Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Ye Apasyu rana to purani Bollywood film ke gunde ki tarah masoom gaon walo ko dhamka raha hai par Bollywood movie mein to hero aake bacha leta hai yahan kaun bachayega agar nahi bachayega to ye story romance ki jagah humari walo category mein aa jayegi

Ye to aage hi pata chlega kaun nirih gav walo ko bachna aata hai.

Aap ke sath is tulnatmak revo ke liye bahut bahut shukriya
 
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Shandar update hai bhai.....
Raghu or kamla ki nayi nayi shadi hui h to dono ka ek dusre ke khayalo me khoye rehna aam si baat hai or dono ke beech hue samvad ne pati patni ke adbhut prem ko darshaya tha....or usi ke karan puspa ko abhi kamla ko chedne ka mauka mila.....nanad or bhabhi ke is pyar ko dekhkar bahut acha laga.....
ab dekhte hai pushpa apni bhabhi ko kaha le kar nikli hai.....
agle update ki pratiksha rahegi bhai.

Is khubsurat revo ke liye grim reaper ji apko bahut bahut shukriya.

Agla update do deen baad ratri 8pm ko post hoga apki reply ki partiksha rahega.
 
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Hum nanad bhabhi ka masti majaak wala update pushpa ji ka kaaam bemisaal hai gharwale sab pareshan nayi bahu ko kya hua kyu hua ab sabten aise batai bhi nai jata ab dekhna hai pushpa kya karti hai kamaal

Pushpa kya kamla karti hai iska pata agle Update me lag jayega.


Shamdaar prtikriya dene ke liye Rahul ji bahut bahut sukriya
 
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Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
Hamesha ki tarah ek aur badhiya update
 
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Update - 47

भाभी को साथ लिए पुष्पा बैठक में पहुंच गई। मां और चाची की पूरी बाते तो नहीं सुनी पर चाची के अंत में बोली बाते सुन लिया था। इसलिए पूछा था। बेटी और बहू को देखकर सुकन्या पुष्पा की बातों का जवाब देते हुए बोली... हैं कुछ बाते तुम बताओं ननद भाभी की बाते हों गई।

पुष्पा भाभी को साथ लिए जा'कर खाली सोफे पर बैठ गई फ़िर बोलीं...हां हों गई।

सुरभि... बड़ी जल्दी बाते खत्म हों गई। चलो अच्छा हुआ अब ये बताओं बहू चीखा क्यों था और किन बातों को सोचकर वावलो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं।

पुष्पा... मां वो बाते बाद में बता दूंगी पहले आप ये बताओं मैं आप'की क्या लगती हूं?

बेटी का ऐसा सवाल पूछना सुरभि को खटका सिर्फ सुरभि ही नहीं सुकन्या को भी खटका इसलिए अचंभित भाव से पुष्पा की ओर देखते हुऐ बोली...पुष्पा ये कैसा सवाल है? तुम नहीं जानती तुम मेरी क्या लगती हों?

पुष्पा... मां मैं जानती हूं। फ़िर भी आप'के मुंह से सुनना चाहती हूं।

इतना सुनते ही सुरभि आगे कुछ बोलती उससे पहले कमला बोलीं... ननद रानी….।

भाभी को इससे आगे कुछ बोलने ही नहीं दिया। बीच में रोककर पुष्पा बोलीं... भाभी अभी आप'के बोलने का वक्त नहीं आया जब आप'से पूछा जाए तब बोलना। फिर सुरभि कि ओर देखकर बोली... मां बोलों न चुप क्यों हों?

सुकन्या... हुआ क्या पहले ये तो बताओं?

सुरभि... हां पुष्पा ऐसा क्या हुआ? जो आते ही ऐसा सवाल पूछने लग गईं।

पुष्पा... कुछ खास नहीं आप बस इतना बताओं! मैं आप'की क्या लगती हूं , फिर बताती हूं क्या हुआ?

सुरभि को लगा शायद कोई बात हों गई होगी इसलिए पुष्पा ऐसा सवाल पूछ रही हैं। इसलिए सुरभि बोलीं…सभी जानते हैं। मैंने तुम्हे जन्म दिया हैं। इस नाते तुम मेरी बेटी हों। ये बात सभी जानते हैं।

पुष्पा...hunuuu ठीक कहा अपने! अब आप ये बताओं, अगर मैं अपने मन की कुछ करू तो क्या आप मुझे टोकने वाले हों?

सुरभि... तुम ऐसा क्या करने वाली हों? जिसके लिए पहले से ही पूछ रहीं हों।

पुष्पा...Oooo hooo मां बताओ ना।

सुरभि... ये तो इस बात पर निर्भर करता हैं। तुम करने क्या वाली हों? अगर तुम्हारे कुछ करने से हमारे मन सम्मान में कोई आंच न आए तो मैं तुम्हें टोकने वाली नहीं हूं।

पुष्पा... मां ये समझलो मैं कही घूमने जाना चाहती हूं तो क्या आप मुझे जानें से माना करने वाले हों।

सुरभि...humuuu अकेले जाना चाहा तो माना कर सकती हूं अगर किसी के साथ जा रहीं हों तो किसके साथ जा रही हों वो शख्स कौन हैं? भरोसे मंद हुआ तो जानें से नहीं रोकूंगी ।

पुष्पा... मां अब ये बताओं भाभी से आप'का क्या संबंध हैं।

सुरभि... पुष्पा आज तुझे क्या हों गया? जो अनाप शनाप सवाल पूछ रहीं हैं।

सुकन्या...दीदी लगता है आज महारानी जी का दिमाग फीर गया हैं जो बिना सिर पैर के सवाल पूछ पूछ कर हमें परेशान कर रहीं हैं।

पुष्पा... मां मैं अनाप शनाप सवाल नहीं बिल्कुल जायज़ सवाल पूछ रहीं हूं। सुकन्या की ओर देखकर बोला... चाची मेरा दिमाग सही ठिकाने पर हैं और मेरा सवाल सिर पैर वाला है बस आप समझ नहीं पा रहीं हों।

सुकन्या…pushpaaaa...।

सुकन्या को आगे बोलने से रोककर सुरभि बोलीं…छोटी रूक जा पहले मुझे पुष्पा के सवाल का जवाब दे लेने दे इसके बाद जो तू बोलना चाहें बोल लेना। पुष्पा की ओर देखकर बोला… हां तो, पुष्पा तुम जानना चाहती हों न बहू के साथ मेरा क्या संबंध हैं। तो सुन कमला मेरे बेटे की पत्नी हैं इस नाते मेरी बहू हुई पर ये रिश्ता सिर्फ़ दुनिया वालों के नजर में हैं। जैसे तू मेरी बेटी हैं वैसे ही बहू, मेरी बहू, बहू नहीं बल्कि बेटी हैं।

पुष्पा के बोलने से माना करने के बाद कमला सिर्फ चुप चाप बैठे तीनों की बाते सुन रहीं थीं। सास की अंत में कहीं बाते सुनकर एक पल को कमला की आंखें डबडबा गईं पर कमला ने खुद को संभाल लिया और रूहानी शांति देने वाली एक मुस्कान बिखेर दिया। मां की बाते सुनने के बाद पुष्पा भाभी की ओर देखकर बोली... सुना भाभी मां ने क्या कहा। इसके बाद आप क्या कहना चाहोगी?

ननद के पूछे गए सवाल का कमला कुछ जवाब दे पाती उससे पहले सुरभि बोलीं... पुष्पा क्या हुआ तुम दोनों में किसी बात को लेकर कोई अनबन हुआ है?

पुष्पा... नहीं मां वो क्या हैं की भाभी को आज भईया घूमने ले जाना चाहते थे। कहीं आप बुरा न मान जाओ इसलिए भाभी ने माना कर दिया और भईया को ऑफिस भेज दिया।


बहू की मनसा जानकर सुरभि मन ही मन गदगद हों उठी और गौरांबित अनुभव करने लग गई कि एक ऐसी लड़की को बहू बनकर घर लाई जो बिना उसकी अनुमति के कहीं जाना नहीं चाहती हैं। ये ख्याल मन में आते ही सुरभि मन ही मन मुस्कुरा दिया और सुरभि अब तक पुष्पा द्वारा पूछे गए सवाल का आशय समझ गईं कि पुष्पा अपने सवालों के जरिए क्या जानना चाहती थी। इसलिए सुरभि बोली...पुष्पा इसके लिए तुम्हें मुझसे इतने सारे सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं था। तुम सीधे सीधे पूछ लेती कि रघु के साथ बहू कहीं जाना चाहती हैं तो क्या मैं बहु को जानें देता या फिर माना कर देता।

मां के बातों का जबाव पुष्पा दे पाती उससे पहले कमला बोलीं... मम्मी जी मैने कहा कहीं जानें की बात कहीं थीं। वो तो आप'का बेटा खुद से ही मुझे घूमने लेकर जा रहें थे।

पुष्पा…भईया के साथ घूमने जानें का मन आप'का भी किया होगा। अगर ऐसा न हुआ होता तो आप यूं ख्यालों में खोए वावलों की तरह मुस्कुरा ना रहें होते।

ननद द्वारा मन की बाते बोल देने पर कमला सिर झुका कर मंद मंद मुस्कुराने लग गईं। बहू के सिर झुका लेने से सुरभि भी बहू की मन की बाते जान गई इसलिए बोलीं...बहू मन था तो रघु के साथ घूमने चली जाती मै थोडी न तुम्हें रोकती ओर रोकती भी क्यों तुम तो अपने पति के साथ घूमने जा रहीं थीं।

पुष्पा... मां कैसे चली जाती भाभी को इस बात का भी तो ख्याल रखना हैं कि उन्होंने अपने मन का कुछ किया तो लोग क्या सोचेंगे, भाभी बिल्कुल भईया की तरह कुछ भी करने से पहले कुछ सोचे या न सोचो पर इतना जरूर सोचते हैं कि उन्होंने अपने मन का क्या तो लोग क्या सोचेंगे, हैं न भाभी।

कमला हल्का सा मुस्कुराया फिर बोला... ननद रानी शादी से पहले इतना नहीं सोचती थी कि मेरे कुछ करने से लोग क्या सोचेंगे लेकिन अब वक्त बदल गया हैं मेरे कंधे पर दो परिवार की जिम्मेदारी हैं एक मायके का दूसरा ससुराल का इसलिए मुझे कुछ भी करने पहले दोनों और से सोचना पड़ता हैं।

एक बार फिर सुरभि का मन हर्ष से भर गया ओर मन ही मन बोली... बहू आज एक बार फ़िर तुमने मुझे गौरांवित होने का मौका दिया मैंने तुम्हारे बारे में जीतना सोचकर मेरी बहू चुना था। तुम मेरे सोच को सोलह आना सच सिद्ध कर रहीं हों।

सुकन्या मन में बोलीं... सही कहा बहू शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। तुम सभी जिम्मेदारियों का वहन सही तरीके से करना मैं प्रभु से प्रार्थना करूंगी की तुम बेटी, बहू, पत्नी और एक मां का कर्तव्य निर्वहन करने में समर्थ प्राप्त कर सको। मेरी तरह एक जिम्मेदारी निभाने के लिए दूसरे जिम्मेदारियों से मुंह न मोड़ना।

सुरभि और सुकन्या ख़ुद से बाते करने में लगीं रहीं किंतु भाभी की बाते सुनकर पुष्पा बोलीं...भाभी आप इतनी जिम्मेदारियों का बोझ कैसे उठा पाओगी मुझे तो डर हैं कहीं आप इन जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर खुद का जीवन जीना न भूल जाओ।

कमला...ummmm ऐसा हों भी सकता हैं अगर ऐसा हुआ तो मुझे खुशी होगी कि मैंने अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक ढंग से कर पाया।

बहू की बाते सुनकर सुरभि खुश हुईं पर मन के एक कोने में यहां भी चल रहा था कि ये फूल सी बच्ची अपने जिम्मेदारी को बखूबी समझता हैं और उसे निभाने के लिए वचनवध हैं। कहीं इसकी यहीं वचनवधता उसके जीवन में आने वाली खुशियों को छीन बिन्न न कर दे। इसलिए सुरभि बोलीं... बहू तुम्हारी बातें सुनकर अच्छा लगा कि तुम अपने जिम्मेदारियों को लेकर सजग हों। हमारे जीवन में जिम्मेदारियां कभी कम नहीं होगी बल्कि समय के साथ ओर बढ़ता जायेगा। लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना हैं कि जिम्मेदारियों के बोझ तले हमारे जीवन में आने वाली हसीन पल दबकर न रह जाएं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना।

कमला मुस्कुराते हुऐ हां में सिर हिला दिया। ये देखकर सुकन्या बोलीं... सिर्फ हां थोडा खुलकर बोलों या फ़िर हमारे सामने बोलने से तुम्हें भय लगता हैं।

कमला... नहीं छोटी मां, मां ने सिखाया था बड़ो के सामने सिर्फ़ उतना ही बोलों जीतना जरूरी हों।

सुरभि…समधन जी ने तुम्हें अच्छी बातें सिखाया हैं। अब जरा इतना बता दो क्या तुम समधन जी से भी हां हूं में बात करती थीं।

कमला... नहीं मम्मी जी मैं तो मां से इतनी बाते करती थी, इतनी बाते करती थीं कि वो परेशान होकर मेरा मुंह दवाके पकड़ लेती थी।

मां की बात बोलते ही कमला के जहन में मां के साथ बिताए यादें ताजा हों गई। इसलिए सिर झुका लिया। सिर झुकाते ही आंखे बह निकली, आंखो को मिचकर आसूं बहने ने रोकना चाही पर बहते पानी को जीतना भी रोकना चाहो वो रुकती नहीं, कमला की कोशिशें भी निराधार रहा वो जीतना आंसू बहनें से रोक रहीं थीं उतना ही बहता जा रहा था। अंतः साड़ी का अंचल उठाकर कमला ने बहते आंसू को पोंछ लिए। कमला के इस हरकत पर सुरभि, पुष्पा और सुकन्या की नजर पड़ गया तो पुष्पा बोलीं... भाभी क्या हुआ?

सुरभि समझ गई क्या हुआ होगा इसलिए उठकर कमला के पास जाकर बैठ गई ओर उसके कंधे पर हाथ रख दिया। कांधे पर स्पर्श का आभास होते ही कमला उस ओर देखा जिस कंधे पर सुरभि ने हाथ रखा था। बस फ़िर क्या "मां" शब्द मुंह से निकला ओर सास से लिपटकर फुट फुट कर रोने लगीं। सिर सहलाते हुए "नहीं रोते, नहीं रोते" बोलती रहीं पर कमला का रोना रुक नहीं रहीं थीं। तो सुरभि बोलीं... ये क्या बहू? तुम समधन जी को बातों से परेशान करती थीं और मुझे रो रोकर परेशान कर रहीं हों। मैंने तो सोचा था पार्टी के बाद तुम्हें मायके भेजूं दूंगी। लेकिन कह देती हूं तुम ऐसे रोती रहीं तो मायके कभी नहीं भेजने वाली।

सास के इतना बोलते ही कमला नजर उठकर सास की ओर ऐसे देखा जैसे जानना चाहती हों "क्या आप सही बोल रहीं हों" बहू के आंखो की भाषा समझकर सुरभि भी पलके झुकाकर हां का इशारा किया। सास की सहमति पाकर कमला के रूवासा चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। ये देखकर सुरभि बोलीं... बहू या तो रो लो या फ़िर मुस्कुरा लो, दोनों कम एक साथ करोगे तो कैसे चलेगा।

सास की बाते सुनकर कमला समझ नहीं पाई कि अब क्या करें पर उसी वक्त दरवाजे से आवाज आया... ये किया भाभी आप रो रहीं हों। मैंने तो सोचा था आज भाभी के हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा लेकिन आप ऐसे रोते हुए खाना बनाया तो खाने का स्वाद खराब हों जायेगा।

बोलने वाला अपश्यु था। वो जब बैठाक के द्वार तक आया। तब उसने देखा कमला सुरभि से लिपट कर रो रहीं हैं और सुरभि उसे समझा रहीं हैं। बड़ी मां की बाते सुनकर आपश्यु मन ही मन बोला... भाभी तो मायके को याद करके रो रहीं हैं। मुझे कुछ करना चाहिए जिसे भाभी मुस्कुरा दे, रोते हुऐ भाभी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती हैं।

अपश्यु की बाते सुनकर कमला रोना भूलकर एक टक देवर को देखने लगीं और समझने की कोशिश करने लगीं देवर ने ऐसा कह तो कहा क्यों ओर पुष्पा बोलीं... ओ मेरे भुक्कड़ भईया आप'को खाने के अलावा कुछ और सूझता हैं। देखो खुद को खां खांकर मोटा हों गए हों।

अपश्यु जाकर बैठते हुए बोला… अरे कहा मोटा हुआ। देख कितना दुबला पतला हूं। लेकिन हां भाभी ने स्वादिष्ट पकवान बनाकर खिलाया तो तेरी ये इच्छा भी पूरा हों जायेगा।

ननद और देवर की बाते सुनकर कमला मुस्कुरा दिया फिर मुस्कुराते हुऐ बोलीं... अरे ननद रानी क्यों मेरे अच्छे खासे तंदरुस्त दिखने वाले देवर को मोटा कह रहें हों।

भाभी को मुस्कुराते देखकर अपश्यु बोला... ये हुई न बात! अब बोलो भाभी अपने देवर को खाना बनाकर खिलाओगी?

कमला... हां बिलकुल बनाऊंगी और अपने हाथ से परोसकर खिलाऊंगी।

अपश्यु... ध्यान रखना नमक ज्यादा न हों जाएं नहीं तो खाने का स्वाद बिगड़ जायेगा।

कमला... मैं तो खाने में नमक स्वादानुसार डालती हूं फिर नमक के कारण खाने का स्वाद क्यों खराब होगा।

अपश्यु... माना की आप खाने में नमक नाप तोलकर डालती हों। लेकिन आप रोते हुए खाना बनाया तो आपके आंसुओ का नमक खाने में मिलकर खाने में नमक की मात्रा को बड़ा देगा।

देवर की बाते सुनकर पहले तो कमला समझ नहीं पाई पर बाद में जब समझ आया तो खिलखिला कर हंस दिया। सिर्फ कमला ही नहीं वहां मौजूद सभी हंस दिया। कुछ वक्त तक हंसने के बाद कमला बोलीं... देवर जी आपको अगर लगता हैं खाने में नमक ज्यादा हों जायेगा तो मैं आज खाने में नमक ही नहीं डालूंगी।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले भाग से, यहां तक साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।🙏🙏🙏
 
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भाभी को साथ लिए पुष्पा बैठक में पहुंच गई। मां और चाची की पूरी बाते तो नहीं सुनी पर चाची के अंत में बोली बाते सुन लिया था। इसलिए पूछा था। बेटी और बहू को देखकर सुकन्या पुष्पा की बातों का जवाब देते हुए बोली... हैं कुछ बाते तुम बताओं ननद भाभी की बाते हों गई।

पुष्पा भाभी को साथ लिए जा'कर खाली सोफे पर बैठ गई फ़िर बोलीं...हां हों गई।

सुरभि... बड़ी जल्दी बाते खत्म हों गई। चलो अच्छा हुआ अब ये बताओं बहू चीखा क्यों था और किन बातों को सोचकर वावलो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं।

पुष्पा... मां वो बाते बाद में बता दूंगी पहले आप ये बताओं मैं आप'की क्या लगती हूं?

बेटी का ऐसा सवाल पूछना सुरभि को खटका सिर्फ सुरभि ही नहीं सुकन्या को भी खटका इसलिए अचंभित भाव से पुष्पा की ओर देखते हुऐ बोली...पुष्पा ये कैसा सवाल है? तुम नहीं जानती तुम मेरी क्या लगती हों?

पुष्पा... मां मैं जानती हूं। फ़िर भी आप'के मुंह से सुनना चाहती हूं।

इतना सुनते ही सुरभि आगे कुछ बोलती उससे पहले कमला बोलीं... ननद रानी….।

भाभी को इससे आगे कुछ बोलने ही नहीं दिया। बीच में रोककर पुष्पा बोलीं... भाभी अभी आप'के बोलने का वक्त नहीं आया जब आप'से पूछा जाए तब बोलना। फिर सुरभि कि ओर देखकर बोली... मां बोलों न चुप क्यों हों?

सुकन्या... हुआ क्या पहले ये तो बताओं?

सुरभि... हां पुष्पा ऐसा क्या हुआ? जो आते ही ऐसा सवाल पूछने लग गईं।

पुष्पा... कुछ खास नहीं आप बस इतना बताओं! मैं आप'की क्या लगती हूं , फिर बताती हूं क्या हुआ?

सुरभि को लगा शायद कोई बात हों गई होगी इसलिए पुष्पा ऐसा सवाल पूछ रही हैं। इसलिए सुरभि बोलीं…सभी जानते हैं। मैंने तुम्हे जन्म दिया हैं। इस नाते तुम मेरी बेटी हों। ये बात सभी जानते हैं।

पुष्पा...hunuuu ठीक कहा अपने! अब आप ये बताओं, अगर मैं अपने मन की कुछ करू तो क्या आप मुझे टोकने वाले हों?

सुरभि... तुम ऐसा क्या करने वाली हों? जिसके लिए पहले से ही पूछ रहीं हों।

पुष्पा...Oooo hooo मां बताओ ना।

सुरभि... ये तो इस बात पर निर्भर करता हैं। तुम करने क्या वाली हों? अगर तुम्हारे कुछ करने से हमारे मन सम्मान में कोई आंच न आए तो मैं तुम्हें टोकने वाली नहीं हूं।

पुष्पा... मां ये समझलो मैं कही घूमने जाना चाहती हूं तो क्या आप मुझे जानें से माना करने वाले हों।

सुरभि...humuuu अकेले जाना चाहा तो माना कर सकती हूं अगर किसी के साथ जा रहीं हों तो किसके साथ जा रही हों वो शख्स कौन हैं? भरोसे मंद हुआ तो जानें से नहीं रोकूंगी ।

पुष्पा... मां अब ये बताओं भाभी से आप'का क्या संबंध हैं।

सुरभि... पुष्पा आज तुझे क्या हों गया? जो अनाप शनाप सवाल पूछ रहीं हैं।

सुकन्या...दीदी लगता है आज महारानी जी का दिमाग फीर गया हैं जो बिना सिर पैर के सवाल पूछ पूछ कर हमें परेशान कर रहीं हैं।

पुष्पा... मां मैं अनाप शनाप सवाल नहीं बिल्कुल जायज़ सवाल पूछ रहीं हूं। सुकन्या की ओर देखकर बोला... चाची मेरा दिमाग सही ठिकाने पर हैं और मेरा सवाल सिर पैर वाला है बस आप समझ नहीं पा रहीं हों।

सुकन्या…pushpaaaa...।

सुकन्या को आगे बोलने से रोककर सुरभि बोलीं…छोटी रूक जा पहले मुझे पुष्पा के सवाल का जवाब दे लेने दे इसके बाद जो तू बोलना चाहें बोल लेना। पुष्पा की ओर देखकर बोला… हां तो, पुष्पा तुम जानना चाहती हों न बहू के साथ मेरा क्या संबंध हैं। तो सुन कमला मेरे बेटे की पत्नी हैं इस नाते मेरी बहू हुई पर ये रिश्ता सिर्फ़ दुनिया वालों के नजर में हैं। जैसे तू मेरी बेटी हैं वैसे ही बहू, मेरी बहू, बहू नहीं बल्कि बेटी हैं।

पुष्पा के बोलने से माना करने के बाद कमला सिर्फ चुप चाप बैठे तीनों की बाते सुन रहीं थीं। सास की अंत में कहीं बाते सुनकर एक पल को कमला की आंखें डबडबा गईं पर कमला ने खुद को संभाल लिया और रूहानी शांति देने वाली एक मुस्कान बिखेर दिया। मां की बाते सुनने के बाद पुष्पा भाभी की ओर देखकर बोली... सुना भाभी मां ने क्या कहा। इसके बाद आप क्या कहना चाहोगी?

ननद के पूछे गए सवाल का कमला कुछ जवाब दे पाती उससे पहले सुरभि बोलीं... पुष्पा क्या हुआ तुम दोनों में किसी बात को लेकर कोई अनबन हुआ है?

पुष्पा... नहीं मां वो क्या हैं की भाभी को आज भईया घूमने ले जाना चाहते थे। कहीं आप बुरा न मान जाओ इसलिए भाभी ने माना कर दिया और भईया को ऑफिस भेज दिया।


बहू की मनसा जानकर सुरभि मन ही मन गदगद हों उठी और गौरांबित अनुभव करने लग गई कि एक ऐसी लड़की को बहू बनकर घर लाई जो बिना उसकी अनुमति के कहीं जाना नहीं चाहती हैं। ये ख्याल मन में आते ही सुरभि मन ही मन मुस्कुरा दिया और सुरभि अब तक पुष्पा द्वारा पूछे गए सवाल का आशय समझ गईं कि पुष्पा अपने सवालों के जरिए क्या जानना चाहती थी। इसलिए सुरभि बोली...पुष्पा इसके लिए तुम्हें मुझसे इतने सारे सवाल पूछने की जरूरत ही नहीं था। तुम सीधे सीधे पूछ लेती कि रघु के साथ बहू कहीं जाना चाहती हैं तो क्या मैं बहु को जानें देता या फिर माना कर देता।

मां के बातों का जबाव पुष्पा दे पाती उससे पहले कमला बोलीं... मम्मी जी मैने कहा कहीं जानें की बात कहीं थीं। वो तो आप'का बेटा खुद से ही मुझे घूमने लेकर जा रहें थे।

पुष्पा…भईया के साथ घूमने जानें का मन आप'का भी किया होगा। अगर ऐसा न हुआ होता तो आप यूं ख्यालों में खोए वावलों की तरह मुस्कुरा ना रहें होते।

ननद द्वारा मन की बाते बोल देने पर कमला सिर झुका कर मंद मंद मुस्कुराने लग गईं। बहू के सिर झुका लेने से सुरभि भी बहू की मन की बाते जान गई इसलिए बोलीं...बहू मन था तो रघु के साथ घूमने चली जाती मै थोडी न तुम्हें रोकती ओर रोकती भी क्यों तुम तो अपने पति के साथ घूमने जा रहीं थीं।

पुष्पा... मां कैसे चली जाती भाभी को इस बात का भी तो ख्याल रखना हैं कि उन्होंने अपने मन का कुछ किया तो लोग क्या सोचेंगे, भाभी बिल्कुल भईया की तरह कुछ भी करने से पहले कुछ सोचे या न सोचो पर इतना जरूर सोचते हैं कि उन्होंने अपने मन का क्या तो लोग क्या सोचेंगे, हैं न भाभी।

कमला हल्का सा मुस्कुराया फिर बोला... ननद रानी शादी से पहले इतना नहीं सोचती थी कि मेरे कुछ करने से लोग क्या सोचेंगे लेकिन अब वक्त बदल गया हैं मेरे कंधे पर दो परिवार की जिम्मेदारी हैं एक मायके का दूसरा ससुराल का इसलिए मुझे कुछ भी करने पहले दोनों और से सोचना पड़ता हैं।

एक बार फिर सुरभि का मन हर्ष से भर गया ओर मन ही मन बोली... बहू आज एक बार फ़िर तुमने मुझे गौरांवित होने का मौका दिया मैंने तुम्हारे बारे में जीतना सोचकर मेरी बहू चुना था। तुम मेरे सोच को सोलह आना सच सिद्ध कर रहीं हों।

सुकन्या मन में बोलीं... सही कहा बहू शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। तुम सभी जिम्मेदारियों का वहन सही तरीके से करना मैं प्रभु से प्रार्थना करूंगी की तुम बेटी, बहू, पत्नी और एक मां का कर्तव्य निर्वहन करने में समर्थ प्राप्त कर सको। मेरी तरह एक जिम्मेदारी निभाने के लिए दूसरे जिम्मेदारियों से मुंह न मोड़ना।

सुरभि और सुकन्या ख़ुद से बाते करने में लगीं रहीं किंतु भाभी की बाते सुनकर पुष्पा बोलीं...भाभी आप इतनी जिम्मेदारियों का बोझ कैसे उठा पाओगी मुझे तो डर हैं कहीं आप इन जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर खुद का जीवन जीना न भूल जाओ।

कमला...ummmm ऐसा हों भी सकता हैं अगर ऐसा हुआ तो मुझे खुशी होगी कि मैंने अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक ढंग से कर पाया।

बहू की बाते सुनकर सुरभि खुश हुईं पर मन के एक कोने में यहां भी चल रहा था कि ये फूल सी बच्ची अपने जिम्मेदारी को बखूबी समझता हैं और उसे निभाने के लिए वचनवध हैं। कहीं इसकी यहीं वचनवधता उसके जीवन में आने वाली खुशियों को छीन बिन्न न कर दे। इसलिए सुरभि बोलीं... बहू तुम्हारी बातें सुनकर अच्छा लगा कि तुम अपने जिम्मेदारियों को लेकर सजग हों। हमारे जीवन में जिम्मेदारियां कभी कम नहीं होगी बल्कि समय के साथ ओर बढ़ता जायेगा। लेकिन हमें इस बात का भी ध्यान रखना हैं कि जिम्मेदारियों के बोझ तले हमारे जीवन में आने वाली हसीन पल दबकर न रह जाएं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना।

कमला मुस्कुराते हुऐ हां में सिर हिला दिया। ये देखकर सुकन्या बोलीं... सिर्फ हां थोडा खुलकर बोलों या फ़िर हमारे सामने बोलने से तुम्हें भय लगता हैं।

कमला... नहीं छोटी मां, मां ने सिखाया था बड़ो के सामने सिर्फ़ उतना ही बोलों जीतना जरूरी हों।

सुरभि…समधन जी ने तुम्हें अच्छी बातें सिखाया हैं। अब जरा इतना बता दो क्या तुम समधन जी से भी हां हूं में बात करती थीं।

कमला... नहीं मम्मी जी मैं तो मां से इतनी बाते करती थी, इतनी बाते करती थीं कि वो परेशान होकर मेरा मुंह दवाके पकड़ लेती थी।

मां की बात बोलते ही कमला के जहन में मां के साथ बिताए यादें ताजा हों गई। इसलिए सिर झुका लिया। सिर झुकाते ही आंखे बह निकली, आंखो को मिचकर आसूं बहने ने रोकना चाही पर बहते पानी को जीतना भी रोकना चाहो वो रुकती नहीं, कमला की कोशिशें भी निराधार रहा वो जीतना आंसू बहनें से रोक रहीं थीं उतना ही बहता जा रहा था। अंतः साड़ी का अंचल उठाकर कमला ने बहते आंसू को पोंछ लिए। कमला के इस हरकत पर सुरभि, पुष्पा और सुकन्या की नजर पड़ गया तो पुष्पा बोलीं... भाभी क्या हुआ?

सुरभि समझ गई क्या हुआ होगा इसलिए उठकर कमला के पास जाकर बैठ गई ओर उसके कंधे पर हाथ रख दिया। कांधे पर स्पर्श का आभास होते ही कमला उस ओर देखा जिस कंधे पर सुरभि ने हाथ रखा था। बस फ़िर क्या "मां" शब्द मुंह से निकला ओर सास से लिपटकर फुट फुट कर रोने लगीं। सिर सहलाते हुए "नहीं रोते, नहीं रोते" बोलती रहीं पर कमला का रोना रुक नहीं रहीं थीं। तो सुरभि बोलीं... ये क्या बहू? तुम समधन जी को बातों से परेशान करती थीं और मुझे रो रोकर परेशान कर रहीं हों। मैंने तो सोचा था पार्टी के बाद तुम्हें मायके भेजूं दूंगी। लेकिन कह देती हूं तुम ऐसे रोती रहीं तो मायके कभी नहीं भेजने वाली।

सास के इतना बोलते ही कमला नजर उठकर सास की ओर ऐसे देखा जैसे जानना चाहती हों "क्या आप सही बोल रहीं हों" बहू के आंखो की भाषा समझकर सुरभि भी पलके झुकाकर हां का इशारा किया। सास की सहमति पाकर कमला के रूवासा चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। ये देखकर सुरभि बोलीं... बहू या तो रो लो या फ़िर मुस्कुरा लो, दोनों कम एक साथ करोगे तो कैसे चलेगा।

सास की बाते सुनकर कमला समझ नहीं पाई कि अब क्या करें पर उसी वक्त दरवाजे से आवाज आया... ये किया भाभी आप रो रहीं हों। मैंने तो सोचा था आज भाभी के हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा लेकिन आप ऐसे रोते हुए खाना बनाया तो खाने का स्वाद खराब हों जायेगा।

बोलने वाला अपश्यु था। वो जब बैठाक के द्वार तक आया। तब उसने देखा कमला सुरभि से लिपट कर रो रहीं हैं और सुरभि उसे समझा रहीं हैं। बड़ी मां की बाते सुनकर आपश्यु मन ही मन बोला... भाभी तो मायके को याद करके रो रहीं हैं। मुझे कुछ करना चाहिए जिसे भाभी मुस्कुरा दे, रोते हुऐ भाभी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती हैं।

अपश्यु की बाते सुनकर कमला रोना भूलकर एक टक देवर को देखने लगीं और समझने की कोशिश करने लगीं देवर ने ऐसा कह तो कहा क्यों ओर पुष्पा बोलीं... ओ मेरे भुक्कड़ भईया आप'को खाने के अलावा कुछ और सूझता हैं। देखो खुद को खां खांकर मोटा हों गए हों।

अपश्यु जाकर बैठते हुए बोला… अरे कहा मोटा हुआ। देख कितना दुबला पतला हूं। लेकिन हां भाभी ने स्वादिष्ट पकवान बनाकर खिलाया तो तेरी ये इच्छा भी पूरा हों जायेगा।

ननद और देवर की बाते सुनकर कमला मुस्कुरा दिया फिर मुस्कुराते हुऐ बोलीं... अरे ननद रानी क्यों मेरे अच्छे खासे तंदरुस्त दिखने वाले देवर को मोटा कह रहें हों।

भाभी को मुस्कुराते देखकर अपश्यु बोला... ये हुई न बात! अब बोलो भाभी अपने देवर को खाना बनाकर खिलाओगी?

कमला... हां बिलकुल बनाऊंगी और अपने हाथ से परोसकर खिलाऊंगी।

अपश्यु... ध्यान रखना नमक ज्यादा न हों जाएं नहीं तो खाने का स्वाद बिगड़ जायेगा।

कमला... मैं तो खाने में नमक स्वादानुसार डालती हूं फिर नमक के कारण खाने का स्वाद क्यों खराब होगा।

अपश्यु... माना की आप खाने में नमक नाप तोलकर डालती हों। लेकिन आप रोते हुए खाना बनाया तो आपके आंसुओ का नमक खाने में मिलकर खाने में नमक की मात्रा को बड़ा देगा।

देवर की बाते सुनकर पहले तो कमला समझ नहीं पाई पर बाद में जब समझ आया तो खिलखिला कर हंस दिया। सिर्फ कमला ही नहीं वहां मौजूद सभी हंस दिया। कुछ वक्त तक हंसने के बाद कमला बोलीं... देवर जी आपको अगर लगता हैं खाने में नमक ज्यादा हों जायेगा तो मैं आज खाने में नमक ही नहीं डालूंगी।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले भाग से, यहां तक साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।🙏🙏🙏
Shandar update hai bhai
Ek saas ka apni bahu ko yu beti ke saman aadar or adhikar dena dil ko chu gaya.... sukanya or surbhi dono ka hi apni bahu ke prati beti jaisa swabhav ek naye or behtar samaj banane ki or ek acha prayas hai....
Kamla, pushpa, or apshyu ke beech itna manmohak drishya pariwar ke swasth or khushhal vatavaran ko darshata hai....
Bhagwan kare in sab ka ek dusre ke prati ye pyar nirantar bana rahe....
Agle bhag ki pratiksha rahegi bhai
 

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