बैलगाड़ी

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नहाने के बाद मधु और गुलाबी दोनों की खूबसूरती और ज्यादा खील उठी थी,,,,,, नदी पर नहाते समय दोनों के बीच जिस तरह की गंदी बातें हुई थी उसको लेकर गुलाबी की हालत खराब थी,,,,,मधु को अपनी ननद से इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो आजकल तो लगा था लेकिन उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि वह तो खेली खाई थी,,, तीन बच्चों की मां थी,,,,, लंड बुर चुदाई शब्द उसके लिए कोई नया नहीं था यह सब गुलाबी के लिए बिल्कुल नया था इस तरह की बातें करने से ही उसकी टांगों के बीच की पतली दरार से मदन रस का रिशाव होना शुरू हो जाता था,,,,,,,,


दूसरी तरफ हरिया परेशान था इस बात को लेकर कि आज वह अपनी बहन के बारे में बहुत ही गंदी बातें सोच गया था,,, ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,, यह पहली मर्तबा था जब वह अपनी बहन को झाड़ू लगाते हुए देख रहा था उसकी मस्त कर देने वाली नारंगी जैसी चुचियों को देख कर उसके खुद के मुंह में पानी आ गया था,, उसकी गदराई गांड पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी और उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बहन वाकई में बहुत खूबसूरत है,,,,,, और बस इतने में वह अपनी बहन के बारे में गंदी बातों को सोचने लगा,,, इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी अगर वह भाई के नजरीए से देखता तो शायद उसे अपनी बहन को लेकर इतने गंदे विचार कभी नहीं आते लेकिन वह एक मर्द के नजरिए से देख रहा था,, अपनी गलती पर उसे पछतावा भी हो रहा था,,,,,,,,, जिसके कारण आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था स्टेशन के बाहर वह बड़े से आम के पेड़ के नीचे अपनी बेल गाड़ी खड़ी करके बैलगाड़ी में ही बैठा हुआ था,,, कुछ सवारियों को ले जाने के लिए उसने इनकार भी कर दिया यह देखकर उसके बाकी के साथी पूछने लगे कि आखिर वह सवारी क्यों नहीं ढो रहा,,, जवाब में उसने तबीयत ना ठीक होने का बहाना कर दिया,,,,। उस दिन के बारे में सोचने लगा था वह आपने मरती हुई मां को वचन दिया कि वह गुलाबी कोअपनी छोटी बहन नहीं बल्कि अपनी लड़की समझ कर उसका पालन पोषण करेगा और उसकी अच्छे से शादी भी करेगा,,,,,, और अब तक उसने अपने वचन को निभाता भी आया बस हाथ पीले करने के लिए हाथ में पैसे कम पड़ रहे थे,,, अच्छा सा घर बार देखकर हरिया उसकी शादी करने के फिराक में था,,,,,,, उसे इस बात का अफसोस भी था की पहले गुलाबी की शादी करने की जगह वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुका था,,,,,, उस समय हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि उसे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,, जिसकी वजह से गुलाबी की शादी में विलंब होने लगा,,,,,,,, यह सब भी वह अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा भरोसा था लेकिन आज सुबह जो कुछ भी हुआ था उससे वह पूरी तरह से हील चुका था,,, अपने ख्यालों को वह दफन कर देना चाहता था ताकि इस तरह के ख्याल उसके मन में कभी दोबारा ना उभरे,,,,,।

अपने मन को अपने आप को कसम में बांधकर वह अपने आप को तसल्ली देने लगा यही कशमकश में शाम हो गई,,, दूसरे बैलगाड़ी वाले वहां से जा चुके थे,,, वह अभी भी वहीं खड़ा था आज कोई सवारी बैठा या नहीं था इसलिए एक आने की भी कमाई नहीं हुई थी,,,,, फिर भी उसे आज अफसोस नहीं था,,,वह अपनी बहन गाड़ी लेकर जाने ही वाला था कि तभी उसे एक सवारी ने आवाज लगाया,,, और वह रुक गया,,वैसे तो सवारी दे जाने का उसका मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उस सवारी को उसी गांव जाना था जहां पर लाला का घर था,,, और आज हरिया को लाला के ब्याज के पैसे भी चुकाने थे इसलिए उस सवारी को बैठा लिया,,,,।

शाम ढल चुकी थी और रात की स्याही वातावरण में फैल रही थी,,, हरिया सवारी को गांव में उतार कर लाला की हवेली की तरफ बढ़ चुका था और हवेली पर पहुंचकर,,, बेल गाड़ी खड़ी किया और हवेली मैं प्रवेश किया दरवाजे पर आज कोई नहीं था,,,,,, धीरे-धीरे वह अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,दो-तीन बार मालिक मालिक कहकर आवाज भी लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं,,,,,, हरिया के मन हो रहा था कि वापस लौट चलें कल आकर पैसे दे देगा लेकिन वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि लाना वक्त का बेहद पाबंद है जिस समय पर तय किया गया उसी समय पर पैसा चुकाने पर ही गनीमत है वरना वह और ज्यादा ब्याज लगा लेता है,,,,इसलिए हरिया अपने मन में सोचा कि यहां तक आ गया है तो पैसे देकर ही घर जाएगा लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, हरिया धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और जैसे ही लाला के कमरे के करीब पहुंचा तो उसे अंदर से जोर-जोर से हांफने की आवाज आ रही थी,,,,,,, हरिया थोड़ा बहुत घबराया हुआ था इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,,,,,

बिस्तर पर एक औरत पूरी तरह से नंगी घुटनों के बल और हाथ की कोहनी केबल बैठकर झुकी हुई थी उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और उसके ठीक पीछे लाला उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर जोर-जोर से चोद रहा था,,,हरिया को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वहां खड़ा रहेगा वापस लौट जाएं इतना समय उसके में बिल्कुल भी नहीं था,,,, हरिया आखिरकार एक इंसान ही था,,, और मानव मन से ग्रस्त होकर भाभी इस हालात में भी उस औरत के चेहरे को देख कर पहचानने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा कर पाना उसके लिए बेहद नामुमकिन सा था,,, क्योंकि उस औरत के गाने काले काले लंबे बाल उसके एक तरफ के चेहरे को ढक कर रखे हुए थे,,,और उसी तरफ हरीया खड़ा भी था जिससे उस औरत को पहचाने नहीं मैं उसे बेहद दिक्कत हो रही थी क्योंकि उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा था,,,,,उस औरत की गरम सिसकारी की आवाज हरिया के कानों में बराबर सुनाई दे रही थी और लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की चुदाई कर रहा था,,। पल भर में ही हरिया की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का दृश्य लाला के कमरे में देखने को मिलेगा,,,अभी तक उन दोनों में से किसी की भी नजर हरिया पर नहीं गई थी,, लाला बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,,,,,,

और जोर से ,,,,,और जोर से,,,,, कहते हुए वो औरत लाला को और ज्यादा उकसा रही थी,,,,, हरिया इससे ज्यादा देख पाता इससे पहले ही,,,,, उसके हाथ से,,, दरवाजे के पास ही सजावट के लिए रखा हुआ पीतल का घड़ा नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही लाला एकदम घबराते हुए दरवाजे की तरफ नजर घुमाकर देखा तो वहां हरिया खड़ा था वह एकदम से सन्न रह गया,,, उस औरत की तो एकदम सांस ही अटक गई लेकिन वहां अपनी नजरों को दरवाजे की तरफ नहीं तुम्हारी उसी तरह से झुकी रह गई,,,, हरिया को दरवाजा पर खड़ा हुआ देखकर लाला जोर से चिल्लाया,,,।


हरिया यह क्या बदतमीजी है,,,,


मममम,,, मालिक मुझसे भूल हो गई कोई नहीं था तो मैं यहां तक आ गया,,,,



तो क्या अभी भी यही खड़े रहने का विचार है,,,,(लाला उसी अवस्था में अपने लंड को पूरी तरह से उस औरत की बुर में घुसाए हुए और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए बोला,,,,लाला को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे रंग में भंग पड़ गया हो और वह इस कार्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था इसीलिए तो अपने आप को अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया था और ना ही उस औरत ने जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में मूर्तिवंत बनी रही,,,,)


मममम,,, मालिक आज की तारीख थी पैसे देने आया हूं,,,(हरिया घबराते हुए हाथ जोड़कर बोला लेकिन उसकी नजर उस औरत के नंगे बदन पर घूम रही थी,,,)

तो क्या पैसे मुझे यहां देगा बाहर बैठ कर इंतजार कर मैं आता हूं,,,,,,, जा अब भाग यहां से,,,
(लाला गुस्से में आ चुका था और उसके गुस्से को देखकर हरिया का वहां खड़े रहना ठीक नहीं था बस तुरंत बाहर मेहमान खाने में आकर बैठ गया,,,)


हराम जादा मादरचोद,,,,,(हरिया को गंदी गाली देते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया तभी वह औरत बोली,,)


तुमको बोली थी भैया दरवाजा बंद कर लो लेकिन तुम तो इतने नशे में हो जाते हो कि दरवाजा बंद करना भी भूल जाते हो,,,,,,, अगर वह यह सब जाकर बाहर कह दिया तो,,,मेरे साथ साथ आपकी भी बदनामी हो जाएगी और गांव वाले क्या कहेंगे,,,,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सोनी हरिया तुम्हारा चेहरा नहीं देख पाया है,,,, तुम्हारे घने घने रेशमी बालों की कारण आज हम दोनों साफ साफ बच गए हैं,,,,(लाला उसके रेशमी बालों को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला),,,,


बस भैया अब रहा नहीं जाता जोर जोर से धक्के लगाओ,,, आज पूरा लंड डाल दो मेरी बुर में फाड़ दो अपनी बहन की बुर,,,,,, भैया,,,,,


यह बात है,,,,, तो ले मेरी रानी बहन,,,,तेरा बड़ा भाई कैसी तेरी चुदाई करता है कैसी तेरी बुर का भोसड़ा बनाता है,,,,,(इतना कहते ही लाला जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से आहहह आहहहह की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, उसके पपीते जैसे बड़े-बड़े चूचियां नीचे हवा में झुलने लगे,,, जिससे लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया था और जोर जोर से दबा रहा था,,,, सोनी उसकी छोटी बहन थी जो कि शादी के बाद 3 साल के भीतर ही बिधवा बन गई थी,,, कोई बच्चा नहीं था ससुराल वाले कुछ महीने तक उसे अपने साथ रखें और वापस उसे अपने मायके भेज दिए,,,, सोनी बहुत ही कामुक औरत थी,,, उसे छत्रछाया भी चाहिए थी और अपने बदन की प्यासी भी बुझाना था वो जानती थी कि उसका भाई शादी नहीं किया था इसलिए उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, और वह अपने भाई के साथ संबंध बना बैठी,,, लाला भी तन का प्यासा था,,,,जब उसकी बहन खुद तैयार थी तो उसे भला क्या कर आज हो सकता था और तब से दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया और हर रात लाला अपनी बहन की चुदाई करता था,,,, जिससे लाला और पूरे हवेली में सोनी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था जो सोनी कहती थी वही होता था,,,,,,,, दुनिया की नजरों में अच्छे बने रहने के लिए लाला की बहन सोनी गांव के बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाती भी थी जिससे गांव में उसकी इज्जत मान सम्मान बढ़ गया था,,,,
लाला के धक्के तेज रफ्तार से शुरु हो गए थे जिसे सोनी बड़े आराम से झेल ले रही थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज हो गई थी लाला की बहन सोनी बिस्तर पर बिछाए हुए चादर को अपनी मुट्ठी में जोरों से भींच ली थी,,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,,, लाला अपनी बहन की चिकनी सीट पर मुंह रखकर उसकी चिकनी पीठ को चाटते हुए झडने लगा था,,,, जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो लाला अपनी बहन के ऊपर से उठा और लाला की बहन सोनू चादर को अपने बदन पर डालते हुए बोली,,,,।


भैया जाकर उस हरिया को डांटना तो,,,, कहीं बाहर जाकर सबको बक ना दे,,,,,,,


तुम चिंता मत करो सोनी मैं अभी जाकर उसी खबर लेता हूं और वैसे भी वह तुम्हें देखा नहीं है,,,,,,(इतना कहते हुए लाला अपनी कमर पर धोती बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गया और दूसरी तरफ मेहमान खाने में हरिया बैठकर कमरे के अंदर के दृश्य के बारे में सोच रहा था और बार-बार यह सोच रहा था कि लाला तो विवाहित नहीं है शादी नहीं किया है तो वह कीस औरत को चोद रहा था,,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर चुदवाने वाली वह औरत कौन थी,,,, वह और चेहरा को सोचता है इससे पहले ही लाला वहां आ गया और हरिया को डांटते हुए बोला,,,।)


हरिया तू पागल हो गया क्या तुझे जरा भी तमीज नहीं है कि किसी के घर कैसे जाया जाता है,,,, और तू कोई घर का सदस्य नहीं है जो बिना पूछे घर में घुस गया,,,,।


नहीं नहीं मालिक मैं माफी चाहता हूं ऐसी कोई बात नहीं है मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो,,,,।


ठीक है आज तो माफ कर देता हूं लेकिन आएगा इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और यह बात भी तो कान खोल कर सुन लेना कि अगर कमरे वाली बात बाहर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,



नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा आप तो हमारे मारी बात है भला आपके बारे में अनाप-शनाप बोल कर अपने पैर पर क्यों कुल्हाड़ी मारे,,,, भरोसा रखिए मालिक कमरे की बात मेरे सीने में दफन हो गई है यह बात किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,,,



ठीक है लाओ रुपए,,,,,



मैं कल आ जाता मालिक लेकिन मैं जानता हूं कि दिए हुए तारीख पर ही पैसा चुकाना जरूरी होता है इसलिए मुझे आना पड़ा,,,(हरिया अपने कुर्ते के जेब में हाथ डालकर पेसे निकालते हुए बोला,,,,)


यह लो मालिक,,,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया हाथ आगे बढ़ाकर रुपए को लाला के हाथों में रखने लगा इसे लाला बड़े प्यार से हाथ आगे बढ़ा कर रुपए को अपने हाथों में ले लिया,,, और गिनने लगा,,,, पूरे रुपयों की तसल्ली कर लेने के बाद वह हरिया से बोला,,,,)


ठीक है तू वादे का पक्का है इसीलिए जरूरत पड़ने पर तुझे ₹पए उधार दे देता हूं,,,,,,


इसीलिए तो आपके द्वार पर आते हैं मालिक,,,,


ठीक है हरिया अब तु जा सकता है,,,,


ठीक है मालिक,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया हवेली से बाहर आ गया उसके मन मस्तिष्क पर लाला के कमरे वाला दृश्य पूरी तरह से छप चुका था,,,,और वह घर पहुंच कर खाना खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही अपने कमरे में गया वैसे हीअपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया और ताबड़तोड़ उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया जिसकी सिसकारी की आवाज सुनकर बाजू वाले कमरे में सो रही गुलाबी की भी हालत खराब होने लगी,,,।
 
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ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,,,, हरिया का जीवन बड़े अच्छे से व्यतीत हो रहा था जिंदगी रेलवे स्टेशन और घर की दूरी पर सिमट कर रह गई थी लेकिन फिर भी हरिया को बेहद सुकून मिलता था दिन भर की थकान भरा चेहरा लेकर जब वह घर पहुंचा था तो अपनी बीवी केखूबसूरत चेहरे को देखकर फिर से हरा भरा हो जाता था अपनी सारी थकान रात को सोते समय बिस्तर पर निकाल देता था,,,,।

गर्मी का मौसम अपने जोरों पर था,,, वातावरण में चिलकती धूप अपना पूरा असर दिखा रही थी,,,, गांव में, कुछ लोग खेतों में काम कर रहे थे और कुछ लोग घरों पर आराम कर रहे थे,,, बच्चे बड़े-बड़े पेड़ों के बगीचे में खेल का मजा ले रहे थे,,,,,,, गांव में घना आम का बगीचा भी था जिस के छांव के नीचे गर्मी में अक्सर गांव के लोग आराम किया करते थे,,,,


ऐसे ही नौजवानों का एक झुंड गिल्ली डंडा खेलने में लगा हुआ था,,,,,,,, और तबीयत नौजवान डंडे की चोट से गिल्ली को हवा में उछाला और डंडे से उसे फटकारा और गिलली,, आठ से 10 लड़कों के ऊपर से उड़ते हुए जाकर एक मटके से टकरा गई और मटकी फूट गई,,,,,,, और मटका ली हुई औरत एकदम से झेंप गई और जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी मटकी गिल्ली लगने के कारण फूट गई है, वह जोर-जोर से गाली देने लगी,,,।


कौन है रे,,,, हरामी , साला कुत्ता,,, हरामजादा,,,,(सर पर मटकी ले जाने के कारण उसके फूटते ही उसका पानी उसके पूरे बदन पर गिर गया था जिसकी वजह से वह पूरी तरह से भीग गई थी,,,उस औरत की टूटी हुई मटकी और उसकी हालत को देखकर उनमें से एक लड़का थोड़ा घबराते हुए बोला,,)


बाप रे कमला चाची,,,,, राजू आज तो तु गया,,,,

अरे,,,,, मैंने कोई जानबूझकर थोड़ी ना मटकी फोड़ा हुं,,, वो तो गलती से लग गई,,,,(राजू उससे घबराते हुए बोला,,)


कुछ भी हो राजु मटकी तो,,, तेरे से ही फुटी है,,,, और गिल्ली भी तुझे ही मांग कर लानी होगी,,,,,,


नहीं नहीं ये मुझसे नहीं होगा,,,, वह मुझे अजीब सी नजरों से देखती है,,,,,,,,
(उसका इतना कहना था कि दूसरा लड़का तुरंत वहां पहुंच गया और कमला चाची से गिल्ली मांगने लगा,,,)


चाची गिल्ली दे दो ना,,,, भूल से लग गई,,,,


तो तू था रे मादरचोद तूने मेरी मटकी फोड़ी हराम के जने,,,, कुत्ता साले हरामी,,,,(उस लड़की को देखते ही कमला चाची एकदम से उस पर भड़कते हुए बोली,,, क्योंकि वह जानती थी उस लड़के का नाम श्याम था,,, और उसकी नजर गांव की हर औरत पर खराब ही रहती थी,,,)


नहीं नहीं चाची मैं गिल्ली थोड़ी मारा,(वह लड़का,,, कमला चाची की भरी हुई छातियों की तरफ जो कि पानी के गिरने के कारण पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी तनी हुई निप्पल साफ झलक रही थी,।,,,)

तो कौन मारा रे,,,,,(गुस्से में उस लड़के की तरफ देख कर बोली,,,)

वो,,,,वो,,,, राजू ने मारा ,,,,,(उंगली से राजू की तरफ ,,, इशारा करते हुए वह बोला,,,)


अच्छा तो यह राजू की करनी भरनी है कहां है राजू,,,,, इधर आ तो,,,,(राजू की तरफ हाथ का इशारा करके उसे अपने पास बुलाते हुए वह बोले श्याम वहीं खड़ा था शाम को अच्छी तरह से मालूम था कि कमला चाची का झुकाव राजू की तरफ ज्यादा था,,, और इसी बात से श्याम को जलन भी होती थीश्याम को अभी भी वहीं खड़ा देखकर कमला गुस्साते हुए बोली,,,)

तु अभी तक यहीं खडा है,जा उसे भेज और यह गिल्ली उसे ही मिलेगी दूसरा कोई आएगा तो उसे नहीं मिलने वाली,,, समझा जा जाकर जल्दी भेज उसे ,,,,

ठीक है चाची में उसे अभी भेजता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही श्याम भागते हुए राजू के पास गया और जाकर बोला,,,)



जा ओ रंडी तुझे बुला रही है उसे तेरा पसंद आ गया है,,,


नहीं यार मुझे डर लगता है,,,, तू जाकर मांग ले,,,( राजू घबराते हुए बोला)


भोसड़ी के मुझे देती तो मैं मांग कर नहीं लाया होता,,,,,, वो तुझे ही अपना देगी,,, अब जल्दी से जा और मांग कर ला खेल रुक गया है,,,,।

(इतना सुनकर राजू धीरे-धीरे कमला चाची की तरफ बढ़नेलगा राजू कमला चाची से बहुत डरता था क्योंकि वह बहुत गालियां देती थी और उसकी हरकतें राजू को अजीब लगती थी,,,। राजू को अपनी तरफ आता देखकर कमला चाची मन ही मन में मुस्कुराने लगी कमला चाची का व्यक्तित्व थोड़ा कामुक था,,,। बहू वाली हो गई थी लेकिन अभी भी उसमें जवानी का रस पूरी तरह से भरा हुआ था,,, पति मैं अब इतना दम नहीं बचा था जितना कि उसकी जवानी का हक था,,,इसलिए अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए पर राजू पर डोरे डाल रही थी मैं कितना सुधार एकदम नादान कमला चाची की हरकतों को वह समझ नहीं पाता था और उनसे डरा डरा रहता था हालांकि कमला चाची उसे अपने अंगों के उभार को पूरी तरह से उसे दिखाने की कोशिश करती थी लेकिन वह नजर उठाकर उसके अंगों के ऊभार को देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था और वहा से किसी भी तरह का बहाना करके भाग जाया करता था,,,। धीरे-धीरे राजू कमला चाची के करीब पहुंच गया और कमला चाची जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)

क्यों रो तूने फोड़ी मेरी मटकी,,,,


मममम,,,मै ,,,,नहीं चाची जानबूझकर नहीं फोड़ी, गिल्ली गलती से लग गई,,,,,,,( राजू घबराते हुए बोला,,,)


अच्छा गलती से लग गई यह देख तूने मेरी क्या हालत किया है,,,,(अपने दोनों हाथों को अपने गीलें ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रखते हुए बोली,,,,कमला चाची की अदा बेहद कामुक थी वह जानबूझकर राजू के सामने इस तरह की हरकत कर रही थी,,,, राजू कमला चाची की हरकत देखकर थुक को गले से नीचे निगलते हुए बोला,,,)


अनजाने में हो गया चाची अब ऐसा कभी नहीं होगा,,,,,,,(राजू अपनी गलती मानते हुए बोला,)


ऐसे केसे अनजाने में हो गया आजकल तेरी गिल्ली बहुत इधर उधर भागती है,,,,(ऐसा कहते हुए कमला चाची अपनी हथेली को बार-बार जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रख दे रही थी यह देखकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे खुद वह समझ नहीं पा रहा था,,,।)

अब ऐसा नहीं होगा चाची,,,


नहीं-नहीं,,, अब ऐसा ही होगा क्योंकि अब तो पूरी तरह से जवान हो गया है,,,,,, इसलिए तो तेरी गुल्ली कुछ ज्यादा उछल रही है,,,,(कमला चाची राजू के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जिस में अब थोड़ा थोड़ा सा उभार आना शुरू हो गया था,,, कमला चाची अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) वैसे तेरी गुल्ली है कितनी बड़ी मैं भी तो देखूं जरा ,,,

अरे चाची आपके हाथ में ही तो है मुझे दे दो,,,,(राजू कमला चाची के हाथ में पकड़ी हुई गिल्ली की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)


यह ,,,, क्या सच में इतनी बड़ी है तेरी गिल्ली,,,,( कमला चाची हाथ में ली हुई गिल्ली को अपने दोनों हाथों में लेकर गोल-गोल इधर-उधर घुमाते देखने लगी जो कि वाकई में कुछ ज्यादा ही बड़ी थी और मोटी थी,,,,)


बाप रे यह तो कुछ ज्यादा ही बड़ी है,,, तू कैसे संभाल लेता है,,,


यह तो हमारे रोज का काम है,,,,


लेकिन तेरी गुल्ली देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है,,,


ऐसा क्यों,,,?


कभी मिलना फुर्सत में तो सब कुछ बताऊंगी,,,,( कमला चाची राजू के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जोकी उसका उभार धीरे-धीरे बढ़ रहा था,,,। उसे देख कर मुस्कुराते हुए वह बोली,,)


पजामे में देख कर तेरी गुल्ली खड़ी होने लगी है,,,,
(इतना सुनते ही राजू नजर नीचे करके अपने को जाने की तरफ देखने लगा जो कि वाकई में पजामे के आगे वाला भाग पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,, यह देखकर राजू पूरी तरह से शर्मा गया और राजू को शर्माता हुआ देखकर कमला चाची मुस्कुराने लगी और गिल्ली को उसके हाथों में देते हुए बोली,,,)


ले संभाल तेरी गुल्ली,,,लेकिन मुझसे मिलना जरूर वरना मैं तेरी हरकत के बारे में तेरे पिताजी और तेरी मां को बता दूंगी तो समझ लेना तेरी खेर नहीं,,,,


नहीं नहीं चाची ऐसा मत करना मैं जरूर मिलने आऊंगा,,,,,(इतना कहकर वह कमला चाची को जाते हुए देखता रहा,,, न जाने क्यों आज उसकी नजर कमला चाची के कमर के नीचे उसके नितंबों के उभार पर चली गई थी जिसे देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,)


अरे अब इधर आएगा भी या वही मां चुदवाता रहेगा,,,(राजू को अभी भी वहां खड़ा देखकर श्याम चिल्लाता हुआ बोला,,, राजू को श्याम की गाली अच्छी नहीं लगी और वह गिलली लेकर उसके पास जाते हुए बोला,,,)


देख श्याम तू गाली मत दिया कर मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है,,,,


तो वहां खड़ा खड़ा क्या कर रहा था,,, गिल्ली लेकर आना चाहिए था ना कि कमला चाची की,,,बुर में घुसने का इरादा था,,,,।


यार श्याम तु कैसी गंदी गंदी बातें करता है कमला चाची है वो,,, इस तरह की गंदी बातें नहीं करना चाहिए ,,,,

अरे कमला चाची नहीं कमला रंडी है वह उसे अच्छी तरह से जानता हूं,,,,,,शाली मुझसे बात करके से मैं उसकी मां मरी जा रही थी कैसे गुस्से में बातें कर रहे थे और कैसे-कैसे हंस हंस के बातें कर रही थी ऐसा लग रहा था कि अभी अपनी साड़ी उठाकर तुझे अपनी बुर में डाल लेगी,,।
(श्याम गुस्से में बोले जा रहा था,,, और राजू,,उसके मुंह से गंदी गंदी बातें सुनकर और खास करके उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर एकदम से मचल उठा था,,,। उससे कुछ भी कहा नहीं जा रहा था जैसे तैसे करके खेल फिर शुरू किया गया लेकिन राजू ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और आउट हो गया क्योंकि उसके दिमाग में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,)
 
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खेल खत्म हो चुका था,,,,,,,, राजू के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी कमला चाची की बातें उसका भीगा बदन उसकी उन्नत चूचियां,,, सब कुछ एक एक करके राजू की आंखों के सामने से गुजर रही थी,,, और श्याम की गंदी गालियां कमला चाची के प्रति खराब खराब बोलना,,, यह सब राजू के कोमल मन पर भारी पड़ रही थी,,,,,,,

श्याम थोड़ा गुस्से में था और वह भी कमला चाची के रवैया के वजह से क्योंकि वह राजू को पसंद करती थी और उसे नापसंद राजू के साथ हंस कर बातें करती थी और उसके साथ गुस्से में,,,,,, श्याम अपने मन में यही सोचता था कि अगर राजू की जगह पर होता तो कमला चाची की कब से चुदाई कर दिया होता,,,, चुदाई के मामले में राजु को कुछ भी पता नहीं था यह बात भी श्याम अच्छी तरह से जानता था,,,,,,,, इसलिए राजू को चिढ़ाने के लिए श्याम बोला जो कि अभी भी वही बगीचे में ही सब लोग थे,,,।


यार राजु कमला चाची तुझे इतना मानती है,,, तुझसे कितना हंस हंस कर बातें करती है और तो और तुझे अपनी पानी से भीगी हुई चूचियां भी दिखा रही थी,,,, लेकिन मैं जानता हूं तुझसे कुछ होगा नहीं,,,,,, मुझे लगता नहीं कि तेरा खड़ा होता है,,,,,,,।


स्याम यह कैसी बातें कर रहा है तू,,,,(राजू गुस्से में बोला)


सही तो कह रहा हूं,,, तुझ से कुछ होने वाला नहीं है,,,, देख नहीं रहा था कमला चाची तुझे अपनी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे दिखा रही थी मुझे दिखाती तो कसम से अपने दोनों हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा देता,,,
(शयाम की गंदी बातें सुनकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, फिर भी राजु शयाम को समझाते हुए बोला,,,)


ऐसा नहीं कहते श्याम तु जो कुछ भी कह रहा है गलत कह रहा है वो कमला चाची है,,,, उनकी दो बहुएं है,,,,


तो क्या हुआ दो बहुए होने की वजह से क्या वो सीधी हो गई,,,,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तु नहीं जानता कमला चाची के पास भी बुर है,,, और उन्हें भी अपनी बुर के अंदर लंड चाहिए ,, और लेती भी है,,,, मुझे तो लगता है कि तेरे पास है ही नहीं तभी तो कमला तुझे इतना भाव देती है लेकिन तू भाव खाता है,,,,,
(राजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी श्याम बेहद गंदी जुबान में बातें कर रहा था इस तरह की गंदी बातों को सुनकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, खास करके लंड और बुर वाली बात,,,,, राजु ईससे पहले भीगांव के आवारा लड़कों के मुंह से गाली सुन चुका था लेकिन खुद के लिए नहीं लेकिन आज इस तरह की गंदी बात श्याम उसे ही कह रहा था इसलिए राजू के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी,,,।)

श्याम अब तू ज्यादा बोल रहा है,,,,



बोलूंगा क्या कर लेगा,,,,,,, तेरे पास होता तो कमला चाची की चुदाई कर लिया होता लेकिन तेरे पास है ही नहीं इसलिए नहीं कर पा रहा है,,,,तू बोल के कमला चाची को मेरे पास भेज दे देख मे कमला चाची को अपने लंड से एकदम मस्त कर दूंगा,,,,,,, अगर कमला चाची को नहीं भेज पाता तो अपनी मां को ही भेज दे तेरी मां वैसे भी गांव की सबसे खूबसूरत औरत है उसकी बड़ी बड़ी गांडदेख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है कसम से तेरी मां को नंगी करके चोदने में बहुत मजा आएगा,,,, तेरी मां की बुर बहुत मनाई छोड़ती होगी,,,,
(राजू को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि शाम उसकी मां के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें बोलेगा इसलिए अपनी मां के बारे में गंदी बात सुनते ही राजू एकदम से श्याम से भिड़ गया,,, और दोनों में लड़ाई हो गई,,, झगड़ा बड़ा होता देखकर उन दोनों के साथी बीच बचाव करते हुए दोनों को अलग किए और घर की तरफ ले गए,,,,,,,,,,मुन्ना राजु को घर ना ले जाकर रास्ते में ही पेड़ के नीचे बिठा लिया और उसे समझाने लगा मुन्ना राजू का पक्का दोस्त था जो हमेशा उसके साथ ही रहता था,,,, दोनों पेड़ के नीचे बैठे हुए थे शाम ढलने लगी थी धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ रहा था और अभी भी राजू गुस्से में ही था मुन्ना उसे समझाते हुए बोला,,,)


तू इतना बड़ा हो गया है लेकिन अभी भी सीधा है इसलिए वह तेरी मस्करी कर लेता है तेरा मजाक बना देता है अगर तू भी उन लड़कों की तरह हरामी होता तो शायद यह नौबत ही नहीं आती वो तेरी मां के बारे में इतनी गंदी बात कभी नहीं बोल पाता,,,,,,,(राजू अभी भी गुस्से में था लेकिन मुन्ना की बातों को ध्यान से सुन रहा था क्योंकि मुन्ना उसका सबसे चाहिता यार था दोनों की उम्र बराबर ही थी,,,)

और तुझे सच कहूं तो श्याम कमला चाची के बारे में सच ही कह रहा था तू सीधा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आता अगर तेरी जगह गांव का कोई और लड़का होता तो अब तक कमला चाची कर चल गया होता और कमला चाची भी यही चाहते हैं,,,


चढ गया होता मतलब ,,,,(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू श्याम सच्ची कहता है कि तू सच में उस लायक नहीं है तेरे पास है ही नहीं यह सब भी नहीं समझ पाता,,,


सच में मुझे नहीं पता,,,,


अरे यार चढ जाने का मतलब होता है कि चुदाई करना तेरी जगह कोई गांव का दूसरा लड़का होता तो कमला चाची की बुर में अपना लंड डालकर चुदाई कर दिया होता,,, और श्याम की तुझे यही कह रहा था पता है क्यों क्योंकि कमला चाची तुझे पसंद करती है इसलिए तो तु देख नहीं रहा था कैसे पानी से भीगे हुए अपने ब्लाउज में छिपी हुई चुचियों को तुझे दिखा दिखा कर बातें कर रही थी,,,


नहीं मुन्ना ऐसी कोई बात नहीं है मेरी वजह से सर पर रखी हुई मटकी फूट गई थी और वह भीग गई थी इसलिए,,,,


अरे बुद्धू कमला चाची को मोटे मोटे लंबे और जवान लंड पसंद है यह बात गांव का हर कोई जानता है एक तू ही नहीं जानता इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है,,,। और सच कहूं तो कमला चाची तेरे लिए अपनी दोनों टांगें खोलकर तेरे लंड को अपनी बुर में ले लेगी लेकिन तेरी बातें सुनकर तो मुझे भी लगने लगा है कि श्याम तेरे बारे में सही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं अगर होता तो अब तक तो कमला चाची की चुदाई कर दिया होता,,,,,, सच सच बता तेरे पास है कि नहीं की सच में श्याम तेरे बारे में सही कह रहा था,,,।


क्या है कि नहीं,,,?


अरे बुद्धू लंड और क्या,,,,


पागल हो गया क्या तू मेरे पास भी है,,,,


तो जब श्याम तुझे उल्टा सीधा बोल रहा था तो खोल कर दिखा देना चाहिए था ना वह दिखाया क्यो नहीं,,,,


ऐसे कैसे दिखा दु मैं उन लोगों की तरह बेशर्म थोड़ी हूं,,,


तुझे भी बेशर्म बनना पड़ेगा वरना तुझे वह लोग बार-बार इसी तरह से चिढ़ाते रहेंगे परेशान करते रहेंगे कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरा सबसे छोटा है इसलिए नहीं दिखा रहा है,,,,



नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सब कुछ ठीक है,,,,


तो मुझे तो दिखा दे मुझे भी यकीन हो जाए तो मैं दूसरों को बोल सकूं ना तू वाकई में मर्द है,,,,



नहीं यार तू पागल हो गया है क्या मुझे शर्म आती है,,,,



ले बच्चु तू तो औरतों की तरह शर्मा रहा है सच में चुदाई कैसे कर पाएगा तो शर्माता बहुत है और कुछ समझता भी नहीं है,,,,,, मुझे तो यकीन होने लगा है कि अगर तेरे पास होगा भी तो बहुत छोटा होगा,,,।


तेरे पास तो है ना,,,,


हां मेरे पास तो है ले तुझे दिखा देता हूं,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह खड़ा हो गया,,,,और तुरंत अपने पजामे की डोरी खोलकर नीचे कर दिया और अपने लंड को दिखाना शुरू कर दिया जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,,उसे अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाते हुए बोला,,,)


ले देख लिया ना मेरे पास है तभी तुझे दिखा रहा हूं तेरे पास नहीं है तभी तु नहीं दिखाता,,,, अगर हिम्मत है तो दिखा,,





क्रमशः
 
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बात ही बात में मुन्ना,,, अपनी खड़े लंड को अपने पजामे से बाहर निकालकर राजू को दिखा दिया था,,, राजू के लिए भी यह पहला मौका था जब वह अपनी हम उम्र के लड़के का लंड इतने पास से देख रहा था,,,, मुन्ना की बातों को सुनकर और उसके खड़े लंड को देख कर राजू के पजामे में भी हलचल होने लगी थी उसका लंड पजामें के अंदर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,

मुन्ना था तो उसका दोस्त लेकिन वह इस समय जानबूझ कर उसे उकसा रहा था वह भी राजू की लंड को देखना चाहता था,, क्योंकि औरों की बातों को सुनकर उसे भी लगने लगा था कि शायद राजू के पास दमदार लंड नहीं है तभी तो कमला चाची के लिए उकसाने के बाद भी वह उसकी तरफ आकर्षित नहीं होता था और बुद्धू बना रहता था नहीं तो उसकी जगह कोई और लड़का होता तो कम से कम ना चाची की चुदाई कर दिया होता और इसी पार्क में गांव के लड़के लगे भी रहते थे लेकिन किसी की दाल नहीं गल रही थी और राजू तो सामने से मालपुआ पाने के बावजूद भी उसका स्वाद नहीं ले पा रहा था इसलिए मुन्ना को भी शक हो रहा था और इसीलिए वह राजू के लंड को देखना चाहता था,,,,। अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए मुन्ना बोला,,,।


क्या हुआ देखता ही रहेगा या अपना भी दिखाएगा,,, देख नहीं रहा है मेरे लंड में कितना दम है अगर कमला चाची की बुर में चला जाए तो कमला चाची पानी पानी हो जाए,,,,


क्या मुन्ना तू भी कमला चाची के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा है,,,


अरे बुद्धू अगर तू कमला चाची के बारे में जान जाएगा तो तू भी मेरी तरह ही गंदी गंदी बातें करेगा उसे चोदने के लिए दिन रात उसके पीछे पीछे घूमता रहेगा,,,, वह तो तुझे भाव देती है अगर मुझे भाव दे तो मैं भी उसकी बुर में लंड डालकर चुदाई कर दुं,,,
(एक औरत के साथ चुदाई की खुली बातें सुनकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगती है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और उसके टांगों के बीच कुछ कुछ होने लगा था,,, आखिरकार वह भी एक जवान लड़का था जो कि इस उम्र में जवान लड़कों के अरमान कुछ ज्यादा ही मचलते रहते हैं ऐसे में राजू दूसरे लड़कों से बिल्कुल अलग था लेकिन मुन्ना की गंदी बातें उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,, मुन्ना की गंदी बातें सुनकर,,, राजू बोला,,,)

तू भी श्याम की तरह है,,,

हां मैं भी श्याम की तरह हूं और मेरी तरह हर लड़के श्याम की तरह ही होते हैं लेकिन तू ही सबसे अलग है,,,, क्योंकि हम सब का खड़ा होता है औरत को देखने की बड़ी चूचियां देखकर की बड़ी-बड़ी गांड देख कर,,, और हम लोगों का मन उन्हें चोदने को करता हैं,,,,और लगता है कि श्याम सच ही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं और तेरा खड़ा भी नहीं होता,,,,।


मन्ना तु भी शुरु हो गया,,, तू भी श्याम की तरह बातें कर रहा है,,,


श्याम की तरह बातें करु ना तो और क्या करूं मुझे अच्छा नहीं लगता जब वह तेरे बारे में खराब खराब बोलते हैं,,,,तेरी पीठ पीछे तेरी मां के बारे में तेरी बुआ के बारे में कितनी गंदी गंदी बातें बोलते हैं वह लोग,,,,



कौन बोलता है,,,?(राजू ताव में आकर बोला,,,)


श्याम बोलता है उसके साथी बोलते हैं सब तो कहते हैं,,,(


क्या कहते हैं,,,?



अब जाने भी नहीं बहुत गंदी गंदी बातें बोलते हैं,,,,



वही तो पूछ रहा हूं क्या बोलते है,,,,?


नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा नहीं तो तुम दोनों के बीच झगड़ा हो जाएगा और यह अच्छी बात नहीं है,,,,,,,,,



चल अब बोल भी दे,,,,,



नहीं तु झगड़ा करेगा,,,,फिर कौन बताया यह बात निकलेगी तो मेरा नाम आएगा और फिर तू तो जानता है कि मेरे पिताजी कितना मारते हैं,,, नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा जाने दे वह तो मैं तेरी भलाई के लिए कह रहा था कि,,,, एक बार सबको दिखा दे तो वह लोगों का मुंह बंद हो जाए लेकिन तो शायद नहीं चाहता,,,,, क्यों लोग तेरे बारे में गलत सलाह बोलना बंद कर दे तेरी मां और बुआ के बारे में गंदी बातें करना बंद कर दें,,,,



देख मुन्ना मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई मेरी मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें करें,,,, इसलिए तुम मुझे बता ताकि मैं उन लोगों को खामोश कर सकूं,,,,



देख मैं तुझे बता दूंगा लेकिन मुझसे वादा करके तो झगड़ा नहीं करेगा अगर तू झगड़ा करेगा तो मैं तुझे नहीं बताऊंगा फिर हम दोनों की दोस्ती समझ लो टूट जाएगी,,,,।



चल कोई बात नहीं मैं नहीं झगड़ा करूंगा लेकिन तू बता तो सही कौन कहता है और क्या कहता है,,,।

(राजू की बातें सुनकर मन्ना को यकीन हो गया कि राजू उसकी बातों को सुनकर झगड़ा नहीं करेगा क्योंकि वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाकर बताना चाहता था एक जवान लड़का होने के नाते जिस तरह से दूसरी लड़की औरतों को गंदी नजरों से देखते हैं उसी तरह से मुन्नाद ही दूसरी औरतों के साथ-साथ खुद राजू की मां और बुआ को भी गंदी नजरों से देखता था राजू की मां की बड़ी-बड़ी गांड उसे बहुत पसंद थी और उसकी बुआ की खूबसूरती भी उसे उत्तेजित कर जाती थी,,, जिस तरह से दूसरे लड़के राजू की मां को देखते ही उसके बारे में गंदी कल्पनाएं करने लगते थे उसी तरह से मुन्ना भी राजू की मां को देखकर गंदी-गंदी कल्पना करता था इसीलिए अपनी बात को नमक मिर्ची लगाते हुए बोला,,,)



श्याम और उसके साथी तेरी मां के बारे में और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें कहते हैं,,,, श्याम कहता है कि राजू की मां की गांड कितनी मस्त है बड़ी-बड़ी अगर कपड़े उतार कर नंगी हो जाती होगी तो देखने वाले का लंड अपने आप पानी छोड़ देता होगा,,,(मुन्ना के मुंह से अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर राजू को श्याम और उसके साथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरु हो गया था,,,) श्याम के साथी भी सुर में सुर मिलाते हुए कहते रहते हैं कि राजू की बुआ कितनी मस्त है उसके अमरुद दबाने में बहुत मजा आएगा,,,,।


अमरुद ,,,,अमरुद मतलब,,,,,( राजू भोलेपन से बोला)


अरे बुद्धू अमरूद का मतलब तेरी बुआ की चुची,,,, तेरी बुआ की चूची दबाने में बहुत मजा आता ऐसा वह लोग कह रहे थे,,,(लगे हाथ गांव के लड़कों की बदमाशी के बारे में बात बताते हुए मुन्ना अपने मुंह से अपने ही दोस्त की मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें बोलकर अपनी खड़े लंड को भी ना रहा था जो कि राजू की नजर बार-बार उसके खड़े लैंड पर पहुंच जा रही थी जो कि उत्तेजना के मारे मुन्ना अपने लंड को मुठिया रहा था,,,,वह दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे और यह पेड़ गांव से थोड़ा अलग जगह पर यहां पर शाम के वक्त कोई आता जाता नहीं था और अंधेरा भी होने लगा था इसलिए यहां पर किसी के भी आने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,, मुन्ना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)


और तो और बोलो कितनी गंदी बात बोल रही थी कि मुझे बताने में भी शर्म आ रही है,,,


कैसी गंदी बात,,,


तू सुन पाएगा,,,,,



तू बोल तो सही आखिरकार में भी तो सुनो कि गांव वाले मेरी मां और बुआ के बारे में कैसी कैसी बातें करते हैं,,,


वह लोग कह रहे थे कि,,,अगर तेरी मां एक रात के लिए उन्हें मिल जाए तो सारी रात अपनी खड़े लंड को तेरी मां की बुर में डाल डाल कर उसकी चुदाई करके उसकी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,,, सच कहूं तो वह लोग तेरी मां को चोदना चाहते हैं,,, तेरी मां की बुर में अपना लंड डालना चाहते हैं क्योंकि वह लोग कहते हैं कि गांव में सबसे खूबसूरत बुर तेरी मां की ही होगी,,,,,,

(यह सब सुनकर राजू का चेहरा गुस्से से नहीं बल्कि उत्तेजना से तमतमा गया था अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बात और पहली बार सुन रहा था और उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी थी उसे अपनेआप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि अपनी मां और बुआ के बारे में इतनी गंदी बातें सुनकर वह ईतने आराम से खड़ा है,,,, अपने दोस्त मुन्ना की बातों को सुनकर,,,,,,ना चाहते हुए भी उसके कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था और वह जिस तरह से उसकी मां की गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगा था अपनी मन की बड़ी-बड़ी कांड के बारे में उसकी चुचियों के बारे में और उसकी पुर के बारे में जिसे वह आज तक अपनी आंखों से देख नहीं पाया था उसकी भूगोल की संरचना के बारे में उसे बिल्कुल भी समझ नहीं थी फिर भी वह कल्पना कर रहा था आज उनसे पहली बार इस बात का पता चला था कि औरतों की चूचियों को अमरुद भी कहा जाता है वरना हुआ तो अमरूद पेड़ पर लगे फल को ही समझता था आज पहली बार ज्ञात हुआ था कि औरतों के छातियों पर लगे हुए फल को भी अमरुद कहां जाता है,,,। राजू को उसके ख्यालों में खोया हुआ देखकर मिलना उसे ऊपर से नीचे की तरफ देखने लगा और उसके पजामे में अपने तंबू को देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी औकात में था खड़ा होने के बाद मुन्ना का खुद का पजामा भी इस तरह से तंबू नहीं बन जाता थाइसलिए तो राजू के पजा6 में बने तंबू को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,पर इस बात से भी वह पूरी तरह से हैरान और उत्तेजित हो गया था कि अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं बल्कि उसके पजामे की हालत खराब हो रही थी इसका मतलब साफ था कि वह भी अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनकर उत्तेजित हो रहा था,,,,मुन्ना अभी भी अपने लंड को हिला रहा था और किसी और के बारे में ही बल्कि राज्यों की मां और दुआ के बारे में सोच कर ही,,,, अपने लंड को हिलाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


देख राजुमैं गांव के बाकी लड़कों की तरह नहीं हूं जो तेरी मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें करु मैं तेरा पक्का दोस्त हु और मैं यह चाहता हूं कि तू उन लोगों का मुंह बंद कर दे इस तरह से खामोश रहेगा तो वह लोग इसी तरह से तेरी मां और बुआ के बारे में गंदी गंदी बातें करते रहेंगे और वह लोग यही सोचेंगे कि तेरे पास है ही नहीं इसलिए भी कमला चाची के साथ कुछ कर नहीं पाता सच कहूं तो जिस तरह से वह लोग बातें करते हैं उसी तरह से तुझे भी हिम्मत करके उन लोगों की मां बहन के बारे में गंदी बातें करना चाहिए ताकि वह लोग तेरी मां और बुआ के बारे में इस तरह की गंदी बातें ना कर सके,,,,,,,
(मुन्ना की बातों को सुनकर राजू कुछ देर खामोश रहा फिर बोला)


तू सच कह रहा है मुन्ना मुझे भी उन जैसा बनना पड़ेगा तभी यह हरकतें बंद होगी वरना यह लोग इसी तरह से मेरा मजाक उड़ाते रहेंगे,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं दिखा अपना,,,, देख मेरा कैसा खडा है,,,(मुन्ना जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,, राजू की नजर बार-बार उसके
लंड पर चली जा रही थी ,,, जो की पूरी तरह से खड़ा था राजू की हालत खराब होती जा रही थी कि की पहली बार कोई उसका हमउम्र इस तरह से उसकी आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था,,,,,, राजू के लिए यह बर्दाश्त के बाहर था,,,, उसे अपने खड़े लंड में दर्द महसूस होने लगा था,,,,,,,,,)दिखाएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा कि तेरे पास भी है वरना रोज यही बातें होती रहेंगी कि राजू के पास है ही नहीं वह औरतों को खुश नहीं कर सकता,,,,


देख ऐसी बात नहीं मेरे पास भी है लेकिन मुझे शर्म आती है,,,



अरे शर्म कैसी,,,, मुझे देख में शर्मा रहा हूं क्या,,,( मुन्ना उसी तरह से अपने लंड़ को हिलाते हुए बोला,,,)



तुझे नहीं आ रही है लेकिन मुझे तो आ रही है ना,,,(राजू शर्माते हुए बोला)


जा मुझे क्या गांव वाले तब तो यही कहते रहेंगे कि सच में तेरे पास लंड नहीं है,,,,इसी तरह से तू रहा तो एक न एक दिन जरूर श्याम और उसके दोस्त तेरी मां को चोद देंगे,,,, तब मत कहना कि यह कैसे हो गया,,,,

(मुन्ना की यह बात सुनकर राजू को गुस्सा आ गया और वह गुस्से में बोला)


मेरे पास भी है रुक अभी दिखाता हूं,,,,(पर इतना कहने के साथ ही राज्यों में अपनी पहचान को एक झटके से नीचे की तरफ खींच लिया और अगले ही पल उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में एकदम से आसमान की तरफ मुंह उठाए टनटनाने लगा,,,,, यह देखकर तो मुन्ना की आंखें फटी की फटी रह गई उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राजू जो निगम शर्मिला सबसे शर्माता रहता है उसके पास इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड होगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,, मुन्ना को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,,,,,, क्योंकि वह राजू का हमउम्र था पर इस उम्र को देखते हुए वह बार-बार अपने लंड की तरफ देख लेगा था जो कि राजू के फ्रेंड से आधा ही था और वह अपने आप पर शर्मिंदा होने लगा कि अपना आधा लंड दिखा कर कीतना गर्व कर रहा था,,,,,राजू के लंड में जरा भी लचकपन नहीं था ,,,,अपनी मां की गंदी बातों को सुनकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने लटकते हुए लंड पर महसूस हुआ था और वह उत्तेजित होकर पूरी तरह से एकदम लोहे के रोड की तरह खड़ा का खड़ा हो गया था,,,,
राजू एक नजर अपने लंड की तरफ डालकर मुन्ना की तरफ देखते हुए बोला,,,।


मुन्ना अब बोल मेरे पास है कि नहीं,,,,,


बाप रे इतना बड़ा और मोटा यार तेरा तो एकदम जबरदस्त है कमला चाची की बुर में अगर एक बार चला गया तो कमला चाची माई बाप करके चिल्ला उठेगी और वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी कमला चाची ही क्यों गांव की किसी भी औरत की बुर में अगर तेरा लंड चला गया तो वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी,,,,(मुन्ना राजू के लंड की बढ़ाई किए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से हिलाए जा रहा था,,, राजू तो अपने लंड की बड़ाई सुनकर गदगद हुए जा रहा था,,,, मुन्ना की बातों को सुनकर उसे यह एहसास होने लगा था कि,, उसके पास जो है वह अद्भुत और जानदार है,,,, अभी तक राजू बड़ी उत्सुकता से मुन्ना को मुठिया मारते हुए देख रहा था लेकिन यह क्रिया उसके समझ के बिल्कुल भी परे थी वह हस्तमैथुन की क्रिया को जानता ही नहीं था जोकि अभी तक सिर्फ खामोशी से देख रहा था लेकिन अब बोल पड़ा,,,,)


सब तो ठीक है लेकिन तु यह क्या कर रहा है,,,,?


मुठिया मार रहा हूं मेरे दोस्त,,,, इसे अपने आप ही सुख प्राप्त करना कहते हैं,,,, इससे बहुत मजा आता है,,,,(मुन्ना पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना के इस खेल में उसकी उत्तेजना को और अधिक बढ़ावा दे रहा था राजू की मां की कल्पना जिसके चलते मुन्ना तुरंत चरण सुख के करीब पहुंच गया था और देखते ही देखते राजू कुछ और पूछ पाता इससे पहले ही उसके लंड से एक जोरदार पिचकारी फूट पड़ी,,,,, यह पिचकारी राजू के लिए अद्भुत और बेहद अनजान सी थी,,,,,, इस बारे में राजू को बिल्कुल भी पता नहीं था,,, हां कभी-कभी उसे उठने के बाद अपना पैजामा किला महसूस जरूर होता था लेकिन कभी वह समझ नहीं पाया था,,, इसलिए पिचकारी को देखते ही आश्चर्य से राजू बोला,,,)

अरे यह कैसा पेशाब है,,,,?


यह पेशाब नहीं है राजू यह मस्ती की धारा है,,,,, तू भी अगर जोर जोर से हिलाएगा तो तेरे भी निकलेगी,,,,( मुन्ना पजामे को ऊपर करके गहरी सांस लेते हुए बोला,,,, मुन्ना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)देख राजू तू मेरा दोस्त है इसलिए तुझे कहता हूं कि जब भी श्याम या उसके दोस्त तुझे चिढ़ाए तो,,उन्हें भी अपना खोल कर दिखा देना देखना हम की आंखें फटी की फटी रह जाएगी और बालों शर्मिंदा हो जाएंगे और तुझसे दोबारा कुछ भी नहीं कहेंगे पता नहीं क्यों क्योंकि उन लोगों के पास तेरे से आधा ही है,,,,



क्या मेरे पास ज्यादा बड़ा है क्या,,,,( राजू आश्चर्य से बोला)


हां तेरे पास सच में ज्यादा बडा है देखना तो औरतों का अपना दीवाना बना देगा,,,,

चल हट पागल हो गया है तू,,,, चल अब घर चलते हैं अंधेरा हो गया है,,,,(और इतना कहकर दोनों घर की तरफ चलने लगे,,, राजू अपने मन में सोचने लगा क्या वाकई में उसके पास जबरदस्त लंड है,,,,, यह सोचकर वह अपने आप पर गर्व महसूस भी कर रहा था,,,)
 
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राजू का लंड दिखाने वाली बात आई गई हो गई थी राजू इस बात को भूल चुका था,,,,,, वह फिर से अपनी मस्ती में मस्त हो गया था और हरिया उसी तरह से रोज बैलगाड़ी को रेलवे स्टेशन ले जाता है और वहां से सवारी ढोकर अपना जीवन निर्वाह कर रहा था,,,,,,,

गुलाबी अपनी जवानी के एक-एक पल को बड़ी मुश्किल से बिता रही थी उसके तन बदन में जवानी की लहर चिकोटीयां काट रही थी,,, इसमें उसका दोस्त बिल्कुल भी नहीं था एक तो उसकी उम्र शादी लायक हो चुकी थी और अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी ऐसे में जवानी की उफान उसके बदन में हर तरफ से बाहर की तरफ झांक रहा था और ऊपर से अपने भैया और भाभी के कमरे में से आ रही मादक चुदाई की सिसकारीयो की आवाज से वह पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,,,,, उसके बदन में जवानी किसी बाढ़ के पानी की तरह थी जो कि सब्र के बांध से बंधी हुई थी जिस दिन अगर यह सब्र का बांध टूट गया तो उसकी जवानी पिघल कर ना जाने कितनों को डुबा ले जाएगी,,,,,, वैसे गुलाबी इस उफान मारती उम्र में भी अपनी जवानी को किसी की नजर लगने नहीं दी थी ऐसा नहीं था कि किसी की नजर उस पर पडती नहीं थी गांव के सभी जवान लड़कों की नजर उस पर हमेशा बनी रहती थी वैसे उसकी भाभी कीमत मस्त जवानी का आकर्षण गुलाबी से एक कदम आगे ही था लेकिन फिर भी गुलाबी किसी से कम नहीं थी गोरा रंग तीखे नैन नक्श ऊपर से जवानी की दस्तखत रूपी उसके दोनों अमरूद जान लेवा थे हालांकि अब तक यह दोनों अमरुद किसी के हाथों मैं नहीं आए थे इसलिए उसके उभार कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन आकर्षण का केंद्र बिंदु जरूर था,,,, पतली कमर कमर के नीचे का उन्नत नितंबों का उभार ज्यादा घेरा उधार नहीं था लेकिन सीमित रूप से उसका भौगोलिक आकार बेहद आकर्षक और मस्त कर देने वाला था जिसकी लचक पगडंडियों पर चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर उधर लुढकती रहती थी जैसे अपने दोनों हाथों में लेकर संभालने के लिए गांव के बूढ़े और जवान दोनों मचलते रहते थे,,, लेकिन गुलाबी ना किसी को आज तक ऐसा मौका नहीं दी थी,,,,,
उसके साथ के सहेलियों कि धीरे-धीरे एक-एक करके शादी होती जा रही थी,,। उसकी खुद की भतीजी जो कि उसे छोटी थी उसकी भी शादी हो चुकी थी लेकिन वह अभी तक कुंवारी थी,,, मन से भी और तन से भी,,,,,,।

धीरे-धीरे जैसे समय गुजरता चाह रहा था वैसे वैसे गुलाबी से अपनी जवानी संभाले संभल नहीं रही थी,,,,, अपनी भाभी की कसम से शिकारियों की आवाज से उसका तन बदन मचल उठता था पहचानती थी कि बगल वाले कमरे में उसका बड़ा भाई उसकी भाभी के साथ क्या कर रहा है,,,। हालांकि अभी तक उसने अपनी आंखों से अपने भैया भाभी की चुदाई देखी नहीं थी और अभी तक कोशिश भी नहीं की थी,,,,।

लेकिन आज उससे रहा नहीं जा रहा था,,, उसकी भाभी की मादक सिसकारियां उसके कानों में मधुर रस खोल रही थी साथ ही उसके तन बदन को मदहोश कर रही थी एक अजीब सा नशा उसके तन बदन को अपनी गिरफ्त में लिया जा रहा था आंखों में खुमारी छा रही थी,,,,,,,,

आहहहह आआआआहहहह,,,ऊईईईई, मां ,,,,मर गई रे आहहहह,,,आपका तो बहुत मोटा है,,,,(यह शब्द जैसे ही गुलाबी के कानों में पड़े उसके कान एकदम से खड़े हो गए और उसका रोम-रोम पुलकित हो गया,,,,वह एक नजर लालटेन की रोशनी में राजू के ऊपर डाली वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रहा था और यही उसकी खासियत भी थी जब होता था तो घोड़े बेच कर सोता था उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था कि क्या हो रहा है कहां से आवाज आ रही है या उसके साथ क्या किया जा रहा है वापस सोने में मस्त रहता था इसलिए उसके जागने की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी,,,, वह धीरे से खटिया पर से ऊठी ओर बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसी जगह ढुंढने लगी,,,, आज तक उसने इस तरह की हिम्मत और हिमाकत नहीं की थी वह अपने भैया भाभी की बहुत इज्जत करती थी और इसीलिए उन्हें इस हाल में देखना उसके लिए पांच था लेकिन आज वह मजबूर हो गई थी जवानी से भरपूर है उम्र से ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी अपने संस्कार अपनी मर्यादा को एक तरफ रख कर वह अपने बदन की जरूरत पर ध्यान देते हुए बड़ी शिद्दत से बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसा कोई छेंद देखने लगी,,,,दोनों कमरों के बीच एक पतली कच्ची दीवार थी जो जगह-जगह से उसकी इंटे खिसक चुकी थी जिसमें थोड़ा-थोड़ा दरार पड़ चुका था इन दरारों पर कभी भी गुलाबी का ध्यान नहीं गया था लेकिन आज उसकी किस्मत कुछ और खेल खेलना चाहती थी,,,, इसलिए जल्दी उसे ईटों के बीच की एक पतली दरार नजर आ गई जिसमें से उसे बगल वाले कमरे की लालटेन की रोशनी नजर आ रही थी,,,, लालटेन की रोशनी नजर आते ही उसके दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि आज तक उसने किसी भी औरत मर्द की चुदाई को अपनी आंखों से नहीं देखी थी बस कल्पना भर की थी लेकिन आज वह जो करने जा रही थी अगर उसकी किस्मत अच्छी रही तो उसे हुआ नजारा भी देखने को मिल जाएगा इसके बारे में सिर्फ वह कल्पना करके अपनी जवानी को सुलगा रही थी,,,।

ईटों के बीच की पत्नी दरार के बीच मिटटी भरी हुई थी,,, जिससे अंदर का दृश्य साफ नजर नहीं आ रहा था,,,इसलिए वह अपने कमरे में लालटेन की रोशनी में एक छोटी सी पतली लकड़ी ढूंढ कर ले आई और उसे से कुरेद कुरेद कर वह मिट्टी को नीचे गिराने लगे वजह से ही पतली दरार में फंसी हुई मिट्टी नीचे गिर गई,,,,,, और मिट्टी के गिरते ही कमरे का दृश्य एकदम साफ नजर आने लगा,,,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह अपनी प्यासी आंखों को उस दरार से सटा दी जैसे,, एक खगोल शास्त्री नक्षत्रों का मुआयना करने के लिए टेलिस्कोप से अपनी आंखें सटा देता है,,,,,, और अगले ही पल उसे जो दृश्य नजर आया,,, उसे देखते ही उसकी प्यासी बुर कुल बुलाने लगी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,।

उसकी आंखें जिंदगी में पहली बार ईस तरह का दृश्य देख रही थी,,,यह दृश्य देखने के बावजूद उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रही है,,,।लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखें जो कुछ भी देख रही थी वह सनातन सत्य था,,। उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके भैया और भाभी बिना कपड़ों के थी उसकी भाभी 1 दिन की खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,, उसकी साड़ी साया और ब्लाउज खटीए के नीचे बिखरे हुए थे उसके भैया भी बिना कपड़ों के एकदम नंगे थे,,,,,,, शायद एक बार वह उसकी भाभी की चुदाई कर चुके थे और दोबारा प्रदान करने की तैयारी कर रहे थे ऐसा गुलाबी सोच रही थी और जो कि सच भी था क्योंकि कुछ देर पहले उसकी भाभी की गरम सिसकारियां और आहहह आहहहह की आवाज उसके कानों में पड रही थी लेकिन इस समय उसके भैया खटिया पर नहीं थे बल्कि खटिया के पास खड़े होकर सरसों के तेल को कटोरी में से अपने खड़े लंड पर गिरा रहे थे,,,, और जैसे ही गुलाबी की आंखें अपने बड़े भैया के लंड पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,,, एकदम काला लंड एकदम किसी काले नाग की तरह हवा में लहरा रहा था जिस पर सरसों का तेल गिलाकर उसका भाई अपने लंड की मालिश कर रहा था,,,, यह दृश्य गुलाबी के लिए उत्तेजना की संपूर्ण पराकाष्ठा थी इसलिए तो उसकी बुर तुरंत गीली हो गई,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह कभी सोची नहीं थी कि मर्दों के पास इस तरह का लंड होता है,,,,। एक बार तो वह सचमुच में घबरा गई थी अपने भाई के लंड को देख करके इतना मोटा लंबा लंड छोटे से छेद में जाता कैसे होगा,,,,। वह सांसो को बांधकर अंदर के नजारे का लुफ्त उठाने लगी,,,, उसकी भाभी प्यासी नजरों से उसके भैया के लंड को देख रही थीऔर साथ में अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल भी रही थी,,,।


मैं हु ना मेरी रानी तुम अपने हाथों को क्यों तकलीफ देती हो मैं अपने हाथों से तुम्हारी चूची दबा दबा कर लाल कर दूंगा,,,(हरिया अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए बोला और अपने भाई की इतनी गंदी बात को सुनकर गुलाबी का गुलाबी गाल शर्म से लाल हो गया,,,वह कभी सोची नहीं थी किसके भैया इस तरह से गंदी बात करते होंगे लेकिन आज सब कुछ उसकी आंखों के सामने था,,,,)


आप बहुत शैतान है जी एक बार चोद चुके हो फिर भी आपका मन नहीं भर रहा है,,,,


भला औरत की बुर से कभी मन भरता है,,, अगर मर्दों का मन भर जाए तो औरत और मर्द के बीच प्यार का रिश्ता ही खत्म हो जाए,,,,,,, यही प्यास है जो हम दोनों के बीच अभी भी प्यार को बरकरार रखा हुआ है,,,,।


लेकिन आपका बहुत मोटा है दर्द करता है,,,


मोटा है तभी तो मजा आता है मेरी रानी और तभी तो तुम अभी तक जाग रही हो तुम्हें भी दुबारा लेने का मन कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,

(अंदर का गरमा गरम दृश्य और साथ ही गरमा गरम वार्तालाप गुलाबी के तन बदन में मदहोशी भर रहा था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य देखेगी सब कुछ अद्भुत था,,,,गुलाबी की सांसे सिर्फ अंदर के नजारे को देखकर उनकी बातों को सुनकर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,)


अब देखना रानी एक बार पानी छोड़ दिया हूं अब देखना कितनी देर तक तुम्हारी चुदाई करता हूं,,,,


जोर जोर से मत करना दर्द करने लगता है,,,,(इस बार इतना कहते हुए गुलाबी की भाभी अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी बुर को मसलते हुए बोली तो इस नजारे को देख कर गुलाबी एकदम से मचल उठी और अपने आप ही उसका हाथ सलवार के ऊपर से ही बुर पर चला गया जिसे वह मसलना शुरू कर दी,,,,,)


जोर जोर से चोदने में ही मजा आता है धीरे धीरे से तो बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तुम ही तो कहती हो और जोर से और जोर से मेरे राजा और जोर से,,,,
(इस बात पर गुलाबी की भाभी एकदम से शर्मा गई और बोली)


अच्छा अब जल्दी से आ जाओ मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है,,,,


ओहहहह ,,,,, मेरी रानी मैं जानता हूं मेरे लंड को देखकर तुम्हारी बुर में पानी आ जा रहा है,,,, लो अभी तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं,,,,(और इतना कहते ही हरिया और गुलाबी की भाभी खुद अपनी दोनों टांगों को फैला दी गुलाबी को अंदर का दृश्य साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी का गोरा बदन उसकी गुदाज पन को देखकर खुद गुलाबी के मुंह में और बुर में पानी आ रहा था,,, उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर गुलाबी का होश खो रहा था देखते-देखते उसका भाई उसकी भाभी के दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,,, सब कुछ भुला भी कोई तुम साफ नजर आ रहा था उसका सब्र अब टूटता हुआ नजर आ रहा था उसने भी आनंद खाना मैं अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे कदमों में गिरा दी और अपनी नंगी बुर पर अपनी हथेली को रगड़ना शुरु कर दी,,,,और दूसरी तरफ उसका भाई अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी भाभी की बुर में डालना शुरू कर दिया इसे देखकर गुलाबी से रहा नहीं गया और वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी,,,,गुलाबी के लिए पहला मौका था जब वह अपनी उंगली को बुर में डाल रही थी इससे पहले वह बुर को अपनी हथेली से मसलती भर थी,,,। लेकिन आज उसे बहुत मजा आ रहा था मसलने से ज्यादा अपनी बुर में उंगली डालने में उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, दूसरी तरफ उसका भाई अपना पूरा लंड उसकी भाभी की बुर में डाल चुका था,,,।

अंदर कमरे में लालटेन की रोशनी में से साफ नजर आ रहा था जिसका कारण था कि लालटेन की रोशनी कि लोग कुछ ज्यादा ही की गई थी जिसका मतलब साफ था कि हरिया को रात के अंधेरे में नहीं बल्कि रात के उजाले में चुदाई करने में ज्यादा आनंद आता था,,,,लेकिन गांव में ऐसा होता नहीं था क्योंकि गांव की औरतों को शर्म के मारे अंधेरे में ही चुदवाने में मजा आता था और अंधेरे में चुदवाती भी थी,,,,,लेकिन गुलाबी अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसके भाई और भाभी को ऊजाले में चुदाई करने का शौक है जिसकी बदौलत वह अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख पा रही थी,,,।

क्या जबरदस्त और मादकता से भर देने वाला नजारा था,,, बगल के कमरे में गुलाबी के भैया और भाभी चुदाई में पूरी तरह से तल्लईन हो चुके थे और बगल के कमरे में गुलाबी खुद अपनी सलवार को खोलकर अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,, जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था और दूसरी तरफ राजू घोड़े बेच कर सो रहा था अगर ऐसे में कोई और लड़का होता तो उसकी आंख खुल गई होती और अब तक तो वह अपनी बुआ की बुर में लंड भी डाल दिया होता और जो कि उस समय उसकी बुआ को भी यही पसंद भी होता,,,।


धक्कों की गति बड़ी तेजी से खटिया को चरमरा रही थी जिससे उसकी भाभी की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह चल रही थी जो कि इस समय उसके भाई के दोनों हाथों में उसकी शोभा बढ़ा रही थी,,,।

गुलाबी के गाल शर्म के मारे और उत्तेजना से लाल हो चुके थे,,, वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसके भैया बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहे थे और उसकी भाभी मस्ती भरी सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था जो कि उसके चेहरे से बंया हो रहा था,,,। देखते ही देखते गुलाबी का बड़ा भाई उसकी भाभी पर ढेर हो गया इसका मतलब साफ था कि दोनों का काम हो चुका था और इधर गुलाबी जोर जोर से अपनी बुर में उंगली डालकर पानी निकाल चुकी थी,,,, गुलाबी का भी गर्म लावा ठंडा हो चुका था,,,इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी सलवार को ऊपर की ओर डोरी बांधकर वापस खटिया पर आकर सो गई,,।
 
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धीरे-धीरे दिन-ब-दिन गुलाबी के हाव भाव बदलने लगे थे,,,,, अपनी आंखों से अपने भैया और भाभी को चुदवाते हुए देखकर उसके तन बदन में उस दृश्य को याद करके हलचल सी मच जाती थी और उसकी बुर पानी छोड़ने लगती थी इस उमर में उसे भी एक जवान मोटे तगड़े लंड की जरूरत महसूस होने लगी थी,,,,, लेकिन अपनी भाभी को अपने भैया से चुदवाते हुए देखकर उसकी जो हालत हुई थी और अपनी भैया के लंड को अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह भी पहली बार अपनी बुर के अंदर अपनी ऊंगलियो को प्रवेश करा दी थी ऐसा करने में उसे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई थी हालाकी उंगलियां लंड का मजा बिल्कुल भी नहीं दे सकती थी लेकिन फिर भी अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए यही एक उचित मार्ग था जो कि वह जब चाहे तब उपयोग कर सकती थी,,,,,,,, लेकिन धीरे-धीरे उसका सब्र जवाब देने लगा था उसे अपनी जरूरतों के अधीन होकर इतना यकीन हो गया था कि अगर कोई भी उसकी चुदाई करना चाहेगा तो उससे चुदवा लेगी,,,, लेकिन यह कब कैसे और कहां होगा इसके बारे में उसे भी ज्ञात नहीं था वह सब कुछ समय पर छोड़ चुकी थी,,,,।

दूसरी तरफ राजू दूसरे लड़कों की तरह चालाक और समझदार औरतों के मामले में बिल्कुल भी नहीं था वरना अब तक वह अपने लंड का सही उपयोग कर चुका होता,,, अभी तक तो उसने अपने हाथ का उपयोग करके मुठ भी नहीं मारा था जबकि गांव के उसके हम उम्र के इस क्रिया को रोज ही करते थे,,, और ज्यादातर लड़कों की कल्पना में राजू की खूबसूरत यवन से भरी हुई मादकता छलकाती हुई उसकी मां और उसकी बुआ ही रहती थी,,,,।

हरिया रोज की तरह रेलवे स्टेशन पर सवारी का इंतजार कर रहा था,,,,, और उसके बाकी साथी भी बेल गाड़ी लेकर रेलवे स्टेशन पर ही थे और हरिया और उसका एक साथी बड़े घने पेड़ के नीचे बैठकर बीडी सुलगा कर उसका कस खींच रहे थे,,,, अभी ट्रेन आने में समय था,,,,,,, हरिया के मन में उस दिन लाला के घर वाले दृश्य ही घूम रहा था,,,, वह यह जानना चाहता था कि उस दिन लाला के बिस्तर पर उसके साथ पूरी तरह से नंगी होकर कौन औरत चुदवा रही थी,,, क्योंकि जहां तक मैं जानता था लाला के घर में कोई भी औरत नहीं रहती थी लाला की बीवी थी नहीं तो आखिरकार,,, वह औरत कौन थी जो लाला एकदम नंगी होकर चुदवा रही थी,,, और उसके पहुंच जाने पर भी उसे जरा भी फर्क नहीं किया और उसी तरह से वह चुदाई में तल्लीन रही,,,, यही सोचते हुए वह बीड़ी का कश् खींच रहा था,,,, और आसमान की तरफ देखकर इसी बारे में सोच रहा था कि उसका साथी जोकि बीडी जलाकर माचिस को अपनी धोती में खोंसते हुए बोला,,,,)


क्या हुआ यार क्या बात है किस चिंता में डूबा हुआ है,,,,


यार मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,(कुछ देर सोचने के बाद बोला)


अरे क्या समझ में नहीं आ रहा है कुछ बोलेगा तभी तो पता चलेगा,,,,



यार मैं सोच रहा था कि अपने गांव में कोई ऐसी औरत है जो पैसे लेकर गंदा काम करती हो,,,,


क्या बात है यार तू यह क्यों पूछने लगा क्या भाभी अब मजा नहीं देती क्या,,,?(वो एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोला) या बाहर की औरतों से मजा लेना चाहता है,,,,



अरे ऐसी बात नहीं है यार मै कुछ और सोच रहा हूं,,,


अरे क्या सोच रहा है मुझे भी बताएगा तेरी बातों से तो यह लग रहा है कि तू मजा लेना चाहता है और जहां तक मेरा सवाल है कि भाभी बहुत खूबसूरत है और तुझे बहुत प्यार करती है फिर तू ऐसा क्यों कर रहा है,,,(जोर से बीड़ी खींचते हुए वह बोला)


अरे पागल हो गया क्या तु मैं अपने लिए नहीं पूछ रहा हूं मेरे मन में किसी को लेकर शंका जाग रही है इसलिए पूछ रहा हूं,,,,(हरिया झुंझलाते हुए बोला,,)


अच्छा ठीक है लेकिन किसके लिए यह तो बता,,,


नहीं नहीं यार मैं अभी नहीं बता सकता हो सकता है मेरा सोचना और देखना दोनों गलत हो और ऐसे में किसी की इज्जत जा सकती है इसी के मान मर्यादा खत्म हो सकती है इसलिए मैं बता नहीं सकता पहले तो मुझे बता क्या कोई ऐसी औरत है अपने गांव में या आस-पास के गांव में,,,,



लेकिन तुम मुझसे ही क्यों पूछ रहा है मैं क्या ऐसी औरतों के पास जाता रहता हूं क्या,,,,


नहीं नहीं यह बात नहीं है तू शराब के ठेके पर जाता है ना तो वहां तो तुझे कई किस्म के लोग मिलते होंगे हो सकता है उनसे सुना हो,,,,,,,



हां मिलते तो बहुत हैं,,,, लेकिन कुछ इस तरह की खबर मुझे है नहीं,,,,(तभी उसकी नजर स्टेशन मास्टर पर पड़ी जो की स्टेशन से बाहर निकल कर कच्ची सड़क के नीचे की तरफ झाड़ियां में जा रहा था,,, उस पर नजर पड़ते ही वह एकदम उत्साहित स्वर में बोला,,,)

चल उठ मेरे साथ मैं तुझे कुछ दिखाता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह खड़ा हुआ और साथ ही हरिया का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करने लगा,,, तो हरीया उसका सहारा लेकर खड़ा होते हुए बोला,,,)


अरे कहां ले चल रहा है क्या दिखाने ,,,,


पहले तू आ तो सही तुझे मैं कुछ दिखाता हूं शायद तेरा काम बन जाए,,,,
(और इतना कहकर वह हरिया का हाथ पकड़ कर उसे उसी दिशा में ले गया जहां पर स्टेशन मास्टर चुपके छुपाते हुए झाड़ियों के अंदर गया था,,,,,हरिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कहां ले जा रहा है और क्या दिखाना चाहता है,,, वह हरिया को झाड़ियों के अंदर ले जाने लगा हरिया को कुछ अजीब लग रहा था लेकिन फिर भी वह उसके साथ चलता चला जा रहा था,,,,,देखते ही देखते वह दोनों झाड़ियों के बीच पहुंच गए और एक मोटा सा बड़ा पेड़ के पीछे अपने आप को छुपा कर खड़े हो गए,,,,


यहां क्यों लाया मुझे ,,,(हरिया उत्सुकता जताते हुए बोला)


तेरे काम की चीज यहीं है,,,,


यहां कहां,,,?


वह देख सामने,,,,(वह हाथ की उंगली से इशारा करते हुए हरिया को बोला और हरिया उसके उंगली के ईसारे की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए,,,,)


अरे यह तो अपने स्टेशन मास्टर है,,,,,,, लेकिन वह औरत कौन है बाप रे,,,,, यह क्या हो रहा है,,,,,


देखता जा,,, और पहचानने की कोशिश कर,,,,
(हरिया उस झाड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर पूरी तरह से रोमांचित हो उठा था उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था स्टेशन मास्टर तकरीबन 52 वर्ष के आदमी थे हरिया को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह स्टेशन मास्टर एक औरत की चुदाई कर रहे थे,,,औरत साड़ी को कमर तक उठाकर पेड़ पकड़कर झुकी हुई थी और की बड़ी-बड़ी गांड हवा में लहरा रही थी जिसे स्टेशन मास्टर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,,,,,,, हरिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वह औरत कौन है इस समय हरिया की नजर सिर्फ उसकी परी परी कहां पर टिकी हुई थी जो कि स्टेशन मास्टर के हाथों में थी और उसका लंड उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,, हरिया रोमांचित तो हुआ ही था लेकिन काफी हद तक आश्चर्यचकित भी था क्योंकि उसे स्टेशन मास्टर से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी क्योंकि स्टेशन मास्टर बहुत ही कड़क इंसान था और वह बेवजह स्टेशन में किसी को भी प्रवेश करने नहीं देता था खासकर के बैल गाड़ी वालों को,,,,,,जिस रफ्तार से उसे स्टेशन मास्टर की कमर आगे पीछे हो रही थी हरिया को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस उम्र में भी कोई इतनी तेजी से कमर हिलाता होगा,,,लेकिन यह बात शायद मैं भूल गया था कि चुदाई के मामले में इंसान अगर बिस्तर भी पकड़ा हो तो उठ कर खड़ा हो जाता है,,,,,,हरिया के कानों में उस औरत की आवाज साफ सुनाई दे रही थी जो कि स्टेशन मास्टर के हर धक्के पर ओहह बाबुजी,,,,आहहहह बाबुजी कर रही थी,,,,
हरिया को यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर उस औरत की इतनी जबरदस्त चुदाई कर रहा है कि उसकी आहहह निकल जा रही है,,,,।,,)


देख रहा है हरिया कितना जबरदस्त ने जा रहा है इस उम्र में भी स्टेशन मास्टर बड़ी कुर्ती दिखा रहे हैं,,, और उस औरत को देख कितने मजे ले रही है,,,,।


हां यार देख तो रहा हूं लेकिन वह औरत है कौन,,,?


अरे ठीक से उसका चेहरा तो देख,,,,


अरे हां यार यह तो वही औरत है जो स्टेशन पर मुरमुरे बेचती है,,,,,


हां अभी पहचाना उसको देख कर कुछ समझ में आ रहा है,,,, कहीं तु ईसी औरत के बारे में तो बात नहीं कर रहा था,,,


नहीं नहीं यार यह वह औरतनहीं है जिसको मैं देखा था वह तो खानदानी लग रही थी और एकदम गोरी चिट्टी भरे बदन की थी और उम्र भी उसकी कम थी मतलब कि इस औरत से कम थी,,,,, और यह तो हल्की सांवले रंग की है,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार यह औरत ऐसा गंदा काम क्यों करवा रही हैं,,,,


अरे उसकी मजबूरी होगी,,,,


ऐसी कैसी मजबूरी बड़े आराम से तो मुरमुरे बेचती है,,,,


बेचती तो है लेकिन,,,, देखता नहीं है बेझिझक स्टेशन के अंदर बाहर आती जाती रहती है,,,,स्टेशन मास्टर की कृपा है तभी तो ऐसा करती है और पैसों की जरूरत भी होगी जोकि स्टेशन मास्टर कुछ पैसे दे देता होगा,,,,, और वैसे भी सांवली है तो क्या हुआ इसका बदन भी तो भरा हुआ है बड़ी-बड़ी चूचियां,,,, जब मुरमुरे खरीदने जाता हूं तो जी भर कर उसकी चूचियां देखता हूं,,,,


तू भी कितनी गंदी सोच रखता है,,,,(हरिया उसे थोड़ा सा डांटते हुए बोला)


अच्छा मैं गंदी सोच रखता हूं,,,,

तो जरा अपने पजामे की तरफ देख,,,, खड़ा क्यों हो गया है,,,
(उसकी बात सुनते ही हरिया अपने पजामे की तरफ देखा तो शर्मा गया,,,, और बोला कुछ नहीं बस फिर से उस नजारे को देखने लगाअभी स्टेशन मास्टर जोर-जोर से उस औरत की गांड पर चपत लगा रहा था और उस चपत को खा कर ऐसा लग रहा था कि उस औरत की मस्ती और बढ़ जा रही थी,,,,,)

आहहहहह ,,,,,,आहहहहहहह बाबुजी,,,,, क्या कर रहे हैं,,,।


कुछ नहीं मेरी रानी मजे ले रहा है ऐसे ही मुझे मजा दिया कर पूरा स्टेशन तेरे नाम कर दूंगा,,,,


ओहहहह,,,,, मजे तो आपको बहुत देती हूं बाबूजी,,,, आजकल पैसो की बड़ी तंगी है,,,


तू चिंता मत कर मेरी रानी मैं हूं ना बस ऐसे ही रोज मुझसे चुदवा लिया कर पैसों की बिल्कुल भी कमी नहीं होगी,,,,आहहहहह आहहहहहह मेरी रानी,,,,


बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगाओ,,,,
(पैसों की बात सुनते ही उस औरत की मस्ती और ज्यादा बढ़ गई थी और वह और मजे से लेकर उसे सेशन मास्टर से चुदवाने लगी थी,,,,, हरिया की भी हालत खराब हो रही थी और उस साथी की भी दोनों का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका थाहरिया का मन कर रहा था कि वह भी बीच में कूद जाए और उस औरत की बुर में अपना लंड डालकर अपनी गर्मी शांत कर ले,,,, सभी उसका साथी बोला,,,,)


चल हरीया आज अपना काम भी बना लेते हैं,,,


अब क्या करने जा रहा है तू,,,,


हम दोनों का काम बनाने देखता नहीं है हम लोगों को वह स्टेशन में घुसने भी नहीं देता,,,,


तो वहां जाकर क्या होगा,,,,


तू आ तो सही,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह हरिया का हाथ पकड़कर पेड़ के पीछे से बाहर आ गया और उसे स्टेशन मास्टर को आवाज देते हुए उसकी तरफ बढ़ने लगा)


अरे वह बड़े बाबू यह क्या हो रहा है,,,,,
(इतना सुनते ही वह एकदम से हड़बड़ा गया उसको तो जैसे सांप सूंघ गया हो और वह औरत पूरी तरह से सक पका गई,,,, स्टेशन मास्टर को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका लंड अभी भी उस औरत की बुर में घुसा हुआ था और वह घबराया हुआ हरिया और उसके साथी को ही देख रहा था,,,,)

अरे रुक क्यों गए बड़े बाबू अपना काम जारी रखिए,,,,(हरिया का साथी बड़े इत्मीनान से अपनी बात कह रहा था और वह औरत शर्म के मारे अपना मुंह छुपाने की कोशिश कर रही थी तो वह बोला)

मुंह छुपाने की जरूरत नहीं है हम तुम्हें पहचानते हैं,,, और बड़े बाबू आप चुदाई जारी रखिए,,,,,


देखो मैं तुम दोनों के हाथ जोड़ता हूं यहां जो कुछ भी हो रहा है इसके बारे में किसी को कुछ मत कहना,,,,( वह स्टेशन मास्टर हाथ जोड़ते हुए बोला,,,,, स्टेशन मास्टर को इस तरह से हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ देखकर हरिया बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत करिए हम दोनों यह बात किसी को नहीं बताएंगे ,,(तभी उसका साथी बीच में बोल पड़ा)

लेकिन इसमें हमारा क्या फायदा होगा,,,,


क्या चाहते हो तुम दोनों,,,,


देखिए हम दोनों कुछ नहीं,,,,(तभी वह बीच में ही हरिया की बात काटते हुए बोला)

हम दोनों को बेझिझक स्टेशन में घुसकर सवारी लेने की इजाजत देना पड़ेगा हमें कोई रोकेगा नहीं,,,,,,(अपने साथी के पास चलकर हरिया उसकी तरफ अच्छे से देख लेना क्योंकि जो बात हुआ स्टेशन मास्टर से मंगवाना चाहता था इसमें उन दोनों का बहुत फायदा था इससे वह दोनों बेझिझक स्टेशन के अंदर घुस कर सवारी ढो सकते थे और उनसे थोड़ा किराया भी ज्यादा ले सकते थे,,,, यह तो हरिया के लिए सोने पर सुहागा जैसा था,,,, इसलिए बीच में कुछ बोला नहीं,,,) बोलो बड़े बाबू मंजू है कि हम लोग बाहर जाकर सबको बता दें,,,,


नहीं नहीं ऐसा मत करना नहीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी,,,,( वह औरत रुंआसी होते हुए बोली,,,)

ठीक है तुम दोनों को मैं मंजूरी देता हूं,,,, अब कर लु,,(स्टेशन मास्टर उस औरत की गांड पकड़ते हुए बोला,,,)

ठीक है कर लो ट्रेन आने वाली है क्या हम लोग स्टेशन के अंदर जा सकते हैं,,,,


जा सकते हो जो कोई रोके तो मेरा नाम बता देना,,,,


ठीक है बड़े बाबू जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हंसता हुआ हरिया का हाथ पकड़ लिया और जाने लगा हरिया जाते-जाते मोड़ कर एक बार उन दोनों पर नजर डाला तो स्टेशन मास्टर फिर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,)

देखा ना आज एक फायदा हो गया,,,,


हां तु ठीक कह रहा है इसमें हम दोनों का ही फायदा है,, चल जल्दी ट्रेन आने वाली है,,,,
(इतना कहकर दोनों स्टेशन के अंदर चले गए,,, फायदा होने के बावजूद भी हरिया का मन अभी भी उदास था क्योंकि लाला के साथ वाली औरत के बारे में उसे अभी भी कुछ भी पता नहीं था,,,)
 
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रात को हरिया मधु के साथ लेटा हुआ था मधु दिन भर की थकान से सो चुकी थी,,,, और हरिया बीड़ी पीते हुए लाला के घर में जो दृश्य देखा था उस बारे में सोच रहा था,,,, उस समय अपनी आंखों से जो दृश्य हरिया ने देखा था उस दृश्य से ज्यादा वह इस बारे में सोच कर ही रहा था कि आखिरकार लाला के साथ वह औरत कौन थी,,, घोड़ी बनकर चुदवाते हुएउसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जिस तरह से दशहरी आम की तरह लटक रही थी उस बारे में सोचते ही हरिया का लंड खड़ा हो जा रहा था,,, उस पर लाला की जबरदस्त पकड़ मानो ऐसा लग रहा था जैसे दशहरी आम को दबोच कर पिचका डालेगा,,,, जिस तरह से गर्म सिसकारी की आवाज उस औरत के मुंह से आ रही थी,,, उस सिसकारी के आवाज के बारे में सोच कर वह मन ही मन परेशान था कि आखिरकार वह औरत थी कौन,,,, जिसके बारे में हरिया अभी तक समझ नहीं पाया था वह गांव की थी या गांव से बाहर की,,, क्योंकि अगर यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि लाला की हवेली में कोई भी स्त्री नहीं थी,,,, अगर कोई नौकरानी औरत होती तो भी हरिया समझ सकता था कि लाला उस औरत को भोग रहा है लेकिन उस औरत का मांसल मखमली बदन किसी नौकरानी का बिल्कुल भी नहीं हो सकता था,,,, इसी बारे में सोचते हुए हरिया को,,, दोपहर वाली घटना के बारे में याद आ गया और उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ नजर आने लगा कि किस तरह से रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर स्टेशन मास्टर झाड़ियों में चला गया और उससे मुरमुरे बेचने वाली औरत की जबरदस्त चुदाई कर रहा था हरिया हैरान था क्योंकि स्टेशन मास्टर की उम्र ढलने के कगार पर थे लेकिन फिर भी एक औरत की नंगी जिस्म नंगी गांड को देखकर जिस तरह से वह धक्के पर धक्के पेल रहा था,,,,, वह दृश्य हरिया के सोच के बिल्कुल परे था,,,,,,,लेकिन वह मन में यह सोच कर पूरी तरह से निश्चिंत था कि स्टेशन मास्टर को रंगे हाथ पकड़ कर उन दोनों का फायदा हुआ था अब वह दोनों कभी भी स्टेशन में प्रवेश करके निश्चिंत होकर सवारी ढो सकते थे,,,।

लाला और स्टेशन मास्टर की चुदाई का गरमा-गरम दृश्य जेहन में आते ही हरिया कहीं ना पूरी तरह से हो चुका था वह एक नजर अपनी बीवी के ऊपर डाला वह निश्चिंत होकर सो रही थी उसकी सांसो की गति के साथ उसकी ऊपर उठती और नीचे गिरती हुई चुचियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, हरिया जानता था कि जब उसकी बीवी गहरी नींद में होती है तो किसी भी हाल में जाकर चुदवाने के लिए तैयार नहीं होती लेकिन इस समय उसके तन बदन में चुदाई की गर्मी सवार हो चुकी थी इसलिए वह अपना एक आगे बढ़कर ब्लाउज के ऊपर से अपनी बीवी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,,,।

ऊमममम,,,, क्या कर रहे हैं आप सोने दीजिए,,,,(बिना आंख खुले ही गहरी नींद में वह बोली)


तो सो जाओ तुम्हें उठा कौन रहा है,,,,(हरिया गहरी नींद में सो रही अपनी बीवी के ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोला,,,,, हरिया की सांसो की गति तेज होने लगी थी उसकी आंखों के सामने उसकी बीवी की नंगी चूचियां थी जिसे देख कर हरीया के मुंह में पानी आ रहा था,,,,बरसों से वह अपनी बीवी के खूबसूरत नंगे बदन से खेलता रहा था लेकिन यह प्यार थे कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थी और आखिरकार,, मर्दों और औरतों के बीच का यही आकर्षण तो है जो उन्हें एक साथ जोड़ कर रखता है उम्र में प्यार भी बढ़ाता है नफरत भी बढ़ाता है,,,,किसी पर मर मिटने की चाहत होती है तो इसी आकर्षण के चलते किसी को मारने की भी तैयारी हो जाती है,,,,, कुछ भी हो मर्द और औरत के बीच का यह आकर्षण जन्मों से चलता चला रहा है और चलता ही रहेगा,,,,।


गर्मी का मौसम अपने उफान पर था लेकिन रात की शीतलता रात को और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी मधु की उम्मीद चुचियों पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी जिसे देखकर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था और इस समय मधु की उन्नति चूचियां किसी और की तरह नजर आ रही थी जो कि अपने आकर्षण के गोले से हरिया के मजबूत इरादों को ध्वस्त कर रही थी,,, हरिया पूरी तरह से अपनी बीवी की मदमस्त जवानी के आगे घुटने देख चुका था,,,, इसीलिए तो मधु के गहरी नींद में होने के बावजूद भी वह अपनी प्यास बुझाने के लिए अग्रसर था,,,,ब्लाउज का बटन खुलते ही अपनी बीवी की नंगी चूचियों को दोनों हाथों में लेकर किसी दशहरी आम की तरह दबा दबा कर उसे मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे हरिया के हथेली का दबाव चुचियों परकुछ ज्यादा ही बढ़ जाता था जिससे नींद में होने के बावजूद भी दर्द का अहसास होते ही मधु के मुंह से हल्की आह की आवाज निकल जाती थी,,,,,,, लेकिन यह हल्की आह की आवाज चिंगारी को भड़काने का काम कर रही थी,,,हरिया पागलों की तरह कभी दांई तो कभी बाईं चूची को अपने मुंह में भर कर बारी बारी से पीना शुरू कर दिया,,,,,,,,, हरिया को अपनी बीवी की बड़ी-बड़ी चूचियां दशहरी आम से कम नहीं लग रही थी बल्कि दशहरी आम तो अपने मौसम में मिल ही जाती हैं लेकिन मधु की मदमस्त चूचियां किस्मत वालों को ही मिलती हैं,,,।

हरिया के दिलों दिमाग पर वैसे भी लाला और बड़े बाबू का कामुक दृश्य छाया हुआ था,,, इसलिए ,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था,,,।


रहने दीजिए क्या कर रहे हैं,,,, रोज-रोज करना जरूरी है क्या,,,,?(आंखों को बंद किए हुए ही मधु नींद में बोली)

अरे तुम सोओ ना तुमहे कौन जगा रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए हरिया,, अपना हाथ नीचे की तरफ लाया और अपनी बीवी की साड़ी को खोलने लगा,,,, लेकिन अगले ही पल मधुर अपना हाथ आगे बढ़ाकर हरिया का हाथ पकड़ ली और बोली,,,)


नहीं जी आज नहीं मुझे नींद आ रही है,,,,,


तुम्हें उठने को कौन कह रहा है,,,,


नहीं तो साड़ी मत उतारो,,,,


तो ठीक है ऊपर तो उठा सकता हूं,,,,,



आप परेशान बहुत करते हैं,,,,



क्या करूं रानी तुम्हारी चुचियों को देखकर,,, रहा नहीं जाता,,,



जाग रही थी तभी कर लेना चाहिए था ना,,,,


अब छोड़ो भी मुझे उतारने दो साड़ी,,,,,



नहीं ऐसा मत करिए मैं बहुत थकी हुई हूं,,,,
(मधु आंखों को बंद किए हुए ही अपने पति को रोकते हुए बोली,,)


ठीक है अच्छा नहीं उतारता हूं,,, लेकिन तुम्हें चोदे बिना आज मेरा मन नहीं मानेगा,,,,, तो आज भी ना कपड़े उतारे ही कर लेता हूं,,,,(और ऐसा कहते हुए हरिया अपनी बीवी के साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,यही बात मैं तुमको बहुत अच्छी लगती थी कि उसका पति उसके साथ जबरदस्ती कभी भी नहीं करता था वरना वह अपनी सहेलियों से गांव की औरतों से कई बार सुन चुकी थी कि उनका पति उनके साथ जबरदस्ती कर लेता है,,, आंखों को बंद किए गहरी नींद में फिर से साफ महसूस हो रहा था कि उसका पति उसके साथ कमर की तरफ उठा रहा था और उसका पति जैसे ही साड़ी को जानो तक ले आया तो मधु खुद ही अपनी भारी-भरकम काम को कमर से ऊपर की तरफ उठा ले ताकि सारी को कमर तक ले जाने में दिक्कत बिल्कुल भी ना हो और यही बात हरिया को मदहोश कर देती थी कि हर हाल में उसकी बीवी उसका साथ जरूर देती थी,,,,हरिया भी तुरंत अपनी बीवी की साड़ी को कमर से उठा दिया और उसकी आंखों के सामने लालटेन की रोशनी में मधु की बुर चमक उठी,,, जिसे देखते ही उसका लैंड उठक बैठक करने लगा,,,,, औरैया तुरंत अपनी बीवी की दुल्हन टांगों के बीच आकर अपनी धोती को उतार फेंका और तुरंत अपने खड़े लंड को अपनी बीवी के गुलाबी बुर के छेद पर रखकर कमर को आगे की तरफ धकेला,,, तभी मधु के कराहने की आवाज निकल गई,,,।


आहहहहह,,,, क्या कर रहे हैं थोड़ा थुक तो लगा लिए होते,,,,


माफ करना रानी थोड़ा जल्दबाजी में था,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरियां ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया और फिर उसे अपनी बीवी की बुर लगाकर उसे भी गीला कर लिया,,, और फिर अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया हालांकि अभी भी मधु कह रही नींद में थी लेकिन फिर भी उसे अहसास हो रहा था कि उसके पति का मोटा लंड उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहा है इसलिए उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज भी निकल रही थी,,,,,


हरिया अपनी बीवी की चुदाई करने में पूरी तरह से मस्त था उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बगल वाले कमरे में दीवाल में बने हल्के से सुराग से उसकी जवान बहन इस गरमा गरम नजारे को देखकर पूरी तरह से गर्म हो चुकी है,,,, गुलाबी शुरू से अपने भाई और अपनी भाभी की गरमा गरम बातों को सुनकर पूरी कर से गर्म हो चुकी थी और थोड़ी मेहनत से ढूंढे गए उस छोटे से सुराग से अंदर के दृश्य को देख रही थी,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच कर खुश हो रही थी कि अच्छा हुआ कि वह अंदर के नजारे को देखने के लिए यह सुराग ढूंढ ली थी,,,, वह अपने भाई की कामाग्नि को देखकर और अपनी भाभी को गहरी नींद में होने के बावजूद भी उसे चोदने की इच्छा देखते हुए उसकी खुद की हालत खराब हो रही थी और उसकी सलवार कब उसके पैरों में जा गिरी थी उसे इस बात का पता ही नहीं चला था उत्तेजना के मारे वहां अपनी भाभी की चुदाई को देखकर अपनी हथेली में जोर से अपनी बुर को दबा रही थी,,, जिससे उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ रही थीअपने भाई को देख कर उसके लंड को देखकर वह अपने मन में अनजाने में यह कल्पना करने लगी थी कि जैसे उसके बिस्तर पर उसकी भाभी नहीं बल्कि वह खुद नंगी लेटी हुई है और अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपने बड़े भाई के लंड को अपनी बुर में लेकर बड़ी मस्ती से चुदवा रही है,,,ये एहसास यह कल्पना ही गुलाबी के तन बदन में आग लगा रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था,,,, चुदवाने की खुजली उसके अंदर बढ़ती जा रही थी लेकिन कैसे किससे यह सवाल एक पहाड़ की तरह था,,,,,,,

हरिया अपनी बीवी की चुदाई करके शांत हो गया था और उसके बगल में गहरी सांस लेते हुए सो चुका था लेकिन गुलाबी की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी इसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बुर के अंदर खुजली बढ़ती जा रही थी,,,,,,, वह बिना सलवार पहने खटिया पर आ गई और अपने भतीजे राजू के बगल में लेट गई,,,,, आज अच्छा बुरा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसकी नजर अपने भतीजे राजू के पजामे की तरफ गई जो कि आगे से अच्छा खासा उठा हुआ था उसे देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, वह हिम्मत बढाकर अपना हाथ आगे बढ़ाने लगी ,,,, उसके दिल की धड़कन जोरों से धड़क रही थी लेकिन एक लालच उसके मन में बसेर ले चुकी थी लंड को अपने हाथ से छुने का उसे पकडने का,,,, और देखते ही देखते गुलाबी अपनी हथेली को अपने भतीजे राजू के पजामे के ऊपर उठे भाग पर रख दी,,,,, एक गजब की मदहोशी उसके तन बदन को अपनी गिरफ्त में ले ली यह पहला मौका था,, जब गुलाबी किसी जवान लंड को अपने हाथ से पकड़ रही थी,,,यह एहसास उसकी बुर को पूरी तरह से गीली कर रहा था,,,, गहरी सांस लेते हुए गुलाबी कभी हल्के से तो कभी कसके पजामे के ऊपर से ही राजू के लंड को पकड़ रही थी और उसकी तरफ देखती रही थी जो कि उसमें जरा भी हलचल नहीं हो रही थी वह गहरी नींद में सो रहा था यह देखकर उसकी हिम्मत बढने लगी थी वह बेहद नजदीक से करीब से किसी जवान लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे देखना चाहती थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कहीं राजु जाग ना जाए,,, लेकिन उसे मजा बहुत आ रहा था राजू के लंड की मोटाई से उसकी पूरी हथेली भर चुकी थी,,,,,राजू गहरी नींद में सो रहा था इसलिए उसकी इच्छा हो रही थी कि उसके पजामे को खसका कर देखा जाए,,,, इसलिए वो उठ कर बैठ गई और धीरे-धीरे पजामे को नीचे की तरफ सरका ने लगी ऐसा करने में उसे बहुत डर लग रहा था दिल की धड़कन वह खुद महसूस कर रही थी पूरे कमरे में केवल उसके दिल की धड़कन और गहरी सांस की आवाज ही सुनाई दे रही थी धीरे-धीरे वह अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते हो पजामे को काम भरता नीचे करने में सफल हो गई ताकि उसे ऊपर भी किया जा सके लेकिन राजू का लंड मोटा और लंबा था इसलिए पजामे के बाहर आ नही पा रहा था,,,, गुलाबी को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बाहर निकाला जाए,,, और अभी तक राजू के बदन में किसी भी तरह की कसमसाहट हलचल नहीं हुई थी जिससे गुलाबी की हिम्मत थोड़ा बढ़ने लगी थी और वैसे भी अभी तक वह हिम्मत ही दिखा रहे थे उसके मन में यह लालच देकर कर थोड़ा और हिम्मत दिखा लेगी तो वह एक नंगे जवान लंड के दर्शन कर पाएगी,,, इसलिए कांपते हाथों से वह अपना हाथ धीरे से पजामे के अंदर डाल कर अपने भतीजे के लंड को पकड़ ली,,, बस इतने मात्र से ही उसकी बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,,उसकी सांसों की गति तेज हो गई लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था वह अपने भतीजे के लंड को मुट्ठी में दबाए हुए थी और अपने भतीजे के चेहरे की तरफ देख रही थी जो कि बिल्कुल शांत था गहरी सांस लेते हुए वह अपने भतीजे के लंड को बाहर की तरफ खींची ताकि पजामे से बाहर आ जाए,,, और जैसे ही बाहर आया उसे देखते ही गुलाबी की हालत खराब हो गई,,, क्योंकि जैसा उसने सोची थी उससे भी कहीं ज्यादा जबरदस्त राजू का लंड था,,,,पहली बार गुलाबी इतनी नजदीक से जमाने लड़ने के दर्शन कर रही थी जिसे पाकर वह धन्य हो चुकी थी,,,,लंड की गर्माहट उसे अपनी हथेली के अंदर साथ में सो सो रही थी और उसकी गर्मी जैसे मानो तुरंत उसकी हाथों से होते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में पहुंच रही थी जहां से उसका गर्म लावा पिघलने लगा था,,,, गुलाबी को उस लंड को अपनी बुर में लेने की इच्छा कर रही थी लेकिन यह अभी बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था,,,,।

वाह राजू की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपने भतीजे के लंड को हिलाना शुरू कर दी जिसे हिलाने में से बहुत मजा आ रहा था,,,। वह अपने भतीजे के लंड कै सुपाड़े को खोल कर अच्छी तरह से देख रही थी जो कि आलूबुखारे की शक्ल का नजर आ रहा था,,, जिसे देखते ही उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, गुलाबी से यह बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था वह चाहती थी कि अपने भतीजे को इसी समय चबाकर अपनी दोनों टांगें फैला दें ताकि उसका भतीजा अपने मोटे लंड को उसकी बुर में डाल कर,,, उसकी गर्म जवानी को ठंडा कर दे लेकिन गुलाबी जानती थी कि है इतनी जल्दी सच होने वाला नहीं था इसलिए वह अपने भतीजे के लंड को हिलाना शुरू कर दी थी,,,,साथ ही अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच रखकर अपनी पुर को मसल ना शुरू कर दी थी और साथ ही अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी थी,,,, गुलाबी की गर्मी बढ़ती जा रही थी और साथ ही उसकी हथेली का कसावराजू के लंड पर बढ़ता जा रहा था लेकिन राजु को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन उसकी सांसे धीरे-धीरे तेज हो रही थी,,,।,,,

गुलाबी उसी लय में लंड को मुठीया रही थी और अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,, देखते ही देखते उसकी बुर के पानी के साथ-साथ राजू के लंड में पानी छोड़ दिया और उसकी पिचकारी ऊपर तक उठी जिसे देखकर खुद गुलाबी हैरान रह गई,,।,, सारी पिचकारी खुद राजू के ऊपर गिरी थी जिसे गुलाबी कपड़े से अच्छी तरह से साफ कर दी थी और उसे पजामे को उपर कर दी थी,,,, और खटिए पर से उठ कर अपनी सलवार उठाई और उसे पहन कर सो गई,,,।

सुबह जब राजू की नींद खुली तो उसे इस बात का एहसास और भनक तक नहीं हुआ कि रात को उसके साथ क्या हुआ था,,,।
 

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