बैलगाड़ी

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गुलाबी अपनी सबसे अच्छी सहेली मीना की हरकत की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बिना इस तरह की हरकत करेगी लेकिन उसकी यह हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी पहली बार किसी औरत ने उसके बदन को इस तरह से स्पर्श की थी इसलिए यह एहसास कुछ अजीब,,, था,,, और गुलाबी इस अजीब और अद्भुत अहसास में पूरी तरह से खोती चली जा रही थी,,,, एक औरत औरतों के प्रति इस तरह से आकर्षित होगी इसका गुलाबी को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था,,,,।

गुलाबी अपनी मस्ती में घर के कोने में बैठ कर पेशाब कर रही थी उसे क्या मालूम था कि उसकी सहेली उसे प्यासी नजरों से देख रही होगी,,,,, मीनागुलाबी की गोरी गोरी गांड से पूरी तरह से आकर्षित हो गई थी उसे इस तरह से पेशाब करता हुआ देख कर वह अपना आपा खो बैठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,,, अपनी भावनाओं पर बिल्कुल भी काबू न कर सकने के कारण मीना अपनी जगह से उठकर ठीक कुलाती के बगल में आकर बैठ गई थी और उसकी गोरी गोरी गांड को सहलाते हुए अपनी हरकत को और ज्यादा बढ़ाते हुएअपनी बीच वाली उंगली को गुलाबी की गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दी थी,,,। यह ना जाने कैसी कशिश और खुमारी थी किगुलाबी मीना को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी या यूं कह लो कि कल घर में ही मीना ने उस पर पूरी तरह से काबू पा ली थी,,,, गुलाबी के लिए भी यह पहला अनुभव था जब कोई औरत पेशाब करते हुए उसकी बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर कर रही हूं इससे गुलाबी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी और उसके पेशाब की धार बड़ी तेजी से बाहर निकल रही थी जिसे देखकर मीना के मुंह में पानी आ रहा था,,,,,,मीना से रहा नहीं जा रहा था और बाहर अपनी उंगली को गुलाबी की बुर में अंदर-बाहर करते हुए बोली,,,।


ओहहहह गुलाबी क्या मुतती है रे तु,,, एकदम मस्त कर दे रही है,,,,


बड़े जोरों की लगी हुई थी,,,।

सहहहहह गुलाबी तुझे मूतता हुआ अगर कोई मर्द देख ले तो सच में तेरी बुर में लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,,,,।


धत्,,,, यह कैसी बातें कर रही है,,,


मैं सच कह रही हूं मेरी रानी,,,, तेरी बुर बहुत खूबसूरत है अनछुई,,, सहहहहहहहरह,,,,आहहहहहहहहह,,,(मीना की आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, पल भर में ही उसे गुलाबी की मदमस्त जवानी की मदहोशी का नशा छाने लगा,,,, वह बड़ी तेजी से गुलाबी की बुर में उंगली को अंदर बाहर कर रही थी गुलाबी उसे रोक सकने में अब बिल्कुल भी असमर्थ साबित हो रही थी क्योंकि उसे मजा आने लगा था एक औरत के हाथों से उसे पहली बार इस तरह का सुख प्राप्त हो रहा था,,,,।

मीना गुलाबी के चेहरे के बदलते भाव को बड़े गौर से पढ़ रही थी,,,, गुलाबी का सुर्ख लाल चेहरा साफ बयां कर रहा था कि मीना की हरकत का उस पर बेहद उन मादक असर पड़ रहा है,,, उसे मजा आ रहा है,,, गुलाबी की बुर से काम रस का बहाव होना शुरू हो गया था,,,, धीरे धीरे गुलाबी की दूर के छेद से निकल रही नमकीन पानी की धारा कम पड़ने लगी और देखते ही देखते वह बूंदों में बदल गई,,, गुलाबी पेशाब कर चुकी थी लेकिन उसका उठने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था,,,, वह उसी तरह से बैठी रह गई थी और इसी बात का मेला गौर भी कर रही थी मीना की हरकतें उसे अत्यधिक उत्तेजित कर रही थी,,,,।


बहुत संकरी है तेरी बुर गुलाबी,,,,



क्यों खुश हो जाएगा वह तो सबके पास होती है,,,।

सहहहहह होती तो है मेरी रानी लेकिन तेरी जैसी नहीं होती ना देख कितनी मक्खन जैसी चिकनी है तेरी हल्के हल्के बाल से सुशोभित और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है और सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक तेरी बुर में लंड नहीं गया है एकदम कुवारी है,,,,,,। और मर्दों को कुंवारी बुर ही सब से ज्यादा पसंद आती है जिसमें एक भी लंड गया ना हो,,,।


क्या तू सच कह रही है मीना,,,!(आंखों को बंद किए हुए मस्ती भरे स्वर में बोली)


एकदम सही कह रही हो मेरी गुलाबी रानी,,,,।


लेकिन शादी के पहले तो तू तो कई बार लंड ले चुकी थी तेरे पति ने कुछ कहा नहीं,,,।


सहहहहह ,,,,आहहहहहह गुलाबी,,,(बुर में उंगली डालते हुए) मुझे मालूम था कि मेरी बुर तेरी जैसी संकरी नहीं है,,,और मुझे यह भी पता था कि अगर मेरा पति अनुभव वाला होगा तो उसे पहली रात में ही सब पता चल जाएगा इसलिए मैं भी एक तरकीब की थी जिसकी बदौलत मेरे पति को आज तक शक ही नहीं हुआ,,,,।
(इतना सुनते ही गुलाबी की उत्सुकता उसके तरकीब के बारे में जानने की और ज्यादा बढ़ गई क्योंकि उसकी तरकीब उसे भी काम आ सकती थीक्योंकि वह तो घर में ही दो दो मर्द का आनंद ले रही थी एक तो सबसे ज्यादा मोटा तगड़ा और लंबा था जिसके कारण उसकी बुर की गोलाई कुछ हद तक फैल गई थी अगर मीना उसे सही हिदायत दे देगी तो उसका भी काम बन जाएगा वरना शादी के बाद उसका भी भांडा फूट जाने का डर बना रहेगा इसलिए वह उत्सुकता दिखाते हुए बोली)



ऐसी क्या तरकीब लगाई की जीजा जी को शक नहीं हुआ,,,

बहुत मस्त करके फिर गुलाबी तू अगर शादी से पहले चुदवाती रहती तो तेरे भी वह तरकीब बहुत काम आती ,,,,


फिर भी बताना पता तो चले,,,,(पेशाब कर लेने के बावजूद भी गुलाबी उसी तरह से बैठी रह गई थी यह मीना की कामुक हरकतों का ही नतीजा था जोकि गुलाबी उठ नहीं रही थी,,,,)


अरे सुहागरात की जैसे ही तेरे जैसा मतलब मेरे पतिअपना लंड डालने की कोशिश करने लगे वैसे ही मै जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दी,,,।

ऐसा क्यों,,?


अरे मतलब क्यों नहीं पता चले कि मुझे दर्द हो रहा है,,,,


इसके बाद क्या हुआ,,,,?(मीना की बातों में गुलाबी अपनी उत्सुकता दिखा रही थी और गुलाबी कि बुर में मीना अपनी उंगली को अंदर बाहर करके उसकी उत्तेजना और मजा दोनों को बढ़ा रही थी,,,,)

मैं इतनी जोर से चिल्लाना शुरू की थी कि उन्होंने जोर से मेरा मुंह दबा दिया और पता है तुझे वह क्या बोले,,,,।


चिंता मत करो मेरी रानी शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है उसके बाद बहुत मजा आएगा बस थोड़ा सा संभाल लो,,,।
(इतना कहकर मीना हंसने लगी और उसकी बात सुनकर गुलाबी भी हंसने लगी क्योंकि वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि उसका पति बेवकूफ बन रहा था आगे की बात जाने के लिए गुलाबी बोली)


इसके बाद,,,,


इसके बाद में थोड़ा संभल गई और दर्द का बहाना करती रही उन्हें रह-रहकर रोक देती थी,,,,, और रुक जाते थे उन्हें लगता था कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,, जैसे ही उनका पूरा अंदर गया मैं धीरे-धीरे दर्द को भूलने का नाटक करते हुए मस्ती भरी आवाज निकालने लगी,,, और फिर मेरे दामन में लगा दाग भी भूल गया मेरे पति को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ सुबह जल्दी उठकर मैं जानबूझकर अपने बिस्तर को धो डाले ताकि सबको यही लगेगी बिस्तर पर खून का धब्बा लगा हुआ होगा,,,


बाप रे तू तो कितनी चालाक है,,,,(गुलाबी आश्चर्य जताते हुए गोरी जो कुछ भी मीना ने उसे बताई थी वह उसकी जिंदगी में भी आगे चलकर काम आने वाला था इसलिए उसे इस बात की खुशी थी कि वह भी मीना की तरह बहाना करके अपने पति को बिल्कुल भी शक नहीं होने देगी,,,,।धीरे-धीरे गुलाबी की सांसो की गति तेज होने लगी क्योंकि दोनों टांगों के बीच मीना की हरकत बढ़ने लगी थी,,,।)

सहहहहह आहहहहहह,,,, गुलाबी तेरी जैसी गुलाबी और खूबसूरत बुर अगर मेरी होती तो मैं तक ना जाने कितने मर्दों को अपना गुलाम बना कर रखती,,,।


धत्,,, मेरे पास भी तो वैसे ही है जैसी तेरे पास है,,, मेरे में नया क्या है,,,,।


अरे पागल हीरे की परख केवल जोहरी ही जान पाता है और तेरी दोनों टांगों के बीच एक बेशकीमती हीरा है,,, जिसकी चमक और दाम सिर्फ मैं ही बता सकती हुं,,,(मीणा उत्तेजित होते हुए अपनी हथेली में मुट्ठी बनाकर गुलाबी की छोटी सी बुर को दबोच ली,,, जिससे गुलाबी के मुंह से आह निकल गई,,,,।

आहहह,,, क्या कर रही है,,,।


तेरी बुर से प्यार कर रही हु,,, कसम से मेरा मन तो कर रहा है कि तेरी बुर को जीभ से चाट लु,,,(मीना एकदम से मदहोश स्वर में बोली,,, उसकी यह बात सुनकर गुलाबी पूरी तरह से मदहोशी से भर गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक औरत एक औरत की बुर चाटने की बात कर रही थी,,, इस अनुभव को लेने के लिए गुलाबी का भी मन मचल उठा अब तक उसकी बुर पर उसके बड़े भैया और उसके भतीजे का ही होठ लगा था जिसका का भरपूर आनंद लुटी थी,, लेकिन अब वहां एक औरत के होठों को अपनी बुर का चुंबन देना चाहती थी और उसके एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,,, वह देखना चाहती थी कि जब एक औरत की जीत औरत की बुर पर लगता है तो औरत को कैसा एहसास होता है,,,, वह अगले पल के लिए बेहद उत्सुक थी लेकिन अपने मुंह से बोलने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि मीना के सामने वह एक सीधी-सादी लड़की थी जिसने अभी तक अपने बदन पर किसी भी मर्द का हाथ रखने ही नहीं दी थी,,, और अगर ऐसे में वह खुद आगे चलकर उसे अपनी बुर चाटने का न्योता देती है तो मीना के मन में शंका जाग सकती है इसलिए वह ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी कि मीना को किसी भी प्रकार का शक हो,,,, इसलिए वह बोली,,,)

धत्,,,, कैसी बातें करती है तू,,,, सुनकर ही कितना गंदा लगता है,,,,


अरे बुद्धू शुरू शुरू में ऐसा ही लगता है कि यह बहुत गंदा काम है लेकिन एक बार बुर में जीभ घुस गई ना तब तू ही मेरा मुंह पकड़ कर और सटा देगी,,, लेना चाहती है अनुभव,,,, धीरे-धीरे तुझे भी सीखना चाहिए मजा लेना चाहिए वरना जिंदगी में क्या है,,,,(मीना गुलाबी की बुर को अपनी हथेली से सहलाते हुए उसे मना रही थी,,, और गुलाबी भी मचल रही थी इस नए अनुभव के लिए,,,,,, मीना तड़प रही थी गुलाबी कि बुर उनको चाटने के लिए,,, गुलाबी कुछ बोल नहीं रही थी वह उसी तरह से गांड खोल कर बैठी हुई थी ,,, जैसा की पेशाब करने के लिए बैठी थी,,,मीना भी उसका साथ देते उसके बगल में बैठी थी लेकिन पेशाब नहीं कर रही थी,,,, वह पूरे कपड़ों में थी और गुलाबी अपनी सलवार खोल कर बैठी थी,,।उसकी नंगी गांड की तरफ आकर्षित होते

हुए मीना उसकी नंगी गांड और उसकी बुर से खेल रही थी,,,मीना को किसी भी प्रकार का साथ ना हो जाए इसलिए अपने शब्दों को संभाल कर बोलते हुए बोली,,,)


मीना रहने दे तेरी हरकत से मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,


मैं जानती हूं मेरी जान तुझे मजा आ रहा है इससे भी ज्यादा मजा आएगा बस मुझे अपनी मनमानी करने दे तो खुश हो जाएगी,,,,।


धत मुझे शर्म आती है,,,,।


अरे इसमें कैसी शर्म,,,,।


नहीं रहने दे,,, मुझे शर्म आ रही है मुझे सलवार पहनने दे,,,।(और इतना कहने के साथ ही वो एक बहाने से खड़ी हो गई,,, वह जानबूझकर खड़ी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि मीना उसकी बुर चाट ना चाहती है और बिना खड़े हुए मिला उसकी बुर चाट नहीं पाएगी जिसके लिए वह खुद उत्सुक थी,,,और दिखावे के लिए वह सलवार को ऊपर की तरफ उठाने लगी तो मीना तुरंत उसे रोक दी,,,,,, और सलवार को और नीचे की तरफ सरका दी,,, उसकी हरकत को देखकर दिखावे का गुस्सा करते हुए गुलाबी बोली,,,।


यह क्या है मीना,,,, यह ठीक नहीं है कोई देख लेगा तो क्या होगा,,,


तू बिल्कुल भी चिंता मत कर गुलाबी कोई नहीं देखने वाला दरवाजा बंद है और हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है मैं तुझे ऐसा सुख दूंगी कि तू एकदम मस्त हो जाएगी और अपनी जवानी का सही उपयोग करने लगेगी,,,,(पर इतना कहते हुए बड़ा गुलाबी की चिकनी जांघों को पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की तरफ बढ़ाने लगी उसकी नजरें ऊपर थी गुलाबी भी उसे ही देख रही थी दोनों कि मुझे आपस में टकरा रही थी जिससे गुलाबी को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी नजरों को हटा नहीं रही थी,,,, जब मीना के प्यासे होठ गुलाबी की तपती हुई बुर के बेहद करीब आ गई तो मीना उसकी आंखों में देखते हुए बोली,,,)


देखना बहुत मजा आएगा गुलाबी,,,,(और इतना कहने के साथ ही मीना अपने प्यासी होठों को गुलाबी की बुर पर रख दी,,,, गुलाबी के लिए यह पहला अवसर था जब हुआ किसी औरत के होठों को अपनी दूर के ऊपर महसूस कर रही थी लेकिन मीना के लिए यह अनुभव कुछ ज्यादा ही था वह अपने ससुराल में,,, इस तरह के संबंध के बारे में सीखी थी और जानी थी क्योंकि उसके साथ उसकी ननद यह सब करती थी और उसी के वजह से उसके तन बदन में औरतों के लिए प्यास बढ़ने लगी थी गुलाबी की नंगी गांड को देखकर उसकी है प्यास एकदम से बढ़ गई थी और नतिजन इस समयउसके होंठ गुलाबी कीबोर्ड के ऊपर थी और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी गुलाबी छेद में डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दी थी उत्तेजना के मारे गुलाबी की बुर से काम रस बहना शुरू हो गया था जिसका स्वाद मीना ले रही थी,,,,।

गुलाबी ने अपनी भैया और अपने भतीजे से से अपनी बुर खूब चटवाई थी,,,, औरत की जीभ का मजा लेते हुए गुलाबी के मुंह से सिसकारी की आवाज निकलने लगी जोकि मीना के लिए उत्तेजना बढ़ा देने वाला था क्योंकि इससे साफ जाहिर हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से गुलाबी को मजा आ रहा है और गुलाबी पहले से ही बुर चटवाने का अनुभव ले चुकी थी इसलिएतुरंत अपने दोनों हाथों को मीना के सर पर रख कर अपनी कमर को गोल गोल हीलाने लगी,,,जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी हरकत अनुभव वाली है तो वहां तुरंत अपने हरकत को अपने बातों से संभालते हुए बोली,,,।


ओहहहह मीना मुझे क्या हो रहा है,,,आहहहहह,,,मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा मेरे तन बदन में कुछ हो रहा है,,,।
(गुलाबी की बातों को सुनकर मीना अंदर ही अंदर खुश होने लगीवह बुर चाटने में व्यस्त थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी क्योंकि वह इस एहसास को अच्छी तरह से जानती थी वह समझ गई थी कि गुलाबी को बहुत मजा आ रहा है,,,। घर के कौन है शादीशुदा मीना और कुंवारी गुलाबी कामसूत्र के नए अध्याय की शुरुआत कर रहे थे,,, गुलाबी घर की कच्ची दीवार से सटकर खड़ी थी और उसकी चिकनी जामा को दोनों हाथों से थामे हुए मीना घुटनों के बल बैठकर उसकी बुर चाट रही थी बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ यह नजारा था,,,। कुछ देर तक मीना इसी तरह से गुलाबी की बुर को चाटती रही लेकिन वह उसे खटिया पर ले जाना चाहती थी,,, इसलिए उसकी बुर से अपने होठों को हटा कर खड़ी हो गई और उसका हाथ पकड़ कर उसे खटिया तक ले जाए और उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दि,,,,गुलाबी कुछ भी नहीं बोल रही थी बस उसके आदेश का पालन करते हुए जैसा वह कर रहे थे उसी तरह से व्यवस्थित आसन में आजा रही थी,,,,। मीना को उसकी आधी उतरी हुई सलवार को उसकी टांगों से बाहर खींच कर निकाल दी,,, और उसकी कुर्ती को उतारने लगी तो खुद गुलाबी उसकी सहायता करते हुए अपनी कुर्ती को भी उतार फेंकी इस समय गुलाबी पूरी तरह से नंगी थी और मीना अपने संपूर्ण वस्त्र में थी,,, लेकिन मैंने बात अच्छी तरह से जानती थी कि किस खेल को वो खेलने जा रही है उस खेल में वस्त्र बाधा रोग बन जाते हैं इसलिए वह भी,,, गुलाबी की आंखों के सामने ही बेशर्मी की खातिर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम से नंगी हो गई,,,,। मीना का रंग दबा हुआ था

लेकिन उसके बदन का उभार विवाहित होने के नाते बहुत ही खूबसूरत सांचे में ढल गया था,,,।

मीना को नंगी देखकर गुलाबी मुस्कुरा रही थी और मीना बिना देर किए तुरंत खटिया पर चढ गई और उसकी दोनों टांगों को फैला कर फिर से उसकी बुर पर अपने होठों को रख कर चाटना शुरू कर दी अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ लाकर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दी,,,,अब औरत वाली इस खेल में गुलाबी को बहुत मजा आ रहा था वह कभी सोचे नहीं थे कि औरत से भी उसे इतना सुख प्राप्त हो सकता है मीना पागलों की तरह उसके काम रस को जीभ से चाट रही थी,,,। और गुलाबी उत्तेजना के मारे खटिया पर कसमसा रही थी कुंवारी बुर चाटने के अनुभव को लेना चाहती थी,,, लेकिन गुलाबी मीना से यह बात कहने में शर्मा रही थी,,, लेकीन मीना ससुराल में जाकर अपनी ननद से सब कुछ सीख चुकी थी इससे ससुराल का अनुभव होगा गुलाबी के साथ बांट रही थी,,,,।

वह तुरंत अपने आसन को बदलते हुए,,, अपनी गांड से गुलाबी के मुंह पर रख दी और झुक कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दी,,,, गुलाबी समझ गई थी कि मीना क्या करवाना चाहती है इसलिए अपनी उत्सुकता को पूरी करते हुए गुलाबी अपनी जीभ बाहर निकाल कर,,,, मीना की बुर को चाटना शुरू कर दी,,, मीना के काम रस का स्वाद अपनी जीभ पर महसूस करते ही गुलाबी को बात का एहसास हुआ कि औरत की बुर से निकलने वाला काम रस कितना कसैला और नमकीन होता है फिर भी मर्द बड़े चाव से काम रस के गले के नीचे उतार लेते हैं,,,,।

गुलाबी भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी मीना की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में भरकर वह उसकी बुर को चाट रही थी और मीना अपनी जीभ से गुलाबी की बुर को कुरेद रही थी,,,दोनों को एक दूसरे के अंगों से खेलने में बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों अपने अपने ढंग से एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे,,,, मीना गुलाबी की मस्ती को और ज्यादा बढ़ाते हुए,,, अपनी एक उंगली का गुलाबी की बुर में डालने लगी वैसे तो मीना अगर अपनी तीनों मिलेगी उसकी बुर में डाल देती तो भी उसे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अपने भतीजे के मोटे और लंबे लंड को वह रोज अपनी बुर के अंदर लेती थीलेकिन कहीं अपनी चोरी पकड़ी ना जाए मीना को किसी भी प्रकार का शक ना हो जाए इसलिए वह दर्द का बहाना करते हुए उसका हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, तो मीना उसे समझाते हुए बोली,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान बहुत मजा आएगा धीरे धीरे तेरी बुर में लंड के लिए जगह बनाने दे वरना एक ही झटके में घुसेगा तब तू सह नहीं पाएगी,,,,।
(गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि मीना की उंगली से उसे कुछ भी फर्क पड़ने वाला नहीं है इसलिए थोड़ी बहुत नानकुर करके उसे उसकी मनमानी करने दी,,,, धीरे-धीरे मीना अपनी एक उंगली को गुलाबी की बुर में डालना शुरू कर दी,,,, गुलाबी दर्द से कराहने का बस नाटक करती रही,,, और साथ में मीना की बुर को चाटने का मजा भी ले रही थी,,।।

धीरे-धीरे दोनो की हरकत बढ़ती जा रही थी गुलाबी समझ गई थी कि मीना को अब बिल्कुल भी शक होने वाला नहीं हैइसलिए इस मौके का गुलाबी पूरी तरह से फायदा उठाना चाहती थी इसलिए जोर-जोर से मिलना की गांड पर चपत लगाते हैं उसकी बुर को चाट रही थी और खुद भी अपनी उंगली को मीना कि बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दी थी,,,, दोनों एक एक बार एक दूसरे की हरकत से झड़ चुके थे,,,।


मीना अपने आसन के बदलते हुए खुद गुलाबी की दोनों टांगों के बीच आ गई और उसके ऊपर झुक कर उसकी दोनो चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दी,,,, गुलाबी की उत्तेजना बढ़ने लगी,,,, एक औरत के साथ इस तरह के संबंध में गुलाबी को भी मजा आ रहा था,,,, गुलाबी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट रही थी,,,। मीना अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपनी बुर को उसके ऊपर लेट कर हल्के हल्के गुलाबी की बुर पर रगड रही थी,,,गुलाबी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी की बुर से बुर का घर्षण बेहद उन्माद पैदा कर रहा था,,, उत्तेजना के मारे धीरे धीरे गुलाबी भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ फेंक दे रही थी,,, देखते ही देखते मीना अपनी बुर को जोर-जोर से गुलाबी की बुर पर रगड़ना शुरू कर दी,,,बुर से बुर रगड़ने की वजह से दोनों के बदन में अद्भुत गर्मी का संचार हो रहा था दोनों की जवानी पीघल कर बुर के रास्ते से बह रही थी,,,,देखते ही देखते दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में कस के झड़ने लगी,,,,।

कुछ देर तक दोनों इसी तरह से खटिया पर एकदम नंगी होकर एक दूसरे की बाहों में लेटी रह गई,,,। गुलाबी को आज एक नया अनुभव प्राप्त हुआ था,,, मीना और कला के कहने खटिया पर से नीचे उतर कर खड़ी हो गई और अपने अपने कपड़े पहनने लगी,,, गुलाबी जानबूझकर मीना के सामने शर्माने का नाटक कर रही थी,,, और मैंने उसे छेडते हुए बोली,,,।

हाय मेरी गुलाबी रानी मजा आया ना,,, अब ना मत कहना क्योंकि तेरी बुर से भी काम रस फूट पड़ा था यह तभी होता है जब मजा आता है समझी,,,,(इतना कहकर मीना मुस्कुराने लगी और गुलाबी भी मुस्कुराते हुए घर से बाहर निकल गई,,,।)
 
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गुलाबी मीना के घर से एक अद्भुत अनुभव लेकर लौट रही थी वो कभी सोची नहीं थी कि औरतों के बीच में भी इस तरह के शारीरिक संबंध स्थापित होते हैं जिनमें औरतों को भी बेहद आनंद की अनुभूति होती है,,,, गुलाबी को भी बहुत मजा आया था वरना वह उन्मादीत होकर झडती नहीं,,,,,, गुलाबी अब तक अपने घर में दोनों मर्दों को अपनी बुर्का काम रस पिलाती आ रही थी उसका स्वाद कैसा होता है इस बारे में उसे बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन आज मीना की बुर पर अपना होठ रखकर उसे इस बात का एहसास हुआ किऔरत की बुर का स्वाद कसैला और नमकीन होता है जिसे जीभ से चाट कर दुनिया का हर एक मर्द और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाता है,,, उसी तरह का उत्तेजना गुलाबी को भी अपने तन बदन में महसूस हुआ था,,, मीना ने जो कुछ भी गुलाबी के साथ की थी उससे गुलाबी को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,,। और उससे जादू सीखने को मिला था कि शादी वाले दिन सुहागरात को अपने पति के साथ कैसा बर्ताव करना है,,,, ताकि उस पर कोई उंगली ना उठा सके,,,, । गुलाबी बहुत खुश थी एक तो एक नए अनुभव से और इस बात से कि मीना को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ था कि वह बहुत बार चुदवा चुकी है,,,।


राजू को रात का बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि आज वह भाभी की गांड मारना चाहता था और इस नए अनुभव से अवगत होना चाहता था लेकिन मीना ने जो गांड मराई का अनुभव बतानी थी उससे गुलाबी डर गई थीऔर इसीलिए ही राजू के लाख मनाने पर भी गुलाबी बिल्कुल भी नहीं मानी थी और केवल अपनी दोनों टांग फैला कर अपनी बुर उसे सौंप दी थी,,, राजू भी अपना मन मार कर अपना पूरा ध्यान अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर केंद्रित कर दिया जिस पर उसका पूरा हक था,,,,,,,,,,।

शाम को बेल गाड़ी लेकर लौटते समय,,, हरिया बैलगाड़ी को लाला की हवेली की तरफ मोड़ दिया था क्योंकि उसे ब्याज के पैसे देने थे और 2 दिन वह लेट हो चुका था,,,, बैलगाड़ी को हवेली के सामने खड़ा करके हरिया जल्दी-जल्दी हवेली में प्रवेश करने के हेतु,,,, दरवाजे पर खड़ा होकर दस्तक देने की जगह बोला,,,।


मालिक,,,, मालिक,,,,, घर पर हो,,,,

(लाला उसी समय बैठा बैठा हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,, हरिया की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए वहां वहीं बैठे हुए ही बोला,,,)

आजा हरिया,,,,
(इतना सुनते ही हरिया हाथ जोड़े हुए ही हवेली में प्रवेश किया सामने ही लाला बैठा हुआ था उसे देखकर नमस्कार करते हुए बोला,,,)


नमस्कार मालिक,,,,।


आओ हरिया,,, आने में 2 दिन देर क्यों कर दिया,,,।


ओ ,,, क्या है ना मालिक सवारी मिलना मुश्किल हो गई थी इसलिए देरी हो गई आइंदा से ऐसी गलती नहीं होगी,,,।


कोई बात नहीं आइंदा से इस तरह की गलती में बर्दाश्त भी नहीं करूंगा,,,, लाओ ब्याज के पैसे दो,,,,
(लाला की बात सुनते ही हरिया तुरंत अपनी धोती में बांधे हुए पैसे निकालकर लाला को थमाते हुए बोला,,,)


लीजिए मालिक,,,
(ब्याज के पैसे लाला के हाथ में थमाते हुए,,, हरिया चक्र पर इधर उधर देख रहा था उसकी नजरें उस औरत को ढूंढ रही थी जो उस दिन लाला के नीचे थी,,,,,,, उस दिन लालच की चुदाई कर रहा था उस औरत का रहस्य अभी भी हरिया के मन में बना हुआ था हरिया समझ नहीं पा रहा था कि लाला से चुदवाने वाली वह औरत थी कौन,,,,, क्योंकि हरिया ने जिस तरह का उसका खूबसूरत मक्खन जैसा गोरा बदन देखा था उससे साफ पता चल रहा था कि वह औरत ऊंचे खानदान की थी गांव में क्योंकि इतनी खूबसूरत औरत दूसरी कोई नहीं थी जिसका बदन मक्खन जैसा एकदम चिकना और गोरा था,,,,इतना तो हरिया समझ गया था कि वह औरत कोई ऊंचे खानदान की ही थी गांव की नहीं थी लेकिन कौन थी इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं चल रहा था इसीलिए वह ,,,हवेली में आते ही अपनी नजरों को दौड़ाना शुरू कर दिया था इस उम्मीद से कि वह औरत उसे फिर नजर आ जाए,,,, और उसे इस बात का भी पता चला था कि लाला के घर में उसकी छोटी बहन रहती है जो कि विधवा है,,,, इसीलिए हरिया के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी पहले तो उसे इस तरह के रिश्ते पर शंका नहीं होती थी लेकिन जब से वह खुद अपनी ही बहन से शारीरिक संबंध बनाया था तब से उसे लगने लगा था कि कहीं लाला का संबंध उसकी बहन से तो नहीं है,,,। और वह अपने मन में यही सोचने लगा था कि क्या उसकी तरह और भी भाई है जो अपनी बहन के साथ चुदाई का सुख भोगते हैं,,,,। अपने मन में यह भी सोचता था कि उसकी बात गलत भी हो सकती है,,, उसकी तरह कोई दूसरा भाई नहीं होगा जो अपनी ही बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाया हो,,,लेकिन वह अपने मन में ही सोचता था कि कहां से उसका सोचना सही हो जाता तो शायद उसके मन की ग्लानी थोड़ी कम हो जाती,,,।लाला उसके हाथ से पैसे लेकर गिन रहा था और उसे भी बड़े गौर से देख रहा था वह पूरी हवेली में इधर उधर नजर घुमाकर देख रहा था,,उसे इस तरह से इधर-उधर देखता हूं आप आकर लाला भी समझ गया था कि वह क्या देखने की कोशिश कर रहा है इसलिए उसे जोर से

डांटते हुए बोला,,,)


हरिया ध्यान किधर है तेरा,,,,


कककक,,, कुछ नहीं मालिक,,,, मालकिन नही नजर आ रही थी इसलिए,,,,।


तुझे इससे क्या,,,? ज्यादा बनने की कोशिश मत कर समझा,,, और कभी हवेली में आया कर तो अपनी नजरों को झुका कर रखा कर वरना तुझे पता है कि मैं क्या कर सकता हूं,,,, तेरा हुक्का पानी बंद हो जाएगा समझा,,,,


मममम,मालिक वो तो मैं,,,,


बस कर ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है और निकल जा हवेली से,,,,,।

जी मालिक,,,( और इतना कहते हुए हरिया हाथ जोड़कर मन मारकर हवेली से बाहर निकल गया लाला के साथ वह जबान नहीं बनाना चाहता था क्योंकि मुसीबत में डाला ही काम आता था और उसे अभी अपनी बहन गुलाबी का विवाह करना था जिसमें पैसे की जरूरत को सिर्फ लाला ही पूरी कर सकता था इसलिए वह कुछ बोला नहीं,,,, लेकिन अपने मन में लाला को ढेर सारी गालियां देते हुए वह हवेली से बाहर आ गया और अपनी बैलगाड़ी को लेकर अपने घर की तरफ चल दिया,,,, हरिया के हवेली से बाहर जाते ही लाला की बहन सोनी हाथ में दूध का गिलास लिए हुए लाला के पास आई और बोली,,,)


कौन था भैया जो ज्यादा सवाल जवाब कर रहा था,,,।

वही बैलगाड़ी वाला हरिया,,, इसकी हरकत को मैं अच्छी तरह से जानता हूं उस दिन जब यह राज के पैसे देने के लिए आया था तो मुझे तुम्हारी चुदाई करते हुए देख लिया था वह तो अच्छा था कि तुम्हारे घर में बाल से तुम्हारा चेहरा ढक गया था वरना गजब हो जाता और इसीलिए अब सुबह हवेली में ताक झांक करता रहता है की हवेली में वह औरत है कौन,,,,।
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर सोनी सकते में आ गई,,,वह भी उस दिन वाली घटना को अच्छी तरह से जानती थी जब उसे अपने भाई का लंड लेते तो बहुत मजा आ रहा था उसी समय हरिया भी वहीं आ टपका था लेकिन उस समय उसके घने बाल से उसका चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ था और उसके बदन पर कपड़े के नाम पर एक रिसा तक नहीं था वह पूरी तरह से नंगी थी और उसका भाई भी पूरी तरह से मंगा था उसके भाई का लंड उसकी बुर में पूरी तरह से समाया हुआ था,,, वह क्षण चरम सुख के बेहद करीब था इसलिए उसका बड़ा भाई अपने लंड को अपनी बहन की बुर में से निकालना मुनासिब नहीं समझा था इसलिए हरिया की मौजूदगी में ही वह तब तक उसकी बुर में अपना लंड पेलता रही जब तक कि उसका पानी ना निकल गया,,, सोनी भी इस बात से खुशी की हरिया उसके चेहरे को देख नहीं पाया था उसे पहचान नहीं पाया था दोनों भाई बहन के रिश्ते को समझ नहीं पाया था उसे ऐसा ही लग रहा था कि जिस औरत के उसका भाई चोद रहा है वह कोई और है उसके घर की कोई सदस्य नहीं,,,, अपने बड़े भाई की बातें सुनकर सोनी बोली,,)


अच्छा हुआ भैया कि तुमने उसे डांट कर भगा दिया वरना वह इस तरह की हरकत दोबारा भी करता और कहीं हम दोनों पकड़े जाते हैं तो गांव में कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाते,,,।


तुम ठीक कह रही हो सोनी इसीलिए तो मैं उसे मुंह नहीं लगाता,,,,।


लीजिए भैया दुध,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनी दूध का गिलास अपने भाई की तरफ आगे बढ़ाई और एक हाथ से अपने साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी,,,, वह पूरी तरह से अपने बड़े भाई को खुश रखने की कोशिश करती थी भले ही बाहर वह राजु के जवान लंड से पूरी तरह से संतुष्ट हो जाती थी लेकिन अपने भाई को भी वह संतुष्ट करती थी क्योंकि यही तो उसका हथियार था अपने भाई को पूरी तरह से काबू में रखने का साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही लाला की आंखों में चमक आ गई क्योंकि साड़ी के नीचे सोनी ब्लाउज नहीं पहनी थी वह दूध लाने से पहले ही अपना ब्लाउज निकाल दी थी क्योंकि वह जानती थी तो उसके भैया की आदत यही थी कि वह गिलास के दूध से पहले उसका दूध पीना पसंद करते थे,,,,,,,)


हाय सोनी तुम तो मेरी भूख और ज्यादा बढ़ा दी हो,,,, पहले मैं तुम्हारा दूध पीऊंगा फिर ग्लास का,,,


जानती हूं भैया तभी तो यहां आने से पहले अपना ब्लाउज उतार कर फेंक दी थी लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर में दरवाजे के पीछे रुक गई थी,,,, और तुम्हारे साथ दूसरे आदमी को देखकर मैं तुम्हारे सामने नहीं आई,,,।


अच्छा हुआ तुम इस हाल में उसके सामने नहीं आ गई वरना जो कुछ भी हो अपने मन में सोच रहा है शायद उसे पूरी तरह से अपनी बात पर अपनी शंका पर यकीन हो जाता,,,,।


इसीलिए तो मे रुक गई थी भैया और उसके जाने का इंतजार कर रही थी,,,,।


हाय मेरी बहन बहुत समझदार हो गई है,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को थामने को हुआ कि सोनी थोड़ा पीछे हट गई और दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली,,,)

आहंं,आहंंं,,,, थोड़ा तो सब्र करो भैया दरवाजा तो बंद करने दो अगर कोई नौकर आ गया तब क्या करोगे,,,।


हां तुम सच कह रही हो सोनी जाकर दरवाजा बंद कर दो,,,।

(अपने भैया की बात सुनते ही सोनी उसी हाल में पल्लू को नीचे गिरा कर दरवाजे की तरफ आकर बनाने लगी उसकी मटकती हुई गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर लाला से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था उसके बदले में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी सोनी के साड़ी का पल्लू,,, नीचे जमीन पर लहराते हुए जा रहा था जिसे संभालने की दरकार सोनी बिल्कुल भी नहीं कर रही थी वहां और भी ज्यादा अपने बड़े भाई को उत्तेजित करने के उद्देश्य से अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर आगे बढ़ रही थी,,, और अगले ही पल में दरवाजा बंद करके लाला की तरफ आगे बढ़ने लगी तो उसकी मदमस्त छातियों की शोभा बढ़ाती है उसकी दोनों पपैया जैसे चुचियों को देखकर लाला के मुंह में पानी आ गया,,,,,, उससे इंतजार करना मुश्किल हो जाएगा रहा था वह तुरंत अपने जगह से उठ कर खड़ा हो गया और सोनी उसके पास पहुंचती इससे पहले ही वह अपनी बहन के पास पहुंच गया और उसे अपनी बाहों में भर कर सीधा उसके चुची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,

, जब से राजू के साथ सोनी शारीरिक संबंध स्थापित की थी तब से उसे अपने भाई के साथ बिल्कुल भी मजा नहीं आता था बस अपने भाई को नाराज नहीं करना चाहती थी उसे हर हाल में खुश रखना चाहती थी इसीलिए उसके साथ वह सब कुछ करती थी जो एक औरत एक मर्द के साथ उसे खुश करने के लिए करती थी,,,,,।


आहहहह भैया ,,,,, क्या कर रहे हैं मैं भागी थोड़ी जा रही हूं आराम से,,,आहहहहह,
(लेकिन सोने की बातों का उस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी मनमानी कर रहा था तभी दाईं चूची को तो कभी बाई चूची को मुंह में भरकर पी रहा था और साथ ही साथ नीचे की तरफ लाकर सोने की साड़ी की गिठान को खोल रहा था,,,,और कुछ ही देर में मैं अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया कमरे में ले जाने के बजाय वही पर घोड़ी बनाकर पीछे से सोनी की चुदाई करना शुरू कर दिया जैसा कि उस दिन हरिया ने अपनी आंखों से देखा था हरिया को इस आसन में अपनी बहन की चुदाई करना बहुत अच्छा लगता था,,,,। और थोड़ी ही देर में हरिया सोनी पर ढेर हो गया,,,,और सोनी अपने मन में ही सोचने लगी कि यही फर्क है राजू और उसके बड़े भाई में राजू उसके साथ पूरी तरह से मस्ती करते हुए उसे पूरी तरह से उत्तेजित करने के बाद ही उसकी बुर में लंड डालता था और उसका भाई बस अपनी प्यास बुझाने के खातिर बिना सोचे समझे उसकी बुर में लंड डालकर झड़ जाता था,,,, लेकिन फिर भी सोनी खुश थी क्योंकि अधिकतर हवेली पर उसका ही राज चलता था जिसका कारण था वह अपना जिस्म अपने भाई को सौंप देती थी,,,।


,,, दूसरी तरफ राजू के मन में झुमरी के लिए प्रेम का अंकुर पूछ रहा था दिन रात वहां केवल झुमरी के बारे में ही सोचता रहता था भले ही वह अपनी प्यास गांव की औरतें और अपनी बुआ को चोद कर मिटाता था,,,, लेकिन झुमरी के लिए उसके मन में सच्चा प्यार था उसकी आंखों में उसके दिल में झुमरी पूरी तरह से बस गई थी उसकी बस एक झलक पाने के लिए वह घंटों गांव के चक्कर लगाया करता था ज्यादातर उसके घर के इर्द-गिर्द लेकिन झुमरी उसे नजर नहीं आती थी,,,,।

झुमरी से मिलने का उसके पास सिर्फ एक ही बहाना होता था श्याम जिसे वह पढ़ने के बहाने उसके घर पर बुलाया नहीं जाया करता था और इसी बहाने उसे झुमरी के दर्शन करने को मिल जाते थे,,,, श्याम से उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी लेकिन झुमरी के कारण वह बार-बार श्याम के घर आए दिन पहुंच ही जाता था लेकिन फिर भी बड़ी मुश्किल से उसे डुमरी के दीदार होते थे,,,।

ऐसे ही 1 दिन दोपहर का समय था और वह झुमरी कोई पानी से देखने के लिए श्याम के घर पहुंच गया उसे बुलाने के लिए,,,,वह श्याम के घर पर दरवाजे पर खड़ा था वह दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया तो दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया और वह चोर कदमों से घर के अंदर प्रवेश कर गया उसे ऐसा लग रहा था कि आज भी उसी झुमरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाता तो वह बहुत खुशनसीब होता इसी उम्मीद से वह धीरे धीरे चोर बदमाश उसके घर के अंदर आगे बढ़ता जा रहा था,,,,और देखते ही देखते हो कहां उसी जगह पर पहुंच गया जहां पर उस दिन पहुंचा था और जहां से वह झुमरी के नंगे बदन का दीदार करके पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,।
राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह चोर की तरह श्याम के घर में प्रवेश किया था अगर ऐसे में उसकी मां उसे देख लेती तो क्या समझती इसीलिए वह बड़ी संभाल कर आगे बढ़ते हुए उसी जगह पर पहुंच गया था वह जैसे ही उस जगह पर पहुंचकर सामने की तरफ नजर दौड़ाया तो सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,। जो कुछ भी वह देख रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे कुछ ऐसा देखने को मिलेगा,,,।
 
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श्याम के घर के अंदर का नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था यहां आने से पहले राजू ने ऐसा कुछ भी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिल जाएगा पर तो इसी उम्मीद में था कि उस दिन की तरह आज भी उसे झुमरी के नंगे बदन का दर्शन करने को मिल जाए तो वह धन्य हो जाए लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था,,,।
राजू का दिल बड़े जोरो से धड़कने लगा था,,, राजू की उम्मीद से दुगुना था,,,,।



राजू के पैर दरवाजे पर ही ठिठक गए थे आगे बढ़ने की इतनी हिम्मत नहीं थी ना ही आवाज देने की क्योंकि इस समय का नजारा बेहद गरमा गरम था वह अपने आप को दीवार की ओट में छिपा कर चोरी छिपे उस नजारे को देखने लगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, आखिरकार जो दृश्य उसने देखा था उसकी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,,,,



दोपहर का समय होने की वजह से दिन के उजाले में राजू को सब कुछ साफ नजर आ रहा था घर के अंदर सबसे पीछे गुसलखाना बना हुआ था और वह भी खुला हुआ था बस चारों तरफ से कच्ची मिट्टी की दीवार बनाकर घेरा हुआ था,,,,,,, उस दिन तो राजू को जो मेरी एकदम नंगी नहाते हुए नजर आई थी उसे देखकर राजू उस दिन से झुमरी का दीवाना हो गया था और आए दिन उसे से मुलाकात होने लगी थी और इसी चक्कर में आज भी वह श्याम के घर आया था लेकिन,,, इस बार का नजारा कुछ और ज्यादा गरमा गरम था,,,, क्योंकि इस बार राजू की आंखों के सामने झुमरी नहीं बल्कि श्याम की मां थी,,,, जो कि पूरी तरह से नंगी थी बस केवल उसके बदन पर पेटीकोट ही था और वह भी कमर तक उठा हुआ था और वह दीवार के सहारे झुकी हुई थी,,,, उसका बदन पानी से भीगा हुआ था,,,,,, जिसका मतलब साफ था कि वह नहा ही रही थी,,, और नहाते नहाते हैं काम क्रीड़ा शुरू कर दी थी लेकिन जो उसकी चुदाई कर रहा था उसे देखकर राजू के होश उड़ गए थे राजीव क्या उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था,,,,।
श्याम की मां दीवार के सहारे झुकी हुई थी उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी को एकदम साफ नजर आ रही थी और पीछे से उसकी बुर में लंड डालने वाला कोई दूसरा नहीं बल्कि उसका खुद का जवान बेटा श्याम था,,,,, इस नजारे को देखते ही राजू पल भर में उत्तेजना ग्रस्त हो गया,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था ,, की एक बेटा अपनी मां को चोदेगा,,,इसलिए कुछ देर तक तो राजू को अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ कि वह जो कुछ भी देख रहा है वह सही है लेकिन,,,,यह कोई सपना नहीं था हकीकत था जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी वह सब कुछ सच था उसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं था,,,, इसलिए तो राजु और ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया था अगर राजू की जगह कोई और मर्द होता तो उसे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होता की श्याम की मां किसी गैर मर्द से चुदवा रही है या उसकी मां की जगह श्याम किसी और औरत को चोद रहा है,,,, इस तरह के नजारे को देखकर राजू को बिल्कुल भी आश्चर्य और दुविधा नहीं होती,,,, ।
लेकिन उसकी आंखों के सामने एक मा और एक बेटा थे,,, जिनके बीच बेहद ही पवित्र रिश्ता था,,, और उस पवित्र रिश्ते को एक मां और बेटा दोनों मिलकर कलंकित कर रहे थे,,,,।

अपनी आंखों के सामने एक पवित्र रिश्ता तार तार हो रहा था लेकिन फिर भी राजू कुछ बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ना जाने क्यों अच्छा लगने लगा था,,,, और वह इस नजारे का पूरा फायदा उठाना चाहता था,,, राजू दीवार की ओट में खड़ा होकर इस गर्मा गर्म नजारे को देख रहा था,,। श्याम की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी और श्याम की मां बड़े मस्ती के साथ अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,,, एक पल को तो राजू को लगा कि वह आगे काम क्रीड़ा में जुड़ जाए,,, क्योंकि श्याम की मां बदन से बेहद गठीली थी रंग थोड़ा दबा हुआ था लेकिन फिर भी मर्दों को आकर्षित करने लायक सब कुछ था,,, अपने बेटे के ही साथ संभोग सुख प्राप्त करने का कारण राजू अच्छी तरह से समझ रहा था धीरे-धीरे औरत के अंदर की प्यास को राजू समझने लगा था,,, श्याम के पिताजी नहीं थे बरसों पहले उनका देहांत हो चुका था और इसीलिए बरसों से वह अपने बदन की भूख को दबा नहीं सकती थी किसी ने किसी के साथ तो उसे अपने शरीर की भूख मिटानी थी और ऐसे में घर में ही जवान लड़के के साथ वह चुदवा रही थी,,। भले ही उसका सगा बेटा क्यों ना हो,,,।

श्याम की मां की गरम सिसकारी राजू को साफ सुनाई दे रही थी,,,।

सहहह आहहहहह आहहहहह,,, बेटा और जोर से धक्का लगा जोर जोर से चोद मुझे,,,आहहहहहहह,,,,आहहहहहह


लगा तो रहा हूं मा,,,,,(जोर-जोर से कमर हिलाता हुआ) तुम्हारी गांड बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,,


तो क्या हुआ अंदर तक डालना,,,,,आहहहहहह,,,, थोड़ा और बड़ा होता तो और मजा आता तब आराम से चला जाता,,,,

छोटा भी तो नहीं है ना,,,, डाल तो रहा हु,,,,,,
(राजू को दोनों मां-बेटे की बातें साफ सुनाई दे रही थी शाम की मां की बात सुनकर राजू के इस बात का अहसास हो गया था कि श्याम की मां को ज्यादा मजा नहीं आ रहा है और ज्यादा मजा लेने की इच्छुक थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर शयाम की जगह वो होता तो उसकी मां को पूरी तरह से संतुष्ट कर देता,,,, अब उसे लगने लगा था कि उसका काम हो जाएगा,,,, श्याम इसी समय दोनों के बीच आकर खड़ा हो सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था वह दोनों को किसी भी तरह से परेशान नहीं करना चाहता था लेकिन इतना तो बता कर लिया था कि वह भी झुमरी की मां की चुदाई करके रहेगा क्योंकि उसकी बड़ी-बड़ी गांड देख कर एक बार उसकी लेने के लिए उसका मन मचल गया था,,,।

दोनों मां बेटे की चुदाई देख कर राजू का लंड पजामे में खड़ा होने लगा था,,, और राजू पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा रहा था,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि शयाम तो छुपा रुस्तम निकला,,, श्याम की बातें सुनकर राजू इतना तो जानता था कि हम हरामि लड़का है लेकिन यह नहीं जानता था कि वह किसी औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता होगा लेकिन वह तो अपनी ही मां की चुदाई कर रहा है,,,, राजू की कमर अभी भी लगातार आगे पीछे हो रही थी लेकिन जिस तरह से राजू अपनीकमर को आगे की तरफ धकेल रहा था कुछ और अंदर तो घुसने के लिए कोशिश कर रहा था उसे देखकर राजु समझ गया था कि पीछे से वह अपनी मां की बराबर ले नहीं पा रहा है,,, और उसकी मां को कुछ ज्यादा चाहिए था जो कि अभी अभी उसकी बातों से ही उसे पता चला था,,,, लेकिन शयाम अभी भी टिका हुआ था यही काबिले तारीफ थी,,,।

सहहह आहहहहह,,, बेटा मेरी चूचियां दबा जोर जोर से दबा,,,,(श्याम की मां झुके हुए ही अपने बेटे को दिशानिर्देश बताते हुए बोली क्योंकि चुदवाते समय चुची मसलवाने में उसे और ज्यादा मजा आता था,,, अपनी मां की बात सुनते ही श्याम अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए धक्के लगाने लगा,,,, राजू श्याम की मां के बारे में पूरी तरह से अनुमान लगा लिया था कि श्याम की मां शौकीन किस्म की औरत थी और अपने बेटे से बहुत बुरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पा रही थी,,,, यह सब कुछ ऐसा था जैसे डूबते को तिनके का सहारा इसी से वह काम चला रही थी,,, राजू समझ गया था कि अब उसका काम बन जाएगा,,,,)

मां तुम्हारी चुचीया कितनी बड़ी बड़ी है एकदम पपैया की तरह,,,,


फिर भी तो तू इनसे खेलता नहीं है उसे मैंने लेकर मन भर कर पीता नहीं, है,,,।


क्या करूं मा,,,, तुम्हारी बुर देखते ही मुझे डालने का मन करने लगता है और सब कुछ भूल जाता हूं,,,,


तु सच में बुद्धु है,,,औरतों के बदन से खेलना तुझे बिल्कुल भी नहीं आता भले ही इतने दिनों से तू मेरी चुदाई कर रहा है लेकिन औरत को संतुष्ट करने का गुण तुझ में बिल्कुल भी नहीं है तू तो बस डाला और निकाला बस हो गया,,,।


ओहहहह मां,,,इस खेल में से ज्यादा और क्या करना ही पड़ता है बस यही तो करना पड़ता है डालना और निकालना,,,,


चल तू जल्दी जल्दी कर वरना झुमरि आ जाएगी,,,,,,


झूमरी इतनी जल्दी आने वाली नहीं है मांं बाइक बहाने से उसे शाम के लिए सब्जियां तोड़ने के लिए खेतों में भेजा हूं,,,,


फिर भी तू जल्दी कर मुझे नहाना है,,,,।

(श्याम की मां की बातें सुनकर राजू पूरी तरह से समझ गया था कि उसकी मां बेहद प्यासी है और शयाम को इस खेल में ज्यादा कुछ आता नहीं है इसलिए उसका रास्ता आसान हो जाएगा,,,,,,, श्याम की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह अपने चरम सुख के बेहद करीब था,,,अभी तक दोनों मां-बेटे को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि दरवाजे पर राजू खड़ा है कोई उन दोनों की चुदाई देख रहा है,,,। वह दोनों अपनी काम क्रीड़ा में पूरी तरह से मस्त हो गए थे,,,, श्याम का पानी निकलने वाला था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाना चाहता था और पीछे से नहीं बल्कि आगे से अपनी मां की लेना चाहता था,, और इसीलिए अपना अपने मां की बुर में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी मां को खड़ी करके उसकी एक टांग को दीवार के सहारे टीका दिया उसकी मां की पीठ राजू की आंखों के सामने थी और श्याम ठीक आगे से अपनी मां को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर के मुहाने पर रख रहा था,,, और जैसे ही वह अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर के मुहाने पर रख कर,, गचगचा कर धक्का लगा कर उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया वैसे ही उसकी नजर दरवाजे पर खड़े राजू पर पड़े तो उसके होश उड़ गए,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दोनों की नजरें आपस में टकराई,,, राजू उन दोनों के इस खेल में खलल नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए अपने होठों पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया,,,,और फिर अपने हाथ के अंगूठे और उंगली से घोल बनाकर अपने दूसरे

हाथ की उंगली को उस गोल में डालकर ,,, उसे चुदाई जारी रखने के लिए इशारा किया और शाम को बाहर मिलने का भी इशारा करके वहां से चला गया अब वहां ज्यादा रुकने का कोई मतलब नहीं था बस मैं यही चाहता था कि दोनों में से एक की नजर उसके ऊपर पड़ जाए तब उसका काम बन जाए,,,, उसका काम बन चुका था वह जा चुका था लेकिन श्याम की हालत खराब हो चुकी थी डर और उत्तेजना दोनों का मिला जुला असर उसके चेहरे पर नजर आ रहा था जिसका प्रभाव सीधे ही उसके लंड पर पड़ रहा था और वह दोबारा धक्का लगा था इससे पहले ही उसका पानी निकल गया,,, उसकी मां जो कि थोड़ा बहुत आश बांध कर रखी थी कि आगे से उसका बेटा अच्छे तरीके से उसकी चुदाई करेगा लेकिन उस पर भी पानी फिर चुका था,,,,,।

धत्,,,,, अधूरा छोड़ दिया,,,, अब जा यहां से मुझे नहाने दे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे से अलग हुई और हेडपंप चलाने लगी श्याम को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं जो कुछ भी राजू ने देखा है वह सब कुछ किसी को बताना था अगर ऐसा हुआ तो गजब हो जाएगा इसीलिए श्याम अपने मन में यही सोच रहा था कि राजू से मिलना बहुत जरूरी है,,,।)
 
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राजू का मन खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,, वह आज बहुत खुश था,,उसकी आंखों ने जो देखा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,अपनी मंजिल तक पहुंचने का और वहां तक पहुंचाने के लिए उसे जादुई चिराग मिल गया था,,, श्याम को अपनी मां की चुदाई करता हुआ देखकर राजू के हाथ बहुत सी खुशियां लग गई थी ऐसा लग रहा है कि जैसे वह श्याम के घर आकर एक तीर से बहुत सारे शिकार कर दिया है,,,, अब झुमरी तक पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह से साफ हो चुका था अगर झुमरी के साथ उसका भाई उसे पकड़ भी ले तो वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा और तो और अब उसे श्याम की मां की बुर भी हासिल हो जाएगी वह उसे चोद सकता है,,,, और उसे रोकने वाला कोई नहीं होगा,,,, श्याम पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में आ गया था,,,, श्याम की मां की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर और उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसके लिए यह है और भी ज्यादा रुचि कर हो गया था कि उसकी मां को लंबा लंड चाहिए था जो कि जमकर उसकी चुदाई कर सके उसे पूरी तरह से तृप्त कर सके और ऐसा कर सकने का साहस श्याम में बिल्कुल भी नहीं था,,, भले ही वह रोजाना उसकी चुदाई करता हो लेकिन वह उसे पूरी तरह से तृप्त नहीं कर पाता था,,, यह बात उसे श्याम की मां के मुंह से ही सुनने को मिली थी,,, श्याम की मां को चोदने के लिए वहां पूरी तरह से बेकरार हुआ जा रहा थालेकिन इस बात से वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था कि वह अब श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच कभी भी पहुंच सकता है,,,,और उसे अपने मोटे तगड़े लंबे लंड से तृप्त करने के लिए पूरी तरह से उत्साहित था,,,,।

यह बात तो वह अच्छी तरह से समझ गया था कि वह कभी भी श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच सकता था लेकिन उसके लिए भी उसे अभी समीकरण तैयार करना था,,,,,,, इसीलिए तो वह श्याम को इशारा करके अपनी चुदाई जारी रखने के लिए बोल कर और मिलने के लिए इशारा करके वहां से चलता बना था क्योंकि उसका काम तो हो गया था,,,,,,


एक तरफ जहां राजू पूरी तरह से उत्साहित और प्रसन्न नजर आ रहा था वहीं दूसरी तरफ श्याम के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी,,,, श्याम की नजर जैसे ही राजू पर पड़ी थी वैसे ही घबराहट में उसके लंड से पिचकारी छूट गई थी और वह अपनी मां की प्यास बुझाने में नाकामयाब रहा था,,, वह कुछ देर तक अपने कमरे में बैठकर सोचने लगा कि अब क्या होगा कहीं राजू पूरे गांव वालों को बता दिया तो,,,, बदनामी हो जाएगी और वार किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके पूरे परिवार का उठना बैठना गांव में इधर उधर आना जाना सब दुश्वार हो जाएगा लोग गलत नजरों से उसके परिवार को देखेंगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसका दिमाग घूम रहा था,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि राजू को कैसे समझाया जाए,,,,,,,, इसी उधेड़बुन में उसे नींद आ गई,,,, दूसरी तरफ राजू ने श्याम के मुंह से यह सुन लिया था कि उसने झुमरी को खेतों में सब्जी तोड़ने के लिए भेज दिया है और राजू तो मिलने ही झुमरी के लिए उसके घर पर आया था लेकिन झुमरी के दर्शन कर उसे नहीं हुए लेकिन झुमरी के चक्कर में उसने बहुत कुछ देख लिया था,,,,।वह झुमरी से मिलने के लिए पूरी तरह से लालायित था और झुमरी से मिलने की सोच कर वह खेतों की तरफ निकल गया,,,।

राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अपने सपनों की राजकुमारी से मिलने जा रहा था मन ही मन वह झुमरी से बेहद प्यार करने लगा था,,, यह सच्चा प्यार ही था क्योंकि अभी तक राजु ने जितनी भी औरतों यालड़कियों से मिला था उन्हें देखा था उन्हें देखते हैं सबसे पहले उसके दिमाग में उसे चोदने का ही ख्याल आता था उनकेनंगे बदन को देखने की चाहत जाती थी लेकिन झुमरी के पक्ष में ऐसा कुछ भी नहीं था हालांकि वह झुमरी को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख चुका था लेकिन फिर भी वह उसके बारे में चोदने का ख्याल अभी तक अपने मन में नहीं लाया था बस उसकी झलक भर देखने की ख्वाहिश उसके मन में जाती थी और उसे नजर भर कर देख लेने के बाद वह एकदम खुश हो जाता था,,,, इसलिए कि वह झुमरी से प्यार करने लग गया था,,, और उससे मिलने के लिए वह जल्दी-जल्दी अपने कदम आगे बढ़ा रहा था,,,, वह खेत पर पहुंचता उससे पहले ही झुमरी उसे आती हुई नजर आई उसके हाथ में सब्जी की टोकरी थी जिसे वह अपनी कमर से टीकाकर लेकर चल रही थी,,,, उसकी मतवाली चाल बेहद कामुकता भरी थी,,,, खेतों में से आते हुए झुमरी की नजर भी राजू पर पड़ गई थी वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी थी,,, राजू खुशी से फूला नहीं समा रहा था,,,, राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, जब जब वह चुनरी के करीब जाना था तब तब उसके दिल की धड़कन आपे से बाहर हो जाती थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,,,,,

देखते देखते दोनों एकदम करीब आ गए,,,, झुमरी के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए राजु बोला,,,

अरे झुमरी तुम,,, इतनी दोपहर में खेत में से चली आ रही हो,,, इतनी धूप में बाहर मत निकला करो,,,


क्यों ना निकला करु,,, मुझे किसी की डर थोड़ी पड़ी है,,,।


अरे तुम समझी नहीं मैं डरने के लिए थोड़ी कह रहा हूं तो भला किससे धरोगी मैं तो यह कह रहा हूं कि धूप में निकलोगी तो तुम्हारा गोरा रंग फीका पड़ने लगेगा,,,,,
(राजू की बातें सुनकर झुमरी मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन अपनी खुशी वह अपने होठों पर जाहिर होने देना नहीं चाहती थी इसलिए सहज होते हुए बोली)


काम के लिए तो निकलना ही पड़ता है अब शाम के लिए सब्जियां तोड़नी थी इसलिए मुझे खेतों में आना पड़ा,,,।


हां वह तो है,,,,(इतना कहकर राजू खामोश हो गया क्या कहना है उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो झुमरी ही बोली,,,)

ऐसे खड़े रह कर बात मत करो कोई काम वाला देखेगा तो क्या समझेगा,,,(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और राजू पीछे-पीछे पीछे चलने की वजह से राजू को उसके खूबसूरत बदन का पिछवाड़ा बहुत अच्छी तरह से नजार आ रहा था,,,,,, झुमरी के कमर के नीचे का उभार बेहद कामुक और जानलेवा था,,, जिसे देखकर राजु उसके पीछे लट्टु हो गया था,,।लेकिन उसके मन में झुमरी को लेकर किसी भी प्रकार का गलत विचार नहीं था बस हुआ उसकी खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था उसे सच्चे मन से प्यार करने लगा था,,,,लेकिन फिर भी उसके खूबसूरत बदन को तांक झांक करने का एक भी मौका वह गंवाना नहीं चाहता था,,, इसलिए तो चुनरी के पीछे पीछे चलते हुए भी उसकी नजर उसके कमर के नीचे के गोलाकार उभार पर केंद्रित हो चुका था जिसे देखते हुए वह आगे बढ़ रहा था,,,, लेकिन देखा जाए फिर भी भले ही बात जो मेरी से सच्चे मन से प्यार करने लगा था लेकिन उसकी मंजिल तो वही थी जिसे वह प्यासी नजरों से देख रहा था,,,, असली प्यार दोनों टांगों के बीच के मंजिल तक पहुंच जाने को ही कहा जाता है,,,, जिसे प्राप्त करने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है,,,, व्याकुल और प्यासा रहता है,,,,

झुमरी आगे-आगे चल रही थी और राजू पीछे-पीछे झुमरी को राजू का इस तरह से इसके पीछे पीछे चलना बहुत अच्छा लग रहा था ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी कमर कुछ ज्यादा बल खा जा रही थी और कभी-कभी तो उसके नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही उभर जाता था,,,, बातों के दौर पर फिर से शुरू करते हुए झुमरी बोली,,,।


मुझे तो बाहर निकलने से मना कर रहा है लेकिन तू भी तो इतनी दुपहरी में यहां-वहां घूम रहा है तुझे यहां कौन सा काम पड़ गया जो खेतों पर चला आया,,,।

तुमसे मिलने,,,(एकाएक राजू के मुंह से निकल गया तो वह खुद ही अपने शब्दों को संभालते हुए बोला) मेरा मतलब है कि मुझे भी खेतों में काम था लेकिन तुम मिल गई तो तुमसे बात करने लगा,,,,


तो जा खेतों पर काम करके आ मेरे पीछे पीछे क्यों आ रहा है,,,।


अब मन नहीं है,,, कल आकर काम कर लूंगा,,,, लाओ अगर तुम्हें सब्जी वजन लग रही है तो मुझे दे दो,,,


नहीं नहीं कोई दो चार कीलो थोड़ी ना है जो मुझे वजन लगेगा,,,,,,, कोई दिक्कत नहीं है,,,,(ऐसा कहते हुए झुमरी आगे चली जा रही थी लेकिन उसकी चाल में बदलाव आ गया था वह कुछ ज्यादा ही अपनी गांड मटका कर चल रही थी,,,हालांकि उसके मन में गंदे विचार बिल्कुल भी नहीं थे लेकिन राजु उसे नहाते हुए देख चुका था उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से नाप तोल चुका था,,,राजू पहले से ही उसे पसंद था इसलिए वह राजु को पूरी तरह से अपना दीवाना बना लेना चाहती थी,,,, और वो जानती थी कि मर्दों को अपने वश में कैसे किया जाता है,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह चल रही है निश्चित तौर पर राजू की नजर उसकी गांड पर ही टिकी हुई होगी,,, इसलिए अपनी तसल्ली के लिए वह चलते समय पीछे की तरह नजर घुमा दी और राजू को वास्तव में अपनी गोल-गोल गांड की तरफ देखता हुआ आकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसी तरह से चलने लगी,,,,,,,


झुमरी से बात करना राजू को बहुत अच्छा लगता था लेकिन क्या बात करना है इस बारे में उसे खुद समझ में नहीं आता था एक खूबसूरत जवान लड़की को अपने करीब पाकर वह पूरी तरह से मचल उठता था उसे समझ में नहीं आता कि क्या करना है,,, इसका एक ही कारण था कि वह सुम्मरी से सच्चे दिल से प्यार करता था उसे मानता था अगर वह झुमरी को देखकर अपने मन में गंदे विचार लाता तो शायद अब तक वह झुमरी की चुदाई भी कर दिया होता,,, लेकिन मामला इधर प्यार का था,,, इसीलिए झुमरी से बात करने में उसे चेचक महसूस हो रही थी,,,,। ऐसा नहीं था कि यह प्यार केवल राजू की तरफ से ही था झुमरी भी मन ही मन राजू को बहुत ज्यादा चाहने लगी थी और उसके मन में भी राजू को लेकर कोई गंदे विचार नहीं थे दोनों का प्यार सच्चा था राजु को अपने पीछे पीछे आता देखकर उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, खास करके उसकी निगाहों को अपनी गांड पर टिकी हुई देखकर तो उसके तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,,,,,,

जिस रास्ते से दोनों गुजर रहे थे चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे,,, जो कि ऊपर जाकर आपस में मिल जाते थे जिसकी वजह से यह सड़क और भी ज्यादा खूबसूरत लगती थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, वैसे भी दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे,,,। दोनों एक दूसरे की दीवानगी मैं चले जा रहे थे अभी झुमरी और राजू इसी उधेड़बुन में थे कि क्या बात करें,,, कि तभी राजू को झुमरी की दर्द भरी आहहह सुनाई दी,,,,।

आहहहहहह,,,,(दर्द भरी आवाज झुमरी के मुंह से निकलते ही उसका दाया पैर खुद पर खुद ऊपर की तरफ फट गया और अपनी नजर को पीछे की तरफ करके देखने लगी क्योंकि उसके पैर के अंगूठे में कांटा चुभ गया था,,,, झुमरी का दर्द राजू से देखा नहीं क्या और वह तुरंत आगे बढ़कर अपने घुटनों के बल बैठ गया और झुमरी के पेर को थाम लिया,,,,,)

आहहहह राजू कांटा चुभ गया है मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,


तुम चिंता मत करो झुमरी में अभी निकाल देता हूं,,,


आराम से निकालना बहुत बड़ा कांटा है,,,


देख कर चलना चाहिए था ना,,,,,


अरे अब चलते समय इतना ध्यान थोड़ी ना रहता है,,,।


रुको अभी निकाल देता हूं,,,,।(इतना कहने के साथ राजू अपने दोनों हाथों में उसके पैर को पकड़ कर उसके पैर के अंगूठे में से कांटे को खींचने की तैयारी में था,,,, और दर्द के मारे और एक टांग पर खड़ी होने की वजह से झुमरी इधर-उधर लड़खड़ा रही थी,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि झुमरी उसके कंधे का सहारा लेकर खड़ी हो जाए लेकिन उसे बोल नहीं पा रहा था लेकिन तभी झुमरी अपने आप को संभालने के लिए राजू के कंधे पर अपनी हथेली रखकर खड़ी हो गई,,,, झुमरी की हरकत राजू के तन बदन में खुशी की लहर पैदा कर दी ,,,, वह एकदम से खुश हो गया,,,, सिर्फ अपने कंधे पर है तेरी रखने की वजह से उसे लग रहा था कि वह पूरी दुनिया को पा लिया है,,,, राजू के कंधे का सहारा लेना झुमरी को भी बहुत अच्छा लग रहा था,,,, राजू अपने हाथ में बड़े हल्के से पैर के अंगूठे में चूहे कांटे को पकड़ लिया था और झुमरी से बोला,,,)


संभालना मैं कांटा निकालने जा रहा हूं,,,,


संभाल कर राजू बहुत दुखेगा,,,


अरे कुछ नहीं होगा मैं हूं ना,,,,(इतना कहते हुए झुमरी को बातों में उलझाए हुए ही वह जोर से कांटे को बाहर की तरफ खींच लिया,,, और कांटा झटके के साथ बाहर निकल गया लेकिन कांटे के निकलते ही अंगूठे में से खून निकलने लगा,,,,झुमरी को भी साफ नजर आ रहा था कि उसके अंगूठे में से खून निकल रहा है लेकिन वह कुछ समझ पाती कुछ कह पाती इससे पहले ही,,, राजू ने तुरंत उसके अंगूठे को अपने होठों पर रखकर दबा दिया,,,, झुमरी के तन बदन में अजीब सी लरर उत्पन्न होने लगी और यही हाल राजू का भी था,,,, राजू झुमरी की खूबसूरत पैर के अंगूठे को अपने होठों से लगाया हुआ था उसका खून बंद करने के लिए,,,।

राजू को झुमरी देखती ही रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि राजू उसके पैरों को अपने होठों से लगाया हुआ है,,,,,,।
झुमरी के मन में प्यार का झरना फूटने लगा राजू की हरकत की वजह से ही राजू के लिए उसके दिल में और ज्यादा प्यार उमर ने लगा था कुछ देर तक राजू उसी तरह से झुमरी के अंगूठे को अपने होठों से लगाया रह गया,,,, जब से इस बात का एहसास हुआ कि खुन पूरी तरह से बंद हो गया है तो वह उसके पैर को पकड़े हुए नीचे जमीन पर रख दिया और बोला,,,।


अब बिल्कुल ठीक हो गया है अब तुम्हें दर्द नहीं करेगा,,,,।

(झुमरी से तो कुछ बोला नहीं जा रहा था वह शर्मा रही थी,, उसके होठों पर मुस्कान थी और वह बिना कुछ बोले जल्दी-जल्दी जाने लगी,,, हालांकि कांटा चुगने की वजह से वह दाएं पैर को संभाल कर रख रही थी,,, राजू झुमरी के मन में क्या चल रहा था अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह कुछ दुर तक खामोश ही चलता रहा अब ज्यादा दुर तक उसका पीछा करना ठीक नहीं था इसलिए वहीं खड़ा होकर वह बोला,,,)

श्याम को आम वाले बगीचे में भेज देना मैं इंतजार करूंगा,,,,
(इतना सुनकर झुमरी चलते हुए पीछे की तरफ नजर घुमा कर एक बार राजू की तरफ देखी लेकिन बोली कुछ नहीं लेकिन उससे नजर मिलते भी वह मुस्कुरा दी और फिर से जल्दी जल्दी जाने लगी राजू वहीं खड़ा तब तक जो मेरी को देखता रहा जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई,,,


शाम हो रही थी पर वह आम के खेत पर पहुंच गया था उसे श्याम का इंतजार था घर पर पहुंचने के बाद झुमरी श्याम को बोली थी कि रास्ते में राजू मिला था और उसे आम के बगीचे के मिलने के लिए बुलाया है,,,,झुमरी को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि रात में उसके भाई को किस लिए बुलाया है लेकिन श्याम अच्छी तरह से जानता था कि सारा मामला क्या है राजू से नजर मिलाने में उसे डर लग रहा था उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी उसके सामने जाने के लिए किन जाना भी जरूरी था ,,,राजू को इस बात के लिए समझाना भी जरूरी था कि जो कुछ भी उसने देखा है उसके बारे में वह किसी से कुछ भी ना कहे,,, और राजू यह बात भी

जानता था कि इस राज को राज रखने के एवज में श्याम जरूर कुछ मोलतोल करेगा,,,, और उसके मन में इस बात को लेकर शंका भी थी कि राजू उससे क्या बात करने वाला है और यही वह नहीं चाहता था लेकिन फिर भी बेमन से श्याम के पास राजू जहां बुलाया था वहां जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था,,,, इसलिए वह भी आम के बगीचे की तरफ निकल गया
 
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राजू बड़ी बेसब्री से आम के बगीचे में श्याम का इंतजार कर रहा था,,,,राजू के बाद अच्छी तरह से जानता था कि श्याम आप उसे से आंख मिलाकर बात करने लायक बिल्कुल भी नहीं बचा था,,, वह पूरी तरह से राजू की मुट्ठी में आ गया था,,, आपमके पेड़ के नीचे बैठा बैठा राजू मां और बेटे के बीच हुए सारे संबंध के बारे में सोच रहा था,,,, अपने मन में अपने आप से ही बातें कर रहा था कि श्याम भला अपनी ही मां को क्यों चोदने का क्या श्याम को उसकी मां अच्छी लगती थी,,,, अपने सवाल का जवाब अपने आप से ही देते हुए राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,, श्याम की मां ज्यादा खूबसूरत भले ही ना हो लेकिन,,एक मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सके ऐसी बनावट उसके बदन की बराबर है बड़ी बड़ी गांड बड़ी-बड़ी चूचियां चलती है तो उसकी मटकती गांड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,,,,, वह तो खुद अपनी आंखों से उसे चुदवाते हुए देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड की तरफ वो खुद आकर्षित हुआ जा रहा था,,,। राजू अपने आप से ही बोला,,, जरूर श्याम अपनी मां को एकदम नंगी देख लिया होगा और अपनी मां को नंगी देखने के बाद उससे रहा नहीं जा रहा होगा,,,, और दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया,,,

राजू आम के पेड़ के नीचे बैठा बैठा श्याम और उसकी मां के बारे में बहुत कुछ सोच रहा था कि दोनों के बीच किस तरह से शारीरिक संबंध स्थापित हुआ होगा लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या अपनी ही मां को चोदना ठीक है यह हो कैसे जाता है,,,, अपने ही सवालों का जवाब ढूंढने में राजू पूरी तरह से व्यस्त था राजू खुद अपनी मां की तरफ आकर्षित हो चुका था उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां को देखकर उसकी लार टपकने लगती थी,,, अपनी ही मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसके पजामे मैं हलचल होने लगती थी,,,, यह सब सोचने के बाद राजू अपने मन को तसल्ली देते हुए अपने आप से ही बोला,,,।


श्याम की किस्मत बहुत अच्छी है जो अपनी मां की चुदाई करता रहता है उसकी मां भी उसे बड़े प्यार से चोदने देती है,, कमी बस यही है कि वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता ,,,,उसकी मां को संपूर्ण रुप से संतुष्टि नहीं मिलती जिस तरह की वह हकदार थी,,,श्याम को अपनी मां की चुदाई करता हुआ वह देख चुका था इसलिए अपने मन में सोचने लगा कि घरेलू रिश्ते में चुदाई कोई बड़ी बात नहीं है और ना ही गंदी बस दो जिस्मो का मिलन है,,,, वैसे भी वह अपनी बड़ी बुआ की चुदाई रोज कर ही रहा था जिसमें उसकी बुआ की पूरी तरह से राजामंदी थी,,,, घर में भी अगर बुर का जुगाड़ हो जाए तो बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है श्याम भी नहीं कर रहा था,,,, जो कि दोनों की जरूरत थी श्याम की भी और उसकी बातें थी क्योंकि उसकी मां बरसों से अकेले ही थी पति के देहांत के बाद शरीर सुख उसे मिटा नहीं था शायद यही कारण था कि वह अपने बेटे की तरफ आकर्षित हो गई और उसके साथ चुदाई करवा कर अपनी प्यास बुझाने लगी और यही जरूरत श्याम की भी थी,,, श्याम जवान लड़का था उसके बदन में जवानी का जोश भरा हुआ था खास करके औरतों के लिए,,, और वैसे भी श्याम जिस उम्र के दौर में था और श्याम की मां जिस उम्र के इस दौर में गुजर रही थी ऐसे में दोनों का पैर फिसल ना लाजमी था और एक बार फिर फिसलने के बाद दोनों साथ अपने आप को संभाल नहीं पाए होंगे रोज एक दूसरे से अपनी प्यास मिटाते आ रहे होंगे,,,,।

श्याम की वर्तमान स्थिति को देखकर राजू को अपनी स्थिति दयनीय नजर आ रही थी,,,, वैसे तो राजू श्याम से हर मामले में एक कदम आगे ही था लेकिन इस मामले में अपने आप पिछड़ा हुआ महसूस कर रहा था,,,, श्याम की मां उसे चोदने देती थी,,,, यही राजू के लिए अपनी किस्मत को कोसने का कारण मिल गया था,,,, भले ही गांव की औरतें उसके सामने अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर परोस देती है लेकिन उसे जब भी अपनी मां का ख्याल आता था तब तक उसे सब कुछ फीका सा नजर आता था उसे वह पर अभी भी याद है जब वह कुए पर से पानी निकाल रहा था और रस्सी को खींचने के लिए ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा था जिसकी वजह से पजामे में खड़ा लंड साड़ी के ऊपर से ही उसकी मां की गुलाबी बुर पर ठोकर मार रही थी,,, उस पल राजू अपने आप को दुनिया का सबसे किस्मत वाला इंसान समझ रहा था,,,। लेकिन इस समय सबसे किस्मत वाला इंसान था तो श्याम और उसी का इंतजार करते हुए राजू के दिमाग में ढेर सारी बातें चल रही थी,,,,।

इतना तो तय था कि श्याम की मां की चुदाई करने का मन राजू ने बना लिया था अभी भी उसे श्याम की मां की बड़ी-बड़ी गांड हीलती हुई नजर आ रही थी श्याम का अपनी ही मां की बुर में लंड घुसा कर अपन‌ी कमर हीलाना याद आ रहा था और वह उस पल को याद करके पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,, श्याम पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में आ गया था एक तरह से अब वह उसकी कठपुतली बनने जा रहा था,,,,,,शयाम को अपनी मां की चुदाई करते हुए पकड़ लेना एक तरह से राजू के लिए ही अच्छा हो गया था क्योंकि

एक श्याम ही था जो उसके रास्ते का पत्थर बन कर उसका रास्ता रोकता था अब उसका रास्ता भी एकदम साफ हो गया था,,,,, राजु बड़ी बेसब्री से श्याम का इंतजार कर रहा था और श्याम की मां के बारे में सोच कर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था,,,,

एक तरफ जहां राजू बहुत खुश था वहीं दूसरी तरफ शाम के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी उसके दिल की धड़कन आम के बगीचे की तरफ कदम बढ़ाते हुए ओर तेजी से धड़क रही थी,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि वह पहुंचने पर राजू उसके साथ कैसी प्रतिक्रिया करेगा उसे क्या बोलेगा क्या कहेगा अपना मुंह बंद करने के एवज में उससे क्या मांगेगा जहां तक मुंह बंद करने के एवज में कुछ मांगने का सवाल था तो श्याम को पहले से ही यह अनुमान हो रहा था कि अपना मुंह बंद करने के एवज में जरूर वह उसकी मां की चुदाई करना चाहेगा,,,, और अगर ऐसा हुआ तो वह क्या कहेगा कैसे कहेगा,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,,,यही सोच रहा था कि उसके लिए कितनी शर्म की बात होगी कि वह खुद बोलेगा कि वह उसकी मां को चोद सकता है,,, इसमें उसकी बिल्कुल भी नाराजगी नहीं है बल्कि उसकी पूरी तरह से सहमति है,,,, यह ख्याल मन में आते ही वह शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था,,, उसे अपने ऊपर ही गुस्सा आ रहा था कि वह दरवाजा बंद क्यों नहीं किया,,, अगर दरवाजा बंद रहता तो शायद आज यह नोबत नहीं आती,,,,,,, जहां एक तरफ वह इस बात से शर्म का अनुभव कर रहा था कि राजू उसकी मां की चुदाई करेगा तभी अपना मुंह बंद रखेगा और दूसरी तरफ वह इस बारे में कल्पना भी करने लगा था कि जब राजू का लंड उसकी मां की बुर में जाएगा तो उसकी मां को कैसा लगेगा क्योंकि श्याम यह बात अच्छी तरह से जानता था कि राजू अपने नाम के आगे उसका लंड आधा ही है और वैसे भी उसकी मां को थोड़ा लंबा और मोटा,,,लंड चाहिए था जिससे वह पूरी तरह से संतुष्ट हो सके और जैसा उसकी मां को चाहिए था ,,, उससे भी बेहतर राजू के पास था,,,,श्याम अपने मन में सोचने लगा कि इतना तो तय है कि अगर राजू का लंड उसकी मां की बुर में गया तो उसकी मां पूरी तरह से राजू की दीवानी हो जाएगी तब उसका क्या होगा,,,, यही सब सोचकर श्याम एकदम से हैरान हुआ जा रहा था और आखिर वह कर भी क्या सकता था जिस तरह के हालात पैदा हुए थे उस तरह के हालात से वहभाग भी नहीं सकता था यार राजू को इंकार भी नहीं कर सकता था वह पूरी तरह से राजू के जाल में फंसता चला जा रहा था,,,,लेकिन एक बात से मैं और ज्यादा परेशान था कि अगर मुंह बंद रखने के एवज में अगर वह उसकी मां की चुदाई करना ना चाहे तो और वह जो कुछ भी देखा है वह सारी बातों को गांव में बता दे तो तब क्या होगा,,,, यह सोचकर ही उसके पसीने छूट रहे थे किसी और औरत या लड़की के साथ उसके शारीरिक संबंध होता तो शायद वह इतना परेशान नहीं होता लेकिन यहां तो खुद अपनी मां के साथ चुदाई करते हुए राजु ने उसे पकड़ा था,,,, इस बात को लेकर उसकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी,,,।

यही सब सोचता हुआ वह आम के बगीचे पर पहुंच ही मेरा जहां पर एक बड़े से पेड़ के नीचे राजू आराम से बैठकर उसकी तरफ ही देख रहा था और मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराहट में बहुत सारे राज छिपे हुए थे जो कि उससे बात करने पर ही पता चलने वाला था,,,,।
 
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राजू को बड़ी बेसब्री से दूसरे दिन का इंतजार था दूसरे दिन ही वह अपने फतेह का झंडा गाड़ देना चाहता था,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने श्याम की मां की बड़ी-बड़ी गांड नाच उठती थी,,, क्योंकि ईस बात का उसे अच्छी तरह से एहसास था कि जब जब वहश्याम की मां की बुर में तेज तक का मारेगा तब तक उसकी बड़ी-बड़ी गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठेगी,,,,, और यही नजारा देखने के लिए वहां मचल रहा था,,,,


जैसे तैसे करके वह अपनी बुआ के साथ रात बिताया क्योंकि गांड मारने की चाहत पर उसकी बुआ ने पूर्ण विराम लगा दिया था,,,,, गांड मारने का सुख उसे कौन स्त्री देगी अब उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था ,,,,,,,,राजू को अपनी मर्दाना ताकत पर पूरा विश्वास था कि वह अपनी मर्दाना ताकत के बलबूते पर श्याम की मां को अपने वश में कर लेगा और वहीं दूसरी तरफ श्याम की आंखों में नींद नहीं थी वह करवट बदल बदल कर रात बिताया था वैसे तो उसे अपनी मां पर पूरा विश्वास था वह जानता था कि वह किसी गैर मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बिल्कुल भी नहीं बनाएगी क्योंकि उसे अपनी इज्जत की बहुत ज्यादा परवाह थी लेकिनइस बात से सबका भी थी कि उसकी मां को लंबा और मोटा लंड ज्यादा पसंद है जो कि अभी तक उसने अपनी बुर मे ले नहीं पाई थी अगर किसी भी तरह से राजू ने उसे अपना लंड दिखा दिया तो उसकी मां क्या करेगी,,,, यही सोच कर वह परेशान हुआ जा रहा था,,, क्योंकि आज का दिन उसके लिए बहुत ही ज्यादा निर्णायक था आज एक साथ दो काम होने वाले थे अगर आज उसकी मां राजू को इनकार कर देती है तो श्याम के लिए उसकी मां की इज्जत और ज्यादा बढ़ जाएगी और अगर ऐसा ना हुआ उसकी मां राजू के लंड पर फिदा हो गई तो श्याम का दिल टूट जाएगा वह समझ जाएगा कि उसकी मां किसी के भी साथ शारीरिक संबंध बना सकती है,,,, इसीलिए वह भी बड़ी बेसब्री से दोपहर का इंतजार कर रहा था,,,।

जैसे तैसे करके रात गुजर गई,,, ,,, दोपहर का समय हो चुका था राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह श्याम के घर पर जाने वाला था शयाम की मां को चोदने,,,, उसे यह नहीं मालूम था कि उस समय से हम वहां मौजूद रहेगा या नहीं लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर शयाम उस समय मौजूद रहेगा तो और भी ज्यादा मजा आएगा क्योंकि वह श्याम की चुदाई को देख चुका था कैसे हो अपनी मां को चोद रहा था,,,,उसका मर्दाना ताकत उसका दमखम सब कुछ देख चुका था और इसीलिए राजू श्याम की मौजूदगी में श्याम को दिखाना चाहता था कि एक औरत को किस तरह से संतुष्ट किया जाता है,,,।

दोनों फिर से आम के बगीचे में मिले और श्याम उसे समय होने पर उसे अपने घर पर ले जाने लगा श्याम के लिए बड़ा अजीब कल था क्योंकि वह अपने दोस्त को अपने घर ले जा रहा था और बाकी अपनी ही मां की चुदाई करने के लिए,,,श्याम ने इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में ऐसा पल आएगा कि जब वह खुद अपने दोस्त को गांव के जवान लड़के को अपने घर पर ले जाएगा सब कुछ जानते हुए भी वह मजबूर था,,,, श्याम की मां को तो इसकी भनक तक नहीं थी कि दोपहर में क्या होने वाला है,,,, वॉइस बारे में अपनी मां से बात भी नहीं करना चाहता था कि वह पकड़ा गया है और जिसके एवज में उसका दोस्त उसको चोदना चाहता है अगर ऐसा उसकी मां जान जाती तो क्या सोचती,,,, क्योंकि हमेशा उसकी मां कहा करती थी कि जुदाई करने से पहले सारे एहतियात बरत लेना चाहिए ताकि पकड़े ना जाए लेकिन यहां पर श्याम से बहुत बड़ी चूक हो गई थी जिसकी कीमत वह चुकाने जा रहा था,,,,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल चल रहे थे लेकिन उसका जवाब उसके पास बिल्कुल भी नहीं था वह मूकदर्शक बना राजू को अपने घर लिए जा रहा था,,, और तिरछी नजरों से वह राजू के पजामे के आगे वाले भाग को देख ले रहा था जो कि उठा हुआ थाजिसको देखकर अंदाजा लगा रहा था कि उसकी मां को चोदने के लिए राजु कितना मचल रहा है,,,, श्याम को अपने ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था कि उसकी थोड़ी सी गलती की उसे इतनी बड़ी सजा मिल रही है अपनी आंखों के सामने वह अपनी मां को चुदता हुआ देखेगा और उस शख्स से जिससे वह नफरत करता था,,,।

सूरज सर पर चढ़ आया था गर्मी का महीना होने की वजह से गांव में सब लोग अपने अपने घर में दुबके हुए थे और श्याम भी अच्छी तरह से जानता था कि इस समय उसकी मां घर पर अकेले होती है और दिन भर का काम करने के बाद वह इस समय नहाती है और यही मौका सबसे बेहतर भी था उन दोनों को मिलाने का,,,, किसी को शक भी नहीं होता कि श्याम ने उसे अपने घर पर लाया है खास करके उसकी मां को क्योंकि अक्सर राजू शाम को ढूंढता हुआ उसके घर पहुंच जाया करता था उसकी मां को ऐसा ही लगेगा कि इस समय भी वह श्याम को ही ढूंढता हुआ यहां पर आया है,,,,।


रास्ते में चलते समय श्याम राजू को उसका वादा याद दिलाते हुए बोला,,,।

राजू तुझे याद है ना कल तूने क्या जवाब दिया था अगर मेरी मां नहीं मानी तो तू कुछ भी नहीं करेगा और इस राज को राज ही रखेगा,,,


तो फिर कोई चिंता मत कर श्याम जैसा तू कह रहा है अगर ऐसा हुआ तो मैं तेरे घर की तरफ कदम उठाकर नहीं देख लूंगा और तुम दोनों का राज राज ही रहेगा यह मर्द की जुबान है,,,,
(राजू की बात सुनकर श्याम को थोड़ी बहुत तसल्ली होती थी लेकिन उसकी नियत का उसे भरोसा नहीं था देखते ही देखते दोनों घर पर पहुंच गए,,,, घर के बाहर का दरवाजा इस समय हल्का सा खुला ही रहता था बाहर चुनरी की चप्पल नहीं थी जिससे से हमने अंदाजा लगा लिया था कि उसकी बहन घर पर नहीं है इसलिए वह राजु को अंदर जाने के लिए इशारा किया,,, तो राजू उससे बोला,,,)

तेरी मां इस समय अंदर तो होगी ना,,,


हां इस समय वह नहाती है नहा रही होगी,,,,।
(इतना सुनकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी और धीरे से घर के अंदर कदम रखा और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा वह भी आवाज नहीं करना चाहता था क्योंकि मैं जानता था कि अगर शाम को बुलाने के लिए वहां शोर करेगा तो उसकी मां जान जाएगी और अपने हाथ को व्यवस्थित कर लेगी जैसा कि वह बिल्कुल भी नहीं चाहता था वह चाहता था कि वह उसकी मां को एकदम देखें,,, यही सोचता हुआ वह घर के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया जहां पर गुसलखाना था और वहीं पर हेडपंप था जहां पर नहाया जाता था और जहां पर राजू ने खुद झुमरी को एकदम नग्न अवस्था में नहाते हुए देखा था,,,, देखते ही देखते राजू उस जगह पर पहुंच गया था जहां पर खड़े होकर व झुमरी के नंगे बदन का दर्शन किया था और आज भी उसका नसीब बड़े जोरों पर था वहां पर पहुंचते ही उसे साफ दिखाई दे रहा था कि इस समय भी श्याम की मां नहा रही थी और अभी अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर उसकी पीठ राजू की तरफ से नंगी चिकनी पीठ देखकर राजू का लंड टन टनाने लगा,,,,वह अपनी बड़ी बड़ी गांड लकड़ी के बने पीढ़े पर रखकर नहा रही थी जिससे उसकी गांड और ज्यादा फेली हुई नजर आ रही थी,,,, राजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसकी नसों में लहू का दौरा बड़ी तेजी से होने लगा,,, इस उमर में श्याम की मां का बदन एकदम कसा हुआ था,, जिसको देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,,,श्याम की मां को नंगी नहाते हुए देखकर राजु के मन में यही हो रहा था कि आज वह उसकी जवानी का सारा रस अपने लंड से निचोड लेगा,,,। राजू जहां पर खड़ा था वहां से एक कमरा पीछे श्याम खड़ा था वह जानता था कि समय उसकी मां एकदम नंगी होकर नहा रही होगी क्योंकि उसकी आदत थी अपने सारे कपड़े उतार कर नहाने की और यही सोच कर वह हैरान और परेशान हो रहा था कि उस समय राजू उसकी मां को एकदम नंगी देख रहा होगा और उसे नंगी देखकर अपने मन में कैसी-कैसी कल्पना कर रहा होगा यहां आने से पहले वर्क इतना उतावला और तड़प रहा था उसकी तरफ उसने राजू के पजामे में देख लिया था,,, राजू उसकी मां को चोदने का पूरा मन बना कर आया था,,,,लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि राजू में इतनी हिम्मत आ रही तो आई कैसे क्योंकि औरतों से तो वह हमेशा घबराता रहता था,, उनसे ठीक से बात तक नहीं करता था,,, और आज वाह उसके घर पर मौजूद था उसकी मां को चोदने के लिए,,,,,,

श्याम को अभी भी लग रहा था कि उसकी मां राजू को वहां से भगा देगी उसे अपने बदन को हाथ तक लगाने नहीं देगी,,, श्याम से देखा नहीं जा रहा था लेकिन फिर भी वह राजू की तरफ देख ले रहा था कि वह क्या कर रहा है और उसकी हालत को देखकर श्याम को गुस्सा आ रहा था क्योंकि राजु बार-बार अपने पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा रहा था उसकी हालत को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि राजू इस समय उसकी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा होगा,,, लेकिन क्या देख रहा होगा या उसे पूरी तरह से मालूम नहीं था लेकिन इतना तो एहसास था कि उस समय उसकी मैं पूरी तरह से नंगी ना आ रही होगी और जरूर आज उसकी बड़ी-बड़ी गांड यां उसकी चुचियों कोको देख रहा होगा,,,, यह ख्याल उसके मन में आते ही उसके भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,।

राजू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बार-बार श्याम की मां बाल्टी में से लोटा भर भर कर पानी को अपने ऊपर डाल कर अपनी जवानी की गर्मी को पानी की शीतलता से दबाने की कोशिश कर रही थी,,,, श्याम की मां की पीठ राजू की तरफ होने की वजह से उसे उसकी चूचियों को देखने की लालसा अधूरी नजर आ रही थीलेकिन राजू की उत्तेजना उस समय और ज्यादा पड़ जा रही थी जब उसकी मां अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपने हाथ को अपने काम के बीच ले जाकर रगड़ रही थी और उसकी हाथ की रकड़ देखकर राजू अंदाजा लगा लिया था कि इस समय उसकी मां अपनी पुर को रगड़ रही है और यही समय उसके लिए बिल्कुल ठीक भी था इसलिए बिना कुछ सोचे समझे ही वह श्याम का नाम लेते हुए बोला,,,।

चाची श्याम है क्या,,,,?
(इतना सुनते ही श्याम की मां के तो होश उड़ गए क्योंकिआवाज बड़ी नजदीक से आई थी जिससे अंदाजा लगा ली थी कि उसके ठीक पीछे खड़ा होकर राजू पूछ रहा है और वह तुरंत पीछे मुड़ कर देगी तो राजू वहीं खड़ा होकर से ही देख रहा था श्याम की मां की हालत खराब हो गई क्योंकि समय वह पूरी तरह से नंगी थी और एक जवान लड़का उसके नंगे बदन को देख रहा था,,,, अपने बदन पर सूखे कपड़े डालने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था तो वह अपनी गिली साड़ी को ही अपनी नंगे पर डालकर अपने नंगे बदन को ढंकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,,।


हाय दइया तू इधर आ गया तू देख नहीं रहा है कि मैं नहा रही हूं,,,,


मुझे मालूम नहीं था चाची कि तुम इस समय नहा रही हो इसलिए मैं यहां तक आ गया मुझसे गलती हो गई,,,, लेकिन तुम एकदम नंगी होकर क्यों नहाती हो,, कपड़े पहन कर नहाया करो,,,(राजू जानबूझकर नंगी शब्द का प्रयोग कर रहा था क्योंकि वह भी जल्द से जल्द श्याम की मां को उत्तेजित करना चाहता था,,, जिसका असर श्याम की मां पर भी हुआ था उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि राजू उससे इस तरह के शब्दों में बात करेगा,,, फिर भी वह गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)


मैं चाहे जैसे भी नहाउ तुझे क्या,,,, तू चला जा यहां से तुझे जरा भी शर्म नहीं आती मुझे नंगी नहाते हुए देखने में,,,( गीली साड़ी से अपने नंगे वबदन को ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,,, इतना वह कह ही रही थी कि राजू जानबूझकर श्याम की मां की आंखों के सामने ही पजामे में तने हुए लंड को पकड़ कर दबाने लगा जो कि यह हरकत श्याम की मां की नजरों से भी बच नहीं पाई,,,राजू की यह हरकत देखकर शयाम की मां इतना तो समझ गई थी कि उसे नंगी नहाते हुए देख कर राजु का लंड खड़ा हो गया है,,,, जहां इस हरकत से श्याम की मां को हैरानी हो रही थी वहीं दूसरी तरफ उसे इस बात से ना जाने क्यों खुशी भी थी कि इस उम्र में भी उसे जवान लड़का देख कर उत्तेजित हुआ जा रहा है,,,, राजू के पांच कदम पीछे खड़ा श्याम दोनों की बातों को सुन रहा था और अभी तक अपनी मां की बात को सुनकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां उसे वहां से भगा देगी,,, )

कितना हरामी है तू अभी भी यही खड़ा है चला जा यहां से नहीं तो मैं तेरी मां को सब कुछ बता दूंगी,,,,,,


क्या बता दो की चाची यही कि मैं तुम्हें नंगी नहाते हुए देख रहा था,,,,मैं किसी से नहीं डरता अगर तुम्हें बताना है तो बता देना लेकिन इस समय जो कुछ भी मैं देख रहा हूं उसे देखकर मेरी हालत खराब हो रही है,,,(राजू जानबूझकर श्याम की मां को दिखाने के लिए पजामे में तने हुए तंबू को जोर-जोर से अपने हाथ से दबाते हुए बोला राजू की हरकत को देखकर श्याम की मां को घबराहट होने लगी क्योंकि उसकी हरकत श्याम की मां को कुछ ठीक नहीं लग रही थी,,,,)


देख राजु यह अच्छी बात नहीं है ,,,तु मेरे बेटे का दोस्त हैं,,, अगर तेरे दोस्त को पता चल गया कि तू उसकी मां को नंगी नहाते हुए देख रहा था तो वह तुझे छोड़ेगा नहीं,,,,।


कुछ नहीं होगा चाची उसे कानों कान पता ही नहीं चलेगा,,,,,,


यह कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है तू चला जा यहां से नहीं तो मैं तुझे मारुंगी,,,,
(अपनी मां की बातों को सुनकर श्याम बहुत खुश हो रहा था उसे यकीन हो गया था कि उसकी मां राजू को कुछ भी करने नहीं देती और आज से राजू से पीछा भी छूट जाएगा क्योंकि उसने वादा जो किया था लेकिन राजू कहां मानने वाला था वह अच्छी तरह से विचार-विमर्श कर के ईधर आया था पहचानता था कि अगरश्याम की मां इनकार भी कर देगी तो भी वह उसे मना लेगा क्योंकि दोनों का राज जो जानता है,,, जैसे श्याम मान गया वैसे उसकी मां भी मान जाएगी लेकिन श्याम की मां के इस तरह की नानकुर में राजू को भी बहुत मजा आ रहा था,,,)


मार लेना चाची लेकिन यह खूबसूरत नजारा तो देखने दो,,, मैंने आज तक किसी औरत को पूरी तरह से नंगी होकर नहाते नहीं देखा हुं,,,।
(राजू की इस तरह की बातें सुनकर श्याम की मां के मन में घबराहट होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें फिर भी अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करते हुए बोली)


तू चला जा राजू इस तरह की बातें मत कर तेरी मां को बता दूंगी तो वह तुझे छोड़ेगी नहीं,,,,


मैं मार खाने के लिए तैयार हूं लेकिन इस तरह के खूबसूरत नजारे को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता तुम बहुत खूबसूरत है चाची आज पहली बार मुझे पता चल रहा है,,,,नंगी होने के बाद तो लिख भी ज्यादा खूबसूरत लगती होगी यह तो मुझे अंदाजा भी नहीं था,,,,।
(श्याम की मां के मन में घबराहट भी हो रही थी लेकिन राजू की बातों से अब उसे अपने तन बदन में उत्तेजना का अनुभव हो रहा थाक्योंकि राजू उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था इस उम्र में भी कोई जवान लड़का एक औरत की तारीफ करें तो औरत का हाल वैसा ही होता है जैसा कि इस समय श्याम की मां का हो रहा था,,,)

राजू तू पागल हो गया है मेरे दो बच्चे हैं दोनों जवान हैं इस उमर में भला मैं कैसे खूबसूरत लगुंगी,,,, तू चला जा यहां से अगर कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,


कोई नहीं आएगा चाची और मुझसे डरने की जरूरत नहीं है मैं से खड़ा हो कर देख रहा हूं कुछ करूंगा नहीं,,,,


लेकिन तू चला जा मुझे शर्म आ रही है,,,


शर्माती हुई तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लगती हो चाची,,, लेकिन तुम हमेशा इसी तरह से नंगी मानती हो या आज नहा रही हो,,,,


मुझसे तो इस तरह की बातें मत कर मुझे शर्म आ रही है,,,, यह श्याम भी ना एकदम निकम्मा है दरवाजे की कुंडी भी नहीं लगाया है,,,,


अच्छा हुआ ना चाची जो उसने कुंडी नहीं लगाया नहीं तो इतना खूबसूरत नजारा कहां देखने को मिलता,,,( अभी तक राजू पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था श्याम की मां पजामे में बना हुआ उसका तंबू देख नहीं पा रही थीजिससे श्याम की मां को उसकी मर्दाना ताकत का अंदाजा नहीं हो पा रहा था इसलिए जानबूझकर,,, राजू अपना हाथ अपने पजामे के आगे वाले भाग से हटा दियाजिससे पहचानने में तना हुआ उसका खूंटा श्याम की मां की आंखों के सामने आ गया और उस पर नजर पड़ते हैं आश्चर्य से श्याम की मां का मुंह खुला का खुला रह गया,,,, जिस तरह का खूंटा राजू के पजामे में बना हुआ था इस तरह का दृश्य श्याम की मां अपने जीवन में कभी नहीं देखी थी पहली नजर में ही देखकर वह राजू की मर्दाना ताकत को भाप ले गई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा राजू ने अपने पजामे में डाल दिया हो,,, श्याम की मां की प्यासी नजरों को राजू अच्छी तरह से समझ गया था,,, कुछ देर के लिए श्याम की मां की आंखें राजू के पजामी पर ही गड़ी रह गई जिससे राजू समझ गया था कि यह घोड़ी उसके नीचे आने वाली है,,,, अपने खूंटे को उसी तरह से तना हुआ छोड़कर राजू अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर अंगड़ाई लेता हुआ बोला,,,।)

चाची इस उम्र में भी तुम इतनी खूबसूरत हो मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,, कसम से तुम्हारे पर मेरा दिल आ गया है,,,,
(राजू की इस तरह की बातें सुनकर श्याम की मां की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि राजू के मन में क्या चल रहा है वहां क्या सोचकर इधर आया है थोड़ी बहुत घबराहट हो रही थी लेकिन राज्य की बातें उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी,,, पहली बार कोई जवान लड़का और वह भी उसके बेटे की उम्र का उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख रहा था और मजे भी ले रहा था यह एहसास श्याम की मां के लिए बिल्कुल अनोखा था,,,, श्याम की मां शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ले रही थी जोकि राजू श्याम की मां की झुकी हुई नजरों को देखकर अंदाजा लगा ले रहा था कि बहुत ही जल्द उसकी बुर में उसका लंड जाने वाला है,,,,)


तू चला जा राजू यहां से नहीं तो गजब हो जाएगा,,,,,


मेरा जाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा है,,,


तू तो श्याम को ढूंढता हुआ यहां आया था ना जा श्याम तुझे गांव में मिल ही जाएगा चला जा यहां से,,,


अब शयाम को ढूंढ कर क्या करूंगा चाची जब मेरी आंखों के सामने श्याम की मां एकदम नंगी होकर नहा रही है भला ऐसे में कोई श्याम को ढूंढेगा या श्याम की मां के पीछे पड़ा रहेगा,,,।


तू तो ऐसा लड़का बिल्कुल भी नहीं था यह सब कहां से सीख गया तुझे तुम्हें इतना सीधा समझती थी तु इतना बिगड़ा हुआ कब से हो गया,,,


तुम्हारी खूबसूरती देखकर चाची,,,, मैं क्या मेरी जगह कोई भी होता तो वह भी बिगड़ जाता,,,,

(राजू की बातों को सुनकर श्याम का खून खोल रहा था,,,अपने मन में सोच रहा था कि इतना इंकार करने के बावजूद भी अब तक वह वहीं पर खड़ा है उसे चला जाना चाहिए था लेकिन श्याम भी क्या कर सकता था,,, उसके भी हाथ बंधे हुए थे वह कुछ कर नहीं सकता था,,,)

तू चला जा रहा है यहां से नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,


क्या कर लोगी चाची,,,, तूम कुछ नहीं कर पाओगी,,, मैं जानता हूं तुम्हें क्या चाहिए तुम्हारी आंखों में मुझे साफ नजर आ रहा है,,,।
(राजू की यह बात सुनकर श्याम की मां एकदम से सबको का कहीं और शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोली)

क्या नजर आ रहा है तुझे,,, मुझसे बातें मत बना चला जा यहां से,,,,, हरामजादे तेरी नियत बिगड़ रही है,,,


तुम्हें नंगी देखकर किस कि नियत ना बिगड़ जाए जाए चाची,,,,,


कैसी बातें कर रहा है तु,,, तुझे एक बार मे समझ में नहीं आता,,,,,, कि तू मार ही खा कर मानेगा,,,,।
(श्याम की मां अजीब से हालात में फंसी हुई थी उसके तन बदन में अजीब सी कसमसाहट अपनी बाहों में घेरे हुए थी,,,, राजू के पजामे में बने हुए खूंटे को देखकर उसके दोनों टांगों के बीच की पतली गुलाबी छेद में कुलबुलाहट हो रही थी एक तरफ उसका मन ललचा रहा था दूसरी तरफ जमाने की सोच कर वह आगे बढ़ना नहीं चाहती थी वह किसी भी तरह से बदनामी का दाग अपने दामन में लगने नहीं देना चाहती थी

भले ही वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना करअपने जिस्म की प्यास बुझा रही हो लेकिन बाहर वालों के लिए तो वह अभी भी वह वह संस्कारी औरत थी,,, राजू पूरी तरह से उसे रिझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन श्याम की मां चाह कर भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं कि वो किसी भी तरह से राजू को यहां से भगा देना चाहती थी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,, क्योंकि वहां यहां पर पूरी तरह से अनुमान की गणित लगा कर आया था कि अगर ऐसा होगा तो क्या करना है अगर ऐसा होगा तो क्या करना है चारों तरफ से खेल की बाजी राजू के हाथों में ही थे इसीलिए तो वह ढका हुआ था,,,)


मार लेना चाहती लेकिन मेरी हालत पर भी जरा गौर करो,,, तुमने मेरी क्या हालत कर दी है देखो तो मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,( इतना कहने के साथ ही राजू अपने पजामे को पकड़कर नीचे कर दिया और अपने टनटनाए हुए लंड को खुली हवा में सांस लेने के लिए छोड़ दिया,,,, राजू का लंड भी मानो जैसेपजामे के अंदर ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था उसका दम घुट रहा था वह भी खुली हवा में आते ही अपना पूरा दमखम दिखाने लगा और बड़े ही मादक अंदाज में ऊपर नीचे होकर हिलना शुरू कर दिया शयाम की मां की नजर अभी उसके खुले नंगे लंड पर नहीं पड़ी थी,,,,वह शरमा कर अपनी नजरों को नीचे किए हुए थे और राजू चाहता था कि बस एक बार श्याम की मां उसके लंड को नजर भर कर देख ले फिर उसका काम तो अपने आप ही हो जाएगा ऐसा उसे पूरा विश्वास था इसलिए राजू अपने लंड की जड़ को पकड़कर उसे हवा में ऊपर नीचे करके हीलाते हुए बोला,,,,)


देखोगी नहीं चाची कि तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है,,,


नहीं मैं कुछ नहीं जानती तू चला जा यहां से,,,


चला जाऊंगा बस एक बार देख तो लो,,,,।
(श्याम की मां कोसमझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाना चाहता है उसे अंदाजा नहीं था कि वह क्या दिखाएगा इसलिए शर्म से मरी हुई नजरों को ऊपर करके राजू की तरफ देखी तो उसकी नजर सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच लहराते हुए उसके मर्दाना ताकत से भरे हुए हथियार पर चली गई जिसे देखते ही आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, उसकी सांसे पल भर के लिए थम सी गई उसे एकदम साफ नजर आ रहा था राजू के हाथ में उसका लड़का था जिसे वो धीरे-धीरे ही लाकर उसकी ताकत को श्याम की मां की आंखों के सामने नुमाइश कर रहा था,,,,श्याम की मां ने अपने जीवन में इस तरह के मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के दर्शन कभी नहीं की थी इसलिए पहली नजर में उसे देखते ही वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई,,, एक अद्भुत आकर्षण में बंध सी गई,,,, कुछ देर के लिए वह राजू की लंड को निहारती रह गई,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अजीब से हालात पैदा कर दिया था राजू ने जिसकी समझ श्याम की मां को भी नहीं था अपने बेटे के उम्र के लड़के की इस तरह की हरकत को देखकर श्याम की मां शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी और उसके आकर्षण में पूरी तरह से खुद ही चली जा रही थी अब तक वह अपनी जवानी को गांव वालों से बचा कर रखी थी,,, लेकिन आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि आज वह ना चाहते हुए भी राजू के लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी,,,, श्याम जोकी राजू के पीछे खड़ा था राजू की हरकत को देखकर वह समझ गया था कि जिसका डर था वही हो रहा है श्याम अच्छी तरह से जानता था कि राजू उसकी मां को अपना लंड दिखा रहा है और वह अच्छी तरह से जानता था किअगर एक बार उसकी मां ने राजू के लंड के दर्शन कर लिए तो वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने को तैयार हो जाएगी क्योंकि जो संतुष्टि भरा एहसास उसे चाहिए था शायद उसे राजू के लंड से ही प्राप्त होने वाला था,,,,,,, श्याम को अपनी मां पर पूरा भरोसा था लेकिन राजू के लंड पर बिल्कुल भी नहीं था,,, श्याम 2 साल से अपनी मां की चुदाई करता रहा था इसलिए उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां को कैसा लंड चाहिए था संपूर्ण संतुष्टि की प्राप्ति के लिए और ठीक है वैसा ही लंड मर्दाना ताकत से भरा हुआ राजू के पास था और भला ऐसी कौन सी औरत होगी कि जिसकी कल्पना दिन रात अपने जेहन में करती हो और वही उसका पसंदीदा उसकी आंखों के सामने आ जाए तो इंकार कर देगी,,,, और इस समय यही हो भी रहा था,,, राजू के टनटनाए हुए लंड को देखकर श्याम की मां की बुर पिघल रही थी,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेंवह पूरी तरह से राजू की दोनों टांगों के बीच के लटकते हथियार की तरफ आकर्षित हुए चली जा रही थी,,,, उसकी सांसों की गति धीरे-धीरे तेज हो रही थी,,,,अपने बदन में इस तरह की उत्तेजना वह काफी समय के बाद महसूस कर रही थी कुछ देर तक दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं भी दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, इस खामोशी को राजू अच्छी तरह से समझ रहा था यह एक तरह से श्याम की मां की तरफ से ईसारा था आगे बढ़ने का,,,,,, पीछे खड़ा श्याम यह सब देख रहा था उसका खून खोल रहा था लेकिन कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं था,,,, उसकी मां अब कुछ भी नहीं

बोल रही थी इसलिए उसे अपनी मां पर गुस्सा आ रहा था,,,। राजू अपने लंड को हिलाते हुए एक नजर पीछे की तरफ डाल दे रहा था श्याम की हालत को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, श्याम की हालत बिल्कुल खराब थी लेकिन उसे मजा आ रहा था,,,,,,

श्याम की मां की चुप्पी को उसकी हामी समझकर राजू अपना लंड खिलाता हुआ श्याम की मां की करीब जाने लगा यह देखकर श्याम की मां के तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना है वह आगे भी बढ़ना चाहती थी और इस तरह का कार्य करने में झिझक भी रही थी,,,,,, देखते ही देखते राजू श्याम की मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, राजू के बेहद करीब आज आने की वजह से श्याम की मां के बदन में उत्तेजना भरी कंपन होने लगी,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए बात की शुरुआत राजू ही करते हुए बोला,,,।

लाओ चाची तुम्हारी पीठ पर साबुन लगा दूं तुम्हारा हाथ ठीक से पहुंच नहीं पाता,,,,(वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही राजू खुद साबुन उठाकर श्याम की मां की नंगी पीठ पर साबुन लगाने लगा एक अनजान जवान लड़की का स्पर्श अपनी नंगी चिकनी पीठ पर पाते ही श्याम की उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी वह पूरी तरह से नंगी थी बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था बस केवल गीले कपड़े से अपने बदन को छुपाने की कोशिश कर रही थी जो कि वह भी ज्यों का त्यों था,,,, साबुन लगाते समय खुद राजू ही उसके हाथों से कपड़े को लेकर अलग करते हुए बोला,,,।)

इसकी क्या जरूरत है साथ में तुम नंगी ही बहुत खूबसूरत लगती हो,,,(राजू बेझिझक श्याम की मां से गंदी बातें कर रहा था श्याम की मां उसकी हिम्मत को देखकर हैरान थी लेकिन कुछ भी बोल नहीं पा रही थी और दूसरी तरफ श्याम यह देखने के लिए कि राजू क्या करता है और उसकी मां का व्यवहार कैसा होता है वह धीरे-धीरे जहां पर पहले राजू खड़ा था वहीं पर आकर खड़ा हो गया लेकिन अपने आप को दीवार की ओट में छुपाए हुए था,,,, क्योंकि वह चाहता था कि उसकी मां को जरा भी भनक नहीं लगनी चाहिए कि जो कुछ भी हो रहा है इसके बारे में उसे पता था वह ऐसा ही जताना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ है सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,,श्याम की मां की नंगी चिकनी पीठ पर साबुन लगाते हुए राजू बोला,,,)

तुम्हारी चिकनी पीठ एकदम मखमल की तरह मुलायम है चाची,,, कोई लेप लगाती हो क्या,,,,?


नहीं तो मैं कुछ नहीं लगाती,,,(उत्तेजना के मारे कांपते स्वर में बोली,,,)


मुझे तो लगा कुछ लगा दी होगी वरना इतनी चिकनी मखमली पीठ नहीं होती,,,,(साबुन लगाते समय राजू की नजर कमर के नीचे वाले भाग पर थी जो कि पीढे पर बैठी हुई थी और बेठी होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी कांड और ज्यादा चौड़ी नजर आ रही थी,,, राजू श्याम की मां की गांड को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना चाहता था और इससे अच्छा मौका और कोई नहीं था वह साबुन लगाते मेरे लिए अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और वही उसके ठीक पीछे बैठ गया और उसकी बड़ी बड़ी गांड को हाथ में लेकर दबाते हुए उस पर साबुन लगाने लगा,,,,(गांड पर हाथ लगते ही श्याम की मां की हालत खराब होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा और वह कांपते स्वर में बोली,,,)


चला जा राजू कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,।


कोई नहीं आने वाला चाची मैं अंदर से कुंडी बंद कर दिया हूं,,,,,,, थोड़ा सा खड़ी हो जाओ तो मैं तुम्हारी गांड पर अच्छे से साबुन लगा दूं,,,,(राजू बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रहा था वही उसका बेटा भी मौजूद किसी भी तरह की शर्मनाक दिखाते हुए एकदम बेशर्म की तरह बोल रहा था,,, श्याम की मां उसके मुंह से इस तरह की बातें सुनकर हैरान तो हो रही थी लेकिन ना जाने क्यों धीरे-धीरे उसे उसकी बातें उत्तेजित कर रही थी उसकी बातों में उसकी आवाज में एक जादू था जो कि उसकी बात मानते हुए बिना कुछ बोले श्याम की मां पीढे पर से अपनी गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दी और घुटने के बल बैठ गई,,, राजू की आंखों के सामने श्याम की मां की बड़ी बड़ी गांड पानी से गीली हो चुकी थी राजू श्याम की मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी बड़ी-बड़ी आंखों को शांत पानी की तरह लहराते हुए उसकी गदराई जवानी का नुमाई ना कर रहा था,, और पीछे खड़े श्याम की तरफ देख ले रहा था इससे आपकी आंखों में खुन्नस साफ नजर आ रहा था बड़े आराम से राजू की बात उसकी मां मान रही थी यह देखकर वह भी हैरान था लेकिन जिस बात की शंका उसके मन में चल रही थी वही हो रहा था राजू के लंड को देखकर उसके मां की मन की लालच बढ़ने लगी थी,,,,,राजू श्याम की मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर हिलाते हुए बोला,,,।

वाह चाची तुम्हारी गांड कितनी खूबसूरत है,,,, कितनी बड़ी बड़ी है ,,,, मुझे तो तुम्हारे जैसी ही बड़ी बड़ी गांड पसंद है,,,।
(राजू के मुंह से अपनी गांड की तारीफ सुनकर श्याम की मां अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी और अपने बेटे की उम्र के लड़के के मुंह से अपनी गांड की बात सुनकर वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,, राजू दोनों हाथों से साबुन का झाग उसकी गांड पर जोर जोर से रगड़ रगड़ कर लगा रहा था उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी एक साथ राजू का दोनों काम हो रहा था एक तो वह श्याम की मां की गांड पर साबुन भी लगा रहा था और दूसरी तरफ एक औरत की गांड को पकड़कर उत्तेजित भी हुआ जा रहा था ,,,,,,, श्याम की मां के जीवन में यह पहली बार था जब कोईजवान लड़का या मर्द उसके बदन पर साबुन लगा रहा था ऐसा तो आज तक उसके ना तो पति ने किया था और ना ही उसके बेटे ने जो कि 2 साल से उसकी चुदाई करते आ रहा था इसलिए राजू का यह अंदाज उसे भी अच्छा लग रहा था राजू धीरे-धीरे अपनी हरकत बढ़ा रहा था श्याम की मां की गांड की दोनों टांगों के बीच वह अपनी उंगली रगड़ कर उस पर साबुन लगा रहा था और देखते ही देखते उसका हाथ श्याम की मां की बुर पर पहुंच गया उस पर राजू की हथेली पहुंचते ही श्याम की मां के बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी उसका हाथ खुद-ब-खुद राजू के हाथ पर आ गया और उसे रोकने लगी,,,।


इधर नहीं राजु,,, मैं लगा लुंगी,,,


क्यों क्या हुआ लगाने दो ना चाची,,,


नहीं रे मुझे शर्म‌ आ रही है,,,,


इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है साबुन ही तो लगा रहा हूं कौन सा तुम्हारी बुर में लंड डाल रहा हूं,,,।
(राजू के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर श्याम की मां एकदम से चौक गई उसे उम्मीद नहीं थी कि वहां इतने खुले शब्दों में लंड और बुर बोल देगा)


हाय दइया यह क्या कह रहा है,,,


सच ही तो कह रहा हूं चाची तुम्हारी बुर की अच्छे से साबुन लगाकर सफाई कर रहा हूं फिर भी तुम्हें एतराज हो रहा है,,,
(राजू की बात को सुनकर उसका हाथ खुद-ब-खुद राजू के हाथ से हट गया था और राजू मनमानी तौर पर उसकी बुर पर साबुन लगा रहा था ऐसा करने में उसके उतेजना अत्यधिक बढ़ रही थी उसके लंड में तनाव बढ़ता ही जा रहा था,,,, राजू की बातों को सुनकर श्याम की मां की सांस ऊपर नीचे हो रही थी,,, क्योंकि आज तक 2 साल से उसकी चुदाई कर रहा उसका बेटा भी ईतने खुले शब्दों में नहीं बोला था,,, एक जवान लड़के की हथेली को अपनी बुर पर महसूस करके श्याम की मां उत्तेजित में जा रही थी उसके तन बदन में आग लग रही थी वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक अनजान जवान लड़का उसके साथ इस कदर मनमानी करेगा कि वह उसे रोक भी नहीं पाएगी,,,, हालात बिगड़ते जा रहे थे श्याम की मां के हाथों से उसका अधिकार छूटता जा रहा था ऐसा लग रहा था कि सब कुछ वह राजू को सौंप चुकी है,,,,, राजू भी थोड़ी-थोड़ी देर पर श्याम की तरफ देख ले रहा था श्याम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थी वह नहीं जानता था कि उसकी मां इतनी जल्दी मान जाएगी उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने कि उसे अपनी मां को अपने दोस्त के साथ इस हालत में देख कर उसे अच्छा भी लग रहा था,,,,,,, राजू किसी भी तरह से जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहता था वह पूरी तरह से श्याम की मां को मस्त कर देना चाहता था और वह भी इस कदर कि वह खुद उसके लंड पर अपनी बुर रख कर बैठ जाए ताकि यह देखकर श्याम को भी पता चले कि असली मर्द क्या होता है,,,,।


अद्भुत नजारा बना हुआ था राजू श्याम की आंखों के सामने ही उसकी मां के नंगे बदन से खेल रहा था उसकी बुर पर साबुन लगा रहा थालेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं था ना तो श्याम और ना ही श्याम की मां दोनों मूकदर्शक बनकर सिर्फ देख रहे थे और श्याम की मां तो मजा ले रही थी देखते ही देखते राजू अपनी हरकत को बढाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को धीरे धीरे श्याम की मां की बुर में डालना शुरू कर दिया,,,,श्याम की मां के बदन में इस कदर मदहोशी छाई हुई थी कि वह राजू को बिल्कुल भी रोक नहीं पाई,,, और पूरी तरह से मस्त होकर आगे की तरफ झुकती चली गई और राजू की आंखों के सामने ही श्याम की मा एक दम घोड़ी की मुद्रा में आ गई राजू ठीक है उसके पीछे घोड़ा बनने के लिए तैयार था लेकिन अभी वह घोड़ी पर चढ़ा नहीं चाहता था क्योंकि वह पूरी तरह से उसे मस्त कर देना चाहता था ताकि जब एक बार लंड बोर में जाए तो बिना संतुष्ट किए बाहर ना आए,,,, इसलिए राजू उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपनी उंगली को धीरे धीरे बुर के अंदर बाहर करके उसे चोदना शुरू कर दिया था यह देखकर श्याम की भी हालत खराब होने लगी थी अपनी आंखों के सामने अपनी मां को एकदम नंगी एक अपने ही दोस्त के साथ मजा लेते देखकर श्याम भी उत्तेजित हुआ जा रहा था उसे गुस्सा करना चाहिए था लेकिन गुस्सा करके भी वो क्या कर लेता फिर राजू भी वही करता जो कि वह नहीं चाहता था इसीलिए मूकदर्शक बनकर इस नजारे का वह भी लुफ्त उठाने लगा और राजू से

सीखने भी लगा कि एक औरत को कैसे खुश किया जाता है,,,,

धीरे धीरे राजू की उंगली की रफ्तार श्याम की मां की बुर में बढ़ने लगी और एक उंगली की जगह राजु ने अपनी दूसरी ऊंगली भी श्याम की मां की बुर में डाल दिया जिससे उसकी उत्तेजना को ज्यादा पड़ने लगी देखते ही देखते श्याम की मां की मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज उठने लगी और इसी मौके का इंतजार भी राजू कर रहा था वो समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है बस हथोड़ा मारने की देरी है,,, लेकिन राजू दूसरे मर्दों की तरह नहीं था की औरत के साथ जल्दबाजी दिखाएं वह औरत के साथ बिस्तर पर बड़े धैर्य से काम लेता था और उसका यह धैर्य ही औरत को संतुष्टि का अहसास दिलाता था,,,, राजू श्याम की मां को और ज्यादा गर्म करना चाहता था,,,,श्याम की मां राजू की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी होकर घोड़ी बनी हुई थी,,,।

सहहहहह आहहहहहह,,,,ऊमममममममम,,,,,
(श्याम की मां के मुंह से इस तरह की सिसकारी की आवाज निकल रही थी क्योंकि इस बात की पूरक थी कि उसे बहुत मजा आ रहा है,,,,श्याम भी अपनी मां के मुंह से निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)

कैसा लग रहा है चाची,,,,


पूछ मत कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,

कुछ नहीं होगा जी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं की बाड़ी की कुंडी लगा दिया हूं अगर कोई आएगा भी तो दरवाजे पर दस्तक देगा तब तक तो तुम अपनी हालत को सुधार लो गी,,,, इसलिए बेफिक्र होकर मजे लो,,, रुको में,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और खड़े होने के साथ ही अपना पजामा उतार कर नीचे फेंक दिया और एकदम नंगा हो गया,,,, कुर्ता पजामा उतारने के बाद राजू श्याम की मां के पीछे एकदम नंगा करना श्याम उसके नंगे बदन को देखकर एकदम हैरान रह गया तब गठीला बदन और मर्दाना ताकत से भरा हुआ उसका खड़ा लंड खुद श्याम के होश उड़ा रहा था,,,यह देखकर श्याम खुद अपने मन में सोचने लगा कि जब उसकी यह हालत है तो उसकी मां देखेगी तो उसकी क्या हालत होगी जो कि बस थोड़ी बहुत झलक देख पाई थी,,,,। राजू श्याम को दिखाते हुए अपने लंड को हिलाने लगा ओर इशारा करके शाम को उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड दिखाने लगा औरअपने हाथ की अंगूठी और उंगली को गोल करके दूसरे हाथ की उंगली को उस गोलाई में डालकर थोड़ी देर बाद उसकी मां की चुदाई करेगा यह इशारे में हीं बताने लगा,,,, राजू की हरकत देखकर श्याम को गुस्सा भी आ रहा था और शर्म भी महसूस हो रही थी,,,।

राजू पास में पड़ी बाल्टी उठाकर ठीकश्याम की मां के सामने आकर खड़ा हो गया और हेड पंप चला कर उस बाल्टी में पानी भरने लगावह जानता था कि श्याम की मां की नजर उसके लंड पर जरूर पड़ेगी और उसे पूरी तरह से नंगा देखकर वह मस्त हो जाएगी और ऐसा हुआ भी,,,अपनी आंखों के सामने उसे एकदम नंगा होकर हैंड पंप चलाते हुए देखकर श्याम की मां के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, राजू के कसरती बदन को देखकर और साथ ही हवा में लहराते हुए उसके मुसल जैसे लंड को देखकर खुद ब खुद श्याम की मां की अमृत की बूंद चु गई,,,, वह हेडपंप चलाते हुए जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए श्याम की मां को दिखा रहा था और राजू की हरकत को देखकर श्याम की मां शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, पानी से बाल्टी पूरी तरह से भर चुकी थी,,, बाल्टी को उठाते हुए राजू एक बार और अपने लंड को हिलाते हुए श्याम की मां से बोला,,।

चाची मेरा ज्यादा लंबा और मोटा है ना,,,।
(लेकिन राजू की यह बात सुनकर श्याम की मां से उनसे अपनी नजरों को नीचे झुका ली और बोली कुछ नहीं क्योंकि जो कुछ भी राजू बोल रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी आज तक श्याम की मां ने उम्र के इस दौर पर पहुंचने के बावजूद भी इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड नहीं देखी थी,,, इसीलिए तो राजू के लंड को अपनी बुर में लेने की उसकी इच्छा प्रज्वलित होने लगी,,,, श्याम की मां की झूकी हुई नजरों में राजू को अपने सवाल का जवाब मिल गया था और वह बाल्टी लेकर ठीकश्याम की मां के पीछे आकर खड़ा हो गया और लोटे से पानी लेकर उसकी गदर आई बड़ी बड़ी गांड पर डालने लगा जिस पर साबुन के झाग लगे हुए थे थोड़ी ही देर में पानी के पढ़ते हैं कमर के नीचे का भाग पूरी तरह से एकदम साफ हो गया एकदम चिकना जिसे देखकर ही राजु के लंड में हरकत हो रही थी,,,,।

राजू अपने घुटनों के बल बैठ गया और एक लोटा पानी लेकर एक हाथ से आपकी मां की कमर पर रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए बोला,,,।


थोड़ा सा गांड और ऊपर करो चाची,,,,
(एक अजीब सी कशिश थी राजू की बातों में जोकि बेझिझक श्याम की मां उसकी बात मानते हुए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी गांड को दुश्मनों पर दागने वाली तोप की तरह उठा दी,,,,, श्याम की मां की यह हरकत राजू को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए थी दूसरा कोई होता तो शायद श्याम की मां की इस हरकत की वजह से उसका लंड पानी फेंक दिया होता लेकिन इस खेल में

राजू एकदम माहिर हो चुका था और एक दिक्कत खिलाड़ी के नाते उसका इस कदर मैदान छोड़कर भागना नामुमकिन था पर वह पूरी तरह से डटकर श्याम की मां की जवानी के तूफान में टिका हुआ था,,,, लोटा भर कर पानी को प्यार की मां की गांड की दरार के बीचोबीच डालने लगा लोटे से गिर रही पानी की धार ठीक उसकी गुलाबी पत्तियों पर गिर रही थी जिससे उसकी उत्तेजना और ज्यादा फुदक रही थी,,,, श्याम की मां को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह करके आ रहा है राजू अपनी हरकतों से उसे और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,श्याम की मां भी काफी उत्तेजना महसूस कर रही थी वह जल्द से जल्द बिना कुछ बोले राजू के लंड को अपने बुर में लेना चाहती थी और शायद राजू की जगह दूसरा कोई होता तो अब तक उसकी बुर में डाल भी दिया होता लेकिन राजू की हरकत से उसके धैर्य का पता चल रहा था,,, जिसमें खुद श्याम की मां को ही मजा आ रहा था,,,,
पीछे खड़ा श्याम पे राजू की हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रहा था श्याम को भी समझ में नहीं आ रहा था राजू की हरकत क्योंकि श्याम को भी ऐसा ही लग रहा था कि मौका मिलते ही राजू उसकी मां की चुदाई करेगा और वहां से चला जाएगा लेकिन यहां तो राजु ना जाने कौन-कौन से क्रीडा कर रहा था,,,,,,

श्याम की मां की गांड पर लगी साबुन के जादू को पानी से धो लेने के बाद उसकी चिकनी गांड पर राजू दो च6 चपत लगा दिया जिससे श्याम की मां को थोड़ा तो दर्द हुआ लेकिन मजा उससे ज्यादा प्राप्त हुआ और देखते ही देखते राजू अपने घुटनों के बल बैठ कर अपने दोनों हाथों में श्याम की मां की गांड को पकड़कर थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठाया और एक नजर उसकी गुलाबी छेद पर डाला जिसमें से उसका नमकीन रस अमृत की धारा बनकर नीचे टपक रही थी,,, राजू से यह अमृत की बूंद नुकसान होता हुआ नहीं देखा जा रहा था और वह तुरंत अपने प्यार से होठों को श्याम की मां की अमृत छेद पर रख दिया और उस नमकीन रस को चाटना शुरू कर दिया,,,पल भर के लिए तो श्याम की मां को पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है वह छटपटाने लगी और पीछे नजर करके देखी तो उसके होश उड़ गए,,,,राजू उसकी दोनों टांगों के बीच अपना फंसाया हुआ था यह देखकर वह हैरान रह गई कि राजू उसकी बुर को अपनी जीभ से चाट रहा था जैसा कि उसने आज तक कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी वो देख रही है उसमें रत्ती भर भी सच्चाई है यही हाल श्याम का भी था श्याम के तो होश उड़ गए जब वह राजू को उसकी मां की बुर चाटते हुए देखा,,,।क्योंकि उसने आज तक ऐसा नहीं किया था और ना ही उसकी मां ने कभी ऐसा करने के लिए उसे बोली थी,, इसलिए इस बारे में शायद श्याम को पता ही नहीं था,,,,,,

श्याम की मां राजू को कुछ बोल पाती है उसे इस तरह की हरकत करने से रोक पाती इससे पहले ही राजू पूरी तरह से श्याम की मां पर छा चुका था बुर चाटने की अद्भुत क्रीडा का असर श्याम की मां पर पूरी तरह से छाने लगा था,,,, पल भर में उसके मुख से गरम सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,, वह कसमसाने लगी,,,अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल घुमाने लगी,,,,उससे यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और इस कदर वह कभी उत्तेजित भी नहीं हुई थी केवल अपनी जवानी के दिनों में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव की थी लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आकर वाह इतनी अधिक उत्तेजना काम कर रही थी कि वह खुद हैरान थी,,, उसकी बुर बार-बार पानी फेंक रही थी जिसका स्वाद राजू अपनी जीभ से चाट कर ले रहा था,,,,।


सहहह आहहहहह ,,,,आहहहहहह ,,,राजुउउउउ,,, यह क्या कर रहा है,,,,आहहहहहह,,, ऐसा तो आज तक किसी ने नहीं किया,,,,,ऊहहहहहहह,,,,,,सहहहहहहहरह,,,,
(राजू श्याम की मां के इस बात का जवाब देना नहीं चाहता था क्योंकि उसकी हरकत ही श्याम की मां के सवाल का जवाब था राजू डंटा रहा वह श्याम की मां की बुर मैं अपनी जीभ लपालप डाल कर उसका नमकीन पानी चाटता रहा,,,,।श्याम की मां की हालत खराब होती जा रही थी वह बड़ी देर से घोड़ी बनी हुई थी लेकिन बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना का संचार हो रहा था कि वह मदहोशी के सागर में डूबती चली जा रही थी इस तरह का एहसास उसने आज तक कभी महसूस नहीं की थी और ना ही किसी ने कराया था,,,, उसके जीवन में राजू पहला शख्स था जो उसे इस कदर पानी पानी कर दिया था,,,,,,,।

राजू श्याम की मां की बुर को चाटकर पूरी तरह से मदहोश कर दिया था,, उसे इस कदर मजबूर भी कर दिया था कि अब राजू उसे जो भी कहता वह बेझिझक करने लगती,,,,
राजु अपनी जगह से उठा और,,, श्याम की मां से बोला,,,।

खड़ी हो जाओ चाची मैं तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखना चाहता हूं मैं तुम्हारी खूबसूरती को अपनी आंखों से पीना चाहता हूं,,,,।

(राजू की बातों को सुनकर श्याम की आंखों में खुन्नस तो आ ही रही थी लेकिन उसकी बातें उसे ना जाने क्यों उत्तेजित ही कर रही थी वह देखना चाहता था कि उसकी मां उसकी बात मानती है कि नहीं और उसकी ईरानी का कोई ठिकाना ना रहा जब उसकी मां उसकी बात मानते हुए एकदम से खड़ी हो गई,,,लेकिन उसे शर्मा भी महसूस हो रही थी एक जवान लड़की के सामने एकदम नंगी खड़ी थी और राजू उसके गोल गोल घूम कर उसके नंगे बदन का मुआयना कर रहा था और थोड़ी देर बाद उसके ठीक उसके सामने खड़ा होकर उसकी चुचियों पर अपने दोनों हाथ रख कर उसे जोर से दबाते हुए बोला,,,)


सहहहहह ,,, चाची तुम्हारे दशहरी आम तो एकदम मीठे रस से भरे हुए हैं इन्हें दबाने में कितना मजा आ रहा है,,,,,( और इतना कहने के साथ हीराजू बड़े जोर से श्याम की मां की चूची को दबाने लगा और श्याम की मां दर्द से कराहते हुए गरम सिसकारी लेने लगी)


आहहहहह,,,,,सहहहहहहहहह,,, सीईईईईईईई,,,आहहहहह राजू धीरे से,,,,,आहहहहहहह,,,


धीरे से कहां मजा आने वाला है चाची,,,,,ऊफफफ ,,,, तुम्हारी गदराई जवानी,,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू उसकी एक चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया,,, राजू की हर एक हरकत श्याम की मां के भजन में आग लगा रही थी राजू का इस कदर उसके बदन से खेलना उसे अच्छा लग रहा था,,, जो कि आज तक उसके बेटे ने भी इस तरह से उससे प्यार नहीं किया था,,,,शर्म के मारे और उत्तेजना के मारे श्याम की मां का चेहरा सुर्ख लाल हो गया,,, उसके गाल पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,,,
राजू उसे अपनी बाहों में लेकर उसके दोनों चुचियों को बारी-बारी से पी रहा था और ऐसा करने में श्याम की मां पर तू बिना बजा मिल रहा था क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच बार-बार राजू का लंड ठोकर मार रहा था और अपनी बुर पर राजू के मोटे तगड़े लंड की ठोकर पाकर उसकी बुर मचल रही थी उसे अंदर लेने के लिए,,,,,,, और श्याम की है रानी का और आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था जब उसकी मां अपना हाथ नीचे ले जाकर राजू के लंड को खुद अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर की दरार पर रगड़ना शुरु कर दी,,,,यह देखकर श्याम के होश उड़ गए और अपने मन में सोचने लगा कि साली कितनी बड़ी रंडी है अभी तक तो ऐसा ही लग रहा था कि उसके सिवा और किसी का नहीं लेगी लेकिन मोटा तगड़ा लंड देखकर उसका ईमान फिसल गया,,,,,

श्याम की मां की हरकत को देखकर राजू को एहसास हो गया था कि अब लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है अब हथोड़ा मारना बेहद जरूरी है,,,, इसलिए वह कुछ देर तक और श्याम की मां की चूचियों को पीता रहा,,, इसके बाद वह अपनी हरकत से श्याम की मां को और ज्यादा चौका देना चाहता था वह एक बार फिर से श्याम की मां को अपनी बाहों में कस लिया और झटके से उसे अपनी तरफ खींच लिया उसकी मां एकदम से उसके सीने से लग गई उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी छातियों से दबने लगी,,,, राजू श्याम की मां की आंखों में देखते हुए बोला,,,।

तुम बहुत खूबसूरत हो चाची,,,,(यह सुनते ही श्याम की मां की आंखें शर्म से नीचे झुक गई उसके चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी वह पूरी तरह से शर्मा गई थी क्योंकि उसके और राजु के बीच उम्र की जो खाई थी वह कुछ ज्यादा ही कह रही थी और अपने बेटे के उम्र के मुंह से अपनी जवानी की तारीफ सुनकर वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी श्याम भी हैरान था राजू की हर एक हरकत को देख कर,,, उसकी हर एक हरकत ने श्याम के भी तन बदन में आग लगा रहा था उसका लंड भी खड़ा हो चुका था उसने इस तरह से आज तक अपनी मां से उसके बदन से खेला नहीं था,,,, सिर्फ चुदाई करके हट गया उसे नहीं मालूम था कि औरतों की चीज किस कैसे खेला जाता है कैसे उन्हें संतुष्ट किया जाता है आज वह अपनी आंखों से राजू की हर एक हरकत को देखकर सीख रहा था,,,,,।

श्याम की मां अभी भी राजू की बाहों में कसी हुई थी वह कसमसा रही थी वहां उसकी पकड़ से छूटना चाहती थी लेकिन तभी राजू अपने होठों को,,, उसके लाल-लाल होठों पर रखकर उसके फोटो का रसपान करने लगा राजू की यह हरकत भी उसके लिए जानलेवा साबित हो रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा होने लगी और वह एकदम से खुद अपना हाथ आगे बढ़ाकर राजू को अपनी बाहों में कस ली,,,,राजू की पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना एक हाथ नीचे की तरफ बनाकर अपने लंड को पकड़ कर श्याम की मां के बुर के गुलाबी छेद को अपने लंड के सुपाड़े से टटोलने लगा,,,, और जल्द ही उसे कामयाबी भी मिल गई श्याम की मां की बुर का गुलाबी छेद उसे मिल गया था और वह अपने सुपाडे को उस में डालने की कोशिश करने लगा तो श्याम की मां भी उसका साथ देते हुए अपनी एक टांग को उठाकर पास में पड़ी बाल्टी पर रख दी जिससे धीरे धीरे राजू का लंड श्याम की मां की बुर में प्रवेश करने लगा,,,, जैसे-जैसे राजू का लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे श्याम की मां की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि अब तक उसकी बुर में श्याम को पतला लंड ही घुसा था और राजू का लंड से

ज्यादा ही मोटा था और वह अपनी पूरी असर दिखाता हुआ बुर की अंदरूनी दीवारों से रगड़ खाता हुआ अंदर की तरफ जा रहा था,,,, एहसास श्याम की मां के लिए बेहद अद्भुत था,,,, राजू श्याम की मां के लाल लाल होठों को चोदता हुआ अपने लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार रहा था और जल्दी उसे कामयाबी प्राप्त हो गई धीरे-धीरे करके उसका पूरा लैंड श्याम की मां की प्यार की गहराई में प्रवेश कर चुका था लेकिन अभी भी घुसने के बावजूद भी 1 इंच जैसा रह गया था यही देखने के लिए श्याम की मां अपनी नजर को नीचे की तरफ की तो हैरान रह गई जो देखकर की पूरा घुस जाने के बावजूद भी 1 इंच लंड अभी भी बाहर है,,,,।


कैसा लग रहा है चाची,,,(अपने होठों को उसके होठों से अलग करता हुआ और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर श्याम की मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकालकर फिर धक्का मारकर उसे अंदर कर दिया ऐसा करने से श्याम की मां के मुंह से आह निकल गई,,,, राजू रुकने वाला नहीं था इसी क्रिया को वह बार-बार दोहराने लगा वह धीरे-धीरे श्याम की मां को चोदना शुरू कर दिया था और वह भी खड़े खड़े उसकी बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर उसका सहारा लेकर वाह अपने धक्कों को तेज करने लगा,,,,,
श्याम को हैरानी हो रही थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि राजू खड़े-खड़े उसकी मां की चुदाई कर रहा था,, और मैं भी आगे से पीछे से तो ठीक था लेकिन आगे से उसने कभी किया नहीं था और उसे लगता ही नहीं था कि आगे से भी औरत की चुदाई कर सकता है और वह भी खड़े-खड़े लेकिन हैरान था फटी आंखों से राजू के लंड का प्रहार अपनी मां की बुर पर देख रहा था,,,,।

राजू भी पूरी मस्ती में आ चुका था,,, वह धकाधक अपना लंड पेल रहा था राजू के थक्के इतनी तेज थी कि वह ठीक से सांस नहीं ले पा रही थी,,,, लेकिन मजा उसे बहुत आ रहा था इस तरह से भी चुदाई की जाती है उसे पहली बार ऐसा हो रहा था राजू का लंड इतना मोटा था कि उसकी बुर की अंदरूनी दीवाे रगड़ रगड़ कर उसे और ज्यादा मस्त कर रही थी,,,,,।

ओहहहह चाची कैसा लग रहा है अब,,, तुम्हारी बुर तो अभी भी कसी हुई है,,,आहहहहहह,,,।

(राजू की बातें एकदम बेशर्मी भरी थी इसके जवाब देने में श्याम की मां को शर्म महसूस हो रही थी वो कुछ बोल नहीं रही थी बस अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए उसके हर एक धक्के का मजा ले रही थी वह यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बुर कसी हुई नहीं बल्कि राजू का लंड ही ज्यादा मोटा है,,,। राजू पूरी मस्ती में आ चुका था श्याम की मां की बड़ी बड़ी गांड को अपनी दोनों हथेली में जोर-जोर से दबाकर वह धक्के लगा रहा था,,,, और श्याम की मां उसके धक्के से कहीं गिर ना जाए इसलिए अपनी बाहों का हार राजू के गले में डालकर उसका सहारा लेकर खड़ी थी,,,, कुछ देर तक राजु इसी मुद्रा में श्याम की मां की चुदाई करता रहा,,, श्याम देखकर हैरान था कि अभी तक उसका पानी नहीं निकला था,,,, इसके बाद वह अपना लंड श्याम की मां की ओर से बाहर निकाल कर उसे दीवार का टेका लेकर झुकने के लिए बोला,,,,


श्याम की मां पर चुदाई की मस्ती पूरी तरह से सवार हो चुकी थी और वह इस मजे को खत्म नहीं होने देना चाहती इसलिए तुरंत दीवार का ठेका लेकर झुक गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी,,,,हवा में लहराती हुई गांड को देखकर राजू फिर से दो चार चपत उस पर लगा दिया,,, पल भर में टमाटर की तरह श्याम की मां की गांड लाल हो गई और इसके बाद राजू पीछे से अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया पीछे से भी राजू का लैंड उसकी बुर की गहराई तक पहुंच रहा था,,, श्याम की मां राजू की ताकत को देखकर एकदम हैरान हो गई थी राजू अपने दोनों हाथ आगे जाकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर उसे चोद रहा था और बार-बार उसकी गांड पर थप्पड़ भी लगा दे रहा था ऐसा करने में दोनों को मजा आ रहा था लेकिन शयाम की गांड जल रही थीवह अपने मन में सोच रहा था कि राजू जैसा बोल रहा है वैसा ही उसकी मां कर रही है जबकि उसके साथ ऐसा नहीं करती थी शायद शयाम को ही अपनी मां को अपने बस में करने नहीं आता था,,,। और राजू खेल में शायद बहुत ज्यादा माहीर थातभी तो वह श्याम की मां को अपने इशारों पर नाच आ रहा था कुछ देर तक वह श्याम की मां को पीछे से चोदता रहा लेकिन श्याम की मां भी हैरान थी कि उसका पानी अभी तक नहीं निकला था और वह खुद दो बार झड़ चुकी थी,,,,,,,,,,राजू शाम की मां को पीछे से चोदता हुआ श्याम की तरफ देख रहा था और मुस्कुरा रहा था और श्याम की नजरें शर्म से नीचे झुकी जा रही थी लेकिन उसके बदन में भी उत्तेजना बरकरार थी क्योंकि उसका हाथ उसके लंड पर था,,,,यह देखकर राजू समझ गया कि अपनी मां को चुदवाते हुए देख कर उसे भी मजा आ रहा है,,, कुछ देर बाद राजू ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और नीचे जमीन पर लेट गया,,, श्याम की मां खड़ी-खड़ी बड़ी हैरत से राजू को ही देख रही थी

तो राजू बोला,,,।


देख क्या रही हो चाचा आओ बैठो इस पर,,,( लंड को पकड़कर लंड की तरफ इशारा करता हुआ बोला,,, उसके इशारे को समझकर श्याम की मां बोली,,,)

मुझसे नहीं हो पाएगा राजू,,,


हो जाएगा चाची आओ तो सही,,,(राजू अपने लंड को हीलाता हुआ बोला,,,,( लंड पर चढ़ने की लालच को श्याम की मां की रोक नहीं पाई राजू के लंड को देखकर उसकी लालच बढ़ती जा रही थी लेकिन उसे शंका थी कि उसे हो पाएगा कि नहीं और यही शंका श्याम को भी थी,,,राजू जानबूझकर इस तरह से जमीन पर लेटा था कि अगर उसकी मां उसके लंड पर बैठेगी तो पीछे से उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड शयाम को नजर आएगी,,,,इस आसन को आजमाने के लिए श्याम की मां की तैयार हो गई ,, यह आसन श्याम की मां के लिए भी एक दम नया था,,, वह अपनी एक टांग को राजू के कमर के एक तरफ रख कर दूसरे टांग को दूसरी तरफ रखते हुए और धीरे-धीरे घुटनों के बल बैठ गई,,, और सवालिया नजरों से राजू की तरफ देखने लगी राजू उसकी आंखों में उसके मन में उठ रहे सवाल को अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए अपने हाथ को नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को पकड़ कर श्याम की मां की बुर के छेद पर लगाने लगा,,,श्याम की मां को भी अब मंजिल नजर आने लगी थी उसे रास्ता दिखा दिया गया था वह धीरे-धीरे अपनी भारी भरकम गांड को , राजू के लंड पर रखकर बैठने लगी धीरे-धीरे राजू का लंड उसकी गुलाबी छेद हो सरकता हुआ अंदर की तरफ जाने लगा,,,, पीछे खड़ा श्याम यह देखकर जल भुन जा रहा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,, उसकी मांधीरे-धीरे राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर की गहराई में छुपा ली,,, आगे क्या करना है यह वह अच्छी तरह से जानती थी धीरे धीरे राजू के लंड पर अपनी गांड पटकने लगीराजू उसकी मस्ती को बढ़ाता हुआ आगे से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा,,,, धीरे धीरे श्याम की मां राजू के लंड पर गांड पटकाना तेज कर दी,,, राजू के साथ-साथ श्याम की मां को भी मजा आ रहा था और पीछे खड़ा श्याम या देखकर जल तो रहा था लेकिन उसकी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी,,,,। राजू भी नीचे से धक्के लगा रहा था,,,,

धीरे धीरे श्याम की मां एक ही चुदाई में तीसरी बार चढ़ने के कगार पर पहुंच गई और राजू भी अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगा तो वह जोर से श्याम की मां को अपनी बाहों में भरता हुआ उसे अपने सीने से लगा लिया उसकी गांड हवा में लहराने लगी और राजू अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल कर धक्के पर धक्का लगाने लगा,,,, जांघो से जांघ के टकराने की आवाज से पूरा घर पहुंचने लगा और इस आवाज को सुनकर श्याम की मस्ती और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपनी आंखों से राजू के मर्दाना ताकत को देख रहा था,, घंटा भर होने को आया था लेकिन वह थकने का नाम नहीं ले रहा था,,,,लेकिन अब दोनों चरमसुख के बेहद करीब थे क्योंकि श्याम की मां की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी सिसकारियां की आवाज तेज हो चुकी थी और साथ ही राजू के तक के भी तीव्र गति से पड रहे थे और देखते ही देखते राजू श्याम की मां को अपनी बांहों में लिए हुए ही अपना गरम लावा श्याम की मां की बुर में गिराने लगा लंड से निकली पिचकारी इतनी तीव्र गति से आगे बढ़ी कि सीधे श्याम की मां को अपने बच्चेदानी पर महसूस होने लगी वह हैरान थी राजू की मर्दाना ताकत को देखकर उसने आज तक ऐसा अनुभव नहीं की थी इसलिए वह भी भलभलाकर झड़ने लगी,,,,,

कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे की बाहों में लेटे रह गए,,,,श्याम तक वहीं पर खड़ा था लेकिन अब उसके खड़े रहने का कोई मतलब नहीं था इसलिए बात हीरे से चोर कदमों से पीछे की तरफ गया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया थोड़ी देर बाद राजू भी अपने कपड़ों को ठीक करके घर से बाहर निकल गया,,,, लेकिन श्याम की मां मस्ती के सागर में पूरी तरह से खो चुकी थी वह कुछ देर तक वही नंगी हालत में ही बैठी रह गई और अपनी किस्मत पर अपनी जवानी पर गर्व करने लगी वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी थोड़ी देर बाद वह भी ठंडे पानी से नहा कर कपड़े पहन कर तैयार हो गई,,,,।
 
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राजू के जीवन में जो कुछ भी हो रहा था राजू उससे बहुत खुश था,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे गांव की सारी औरतों की बुर पर धीरे-धीरे उसके लंड का नाम लिखता चला जा रहा है,,,,,,,, श्याम की मां की चुदाई करने के बाद तो बड़ा सातवें आसमान में था ,,, ऐसा नहीं था कि श्याम की मां गांव की सबसे खूबसूरत औरत में से एक थी,,, वह सामान्य ही थी,,, लेकिन उसे चोदने का है अजब ही मजा था राजू के लिए,,, राजू श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच विजय पाकर आने वाले समय में एक तीर से ढेर सारे शिकार करने वाला था,,,, श्याम की मां की चुदाई करके वह श्याम और श्याम की मां दोनों को अपने काबू में कर लिया था,,,, जोकि आगे चलकर झुमरी और राजू दोनों का मिलन करवाने में काम आने वाला था,,,,।

श्याम की मां को चोदने का एक अजब अनुभव और भी इसलिए था कि राजू पहली बार एक बेटे के सामने ही उसकी मां की चुदाई कर रहा था जो कि इस बात से उसकी मां बिल्कुल भी अनजान थे लेकिन बेटा पूरी तरह से जानता था और,,, सब कुछ जानते हुए भी वह खुद उसे अपनी मां के पास ले गया था,,,कैसा लगता होगा जब एक बेटा खुद अपनी मां को चोदने के लिए अपने दोस्त को अपने घर पर लेकर जाएं इस अनुभव से श्याम गुजर चुका था और राजू को इस बात का अहसास था कि उसकी मां को चोदते समय जब जब वह श्याम की तरफ देख रहा था तो उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई नजर आती है उसे गुस्सा भी बहुत आता था लेकिन कुछ कर सकने की स्थिति में उस समय वह बिल्कुल नहीं था,,,,

श्याम की मां को चोदने में राजू को बहुत मजा आया था उसकी बड़ी बड़ी गांड दोनों हाथों से पकड़ कर उसके गुलाबी छेद में लंड डालकर धक्के मारने में उसे अत्यधिक सुख का अहसास हुआ था,,,,,,, धीरे-धीरे राजू गांव की औरतों में प्रख्यात होता जा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि यह राज किसी को पता था यह राज राज ही था राजू किस औरत की चुदाई करता है किस को चोदना चाहता है यह सब राज ही था,,,,।


सुबह का समय था और हरिया आंगन में खटिया डालें बीड़ी पी रहा था और जोर जोर से खांस रहा था,,, उसे इस तरह से खांसता हुआ देखकर मधु बोली,,,।


आपको मैं कितनी बार कहीं हूं कि बीड़ी छोड़ दीजिए आप की तबीयत ठीक नहीं रहती,,,,


अब क्या करूं कितना भी छोड़ना चाहु छुटती नहीं है,,,

अरे आगे का तो सोचिए अभी बहुत कुछ करना है बीमार पड़ जाएंगे तो कैसे चलेगा,,,


इसीलिए तो कहता हूं कि राजू को मेरे साथ भेज दिया कर,,, वह भी धीरे-धीरे बैलगाड़ी सीख जाएगा तो कमाने खाने लगेगा और परिवार की मदद भी कर पाएगा,,,,
(हरिया का यह कहना था कि तभी बाहर से राजू दातुन करता हुआ घर में प्रवेश किया उसे देखते ही हरिया बोला)

अरे राजू तू मेरे साथ रेलवे स्टेशन चलाकर,,,

क्यों पिता जी,,,,?


अरे वहां चलकर सीख कैसे सवारी बुलाई जाती है क्या काम है किराया कितना होता है और धीरे-धीरे बेल गाड़ी चलाना सीख जा तो मुझे भी आराम हो जाएगा,,,,


क्या मैं बैंक गाड़ी चला लूंगा पिताजी,,,,


अरे क्यों नहीं चला पाएगा रेलगाड़ी थोड़ी ना है बेल गाड़ी तो है,,, बस हांकना रहता है बेल खींच कर ले जाएंगे तुझे सिर्फ बैठे रहना है,,,।


ठीक है पिताजी कल से मैं चलूंगा,,,


ठीक है कल से तैयार रहना तुझे भी दुनियादारी सिखा दुं,,

(अपने बेटे की रजामंदी देखकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी,,,वह भी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर राजू काम में हाथ बंटाने लग जाता तो उसके पिताजी को आराम मिल जाता,,,। वैसे भी राजू धीरे-धीरे बड़ा हो गया काम धाम करेगा नहीं तो दिन भर आवारा लड़कों के साथ घूम फिर कर अपना जीवन बर्बाद करेगा,,,, यही अपने मन में सोचते हुए मधु उठी और हाथ में बाल्टी ले ली वह कुएं पर पानी भरने जा रही थी यह देखकर राजू अपनी मां से बोला,,,)

मैं भी चलता हूं मैं कुएं पर पानी भरने में तुम्हारी मदद हो जाएगी,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु हां कहने वाली थी लेकिन उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जो कि इसी तरह से पानी भरने में मदद करते हुए राजीव ठीक उसके पीछे खड़ा होकर अपनी जवानी का खूंटा उसकी गांड रुपी जमीन में गाड़ देना चाहता था,,, यह ख्याल आते ही वह राजु से बोली,,,)

नहीं नहीं तु रहने दे मैं भर लाऊंगी,,,,,(यह क्या करो अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ से इंकार कर दिया वरना यह जाता तो उस दिन वाली गलती करने लगता और वैसे भी सुबह-सुबह बहुत लोग होते हैं,,,लेकिन उस दिन की घटना याद आते ही मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा हो गई थी वह तुरंत अपने आप को दुरुस्त करके घर से बाहर निकल गई और राजू वहीं खड़ा अपनी मां को जाते हुए देखता रहा खास करके उसकी बड़ी बड़ी गांड को जो की साड़ी के ऊपर से भी अपना कहर बराबर बरसा रही थी,,,।मधु के चले जाने के बाद राजू एक नजर अपने पिताजी पर डाला जो कि अभी भी बीड़ी पीने में व्यस्त थे उन्हें देखकर वह अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी की किस्मत कितनी अच्छी है जो इतनी खूबसूरत औरत उनके पास है,,,, राजू को उसकी

बुआ कहीं नजर नहीं आ रही थी,,, इसलिए हाथ मुंह धोकर वह भी वहीं बैठ गया,,,थोड़ी देर बाद मैं तो दोनों हाथ में भरी बाल्टी लेकर आई और आंगन में रख दी,,,। और अपने दोनों हाथों को कमर पर टिका कर गहरी सांस लेते हुए राजू से बोली,,,,(गहरी सांस लेते समय उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर की तरफ निकले हुए नजर आ रही थे जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,)

राजू चल बकरीया बांध दे इधर-उधर भागने लगती है तो मुझसे पकड़ा नहीं जाता,,,(गहरी सांस लेते हुए मधु बोली उसके माथे पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,, राजू को कोई और काम नहीं था इसलिए वह तैयार हो गया और दोनों मां-बेटे घर के पीछे की तरफ जानवरों के लिए बने बड़े-बड़े लकड़ियों से घिरे हुए जगह पर आ गए जिसमें घास फूस की झोपड़ी भी बनी हुई थी जिसमें बेल रहते थे और गाय रहती थी,,,, चारों तरफ बड़ी-बड़ी हरि हरि कहां से गई हुई थी जिसमें सारे बकरी और बकरी या घास खा रही थी गाय भी घास चर रही थी,,,,


चल बेटा जल्दी से बकरियों को पकड़कर अंदर झोपड़ी में डाल दें बहुत देर से घास खा रही है,,,,(इतना कहते हो मैं खुद मधु भी बकरियों को पकड़कर झोपड़ी के अंदर करने लगे बकरियों को पकड़ने में मदद इधर-उधर धीरे-धीरे भाग रही थी और इस तरह से इधर-उधर भागते हुए उसकी भारी भरकम गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह उछाल मार रही थी ऐसा लग रहा था कि मधु की गांड रब्बर से बनी हुई है,,, राजू बकरियों को छोड़कर अपनी मां को ही देख रहा थागांड की दोनों आंखें इतनी बड़ी-बड़ी थी कि उछलते समय ऐसा लग रहा था कि साड़ी फाड़कर बाहर की तरफ उभर आएंगी,,।उसकी मां कभी बकरियों को पकड़ने के लिए लपकती थी तो कभी पीछे की तरफ आती थी तो कभी झुक जाती थी ऐसा करने से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर जाता था और उसकी भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए तैयार हो जाती थी यह देखकर राजू के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था,,, अपनी मां का चंचलता भरा मादक रूप देकर करवा पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,राजू को उसकी मां में सबसे ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड जिसे देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी और इस समय तो वह अपनी मां की गांड का हर एक रुप देख रहा था भले ही साड़ी के अंदर कैद थीं लेकिन,,, कसी हुई साड़ी में गांड की दोनों बड़ी बड़ी फांकें अपना पूरा कहर बरसा रही थी,,,, अपनी मां के मदमस्त रूप यौवन को देख कर राजु को श्याम की मां याद आ गई जो अपने बेटे को चोदने तो देती थी,,,।

कुछ बकरी और बकरे को राजू ब झोपड़ी में डालने में मदद किया,,,, एक बकरी के बच्चे को हाथ में लेकर खड़ा हो गया और उसे खिलाने लगा,,,, मधु भी खड़े-खड़े गहरी सांस ले रही थी,,, वह इधर उधर भाग कर थक गई थी राजू अपनी मां को ही देख रहा था उसकी गहरी सांस को चलते हुए देख रहा था साथ में उसकी उठती बैठती बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था,,, वह जानता था कि उसकी मां थक गई है और उसे थका हुआ देखकर वह अपने मन में सोचने लगा कि,, रात भर करवट बदल बदल कर चुदवाती है तब बिल्कुल भी नहीं सकती और दो चार बकरीया पकडने में कैसे थक गई,,,,।

मधु वही खड़े-खड़े गहरी सांस लेते हुए सामने खड़ी जोड़े को देख रही थी जो कि वह दोनों भी एकदम चौकन्ने थे,,, लेकिन घास खा रहे थे कुछ देर तक मत हुआ दोनों को देखती रही फिर राजू की तरफ देखकर हांफते हुए बोली,,,,

राजू अब मुझसे नहीं होगा तु ही दोनों को पकड़कर अंदर कर,,,,(मधु का इतना कहना था कि बकरा आवाज निकालता में बकरी पर चढ़ गया और अपना लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया यह देख कर दे एकदम से हैरान रह गई और यही हाल राजू का भी था दोनों मां-बेटे की आंखों के सामने बकरा चुदाई कर रहा था,,,, मधु के तन बदन में शर्म की लहर दौड़ने लगी वह शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि उसका बेटा भी वही दृश्य देख रहा था जो वह देख रही थी,,,,। मधु तो शर्म से पानी-पानी में जा रही थी लेकिन राजू आंख फाडे वही देख रहा थाऐसा नहीं था कि राजू पहली बार इस तरह के दृश्य को देख रहा था वह पहले भी बकरियां चराते समय इस तरह के दृश्य को देख चुका था लेकिन आज का माहौल कुछ और था क्योंकि उसके पास में उसकी मां खड़ी थी जिसको देखकर वह खुद उत्तेजित हो जा रहा था और उसकी उत्तेजना बढ़ाने के लिए उसकी आंखों के सामने उसकी मां की उपस्थिति में बकरा बकरी पर चढ़ गया था,,,,। मधु शर्मिंदा होते हुए उन दोनों को भगाते हैं वहीं खड़ी खड़ी मुंह से आवाज निकाल रही थी,,,।

हआआआआआ,,,हआआआआआ,,,,,,
(राजू अपनी मां की असहजता को अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए वह बकरी के बच्चे को नीचे उतारकर डंडा लेकर उस बकरे के पीछे भागा और जोर से उसे मारते हुए बोला,,,)

अभी चढ़ना जरूरी था,,, चल अंदर,,,,चल,,,(इतना कैसे हो एक एक लकड़ी दोनों को मारा और वह दोनों भागते हुए घास की बनी झोपड़ी में घुस गए और राजू और छोटे से बच्चे को हाथ में लेकर झोपड़ी के करीब गया और झोपड़ी में उसे भी डाल दिया,,,,,, मधु पूरी तरह से असहजता महसूस कर रही थी दूसरी तरफ राजू पूरी तरह से उत्तेजित था वह अपने मन में सोच रहा था कि बकरी की चुदाई देखकर उसकी मां क्या सोचती होगी,,,, अभी यही सब चल रहा था कि तभी मधु जोर से चिल्लाई,,,।

उधर नहीं,,,, उधर नहीं,,, और सामने की तरफ लपकी,,,,
(राजू ने देखा तो गाय दो न कड़ो के बीच से उस तरफ निकल रही थी और नीचे ढलान था अगर उस तरफ निकल जाती तो उसे लाने में दिक्कत हो जाती मधु तुरंत पहुंचकर रस्सी पकड़ ली और उसे अंदर की तरफ खींचने लगी लेकिन गाय की ताकत ज्यादा थी वह जानती थी कि अकेले उसकेबस का बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह राजू को आवाज लगाते हुए बोली,,,)

राजू जल्दी रस्सी खींच नहीं तो गाय नीचे उतर जाएगी तो मुश्किल हो जाएगा,,,,,
(राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि गाय अगर नीचे उतर गई तो उसे लाने भी दिक्कत होगी इसलिए वह भी दौड़ता हुआ गया और अपनी मां के नजदीक पहुंचते हैं उसकी नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पड़ी जो कि वह थोड़ा सा झुकी हुई दम लगाकर रस्सी को खींच रही थी जिसकी वजह से उसकी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकला हुआ था,, यह नजारा देखते ही पल भर में ही राजू का दिमाग घूम गया और वह तुरंत अपनी मां के पीछे खड़ा होकर रस्सी को पकड़ लिया और जोर से खींचने लगा कुछ देर तक तो पता ही नहीं चला मधु को लगा कि उसका बेटा उसकी मदद कर रहा है लेकिन जब उसे अपनी गांड के बीचो बीच एक बार फिर से कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका बेटा क्या कर रहा है को एकदम से सिहर उठी,,,, राजू गाय को खींचते समय जानबूझकर कुछ ज्यादा ही जोर लगा रहा था और ऐसा करने पर वह अपनी कमर को और ज्यादा अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर सटा दे रहा था और उसकी यह हरकत मधु की गांड की फांक के बीचो बीच हलचल मचा रही थी मधु अनुभव से भरी हुई थी अपने बेटे के लंड को साड़ी के ऊपर से ही अपनी गांड की दरार के बीचो-बीच महसूस करते ही उसे समझ में आ गया था कि उसके बेटे का लंड बहुत ज्यादा दमदार है,,,,


जोर से खींचो मां,,, नहीं तो गाय नीचे उतर जाएगी,,,,
(ऐसा कहते हुए राजू जानबूझकर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया और ऐसा करते हैं राजू का लंड साड़ी सहित मधु की बुर पर ठोकर मारने लगा,,, मधु अपनी बुर पर हुए लंड के वार से पूरी तरह से सिहर उठीउसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे का लंड कितना दमदार और लंबा है कि साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर तक ठोकर मार रहा है,,,, उत्तेजना के मारे मधु का बदन कांप रहा था उसकी दोनों टांगे थरथरा रही थी,,। राजू रस्सी खींचने के बहाने अपनी मां की गांड पर बराबर पकड़ बनाया हुआ था,,,,,, मधु अपने मन में सोचने लगी कि कुए पर पानी भरने में मदद करने के लिए वह इसीलिए आना चाहता था वहां तो इंकार करती लेकिन यहां पर अनजाने में ही यह सब हो गयाअपने बेटे की हरकत को देखते हुए मैं तो समझ गई थी कि उसका बेटा जवान हो गया है और बहुत चालाक भी,,,, मधु से एक शब्द नहीं निकल रहा था वह तो अपनी हालत पर ही अजीब सी स्थिति में फंसी हुई थी और दूसरी तरफ राजू बार बार जोर से रस्सी खींचने के बहाने और रस्सी खींचने के लिए बोलते हुए बार-बार से लगातार दो दो बार अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दे रहा था मानो कि जैसे वह पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा हूं और यही है साथ उसके धक्के मारने पर मधु को भी होता था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा इस तरह की गंदी हरकत को देखते हुए उसे बड़ा अजीब लग रहा था लेकिन उसके लंड की पहुंच उसकी बुर तक साड़ी के ऊपर से ही पहुंच रही थी या देखते हुए ना जाने क्यों उसे अपने बेटे के मर्दाना ताकत पर गर्व भी वहो रहा था,,,, पल भर में ही मधु की बुर पानी छोड़ने लगी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी गाय को खींचना वह भूल चुकी थी जो भी ताकत लगा रहा था वह राजू ही लगा रहा था जितना ताकत वह गाय को खींचने में लगा रहा था उतना ही ताकत वह अपनी मां की गांड पर अपना लंड से हटाने में लगा रहा था और दोनों में कामयाब भी वहो रहा थाअपनी मां की गोलाकार भारी-भरकम कांड की गर्मी है उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रही थी कि लंड का तनाव अपनी पूरी औकात में था चुदाई से भी ज्यादा मजा राजू को अपनी इस हरकत में आ रहा था,,,,, राजू के सांसो की गर्मी मधु अपनी गर्दन पर महसूस कर के और ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी मानो कि जैसे वह बिस्तर पर अपने पति के साथ हो,,, और इस बार राजू अपनी मां को रस्सी को और जोर से खींचने के लिए बोल कर लगातार अपनी मां की गांड पर दो बार धक्का मारा और

इस बार मधु से बर्दाश्त नहीं हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान होते हुए झड़ने लगी,,, उसका काम रस उसकी बुर से बाहर निकलने लगा,,,,राजू की मर्दाना ताकत का सबूत मधु को मिल चुका था वह बिना चोदे ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, अभी मधु झड़ने की अद्भुत मधुर सुख की अनुभूति को प्राप्त कर ही रही थी कि गाय के गले से रस्सी टुटी और मधु और राजू दोनों गिर गए राजू नीचे और मधु उपर,,,, लेकिन जिस तरह से मधु गिरी ,,,उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई और वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,,,

एकाएक गिरी थी इसलिए उसे यकीन ही नहीं हुआ कि वह गिर गई ,, है ,,,वह राजू के ऊपर थी,,राजू ठीक उसके नीचे और उसकी दोनों टांगे फैली हुई थी जिसके पीछे पीछे उसकी मां पीठ के बल की हुई थी,,, राजू की नजर उसकी मां की साड़ी पर गिरते समय ही चली गई थी वह जान गया था किउसकी मां की सारी उसकी कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी यह अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की अद्भुत लहर उठने लगी उसका मन लगने लगा किसी भी बहाने से अपनी मां के नंगे बदन को स्पर्श करने के लिए उसकी मोटी मोटी जांघों को छूने के लिए और खास करके उसकी जवानी से भरी हुई फूली हुई बुर पर हाथ रखने के लिए,,, राजू यह मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था,,,, एहसास ही उसके लंड में खलबली मचाया हुआ था,,,,

एक बहाने से अपने दोनों हथेली को अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघ पर रखकर हल्के से मसलते हुए बोला,,,

तुम्हें चोट तो नहीं लगी मां,,,,

मधु कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपने बेटे की हथेली को अपनी नंगी चिकनी जांघों पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से सिहर उठी उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई है,,,इस अहसास से वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह जल्द से जल्द अपनी साड़ी को अपनी कमर से नीचे कर लेना चाहती थी,, अपने नंगे पन को अपने बेटे की आंखों के सामने से ढंक लेना चाहती थी लेकिन उसके बेटे ने पहले ही उसकी दोनों जहां पर अपनी हथेली रख दिया था,,,, वह इस तरह से गिरी थी कि ठीक से उठ नहीं पा रही थी उठने की कोशिश कर रही थी,,,और यही मौका राजू के लिए ठीक था वह इस मौके पर पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और अपनी मां को अपने ऊपर से उठाने का बहाना करते हुए वह अपनी हथेली को उसकी जांघों से हटाकर ठीक उसकी दोनों टांगों के बीच की फूली हुई बुर पर रख दिया और उसे अपनी हथेली से हलके से मसलता हुआ वह अपनी हथेली को उपर कि तरफ इस तरह से लाया कि उसकी बीच वाली उंगली उसकी मां की बुर की गहराई में धंसते हुए ऊपर की तरफ आ रही थीअपने बेटे की इस हरकत की वजह से मधु पूरी तरह से मचल उठी,,, वह पल भर के लिए सांस लेना भूल गई,,,,,, उसके मुंह से एक शब्द तक फूट नहीं रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है,,,,लेकिन अपनी हरकत की वजह से राजू उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया था,,, मधु की गांड के नीचे राजू का खड़ा लंड दबा हुआ था,,,, और मधु उसके ऊपर कसमसा रही थी पहले तो उसे अपनी गांड के नीचे दबे लंड का एहसास नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर में उसे एहसास होने लगा कि वह अपने बेटे के लंड पर गांड रखकर बैठी हुई है,,,, वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की हरकत की वजह से वह उस पर गुस्सा करेगी उस का आनंद लें लेकिन वह कर भी क्या सकती थी उसके बेटे ने जिस तरह की हरकत उसके साथ किया था उससे वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। अपने बेटे की हरकत की वजह से हुआ एक बार झाड़ चुकी थी और इस समय उसका बेटा उसकी बुर पर अपनी हथेली को रगड चुका था हालांकि अभी भी उसकी हथेली मधु की फूली हुई बुर पर थी और उसकी गर्माहट से वह अपने तन बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह जल्द से जल्द उठना चाहती थी इसलिए उठने की कोशिश करते हुए बोली।


आहहह उठने दे मुझे,,,


रुको मैं मदद करता हूं,,,(और ऐसा कहते हो एक बार फिर से वह अपनी मां की फूली हुई पुर पर अपनी हथेली को मसलते हुए ऊपर की तरफ ना है और इस बार भी उसकी बीच वाली उंगलीमधु की बुर की गहराई में हंसते हुए ऊपर की तरफ आइ इस बार फिर से मधु से बर्दाश्त नहीं हुआ और वह एक बार फिर से झड़ गई,,, बुर से निकला काम रस में राजू की पूरी हथेली गीली हो चुकी थी अपनी मां की बुर को अकेला पाकर राजू मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसे यकीन हो गया था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन ज्यादा देर तक वह ऐसा नहीं करना चाहता था इसलिए अपनी मां की बुर पर से अपनी हथेली को हटाकर इस बार वह अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा और बोला,,,।

अब धीरे से उठ जाओ ,,, अच्छा हुआ कि तुम्हें चोट नहीं लगी,,,,(एक बार फिर से मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी क्योंकि उसके बेटे की दोनों हथेलियों उसकी कमर को थामे हुए थे और वह अपने बेटे का सहारा लेकर उठ रही थी लेकिन उठते उठते वह अपनी साड़ी को नीचे कर पाती इससे पहले ही राजू को उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड के दर्शन हो गए,,, और वह पूरी तरह से मस्त हो गया इस बारउससे अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं भी काफी देर से लंड का तनाव से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और अपने लंड पर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था और अपनी मां को उठाते उठाते अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करते ही उसके लंड से पानी फेंक दिया,,, और देखते ही देखते उसका पजामा गीला हो गया,,,पैसा नहीं था कि वह अपनी मां की नंगी गांड का पहली बार दर्शन कर रहा था वह पहले भी कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था लेकिन इस समय जो हालात थे उसे देखते हुए राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और उसी उत्तेजना के चलते वह झड़ गया था,,,मधु खड़ी हो गई थी उसकी पीठ राजू की तरफ से और राजू अभी भी घास में लेटा हुआ था,,,क्योंकि वह धीरे-धीरे झड़ रहा था और उसे आनंद की पराकाष्ठा का अनुभव हो रहा था,,,, मधु खड़ी हो चुकी थी और अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर कमर के नीचे के नंगे पन को उठा कर ली थी राजू से नजर मिलाने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह राजू की तरफ देखे बिना ही उसे गाय को वापस लाने के लिए बोल कर वहां से चली गई राजू अपनी मां को जाते हुए देख रहा था उसकी मटकती हुई गांड को देखकर गर्म आहें भर रहा था,,,।
 

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