Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

R

Riya

Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गई। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया। डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था। सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार होंकर पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीतता गया डिंपल को गुस्सा आने लग गया क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु अभी तक आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं। तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाए मैं ज्यादा देर थोडी न रोकती कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करुंगी।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकलने लग गई। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण से रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया।

विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देखकर बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

विभान और संजय साथ में बोला...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल सभी इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखाकर डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को आता देखकर विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोलकर अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जाकर बोला...भाभी जी आप यहां। कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आप'को घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुनकर मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोलकर चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा जाकर उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडका दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुनकर गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमने थोड़ा छेड़ दिया तो क्या बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठाकर खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई। संजय बस ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोलकर निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़के मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोला मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोलकर दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भागा विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूट्टा सांड" बोलकर सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़कर खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों बस विरोधी पहलाव को धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा। पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकडे चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा लेकर खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोलकर लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देखकर खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
apasyu ne galti kar di ab uski saja dimple deke hi rahegi. aur kya saja degi uska bhi faisla kar chuki thi.lekin apashyu ki bhi apni majburi thi.
apashyu sach much bahut galat ladko ke sangat me tha ab tak. aj jo bhi hua hai un sabhi ke sath, usse bhi badtar hona chahiye . fir aise karne se pehle das bar sochte. sirf anurag inse alag hai. Wonderful update destiny ji.
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गई। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया। डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था। सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार होंकर पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीतता गया डिंपल को गुस्सा आने लग गया क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु अभी तक आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं। तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाए मैं ज्यादा देर थोडी न रोकती कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करुंगी।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकलने लग गई। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण से रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया।

विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देखकर बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

विभान और संजय साथ में बोला...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल सभी इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखाकर डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को आता देखकर विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोलकर अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जाकर बोला...भाभी जी आप यहां। कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आप'को घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुनकर मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोलकर चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा जाकर उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडका दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुनकर गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमने थोड़ा छेड़ दिया तो क्या बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठाकर खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई। संजय बस ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोलकर निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़के मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोला मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोलकर दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भागा विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूट्टा सांड" बोलकर सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़कर खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों बस विरोधी पहलाव को धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा। पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकडे चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा लेकर खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोलकर लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देखकर खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
superb update tha bhai. maja a gya padhke. dimple ko idea mil gaya us jodi ko dekhe. ab apshyu ko bhi minnate karne par maafi milegi.
us pahalvan jodi ne sanjay, manish aur vibhan ki toli ko jam ke dhulaai kar di :lotpot: sanjay ka thobra bigad diya us ladki ne. kisko muh dikhane layak na rahe ab .
 
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Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गई। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया। डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था। सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार होंकर पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीतता गया डिंपल को गुस्सा आने लग गया क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु अभी तक आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं। तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाए मैं ज्यादा देर थोडी न रोकती कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करुंगी।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकलने लग गई। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण से रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया।

विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देखकर बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

विभान और संजय साथ में बोला...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल सभी इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखाकर डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को आता देखकर विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोलकर अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जाकर बोला...भाभी जी आप यहां। कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आप'को घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुनकर मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोलकर चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा जाकर उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडका दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुनकर गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमने थोड़ा छेड़ दिया तो क्या बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठाकर खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई। संजय बस ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोलकर निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़के मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोला मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोलकर दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भागा विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूट्टा सांड" बोलकर सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़कर खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों बस विरोधी पहलाव को धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा। पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकडे चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा लेकर खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोलकर लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देखकर खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
mast jabardast update tha bhai.
apasyu dimple se milne nahi a paya. ab uski watt laga degi dimple :D
usi park me apasyu ke dost ake sabhi laundio ko ched rahe the . us body builder ki gf ko chedne gaya to mast kutai kar di :lol: tino ke gand lal kiya bodybuilder aur uski gf ne aur wo tino dosh de rahe hai anurag ko :lol:
Sanjay ki to watt laga di chappal se :D
 
Eaten Alive
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main kya keh rahi thi ki dimple ne bahot saza dene ke baare mein soch rahi hai.... apsyu ko aisi saza deni chaahiye jish se ki uski ruh tak kaanp jaaye,,..... itni khaufnaak saza ho wo.... tab jaake kaleje ko thandak milegi...
Btw mujhe ek baat samajh mein nahi aa rahi ki apsyu ke un gire huye nich harami dosto ko bas pit kar hi kyun chhod diya.... are jaan se maar dete to maja aata padhne mein :evillaugh:
Waise Sukanya aur surbhi ki prem phir ka suru hogi phir se :D
Well .....Shaandaar kahani, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan sath dilchasp kirdaaron ki bhumika bhi dekhne ko mili hai...

Let's see what happens next..
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
A

Avni

Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गई। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया। डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था। सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार होंकर पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीतता गया डिंपल को गुस्सा आने लग गया क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु अभी तक आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं। तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाए मैं ज्यादा देर थोडी न रोकती कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करुंगी।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकलने लग गई। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण से रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया।

विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देखकर बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

विभान और संजय साथ में बोला...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल सभी इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखाकर डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को आता देखकर विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोलकर अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जाकर बोला...भाभी जी आप यहां। कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आप'को घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुनकर मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोलकर चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा जाकर उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडका दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुनकर गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमने थोड़ा छेड़ दिया तो क्या बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठाकर खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई। संजय बस ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोलकर निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़के मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोला मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोलकर दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भागा विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूट्टा सांड" बोलकर सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़कर खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों बस विरोधी पहलाव को धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा। पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकडे चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा लेकर खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोलकर लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देखकर खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
Amazing update dear. kya bat hai apasyu pura agyakari ladka ban gaya hai. rajendra ji ki har baat manne laga hai aj kal. dimple se bhi milne gaya. udhar dimple ko bhi bahana mil gaya apasyu ko punishment dene ke liye. apasyu ko to bad me punishment milti usse pehle ladki chedh ne ki waja se uske frnds ki pitai ho gayi.
 
Will Change With Time
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Update - 38


दोस्तों को उन्हीं के कर्मों के कारण क्या दुर्गति हुआ? इस बात से अंजान अपश्यु बड़े पापा के साथ था और कुछ परेशान सा था। सिर्फ इस बात से की डिंपल कितना नाराज़ होगी। बरहाल राजेंद्र जिस काम को निपटाने के लिए अपश्यु को साथ ले गया था उसे निपटाते निपटाते काफी समय हो गया। काम निपटाकर घर आते वक्त राजेंद्र को लगा अपश्यु कुछ बुझा बुझा सा हैं। जितनी खुशी खुशी सुबह आया था वो खुशी कहीं खो सा गया हैं इसलिए राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा देख रहा हूं तुम कुछ परेशन सा हों आते समय तो बहुत बात कर रहे थें अब किया हुआ बिल्कुल गुमसूम सा बैठे हों।

अपश्यु परेशानी का कारण बताना नहीं चाहता था। क्या बताता की gf रूठ कर बैठी होगी। इसी बारे में सोच सोच कर परेशान हों रहा था पर कुछ न कुछ तो बताना था नहीं बताया तो न जानें ओर कितने सवाल बड़े पापा पूछ बैठे इसलिए अपश्यु बहाना बनाते हुए बोला...बड़े पापा लगता हैं लांच थोड़ हेवी हों गया होगा। इसलिए पेट थोड़ा अजीब सा बरताव कर रहा हैं। समझ नहीं आ रहा हैं कैसा लग रहा हैं।

राजेंद्र...ड्रावर गाड़ी नजदीक के किसी हॉस्पिटल लेकर चलो। अपश्यु तुम'ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया बेवजय परेशान हों रहें थें।

अपश्यु...बड़े पापा हॉस्पिटल रहने दो घर चलते हैं बड़ी मां काढ़ा बनाकर पिला देगी तो मेरा पेट सही हों जायेगा।

राजेंद्र...चुप बड़ा आया बड़ी मां का काढ़ा पीने वाला ड्राइवर किया कर रहा हैं जल्दी चला न कार है बैल गाड़ी नही हैं। भाई थोड़ा तेज चला।

"राजा जी चला तो रहा हूं और कितना तेज चलाऊ कार हैं हवाई जहाज नहीं है जो उड़ान भरते ही पहुंच जाऊं।"

राजेंद्र...जानता हूं हवाई जहाज नहीं कार हैं। तू भी कार ही चला लेकिन थोड़ा तेज चला। आज कल तू भी अलसी हों गया हैं लगता हैं तुझे रिटायरमेंट देने का वक्त आ गया।

"राजी जी मैं तो बस...।"

राजेंद्र...चुप कर और आगे देखकर, कार थोड़ा तेज चला।

बड़े पापा ड्राइवर से लड़ते देख अपश्यु मुस्कुरा दिया फिर बोला…बड़े पापा इस विचारे को क्यों डांट रहे हों वो तो उतना ही तेज चला रहा हैं जितना तेज चला सकता हैं।

राजेंद्र...फिर तो तुझे ही डांटा चाहिए पहले नहीं बता सकता था।

"राजा जी वो देखिए आगे एक हॉस्पिटल...।"

राजेंद्र...तो दिखा क्यों रहा हैं चुप चाप हॉस्पिटल के पास कार रोक।

ड्राइवर चुप चाप कार को हॉस्पिटल के कंपाउंड में रोक दिया राजेंद्र और अपश्यु कार से उतरा फिर राजेंद्र, अपश्यु का हाथ पकडे खींचते हुए जल्दी जल्दी चलकर अंदर जानें लगे चलते हुए अपश्यु बोला...बड़े पापा थोड़ा धीरे चलिए हम हॉस्पिटल पहुंच गए हैं।

बस नज़र भार अपश्यु को देखा और चलता रहा। बड़े पापा का बरताव देख अपश्यु मन ही मन बोला... मेरे एक छोटा सा झूठ बोलने से बड़े पापा कितना परेशान हों गए ऐसा बरताव कर रहे हैं जैसे मैं इनका सगा बेटा हूं लेकिन हूं नहीं बड़े पापा मुझसे कितना प्यार करते हैं मेरी कितनी परवाह करते हैं और मैं इनके बारे में कितना गलत सोचता था इनके आंखो में धूल झोंककर सिर्फ ओर सिर्फ गलत काम करता था। बड़े पापा मैं आप'के प्यार के काबिल नहीं हूं मैं बहुत बूरा हूं दुनिया का सबसे बूरा इंसान हूं नही नहीं इंसान नहीं जानवर हूं। जिसे भूख लगने पर सिर्फ अपना भूख ही दिखता है ओर कुछ नहीं।

अपश्यु इन्ही सब बातों को सोचते हुए बड़े पापा के साथ खींचा चला जा रहा था। अभी हल्का हल्का अंधेरा हों चुका था। तो इस वक्त opd वार्ड में कोई डॉक्टर नहीं था। इसलिए राजेंद्र अपश्यु को साथ लेकर इमरजेंसी वार्ड में पहुंच गया। इमरजेंसी वार्ड में बैठा डॉक्टर राजेंद्र को देखकर बोला...अरे राजा जी बोलिए कैसे आना हुआ।

राजेंद्र...डॉक्टर साहब देखिए तो मेरे बेटे को किया हुआ हैं।

डॉक्टर…बेटा जी बोलिए आप'को किया हुआ कैसा लग रहा हैं।

अपश्यु ने डॉक्टर को वोही झूठ बोला जो राजेंद्र को बोला था फिर डॉक्टर ने अपश्यु को चेक किया उसके बाद बोला...राजा जी कोई बड़ी बात नहीं हैं सिर्फ बदहजमी हों गया हैं मैं दवाई दे दे रहा हूं। सब ठीक हों जायेगा बस रात में हल्का खाना देना।

राजेंद्र... सुना न डॉक्टर साहब ने किया कहा सिर्फ हल्का खाना खाना हैं। कुछ ओर खाने की जिद्द किया तो एक लगाऊंगा।

बड़े पापा की प्यार भरी डांट सुनकर अपश्यु मुस्कुरा दिया फिर हां में सिर हिला दिया। दवाई लेकर दोनों बहार आए फिर कार में बैठके चल दिए। कुछ वक्त में घर पहुंच गए। अंदर आकर राजेंद्र सुरभि को आवाज दिया...सुरभि सुरभि कहा हों जल्दी आओ।

राजेंद्र के तेज आवाज देने से सुरभि के साथ साथ सभी अपने अपने रूम से बहार आ गए फिर सुरभि बोला...क्या हुआ जी आते ही दहड़ने लग गए आप'से कहा था न मेरे घर में आप दहाड़कर किसी से बात नहीं करेगें।

राजेंद्र...सुरभि बाद में डांट लेना पहले अपश्यु के लिए कुछ हल्का खाना बना दो।

सुरभि…हल्का खाना क्यों? अपश्यु को क्या हुआ?

राजेंद्र...दोपहर का खाना हजम नहीं हुआ इसलिए अपश्यु का पेट बगावत कर बैठा हैं। डॉक्टर ने अपश्यु को रात में हल्का खाना देने को कहा हैं।

सुरभि...ठीक हैं मैं अभी बनवा देती हैं।

सुरभि कीचन की ओर जा ही रहीं थीं की कमला रोकते हुए बोली...मम्मी जी आप रहने दीजिए मैं बना देती हूं।

सुरभि रुक गई और कमला कीचन की ओर चली गई फिर सुरभि बोली...सुनो जी कह देती हूं आगे से आप मेरे बेटे को साथ लेकर गए तो घर से अपश्यु के लिए खाना लेकर जाना आप को तो सब हजम हैं लेकिन मेरे बेटे को नहीं होता। फिर अपश्यु को डांटते हुए बोला…तूझे बहार का खाना हजम नहीं होता तो क्यों खाता हैं आगे से आगर सुना तूने बाहर का कुछ खाया हैं तो घर में तूझे खाना नहीं दूंगी।

बड़ी मां की प्यार भरी डांट सुनकर अपश्यु सिर्फ हां में सिर हिला दिया फ़िर मन ही मन बोला...सॉरी बड़ी मां बड़े पापा मेरे एक छोटा सा झूठ आप सभी को कितना परेशान कर दिया। आगे से जितना हो सके झूठ बोलने से बचूंगा।

कमला ने हल्का खाना बना दिया जिसे खाकर अपश्यु दवाई खा लिया फिर रूम में चला गया। बाद में सभी ने खाना खाकर अपने अपने रूम में चले गए रूम में जाते समय सुकन्या और सुरभि जाकर अपश्यु को देख आया। मां ओर बड़ी मां के आकार जाने के बाद अपश्यु ने डिंपल को फ़ोन किया। अपश्यु के हैलो बोलते ही डिंपल ने फ़ोन काट दिया उसके बाद कई बार अपश्यु कॉल करता रहा लेकिन डिंपल ने एक भी बार कॉल रिसीव नहीं किया परेशान हों अपश्यु बोला...डिंपल तो कुछ ज्यादा ही रूठ गई हैं अब क्या करूं कैसे बताऊं मैं क्यों नहीं आ पाया।

इतना कहकर फिर से कई बार कॉल किया लेकिन डिंपल फोन रिसीव ही नहीं किया थक हार कर अपश्यु भी सो गया। रावण को भी आज सुकन्या से बात करने का समय नहीं मिला जब तक रावण घर आया तब तक सुकन्या सो चुकी थी। मन किया जगा दूं फिर बात कर लूं पर कहीं ओर ज्यादा नाराज न हों जाएं इस डर से, मन की इच्छा को त्याग दिया फिर सोने की तैयारी करने लग गया। रावण लेटकर कल कुछ भी करके सुकन्या से बात करने की अटल प्रतिज्ञा लेकर सो गया।

बीबी से बात करने की अटल प्रतिज्ञा के कारण शायद रावण को रात में नींद ढंग से न आया होगा। क्योंकि रावण की नींद सुबह तड़के ही टूट गया। रावण को लगा उठने में देर हों गया। आज फिर सुकन्या से बात नही कर पाऊंगा पर बगल में सुकन्या को सोया देखकर haaaa एक गहरी सांस छोड़ा फिर बैठे बैठे सुकन्या को ताकने लग गया। सोते हुए सुकन्या के चेहरे पर खिला सा मुस्कान था। जिसे देखकर रावण मन ही मन बोला...तुम्हारे इसी मुस्कान ने मुझे हमेशा बांध कर रखा। तुम भाले ही मुझ'से नाराज रही हों लेकिन मैं तुम'से कभी नाराज न रह पाया। सुकन्या तुम मुझ'से रूठी हों, बात नहीं कर रहीं हो। मुझे कितना तकलीफ हों रहा हैं मैं न कह सकता हूं न दिखा सकता हूं।

कुछ क्षण तक रावण खुद से ही बाते करता रहा। सुकन्या नियत समय पर जग गया, जागते ही रावण बोला...गुड मॉर्निंग सुकन्या

नज़र फेरकर रावण को देखा फ़िर सुकन्या झट से उठ कर बैठ गई। मुंह भिचकाते हुए उठकर खड़ी हों गई ओर कदम बढ़ाया ही था कि रावण हाथ पकडे सुकन्या को रोक लिया। सुकन्या हाथ को झटका दिया पर रावण हाथ न छोड़ा तब सुकन्या पलटी फिर बोली...आप'ने मेरा हाथ क्यों पकड़ा, मेरा हाथ छोड़िए।

रावण...मुझे तुम'से बात करना हैं। कितने दिन हों गया तुम मुझ'से बात नही कर रहें हों। तुम नहीं जानते मुझे कितना बुरा लग रहा हैं, मुझे कितनी तकलीफ हों रहा हैं।

सुकन्या...आप'को तकलीफ हों रहा हैं। अगर आप'को बुरा लग रहा होता तो आप वो न करते जो करने के लिए आप'को माना किया था। बार बार मेरे कहने पर भी आप माने नहीं, मेरे सामने मानने का ढोंग करते रहें ओर पीठ पीछे शादी तुड़वाने का षड्यंत्र करते रहें। जाइए न तुड़वाए शादी, नहीं तुड़वा पाए जानते हैं क्यों, क्योंकि मेरे आप'के या किसी और के चाहने से कुछ नहीं होता, होता वही जो ऊपर वाला चाहता हैं। ऊपर वाले ने चाहा रघु की शादी कमला से होगा, तो वहीं हुआ। अपने न जाने कितने षड्यंत्र किया पर आप'का षड्यंत्र धरा का धरा रह गया फिर भी आप समझें नहीं मैं भी आप'को नहीं रोकने वाली जो आप'का मन करे आप कीजिए।

रावण...सुकन्या तुम समझ ही नहीं रहें हों मैं जो भी कर रहा हूं तुम्हारे और अपश्यु के लिए कर रहा हूं।

सुकन्या...आप या तो खुद से झूठ बोल रहें हों या फिर मूझ'से क्योंकि आप जो भी कर रहे हों सिर्फ और सिर्फ खुद के लिए ही कर रहें हों आगर आप मेरे या अपश्यु के लिए कर रहे होते तो जब तक मैं सहमत थीं तब तक तो ठीक था। मेरे असहमत होते ही आप'को भी पीछे हट जाना चाइए था लेकिन आप ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। आप एक बात कान खोल कर सुन लीजिए हमारे पास जितना है मैं और अपश्यु खुश हैं मुझे इसे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए आगर कुछ चाहिए तो वो है हमारा हंसता खेलता सुखी परिवार आगर आप'को सुखी परिवार चाहिए तो अब भी समय हैं पीछे हट जाइए। इसमें कुछ नहीं रखा हैं कुछ रखा हैं तो वो हैं बरबादी सिर्फ और सिर्फ बरबादी।

इतना कहकर सुकन्या झटका देकर हाथ छुड़ाया फ़िर कपड़े लेकर बाथरूम में चली गईं ओर रावण विचार करने में मग्न हों गया। सुकन्या के कहीं एक एक बात पर रावण ने विचार किया फ़िर मन ही मन बोला...एक नज़र से देखा जाए तो तुम्हारा कहना सही हैं लेकिन जवानी में कदम रखते ही, दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने का सपना जो मेरे अंदर पनपा उस सपने को जल्दी पूरा करने का यही एक रस्ता मुझे दिखा। मैं जितना सपने को पाने के नजदीक जा रहा हूं तुम उतना ही मूझसे दूर जा रहे हों। मेरे समझ में नहीं आ रहा हैं। मैं तुम्हें चुनूं या सपने को हे भगवान कोई तो रस्ता दिखा मैं सुकन्या से हद से ज्यादा प्यार करता हूं उसका इस तरह मूझ'से रूठा रहना मैं बर्दास्त नहीं कर पा रहा हूं न ही सपने को छोड़ पा रहा हूं। अब तू ही बता मैं किया करूं मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा हैं।

इतना बोलकर रावण ध्यान मग्न हों खुद के सपने और बीबी में से किसी एक को चुनने का रस्ता ढूंढने लग गया। रावण का तंद्रा तब टूटा जब दरवाज़ा खुलने की आवाज हुआ। सुकन्या बाथरूम से बाहर आकर बिना रावण को देखे श्रृंगार दान के सामने खड़े होंकर खुद को संवारने लग गईं। एक नज़र सुकन्या को देखकर रावण कपड़े लिए फ़िर बाथरूम में चला गया। रावण के बाथरूम से बहार आने से पहले सुकन्या तैयार होंकर नाश्ता करने चली गई।

बाथरूम से बहार आकर सुकन्या को न देख रावण निराश हों गया फिर तैयार होंकर रावण भी नाश्ता करने चला गया। डायनिंग टेबल पर सभी नाश्ता कर रहें थें। रघु आज कुछ जल्दी ही नाश्ता कर लिया था इसलिए सभी से पहले उठ गया और रूम में चला गया। बाकी सभी नाश्ता कर रहें थें सभी के नाश्ता होने के बाद राजेंद्र बोला…रावण मैं सोच रहा हूं क्यों न कल कुलदेवी मंदिर में पूजा के बाद बहु और रघु के हाथों जरूरत मंडो को कुछ दान करवा दिया जाए। तुम क्या कहते हों?

रावण...दादा भाई आप ने सोचा है तो सही सोचा हैं। दान करना पुण्य का काम होता हैं सूना है दान करने से ईश्वर हमें सदा सुखी होने का आशीष देता हैं। रघु और बहु को भी सदा सुखी होने का आशीष मिलना चाहिए ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखमाय गुजरे।

रावण की बाते सुन सुकन्या सन्न रह गई सुकन्या के लिय समय मानो थम सा गया हों। बरहाल सुकन्या खुद को संभाला फिर मन ही मन बोली…कह तो ऐसे रहे हैं जैसे इनसे बड़ा ज्ञानी दुनिया में कोई न है , मुझे तो लगता हैं सब से ज्यादा किसी को दान पुण्य करना चाहिए तो वो आप हों क्योंकि इस वक्त आप'को सद बुद्धि की जरूरत है ओर मैंने सूना है दान पुण्य करने से ईश्वर हमें सद बुद्धि प्रदान करता हैं।

कमला…पापा जी दान सिर्फ मैं और आप'के बेटा ही क्यों करें दान तो हम सभी को करना चाहिए मैं बस इतना ही कहूंगी हम दोनों के साथ साथ आप सभी को भी दान करना चाहिए आप ने मेरा कहना नहीं माना तो मैं दान पुण्य का कोई भी काम कुलदेवी मंदिर में नहीं करुंगी।

राजेंद्र...ठीक हैं बहु मैं तुम्हारा कहना कैसे टाल सकता हूं तुमने जैसा कहा बिल्कुल वैसा ही होगा। रावण तू मेरे साथ चल दान में किया किया देना हैं उसकी व्यवस्था कर कुलदेवी मन्दिर भिजवाते हैं।

रावण... ठीक हैं दादा भाई चलिए।

राजेंद्र...सुरभि आज रघु को ऑफिस भेज देना बहुत दिनों से एक डील अटका हुआ था जो कल फाइनल हों गया हैं रघु एक बार चेक कर लें उसे सही लगे तो एग्रीमेंट साइन कर देगा।

सुरभि ने हा कह दिया फिर राजेंद्र और रावण दोनों चले गए। कमला रूम में गई और रघु को ऑफिस जानें को कहा तो रघु आना कानी करने लग गया तब कमला बोली... आप ऑफिस क्यों नहीं जाना चाहते चुप चाप तैयार होंकर ऑफिस जाओ।

रघु...तुम्हें छोड़कर कहीं जानें का मेरा दिल नहीं कर रहा हैं।

कमला...मेरा भी मान नहीं कर रहा आप मुझे छोड़कर कहीं जाओ लेकिन पापा जी कह रहें थें बहुत जरूरी एग्रीमेंट पर आप'को साइन करना हैं। इसलिए बिना न नूकार किए ऑफिस जाओ नहीं तो मैं आप'से बात नहीं करुंगी न ही आप के साथ इस रूम में रहूंगी। अब आप ही सोचो आप'को जीवन भार मेरे साथ रहना हैं या सिर्फ एक दिन।

रघु...कमला मुझे तुम'से एक पल भी दूर रहना गवारा नहीं, दूर रहने की बात आज कहा हैं फिर कभी न कहना।

कमला...ठीक है नहीं कहूंगी लेकिन आप भी मूझ'से वादा कीजिए अपने काम से कभी मुंह नहीं मोड़ेंगे जितना जरूरी आप'के लिए मैं हूं उतना जरूरी आप के लिए काम हैं। पापा जी को आप से कितनी उम्मीदें हैं आप'को उनके उम्मीदों पर खरा उतरना हैं।

रघु हा कहकर ऑफिस जानें की तैयारी करने लग गया। कमला ऑफिस ले जानें वाले रघु के ब्रीफकेस को तैयार कर दिया फिर दोनों निचे आ गए। कमला ने रघु को ब्रीफकेस दिया फिर रघु ऑफिस के लिए चल दिया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

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Amazing update dear. kya bat hai apasyu pura agyakari ladka ban gaya hai. rajendra ji ki har baat manne laga hai aj kal. dimple se bhi milne gaya. udhar dimple ko bhi bahana mil gaya apasyu ko punishment dene ke liye. apasyu ko to bad me punishment milti usse pehle ladki chedh ne ki waja se uske frnds ki pitai ho gayi.

Bahut bahut shukriya 🙏 ji.

Apashyu ko panishment to milega hi. Akhir vo dimpal ke bulane par gaya hi nehi. Apashyu ko dimpal kaun sa panishment deti hai ye aage aane wale Update me pata chalega.
 

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