो बहुत अच्छे हैं। अपने अभी मेरे माथे को चूमा तो मां की याद आ गई मां भी ऐसे ही मेरे माथे को चूमा करती थीं।

कमला के माथे पर एक ओर चुम्बन अंकित कर सुरभि बोली...ऐसा हैं तो जाओ पहले मां से बात कर लो फ़िर कुछ रस्म हैं उसे पूरा कर लेंगे।

कमला उठकर चल गई। सुरभि और सुकन्या दोनों मुस्करा दिया। रूम की ओर जाते हुऐ कमला मन में बोली…सासु मां कितनी अच्छी हैं। मुझे रोता देखकर कितना परेशान हों गईं थीं। बिलकुल मां की तरह हैं। मां भी मुझे रोते देखकर ऐसे ही परेशान हों जाती थीं।

मन ही मन खुद से बात करते करते कमला रूम में पहुंच गई। एक नज़र रघु को देखा फिर बेड के पास रखा टेलिफोन से कॉल लगाकर कुछ वक्त तक मां और पापा से बात किया फ़िर रिसीवर रखकर रघु को आवाज़ देते हुऐ बोली...उठिए न कितना सोयेंगे।

रघु कुनमुनते हुऐ बिना आंख खोले बोला...कमला थोडी देर ओर सो लेने दो फिर उठ जाऊंगा।

ठीक हैं बोलकर कमला रूम से जानें लगीं फिर न जानें क्या सोचकर रूक गईं ओर अलमारी के पास जाकर कुछ कपड़े निकाला कपड़ो को रूम में रखा मेज पर रख दिया फ़िर बोली...आप'के कपड़े निकल कर रख दिया हैं। फ्रेश होकर पहन लेना।

इधर कीचन में रतन और धीरा सुबह की नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थें। सुरभि और सुकन्या कीचन में पहुंची दोनों को तैयारी करते हुए देखकर सुरभि बोली...दादाभाई सुबह के नाश्ते में क्या बना रहें हों?

रतन पलट कर देखा फिर बोला... रानी मां सोच रहा हूं आज बहुरानी के पसन्द का कुछ बनाकर सभी को खिलाऊ लेकिन मुझे बहुरानी के पसन्द का पाता नहीं, आप बहुरानी से पूछकर बता देते, तो अच्छा होता।

सुरभि…अभी थोडी देर में बहु कीचन में आएगी तब आप खुद ही पूछ लेना और बहु से कुछ बनवा भी लेना आज महल में बहु की पहली सुबह है। मैं सोच रहीं हूं आज ही पहली रसोई के रस्म को पूरा कर लिया जाएं।

रतन...जैसा आप ठीक समझें।

सुकन्या...मेरे बहु से पहली रसोई के नाम पर ज्यादा काम न करवाना नहीं तो आप दोनों की खैर नहीं।

रतन...नहीं नहीं छोटी मालकिन हम बहुरानी से बिल्कुल भी काम नहीं करवाएंगे।

सुकन्या...काम नहीं करवोगे तो बहु की पहली रसोई कैसे पूरा होगा ये कहो ज्यादा काम नहीं करवाएंगे।

रतन...जी मालकिन बहुरानी से ज्यादा काम नहीं करवाऊंगा।

सुकन्या और सुरभि कीचन से आकर बैठक में बैठ गईं। कमला चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए बैठक में पहुंची। कमला को पास बैठाकर सुरभि ने घर के रिवाजों के बारे मे बताया फिर घर में बना मंदिर में लेकर गई। कमला के हाथों पूजा करवाए फिर मंदिर से लाकर कीचन में ले गई। कुछ और बातें बताकर सुरभि और सुकन्या बैठक में आ गईं।

कमला कीचन देखकर मन ही मन खुश हों रहीं थीं। खाना बनाना कमला को बहुत पसन्द था लेकिन मां उसे खाना बनाने नहीं देती थीं, पर आज कमला सोच रहीं थीं मन लगाकर खाना बनाएगी और तरह तरह के व्यंजन बनाकर सभी का मन मोह लेगी।

रतन का उम्र ज्यादा था तो उसे किस नाम से संबोधित करे इस पर विचार कर रही थीं अचानक क्या सूझा कमला बोली...दादू मैं आप'को दादू बोल सकती हूं न!

कमला का यू अचानक दादू बोलने से रतन भावनाओ में बह गया कुछ पल की शांति छाया रहा फ़िर रतन बोला...बहुरानी जो आप'का मन करे आप बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं।

कमला...ठीक है! दादू आप मुझे बताइए सभी को नाश्ते में क्या खाना पसंद हैं। सभी के पसंद का नाश्ता मैं खुद बनाऊंगी।

रतन…नहीं नहीं बहुरानी आप सभी के लिए नाश्ता नहीं बनाएंगे आप सिर्फ खुद के पसंद का मीठा बनाएंगे।

कमला…बस meethaaaa! नहीं नहीं मैं सभी का नाश्ता खुद बनाऊंगी।

रतन…बिल्कुल nahiiii आप सिर्फ मीठा बनाएंगे। इसके अलावा कुछ नहीं!

भोली सूरत मासूम अदा से कमला बोली...kyuuuu?

कमला की अदा देखकर रतन मुस्कुराते हुऐ बोला…आप महल की बहुरानी हों। रानी मां और छोटी मालकिन ने शक्त निर्देश दिया है आप'से किचन में ज्यादा काम न करवाऊं नहीं तो दोनों मुझे बहुत डाटेंगे खासकर की छोटी मालकिन और एक बात महल में जब से मैं आया हूं तब से कभी रानी मां को कीचन में काम नहीं करने दिया तो आप'को कैसे दे सकता है। इसलिए आप सिर्फ उतना ही करेंगे जितना करने को आप से कहा गया हैं।

रतन का सुरभि को रानी मां बोलने से उसके दिमाग में एक सवाल आया की सभी काम करने वाले सासु मां को रानी मां क्यों कहते हैं। पूछना चाही पर न जानें क्यों नहीं पूछी फिर कीचन में काम करने से माना करने की बात सुनकर कमला उदास चेहरा बनाकर विनती करते हुए बोली... Pleaseeee दादू! नाश्ता मुझे बनने दो न मम्मी जी आप'को कुछ नहीं कहेगी मैं उनसे बात कर लूंगी। फ़िर चेहरे का भाव बदलकर मासूमियत लहजे में बोली...kyaaa आप मेरे लिए मम्मी जी से थोडी डांट नहीं सुन सकते।

कमला की मासूमियत से भरी बातें सुनकर रतन मुस्कुरा दिया फिर बोला...बहुरानी डांट तो खां लूंगा। लेकिन हमारे रहते आप खाना बनाओ ये हमें गवारा नहीं इसलिए आप सिर्फ मीठा ही बनाएंगे बस ओर कुछ नहीं।

दोनों में हां न की जिरह शुरू हो गया। रतन माना करे, कमला तरह तरह की बाते बनाकर हां बुलबाने की जतन करने लगीं। जिरह कुछ लम्बा चला अंतः रतन मान गया, फिर सभी के पसंद का नाश्ता बनाने में कमला जुट गईं। एक एक डीश को कमला निपुर्णता से बना रहीं थीं। जिसे देखकर रतन और धीरा कमला के कायल हों गए और मन ही मन कमला के पाक कला में निपुर्णता की तारीफ करने लगें।

किचन में बन रहें नाश्ते की खुशबू से पूरा महल महक गया। बैठक में बैठी सुरभि और सुकन्या तक भी स्वादिष्ट खाने की महक पहुंच गया। महक सूंघकर सुरभि मुस्करा दिया फ़िर सुकन्या बोली...दीदी लगता हैं बहु आने की खुशी में रतन ज्यादा ही खुश हों गए हैं इसलिए नाश्ते में स्पेशल कुछ बना रहे हैं।

सुरभि रहस्यमई मुस्कान से मुसकुराते हुए बोली... छोटी चल तूझे दिखाती हूं इतना स्वादिष्ट महक युक्त खाना कौन बना रहा हैं।

सुकन्या का हाथ पकड़कर सुरभि किचन की तरफ़ ले जानें लगीं। कई बार सुकन्या ने पूछा लेकिन सुरभि कुछ न बोली बस हाथ पकड़कर आगे को बढ़ती गई।

किचन में कमला नाश्ता बनाने के अंतिम पड़ाव पर थी। जिसे बनाने में मगन थी। रतन और धीरा दोनों साईड में खड़े होकर देख रहे थें। किचन की गर्मी से कमला के माथे और बाकी बदन पर पसीना आ गईं। जिसे पोछते हुऐ। कमला नाश्ता बनाने में लगी रहीं।

सुरभि और सुकन्या कीचन पहुंचकर दरवाज़े पर खडा होंकर अंदर के नजरे को देखने लगीं। सुरभि मुस्करा रहीं थीं लेकिन सुकन्या एक नज़र कमला को देखा फिर रतन की तरफ देखकर गुस्से से बोली...दादाभाई आप'को बोला था न, बहु से किचन में ज्यादा काम न करवाना फिर अपने बहु को किचन में इतनी देर तक क्यों रोके रखा। देखिए बहु को कितनी गर्मी लग रहीं हैं पसीने में नहा गईं हैं।

सुकन्या के मुंह से दादाभाई सुनकर रतन और धीरा अचंभित होंकर, सुकन्या को एक टक देखें जा रहे थें। पसीने से तर कमला पलटी सुकन्या को नाराज़ होंकर रतन पर भड़कते देखकर नज़रे झुका लिया फिर चुप चाप खड़ी हों गई। पसीने से तर कमला को देखकर सुकन्या फिर बोली...दादाभाई आप'के काम चोरी के कारण मेरी बहु पसीने से नहा गईं हैं। ये आप'ने ठीक नहीं किया।

पसीने से नहाई कमला को देखकर सुरभि कमला के पास गई और खुद के आंचल से पसीना पोछा फिर रतन से बोला...दादा भाई आप से कहा था फ़िर भी आप सुने क्यों नहीं बहु से इतना काम क्यों करवाया देखो पसीने में तर हों गईं हैं।

रतन...रानी मां बहुरानी को मना किया था। लेकिन बहुरानी सुनी ही नहीं, मैं क्या करता?

सुरभि...बहु तुमने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा था न तुम सिर्फ मीठे में कुछ बनाओगी फिर सुना क्यों नहीं?

कमला...सिर्फ मीठा बनाने का मेरा मन नहीं किया इसलिए पूरा नाश्ता खुद ही बना दिया।

रतन को डांटने के तर्ज पर सुरभि बोली... दादा भाई आप मुझे किचन में काम करने नहीं देते थे फिर बहु को क्यों काम करने दिया।

कमला... मम्मी जी आप दादू को क्यों डांट रही हों दादू तो माना कर रहे थें। मेरे बहुत कहने पर ही माने।

सुरभि...अच्छा ठीक हैं तुम जाओ जाकर नहा लो बाकी का मैं बना देती हूं।

कमला...बस थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

सुकन्या...नहीं बिल्कुल नहीं जाओ जल्दी जाकर नहा लो।

सुरभि... बहु बहुत काम कर लिया अब ओर नहीं जाओ जल्दी से नहा लो।

कमला भोली सूरत बनाकर बोली...pleaseeee मम्मी जी मान जाइए न थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

कमला की भोली अदा देखकर सुरभि और सुकन्या मुस्करा दिया फिर हां बोलकर किचन से चली गईं। एक बार फिर से कमला अंतिम डीश बनाने में जुट गईं। कुछ ही देर में अंतिम डीश बनकर तैयार हों गया तैयार होते ही रतन बोला…बहुरानी आप जाकर नहा लो तब तक मैं और धीरा सभी के लिए नाश्ता मेज पर लगा देता हूं।

कमला...ठीक हैं लेकिन किसी को परोसना नहीं सभी को मैं परोसूंगी।

कमला कीचन से बाहर निकाला फिर नहाने रूम को चल दिया। रघु उठ चूका था नहा धोकर, निकालकर रखा हुआ कपड़ा पहन लिया। रघु बाहर आ ही रहा था कि कमला रूम में पहुंच गई। पसीने में नहाई कमला को देखकर रघु बोला...कमला ये किया हल बना रखा हैं कहा गई थीं जो पसीने में नहाकर आई हों।

कमला...जी मैं किचन मे थी सभी के लिए नाश्ता बना रहीं थीं।

रघु...रतन दादू और धीरा हैं फिर तुम क्यों नाश्ता बना रहें थें।

कमला...आप न सच में बुद्धू हों जानते नहीं नई बहू को खुद से बनाकर सभी को खिलाना पड़ता हैं मैं भी उसी रस्म को पूरा कर रही थीं।

रघु सिर खीजते हुए बोला...Oooo ऐसा किया चलो फिर जल्दी से नहाकर आओ मुझे बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

कमला…भूख को थोडी देर ओर बर्दास्त कर लीजिए फिर जी भर के खा लेना।

रघु को शरारत सूझा इसलिए नजदीक आकर कमला को पकड़ने जा ही रहा था की कमला कन्नी काटकर सीधा बाथरूम में घुस गई और जोर जोर से हसने लगीं। तब रघु बोला…कमला कपड़े तो लिया ही नहीं नहाकर बिना कपड़े के बाहर आओगी।

कमला की हंसी पल भार में गायब हों गई फिर कुछ सोचकर मुस्कुराते हुऐ दरवाज़ा खोलकर खड़ी हों गईं। कमला को खड़ा देखकर रघु कमला की ओर लपका, रघु को आता देखकर कमला ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया फिर बोली...आप चुप चाप बाहर जाओ।

रघु…बाहर तो तुम्हारे साथ जाऊंगा तुम जल्दी से नहा कर बाहर निकलो।

कमला…नहाऊंगी तब न जब कपड़े लेकर आऊंगी आप दरवाज़े से हटो मुझे कपड़े लेने दो।

रघु...तुम दरवाज़ा खोलो कपड़े मैं निकालकर देता हूं।

कमला...नहीं नहीं आप मेरे कपड़ों को हाथ भी नहीं लगाएंगे। नहीं तो मैं बाथरूम से बाहर ही नहीं आऊंगी।

रघु मुस्कुराते हुए बोला…ठीक हैं हाथ नहीं लगाता अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला...आप कोई शरारत तो नहीं करेंगे न।

रघु...पसीने की बूंदे तुम्हारे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रहा हैं इसलिए थोड़ा सा शरारत करूंगा।

सेक्सी शब्द सुनते ही कमला शर्मा गई फिर मन ही मन बोली... पहले बात करने में कितना झिझकते थे अब देखो कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहे हैं।

रघु...क्या हुआ कमला? कपड़े नहीं लेना या पूरा दिन बाथरूम में रहना हैं।

कमला...लेना हैं लेकिन आप कह रहे हो शरारत करोगे इसलिए सोच रहीं हूं अंदर ही रहती हूं।

रघु...शरारत नहीं करूंगा अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला... वादा करों, आप कोई शरारत नहीं करोगे।

रघु रहस्यमई मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोला...वादा करता हूं शरारत नहीं करूंगा।

कमला धीरे से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला, रघु एक साईड को हों गया फिर कमला अलमारी के पास जाकर कपड़े निकलने लग गई। मौका देखकर रघु जाकर कमला के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया। छटपटाते हुए कमला बोली…आप ने कहा था कोई शरारत नहीं करूंगा फ़िर वादा क्यों थोड़ा?

रघु...वो तो तुम्हें बाहर लाने के लिए बोला था। बीबी के साथ शरारत नहीं करूंगा तो किसके साथ करूंगा।

कमला के कंधे से पल्लू हटाकर रघु चूम लिया। जिससे कमला के जिस्म में सिरहन दौड़ गई। रघु रूका नहीं जहां मन कर रहा था चूमते जा रहा था और कमला कसमसा कर मदहोशी के आलम में खोने लग गईं। अचानक कुछ याद आया खुद को काबू करके कमला बोली... छी गंदे हटो मुझे नहा लेने दो।

कमला के कहने पर भी रघु नहीं रूका जैसा मन कर रहा था, जहां मन कर रहा था चूमे जा रहा था। कसमसाते हुए कमला बार बार दूर हटने को कह रहीं थीं। लेकिन रघु बिना सुने मन की करे जा रहा था। छूटने का कोई ओर रस्ता न दिखा तो कमला को एक उपाय सूझा रघु के हाथ पर जोर से नकोच लिया। रघु aahaaaaaa करते हुऐ कमला को छोड़ दिया कमला कपड़े लेकर फट से बाथरूम में चली गई। रघु जब तक कुछ समझ पाता तब तक देर हों चूका था। इसलिए बस मुस्कुराकर रहा गया फ़िर बाथरूम के पास जाकर बोला…कमला अच्छा नहीं किया बाहर निकलो फिर बताता हूं।

कमला...आप को कहा था छोड़ दो, आप छोड़ ही नहीं रहें थें मजबूरन मुझे नकोचना पडा सॉरी आप'को दर्द दिया।

रघु थोड़ा सा मुस्कुराया फिर सिर खीजते हुए बोला... ठीक हैं जल्दी से नहा कर बाहर आओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 
Eaten Alive
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सुरभि के पास जाकर कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके बोझिल सा हुआ और नैना बरस पड़ी
Had hoti hai kisi bhi cheej ki.... sukanya kam pad gayi thi kya jo kamla ke sath bhi ye sab karne lag gayi surbhi ... :lol1:
Dekho to nayi dulhan ko rulane mein koi kasar na chhodi... Bad, bhery bhery bad.. Feeling sad :popcorn1:
 
Eaten Alive
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Update - 34


रूम से बाहर आकर कमला नीचे बैठक में पहुंची वहां सुकन्या और सुरभि बैठी आपस में बाते कर रहीं थीं। कमला दोनों के पास गईं दोनों का पैर छूकर आर्शीवाद लिया फिर खड़ी हों गई। कमला को खड़ी देखकर सुरभि बोली...बहू खड़ी क्यों हों आओ मेरे पास बैठो।

सुरभि के पास जाकर कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके बोझिल सा हुआ और नैना बरस पड़ी। बस फिर होना क्या था सुरभि से लिपटकर कमला सुबक सुबककर रोने लग गई। कमला को यूं अचानक रोता देखकर सुरभि का मन विचलित हों उठा कमला का सिर सहलाते हुए बोली...अभी तो कितनी खुश लग रहीं थीं। अचानक क्या हुआ जो रोने लग गई? बताओं!

कमला बोली कुछ नहीं बस रोए जा रहीं थीं। सुकन्या उठकर कमला के पास आकर बैठ गई फिर सिर सहलाते हुऐ बोली... हमारी बहु तो अच्छी बच्ची हैं। ऐसे नहीं रोते बताओं क्या हुआ?

खुद से अलग कर कमला के आंसु पोछते हुऐ सुरभि बोली…नहीं रोते मेरे फूल सी बच्ची कितनी खिली खिली लग रहीं थीं पल भर में मुरझा गईं। बताओं बात क्या हैं जो तुम रो रहीं हों। रघु ने कुछ कहा हैं। मुझे बताओं मैं अभी उसका खबर लेता हूं।

कमला...नहीं मम्मी जी उन्होंने कुछ नहीं कहा वो तो बहुत अच्छे हैं। अपने अभी मेरे माथे को चूमा तो मां की याद आ गई मां भी ऐसे ही मेरे माथे को चूमा करती थीं।

कमला के माथे पर एक ओर चुम्बन अंकित कर सुरभि बोली...ऐसा हैं तो जाओ पहले मां से बात कर लो फ़िर कुछ रस्म हैं उसे पूरा कर लेंगे।

कमला उठकर चल गई। सुरभि और सुकन्या दोनों मुस्करा दिया। रूम की ओर जाते हुऐ कमला मन में बोली…सासु मां कितनी अच्छी हैं। मुझे रोता देखकर कितना परेशान हों गईं थीं। बिलकुल मां की तरह हैं। मां भी मुझे रोते देखकर ऐसे ही परेशान हों जाती थीं।

मन ही मन खुद से बात करते करते कमला रूम में पहुंच गई। एक नज़र रघु को देखा फिर बेड के पास रखा टेलिफोन से कॉल लगाकर कुछ वक्त तक मां और पापा से बात किया फ़िर रिसीवर रखकर रघु को आवाज़ देते हुऐ बोली...उठिए न कितना सोयेंगे।

रघु कुनमुनते हुऐ बिना आंख खोले बोला...कमला थोडी देर ओर सो लेने दो फिर उठ जाऊंगा।

ठीक हैं बोलकर कमला रूम से जानें लगीं फिर न जानें क्या सोचकर रूक गईं ओर अलमारी के पास जाकर कुछ कपड़े निकाला कपड़ो को रूम में रखा मेज पर रख दिया फ़िर बोली...आप'के कपड़े निकल कर रख दिया हैं। फ्रेश होकर पहन लेना।

इधर कीचन में रतन और धीरा सुबह की नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थें। सुरभि और सुकन्या कीचन में पहुंची दोनों को तैयारी करते हुए देखकर सुरभि बोली...दादाभाई सुबह के नाश्ते में क्या बना रहें हों?

रतन पलट कर देखा फिर बोला... रानी मां सोच रहा हूं आज बहुरानी के पसन्द का कुछ बनाकर सभी को खिलाऊ लेकिन मुझे बहुरानी के पसन्द का पाता नहीं, आप बहुरानी से पूछकर बता देते, तो अच्छा होता।

सुरभि…अभी थोडी देर में बहु कीचन में आएगी तब आप खुद ही पूछ लेना और बहु से कुछ बनवा भी लेना आज महल में बहु की पहली सुबह है। मैं सोच रहीं हूं आज ही पहली रसोई के रस्म को पूरा कर लिया जाएं।

रतन...जैसा आप ठीक समझें।

सुकन्या...मेरे बहु से पहली रसोई के नाम पर ज्यादा काम न करवाना नहीं तो आप दोनों की खैर नहीं।

रतन...नहीं नहीं छोटी मालकिन हम बहुरानी से बिल्कुल भी काम नहीं करवाएंगे।

सुकन्या...काम नहीं करवोगे तो बहु की पहली रसोई कैसे पूरा होगा ये कहो ज्यादा काम नहीं करवाएंगे।

रतन...जी मालकिन बहुरानी से ज्यादा काम नहीं करवाऊंगा।

सुकन्या और सुरभि कीचन से आकर बैठक में बैठ गईं। कमला चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए बैठक में पहुंची। कमला को पास बैठाकर सुरभि ने घर के रिवाजों के बारे मे बताया फिर घर में बना मंदिर में लेकर गई। कमला के हाथों पूजा करवाए फिर मंदिर से लाकर कीचन में ले गई। कुछ और बातें बताकर सुरभि और सुकन्या बैठक में आ गईं।

कमला कीचन देखकर मन ही मन खुश हों रहीं थीं। खाना बनाना कमला को बहुत पसन्द था लेकिन मां उसे खाना बनाने नहीं देती थीं, पर आज कमला सोच रहीं थीं मन लगाकर खाना बनाएगी और तरह तरह के व्यंजन बनाकर सभी का मन मोह लेगी।

रतन का उम्र ज्यादा था तो उसे किस नाम से संबोधित करे इस पर विचार कर रही थीं अचानक क्या सूझा कमला बोली...दादू मैं आप'को दादू बोल सकती हूं न!

कमला का यू अचानक दादू बोलने से रतन भावनाओ में बह गया कुछ पल की शांति छाया रहा फ़िर रतन बोला...बहुरानी जो आप'का मन करे आप बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं।

कमला...ठीक है! दादू आप मुझे बताइए सभी को नाश्ते में क्या खाना पसंद हैं। सभी के पसंद का नाश्ता मैं खुद बनाऊंगी।

रतन…नहीं नहीं बहुरानी आप सभी के लिए नाश्ता नहीं बनाएंगे आप सिर्फ खुद के पसंद का मीठा बनाएंगे।

कमला…बस meethaaaa! नहीं नहीं मैं सभी का नाश्ता खुद बनाऊंगी।

रतन…बिल्कुल nahiiii आप सिर्फ मीठा बनाएंगे। इसके अलावा कुछ नहीं!

भोली सूरत मासूम अदा से कमला बोली...kyuuuu?

कमला की अदा देखकर रतन मुस्कुराते हुऐ बोला…आप महल की बहुरानी हों। रानी मां और छोटी मालकिन ने शक्त निर्देश दिया है आप'से किचन में ज्यादा काम न करवाऊं नहीं तो दोनों मुझे बहुत डाटेंगे खासकर की छोटी मालकिन और एक बात महल में जब से मैं आया हूं तब से कभी रानी मां को कीचन में काम नहीं करने दिया तो आप'को कैसे दे सकता है। इसलिए आप सिर्फ उतना ही करेंगे जितना करने को आप से कहा गया हैं।

रतन का सुरभि को रानी मां बोलने से उसके दिमाग में एक सवाल आया की सभी काम करने वाले सासु मां को रानी मां क्यों कहते हैं। पूछना चाही पर न जानें क्यों नहीं पूछी फिर कीचन में काम करने से माना करने की बात सुनकर कमला उदास चेहरा बनाकर विनती करते हुए बोली... Pleaseeee दादू! नाश्ता मुझे बनने दो न मम्मी जी आप'को कुछ नहीं कहेगी मैं उनसे बात कर लूंगी। फ़िर चेहरे का भाव बदलकर मासूमियत लहजे में बोली...kyaaa आप मेरे लिए मम्मी जी से थोडी डांट नहीं सुन सकते।

कमला की मासूमियत से भरी बातें सुनकर रतन मुस्कुरा दिया फिर बोला...बहुरानी डांट तो खां लूंगा। लेकिन हमारे रहते आप खाना बनाओ ये हमें गवारा नहीं इसलिए आप सिर्फ मीठा ही बनाएंगे बस ओर कुछ नहीं।

दोनों में हां न की जिरह शुरू हो गया। रतन माना करे, कमला तरह तरह की बाते बनाकर हां बुलबाने की जतन करने लगीं। जिरह कुछ लम्बा चला अंतः रतन मान गया, फिर सभी के पसंद का नाश्ता बनाने में कमला जुट गईं। एक एक डीश को कमला निपुर्णता से बना रहीं थीं। जिसे देखकर रतन और धीरा कमला के कायल हों गए और मन ही मन कमला के पाक कला में निपुर्णता की तारीफ करने लगें।

किचन में बन रहें नाश्ते की खुशबू से पूरा महल महक गया। बैठक में बैठी सुरभि और सुकन्या तक भी स्वादिष्ट खाने की महक पहुंच गया। महक सूंघकर सुरभि मुस्करा दिया फ़िर सुकन्या बोली...दीदी लगता हैं बहु आने की खुशी में रतन ज्यादा ही खुश हों गए हैं इसलिए नाश्ते में स्पेशल कुछ बना रहे हैं।

सुरभि रहस्यमई मुस्कान से मुसकुराते हुए बोली... छोटी चल तूझे दिखाती हूं इतना स्वादिष्ट महक युक्त खाना कौन बना रहा हैं।

सुकन्या का हाथ पकड़कर सुरभि किचन की तरफ़ ले जानें लगीं। कई बार सुकन्या ने पूछा लेकिन सुरभि कुछ न बोली बस हाथ पकड़कर आगे को बढ़ती गई।

किचन में कमला नाश्ता बनाने के अंतिम पड़ाव पर थी। जिसे बनाने में मगन थी। रतन और धीरा दोनों साईड में खड़े होकर देख रहे थें। किचन की गर्मी से कमला के माथे और बाकी बदन पर पसीना आ गईं। जिसे पोछते हुऐ। कमला नाश्ता बनाने में लगी रहीं।

सुरभि और सुकन्या कीचन पहुंचकर दरवाज़े पर खडा होंकर अंदर के नजरे को देखने लगीं। सुरभि मुस्करा रहीं थीं लेकिन सुकन्या एक नज़र कमला को देखा फिर रतन की तरफ देखकर गुस्से से बोली...दादाभाई आप'को बोला था न, बहु से किचन में ज्यादा काम न करवाना फिर अपने बहु को किचन में इतनी देर तक क्यों रोके रखा। देखिए बहु को कितनी गर्मी लग रहीं हैं पसीने में नहा गईं हैं।

सुकन्या के मुंह से दादाभाई सुनकर रतन और धीरा अचंभित होंकर, सुकन्या को एक टक देखें जा रहे थें। पसीने से तर कमला पलटी सुकन्या को नाराज़ होंकर रतन पर भड़कते देखकर नज़रे झुका लिया फिर चुप चाप खड़ी हों गई। पसीने से तर कमला को देखकर सुकन्या फिर बोली...दादाभाई आप'के काम चोरी के कारण मेरी बहु पसीने से नहा गईं हैं। ये आप'ने ठीक नहीं किया।

पसीने से नहाई कमला को देखकर सुरभि कमला के पास गई और खुद के आंचल से पसीना पोछा फिर रतन से बोला...दादा भाई आप से कहा था फ़िर भी आप सुने क्यों नहीं बहु से इतना काम क्यों करवाया देखो पसीने में तर हों गईं हैं।

रतन...रानी मां बहुरानी को मना किया था। लेकिन बहुरानी सुनी ही नहीं, मैं क्या करता?

सुरभि...बहु तुमने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा था न तुम सिर्फ मीठे में कुछ बनाओगी फिर सुना क्यों नहीं?

कमला...सिर्फ मीठा बनाने का मेरा मन नहीं किया इसलिए पूरा नाश्ता खुद ही बना दिया।

रतन को डांटने के तर्ज पर सुरभि बोली... दादा भाई आप मुझे किचन में काम करने नहीं देते थे फिर बहु को क्यों काम करने दिया।

कमला... मम्मी जी आप दादू को क्यों डांट रही हों दादू तो माना कर रहे थें। मेरे बहुत कहने पर ही माने।

सुरभि...अच्छा ठीक हैं तुम जाओ जाकर नहा लो बाकी का मैं बना देती हूं।

कमला...बस थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

सुकन्या...नहीं बिल्कुल नहीं जाओ जल्दी जाकर नहा लो।

सुरभि... बहु बहुत काम कर लिया अब ओर नहीं जाओ जल्दी से नहा लो।

कमला भोली सूरत बनाकर बोली...pleaseeee मम्मी जी मान जाइए न थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

कमला की भोली अदा देखकर सुरभि और सुकन्या मुस्करा दिया फिर हां बोलकर किचन से चली गईं। एक बार फिर से कमला अंतिम डीश बनाने में जुट गईं। कुछ ही देर में अंतिम डीश बनकर तैयार हों गया तैयार होते ही रतन बोला…बहुरानी आप जाकर नहा लो तब तक मैं और धीरा सभी के लिए नाश्ता मेज पर लगा देता हूं।

कमला...ठीक हैं लेकिन किसी को परोसना नहीं सभी को मैं परोसूंगी।

कमला कीचन से बाहर निकाला फिर नहाने रूम को चल दिया। रघु उठ चूका था नहा धोकर, निकालकर रखा हुआ कपड़ा पहन लिया। रघु बाहर आ ही रहा था कि कमला रूम में पहुंच गई। पसीने में नहाई कमला को देखकर रघु बोला...कमला ये किया हल बना रखा हैं कहा गई थीं जो पसीने में नहाकर आई हों।

कमला...जी मैं किचन मे थी सभी के लिए नाश्ता बना रहीं थीं।

रघु...रतन दादू और धीरा हैं फिर तुम क्यों नाश्ता बना रहें थें।

कमला...आप न सच में बुद्धू हों जानते नहीं नई बहू को खुद से बनाकर सभी को खिलाना पड़ता हैं मैं भी उसी रस्म को पूरा कर रही थीं।

रघु सिर खीजते हुए बोला...Oooo ऐसा किया चलो फिर जल्दी से नहाकर आओ मुझे बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

कमला…भूख को थोडी देर ओर बर्दास्त कर लीजिए फिर जी भर के खा लेना।

रघु को शरारत सूझा इसलिए नजदीक आकर कमला को पकड़ने जा ही रहा था की कमला कन्नी काटकर सीधा बाथरूम में घुस गई और जोर जोर से हसने लगीं। तब रघु बोला…कमला कपड़े तो लिया ही नहीं नहाकर बिना कपड़े के बाहर आओगी।

कमला की हंसी पल भार में गायब हों गई फिर कुछ सोचकर मुस्कुराते हुऐ दरवाज़ा खोलकर खड़ी हों गईं। कमला को खड़ा देखकर रघु कमला की ओर लपका, रघु को आता देखकर कमला ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया फिर बोली...आप चुप चाप बाहर जाओ।

रघु…बाहर तो तुम्हारे साथ जाऊंगा तुम जल्दी से नहा कर बाहर निकलो।

कमला…नहाऊंगी तब न जब कपड़े लेकर आऊंगी आप दरवाज़े से हटो मुझे कपड़े लेने दो।

रघु...तुम दरवाज़ा खोलो कपड़े मैं निकालकर देता हूं।

कमला...नहीं नहीं आप मेरे कपड़ों को हाथ भी नहीं लगाएंगे। नहीं तो मैं बाथरूम से बाहर ही नहीं आऊंगी।

रघु मुस्कुराते हुए बोला…ठीक हैं हाथ नहीं लगाता अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला...आप कोई शरारत तो नहीं करेंगे न।

रघु...पसीने की बूंदे तुम्हारे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रहा हैं इसलिए थोड़ा सा शरारत करूंगा।

सेक्सी शब्द सुनते ही कमला शर्मा गई फिर मन ही मन बोली... पहले बात करने में कितना झिझकते थे अब देखो कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहे हैं।

रघु...क्या हुआ कमला? कपड़े नहीं लेना या पूरा दिन बाथरूम में रहना हैं।

कमला...लेना हैं लेकिन आप कह रहे हो शरारत करोगे इसलिए सोच रहीं हूं अंदर ही रहती हूं।

रघु...शरारत नहीं करूंगा अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला... वादा करों, आप कोई शरारत नहीं करोगे।

रघु रहस्यमई मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोला...वादा करता हूं शरारत नहीं करूंगा।

कमला धीरे से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला, रघु एक साईड को हों गया फिर कमला अलमारी के पास जाकर कपड़े निकलने लग गई। मौका देखकर रघु जाकर कमला के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया। छटपटाते हुए कमला बोली…आप ने कहा था कोई शरारत नहीं करूंगा फ़िर वादा क्यों थोड़ा?

रघु...वो तो तुम्हें बाहर लाने के लिए बोला था। बीबी के साथ शरारत नहीं करूंगा तो किसके साथ करूंगा।

कमला के कंधे से पल्लू हटाकर रघु चूम लिया। जिससे कमला के जिस्म में सिरहन दौड़ गई। रघु रूका नहीं जहां मन कर रहा था चूमते जा रहा था और कमला कसमसा कर मदहोशी के आलम में खोने लग गईं। अचानक कुछ याद आया खुद को काबू करके कमला बोली... छी गंदे हटो मुझे नहा लेने दो।

कमला के कहने पर भी रघु नहीं रूका जैसा मन कर रहा था, जहां मन कर रहा था चूमे जा रहा था। कसमसाते हुए कमला बार बार दूर हटने को कह रहीं थीं। लेकिन रघु बिना सुने मन की करे जा रहा था। छूटने का कोई ओर रस्ता न दिखा तो कमला को एक उपाय सूझा रघु के हाथ पर जोर से नकोच लिया। रघु aahaaaaaa करते हुऐ कमला को छोड़ दिया कमला कपड़े लेकर फट से बाथरूम में चली गई। रघु जब तक कुछ समझ पाता तब तक देर हों चूका था। इसलिए बस मुस्कुराकर रहा गया फ़िर बाथरूम के पास जाकर बोला…कमला अच्छा नहीं किया बाहर निकलो फिर बताता हूं।

कमला...आप को कहा था छोड़ दो, आप छोड़ ही नहीं रहें थें मजबूरन मुझे नकोचना पडा सॉरी आप'को दर्द दिया।

रघु थोड़ा सा मुस्कुराया फिर सिर खीजते हुए बोला... ठीक हैं जल्दी से नहा कर बाहर आओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kya baat hai kamla ko tajmahal samajh ke sabhi chume hi jaa rahe hai :roflol: lagta hai raghu ke saath saath aur surbhi ki bhi jawani hillore maar rahi thi kamla apne agosh mein leke..
so sasuraal mein pehli rasoyi rasm nibha li kamla ne.. sabke liye unka favorite khans taiyar kiya. waise sabhi ne mana kiya tha lekin wo nahi maani...
Shaandaar kahani, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan sath dilchasp kirdaaron ki bhumika bhi dekhne ko mili hai...
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
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Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
Ye kya tha bhai.. sab kuch to chupa diya, kuch to dikha dete . :sigh: kamla ka badan :drool:
 
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कमला का झुनझुना और रघु की लाठी का तकरार
रघु है बेकरार और कमला करे करार . 🤭

चटनी बिना लागे समोसा फीका , चटनी भी आएगी कर लो भरोसा.
शालु अमन कि इडली है तो अमन उसका डोसा
हो जाए फिर गरम एक बोसा. क्योंकि जब तक रहेगा समोसे में आलू ,अमन के दिल में रहगी शालू 🤭
Nice dp :blush1:
 
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Update - 34


रूम से बाहर आकर कमला नीचे बैठक में पहुंची वहां सुकन्या और सुरभि बैठी आपस में बाते कर रहीं थीं। कमला दोनों के पास गईं दोनों का पैर छूकर आर्शीवाद लिया फिर खड़ी हों गई। कमला को खड़ी देखकर सुरभि बोली...बहू खड़ी क्यों हों आओ मेरे पास बैठो।

सुरभि के पास जाकर कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके बोझिल सा हुआ और नैना बरस पड़ी। बस फिर होना क्या था सुरभि से लिपटकर कमला सुबक सुबककर रोने लग गई। कमला को यूं अचानक रोता देखकर सुरभि का मन विचलित हों उठा कमला का सिर सहलाते हुए बोली...अभी तो कितनी खुश लग रहीं थीं। अचानक क्या हुआ जो रोने लग गई? बताओं!

कमला बोली कुछ नहीं बस रोए जा रहीं थीं। सुकन्या उठकर कमला के पास आकर बैठ गई फिर सिर सहलाते हुऐ बोली... हमारी बहु तो अच्छी बच्ची हैं। ऐसे नहीं रोते बताओं क्या हुआ?

खुद से अलग कर कमला के आंसु पोछते हुऐ सुरभि बोली…नहीं रोते मेरे फूल सी बच्ची कितनी खिली खिली लग रहीं थीं पल भर में मुरझा गईं। बताओं बात क्या हैं जो तुम रो रहीं हों। रघु ने कुछ कहा हैं। मुझे बताओं मैं अभी उसका खबर लेता हूं।

कमला...नहीं मम्मी जी उन्होंने कुछ नहीं कहा वो तो बहुत अच्छे हैं। अपने अभी मेरे माथे को चूमा तो मां की याद आ गई मां भी ऐसे ही मेरे माथे को चूमा करती थीं।

कमला के माथे पर एक ओर चुम्बन अंकित कर सुरभि बोली...ऐसा हैं तो जाओ पहले मां से बात कर लो फ़िर कुछ रस्म हैं उसे पूरा कर लेंगे।

कमला उठकर चल गई। सुरभि और सुकन्या दोनों मुस्करा दिया। रूम की ओर जाते हुऐ कमला मन में बोली…सासु मां कितनी अच्छी हैं। मुझे रोता देखकर कितना परेशान हों गईं थीं। बिलकुल मां की तरह हैं। मां भी मुझे रोते देखकर ऐसे ही परेशान हों जाती थीं।

मन ही मन खुद से बात करते करते कमला रूम में पहुंच गई। एक नज़र रघु को देखा फिर बेड के पास रखा टेलिफोन से कॉल लगाकर कुछ वक्त तक मां और पापा से बात किया फ़िर रिसीवर रखकर रघु को आवाज़ देते हुऐ बोली...उठिए न कितना सोयेंगे।

रघु कुनमुनते हुऐ बिना आंख खोले बोला...कमला थोडी देर ओर सो लेने दो फिर उठ जाऊंगा।

ठीक हैं बोलकर कमला रूम से जानें लगीं फिर न जानें क्या सोचकर रूक गईं ओर अलमारी के पास जाकर कुछ कपड़े निकाला कपड़ो को रूम में रखा मेज पर रख दिया फ़िर बोली...आप'के कपड़े निकल कर रख दिया हैं। फ्रेश होकर पहन लेना।

इधर कीचन में रतन और धीरा सुबह की नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थें। सुरभि और सुकन्या कीचन में पहुंची दोनों को तैयारी करते हुए देखकर सुरभि बोली...दादाभाई सुबह के नाश्ते में क्या बना रहें हों?

रतन पलट कर देखा फिर बोला... रानी मां सोच रहा हूं आज बहुरानी के पसन्द का कुछ बनाकर सभी को खिलाऊ लेकिन मुझे बहुरानी के पसन्द का पाता नहीं, आप बहुरानी से पूछकर बता देते, तो अच्छा होता।

सुरभि…अभी थोडी देर में बहु कीचन में आएगी तब आप खुद ही पूछ लेना और बहु से कुछ बनवा भी लेना आज महल में बहु की पहली सुबह है। मैं सोच रहीं हूं आज ही पहली रसोई के रस्म को पूरा कर लिया जाएं।

रतन...जैसा आप ठीक समझें।

सुकन्या...मेरे बहु से पहली रसोई के नाम पर ज्यादा काम न करवाना नहीं तो आप दोनों की खैर नहीं।

रतन...नहीं नहीं छोटी मालकिन हम बहुरानी से बिल्कुल भी काम नहीं करवाएंगे।

सुकन्या...काम नहीं करवोगे तो बहु की पहली रसोई कैसे पूरा होगा ये कहो ज्यादा काम नहीं करवाएंगे।

रतन...जी मालकिन बहुरानी से ज्यादा काम नहीं करवाऊंगा।

सुकन्या और सुरभि कीचन से आकर बैठक में बैठ गईं। कमला चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए बैठक में पहुंची। कमला को पास बैठाकर सुरभि ने घर के रिवाजों के बारे मे बताया फिर घर में बना मंदिर में लेकर गई। कमला के हाथों पूजा करवाए फिर मंदिर से लाकर कीचन में ले गई। कुछ और बातें बताकर सुरभि और सुकन्या बैठक में आ गईं।

कमला कीचन देखकर मन ही मन खुश हों रहीं थीं। खाना बनाना कमला को बहुत पसन्द था लेकिन मां उसे खाना बनाने नहीं देती थीं, पर आज कमला सोच रहीं थीं मन लगाकर खाना बनाएगी और तरह तरह के व्यंजन बनाकर सभी का मन मोह लेगी।

रतन का उम्र ज्यादा था तो उसे किस नाम से संबोधित करे इस पर विचार कर रही थीं अचानक क्या सूझा कमला बोली...दादू मैं आप'को दादू बोल सकती हूं न!

कमला का यू अचानक दादू बोलने से रतन भावनाओ में बह गया कुछ पल की शांति छाया रहा फ़िर रतन बोला...बहुरानी जो आप'का मन करे आप बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं।

कमला...ठीक है! दादू आप मुझे बताइए सभी को नाश्ते में क्या खाना पसंद हैं। सभी के पसंद का नाश्ता मैं खुद बनाऊंगी।

रतन…नहीं नहीं बहुरानी आप सभी के लिए नाश्ता नहीं बनाएंगे आप सिर्फ खुद के पसंद का मीठा बनाएंगे।

कमला…बस meethaaaa! नहीं नहीं मैं सभी का नाश्ता खुद बनाऊंगी।

रतन…बिल्कुल nahiiii आप सिर्फ मीठा बनाएंगे। इसके अलावा कुछ नहीं!

भोली सूरत मासूम अदा से कमला बोली...kyuuuu?

कमला की अदा देखकर रतन मुस्कुराते हुऐ बोला…आप महल की बहुरानी हों। रानी मां और छोटी मालकिन ने शक्त निर्देश दिया है आप'से किचन में ज्यादा काम न करवाऊं नहीं तो दोनों मुझे बहुत डाटेंगे खासकर की छोटी मालकिन और एक बात महल में जब से मैं आया हूं तब से कभी रानी मां को कीचन में काम नहीं करने दिया तो आप'को कैसे दे सकता है। इसलिए आप सिर्फ उतना ही करेंगे जितना करने को आप से कहा गया हैं।

रतन का सुरभि को रानी मां बोलने से उसके दिमाग में एक सवाल आया की सभी काम करने वाले सासु मां को रानी मां क्यों कहते हैं। पूछना चाही पर न जानें क्यों नहीं पूछी फिर कीचन में काम करने से माना करने की बात सुनकर कमला उदास चेहरा बनाकर विनती करते हुए बोली... Pleaseeee दादू! नाश्ता मुझे बनने दो न मम्मी जी आप'को कुछ नहीं कहेगी मैं उनसे बात कर लूंगी। फ़िर चेहरे का भाव बदलकर मासूमियत लहजे में बोली...kyaaa आप मेरे लिए मम्मी जी से थोडी डांट नहीं सुन सकते।

कमला की मासूमियत से भरी बातें सुनकर रतन मुस्कुरा दिया फिर बोला...बहुरानी डांट तो खां लूंगा। लेकिन हमारे रहते आप खाना बनाओ ये हमें गवारा नहीं इसलिए आप सिर्फ मीठा ही बनाएंगे बस ओर कुछ नहीं।

दोनों में हां न की जिरह शुरू हो गया। रतन माना करे, कमला तरह तरह की बाते बनाकर हां बुलबाने की जतन करने लगीं। जिरह कुछ लम्बा चला अंतः रतन मान गया, फिर सभी के पसंद का नाश्ता बनाने में कमला जुट गईं। एक एक डीश को कमला निपुर्णता से बना रहीं थीं। जिसे देखकर रतन और धीरा कमला के कायल हों गए और मन ही मन कमला के पाक कला में निपुर्णता की तारीफ करने लगें।

किचन में बन रहें नाश्ते की खुशबू से पूरा महल महक गया। बैठक में बैठी सुरभि और सुकन्या तक भी स्वादिष्ट खाने की महक पहुंच गया। महक सूंघकर सुरभि मुस्करा दिया फ़िर सुकन्या बोली...दीदी लगता हैं बहु आने की खुशी में रतन ज्यादा ही खुश हों गए हैं इसलिए नाश्ते में स्पेशल कुछ बना रहे हैं।

सुरभि रहस्यमई मुस्कान से मुसकुराते हुए बोली... छोटी चल तूझे दिखाती हूं इतना स्वादिष्ट महक युक्त खाना कौन बना रहा हैं।

सुकन्या का हाथ पकड़कर सुरभि किचन की तरफ़ ले जानें लगीं। कई बार सुकन्या ने पूछा लेकिन सुरभि कुछ न बोली बस हाथ पकड़कर आगे को बढ़ती गई।

किचन में कमला नाश्ता बनाने के अंतिम पड़ाव पर थी। जिसे बनाने में मगन थी। रतन और धीरा दोनों साईड में खड़े होकर देख रहे थें। किचन की गर्मी से कमला के माथे और बाकी बदन पर पसीना आ गईं। जिसे पोछते हुऐ। कमला नाश्ता बनाने में लगी रहीं।

सुरभि और सुकन्या कीचन पहुंचकर दरवाज़े पर खडा होंकर अंदर के नजरे को देखने लगीं। सुरभि मुस्करा रहीं थीं लेकिन सुकन्या एक नज़र कमला को देखा फिर रतन की तरफ देखकर गुस्से से बोली...दादाभाई आप'को बोला था न, बहु से किचन में ज्यादा काम न करवाना फिर अपने बहु को किचन में इतनी देर तक क्यों रोके रखा। देखिए बहु को कितनी गर्मी लग रहीं हैं पसीने में नहा गईं हैं।

सुकन्या के मुंह से दादाभाई सुनकर रतन और धीरा अचंभित होंकर, सुकन्या को एक टक देखें जा रहे थें। पसीने से तर कमला पलटी सुकन्या को नाराज़ होंकर रतन पर भड़कते देखकर नज़रे झुका लिया फिर चुप चाप खड़ी हों गई। पसीने से तर कमला को देखकर सुकन्या फिर बोली...दादाभाई आप'के काम चोरी के कारण मेरी बहु पसीने से नहा गईं हैं। ये आप'ने ठीक नहीं किया।

पसीने से नहाई कमला को देखकर सुरभि कमला के पास गई और खुद के आंचल से पसीना पोछा फिर रतन से बोला...दादा भाई आप से कहा था फ़िर भी आप सुने क्यों नहीं बहु से इतना काम क्यों करवाया देखो पसीने में तर हों गईं हैं।

रतन...रानी मां बहुरानी को मना किया था। लेकिन बहुरानी सुनी ही नहीं, मैं क्या करता?

सुरभि...बहु तुमने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा था न तुम सिर्फ मीठे में कुछ बनाओगी फिर सुना क्यों नहीं?

कमला...सिर्फ मीठा बनाने का मेरा मन नहीं किया इसलिए पूरा नाश्ता खुद ही बना दिया।

रतन को डांटने के तर्ज पर सुरभि बोली... दादा भाई आप मुझे किचन में काम करने नहीं देते थे फिर बहु को क्यों काम करने दिया।

कमला... मम्मी जी आप दादू को क्यों डांट रही हों दादू तो माना कर रहे थें। मेरे बहुत कहने पर ही माने।

सुरभि...अच्छा ठीक हैं तुम जाओ जाकर नहा लो बाकी का मैं बना देती हूं।

कमला...बस थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

सुकन्या...नहीं बिल्कुल नहीं जाओ जल्दी जाकर नहा लो।

सुरभि... बहु बहुत काम कर लिया अब ओर नहीं जाओ जल्दी से नहा लो।

कमला भोली सूरत बनाकर बोली...pleaseeee मम्मी जी मान जाइए न थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

कमला की भोली अदा देखकर सुरभि और सुकन्या मुस्करा दिया फिर हां बोलकर किचन से चली गईं। एक बार फिर से कमला अंतिम डीश बनाने में जुट गईं। कुछ ही देर में अंतिम डीश बनकर तैयार हों गया तैयार होते ही रतन बोला…बहुरानी आप जाकर नहा लो तब तक मैं और धीरा सभी के लिए नाश्ता मेज पर लगा देता हूं।

कमला...ठीक हैं लेकिन किसी को परोसना नहीं सभी को मैं परोसूंगी।

कमला कीचन से बाहर निकाला फिर नहाने रूम को चल दिया। रघु उठ चूका था नहा धोकर, निकालकर रखा हुआ कपड़ा पहन लिया। रघु बाहर आ ही रहा था कि कमला रूम में पहुंच गई। पसीने में नहाई कमला को देखकर रघु बोला...कमला ये किया हल बना रखा हैं कहा गई थीं जो पसीने में नहाकर आई हों।

कमला...जी मैं किचन मे थी सभी के लिए नाश्ता बना रहीं थीं।

रघु...रतन दादू और धीरा हैं फिर तुम क्यों नाश्ता बना रहें थें।

कमला...आप न सच में बुद्धू हों जानते नहीं नई बहू को खुद से बनाकर सभी को खिलाना पड़ता हैं मैं भी उसी रस्म को पूरा कर रही थीं।

रघु सिर खीजते हुए बोला...Oooo ऐसा किया चलो फिर जल्दी से नहाकर आओ मुझे बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

कमला…भूख को थोडी देर ओर बर्दास्त कर लीजिए फिर जी भर के खा लेना।

रघु को शरारत सूझा इसलिए नजदीक आकर कमला को पकड़ने जा ही रहा था की कमला कन्नी काटकर सीधा बाथरूम में घुस गई और जोर जोर से हसने लगीं। तब रघु बोला…कमला कपड़े तो लिया ही नहीं नहाकर बिना कपड़े के बाहर आओगी।

कमला की हंसी पल भार में गायब हों गई फिर कुछ सोचकर मुस्कुराते हुऐ दरवाज़ा खोलकर खड़ी हों गईं। कमला को खड़ा देखकर रघु कमला की ओर लपका, रघु को आता देखकर कमला ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया फिर बोली...आप चुप चाप बाहर जाओ।

रघु…बाहर तो तुम्हारे साथ जाऊंगा तुम जल्दी से नहा कर बाहर निकलो।

कमला…नहाऊंगी तब न जब कपड़े लेकर आऊंगी आप दरवाज़े से हटो मुझे कपड़े लेने दो।

रघु...तुम दरवाज़ा खोलो कपड़े मैं निकालकर देता हूं।

कमला...नहीं नहीं आप मेरे कपड़ों को हाथ भी नहीं लगाएंगे। नहीं तो मैं बाथरूम से बाहर ही नहीं आऊंगी।

रघु मुस्कुराते हुए बोला…ठीक हैं हाथ नहीं लगाता अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला...आप कोई शरारत तो नहीं करेंगे न।

रघु...पसीने की बूंदे तुम्हारे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रहा हैं इसलिए थोड़ा सा शरारत करूंगा।

सेक्सी शब्द सुनते ही कमला शर्मा गई फिर मन ही मन बोली... पहले बात करने में कितना झिझकते थे अब देखो कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहे हैं।

रघु...क्या हुआ कमला? कपड़े नहीं लेना या पूरा दिन बाथरूम में रहना हैं।

कमला...लेना हैं लेकिन आप कह रहे हो शरारत करोगे इसलिए सोच रहीं हूं अंदर ही रहती हूं।

रघु...शरारत नहीं करूंगा अब आकर कपड़े ले जाओ।

कमला... वादा करों, आप कोई शरारत नहीं करोगे।

रघु रहस्यमई मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोला...वादा करता हूं शरारत नहीं करूंगा।

कमला धीरे से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला, रघु एक साईड को हों गया फिर कमला अलमारी के पास जाकर कपड़े निकलने लग गई। मौका देखकर रघु जाकर कमला के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया। छटपटाते हुए कमला बोली…आप ने कहा था कोई शरारत नहीं करूंगा फ़िर वादा क्यों थोड़ा?

रघु...वो तो तुम्हें बाहर लाने के लिए बोला था। बीबी के साथ शरारत नहीं करूंगा तो किसके साथ करूंगा।

कमला के कंधे से पल्लू हटाकर रघु चूम लिया। जिससे कमला के जिस्म में सिरहन दौड़ गई। रघु रूका नहीं जहां मन कर रहा था चूमते जा रहा था और कमला कसमसा कर मदहोशी के आलम में खोने लग गईं। अचानक कुछ याद आया खुद को काबू करके कमला बोली... छी गंदे हटो मुझे नहा लेने दो।

कमला के कहने पर भी रघु नहीं रूका जैसा मन कर रहा था, जहां मन कर रहा था चूमे जा रहा था। कसमसाते हुए कमला बार बार दूर हटने को कह रहीं थीं। लेकिन रघु बिना सुने मन की करे जा रहा था। छूटने का कोई ओर रस्ता न दिखा तो कमला को एक उपाय सूझा रघु के हाथ पर जोर से नकोच लिया। रघु aahaaaaaa करते हुऐ कमला को छोड़ दिया कमला कपड़े लेकर फट से बाथरूम में चली गई। रघु जब तक कुछ समझ पाता तब तक देर हों चूका था। इसलिए बस मुस्कुराकर रहा गया फ़िर बाथरूम के पास जाकर बोला…कमला अच्छा नहीं किया बाहर निकलो फिर बताता हूं।

कमला...आप को कहा था छोड़ दो, आप छोड़ ही नहीं रहें थें मजबूरन मुझे नकोचना पडा सॉरी आप'को दर्द दिया।

रघु थोड़ा सा मुस्कुराया फिर सिर खीजते हुए बोला... ठीक हैं जल्दी से नहा कर बाहर आओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kamla ka pasine se bhiga badan :shag: har katav nazar ayei.
bas chumma chati karke chod diya raghu ne. meto kabhi nahi jane nhii deta.
 
Eaten Alive
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Ab tak sare updates read karloya I must say you Destiny know how to put emotions in a light way :clapclap:
Kahani mai jaha ek taraf rajendra aur surbhi hai jo apne pariwar se bohut zyada lagaw rakhte hai aur ek ache mukhiya ki tarah pariwar ko sambhal kar le chal rahe hai jaha surbhi raghu aur pushpa ke siwa apasyu ko bhi utni hi mamta deti hai jaise wo bhi uska Maa saga beta ho.
Wahi ek bhai hai jo sirf property ke khatir apne hi pariwar ka dushman bana huwa na jane usne property ke chakkar kitne hi logon ko maut ke ghar utar diya apna sach chupane ke liye.
Wahi ek aur sukanya jiska character starting mai laga ki ye bhi apne pati ki tarah hi hai but agey pata chala ki iski bhi apni majburi jaha Kehne ko ek bhai hai jo usse majbur kar raha hai aise karne ko but antai usne faisla leliye ki ab wo pariwar ke logon ke sath ache se pesh ayegi.
Sukanya ne bura vyavahar sirf surbhi se hi kiya na ki kabhi raghu aur pushpa se uske liye wi dono waise hi hai jaise surbhi je liye apasyu.
Ek aur raghu hai jo apne Maa Baap ke sikhayegaye sanskar par chalne mai hi vishwas rakhta hai.
Pushpa is ghar ke ladli and sab par rub jatane wali maharani jiski saza sach mai hi khatarnak hai pata nahi bechare ashish ka kya hoga shadi ke Baad.
Wahi apasyu hai jo pata nahi apne hi logon par kitne zulm karta huwa araha ha ab usey pachtawa ho raha hai but mujhe nahi lagta jo galiya usne ki hai wo Maafi ke kabil bhi hai usne jo bhi kaam kiye unsab ko nazar andaz kiya ja sakta hai but jo usne aurto aur ladkiyon ki izzat ke khela uski Maafi to katai nahi honi chahiye.
Raman ek sacha dost jo humesha har hal mai apne dost ke sath khada hota hai.
Kamla is story ki sabse hatke character jab tak gussa nahi aya tab tak bohut hi sweet hai but ek baar jab gussa ajaye uske Baad to chandi hai ab lagta hai ravan par ye kamla Naam Ka grahan bohut jald hi lagega.
Overall such a nice story with a good writing skills :clapclap::clapclap::clapclap::clapclap:
Kya baat hai.... :perfect:
 

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