बैलगाड़ी

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बातचीत करने और हंसने वाली दिशा की ओर राजू चोर कदमों से आगे बढ़ने लगा,,, कमरे से आ रही आवाज कुछ ज्यादा साफ नहीं थी इसलिए राजू समझ नहीं पा रहा था की आवाज किसकी है इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, लेकिन जैसे-जैसे राजू उस कमरे की ओर आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे अंदर से आने वाली आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी औरत की आवाज से वह‌ समझ गया था कि वह आवाज सोनी की ही थी,,,,,, और वह बात करते हुए खिलखिला कर हंस रही थी,,,, और दूसरी आवाज कोई मर्दाना थी लेकिन वह ज्यादा बोल नहीं रहा था इसलिए राजू समझ नहीं पा रहा था कि आवाज किसकी है,,,।

लेकिन उस मर्दाना आवाज और सोनी की आवाज को सुनकर राजू के मन में शंका की सुई चुभने लगी उसे शंका होने लगा कि कहीं उसकी ही तरह सोनी ने आज भी तो नहीं किसी और मर्द को अपने कमरे में लेकर गई हो और उसके साथ चुदाई का सुख भोग रही हो,,,,, यह बात अपने मन में सोच कर ही राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा उसे ऐसा लग रहा था कि सोने की चुदाई करने वाला हुआ है एक ही मर्द हैं गांव में,,,, लेकिन आज उसका यह भ्रम टूटता हुआ नजर आ रहा था वह अपनी शंका को दूर करना चाहता था अपने मन में फैले भ्रम के जाल को तोड़कर बाहर निकलना चाहता था इसलिए राजू धीरे-धीरे उस कमरे की ओर आगे बढ़ रहा था और अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी ले रहा था कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है,,,, जैसे-जैसे राजू कमरे के करीब जा रहा था वैसे वैसे अंदर से आने वाली आवाज एकदम साफ होते जा रही थी,,, तभी उसके कानों ने जो सुना उसे सुनते ही उसे समझ में आ गया कि कमरे के अंदर सोनी जरूर रंगरेलियां मना रही है,,,।

ऊममम क्या करते हो जोर से मत दबाओ मुझे दर्द होता है,,,,
(इतना सुनते ही राजू हैरान हो गया और से समझते देर नहीं लगी कि कोई उसके नाजुक अंगों को दबा रहा है इस बात के हिसाब से उसके पजामे में हलचल भी होने लगी,,, सोने की इस तरह की बातें सुनकर राजू के तन बदन में दुविधा भरी प्रक्रिया हो रही थी एक तो वह हैरान भी था और दूसरी तरफ उसे उत्तेजना भी महसूस हो रही थी,,,,)

आहहहहर धीरे से यह कोई खजूर का दाना नहीं है जिसे मसलकर रस निकालना चाहते हैं,,,,


मेरे लिए तो यह किसमिस का दाना है मेरी जान,,,,

(सोने की आवाज राजू को एकदम साफ सुनाई दे रही थी लेकिन मर्दाना आवाज लड़खड़ा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह शराब के नशे में हो,,, लेकिन उन दोनों की बातचीत इसे राजू समझ गया था कि अंदर जो कोई भी है वह सोनी की चूची से खेल रहा है राजू अपने मन में ही सोचने लगा क्या सोनी अंदर बिना कपड़ों के है,,,, क्या वह कमरे में एकदम नंगी है या वह मर्द धीरे-धीरे उसके कपड़े उतार रहा है,,,,,, इस बात को सोचकर राजू के भी तन बदन में आग लग रही थी वह गुस्सा भी हो रहा था और अंदर की तीली से को देखना भी चाहता था,,,, गांव की अगर कोई औरत होती तो शायद वह इतनी दिलचस्पी बिल्कुल भी नहीं लेता,,, लेकिन अंदर कमरे में कोई सामान्य औरत नहीं बल्कि हवेली में रहने वाली एक राजकुमारी थी जिसके साथ राजू संभोग सुख प्राप्त करता था और उसे लगता था कि सोनी सिर्फ उसकी ही है लेकिन आज उसका यह भ्रम टूटता हुआ नजर आ रहा था और वह यही देखना चाहता था कि आखिरकार बिस्तर पर सोने के साथ उसकी जगह दूसरा कौन ले रहा है,,,,, तभी उसके कानों में मर्दाना आवाज सुनाई दे,,,)

मेरी जान मेरा तो पूरा खड़ा हो गया है क्या तुम तैयार हो अंदर लेने के लिए,,,,

अभी नहीं मेरे राजा थोड़ी देर मुझे प्यार करके गरम तो करो,,,,

तू बहुत देर में गर्म होती है,,,


तो क्या हुआ मजा भी तो ज्यादा देती हूं,,,,

हां मेरी रानी यह तो है,,,, तु मुझे मजा बहुत देती है,,,।

इस तरह की बातों को सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा अब उसकी उत्सुकता और ज्यादा पढ़ने लगेगी बिस्तर पर सोने के साथ दूसरा मर्द कौन है इसलिए देखते ही देखते वह धीरे-धीरे कमरे के दरवाजे तक पहुंच गया लेकिन अंदर देखने का जुगाड़ उसे मिल नहीं रहा था इसलिए थोड़ा और आगे जाकर वह खिड़की के करीब जाकर खड़ा हो गया और उसकी किस्मत इतनी अच्छी थी कि खिड़की अंदर से खुली हुई थी बस हल्का सा उसे धक्का देकर खोलना था क्योंकि अंदर की रोशनी उसे साफ नजर आ रही थी,,,, कमरे में ज्यादा रोशनी थी इस बात का अंदाजा राजू ने लगा लिया था कमरे में,,, जगह जगह पर लालटेन लगी हुई थी जिसकी वजह से कमरे में बेतहाशा रोशनी थी इस बात से राजू और ज्यादा खुश हो गया कि वह दोनों को साफ तौर पर देख लेगा,,,,।

राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानता था कि हल्का सा खिड़की खोलने पर उसे सब कुछ नजर आ जाएगा लेकिन उसे इस बात का डर था कि कोई उसे देख लेगा तो क्या होगा लेकिन इस बात की उत्सुकता भी थी कि अंदर कमरे में सोने के साथ आखिरकार है कौन जो की पूरी तरह से नशे में है और यही देखने के लिए वह हिम्मत जुटाकर,,, हाथ आगे बढ़ाकर धीरे से खिड़की को हल्के से धक्का देकर केवल थोड़ा सा खोल दिया और खिड़की के थोड़े से ही

खुलते ही राजू की आंखें चौंधिया गई,,,, जिस तरह का कमरे का नजारा अपनी आंखों से देख रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,,, पहली बार ऐसा हो रहा था कि राजू किसी दृश्य को देखकर आश्चर्य चकित हुआ था,,,, आश्चर्यचकित होता भी कैसे नहीं आखिरकार कमरे का दृश्य ही कुछ ऐसा अनसुलझा हुआ था,,,,।

राज को अपनी आंखों से साफ देख रहा था कि कमरे के बिस्तर पर सोनी पूरी तरह से नंगी थी,,,, और वह एक मर्दाना चौड़ी छाती को अपनी उंगलियों से सहला रही थी और वह मर्दाना चौड़ी छाती किसी गैर मर्द की नहीं बल्कि सोनी के बड़े भाई मतलब की लाला की थी राजू को तो अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए बार-बार वह अपनी आंखों को मलकर अंदर के दृश्य को देख रहा था,,,, लाला बिस्तर पर पूरी तरह से नंगा पीठ के बल लेटा हुआ था और बिस्तर के किनारे तकिया रखकर अपने सर को आराम से रखकर अपनी बहन की नंगी जवानी से खेल रहा था सोनी अपनी भाई की चौड़ी छाती पर उंगलियां घुमा रही थी तो लाला अपनी बहन की चूची को हाथ में लेकर दबा रहा था जिससे सोनी रह-रहकर दर्द से कराह उठती थी,,, राजू का समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी आंखों से यह क्या देख रहा है एक भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता यह कैसे संभव है,,,,।

कमरे के अंदर के दृश्य को देखकर और बिस्तर पर एक मर्द और औरत के नंगे बदन को देख कर हैरान वह नहीं था बल्कि इस बात से हैरान था कि कमरे के अंदर बिस्तर पर जो मर्द और औरत है वह दोनों के बीच भाई बहन का रिश्ता था इसलिए राजू की आंखें फटी जा रही थी,,,, राजू साफ तौर पर देख पा रहा था कि सोनी एकदम बेशर्म होकर अपने भाई की आंखों के सामने एकदम नंगी उसके बदन पर अपनी उंगलियां घुमा रही थी और अपने भाई के हाथ में अपनी चूची थमा कर उसे खेलने की इजाजत भी दे दी थी,,,, लाला अपनी बहन की गदराई जवानी से पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था एक तो शराब का नशा और ऊपर से सोने के मदमस्त नंगे बदन का अद्भुत नशा दोनों लाला पर अपना असर जमाए हुए थे,,,।

बहुत दिन हो गए हैं सोनी तुम्हारा दूध पिए तुम अब मुझे दूध नहीं पिलाती किसी और को तो नहीं पिला रही हो,,,


नहीं भैया यह कैसी बातें कर रहे हो तुम्हारे सिवा मेरी चूचियों पर किसी और का हक कैसे हो सकता है,,,


हाय मेरी बहना तेरी यही बातें तो मुझे पागल कर देती है ना अपनी चूचियां मेरे मुंह में डाल दे मेरी प्यास बुझा दे मेरी जान,,,,।
(भाई-बहन की गरमा गरम बातें सुनकर राजू पूरी तरह से हैरान था और उन दोनों की बातें उसे भी गर्म कर रही थी एक भाई अपनी बहन से इस तरह से कैसे बातें कर सकता है और बहन भी बेशर्म होकर अपने भाई का साथ दे रही थी आखिर सोनी की ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई थी कि वह अपने भाई के साथ ही शारीरिक संबंध बना रही हैं,,,,,, क्या सच में सोनी की जवानी हमेशा पानी मांगती है,,, क्या वह एकदम प्यासी औरत है,,, जो किसी भी मर्द के साथ सोने के लिए तैयार हो जाती है यहां तक कि अपने भाई के साथ भी,,,,,, एक भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता आखिरकार कैसे,,,, राजू की आंखों के सामने ही सोनी अपने भाई की बात मानते हुए अपनी दोनों चुचियों को हाथ में लेकर अपने भाई के सीने पर बैठ गई और नीचे की तरफ झुक कर अपनी एक चूची को दशहरी आम की तरह अपने भाई के मुंह में डाल दी ताकि वह उसका रस चूस सके,, और ऐसा ही हुआ जैसे छोटा बच्चा दूध पीने के लिए अपने मुंह को इधर-उधर मारता है उसी तरह से,,, लाला भी अपनी बहन की चूची को मुंह में लेने के लिए अपना मुंह इधर-उधर कर रहा था,,, और उसकी बहन ही उसकी उत्सुकता को खत्म करते हुए खुद ही अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दी और लाला भी अपनी बहन की चूची को बड़े चाव से दशहरी आम समझ कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,, राजू अपनी आंखों से यह सब देखकर एकदम हैरान था कि भाई बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसा तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि यही रिश्ता तो उसका और उसकी बहन का भी था यही रिश्ता तो उसका और उसकी बुआ का भी था,,, वह कैसे भूल गया कि वो खुद शुरुआत रिश्तो के बीच अपने बुआ से ही किया था और अपनी बड़ी दीदी की भी जमकर चमकर कर चुका था यहां तक कि उसे गर्भवती करने का भी जिम्मा उठा लिया था और उसमें लगभग लगभग सफल भी हो चुका था,,,, इस बात का ख्याल राजू के मन में आते ही उसे अपनी आंखों के सामने के दृश्य पर हैरानी बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन इस बात से हैरान वह अभी भी था कि उसका रिश्ता जो उसकी बुआ और उसकी बहन के साथ था क्या इस तरह का रिश्ता दूसरे के घरों में भी होता है लाला और सोनी को देखकर वह समझ गया था कि इस तरह के रिश्ता लगभग लगभग हर एक घर में होता है बस बात बाहर नहीं आती,,,, इस तरह से 2 लोग अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं जैसे वह अपनी बुआ और अपनी बहन के साथ कर चुका था और श्याम अपनी मां के साथ धीरे-धीरे उसके जेहन में एक

एक दृश्य के साथ-साथ उन लोगों का चेहरा भी नजर आने लगा जो कि परिवार में इस तरह के संबंध रखते हैं श्याम श्याम की मां वह खुद उसकी बुआ और उसकी बहन और अब लाला और उसकी छोटी बहन,,,,,,,।

लाला और सोनी के बीच के रिश्तो को देखकर जिस तरह का ख्याल राजू के मन में आ रहा था अब वह पूरी तरह से निश्चित हो चुका था शायद कमरे के अंदर के मादकता भरी दृश्य को देखकर वह खुद पर नजर डालना भूल गया था इसलिए उसे कमरे के अंदर का रिश्ता कुछ अजीब लग रहा था,,,, लेकिन अब उसे हैरानी नहीं हो रही थी बल्कि अब वह उस दृश्य का मजा ले भी रहा था और कुछ सोच भी रहा था उसके जेहन में बहुत सारे बातें चल रही थी जिस पर उसे अमल करने का मन हो रहा था,,,,।

राजू साफ तौर पर देख रहा था कि ढेर सारी लालटेन की रोशनी में पूरा कमरा जगमग आ रहा था और कमरे के बीच में पड़े से पलंग पर दोनों भाई बहन नंगे होकर मजा ले रहे थे लाला अपनी बहन की सूचियों को कस कस कर दबा रहा था और उसे मुंह में लेकर पी रहा था,,, यह देख कर राजू के तन बदन में भी झुर्झुरी से फैलने लगी थी क्योंकि वह सोने की गदर आई जवानी से अच्छी तरह से वाकिफ था उसके बदन के हर एक कौने पर वह अपनी जीप लगाकर उसके नमकीन स्वाद को चख चुका था इसलिए राजू का भी मन कर रहा था किसी समय वह भी कमरे में घुस जाए और सोनी की चुदाई कर दे,,,,,।

लाला बेतहाशा,, अपनी बहन की नंगी कमर को अपने दोनों हथेली में दबाकर उसकी चुचियों का रसपान कर रहा था सोनी अपने भाई के बदन पर लेटी हुई थी,,, लाला कभी कमर को दबाता तो कभी अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की गोल-गोल गांड पर रखकर दबाना शुरू कर देता,,, ऐसा करने से लाला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,, सोनी को भी मजा आ रहा था क्योंकि राजू को सोने की गरमा गरम सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी,,,।

ओहहहह सोनी अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मेरे लंड पर चढ़ जाओ,,,,,

भैया मेरे पहले मेरी बुर तो चाटों,,,,,,, तभी तो तुमको ज्यादा मजा दूंगी,,,,


आजा मेरी बहना अपनी बुर मेरे मुंह पर रख दे,,,,

(इतना सुनते ही सोनिक अपने घुटनों के बल खड़ी हुई और घुटनों के बल आगे बढ़ते हुए अपने भाई के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ती हो उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी बुर से सटा दी,,,, यह देख कर राजू का लंड पूरी तरह से टनटना गया,,,, पल भर में ही सोनी के साथ गुजारे गए हर एक पल को वग याद करने लगा,,, उसे ज्यादा रहा था कि सोनी कैसे उसे गांव की औरतों से कहीं ज्यादा और अद्भुत प्रकार का आनंद देती थी,,,, अंदर के दृश्य को देखकर राजू अपने मन में यह कल्पना कर रहा था कि काश उस बिस्तर पर वह होता तो कितना मजा आता जो कि वह कुछ दिन पहले ही सोने के कमरे में सोने के साथ संभोग सुख प्राप्त कर चुका था,,,,, लेकिन फिर भी उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी सोनी गरमा गरम सिसकारी के साथ अपने भाई को अपनी बुर चटा रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी सोनी अब पूरी तैयारी कर चुकी थी अपने भाई के लंड की सवारी करने के लिए,,,।

उन दोनों को इस बात का आभास तक नहीं था कि खिड़की पर खड़ा होकर राजू उन दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख रहा है,,,, अपनी मस्ती में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे सोनी अपनी गोरी गोरी मोटी मोटी जांघों को फैलाते हुए अपने भाई की कमर के इर्द-गिर्द घुटना रखती और नीचे हाथ ले जाकर अपने भाई के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर का रास्ता दिखाने लगी,,, देखते ही देखते सोनी धीरे-धीरे करके अपने भाई के लंड पर पूरी तरह से विराजमान हो गई,,,, और आगे की तरफ को छोड़कर अपने भाई के ऊपर अपनी दशहरी आम को झुलाते हुए उसे पकड़ने का इशारा करने लगी,,,, लाला भी फुर्ती दिखाता हुआ अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चूची को पकड़ लिया और जोर-जोर से दबाते हुए मजा लेने लगा सोनी अपनी कमर को ऊपर उठाने और बैठाने लगी ऐसा करने से लाला को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी और बाहर खड़े राजू के तन बदन में आग लग रही थी उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था वह कुछ देर तक खड़ा होकर इंतजार कर रहा था दोनों अपनी मस्ती में पूरी तरह से चूर हो चुके थे और राजू खिड़की से हटकर दरवाजे की तरफ जा कर खड़ा हो गया उसे खोलने की कोशिश करने लगा,,,, दरवाजा हल्का सा ही बंद था पर उस पर कड़ी लगी हुई थी जो कि जोर से हिलाने पर खुल सकती थी इस बात का अंदाजा लगते ही राजू जोर से दरवाजे पर लात मारा और दरवाजा भड़ाक की आवाज के साथ खुल गया,,,, और राजू दरवाजे पर अपनी कमर पर हाथ रखकर खड़े होकर बिस्तर पर भाई-बहन की कामलीला को अपनी आंखों से देखने लगा दरवाजे के इस तरह से खुलते ही सोनी और लाला दोनों एकदम से घबरा गए और दरवाजे की तरफ देख कर उन दोनों के तो होश उड़ गए,,,।
 
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राजू के लात के जबर्दस्त प्रहार में दरवाजा खुल चुका था,,, और दरवाजा के खुलते लाला और सोनी दोनों के होश उड़ गए दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई दरवाजे पर राजू को खड़ा देखकर,,,, लाला को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसका पूरा समूचा लंड उसकी बहन की बुर की गहराई नाप रहा था,,,, सोनी की भी हालत काटो तो खून नहीं,,,, वह भी पूरी तरह से नंगी थी उसकी बुर में उसके भाई का लंड घुसा हुआ था कुछ भी छुपाने लायक नहीं बचा था सब कुछ राजू की आंखों के सामने था राजू दरवाजे पर उन दोनों को खड़ा होकर देख रहा था,,,,।
यह वह पल था जब दोनों चरमसुख के बेहद करीब थे किसी भी वक्त लाला के लंड से पानी का फव्वारा छूट पड़ने को तैयार था,,,,,,,, इन मौके पर सारा मजा किरकिरा हो गया था उससे भी दुविधा जनक यह बात की कि आज उन दोनों का भांडा राजू की आंखों के सामने फूट चुका था,,,m लाला को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, आज वह अपनी बहन के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया था,,,,,, दोनों भाई बहन राजू की आंखों के सामने बेहद शर्म जनक की स्थिति में आ चुके थे अपने ऊपर चादर डाल लेने पर भी उन दोनों की गलती उन दोनों की कामलीला छूटने वाली नहीं थी इसलिए लाला अपने लंड को अपनी बहन की बुर से बाहर निकालना ही उचित समझा,,,,,।

लेकिन जैसे ही लाला अपनी बहन की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद से अपने मोटे लंड को बाहर निकाला वैसे ही चर्मसुख के बेहद करीब पहुंच चुका लाला एक बार फिर से अपनी बहन की बुर की रगड़ को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसी समय निकालने के साथ ही उसके लंड से गरम लावा फूट पड़ा,,,, लाला के लंड से पानी निकलता देख कर राजू मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ा और बोला,,,।

वाह लाला निकल गया पानी,,,, तभी मैं सोचूं कि लाला अपनी गर्मी कैसे शांत करता है,,, आज जाकर पता चला की लाला की बहन अपने बड़े भाई की जवानी की गर्मी को शांत कर रही है,,,(राजू लाला की बहन सोनी की तरफ देखते हुए बोला तो सोनी शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, लाला की जगह आकर बिस्तर में कोई और मर्द होता तो शायद सोनी राजू से बिल्कुल भी शर्म नहीं करती लेकिन लाला उसका बड़ा भाई था और राजू ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया था इसी लिए सोनी शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी अपने बचाव में कहने के लिए उसके पास बिल्कुल भी शब्द नहीं थे,,,, लाला गांव का जमीदार होने के नाते गांव के एक लड़के के द्वारा इस तरह की बात करने पर वह सहन नहीं कर पाया और जोर से गुरा्ते हुए बोला,,,,।)


हरामजादे तेरी हिम्मत कैसे हुई इस तरह की बात करने की,,,,(बिस्तर पर पड़ी अपनी धोती को हाथ में लेकर उसे अपनी कमर पर लपेट ते हुए बोला तो जवाब में राजू भी चिल्लाते हुए बोला)

चिल्लाओ मत लाला चिल्लाने का समय तुम्हारा नहीं बल्कि अब मेरा है,,,, मैं नहीं जानता था कि इस बड़ी हवेली में चारदीवारी के अंदर इस तरह का कुकर्म हो रहा होगा लाला अपनी बहन के साथ मजे ले रहा है,,,, तुम्हें शर्म नहीं आई लाला अपनी ही छोटी बहन की चुदाई करते हुए,,,,


बदतमीज,,,, हरामजादे,,,,


लाला गाली मुझे भी आती है मुझे मजबूर मत कर कि मैं गाली देकर बात करो और मुझे किसी से कमजोर मत समझना,,,,, मैं सारी हेकड़ी पिछवाड़े डाल दूंगा,,,,।
(लाला हैरान था गांव का एक मामूली सा लड़का उसे धमकी दे रहा था आज तक लाला के सामने नजर उठाकर देखने की किसी की हिम्मत नहीं हुई थी और आज यह लड़का उस से आंख मिलाकर बातें कर रहा था,,,,)

तो लगता है भूल गया कि तू किससे बात कर रहा है,,,


मुझे अच्छी तरह से याद है मैं कि गांव के जमीदार लाला से बात कर रहा हूं साहूकार से बात कर रहा हूं गांव की इज्जत दार इंसान से बात कर रहा हूं,,, यह सब तो उसके लिए है जो तेरी पाप लीला को नहीं जानता लेकिन मेरे लिए तू अब वही एक मामूली सा इंसान है जो अपनी सारी गर्मी को औरत की दोनों टांगों के बीच पिघला देता है,,,,, तू मेरी नजर में गांव का जमीदार लाला नहीं बल्कि एकदम निकम्मा इंसान है जो अपनी पारिवारिक रिश्तो की भी कदर नहीं करता,,,,।


हरामजादे तेरी यह मजाल,,,(इतना कहने के साथ ही लाला पास में पड़ी अपनी छड़ी को उठा लिया और यह देखकर,, राजू कोने में पड़ी कुल्हाड़ी को अपने हाथ में ले लिया और बोला,,,)

खबरदार लाला अगर मुझ पर हाथ उठाने की जरूरत की तो एक ही बार में सर धड़ से अलग हो जाएगा,,, और मुझे कुल्हाड़ी चलाते बिल्कुल भी देर नहीं लगेगी,,,।

(राजू का हौसला और उसकी ताकत को देखकर लाला के पसीने छूट गई और वह वही खड़ा का खड़ा रह गया सोनी यह देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई थी कि राजू उसके बड़े भाई के सामने कुल्हाड़ी उठा लिया था,,,, उसे डर इस बात का था कि कहीं दोनों के बीच हाथापाई ना हो जाए इसलिए अपने बदन को बिस्तर पर पड़ी चादर से ढंकते हुए बोली,,,)


यह क्या कर रहा है राजू तुझे कुछ समझ में आ रहा है कि तू किस के सामने कुल्हाड़ी उठाया है,,,,

मैं अच्छी तरह से जानता हूं छोटी मालकिन मैंने किस के सामने कुल्हाड़ी उठाया हूं,,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था लेकिन मेरी आंखों ने जो देखा है मुझे विश्वास नहीं हो रहा है अगर तुम्हारी जगह बिस्तर पर कोई और औरत होती तो शायद मुझे इतना गुस्सा नहीं आता,,, लेकिन मैं आज एक बड़े भाई को अपनी छोटी बहन की जवानी लूटते हुए देख रहा हूं उसे जरा भी इस बात का अहसास तक नहीं है कि जिसकी वह चुदाई कर रहा है वह उसकी बहन है,,,,,,,,।


राजू अपनी जबान को लगाम दे,,, तू और तेरा परिवार मेरे रहमों करम पर जी रहे हैं पता है ना तेरा बाप मुझसे पैसे उधार लेता है,,, यह बैलगाड़ी जो तू चलाता है ना उसके लिए मैंने ही पैसे दिया हूं मैं चाहूं तो बैलगाड़ी पर कब्जा जमा सकता हूं तुम लोग भूखे मरोगे,,,,,,


लाला शायद तुझे भूल गया कि तू इस गांव का लाला है लेकिन पूरी दुनिया का लाला ऊपर बैठा हुआ है,,, जिलाना और खिलाना तो सब कुछ उसके हाथ में है मैं और तू तो सिर्फ जरिया है,,,, तू शायद अभी भी इस गलतफहमी में है कि तेरे हाथ में ही सब कुछ है,,,, अब बाजी पूरी तरह से पलट चुकी है,,,, सब कुछ मेरे हाथ में आ चुका है,,,,, लाला तुम यह बात अच्छी तरह से जानते हो कि गांव वाले तुम्हारी कितनी इज्जत करते हैं तुम्हें सम्मान की नजर से देखते हैं लेकिन जब यही बात गांव वालों को पता चलेगी की लाला जो गांव वालों के सामने अच्छा इंसान बना रहता है वह हवेली की चारदीवारी के अंदर क्या गुल खिला रहा है तो क्या होगा,,,,, लाला जरा सोचो मैंने अगर यह बात गांव वालों को बता दिया कि लाला अपनी ही छोटी बहन की रोज चुदाई करता है उसके साथ मजे करता है और इसीलिए उसे अपने घर पर रखा है तो क्या होगा तुम जहां जाओगे वहां सब लोग थूथू करेंगे कोई तुम्हें अपने द्वार पर बैठने नही देगा,,,,,

(राजू की बातें और उसे बता देने के बाद की संभावनाओं को देखते हुए सोनी के चेहरे पर चिंता की रेखाएं खींच रही थी वह घबरा रही थी और यही घबराहट लाला के भी चेहरे पर थी लाला अच्छी तरह से जानता था कि अगर राजू गांव वालों को बता देगा तब उसकी इज्जत एक कौड़ी की नहीं रह जाएगी,,,, पूरी खबर उड़ते उड़ते अगर उसके जमीदारी महकमे में उसके दोस्तों में उसके रिश्तेदारों में पहुंच गई तब तो वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा,,,, घबराहट उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी राजू के सामने कुछ भी कर सकने की स्थिति में हो बिल्कुल भी नहीं था राजू पूरी तरह से उसे अपने काबू में ले रखा था और हौसला दिखाते हुए हाथ में कुल्हाड़ी भी उठा लिया था जो कि यह दर्शाता था कि लाला का वह पूरी तरह से सामना करने के लिए तैयार है,,,,, अगर राजू चेहरा भी डर दिखा था या घबरा जाता तो लाला उस पर हावी हो जाता लेकिन राजू ऐसा होने नहीं दिया वह पहले से ही लाला पर अपनी पकड़ बनाए रखा आखिरकार बहुत ही गहरा मुद्दा जो मिल गया था उसे अपनी पकड़ में लेने का,,,,, राजू दूसरी तरफ लाला को और ज्यादा डरा रहा था)

लाला तुम्हारा यह कुकर्म गांव वालों के सामने में खोल दूंगा,,, तब देखना गांव वाले तुम्हारे साथ कैसा सुलुक करते हैं अगर बिस्तर पर तुम्हारी बहन की जगह कोई और औरत होती तो शायद इस बात का किसी पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन तुम्हारी किस्मत खराब थी कि बिस्तर पर किसी गैर औरत की जगह तुम्हारी खुद की छोटी बहन थी जो कि अपना घर छोड़कर तुम्हारे घर पर रहती है तुम्हारी शरण में आसरा ली हुई है और तुमने अपनी ही बहन के साथ आसरा देने के बदले में यह कीमत ले रहे हो रोज तुम्हारी बहन घर में रहने की कीमत अपनी इज्जत को तुम पर लुटा कर दे रही है,,,,, जरा तुम सोचो जब यह देखकर मेरा इतना खून खोल रहा है तब गांव वालों का क्या हाल होगा अगर मेरे द्वारा देखी गई एक एक चीज का वर्णन में गांव वालों के सामने कर दूं तो कि कैसे लाला अपने हाथों से अपनी बहन की साड़ी उतार कर उसे नंगा करने की शुरुआत करता है कैसे अपने हाथों से उसके ब्लाउज के एक बटन खोल कर उसकी चूचियों को ब्लाउज के खेत से आजाद करता है और कैसे एक बच्चे की तरह अपनी ही बहन की चूची को मुंह में लेकर मजे ले कर पीता है और तो और इस बात से गांव वालों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा कि लाला अपनी बहन की जवानी लूटने के लिए खुद अपने हाथों से उसके पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे पलभर में ही निर्वस्त्र कर दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर जीभ लगाकर चाटना शुरू कर दिया,,,, और तो और भले ही तुम्हारी बहन अपने ही मन से,,, तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने ही थी लेकिन मैं तो गांव वालों को यही कहूंगा कि छोटी मालकिन का बड़ा भाई मतलब कि तुम जबरदस्ती अपने लंड को अपनी बहन के मुंह में दे रहा था और उसके बाद जबरदस्ती करते हुए अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर अपने लंड को अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया और उसकी बहन छोड़ने के लिए बोलती रह गई लेकिन वह नहीं माना ,,,

ऐसा वह रोज करता है,,,,। तुम ही सोचो ना ना अगर यह बात में गांव वालों को इस तरह से नमक मिर्च लगाकर बताऊंगा तो गांव वाले गुस्से में हल कर तुम्हारी हवेली को ही आग लगा देंगे,,,,।


यह क्या कह रहे हो राजू,,,,,(सोनी एकदम रुंवासी होते हुए बोली,,)

तुम कुछ मत बोलो छोटी मालकिन तुम्हारी स्थिति को मैं समझ सकता हूं,,,,, अब बताओ लाला,,,,(राजू अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाते हुए बड़े आराम से खड़ा होकर बोला लेकिन इस तरह की बातें करने में और सोनी को एक बार फिर से डरना अवस्था में देखने पर उसके पर जाने में तंबू सा बन गया था जिस पर लाला की नजर जा रही थी,,,, लारा की नजर को देखकर राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

तुम इसकी,,(अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए) चिंता मत करो मैं तुम्हारी बहन के साथ कुछ नहीं करने वाला,,,(राजू की यह बात सुनकर लाला दांत पीसकर रह गया) लेकिन यह हाल (एक बार फिर से अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए) तुम्हारी बहन को नंगी देखने के बाद ही हुआ है तुम्हारी बहन इतनी खूबसूरत है कि कोई भी मर्द बैग जाएगा भले ही तुम उसके भाई क्यों ना हो एक ही छत के नीचे रहने पर जैसा तुम्हारे साथ हुआ है वैसा तो होना ही था तुम्हारी बहन स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती है खूबसूरती में तुम्हारी बहन की मिसाल दूर-दूर तक गांव में कोई भी नहीं ऐसा है जो पूर्ति कर सके,,,,(इतना कहते हुए राजू बिस्तर की तरफ सोनी की ओर बढ़ने लगा लाना फटी आंखों से उसे देख रहा था उसके हाथों में अभी भी कुल्हाड़ी थी और सोनी के पास पहुंच कर उसके बदन से चादर को पकड़ कर खींच कर बिस्तर के नीचे फेंकते हुए ) तुम्हारी बहन का नंगा बदन,,,(उसकी खूबसूरत नंगी चिकनी बांह पर अपनी उंगली फिराते हुए,,,) तुम्हारी खूबसूरत बहन की बड़ी बड़ी खूबसूरत चुचियां,,,(जोर से सोनी की एक चूची को हथेली में पकड़कर दबाते हुए जिससे सोनी के मुंह से आह निकल गई,,, यह देख कर लाला गुस्से में अपना कदम आगे बढ़ाने वाला ही था कि राजू उसकी तरफ देखे बिना ही अपने हाथ की कुल्हाड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर उसे वहीं खड़े रहने का इशारा किया,,,, और लाला वहीं रुक गया,,, राजू बिना डरे बिना था मैं आगे बढ़ता रहा और फिर उसके लाल-लाल होठों को अपनी अंगुली और अंगूठे का सहारा लेकर पकड़कर उसे गोल छल्ला बनाते हुए,,,
तुम्हारी बहन के लाल लाल होंठ ऐसा लगता है कि जैसे कुदरत ने गुलाब के रस को निचोड़ कर तुम्हारी बहन के होठों में डाल दिया हो,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू एक झटके में उसे धक्का देकर बिस्तर पर चित लेटा दिया जिससे उसकी बुर एकदम से नजर आने लगी उस पर नजर पड़ते हैं राजू मुस्कुराता हुआ लाला की तरफ देखा,,,, लाला को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन उसके हाथ में कुल्हाड़ी थी इसलिए लाला कुछ कर नहीं पा रहा था और राजू एक पैर को मोड़कर बिस्तर पर रखते हुए थोड़ा सा झुकते हुए अपनी हथेली को लाला की बहन की बुर पर रखकर उसे हल्के से मसलते हुए बोला,,,) सहहहरह,,,, तुम्हारी बहन की बुर लाजवाब है लाला,,, भला ऐसा कौन सा मर्द होगा जो तुम्हारी बहन की बुर देखकर उस में अपना लंड डालने के लिए तड़प नहीं उठेगा,,,,(राजू की यह बातें लाला के दिल पर छुरियां चला रहे थे आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई थी लाला की तरफ आंख उठाकर देखने की लेकिन राजू ताकि बाहर बाहर लाला की बेज्जती पर बेज्जती किया जा रहा था,,,,, सोनी की बुर पर राजू जब अपना हाथ रखा था तब गुस्से से लाला तिलमिला उठा था,,,, और वह जोर से चिल्लाया भी था,,,।

हरामजादे,,,,


चुप कर लाला,,,(एक बार फिर से कुल्हाड़ी को हवा में लहराते हुए लाला को वही खड़े रहने का इशारा किया) अभी तेरी बहन की खूबसूरती का वर्णन पूरी तरह से नहीं हुआ है,,,(और इतना कहने के साथ ही पल भर में ही सोनी को पलट कर उसे पेट के बल लिटा दिया जिससे उसकी ऊभरी हुई मदमस्त कर देने वाली गांड पूरे वातावरण में अपनी आभा बिखेर ने लगी,,,,, सोनी की गोरी गोरी गांड की तरफ देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसका मन कर रहा था कि लाला की आंखों के सामने ही उसकी बहन की चुदाई करते लेकिन ऐसा करना वह इस समय ना जाने क्यों ठीक नहीं समझ रहा था वैसे भी सोनी उसकी हाथों से कहां दूर थी,, सोनी तो खुद उसके लंड की दीवानी थी,,,, जिसे जब चाहे तब वह कभी भी चोद सकता था और अब तो लाला का गला उसके हाथ आ गया था अब तो उसकी आंखों के सामने भी वह उसकी बहन की चुदाई कर सकता था लेकिन इस समय वह उचित नहीं समझ रहा था फिर भी सोने की मदमस्त कर देने वाली गोरी गोरी गांड देखकर उस‌से रहा नहीं,,गया,,, और वह दाएं हाथ की चपत सोनी की गांड की दोनों आंखों पर दो दो चपत लगा दिया,,,, यह देख कर लाला की आंखों में खून उतर आया और सोनी के गोरी गोरी गांड लाल हो गई,,,, राजू की हरकत सोनी को बहुत ही अच्छी लग रही थी वह राजू की हरकत से उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, सोनी राजू के मर्दानगी को तो देख ही चुकी थी आज उसके जिगर को

देखकर वह पूरी तरह से राजू के आगे बावली हो गई थी,,,, सोनी मन ही मन राजू के हिम्मत की दाद दे रही थी कि वह उसके बड़े भैया के सामने निडर होकर इस तरह की हरकत कर रहा था और उसका भाई गांव का जमीदार होने के बावजूद भी एक दम लाचार खड़ा था,,,,, राजू सोनी की गांड पर और दो चार चपत लगाते हुए बोला,,,)

हाय मेरी छोटी मालकिन तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी पानी निकल जाए,,,,,,(सोनी की गांड को हथेली में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए लाला की तरफ देखकर) इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है लाला तुम्हारी बहन की खूबसूरती ही सबसे बड़ी गलती है तुम्हारी बहन इतनी खूबसूरत है कि किसी भी मर्द का मन डोल जाए ईमान डोल जाए रिश्ते नाते की परवाह कौन करे जब ऐसी खूबसूरत औरत पास में हो,,,, मेरा खुद का लंड खड़ा हो गया है लाला,,,,,,,,, देखना चाहोगे,,,,, छोड़ो जाने दो अगर मेरा देख लोगे तो खुद की नजरों में गिर जाओगे,,,।
(राजू के मुंह से इस तरह की मर्दानगी वाली बात लाला से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रही थी वह अपने मन में सोच रहा था कि कल का लौंडा उसे इस कदर बेइज्जत कर रहा है जिसमें अभी तक औरत के नंगे बदन को ठीक तरह से देखा भी नहीं है,,,,, इसलिए मर्दानगी वाली बात इसे लाला को अपना अपमान सहन नहीं हुआ और वह बोला)


कल का लौंडा मेरे सामने मर्दानगी की बात करता है अभी तेरे दूध के दांत गिरे भी नहीं होंगे और तू मुझे बिस्तर पर औरत की प्यास बुझाने का दावा करता है,,,।

लाला स्कल के लौंडे का लंड देख लेगा‌ ना तो औरत के सामने जो इतनी मर्दानगी दिखाता है ना सब भूल जाएगा और हां अगर तेरी बहन ने मेरे लंड को देख लेना तो तेरे से ज्यादा वह मेरे लंड पर कुदेगी,,,,, देखना चाहता है रुक तुझे दिखाई देता हूं,,,,(इस तरह की बातें और सोने की नंगे बदन को बार-बार छूने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,,, वह चित्र से जानता था कि लाला उसके लंड को देखकर भौचक्का रह जाएगा और वह एक हाथ में कुल्हाड़ी लिए दूसरे हाथ से अपने पहचाना को पकड़कर एक झटके से नीचे कर दिया और उसके लंड हवा में लहराने लगा,,,, लाला उसके लंड को देखना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी उसकी नजर उसके ऊपर चली गई और उस पर नजर पड़ते ही उसके होश उड़ गए वह अपनी नजरों में ही शर्मिंदगी महसूस करने लगा क्योंकि वह साफ तौर पर देख रहा था कि जितना मोटा लंबा उसका लंड है उससे उसका आधा भी नहीं था,,,, और राजू बानो की जैसे लाला को और ज्यादा बेज्जत कर रहा हो इस तरह से अपने लंड को पकड़कर हिलाते हुए बोला ,,,,।


क्यों लाला कैसा है,,,, तुम भी देखो छोटी मालकिन,,,,
(सोनी की तरफ घूमकर अपने लंड को दिखाते हुए बोला सोनी राजू के लंड और उसकी मर्दानगी से अच्छी तरह से वाकिफ थी इसलिए वह राजू के सामने अपने भाई को और ज्यादा जलील होने देना नहीं चाहती थी इसलिए वह राजू की तरफ ना देख कर दूसरी तरफ नजर घुमा ली थी राजू भी इस बात को अच्छी तरह से समझता था लेकिन उसके लंड को देखकर लाला के चेहरे पर जिस तरह की हवाइयां उड़ रही थी उसे राजू साफ तौर पर देख पा रहा था,,,,, और थोड़ी ही देर में राजू पजामें को ऊपर कर लिया,,,,)

तू चाहता क्या है,,,?


चाहने को तो मैं बहुत कुछ चाहता हूं लाला मैं चाहूं तो इसी से मैं तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारी बहन को चोद सकता हूं,,,, लेकिन मैं ऐसा करूंगा नहीं,,,, मैं चाहता हूं कि आज तक का जितना भी कर्जा मेरे पिताजी ने लिया है वह सब कुछ माफ कर दो,,,,
(राजू की बात सुनकर लाला कुछ देर तक सोचने लगा तो राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

ज्यादा सोचो मत लाना धन से इज्जत कहीं ज्यादा प्यारी होती है धन तो फिर भी कमाल होगी अगर इज्जत चली गई तब,,,


मंजूर है,,,,

(लाला को घुटने टेकता हुआ देखकर राजू मुस्कुराने लगा और बोला,,,)

बैलगाड़ी आज से हमारी और तुम्हारी अनाज के गोदाम में जितना भी अनाज दूसरे बैलगाड़ी में लगकर जाता है उनमें से सबसे ज्यादा महत्व अब तुम हमारी बैलगाड़ी को दोगे,,,,


यह भी मंजूर,,,,,


बस फिर क्या है तुम्हें मंजूर है तो तुम्हारा यार आज मेरे सीने में ही दफन रहेगा लेकिन इससे पहले कर्ज की जो कागजात है वह मुझे लाकर दो,,,


वह क्यों,,,?


सवाल मत करो लाला तुम पहले ला कर दो ताकि दोबारा तुम पलटी ना मार सको,,,,

(लाला के पास अपनी इज्जत बचाने का कोई भी रास्ता नहीं था इसलिए वह राजू की बात मानते हुए बोला,,,)

सोनी तुम्हारी अलमारी में सभी के कर्जे के कागजात हैं,,,, उनमें से हरिया के कागजात लाकर इसे दे दो,,,,

(अलमारी उसी कमरे में कोने में थी सोनी अपने बिस्तर से उठी और अपने बदन पर चादर लपेट नहीं जा रही थी कि राजू उस चादर को हाथ से पकड़ कर खींच लिया और बोला)

माफ करना छोटी मालकिन लेकिन जब तक मैं इधर हूं तुम्हें नंगी रहना पड़ेगा जाओ नंगी उस अलमारी तक और उसमें से कागजात लेकर आओ,,,,।

(इतना सुनते ही सोनी लाचार आंखों से लाला की तरफ देखी और लाला भी उसे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया,,,,, सोनी अपने बिस्तर पर से उठी और नंगी ही उस अलमारी की तरफ जाने लगी उसकी मदमस्त कर देने वाली चाल देखकर राजू का मन डोल रहा था उसकी गोरी गोरी मटकती हुई गांड को देखकर राजू बोला,,,)

हाय मेरी छोटी मालकिन क्या मस्त गांड पाई हो ऐसा लगता है कि जैसे भगवान ने तुम्हारी गांड को अपने हाथों से तराशा है,,,, तुम बहुत खुश किस्मत वाला था कि तुम्हारी इतनी खूबसूरत बहने इतनी खूबसूरत औरत को रोज तुम चोद रहे हो,,, काश हमारी किस्मत में भी इतनी खूबसूरत औरत होती,,,।

(राजू अपनी बातों से लाला के दिल पर बार-बार पत्थर फेंक रहा था लाला को राजू की बातों से बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था और दूसरी तरफ सोनी राजू की बातें सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी लेकिन आज उसे इस बात का अफसोस भी ताकि वह आज राजू के हाथों रंगे हाथ पकड़ी गई थी और वह भी अपने भाई के साथ पता नहीं राजू इस मामले में उसके बारे में क्या सोचेगा,,,, थोड़ी ही देर में सोनी अलमारी खोलकर हरिया के कागजात लेकर वापस लौटने लगी,,,, सामने से आने पर राजू की नजर उसकी मदमस्त कर देने वाली खरबूजे जैसी गोल गोल सूचियों पर गए तो उसे देखकर से मुंह में पानी आने लगा साथ ही उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच की पतली दरार उसके होश उड़ा रही थी,,, यह सब देखकर राजू का मन उसे चोदने को कर रहा था लेकिन इस समय नहीं बस सोच रहा था कि किसी और दिन मिलेगी तो आज की कसर वह पूरी तरह से उतार लेगा,,,, सोनी के हाथ में से कागजात को लेकर वह पढ़ने के बाद जो कि पढ़ना लिखना उसे सोनी नहीं सिखाई थी और आज उसे उसका पढ़ना लिखना काम आ रहा था,,,, राजू कागजात को नीचे जमीन पर फेंक कर सोनी से बोला,,,।

इसे चला दो,,,,

(इतना सुनकर सोनी अपने भाई की तरफ देखने लगी तो उसका भाई भी खामोश खड़ा रहा तो राजू बोला)
देख क्या रही हो उसमें आग लगाओ और जला दो,,,।

सोनी राजू की बात मानते हुए कागजात में आग लगा दी और थोड़ी ही देर में कर्जे का कागजात राख के ढेर में बदल गया,,,,,।

अब तुम दोनों को मेरी तरफ से किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है तुम दोनों का राज मेरे सीने में दफन है जो मैं किसी से नहीं कहूंगा,,,, अब तुम दोनों आराम से अपना काम जारी रख सकते हो,,,। लाला तुम्हारे रंग में भंग डालने के लिए माफी चाहता हूं तुम्हारा पानी निकल चुका था एक बार फिर से खड़ा करके अपनी बहन की बुर में डाल दो मैं जा रहा हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही हाथ में पकड़ी हुई कुल्हाड़ी को वही रखकर मुस्कुराता हुआ राजू कमरे से बाहर निकल गया और,,,, थोड़ी ही देर में‌ वह घर पहुंच गया,,, घर पर जाते ही वह अपने पिताजी से मिलकर खुश होता हुआ बोला,,,।

पिताजी अब हम लोगों का सारा कर्जा माफ हो गया है लालाजी ने हम लोगों का कर्जा माफ कर दिया,,,

(इतना सुनते ही हरिया के साथ-साथ घर के बाकी सदस्य को भी हैरानी हो रही थी,,,, और राजू मनगढ़ंत कहानी बनाकर अपने पिताजी और अपने परिवार को सुना दिया और यह भी बताया कि अनाज के गोदाम में भी उन लोगों को काम मिल गया है अब उन लोगों को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होगी,,,, राजू की बात सुनकर सभी लोग एकदम खुश हो गए हरिया तो मानो जैसे जग जीत लिया हो वह बहुत खुश नजर आ रहा था,,,)

हरिया का परिवार एक बार फिर से अपने-अपने आनंद में खो गया कुछ दिनों से मधु की तबीयत अच्छी नहीं थी उसे कभी रह-रहकर बुखार आता तो कभी एकदम ठीक हो जाती इसलिए हरिया राजू को बोला कि बैलगाड़ी में बिठा कर अपनी मां को वेद के वहां दिखाकर दवा लेकर आ जाए,,,,,

राजू बेल गाड़ी लेकर तैयार हो गया था और उसकी मां भी बेल गाड़ी में बैठ चुकी थी आसमान में बादल घिर आए थे कभी भी बरसात हो सकती थी,,,, और वेद का गांव काफी दूर था आने जाने में शाम हो जाती इसलिए राजू बेल गाड़ी लेकर जल्दी निकल गया,,,।
 
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राजू अपनी मां को वेध के वहां ले जाने के लिए तैयार हो चुका था,,,,,, राजू के मन में अपनी मां का साथ पाने के लिए उत्सुकता बहुत थी आज दूसरी बार वह अपनी मां को बैलगाड़ी में कहीं लेकर जा रहा था पहली बार का सफर तो उसके लिए बेहद मनमोहक और उत्तेजना पूर्ण था,,,, पहली सफर के दौरान जिस तरह की वार्तालाप दोनों के बीच हो रही थी उसी को लेकर राजू आज भी उत्साहित,,,, आसमान में रह-रहकर बादल उमड़ा रहे थे बरसात होने की संभावना ज्यादा थी,, लेकिन अभी बारिश बिल्कुल भी नहीं पड रही थी,,, सफर थोड़ा ज्यादा लंबा था शाम हो सकती थी इसलिए मधु चाहती थी कि जल्द से जल्द वहां जाकर वापस लौट आए,,,,,,।

बैलगाड़ी घर के बाहर खड़ी थी हरिया और उसकी बहन गुलाबी बैलगाड़ी के पास में ही खड़े थे राजू बैलगाड़ी के नीचे खड़ा था वह अपनी मां का बैलगाड़ी में बैठने का इंतजार कर रहा था,,,।

जाओ बेल गाड़ी में बैठो और हो सके तो जल्दी आने की कोशिश करना क्योंकि बरसात कभी भी आ सकती है शाम ढलने से पहले आ जाओ तो अच्छा है,,,

चिंता मत करो मैं जल्दी ही आऊंगी,,,(इतना कहने के साथ ही मधु बैलगाड़ी के ऊपरी हिस्से पर एक पाव रखकर चढ़ने की कोशिश करने लगे और ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी गांड का घेराव कुछ ज्यादा ही बड़ा नजर आने लगा,,, जिस पर नजर पड़ते ही राजू के लंड में हरकत होने लगी,,,,,,, अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर राजू के मुंह में पानी आने लगा,,,, और देखते ही देखते मधु बैलगाड़ी पर चढ़कर बैठ गई,,,,)

तू बिल्कुल भी चिंता मत करो पिताजी मैं जल्दी जाऊंगा और जल्दी लेकर आऊंगा,,(और इतना कहने के साथ ही बैलगाड़ी पर जाकर बैठ गया और बैल को हांक कर बैलगाड़ी आगे बढ़ा दिया बेल गाड़ी के पहिए में बंधे घुंघरू शोर करने लगे,,,,,, मधु पीछे नजर घुमाकर तब तक देखती रही जब तक कि उसका पति और गुलाबी दोनों आंखों से ओझल नहीं हो गए थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी गांव से बाहर निकल आई थी,,,, मौसम बड़ा सुहावना लग रहा था धूप हल्की हल्की पड़ रही थी जिसकी वजह से गर्मी का एहसास बिल्कुल भी नहीं हो रहा था चारों तरफ हरियाली होने की वजह से यह सफर और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,
राजू भाई गाड़ी में बैठा बैठा कुछ देर पहले के उस नजारे के बारे में सोच कर मस्त हो रहा था जब उसकी माइक पर रखकर बैलगाड़ी पर चढ़ने की तैयारी कर रही थी और उसी समय उसकी बड़ी-बड़ी गांड उभर कर सामने आ गई थी,,, राजू को अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड का बेहद आकर्षण था पूरे गांव भर में घूम लेने के बाद यहां तक कि अपनी बहन बुआ के साथ साथ हवेली की छोटी मालकिन सोने की भी मत बस कर देने वाली गांड देखने के बावजूद भी उसे सबसे खूबसूरत गांड अपनी मां की लगती थी,,,, अपनी मां की गांड के बारे में सोच कर ही राजू के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी,,,,, दोनों मां बेटों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों के बीच चुप्पी सी फैली हुई थी मधु अपने बेटे के साथ के पहले सफर का अनुभव के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ थी पहली सफर में जिस तरह का अनुभव से हुआ था उसे लेकर वह काफी रोमांचित और शर्मिंदगी का अहसास भी कर रही थी,,,, मधु को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका बेटा किस तरह से धीरे-धीरे उसके साथ खुलने लगा था और रह-रहकर गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और कुए पर पानी पीते वक्त जिस तरह से वह उसे ढूंढता हुआ पत्थर के पीछे झांक कर देखा था उस पल को याद करके मधु के बदन में अभी भी सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,, मधु को अच्छी तरह से याद था कि वह पत्थर के पीछे बड़े जोरों की आई पेशाब से मुक्ति पाने के लिए अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर नंगी गांड लिए बैठकर पेशाब कर रही थी और उसी समय उसका बेटा वहां पर आ गया था दोनों की नजरे आपस में टकरा गई थी,,,,, उस समय मधु की हालत जो हुई थी उसके बारे में सोच कर ही उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी वह तुरंत शर्म से लाल हो गई थी राजू का तो पता नहीं वह अच्छी तरह से जानती थी कि राजू को उस नजारे को देखकर मजा ही आ गया होगा,,,, क्योंकि अनुभव से भरी हुई मधु मर्दों के चेहरे पर औरतों के अंगों को देखने के बाद किस तरह की रेख रूपा नजर आती है उससे अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,
इसलिए सफर के पहले अनुभव को लेकर मधु इस समय थोड़ा चिंतित नजर आ रही थी कि कहीं उसका बेटा ऐसी वैसी हरकत ना कर दे इसीलिए वह अपने बेटे से बात करने से कतरा रही थी,,,,। दोनों के बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए राजू ही पहल करता हुआ बोला,,,।

क्या मां सच में तुम्हारी तबीयत खराब है,,,


क्यों तुझे विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,


नहीं ऐसी बात नहीं है तुम मुझे कहीं से भी बीमार नहीं लग रही हो चेहरे पर पहले की तरह ही रौनक है आवाज भी एकदम बेहतर है,,,,।


अरे बुद्धू रह रह कर मुझे बुखार आ जाता है इसीलिए तो परेशान हुं,,,,


अच्छा तो यह बात है,,,


तुझे कहां मेरी फिक्र रहती है सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है घर पर रहे तब ना तुझे पता चले,,,,

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मा,,,, मैं तो तुमसे हमेशा बात करना चाहता हूं तुम्हारे पास रहना चाहता हूं लेकिन तुम ही हो जो मुझसे कतराती रहती हो मुझसे बात तक नहीं करती,,,


पागल हो गया क्या तू मैं भला तुझसे क्यों कतराने लगी,,,, तू कोई गैर है क्या,,,


पता नहीं लेकिन तुम शायद समझती हो,,,,


यह तु कैसी बातें कर रहा है राजू,,,, एकदम अनजान इंसान की तरह तु बातें कर रहा है,,,,,,

क्या करूं तुमने मुझे अनजान बना दी हो,,,, शायद मुझसे कोई गलती हो गई होगी,,,,


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(मधु एकदम साजिक रूप से बात कर रही थी लेकिन राजू के मन में कुछ और चल रहा था धीरे-धीरे वह अपनी गाड़ी को पटरी पर लाना चाहता था इसलिए बात की शुरुआत इस तरह से कर रहा था)

नहीं मां तुम झूठ बोल रही हो,,,,


मैं भला तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी,,,,


हो सकता है मेरी हरकत की वजह से तुम मुझसे नाराज हो गई हो,,,


हरकत,,,(मधु राजू के कहने का मतलब को समझ नहीं पा रही थी लेकिन उसे कुछ कुछ समझ में आ रहा था कि राजू किस बारे में बात कर रहा है इसलिए भाई राजू के मुंह से जानना चाहती थी कि वह ऐसा क्यों बोल रहा है,,)

हां मां वही हरकत,,,, खेत में जो मैं तुम्हारी आंखों के सामने अपने पजामे को नीचे कर दिया था,,, और तुम्हें दिखा रहा था इसलिए शायद तुम नाराज हो,,,,।
(मधु समझ गई कि उसका बेटा उसी हरकत के बारे में बात कर रहा है और मधु इस तरह की बातें नहीं करना चाहती थी,,, लेकिन राजू जानबूझकर उसी तरह की बातें कर रहा था,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की बात का वह क्या जवाब दें,,,, इसलिए वह उससे कुछ बोल नहीं रही थी और दूसरी तरफ नजर घुमा ली थी राजू यह बात अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी बात को सुनकर उसकी मां शर्म आ रही है और वह इसी शर्म को तो दूर करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसके और उसकी मां के बीच में सिर्फ शर्म का ही पर्दा है,, वरना जिस तरह से उसने अपनी मां को अपने लंड के दर्शन कराए थे उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह उसके नीचे आ गई होती,,, कुछ देर की खामोशी के बाद राजू फिर बोला,,,)

बोलो ना मा उसी बात से नाराज होना,,,, मैं जानता हूं तुम उसी बात से नाराज हो शायद मुझसे गलती हो गई थी लेकिन मैं तुम्हारे मन में क्या चल रहा है यह समझ नहीं पाया था,,,,(बैलगाड़ी को रस्सी के सहारे आगे बढ़ाते हुए राजू अपनी बात को भी आगे बढ़ा रहा था वह जानता था कि उस दिन के सफर की तरह आज का सफर भी यादगार होने वाला है,,,,) जिस तरह से तुम मुझे खेतों में लेकर गई थी मुझे ऐसा ही लग रहा था कि शायद तुम कुछ करवाना चाहती हो,,,,(मधु अपने बेटे के मुंह से कुछ करवाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी और उसके मतलब को समझकर एकदम शर्म से लाल हुई जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसी से इस तरह की बातें कैसे कर सकता है,,,) और इसीलिए मैं भी तुम्हारे साथ खेतों में चला गया और तुम भी तो कुछ बोल ही नहीं बस खेत के एकदम बीचोबीच ले जाकर खड़ी हो गई मुझे ऐसा लगा कि शायद तुम हम दोनों के लिए अच्छी जगह ढूंढ रही हो,,,,।


अरे अरे यह कैसी बातें कर रहा है तू तुझे शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हुए,,,,


इसमें शर्म कैसी मां उस दिन मेरी जगह कोई और होता तो उसे भी ऐसा ही लगता,,,, शादी में जब तुम्हें मैं छोड़ने के लिए जा रहा था तू हम दोनों जिस तरह से खुलकर बातें कर रहे थे तुम्हें बिल्कुल भी ऐतराज नहीं था मुझे तो ऐसा ही लग रहा था कि तुम शायद तैयार हो तुम्हें भी यह सब अच्छा लगेगा,,,, इसीलिए तो जल्दबाजी में मैंने खेत में अपना पजामा नीचे कर दिया था,,,,(राजू को इस बात का भी डर लग रहा था कि कहीं उसकी जल्दबाजी से बना बनाया काम बिगड़ ना जाए इसलिए वह अपनी बातों को दुरुस्त करता हुआ बोला) मुझे तुम्हारा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर नहीं रखना चाहिए था,,,(राजू जानबूझकर अपने मुंह से लंड शब्द का प्रयोग किया था और अपने बेटे के मुंह से इस शब्द का प्रयोग सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, मधु को राजू के मुंह से लंड शब्द सुनकर अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हरकत महसूस होने लगी,,, आखिरकार जैसे भी हो उसने भी तो अपने बेटे के लंड की मोटाई लंबाई और कड़कपन को देखी थी और अपनी हथेली में दबाकर उसकी गरमाहट को महसूस भी की थी उसकी गर्माहट से वह अपनी बुर को पिघलता हुआ भी महसूस की थी इसलिए तो इस समय भी उसके तन बदन में हलचल उठ रही थी,,,) मुझसे यही गलती हो गई मैं जल्दबाजी में वह कर गया जो मुझे कभी नहीं करना चाहिए था इसके लिए मैं माफी चाहता हूं,,,,,.

लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि तुम्हें देखकर किसी का भी मन बहक जाता है,,, सच में मां तुम बहुत खूबसूरत हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,,(मधु जानती थी कि उस दिन की तरह ही आज भी उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा है लेकिन आज भी उसके मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ और जिस तरह की अश्लील बातें वो कर रहा था उसे सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी)

चल‌ ये सब बातें मत कर मुझे अच्छा नहीं लगता,,,

कोई बात नहीं मैं तो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और वैसे भी कोई झूठ झूठ की तारीफ थोड़ी कर रहा था तुम हो खूबसूरत तभी तो,,,,।
(राजू के बाद खामोश हो गया वह नहीं चाहता था कि उसकी मां किसी भी तरह से नाराज हो जाए क्योंकि वह इस सफर को यादगार बनाना चाहता था उसे पूरी उम्मीद थी कि सफर के दौरान जरूर कुछ ना कुछ होगा इसलिए वह खामोश रहा,,,, लेकिन उसकी यह खामोशी मधु को अच्छी नहीं लग रही थी मधु चाहती थी कि वह कुछ ना कुछ बोलता रहे क्योंकि उसकी अश्लील बातें भी उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली गुलाबी लकीर में हलचल हो रही थी,,,,,, मधु दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ना चाहती थी वह राजू से बात करने का बहाना ढूंढ रही थी,,,,, वह दोनों गांव से काफी दूर आ चुके थे दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ खेत ही खेत थे बस थोड़ी थोड़ी दूर पर खेतों में कोई काम करता हुआ नजर आ जा रहा था बाकी सड़क पूरी तरह से खाली थी,,,,, मौसम बहुत ही सुहाना था ना धूप में छांव थी ठंडी ठंडी हवा चल रही थी आसमान में बादल जगह जगह पर नजर आ रहे थे कभी ऐसा लग रहा था कि बारिश होगी तो कभी ऐसा लग रहा था कि बारिश नहीं होगी,,,, तभी बात की शुरुआत करते हुए मधु बोली,,,)


अच्छा एक बात बता राजू तू अपने पिताजी की तरह बीड़ी या कोई नशा तो नहीं करता ना,,,

नहीं मैं बिल्कुल मैं ना तो बीड़ी पीता हूं और ना ही नशा करता हूं तभी तो मेरा शरीर देखो कैसा गठीला है,,,,

हां सो तो है देखना तू नशा पत्ती मत करने लगना,,, नशा में कुछ नहीं रखा है,,,,

मैं जानता हूं मां नशा करना बुरी बात है,,,,,,,


तेरे दोस्त लोग,,,,


लगभग लगभग तो कोई नशा नहीं करता,,,,


लेकिन मुझे लगता है कि तेरी संगत गंदे लड़कों से है तभी तो इस तरह की बातें करता है,,,


किस तरह की,,,(राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां क्या कहना चाह रही है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था)

अरे उसी तरह की जिस तरह की तू अभी बातें कर रहा था गंदी गंदी,,,,


अब क्या करूं मैं गांव में लड़के ही इसी तरह के हैं तो जाऊं तो जाऊं कहां,,,,,,,,

क्या सब इसी तरह की बातें करते हैं आपस में,,,


तो क्या मां,,,,,

तभी तो भी उन्हीं लोग की तरह बातें करता है लेकिन वह लोग तो अपनी मां से इस तरह की बातें नहीं करते होंगे जिस तरह से तू मुझसे करता है,,,,


यह तो नहीं मालूम लेकिन जिस तरह से तुम बोल रही थी ना कि तू नशा तो नहीं करता है मैं सच कहूं तो मुझे खूबसूरती का नशा है,,,,,, मेरी खूबसूरती का नशा मुझे सिर्फ तुमसे मिलता है तुम्हें देखते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है मुझे नशा होने लगता है,,,,


तू फिर शुरू हो गया,,,,


तो क्या करूं मौसम इतना सुहावना है और मेरे साथ इतनी खूबसूरत औरत होगी तो इस तरह की बातें तो होंगी ही होंगी,,,


पागल मत बन मैं कोई औरत नहीं बल्कि तेरी मां हूं,,,


लेकिन उससे पहले तुम एक औरत तुम्हारी भी जरूरते है,,, जिस तरह से दूसरी औरतों को कुछ ज्यादा की लालच होती है उस तरह से तुम्हारे मन में भी कुछ ज्यादा पाने की लालच होगी,,,।


क्या मतलब मैं तेरा मतलब नहीं समझी,,,


अब इतनी भी नादान ना बनो ,,, तुम अच्छी तरह से समझती हो मैं क्या बोलना चाह रहा हूं,,,


कसम से मैं नहीं समझ पा रही हूं कि तू क्या बोलना चाह रहा है मुझे चाहते कि कभी ना तो लालच ही है और ना ही उम्मीद,,,,

धन दौलत की बात नहीं कर रहा हूं अपने लिए सुख संतुष्टि और तृप्ति की बात कर रहा हूं,,,,


नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है सब तरह से तो मैं सुखी हूं,,,


सब तरह से हो लेकिन एक मामले में तुम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो और सुखी नहीं हो,,,,


तू बोलना क्या चाह रहा है,,,,


मैं बहुत कुछ बोलना चाह रहा हूं लेकिन डर लगता है कि कहीं तुम नाराज ना हो जाओ क्योंकि मैं सब कुछ सह सकता हूं लेकिन तुम्हारी नाराजगी नहीं सह सकता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का दिल धक-धक कर रहा था उसे इतना तो आभास हो गया था कि उसका बेटा कुछ गंदा ही बोलने वाला है लेकिन क्या बोलने वाला है इस बारे में उसे पता नहीं था और यही वह राजू के मुंह से सुनना चाहती थी इसलिए वह बोली)

नहीं मैं नाराज नहीं होऊंगी,,, मैं सुनना चाहती हूं कि मैं किस मामले में सुखी नहीं हूं जरा मैं भी तो देखूं क्या सच में मेरी जिंदगी अधूरी चल रही है,,,


हां मां में सच कह रहा हूं,,,,


तो बताना,,,,


नहीं जाने दो तुम नाराज हो गई तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर पाऊंगा,,,,(राजू समझ गया था कि उसकी मां उसके मुंह से सुनना चाहती है लेकिन राजू से थोड़ा और तड़पाना चाहता था उसे और उकसाना चाहता था इसलिए बात को इधर-उधर घुमा रहा था,,,)

राजू मैं बोली ना मैं नाराज नहीं होऊंगी,,,,


और अगर नाराज हो गई तो,,,,


पागल मत बन मैं कह रही हूं ना,,,

तो खाओ मेरी कसम कि मेरी बात का अगर बुरा लगेगा तो तुम मुझसे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,,


यह कैसी बातें कर रहा है मैं तेरी कसम कभी खाई हूं क्या,,,?

तब तो तुम जरूर नाराज हो जाओगी क्योंकि बात ही कुछ ऐसी है,,,,,,


अच्छा तेरी कसम बस अब तो बता दे,,,,


चलो ठीक है जब तुम इतना कह रही हो तो बता देता हूं और तुम कसम खाई हो नाराज बिल्कुल भी मत होना,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था बैल अपनी लय में आगे बढ़ रहा था बेल के पैरों में और पैसे में बंधा घूंगरू पूरे शांत वातावरण में शोर मचा रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी ऐसा मौसम देखकर राजू का मन भी कुछ करने को कह रहा था लेकिन अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाले हुए था,,,,, कुछ देर तक वह खामोश रहा होगा देखना चाहता था कि उसकी मां फिर बोलती है या नहीं तभी थोड़ी देर गुजरा ही था कि फिर मधु बोली,,)

क्या हुआ खामोश क्यों हो गया,,,


नहीं मैं सोच रहा था कि क्या मुझे तुमसे इस तरह की बातें करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए,,,


अरे तो तू इतना सब तो तू मुझसे बोल चुका है और तो और खेत में जिस तरह की हरकत किया था उसे देखते हुए तुझे शर्म आ रही है मैं तो सोचकर ही हैरान हो रही हूं,,, अगर मैं तेरी हरकत से तेरी बात से नाराज हुई होती तो मैं कब से तेरे पिताजी से बता दी होती और तेरे पिताजी मार मार कर तेरी हालत खराब कर दी होते लेकिन मैं जानती हूं कि इस उम्र में जवान लड़कों से गलती हो जाती है इसलिए मैं तेरी बात पर पर्दा डाल चुकी हूं और तू है कि,,,,,


क्या सच में तुमने पिताजी से कुछ नहीं बताई हो,,,


अगर बता दी होती तो क्या तू इस हालत में होता,,,


हां बात तो सच है,,,,(इतना कहकर राजू अपने मन में सोचने लगा कि उसकी हरकत के बारे में उसकी मां ने अभी तक उसके पिताजी को नहीं बताई है और ना ही किसी को बताएगी इसका मतलब साफ है कि उसकी मां को भी उसकी हरकतें अच्छी लग रही थी बस शर्म और मर्यादा का पर्दा दोनों के बीच आड़े आ रहा है,,,, राजू अपने मन में सोचने लगा कि अगर यह शर्म और मर्यादा का पर्दा दोनों के बीच से हट जाए तो उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच जाने से कोई नहीं रोक सकता और उसे या पर्दा खुद ही दूर करना होगा इसलिए वह बोला,,,)


देखो मैं जो कुछ भी कहने वाला हूं उसे सुनकर तुम्हें थोड़ा गुस्सा भी आएगा या तुम उसे मानने से इनकार करो लेकिन हकीकत यही है कि तुम्हें भी ज्यादा की उम्मीद है,,,


अरे बताएगा भी,,,


देखो मैं तुम सब बातों में एकदम सुखी हो परिवार से लेकर धन दौलत खेतों में खलियान में जानवरों से सभी तरह से सुखी संपन्न हो लेकिन बिस्तर में अभी भी तुम पूरी तरह से पर्याप्त नहीं हो,,,

क्या,,, मैं अभी भी नहीं समझी तु क्या कह रहा है,,,


मैं यह कहना चाह रहा हूं मां की मुझे नहीं लगता कि पिताजी तुम्हारी प्यास बुझा पाते होंगे,,,,


यह क्या कह रहा है तू पागल तो नहीं हो गया तुझे इस तरह की बात करने में शर्म भी नहीं आ रही है,,,


देखो मैं कह रहा था ना तुम नाराज हो जाओगी अभी तुमने मेरी बात पूरी सुनी ही कहा हो,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा किस मामले की बात कर रहा था,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

देखो मैं इसमें दो राय बिल्कुल भी नहीं है कि तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत पूरे गांव में कोई भी नहीं है तुम्हारा गदराया बदन खूबसूरत मचलती जवानी पर काबू पाना पिताजी के बस में बिल्कुल भी नहीं है पिताजी तुम्हारी उफान मारती जवानी पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाते,,, तुम्हारी खूबसूरत बदन की मचलती जवानी पर काबू पाना पिताजी के बस में बिल्कुल भी नहीं है,,,,


तू कहना क्या चाह रहा है कि मैं अभी तक तेरे पिताजी से खुश नहीं हूं,,,


यह तो मन को बहलावा देने वाली बात है मा,,,,(जिस तरह से मधु उसकी बात में हम ही भर रही थी उसकी बातों को सुन रही थी उसे देखते फिर राजू में हिम्मत आने लगी थी और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए और एकदम खुले शब्दों में बोला) सच कहूं तो मैं पिताजी के लंड से तुम्हारी जवानी की प्यास बिल्कुल भी नहीं पिघलती होगी बल्कि पिताजी की हरकत से तुम्हारी

प्यास और बढ़ जाती हो कि वह तो तुम संस्कारी औरत हो इसलिए पिताजी से ही खुश रहना की कोशिश करती हो लेकिन सच तो यही है कि तुम्हारी जवानी पर काबू पाने के लिए मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द की जरूरत है जिसके मोटे तगड़े लंबे लंड से तुम्हारी बुर का जमा हुआ पानी एक ही धक्के में लावा बनकर पिघल कर बाहर आ जाए,,,,(अपनी बेटी की इतनी गंदी बात सुनकर मधु का दिल बिल्कुल भी काबू में नहीं था वह बड़े जोरों से धड़क रहा था,,, उसे अपनी बुर से नमकीन पानी बहता हुआ महसूस हो रहा था वह अपने बेटे की बात सुनकर ही झड़ने लगी थी,,,, और यही हाल राजू का भी था उसका लंड पूरी तरह से अपने काबू से बाहर हो गया था वह किसी भी वक्त उसके पजामे को फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था लंड का कड़क पन भी एकदम बढ़ गया था ऐसा लग रहा था कि लंड की नसें किसी भी वक्त फट जाएंगी,,, अपनी मां की खामोशी देखकर राजू समझ गया था कि वह उसकी बात सुनकर चारों खाने चित हो गई है और इसीलिए वह अपनी बात को और ज्यादा आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच में मां तुम्हें पूरी तरह से तृप्त करने की ताकत पिताजी में बिल्कुल भी नहीं है तुम्हें मोटा और लंबा लंड चाहिए पिताजी से दोगुना से भी ज्यादा जो तुम्हारी बुर की अंदरूनी दीवारों को फैलाता हुआ अंदर की तरफ जाए और उसकी रगड़ से तुम्हारी दूर का नमकीन रस बाहर निकलने लगे तुम्हारी बुर को पहले ही धक्के में एकदम गोल छल्ले की तरह बना दे तब जाकर तुम्हारी जवानी पर काबू पा पाएगा,,,, मुझे पूरा यकीन है कि पिताजी के पास ऐसा दमखम बिल्कुल भी नहीं है और ना ही ऐसा मोटा तगड़ा लंड है,,,,,,,,
(मधु को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें उससे तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपने बेटे की इतनी गंदी बात सुनकर वो झड़ चुकी थी और इस तरह से झड़ने पर वह खुद हैरान थी,,, कि उसके बेटे की हरकत पर नहीं बल्कि उसकी अश्लील गंदी बातों को सुनकर ही उसका पानी निकल चुका था,,, राजू की भी हालत खराब थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां सच में नाराज ना हो जाए इसलिए,,,, वह एकदम से खुश होता हुआ अपनी मां से बोला,,,)

अरे वह देखो मा बाजार आ गया,,,,,
(सामने की तरफ मधु नजर दौड़ाई तो देखी सचमुच में बाजार आ रहा था और वह सब बातों को भूल कर खुश हो गई क्योंकि बरसों बाद वह बाजार में आई थी,,,.)
 
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मधु बाजार देखकर एकदम खुश हो गई थी वह पल में ही उस बात को आई गई कर दी थी इस बात से उसका पानी निकल गया था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उससे इस हफ्ते तक बेहद गंदे शब्दों में बात करेगा सीधा-सीधा उसका बेटा उसे चोदने की बात कर रहा था अपने मोटे तगड़े लंड से और दावा भी कर रहा था कि उसकी फ्रेंड से चुदने के बाद वह पूरी तरह से तृप्ति का एहसास करेगी,,,, जैसा कि आज तक उसने महसूस नहीं कर पाई थी भले ही वह दो बच्चों की मां बन चुकी थी लेकिन अपने पति से संपूर्ण सुख का अहसास नहीं कर पाई थी,,,,

थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी बाजार में पहुंच चुकी थी बरसों बाद मधु बाजार में आई थी इसलिए उसकी खुशी फूले नहीं समा रही थी एक अच्छी सी जगह बड़ा सा पेड़ देखकर राजू बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया और पीछे जाकर अपनी मां को उतरने में सहायता करने लगा उतरते समय एक पाव मधु बैलगाड़ी में ही बंदे पैर रखने के लिए पाटे पर रख दी आगे चल कर खुद राजू अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे उतरने में मदद कराने लगा,,,, बैलगाड़ी से उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से ब्लाउज में से झांकती मधु की लाजवाब चुचियों का थोड़ा सा भाग नजर आने लगा जिसे देखकर राजू का मन मचल उठा देखते ही देखते राजू अपनी मां की मदद करते वैसे बैलगाड़ी से उतार चुका था,,,, बाजार तक पहुंचने में काफी लंबा समय सफर करके मधु की कमर थोड़ी अकड़ गई थी इसलिए बात सीधी खड़ी होकर थोड़ा सा कमर से अपने बदन को उठाकर अपने आप को दुरुस्त करने लगी लेकिन ऐसा करने से उसकी लाजवाब उठी हुई चूचियां और ज्यादा मुंह आकर खड़ी हो गई ब्लाउज में से भाले की नोक की तरह चुभती हुई उसकी चुचियों की निप्पल ब्लाउज फाडकर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,,,,, इस नजारे को देखकर राजू का पजामा तन गया,,,,, इस बात से मधु पूरी तरह से अनजान थी,,,, बातों ही बातों में राजू ने चालाकी दिखाते हुए अपनी मां से अपने मन की बात कह दिया था और वह भी एकदम गंदे शब्दों में उसे बोलते समय राजू का लंड एकदम कड़क हो गया था अगर उसकी मां हां कर देती तो रास्ते में ही जमकर अपनी मां की चुदाई कर दिया होता और उसे अपनी मर्दानगी का सबूत दे दिया होता,,,,, राजू अपने मन की बात कह तो दिया था लेकिन उसकी मां ने उसे कुछ भी नहीं कहा था इस बात को लेकर वह हैरान था जो कि वह समझ गया था कि उसकी कहीं बात उसकी मां को भी बहुत अच्छी लग रही थी इसीलिए उसने उसे कुछ कहीं नहीं थी वरना जरूर उसे डांटती,, और तो और खेत वाली बात भी उसकी मां ने अपने पति से नहीं बताई थी जिसका मतलब साफ था कि उसके मन में कुछ चल रहा है,,, इस बात को सोचकर राजू मन ही मन खुश होने लगा और सही मौके की तलाश करने लगा वह जानता था कि बिना उसकी मां के सहकार पाए इतना बड़ा काम ह अकेले नहीं कर सकता,,, उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो बात कुछ और थी अब तक तो वह उस औरत के साथ संबंध बना दिया होता,,,,,,।

अपनी कमर और बदन की अकड़न को दूर करके मधु वापस सहज हो गई और खुद ही एक समोसे की दुकान के आगे खड़ी होकर अपने बेटे से सामने ही लगे हेडपंप को चलाने के लिए बोली,,,, राजू तुरंत हैंड पंप चलाना शुरू कर दिया और मधु थोड़ा सा नीचे झुक कर नल से निकल रहे पानी को अपनी हथेली में लेकर अपने चेहरे पर मारने लगी वह अपने आप को तरोताजा करना चाहती थी लेकिन ऐसा करने पर एक बार फिर से उसकी दमदार वजनदार चूचियां ब्लाउज में लटक गई और यह देखकर राजू मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि काश उसकी मां के ब्लाउज का बटन टूट जाता तो वह इस समय उस की चुचियों के दर्शन कर लेता लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था बाजार का माहौल था और यहां पर बहुत से लोग आ जा रहे थे ऐसे में अगर सच में उसकी मां के ब्लाउज के बटन टूट जाता है तो उसके साथ-साथ कई और लोगों की भी नजर उसकी मां की चुचियों पर गड़ जाती ,, और फिर बाजार में हड़कंप जाता और ऐसा राजू बिल्कुल भी नहीं चाहता था लेकिन फिर भी ब्लाउज के बटन ना टूटने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां साड़ी के पल्लू से बाहर झांक रही थी जो कि इस समय केवल राजू को ही नजर आ रहे थे और राजू यह देखकर अनजाने में ही पजामे के आगे वाले भाग जो कि उठा हुआ था उसे हथेली में लेकर दबा दिया और उसकी इस हरकत पर उसकी मां की नजर पड़ गई तिरछी नजरों से अपने बेटे की हरकत को देखकर वह अपने आप पर नजर डाली तो हक्की बक्की रह गई शर्म से उसके गाल लाल हो गए और वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन तब तक वह पानी पी चुकी थी,,, अपने बेटे की इस तरह की हरकत देखकर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी वह अपने बेटे को किसी भी सूरत में रोक नहीं पा रही थी नाही उसे इस तरह की हरकत दोबारा ना करने की सलाह दे रही थी जो कि जाहिर था कि उसे भी अपने बेटे की हरकत और उसकी बातें कहीं ना कहीं अच्छी लग रही थी और उसे इस बात का करो भी हो रहा था कि एक जवान लड़का इस उम्र में भी उसके पीछे इस कदर दीवाना है,,,,।

अब तू भी हाथ मुंह धो ले और पानी पी ले काफी लंबा सफर तय करके आए हैं यहां पर थोड़ी देर आराम से बैठेंगे फिर चलेंगे,,,

तुम ठीक कह रही हो मां मेरी भी कमर अकड़ गई है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों हथेली को जोड़कर वह है नल की तरफ मुंह करके झुक गया और मधु नल चलाना शुरु कर दी थोड़ी देर में डालने से पानी निकलना शुरू हो गया और वह भी अपनी मां की तरह ही अपने चेहरे पर पानी की बूंदे छठ पर और हाथ पैर धो कर पानी पीकर एकदम तरोताजा महसूस करने लगा,,,, पास में ही गरम गरम समोसे और जलेबियां छन रही थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही राजू बोला,,,)

तुम यहीं बैठो मैं जलेबी और समोसे लेकर आता हूं,,,,

ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही दुकान वाले ने बैठने के लिए लकड़ी का पाटी लगाया हुआ था उसी पर मधु अपनी गदराई गांड लेकर बैठ गई,,,, और अपने बेटे के बारे में सोचने लगी,,, कि उसका बेटा इस कदर बेशर्म हो जाएगा वह कभी सोची नहीं थी धीरे-धीरे उसके सामने व खुलता चला जा रहा है कहीं ऐसा ना हो कि वह उसके साथ जबरदस्ती करना शुरू कर दें,,,, अपने बेटे के बारे में यही सब सोच रही थी कि तभी थोड़ी देर पहले उसकी कही बात याद आ गई कि उसके मोटे तगड़े लंड से चूदकर वह तृप्त हो जाएगी जो कि आज तक वह कभी भी असली सुख नहीं पाई है,,, अपने बेटे के कहीं बात पर गौर करते हुए बस सोचने लगी कि क्या वास्तव में उसने चुदाई का असली सुख अभी तक नहीं हो पाई है क्या उसका पति उसे वह असली सुख नहीं दे पाता जो उसे चाहिए रोज यही तो है उसकी चुदाई करता है और रोज ही वह खुद एकदम मस्त हो जाती है,,,, इन सब बातों को सोच कर उसके जेहन में एक बात कचोटने लगी कि क्या वास्तव में अपने पति से चुदवा कर वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है जिसे सुख को प्राप्त करके वह गहरी नींद में सो जाती है क्या वह सुख भी अधूरा है क्या वह संभोग का असली सुख नहीं है क्या इससे भी आगे कोई अद्भुत और अलग सुख है जो औरत को पूरी तरह से मस्त कर देता है प्रीत कर देता है क्या उसी सुख के बारे में उसका बेटा उससे बात कर रहा था क्या वास्तव में उसके बेटे के लंड की ताकत उसके पति के लंड की तुलना में बहुत ज्यादा है,,,, कहीं ऐसा तो नहीं मोटे और लंबे लंड से चुदवाकर और भी ज्यादा मजा आता है कहीं अपने पति के अपने बेटे से छोटे लंड से चुदवाकर असली सुख नहीं प्राप्त कर पा रही है,,,,,, क्या अब तक वह अधूरी ही है,,, संपूर्ण स्त्रीत्व सुख हुआ अभी तक प्राप्त नहीं कर पाई भले ही रोज अपने पति से शारीरिक संबंध बनाती है अगर ऐसा है तो उसके बेटे को यह ज्ञान कहां से मिला की औरत को छोटे लंड से ज्यादा मोटे लंड और लंबे लंड में ज्यादा सुख मिलता है उसके बेटे को यह कैसे पता चला कहीं ऐसा तो नहीं कि राजू का कहीं किसी औरत के साथ संबंध है या किसी औरत ने उसे यह बताई हो की औरतों को लंबे और मोटे लंड से ही ज्यादा मजा आता है,,,, नहीं सब सोचकर एक बार फिर से मधु अपनी बुर को गीली कर रही थी और तभी राजू दोनों हाथ में समोसा और जलेबी या लेकर आगे और पास में बैठ कर अपनी मां को थमाने लगा,,, मधु अपने बेटे के हाथ से जलेबियां लेकर खाना शुरु कर दी बड़ी दूर से आ रही थी इसलिए भूख लगी हुई थी और अभी दूर तक जाना भी था और वापस भी लौटना था,,,।

दोनों समोसे और जलेबी हो का लुफ्त उठाते हुए बाजार में चारों तरफ नजर घुमा रहे थे हर तरफ अनाज की दुकान तो कहीं चूड़ियों की दुकान कहीं लड़कियों के रूप सिंगार की दुकान तो कहीं चाय समोसे चाट की दुकान सब अपना अपना दुकान लगाए बैठे थे और गांव के लोग खरीदारी करके एकदम खुश नजर आ रहे थे,,,,,, गांव के बाजार में घूमने का चाट समोसा जलेबी या खाने का मजा ही कुछ और होता है यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे इसलिए इस समय बाजार का वह पूरा लुफ्त उठाना चाहते थे,,,,,, मधु की नजर बाजार में एक तरफ चूड़ियों की दुकान पर बिकी हुई थी उसे अपने लिए रंग बिरंगी चूड़ियां खरीदनी थी लेकिन पैसे उतने लाई नहीं थी लेकिन फिर भी अपने मन में सोची थी चलकर एक बार देख तो ले कुछ नहीं तो देख कर ही अपना मन बहला लेगी,,,, यही सोच कर थोड़ी ही देर में दोनों समोसे और जलेबियां खाकर खड़े हो गए और एक बार फिर से दोनों हेड पंप से पानी पीकर अपने आपको भूख से तृप्त कर लिए,,,,,,।

जिस पेड़ के नीचे बेल बना हुआ था वहां ढेर सारी कहां सूखी हुई थी इसलिए उसके खाने की कोई चिंता नहीं थी,,,, मधु का मंत्र थोड़ी देर बाजार में घूमने का हो रहा था इसलिए वह राजू से बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगे और पीछे पीछे राजू चलने पर मधु की चाल बेहद मादक नजर आ रहे थे उसकी उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा उभरकर मटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर दो बड़े-बड़े खरबूजे बांध दिए गए हो,,,, राजू को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि बाजार में आए मर्दों की नजर उसकी मां की खूबसूरती पर जरूर पड़ेगी खास करके मटकती उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर और लटकते हुए

उसके दोनों खरबूजो पर,,, और जब वह यही देखने के लिए बाजार के हर मर्दों के नजर को भागने लगा तो उसका सोचना एकदम सही निकला सड़क के किनारे दुकानों पर बैठे मर्दों के साथ साथ आते जाते हुए मर्दों की नजर उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड पर लार टपका ते हुए चिपकी हुई थी जो पीछे से देख रहा था वह उसकी मां की गांड को देख रहा था और जो आगे से देख रहा था तो उसकी नजर उसकी मां की चुचियों पर पड़ रही थी उसकी मां के खूबसूरत बदन का अगाडा और पिछवाड़ा दोनों बेहतरीन तरीके की बनावट में बना हुआ था उसकी मां के बदन से हर अंग से मधुर रस टपक रहा था जिसे पीने के लिए बाजार का हर एक मर्द लार टपका रहा था,,,,, यह देखकर राजू को तो गुस्सा आ ही रहा था लेकिन उसे इस बात का गर्व भी हो रहा था कि इस उमर में भी उसकी मां की खूबसूरती और बदन की बनावट एकदम बरकरार थी आज भी उसकी मां जवान लड़कियों से पानी भरवा दे ऐसी हुस्न की मल्लिका थी,,,,,,


मधु आ गया के चल रही थी और राजू पीछे-पीछे मधु सड़क के दोनों छोर पर बनी दुकानों को देखते हुए आगे बढ़ रही थी और राजू अपनी मां की खूबसूरती का रसपान अपनी आंखों से करता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, जेसे ही चूड़ियों की दुकान आई उसकी मां के पैर ठीठक गए राजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां चूड़ियां खरीदना चाहती है,,,, और देखते ही देखते उसकी मां चूड़ियों की दुकान की ओर आगे बढ़ गई और वहां खड़ी होकर रंग बिरंगी चूड़ियों को बड़ी हसरत भरी निगाह से देखने लगी,,,, मधु जानती थी कि वह पर्याप्त पैसे लेकर नहीं आई है कि बाजार से खरीदारी कर सके इसलिए वह जानती थी कि देखने किसी और कुछ नहीं कर सकती राजू खड़ा-खड़ा अपनी मां की हसरत भरी निगाहों को देख कर खुश हो रहा था इसलिए आगे बढ़कर वह अपनी मां से बोला,,,।

चूड़िया लेना है क्या,,,?


अरे नहीं-नहीं मैं तो देख रही थी,,,,

(उसका इतना कहना था कि तभी राजू लाल रंग की चुडीयो को अपने हाथ में उठाकर अपनी मां को दिखाते हुए बोला,,)

तुम पर यह बहुत अच्छी लगेगी,,,, तुम्हारी गोरी कलाई में लाल रंग की चूड़ियां खूब जचेंगी,,,


अरे नहीं नहीं राजू तू रहने दे मेरे पास पैसे नहीं है,,,

क्या तुम भी,,,, पसंद है तो ले लो सोचना कैसा,,,


अरे पागल हो गया है क्या सोचने से क्या ले सकती हूं क्या मेरे पास पैसे नहीं है अभी दवा लेने जाना है पता है ना तुझे,,,


अरे तुम्हें पैसे देने के लिए कौन कह रहा है मेरे पास पैसे हैं तुम बस ले लो,,,


तेरे पास पैसे हैं,,,(आश्चर्य से राजू की तरफ देखते हुए) तेरे पास पैसे कहां से आए,,,,


अरे मैं गांव के लड़कों की तरह निकालना नहीं हूं बेल गाड़ी चलाता हूं काम करता हूं दो पैसे मैं अपने खर्च के लिए भी रखता हूं,,,,


तेरे पिताजी को मालूम है,,,


नहीं यह तो मेरी बचत के पैसे हैं मैं इसी दिन के लिए रखा था कि तुम लोगों के लिए कुछ खरीद सकूं,,, और लगता है कि आज वह दिन आ गया है,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर मधु बहुत खुश हो रही थी और उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका बेटा उसे चूड़ियां दिला रहा था एक बार फिर से राजू अपनी मां से बोला)

लेना है ना,,,

अब तू जीत कर रहा है तो ले लेती हूं लेकिन गुलाबी के लिए भी ले लेना उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सिर्फ मैं अपने लिए खरीद कर लाई हूं,,,


हां हां ठीक है,,, ए चूड़ी वाले यह लाल रंग की चूड़ियां पहना देना तो,,,
(दुकानदार जो कि दूसरे ग्राहकों को चूड़ी पहनाने में व्यस्त था वह राजू की तरफ देख कर बोला)

हां बेटा बस थोड़ी देर रुको मैं पहना देता हूं,,,

(उस दुकानदार की बात सुनकर राजू मुस्कुराते हो अपनी मां की तरफ देखा तो मधु भी मुस्कुराने लगी आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका बेटा उसे चूड़ी पहनाने जा रहा था जिंदगी में पहली बार उसका बेटा उसके लिए कुछ खरीद रहा था और वह भी चूड़ियां,,,,)

आओ जब तक वह दूसरों को पहना रहा है तब तक यहीं बैठ जाते हैं,,,(और क्या कहने के साथ ही दुकान के बाहर रखे पाटीए पर दोनों मां-बेटे बैठ गए,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा ही थी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे लोग खरीदारी कर रहे थे,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

अगर तेरे पास पैसे हो तो चलते समय समोसे और जलेबियां भी ले लेना घर के लिए,,, और थोड़े खरबूजे भी ले लेना मुझे खरबूजे बहुत पसंद है पैसे तो ‌है ना तेरे पास,,,

हा मा तुम चिंता मत करो तुम जो बोलोगी मैं वह खरीद लूंगा बस,,,,(इतना कहकर राजू अपने मन में ही कहने लगा कि बस एक बार तुम अपनी बुर मुझे दे दे तो पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं और इतना अपने मन में कह कर वह अंगड़ाई लेने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मां का नंबर आ गया और वह चूड़ी पहनने लगी राजू या देखकर मन ही मन सोच रहा था कि,,, ए चूड़ी वाले की भी किस्मत कितनी अच्छी है कि गांव की खूबसूरत से खूबसूरत औरत और लड़की का हाथ पकड़कर उन्हें चूड़ी पहना था है और इस समय भी वह बेहद खूबसूरत औरत को अपने हाथों से चूड़ी पहना रहा है जिसका हाथ पकड़ने की

सिर्फ सोच कर ही ना जाने कितने लोग उत्तेजित हो जाते हैं उसकी कलाई को अपने हाथों से पकड़कर वह चूड़ी वाला कितना मस्त हुआ जा रहा होगा जरूर उसका लंड खड़ा हो गया होगा उसकी मां का हाथ पकड़कर उसे चूड़ी पहनाते हुए,,,, राजू उस चूड़ी वाले की निगाह को भी बड़े गौर से देख रहा था और समझ रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मां की बड़ी बड़ी चूची की तरफ देखकर लार टपका रहा था जो कि ब्लाउज में से आधे से ज्यादा झांक रही थी और अपने मन में यदि सोच रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मां को चोदने की कल्पना भी कर रहा होगा हालांकि इस तरह के ख्याल से उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन अपनी मां की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन को लेकर गर्व भी महसूस हो रहा था,,,,

थोड़ी ही देर में चूड़ी वाले ने ढेर सारी चूड़ियां मधु को पहना दिया और राजू ने अपनी बुआ के लिए भी चूड़ियों को एक लिफाफे में बंधवा कर ले लिया,,,, दोनों दुकान से वापस जाने लगे तो राजू अपनी मां की गोरी गोरी कलाइयों में भरी हुई चूड़ियों को देखकर बोला,,,।

देखो माफ तुम्हारा हाथ कितना सुंदर लग रहा है और कितनी खनखन की आवाज भी आ रही है अब तुम्हारी सुंदरता और ज्यादा बढ़ गई है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मधु शर्मा गई तभी उसे खरबूजे का ठेला नजर आया तो वह उस तरफ उंगली दिखा कर बोली,,,)

राजू ओ रहे खरबूजे थोड़े बहुत खरीद ले,,,

जरूर,,,, लेकिन तुम्हारे पास तो सबसे बेहतरीन खरबूजा है फिर भी खरबूजा खरीद रही हो,,,

क्या,,,?

ककक कुछ नहीं तुम यहीं रुको मैं लेकर आता हूं,,,
(इतना कहकर राजू तुरंत उस ठेले पर खरबूजा खरीदने चला गया और मधु भाई खड़ी-खड़ी अपने बेटे की बात पर गौर करने लगी उसके बेटे ने उसकी चूचियों की तुलना खरबूजा से किया था इस बात का एहसास मधु को भी हो रहा था और वहां अंदर ही अंदर शर्मा भी रही थी कि उसका बेटा उसके सामने एकदम बेशर्म हुआ जा रहा है,,, दूसरी तरफ राजू बड़े बड़े खरबूजे को बीन कर खरीद रहा था राजू खरगोशों की तुलना अपनी मां की चुचियों से करता हुआ उतना ही बड़ा खरबूजा खरीद रहा था जितनी बड़ी उसकी मां की चूचियां थी और देखते ही देखते ‌आंठ दस खरबूजा वह खरीद लिया और अपनी मां की तरफ आने लगा,,,, यह देखकर मधु और खुश हो रही थी कि उसके बेटे ने ज्यादा खरबूजा खरीद लिया था खरबूजा शुरू से ही मधु को बेहद पसंद था खरबूजे के थैले को अपनी मां को पकड़ते हुए राजू एक बार फिर से मस्ती करते हुए बोला,,,)

देख लो मआ तुम्हारे से ना छोटी है ना बड़ी तुम्हारे ही जैसी है,,,,(राजू के कहे अनुसार मधु खरबूजा के आकार को देखकर मन ही मन शरमा गई क्योंकि वाकई में उसके बेटे ने एकदम उसकी चुचियों के आकार के ही खरबूजे खरीदे थे,,,, मधु अपने बेटे की बात को सुनकर मन ही मन शर्मिंदगी महसूस कर रही थी और तभी राजू समोसे और जलेबी की दुकान पर वापस जाकर,,, घर के लिए समोसे और जलेबी या बंधवाने लगा,,,,,, जब तक वह‌जलेबी और समोसे बंधवा रहा था तभी मधु को जोरों की पेशाब लगी वह इधर-उधर देखने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस भीड़भाड़ वाले बाजार में हुआ पेशाब करने के लिए कहां जाएं अपने मन में सोचने लगी कि जो औरतें इधर आती है अगर उन्हें पेशाब लगती है कहीं ना कहीं तो जाती ही होंगी,,,, उसके पेशाब की तीव्रता बढ़ती जा रही थी वह कभी राजू की तरफ देख रही थी जो कि दुकान पर खड़ा होकर जलेबी और समोसे ले रहा था और तो कभी बाजार की भीड़ को देख रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह‌ दुकान के पीछे वाले धागे की तरफ जाने की सोची क्योंकि दूसरी तरफ दूर-दूर तक जंगली झाड़ियां नजर आ रही थी,,,,।

पर वह अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू न कर पाने की वजह से राजू को बताए बिना ही समोसे की दुकान की पीछे की तरफ जाने लगी और देखते ही देखते वह‌दुकान के पीछे आ गई दुकान के पीछे खड़ी होकर वहां दूर-दूर तक नजर दौड़ाने लगी तो देखी कि चारों तरफ जंगली झाड़ियां और खेत ही खेत है तभी वो थोड़ा और आगे जाने लगी क्योंकि जहां पर वह खड़ी थी आते जाते लोगों की नजर वहां पहुंच जा रही थी और वहां लोगों की नजर के सामने पेशाब करना नहीं चाहती थी 1015 कदम आगे चलने पर उसे सामने कुछ औरतें पेशाब करती हुई नजर आई तो वह खुश हो गई उसे लगने लगा था कि औरतें इतनी पेशाब करती है,,,, उसके वहां पहुंचने तक वह औरतें वहां से चली गई और वहां जाकर तुरंत वहीं पर खड़ी हो गई जहां पर वह औरतें पेशाब कर कर गई थी,,, वहीं दूसरी तरफ राजू समोसे और जलेबी बंधवा लिया था और अपनी मां को इधर उधर देख रहा था और कहीं भी उसकी मां नजर नहीं आती फिर से समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां कहां चली गई,,,, उसे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी थी इसलिए वह अपने मन में सोचा कि चलो दुकान के पीछे जाकर पेशाब कर लेते हैं उसके बाद देखते हैं कि उसकी मां कहां गई है,,,, और राजू भी दुकान के पीछे वाले भाग पर आ गया और दो चार कदम आगे चलने पर उसे झाड़ियों में सुरसुरा हक की आवाज सुनाई

दी तो वह उस तरफ नजर करके देखने लगा तो उसकी आंखों में चमक आ गई क्योंकि तीन चार मीटर की दूरी पर ही उसकी मां अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर बैठी हुई थी और मुत रही थी,,, यह देखते ही राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया ,,,,, सुनहरी धूप में उसकी मां की गोरी गोरी गाल और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर राजू पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी मां को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके ठीक पीछे झाड़ियों में खड़ा होकर उसका बेटा उसकी नंगी गांड के साथ-साथ उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है अगर यह बातों से पता चल जाए तो शायद वह शर्म से पानी पानी हो जाए,,,,,।

राजू झाड़ियों के पीछे अपने आप को छिपाया हुआ था लेकिन इस तरह से कि अगर उसकी मां की नजर उस पर पड़े तो वह उसे अच्छी तरह से देख पाए लेकिन उसे बिल्कुल भी शक ना हो कि राजू जानबूझकर वहां पर खड़ा है,,,,, इसलिए राजू चला कि दिखाता हुआ अनजान बनता हुआ धीरे से गीत गुनगुनाने लगा ताकि उसके गीत की आवाज उसकी मां सुन सके और पीछे नजर घुमाकर देख सके इसलिए वह अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और गीत गाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, उसकी युक्ति काम कर गई गीत की आवाज सुनकर उसकी मां तुरंत पीछे नजर घुमाकर देखी तो झाड़ियों के पीछे राजू खड़ा था वो एकदम से घबरा गयी उसे लगा कि उसका बेटा झाड़ियों के पीछे खड़ा होकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि उसका बेटा गीत गुनगुनाता हुआ पेशाब कर रहा था,,, जिसका मतलब साफ था कि उसका बेटा इस बात से अनजान था कि उसके थोड़ी ही दूर पर उसकी मां बैठकर पेशाब कर रही है,,,,,, अब उसे बहुत शर्म आ रही थी उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार बह रही थी लेकिन एकदम से घबरा गई थी अगर इस समय बहुत पर खड़ी हो जाती तो उसका बेटा उसे देख लेता और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी एकदम शांत हो गई और अपनी पेशाब को थोड़ी देर के लिए रोक ली ताकि उसमें से आ रही सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक ना पहुंच पाए,,, एक बार फिर से वहां झाड़ियों की तरह देखी तो इस बार उसके होश उड़ गए क्योंकि इस बार उसकी नजर उसके बेटे के खड़े टनटनाते लंड की तरफ गई थी और यह देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी कि उसका बेटा अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाता हुआ पेशाब कर रहा था,,,, मधु को अपने बेटे का लंड एकदम साफ नजर आ रहा था और एकदम भयानक आकार का दिख रहा था जिसके बारे में सोच कर अनजाने में ही उसके मन में यह ख्याल आ गया कि अगर इतना मोटा लंड उसकी बुर में घुसेगा तो क्या होगा,,, एकदम से मधु की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और झाड़ियों के पीछे खड़ा राजू चोर नजरों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख रहा था जो कि उसने अभी तक यह जानते हुए भी कि झाड़ियों के पीछे उसका बेटा खड़ा है अपनी गांड को साड़ी से ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी,,, ऐसा नहीं था कि वह जानबूझकर अपने बेटे को अपनी गांड के दर्शन करा रही थी वह बस घबराहट में भूल गई थी साड़ी को नीचे करना,,,।

राजू कुछ देर तक अपनी मां के गांड के दर्शन करता रहा और पेशाब कर कर अपनी मां से पहले वहां से जाना चाहता था इसलिए तुरंत वहां से चला गया क्योंकि वह‌यह नहीं बताना चाहता था कि वह इस बात को जानता है कि उसकी मां वही पेशाब कर रही है इसलिए राजू के तुरंत वहां से जाते हैं एक बार फिर से मधु पेशाब की धार को अपनी गुलाबी छेद से बाहर निकालने लगी और थोड़ी देर में पेशाब करके वहां दूसरी तरफ से घूम कर बैलगाड़ी के पास जाकर खड़ी हो गई तब तक राजू उसे ढूंढ रहा था जब देखा कि उसकी मां रेलगाड़ी के पास खड़ी है तो वह तुरंत वहां पर आया और बोला,,।

कहां चली गई थी मां मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,(राजू जानबूझकर यह बात अपनी मां से बोला था ताकि उसकी मां को यही लगे कि वाकई में उसने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है उसकी मां भी बात बनाते हुए बोली,,,)

कहीं नहीं बहुत दिन बाद बाजार आई थी ना इसलिए थोड़ा घूम कर आई हूं,,,,।
(मधु को ऐसा ही लग रहा था कि उसके बेटे ने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है और राजू अपनी मां का जवाब सुनकर मन ही मन अपने आप से बोला ,,, कि कितना झूठ बोल रही है ऐसा साथ-साथ नहीं कह देती कि मैं मुत के आ रही हूं,,,,, फिर वह अपने मन में सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ कि उसकी मां को पता नहीं था कि वह उसे देख लिया है,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से वह खड़ा होकर पेशाब कर रहा था जरूर उसकी मां उसके खड़े लंड को देखी होगी,,,, यह सोचता हुआ थोड़ी ही देर में वह चलने के लिए तैयार हो गया बेल गाड़ी पर बैठने मैं अपनी मां की सहायता करने लगा और उसकी मां एक बार फिर से ऊपर चढ़ते समय अपनी बड़ी बड़ी गांड को भरकर बेल गाड़ी में बैठ गई और राजू बेल गाड़ी पर बैठकर बेल को हाक कर आगे बढ़ गया,,,।)
 
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एक बार फिर राजू बाजार में कुछ देर रुक कर बैलगाड़ी लेकर आगे बढ़ गया था,,, लेकिन बाजार में उसने अपनी आंखों से और अपनी बातों से अपनी मां के साथ खूब मस्ती किया था जिसका एहसास मधु को भी थोड़ा थोड़ा हो रहा था,,,,,, खरबूजे वाली बात की तुलना अपनी मां की चुचियों से करके राजू अपने हौसले को और बड़ा चुका था,,, वह आप समझ गया था कि उसकी मां के साथ वो किसी भी तरह की बात करेगा तो उसकी मां उससे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,, राजू अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी गंदी बातों से उसकी मां को भी मजा आता है तभी तो वह उसे रोकती नहीं है ,,बस उपर उपर से ही नाराज होने का नाटक करती है,,,,,, औरत और बाजार में दुकान के पीछे जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अभी भी उत्तेजना की हलचल हो रही थी वह सोचा नहीं था कि उसे ऐसे माहौल में अपनी मां की नंगी गांड देखने को मिल जाएगी और उस जबरदस्त नजारे को देखकर उसके मन में पूरी तरह से माहौल बन चुका था,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार अपनी मां की गांड देख रहा था वह कई बार अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख चुका था और अपने पिताजी के साथ संभोग रत और संभोग से पहले की क्रियाकलापों को भी देख चुका था,,, लेकिन एक मर्द चाहे जितनी बार भी औरत को नग्न अवस्था में देख ले फिर भी उस औरत को नग्न,,, बिना कपड़ों के देखने की उसकी लालच कभी कम नहीं होती और यही हाल राजू का भी था क्योंकि वह भी मर्दों की जाति से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था,,,।

अपनी मां को पेशाब मुद्रा में देखकर वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,,, सुनहरी धूप में गोरी गोरी गांड ओर भी ज्यादा चमकते हुए अपनी आभा बिखेर रही थी,,, जिसकी चमक में खुद है राजू की आंखें चौंधिया गई थी,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार किसी औरत की गांड को देख रहा था अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों की गांड को नंगी देख भी चुका था और अपने हाथों से नंगी करके चुका था और गांड चुदाई भी कर चुका था,,,, फिर भी उसे अपनी मां की नंगी गांड देखकर जो मजा मिलता था वह किसी भी औरत की गांड से ना तो देखकर और ना ही उनसे संभोग करके मिलती थी,,,,।,,,

बाजार से निकल चुके थे और दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनों अपने अपने मन में वही सोच रहे थे जो कि कुछ देर पहले हो चुका था मधु भी दुकान के पीछे वाले भाग में जिस तरह से पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी कमर तक उठा कर बैठी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसे इस हाल में देख रहा होगा,,,,‌ यह तो निश्चित तौर पर वह नहीं कह सकती थी कि उसे पेशाब करते हुए उसके बेटे ने देखा था या नहीं देखा था,,, लेकिन जिस हाल में उसने अपने बेटे को देखी थी और उसके अंजानपन को देखकर मधु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे ही उसके बेटे ने अनजाने में ही वहां पर आ गया था लेकिन उसे पेशाब करते हुए देखा नहीं था अपने बेटे को इतने करीब महसूस करके शर्म के मारे मधु का जो हाल हो रहा था वह बयां नहीं कर सकती थी वह एकदम शर्मसार हुए जा रही थी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर पड़ जाती है तो क्या होता उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका बेटा अपने मन में क्या सोचता,,,, बाजार में पेशाब करते समय जो हाल मधु का हुआ था उससे उसे अपनी जवानी के दिनों की बात याद आ गई थी जब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और ऐसे ही एक दिन वह बाजार गई हुई थी और बाजार से लौटते समय खेत में झाड़ियों के पीछे इसी तरह से अपनी सलवार की डोरी खोल कर वह पेशाब करने बैठ गई थी और उसी समय एक आदमी ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया था वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन दरी बिल्कुल भी नहीं थी और तुरंत खड़ी होकर अपनी सलवार को बाद कर उस आदमी को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन इस तरह की हिम्मत वह अपने बेटे के सामने नहीं दिखा पाई थी,,,, अपने बेटे की मौजूदगी में तो उसमें अपनी साड़ी को नीचे कर सकने की हिम्मत नहीं थी ताकि उसकी नंगी गांड ढंक जाए,,,,,, क्योंकि उस समय उसमें शर्म और डर दोनों के भाव एक साथ भरे हुए थे,,,, उस समय अपने बेटे के यहां भाव को देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ है और वह उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा था वधू बड़े आसानी से अपने बेटे के जाल में फंस गई थी उसकी चला कि को बिल्कुल भी समझ नहीं पाई थी और राजू था कि अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपनी मां की नंगी गांड को भी देख लिया था और अपने खड़े लंड का दर्शन भी अपनी मां को करा दिया था जिसे देखकर उसकी मां की बुर कुलबुलाने लगी थी,,,,,,,।

बेल गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और मधु अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर ‍शर्म भी महसूस कर रही थी और ना जाने क्यों उतेजीत भी हुए जा रही थी,,,। बैलगाड़ी में रखे हुए बड़े-बड़े खरबूजे को देखकर उसकी नजर अपने आप ही अपनी छातियों पर चली गई तो वह मुस्कुरा दी,,, क्योंकि जिस तरह से खुले तौर पर उसके बेटे ने सूचियों की तुलना खरबूजे के आकार को लेकर किया था इस तरह से खुलकर तो कभी उसके पति ने भी उससे यह बात नहीं कहा था लेकिन एक बात पर वह हैरान थी कि उसके बेटे को उसकी चुचियों का आकार एकदम सचोट रूप से कैसे पता है,,,, वह ऐसे ही एक खरबूजे को अपने हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में दूसरे खरबूजे को और तराजू की तरह दोनों को नापने तोलने लगी,,, कभी खरबूजे की तरफ तो कभी अपनी चुचियों की तरफ देख रही थी दोनों के आकार में बिल्कुल भी अंतर नहीं था,,,, मधु मन ही मन में सोचने लगी कि उसका बेटा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है,,, या तो ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों का नाप भांप गया हो,,,,।

मधु अपने मन में यही सब सोच रही थी और बैलगाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी बाजार काफी दूर निकल गया था,,, एकदम दोपहर का समय हो चुका था लेकिन जगह जगह पर काले काले बादल नजर आ रहे थे लेकिन अभी तक बारिश हुई नहीं थी जो कि उन दोनों के लिए अच्छा था क्योंकि सफर काफी लंबा था ऐसे में बरसात हो जाती तो दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती,,,,,,,, एक नजर अपने बेटे की तरफ डालकर मधु बोली,,,।

राजू तू अब बैलगाड़ी एकदम अच्छा चलाने लगा है बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होती कितने आराम से लेकर जा रहा है,,,


मेरे पिताजी ने मुझे अच्छे से सिखा दिया है,,, तभी तो तुम्हें इतनी दूर ले जाने ले आने की जिम्मेदारी मुझे सौंप दिए हैं वरना वह खुद आ जाते,,,,,


हां राजू सही बात कह रहा है तू वरना तेरे पिताजी इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं करते कि तुझे बेल गाड़ी ठीक से चलानी ना आती हो तो मुझे तेरे साथ इतनी दूर भेज दिए हो,,,
(दोनों मां-बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि,,, राजू को बेल गाड़ी चलाने आने की वजह से उसके पिताजी ने सहज रूप से उसे दवा लेने के लिए भेज दिया था बल्कि हकीकत तो यह थी कि जैसे ही बैलगाड़ी गुलाबी और हरिया की नजरों से दूर हुआ था वैसे ही तुरंत वह दोनों घर में आते ही दरवाजा बंद करके सिटकिनी लगा दिए थे,,, और दोनों के बदन से कब कपड़े निकल कर जमीन पर गिर गए दोनों को पता ही नहीं चला,,, इसके बाद दोनों की कामलीला शुरू हो गई,,, ऐसा मौका दोनों को कहां रोज रोज मिलता था इसलिए दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे और हरिया अपनी छोटी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला अभी तक जारी ही था तो उन्होंने घर में दरवाजा बंद करके नंगे होने के बाद कपड़ों को हाथ तक नहीं लगाए थे और उसी तरह से ही घर का काम पूरा होता भी रहा दोनों ने खाना भी खाया और जब से भैया का लैंड खड़ा होता था तब तक वह गुलाबी की बुर में डालकर शांत हो जाता था,,,,)

अच्छा ही हुआ राजू कि तेरे पिताजी ने तुझे बेल गाड़ी चलाना सिखाती है वरना तू भी गांव के लड़कों की तरह आवारा घूमता रहता और औरतों के बारे में ना जाने कितनी गंदी गंदी बातें करता रहता,,,,।

अरे मां तुम मुझे गलत समझ रही हो,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं लोगों से गंदी बातें लिखता नहीं हूं लेकिन क्या है ना कि उन लोगों की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगती हैं,,,, पहले देखो मैं इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था जबसे उन लोगों की संगत में आ गया तब से औरतों को दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया,,, और पहले तो मैं औरतों से बिल्कुल भी बात तक नहीं करता था ना उनकी तरफ देखता था,,,, इसमें तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना मैं अपनी गलती तुम्हारे सामने सभी कार्य कर रहा हूं और मैं जानता हूं कि तुम मुझे माफ कर दोगी,,,,,।

(मधु अपने बेटे की बात को सुन कर मुस्कुरा रही थी और जैसे उसकी नजर चूड़ियों की तरफ गई तो उसके मन में जो सवाल था वह उसके होंठों पर आ गया और वह राजू से बोली,,,,)

अच्छा मुझे तो सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहां से,,,, जो तूने मुझे चूड़ियां खरीद के दिला दिया,,, औरत और खरबूजे समोसे और जलेबियां भी खिलाया,,,।

अरे मां तुम क्या समझती हो कि कहीं में डाका डाल कर पैसे लेकर आया हूं डाकू या चोर नहीं हूं मैं मेहनत के पैसे हैं और वैसे भी मैं तुम्हें उस दिन बताया ही था ना कि लाला हमें और ज्यादा अधिक काम देने लगा है,,, और तो और मैं उसके आना आज के गोडाउन पर थोड़ा और काम कर देता हूं तो मुझे बख्शीश दे देता है यह पैसे उसी के थे,,,,,,


अरे वाह राजू तू तो अब कमाने लगा है और तेरी उम्र के लड़के जो भी अपने गांव में है मुझे नहीं लगता कि एक पैसा भी कमा कर आते हैं,,,

नहीं तो वह लोग कहीं काम नहीं करते,,,,

तब तो तू उन लड़कों में सबसे अच्छा लड़का है,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर राजू खुश हो गया वह चाहता है तो अपनी मां को हकीकत बता सकता था कि हलाला क्यों उस पर मेहरबानी करने लगा है वह साला और उसकी बहन की काली करतूतों को अपनी मां के सामने बता देता लेकिन वह खास मकसद से उस राज को अभी बताना नहीं चाहता था वह खास मौके पर अपनी मां से उन दोनों की कामलीला को बताना चाहता था ताकि उसका भी काम बन सके,,,,।
दोनों के बीच कुछ देर के लिए फिर से खामोशी छा गई मधु अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे की हरकत तो शर्मिंदगी और उत्तेजना से भरी हुई है लेकिन वह आप कमाने लगा है वह एक अब आदमी बन गया है जो अपने परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलने लगा है इस बात की खुशी मधु के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर उसकी हरकतों के बारे में सोच कर उसके चेहरे के भाव बदलने लगते थे वह शर्म से पानी पानी होने लगती थी उसकी बातों पर गौर करके उसकी हरकत को देखकर,,,, उसमें अपने बेटे से ज्यादा एक मर्द नजर आने लगता था,,,, क्योंकि जो कुछ भी हो कहता था जो कुछ भी हो करता था वह एक बेटा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और वैसे भी राजू की हरकतें एक बेटे की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,, एक मर्द जिस तरह से औरत को रिझाने के लिए अश्लील हरकतें करता है गंदी बातें करता है उसी तरह से राजु भी अपनी मां को रिझाने के लिए एक मर्द की तरह ही बर्ताव कर रहा था मधु अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसका बेटा उसे अपनी मां न समझ कर एक औरत समझकर इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,,,, रिश्तो के बीच जब मर्द और औरत का नजरिया आ जाए तो मर्यादा की डोरी टूटने में बिल्कुल भी देर नहीं लगती लेकिन इस मर्यादा की डोरी को टूटने से अभी तक मधु बचाई हुई थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की हरकत से उसे भी आनंद आने लगा था उसकी बातें सुनकर उसे भी मजा आता था,,,,,,,, सभी राज्यों के मन में ख्याल आया कि देखो उसकी मां समोसे की दुकान के पीछे वाले वाक्ये के बारे में क्या बताती है,,, इसलिए वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,।

वैसे मां तुम चली कहां गई थी क्या कोई चीज अच्छी लग गई थी उसे खरीदना चाहती थी क्या,,,, अगर ऐसा है तो मुझे बताई होती मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,,।
(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु एकदम सकते में आ गई क्योंकि वह उस समय पेशाब कर रही थी लेकिन अपने बेटे को झूठ बोली थी कि वह बाजार में इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह ठीक अपने बेटे के सामने बैठी हुई थी इसलिए वह अपनी बात को बनाते हुए बोली)

नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो यूं ही बाजार में घूम रही थी काफी दिनों बाद बाजार आई थी ना इसलिए वैसे भी मुझे बाजार घूमने में बहुत मजा आता है,,,,।

ओहहहह तो कहना चाहिए था ना मैं रोज तुम्हें बाजार लेकर जाता अब तो बैलगाड़ी ही मेरे हाथों में आ गई है,,,

हां यह तो तू ठीक कह रहा है अब जब भी मेरा मन करेगा तो तुझे बाजार लेकर चली जाऊंगी अब तो उसके पैसे भी कम आने लगा है इसलिए पैसे की भी चिंता नहीं है,,


हा मा तुम पैसे की बिल्कुल भी चिंता मत करना तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है,,,

अरे वाह तू मेरे लिए जान देने लगा कब से,,,।

अरे कब से क्या जब से इस बात का एहसास हुआ है कि मेरी मां सबसे खूबसूरत औरत है इसलिए,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से औरत शब्द सुनकर मधु की दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे एक औरत के नजरिए से देखता है तभी उसकी हरकतें इतनी अश्लील होते जा रही हैं,,,,)

चल रहने दे मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरत गांव भर में है,,,

तुम्हारी ।ह गलतफहमी है मा,,, तुमसे खूबसूरत गांव में तो क्या अगल-बगल के 10 गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता चला कि गांव में मेरे जैसी खूबसूरत औरत कोई और नहीं है तो क्या औरतों को देखता रहता है क्या,,,?

(राजू को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी मां सेवा कुछ भी कहेगा उसकी मां बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि वह बहुत कुछ बोल चुका था गंदी से गंदी बातें कर चुका था यहां तक कि खुले शब्दों में अपनी मां की बुर में लंड डालने की बात भी कह चुका था लेकिन उसकी मां से एक शब्द तक नहीं खाई थी इसीलिए राजू इस मौके का फायदा उठाना चाहता था और अपनी बातों से अपनी मां का दिल बहलाना चाहता था औरतों की संगत में आकर राजु को इतना तो समझ में आ ही गया था कि औरतों को किस तरह की बातें अच्छी लगती हैं इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

नहीं पहले तो नहीं देखता था लेकिन जब से मेरी संगत गलत दोस्तों से पड़ गई तब से ना जाने क्यों मेरा नजरिया बदलता चला गया और मैं गांव भर में घूम-घूम कर औरतों को देखने लगा,,,

क्या देखता था औरतों में,,,(मधु उत्सुकता भरे शब्दों में बोली,,,,, एक बार फिर से राजू को माहौल बनता हुआ नजर आ रहा था,,,, बैलगाड़ी कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती चली जा रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी ऐसे में अपनी मां की उत्सुकता को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, भले ही राजू अपनी मां से लाख कोशिशों के बाद भी उसे हासिल नहीं कर पाया था उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था लेकिन उसे अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करने में भी बेहद उत्तेजना का अनुभव होता था और उसे बहुत मजा आता था इसलिए अपने होठों पर मुस्कान लाता हुआ अपनी मां से बोला,,,)

सच कहूं तो औरतों में देखने लायक क्या नहीं है ऊपर से नीचे तक सब कुछ देखने लायक है । सर के बाल से लेकर झांट के बाल तक सब कुछ खूबसूरत ही होता है,,,।
(राजू जानबूझकर इस तरह की बात कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से झांट शब्द सुन कर‌ वह चौंकते हुए बोली,,,)

क्या,,,,?

अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं यहीं पर बात खत्म करता हूं लेकिन जो कुछ भी हकीकत है मैं वही बता रहा हूं,,,


नहीं नहीं वह बात नहीं है तूने कहा क्या खूबसूरती के बारे में,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसकी मां वही सुनना चाहती है जो वह बोलना चाहता है इसलिए आप अपनी बात में बिल्कुल भी मर्यादा के शब्द चलाना नहीं चाहता था वह पूरी तरह से अपने शब्दों को अश्लील कर देना चाहता था इसलिए वह बोला,,)

यही मां की औरतों का सब कुछ खूबसूरत होता है उनके सर के बाल से लेकर के उनके झां‌ट‌ के बाल तक,,,)

सर के बाल तो ठीक है लेकिन उस बाल के बारे में तुझे कैसे पता चला,,,,


अरे मां तुम भी अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे सब कुछ पता चलता है और वैसे भी ऐसे दोस्त मिले हैं कि अगर नहीं पता चलता हो तो फिर भी सब कुछ बता देते हैं,,,


तूने देखा है क्या वहां के बाल,,,,(मधु अपने चेहरे पर शर्म का एहसास लाते हुए बोली)

हां देखा हूं,,,


कहां देखा है,,,(थोड़ा सा मधु घबराते हुए बोली उसे इस बात का डर था कि कहीं घर में ही तो नहीं देख लिया है)


अरे अपना मुन्ना है ना वही मुझे पड़ोस के गांव लेकर गया था अपनी चाची के वहां,,,, वहीं पर मैंने उसकी चाची को देखा था,,,।

क्या वह तुझे अपनी चाची दिखाने के लिए किया था,,,


अरे नहीं मैं वह मुझे अपनी चाची दिखाने के लिए नहीं ले गया था बल्कि किसी काम से गया था,,,,

तो तूने केसे देख लिया,,,,?

अरे वहां पहुंचकर मुन्ना किसी काम से किसी दूसरे के घर चला गया और मैं वहीं बैठा रह गया मुझे बैठे-बैठे प्यास लग गई,,,, और मैं पानी लेने के लिए घर के पीछे की तरफ चला गया और वहां जाकर देखा तो मेरे होश उड़ गए,,,।

(इतना सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा क्या राजु ने देख लिया इसलिए उत्सुकता भरे स्वर में बोली,,)

ऐसा क्या देख लिया कि तेरे होश उड़ गए,,,


अरे मां यह पूछो कि मैंने क्या नहीं देखा,,,, मैं जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो मैंने देखा कि मुन्ना की चाची जो कि एकदम जवानी से भरी हुई थी वह कुए पर खड़ी थी और कुएं में बाल्टी से पानी निकाल रही थी,,,,।
(कुवे वाली बात सुनते ही मधु की आंखों के सामने अपनी बेटे के साथ कुएं से रस्सी खींचने वाली बात याद आ गई जब पहली बार वह उसका साथ देने के बहाने उसके साथ कुएं पर आया था और उसके पीछे खड़ा होकर अपने मर्दाना अंग की रगड़ को उसकी गांड पर महसूस कर आया था तभी से मधु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा बड़ा हो रहा है और साथ में उसका लंड भी बड़ा हो रहा है,,,,)

तो इसमें क्या हो गया कुवे से पानी निकाल रही थी तो,,,


अरे यही तो बात है वह दूसरी औरतों की तरह ही कुवे से पानी निकाल रही थी लेकिन दूसरी औरतों की तरह उसके बदन पर कपड़ा होना चाहिए था ना साड़ी पहनी होनी चाहिए लेकिन वह बिल्कुल नंगी थी एकदम नंगी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था,,,)

क्या,,,,?( मधु,,एकदम से चौंकते हुए बोली)


हां मैं एकदम सच कह रहा हूं मैं पहली बार किसी औरत को बिना कपड़ों के देखा था एकदम नंगी और क्या लग रही थी मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था थोड़ी दूरी पर पेड़ के पीछे छुप कर मैं सब कुछ देख रहा था,,,, उसकी गोरी गांड मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मेरा तो हालत ही खराब हो गया,,,, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं एक बार तो ऐसा मन हो रहा था कि वहां से चला जाऊं लेकिन पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था इसलिए मेरे पैर वहीं जम से गए थे,,,, और नजरें उसी दृश्य से चिपक गई थी,,,,,,।


तुझे डर नहीं लग रहा था अगर कोई तुझे वहां देख लेता तो,,,


डर तो मुझे बहुत लग रहा था लेकिन जिस तरह का नजारा मेरी आंखों के सामने पहली बार आया था उधर से जाने का मन नहीं कर रहा था,,,,

फिर क्या हुआ,,,?(मधु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और राजू अपनी मां की उत्सुकता देख कर खुश हो रहा था ऐसा किसी भी तरह का वाकया उसके साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था बस वह ऐसे ही मनगढ़ंत बातें अपनी मां को बता कर उसके मन को टटोल रहा था)


फिर मैं उसी तरह से रस्सी को खींच रही थी और रस्सी खींचने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि जैसे बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो,,,(गांड की जगह बड़े-बड़े तरबूज की उपमा को अपने बेटे के मुंह से सुनकर मधु को हंसी आ गई थी लेकिन वह अपने हंसी को रोक ली,,,) मेरी तो हालत खराब हो रही थी पहली बार मैं किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था उसकी नंगी चिकनी पीठ सब कुछ नजर आ रहा था तभी वह पानी निकाल कर मेरी तरफ घूम गई लेकिन उसने मुझे नहीं देखी थी लेकिन मैं सब कुछ देख रहा था उसकी चूचियां,,,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत तो नहीं थी,,,( अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह सीधे-सीधे उसकी चूचियों की तुलना उस औरत से कर रहा था और उसके मुंह से यह सुनकर अच्छा लग रहा था कि उसकी तरह उसकी चूचियां नहीं थी मतलब की मधु की खुद की चूचियां बहुत खूबसूरत थी) लेकिन नारंगी से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,,,, उसे देख कर तो मेरी आंखें एकदम चमक गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं वह ठीक मेरे सामने खड़ी थी उसकी नजर कभी भी मेरे पर पड़ सकती थी लेकिन मैं अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा लिया था और थोड़ी देर बाद फिर से नजर उसकी तरफ करके देखने लगा तो इस बार मेरी नजर उसकी चिकने पेट से नीचे की तरफ आई और दोनों टांगों के बीच की वह पतली लकीर मैंने जिंदगी में पहली बार देखा जिसे बुर कहते हैं,,,, घुंघराले बालों से गिरी हुई बहुत खूबसूरत लग रही थी पहली बार मुझे पता चला कि औरत की बुर के आसपास बाल होते हैं,,,,,,(अपने बेटे के मुंह से बेझिझक बुर शब्द सुनकर मधु के तन बदन में आग लग गई हो गहरी सांस लेते हुए अनजाने में ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख दी जो कि धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी,,, एक बार इसी तरह की बातों से राजू ने उसका पानी निकाल दिया था और अब धीरे-धीरे उसके मदन रस की बूंदों को बुर की अंदरूनी दीवारों से बाहर निकलवा रहा था,,,, और राजू बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) वरना मैं तो यही समझता था कि हम मर्दों के लंड के आसपास ही बाल होते हैं,,,,(राजू अपने शब्दों के बाण से लगातार अपनी
मां के संस्कारी और मर्यादा रूपी दीवार को गिराने की कोशिश कर रहा था धीरे-धीरे उसके शब्दों से वह मर्यादा की दीवार डहने को मजबूर होती जा रही थी,,,,,, पहले गांड और बुर और फिर लंड अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों को सुनकर मर्यादा की मजबूत डोरी तार-तार होने पर मजबूत हो रही थी,,, मधु में इतनी हिम्मत अब नहीं बची थी कि वह अपने बेटे को इस तरह के शब्दों को कहने से रोक सके,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी खास करके वह बात दोनों टांगों के बीच की पतली दरार,,, औरतों की बुर के बारे में उसे पतली दरार के रूप का व्याख्यान पहली बार हुआ अपने बेटे के मुंह से सुन रही थी वरना आज तक सिर्फ हुआ अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को बुर ही कहती आ रही थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।) सच में मां मैं तो यही सोचता था किसी भी हम मर्दों को ही लंड के आसपास बाल होते लेकिन पहली बार मुन्ना की चाची को देखकर मेरा ख्याल बदल गया था और मैं पहली बार जाना था कि औरतों की बुर के आसपास भी बाहर होते हैं और पहली बार तो मैं किसी औरत की बुर देख रहा था इसलिए दूर देखकर मैं एकदम से हैरान रह गया था इससे पहले तो मैं बुर की कभी कल्पना भी नहीं कर पाता था कि बुर दिखती कैसी है,,,, सच में मां मैं पहली बार देख रहा था कि औरत की बुर केवल एक पतली दरार की तरह होती है बीच में पतली बनार और इर्द-गिर्द फूली हुई जगह मानो कि जैसे कचोरी फुल गई हो,,,।
(जिस तरह से राजू औरत के अंगों के बारे में उदाहरण दे रहा था उसे सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी)

सच में तु पहली बार देख रहा था,,,,


हा मा मैं सच कह रहा हूं में पहली बार देख रहा था,,, इससे पहले में औरतों को केवल कपड़ों में ही देखा था,,, मैं तो तब और ज्यादा हैरान हो गया जब देखा कि मुन्ना की चाची साबुन से अपनी बुर रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी मेरे तो होश उड़ गए सच कहूं मा तो मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,,, ठीक उस दिन की तरह जब खेत में मैंने तुम्हारे हाथ में पकड़ाया था,,,( इस बार अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बात सुनकर वह एकदम से मदहोश हो गई,,,, राजू अपनी मां के चेहरे पर अपनी बातों का असर देखना चाहता था उसी के पीछे मुड़कर अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

उसकी मां का चेहरा शर्म और उत्तेजना से एकदम लाल हो गया था,,, वह तुरंत आगे की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी बातों ने उसकी मां पर असर करना शुरू कर दिया था और वह भी एकदम बुरी तरह से,,,, अपनी बात को आगे बढ़ाता तब से उसे आगे गांव नजर आने लगा और वह बोला,,)

लगता है हम लोग आ गए ना,,,
(इतना सुनकर मधु आगे की तरफ देखने लगी तो गांव नजर आ रहा था और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)

हां यही गांव है आगे चलकर बांई ओर मुड जाना,,,

और थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी ठीक वैद्य के घर के सामने जाकर रुकी,,, बैलगाड़ी में से उतरने से पहले मधु साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को टटोलकर उस का जायजा लेना चाहती थी कि उसके बेटे के शब्दों ने उसे कितनी क्षति पहुंचाई है,,, इस बार अपने बेटे की बात सुनकर वह झाड़ी नहीं थी लेकिन बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,,।)
 

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