बैलगाड़ी

Member
437
731
93
क्या बताऊं बात ही कुछ ऐसी है तुम विश्वास नहीं करोगी,,,,
(राजू गर्म लोहे पर हथोड़ा चलाने में माहिर था वह समझ गया था कि उस राज को यहां पर बताने का वक्त आ गया है वह जानता था कि इस तरह की बातें सुनकर उसकी मां के मन में भी कुछ कुछ होने लगेगा इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मेरे हाथों एक राज लग गया है जो किसी को भी पता नहीं है इसीलिए तो लाला पूरी तरह से मेरे कब्जे में है,,,।


कौन सा राज कैसा राज मुझे बताएगा भी या यूं ही बडबडाता रहेगा,,,,,,

देखो मां मैंने आज तक लाला का यह राज किसी को भी नहीं बताया हूं क्योंकि ‌ लाला से मैंने वादा किया था कि यार आज मेरे सीने में दफन रहेगा मैं किसी से नहीं बताऊंगा इसलिए सिर्फ तुम्हें बता रहा हूं कि मेरे पर लाला इतना मेहरबान क्यों हुआ है और क्यों पिताजी का कर्जा माफ कर दिया,,,,(मधुर एकदम उत्साहित हो गई थी अपने बेटे की बात सुनने के लिए कि ऐसा कौन सी राज है जिसके चलते लाला इतना मेहरबान हो गया है अपनी मां की उत्सुकता देखकर राजू बहुत खुश हो रहा था क्योंकि राजू को तो पता ही था कि उसे क्या कहना है जो कि वह अपनी बात को नमक मिर्च लगाकर बताने जा रहा था और उसकी मां को तो यह अंदाजा भी नहीं था कि राजू कौन सा राज बताएगा,,,,)
तुम्हें पता है मा कुछ दिन पहले,, मैं लाला के कर्जे का ब्याज देने के लिए उसके हवेली पर गया था,,,, और मुझे रात हो गई थी हवेली का दरवाजा खुला होने की वजह से मैं वही बैलगाड़ी खड़ा करके अंदर चला गया लेकिन कोई भी नजर नहीं आ रहा था मैं धीरे-धीरे हवेली के अंदर प्रवेश कर गया,,, लेकिन उधर भी कोई नहीं था ,,,

फिर,,,,,?

फिर क्या मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मेरा मन कर रहा था कि वापस घर लौटा हूं लेकिन उसे पैसे देने थे इसलिए मैं रुका रह गया तभी मुझे सीढ़ियों के ऊपर वाले कमरे से हंसने की आवाज आने लगी,,,

क्या,,,, कोई भूत चुड़ैल का मामला तो नहीं है,,,(घबराते स्वर में मधु बोली,,)

अरे नहीं मां तुम आके तो सुनो भूत चुड़ैल वाली कोई बात नहीं है,,,,, मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि हवेली में कोई नजर नहीं आ रहा था और ऐसे में कोई मुझ पर चोरी का इल्जाम भी लगा सकता था कि चोरी छुपे हवेली में घुस रहा है,,,, लेकिन छोटी मालकिन मुझे जानती थी इसलिए मुझे थोड़ी बहुत हिम्मत थी ,,, मैं धीरे-धीरे सीढ़ियों से ऊपर की तरफ चढ गया,,, मैं धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ जाने लगा जहां से हंसने की आवाज आ रही थी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,,, कि कमरे में कौन है,,,,,, मैं तो धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,।
(मधु बड़ी उत्सुकता और खामोशी से अपने बेटे की बात सुन रही थी वह उस राज को जाना चाहती थी जिसकी बदौलत उसका इतने वर्षों का कर्जा माफ हुआ था,,, बरसात बड़े जोरों की पड़ रही थी बादलों की गड़गड़ाहट जा रही थी तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी लकड़ी में आग अभी भी चल रही थी जिसकी बदौलत दोनों को इस तूफानी बारिश की ठंडक में गर्माहट मिल रही थी,,,, मधु ब्लाउज और पेटीकोट में थी और राजू पूरी तरह से नंगा था सिर्फ एक कुर्ता अपनी कमर पर लपेटा हुआ था जिसके लपेटने का भी कोई मतलब नहीं था क्योंकि उसका लंड टनटनाता हुआ नजर आ रहा था और चोर नजरों से मधु अपने बेटे के बम पिलाट लंड का दर्शन करके अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,,, और राजू ऐसे माहौल में अपनी बातों में नमक मिर्ची लगाकर बता रहा था,,,।)
मेरा दिल तो जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी मैं धीरे-धीरे दरवाजे तक पहुंच गया,,,(जलेबी का लुफ्त उठा ता हुआ राजू बोल रहा था,,,,) दरवाजा बंद था अंदर से हंसने की आवाज लगातार आ रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन था अभी थोड़ी देर बाद अंदर से आ रही हंसने की आवाज बदल गई,,

बदल गई मतलब,,,?(मधु आश्चर्य जताते हुए बोली,,)

बदल गई मतलब जो आवाज कुछ देर पहले हंसने की आ रही थी वही आवाज सहहहहहह आहहहहहहह ऊईईईईई इस तरह की आने लगी,,,,,

क्या इस तरह की आवाज,,,(मधु इस तरह की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मा इस तरह की आवाज मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है,,, मैं यही जानने के लिए खिड़की के पास गया तो देखा खिड़की थोड़ी सी खुली हुई थी और मैं खिड़की में से जैसे ही अंदर नजर दौड़ा आया तो अंदर का नजारा देखकर तो मेरा होश उड़ गया,,,

ऐसा क्या देख लिया अंदर,,,?


अरे मां मैंने अंदर जो कुछ भी देखा उसे देखकर तो मुझे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था मैंने देखा कि लाला पूरी तरह से नंगा था,,, और वह एक औरत को चोद रहा था,,,,।

क्या,,,, क्या कहा तूने,,,

हां मां मैं सच कह रहा हूं लाला पूरी तरह से लगा था और वह एक औरत को चोद रहा था और अब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी थी लाला उसकी दोनों टांगे पकड़ कर फैलाया हुआ था,,, और उसकी बुर में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था,,,,(ऐसा कहते हुए राजू जानबूझकर अपने लंड को खुजलाने का नाटक कर रहा था और यह देखकर और उसकी गंदी बातों को सुनकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी राजू जानबूझकर बेशर्मी दिखाते हुए इस तरह से लंड और बुर जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,,,)

यह क्या कह रहा है राजू,,,

हां मा मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,, मेरी तो हालत तब और ज्यादा खराब हो गई जब मैंने देखा कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी छोटी बहन सोनी है,,,,

क्या,,,,?(अपने बेटे के मुंह से सोनी का जिक्र आते ही मधुर एकदम आश्चर्य से हैरान होते हुए बोली क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि सोनी लाला की छोटी बहन थी,,,,) नहीं राजू तुझसे कोई भूल हो रही होगी,,,


मुझे भी पहले ऐसा ही लगा था ना मैं बार-बार अपनी आंखों को मलमल कर अंदर के दृश्य को देख रहा था लेकिन मैं सोनी को अच्छी तरह से जानता हूं छोटी मालकिन का चेहरा में कैसे भूल सकता हूं वह तो हमें पढ़ाती थी ना,,, मैंने जो देखा वह मेरी आंखों का धोखा नहीं बल्कि हकीकत था सोनी पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगे चौड़ी थी और लाला उसकी बुर में अपना लंड डालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर दबा रहा था और उसे भी मजा आ रहा था ऐसा नहीं था कि वह मजबूरी में अपने भाई के साथ ऐसा कर रही थी वह पूरा आनंद ले रही थी,,,,


क्या कह रहा है राजू वह दोनों तो भाई बहन है ना,,,


हां मा यह बात में भी अच्छी तरह से जानता हूं कि दोनों भाई बहन हैं लेकिन जो मैंने अपनी आंखों से देखा वह झूठ नहीं था तभी तो लाला आज मेरे काबू में है,,,,


लेकिन भाई बहन के बीच,,, ऐसा रिश्ता संभव नहीं हो सकता,,,

अरे कैसे नहीं हो सकता मां मैंने तुम्हें बताया था ना श्याम और उसकी मां के बारे में तो यह दोनों तो भाई बहन हैं और पूरी हवेली में अकेले ही रहते हैं और तो और सोनी पूरी तरह से जवान है खूबसूरत है उसे भी तो मर्दों की जरूरत पड़ती होगी और लाला जो अकेला रहता आ रहा है उसे भी तो औरत की जरूरत पड़ती होगी दोनों एक दूसरे की जरूरत पूरी कर रहे हैं बस,,,,।

(राजू लाला और सोनी का जिक्र छेड़ कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह रिश्तो के बीच शारीरिक संबंधों को कोई गलत बात नहीं मानता है ऐसा अपनी मां को जताना चाहता था ताकि वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना सकें,,, राजू अपनी मां को लाल और सोनी की बात बताते हुए पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और यही असर मधु के बदन में भी हो रहा था उसका चेहरा लाल हो चुका था और उत्तेजना के मारे राजू अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया था ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मुठ मारने जा रहा हूं या देखकर मधु के तन बदन में भी आग लग रही थी एक तो लाला और सोनी दोनों भाई-बहन के बीच के रिश्ते के बारे में राजू ने बताकर आग में घी डालने का काम कर दिया था मधु भी सोचने पर मजबूर हो गई थी कि आखिरकार अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भाई बहन आपस में ही अपने पवित्र रिश्ते को कलंकित करते हुए एक दूसरे से आनंद लेते हैं और श्याम और उसकी मां का जिक्र भी उसे मालूम था जो कि दोनों अपनी जरूरत पूरा करने के लिए एक दूसरे के साथ सारे संबंध बनाकर मजा ले रहे थे,,, इस तरह का ख्याल मधु के मन में आ रहा था और वह यह सोच रही थी कि क्यों ना वह भी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर जवानी का मजा लुटे क्योंकि बार-बार वह अपनी बेटे के लंड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,,। उसे किसी ख्यालों में खोया देखकर राजू बोला,,,)


क्या हुआ मां कहां खो गई,,,,

कककक,,, कुछ नहीं,,,(मधु हक लाते हुए बोली) मैं सोनी और लाला के बारे में सोच रही थी। दोनों भाई बहन है समाज में दोनों का इज्जत है रुतबा है जमीदार है और इतनी पूछी पदों पर होने के बावजूद भी दोनों आपस में ही इस तरह के संबंध,,,,, मेरा मतलब है क्या रिश्तो में यह सब मुमकिन है,,,


क्या मां तुम भी पागलों जैसी बात करती हो मैं गांव में ही दो जन का उदाहरण तुम्हें बता चुका हूं फिर भी हर घर में रिश्तो में इस तरह के संबंध होते ही हैं बस किसी को खबर नहीं पड़ती सब लोग अपने अपने तरीके से अपनी जरूरत को पूरा करते हैं,,,,,
(दोनों आपस में बात करते हुए जलेबी और समोसे खा कर खत्म कर चुके थे,,,, राजू खरबूजे को हाथ से तोड़कर आधा खरबूजा अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया था उसकी मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर खरबूजा थाम ली थी,,, इस मौके का फायदा उठाते हुए राजू चुटकी लेते हुए बोला,,,)

तुम्हारे ही नाम का है ना मां,,,,

(राजू की बात सुनकर मधु उसके मतलब को समझते हुए अनजाने में ही खरबूजा हाथ में लिए हुए ही अपनी छातियों की तरफ देखी तो शर्म से पानी-पानी हो गई और वह नजरें नीचे झुका कर बोली,,)

धत राजू तू बहुत शैतान हो गया है,,,

शैतान नहीं जानकार हो गया हूं तुम्हारी चूची को बिना हाथ में लिए ही मैं तुम्हारी चूची का नाप का खरबूजा खरीद लिया इससे बड़ी बात क्या हो सकती है,,,,


हां तू बहुत औरतों के बारे में समझने लगा है ना,,,,
(इतना कहकर खरबूजा खाने लगी राजू भी अपना खरबूजा खाने लगा,,, बैल आराम से कोने में बैठा हुआ था शायद उसे भी इस तूफानी बारिश में इस खंडहर में सर छुपाने से राहत की अनुभूति हो रही थी,,,,, तेज बारिश बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी खरबूजा खाते ‌ हुए मधु बोली,,,)

मैंने आज तक इतनी तेज बारिश नहीं देखी और इतनी देर तक गिरते हुए नहीं देखी,,,, चारों तरफ पानी पानी हो गया होगा,,,,


तुम सच कह रही हो मां,,,, मैंने भी आज तक इस तरह की तूफानी बारिश नहीं देखा हूं,,, शायद यह बरसात भी हम दोनों को मिलाना चाहती है,,,
(राजू के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ कर हम मधु की हालत खराब होने लगी उसकी बुर पानी टपकाने लगी,,,, और वह बात के रुख को बदलते हुए बोली)

कितना समय हो रहा होगा राजू,,,


अरे अभी कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है इस समय तो हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करते हैं,,,

बाप रे अभी तो पूरी रात बाकी है,,,


अगर बारिश बंद भी हो गई तो भी हमें रुकना होगा क्योंकि चारों तरफ पानी ही पानी होगा कुछ नजर नहीं आएगा सुबह होने का इंतजार करना ही पड़ेगा,,,

हाय दैया पता नहीं है रात कैसे गुजरेगी,,,
(मधु अंदर ही अंदर थोड़ा घबराहट महसूस कर रहे थे बरसात या भूत प्रेत से नहीं बल्कि अब उसे अपने बेटे से घबराहट होने लगी थी अपने बेटे की मौजूदगी में उसकी बातों को सुनकर उसका मन देखने लगा था वह किसी तरह से अपने मन को काबू में रखी हुई थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह ज्यादा देर तक अपने मन पर काबू नहीं कर पाएगी और अगर वह अपने बेटे के साथ बहक गई तो क्या होगा यही सोचकर वह हैरान हो रही थी कि तभी उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी और जलेबी समोसा और खरबूजा खाने से प्यास भी लगी हुई थी लेकिन पानी कैसे पिए गी उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह अपने बेटे से बोली,,)

मुझे जोरों की प्यास लगी है लेकिन पानी तो यहां है नहीं,,,,


क्या मां तुम भी इतनी बारिश हो रही है और तुम कह रही हो यहां पानी नहीं है चलो मैं तुम्हें पिलाता हूं पानी,,,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से खड़ा हो गया लेकिन उसका लंड कुर्ते की आड़ में तंबू बनाया हुआ था जिस पर मधु की नजर पड़ते ही उसकी बुर पानी पानी हो गई,,, अपनी मां की हालत को देखकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि काश मैं तुम्हारी दोनों टांगों के बीच मुंह लगाकर तुम्हारा पानी पी पाता तुम्हें अपनी प्यास बुझा देता और तुम्हारे मुंह में अपना देकर तुम्हारी प्यास बुझा देता,,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर मधु की हालत खराब होने लगी राजू वहा खड़ा होते हैं आगे की ओर बढ़ गया जहां पर बरसात का पानी गिर रहा था,,,,, वह थोड़ा अंधेरा था वहीं से एक नाली बनाकर ऊपर से पानी गिर रहा था जिस पर अपना दोनों हाथ सटाकर राजू खड़ा हो गया और उसके हाथ में पानी गिरने लगा जिसकी धार नीचे गिरने लगी राजू तुरंत बोला,,,.

जल्दी आओ मां,,,,,

(अपने बेटे का जुगाड़ देखकर मधु मन ही मन प्रसन्न हो गई और अपनी जगह से खड़ी होकर तुरंत राजू के पास आई और उसके दोनों हथेली में से गिर रहे पानी को खुद अपनी दोनों हथेली लगाकर अपने मुंह से हटा ली जिससे नीचे गिरने वाला पानी उसकी प्यास बुझाने लगा वह पानी पीने लगी लेकिन जिस तरह से वह झुकी हुई थी उसकी चूचियां ब्लाउज से बाहर नजर आ रही थी अगर एक भी बटन कमजोर होता तो शायद बटन तोड़ कर उसकी दोनों खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां बाहर निकल आती मधु पानी पी रही थी और राजू पानी पिला रहा था लेकिन अपनी नजरों से अपनी मां की जवानी देख रहा था,,, और अपने मन में कह रहा था कि तुम बरसात का पानी पी लो और मुझे अपना चूची का पानी पिला दो,,,, थोड़ी ही देर में पानी पीकर मधु अपनी प्यास बुझा ली थी,,, और फिर खुद राजू की तरह करके खड़ी हो गई और राजू उसी तरह से पानी पीने लगा दोनों पानी पी चुके थे लेकिन मधु को जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,,, इसलिए मधुभाई खड़ी होकर राजू को अपनी जगह पर जाने के लिए बोली,,,।


राजू तू जा मैं अभी आती हूं,,,


अरे यहां खड़ी खड़ी क्या करोगे देख नहीं रही हो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है,,,


अरे बुद्धू मैं जानती हूं तू जा तो सही मुझे काम है,,,

(राजू समझ गया था कि उसकी मां को जोड़ा की पहचान लगी होगी इसलिए उसे वहां से जाने के लिए कह रही है इसलिए राजू भी चुपचाप अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया वह अपनी मां की नंगी गांड को देखना चाहता था जहां पर उसकी मात्र बाफना दे रहा था लेकिन वह जानता था कि रह-रहकर बिजली चमक रही थी और बिजली की चमक के उजाले में उसकी मां एकदम साफ नजर आ जा रही थी ऐसे में उसकी गोरी गोरी गांड भी एकदम साफ नजर आएगी इसीलिए राजू दूर जाकर भी अपनी निगाहों को

अपनी मां से अलग नहीं कर पाया,,,, और राजू के दूर जाते ही मधु अपना पेटीकोट को एकदम से कमर तक उठा दी थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि जहां पर वह खड़ी है वहां पर अंधेरा था और जलती हुई आग की रोशनी भी वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी ऐसे में उसका बेटा उसकी नंगी गांड को नहीं देख सकता,,, इसीलिए वह पूरी तरह से निश्चित थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जलती हुई आग के उजाले में ना सही,,,, पर बिजली की चमक में वह नजर आ जा रही थी और जैसे ही वह अपने पेटिकोट को अपनी कमर तक उठाई थी वैसे ही बिजली की चमक पूरे खंडार में फैल गई थी और उस चमक में राजू को अपनी मां की नंगी चिकनी गांट पानी में भीगी हुई नजर आने लगी जिसे देखते ही राजू का लंड और ज्यादा कड़क हो गया राजू अपनी जगह पर खड़ा था और कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर अपने लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया था शुरू से ही राजू की कमजोरी उसकी मां की गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड रही थी और उसे अपनी नजरों के सामने देखा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,।

जब जब बादल में बिजली चमकती थी तब तक कुछ क्षण के लिए उजाला हो जाता था लेकिन फिर अंधेरा ही अंधेरा ऐसा ही हुआ था,,, अपनी मां की नंगी गांड देखने के तुरंत बाद अंधेरा हो गया था और मधु नीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानता था कि उसकी मां पेशाब करने वाली है लेकिन अंधेरा होने की वजह से वह देख नहीं पा रहा था कि तभी फिर से बिजली की चमक फैल गई और राजू को उसकी मां बैठकर पेशाब करते हुए नजर आने लगी बारिश का शोर और हवाओं का जोर इतना तेज था कि पेशाब करने पर उसमें से आ रही सु मधुर आवाज राजू के कानों तक बिल्कुल भी नहीं पहुंच पा रही थी मधु पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त थे और राजू अपनी मां की नंगी गांड देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था कि तभी दूसरी ओर से उसे एक लंबा सा सांप पानी में तैरता हुआ उसकी माह के पास जाता हुआ नजर आया वह तुरंत पास में पड़ा एक बड़ा लकड़ा उठा लिया,, लेकिन उसने अपनी मां को सांप के बारे में बिल्कुल भी नहीं कहा वह धीरे-धीरे जाकर अपनी मां के बेहद करीब खड़ा हो गया जहां पर उसे अपनी मां के पेशाब करने की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रहा था तभी बिजली की चमक हुई और उसके उजाले में सांप उसकी मां के बेहद करीब आता हुआ नजर आया और एक क्षण भी गवाह बिना राजू उस बड़े लकड़ी के सहारे से सांप को उठाकर दूर पानी में फेंक दिया,,,, तब तक मधु को एहसास हो गया था कि उसके पास एक बहुत बड़ा सांप आ गया था और वह तुरंत खबर आकर खड़ी हो गई और तभी बादलों में तेज गड़गड़ाहट हुई जिसकी बदौलत मधुर एकदम से घबरा कर अपने बेटे के छाती से लग गई राजू की तुरंत अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ लिया,,,,,,, सांप पानी में दूर जा चुका था खतरा टल चुका था लेकिन राजू के दिन की घंटी जोर-जोर से बचना शुरू हो गई थी क्योंकि उसकी मां का भीगा बदन उसकी बाहों में आ गया था राजू तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए लकड़ी को एक तरफ फेंक दिया और अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की नंगी गांड पर रखकर उसे जोर से दबा दिया पेटीकोट गीला होने की वजह से मधु के उठने के बावजूद भी उसका पेटिकोट उसकी कमर से चिपका ले गया था जिससे उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी,,, राजू पूरी तरह से पलभर में ही मदहोश हो गया मधुर पूरी तरह से घबरा चुकी थी एक तो लंबा सांप और ऊपर से बादल की गड़गड़ाहट वह पूरी तरह से सहम गई थी और अपने बेटे के छाती में अपना मुंह छुपा दी थी लेकिन उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि एक खतरा तो टल चुका था लेकिन जिंदगी का दूसरा खतरा उसके सामने घंटी बजा रहा था उसका खड़ा लंड एकदम से उसकी नंगी बुर पर दस्तक देना शुरू कर दिया था जैसे ही मधु उसकी छाती से लगी थी,,, राजू फुर्ती और चालाकी दिखाते हुए अपने कुर्ते को कमर से निकाल कर फेंक दिया था जिससे वह एकदम नंगा हो गया था और इसी का फायदा उसे प्राप्त हो रहा था कि इस समय उसका नंगा लंड उसकी मां की नंगी बुर के ऊपरी सतह पर रगड़ खाने लगा था,,,,,,,।

मधु की घबराहट के मारे गहरी गहरी सांस चल रही थी जिसकी बदौलत उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां राजू की छाती पर उठ बैठ रही थी जिसके चलते राजु की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी राजू लगातार अपनी मां की गांड दबा रहा था,,,,,, जिसके चलते उसका लंड और भी ज्यादा कड़क हो गया था,,,, जैसे ही मधु को इस बात का एहसास हुआ कि वह अपने बेटे की बाहों में है और उसकी है दोनों हथेली उसकी नंगी चिकनी गांड पर है और उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के द्वार पर ठोकर मार रहा है वह पूरी तरह से सिहर उठी,,, वह पल भर में एकदम से चुदवासी हो गई,,,,,,,,, उसका मन कर रहा था किसी से भी अपनी दोनों टांगें खोलकर अपने बेटे का लंड को अपनी बुर के अंदर ले ले,,,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी जिसकी गवाह उसकी उखड़ी सांसे थी राजू पूरी तरह से इस पल का मजा लेते हुए हालात का फायदा उठा रहा

था और अपनी मां की गोरी गोरी नंगी गांड को अपनी हथेली में ले ले कर जोर जोर से दबा रहा था जिसका असर उसके बदन के साथ-साथ उसकी मां के बदन में भी हो रहा था,,,,,,,। राजू को लगने लगा था कि उसकी मां अब इंकार नहीं कर पाएगी और उसके लंड को अपनी बुर में लेने की लेकिन तभी मधु को इस बात का एहसास हुआ कि जो कुछ भी हो रहा है गलत हो रहा है तुरंत अपने बेटे की बाहों से अलग हुई उसके चेहरे पर उत्तेजना और सर में दोनों साफ नजर आ रहे थे और वह धीरे से अपने पेटिकोट को नीचे सरकार ने लगे और अपनी नंगी चिकनी गांड को पर्दे के पीछे छिपा ली,,,, और बातों का रुख बदलते हुए बोली,,।


मुझे तो पता ही नहीं चला कि इतना बड़ा सांप मेरी तरफ आ रहा है,,,

मैं भी नहीं देखा था वह तो मेरी नजर पड़ गई मैं तुमको अगर आवाज देता तो तुम घबरा जाती तुम्हारा पांव फिसलने का डर रहता तुम पानी में गिर सकती थी इसलिए मैं कुछ बोला नहीं और तुम्हारे पीछे जाकर सांप को हटा दिया,,,

तू ना होता तो पता नहीं क्या होता,,,,,।
(इतना कहते हुए मधु वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गई लेकिन कुछ क्षण पहले जो कुछ भी हुआ था वह उसे पूरी तरह से मदहोश बना रहा था वह पहली बार अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के मुख्य द्वार पर महसूस करके एकदम मस्त हो गई थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जब बाहर उसके बेटे का लंड इतना बवाल मचा रहा है तो अंदर जाकर क्या कहर ढाएगा,,,,, राजू पूरी तरह से नंगा था क्योंकि उसने कुर्ते को ना जाने कहां फेंक दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इधर उधर ढूंढ रहा था तभी उसकी मां बोली,,,।)

क्या ढूंढ रहा है,,,


तुम्हें सांप से बचाने के चक्कर में ना जाने मेरा कुर्ता कहां गिर गया,,,,


यहीं कहीं होगा,,,,


दिखाई नहीं दे रहा है,,,,


अब इस अंधेरे में तू कहां ढूंढेगा,,,,, अब सुबह में ही मिलेगा,,,,,

हां तुम सच कह रही हो मां,,,(अपनी मां के सामने नंगा रहने में राजू को बहुत अच्छा लग रहा था और वह तुरंत नंगा ही आकर अपनी मां के ठीक सामने आग के उस पार बैठ गया मधु को अपनी बेटी का लंड एकदम बराबर नजर आ रहा था एकदम खड़ा खूंटा की तरह जिसमें दमदार बेल को बांधा जाता था शायद औरत की उफान मारती जवानी को काबू में करने के लिए यही खूंटा काम भी आता है यही सोचकर मधु की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, रात गुजरने में अभी बहुत समय बाकी था अभी तो शुरुआत हुई थी लेकिन राजू को गुस्सा आ रहा था कि वह इतना समय बीत गया लेकिन अभी तक अपनी मां की जवानी पर काबू नहीं कर पाया था कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गए,,, जिस तरह के हालात दोनों के बीच पैदा हुए थे उसे देखते हुए दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी नहीं तो दोनों को बिल्कुल भी नहीं आ रही थी लेकिन मधु को थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी,,,,,, इसलिए वह बोली,,,।

बैठे-बैठे मैं थक गई हूं,,,,


कोई बात नहीं मैं तुम यही लेट जाओ मैं यहां लेट जाता हूं रुको मैं तुम्हारी साड़ी नीचे बिछा देता हूं,,,(इतना कहते ही राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और खोटे में टंगी हुई अपनी मां की साड़ी को लेने लगा और मधु अपने बेटे के नंगे बदन को एक बार फिर से देखकर मदहोश होने लगी जब वह वापस आने लगा तो उसके हिलते हुए लंड को देखकर उसका धैर्य जवाब देने लगा राजू भी अब इस रात का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए ज्यादा से ज्यादा अपनी मां को उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा था वह तुरंत साड़ी को नीचे जमीन पर बिछाने लगा,,,,,)
आ जाओ इस पर तुम यहां लेट जाओ मैं वहां लेट जाता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपने मन में सोचने लगा की काश उसकी मां उसे भी अपने पास लेटने के लिए बोलती तो कितना मजा आ जाता,,,,,, और तभी मधु बोली)

तू वहां जमीन पर क्यों मेरे पास ही आ कर लेट जा क्योंकि मुझे सांप से बहुत डर लगता है और अगर सांप आ गया तो मैं अकेले नहीं सोऊंगी,,,


क्या मैं इतनी बड़ी हो गई हो फिर भी डरती हो चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारे साथ लेट जाता हूं,,,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों साड़ी के ऊपर लेट गए मधु पीठ के बल लेटी हुई थी और राजू अपनी मां की तरफ मुंह करके लेटा हुआ था गहरी सांस चलने की वजह से मधु की चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे राजू को अपनी मां का ब्लाउज ऊपर नीचे होता हुआ नजर आ रहा था जिसे देखकर वह कैसी हो रहा था कुछ देर तक दोनों खामोश रहे मधु के तन बदन में आग लगी हुई थी वह भी पुरुष संसर्ग के लिए तड़प रही थी खास करके अपने बेटे के लिए अपनी बेटी के लंड को अपने दिल की गहराई में महसूस करना चाहती थी उसका धैर्य पूरी तरह से जवाब दे रहा था,,,, लेकिन शर्म और मर्यादा की दीवार उसे रोक रही थी वह लाला और उसकी बहन के बारे में सोचने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि क्या यह सच में हो सकता है इसीलिए अपनी शंका को दूर करने के लिए वह फिर से अपने बेटे से बोली,,,)

क्या सच में लाला अपनी बहन के साथ था,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुनकर राजू अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगा,,,, वह समझ गया कि उसकी मां के दिल में भी कुछ-कुछ हो रहा है इसलिए वह फिर से बोला,,,)

हां मैं मैं सच कह रहा हूं तभी तो लाला मेरी हर एक बात मानने लगा उसका राज राज रखने के लिए पहले तो वह मुझे भी बोला कि मुंह चुप करने के बदले में वह भी मेरी बहन की चुदाई कर ले लेकिन मैं ऐसा करने से डर रहा था क्योंकि मैं ऐसा करता तो शायद वह मुझ पर गलत इल्जाम लगवा कर मुझे मरवा सकता था,,,,


क्या कर तेरा मन करता है तो तू भी लाला की बहन के साथ वह सब करता जो लाला कर रहा था,,,,


जरूर कर लेता लेकिन उससे पहले मुझे अपना कर्जा माफ करवाना था आमदनी कमाना था इसलिए मैं उसकी बहन को छोड़कर अपना कर्जा माफ करवाया,,,,।

दैया रे दैया मैं तो सोच भी नहीं सकती थी ऐसे इंसान भी दुनिया में है जो अपनी ही बहन और अपनी ही मां के साथ ऐसा करते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए वह खुद दूसरी तरफ करवट लेकर घूम गई और अपनी गांड को अपने बेटे के लंड के सामने परोस दी क्योंकि वह भी उसी तरह से लेटा हुआ था,,,, मधु गहरी सांस लेते हुए बोली)
मुझे ठंड लग रही है,,,,


कह तो रहा था मैं तुम्हारे कपड़े गीले हो गए हैं उसे उतार दो तो तुम्हें शर्म के मारे अपने कपड़े नहीं उतार रही हो यहां पर मुझसे कैसी शर्म,,,, चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हें गर्मी देने की कोशिश करता हूं ,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह खुद ही आगे सरक गया और अपने बदन को अपनी मां के बदन से एकदम से हटा दिया ऐसा करने से उसका खड़ा लैंड सीधे-सीधे उसकी मां की गांड पर रगड़ खाने लगा मधु एकदम से मचल उठी लेकिन बोली कुछ नहीं उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर ठोकर लगा रहा था और उसी गर्मी देने की कोशिश कर रहा था राजू की हरकत से उसे थोड़ी गर्माहट महसूस होने लगी थी और राजू भी अपना एक हाथ आगे से ऊपर की तरफ लाकर अपनी मां के ऊपर रखकर उसे अपनी बाहों मे जकड़ते हुए बोला,,,,,)


थोड़ी गर्मी मिली,,,,

हां अब थोड़ा ठीक लग रहा है,,,,


अगर अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो तुम्हें ठंड लगने नहीं देता,,,,


नहीं मुझे शर्म आती है अगर मैं अपने कपड़े उतार कर तेरे सामने नंगी हो गई तो मैं सोच रही हूं कि कहीं तू भी लाला और श्याम की तरह ना बन जाए,,,,


क्या बात तुम भी मुझे उन लोगों की तरह समझी हो ऐसा करना होता तो अब तक मेरा लंड तुम्हारी बुर की गहराई नाप रहा होता मैं तुम्हें चोदचुका होता,,,,
(राजू पूरी तरह से अपनी मां से बेशर्मी भरी बातें कर रहा था यह सुनकर मधु पूरी तरह से गनगना गई थी और वह बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती मुझसे इस तरह की बातें करते हुए,,,


तुमसे शर्म करूंगा तो अपने मन की बात किस से कहूंगा,,, वैसे भी मैं तुमसे बहुत कुछ बता चुका हूं जो कि तुम्हें नहीं बताना चाहिए था क्योंकि मैं तुम्हें जानता हूं कि तुम बहुत अच्छी हो मेरी बात का बुरा नहीं मानोगी,(एक तरफ राजू अपनी बातों से अपनी मां का दिल बहला रहा था और दूसरी तरफ अपने लंड को और ज्यादा अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था और अपना हाथ आगे की तरफ लाकर अपनी मां की चूची पर रख दिया था लेकिन उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था वह सिर्फ मौके की तलाश में था लेकिन अपने बेटे की हरकत से मधु पूरी तरह से गर्म हुए जा रही थी वह समझ गई थी कि अब वापस लौटना मुश्किल है,,,,)

तेरी बात का मुझे बुरा नहीं लगता सिर्फ डरती हु कि हम दोनों के बीच कुछ ऐसा ना हो जाए जो कि जमाने को पता चले तो हम दोनों बदनाम हो जाए,,,


ऐसा कुछ भी नहीं होगा अगर हम दोनों के बीच ऐसा कुछ होता है तो यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगा,,,,,(राजू दोनों तरफ से अपनी मां को घेर रहा था,,, एक तरफ अपनी गंदी अश्लील बातों से अपनी मां के तन बदन में उत्तेजना फैला रहा था और उसे बैठने पर मजबूर कर रहा था और दूसरी तरफ उसे उसकी गांड पर अपने लंड की गर्मी देखकर उसकी बुर का पानी पिला रहा था ऐसा होता हुआ महसूस करके मधु खुद मचल रही थी,,,,, राजू कैसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया उसकी बाहों में आ गई हो वह पूरी तरह से नंगा था उसकी मां के बदन पर केवल पेटीकोट और ब्लाउज ही था लेकिन फिर भी राजू अपने लंड के बलबूते पेटीकोट सहित अपने लंड को अपनी मां की गांड में खेल रहा था जिसे खुद मधु महसूस करके अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर गदगद हुए जा रही थी,,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से लेटे रहे बाहर बारिश अपना जोर दिखा रही थी और अंदर राजू अपनी मर्दानगी का जोर दिखा रहा था,,, राजू चाहता था कि उसकी मां कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,, इसलिए कुछ देर तक खामोश रहने के बाद वह बोला,,,,।)

तुम अगर अपने सारे कपड़े उतार देती तो और अच्छा रहता ऐसे में तुम भी बीमार हो जाओगी और मैं भी तुम्हारे गीले कपड़ों की वजह से बीमार हो जाऊंगा,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक तरफ तो वो खुद ही अपने कपड़े उतार कर अपने बेटे की बाहों में नंगी होना चाहती थी,,, लेकिन दूसरी तरफ वह मां बेटे के बीच के रिश्ते की वजह से लाचार नजर आ रही थी,,, फिर भी मां बेटे के रिश्ते पर वासना के रिश्ते का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा था कुछ देर साथ रहने के बाद मधु बोली,,,)
 
Member
437
731
93
अगर मैं ये भी उतार दूंगी तब तो मैं नंगी हो जाऊंगी,,,,


अरे तो क्या हो गया मा,,, इस तूफानी बारिश में इस जंगल में इस खंडार में मेरे और तुम्हारे सिवा तीसरा है कौन तीसरा है यह बेल जो कि कभी कुछ बोलने वाला नहीं है,,,


तू पागलों जैसी बात करता है,,,(बेल का नाम सुनकर मधु के होठों पर हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोली)

मुझे देखो मैं एकदम नंगा हूं ना घर में भी शर्म करता तो मैं भी गीले कपड़े पहने रहते और बीमार पड़ जाता,,,(इतना कहने के साथ ही राजू उत्तेजित होते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल कर अपने मोटे तगड़े लंड की हाजिरी अपनी मां को महसूस कराने लगा,,,, अपने बेटे की बात और उसकी हरकत से मधु का मन विचलित हो जा रहा था वह उत्तेजित हो रही थी मदहोशी उसके बदन पर छाने लगी थी उसका मन कर रहा था कि हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के नंगे लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,)

तेरी बात कुछ और है तू लड़का है,,,

लड़का नहीं हूं पूरा मर्द बन चुका हूं मेरे लंड की ठोकर को महसूस नहीं कर रही हो क्या,,,,(राजू पूरी तरह से अपनी मां को अपने काबू में करना चाहता था अपने बस में करना चाहता था इसीलिए खुले शब्दों में अपनी मां को अपने मन की बात का इशारा दे रहा था)

सो तो हो रहा है,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन फिर भी मगर अपने कपड़े का उतार कर नंगी हो जाऊंगी तो मुझे देख कर मुझे डर है कि कहीं तेरा मन बहक ना जाए,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसकी मां भी नंगी होना चाहती है इसलिए अपनी मां को दिलासा देने का नाटक करते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं बहकेगा बहकना होता तो अब तक तो मैं तुम्हारा साया ऊपर करके अपने लंड को तुम्हारी बुर में डाल दिया होता,,,,
(राजू जानबूझकर अपनी मां को इस तरह की बातें करते हुए अपने मन का इरादा बता रहा था वह क्या-क्या कर सकता है वह बता रहा था और उसकी मां अपने बेटे की बातें सुनकर अंदर ही अंदर सिहर उठती थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर तूफान मार रही थी)


सच कहता है ना नहीं बहकेगा,,,,


बिल्कुल भी नहीं मां विश्वास नहीं आता है तो एक बार उतार कर तो देखो,,,,,,,


लेकिन मेरी वजह से तो तेरा खड़ा हो रहा है,,,


क्या खड़ा हो रहा है,,,?(राजू सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था)

वही जो मेरी गांड पर चुभ रहा है,,,,


लेकिन बताओगी मुझे तो नहीं लग रहा है कि कुछ चुभ रहा है मैंने कौन सा कांटा लगा रखा है,,,,,

तू सब जानता है कि क्या चुभ रहा है और तू क्या चुभा रहा है,,,,,,,

मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा है मैं तो तुम्हें अपनी बाहों में भर कर तुम्हें सिर्फ गर्मी देने का काम कर रहा हूं,,,


हां और यह गर्मी तू कहां से दे रहा है,,,, तेरे लंड से जो कि मेरे बदौलत खड़ा हो गया है,,,

अरे ये,,,(इतना कहने के साथ ही अनजान बनता हुआ राजू अपना हाथ तुरंत नीचे लेंगे और अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गांड पर पटकते हुए बोला,,,) यह तो मैं ऐसे ही तुम्हारे बदन की गर्मी से खड़ा हो गया है और इसमें भी तुम्हें गर्व करना चाहिए कि इस उम्र में भी तुम्हें देखकर मेरे जैसे जवान लड़कों का लंड खड़ा हो जाता है,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर मधुर चुदवासी हुए जा रही थी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह धड़कते दिल के साथ बोली,,,)

वही तो बुद्धू जब तेरा खड़ा हो गया है तो तू आगे भी कुछ कर सकता है,,,,


तुम्हें चोदने का,,,, नहीं नहीं ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं करूंगा यह तो औपचारिक रूप से है कि किसी का भी खड़ा हो जाए तुम्हारी जैसी खूबसूरत जवानी देख कर लेकिन इससे आगे मैं नहीं बढुंगा,,,,

सच कह रहा है ना,,,,

बिल्कुल मा मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,,


चल तो ठीक है मैं अपने कपड़े उतार देती हूं लेकिन तू कुछ करना नहीं,,,,( और इतना कहने के साथ ही मधु उठ कर बैठ गई और अपने हाथों से अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी ,,,,,,, राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी मां अपने गले ब्लाउज का बटन धीरे-धीरे खोल रही थी राजू का दिल जोर से धड़कने लगा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मां अपने हाथों से अपना ब्लाउज उतार कर उसकी नंगी चूचियों का उसी दर्शन जो कराने वाली थी,,,, राजू मन ही मन तेज बारिश के लिए शुक्रिया अदा कर रहा था अगर यह तेज तूफानी बारिश ना होती तो शायद इस तरह से अपनी मां के साथ उसे समय बिताने को कभी नहीं मिलता,,,,, मधु हिचकीचा रही थी लेकिन,,, इस तरह से अपने बेटे के सामने अपने ब्लाउज उतारने में उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था जैसे-जैसे मधु एक-एक करके अपने ब्लाउज के बटन को रही थी वैसे वैसे राजू अपनी लंड को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था और मधु तिरछी नजरों से अपने बेटे की यह हरकत देखकर पानी-पानी हो रही थी,,, देखते ही देखते मधु अपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन

खोल कर अपनी बेलगाम चुचियों को आजाद कर दी ब्लाउज का आखरी बटन खुलते ही रबड़ के गेंद की तरह मधु की दोनों चूचियां उछल कर बाहर आ गई जो की जलती हुई आप की रोशनी में राजू को एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया था,,,, मधु अपनी आंखों से अपने बेटे की हरकत को देख रही थी लेकिन उसे रोक बिल्कुल भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने बेटे की हरकत से आनंद मिल रहा था वह तिरछी नजरों से अपने बेटे के बमपिलाट लंड को देख रही थी,,,,,,,।

मधु अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी ब्लाउज को अपने बाहों में से निकाल रही थी और देखते ही देखते मधु अपने बदन से ब्लाउज उतार कर बगल में रख दी और बोली,,,,।

ले मैंने तेरा कहां मानते हुए अपना ब्लाउज उतार दी,,, अब तो ठीक है ना,,,,(, मधु उसी तरह से बैठे हुए बोली लेकिन अपनी मां की नंगी चूचियों को देखकर राजू से रहा नहीं गया और वह भी उठ कर बैठ गया और अपनी मां की चुचियों को प्यासी नजरों से देखते हुए बोला,,,)

बाप रे तुम्हारी चूचियां तो कितनी खूबसूरत है मां एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल इसमें बिल्कुल भी लायक नहीं है एकदम तन कर खड़ी है मानो कि किसी जवान लड़की की चूचियां हो,,,,(राजू अपनी मां के सामने बिना शर्म किए बेशर्म की तरह अपनी मां की छातियों की तरफ देखे जा रहा था और अपनी मां की चुचियों की तारीफ किए जा रहा था मधु को अपने बेटे के मुंह से अपनी चूची की तारीफ सुनकर बहुत ही ज्यादा गर्व का अनुभव हो रहा था लेकिन फिर भी वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आ रही है इस तरह की बातें करते होगे और हां तुझे कैसे मालूम की लड़कीयों की चुचियां कसी हुई और तनी हुई होती है और औरतों की ढीली लचकदार हो जाती है,,,,


हां मैंने देखा है ना,,,,(अब राजू समझ गया था कि अपनी मां के सामने शर्म करने का कोई फायदा नहीं है अगर शर्म करेगा तो कर्म फूट जाएंगे इसीलिए वह पूरी तरह से बेशर्म बन जाना चाहता था,,,)

तूने देखा है लेकिन किसकी देखा है,,,,(मधु भी अब थोड़ी बेशर्मी पर उतर आई थी क्योंकि उसे भी समझ में आ गया था कि बेशर्मी करने में कितना मजा आता है)


अरे अपना श्याम है ना मैं पढ़ने के लिए जाता था तो उसे घर पर बुलाने जाता था और ऐसे ही उसके घर पर पहुंच गया था तो देखते ही देखते मैं उसके घर के अंदर तक पहुंच गया और वहां देखा कि उसकी बहन झुमरी एकदम नंगी होकर नहा रही थी,,,

क्या एकदम नंगी होकर,,,(मधु आश्चर्य जताते हुए बोली)


हां मा एकदम नंगी होकर मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था वह मेरी तरफ पीठ करके नहा रही थी तब मंजू गोरी चिकनी उसकी गांड एकदम गोल-गोल थी,,, मैं वहां से चला जाना चाहता था लेकिन मैं वहां से ही भी नहीं पाया,,, और वह जैसे ही घूमी मेरे तो होश उड़ गए उसकी नंगी चूचियां एकदम कसी हुई थी और सच कह रहा हूं मैं तुम्हारी चूचियां देखकर मुझे यकीन हो गया है कि तुम बहुत खूबसूरत हो इस उम्र में भी झुमरी जैसी लड़कियों से पानी भरवा दो उसकी चूची और तुम्हारी चूची में जमीन आसमान का फर्क है उसकी चूचियां तो संतरे जैसी है लेकिन तुम्हारी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह है कसम से मां तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,।
(राजू अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ गंदे शब्दों में करे जा रहा था और मधु अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हुए जा रही थी,,,, मधु बार-बार अपनी चोर नजरों से अपने बेटे के खड़े नंदी को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेगी तो उसके बेटे का लंड उसकी बुर में कहर मचा देगा,,,, वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पति का लंड उसके बेटे के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,,, राजू और मधु अपने अपने मन में अपनी भावनाओं के बवंडर में फंसते चले जा रहे थे और तभी बादलों की तेज गड़गड़ाहट हुई और मधु एकदम से चौकते हुए बोली,,,।



लगता है आज रात भर बरसात बंद नहीं होगी,,,,(अपनी चुचियों की तरफ देखते हुए) अभी भी ठंड महसूस हो रही है,,,,


पेटीकोट भी उतार दो तब जाकर तुम्हें सही लगेगा क्योंकि पेटीकोट भी गीली है,,, और अभी तो पूरी रात बाकी है सो नहीं पाओगी,,,,


बात तो तू सच ही कह रहा है,,,,,,, लेकिन झुमरी जब तेरी तरफ घूमी थी तो क्या उसने तुझे देखी नहीं थी,,,,

मुझे देख ली थी मैं तो एकदम से घबरा गया था लेकिन मेरी नजर जीस हिस्से पर जाकर रुकी थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,

किस हिस्से पर,,,,(धड़कते दिल के साथ मधु बोली)

उसकी बुर पर,,,(राजू बेझिझक अपनी मां के सामने ही गंदे शब्दों में बोला अपने बेटे के मुंह से सीधी सपाट बुर शब्द सुनते ही मधु की खुद की बुर उछलने लगी,,,,)

क्या यह क्या कह रहा है तू,,,

हां मां मैं सच कह रहा हूं जिंदगी में पहली बार में किसी लड़की की बुर को देख रहा था इसलिए मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,,(अपनी मां के सामने इस तरह से खुले और गंदे शब्दों में बात करते हुए राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया था,,, जिसे वहां अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने हाथ से हिला दे रहा था और जिसे देखकर मधु के तन बदन में आग लग जा रही थी,,,।)


बहुत खूबसूरत थी क्या उसकी,,,,(अपनी नजरों को नीचे किए हुए वह बोली एक औरत होने के नाते औरतों के प्रति ईर्ष्या उसके मन में भी कुछ क्षण के लिए जागने लगा था क्योंकि उसका बेटा झुमरी के बुर की तारीफ कर रहा था लेकिन राजू भी चला था वह अपने जवाब में चला कि दिखाते हुए बोला)


मैंने तो पहली बार देखा था इसलिए मुझे तो बहुत खूबसूरत लग रही थी मैंने दूसरे की तो देखा नहीं हूं कि उसकी बुर से दूसरी की बुर की तुलना कर सकूं,,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा हुआ किसी ना किसी बहाने अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी उसे अपनी बुर की खूबसूरती से वाकिफ कराना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका बेटा एक बार उसकी बुर को देख लेगा तो उस पर पूरी तरह से मोहित हो जाएगा,,,, इसलिए वह बोली,,,)

मुझे तो अभी भी ठंड लग रही है,,,(अपनी दोनों बाहों को आपस में मिलाते हुए अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को बाहों के घेरे में छुपाते हुए मधु बोली)

कह तो रहा हूं,,,,, पेटीकोट भी उतार दो अभी तो पूरी रात बाकी है,,,, गीली पेटीकोट में सो नहीं पाओगी,,,।
(अपने बेटे की बात सेवा पूरी तरह से सहमत थी लेकिन ऐसा नहीं था कि वह समझ नहीं रही हो कि उसका बेटा उसके फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने मन की करने के लिए उससे पेटीकोट उतरवाकर उसे नंगी करना चाहता है,,, फिर भी वे इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि गीले पेटीकोट में उसे भी नींद नहीं आएगी और बीमार पड़ने का डर अलग से रहेगा,,,, वैसे भी जिस तरह से उसने अपने बेटे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज के बटन खोल कर उसे उतार कर अपनी चुचियों को नंगी कर दी थी उसी तरह से वह अपनी पेटीकोट को उतार कर अपने बेटे के सामने एकदम नंगी हो जाना चाहती थी इसमें उसे अजीब सा सुख भी प्राप्त हो रहा था इसलिए वह बोली,,,,)

बात तो तो ठीक ही कह रहा है अभी तो सुबह होने में पूरी रात बाकी है और रात भर जाग भी नहीं सकते और इस गीले कपड़े में रह भी नहीं सकते,,,,, एक काम कर तू ही उतार दे मेरी कमर दुख रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,।
(अपनी मां की है बात सुनते ही राजू का लंड टन टना कर ठुनकी मारने लगा,,,, राजू का दिल खुशी से झूम उठा यह तो ऐसा ही हो गया था कि बिल्ली को ही दूध की रखवाली करने के लिए बोला जा रहा है राजू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए वह फिर से बोला,,,)

क्या कहा मां तुमने,,,

अरे ले तू ही उतार दे,,,, मेरी कमर दर्द कर रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,


ठीक है मा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,, जब तक मैं हूं तुम्हें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,
(अपने बेट६ की बात सुनकर मधु मुस्कुराते हुए पेट के बल लेटने लगी लेकिन तिरछी नजरों से अपने बेटे के खड़े लंड को देख रही थी उसके लंड की मोटाई लंबाई देखकर मधु की बुर पानी फेंक रही थी,,,, मधु पीठ के बल लेट चुकी थी और राजू अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका था ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत के पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नंगी करने जा रहा था ऐसा वह बहुत बार कर चुका था लेकिन आज जो सुकून से अपनी मां का पेटीकोट उतारकर उसे नंगी करने में मिलने वाला था वैसा सुख उसे अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था जिसके बारे में सोच कर ही उसका दिल बलि्लयो उछल रहा था,,,,, मधु पीठ के बल लेट चुकी थी राजू एक नजर अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ दौड़ाया और तुरंत अपनी नजरों को नीचे की तरफ ले जाते हुए उसकी खरबूजे जैसी चुचियों से नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,, और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में उलझा दिया अपनी मां की गहरी नाभि और कमर देखकर उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से अपनी मां की कमर थामकर धक्के पर धक्के लगाए,,,, राजू की उंगलियां हरकत करना शुरू कर दी थी और अपने बेटे की हरकत को देखकर मधु कसमसा रही थी उसके बदन में उत्तेजना का फुहार फूट रहा था जो कि उसकी बुर से निकल रहा था देखते ही देखते राजू अपनी मां के साए की डोरी को खोल दिया और कमर पर कसी हुई पेटीकोट एकदम से ढीली हो गई राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां के पेटीकोट को पकड़ लिया था उसे नीचे की तरफ खींचना शुरू कर दिया था मधु यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी भारी-भरकम कान के नीचे से पेटीकोट बाहर नहीं निकल पाएगी इसलिए अपने बेटे की सहायता करते हुए वह अपनी भारी भरकम

गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी और इसी मौके की ताक में,,, राजू तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को उसकी कमर से नीचे की तरफ खींच लिया और पलक झपका आते हैं पेटीकोट को उसकी गोरी गोरी जांघों के नीचे लाते हुए उसके पैर से बाहर निकाल दिया इस समय मधु अपने बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से महंगी हो चुकी थी जलती हुई आग की रोशनी में राजू भौचक्का सा अपनी मां के नंगे बदन को देख रहा,,, था ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार अपनी मां को नंगी देख रहा था पहले भी वह कई बार अपनी मां को नंगी और उसे चुदवाते हुए देख चुका था लेकिन आज पहली बार इतने करीब से उसके नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौंधिया दिया जा रही थी,,,, अपने बेटे की आंखों में वासना का उठता हुआ तूफान देखकर मधु के तन बदन में आग लग रही थी उसके चेहरे को उसकी भावनाओं को और उसके इरादों को मधु अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि बस उसके इशारे करने की देरी है उसका बेटा उसके ऊपर टूट पड़ेगा और फिर उसे अद्भुत सुख देगा,,,,,।

बरसात का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था जिस तरह से शुरुआत हुई थी उसी तरह से अभी तक बारिश का पानी गिर रहा था वही तेज हवाएं वही बिजली की गड़गड़ाहट पूरे वातावरण को भयानक बना रही थी लेकिन ऐसी भयानक तूफानी बारिश में भी खंडहर के अंदर का माहौल पूरी तरह से मदहोशी से भरा हुआ था दोनों मां बेटे एकदम नग्न अवस्था में एक दूसरे को देख रहे थे बेटा किसी भी वक्त अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसकी अद्भुत चुदाई कर सकता था लेकिन अपने अनुभव से राजू समझ गया था कि अब उसकी मां की बुर में लंड डालने से उसे कोई नहीं रोक सकता इसलिए वह इस खेल को थोड़ा और आगे धीरे-धीरे बढ़ाना चाहता था मधु अपने बेटे की आंखों के सामने पीठ के बल एकदम नंगी लेटी हुई थी और उसकी आंखों में शर्म के साथ-साथ उत्तेजना भी नजर आ रही थी वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ शर्म के मारे घूमाए हुए थे और राजू था कि,, उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी वह एकदम बेशर्म में बन चुका था शायद बेशर्म बनने के बाद ही जिंदगी का असली सुख मिलता है,,,,, अपनी मां के नंगे बदन को देखते हुए खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को,,,, राजू पूरी तरह से सम्मोहित हुआ जा रहा था और वैसे भी झुमरी का जिक्र आते ही जिस तरह से राजू ने उसकी बुर की तारीफ किया था उसे सुनकर मधु थोड़ा सा शक पका गई थी वह अपनी खूबसूरती के आगे किसी और की खूबसूरती की तारीफ सुनना पसंद नहीं कर पा रही थी वह भी खास करके अपने बेटे के मुंह से इसलिए वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपनी बुर करना चाहती थी और पूछना चाहती थी कि उसकी बुर कैसी दिख रही है,,,,,,,, मधु अपने बेटे से कुछ पूछ पाती इससे पहले ही राजू अपना पासा फेंकते हुए बोला,,,,।


बाप रे इतनी खूबसूरत बुर मैंने आज तक नहीं देखा झुमरी की बुर तो तुम्हारे बुर के आगे कुछ भी नहीं है मा,,,,,
(बस यही तो मधु अपने बेटे की मुंह से सुनना चाहती थी खासकर की झुमरी की बुर से तुलनात्मक स्थिति में उसका बेटा अपनी मां की बुर को उत्कृष्ट साबित कर रहा था इसलिए गर्व के मारे मधु गदगद हुए जा रही थी और राजू अपनी मां की बुर की तारीफ के पुल बांध रहा था)
कसम से मां मैंने आज तक इतनी खूबसूरत सुंदर‌ बुर नहीं देखा जान पड़ता है कि जैसे किसी ने रेत में अपनी उंगली से लकीर खींच दी या हो,,,,, कसम से मां मेरी तो हालत खराब होती जा रही है तवे पर रखी हुई रोटी की तरह तुम्हारी बुर एकदम से फुल गई है,,,,,,,, मैं तुम्हारी बुर को छूकर देखना चाहता हूं मां,,(अपनी मां की तरफ देखते हुए लेकिन अपने बेटे की बात सुन तो शर्म के मारे मधु अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली और राजू किसी को ही अपनी मां की तरफ से इजाजत समझ लिया और अपनी हथेली आगे बढ़ाकर पूरी की पूरी हथेली को अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ढक लिया मानो कि जैसे वह कचोरी को अपनी हथेली में लेकर छुपा लिया हो,,,, बुर की गर्मी राजू से बर्दाश्त नहीं हो रसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहहह ओहहहहह मा तुम्हारी बुर तो एकदम भक्ति की तरह चल रही है इसकी अपन मुझे अपने बदन में महसूस हो रही है तुम्हारी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है,,,, रुको मैं कपड़े से इसका पानी साफ कर देता हूं,,,,,(पर इतना कहकर राजू पास में पड़ी अपनी मां की पेटीकोट को उठा दिया मधु की हालत एकदम खराब होते जा रही थी जिस तरह से राजू ने अपनी हथेली पर रखकर अपनी मां की बुर को अपनी हथेली में भर लिया था उससे वह पूरी तरह से गरमा गई थी और पिघलने लगी थी,,,,, राजू तुरंत पेटिकोट को अपने हाथ में लेकर अपनी मां की बुर पर लगाकर उसके निकले पानी को साफ करने के बहाने एक उंगली पेटीकोट के कपड़े में फंसा कर उसे अपनी मां की बुर्के गुलाबी छेद के लकीर में नीचे से ऊपर की तरफ सर काते हुए पानी साफ करने लगा,,, मधु को साफ महसूस हो रहा था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर की गहराई में डालने की कोशिश कर रहा था

इससे वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहरहह बेटा,,,,,।

क्या हुआ मां,,,,,

कककक‌क कुछ नहीं,,,,,(अपनी उफान मारती सांसो को काबू करते हुए बोली राजू समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा है इसलिए अपनी हरकत को और बढ़ाते हुए बोला)

तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है मां,,,,(और इतना कहने के साथ ही फिर से कपड़े से अपनी मां की बुर को साफ करने के बहाने उसकी बुर में उंगली डालने लगा ऐसा करने से मत हो कि तन बदन में आग लग रही थी वह अपना धैर्य खो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आनंद की अनुभूति उसे पूरी तरह से अपने में समा लेना चाहती थी,,,,, राजू एक तरफअपनी हरकत को जारी किए हुए था और दूसरी तरफ अपनी मां को अपनी बातों से बहला रहा था,,,)

ओहहहह तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा नंगी होने के बाद तो तुम ऐसी करती हो जैसे कुदरत का बनाया हुआ कोई करिश्मा हो तुम्हारी बुर लाखों में एक है मैंने आज तक ऐसी दूर नहीं देखा कसम से इस को चूमने का मन कर रहा है,,,, तुम्हारी इजाजत हो तो मैं इस पर अपने होंठ रख दूं,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी मधु को समझ में आ गया था कि अब वह पीछे हटने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि उसके बेटे की हरकत ने उसके बदन में आग लगा दिया था और वह किसी भी तरह से इस आग को बुझाना चाहती थी अपने बेटे की फरमाइश सुनकर वह शर्मा कर अपनी पलकों को नीचे झुका ली जो कि अभी तक वह उसकी तरफ देख रही थी,,,, पर झुकी हुई पलकों को राजू अपनी मां की तरफ से आमंत्रण समझ कर अपने पैसे होठों को अपनी मां की बुर के करीब ले जाने लगा जैसे जैसे राजू अपने होंठ को अपनी मां की बुर के करीब लेकर जा रहा था वैसे वैसे मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसके साथ ही उसकी चुचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी,,,,। राजू की तमन्ना उसकी ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी आज की रात उसकी जिंदगी की बेहद हसीन और अविस्मरणीय है रात होने वाली थी ऐसी तूफानी बारिश में उसे इस तरह का आनंद मिलेगा और वह भी अपनी मां के साथ वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था देखते ही देखते राजू कभी प्यासे होठों को अपनी मां की दहकती हुई बुर पर रख दिया,,, मधु एकदम से कसमसा गई,,, यह अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था एकदम तरोताजा उसके दिलो-दिमाग पर अब राजू पूरी तरह से छा चुका था राजू तो अपनी मां को सिर्फ उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने की फरमाइश किया था लेकिन जैसे ही वह अपने प्यासे होठों को अपनी मां की भट्टी जैसी तपती हुई बुर पर रखा उसके इरादे पूरी तरह से पिघलने लगे,,,, पहले से ही उसकी मां ढेर सारा पानी छोड़ रही थी और राजू अपनी जीभ को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रखते ही वह बड़ी चालाकी से चुंबन लेने के बहाने अपनी जीभ को अपनी मां की गुलाबी छेद के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, उसकी मां अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से तड़प उठी,,, राजू अब रुकने वाला बिल्कुल भी नहीं था,,,, उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी वह अपनी जीत से अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया कभी उसके फूले हुए हिस्से को चाटता तो कभी गुलाबी पत्ती को चाटता तो कभी बुर के अंदर अपनी जीभ डाल कर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दे रहा था,,,, राजू पूरी तरह से अपना अनुभव अपनी मां के ऊपर आजमा रहा था और उसकी मां अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से पानी पानी में जा रही थी बार-बार उसकी बुर से पानी निकल जा रहा था,,,,।

तूफानी बारिश में राजू अपनी मां की बुर चाटने में लगा हुआ था और उसकी मां अपने बेटे की बुर चटाई से पूरी तरह से मस्ती में डूबती चली जा रही थी,,, थोड़ी देर में उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी और उसे गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राजू के हौसले और ज्यादा बुलंद होने लगे,,,, राजू अपनी मां की बुर से अपना मुंह हटाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था,,,, वह पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां खुद ईतनी चुदवासी हो जाएगी कि खुद ही उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठेगी,,,, देखते ही देखते राजू पागलों की तरह अपनी मां की बुर के निचले छोड़ से ऊपरी किनारे तक जीप से लपालप चाट रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे फिर से भरा हुआ कटोरा उसे मिल गया हो और वैसे भी एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की थाली रखी है और एक तरफ औरत की खूबसूरत दूर रखी हो तो मर्द की पहली पसंद और आखरी सिर्फ और सिर्फ औरत की बुर ही होगी भले ही पेट से भूखा हो लेकिन तन से भूखा रहना वह कभी पसंद नहीं करेगा,,,,।


सहहहरह आहहहहह राजू यह क्या कर रहा है,,,आहहहहहहह तू तो सिर्फ चुम्मा लेने के लिए बोला था यह अपनी जीभ डाल कर क्या कर रहा है,,,,आहहहहहहह
राजू,,,,,

कुछ नहीं मां तुम्हारी बुर में मलाई ज्यादा इकट्ठी हो गई है उसे अपनी जीभ से निकाल कर जा रहा हूं और सच पूछो मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,(सिर्फ राजू अपनी मां को जवाब देने के लिए अपना मुंह अपनी मां की बुर से हटाया था और फिर वापस उसी कार्य में जुट गया था अपनी मां की बुर चाटते हुए राजू का लंड पूरी तरह से हथोड़ा की तरह कड़क हो गया था जो कि किसी भी वक्त वह अपनी मां की बुर में डालकर अपनी सारी गर्मी को शांत कर देने की ख्वाहिश रखता था लेकिन इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था और उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से व्याकुल और चुदवासी हुए जा रही थी,,,,, राजू समझ गया था कि अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है वह अपनी मां के साथ कुछ भी करेगा उसकी मां उसे कुछ भी नहीं बोलेगी क्योंकि वहां अपनी हरकत से अपनी मां को आनंद दे रहा था इसीलिए वह अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची को थाम लिया दशहरी आम की तरह वह अपनी मां की चूची को थामकर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चूची को अपने हाथों में पकड़ कर दबा रहा था उसे अपनी मां की चूची दबाने में इतना मजा आ रहा था कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों और लड़कियों के साथ व शारीरिक संबंध बनाते हुए उनकी चूचियों का स्तनपान के साथ-साथ स्तन मर्दन किया था उनसे भी ज्यादा मजा उसे अपनी मां की चुची में आ रहा था,,,,,,
इस तरह से अपने बेटे के द्वारा चूची दबाने में मधु को भी आनंद की पराकाष्ठा का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी राजू अपनी हथेलियों के जोर से पलभर में ही अपनी मां की गोरी गोरी चूची को टमाटर की तरह लाल कर दिया था खुद शर्म और उत्तेजना के मारे मधु का गोरा मुखड़ा लाल हो गया था उसके मुख से लगातार गरमा-गरम सिसकारी की आवाज फूट रही थी,,, वह अपनी बेटी के साथ इस तरह के संबंध की कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन धीरे-धीरे राजू ने अपनी हरकतों से अपनी चालाकी से अपनी मां को अपने वश में कर लिया था,,,,,
मधु पूरी तरह से आश्चर्यचकित और स्तब्ध हो चुकी थी जिस तरह से राजू उसकी बुर चाट रहा था आज तक उसके पति ने कभी इस तरह से उसकी बुर से अपने होठ लगाकर इतना प्यार नहीं किया था,,, राजू पूरी तरह से इस कार्य में मशहूर हो चुका था अपने बेटे की दीवानगी देखकर वह पूरी तरह से अपने बेटे की कायल होते जा रही थी राजू लगातार अपनी मां की बुर से अपना मुंह हटाने को तैयार ही नहीं था उसका बस चलता तो वह उसकी बुर के अंदर ऐसे ही घुस जाता मधु पूरी तरह से आनंद विभोर होकर अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी और रह-रहकर ना चाहते हुए भी नीचे से अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी जो कि इस हरकत की वजह से राजू के तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का संचार हो रहा था,,,, ना कभी दोनों हाथों से अपनी मां की चूची दबाता तो कभी एक हाथ से चूची से खेलते हुए कांच को नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को मुठिया ना शुरू कर दे रहा था,,,,, राजू जानता था कि उसकी मां अब उससे पेलवाने के लिए तैयार हो चुकी है लेकिन इससे पहले वह अपने मुंह के करतब से ही अपनी मां का पानी झाड़ देना चाहता था और देखते ही देखते मधु की गरमा गरम सिसकारियां तेज होने लगी लेकिन उस तूफानी बारिश में उस खंडार में उसकी गरमा-गरम सिसकारी सुनने वाला वहां कोई नहीं था इसलिए वह खुलकर गरमा-गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,,।

सहहहरह आहहहहह आहहहहह मेरे बेटे राजू आहहहरहह,,,,(ऐसा कहते हुए रहा करो अपनी कमर को ज्यादा ऊपर उठा दे रही थी और राजू अपनी मां की कमर था में उसकी बुर से लगातार मलाई चाट रहा था राजू समझ गया था कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है इसलिए वह अपनी मां की कमर को कस के थाम लिया था और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को उसकी बुर की गहराई में डाल देने की कोशिश कर रहा था,,, और थोड़ी ही देर में एक तेज चीख के साथ मधु अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल दी और उसी स्थिति में कुछ पल तक स्थिर रह गई राजू उसी तरह से अपनी मां की कमर को था में लगातार अपनी मां की बुर में से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया था क्योंकि मधु झड़ चुकी थी,,,, मधु झड़ते हुए अपनी मम्मी सोच रही थी कि उसका बेटा किस मिट्टी का बना है एक तरफ वह अपनी बातों से ही उसका पानी निकाल दिया था और दूसरी तरफ अपनी जीभ का कमाल से उसे पिघला चुका था ऐसा तो आज तक उसके पति ने भी नहीं कर पाया था,,,, जब मधु की सांसे धीरे-धीरे दुरुस्त होने लगी तो राजू उसी तरह से अपनी मां की कमर था मैं उसे नीचे की तरफ जमीन पर लाकर छोड़ दिया और खुद गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी मां की बुर से अपने होंठ को हटा लिया और अपनी मां की तरफ देखने लगा दोनों की नजरें आपस में मिली मैं तो एकदम से शरमा गई और अपनी आंखों को बंद कर ली राजू पूरी तरह से मस्त हो चुका था एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चूची पकड़कर बोला,,,,।

तुम बहुत खूबसूरत हो जितनी खूबसूरत तुम हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी बुर है इसकी मलाई चाटने में मुझे बहुत मजा आया,,,
(राजू की मां अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर शर्म आ रही थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी राजू अपनी मां की बुर की तरफ देखकर बोला)

देखो मां मैं कितना सारा पानी छोड़ी हो,,,, कसम से आज मजा आ गया,,,(जोर से अपनी मां की चूची को दबाते हुए)

आहहहह क्या कर रहा है राजू दर्द कर रहा है,,,

क्या करूं मैं तुम्हारी चूची इतनी खूबसूरत है कि जोर जोर से दबाने का मन करता है ऐसा लगता है कि दशहरी आम हो,,,


तू बहुत शैतान हो गया है,,,(इतना कहते हुए मधु हल्के से एक चपत अपने बेटे के गाल पर लगा दी तो राजू तुरंत बोला)

मां जिस तरह से मुझे प्यार कर रही हो चपत लगाकर थोड़ा इसे भी (अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ाते हुए) कर देती तो मजा आ जाता,,,
(मधु अपने बेटे की हरकत और उसके टनटनाए लंड को देखकर एकदम से सिहर उठी,,, और एकदम से शर्मा गई राजू बिल्कुल भी पीछे हटने वाला नहीं था वह तुरंत घुटनों के बल आगे बढ़ा और अपने लंड को अपनी मां के होठों पर रख दिया क्योंकि वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी जैसे ही अपने होठों पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श उसकी गर्मी महसूस की वह तुरंत खबर आकर अपनी आंखों को खोल दी और बोली,,,)

यह क्या कर रहा है राजू,,,

वही जो तुम चाहती हो और जिसका यह हकदार है,,, मैं जानता हूं तुम चोरी चोरी मेरे लंड को देख रही थी और मैं औरत के मन को अच्छी तरह से जानता हूं तुम मेरे लंड को देखकर इसे अपनी बुर में लेने की कल्पना भी कर रही थी,,,
(इससे आगे मधु के लिए बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह जानती थी कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी वह अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के सामने शर्म आ रहे थे और उसके इसी शर्म को दूर करने के लिए राजू बार-बार अपने लंड को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रख दे रहा था,,,, उसकी हरकत को देखकर मधु बोली,,)

तू करना क्या चाहता है,,?

मैं चाहता हूं कि तुम इसे अपने मुंह में लेकर प्यार करो जी भर कर प्यार करो तुम्हारे प्यार का प्यासा है यह,,,


नहीं राजू यह गलत है हम दोनों के बीच मां-बेटे का पवित्र रिश्ता है,,,

वह तो समाज के लिए ही लेकिन इस समय इस खंडार में हम दोनों मां-बेटे नहीं बल्कि एक औरत और मर्द हैं जिसकी अपनी अपनी जरूरत है जैसा कि लाला और उसकी बहन के पीछे से अमर उसकी मां के बीच है उसी तरह से हम दोनों को भी इसी चीज की जरूरत है इस समय देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,

राजू,,,(अपने बेटे की बात सुनकर मधु अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबोच ली अपने बेटे के लंड की गर्माहट से,,, मधु की मर्यादा की दीवार बहने लगी उसके संस्कार हवा में वास्प बनकर उड़ने लगे उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,, अपने बेटे को वह पूरी तरह से अपनी जवानी का मजा चखाना चाहती थी वह अपने बेटे की हरकत और उसके इरादे के आगे घुटने टेक चुकी थी,,, अपने बेटे के लंड को पकड़ कर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसकी गर्माहट उसकी मजबूती को वह पल भर में महसूस कर चुकी थी इसलिए अब वह भी पीछे हटना नहीं चाहती थी और तुरंत,,, अपने पैसे होठों को अपने बेटे के लंड पर रख दी आज उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रखते ही ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अमृतकलश को अपने होठों से लगा ली हो उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दुनिया का सारा सुख उसे खुद अपने होठों से लगाने के लिए तड़प रहा हो वह देखते ही देखते अपने लाल-लाल होठों को खोल दी और अपने बेटे के लंड के सुपाडे को अपनी मुंह के अंदर प्रवेश कराने की इजाजत दे दी,,,, राजू इस समय अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब बेटा समझ रहा था क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत के मुंह में उसका लंड था धीरे-धीरे मधु अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ लेकर उसे चूसना शुरू कर दी थी लंड को कैसे चोदा जाता है वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन आज उसके मुंह में उसके पति का पतला और कमजोर नहीं बल्कि उसके बेटे का दमदार मर्दाना ताकत से भरा हुआ मोटा और लंबा लंड था जिसे मुंह में भरते ही उसका मुंह पूरी तरह से खुल चुका था उसके लाल-लाल होठों का छल्ला उसके बेटे के लंड की गोलाई के आगे छोटा पड़ रहा था जैसे तैसे करके वह धीरे-धीरे अपनी बेटी के लंड को अपने गले तक लेकर चूसना शुरू कर दी थी राजू पूरी तरह से मस्त होकर घुटनों के बल ही बैठे हुए अपने आंखों को बंद की भी धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था इस समय मां बेटे की कामलीला को देखने वाला वहां पर कोई भी नहीं था सिर्फ उसके बेल के सिवा,,,, वह भी काफी देर से अपनी मालकिन और उसके बेटे की कामलीला

को अपनी आंखों से देख कर ना जाने अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,।
 
Member
437
731
93
असली तूफानी बारिश का मजा मधु को आज पहली बार मिल रहा था और राजू भी इससे पहली बार अवगत हो रहा था राजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपनी मां के मुंह को चोद रहा था जलती हुई आप की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसकी मां का नंगा बदन संगमरमर की तरह चमक रहा था अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली जवानी में राजू पूरी तरह से हो चुका था वह एक तरफ लंड चुदाई का मजा लूट रहा था तो दूसरी तरफ अपने दोनों हाथों से अपनी मां की पपाया जैसी चूची को जोर जोर से दबा रहा था जिससे मधु भी अंदर ही अंदर से लौट रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में देखना चाहती थी,,,,।

बाहर बारिश अपना चोर दिखा रही थी और अंदर राजू अपना जोर दिखा रहा था दोनों मां बेटों का जोश बढ़ता चला जा रहा था दोनों को विश खंडहर में स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे यह खंडहर उन्हें दोनों के लिए बना हो,,,, दोनों शायद अपने घर में इस तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकते थे जितना आनंद उन्हें इस तूफानी बारिश में इस डरावने खंडहर में मिल रहा था,,,, मधु अपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे उसके बेटे का लंड कितना मोटा और लंबा है अगर उसकी बुर में जाएगा तो उसकी बुर फाड़ देगा,,,, कुछ देर तक राजू इसी तरह से मजा लेता रहा और बार-बार अपनी हथेली को नीचे की तरफ झुक कर अपनी मां की बुर पर रखकर उसे जोर से मसल दे रहा था जिससे मधु खुद अपने बेटे के लंड को लेने के लिए तड़प‌ उठ रही थी,,, राजू समझ गया था कि अब उसकी मां को लंड की जरूरत है इसलिए वह हीरे से अपने लंड को अपनी मां के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,, मधु की पूरी तरह से अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए मौन स्वीकृति दे दी थी,,,।

राजू गहरी गहरी सांस ले रहा था मधु पीठ के बल लेटकर अपनी बेटी के लंड को देख रही थी जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से सना हुआ था,, जलती हुई आग की रोशनी में उसके बेटे का लंड एकदम चमक रहा था जिसकी चमक में वह पूरी तरह से अपनी जवानी अपने बेटे के कदमों में निछावर करने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, राजू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोला,,।

बोलो तो मां मै ईसे तुम्हारी बुर में डाल दुंं,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मुझे कुछ बोले नहीं बस शर्मा कर अपनी पलके झुका कर दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,, यह मधु की तरफ से मौन स्वीकृति थी लेकिन राजू अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

ऐसे नहीं मां तुम अपने मुंह से बोलो तभी मैं आगे बढ़ुंगा,, मैं तुम्हारी बुर में लंड डाल दूं,,,

इसमें पूछने वाली कौन सी बात है तु मुझे इतना तड़पा रहा है,,, अब जब तक तू अपने लंड को मेरी बुर में डालेगा नहीं तब तक मुझे भी चैन नहीं मिलेगा,,,

ओहहहह मां यह हुई ना बात इसे कहते हैं औरत वाली बात अब देखना मैं तुम्हारी कैसे चुदाई करता हूं पिताजी को तो तुम भूल ही जाओगी मेरा लंड एक बार अपनी बुर में लोगी तुम मस्त हो जाओगी तुम्हें ऐसा मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आगे और मधु खुद अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैला दी राजू अपने दोनों हाथों को अपनी मां की कमर के नीचे से ले गया और उसकी कमर थाम कर उसे अपनी जांगू पर चढ़ा लिया उसकी यादें गाना राजू की जांघों पर टिकी हुई थी राजू पूरी तरह से तैयार था अपनी मां की बुर में समाने के लिए मधु की बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो चुकी थी जिससे मोटा लंड अंदर जाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती और मधु की यह देखना चाहती थी कितना मोटा लंड उसकी बुर में जाने के बाद कैसा दिखता है इसलिए वह अपने हाथ की कोनी का सहारा लेकर अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर चुकी थी राजू बेशर्मी की हद पार करते हुए अपने मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर लंड के हथौड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर पर पटकने लगा मानो कि जैसे लोहे की पाटी को अपने हथौड़े से पीट रहा है,,, लेकिन अपने बेटे की इस हरकत से मधु पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी एक बार तो वहां बुर में लंड डालने से पहले अपने लंड को उसके नीचे ले जड़ से पकड़ कर उसे पूरा का पूरा बुर के ऊपर रखकर लंबाई नापने लगा जो कि पेट तक आ रहा था यह देखकर मधु थोड़ा सा घबरा गई और राजू चुटकी लेता हुआ बोला,,।

देखना मैं मैं तुम्हारी बुर से डालूंगा और गांड से निकाल लूंगा,,,

चल देखती हूं तेरी मर्दानगी,,,

यह बात है तो यह लो,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू ढेर सारा थूक अपने मुंह में लिए हुए ही उसे अपनी मां की बुर पर गिराने लगा जिससे उसकी बुर और ज्यादा गिरी हो गई और राजू अपने मोटे लंड के सुपाडे को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख कर उसे धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकारने लगा,,, मधु को एकदम साफ नजर आ रहा था जलती हुई लकड़ी की रोशनी में मधु अपने बेटे के लंड को जो की बहुत मोटा था अपनी बुर के अंदर घुसता

हुआ देख रही थी उसे धीरे-धीरे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि इतना मोटा लंड उसने आज तक अपनी बुर में नहीं ली थी इसलिए उसे थोड़ा दिक्कत आ रहा था लेकिन राजू पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि औरत को कैसे काबू में किया जाता है,,, राजू के लंड का सुपाड़ा अभी आधा ही घुसा था और मधु को थोड़ा दर्द महसूस होने लगा जो कि उसके चेहरे से लग रहा था इसलिए राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चूची को पकड़ लिया था और हल्के से अपनी कमर को आगे खेल दिया जिससे, भक से लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियाो को चीरता हुआ अंदर सरक गया,,,, मधु की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी राजू के लंड का मोटा से बड़ा बुर के अंदर घुस जाने के बाद राजू के लिए आगे का कार्य एकदम आसान हो चुका था वह देखते ही देखते अपने लंड को और अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया लंड की मोटाई इतनी ज्यादा थी कि मधु को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने बेटे के लंड की रगड़ एकदम साफ महसूस हो रही थी जिससे उसका मजा दुगना होता जा रहा था हालांकि थोड़ा बहुत दर्द का भी उसे महसूस हो रहा था लेकिन इस दर्द के आगे जो सुख मिल रहा था उसके आगे दर्द कोई मायने नहीं रख रहा था,,,,, राजू का लंड आधा उसकी मां की बुर में घुस चुका था और राजू अपने हाथ की हरकत को आगे बढ़ाते हुए कभी चूची को पकड़ ले रहा था तो कभी कमर को कस के पकड़ ले रहा था वह अपनी मां के नंगे चिकने पेट पर अपनी हथेली को सहला रहा था यह मधु को सांत्वना भी दे रहा था कि थोड़ी देर में मजा आने वाला है और देखते ही देखते राजू का पूरा लंड मधु की आंखों के सामने उसकी बुर के अंदर समा गया मधु पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी कितना मोटा लंबा लंड जिसे वह देखकर कुछ पल के लिए घबरा गई थी कि वह अंदर कैसे ले पाएगी और वह देखते ही देखते उसकी बुर की गहराई में खो चुका था इससे मधु को खुशी भी हो रही थी और जिस तरह का सुख से प्राप्त हो रहा था इस तरह का सुख उसने अपने साथी के संपूर्ण जीवन में कभी प्राप्त नहीं कर पाई थी,,, पूरे लंड को अपनी मां की गहराई में डाल देने के बाद राजू मुस्कुराता हुआ अपनी मां की तरफ देखा और बोला,,,।

देखा मां कितने आराम से तुमने मेरे लंड को अपने बुर में ले ली,,,,

डाल तो दिया है राजू अब कुछ कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।
(राजू अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां सीधे-सीधे उसे चोदने के लिए बोल रही थी इसलिए राजू एक पल की भी देरी किए बिना अपनी मां से बोला)

तुम बेफिक्र हो जाओ मां आज तुम्हें ऐसा सुख दूंगा ऐसी चुदाई करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,

कुछ भी करना बेटा लेकिन मेरी बुर मत फाड़ देना वरना घर जाकर तेरे पिताजी को कैसे अपना बुर दिखाऊंगी मुंह देखकर तो ऐसे भी उन्हें पता नहीं चलेगा लेकिन वह देखकर तो पता ही चल जाएगा कि रात भर किसी से चुदवा कर आई है,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ऐसा कुछ भी नहीं होगा ,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और अपने लंड को अंदर बाहर करके अपनी मां को चोदना शुरु कर दिया शुरू शुरू में मोटे लंड की वजह से अंदर बाहर होने में थोड़ी बहुत दिक्कत पेश आ रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे मधु की बुर अंदर से पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से अंदर चिपचिपाहट सी हो गई थी और थोड़ी ही देर में राजू का लंड बड़े आराम से सटासट बुर के अंदर बाहर हो रहा था मधु पूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे इतना मोटा लंड जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के अंदर ले रही थी इसलिए चुदाई का उसे परम आनंद प्राप्त हो रहा,,, राजू का सपना था अपनी मां को चोदना गांव भर की सारी औरतों को वह रोज चोदता रहा था लेकिन उसका सबसे बड़ा ख्वाब यही था कि वह कब अपनी मां की बुर में लंड डाले क्योंकि उसकी नजर में उसकी मां दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत ही और ऐसा था कि गांव भर में उसकी मां जैसी खूबसूरत औरत दूसरी और कोई नहीं थी उसके बदन की बनावट अभी भी जवान लड़कियों की तरह ही थी बस थोड़ा सा बदन भर गया था जिसकी वजह से वह और ज्यादा कामुक लगने लगी थी,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी चुदवाने पर ऐसा सुख प्राप्त करती थी और देती थी जिसे महसूस करके राजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था ऐसा सुख तो लाला की बहन को चोदने में भी उसे नहीं आया था जैसा सुख उसे अपनी मां को चोदने में आ रहा था,,,।

तूफानी बारिश में मधु की सिसकारियां पूरे खंडहर में गूंज रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस तरह से खुलकर चुदाई का मजा उसने आज तक नहीं रही थी भले ही रोज वह अपने पति से चुदवाती थी लेकिन ऐसा सुख उसे आज तक प्राप्त नहीं हुआ था राजू से पूरी तरह से मस्त कर दे रहा था कभी चूचियों को दबाता तो कभी कमर को लपक लेता तो कभी नीचे की तरफ झुक कर उसके होठों को चूसने लगता यह सब बेहद अद्भुत था मधु जैसी संस्कारी औरत के लिए तो यह सब अविस्मरणीय था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी

मस्ती के सागर में वह पूरी तरह से डूब ना शुरू कर दी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की भी जुदाई होती है इस तरह का भी आनंद औरत को प्राप्त होता है लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि मर्द दमदार होना चाहिए जो की औरत को पूरी तरह से नहीं छोड़ कर रख दे और वही कार्य समय उसका बेटा राजू कर रहा था वह पूरी तरह से अपनी मां को अपनी आगोश में लिए हुए था और अपने तेज धक्कों से उसे तृप्त कर रहा था मधु बार-बार अपने बेटे के लंड की ठोकर को अपने बच्चेदानी पर महसूस करके धन्य हो जा रही थी आज तक उसके बच्चेदानी तक उसके पति का लंड नहीं पहुंच पाया था लेकिन उसके बेटे के लंड का हर एक ठोकर उसे अपने बच्चेदानी पर महसूस हो रहा था जिससे उसका मजा दोगुना होता जा रहा था,,,,।

ओहहहह मां तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा चोदने में इतना मजा आता है मैंने आज तक कभी सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन आज जो सुख मुझे मिल रहा है वैसे जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगा मेरी जिंदगी की है रात सबसे हसीन रात है या यूं समझ लो कि आज की रात मेरी सुहागरात है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से सुहागरात वाली बात सुनते ही मधु एकदम से शर्मा कर लाल हो गई और पानी छोड़ने लगी यह देखकर राजू अपनी मां से बोला)

क्यों मैं शरमा गई क्या,,,?

तो और क्या तुझे पता है सुहागरात किसके साथ मनाई जाती है,,,

मुझे पता है अपनी पत्नी के साथ है जिसको रात भर चोदते हैं और आज की रात में तुम्हें चोद रहा हूं तो एक तरह से तुम मेरी बीवी हुई,,,

धत् पागल इस तरह की बातें कर रहा है मैं तेरे पिताजी की हूं समझा,,,

मुझे पता है,,(जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए) लेकिन आज तुम्हारी बुर में मेरा लंड गया है तुम्हें जो सुख में दे रहा हूं इस तरह से पिताजी ने भी कभी नहीं दिया होगा इसलिए अब तुम पर सबसे पहला हक मेरा है,,,.
(कोई और समय होता तो शायद अपने बेटे की इस बात पर वह उसके गाल पर थप्पड़ लगा दी होती लेकिन मौका और दस्तूर दोनों राजू के साथ था और मधु के साथ भी इसलिए राजू कि इस तरह की गंदी बातें भी मधु को अच्छी लग रही थी वह और कस के अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने बेटे को चोदने के लिए मजबूर कर दी थी राजू पागलों की तरह अपनी मां को चोद रहा था उसकी बुर की चुदाई करके उसे तहस-नहस कर दे रहा था,,,, फुचच फुचच की आवाज लगातार मधु की बुर से आ रही थी और जांघ से जांघ टकराने से एक मधुर आवाज पैदा हो रही थी,, जो की दोनों की मदहोशी बढा रहा था,,, राजू अपने लंड को अपनी मां की बुर में पेलता हुआ बोला,,,।

सच-सच बताना मत मेरे लंड से तुम्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ना,,,।

हारे बहुत मजा आ रहा है,,,


तुम्हारी बुर के अंदर पिताजी के लंड से ज्यादा रगड़ नहीं मिल रही हो कि कितना रगड़ मेरे लंड से मिल रही है,,,, है ना,,,,,


हा रे तु मुझे रगड़ रगड़ कर चोद रहा है,,,, मैं आज मान गई कि मैंने एक मर्द को जन्म दिया है,,,


अब तो तुम्हें डर नहीं लग रहा है ना इस खंडहर में,,,


सच कहूं तो आप तो मुझे बहुत मजा आ रहा है इस खंडरर में मैं कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से किसी जंगल में खंडहर में रात बितानी पड़ेगी,,,

यह जान लो आज की रात हम दोनों की सुहागरात है और अब तो मैं रोज तुम्हारी जुदाई करूंगा मौका मिलते ही,,

अब तो मैं खुद तेरे बिना नहीं रह पाऊंगी लेकिन यह बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए,,,

इस बात की किसी को कानों कान भनक तक नहीं पड़ेगी,,,,

(मधु अपने बेटे की हरकत और उसकी संगत में पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी एक रंडी की तरह सवाल जवाब करते हुए अपने बेटे से चुदाई का मजा ले रही थी इस तरह का सुख उसने आज तक नहीं प्राप्त की थी जो सुख उसे उसका बेटा दे रहा था अपने बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी अपने बेटे का साथ देते हुए वह खुद अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर अपनी बेटी के लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,, तूफानी बारिश और तेज हवाओं के स्वर में मधु की कामुकता भरी मादकता भरी गरमा-गरम सिसकारी की आवाज खंडहर में ही दबकर रह जा रही थी। राजू के हर एक धक्के के साथ मधु खंडार के जमीन पर आगे की तरफ सरक जा रही थी वह तो राजू उसकी कमर को कस के थामें हुए था,,,, राजू का हर एक जबरदस्त प्रहार मधु को अंदर तक सिहरन भर दे रहा था उसकी हर एक धक्के पर उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छतियो पर लहराने लग जा रही थी,,,। देखते ही देखते मधु का बदन अकड़ने लगा राजू समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह भी चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुका था इसलिए नीचे की तरफ झुक कर अपनी मां को अपनी बाहों में कस कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया और अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा शुरू कर दिया लगभग 20-25 धक्के के बाद दोनों की सांसें एकदम से तेज चलने लगी और दोनों एक दूसरे की बाहों में एकदम से समा गए और देखते ही देखते दोनों झड़ना शुरू

कर दिए,,,
 
Member
437
731
93
अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, मधु ने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी राजू उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, राजू का लंड अभी भी उसकी मां की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, मधु की गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से मधु आज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, मधु अपनी मां के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। मधु अपने बेटे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
मधु लव लगाकर अपना पानी छोड़ी थी और राजू भी अपनी गर्म लावा से अपनी मां की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी राजू का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मां अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में राजू अपनी मां की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मां अपने बेटे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि मधु के लिए तो उसके बेटे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके बेटे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे राजू आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब बेटा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, राजू की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाले हुए ही अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मा ‌सच सच बताना,,,,,,
(राजू के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने बेटे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो राजू खुद अपनी मां के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, मधु शर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन राजू कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया राजू का अपनी मां के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही मधु पूरी तरह से मस्त होने लगी राजू अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, मधु के लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा राजू के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से मधु को अपने बेटे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, मधु के लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन राजू था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था मधु को लग रहा था एक बार फिर से उसका बेटा तैयार हो रहा है इस बात से मधु पूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके बेटे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को जन्म दिया था,,,, राजू पूरी तरह से अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर

था और अपने दोनों हाथों से अपनी मां के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब मधु को फिर से उत्तेजित कर रहा था और राजू खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन मधु अभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके बेटे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन राजू की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके बेटे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का मधु का यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, मधु जानती थी कि उसका बेटा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(राजू चाहता तो अपनी मां के ऊपर से हटता नहीं और ना ही मधु उसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर राजू अपनी मां के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर मधु एकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई राजू भी आराम से उठ कर अपनी मां की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन राजू को अपनी मां के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, मधु अपनी बुर की तरफ देखते हुए राजू से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो राजू बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि पिताजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने बेटे की इस बात पर मधु फिर से शर्मा गई और राजू से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे पिताजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(राजू का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन पिताजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं पिताजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(मधु कुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके बेटे ने बरसा था,,,, अपनी मां की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए राजू बोला,,,)

एक बात तो है मां दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान बेटे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मां अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(मधु अपने बेटे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने बेटे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो बेटा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि पिताजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने पिताजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी पिताजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(मधु अपने बेटे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मां इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(मधु अपने बेटे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(राजू समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर मधु खिलखिला कर हंस दी और राजू फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया मधु को जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो राजू बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और मधु एक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका बेटा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, मधु कुछ बोल पाती से पहले ही राजू उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, राजू का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर मधु की कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में मधु अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने बेटे के सामने घुटने टेक रही थी मधु हैरान थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके बेटे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, मधु मंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह राजू को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और राजू उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते राजू उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मां से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही मधु को बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका बेटा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था मधु को यकीन हो चला था कि उसके बेटे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए राजू को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या बेटा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही मधु का चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं राजू तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने बेटे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने बेटे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं बेटा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मां हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मां इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने बेटे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने बेटे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने बेटे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही मधु की बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके बेटे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-बेटे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते राजू अपनी मां के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें मधु अपने बेटे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर राजू के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मां अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने बेटे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, राजू पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी राजू की इस हरकत पर मधु एकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह राजू,,,,,,ऊममममममम,,,,
(मधु पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए राजू अपनी उंगली को अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था मधु पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी राजू से अपनी मां की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मां का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मां की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया मधु इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन राजू अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया मधु हैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका बेटा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ मधु को अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने बेटे के मुंह में मुत रही थी अपने बेटे का बाल पकड़कर मधु उसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत राजू की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मां की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, मधु या देखकर हैरान थी अपने बेटे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति

ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत राजू कर रहा था राजू की हर एक हरकत मधु के लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, मधु का मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

मधु की बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा राजू के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से राजू अपनी मां के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मां को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है राजू अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, राजू का लंड एक बार फिर से अपनी मां की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था मधु की बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी राजू भी भीग रहा था राजू अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मां को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मां की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही राजू का लंड अपनी मां की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही राजू का लंड एक झटके में उसकी मां की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने बेटे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी राजू अपनी मां की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया मधु कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बेटा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

मधु की एक टांग ऊपर उठी हुई थी और राजू के कमर पर लिपटी हुई थी राजू एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने बेटे से चुदवाने का मजा ले रहे थे राजू पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मां को दे रहा था उसका हर एक धक्का मधु की चीख निकाल दे रहा था,,,, राजू अपनी मां की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से राजू भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था राजू लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था मधु की बुर में बड़े आराम से राजू का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह राजू मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मां मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं पिताजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस पिताजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,

चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मां की गर्दन को चुमते हुए राजू लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मां कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए राजू अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे मधु की गर्म जवानी में राजू पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, मधु की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां राजू की छाती के नीचे दबी हुई थी और राजू अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां को चोद रहा था कुछ देर तक राजू अपनी मां को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मां की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मां की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल लिया मधु को लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मधु कुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही राजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया मधु समझ गई थी कि अब उसका बेटा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए राजू तुरंत अपनी मां की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से राजू पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मां की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में मधु को भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी राजू कभी अपनी मां की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने बेटे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने बेटे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

मधु अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका बेटा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों केतन को भी हो रही थी और मधु की चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को राजू अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही मधु अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने बेटे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने बेटे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(राजू अपनी मां से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को मधु भी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने बेटे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने बेटे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,

अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-बेटे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे मधु ने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई राजू कर रहा था राजू बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं मधु दो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

मधु और राजू दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी मधु तुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए राजू अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मां के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे मधु पूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए राजू अपनी मां की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मां को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब राजू की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मां अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी राजू अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड मधु की गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही राजू के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मां को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मां की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंडके सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से राजू का लंड भी अपनी मां की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते राजू ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मां की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु पूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे राजू के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मां की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से मधु की नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके बेटे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या राजू रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने बेटे की तरफ देखी तो राजू हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु एक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से मधु के तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, राजू भाई आराम से पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए

थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में राजू और उसकी मां दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही मधु नीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो राजू फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए राजू अपनी मां के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो राजू की मां बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने बेटे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए मधु बोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर मधुर अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो राजू बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मां तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था मधु गिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी राजू अपनी मां को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए मधु और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मां की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर राजू की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मां के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था राजू का लंड कभी उसकी मां की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से मधु के भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने बेटे का लैंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,, मधु इस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, राजू अपनी मां की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था मधु उसी तरह से अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने बेटे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी राजू अपनी मां की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया राजू पहली बार देख रहा था कि उसकी मां की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ राजू को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने बेटे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे राजू तुरंत अपनी मां की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने बेटे की ताकत से मधु मंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही राजू अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से राजू का लंड उसकी मां की बुर में समा गया राजू अपनी मां को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और

नीचे राजू पानी में भीगते हुए अपनी मां को चोद रहा था,,,, मधु अपने बेटे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने बेटे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद राजू अपनी मां को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे मधु पानी से अपनी पुर को साफ की और राजू अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने बेटे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके मधु अपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मां बन चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे के सामने शर्म महसूस हो रही थी राजू बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,।
 
3
5
3
Is it the end?
अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, मधु ने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी राजू उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, राजू का लंड अभी भी उसकी मां की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, मधु की गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से मधु आज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, मधु अपनी मां के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। मधु अपने बेटे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
मधु लव लगाकर अपना पानी छोड़ी थी और राजू भी अपनी गर्म लावा से अपनी मां की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी राजू का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मां अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में राजू अपनी मां की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मां अपने बेटे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि मधु के लिए तो उसके बेटे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके बेटे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे राजू आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब बेटा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, राजू की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाले हुए ही अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मा ‌सच सच बताना,,,,,,
(राजू के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने बेटे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो राजू खुद अपनी मां के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, मधु शर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन राजू कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया राजू का अपनी मां के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही मधु पूरी तरह से मस्त होने लगी राजू अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, मधु के लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा राजू के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से मधु को अपने बेटे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, मधु के लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन राजू था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था मधु को लग रहा था एक बार फिर से उसका बेटा तैयार हो रहा है इस बात से मधु पूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके बेटे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को जन्म दिया था,,,, राजू पूरी तरह से अपनी मां के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर

था और अपने दोनों हाथों से अपनी मां के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब मधु को फिर से उत्तेजित कर रहा था और राजू खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन मधु अभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके बेटे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन राजू की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके बेटे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का मधु का यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, मधु जानती थी कि उसका बेटा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(राजू चाहता तो अपनी मां के ऊपर से हटता नहीं और ना ही मधु उसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर राजू अपनी मां के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर मधु एकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई राजू भी आराम से उठ कर अपनी मां की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन राजू को अपनी मां के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, मधु अपनी बुर की तरफ देखते हुए राजू से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो राजू बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि पिताजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने बेटे की इस बात पर मधु फिर से शर्मा गई और राजू से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे पिताजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(राजू का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन पिताजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं पिताजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(मधु कुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके बेटे ने बरसा था,,,, अपनी मां की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए राजू बोला,,,)

एक बात तो है मां दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान बेटे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मां अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(मधु अपने बेटे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने बेटे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो बेटा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि पिताजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने पिताजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी पिताजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(मधु अपने बेटे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मां इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(मधु अपने बेटे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(राजू समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर मधु खिलखिला कर हंस दी और राजू फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया मधु को जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो राजू बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और मधु एक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका बेटा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, मधु कुछ बोल पाती से पहले ही राजू उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, राजू का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर मधु की कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में मधु अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने बेटे के सामने घुटने टेक रही थी मधु हैरान थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके बेटे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, मधु मंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह राजू को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और राजू उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते राजू उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मां से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही मधु को बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका बेटा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था मधु को यकीन हो चला था कि उसके बेटे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने बेटे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए राजू को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या बेटा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही मधु का चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं राजू तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने बेटे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने बेटे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं बेटा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मां हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मां इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने बेटे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने बेटे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने बेटे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही मधु की बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके बेटे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-बेटे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते राजू अपनी मां के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें मधु अपने बेटे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर राजू के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मां अपने बेटे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था मधु कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने बेटे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, राजू पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी राजू की इस हरकत पर मधु एकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह राजू,,,,,,ऊममममममम,,,,
(मधु पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए राजू अपनी उंगली को अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था मधु पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी राजू से अपनी मां की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मां का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मां की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया मधु इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और राजू तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन राजू अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया मधु हैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका बेटा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ मधु को अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने बेटे के मुंह में मुत रही थी अपने बेटे का बाल पकड़कर मधु उसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत राजू की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मां की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, मधु या देखकर हैरान थी अपने बेटे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति

ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत राजू कर रहा था राजू की हर एक हरकत मधु के लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, मधु का मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

मधु की बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा राजू के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से राजू अपनी मां के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मां को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है राजू अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, राजू का लंड एक बार फिर से अपनी मां की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था मधु की बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी राजू भी भीग रहा था राजू अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मां को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मां की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही राजू का लंड अपनी मां की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही राजू का लंड एक झटके में उसकी मां की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने बेटे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी राजू अपनी मां की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया मधु कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बेटा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

मधु की एक टांग ऊपर उठी हुई थी और राजू के कमर पर लिपटी हुई थी राजू एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने बेटे से चुदवाने का मजा ले रहे थे राजू पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मां को दे रहा था उसका हर एक धक्का मधु की चीख निकाल दे रहा था,,,, राजू अपनी मां की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से राजू भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था राजू लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था मधु की बुर में बड़े आराम से राजू का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह राजू मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मां मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं पिताजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस पिताजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,

चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मां की गर्दन को चुमते हुए राजू लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मां कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए राजू अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे मधु की गर्म जवानी में राजू पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, मधु की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां राजू की छाती के नीचे दबी हुई थी और राजू अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां को चोद रहा था कुछ देर तक राजू अपनी मां को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मां की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मां की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल लिया मधु को लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मधु कुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही राजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया मधु समझ गई थी कि अब उसका बेटा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए राजू तुरंत अपनी मां की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से राजू पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मां की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में मधु को भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी राजू कभी अपनी मां की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने बेटे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने बेटे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

मधु अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका बेटा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों केतन को भी हो रही थी और मधु की चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को राजू अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही मधु अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने बेटे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने बेटे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(राजू अपनी मां से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को मधु भी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने बेटे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने बेटे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने बेटे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,

अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-बेटे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे मधु ने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई राजू कर रहा था राजू बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं मधु दो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

मधु और राजू दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी मधु तुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए राजू अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मां के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे मधु पूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए राजू अपनी मां की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मां को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब राजू की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मां अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी राजू अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड मधु की गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही राजू के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मां को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मां की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंडके सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से राजू का लंड भी अपनी मां की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते राजू ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मां की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु पूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे राजू के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मां की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से मधु की नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके बेटे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या राजू रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने बेटे की तरफ देखी तो राजू हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु एक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से मधु के तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, राजू भाई आराम से पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए

थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में राजू और उसकी मां दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही मधु नीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो राजू फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए राजू अपनी मां के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो राजू की मां बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने बेटे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए मधु बोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर मधुर अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो राजू बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मां तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था मधु गिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी राजू अपनी मां को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए मधु और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मां की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर राजू की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मां के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था राजू का लंड कभी उसकी मां की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से मधु के भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने बेटे का लैंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,, मधु इस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, राजू अपनी मां की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था मधु उसी तरह से अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने बेटे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी राजू अपनी मां की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया राजू पहली बार देख रहा था कि उसकी मां की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ राजू को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने बेटे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे राजू तुरंत अपनी मां की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने बेटे की ताकत से मधु मंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही राजू अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से राजू का लंड उसकी मां की बुर में समा गया राजू अपनी मां को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और

नीचे राजू पानी में भीगते हुए अपनी मां को चोद रहा था,,,, मधु अपने बेटे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने बेटे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद राजू अपनी मां को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे मधु पानी से अपनी पुर को साफ की और राजू अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने बेटे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके मधु अपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मां बन चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे के सामने शर्म महसूस हो रही थी राजू बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,।
 

Top