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Update - 34
रूम से बाहर आकर कमला नीचे बैठक में पहुंची वहां सुकन्या और सुरभि बैठी आपस में बाते कर रहीं थीं। कमला दोनों के पास गईं दोनों का पैर छूकर आर्शीवाद लिया फिर खड़ी हों गई। कमला को खड़ी देखकर सुरभि बोली...बहू खड़ी क्यों हों आओ मेरे पास बैठो।
सुरभि के पास जाकर कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके बोझिल सा हुआ और नैना बरस पड़ी। बस फिर होना क्या था सुरभि से लिपटकर कमला सुबक सुबककर रोने लग गई। कमला को यूं अचानक रोता देखकर सुरभि का मन विचलित हों उठा कमला का सिर सहलाते हुए बोली...अभी तो कितनी खुश लग रहीं थीं। अचानक क्या हुआ जो रोने लग गई? बताओं!
कमला बोली कुछ नहीं बस रोए जा रहीं थीं। सुकन्या उठकर कमला के पास आकर बैठ गई फिर सिर सहलाते हुऐ बोली... हमारी बहु तो अच्छी बच्ची हैं। ऐसे नहीं रोते बताओं क्या हुआ?
खुद से अलग कर कमला के आंसु पोछते हुऐ सुरभि बोली…नहीं रोते मेरे फूल सी बच्ची कितनी खिली खिली लग रहीं थीं पल भर में मुरझा गईं। बताओं बात क्या हैं जो तुम रो रहीं हों। रघु ने कुछ कहा हैं। मुझे बताओं मैं अभी उसका खबर लेता हूं।
कमला...नहीं मम्मी जी उन्होंने कुछ नहीं कहा वो तो बहुत अच्छे हैं। अपने अभी मेरे माथे को चूमा तो मां की याद आ गई मां भी ऐसे ही मेरे माथे को चूमा करती थीं।
कमला के माथे पर एक ओर चुम्बन अंकित कर सुरभि बोली...ऐसा हैं तो जाओ पहले मां से बात कर लो फ़िर कुछ रस्म हैं उसे पूरा कर लेंगे।
कमला उठकर चल गई। सुरभि और सुकन्या दोनों मुस्करा दिया। रूम की ओर जाते हुऐ कमला मन में बोली…सासु मां कितनी अच्छी हैं। मुझे रोता देखकर कितना परेशान हों गईं थीं। बिलकुल मां की तरह हैं। मां भी मुझे रोते देखकर ऐसे ही परेशान हों जाती थीं।
मन ही मन खुद से बात करते करते कमला रूम में पहुंच गई। एक नज़र रघु को देखा फिर बेड के पास रखा टेलिफोन से कॉल लगाकर कुछ वक्त तक मां और पापा से बात किया फ़िर रिसीवर रखकर रघु को आवाज़ देते हुऐ बोली...उठिए न कितना सोयेंगे।
रघु कुनमुनते हुऐ बिना आंख खोले बोला...कमला थोडी देर ओर सो लेने दो फिर उठ जाऊंगा।
ठीक हैं बोलकर कमला रूम से जानें लगीं फिर न जानें क्या सोचकर रूक गईं ओर अलमारी के पास जाकर कुछ कपड़े निकाला कपड़ो को रूम में रखा मेज पर रख दिया फ़िर बोली...आप'के कपड़े निकल कर रख दिया हैं। फ्रेश होकर पहन लेना।
इधर कीचन में रतन और धीरा सुबह की नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थें। सुरभि और सुकन्या कीचन में पहुंची दोनों को तैयारी करते हुए देखकर सुरभि बोली...दादाभाई सुबह के नाश्ते में क्या बना रहें हों?
रतन पलट कर देखा फिर बोला... रानी मां सोच रहा हूं आज बहुरानी के पसन्द का कुछ बनाकर सभी को खिलाऊ लेकिन मुझे बहुरानी के पसन्द का पाता नहीं, आप बहुरानी से पूछकर बता देते, तो अच्छा होता।
सुरभि…अभी थोडी देर में बहु कीचन में आएगी तब आप खुद ही पूछ लेना और बहु से कुछ बनवा भी लेना आज महल में बहु की पहली सुबह है। मैं सोच रहीं हूं आज ही पहली रसोई के रस्म को पूरा कर लिया जाएं।
रतन...जैसा आप ठीक समझें।
सुकन्या...मेरे बहु से पहली रसोई के नाम पर ज्यादा काम न करवाना नहीं तो आप दोनों की खैर नहीं।
रतन...नहीं नहीं छोटी मालकिन हम बहुरानी से बिल्कुल भी काम नहीं करवाएंगे।
सुकन्या...काम नहीं करवोगे तो बहु की पहली रसोई कैसे पूरा होगा ये कहो ज्यादा काम नहीं करवाएंगे।
रतन...जी मालकिन बहुरानी से ज्यादा काम नहीं करवाऊंगा।
सुकन्या और सुरभि कीचन से आकर बैठक में बैठ गईं। कमला चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए बैठक में पहुंची। कमला को पास बैठाकर सुरभि ने घर के रिवाजों के बारे मे बताया फिर घर में बना मंदिर में लेकर गई। कमला के हाथों पूजा करवाए फिर मंदिर से लाकर कीचन में ले गई। कुछ और बातें बताकर सुरभि और सुकन्या बैठक में आ गईं।
कमला कीचन देखकर मन ही मन खुश हों रहीं थीं। खाना बनाना कमला को बहुत पसन्द था लेकिन मां उसे खाना बनाने नहीं देती थीं, पर आज कमला सोच रहीं थीं मन लगाकर खाना बनाएगी और तरह तरह के व्यंजन बनाकर सभी का मन मोह लेगी।
रतन का उम्र ज्यादा था तो उसे किस नाम से संबोधित करे इस पर विचार कर रही थीं अचानक क्या सूझा कमला बोली...दादू मैं आप'को दादू बोल सकती हूं न!
कमला का यू अचानक दादू बोलने से रतन भावनाओ में बह गया कुछ पल की शांति छाया रहा फ़िर रतन बोला...बहुरानी जो आप'का मन करे आप बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं।
कमला...ठीक है! दादू आप मुझे बताइए सभी को नाश्ते में क्या खाना पसंद हैं। सभी के पसंद का नाश्ता मैं खुद बनाऊंगी।
रतन…नहीं नहीं बहुरानी आप सभी के लिए नाश्ता नहीं बनाएंगे आप सिर्फ खुद के पसंद का मीठा बनाएंगे।
कमला…बस meethaaaa! नहीं नहीं मैं सभी का नाश्ता खुद बनाऊंगी।
रतन…बिल्कुल nahiiii आप सिर्फ मीठा बनाएंगे। इसके अलावा कुछ नहीं!
भोली सूरत मासूम अदा से कमला बोली...kyuuuu?
कमला की अदा देखकर रतन मुस्कुराते हुऐ बोला…आप महल की बहुरानी हों। रानी मां और छोटी मालकिन ने शक्त निर्देश दिया है आप'से किचन में ज्यादा काम न करवाऊं नहीं तो दोनों मुझे बहुत डाटेंगे खासकर की छोटी मालकिन और एक बात महल में जब से मैं आया हूं तब से कभी रानी मां को कीचन में काम नहीं करने दिया तो आप'को कैसे दे सकता है। इसलिए आप सिर्फ उतना ही करेंगे जितना करने को आप से कहा गया हैं।
रतन का सुरभि को रानी मां बोलने से उसके दिमाग में एक सवाल आया की सभी काम करने वाले सासु मां को रानी मां क्यों कहते हैं। पूछना चाही पर न जानें क्यों नहीं पूछी फिर कीचन में काम करने से माना करने की बात सुनकर कमला उदास चेहरा बनाकर विनती करते हुए बोली... Pleaseeee दादू! नाश्ता मुझे बनने दो न मम्मी जी आप'को कुछ नहीं कहेगी मैं उनसे बात कर लूंगी। फ़िर चेहरे का भाव बदलकर मासूमियत लहजे में बोली...kyaaa आप मेरे लिए मम्मी जी से थोडी डांट नहीं सुन सकते।
कमला की मासूमियत से भरी बातें सुनकर रतन मुस्कुरा दिया फिर बोला...बहुरानी डांट तो खां लूंगा। लेकिन हमारे रहते आप खाना बनाओ ये हमें गवारा नहीं इसलिए आप सिर्फ मीठा ही बनाएंगे बस ओर कुछ नहीं।
दोनों में हां न की जिरह शुरू हो गया। रतन माना करे, कमला तरह तरह की बाते बनाकर हां बुलबाने की जतन करने लगीं। जिरह कुछ लम्बा चला अंतः रतन मान गया, फिर सभी के पसंद का नाश्ता बनाने में कमला जुट गईं। एक एक डीश को कमला निपुर्णता से बना रहीं थीं। जिसे देखकर रतन और धीरा कमला के कायल हों गए और मन ही मन कमला के पाक कला में निपुर्णता की तारीफ करने लगें।
किचन में बन रहें नाश्ते की खुशबू से पूरा महल महक गया। बैठक में बैठी सुरभि और सुकन्या तक भी स्वादिष्ट खाने की महक पहुंच गया। महक सूंघकर सुरभि मुस्करा दिया फ़िर सुकन्या बोली...दीदी लगता हैं बहु आने की खुशी में रतन ज्यादा ही खुश हों गए हैं इसलिए नाश्ते में स्पेशल कुछ बना रहे हैं।
सुरभि रहस्यमई मुस्कान से मुसकुराते हुए बोली... छोटी चल तूझे दिखाती हूं इतना स्वादिष्ट महक युक्त खाना कौन बना रहा हैं।
सुकन्या का हाथ पकड़कर सुरभि किचन की तरफ़ ले जानें लगीं। कई बार सुकन्या ने पूछा लेकिन सुरभि कुछ न बोली बस हाथ पकड़कर आगे को बढ़ती गई।
किचन में कमला नाश्ता बनाने के अंतिम पड़ाव पर थी। जिसे बनाने में मगन थी। रतन और धीरा दोनों साईड में खड़े होकर देख रहे थें। किचन की गर्मी से कमला के माथे और बाकी बदन पर पसीना आ गईं। जिसे पोछते हुऐ। कमला नाश्ता बनाने में लगी रहीं।
सुरभि और सुकन्या कीचन पहुंचकर दरवाज़े पर खडा होंकर अंदर के नजरे को देखने लगीं। सुरभि मुस्करा रहीं थीं लेकिन सुकन्या एक नज़र कमला को देखा फिर रतन की तरफ देखकर गुस्से से बोली...दादाभाई आप'को बोला था न, बहु से किचन में ज्यादा काम न करवाना फिर अपने बहु को किचन में इतनी देर तक क्यों रोके रखा। देखिए बहु को कितनी गर्मी लग रहीं हैं पसीने में नहा गईं हैं।
सुकन्या के मुंह से दादाभाई सुनकर रतन और धीरा अचंभित होंकर, सुकन्या को एक टक देखें जा रहे थें। पसीने से तर कमला पलटी सुकन्या को नाराज़ होंकर रतन पर भड़कते देखकर नज़रे झुका लिया फिर चुप चाप खड़ी हों गई। पसीने से तर कमला को देखकर सुकन्या फिर बोली...दादाभाई आप'के काम चोरी के कारण मेरी बहु पसीने से नहा गईं हैं। ये आप'ने ठीक नहीं किया।
पसीने से नहाई कमला को देखकर सुरभि कमला के पास गई और खुद के आंचल से पसीना पोछा फिर रतन से बोला...दादा भाई आप से कहा था फ़िर भी आप सुने क्यों नहीं बहु से इतना काम क्यों करवाया देखो पसीने में तर हों गईं हैं।
रतन...रानी मां बहुरानी को मना किया था। लेकिन बहुरानी सुनी ही नहीं, मैं क्या करता?
सुरभि...बहु तुमने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा था न तुम सिर्फ मीठे में कुछ बनाओगी फिर सुना क्यों नहीं?
कमला...सिर्फ मीठा बनाने का मेरा मन नहीं किया इसलिए पूरा नाश्ता खुद ही बना दिया।
रतन को डांटने के तर्ज पर सुरभि बोली... दादा भाई आप मुझे किचन में काम करने नहीं देते थे फिर बहु को क्यों काम करने दिया।
कमला... मम्मी जी आप दादू को क्यों डांट रही हों दादू तो माना कर रहे थें। मेरे बहुत कहने पर ही माने।
सुरभि...अच्छा ठीक हैं तुम जाओ जाकर नहा लो बाकी का मैं बना देती हूं।
कमला...बस थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।
सुकन्या...नहीं बिल्कुल नहीं जाओ जल्दी जाकर नहा लो।
सुरभि... बहु बहुत काम कर लिया अब ओर नहीं जाओ जल्दी से नहा लो।
कमला भोली सूरत बनाकर बोली...pleaseeee मम्मी जी मान जाइए न थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।
कमला की भोली अदा देखकर सुरभि और सुकन्या मुस्करा दिया फिर हां बोलकर किचन से चली गईं। एक बार फिर से कमला अंतिम डीश बनाने में जुट गईं। कुछ ही देर में अंतिम डीश बनकर तैयार हों गया तैयार होते ही रतन बोला…बहुरानी आप जाकर नहा लो तब तक मैं और धीरा सभी के लिए नाश्ता मेज पर लगा देता हूं।
कमला...ठीक हैं लेकिन किसी को परोसना नहीं सभी को मैं परोसूंगी।
कमला कीचन से बाहर निकाला फिर नहाने रूम को चल दिया। रघु उठ चूका था नहा धोकर, निकालकर रखा हुआ कपड़ा पहन लिया। रघु बाहर आ ही रहा था कि कमला रूम में पहुंच गई। पसीने में नहाई कमला को देखकर रघु बोला...कमला ये किया हल बना रखा हैं कहा गई थीं जो पसीने में नहाकर आई हों।
कमला...जी मैं किचन मे थी सभी के लिए नाश्ता बना रहीं थीं।
रघु...रतन दादू और धीरा हैं फिर तुम क्यों नाश्ता बना रहें थें।
कमला...आप न सच में बुद्धू हों जानते नहीं नई बहू को खुद से बनाकर सभी को खिलाना पड़ता हैं मैं भी उसी रस्म को पूरा कर रही थीं।
रघु सिर खीजते हुए बोला...Oooo ऐसा किया चलो फिर जल्दी से नहाकर आओ मुझे बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।
कमला…भूख को थोडी देर ओर बर्दास्त कर लीजिए फिर जी भर के खा लेना।
रघु को शरारत सूझा इसलिए नजदीक आकर कमला को पकड़ने जा ही रहा था की कमला कन्नी काटकर सीधा बाथरूम में घुस गई और जोर जोर से हसने लगीं। तब रघु बोला…कमला कपड़े तो लिया ही नहीं नहाकर बिना कपड़े के बाहर आओगी।
कमला की हंसी पल भार में गायब हों गई फिर कुछ सोचकर मुस्कुराते हुऐ दरवाज़ा खोलकर खड़ी हों गईं। कमला को खड़ा देखकर रघु कमला की ओर लपका, रघु को आता देखकर कमला ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया फिर बोली...आप चुप चाप बाहर जाओ।
रघु…बाहर तो तुम्हारे साथ जाऊंगा तुम जल्दी से नहा कर बाहर निकलो।
कमला…नहाऊंगी तब न जब कपड़े लेकर आऊंगी आप दरवाज़े से हटो मुझे कपड़े लेने दो।
रघु...तुम दरवाज़ा खोलो कपड़े मैं निकालकर देता हूं।
कमला...नहीं नहीं आप मेरे कपड़ों को हाथ भी नहीं लगाएंगे। नहीं तो मैं बाथरूम से बाहर ही नहीं आऊंगी।
रघु मुस्कुराते हुए बोला…ठीक हैं हाथ नहीं लगाता अब आकर कपड़े ले जाओ।
कमला...आप कोई शरारत तो नहीं करेंगे न।
रघु...पसीने की बूंदे तुम्हारे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रहा हैं इसलिए थोड़ा सा शरारत करूंगा।
सेक्सी शब्द सुनते ही कमला शर्मा गई फिर मन ही मन बोली... पहले बात करने में कितना झिझकते थे अब देखो कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहे हैं।
रघु...क्या हुआ कमला? कपड़े नहीं लेना या पूरा दिन बाथरूम में रहना हैं।
कमला...लेना हैं लेकिन आप कह रहे हो शरारत करोगे इसलिए सोच रहीं हूं अंदर ही रहती हूं।
रघु...शरारत नहीं करूंगा अब आकर कपड़े ले जाओ।
कमला... वादा करों, आप कोई शरारत नहीं करोगे।
रघु रहस्यमई मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोला...वादा करता हूं शरारत नहीं करूंगा।
कमला धीरे से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला, रघु एक साईड को हों गया फिर कमला अलमारी के पास जाकर कपड़े निकलने लग गई। मौका देखकर रघु जाकर कमला के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया। छटपटाते हुए कमला बोली…आप ने कहा था कोई शरारत नहीं करूंगा फ़िर वादा क्यों थोड़ा?
रघु...वो तो तुम्हें बाहर लाने के लिए बोला था। बीबी के साथ शरारत नहीं करूंगा तो किसके साथ करूंगा।
कमला के कंधे से पल्लू हटाकर रघु चूम लिया। जिससे कमला के जिस्म में सिरहन दौड़ गई। रघु रूका नहीं जहां मन कर रहा था चूमते जा रहा था और कमला कसमसा कर मदहोशी के आलम में खोने लग गईं। अचानक कुछ याद आया खुद को काबू करके कमला बोली... छी गंदे हटो मुझे नहा लेने दो।
कमला के कहने पर भी रघु नहीं रूका जैसा मन कर रहा था, जहां मन कर रहा था चूमे जा रहा था। कसमसाते हुए कमला बार बार दूर हटने को कह रहीं थीं। लेकिन रघु बिना सुने मन की करे जा रहा था। छूटने का कोई ओर रस्ता न दिखा तो कमला को एक उपाय सूझा रघु के हाथ पर जोर से नकोच लिया। रघु aahaaaaaa करते हुऐ कमला को छोड़ दिया कमला कपड़े लेकर फट से बाथरूम में चली गई। रघु जब तक कुछ समझ पाता तब तक देर हों चूका था। इसलिए बस मुस्कुराकर रहा गया फ़िर बाथरूम के पास जाकर बोला…कमला अच्छा नहीं किया बाहर निकलो फिर बताता हूं।
कमला...आप को कहा था छोड़ दो, आप छोड़ ही नहीं रहें थें मजबूरन मुझे नकोचना पडा सॉरी आप'को दर्द दिया।
रघु थोड़ा सा मुस्कुराया फिर सिर खीजते हुए बोला... ठीक हैं जल्दी से नहा कर बाहर आओ।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।





