बैलगाड़ी

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गुलाबी का मन अब काम में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, उसकी जवानी चुदास की मदहोशी छाती चली जा रही थी,,,
अब तक जो भी वह अपने कानों से सुनती आ रही थी और देखते आ रही थी,,, और अब रात को अपने हाथों से अपने भतीजे के मदमस्त मोटे तगड़े लंबे,,लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस कर के चित्र की उत्तेजना का अनुभव उसने की थी इस तरह का अनुभव से अब तक नहीं ले पाई थी उसके लिए पहला मौका था जब वह इतने पास से अपने ही भतीजे के लंड के दर्शन कर रहे थे उस पल का अनुभव उसके लिए बेहद अनमोल और मदहोशी भरा था और पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी प्यासी बुर में उंगली का सहारा लेकर अपना पानी निकाल दी थी,,,,,

राजू ने कभी अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मुठीआया नहीं था,,, जो कि उसके उम्र के लड़के हमेशा ही करते हैं लेकिन वह इस ज्ञान से पूरी तरह से अज्ञान था लेकिन,,, उसकी बुआ ने यह शुभ काम अपने हाथों से की थी लेकिन इस बात का एहसास और भान राजू को बिल्कुल भी नहीं था उसके लिए यह सब ना होने के बराबर था जो कि उसके साथ हो चुका था,,,,,, राजू गहरी नींद में सोता है यह बात तो गुलाबी अच्छी तरह से जानती थीलेकिन इतनी गहरी नींद में सोता है यह उसे रात को ही पता चला था कि उसके साथ कुछ भी कर लो तो उसे पता नहीं चलता,,,,,
गुलाबी को पहली बार इस बात का आभास हुआ कि बरसों के लंड से इतनी तेज पिचकारी निकलती है,,, जिसे देखकर गुलाबी का पूरा वजूद हिल गया था उसकी बुर में जिस तरह की सुरसुराहट अपने भतीजे के लंड से निकलती पिचकारी को देखकर हुई थी उस तरह की सुरसुराहट अपने भैया और भाभी की चुदाई देख कर भी नहीं हुई थी,,,,,,,लंड से निकले लावा को वह अपने हाथों से साफ की थी उसकी गर्माहट उसे अभी तक महसूस हो रही थी,,,,उसकी चिकनाहट को महसूस करके उसे इस बात का आभास हो चुका था कि जब कभी भी वहां अपने भतीजे के पजामे को साफ करती थी तो उसमें कभी-कभी इस तरह की चिकनाहट महसूस होती थी,,,,,,

गुलाबी का मन अब चुदवाने के लिए पूरी तरह से बहकने लगा था,,, उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जाता था,,, जिस तरह से वह रात को गरमा गरम दृश्य देखी थी जिसमेंउसकी भाभी गहरी नींद में होने के बावजूद भी उसके भैया उसे चोदने के लिए लालायित नजर आ रहे थे यह देखकर गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भैया एक नंबर के चुडक्कड़ इंसान है,,,, दिन भर एकदम एकदम सीधे साधे इंसान बने रहते हैं और रात होते ही उन्हें सिर्फ भाभी की बुर नजर आती है,,,, गुलाबी अपने मन में ही यह बातें सोच कर एकदम गरम हो रही थी,,,,,,,,

रात वाली बात को सोचकर वह खाना बना रही थी तवे पर रोटी रखी हुई थी जो कि ख्यालों में खोने की वजह से उसकी रोटी जल रही थी जिस पर उसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं था तभी बाहर से पानी की बाल्टी भर कर लाती हुई मधु की नजर से तौर पर पड़ी तो वह जोर से चिल्लाई,,,।


अरे महारानी कहां खोई हुई हो,,,, देख नहीं रही हो रोटी जल रही है,,,,(इतना कहते हुए मधु बाल्टी नीचे जमीन पर रख दी और कमर पर मुट्ठी बांधकर हाथ रखकर खड़ी हो गई इस रुप में मधु एकदम काम देवी लग रही थी,,, जिस तरह से गाना कमर पर मुट्ठी बांध कर खड़ी हुई थी,, उसकी भरावदार उठी हुई गांड और ज्यादा बड़ी लग रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पपाया की तरह तनी हुई थी,,।अपनी भाभी की बात सुनते ही जैसे वह नींद से जागी हो इस तरह से चोंकते हुए तवे पर देखने लगी तो वाकई में रोटि जलकर काली हो गई थी,,,।)

बाप रे,,,(और ईतना कहने के साथ ही वह जली हुई रोटी उतार कर नीचे रख दी,,)


ध्यान कहां है तुम्हारा,,,,(मधु अपनी साड़ी को कमर में खोंसते हुए बोली,,,)

अरे भाभी आंख लग गई थी,,,,



आंखें ही लगी है ना कहीं किसी से दिल तो नहीं लगा ली,,,


धत्,,, भाभी कैसी बातें करती हो,,,,



चलो अच्छा उठो,, तुम रहने दो तुम दूसरा काम कर लो मैं रोटियां बना देती हुं,,,,


ठीक है भाभी,,,,( इतना कहकर गुलाबी वहां से खड़ी हो गई और मधु उसकी जगह बैठकर रोटियां बनाने लगी और गुलाबी दूसरे काम करने लगी,,,,,,,, हर पल मधु की खूबसूरती में चार चांद लगा रहता था,,, बनाने वाले ने मधु को बड़ी फुर्सत से बनाया था,,,, थोड़ी ही देर में दोनों का काम पूरा हो गया था,,,,।
दोपहर का समय हो रहा था और राजू अपने दोस्तों के साथ तालाब पर खेल रहा था,,,,,, श्याम भी वहां मौजूद था,,, राजू को देखते ही वह उस पर फब्तियां कसने लगता था,,, ऐसे ही वह राजु का मजाक उड़ाते हुए बोला,,,)


क्यों राजू गया कि नहीं कमला चाची के पास,,,, तुझे बहुत याद करती है,,,। (कपड़े के बने गेंद से खेलने के बाद थक कर सभी लोग घने पेड़ के नीचे बैठे हुए थे,,, श्याम की बात सुनकर राजू बोला)


मैं क्यों जाऊं कमला चाची के पास,,,, मुझे भला उनसे क्या काम है,,,,


अरे कमला चाची तू से चुदवाना चाहती है तुझे इतना भी समझ नहीं आता,,,,(श्याम के मुंह से चुदवाना शब्द सुनते ही राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, वह कुछ बोला नहीं फिर भी शयाम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

तेरा पसंद आ गया है कमला चाची को,,,,, तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती है,,,,लेकिन मुझे तो लगता है तो से कुछ होने वाला नहीं है इसीलिए तो कमला चाची के पास जा नहीं रहा है कसम से मुझे अगर ऐसा मौका मिला होता ना तो तुमने चाची की बड़ी बड़ी गांड को अपने लंड डालकर फाड दिया होता,,,, लेकिन साली को तेरा पसंद आ गया है जिसके पास कुछ है ही नहीं,,,,(श्याम की बातों को सुनकर सभी हंसने लगे राजू को बुरा बहुत लग रहा था लेकिन आज आने की उसकी बातों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिससे धीरे-धीरे उसका लंड खड़ा होना था और पास में ही खड़ा राजू का दोस्त मिलना उसे इशारा करके उस आ रहा था कि वह अपना पजामा उतार कर अपना लंड उसे दिखा दे लेकिन उसे शर्म आ रही थी,,,, श्याम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


यार राजू तुझे तो मौका मिल रहा है औरत चोदने का हम लोगों को तो मौका ही नहीं मिलता ,,,, वरना अपने लंड की ताकत कब का दिखा दिए होते,,, और एक तू है पकवान से भरी हुई थाली को ठुकरा दे रहा है,,,,


देख श्याम मुझे यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है उस दिन की तारा तू आज फिर शुरू हो गया,,,,


शुरू क्यों ना होऊं,,,,आखिरकार तो मेरा दोस्त जो है और दोस्त की इतनी बड़ी बेइज्जती में बर्दाश्त कैसे कर पाऊंगा कल को अगर तेरे पिताजी को पता चला कि उनका बेटा मार दे ही नहीं है तो वह गांव वालों को क्या मुंह दिखाएंगे अपने पोते पोते को कैसे खिला पाएंगे,,, और अब तो मुझे लगने लगा है कि तेरी शादी भी नहीं होगी और अगर हो भी कहीं तो तेरी औरत मेरे पास जरूर आएगी,,,,।


श्याम जबान संभाल कर बात कर,,,,( राजु एकदम से क्रोधित स्वर में बोला,,,,)


बीवी के बारे में बोलते ही कैसा गुस्सा हो गया,,,,,,, लेकिन उस समय क्या करेगा जब सुहागरात को तेरी बीवी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी और इसे बाजार में अपनी दोनों टांगे फैला देगी की मेरा पति अपना खड़ा लंड मेरी बुर में डालकर मेरे साथ सुहागरात मनाएगा,,,,, और सोच जब तेरा खड़ा ही नहीं होगा तब तेरी औरत सुहागरात कैसे मनाएगी तु उसे संतुष्ट कैसे कर पाएगा,,,, और तू शायद नहीं जानता की बुर की प्यास कैसी होती है जब तेरी बीवी को बड़े बड़े लंड की आवश्यकता पड़ेगी तब तेरा ना पाकर वह कहां जाएगी हम जैसे नौजवान लड़कों के पास ही आएगी,,,,,,,,(श्याम को इस तरह की गद्दीपति करने में बहुत मजा आता था और उसका मजा दूसरे लड़के भी उठा रहे थे वह भी जोर जोर से हंस रहे थे,,,, मुन्ना बार-बार उसे उकसा रहा था कि कुछ बोले लेकिन वह कुछ भी बोल नहीं रहा था वह बस गुस्सा किया जा रहा था,,,, गंदे शब्दों में जवाब ना देने का कारण यह भी था कि उसने आज तक इन शब्दों का कभी प्रयोग नहीं किया था और ना ही इस तरह की गंदी बातों ने कभी रुचि दिया था लेकिन वक्त के साथ धीरे-धीरे बड़ा होने लगा था जो कि इस तरह की बातों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना कि नहीं पाती थी और उसके बाद कभी भी इस तरह की बातें करने की मंजूरी नहीं दी क्योंकि बचपन में ही किसी को गाली दे दिया उसकी गाली सुनकर उसकी मां और उसके बाबुजी उसे बहुत मारे थे,,,,तब से लेकर आज तक वह कभी गद्दे शब्दों का प्रयोग नहीं किया था लेकिन श्याम उसे बार-बार उकसा रहा था उसकी मर्दानगी पर सवाल उठा रहा था जो कि यह बात मुन्ना भीअच्छी तरह से जानता था कि राजू वरदान की से भरा हुआ था और उसके जैसी मर्दाना ताकत शायद ही गांव में किसी के पास हो,,,। लेकिन फिर भी मुन्ना हैरान था कि इतना कुछ सुनने के बाद भी राजू अपना दिखाता क्यों नहीं,,, श्याम की बातों को सुनकर राजू गुस्से में बोला,,,)

कोई अगर तेरी मां के बारे में गंदी गंदी बातें बोले तो तुझे कैसा लगेगा,,,,


यहां किसी की हिम्मत ही नहीं है कि मुझे कोई भला बुरा बोलें,,,,,


अगर मैं तेरी मां के बारे में गंदी गंदी बातें बोलु तो,,,,(राजू गुस्से में बोला और उसकी बातें सुनकर श्याम कुछ देर तक शांत रहने के बाद और कुछ सोचने के बाद वह हंसते हुए बोला,,,)


तू बोल कर भी क्या कर पाएगा,,,,, तेरे से कुछ होने वाला भी नहीं है अगर होने वाला होता तो अब तक कमला चाची की बुर में लंड डाल दिया होता,,,,



देख श्याम मैं कहता हूं शांत हो जा अगर मैं बोलना शुरू किया तो सुनकर तु शर्म से मर जाएगा,,,,,,,,



देख रहा हूं जैसा मैं बोलता हूं वैसा तू भी बोलेगा जैसे कि मैं तेरी मां को चोदना चाहता हूं,,,, और अगर मौका मिला तो मैं तेरी खूबसूरत मां को चोद भी लुंगा और मेरी चुदाई से तेरी मां खुश भी हो जाएगी लेकिन सोच तू अगर मेरी मां को चोदना चाहेंगा तो भी नहीं चोद पाएगा,,, पता है क्यों क्योंकि तेरे पास है ही नहीं,,,,, और मेरे पास देख,,,,(इतना कहने के साथ ही श्याम अपना पजामा नीचे करके अपने लंड को पिलाना शुरू कर दिया,,,,,श्याम की बेशर्मी भरी हरकत पर बाकी के लड़के जोर जोर से हंस रहे थे उन्हें मजा आ रहा था लेकिन राजू को गुस्सा आ रहा था,,,, गांव के लड़कों की आवारागर्दी और गंदी बातों को दूर झाड़ियों के पीछे छुप कर सोनी और उसकी सहेलियां देख रही थी,,,, लाला की बहन दोपहर के समय सौच करने आई थी और सोच करने के बाद वह अपनी सहेली के साथ घर जाने को हुई थी कि लड़कों की बातें सुनते ही बाहर खड़ी हो गई थी और झाड़ियों के पीछे सोनी और उसकी सहेलियां छुपकर उन लड़कों की बातें सुन रही थी और उनकी गंदी गंदी बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी और उन्हें मजा भी आ रहा था,,,, लेकिन इस समय सोनी और उसकी सहेलियों की नजर श्याम के लंड पर थी जो कि ज्यादा बड़ा तो नहीं था लेकिन पूरी तरह से सख्त हो चुका था,,,जिसे देखकर सोनी और उसकी सहेलियों के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,, सोनी जोकी पति के देहांत के बाद से बेहद प्यासी थी और अपनी प्यास अपने बड़े भाई के लंड से बुझाती आ रही थी लेकिन उसे भी एक जवान लंड की जरूरत थी,,,, इसीलिए तो उसकी नजर श्याम के लंड पर एकदम से चिपक गई थी,,,, जिसे श्याम जोर जोर से हिला रहा था,,,,,)

देखा राजू तेरी मां की प्यास में अपने लंड से बुझा सकता हूं,,, और मुझे बहुत मजा आएगा जब तेरी मां अपनी दोनों टांगें फैलाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेगी,,,, लेकिन तुझ से कुछ नहीं हो पाएगा,,,,,,,

(राजू का गुस्सा बढ़ता जा रहा था आज पहली बार एक लड़के के मुंह से अपनी ही मां के बारे में गंदी बातें सुन रहा था और उसकी गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ती जा रही थी और लंड का आकार बढ़ता जा रहा था,,,,,, अभी तक राजू एक दूसरे की मां के बारे में गाली गलौज सुनता आ रहा था लेकिन आज शाम के मुंह से उसकी मां के बारे में गंदी बात को सुनकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी और उसका लंड कुछ ज्यादा उछाल मारने लगा था,,,इस बार उससे रहा नहीं गया क्योंकि वह सारी हदों को पार कर चुका था उसकी मां के बारे में बेहद गंदी बातें बोल चुका था इसलिए अब उसके सब्र का बांध टूट चुका था और उसे अपनी मर्दानगी दिखाना बेहद जरूरी हो चुका था ताकि वह हमेशा के लिए उसका मुंह बंद कर सके,,,राजू को अपनी मर्दानगी दिखाना ही नहीं था बल्कि उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातों को बोल कर अपनी सारी भड़ास निकाल लेना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)


मादरचोद श्याम,,,, तेरी मां की चुदाई मैं ही अच्छे से करूंगा देखना चाहिए अपना लंड डालूंगा तेरी मां की बुर में पर जोर जोर से चिल्ला उठेगी और मुझे अपना लंड बाहर निकालने के लिए मिन्नतें करेगी फिर भी मैं अपना लगा नहीं निकालुंगा और तेरी मां की बुर में धकाधक पेलता रहूंगा,,,,
(सोनी राजू की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी लड़कों के मुंह से एक दूसरे की मां के बारे में गंदी से गंदी बातों को सुनकर उसकी बुर कुल बुलाने लगी थी,,,, वह देखना चाहती थी कि वह क्या करता है,,,इसलिए झाड़ियों के पीछे छुप कर अपनी सहेलियों के साथ होना अपने कान खड़े करके उन लोगों की बातों को सुन रही थी लेकिन राजू की बातों को सुनकर श्याम जोर जोर से हंस रहा था उसे ऐसा ही लग रहा था कि वास्तव में राजु के पास मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड है ही नहीं,,,)

तेरी बातों का मुझे बुरा नहीं लग रहा है राजू बल्कि मुझे तो तुझ पर तरस आ रहा है,,,।





तरस तो तुझे अपनी मां पर आएगा,,, जब मैं अपना मोटा और लंबा लंड तेरी मां की बुर में धीरे-धीरे डालूंगा,,, तेरी मां जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर देगी,,,, मेरा मोटा लंड पाकर तेरी मां एकदम मस्त हो जाएगी देखना,,,
(श्याम राजू की कही बातों को हल्के में ले रहा था जोर जोर से हंस रहा था लेकिन मुन्ना को पूरा यकीन था क्योंकि इसलिए कह रहा था अगर ऐसा हो सकता तो एक-एक कही हुई बात सच निकलती जोर जोर से हंसते हुए श्याम बोला)


पर डालेगा क्या मेरी मां की बुर में,,, लंड तो तेरे पास है नहीं,,,, बैगन डालेगा,,,,,
(राजू और श्याम की बातों को सुनकर सोनीकी बुर गीली हो रही थी गांव के लड़कों को इस तरह से गंदी बातें करते हुए देखकर उनकी बातों को सुनकर उसके होश उड़ गए थे,,,श्याम का इस तरह से जोर जोर से हंसना उसकी बातों को सुनकर राजू एकदम से तैश में आ गया और बोला,,,)


तेरी मां की बुर में पैदा नहीं डालूंगा डालूंगा तुम्हें इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड ही,,, पर देखना चाहेगा रुक दिखाता हुं तुझे मादरचोद,,,(इतना कहने के साथ ही राजू एकदम से जोश से भर गया था और तुरंत अपने दोनों हाथ सपने पजामे को पकड़ करएक झटके से नीचे कर दिया और जैसे ही पहचाना उसके कुछ बताया वैसे ही होगा उसका लंबा मोटा लंबा लंड लहरा उठा जिस पर नजर पड़ते ही सबके होश उड़ गए श्याम तो देखता ही रह गया यकीन नहीं हो रहा था कि पजामे के अन्दर राजू इतना दमदार लंड छुपाया हुआ था,,,। सोनी की तो आंखें फटी की फटी रह गई सोनी ने अभी तक इस तरह का दमदार मोटा लंबा लंड कभी नहीं देखी थी,,,, पल भर में ही राजू के लंड के दीदार से ही उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, उसकी सहेली अभी आश्चर्य से देखे जा रही थी और राजू एक आंख से अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके ही जाना शुरू कर दिया था यह पहला मौका था उसके लिए जब वह अपने ही हाथ में लंड पकड़ कर हीला रहा था,,,। श्याम के पास बोलने लायक कुछ नहीं था,,, वह बस आंकड़े राजू के लंड को देखे जा रहा था,,,,)


क्यों क्या हुआ हरामी मादरचोद देख ले यही डालूंगा और तेरी मां की बुर फट जाएगी,,,,

(श्याम क्या बोलता है श्याम के पास बोलने के लिए शब्द नहीं थे उसका खड़ा लंड राजू कितने के सामने नुनु साबित हो रहा था,,,,, बहुत शर्मिंदा हो गया था वह तुरंत अपने पजामे को ऊपर करके वहां से चलता बना,,,, लेकिन सोनी के दोनों टांगों के बीच हलचल मच गई थी,,,, अजीब सी हालत हो गई थी उसकी अपनी सहेली से उस लड़के के बारे में पूछा तो पता चला कि बेल गाड़ी चलाने वाले हरिया का लड़का था उसे तुरंत याद आ गया कि यह उसी हरिया का लड़का है जो उस दिन ब्याज के पैसे देने घर पर आया था और उसे चुदवाते हुए पकड़ लिया था लेकिन वह पहचान नहीं पाया था,,,,,,,क्योंकि उस समय सोने के घने बाल उसके चेहरे को ढके हुए थे और कोई नंगे बदन को देख कर चेहरा पहचान ले ऐसा हो नहीं सकता था और वैसे भी हरिया ने उसे पहले कभी देखा भी नहीं था,,, अपने मन में ठान ली थी कि राजू से मुलाकात करनी ही पड़ेगी,,,।
 
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देखते ही देखते कई दिन गुजर गए थे श्याम अब राजू से उसकी मर्दानगी के बारे में मजाक नहीं गाया करता था बल्कि उसकी मर्दानगी भरे अंग को देखकर मन ही मन में जल उठता था क्योंकि वह जानता था कि औरतों को लंबा और मोटा लंड ही पसंद होता है,,,,,, इस बात को वहां भली भांति जानता था कि कमला चाची को लेकर जिस तरह से उस पर कब किया कर रहा था अगर वह कमला चाची के पास चला गया तो कमला चाची उसे लेकर मस्त हो जाएगी कि वह तो राजू की गुलाम ही बन जाएगी इसलिए वह नहीं चाहता था की कमला चाची राजू के साथ संभोग करें,,,,,,
श्याम के साथ-साथ दूसरे लड़के भी राजू के लंड को देखकर अचंभित हो चुके थे,,,,, वह लोग तो मजाक मजाक में श्याम को कह भी देते थे कि,,,।

श्याम उसकी तो तो उसकी बात पर पहुंचता है ना अगर सोच अगर ऐसा हो गया कि सच में उसे मौका मिले तेरी मां को चोदने का तो तेरी मां उसकी दीवानी हो जाएगी,,,
(और अपनी मां के बारे में अपनी ही दोस्तों से इस तरह की गंदी बात सुनकर भड़क ऊठता था और झगड़ा करने लगता था,,,,,,दूसरी तरफ सोने की भी हालत खराब थी दिन-रात ना उसके ख्यालों में केवल राजू के लंड की ही छवि घूमती रहती थी सोनी जल्द से जल्द राजू से मुलाकात करना चाहती थी,,, क्योंकि सोनी अभी पूरी तरह से जवान थी गदराई जवानी की मालकिन थी हरी भरी जवानी में ही उसका पति उसे छोड़कर स्वर्ग सिधार गया था अपनी जवानी की आग और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे अपने भाई की शरण लेना पड़ा था जहां से उसकी सारी जरूरतें पूरी भी हो रही थी,,,, पेट की भी और तन की भी लाला भी कोई कसर नहीं छोड़ता था सोनी को चोदने का,,,ऐसा नहीं था कि लाना से उसे संतुष्टि नहीं मिलती थी ,,, लाला चुदाई में उसे संपूर्ण संतुष्टि का अहसास कराता था,,,, लेकिन फिर भी सोने की उम्र में एक जवान लंड की जरूरत होती है राजू के लंबे तगड़े मोटे लंबे लंड को देखकर सोनी की इच्छा कुछ ज्यादा ही प्रज्वलित हो चुकी थी,,, जो कि राजू से मिलने के बाद ही मुझे सकती थी लेकिन उससे कैसे मिला जाए सोनी को समझ में नहीं आ रहा था,,, तभी उसे ख्याल आया कि वैसे भी वह समय व्यतीत करने के लिए गांव के लड़के और लड़कियों को पढ़ाया करती थी,,,।अपने मन में सोचने लगी कि क्यों ना राजू को भी पढ़ने के लिए अपने पास बुलाया जाए,,,अगर ऐसा हो गया तो उसके मन की इच्छा पूरी हो जाएगी,,,। लेकिन ऐसा होगा कैसे क्या वह पढ़ने आएगा यह बात उसके मन में आते ही वह परेशान हो गई थी,,,, लेकिन कुछ तो उपाय सोचना पड़ेगा और अपने मन में एक दिन जरूर राजू के घर जाकर उसे पढ़ने के लिए अपने घर बुलाएगी,,, यह बात मन में सोचते ही उसके खूबसूरत होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,,

दूसरी तरफ हरिया और उसका साथी बेरोकटोक स्टेशन के अंदर घुसकर सवारी ढो रहे थे जिससे उसकी आमदनी अच्छी खासी बढ़ गई थी,,,,, लेकिन दिन रात उसके जेहन में एक ही सवाल उठता रहता था कि लाला के घर में लाला के साथ नंगी होकर चुदवाने वाली औरत कौन थी,,,।,,, यही सवाल सोच सोच कर वह बीड़ी पर बीड़ी फुंकता जा रहा था जिससे उसकी खांसी भी बढने लगी थी,,,,,,,

मधु की जिंदगी बड़े अच्छे से कट रही थी,,, अपनी घरेलू और संस्कारी जीवन में अभी तक उसने आकर्षण और वासना की गंदगी आने नहीं दी थी इसीलिए तो वह अपने पति के साथ बहुत खुश थी,,,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन राजू दोपहर के समय गांव में इधर उधर भटक रहा था कि तभी कमला चाची के घर से गुजरने को हुआ तो उसे ख्याल आया कि क्यों नहीं पर कमला चाची से मिल लिया जाए,,,क्योंकि वैसे भी कमला चाची उसे एक बार मिलने के लिए बोली ही थी,,,,,, राजू कमला चाची के घर के दरवाजे के पास पहुंच कर दरवाजे के बाहर से आवाज लगाता हुआ बोला,,,,।


कमला चाची,,,,,ओ,,,, कमला चाची घर पर हो कि नहीं,,,,,।
(राजू की आवाज सुनते ही कमला चाची के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, वह घर के आंगन में नहा रही थी,,,,कमला चाची के घर का आंगन बड़ा था और खुला हुआ था और चारों तरफ से दीवार से घिरा हुआ था जिससे घर के आंगन में हेड पंप लगा था जहां पर वह नहा रही थी,,,, और वैसे भी गांव में इक्का-दुक्का लोगों के पास ही हैंडपंप था बाकी सभी लोग नदी पर ही नहाया करते थे ,,,वह अभी नहाते समय अजीब कशमकश में थी कि तभी बाहर से फिर आवाज आई,,,।)


,,, कोई बात नहीं मैं फिर कभी कमला चाची से मिल लुंगा,,, लेकिन बता जरुर देना कि मैं आया था वरना कमला चाची नाराज होंगी,,,(राजू को लगा कि कमला चाची घर पर नहीं है और उनकी बहू घर पर है जो कि जवाब नहीं दे रही है इसलिए वह ऐसा बोलकर जाने ही वाला था कि तभी अंदर से आवाज आई,,,।)


आजा दरवाजा खुला ही है,,,,,,,

(अंदर से कमला चाची की आवाज सुनते ही राजू को इत्मीनान हुआ और वह दरवाजे को हल्का सा धक्का देकर अंदर प्रवेश कर गया लेकिन अंदर प्रवेश करते ही आंगन में बने हेड पंप चला रही कमला चाची पर नजर पड़ते ही राजू के तो होश उड़ गए,,,,,, क्या करें आंखों के सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था कमला चाची की पीठ राजू की तरफ से जो कि वह जानबूझकर खड़ी हो गई थी राजू के आने के पहले वह बैठकर ही ना रहे थे और इसलिए खड़ी हुई थी कि राजू को उसकी बड़ी-बड़ी कारण बराबर दिखाई दे जो कि इस समय पानी में भीगने की वजह से उसका पेटीकोट जो कि वह सारे कपड़े उतार कर केवल पेटीकोट को अपनी दोनों चुचियों पर लपेट कर उसकी डोरी से बात करते हुए थी और पानी में भीगने की वजह से वह पूरी तरह से उसके गोरे बदन पर चिपक गया था और इसीलिए पानी में भीगी पेटीकोट बदन पर चिपकने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड एकदम साफ तौर पर अपना भूगोल लिए हुए नजर आ रही थी,,,। राजू तो बस देखता ही रह गया,,,, और कमला चाची जानबूझकर उसी अंदाज में हेडपंप चलाते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को थिरका रही थी जिसकी थीरकन पर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,,,

कमला चाची अच्छी तरह से जान रही थी कि जिस तरह से मारपीट दरवाजे की तरफ की है खड़ी हो कर काम चला रही थी ऐसे में राजू की नजर उस की भारी-भरकम खान पर जरूर करेगी और यही निश्चित करने के लिए वह अपनी नजर पीछे घुमा कर देखी तो उसके होठों पर काम अब मुस्कान तैरने लगी वाकई में राजू की नजर अपनी गांड पर घूमती हुई पाकर वह उत्तेजित हुए जा रही थी,,, अपनी चूचियों पर पेटीकोट चढ़ाकर बांधने की वजह से पेटिकोट उसकी मोटी मोटी जांघों को बिल्कुल भी ढक पाने पर असमर्थ थी जिसकी वजह से राजू को,, कमला चाची की मोटी मोटी गोरी जाम है एकदम साफ नजर आ रही थी और यह राजू के लिए पहला मौका था जब औरत को इस अवस्था में देख रहा था,,,,पहली बार राजु ने एक औरत की मोटी जांघों को देख रहा था और पहली बार यह एहसास हुआ कि औरत की जांघें कितनी खूबसूरत होती है,,,,,,, जिस पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह फिसल रही थी,,,,,,,,।


दूसरी तरफ अपने अर्ध नग्न शरीर का प्रदर्शन करते समय खेली खाई कमला चाची जो की बहू वाली हो गई थी फिर राजू के सामने इस अवस्था में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, एक अजीब सा सुख उसे प्राप्त हो रहा था,,, राजू कोवह इस समय मौके को देखते हुए अपना सब कुछ दिखा देना चाहती थी लेकिन वो जानती थी कि उसकी बहू घर में मौजूद है और ऐसा करना ठीक नहीं है लेकिन फिर भी वह अपनी खूबसूरती बदन के आकर्षण के केंद्र बिंदु को राजू को दिखाकर उसे धराशाई कर देना चाहती थी ताकि वह जब उसे बुलाए तो वह खींचा चला आए इसीलिए वह,,,,कुछ ऐसा कर देना चाहती थी जिसकी शायद राजू को उम्मीद भी नहीं थी लेकिन कैसे वह भी पहुंच कशमकश में थी बाल्टी भर जाने के बावजूद भी वह नल चला रही थी,, और राजू जैसे कि सब कुछ भूल चुका हूं उस तरह से दरवाजे पर ठिठक कर खड़ा रह गया था वह भी काफी देर से कमला चाची के बदन के खूबसूरत भूगोल को अपनी आंखों से नाप रहा था,,,,।

कमला चाची जानती थी कि किसी भी वक्त कमरे से बाहर उसकी बहू आ जाएगी और उसकी मौजूदगी में वह ऐसा कुछ कर नहीं सकती थी इसीलिए जल्द से जल्द अपने वतन की झलक राखी को दिखा देना चाहती थी हालांकि आधा नंगा बदन पीछे से उसका नजर आ ही रहा था और पेटीकोट पानी में पूरी तरह से गीली होने की वजह से बदन का कटाव भी साफ तौर पर नजर आ रहा था लेकिन कपड़ों में और नंगे पर में जमीन आसमान का फर्क होता है वह जानती थी कि राजू अगर उसके नंगे बदन को देखेगा तो और ज्यादा उत्तेजित और उत्सुक हो जाएगा और वह खुद काफी उत्सुक थी अपनी हरकत को अंजाम देने के लिए,,,,, इसलिए वह पेटिकोट को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर हल्के से उसे झाड़ने के बहाने कमर तक उठा‌दी और तुरंत उसे नीचे करते हुए बोली,,,।,,

आ गया तू दरवाजा तो बंद कर दे ,,,,(और ऐसा कहते हुए नीचे बैठ गई,,, लेकिन इतने से ही राजू के होश उड़ गए थे राजू को कमला चाची की गोरी गोरी बड़ी गांड के दर्शन हो चुके थे,, पल भर के लिए ही एक झलक भर थी लेकिन राजू के लिए इतना काफी है जवान हो रहा राजू कमला चाची की नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसकी उत्तेजना उसकी दोनों टांगों के बीच पजामे में साफ झलक रही थी,,,,,,, कमला चाची की गांड को नजर भर कर देखना चाहता था,,। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया बस झलक भर देख पाया था लेकिन फिर भी यह राजू के लिए बहुत था उसके कोमल मन पर कमला चाची की नंगी गांड भारी पड़ रही थी,,,। राजू अभी भी पूरी तरह से मदहोशी में था होश उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,,,, किसी भी प्रकार का जवाब ना आता देखकर कमला चाची पीछे नजर घुमाकर देखी तो अभी भी राजू आश्चर्य से आंखें फाड़े उसे देख रहा था तो यह देखकर कमला चाची के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,।)

अरे राजू ऐसे क्या देख रहा है दरवाजा तो बंद कर दे,,,
(कमला चाची की आवाज सुनकर जैसे वह होश में आया हो इस तरह से लड़खड़ा दरवाजा बंद किया और वापस उसी जगह पर खड़ा होकर कमला चाची को देखने लगा,,, तो फिर कमला चाची बोली,,)


अरे मेरे पीछे मत खड़ा रे,,,, सामने जो लोटा पड़ा है ना लाकर मुझे दे,,, नहाना है,,,,
(कमला चाची जानबूझकर उसे लौटा लाने के लिए बोली थी क्योंकि कमला चाची उसे अपना बदन आगे से दिखाना चाहती थी,,,पीछे से जलवा दिख कर उसे पूरी तरह से मंत्रमुग्ध कर चुकी थी अब आगे का जलवा दिखा कर उसे पूरी तरह से धराशाई करना चाहती थी,,,,,, पानी में भीग कर भी कमला चाची की बुर राजू को अपने बदन का जलवा दिखाते हुए गीली हो रही थी,,,,,, राजू तुरंत आगे की तरफ जा कर लौटा उठा लिया और कमला चाची को थमाने लगा,,, लेकिन कमला चाची के पास पहुंचते ही राजू का दिल और जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि राजू को लोटा लेकर आने से पहले ही कमला चाची अपने पेटिकोट की दूरी को छातियों पर से थोड़ी ढीली कर चुकी थी जिससे उसकी खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां आधे से ज्यादा पेटिकोट के बीच से नजर आ रही थी और उस पर नजर पड़ते ही राजू के होश उड़ गए,,,, राजू कमला चाची को लौटा उसके हाथ में थमाते हुए उसकी भारी-भरकम गोलाकार चुचीयों को ही देख रहा था और यह बात कमला चाची से छिपी नहीं रह सकी वह राजू की नजरों को देखकर समझ गई थी कि उसकी नजर उसकी चुचियों पर है और अपनी युक्ति काम आते ही उसका मन हर्षोल्लास से भर उठा,,,,,,, और कमला चाची की नजर उसके पजामे पर पड़ी तो उसकी बुर फुदकने लगी,,,,,,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर कमला चाची समझ गई थी कि पजामे के अंदर घमासान मचाने वाला औजार हैं,,,,। राजू पूरी तरह से मंत्रमुग्ध और मदहोश हो चुका था पेटिकोट की डोरी के बीच वाली खुली जगह के बीचो बीच में से ऐसा लग रहा था कि मानो एक साथ दो दो चंद्रमा अपनी अर्ध कला दिखा रहे हो,,, हालांकि चुचियों के निप्पल पेटिकोट की आड़ में छुपी हुई थी लेकिन फिर भी उसकी नुकीली नोक पेटीकोट के भीगे होने की वजह से साफ उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,।

कमला चाची अंदर ही अंदर बेहद खुश और उत्तेजित हुए जा रही थी कमला चाची मन ही मन यह चाह रही थी कि राजू की नजर से दोनों के पीछे की तरफ जाए जहां पर वह खुद अपने हाथों से पेटीकोट उठाकर अपनी बुर को नंगी छोड़ रखी थी ताकि राजू को उसकी बुर अच्छे से नजर आए,,,,,,, और वह बाल्टी में से लोटा भर भर कर अपने ऊपर डालने लगी,,,, लेकिन राजू अभी भी उसकी चूचियों की तरफ देख रहा था,,, और अपने ऊपर पानी डालते हुए कमला चाची अपने मन में ही बड़बड़ा रही थी कि,,,, ऊपर क्या देखता है हरामजादे नीचे देख तुझे और मजा आएगा,,,,,,,, लेकिन जब कमला चाची की खुद की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वहनिराश हो गई पानी डालने की वजह से उसका पेटीकोट वापस सरक कर उसकी दोनों टांगो के बीच की उस पतली दरार वाली जगह को छुपा दिया था,,,,, जिसे दिखाने के लिए कमला चाची इतना तर कट रची थी,,,, लेकिन जो कुछ भी दिख रहा था राजू के लिए उत्तेजना से भरपूर था वह रह रह कर अपनी नजर को कमला चाची के दोनों टांगों के बीच भी डाल देता था जहां पर दोनों टांगों के बीच उसे पेटीकोट का कपड़ा ढका हुआ नजर आ रहा था जो निराशा कमला चाची को हाथ लगी थी वही निराशा राजू को भी महसूस हो रही थी क्योंकि एक लड़का और वह भी जवान होने के नाते उसे इतना तो पता ही था कि औरत की दोनों टांगों के बीच खास चीज होती है जिसके लिए लड़के पागल रहते हैं,,,,,

कमला चाची वापस किसी बहाने से अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी बुर दिखाना चाहती थी और इसके लिए वह अपनी पूरी तैयारी भी कर चुकी थी,,,, और राजू को एक बहाने से नल चलाने के लिए बोल भी दी थी,, और राजू भी नल चलाने लगा था,,,लेकिन कमला चाची अपनी हरकत को अंजाम देती है इससे पहले ही अंदर कमरे में से उसकी करो बाहर निकल कर और कमला चाची के साड़ी को हाथों में लिए बाहर आई और बोली,,,)


माजी आप जल्दी से नहा लो कपड़ों को वैसे ही छोड़ देना मैं धो दूंगी,,,,,(ऐसा कहते हुए कमला चाची की बहू खटिया पर साड़ी रख दी,,, और खड़ी हो गई और राजू की तरफ देखने लगी जो कि नल चला रहा था,,, और वह बोली,,)


यह कौन है मा जी,,,?


अरे रमा बहु अपने हरिया का लड़का है राजू बहुत ही सीधा साधा है,,, जा जाकर इसके लिए,,,,, गुड़ और पानी ले आ,,,।


नहीं नहीं चाची इसकी क्या जरूरत है,,,, नमस्ते भाभी (कमला चाची की बहू रमा को हाथ जोड़ते हुए) आप रहने दीजिए भाभी इसकी जरूरत नहीं है,,,,)


अरे कैसी बात कर रहे हो पहली बार इधर आए हो,,,, बैठो मैं पानी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर कमला चाची की बहू अंदर कमरे में पानी और गुड़ लेने चली गई लेकिन कमला चाची का मन उदास हो क्या आज वह राजू को अपनी बुर दिखा देना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया लेकिन इस बात की तसल्ली उसे अच्छी तरह से थी कि राजू अब उसके नंगे बदन को देख कर मदहोश हो चुका था,,, इस उमर में उसके लिए यही काफी था,,,, राजू खटिया पर जाकर बैठ गया था लेकिन फिर भी वह कमला चाची को चोर नजरों से देख ले रहा था और यह देखकर कमला चाची को भी अच्छा लग रहा था,,,,, औरत की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर पहली बार उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर जागरूक हुई थी,,,, इसलिए उसे अपने तन बदन में उत्तेजना की लहर की यह हलचल बहुत ही सुखदाई लग रही थी,,,। कमला चाची के पास अपना बदन दिखाने का मौका बिल्कुल भी नहीं था थोड़ी ही देर में रामा एक कटोरी में गुड़ का टुकड़ा और हाथ में गिलास दिए हुए बाहर आ गई और राजू तो हम आने लगी राजू गुड़ का एक टुकड़ा खाकर रमा के हाथों से पानी का गिलास लेने लगा तो अनजाने में ही उसकी उंगली रमा की नाजुक उंगलियों से रगड़ खा गई,,, और यह रगड़ राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर गई और यह हलचल रमा को भी अपने बदन में महसूस हुई,,रामु का भोलापन और उसका मासूम चेहरा रमा को भा गया था,,,।


अब ज्यादा देर तक वहां बैठे रहना राजू के लिए उचित नहीं था इसलिए वह कमला चाची की और उसकी बहू को नमस्ते कहकर घर से बाहर आ गया,,,,लेकिन जो नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे तेरी कसम उसकी दोनों टांगों के बीच की हल-चल अभी भी शांत नहीं हुई थी,,,

गांव में इधर-उधर घूम कर वह अपने मन को शांत करने की कोशिश करने लगा और थोड़ी ही देर में खेलकूद के चक्कर में वह कुछ देर पहले की बात को भूल चुका था,,,।
 
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ऐसे ही 1 दिन मधु रात के समय खाना बना रही थी,,,,, और मधु गुलाबी को घर के पीछे से इंधन के लिए लकड़ियां लाने के लिए बोली,,,,,, और गुलाबी जो की सब्जियां काट रही थी वह ,,,,बोली,,,।


जा रही हूं भाभी पहले सब्जियां काट लु तब जाती हुं,,,,(ऐसा कहते हुए वह सब्जियां काटती रही तो मधु बोली,,)


अरे गुलाबी देर हो रही है और यहां लकड़ियां खत्म हो गई है,,, तेरे भैया आ गए होंगे जल्दी जाकर लकड़िया ले आ मैं सब्जी काट देती हूं,,,,


ठीक है भाभी लो तुम सब्जी काट लो मुझे जोर की पेशाब भी लगी है,,,


अरे तुझे कितनी पेशाब लगती है खाना बनाने से पहले ही तो मेरे साथ गई थी और फिर से तुझे लग गई,,,,


हा भाभी पता नहीं क्यों मुझे बार बार जोरों की पेशाब लग जाती है,,,,


पता नहीं तेरी बुर में कितनी पेशाब भरी हुई है,,,

धत्,,, भाभी कैसी बातें करती हो,,,,(गुलाबी शरमाते हुए बोली)


अरे सच कह रही हूं तुझे चोर चोर की पेशाब लगती है ना बार-बार अब तुझे दूल्हे की जरूरत है,,,,


लो अब इसमें दूल्हा क्या करने वाला है,,,?(गुलाबी ईतरातें हुए बोलि,,,)


अरे पगली जब तेरा दूल्हा अपना मोटा लंड तेरी बुर में डाल कर रात भर चोदेगा तो खुद ही तेरे बदन की गर्मी चुदाई से निकल जाएगी,,,, फिर यह बार-बार मुतना बंद हो जाएगा,,,(मधु हंसते हुए बोली,,,)


क्या भाभी तुम भी लगता है भैया से शादी करने के बाद तुम्हारा भी बार-बार मुतना बंद हो गया,,,


हां रे तू सच कह रही है जब नई नई मैं इधर आई थी तो मुझे भी बार-बार पेशाब लग जाती है लेकिन तेरे भैया का लंड बुर में जाते ही तकलीफ दूर हो गई,,,,( मधु एकदम बेशर्म बन कर अपनी ननदसे बोली वैसे भी भाभी और ननद का रिश्ता ही हंसी मजाक का होता है और हंसी मजाक में कितनी गंदी बातें एक दूसरे को बोलते ही रहते हैं,,,)


मुझे इस तरह से तकलीफ दूर नहीं करवाना है,,,(इतना कहकर वह चलने लगी तो मधु पीछे से ही आवाज लगाते हुए बोली,,,)


अरे तू चाहे या ना चाहे शादी के बाद तेरा दूल्हा तेरी बुर में डालेगा ही डालेगा,,,,

(अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी शर्म से लाल हो गई थी और उत्तेजित भी हो गई थी,,, अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को वह देख चुकी थी और उसे अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ भी देख चुकी थी और अपने भाई से भी ज्यादा दमदार लंड उसे अपने भतीजे राजू का लगा था,,,,भले ही वह अपने मुंह से बोल कर आई थी कि इस तरह से अपनी तकलीफ दूर नहीं करवाना है लेकिन एक मोटे गर्लफ्रेंड को अपनी बुर में लेने की उत्सुकता उसके चेहरे के हाव भाव से सांप पता चल रही थी,,,। लकड़ी लेने के लिए पेशाब करने के लिए घर के पीछे पहुंच गई थी जहां पर ढेर सारी सूखी लकड़ियां रखी हुई थी और पास में ही बेल के लिए घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी जिसमें रोज उसके भैया बैल को बांध दिया करते थे,,,,। गुलाबी सूखी सूखी लकड़ियों को उठाने लगी मन में यह सोच कर कि लकड़ी को भाभी के पास रखकर वह बाद में पेशाब करने आएगी लेकिन लकड़ी को उठाते हुए उसके पेट में जोड़ों का दर्द होने लगा जो कि पैसाब की वजह से ही हो रहा था वह समझ गई कि ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है,,,, इसलिए वह तुरंत लकड़ियों को नीचे पटक दि और दो कदम की दूरी पर जाकर अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी इस बात से अनजान की थोड़ी देर पहले ही उसका बड़ा भाई हरिया बेलगाडी को लेकर घर आ चुका था और बैल को उस घास फूस की झोपड़ी में बाधकर वहीं बैठ गया था और बीड़ी सुलगा कर पी रहा था जब वहां गुलाबी आई थी तो वह जानता था वह लकड़ी ले जाने में उसकी मदद करने के लिए झोपड़ी से बाहर आना चाहता था लेकिन बीड़ी का आखिरी तक खींचने के लिए वहीं बैठ गया था लेकिन इतनी देर में गुलाबी लकड़ियों को पटक कर दो कदम आगे जा चुकी थी और इसीलिए हरिया उत्सुकता वश बैठा रहा था यह देखने के लिए की आखिरकार वह लकड़ी को उठा कर क्यो नीचे फेंक दी,,,, उसे आवाज भी लगाने वाला था की लकड़ियों को क्यों पटक दी लेकिन जैसे ही पर दो कदम की दूरी पर जाकर अपने दोनों हाथों को अपने सलवार की डोरी पर ले जाकर उसे खोलने को हुई की हरिया का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बहन गुलाबी क्या करने जा रहे हैं वह पीछे से आवाज लगाना चाहता था लेकिन लगा नहीं पाया उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें क्योंकि उसकी बहन ठीक उसके सामने खड़ी थी ऐसे में वह इधर उधर भी नहीं हो सकता था क्योंकि उसके इधर-उधर होने से आवाज आ सकती थी और उसकी बहन की निगाह उस पर पढ़ सकती थी और ऐसे हालात में उसका इस तरह से पकड़े जाना अपनी ही बहन के नजर में शायद शक के दायरे में खड़ा कर देना जैसा होता उसकी बहन को ऐसा ही लगता कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा है हालांकि अभी गुलाबी पेशाब करना शुरू नहीं की थी बस अपनी सलवार की डोरी खोलने जा रही थी इतने से ही हरिया की हालत खराब हो गई थी,,,, हरिया दूसरे लोगों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह शर्म से गड़े जा रहा था क्योंकि वह जानता था कि कुछ ही देर में उसकी बहन अपने सलवार को नीचे सरका देगी और इस अवस्था में वह अपनी बहन को देखना गवारा नहीं समझ रहा था,,,,,,


और हरिया मन में उठ रही कशमकश को दबाते हुए नजर को दूसरी तरफ फेर लिया,,,,, हरिया एक काफी सुलझा हुआ इंसान था मान मर्यादा इज्जत उसके लिए सब कुछ थी,,,, मान मर्यादा संस्कार के मामले में वह खरा सोना था,,,,रिश्तो को वह अच्छी तरह से समझता था उसकी आंखों के सामने तो उसकी खुद की बहन गुलाबी थी,,,, लेकिन सारे रिश्ते नाते को ताक पर रखकर सबसे पहले वह एक मर्द था,,,,और उसकी आंखों के सामने ,,, 5 कदम की दूरी पर जो लड़की खड़ी थी वह हरिया की बहन से पहले एक औरत थी,,,, और दुनिया में मर्द और औरत के प्रति आकर्षण और खींचाव का रिश्ता कभी खत्म होने वाला नहीं था और इसीलिए एक मर्द होने के नाते हरिया अपने आपको लाख बनाने के बावजूद भी अपने मन को अपने वश में नहीं कर पा रहा था और उसकी नजर बार-बार उसकी बहन गुलाबी की तरफ चली जा रही थी जो कि अभी भी अपनी सलवार की डोरी को खोलने में उलझी हुई थी,,,,,,,

और बार-बार हरिया अपनी बहन गुलाबी की तरफ देख ले रहा था और फिर वापस नजर को दूसरी तरफ फेर ले रहा था,,,, ऐसा वह बार-बार कर रहा था,,,, काफी मेहनत करने के बाद गुलाबी आखिरकार सलवार की डोरी खोलने में कामयाब हो चुकी थी जो कि वह जल्दबाजी में कसकर बांध ली थी,,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी जो की इस बात से ही समझ में आ जा रहा था कि वह बार-बार अपने पैरों को पटक रही थी,,,।अपनी बहन को लाबी की हरकत और उसकी चलेगा जी को देखकर हरिया के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस उत्तेजना से अपने अंदर में भी महसूस कर रहा था लेकिन वह अपने आप को रोक भी नहीं पा रहा था,,,

चारों तरफ अंधेरा छा चुका था लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से हरिया को सब कुछ साफ नजर आ रहा था और वह इस बात के लिए भगवान को धन्यवाद भी दे रहा था जोकि अपने मन में चांदनी रात के लिए भगवान को धन्यवाद देते हुए वह शर्मिंदगी का अहसास भी कर रहा था,,,।देखते ही देखते गुलाबी सलवार एक झटके में अपने घुटनों तक सरकारी प्रेशर करते हुए वह आगे की तरफ से जो कभी गई थी जिसकी वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी गदराई गांड आसमान में चमक रहे चांद की तरह नजर आने लगी,,,,,,अपनी बहन की गोरी गांड देखते ही हरिया के मुंह में पानी आ गया साथ ही उसकी धोती में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो,, गया,,,,,, उत्तेजना के मारे हरिया का गला सूखता चला जा रहा था और दूसरी तरफ गुलाबी इस बात से बेखबर कि ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसका बड़ा भाई उसकी मदमस्त गांड के दर्शन करके मस्त हो रहा है,,,,वह तो नीचे बैठते ही अपनी गुलाबी बुर से पेशाब की धार मारने लगी क्योंकि बड़ी तेज सीटी की आवाज के साथ घर के पीछे के वातावरण में पूरी तरह से घुलने लगा,,, और इस मधुर मादक दूर से निकल गई सीटी की आवाज सुनते ही हरिया का मन डोल उठाऔर वह ना चाहते हुए भी धोती के ऊपर से ही अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मसलने लगा,,,।


हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह इंसान बहन की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था और साथ ही उसे पेशाब करते हुए भी देख रहा था यह उसके लिए सोने पर सुहागा था कामोत्तेजना के परम शिखर पर पलभर में ही वह विराजमान हो चुका था इतनी उत्तेजना सहन कर पाना उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था हालांकि एक खूबसूरत बीवी का पति होने के नाते वह रोज अपनी खूबसूरत बीवी की चुदाई करता था और उसमें तृप्त हो जाता था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द ही रहता है घर की मुर्गी दाल बराबर का कथन उसके ऊपर बराबर बैठ रहा था क्योंकि उसकी बीवी मधु बेहद खूबसूरत औरत की और बेहद खूबसूरत मादक जिस्म की मालकिन भी थी जिसको जब चाहे वह भोग सकता था,,, और गुलाबी उसकी बीवी मधु से ज्यादा खूबसूरत बिल्कुल भी नहीं थी,,,,लेकिन मर्दों का आकर्षण हमेशा से औरतों के नंगे बदन खास करके उन की गोरी गोरी कांड उनकी बुर और उनकी चूची पर हमेशा टिकी रहती थी और उसी प्रचलन के चलते हरिया भी अपने आप को संभाल नहीं पाया था,,,,, वह अपनी उत्तेजना को संभालना सकने के कारण दूसरी बीडी को धीरे से सुलगा कर उसे फूक रहा था,,,। बीड़ी से ज्यादा अपनी बहन की नंगी गांड और उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख कर वह खुद सुलग रहा था,,,,।


बीड़ी पीते हुए हैं वह इस बात का शुक्रगुजार था कि अभी तक उसे खांसी नहीं आई थी वरना उसका भांडा फूट जाता और वह शर्मिंदा हो जाता,,,,,,, गुलाबी भी अपनी हरकतों से अपने बड़े भाई हरिया पर अनजाने में ही बिजलियां गिरा रही थी,,। वह बार-बार अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी गोरी गोरी गांड को ऐसे थाम ले रही थी मानो जैसे किसी खरबूजे को थाम ले रही हो,,,।,, यह देखकर हरिया का मन लालच जा रहा उसके मन मेंहो रहा था कि वह खुद आगे बढ़कर अपनी बहन की गांड को अपनी दोनों हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,, लेकिन ऐसा करना उचित नहीं था,,,,


लेकिन आंखों के सामने का मादक दृश्य उसे पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था वह जोर-जोर से धोती के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था,,,,, उसे आज अपनी बहन की गांड देखकर अपना लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ महसूस हो रहा था,,,। उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए,,,,उसकी बहन की बुर से लगातार पानी की धार फूट रही थी और उसमें से मधुर संगीत रूपी सीटी की आवाज कानों में गूंज रही थी,,, पैसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना वह अपनी बीवी को बहुत बार पेशाब करते हुए देखकर मस्त भी हो चुका है और पेशाब करने की अपने अंदर जाग रही मदहोश माता पिता के पास होकर वह अपनी बीवी को पेशाब करते करते उसकी चुदाई भी किया है लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसकी आंखों के सामने उसकी बहन के साथ कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,। उसका मन अपनी बहन को चोदने के लिए बहुत कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि शुरू के दिनों में जब उसकी नई नई शादी हुई थी तब उसकी बीवी की बहुत ही टाइट और संकरी थी,,, जिसमें उसका लंड बड़ी मुश्किल से जाता था,,, इसलिए अपने मन में सोच रहा था कि इस समय उसकी बहन की भी बुर बहुत ही टाइट और उसकी गलियारी एकदम संकरी होगी जिसमें उसे लंड डालने में बहुत मजा आएगा,,,,, यह सोचकर वह अपने तन बदन में मदहोशी का रस घोल रहा था,,,,,,,, उसका मन आगे बढ़ने को कर रहा था वह इसी समय अपनी बहन को घर के पीछे ही चोदना चाहता था लेकिन उसके मन में यह डर भी था कि कहीं उसकी बहन इस बात से बुरा मान गई और अपनी भाभी को बता दी तो क्या होगा वह तो कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएगा डूब मरने वाली बात उसके लिए होगी इसलिए काफी कशमकश के बाद वह अपने कदमों को वही टिका कर रखा था,,,,,


देखते ही देखते पेशाब की धार कमजोर पड़ने लगी और पेशाब करने के बाद गुलाबी उठ खड़ी हुई और अपनी सलवार को ऊपर कमर तक चढ़ाकर अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी,,,।पेशाब करते समय अपनी भाभी के द्वारा कही गई बात को याद करके काफी उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी जिससे उसके तन बदन में अजीब सा एहसास हो रहा था अपनी भाभी की बातों को सुनकर उसका मन बहुत करता था अपनी बुर में लंड लेने के लिए लेकिन वह जानती थी कि उसकी बुर की किस्मत मे अभी लंड नहीं लिखा था,,,,।


इसलिए जल्दी-जल्दी अपने सलवार की डोरी बांधकर सूखी लकड़ियों को उठाकर वापस चली गई और हरिया अपनी बहन को जाते हुए देखता रह गया,,,, उसका ध्यान जब अपनी धोती पर गया तो वह हैरान रह गया क्योंकि धोती से कब उसका लंड बाहर आ गया और कब वह उसे पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया था उसी को पता नहीं चला,,,, अपनी बहन की मादक गांड के उत्तेजना में वह इस कदर डूब गया कि अपनी बहन की कल्पना करते हुए अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया ,,,इसे अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था पहले भी वह लूटमार चुका था लेकिन तब उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरती रहती थी और जब कभी भी वह मायके जाती थी तभी लेकिन आज उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरत बहन गुलाबी थी जिसकी कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था,,,,


और थोड़ी ही देर में देखते ही देखते उसके लंड से पानी की पिचकारी छुट पड़ी,,,,,,, तब जाकर उसे शांति मिली,,,,,,,।

कुछ देर तक वह इधर-उधर घूमता रहा और थोड़ी देर बाद घर पहुंचा तो खाना तैयार था,,,वह गुलाबी सी नजर नहीं मिला पा रहा था,,,,कुछ देर पहले जो कुछ भी उसने देखा था और करा था उससे उसे शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन गुलाबी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि उसे पेशाब करते हुए उसका भाई देख रहा था और अपना लंड हीला रहा था,,,, गुलाबी अपने हाथों से खाना परोस कर अपने भाई को खिला रही थी और अपनी भाभी को भी राजू भी पास में ही बैठा हूं थोड़ी देर बाद गुलाबी भी बैठ कर खाने लगी,,,,।


रात को सोते समय अपनी बहन की गांड और उसे पेशाब करता हुआ देखकर जो उत्तेजना का अनुभव से नहीं किया था वह सारी कसर अपनी बीवी से उसकी चुदाई करके उतार रहा था और गुलाबी दीवार के उसी छेद में से उस नजारे को देख रही थी और उत्तेजित हो रही थी सलवार उतार कर वह अपनी भाभी की बात को याद करके की शादी के बाद उसकी बुर में उसके दूल्हे का लंड जाएगा तब बार-बार पेशाब लगने वाली आदत छुट जाएगी,,, इस बात को याद करके और अपनी भैया भाभी की चुदाई बेटे करो पूरी तरह से फिट हो गई थी और अपनी बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में उसके भैया भाभी के साथ वो खुद शांत हो गई और खटिए पर आकर राजू के पास बिना सलवार पहने ही सो गई,,,,।
 
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गुलाबी को ऐसा ही लगता था कि अंधेरे की वजह से उसका भतीजा राजु,,, कमर के नीचे उसके नंगे पन को नहीं देख पाया है इसलिए थोड़ा इत्मीनान था लेकिन इस बात से सकते में आ गई थी कि वह ऐसे कैसे अपनी सलवार पहनना भुल गई थी,,,,, बार-बार उसके मन में यही ख्याल आ रहा था किरात को अपने गुलजार भाई की गरमा गरम चुदाई देखकर खुद अपनी पूर्व में उंगली डालकर अपनी गर्मी को शांत की थी जहां से खड़ी होकर अपने भैया और भाभी की चुदाई देख रही थी वहीं पर अपनी सलवार उतार कर फेंक दी थी और शायद,,,अपने बदन की गर्मी शांत करके संतुष्टि भरे एहसास के साथ वह खटीया पर पड़ी और गहरी नींद में सो गई और शायद इसीलिए बार-बार पहनना भूल गई थी लेकिन इस बात के लिए वह बार-बारभगवान को धन्यवाद दे रही थी कि अंधेरे की वजह से उसका भतीजा उसका कुछ देख नहीं पाया था,,,,। लेकिन फिर अपने मन में यह सोचने लगे कि अगर उसका भतीजा कमर के नीचे उसके नंगे पन को देख भी लेता तो क्या होता क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि रांची दूसरे लड़कों की तरह आवारा नहीं था तो शायद उसकी नजर अगर उसकी नंगी बुर पर भी पड़ जाती तो राजू कुछ नहीं करता,,,,,,,।

यह ख्याल मन में आते ही वह अपने ही मन से सवाल कर रही थी कि ऐसा खयाल उसे क्यों आ रहा है,,,, अच्छा ही तो हुआ राजू ने कुछ देखा नहीं,,,, लेकिन देख लेता तो शायद मर्द होने के नाते एक खूबसूरत नौजवान लड़की की वर देखने की वजह से उसका लंड खड़ा हो जाता तो क्या उसका चोदने का मन नहीं करता,,,, जरूर करता,,,, अगर ऐसा हो जाता तो कितना मजा आता बाहर कहीं भी मुंह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ती और राजू उसके वश में रहता पूरी तरह से,,, इस बात की किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ती और जवान लड़का होने के नाते डाई करने में उसे परम आनंद की अनुभूति होती और यह आनंद वह खोना नहीं चाहता,,,,,


गुलाबी के मन में ऐसे ख्याल आते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि जो कुछ भी हो सोच नहीं है वह सच हो जाएगा,,,, और इस बात का भी इसे तसल्ली थी कि उसके भतीजे का लंड उसके भाई हरिया से भी तगड़ा था,,,।जिस की गर्मी को वह अपने हथेली में लेकर महसूस कर चुकी थी और जिस तरह सेउसके लंड में पिचकारी छोड़ी थी उसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच में हलचल सी मच गई थी,,,,,,, यह सब ख्याल आते ही गुलाबी का मन बहकने लगा था,,, वह कुछ कर गुजरने की सोच रही थी वह अच्छी तरह से चाहती थी कि राजू जवान होता हुआ लड़का है और वह खुद एक जवान खूबसूरत लड़की,,,, और उसका भतीजा जरूर उसकी तरफ आकर्षित होगा,,,,, गुलाबी अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी लेकिन उसे डर भी था कि कहीं उस्ताद आओ उल्टा ना पड़ जाए वरना वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी,,,,, यही सब सोचते हुए गुलाबी घर का काम कर रही थी,,,,,,,,


हरिया नहा धोकर बेल गाड़ी ले जाने के लिए तैयार था,,, बस जाते समय रोटी ले जाने का इंतजार कर रहा था,,, उसकी बीवी मधु उसके लिए भोजन तैयार करके उसे एक बर्तन में रखकर कपड़ा बांधकर उसे थमा देती थी जिसे हरिया अपने साथ ले जाता था और दोपहर के समय जब उसे भूख लगती थी तो खा लेता था,,,, अपने बेल को चारा पानी से तैयार करते हैं अपने बेल पर हाथ रख कर उसे सहलाते हुए वह बोला,,,।



अरे सुनती हो भोजन तैयार होगा कि नहीं बहुत देर हो रही है स्टेशन पहुंचना है वरना ट्रेन आ गई तो,,,, मेरे पहुंचने से पहले ही सवारी निकल जाएगी तब कोई फायदा नहीं रहेगा,,,,



थोड़ा रुकिए तैयार हो गया है बस बांध रही हूं,,,,,(रोटी को साफ कपड़े में बांधते हुए)

अरे खुला भी सुन तो जैसे जल्दी से अपने भैया को दे कर आ जा उन्हें बहुत देर हो रही है,,,,(गुलाबी ख्यालों में खोई हुई वहीं पास में कपड़े धो रही थी लेकिन उसे मधु की आवाज सुनाई नहीं दी तो मधु फिर जोर से बोली,,)
अरे सुन रही है या बहरी हो गई है,,,, ना जाने कौन से ख्याल में खोई हुई है,,,,,(मधु कीबातों का असर गुलाबी पर बिल्कुल भी नहीं हो रहा था वह अपनी ही धुन में थी इसलिए मधु को खड़ा होना पड़ा और वह कपड़े धो रही गुलाबी के कंधे को पकड़कर उसे जोर से झगझोरते हुए बोली,,,।)

अरे गुलाबी कौन से ख्यालों में खोई हुई है तुझे कुछ समझ में आ रहा है मैं कब से आवाज लगा रही हूं,,,,।
(मधु के द्वारा इस तरह से झकझोरे जाने पर गुलाबी एकदम से हड़बड़ा कर खड़ी हो गई मानो की किसी ने नींद में से उसे पानी डालकर जगाया हो,,,)


ककककक,,,, क्या हुआ भाभी,,,?(गुलाबी एकदम से हडबडाए हुए स्वर में बोली,,,,)


अरे हुआ कुछ नहीं तू सो गई थी इसलिए तुझे इस तरह से जगाना पड़ा,,,, रात भर जाग रही थी क्या,,,,?


नननन,,,नहीं,,,,नहीं,,,, नहीं तो,,,,, बस थोड़ा सा आंख लग गई थी,,,।(गुलाबी घबराहट के मारे हक लाते हुए बोली,,)

रात भर तेरे भैया मुझे सोने नहीं देते और सुबह तुझे नींद आती है,,,,



भला भैया क्यों तुम्हें सोने नहीं देते,,,,



इतनी ही जानने की उत्सुक है तो जाकर अपने भैया से क्यों नहीं पूछ लेती,,, मुझे सोने क्यों नहीं देते,,,,(रोटी और सब्जी रुमाल में बांदीकुई गुलाबी को थमाते हुए बोली,,,)

जा जाकर अपने भैया को दे कर आ कब से इंतजार कर रहे हैं और पूछ भी लेना कि मुझे रात भर सोने क्यों नहीं देते,,।

(अपनी भाभी की ऐसी बात सुनकर गुलाबी मुस्कुराने लगी क्योंकि अपनी भाभी के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझती थी और अपनी आंखों से देख भी चुकी थी भले ही उसके भैया रात भर उसकी भाभी को जगाते हैं लेकिन साथ में उसके भैया की वजह से वो खुद जागती रहती है,,, अब इस बात को वह अपनी भाभी को तो बता नहीं सकती थी,,,,)


भाभी तुम्हारी समस्या है तुम ही पूछो,,,(इतना कहते हो वह खाना लेकर के पास आ गई ,,, उसके भैया बैलगाड़ी पर सवार हो चुके थे,,,,, और गुलाबी को खाना लेकर आते देखकर वह बोले)

ला जल्दी कर गुलाबी बहुत देर हो रही है,,,,


लो भैया समय पर खा लेना,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी कपड़ों में बंधा हुआ खाना अपने भाई हरिया को समाने लगी और हरी अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे थामने लगा कि तभी उसकी नजर गुलाबी की कुर्ती पर गई जो कि कपड़े धोने की वजह से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और भीगे हुए कुर्ती में से गुलाबी कि दोनों चूचियां एकदम साफ झलक रही थी,,,। और जिस तरह के गंदे कपड़े धोते समय गुलाबी के मन में आ रहे थे उन उत्तेजक ख्यालों की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी थी जिसकी उत्तेजना उसकी दोनों टांगों के बीच की दरार और उसकी चुचीयों में साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसकी चूची की निप्पल तन कर खड़ी हो गई थी,,,, अपनी बहन की झलकती हुई चुची और उसकी कड़ी निप्पल को देखते ही,,, हरिया की धोती में खलबली मचने लगी,,, उसका लंड मुंह उठाकर देखने लगा,,,, हरिया भोजन को थाम ते हुए अपनी आंखों को अपनी बहन की छातियों पर गड़ाए हुए था पहले तो गुलाबी को कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जैसे ही अपने बड़े भाई की नजर के सिधान को वह अपनी छातीयो पर महसूस की,,,उस बात को महसूस क्योंकि उसकी कुर्ती पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और गीली कुर्ती में से उसकी चूचियां साफ़ झलक रही थी उसकी निप्पल साफ झलक रही थी ,,, अपने भैया के नजर को भांपते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, और वह अपनी भाई की प्यासी नजरों को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,,, क्योंकि वह इसी तरह से अपने भैया को अपनी चुचूयों को देखते हुए देखी थी,,,,,,


पल भर में ही गुलाबी की सांसे भारी हो गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,, उसके लिए यह पल बेहद कशमकश भरा हुआ था,,,,उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है लेकिन इतना तो जानती थी कि उसका भाई उसकी चुचियों को देखकर स्तब्ध रह गया है,,,, ऐसा उसके साथ कभी भी नहीं हुआ था कभी भी उसने अपने भाई को इस तरह से गंदी नजरों से देखते नहीं पाई थी,,,, लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा था वह कोई स्वप्न या कल्पना नहीं था ,,,, हकीकत था,,,,, अभी भी गुलाबी उसी तरह से रोटी की पोटली को आगे बढ़ाई हुई थी और उसका भाई हरिया उसे था में हुए था वह पूरी तरह से जडवंत मूर्ति बन चुका था,,,,,,,

हरिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ उठी थी,,, यापन उसके लिए भी बेहद अतुल्य और लुभावना लग रहा था क्योंकि आज तक उसने इतने नजदीक से कभी भी अपनी बहन के खूबसूरत अंगो को देखा नहीं था,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत बहन गुलाबी के संतरे नजर आ रहे थे हालांकि वह कुर्ती के अंदर थे लेकिन कुर्ती के किले होने की वजह से उसका आकार और उसका हल्का का रंग साफ नजर आ रहा था,,,,,,, हरिया के लिए तो यह मौका मानो कि अनजाने में भी पुस के ढेर में रसीले आम नजर आ जाने के बराबर था,,,,इसलिए तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसकी आंखों में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी,,,, हरिया के लिए यह दूसरा मौका था जब अपनी बहन की खूबसूरत अंगों को देख कर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,रात को ही उसने अनजाने में ही अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था उसकी नंगी में गोल गोल गांड को देखकर जिस तरह से उसका लंड ऊबाल मार रहा था उसे अपनी जवानी का दिन याद आ गया था,,,,,, उस समय हरिया अपने आप को किसी तरह से संभाल ले गया था वरना उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़े और अपनी बहन की गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से थाम कर उसे जी भर कर प्यार करें,,,,,,,,


इस हालात में गुलाबी के तन बदन में अजीब सी कसमसाहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कैसे हालत में वह क्या करें वह अपने भैया की हालत को अच्छी तरह से समझ रही थी उसका भाई पूरी तरह से उसकी चूचियों की तरफ आकर्षित हो चुका था,,,,,,, गुलाबी को इस बात का डर था कि जिस लालच भरी निगाहों से उसका उसकी चूची को देख रहा था कहीं वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी चूचीयो को थाम न ले,,,, इसलिए गुलाबी खुद ही इस आकर्षण के भंवर को तोड़ते हुए बोली,,,।


भैया समय मिले तो जल्दी खाना खा लेना,,,,
(गुलाबी की आवाज सुनते ही जैसे हरिया की तंद्रा भंग हुई होगा इस तरह से हर बढ़ाते हुए अपना हाथ पीछे खींच लिया और बिना कुछ बोले और बिना नजर मिला ही बस हां ठीक है बोलकर बैलगाड़ी को आगे की तरफ हांक दिया,,, गुलाबी कुछ देर तक वहीं खड़े अपने भाई को जाकर भी देखती रही और फिर जब एक नजर अपनी छातियों पर घुमाई तो वो खुद शर्मिंदा हो गई क्योंकि उसकी गोल-गोल चूचियां एकदम साफ झलक रही थी,,,, गुलाबी का दील अभी भी जोरों से धड़क रहा था वह वापस घर में आ गई और इस बार मधु की नजर उसकी छातियों पर पड़ी तो वह जोर जोर से हंसने लगी,,,, अपनी भाभी को इस तरह से हंसता हुआ देखकर गुलाबी बोली)


तुम क्यों हंस रही हो तुम्हें क्या हो गया,,,,


अरे मुझे कुछ नहीं हुआ है लेकिन अपनी हालत तो देख तेरी कुर्ती देख पूरी तरह से गीली हो चुकी है और तेरी चूची दिख रही है,,,
(अपनी भाभी के मुंह से चुची सबसे सुनकर गुलाबी गनगना गई,,,,,,)

अरे यह तो कपड़े धोते समय गीला हो गया,,,,(अपनी कुर्ती को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे झाड़ते हुए बोली)


तेरे भैया ने तो देख ही लिया होगा तेरी चूची,,,,


नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,,,


अरे पगली तू नहीं जानती तेरे भैया को चूचियां बड़ी अच्छी लगती है,,,,, देख नहीं रही है मेरी चूची को क्या हाल किए है दबा दबा कर,,,,,(मधु अपनी चूचियों की तरफ नजर डालते हुए बोली,,,,)


अरे भाभी भैया को तो बड़ी-बड़ी चूचियां पसंद होगी ना मेरी तो अभी संतरे जैसी है,,,,


अरे बुद्धू मेरी भी पहले संतरे जैसी ही थी तेरे भैया ने दबा दबा कर मेहनत की है तभी तो खरबूजे जैसी हो गई है,,,,(मधु हंसते हुए बोली)


क्या भाभी तुम भी,,,,(इतना कहकर गुलाबी फिर से कपड़े धोने बैठ गई)


लगता है तेरे भैया ठीक से तेरी चुची को देखे नहीं वरना,,,,,(इतना कहकर मधु चुप हो गई,,,)


वरना क्या भाभी,,,,(गुलाबी कपड़े धोते हुए बोली गुलाबी और जानना चाहती थी इसलिए हो सकता हूं बस अपनी भाभी को बोली थी,, ताकि उसकी भाभी उसे आगे की बात बता सके गुलाबी का दिल जोरो से,,, धड़क रहा था,,,, खास करके उसके भैया से जुड़ी बातें ना जाने क्यों अच्छी लग रही थी,,,, गुलाबी की बात सुनकर मधु बोली,,,,)


वरना क्या ,,,अरे तेरे भैया बैलगाड़ी छोड़कर तुरंत तेरी कुर्ती उतार कर फेंक देते और तेरी चुची दबा दबा कर मुंह में भर कर पीना शुरू कर देते,,,,


धत् भाभी कैसी बातें करती हो,,,,(गुलाबी एकदम से शरमा गई और शर्माते हुए बोली,,,,)


अरे सच कह रही हूं तेरे भैया को तु जानती नहीं है,,,, एक बार मौका देकर देख अपना मोटा तगड़ा लंड तेरी बुर में डालकर तेरी चुदाई करने से भी नहीं चूकेंगे,,,,,
(अपनी भाभी की इस तरह की गंदी बातें सुनकर गुलाबी पूरी तरह से उत्तेजना से गनगना गई,,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी बातें उसके भैया को लेकर इतनी गंदी बात बोलेगी लेकिन गुलाबी को इसमें मजा आ रहा था उसकी बुर पनिया रही थी,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी भी अपनी भाभी को चिढ़ाने के उद्देश्य से बोली,,,)


भाभी अगर भैया मेरे पीछे पड़ जाएंगे तो तुम्हारा क्या होगा तूमे तो भूल ही जाएंगे,,,,


अरे भगवान का लाख-लाख शुक्र होगा जो तेरे भैया मुझे छोड़ कर तेरे पीछे पड़ जाएंगे तो मेरी जान तो बचेगी नही तो रात भर सोने नहीं देते फिर तु झेलना अपने भैया को,,,,
(इतना कहकर गुलाबी काम करने लगी और गुलाबी अपनी भाभी की बातों को कल्पना का रूप देने लगी,,,,, कि कैसे उसके भैया अपने हाथों से उसकी कुर्ती निकाल कर उसके संतरे जैसी चूची को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहे हैं और उसे मुंह में भरकर पी रहे हैं इसके बाद अपनी गोद में उठाकर खटिया पर लेटाते हुएसलवार की डोरी को अपने हाथों से खोल कर उसकी सलवार उतार कर खटिया से नीचे फेंक दिया और अपने मोटे तगड़े लंड को हिलाते हुए खटिया पर चढ़कर उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल दिया और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिए इस कल्पना को करते हुए गुलाबी कपड़े धोना भुल गई और इस कल्पना में इस कदर खोई की उसकी बुर से पानी निकल गया
 

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