Incest anjane mein kya kar diya maine

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"हाँ, मैं जानती हूँ कि आजकल इस दुनियां में ये सब होता है।

लेकिन सन्नी तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

आखिरकार, ये मुअशरा क्या कहेगा हमारे बारे में?"

अब मैंने अम्मी का हाथ पकड़कर उनको चूमा और बोला-

"देखो अम्मी हमें किसी को कुछ बताना ही नहीं है तो कोई कुछ क्यों बोलेगा?

और यहाँ हम लोग आए भी तो इसीलिए हैं ना कि एंजाय कर सकें?

यहाँ हमें कोई नहीं जानता है तो फिर आप इतना डर क्यों रही हैं?"

अम्मी ने एक अह' भरी और बोलि- "ठीक है सन्नी, जैसा तुम लोगों को अच्छा लगे।

मैं क्या कह सकती हूँ? लेकिन क्या इस सबका निदा को भी पता है?

"तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- "जी अम्मी।

लेकिन उसे सिर्फ मेरा और बाजी का ही पता है और कुछ पता नहीं है."

अम्मी हैरानी से बोली- "तो क्या उसने कभी तुम्हें मना नहीं किया?"मैंने हँसते हुये कहा-

"नहीं अम्मी, बल्की वो तो हमें खुद टाइम देती है मस्ती करने के लिए,

और खुद भी हमारा सेक्स देखकर मजा करती है..."

अम्मी- "ठीक है सन्नी बेटा। लेकिन अब फरी को मेरे और अपने बारे में कुछ मत बताना,

मैं उसका सामना नहीं कर पाऊँगी प्लीज़्ज़..

अम्मी की बात सुनकर में हँस दिया और बोला-

"अम्मी आप क्या समझती हो कि उसे कुछ पता नहीं है?

अरे अम्मी जान सच तो ये है कि मैंने जब आपको और अंकल को सेक्स करते देखा था तो तभी फरी को बता दिया था और उसी के कहने से ही तो मैंने आपके साथ मस्ती की थी।

और तो और उसे सफदर अंकल और इरम के सेक्स का भी पता है,

अब उससे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है..."

।मेरी इस बात से अम्मी थोड़ा परेशान हो गई, लेकिन कुछ बोली नहीं।

मैंने अम्मी के हाथों को हल्का सा दबा दिया और बोला-

"अम्मी आप परेशान ना हों। फरी बाजी बहुत अच्छी हैं,आपको उससे कुछ परेशानी नहीं होना चाहिए..."

और उठते हुये अम्मी के गालों पे चुम्मा देकर रूम से निकल आया।
 
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मैं अम्मी के रूम से निकलकर सीधा अपने वाले रूम में आ गया,

जहाँ बाजी अभी तक बेड पे लेटी हुई थी,

और निदा बाजी के करीब ही चेयर रखकर बैठी उनसे बातें कर रही थी।

मुझे रूम में आता देखकर निदा ने आँखें मटकाई और बोली-

"क्या बात है भाई जान, क्या बात करनी थी हमारी अम्मी जान ने आपसे?"मैं हँसता हुआ बोला-

"अरे कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही वापसी का पूछच रही थीं कि कब जाना है?"

और इतना बोलते हुये निदा की चेयर के पीछे का खड़ा हो गया,

और निदा की तरफ देखने लगा, तो मेरा पूरा जिश्म सनसना गया था।

उस वक़्त निदा एक जीन्स और ढीली सी टी-शर्ट में थी।

लेकिन जैसे ही मैंने नीचे झुक के देखा तो मेरी नजर सीधी निदा की शर्ट में चली गई जहाँ मेरी बहन की बिना ब्रा की चूचियां नजर आ रही थीं।

मेरी तो नजर ही जैसे उसी जगह पे टिकी रह गई थी।

जिसे फरी बाजी ने देख लिया और बोली-

"सन्नी कहाँ गुम हो गये हो?"मैं झट से बोला- "नऽनहीं तो, कहीं भी नहीं। यहीं हूँ मैं तो..."बाजी- मुझे तो लगा कि तुम कहीं और ही सैर पे चले गये हो मुझे यहाँ छोड़कर।

निदा- "नहीं बाजी, आपने भाई को बड़ी मजबूती से बाँध रखा है,

ये कहीं नहीं जाएगा हेहेहेहे..."मैं- "फन्नी... इसमें हँसने की भला क्या बात है?"

और निदा के पास से हटकर बाजी के पास ही बेड पे जा बैठा...

"निदा- अच्छा तो भाई आप ने क्या जवाब दिया अम्मी को?मैं- यार अब भला मैं क्या बोलता अम्मी को?

मैंने कह दिया है कि जब आप चाहो हम वापिस चल देंगे।

निदा रोनी शकल बनाकर बोली- "भाई अभी यहाँ दिन ही कितने हुये हैं आए हुये, और अभी से वापसी? नहीं भाई प्लीज़...

आप अम्मी को समझाओ ना कि कुछ दिन और रुकने के लिए यहाँ..."
 
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फरी- क्या निदा, तुम भी बच्चों की तरह रोने लग जाती हो? मजाक कर रहा है ये कमीना तुमसे,

और तुमने रोना शुरू कर दिया है।

ये पहले ही अम्मी को बोल आया होगा कि अभी कुछ दिन रुकना है।

निदा बाजी की बात सुनकर खुश हो गई और बोली-

"तो ठीक है लोव बर्डस, इस खुशी में मैं अब तुम लोगों के सिर पे सवार नहीं रहती और थोड़ा टाइम तुम्हें दे रही हूँ अकेले एंजाय करो..."

और हेहेहेहे करती हुई रूम से निकल भागी।

निदा को रूम से जाते हुये मैं पीछे से उसको घूरता रहा।

क्या प्यारी लग रही थी उसकी गाण्ड टाइट जीन्स में कसी हुई और चलने से ऐसे लग रहा था कि दिल ही निकालकर ले जाएगी।

मुझे इस तरह अपनी छोटी बहन को पीछे से घूरता पाकर बाजी हल्का सा खाँसी,

तो मैंने बाजी की तरफ देखा।

बाजी मुश्कुरा रही थी और बोली-

लगता है अब निदा की खैर नहीं है।

मैं- बाजी सच पूछो तो बड़ा दिल करता है, लेकिन मैं कोई भी काम उसकी मर्जी के बिना नहीं करूंगा।

बाजी- अच्छा अब क्या प्रोग्राम है?मैं- यार प्रोग्राम तो आपने बताना है जब बोलोगी।बाजी-

अरे भाई आज तो हिम्मत ही नहीं है मुझमें।

तुम आज की रात अम्मी को अपने साथ ले जाओ सफदर अंकल की तरफ।मैं-

"क्यों जी, क्या तुम ये चाहती हो कि जिस तरह तुम्हें दर्द उठाना पड़ा है, अम्मी की भी ये हालत हो?

तो ये बात अपने दिमाग से निकल दो, क्योंकी अम्मी तो इसमें ज्यादा एंजाय करेंगी...

"बाजी हैरानी से बोली- "वो किस तरह? क्या अम्मी एक साथ दो लण्ड अपने अंदर ले सकती हैं?

क्या अम्मी ने खुद बताया तुम्हें?"मैं- "नहीं, बताया तो नहीं।

लेकिन मुझे अंदाजा है कि अम्मी एक साथ दो का मजा ले चुकी हैं और वो भी कई बार.."
 
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अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के मुझे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज सुनाई दी तो मैंने बाजी की।

तरफ देखा।तो बाजी मुश्कुरा दी और बोली-

"मेरा खयाल है कि अगर तुम निदा को बिना कपड़ों के देखना चाहते हो तो ये अच्छा मोका है, क्योंकी इस तरफ का दरवाजा खुला है..."

मैंने बाजी की तरफ देखा जो कि मुझे ही देख रही थी और हल्का-हल्का मुश्कुरा रही थी,

तो मैंने धीरे से कहाकहीं नाराज ही ना हो जाए?"

बाजी ने कहा- "यार तुम बोल देना कि पता नहीं था कि कोई बाथरूम में है भी या नहीं?"

मैं उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, जहाँ से अब पानी गिरने की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी।

मैं बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया जाकर और एक बार बाजी की तरफ देखा जो कि अभी भी मेरी तरफ ही देख रही थी।

बाजी ने मुझे इशारे से हौसला दिया तो मैंने एक झटके से बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा की मेरी छोटी बहन निदा बाथरूम में नंगी खड़ी अपना जिम मल रही थी।

जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज सुनी निदा ने और बाथरूम में मुझे खड़ा देखा,

तो सीधी खड़ी हो गई और अपने हाथ अपने पीछे करके दीवार से लग गई और बोली-

"भाई यहाँ मैं नहा रही हूँ आपको दरवाजा नाक करकेआना चाहिए था...

"मैंने एक बार सिर से पाओं तक निदा को बड़े प्यार से देखा और बोला-

"सारी यार, मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो..."

और इतना बोलकर मैंने दरवाजे को बंद कर दिया और बाजी के पास वापिस आ गया।

बाजी मेरी तरफ देखकर मुश्कुराए जा रही थी,

तो मैंने कहा- "क्या हुआ इतना खुश क्यों हो रही हो?"

बाजी ने कहा- "तुम्हें देखकर लग रहा है कि अगर तुम्हारा बस चल जाए तो तुम बेचारी निदा को अभी चीर के रख दो..."

मैं- यार क्यों मजाक उड़ा रही हो? अब ऐसा भी कुछ नहीं है।बाजी-

अच्छा जी, तो फिर जरा बताओ तो कैसा कुछ है?मैं- बाजी की बातों से झुंझला सा गया और बोला-
 
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"बाजी आप क्यों इतना तंग कर रही हो? सीधी तरह बोलो ना के इस वक़्त मैं चला जाऊँ यहाँ से.."

बाजी- यार मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा है, जिससे तुम इतना गुस्सा कर रहे हो?

मैं तो बस ये पूछ रही थी कि क्या इरादा है?मैं बाजी के पास से उठा और रूम से बाहर निकला और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया।

लेकिन फिर पता नहीं क्या दिल में आई कि बाहर निकला और रात 8:00 बजे तक यूं ही आवारा फिरता रहा।

खाना भी मैंने बाहर से ही खा लिया और 8:00 बजे घर वापिस आया तो देखा कि अम्मी बाजी और निदा के साथ-साथ सफदर अंकल भी घर पे ही थे,

और काफी परेशान लग रहे थे।

मुझे घर में इन होता देखकर अम्मी झट से बोली-

"कहाँ चले गये थे तुम? पता है कब से तुम्हें ढूँढ़ रहे थे और ऊपर से अपना मोबाइल भी साथ लेकर नहीं गये थे तुम अपने?"

अम्मी की बात सुनकर मुझे शर्मिंदगी हुई और अपनी बेवकूफी का एहसास भी हुआ तो मैं-

"सारी अम्मी, बस गलती से रह गया था घर पे, याद ही नहीं रहा मोबाइल साथ ले जाना.."

और अपने रूम की तरफ चल दिया।

अभी मैं 3-4 कदम ही चला था कि बाजी की आवाज सुनाई दी, जो खाने को पूछ रही थी।मैंने कहा-

"नहीं, मुझे नहीं खाना। मैं खाकर आया हूँ..."

और टपक से अपने रूम में जा घुसा।

मैं रूम में आकर सीधा अपना लूज पाजामा निकालकर बाथरूम में जा घुसा और ड्रेस चेंज करके रूम में आया।

और आराम के लिए लेट गया और सोचने लगा कि मुझे जाने अंजाने में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी जिससे कि किसी का भी दिल दुखे।

ये सोच आते ही मैं उठने लगा कि चलकर बाहर सबके साथ सो जाता हूँ।

तभी बाजी और निदा रूम में आ गईं।

बाजी आते ही मुझे देखकर बोली- "भाई आप आज अम्मी के रूम में सो जाओ, क्योंकी सफदर अंकल भी आज यहाँ ही रुक गये हैं, तो निदा यहाँ मेरे साथ सो जाएगी..."

मैं हाँ में सिर हिलाया और रूम से बाहर निकल आया और अम्मी के रूम में जा घुसा, जहाँ अम्मी और सफदर अंकल बेड पे बैठे बातें कर रहे थे।
 

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