बैलगाड़ी

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धीरे-धीरे राजू झुमरी के प्यार में पागल हो गया था,,, उसे हर जगह सोते जागते उठते बैठते सिर्फ झुमरी ही नजर आती थी,,, झुमरी से‌ वह सच्चा वाला प्यार करने लगा था,,,,,, उसके साथ किसी भी तरह से बना वक्त बिताना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिलता था,,,। लेकिन रात को अपनी बुआ की रोज चुदाई करता था,,,,और बुआ भी दिन भर की थकान राजू के मोटे लंड को अपनी बुर में लेकर मिटा देती थी,,,,,,,,,,, लेकिन गुलाबी का मन अपने बड़े भैया से भी चुदवाने का करता था क्योंकि उसे भी अपनी बुर में कुछ अलग अलग अनुभव चाहिए था,,,, रोज रोज एक ही लंड बुर में डलवाकर उसे कुछ नयापन महसूस नहीं हो पा रहा था और वैसे भी,,, अपने बड़े भैया के लंड को अपनी बुर में बड़े आराम से ले सकती थी,,,,,,क्योंकि उसके बड़े भैया और गुलाबी दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की चीजें नहीं थी एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद गुलाबी अपने बड़े भैया से पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन बड़ा भाई होने के नाते हरिया को अपनी गलती पर पछतावा होता था उसे अपने आप पर बुलाने महसूस होती थी,,,, इसलिए वह अपनी छोटी बहन से कतराता रहता था,,,। लेकिन स्वाद तो गुलाबी की गुलाबी बुर का उसे भी लग गया था,,,,।


ऐसे ही एक दिन शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो चुका था और,,, मधु चूल्हे के आगे बैठकर रोटियां सेक रही थी ,,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से मधु का तन बदन पसीने से तरबतर हो चुका था पसीने से उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग चुका था,,,,,,,, तभी गुलाबी अपनी भाभी की मदद करने के लिए उधर आई और बोली,,।


लाओ भाभी गर्मी बहुत है मै रोटियां बेल देती हूं,,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी वहां बैठने ही वाली थी कि अभी उसकी भाभी बोली,,,)


नहीं नहीं मैं कर लूंगी तू जा कर देख तेरे भैया अभी तक आए कि नहीं,,,, और हां आए हो तो एक बाल्टी पानी लेकर चली जाना बेल को पानी देना है,,,।


ठीक है भाभी,,,,(इतना कहकर वह उठ खड़ी हुई जाने के लिए कि तभी उसकी भाभी फिर बोली)


और हां जाते-जाते,,, राजू को इधर भेज देना लालटेन जलाने के लिए अंधेरा बहुत है,,,


ठीक है भाभी,,,,,,(और इतना कहकर गुलाबी घर के बाहर चली गई और बाहर ही उसे राजु नजर आ गया और वह राजू से बोली,,,)


जा तुझे भाभी बुला रही है,,,


किस लिए,,,,


आज भाभी का मन तेरा लेने को कर रहा है इसलिए,,,


धत्,,,, कैसी बातें करती हो,,,


अरे तो क्या और कैसी बातें करूं वहां जाएगा तब ना पता चलेगा कि भाभी तुझे किस लिए बुलाई है,,, मैं बुलाती तो तेरा लेने के लिए ही बुलाती,,,।



बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या बुआ,,,?


सच कहूं तो आप तो सारा दिन खुजली होती रहती है मेरा बस चले तो तेरा अपनी बुर में लेकर पड़ी रहुं,,,,(गुलाबी अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, अपनी बुआ की गरम बातों को सुनकर राजू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत सलवार के ऊपर से अपनी बुआ की बुर पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)


रात को मिलना आज सारी खुजली मिटा दूंगा,,,


रोज रात को तो मिलती हूं,,,, फिर भी कसर रह जाती हैं,,,


आज नहीं रह जाएगी,,, आज सारी कसर उतार दूंगा,,,,,


वह तो रात को ही पता चलेगा,,,,,,
(इतना कहकर गुलाबी आगे बढ़ गई,,, राजू घर के अंदर चला गया,,, अभी तक उसके भैया नहीं आए थे इसलिए वह वहीं बैठ कर अपने भैया का इंतजार करने लगी और अपने मन में सोचने लगे कि एक बार की चुदाई के बाद उसके भैया उसके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है जबकि उसके भैया उसकी भाभी की तो रोज लेते हैं,,,,,,गुलाबी को इसीलिए समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें कौन सी कमी है कि उसके भैया दोबारा उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किए,,, वह अपने मन में यही सोच कर वही खड़ी रह गई ,, वह आज अपने भैया से पूछना चाहती थी कि उसमें कौन सी कमी है जो दोबारा उन्होंने उसकी चुदाई नही कीए है ,,जबकि आज उसका मन बहुत कर रहा था अपने भैया से चुदवाने का,,,,,


दूसरी तरफ रसोई घर में पहुंचते ही राजू अपनी मां से बोला,,,।


क्या हुआ मां,,,?


अरे कुछ नहीं बेटा लालटेन तो जला दे एकदम अंधेरा छाया हुआ है,,,


ठीक है मां,,,, दियासलाई कहा है,,?



अरे चुल्हे में से आग लेकर जला दे बेवजह दियासलाई की तिल्ली खराब करेगा,,,,,,,(तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,,अपनी मां के लिए बातें सुनकर राजु कुछ बोला नहीं औरनीचे बैठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया है और चूल्हे में जल रही पतली लकड़ी को निकालने लगा कि तभी उसकी नजर अपनी मां की भरी हुई छातियों पर पड़ी जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,,ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया,,,,,,,यह दूसरी बार था जब रसोईघर में अपनी मां की छातियों को प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,। राजू पूरी तरह से अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली छातियों के आकर्षण में खो गया,,, उसे इतना भी होश नहीं रहा कि उसे लालटेन जलाना है,,,, गर्मी ज्यादा होने की वजह से मधु ने पहले से ही अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल रखी थी जिससे उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर बड़े आराम से अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,,, राजू का मन अपनी मां के दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में दबोचने को करने लगा,,,,। पल भर में ही राजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि वह जानता था कि भले ही उसके हाथों में बहुत सारी चुचीयां आ चुकी थी जिसे मुंह में लेकर वह पी भी चुका था लेकिनउसकी मां की चूचियों की बात ही कुछ और थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगती थी,,,,,, रोटियां बेलते समय जैसे ही मधु की नजर अपने बेटे पर पड़ी तो उसकी नजरों को देखकर वह एकदम से सिहर उठी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को निहार रहा है वो एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सीधे सीधे अपने बेटे को बोलने में भी उसे शर्म का आभास हो रहा था इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोली,,,।



अरे लालटेन जलाएगा कितना अंधेरा है,,,।

हां,,, हां,,,, जलाता हूं,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही राजू हडबडाते हुए बोला,,, और तुरंत चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी लेकर उसे से लालटेन को जलाने लगा और थोड़ी देर में अंधेरे को चीरता हुआ उजाला पूरे कमरे में फैल गया,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे लग रहा था कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,,,, लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए उसे लगने लगा कि उसकी मां का ध्यान उसके हरकत पर नहीं गई है,,,, और अपनी गलती को सुधारते हुए वह आंगन में पड़े खटिया पर जाकर लेट गया,,,, लेकिन मधु के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी कि उसके बेटे का ध्यान उसकी चूचियों पर ही था और इसलिए वह अपने बेटे की इस तरह की हरकत से हैरान थी,,, पहले भी अपने बेटे की इस तरह की हरकत को पकड़ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा आखिरकार ऐसी हरकत क्यों कर रहा है क्यों उसके बदन को प्यासी नजरों से घूरता रहता है,,,, क्या वह जवान हो गया है,,, अपने इस सवाल का जवाब खुद ही देते हुए अपने मन में बोली,,, हां जवान तो वो हो गया है,,, और जिसका अनुभव हुआ कुवे पर ले भी चुकी थी,,, उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड की दरार के बीच बीच महसूस भी कर चुकी थी,,,,,। अपने बेटे की इस तरह की हरकत को याद करके उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका बेटा भी है पूरी तरह से जवान हो गया है और दूसरे लड़कों की तरह ही औरतों मैं दिलचस्पी लेने लगा है तभी तो वह अपनी मां की खूबसूरत बदन को चोरी-छिपे देखते रहता है,,,,।


मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत परवाह गुस्सा करें कि उसे समझाएं क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगती थी अभी रोटी बनाते समय भी इस हरकत के चलते उसे अपनी बुर गीली होती महसूस होने लगी थी,,,, जैसे तैसे करके वहां अपना ध्यान रोटी बनाने में लगाने लगी और दूसरी तरफ बैलों के पेरो में बंधे घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, गुलाबी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी,,,, वह बड़ी बेसब्री से अपने भैया के पास आने का इंतजार करने लगी,,,पर थोड़ी ही देर में घूम रही आवाज एकदम पास आने लगी और देखते ही देखते हरिया अपने बेल गाड़ी को लेकर घर पहुंच गया,,,, उसका भैया अभी बैलगाड़ी से उतरा नहीं था कि तभी गुलाबी बोली,,,।


क्या भैया आज बड़ी देर लगा दी,,,


हां,,, हां गुलाबी आज सवारी बहुत अच्छी मिल गई थी दो चार पैसे की ज्यादा आमदनी हो गई है इसलिए तो आज मैं गरमा गरम जलेबी या ले कर आया हूं,,,,



अरे वाहहह जलेबियां मेरा तो सुनकर ही मुंह में पानी आने लगा,,,,
(जलेबी का नाम सुनकर गुलाबी की हालत को हरिया की तरह से समझ रहा था क्योंकि उसे जलेबी बहुत पसंद थी लेकिन जिस अदा से उसने मुंह में पानी आने वाली बात की थी,,,, उसकी बात को सुनकर हरिया की धोती में हलचल होने लगी थी,,,)
 
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धीरे-धीरे राजू झुमरी के प्यार में पागल हो गया था,,, उसे हर जगह सोते जागते उठते बैठते सिर्फ झुमरी ही नजर आती थी,,, झुमरी से‌ वह सच्चा वाला प्यार करने लगा था,,,,,, उसके साथ किसी भी तरह से बना वक्त बिताना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिलता था,,,। लेकिन रात को अपनी बुआ की रोज चुदाई करता था,,,,और बुआ भी दिन भर की थकान राजू के मोटे लंड को अपनी बुर में लेकर मिटा देती थी,,,,,,,,,,, लेकिन गुलाबी का मन अपने बड़े भैया से भी चुदवाने का करता था क्योंकि उसे भी अपनी बुर में कुछ अलग अलग अनुभव चाहिए था,,,, रोज रोज एक ही लंड बुर में डलवाकर उसे कुछ नयापन महसूस नहीं हो पा रहा था और वैसे भी,,, अपने बड़े भैया के लंड को अपनी बुर में बड़े आराम से ले सकती थी,,,,,,क्योंकि उसके बड़े भैया और गुलाबी दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की चीजें नहीं थी एक बार शारीरिक संबंध बनाने के बाद गुलाबी अपने बड़े भैया से पूरी तरह से खुल चुकी थी लेकिन बड़ा भाई होने के नाते हरिया को अपनी गलती पर पछतावा होता था उसे अपने आप पर बुलाने महसूस होती थी,,,, इसलिए वह अपनी छोटी बहन से कतराता रहता था,,,। लेकिन स्वाद तो गुलाबी की गुलाबी बुर का उसे भी लग गया था,,,,।


ऐसे ही एक दिन शाम ढल चुकी थी अंधेरा हो चुका था और,,, मधु चूल्हे के आगे बैठकर रोटियां सेक रही थी ,,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से मधु का तन बदन पसीने से तरबतर हो चुका था पसीने से उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग चुका था,,,,,,,, तभी गुलाबी अपनी भाभी की मदद करने के लिए उधर आई और बोली,,।


लाओ भाभी गर्मी बहुत है मै रोटियां बेल देती हूं,,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी वहां बैठने ही वाली थी कि अभी उसकी भाभी बोली,,,)


नहीं नहीं मैं कर लूंगी तू जा कर देख तेरे भैया अभी तक आए कि नहीं,,,, और हां आए हो तो एक बाल्टी पानी लेकर चली जाना बेल को पानी देना है,,,।


ठीक है भाभी,,,,(इतना कहकर वह उठ खड़ी हुई जाने के लिए कि तभी उसकी भाभी फिर बोली)


और हां जाते-जाते,,, राजू को इधर भेज देना लालटेन जलाने के लिए अंधेरा बहुत है,,,


ठीक है भाभी,,,,,,(और इतना कहकर गुलाबी घर के बाहर चली गई और बाहर ही उसे राजु नजर आ गया और वह राजू से बोली,,,)


जा तुझे भाभी बुला रही है,,,


किस लिए,,,,


आज भाभी का मन तेरा लेने को कर रहा है इसलिए,,,


धत्,,,, कैसी बातें करती हो,,,


अरे तो क्या और कैसी बातें करूं वहां जाएगा तब ना पता चलेगा कि भाभी तुझे किस लिए बुलाई है,,, मैं बुलाती तो तेरा लेने के लिए ही बुलाती,,,।



बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या बुआ,,,?


सच कहूं तो आप तो सारा दिन खुजली होती रहती है मेरा बस चले तो तेरा अपनी बुर में लेकर पड़ी रहुं,,,,(गुलाबी अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, अपनी बुआ की गरम बातों को सुनकर राजू के पजामे में तंबू बनना शुरू हो गया था इसलिए अंधेरे का फायदा उठाते हुए राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर तुरंत सलवार के ऊपर से अपनी बुआ की बुर पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)


रात को मिलना आज सारी खुजली मिटा दूंगा,,,


रोज रात को तो मिलती हूं,,,, फिर भी कसर रह जाती हैं,,,


आज नहीं रह जाएगी,,, आज सारी कसर उतार दूंगा,,,,,


वह तो रात को ही पता चलेगा,,,,,,
(इतना कहकर गुलाबी आगे बढ़ गई,,, राजू घर के अंदर चला गया,,, अभी तक उसके भैया नहीं आए थे इसलिए वह वहीं बैठ कर अपने भैया का इंतजार करने लगी और अपने मन में सोचने लगे कि एक बार की चुदाई के बाद उसके भैया उसके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है जबकि उसके भैया उसकी भाभी की तो रोज लेते हैं,,,,,,गुलाबी को इसीलिए समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें कौन सी कमी है कि उसके भैया दोबारा उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किए,,, वह अपने मन में यही सोच कर वही खड़ी रह गई ,, वह आज अपने भैया से पूछना चाहती थी कि उसमें कौन सी कमी है जो दोबारा उन्होंने उसकी चुदाई नही कीए है ,,जबकि आज उसका मन बहुत कर रहा था अपने भैया से चुदवाने का,,,,,


दूसरी तरफ रसोई घर में पहुंचते ही राजू अपनी मां से बोला,,,।


क्या हुआ मां,,,?


अरे कुछ नहीं बेटा लालटेन तो जला दे एकदम अंधेरा छाया हुआ है,,,


ठीक है मां,,,, दियासलाई कहा है,,?



अरे चुल्हे में से आग लेकर जला दे बेवजह दियासलाई की तिल्ली खराब करेगा,,,,,,,(तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,,अपनी मां के लिए बातें सुनकर राजु कुछ बोला नहीं औरनीचे बैठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया है और चूल्हे में जल रही पतली लकड़ी को निकालने लगा कि तभी उसकी नजर अपनी मां की भरी हुई छातियों पर पड़ी जिस पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,,ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया,,,,,,,यह दूसरी बार था जब रसोईघर में अपनी मां की छातियों को प्यासी नजरों से घुर रहा था,,,। राजू पूरी तरह से अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली छातियों के आकर्षण में खो गया,,, उसे इतना भी होश नहीं रहा कि उसे लालटेन जलाना है,,,, गर्मी ज्यादा होने की वजह से मधु ने पहले से ही अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल रखी थी जिससे उसके ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर बड़े आराम से अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,,, राजू का मन अपनी मां के दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में दबोचने को करने लगा,,,,। पल भर में ही राजू की हालत खराब होने लगी क्योंकि वह जानता था कि भले ही उसके हाथों में बहुत सारी चुचीयां आ चुकी थी जिसे मुंह में लेकर वह पी भी चुका था लेकिनउसकी मां की चूचियों की बात ही कुछ और थी जिसे देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटने लगती थी,,,,,, रोटियां बेलते समय जैसे ही मधु की नजर अपने बेटे पर पड़ी तो उसकी नजरों को देखकर वह एकदम से सिहर उठी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को निहार रहा है वो एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सीधे सीधे अपने बेटे को बोलने में भी उसे शर्म का आभास हो रहा था इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोली,,,।



अरे लालटेन जलाएगा कितना अंधेरा है,,,।

हां,,, हां,,,, जलाता हूं,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही राजू हडबडाते हुए बोला,,, और तुरंत चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी लेकर उसे से लालटेन को जलाने लगा और थोड़ी देर में अंधेरे को चीरता हुआ उजाला पूरे कमरे में फैल गया,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे लग रहा था कि जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,,,, लेकिन फिर भी उसकी मां उसे कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए उसे लगने लगा कि उसकी मां का ध्यान उसके हरकत पर नहीं गई है,,,, और अपनी गलती को सुधारते हुए वह आंगन में पड़े खटिया पर जाकर लेट गया,,,, लेकिन मधु के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी कि उसके बेटे का ध्यान उसकी चूचियों पर ही था और इसलिए वह अपने बेटे की इस तरह की हरकत से हैरान थी,,, पहले भी अपने बेटे की इस तरह की हरकत को पकड़ चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा आखिरकार ऐसी हरकत क्यों कर रहा है क्यों उसके बदन को प्यासी नजरों से घूरता रहता है,,,, क्या वह जवान हो गया है,,, अपने इस सवाल का जवाब खुद ही देते हुए अपने मन में बोली,,, हां जवान तो वो हो गया है,,, और जिसका अनुभव हुआ कुवे पर ले भी चुकी थी,,, उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी गांड की दरार के बीच बीच महसूस भी कर चुकी थी,,,,,। अपने बेटे की इस तरह की हरकत को याद करके उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका बेटा भी है पूरी तरह से जवान हो गया है और दूसरे लड़कों की तरह ही औरतों मैं दिलचस्पी लेने लगा है तभी तो वह अपनी मां की खूबसूरत बदन को चोरी-छिपे देखते रहता है,,,,।


मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत परवाह गुस्सा करें कि उसे समझाएं क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगती थी अभी रोटी बनाते समय भी इस हरकत के चलते उसे अपनी बुर गीली होती महसूस होने लगी थी,,,, जैसे तैसे करके वहां अपना ध्यान रोटी बनाने में लगाने लगी और दूसरी तरफ बैलों के पेरो में बंधे घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, गुलाबी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी,,,, वह बड़ी बेसब्री से अपने भैया के पास आने का इंतजार करने लगी,,,पर थोड़ी ही देर में घूम रही आवाज एकदम पास आने लगी और देखते ही देखते हरिया अपने बेल गाड़ी को लेकर घर पहुंच गया,,,, उसका भैया अभी बैलगाड़ी से उतरा नहीं था कि तभी गुलाबी बोली,,,।


क्या भैया आज बड़ी देर लगा दी,,,


हां,,, हां गुलाबी आज सवारी बहुत अच्छी मिल गई थी दो चार पैसे की ज्यादा आमदनी हो गई है इसलिए तो आज मैं गरमा गरम जलेबी या ले कर आया हूं,,,,



अरे वाहहह जलेबियां मेरा तो सुनकर ही मुंह में पानी आने लगा,,,,
(जलेबी का नाम सुनकर गुलाबी की हालत को हरिया की तरह से समझ रहा था क्योंकि उसे जलेबी बहुत पसंद थी लेकिन जिस अदा से उसने मुंह में पानी आने वाली बात की थी,,,, उसकी बात को सुनकर हरिया की धोती में हलचल होने लगी थी,,,)
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
मजा आ गया
 
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जलेबी की मिठास मधु की बुर में नमकीन रस घोल रही थी,,,घर पर जलेबी आने का मतलब को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि जब से वह शादी करके घर आई थी तब से निरंतर यह चलता ही आ रहा था,,,।इसलिए रह रह कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी और शर्म से उसके गाल लाल हुए जा रहे थे,,,, आज उसकी जमकर सेवा होने वाली थी,,,। गुलाबी अपनी मंशा को पूरी कर चुकी थी इस तरह से चोरी-छिपे चुदवाने में जो आनंद आता है उसका लुफ्त उठा कर गुलाबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, अपनी रस भरी जवानी पर उसे पूरा विश्वास था क्योंकि वह जानती थी कि अपनी खूबसूरती से वह अपने भैया को अपनी तरफ आकर्षित कर लेगी क्योंकि उसका भाई एक बार संबंध बनाने के बाद उससे कतराने लगा था और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,पहले अपनी बातों से गर्म करने के बाद अपनी कामुक हरकतों से वह अपने बड़े भैया को पूरी तरह से अपनी जवानी के रस में घोलकर उसके साथ दुबारा शारीरिक संबंध बना ही ली और गुलाबी की कामुक हरकत की वजह से हरिया भी,,अपने कदमों पर अपने वचन पर कायम नहीं रह पाया और सब कुछ एक तरफ रख कर वह अपनी बहन की मद भरी जवानी में खो गया,,, हरिया चलेगी इसीलिए ही खरीदा था कि घर पर चलकर अपनी बीवी को जलेबी खिला कर रात भर उसकी जवानी का रस चखेगा लेकिन उससे पहले ही उसकी बहन ने ही उसे अपनी जवानी का रस पिला दी,,, जिससे उसका हौसला और बुलंद हो गया था,,,। घर के किसी भी सदस्य को कानों कान इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि घर का जिम्मेदार सदस्य घर के पीछे अपनी बहन की चुदाई कर रहा है,,,,।


खाना खाने के बाद,,, मधु और हरिया अपने कमरे में चले गए,,,,, गुलाबी राजू के आने से पहले भी कमरे में जाकर खटिया पर लेट गई थी वह राजू से चुदवाना चाहती थी,,, लेकिन राज्यों के आने से पहले ही उसकी आंख लग गई और वह सो गई राजू जब कमरे में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बुआ गहरी नींद में सो रही है,,,, राजू को इस बात का इत्मीनान था कि वह कभी भी अपनी बुआ की चुदाई करके संतुष्ट हो सकता है इसलिए अपनी बुआ को जगाना हुआ उचित नहीं समझा लेकिन खटिया पर लेटे लेटे उसे नींद नहीं आ रही थी,,,। क्या किया जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था रह-रहकर उसे झुमरी की याद आ रही थी दिन का समय होता तो वह झुमरी से मिलने के लिएउसके घर चला गया होता लेकिन रात का समय था इसलिए जाना उचित नहीं था लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि बहुत दिन हो गए हैं बगल वाले कमरे में तांक-झांक कीए क्यों ना आज फिर से वही काम किया जाए जिसे देखकर ही जवानी का मजा लूट रहा है,,, यही सोचकर वह खटिया पर से नीचे उतरा और उसी छोटे से छेद वाली जगह पर पहुंच गया,,,, खाना बनाते समय में अपनी मां की चुचीयों की घेराइयों को देखकर पहले ही वह उत्तेजित हो चुका था इसलिए इस समय उसके मन में अपनी मां को नंगी देखने की इच्छा प्रबलीत हो रही थी वह अपनी मां को एक बार फिर से नंगी देखना चाहता था उसके हर गम को को अपनी आंखों से उसके मदन रस को पीना चाहता था,,,,,,। आज भी उसे अपनी मां नंगी देखने को मिलेगी इसी आज के साथ हुआ छोटे से छेद से अपनी आंख टीका दिया,,, तो सामने ही उसकी मां नजर आई जो छोटे से कमरे में बनी छोटे से गुसल खाने मैं जहां पर पीने का पानी रखा जाता है और रात के समय उसकी मां पेशाब करने के लिए उसी का इस्तेमाल करती थी वहीं पर देखा कि उसकी मां खड़ी थी और मटके में से पानी निकाल कर पी रही थी बगल वाले कमरे में भी लालटेन अपनी पूरी रोशनी बिखेर रहा था जिससे कमरे का हर एक कोना नजर आ रहा था,,,,,,, अपनी मां को पानी पीता देखकर ना जाने क्यों इतने सही राजू उत्तेजित होने लगा,,,, राजू की मां पानी पीने के बाद ग्लास को वही रख कर हरिया की तरफ देखी और मुस्कुराने लगी हरिया हमेशा की तरह खटिया पर पीठ के बल लेटा हुआ था लेकिन उसके बदन पर पूरा वस्त्र था उसने अभी अपने कपड़े निकाले नहीं थे,,,,।

अरे वही खड़ी देखती ही रहोगी कि आओगी भी,,,,।


अरे आ रही हूं थोड़ा सब्र कीजिए आप तो एकदम उतावले हो जाते हैं,,,।


क्या करूं मेरी जान इसीलिए तो आज जलेबी लेकर आया था कि आज सारी रात तुम्हारी लेकर मस्त हो जाऊंगा,,,


रोका किसने है आप जलेबी लेकर आए थे तभी मैं समझ गई थी और रात भर की तैयारी के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी,,,। तुम्हारा जलेबी लाने के मतलब को मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,,(मधु वही खड़ी खड़ी मुस्कुराते हुए बोल रही थी राजू को भी अब जलेबी लाने के पीछे का मकसद पता चलने का वह समझ गया कि उसके पिताजी घर पर जलेबी लाकर उसकी मां को जलेबी खिला कर रात भर उसकी चुदाई करते हैं,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी वह अपनी मां को जल्द से जल्द नंगी देखना चाहता था उसकी चूचियों को खास करके वहां नंगी देखने के लिए मचल रहा था,,, तभी राजू ने जो देखा उससे उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, उसकी मां उसी छोटे से बने खुसर खाने में खड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा

रही थी और देखते-देखते राजू की आंखों के सामने ही उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी,,,। राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी उठने लगी,,, उसके लंड की नसों में उसकी मां की मदहोशी बहने लगी,,,। राजू की सांसे पल भर में गहरी चलने लगी राजू की आंखों के सामने भले ही मधु इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छुपे देखता है वह निश्चिंत होकर मुत रही थी,,,उसकी मौत ने की वजह से उसकी पूजा दी पत्तियों के पीछे से जो मधुर संगीत निकल रही थी वह राजू के कानों तक पहुंच रही थी जिसे देखकर पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना था वह पहले भी औरतों को पेशाब करते हुए टिकट और उसका सुख प्राप्त कर चुका था लेकिन अपनी मां को पेशाब करते हुए देखने में जो सुकून मिलता था उससे वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर पाता था जिसे देखकर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगता था उस पल में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था और यही हो भी रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुत रही थी और जिसे देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया था,,,,,, राजू इस दृश्य की मादकता को बर्दाश्त कर सकने में असमर्थ था वहीं दूसरी तरफ उसका बाप बड़े आराम से इस दृश्य को देख रहा था और धोती के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,, हरिया बड़े आराम से शहर जो करिश्मा रखता परिदृश्य को इसीलिए शायद देख रहा था क्योंकि वह उस औरत को रोज चोदता था उस पर उसका पूरा हक था जिसे जब चाहे तब उसकी चुदाई कर सकता था और राजू इस दृश्य को देखकर इसलिए असहज हो रहा था क्योंकि,,, राजू के लिए उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली औरत पर उसका उस तरह का हक नहीं था कि वहां जब चाहे तब उसे बिस्तर पर ले जाकर उसकी चुदाई कर दे उसके साथ संभोग सुख प्राप्त कर सके इसलिए यह दृश्य राजू के लिए बेहद कामुकता भरा था,,,।

देखते ही देखते राजू की मा उसकी आंखों के सामने मुत कर खडी हो गई,,,लेकिन वह खड़ी होने के बावजूद भी कमर से अपनी शादी तो नीचे नहीं गिरा है बल्कि उसी तरह से कमर से अपनी साड़ी को पकड़े हुए ही अपनी नंगी गांड को मटकाते हुए राजू के पिताजी के करीब जाकर खड़ी हो गई राजू एक बार फिर से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां को इस रूप में देख रहा हो,, वह पहले भी अपनी मां को इस रूप में देख चुका था नंगी चुदवाते हुए,,, लेकिन फिर भी यह कसक ऐसी थी कि जब-जब राजू अपनी मां को इस रूप में नंगी देखता था तुम से ही लगता था कि वह पहली बार देख रहा है और उसकी उत्तेजना हर बार बढ़ती ही जाती थी,,,,।


राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से चुदवाया हो गया था,,, उसका मन कर रहा था कि नींद में ही सही अपनी बुआ की चुदाई कर दे,,, लेकिन शायद खुद चुदाई करने से ज्यादा सुख उसे अपनी मां को इस रूप में देखने से प्राप्त हो रहा था इसलिए वह इस लालच में वही रुक आ रहा और अपनी मां की गंदी हरकत को देखकर मस्त होता रहा उसके पिताजी खटिया पर लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी नंगी गांड को सहलाने लगे और बोले,,,,,,

आज तो बहुत मजा आएगा,,,( और इतना कहने के साथ ही वह मधु को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया,,, और उसकी नंगी गांड को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर दबाने लगा,,,। इस तरह का दृश्य हर बार देखने पर राजू के तन बदन में मदहोशी की ताजगी भर देती थी,,,, हरीया पूरा जोर लगा कर अपनी बीवी की गांड अपनी हथेली में दबोच ते हुए दबा रहा था और राजू की मां को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुट रही थी,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे,,, वह बार-बार अपनी बुआ गुलाबी की तरफ देख ले रहा था,,, क्योंकि वह अपने मन में सोच रहा था कि,,, अगर उसकी बुआ की नींद खुल जाए तो वह भी अपनी सारी गर्मी अपनी बुआ की बुर में निकाल दे,,, लेकिन फिर भी जो कुछ भी अपनी आंखों से देख रहा था उसके लिए बहुत था,,, क्योंकि जब भी वह दीवार के छोटे से छेद में से बगल वाले कमरे में जाता था तब तक उसे कुछ सीखने को ही मिलता था एक तरह से बगल वाला कमरा उसके लिए एक पाठशाला हो गई थी जिसमें संभोग का हर एक अध्याय के हर एक पन्ने को वह अपनी आंखों से पढ़ रहा था और उसे कुछ सीख रहा था,,,, उसके पिताजी और उसकी मां उसके लिए अध्यापक का काम कर रहे थे,,,,, की मां की खूबसूरत बदन में कितनी गर्मी है राजू अपनी आंखों से कई बार देख चुका है लेकिन यह देखने की प्यास थी कि बुझती ही नहीं थी,,,,,,।

मधु अपने पति के जांघों पर बैठ गई और अपनी ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,,, राजू कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपनी मां का यह रूप उसे बेहद कामुक लगता था ऐसा लगता था कि जैसे खुद काम देवी उसकी आंखों के सामने बैठी हो,,, चूची के आकार से कम नाथ का ब्लाउज होने के नाते मधु का ब्लाउज पूरी तरह से कसा हुआ होता था ऐसा लग रहा था कि जैसे दो खरबूजे उसके ब्लाउज में ठुंस ठुंस कर भरे हुए हो,,,ऐसा नहीं था कि मधु की चूचियां छोटी थी उसका वास्तविक रूप ही खरबूजे की तरह था जिसे देख कर दुनिया के हर एक मर्द के मुंह में पानी आ जाता था देखते ही देखते राजू कि मैं आपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के खुलते ही उसके दोनों खरबूजे उसकी छातियों की शोभा बढ़ाते हुए लटक गए हालांकि उसकी चुचियों में लटकन बिल्कुल भी नहीं था एकदम तनी हुई दुश्मन को आंख दिखाती हुई नजर आ रही थी,,,, हरिया अपनी बीवी की चूचियों को जी जान से प्यार करता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी की चूचियां लाखों में एक थी,,, और अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों के आकार और उसके आकर्षण से राजू भी वाकीफ था क्योंकि उसके जीवन में भी धीरे-धीरे करके बहुत सी औरतें आती जा रही थी लेकिन जो आकर्षण उसे अपनी मां की चुचियों से प्राप्त हो रहा था एक ऐसा आकर्षण उसे अभी तक किसी भी औरत की चुची में नजर नहीं आया था इसीलिए तो इस समय भी अपनी मां की चूची को देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,।राजू की लालच को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके पिताजी अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राजू की मां की दोनों चूची को पके हुए पपीते की तरह थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,,, अपने पिताजी की हरकत को देखकर राजू के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसके पिताजी की जगह वो होता तो ओर ज्यादा मजा आता,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,राजू के पिताजी उसकी मां की चूचीयो में व्यस्त थे और उसकी मां अपने ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर अलग कर रही थी,,, देखते ही देखते राजू की मां अपने ब्लाउस निकालकर खटिया के नीचे फेंक दी और यही हाल होता है,,, जब कामुकता और उत्तेजना बदन में पूरी तरह से
असर कर जाती है तो यही होता है,,, औरत और मर्द दोनों एक दूसरे में समाने की जल्दबाजी में अपने कपड़े उतार उतार कर फेंकना शुरू कर देते हैं और यही हाल मधु का भी था अपना ब्लाउज उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी,,,।
स्तन मर्दन का मजा राजू की माफी पूरे जोश के साथ लेती थी,,, चूची दबाने में जितना मजा मर्दों को आता है उससे कहीं ज्यादा मजा औरतों को आता है,,, इसीलिए तो राजू की मां गरमा गरम सिसकारी के साथ चूची दबवाने का आनंद लूट रही थी,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,ऊईईईई, मां,,,,ऊमममममम,,,।

इस तरह की गरमा गरम आवाज को सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,,। थोड़ी देर बाद हरिया अपने ऊपर बैठे अपनी बीवी की साड़ी की गांठ को खोलने लगा और अगले ही पल वह अपनी बीवी की कमर पर से साड़ी को धीरे धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते हरिया मधु की साड़ी,, उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,धीरे-धीरे राजू अपनी मां को नंगी होता हुआ देख रहा था उसके बदन पर केवल उसका पेटीकोट नहीं किया था जिस की डोरी को पकड़कर उसके पिताजी खींच दीए थे,,,,, और अपने पति का साथ देते हुए मधु उसी अवस्था में खड़ी हो गई,,,,और अपनी कमर से कसी हुई पेटीकोट को ढीली करके उसे यूं ही छोड़ दी राजू अपनी आंखों से मादकता भरे नजारे को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, राजू की मां खटिया पर एकदम नंगी खड़ी थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका वजन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,,,, जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,। राजू का लंड पूरी तरह से मचल रहा था अपनी मां की बुर में जाने के लिए,,, लेकिन शायद अभी उसकी किस्मत में यह नहीं लिखा था,,,, केवल देखकर ही वह संतोष प्राप्त कर रहा था,,,,,।


सच कहूं तो मधु तुम नंगी होने के बाद स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह नजर आती हो,,,।


अप्सरा देखे हैं क्या आप,,,?( बारी बारी से एक एक टांग ऊपर करके अपने पेटिकोट को अपनी टांगों में से निकलते हुए बोली,,,)

तुम्हें देख लिया तो स्वर्ग की अप्सरा को भी देख लिया इतना तो मैं जानता हूं कि स्वर्ग की अप्सरा भी तुमसे ज्यादा खूबसूरत नजर नहीं आती होगी,,,।


हटीए,,,, बेवजह बातें बनाते हैं,,,(मधु शर्माते हुए बोली,,,)


सच कह रहा हूं मेरी रानी,,,,(नंगी चिकनी मांसल पिंडलियों को सहलाता हुआ हरिया बोला,,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मां खटिया पर खड़ी थी और अपने हाथों से अपनी चुचियों को मसल रही थी,,, शायद यह घर पर जलेबी लाने का असर था जो भी दोनों को पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था,,,,)

अपने कपड़े उतारो कि सिर्फ मेरे ही उतरवा लिए,,,



अरे मेरी जान चिंता क्यों करती हो बिना कपड़े उतारे मजा लेने वाला नहीं हूं कपड़े उतार कर ही मजा आता है,,,।
(इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी धोती को खोलने लगा और अगले ही पल धोती को उतार कर नीचे फेंक दिया उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा था कुछ देर पहले ही वह अपनी बहन की चुदाई कर चुका था,,, लेकिन फिर भी उसका लंड खड़ा था जिसका एक ही कारण था मधु,,, मधु की खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर मुर्दे में भी जान आ जाए,,, अपने पति के खड़े लंड को देखकर मधुर मुस्कुराने लगी यह देख कर राजू को जलन होने लगी क्योंकि वह जानता था कि उसका लंड उसके पिताजी से कई मायने में जबरदस्त मोटा तगड़ा और लंबा है और उसकी मा है की ,,, उसके बाप के आधे लंड को देखकर,,, खुश हो रही है राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां उसके लंड को देख लेगी तो तब तो खुद ही उसके लिए साड़ी उठा देगी,,,, फिर अपने मन में मां यह सोचने लगा कि अभी तक उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन नहीं कराए हैं वरना उसकी मां ना जाने कब का उसे दे दी होती,,,,। यही सोचता हुआ राजू अपने लंड को पजामे के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था,,,,,,देखते ही देखते हरिया अपना कुर्ता भी उतार दिया और खटिया पर दोनों एकदम नंगे हो गए,,,,।राजू को लगा कि आप उसका बाप उसकी मां की चुदाई करना शुरू कर देगा लेकिन ऐसा नहीं था राजू की मां खटिया पर बैठ गई और हरिया खटिया पर से नीचे उतरा और कोने में रखी सरसों के तेल की कटोरी हाथों में ले लिया,,,, जिसे देखकर राजू की मां शर्मने लगी राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या होने जा रहा है,,,, हरिया तेल की कटोरी देकर खटिया के पास आकर खड़ा हो गया,,,, और एक हाथ से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।


उसमें नहीं डालोगे तो क्या मजा नहीं आएगा,,,


मेरी जान कभी कभी तो मौका मिलता है,,, तुम्हारी गांड में डालने का,,,,,


गांड मारने में तुम्हे ईतना मजा आता है,,,


सच कहूं तो बहुत मजा आता है कभी-कभी तुम्हारी दूसरे छेद का भी मजा ले लेना चाहिए,,,।
(राजू को सारा मामला समझ में आ गया था राजू तो यह सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गया था उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसकी आंखें और कान दोनों झूठ नहीं बोल रहे थे अपनी मां की बात सुनकर और पूरी तरह से उत्तेजना से सिहर उठा था बड़ी सहज होकर उसकी मां गांड मारने की बात कर रही थी जिस की तैयारी में उसका बाप लगा हुआ था,,,,गांड मारने के बारे में राजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की औरतों की गांड भी मारी जाती है आज वह अपनी आंखों से देख रहा था,,,, संभोग कला का एक बार अपनी आंखों से देख कर सीखने जा रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह फिर से इस छोटे से छेद में से झांकने का सौभाग्य प्राप्त कर लिया वरना यह अद्भुत नजारा और अकल्पनीय अध्याय सीखने को नहीं मिलता वह देखना चाहता था कि क्रिया कैसे होती है,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह यह देखने के लिए उत्सुक थी कि आगे क्या होता है,,,, हाथ में कटोरी लिए हुए उसके पिताजी बोले,,,।


मेरी रानी अब पेट के बल लेट जाओ,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड की सेवा करने का समय आ गया है,,,।
(अपने पिताजी की बातें सुनकर और वह भी अपनी मां के लिए राजु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,, राजू टकटकी लगाए सारे दृश्य को अपने दिमाग में कैद किए जा रहा था उसके पिताजी की बात सुनते ही मुस्कुराते हैं उसकी मां पेट के बल लेट गई खटिया पर पेट के बल लेटे होने के बावजूद भी उसकी बड़ी-बड़ी गांड बेहद खूबसूरत और उठी हुई लग रही थी,,,, उसके नितंबों का उभार पहाड़ की तरह नजर आ रहा था,,, जिस पर चढ़ने के लिए किस्मत का साथ होना बेहद जरूरी था और इस समय ऐसी किस्मत सिर्फ उसके पिताजी की थी,,, इस हालत में कोई अगर मधु को देख ले तो शायद उसका पानी निकल जाए क्योंकि वह इस समय खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अभी पेट के बाद उसकी नंगी चिकनी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,। एक नजर अपनी नंगी बीवी के बदन पर डालते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान भगवान ने मेरी किस्मत अपने हाथों से लिखा था जो तुम्हें मेरी किस्मत में लिख दिया था,,,, आज तो जी भर कर तुम्हारी लूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही हरिया खटिया पर बैठ गया और कटोरी मे रखे हुए सरसों के तेल की धार को मधु की गांड पर गिराना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में राजू की मां की गांड सरसों के तेल में और ज्यादा चमकने लगी राजू की सांसे उत्तेजना के मारे उखडती चली जा रही थी,,,,,, अपनी गांड पर तेल की धार पड़ने पर मधु एकदम मस्त भेजा रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि और उत्तेजना के भाव साहब झलक रहे थे उसे मालूम था कि अब आगे क्या होने वाला है इसलिए मन ही मन अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर रही थी,,,,।

हरिया सरसों के तेल की कटोरी को नीचे रखकर अपनी दोनों हथेलियां अपनी बीवी की गांड पर रखकर उसे मसलना शुरू कर दिया एक तरह से वह अपनी बीवी की गांड की मालिश कर रहा था,,,, हां जोर जोर से अपनी हथेली में जितना हो सकता था आप अपनी बीवी की गांड को दबोच कर उसकी मालिश कर रहा था,,,, अपनी मां की गांड की मालिश होता हुआ देखकर राजू का मन ललचा रहा था,,,,इस तरह का दृश्य देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना का कामज्वर बढ़ता जा रहा था,,,,राजू के पिताजी एकदम उत्तेजित होने जा रहे थे वहां रह रहे कर जोर से राजू की मां की गांड पर चपत लगा देंगे जिससे राजू की मां के मुंह से आह निकल जा रही थी और यह आहह की आवाज उत्तेजना पूर्ण थी,,,,राजू की मां को भी अपनी गांड पर चपत लगाना बहुत ही अच्छा लग रहा था,,, देखते ही देखते राजू की मां की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था कि जब जब उसके पिताजी उसकी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दी थी तब तक उसकी नरम नरम बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठ रही थी जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि वह भी अंदर घुस जाए और अपने पिताजी का साथ दें,,,,, क्योंकि इस तरह का मादकता भरा दृश्य उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,,पजामे के अंदर उसका नंबर बगावत पर उतर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे पजामा फाड़कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,, जिसे बड़ी मुश्किल से अपनी हथेली में पकड़ कर राजू दबोचे हुए था,,,।

कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,


आहहहहह,,, बहुत सुकून मिल रहा है,,,,रोज इसी तरह से मालिश किया कीजिए दिन भर की थकान दूर हो जाती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपने मन में कहने लगा कि उसे भी एक बार यह मौका दे कर देखो दिन-रात मालीस ही करता रहेगा,,,)


मैं तो रोज तुम्हारी मालिश करूं लेकिन क्या रोज गांड मारने दोगी,,,।


ना बाबा बिल्कुल नहीं,,,, इसीलिए तो मैं तुमसे जलेबी नहीं मंगवाती,,,।


हां सच कह रही हो तभी तो मुझे ही खरीद कर लाना पड़ता है,,,।

(अपनी मां और पिताजी की बात सुनकर राजू समझ गया था कि जलेबी उन दोनों के बीच होने वाले इस रिश्ते का इशारा था लेकिन जलेबी घर में आती थी समझ लो की उसकी मां की गांड चुदने वाली होती थी,,,,,,, हरिया पूरा जोर लगा कर राजू की मां की गांड की मालिश कर रहा था,,,, और फिर धीरे से खडा हुआ और अपने लंड को हवा में लहराता हुआ अपनी बीवी के सिहरीने आया और बोला,,,)


अब ईसे मुंह में लेकर गिला कर दो ताकि आराम से जा सके,,,,।
(और बिना ना नकुर किए,, मधु धीरे से उठी और हरिया के लैंड को मुंह में लेकर बड़े आराम से चूसना शुरु कर दी क्योंकि शायद वह भी जानती थी कि लंड का गीला होना बेहद जरूरी है,,, थोड़ी देर तक राजू की मां अपने पति के लैंड को मुंह में लेकर चुस्ती रही और फिर उसे बाहर निकाल दी,,,उसकी मां की इस हरकत पर राजू उत्तेजना के मारे अपनी आंखों को बंद कर ले रहा था और अपने पिताजी की जगह अपने आपको रखकर कल्पना कर रहा था वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी का है बड़े आराम से उसकी मां के मुंह में चला जा रहा था लेकिन उसका लंबा लंड उसके गले तक उतर जाएगा जिसे आराम से चूस पाना बहुत मुश्किल होता है,,,, लेकिन यह बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस दिन यह मौका मिलेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,, अपने पति के लंड को मुंह में से बाहर निकलने के बाद वह बोली,,,।)


देखना आराम से करना और सरसों का तेल थोड़ा छेद पर ज्यादा लगा लेना वरना अंदर जाने में तकलीफ होगी,,,।
( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर राजू उत्तेजना से पूरी तरह से गदगद हो गया,,, और उसकी बात सुनकर उसके पिताजी बोले,,,)


तो फिर कोई चिंता मत करो मेरी रानी तुम्हारी गांड का छेद मेरे लिए अनमोल तोहफा है इसे मैं बिल्कुल भी तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा,,,, बस थोड़ा सा गांड़ ऊपर की तरफ उठा दो तो तुम्हे पेलने में आसानी होगी,,,
(और इतना सुनते ही मधु आज्ञाकारी बीवी की तरह अपनी भारी-भरकम गोल गोल गांड को ऊपर की तरफ हवा में उठा दी मानो की दुश्मन को दागने के लिए कोई तोप निशाना लगा रहा हो,,,, यह नजारा देखकर राजु तो चारों खाने चित हो गया क्योंकि गांड उपर की तरफ उठाने पर राजू को उसकी मां की कौन कौन कौन एकदम सामने नजर आने लगी उसका गुलाबी छेद उसके भूरे रंग का छेद सब कुछ लालटेन की रोशनी में नजर आने लगा था,,, जिसे देखकर राजू के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,अब आगे क्या होने वाला है इसके बारे में सोच कर राजू के बदन में उत्तेजना के मारे कंपन होना शुरू हो गया था,,, जवानी से भरा हुआ उसका लंड अंगड़ाई ले रहा था,,,।राजू के पिता से एक बार फिर से नीचे रखी सरसों के तेल की कटोरी उठा लिए,,, और एक हाथ से मधु की कमर पर दबाव देते हुए उसे अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठाने का इशारा किया राजू की मां अपने पति के इसे सारे को समझ गई और अपनी भारी-भरकम गोलाकार गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा

दी,,,, अब राजू को उसकी मां की गांड का छेद इधर साफ नजर आ रहा था,,,, जिस पर उसके पिताजी कटोरी से तेल की धार गिरा रहे थे,,, और गांड के छेद पर सरसों के तेल की धार गिरने पर राजु की मां कसमसा रही थी,,, यह सब देख कर राजू इतना तो समझ गया था कि यह पहली बार का नहीं था उसकी मां बहुत बार गांड मरवा चुकी थी अपनी मां की इस हरकत पर और पूरी तरह से,,, समझ गया था कि उसके बाप के साथ-साथ उसकी मां भी इस मामले में बेहद शौकीन किस्म की औरत है भले ही दिन भर कितनी भी संस्कारी बनकर रहती हैं लेकिन रात को उसके अंदर की असली औरत जाग जाती है,,, और उसकी यही आदत राजू के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच का फासला तय करेगी ऐसा उसे पूरा विश्वास हो गया था,,,,,।

थोड़ी ही देर में उसकी मां की गांड का छेद पूरी तरह से सरसों के तेल से लबालब चिकना हो गया जिसे उसके पिता उसे अपनी खेती से मसलकर और ज्यादा फैला रहे थे और थोड़ा सा सरसों का तेल अपने लंड पर भी लगा कर उसकी धार को और तेज कर रहे थे,,,,।


अब तैयार हो जाओ मेरी जान तुम्हें चांद पर ले जाने का समय आ गया है,,,,।
(अपने पिताजी के मुंह से इतना सुनते ही राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, क्योंकि अब वह नजर आने वाला है जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था,,,, देखते ही देखते उसके पिताजी उसकी मां की गांड के पीछे आ जाए राजू की मां का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जानती थी कि शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी बहुत आता है और इसी दर्द के लिए अपने आपको तैयार कर रही थी,,,, राजू के पिताजी अपने लंड का सुपाड़ा राजू की मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर लगा दिए जो कि पहले से ही पूरी तरह से गिला हो चुका था और तेल की वजह से लसलसा हो गया था,,,,, हरिया‌ने थोड़ा सा अपनी कमर को धक्का लगाया,,, और गीलापन पाकर हरिया के लंड कैसे पड़ा धीरे से राजू की मां की गांड के छेद में सरक गया,,, और हल्की सी कराहने की आवाज राजू की मां के मुंह से निकल गई,,, राजू समझ गया कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की गांड में प्रवेश कर गया है,,,, और देखते ही देखते हरियाली अपना पूरा लंड धीरे-धीरे करके राजू की मां की गांड में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर,,, अपनी कमर को आगे पीछे करके राजू की मां की गांड मारना शुरू कर दिया,,,, राजु ने चुदाई के बहुत सारे दिन से देखे थे लेकिन गांड मारने वाला तेरे से पहली बार देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां गांड मरवा रही है,,,,सोचने में ही यह बेहद अद्भुत और उत्तेजना पुण्य लगता है लेकिन तराजू तो अपनी आंखों से देख रहा था बड़े आराम से उसके पिताजी का भी उसकी मां की गांड के छोटे से छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,, देखते ही देखते पूरे कमरे में सिसकारी की आवाज गूंजने लगी इस इस कार्य की आवाज सुनकर राजू से रहा नहीं जा रहा था और वह पजामे को नीचे करके अपनी लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,, अंदर का दृश्य और भी ज्यादा गर्माहट पकड़ रहा था,,,क्योंकि राजू के पिताजी राजू की मां की गांड पर जोरदार चपत लगाते हुए उसकी गांड मार रहे थे,,, हर धक्के के साथ राजू की मां की बड़ी बड़ी गांड नदी के पानी कि तरह लहरा जा रही थी,,, यह दृश्य बेहद अद्भुत था,,। राजू की मां का गदराया बदन इस अवस्था में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खटिया से चरर चररर की आवाज आ रही थी,,, जो कि दोनों की कामलीला का जीता जागता सबूत था,,,, राजू के पिता जी बड़े आराम से राजु की मां की गांड मार रहे थे,,,दोनों को बहुत मजा आ रहा था राजू को भी लगने लगा था कि शायद गांड मारने में बहुत मजा आता है इसलिए वह भी इस अनुभव से गुजारना चाहता था,,,, ऐसे में उसका जुगाड़ केवल उसकी बुआ ही थी जिस पर वह किसी भी प्रकार से मनमानी कर सकता था,,,, वैसे तो उसकी यादी में कमला चाची और उसकी बहू के साथ साथ लाला की बहन सोनी भी थी,,,दोनों लाला की बहन सोनी और कमला चाची अनुभव से भरी हुई थी लेकिन कभी भी उन दोनों ने गांड मारने वाली बात नहीं की थी इसलिए राजू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस बारे में वह केवल अपनी बुआ से ही बात कर सकता था और ऐसा करने के लिए वह मन में ठान लिया था,,,,


बगल वाले कमरे में उसके पिताजी के धक्के तेज हुए जा रहे थे हर धक्के के साथ उसकी मां आगे की तरफ लहरा उठ रही थी जिसे उसके पिताजी ने कमर से कसके थाम रखा था इसलिए संभले हुए थी,,, देखते ही देखते राजू के पिताजी की कमर बड़ी तेजी से हीलने लगी,,, और कुछ ही दिनों में वह अपना पूरा गर्म लावा उसकी मां की गांड में गिरा दिया,,,, और उसकी पीठ पर लेट गया,,,, इस गरमा-गरम दृश्य का साक्षी केवल राजू ही था जो अपनी मां और पिताजी की गरमा गरम चुदाई के साथ आज गांड मारने वाला भी दृश्य देख लिया था,,,,,,,

बगल वाले कमरे की गरमा गरम द्शय को देखकर,, राजू का हाथ भी बड़ी तेजी से चल रहा था थोड़ी देर बाद उसका भी पानी,, निकल गया,,,,,, अब आगे उसे कुछ भी देखने की जरूरत नहीं थी,,।
 
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पंछियों की सु मधुर आवाज के साथ राजू की नींद खुली तो,, देखा कि गुलाबी अकेली गहरी नींद में सो रही थी उसकी खूबसूरत चेहरे को राजू देखता ही रह गया,,, और मन ही मन अपनी बुआ को धन्यवाद देने लगा क्योंकि भले ही शुरुआत कमला चाची से हुई हो लेकिन सबसे ज्यादा तन का सुख उसकी बुआ ही उसे प्रदान कर रही थी,,, कुछ देर तक राजू एक टक अपनी बुआ की खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया सोते समय वहां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसकी बालों की लटे उसके गालों पर लोट रही थी,,,,,,राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी रेशमी बाल की लटो को अपनी ऊंगलियों से सहारा देकर उसके कान के पीछे ले गया,,, तो गुलाबी की आंख खुल गई,,,,,, तो वह अंगड़ाई लेते हुए बोली,,,।


बाप रे सुबह हो गई क्या,,,?


हां सुबह तो हो गई है लेकिन अभी उतनी सुबह नहीं हुई है कि तुम घर के बाहर जाकर काम कर सको,,,,


हममममम,,,,(फिर से अंगड़ाई लेते हुए उठ कर बैठ गई) बाप रे रात को तो एकदम से गहरी नींद में सो गई,,।


वही तो मैं देख रहा हूं कि रात को तुमने मुझे दी नहीं,,, जलेबी खा कर ऐसी सोई की सोती ही रह गई,,,।


हां तू सच कह रहा है मीठा खाने के बाद नींद भी बहुत गहरी आती है,,,,(गुलाबी पहले से ही अपने बड़े भैया से चुदवा कर थक चुकी थी इसलिए खटिया पर लेटते ही सो गई थी,,, अब वह राजू से तो सच्चाई बता नहीं सकती थी इसलिए बहाना बताने लगी लेकिन राजू बोला,,,)


अच्छा हुआ बुआ कि तुम कल जल्दी सो गई,,,


क्यों अच्छा हुआ,,, तु कमजोर पड़ने लगा है क्या,,?

नहीं हुआ ऐसी बात नहीं है घर में जलेबी आने के मतलब को तुम समझती हो,,,।


इसमें क्या हुआ जब भैया खुश होते हैं अच्छी आमदनी होती है तो जलेबी लेकर आते हैं,,,।


नहीं बुआ पहले मैं भी यही समझता था लेकिन ऐसा नहीं है घर में जलेबी आने का मतलब कुछ और ही है,,,।


मैं तेरी बात कुछ समझ नहीं रही हूं,,,


अरे घर में जलेबी तभी आती है जब मां और पिताजी का कुछ और ही कार्यक्रम होता है घर में जलेबी आना मां के लिए इशारा होता है,,,।


कैसा इशारा पहेलियां मत बुझाओ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,



तुम्हें पता है बुआ पिताजी घर में जलेबी तभी लाते हैं,,, जब वह मां की गांड मारने वाले होते हैं,,,,



तू क्या बोल रहा है तुझे कुछ समझ में आ रहा है,,,(गुलाबी आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)


हां मैं सब कुछ समझ गया हूं तभी तो तुम्हें बता रहा हूं,,,,वो क्या है कि कल रात तुम जल्दी सो गए वैसे तो कल रात तुम्हारी जुदाई का पूरा बंदोबस्त कर के रखा था लेकिन मेरे आने से पहले ही तुम सो गई थी इसलिए मैं तुम्हें जगाना ठीक नहीं समझा,,,मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं सोचा कि चलो आज बगल वाले कमरे में झांक कर ही देखते हैं,,, और बुआ मेरी तो किस्मत तेज थी तभी तो मैं मां पिताजी की सारी बातों को सुना और पिताजी को मां की गांड मारते हुए देखा,,,,।


हाय दैया क्या तू सच कह रहा,,, है,,,


हां बुआ सर की कसम मैं एकदम सच कह रहा हूं जो कुछ भी मैंने देखा वही तुम्हें बता रहा हूं,,,।


बाप रे बाप मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि भैया भाभी की गांड भी मारते होंगे,,,,।



क्या भाभी उस काम के लिए मान गई,,,

मान गई,,,,अरे बुआ यह पहली बार का थोड़ी था उन दोनों के बीच निरंतर समय-समय पर यह कार्यक्रम चलता रहता है यह सब मैं अपने कानों से सुना था मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन,,, मेरे जो कुछ भी देखा एक दम सच था,,,।


लेकिन राजू गांड के छोटे से छेद में इतना मोटा लंड घुसा कैसे,,,,,,( हैरानी के भाव गुलाबी अपने चेहरे पर लाते हुए बोली,,)


अरे बड़े आराम से चला गया,,, पिताजी ढेर सारा सरसों का तेल मां की गांड पर लगाकर उनके छोटे से छेद पर ढेर सारा तेल जो पढ़कर और खुद अपने लंड पर लगाकर एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मां की गांड में डाल दिए,,,,


तब तो तेरी मां चिल्ला रही होगी,,,


बिल्कुल भी नहीं मां तो गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी जैसा कि तुम अपनी बुर में लेने पर निकालती हो,,,, सच पूछो तो उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था मैं तो सब अपनी आंखों से देखा था इसलिए बता रहा हूं पहले तो मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन अपनी आंखों से देख कर मुझे पक्का यकीन हो गया कि गांड मारने में और मरवाने में बहुत मजा आता है,,,,

(राजू की बातों को सुनकर गुलाबी कुछ देर तक सोच में पड़ गई उसे इस तरह से विचार मगन होता देखकर राजू अपने लिए रास्ता साफ करते हुए बोला)


मैं तो कहता हूं बुआ मां पिताजी की तरह हम दोनों की इस कार्यक्रम का मजा लूट लेते हैं हम भी तो देखें इसमें कितना मजा आता है,,,,,।


नहीं नहीं मुझे तो डर लगता है,,,


मां को डर नहीं लगता और तुम्हें डर लगता है कुछ नहीं होगा मैं तो अपनी आंखों से देखा हूं बड़े आराम से मां पिताजी के लंड़ कों की गांड के छेद में ले ली थी,,,।

भैया का तेरे से छोटा ही है समझा और तेरा मोटा तगड़ा है,,, मेरे छोटे से छेद में जाएगा कैसे,,!(गुलाबी आश्चर्य था तेरी बॉडी हालांकि राजु की बातों को सुनकर उसका भी मन मचलने लगा था,,,, लेकिन मन में डर भी था और राजू की औरत की गांड मारने के सुख को भोगने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, इसलिए वो किसी भी तरह से अपनी बुआ को मनाना चाहता था,,,)


बड़े आराम से चला जाएगा वह सरसों के तेल की चिकनाहट पाकर तुम्हारी गांड के छेद में मेरा लंड बड़े आराम से चला जाएगा और फिर उसके बाद देखना इतना मजा आएगा कि तुम रोज गांड उठाकर मुझे दोगी,,,।


हाय राजू तेरी बातें सुनकर तो मेरी बुर पसीना छोड़ रही है,,,

तो क्यों ना हो जाए बुआ अभी उजाला ठीक से हुआ नहीं और अभी एक मां और पिताजी भी सो रहे हैं,,,,।


ठीक है लेकिन जल्दी करना,,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी खुद अपनी सलवार की डोरी खुलने लगी नौकरी पर अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार उतार कर नीचे फेंक दी और कमर के नीचे एकदम से नंगी हो गई रात को जो नजारा राजू ने देखा थाउसे हर एक पल को याद करके राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था इसलिए बिना देरी किए,,,, राजू अपनी बुआ की दोनों टांगों को फैला कर उसके बीच आ गया और,, अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपनी बुआ की गुलाबी चेहरे पर रखकर हल्का सा धक्का मारा और पूरा लंड एक ही बार में गुलाबी के बुर में समा गया,,,, रात की मदहोशी का पूरा नशा उतारते हुए राजू बिना रुके बड़े रफ्तार के साथ अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और अपनी बुआ की चुदाई करना शुरू कर दिया गांड मारने वाली बात पर उसकी बुआ भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी इसलिए तुरंत राजू को अपनी बाहों में कस कर उसके हर एक धक्के का आनंद लूटने लगी,,,,
आहहह आहहहह आहहहह की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा और थोड़ी ही देर बाद उत्तेजना के चरम सुख पर पहुंचते हुए दोनों झड़ गए,,,,। दोनों एक दूसरे को बाहों में लेकर हांफ रहे थे कि तभी बगल वाले कमरे का लकड़े का दरवाजा आवाज करता हुआ खुला तो गुलाबी हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोली,,,।

बाप रे भाभी उठ गई है,,,, मुझे भी अब जाना चाहिए,,,।
(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी खटिया पर से नीचे उठेगी और नीचे गिरी अपने सलवार को उठाकर अपनी लंबी लंबी टांगों में डालकर उसे पहनने लगी और अगले ही पल बाकी कमरे से बाहर निकल गई और तुरंत झाड़ू लेकर सफाई करना शुरू कर दी तब तक राजू अंदर ही लेटा रह गया और गांड मारने के कार्यक्रम के बारे में सोचने लगा,,,, वह भी अच्छी तरह से जानता था कि गुलाबी की गांड का छेद छोटा था इसलिए उसे बड़े आराम से काम लेना था ताकि सब कुछ कुशल मंगल तरीके से हो जाए,,,, और थोड़ी देर बाद वह भी कमरे से बाहर आ गया,,,,,,
सुबह का नाश्ता पानी करके,,, हरिया भी बेल गाड़ी लेकर रेलवे स्टेशन की तरफ निकल पड़ा आज उसे ब्याज की रकम देनी भी जाना था इसलिए वह जल्दी निकला था ताकि कुछ आमदनी ज्यादा हो जाए,,,,।

सूरज सर पर चढ़ आया था गर्मी का समय होने की वजह से,,, राजू इस समय नदी में नहाने के लिए गया था और वह अपने सारे कपड़े उतार कर नदी में कूद गया था क्योंकि इस समय नदी के आसपास कोई भी नहीं था और ना ही कोई होता था क्योंकि गर्मी कुछ ज्यादा ही पड़ती थी लेकिन राजू को दिनभर गांव में इधर उधर घूमने में ही मजा आता था इसलिए मैं इस समय नदी में नहा रहा था कि तभी कमला चाची की बहू हाथ में मटका लिए नदी पर पानी भरने के लिए आ गई,,,।


कमला चाची की बहू को देखते हैं राजू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, कमला चाची की बहू एकदम करीब आ गई थी और राजू को नहाता हुआ देखकर वह भी खुश हो गई थी,,, मटके में नदी का पानी भरते हुए बोली,,,।


इतनी दोपहर में नदी में क्या कर रहा है,,,


नहा रहा हूं भाभी,,,,


इतने से में कोई नहाता है,,,


मेरा तो यही समय है नदी पर आकर नहाने का क्योंकि ईस समय यहां कोई नहीं होता,,, लेकिन तुम इतनी दोपहर में यहां क्या कर रही हो नल से पानी भर ली होती,,,


मुझे ठंडा पानी चाहिए था इसलिए यहां आ गई,,,


किनारे पर ठंडा पानी थोड़ी मिलता है किनारे पर तो गरम पानी ही मिलेगा और वह भी गंदा ,,,ठंडा पानी का मजा लेना है तो बीच में आकर पानी भरना होगा,,,


नहीं मैं बीच में नहीं आ सकती,,,


अरे आ जाओ भाभी नहा भी लोगी पूरा बदन ठंडा हो जाएगा और पानी भी भर लोगी,,,


नहीं नहीं मैं नदी में नहीं आऊंगी तू ही बीच में से भर कर ले आ,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी भाभी,,,, लेकिन मैं किनारे नहीं आऊंगा मटके को पानी में रखकर आगे की तरफ भेजो,,,


क्यों बाहर नहीं आएगा,,,

मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नदी में उतरा हूं,,,।
(राजू की यह बात सुनकर रमा के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,, राजू नदी में पूरी तरह से नंगा है यह जानकर कमला चाची की बहू की दोनों टांगों के बीच सुरसुरी सी दौड़ गई,,,, राजू की बात सुनकर वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

नंगा होने में तुझे बहुत मजा आता है ना,,,


मजा तो आता है भाभी लेकिन नंगी करने में और ज्यादा मजा आता है,,,।
(राजू के कहने के मतलब को वह अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए वह शरमा गई,,, और शरमाते हुए बोली)


किसको नंगी किया है,,,


तुमको भाभी,,, तुमको नंगी करने में जितना मजा आया था मैं बता नहीं सकता,,, जैसे भी तुम बहुत खूबसूरत हो भाभी एकदम गोरी चिट्टी गोल गोल चूचियां बड़ी बड़ी गांड देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है,,,(राजू एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था क्योंकि वह एक बार उसकी चुदाई कर चुका था इसलिए दोनों के बीच किसी भी प्रकार की शर्म आया नहीं थी और राजू की यह बातें कमला चाची की बहू को उत्तेजित कर रही थी वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन इतनी दुपहरी में वहां कोई आने वाला नहीं था,,,,)


चल अच्छा यह सब बातें मत कर मुझे प्यास लगी है जल्दी से मटका भर दे,,,,(और इतना कहने के साथ ही कमला चाची की बहू नीचे बैठकर मटके को पानी में रखकर उसे धीरे-धीरे पानी को हाथ से हिलाते हुए मटके को आगे बढ़ाने लगी और देखते ही देखते उसका मटका राजू के हाथों में चला गया और राजू मटके को हाथ में लेकर थोड़ा और बीचों-बीच जाकर पानी भरने लगा जहां का पानी वास्तव में बेहद ठंडा था कुछ देर तक वह बीच में नहाता रहा और मटके को लेकर बाहर आने लगा उसके मन में बहुत सारी बातें चल रही थी वह नदी के सुनसान पन का फायदा उठा लेना चाहता था,,,वैसे भी कमला चाची की बहू को देखते ही नदी में होने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से खाना हो चुका था और वह जानता था कि एक बार अगर उसकी बहू ने फिर से उसके लंड को देख ली तो फिर से चुदवा लेगी और वैसे भी वह प्यासी थी,,, इसलिए राजू मटके को बाहर लाते चले अपने मन में तय कर लिया था कि वह पूरी तरह से नदी से बाहर आ जाएगा और वह भी एकदम नंगा,,,।

दूसरी तरफ कमला चाची की बहू का भी दिल जोरों से धड़क रहा था वह राजू को पूरी तरह से नंगा देखना चाहती थी और वह भी इस तरह से खुले में लेकिन यह बात बहुत से कहने में शर्म महसूस कर रही थी,,, वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी जहां की पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,,और वैसे भी जिस जगह पर मैं खड़ी थी वह जगह झाड़ियों से गिरी हुई थी इसलिए दूर से भी वहां पर किसी की नजर पहुंच नहीं सकती थी,,, धीरे धीरे राजू मटका लेकर बाहर आने लगा और किनारे पर आते ही वह एकदम से खड़ा हो गया और जैसे ही वह खड़ा हुआ कमला चाची की बहू की नजर उसकी दोनों टांगों के बीच खड़े लंड पर पड़ी तो वहां दांतो तले उंगली दबा ली उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था जिसे देखते ही रमा कि बुर में चीटियां रेंगने लगी,,,, उसके मुंह से अचानक ही निकल गया,,,।


बाप रे इतना मोटा और लंबा,,,


क्या भाभी तुम तो ऐसा कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो जबकि इसे अपनी बुर में ले भी चुकी हो फिर भी,,,।
Kamla chachi ki bahu ko bahot maja aa raha tha


( ईतने खुले शब्दों में राजू के मुंह से बोल शब्द सुनकर रमा शर्म से पानी पानी हो गई उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह एक बार फिर से राजू के लंड को अपनी पूरी लेना चाहती थी वह प्यासी नजरों से उसकी दोनों टांगों के बीच ही देख रही थी,,उसकी हालत को देखकर राजू समझ गया था कि उसे क्या चाहिए इसीलिए वह मटके को नीचे रख कर अपने चारों तरफ नजर घुमाया व जानता था कि समय यहां कोई नहीं आता है फिर भी एहतियात के तौर पर वह कोई गलती नहीं करना चाहता था,,,और तुरंत आगे बढ़ा कमला चाची की तो कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे अपनी गोद में उठा लिया,,, और एकदम झाड़ियां के बीच लेकर आ गया,,,राजू जिस तरह से बड़े आराम से से गोद में उठाकर यहां तक लाया था उसकी ताकत को देखकर कमला चाची की बहू एकदम कायल हो गई उसकी ताकत पर वह पूरी तरह से न्योछावर हो गई,,, राजू ने दमखम था इस बात का सबूत और पहले ही देख चुकी थी,,,,।

अपनी गोद से उतारने के बाद,,, राजू उसकी साड़ी उतारने लगा तो वह उसे रोकते हुए बोली,,,।


नहीं नहीं यहां पर साड़ी मत उतार ऐसे ही कर ले कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,(हालांकि कमला चाची की बहू का भी मन यहीं कर रहा था किराजू उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करके चोदे लेकिन फिर भी उसके मन में डर था कि कहीं कोई आ जाएगा तो गजब हो जाएगाराजू अपना पूरा मन बना लिया था कि वह तुमने चाची की बहू के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करके चोदेगा इसलिए वह बोला,,,)

तुम बिल्कुल की फिक्र मत करो भाभी यहां कोई नहीं आने वाला है क्योंकि मैं यहां रोज आता हूं और मेरे सिवा यहां पर केवल परिंदे ही रहते हैं और कोई नहीं रहता इसलिए निश्चिंत रहो,,,(और इतना कहने के साथ ही वह कमला चाची की बहू के बदन पर सितारे कपड़े उतारने लगा उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते हैं उसके पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,, और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके पूरे बदन पर चुंबन की बौछार कर दिया,,, खुले में खूबसूरत औरत के नाम से खेलने का पहला अवसर था इसलिए ज्यादा उत्तेजित था वह तुरंत नीचे बैठकर कमला चाची की बहू की एक टांग उठा कर उसे अपने कंधे पर रख दिया और उसकी गुलाबी बुर पर अपने प्यासे होंठ को रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,,,, कमला चाची की बहुत दम से मदहोश हो गई,,,वो कभी सपने में नहीं सोचा थी कि इस तरह से गांव में खुले में वह इस तरह का आनंद लूटेगी जिसके लिए वह पूरी तरह से तैयार नहीं थी,,,,इसके लिए उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी राजू की हरकत की वजह से उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई और वहां अपने दोनों हाथों को राजू के सिर पर रख कर और जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,।

ओहहहह ,,,राजु,,,,,आहहहहहहहहह,,,,(उसके मुख से मादक सिसकारियां फूटने लगी जिसको वहां सुनने वाला राजू के सिवा कोई नहीं था राजू की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी राजू पागलों की तरह जितना हो सकता था अपनी जीभ को उसकी बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, कमला चाची की बहू पानी पानी हुए जा रही थी,,,, उसकी गर्म सिसकारियों की आवाज सुनकरराजू समझ गया कि अब वह लंड देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है इसलिए अपने होठों को उसकी गर्म बुर से हटाकर खड़ा हुआ और उसके कंधों पर जोर देते हुए उसे नीचे की तरफ बैठने का इशारा किया,,,, और देखते ही देखते कमला चाची की बहू एकदम नंगी अपने घुटनों के बल बैठ गई और राजू के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,यह जगह पूरी तरह से सुनसान थी चारों तरफ इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था झाड़ियों के बीच होने की वजह से दोनों पूरी तरह से निश्चिंत थे दोनों की उत्तेजना निरंतर बढ़ती जा रही थी राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वहां कमला चाची की बहू के मुंह को ही चोद डालेगा,,,,। लेकिन कुछ देर तक इस तरह से मजा लेने के बाद राजू पेट के बल नीचे उसकी साड़ी बिछा कर लेट गया,,, राजू कमला चाची की बहू तो उसके लंड पर बैठने के लिए बोला तो वह समझ गई कि उसे क्या करना है वह राजू के कमर के इर्द गिर्द अपने घुटनों को रखकर अपनी गोल-गोल गांडउसके लंड पर रखने लगी और पीछे से उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी छेद पर लगाने लगी,,,और धीरे-धीरे अपने भारी-भरकम गांड का बजन उसके लंड पर बढ़ाने लगी,,,
और देखते ही देखते राजु मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा ली,,,,,,, और फिर अपनी गांड को राजू के लंड पर पटकना शुरू कर दी,,,,राजू की अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को थामकर उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,।

अद्भुत सुख की अनुभूति दोनों को हो रही थी इस तरह से खुले में चुदाई का मजा ही कुछ और होता है यह एहसास दोनों को पहली बार हो रहा था चारों तरफ पंछियों की आवाज आ रही थी मंद मंद शीतल हवा दे रहे थे और ऐसे में दोनों अपने अंदर की गर्मी को मिटाने की पूरी कोशिश कर रहे थे कमला चाची की बहू पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी बहुत जोर जोर से अपनी कहां को राजू के लंड पर पटक रही थी मानो की जैसे हथोड़ा चला रही हो,,,,।

कमला चाची की बहू की कामुक हरकत की वजह से राजू का भी आनंद बढ़ता जा रहा था पचच पचच की आवाज बड़े जोरों से आ रही थी,,,, जो कि पूरे वातावरण में गूंज रही थी कुछ देर तक कमला चाची की बहू इसी तरह से मेहनत करती रही लेकिन उसे आराम देते हुए राजू तुरंत उसकी कमर में अपना हाथ डाला और अपने लंड को उसकी बुर में से निकाले बिना ही पलटी मार दिया अब राजू ऊपर था और कमला चाची की बहू नीचे अब राजू अपना पूरा जोर दिखाने वाला था और उसके कंधे को पकड़कर जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया वह इतनी जोर से कमर हिला रहा था कि मानव जैसे कोई मशीन चल रही है कमला चाची की बहू भी हैरान थी,,,, राजू की ताकत को देखकर उसके लंड की ताकत से वह पानी पानी हुई जा रही थी,,,राजू इतने जोरो से धक्के लगा रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में लहरा रहा था जिसकी वजह से वह कुछ बोलना भी चाह रही थी तो ऐसा लग रहा था कि हकला के बोल रही हो,,,तुमने चाची की बहन को बहुत मजा आ रहा था राजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी छेद में अंदर बाहर हो रहा था जिसे देखने के लिए तुमने सांची की बहू अपनी नजरों को उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और बड़े हैरानी से इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी

गुलाबी बुर के छोटे से छेद में अंदर बाहर होता देख रही थी,,,।

राजू पूरी मस्ती के साथ उसके दोनों दशहरी आम को पकड़कर जोर-जोर से दबाता हुआ धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,,हर धक्के पर हमला चाची की बहू के मुंह से आह निकल जा रही थी,,, ऐसा अद्भुत संभोग सुख उसने पहले कभी नहीं प्राप्त की थी,,, राजू कमला चाची कीबहू की खूबसूरत गोरे बदन के साथ पूरी मस्ती का लुफ्त उठा रहा था कभी चूचियों को पकड़ से तो कभी कंधों को तो कभी उसकी चिकनी कमर को जोर से हथेली में दबाकर धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,,।


राजू थकने का नाम नहीं ले रहा था,,लेकिन इस दौरान वह कमला चाची की बहू की चुदाई करते हुए उसका दो बार पानी निकाल चुका था और धीरे-धीरे कमला चाची की बहू तीसरे चरण सुख की तरफ आगे बढ़ रही थी और यही हाल राजू का भी था उसका भी पानी निकलने वाला था इसलिए वह नीचे झुककर अपने दोनों हाथ को कमला चाची की बहू के पेट के नीचे रखकर उसे कसके अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वहां कमला चाची की बहू की बुर में झड़ना शुरू हो गया,,,,।

वासना का तूफान थम चुका था कुछ देर तक राज्य उसे अपनी बांहों में लिए हुए उसके ऊपर ही लेटा रहा,,,कमला चाची की बहुत ही उसका हौसला बनाते हुए उसकी पीठ को सहला रही थी क्योंकि संभोग का असली सुख उसे राजू से ही प्राप्त हो रहा था,,,,कमला चाची की तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से खुले में गांव के नदी पर उसे एक जवान लड़का चोदेगा और ना हीराजू ने इस तरह की कल्पना किया था कि नदी पर उसे खूबसूरत औरत की चुदाई करने का सुख प्राप्त होगा,,, खड़ी दोपहरी में यहां आना उसका सफल हो चुका था,,, कुछ देर बाद वह कमला चाची की बहू के बदन पर से ऊपर उठा और जान बुझ कर,, कमला चाची की बहू का ब्लाउज उठाकर उस पर अपने लंड पर लगा पानी पोछने लगा तो यह देख कर करना चाहती कि बहु बोली,,,।


हाय भैया यह क्या कर रहा है गंदा लगा दिया,,,


मेरे प्यार की निशानी है भाभी,,,(और इतना कहने के साथ ही मुस्कुराते हुए ब्लाउज को कमला चाची की बहू के चेहरे के ऊपर फेंक दिया और लंड का गीलापन ब्लाउज पर लगे होने की वजह से उसे अपने गाल पर लंड का पानी लगता हुआ महसूस हुआ तो वह मुंह बनाने लगी,,, लेकिन यह देखकर राजू मुस्कुराने लगा,,,, कमला चाची की बहू भी कुछ नहीं बोली और अपने कपड़े पहन कर झाड़ियों से बाहर आ गई,,,,, राजू उसी तरह से बिना शर्माए नंगा ही बाहर आ गया मटके का पानी उठाकर कमला चाची की बहु बोली ,,,।

अबतो यह फिर से गर्म हो गया है,,, जा फिर से भरकर लेकर आ,,,


जो आज्ञा भाभी जी,,,( और इतना कहने के साथ ही फिर सेराजू मटका लेकर नदी के बीचो-बीच चला गया और फिर से ठंडा पानी लेकर बाहर आ गया लेकिन इस समय पर वह पूरी तरह से मांगा था तो उसके खड़े लंड तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कमला चाची की बहु बोली,,,)


कुछ पहन लिया कर ऐसे ही लंड दिखाते हुए नंगा मत घुमा कर,,,।


क्यों भाभी,,,?


क्योंकि तेरा इतना मोटा और लंबा है कि तेरी मां की नजर पड़ गई तो तेरी मां भी तुझ से चुदवाए बिना नहीं रह पाएगी,,,,(और इतना क्या करवा मुस्कुराते हुए कमर पर मटका रख कर चलती बनी राजू से तब तक देखता रहा जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गई इसके बाद वह अपने कपड़े पहन कर गांव की तरफ चल दिया,,,।)
 
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जाते जाते कमला चाची की बहू ने जो बात कह दी थी उस बात को सुनकर राजू विचार में पड़ गया था क्योंकि जो कुछ भी वह कह कर गई थी उसमे उसे सच्चाई नजर आ रही थी,,, क्योंकि इतना तो वह समझ ही गया था कि उसके पास मर्दाना ताकत सबसे ज्यादा थी तभी तो औरते पहली बार में ही उसके बस में हो जाती थी,,,,इसलिए राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर किसी भी तरह से वह अपना मोटा कला लैंड अपनी मां को दिखा दे तो शायद उसके लिए बात बन सकती है क्योंकि अब तक यहां छोटे से छेद में से अपनी मां की चुदाई और उसकी प्यास को देखता रहा था रात को वह हर तरीके से चुदाई का मजा लूटती थी,,, राजू ने एक भी दिन अपनी मां को चुदाई के मामले में अलसाते हुए नहीं देखा,,, हर रात वह नए जोश के साथ चुदाई का सुख भोग रही थी इसलिए राजू को अपना काम बनता हुआ नजर आ रहा था क्योंकि हर हाल में उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड उसके पिताजी से बेहद तगड़ा था,,,, और अब तक की जितनी भी औरतों के साथ उसने चुदाई किया था वह सभी औरतें उसकी दीवानी हो चुकी थी इसलिए उसे पक्का यकीन था कि अगर जिस दिन उसकी मां उसकी लैंड के दर्शन करने की तो वास्तव में वह भी उन्हीं औरतों की तरह उसके मर्दाना ताकत की दीवानी हो जाएगी यही सोचकर राजू उत्तेजना से गदगद हो गया था,,,,।

अपनी मां और पिताजी के गांड मराई के कार्यक्रम को देखकर वह आज की रात अपनी बुआ की गांड मारना चाहता था जिसके लिए अपने बुआ को मना भी दिया था और उसे रात होने का इंतजार था,,,, गुलाबी भी एक नए अनुभव के लिए उत्सुक थीलेकिन वह एक बार पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वास्तव में यह काम करने में मजा आता है या दर्द होता है इसलिए वह अपनी शादी शुदा सहेलियों के पास दोपहर में उनसे बात करने के लिए निकल गई,,,,,,,वैसे तो उसे अपनी सहेलियों से मिलने का बिल्कुल भी मन नहीं करता था क्योंकि सभी सहेलियां उसकी हम उम्र थी लेकिन सब की शादी हो चुकी थी और सब लोग एक एक दो दो बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन अभी तक गुलाबी को हल्दी तक नहीं लगी थी इसलिए गुलाबी को अपनी सहेलियों को देखकर थोड़ा दुख होता था लेकिन आज बात कुछ और थी आज वह उनका अनुभव जानना चाहती थी,,, इसलिए अपनी सबसे अच्छी सहेली मीना के घर पहुंच गई क्योंकि कुछ दिनों पहले ही वह अपने ससुराल से वापस लौटी थी,,,।

मीना अरे ओ मीना घर पर है कि नहीं,,,(दरवाजे पर दस्तक देते हुए गुलाबी बोली,,,,मीना घर के आंगन में ही बैठी हुई थी गुलाबी की आवाज को पहचानती थी इसलिए झट से खटिया पर से उठ कर तुरंत दरवाजा खोलने चली गई और दरवाजा खोलते ही गुलाबी को द्वार पर देख कर मुस्कुराते हुए बोली)


अरे गुलाबी तू आज बड़े दिनों बाद तुझे मेरी याद आई है,,,


चल रहने दे तुझे भी मेरी याद कहां आती है पहले तो रोज मेरे घर पर मुझसे मिलने आया करती थी लेकिन जब से शादी हुई है तब से तो आती ही नहीं,, है,,।


अच्छा बाबा मुझे माफ कर दे लेकिन अंदर तो आ की दरवाजे पर खड़ी खड़ी ही बात करती रहेगी,,,

(मीना और गुलाबी दोनों अंदर आ गए और मीना ने दरवाजा बंद कर दि,,, अंदर आते ही इधर उधर देखते हुए,,, गुलाबी बोली,,)

घर पर कोई नहीं है क्या चाची कहां गई,,,


सब खेत पर गए हैं,, मां ने छोटी और मुन्नी दोनों को भी खेत पर ले गई है,,,


छोटी और मुन्नी,,,(गुलाबी आश्चर्य से बोली)


अरे मेरी लड़कियां,,,,


बाप रे 2 साल में दो बच्चे हर साल एक बच्चा,,, तू तो कमाल कर रही है,,,


क्या कमाल कर रही है गुलाबी,,,, वह तो एकदम प्यासे रहते हैं जब देखो तब चढ जाते हैं,,,,,, अब रोज-रोज थोड़ी ना मन करता है लेकिन वह मानते कहां है,,,


अरे बुद्धू मजा तो रोज मिल रहा है ना,,,, रोज तेरी चुदाई हो रही है और तुझे क्या चाहिए,,,


तू ही चुदवा ले,,,,इस बार ऐसा करती हूं कि मेरी जगह तुझे ही भेज देती हो तब तुझे पता चलेगा कि चुदाने में मजा आता है या सजा,,,, अरे तीन-चार दिन में कभी-कभी हो तो मजा भी बहुत आता है लेकिन रोज-रोज सर दर्द बन जाता है,,,।


तो क्या जीजा तेरी रोज लेते हैं,,,।

रोज,,, अरे बुद्धू दिन भर लगे रहते हैं काम ना काज बस एक ही काम है साड़ी उठाकर चढ जाओ,,,,।
(गुलाबी को उसकी बातों से ऐसा ही लग रहा था कि शायद उसे अब इस काम में मजा नहीं आ रहा है या तो फिर वह बातें बना रही है इसलिए गुलाबी बोली,,,)


मुझे तो लगा था कि तुझे बहुत मजा आ रहा होगा वैसे भी तो तुझे इस काम में बहुत मजा आता था गांव के कई लड़के तेरे पीछे पड़े थे और वह,,,पड़ोस वाली गांव का लड़का उसका तो नाम भी नहीं मालूम है पता है ना रोज रात को तेरे से मिलने आता था,,, और सिर्फ बातें करने का वादा नहीं था मुझे पूरा यकीन है कि तेरी रोज लेने आता था तेरे पिताजी तुम दोनों को पकड़ लिए थे तभी तो तेरी जल्दी शादी हुई,,,।

(गुलाबी की बातों को सुनकर मीना के चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, क्योंकि मीना और गुलाबी दोनों एकदम पक्की शहेलियां थी दोनों को एक दूसरे की बातों का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता था,,, इसलिए शादीशुदा होने के बावजूद भी गुलाबी की बातों का उसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा था बल्कि उसके होठों पर मुस्कान आ जा रही थी क्योंकि जो कुछ भी गुलाबी कह रही थी उसमें सच्चाई थी ,,रोज रात कोपड़ोस के गांव वाला लड़का उसे सिर्फ बातचीत करना नहीं आता था पर कि रोज उसकी लेने भी आता था,,,)


हां कह तो तु सच ही रही है,,, वह लड़का रोज रात को मेरी लेने के लिए याद आता तो सच कहूं तो उस समय चोरी-छिपे मजा भी बहुत आता था वह रोज आता था रोज लेता था लेकिन कभी भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि उस काम में मुझे मजा नहीं आ रहा है लेकिन शादी के बाद तो उनका रोज का हो गया और उनके रोज में तो मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा है,,,।


तो बुला लेना उसी को,,, आ जाएगा,,,,

सोच तो रही हूं लेकिन इस बार तेरे लिए बुला लु,,, तू अभी बिल्कुल कुंवारी है,,, मुझे पूरा यकीन होगा कि तेरी तो अभी सील भी नहीं टूटी होगी,,,।

धत कैसी बातें करती है,,,,।


तु सच में गुलाबी सबसे अलग है,,, इतनी खूबसूरत जवान होने के बावजूद भी कभी भी किसी लड़के को अपने पास भटकने भी नहीं दी और अभी तक शादी भी नहीं की है क्या तेरा मन नहीं करता,,,,,,


सच कहूं तो मीना इस बारे में मैं कभी सोचती भी नहीं हूं दिन भर काम काज में लगी रहती हूं और सबसे ज्यादा ख्याल मुझे अपनी भैया की इज्जत का होता है मैं उनकी इज्जत पर दाग नहीं लगने देना चाहती,,,, समय आएगा तो शादी हो जाएगी और फिर जो तू कह रही है वह काम भी तो होना ही है,,,,।
(मीना के सामने गुलाबी सती सावित्री बनी हुई थी क्योंकि यह बात पूरा गांव जानता था कि गुलाबी जैसी सीधी-सादी लड़की गांव में दूसरी कोई नहीं की लेकिन गांव वाले यह नहीं जानते थे कि गुलाबी सिर्फ बाहर वालों के लिए सीधी सादी थी हमें तो वह पूरी तरह से एक रंडी थी जो अपने ही भतीजे के साथ रोज रंगरेलियां मनाती थी और अपने बड़े भाई का भी बिस्तर गर्म करने लगी थी,,,,)

चल कोई बात नहीं अगर मेरे से किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो बेझिझक कहना तेरी सील तुडवाने में मैं तेरी पूरी मदद करूंगी,,,।


तू कैसे मदद करेगी,,,


अरे बुद्धू गांव में आशिकों की कमी है क्या वहीं पड़ोस के गांव वाले लड़के को बुला लूंगी नहीं तो तेरे जीजा जी ने ना किसी बहाने से उनको ही बुला लूंगी और फिर तू भी मजे ले लेना,,,।


ना बाबा ना यह सब तुझको ही मुबारक हो,,,,
(इतना कहकर दोनों हंसने लगे और मीना कमरे में चली गई,,, और थोड़ी ही देर बाद लौटी तो उसके हाथ में कटोरी थी जिसमें मीठा गुड़ रखा हुआ था और गिलास पानी था,,, और मीना गुलाबी को थमाते हुए बोली,,,)

ले गुड़ खाकर पानी पी ले,,,


तेरे ससुराल का है क्या,,,(गुड़ का टुकड़ा उठाते हुए बोली)


हारे ससुराल का ही है तेरे जीजा जी अपने हाथों से पैर कर बनाए हैं,,,,


तभी बहुत मीठा है,,,।

(कुछ देर तक दोनों में इसी तरह से बातचीत चलती रही गुलाबी अपने मन की बात मीना से पूछना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे पूछे इसलिए एक युक्ति उसके मन में आई वह जानबूझकर हंसने लगी,,, उसे हंसती हुई देखकर मीना बोली,,,)


बेवजह हंस क्यों रही है,,,


कुछ नहीं कुछ याद आ गया,,,


अरे क्या याद आ गया मुझे बताएगी भी,,,


अरे क्या बताऊं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि आजकल के बच्चे कितने हरामि हो गए हैं,,,


क्यों क्या हुआ,,,?


बताऊंगी तो तू भी हंस पड़ेगी,,,


अरे वाह ऐसी कैसी बात है जिसे सुनते ही में हंस पडुंगी तब तो तु मुझे बता,,,।(मीना उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,)


अरे यार ऐसा कुछ भी नहीं परसों में अपने खेतों में से वापस लौट रही थी तो कुछ बच्चे झगड़ा कर रहे थे और ऐसी ऐसी गाली दे रहे थे कि मैं तो सुनकर ही एकदम दंग रह गई कि ईतने छोटे छोटे बच्चे ऐसी गाली कैसे देते हैं और मुझे उनकी गाली कुछ अजीब भी लगी,,,


अजीब क्यों लगी,,?


अरे यार एक लड़का बोल रहा था कि तेरी मां की गांड मार लूंगा,,,,(इतना कहते ही गुलाबी हंसने लगी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) बुर चोदने वाली बात तक तो ठीक थी गांड मारने वाली बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,।

(गुलाबी की बात सुनकर मीना हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)


अरे बुद्धू तो सच में एकदम पागल है तुझे इन सब चीजों के बारे में कुछ भी नहीं पता,,,


क्या मतलब,,,?


अरे मेरा मतलब है कि वह लड़का जो गाली दे रहा था ठीक ही दे रहा था,,,


मैं तेरा मतलब नहीं समझी,,,,


मेरा मतलब है कि औरतों की गांड भी मारी जाती है,,,


क्या,,,?(गुलाबी एकदम से चौंक ने का नाटक करते हुए बोली)


हां मैं सच कह रही हूं जिस तरह से औरतों की बुर में लंड डाला जाता है वैसे ही औरतों की गांड में भी डाला जाता है,,,(मीना एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी)

बाप रे मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन शादी के बाद कुछ दिन तक तो मेरे पति ने मुझे खूब चोदा,,,, उसके बाद गांड में लंड डालने लगे,,,।


और तू डलवा ली,,,


नहीं पहले तो मुझे बहुत डर लग रहा था,,,, लेकिन जब भी वह मेरी गांड के छेद को छुते थे तो बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,,,,, लेकिन मैं उन्हें गांड में डालने नहीं देती थी वह मेरी रोज मिन्नतें करते थे मुझे मनाते थे समोसा चाट सब कुछ खिलाते थे एक बार मैं उन पर तरस खाकर उन्हें गांड में डालने की इजाजत दे दी और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी,,, पहले तो घुस नहीं रहा था जैसे तैसे घुसा तो मै सच बताऊं दिन में तारे नजर आने लगे 3 दिन तक मैं ठीक से चल नहीं पाई,,,, मुझसे तो यह काम बिल्कुल भी नहीं हुआ और ना कभी होने दूंगी,,,


क्या बहुत दर्द होता है,,,


हां यार दूसरी औरतों का तो पता नहीं मुझे तो बहुत दर्द हुआ था मेरे पति कहते रहते थे कि,,, तुझे ही नखरा आता है,,, बाकी औरतें तो खुशी खुशी गांड मरवाती है,,,


मैंने भी कह दि जाकर उन्हीं औरतों की गांड मारो,,, मैं तो गांड को हाथ भी नहीं लगाने दुंगी,,,,। जब तेरी शादी होगी ना तब तुझे पता चल जाएगा,,,।


ना बाबा ना तु‌जब बता रही है तब मुझे इतना डर लग रहा है,,,, मेरा तो सोचकर ही पसीना छूट रहा है,,,,।


तू है ही ऐसी दूसरी लड़कियों का तो इस तरह की बातें सुनकर पानी छुट जाता है और तेरा पसीना छूट रहा है,,, तू तो मुझे लगता है कि अपने पति से ठीक से चुदवा भी नहीं पाएगी,,,, तुझे कुछ आता ही नहीं है,,,।


चल जाने दे जैसी भी हूं ठीक हूं,,,


हाय मेरी गुलाबी रानी जैसा तू कह रही है ना पति के आगे एक नहीं चलने वाली,,, वह तो दिन रात ,, तेरी बुर और गांड दोनों में अपना लंड डालेगा,,,, देखना मेरी गुलाबी रानी गांड बचाकर कहीं जीजा जी फाड़ ना दे,,,।

ना बाबा ना मैं तो हाथ भी नहीं लगाने दूंगी,,,,।(मीना शादी के बाद की बात कर रही थी लेकिन गुलाबी को तो आज रात की चिंता थी क्योंकि आज रात को उसका भतीजा उसकी गांड मारने के चक्कर में था,,,यही सोचकर वह घबरा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भतीजे का लंड कुछ ज्यादा लंबा और मोटा है,,, इसलिए सोच कर ही गुलाबी सिहर उठी थी,,,। गुलाबी को इस तरह से सोच में डूबी हुई देखकर मीना बोली,,,)


क्या सोचने लगी,,,, कही तेरा भी तो गांड मरवाने का इरादा तो नहीं है,,,,(मीना अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

धत्,,,, तू भी ना ,,जब तू तो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी गांड मरवाने में डर रही है तब तो अभी तो मेरा उद्घाटन भी नहीं हुआ है,,,,।
(इतना कहते ही दोनों जोर-जोर से हंसने लगे,,,गुलाबी को इस दौरान बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह मीना से बोली,,,)


यार मीना मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ,,, यहीं बैठ कर कर ले,,(घर में ही कौन है ना बने छोटे से गुसल खाने की तरफ इशारा करते हुए वह बोली,,)

यहीं पर,,,(गुलाबी आश्चर्य जताते हुए बोली)


अरे तो क्या हम लोग भी तो यही करते हैं अब बाहर कौन जाए सिर्फ मुतने के लिए,,,, जा जा कर कर ले,,,।


ठीक है,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी खटिया पर से उठ कर खड़ी हो गई और कोने की तरफ जाने लगी,,, मीना वही खटिया पर बेटी रह गई और गुलाबी को देखने लगी गुलाबी पुर मीना के सामने पेशाब करने में कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि दोनों पक्की सहेलियां थी और शादी के पहले भी दोनों उसी तरह से पूरे गांव में घूमा करती थी खेतों में नदी नहर सब जगह पर और साथ में ही शौच क्रिया और पेशाब भी किया करती थी,,,, इसलिए गुलाबी को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,देखते ही देखते गुलाबी कोने में पहुंच गई और अपनी सरकार की डोरी खोलने लगी खटिया पर बैठी हुई मीना बड़े गौर से गुलाबी को देख रही थी गुलाबी की खूबसूरती के तरफ मीना पहले से ही आकर्षित थी एक औरत होने के नाते उसे एक औरत की खूबसूरती से जलन भी होती थी जो कि औपचारिक थी लेकिन गुलाबी की खूबसूरती देखकर ना जाने कि उसके मुंह में पानी आ जाता था,,,,,।

गुलाबी अपने सलवार की डोरी खोल कर सलवार को नीचे की तरफ सरकाने लगी और जैसे-जैसे गुलाबी अपने सलवार को नीचे की तरफ ले जा रही थी वैसे वैसे मीना की आंखों की चमक बढती जा रही थी और देखते ही देखते गुलाबी अपनी सलवार को घुटनों तक नीचे खींच दी गुलाबी गुलाबी गुलाबी गोल-गोल गांड एकदम नंगी नजर आने लगी,,, गुलाबी की गोल गोल गांड देखकर,,, मीना के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी हालांकि यह औपचारिक था की एक औरत की खूबसूरत बदन को देख कर एक औरत के बदन में हलचल होना ठीक नहीं था और ऐसा होता भी नहीं था लेकिन मीना अपनी ही सहेली की गोरी गोरी गांड देखकर मस्त हुए जा रही थी,,,, मीना की आंखों के सामने ही सहज रूप से गुलाबी मुतने के लिए बैठ गई और अगले ही फल उसकी गुलाबी पुर के गुलाबी छेद में से सुमधुर आवाज आने लगी जो कि मीना के कानों

में पहुंचते ही मीना एकदम से मस्त हो गई,,,,।

खटिया पर बैठे बैठे हैं बिना अपनी आंखों के सामने अपनी सहेली को पेशाब करते हुए देख रही थी उसकी गोरी गोरी कांड उसके होश उड़ा रही थी उसे रहा नहीं जाए और वह खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे ठीक गुलाबी के पीछे पहुंच गई और उसकी तरह ही बिना अपनी सलवार खोलें बगल में बैठ गई और अपने हाथ को आगे बढ़ा कर गुलाबी की गोरी गोरी गांड को सहलाने लगी,,,, अपनी गांड पर हथेली का स्पर्श पडते ही गुलाबी एकदम से चौक गई,,, उसे लगा कि किसी और का हाथ है कितनी जब देखी की मीना उसके पास में बैठ कर उसकी गांड को सहला रही है तो वह मुस्कुरा दी,,,, गुलाबी कुछ बोल पाती इससे पहले ही मीना बोली,,,।

ओहहहह गुलाबी तो बहुत खूबसूरत है तेरी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं गया,,,,(एक औरत एक औरत की तारीफ कम ही करती है और इसीलिए मीना के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर गुलाबी को अच्छा लगने लगा ना जाने क्यों मीना के द्वारा उसकी गांड सहलाना,,, गुलाबी को अच्छा भी लग रहा था और उसे उत्तेजित भी कर रहा था,,,,और मीना अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए अपनी हथेली को उसकी गांड की दोनों फांकों के बीच में से नीचे की तरफ नहीं गई हो अपनी बीच वाली उंगली पर सीधे उसकी गुलाबी छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबा दी जिससे उसकी पेशाब एकदम से रुक गई,,,,।

आहहहह मीना क्या कर रही है,,,,।


कुछ नहीं बोला भी बस मजा ले रही हुं,,(इतना मादक स्वर में कहने के साथ ही गुलाबी अपनी बीच वाली उंगली को सीधे उसकी गुलाबी छेद के अंदर सरका दी और धीरे से उत्तेजित स्वर में बोली,,,)

मुत गुलाबी,,, रुक क्यों गई,,,,(अपनी नशीली आंखों को नचाते हुए मीना बोली,,,, और ना जाने कैसी कशिश थी और ना जाने कैसी कशिश थी मीना की आंखों में उसकी बातों में की गुलाबी उसके प्रति एकदम आकर्षित हो गई उसकी बात को मानते हुए फिर से पेशाब करना शुरू कर दी लेकिन इस बार ना जाने क्यों उसे बहुत मजा आ रहा था मीना की एक उंगली गुलाबी की गुलाबी बुर में घुसी हुई थी वह भी मुतने के अंदाज में उसके बगल में बैठी हुई थी,,,, गुलाबी को बड़े नजदीक से पेशाब करते हुए देखकर मीना के तन बदन में उत्तेजना की लार दौड़ने लगी वह अपनी नजरों को गुलाबी की दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी थी और उसकी गुलाबी छेद में से नमकीन पानी की धार को निकलते हुए देखकर गनगना रही थीऔर धीरे-धीरे अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रही थी,,, पल भर में ही मीना की कामुक हरकत की वजह से गुलाबी की सांसे भारी हो चली,,, खुद गुलाबी की आंखों में भी खुमारी का नशा छाने लगा,,, वह मदहोश होने लगी,,।
 

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