- 1,167
- 1,335
- 143
इधर!
करवट बदलते लाम्बा को अपनी जान बचानी मुश्किल हो रही थी। वह तेजी से करवट बदलता डूबा सड़क के किनारे की ओट में पहुंच जाना चाहता था। तभी उसके हाथ से खून की एक बोतल निकल गई।
उसने झपटकर- बोतल पर हाथ डालना चाहा लेकिन इसी बीच एक गोली बोतल से टकराई और बोतल छार -छार होकर बिखर गई।
सड़की पर खून ही खून फैल गया।
लाम्बा ने क्रोध में उस दिशा में देखा जिस दिशा से चलने वाली गोली ने खून की बोतल जोड़ी थी। उसे कार की खिड़की से झांकता हुआ जोजफ नजर आया।
अगले ही पल उसके पिस्तौल का ट्रेगर दब गया। जोजफ अगर फुर्ती से हट न गया होता तो पिस्तौल की गोली उसका भेजा बिखरा देती।
लाम्बा उस समय बच निकलने की फिरंकी में
था।
लड़ने के लिए बाद में उसके पासब हुत वक्त था , तब तक वक्त नहीं था जब तक कि वह खून की बोतल डाक्टर को पहुंचा नहीं देता।
उस समय उसके पास वह खून की बोतल अपनी जान से भी ज्यादा कीमत रखती थी।
वह लुटकता हुआ सड़की के किनारे तक पहुंच गया था।
उसने अपनी पिस्तौल सामने की ओर खाली किया। वह तब तक फायरिंग करता रहा जब तक
कि पिस्तौल खाली नहीं हो गया।
पिस्तूल खाली होते ही उसने होल्सतर से रिवा ल्व र निकाल लिया और फिर बोतल संभालते हुए हॉस्पिटल की दिशा में दौड़ लगा दी।
वह सीधा रास्ते न जाकर फुलवारी के बीच कूद गया।
सीधा रास्ता खुली और साफ था।
उसे निशाना बनाया जा सकता था।
फुलवारी से होकर जब वह हॉस्पिटल के कम्पाउंड में दाखिल हुआ तो आते-जाते मरीजों में खलबली मच गई। एक हाथ में छून की बोतल , दूसरे हाथ में रिवाल्वर, बदहवास-सा आदमी।
वह जिस तरफ दौड़ता उस ओर काई-सी फूट जाती।
जैसे ही उसे पूनम को देखने वाला बाकुर मिला , उसे खून की बोतल सौंपकर वह वहां
से तुरन्त भाग निकला , क्योंकि पुलिस सायरन की कर्कश ध्वनि वहां गूंज उठी थी।
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'जानते हैं आप , वो खून की बो तल जो सड़की पर चकनाचूर हुई पड़ी है , किसके लिए. थी? जानते हैं ? ' कोठारी माणिकी देशमुख की ओर देखता हुआ तीखे स्वर में बोला- वो बोतल जो
आपकी गोली का शिकार बनी , आपकि बेटी के लिए लेकर आया था लाम्बा । वह सिर पर कफन बांधकर पूनम को बचाना चाह रहा था और आप...! आप अपनी बेटी की जिन्दगी की रहमें कांटे चुन रहे थे! कांटे! '
माणिकी देशमुख सकते की हालत में खड़ा अपने ले फ्टीनेंट की चुभती हुई बातों को सुन रहा था।
जसब हादुर इंसान ने अपनी जान की बाजी लगा दी पूनम को बचान में। वहमौत के दहाने से गुजरकर भी पूनम की जरूरत का खून डाक्टर को पहुंचाकर यहां से गया है।'
'खून. . .खून दिया जा रहा है उसे ?' देशमुख ने लड़खड़ाते हुए स्वर में पूछा।
__ 'हां...दिया जा रहा है खून मगर एक बोतल खून कम पड़ सकता है। उसबोतल का सूच जिसे आपने गोलियों से उड़ा डाला। '
_ 'खून...खून का बंदोबस्त कर कोठारी। फौरन!
'आदमी भेज दिया है लेकिन उसे आने में वक्त लग सकता है। अगर बोतल आने
में देर हो गई...अगर पूनम को कुछ हो गया तो उसके जिम्मेदार आप होंगे। सिर्फ आप
अपनी ओर तनी कोठारी की उंगली से देशमुख इस तरह घबरों गया जैसे कि उसके सीने की
ओर कोठारी , ने उंगली नहीं रिवा ल्व र तान रखी हो।
'कोठारी...मैंने समझा था कि लम्बा ...।'
___ ' हां....आप तो शुरू से ही उसे दुश्मन मानते चले आ रहे हैं । कैसे-समझा ऊं आपको कि पूनम के साथ जो कुछ भी घटा है वह किसी और की कार्यवाही है। अगर लम्बा ने ऐसा-वैसा कुछ करना होता तो वह पूनम को बचाने की जान तोड़ कोशिश कभी न करता।'
'ठीकी कह रहे हो।'
'यह अब समझ में आया। '
'ओह गॉड! यहमैंने सग कर डाला। '
'अब आपके पास पछताने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।'
'कोटारी -मुझे पर लानत-मलानत तू बाद में भेजता रहना-अभी. सिर्फ इतना मालूम करके आ कि पूनम कैसी है ?'
'वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। चारों तरफ पुलिस ही पुलिस है। अफसोस इसी बात का है कि पुलिस को भी उसी नौजवान यानी लम्बा की तलाश है , ' जो घायल पूनम को लेकर वहां आया
और उसके लिए खून का बंदोबस्त किया। '
'अगर यह काम लम्बा का नहीं है तो फिर किसका है ?'
' इस बात को सिर्फ लम्बा ही जानता है। '
'तो फिर लम्बा की तलाश कर। मैं उससे फौरन मिलना चाहता हूं।'
'आप तो मिलना चाहते हैं लेकिन वह तो आप से मिलना नहीं चाहता होगा।' उसे खत्म करने के लिए आपने कोई कसर तो उठा नहीं रखी न।'
'वह सब गलतफहमी में हुआ ।'
' लेकिन आपकी गलतफहमी से वह तो वाकिफ नहीं।'
कोठार ... कुछ कर-कुछ कर! मुझे इस तरह परेशान मत कर।'
'सब से पहले तो आपको-अपने तमाम ऐसे आदमी हटाने होंगे यहां से , जो हथियार बंद हैं। '
'क्यों?'
'क्योंकि अगर उनमें से एक भी पुलिस के हाथ लग गया तो पुलिस आसानी से उसका मुंह
खुलवा लेगी। वक्ती तौर पर आप हॉस्पिटल के बाहर होने वाली फायरिंग के लिए जिम्मेदार ठहरा दिए जाएंगे। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है , मगर आपको आतकवादियों का साथी ठहराकर जेल में पहुंचाया जा सकता है।'
'ठीकी है , तूही कर यह काम। मैं पूनम को देखने जाता हूं।'
'अभी नहीं। अभी मैं चक्कर लगा लूं उसके बाद।'
'जल्दी जा कोठारी..जल्दी! '
कोठरी चला गया।
उसने हॉस्पिटल का पूरा चक्कर लगाया और वहां मौजूद अपने सभी आदमियों को वहां से हटा दिया।
उन्हें आगाह भी कर दिया कि उन्हें पुलिस की रेंज से दूर रहना है।
फिर वह वापस देशमुख के निकट पहुंचा।
'हट गए ?' उसे देखते ही देशमुख ने पूछा।
'हां।'
'अब चलें हम?'
' हां ...चलिए।'
माशिकी देशमुख बौखलाया हुआ-सा कॉरीडोर में बढ़ने लगा।
कोठारी उसके पीछे चल पड़ा।
एमरजेंसी वार्ड के विशेष चैम्बर के बाहर पुलिस ही!
पुलिस थी। उसी चैम्बर में पूनम का इलाज चल रहा
था।
ज्योंही देशमुख ने बताया कि पूनम उसकी बेटी है , पुलिस इंस्पेक्टर ने तुरन्त उसे घेर लिया। सवालों की झड़ी लगा दी।
वह जवाब देता-देता परेशान हो गया।
इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!
एक कमजोर-सा भिखारी हाथ में खून की बोतल लिए वहां आपहुंचा-'बाबू साहब , यह खून की बोतल मुझे यहां पहुंचाने को दी है। किसी को खून चाहिए क्या ?'
पुलिस इंस्पेक्टर ने फौरन बोतल लेकर नर्स को दे दी और देशमुख को छोड़कर भिखारी को घेर लिया।
'खून की बोतल किसने दी तुम्हें ?' उसने संदिग्ध दृष्टि से भिखारी को घूरते हुए पूछा।
एक नौजवान ने दरोगा जी।'
'कौन था वह ?'
'नहीं मालूम।'
'तुम किसी का भी काम करने को तैयार हो जाते हो ?'
'नहीं साहब...उसने लालच दिया था। '
'कैसा लालच ?'
भिखारी ने अपने लबादे की जेब से सौ-सौ के मुड़े-तुड़े कितने ही नोट इंस्पेक्टर को दिखाए-'ये सब उस नौजवान ने दिए थे। उसने कहा था कि अगर मैने बोतल यहाँ पहुंचा दी तो किसी की जान बच सकती है।।
'वह नौजवान कहां गया ?'
' नहीं मालूम।'
देशमुख को अवसर मिला और व ह पूनम वाले चैम्बर में दाखिल हो गया। पूनम को खून की दूसरी बोतल लगाई जा रही थी।
पुलिस इंस्पेक्टर भिखारी से अन्य किसी प्रकार की जानकारी हासिल नहीं कर सका।
___ भिखारी से उसने नौजवान का हुलिया पूछा गे भिखारी ने बताया कि उसकी एक आंख में मोतिया है और दूसरी से सिर्फ काम चलाऊ वाला हिसाब है। इसलिए वह हुलिया नहीं बता सकता।
पुलिस कुछ न कर सकी।
आखिरकार भिखारी को छोड . देना पड़ा।
थोड़ी देर बाद चिंतित अवस्था में माणिकी देशमुख चैम्बर से बाहर निकला।
'कोठारी ! ' बहु कोठारी की ओर बढ़ता हुआ बोला -खून की चार बोतलें और मंगवा लो।'
'क्यों बॉस ... क्या दूसरी बोतल भी खत्म हो गई?'
'अभी नहीं।'
' फिर'
'सावधानी के लिए। मैं नहीं चाहता कि खून की कमी की वजह से मेरी बेटी को कुछ हो जाए। '
'एक अदमी गया हुआ है। '
' उसे कुछ हो सकता है। कहीं फंस सकता है वह इसीलिए दूसरा आदमी भेज दे। जल्दी कर।'
जो आज्ञा ।'
कोठारी दूसरा आदमी भेजने के लिए वहां से चला गया।
00श्याम दुग्गल बहुत बड़ा नेता था। उसे सुरक्षा के उच्च कोटि के साधन उपलब्ध थे। वह जानता था कि हिट लिस्ट में उसका ना म बहुत ऊपर था इसीलिए वह हमेशा सतर्की रहा करता था। वह जहां भी जाता , ब्लैकी कैट कमाण्डोज उसके साथ होते।
उसने कभी भी कमाण्डोज का घेरा पार करके बाहर निकलने की कोशिश नहीं कि थी। आज उसे एक पब्लिकी मीटिंग में तब किसी ने चौंकाया जबकि वह कमाण्डोज के घेरे में चलता हुआ भाषण के बाद मंच से नीचे आ रहा था।'नेताजी तुम्हें सावधानी बरतनी होगी। इसके बाद कोई भी पब्लिकी मीटिंग अटैण्ड करना हानिकारकी हो सकता है।'
कहने वाला एक युवकी था।
उसके शब्दों को उसने स्पष्ट सुना था।
कमाण्डोज के' अतिरिक्त उसके कुछ आदमी सादा वर्दी में भी आस पास ही रहा करते,थे ताकि कोई असामाजिकी तत्व सहज ही उसके निकट न जा सके।
वैसे ही एक सादा वर्दी वाले को उसने आंखों ही आंखों ' में आदेशित किया।
और अब!
अब वह अपने उसी आदमी की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि वह उससे उस युवकी की बावत जानकारी हासिल कर सके।
__ 'साहब। ' एक कमाण्डो ने आकर आदर सूचकी स्वर में कहा- 'वह आ गया।'
' उसे फौरन हाजिर करो। '
कमाण्डो वापस चला गया।सादा वर्दी वाला उस युवकी को लेकर वहां दाखिल हुआ। युवकी रंजीत लाम्बा के अतिरिक्त कोई न था।
उसे दुग्गल ने तुरन्त पहचान लिया।
__ 'कौन हो तुम ?' उसने शंकित स्वर में लाम्बा से पूछा।
'आपका हितकारी।' लाम्बा ने सहरन स्वर में उत्तर दिया।
'तुम्हें कैसे मालूम कि अगली कोई मीटिंग मेरे लिए हानिकारकी हो सकती है ? '
'जिस स्थिति में आप हैं उस स्थिति वाले व्यक्ति को ऐसे समय में सिर्फ आम खाने से मतलब रखना चाहिए ... पेड़ गिनने से नहीं।'
लाम्बा का जवाब सुनकर श्याम दुग्गल की भक्ति तन गई। उसने गौर से लम्बा को सिर से पांच तक निहारा।
'तुम मेरे हितकारी हो ना?' वह गुर्राया।
' इसीलिए सावधान किया है। '
'सावधान किया है तो जो भी कुछ जानते हो उसके बारे में मुझ सब-कुछ ब ता दो। अगर दो मिनट के अंदर तुम रिकार्ड कि तरह बजना शुरू नहीं हुए
तो!'
'तो?' एकाएक ही लाम्बा ने तेवर बदलकर
पूछा।
'तो तुमजानते हो क्या हो सकता है। समझदार को समझाने की जरूरत नहीं होती।'
'तुम उसे धमका रहे हो जिसने तुम्हें आने वाले खतरे से आगाह किया है...उसे।'
'हितचिन्तकों के साथ इस-तरह के खेल नजरें बदल कर हमें अक्सर खेलने पड़ते है। राजनीतिकी क्षेत्र इस प्रकार की विचित्रताओं से भरा पड़ा है।'
'ओह...समझा।'
'समझ हो गए लेकिन अब जल्दी से सब-कुछ बता डालो वरना बात बिगड़ते देर नहीं लगेगी।'
'अच्छा !'
' हां।'
' तो फिर मिंस्टर दुग्गल तुम बात को-बिगाड़ ही लो । क्या समझे? '
श्या म दुग्गल ने उसे क्रोधित दृष्टि से घूर कर देखा।
' मैं तुम्हारी इन निगाहों से डरने वाला नहीं।'
'लगता है जिन्दगी से बैर मान लिया है ?'
'जान से मार दोगे न...तो ये भी सही , लेकिन अब मैं तुम्हें कु छ बताऊंगा नहीं।'
'बाद में पछताओगे।'
' आत्मा शेष रह जाएगी और आत्मा के पास इस तरह के फिजूल कामों के लिए वक्त नहीं होता।'
वक्त मेरे पास भी नहीं है। आखिरी बार पूछ रहा हूं बताते हो या नहीं?'
'बे कार ही वक्त बरबाद कर रहे हो।'
'ले जाओ इसे ! ' आंखों से भाले-बी बरसाता हुआ दुग्गल हिंसकी स्वर में गुर्राया।
दो कमाण्डोज और एक सादा वर्दी वाले ने उसे तुरन्त कवर कर लिया।
ए की साथ तीन-तीन गनों की नालें उस की ओर तन गई।
उसने तुरन्त ही समर्पण की मुद्रा में दोनों हाथ ऊपर उठा दिए।
'चलो! उसे गन की बैरल-से टहोका ग या ।
वह सांकेतिकी दिशा में चल पडा।
बाहर आ कर उसे काले शीशों वाली एक बन्द वै न में पहुंचा दिया गया।
तीनों गनर उसके साथ बैठे।
वैन वहां से चल पड़ी। धीरे-धीरे वैन की रफ्तार में वृद्धि होती चली गई।
कुछ देर बाद एक वीरान जगह पर वह रुकी।
एक गनर ने वैन का दरवाजा खोला।
दूसरे ने भद्दी-सी गाली देते हुए लम्बा को ठोकर मारकर बाहर उछाल दिया।
वो तीन थे।
तीनों के पास गने थीं और उनकी नजर में लाम्बा एक मूर्ख नौजवान था। इसलिए वे उसकी तरफ से पूरी तरह असा वधा न थे।
उन्होंने सपने में भी नहीं सोता था कि उन तीन गनों के खिलाफ लम्बा किसी तरह का कदम उठाएगा। उनके हिसाब से तो लाम्बा ने कुत्ते की मौत मरना था।
उन्हें नहीं मालूम था कि वे हत्यारों की दुनिया में जल्लाद कहे जाने वाले खतरनाकी हत्यारे के रूबरू थे।
अगर वे यह जानते कि सामने वाला कोई ल ल्लू नहीं, रंजीत लम्बा नाम का खूखार व्यक्ति है तो शायद वे उसकी तरफ से इतने लापरवाह नहीं हो ते ।
नीचे गिरते ही लाम्बा ने अपनी गर्दन के ठीकी पीछे दोनों हाथ डालकर छोटे आकार का माउजर निकाल लिया।
इसके पहले कि कोई कुछ समझता , माउजर की दहाड़ से वह वीरान क्षेत्र गूंज उठा।
__ गोलियो की बाड़ निकली और उन तीनों को चाट गई।'
- चीते जैसी फुर्ती से उछलकर लम्बा ड्राइवर की तरफ लपका। वह ड्राइवर को भी उड़ा डालना था लेकिन ड्राइवर ने घिघियाते हुए दोनों हाथ उठा दिए।
म... मुझे मत मारो साहब ...मैंने तो हुक्म मानना होता है गाड़ी चलाने का। म...मेरे पास कोई गन भी नहीं है। आप तलाशी ले लो साहब। मैं गरीब आदमी हूं। मेरे बच्चे अनाथ हो जाएंगे। ' वह गिड़गिडा ता हुआ बोला।
लाम्बा ने उसे कठोर दृष्टि से निह रा!
वह बुरी तरह घबरा रहा था। '
माउजर उसकी ओर तना था।
ट्रेगर कसने भर को देर थी और ... |
ड्राइवर एकदम से उसके पैरों में गिर पड़ा- ' नहीं-नहीं मालिकी , मुझे मत मारो।'
'उठो !'
वह उठ गया।
' गाड़ी की चाबी कहां है ?'
'गाड़ी में साहब ।'
'ठीकी है , अब उस तरफ दौड़ लगा। ' लाम्बा ने मुख्य सड़की से विपरीत दिशा की ओर सकेत करते हुए कहा।
ड्राइवर ने संदिग्ध दृष्टि से उसकी ओर देखा।
'डर मत...मैं दो मिनट तक गोली नहीं चलाऊंगा। दो मिनट यानी एक सौ बीस सैकिण्ड।'
'स..साहब
'भाग!'
'साहब।'
'भाग! ' चिल्लाते हुए लम्बा ने हवाई फायर किया। फायर के साथ ही वह वहां से पूरी शक्ति लगाकर निकल भा गा। भागते हुए वह बार-बार मुड़कर शंकित दृष्टि सें लाम्बा की ओर देख रहा था।
लम्बा पहले अपना जगह खड़ा रहा। उसके बाद उसने माउजर यथास्थान पहुंचाकर वैन की ड्राइविंग सीट संभाल ली।
करवट बदलते लाम्बा को अपनी जान बचानी मुश्किल हो रही थी। वह तेजी से करवट बदलता डूबा सड़क के किनारे की ओट में पहुंच जाना चाहता था। तभी उसके हाथ से खून की एक बोतल निकल गई।
उसने झपटकर- बोतल पर हाथ डालना चाहा लेकिन इसी बीच एक गोली बोतल से टकराई और बोतल छार -छार होकर बिखर गई।
सड़की पर खून ही खून फैल गया।
लाम्बा ने क्रोध में उस दिशा में देखा जिस दिशा से चलने वाली गोली ने खून की बोतल जोड़ी थी। उसे कार की खिड़की से झांकता हुआ जोजफ नजर आया।
अगले ही पल उसके पिस्तौल का ट्रेगर दब गया। जोजफ अगर फुर्ती से हट न गया होता तो पिस्तौल की गोली उसका भेजा बिखरा देती।
लाम्बा उस समय बच निकलने की फिरंकी में
था।
लड़ने के लिए बाद में उसके पासब हुत वक्त था , तब तक वक्त नहीं था जब तक कि वह खून की बोतल डाक्टर को पहुंचा नहीं देता।
उस समय उसके पास वह खून की बोतल अपनी जान से भी ज्यादा कीमत रखती थी।
वह लुटकता हुआ सड़की के किनारे तक पहुंच गया था।
उसने अपनी पिस्तौल सामने की ओर खाली किया। वह तब तक फायरिंग करता रहा जब तक
कि पिस्तौल खाली नहीं हो गया।
पिस्तूल खाली होते ही उसने होल्सतर से रिवा ल्व र निकाल लिया और फिर बोतल संभालते हुए हॉस्पिटल की दिशा में दौड़ लगा दी।
वह सीधा रास्ते न जाकर फुलवारी के बीच कूद गया।
सीधा रास्ता खुली और साफ था।
उसे निशाना बनाया जा सकता था।
फुलवारी से होकर जब वह हॉस्पिटल के कम्पाउंड में दाखिल हुआ तो आते-जाते मरीजों में खलबली मच गई। एक हाथ में छून की बोतल , दूसरे हाथ में रिवाल्वर, बदहवास-सा आदमी।
वह जिस तरफ दौड़ता उस ओर काई-सी फूट जाती।
जैसे ही उसे पूनम को देखने वाला बाकुर मिला , उसे खून की बोतल सौंपकर वह वहां
से तुरन्त भाग निकला , क्योंकि पुलिस सायरन की कर्कश ध्वनि वहां गूंज उठी थी।
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'जानते हैं आप , वो खून की बो तल जो सड़की पर चकनाचूर हुई पड़ी है , किसके लिए. थी? जानते हैं ? ' कोठारी माणिकी देशमुख की ओर देखता हुआ तीखे स्वर में बोला- वो बोतल जो
आपकी गोली का शिकार बनी , आपकि बेटी के लिए लेकर आया था लाम्बा । वह सिर पर कफन बांधकर पूनम को बचाना चाह रहा था और आप...! आप अपनी बेटी की जिन्दगी की रहमें कांटे चुन रहे थे! कांटे! '
माणिकी देशमुख सकते की हालत में खड़ा अपने ले फ्टीनेंट की चुभती हुई बातों को सुन रहा था।
जसब हादुर इंसान ने अपनी जान की बाजी लगा दी पूनम को बचान में। वहमौत के दहाने से गुजरकर भी पूनम की जरूरत का खून डाक्टर को पहुंचाकर यहां से गया है।'
'खून. . .खून दिया जा रहा है उसे ?' देशमुख ने लड़खड़ाते हुए स्वर में पूछा।
__ 'हां...दिया जा रहा है खून मगर एक बोतल खून कम पड़ सकता है। उसबोतल का सूच जिसे आपने गोलियों से उड़ा डाला। '
_ 'खून...खून का बंदोबस्त कर कोठारी। फौरन!
'आदमी भेज दिया है लेकिन उसे आने में वक्त लग सकता है। अगर बोतल आने
में देर हो गई...अगर पूनम को कुछ हो गया तो उसके जिम्मेदार आप होंगे। सिर्फ आप
अपनी ओर तनी कोठारी की उंगली से देशमुख इस तरह घबरों गया जैसे कि उसके सीने की
ओर कोठारी , ने उंगली नहीं रिवा ल्व र तान रखी हो।
'कोठारी...मैंने समझा था कि लम्बा ...।'
___ ' हां....आप तो शुरू से ही उसे दुश्मन मानते चले आ रहे हैं । कैसे-समझा ऊं आपको कि पूनम के साथ जो कुछ भी घटा है वह किसी और की कार्यवाही है। अगर लम्बा ने ऐसा-वैसा कुछ करना होता तो वह पूनम को बचाने की जान तोड़ कोशिश कभी न करता।'
'ठीकी कह रहे हो।'
'यह अब समझ में आया। '
'ओह गॉड! यहमैंने सग कर डाला। '
'अब आपके पास पछताने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।'
'कोटारी -मुझे पर लानत-मलानत तू बाद में भेजता रहना-अभी. सिर्फ इतना मालूम करके आ कि पूनम कैसी है ?'
'वहां किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। चारों तरफ पुलिस ही पुलिस है। अफसोस इसी बात का है कि पुलिस को भी उसी नौजवान यानी लम्बा की तलाश है , ' जो घायल पूनम को लेकर वहां आया
और उसके लिए खून का बंदोबस्त किया। '
'अगर यह काम लम्बा का नहीं है तो फिर किसका है ?'
' इस बात को सिर्फ लम्बा ही जानता है। '
'तो फिर लम्बा की तलाश कर। मैं उससे फौरन मिलना चाहता हूं।'
'आप तो मिलना चाहते हैं लेकिन वह तो आप से मिलना नहीं चाहता होगा।' उसे खत्म करने के लिए आपने कोई कसर तो उठा नहीं रखी न।'
'वह सब गलतफहमी में हुआ ।'
' लेकिन आपकी गलतफहमी से वह तो वाकिफ नहीं।'
कोठार ... कुछ कर-कुछ कर! मुझे इस तरह परेशान मत कर।'
'सब से पहले तो आपको-अपने तमाम ऐसे आदमी हटाने होंगे यहां से , जो हथियार बंद हैं। '
'क्यों?'
'क्योंकि अगर उनमें से एक भी पुलिस के हाथ लग गया तो पुलिस आसानी से उसका मुंह
खुलवा लेगी। वक्ती तौर पर आप हॉस्पिटल के बाहर होने वाली फायरिंग के लिए जिम्मेदार ठहरा दिए जाएंगे। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है , मगर आपको आतकवादियों का साथी ठहराकर जेल में पहुंचाया जा सकता है।'
'ठीकी है , तूही कर यह काम। मैं पूनम को देखने जाता हूं।'
'अभी नहीं। अभी मैं चक्कर लगा लूं उसके बाद।'
'जल्दी जा कोठारी..जल्दी! '
कोठरी चला गया।
उसने हॉस्पिटल का पूरा चक्कर लगाया और वहां मौजूद अपने सभी आदमियों को वहां से हटा दिया।
उन्हें आगाह भी कर दिया कि उन्हें पुलिस की रेंज से दूर रहना है।
फिर वह वापस देशमुख के निकट पहुंचा।
'हट गए ?' उसे देखते ही देशमुख ने पूछा।
'हां।'
'अब चलें हम?'
' हां ...चलिए।'
माशिकी देशमुख बौखलाया हुआ-सा कॉरीडोर में बढ़ने लगा।
कोठारी उसके पीछे चल पड़ा।
एमरजेंसी वार्ड के विशेष चैम्बर के बाहर पुलिस ही!
पुलिस थी। उसी चैम्बर में पूनम का इलाज चल रहा
था।
ज्योंही देशमुख ने बताया कि पूनम उसकी बेटी है , पुलिस इंस्पेक्टर ने तुरन्त उसे घेर लिया। सवालों की झड़ी लगा दी।
वह जवाब देता-देता परेशान हो गया।
इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!इसी बीच एक नर्स ने सूचना दी कि खून और चाहिए।
'कोठारी।' देश मुख उत्तेजित स्वर में चिल्लाया-खून कोठारी...खून! '
'मैं अभी बंदोबस्त करता हूं। ' कह ता हुआ कोठारी वंहा से जाने लगा।
तभी!
एक कमजोर-सा भिखारी हाथ में खून की बोतल लिए वहां आपहुंचा-'बाबू साहब , यह खून की बोतल मुझे यहां पहुंचाने को दी है। किसी को खून चाहिए क्या ?'
पुलिस इंस्पेक्टर ने फौरन बोतल लेकर नर्स को दे दी और देशमुख को छोड़कर भिखारी को घेर लिया।
'खून की बोतल किसने दी तुम्हें ?' उसने संदिग्ध दृष्टि से भिखारी को घूरते हुए पूछा।
एक नौजवान ने दरोगा जी।'
'कौन था वह ?'
'नहीं मालूम।'
'तुम किसी का भी काम करने को तैयार हो जाते हो ?'
'नहीं साहब...उसने लालच दिया था। '
'कैसा लालच ?'
भिखारी ने अपने लबादे की जेब से सौ-सौ के मुड़े-तुड़े कितने ही नोट इंस्पेक्टर को दिखाए-'ये सब उस नौजवान ने दिए थे। उसने कहा था कि अगर मैने बोतल यहाँ पहुंचा दी तो किसी की जान बच सकती है।।
'वह नौजवान कहां गया ?'
' नहीं मालूम।'
देशमुख को अवसर मिला और व ह पूनम वाले चैम्बर में दाखिल हो गया। पूनम को खून की दूसरी बोतल लगाई जा रही थी।
पुलिस इंस्पेक्टर भिखारी से अन्य किसी प्रकार की जानकारी हासिल नहीं कर सका।
___ भिखारी से उसने नौजवान का हुलिया पूछा गे भिखारी ने बताया कि उसकी एक आंख में मोतिया है और दूसरी से सिर्फ काम चलाऊ वाला हिसाब है। इसलिए वह हुलिया नहीं बता सकता।
पुलिस कुछ न कर सकी।
आखिरकार भिखारी को छोड . देना पड़ा।
थोड़ी देर बाद चिंतित अवस्था में माणिकी देशमुख चैम्बर से बाहर निकला।
'कोठारी ! ' बहु कोठारी की ओर बढ़ता हुआ बोला -खून की चार बोतलें और मंगवा लो।'
'क्यों बॉस ... क्या दूसरी बोतल भी खत्म हो गई?'
'अभी नहीं।'
' फिर'
'सावधानी के लिए। मैं नहीं चाहता कि खून की कमी की वजह से मेरी बेटी को कुछ हो जाए। '
'एक अदमी गया हुआ है। '
' उसे कुछ हो सकता है। कहीं फंस सकता है वह इसीलिए दूसरा आदमी भेज दे। जल्दी कर।'
जो आज्ञा ।'
कोठारी दूसरा आदमी भेजने के लिए वहां से चला गया।
00श्याम दुग्गल बहुत बड़ा नेता था। उसे सुरक्षा के उच्च कोटि के साधन उपलब्ध थे। वह जानता था कि हिट लिस्ट में उसका ना म बहुत ऊपर था इसीलिए वह हमेशा सतर्की रहा करता था। वह जहां भी जाता , ब्लैकी कैट कमाण्डोज उसके साथ होते।
उसने कभी भी कमाण्डोज का घेरा पार करके बाहर निकलने की कोशिश नहीं कि थी। आज उसे एक पब्लिकी मीटिंग में तब किसी ने चौंकाया जबकि वह कमाण्डोज के घेरे में चलता हुआ भाषण के बाद मंच से नीचे आ रहा था।'नेताजी तुम्हें सावधानी बरतनी होगी। इसके बाद कोई भी पब्लिकी मीटिंग अटैण्ड करना हानिकारकी हो सकता है।'
कहने वाला एक युवकी था।
उसके शब्दों को उसने स्पष्ट सुना था।
कमाण्डोज के' अतिरिक्त उसके कुछ आदमी सादा वर्दी में भी आस पास ही रहा करते,थे ताकि कोई असामाजिकी तत्व सहज ही उसके निकट न जा सके।
वैसे ही एक सादा वर्दी वाले को उसने आंखों ही आंखों ' में आदेशित किया।
और अब!
अब वह अपने उसी आदमी की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि वह उससे उस युवकी की बावत जानकारी हासिल कर सके।
__ 'साहब। ' एक कमाण्डो ने आकर आदर सूचकी स्वर में कहा- 'वह आ गया।'
' उसे फौरन हाजिर करो। '
कमाण्डो वापस चला गया।सादा वर्दी वाला उस युवकी को लेकर वहां दाखिल हुआ। युवकी रंजीत लाम्बा के अतिरिक्त कोई न था।
उसे दुग्गल ने तुरन्त पहचान लिया।
__ 'कौन हो तुम ?' उसने शंकित स्वर में लाम्बा से पूछा।
'आपका हितकारी।' लाम्बा ने सहरन स्वर में उत्तर दिया।
'तुम्हें कैसे मालूम कि अगली कोई मीटिंग मेरे लिए हानिकारकी हो सकती है ? '
'जिस स्थिति में आप हैं उस स्थिति वाले व्यक्ति को ऐसे समय में सिर्फ आम खाने से मतलब रखना चाहिए ... पेड़ गिनने से नहीं।'
लाम्बा का जवाब सुनकर श्याम दुग्गल की भक्ति तन गई। उसने गौर से लम्बा को सिर से पांच तक निहारा।
'तुम मेरे हितकारी हो ना?' वह गुर्राया।
' इसीलिए सावधान किया है। '
'सावधान किया है तो जो भी कुछ जानते हो उसके बारे में मुझ सब-कुछ ब ता दो। अगर दो मिनट के अंदर तुम रिकार्ड कि तरह बजना शुरू नहीं हुए
तो!'
'तो?' एकाएक ही लाम्बा ने तेवर बदलकर
पूछा।
'तो तुमजानते हो क्या हो सकता है। समझदार को समझाने की जरूरत नहीं होती।'
'तुम उसे धमका रहे हो जिसने तुम्हें आने वाले खतरे से आगाह किया है...उसे।'
'हितचिन्तकों के साथ इस-तरह के खेल नजरें बदल कर हमें अक्सर खेलने पड़ते है। राजनीतिकी क्षेत्र इस प्रकार की विचित्रताओं से भरा पड़ा है।'
'ओह...समझा।'
'समझ हो गए लेकिन अब जल्दी से सब-कुछ बता डालो वरना बात बिगड़ते देर नहीं लगेगी।'
'अच्छा !'
' हां।'
' तो फिर मिंस्टर दुग्गल तुम बात को-बिगाड़ ही लो । क्या समझे? '
श्या म दुग्गल ने उसे क्रोधित दृष्टि से घूर कर देखा।
' मैं तुम्हारी इन निगाहों से डरने वाला नहीं।'
'लगता है जिन्दगी से बैर मान लिया है ?'
'जान से मार दोगे न...तो ये भी सही , लेकिन अब मैं तुम्हें कु छ बताऊंगा नहीं।'
'बाद में पछताओगे।'
' आत्मा शेष रह जाएगी और आत्मा के पास इस तरह के फिजूल कामों के लिए वक्त नहीं होता।'
वक्त मेरे पास भी नहीं है। आखिरी बार पूछ रहा हूं बताते हो या नहीं?'
'बे कार ही वक्त बरबाद कर रहे हो।'
'ले जाओ इसे ! ' आंखों से भाले-बी बरसाता हुआ दुग्गल हिंसकी स्वर में गुर्राया।
दो कमाण्डोज और एक सादा वर्दी वाले ने उसे तुरन्त कवर कर लिया।
ए की साथ तीन-तीन गनों की नालें उस की ओर तन गई।
उसने तुरन्त ही समर्पण की मुद्रा में दोनों हाथ ऊपर उठा दिए।
'चलो! उसे गन की बैरल-से टहोका ग या ।
वह सांकेतिकी दिशा में चल पडा।
बाहर आ कर उसे काले शीशों वाली एक बन्द वै न में पहुंचा दिया गया।
तीनों गनर उसके साथ बैठे।
वैन वहां से चल पड़ी। धीरे-धीरे वैन की रफ्तार में वृद्धि होती चली गई।
कुछ देर बाद एक वीरान जगह पर वह रुकी।
एक गनर ने वैन का दरवाजा खोला।
दूसरे ने भद्दी-सी गाली देते हुए लम्बा को ठोकर मारकर बाहर उछाल दिया।
वो तीन थे।
तीनों के पास गने थीं और उनकी नजर में लाम्बा एक मूर्ख नौजवान था। इसलिए वे उसकी तरफ से पूरी तरह असा वधा न थे।
उन्होंने सपने में भी नहीं सोता था कि उन तीन गनों के खिलाफ लम्बा किसी तरह का कदम उठाएगा। उनके हिसाब से तो लाम्बा ने कुत्ते की मौत मरना था।
उन्हें नहीं मालूम था कि वे हत्यारों की दुनिया में जल्लाद कहे जाने वाले खतरनाकी हत्यारे के रूबरू थे।
अगर वे यह जानते कि सामने वाला कोई ल ल्लू नहीं, रंजीत लम्बा नाम का खूखार व्यक्ति है तो शायद वे उसकी तरफ से इतने लापरवाह नहीं हो ते ।
नीचे गिरते ही लाम्बा ने अपनी गर्दन के ठीकी पीछे दोनों हाथ डालकर छोटे आकार का माउजर निकाल लिया।
इसके पहले कि कोई कुछ समझता , माउजर की दहाड़ से वह वीरान क्षेत्र गूंज उठा।
__ गोलियो की बाड़ निकली और उन तीनों को चाट गई।'
- चीते जैसी फुर्ती से उछलकर लम्बा ड्राइवर की तरफ लपका। वह ड्राइवर को भी उड़ा डालना था लेकिन ड्राइवर ने घिघियाते हुए दोनों हाथ उठा दिए।
म... मुझे मत मारो साहब ...मैंने तो हुक्म मानना होता है गाड़ी चलाने का। म...मेरे पास कोई गन भी नहीं है। आप तलाशी ले लो साहब। मैं गरीब आदमी हूं। मेरे बच्चे अनाथ हो जाएंगे। ' वह गिड़गिडा ता हुआ बोला।
लाम्बा ने उसे कठोर दृष्टि से निह रा!
वह बुरी तरह घबरा रहा था। '
माउजर उसकी ओर तना था।
ट्रेगर कसने भर को देर थी और ... |
ड्राइवर एकदम से उसके पैरों में गिर पड़ा- ' नहीं-नहीं मालिकी , मुझे मत मारो।'
'उठो !'
वह उठ गया।
' गाड़ी की चाबी कहां है ?'
'गाड़ी में साहब ।'
'ठीकी है , अब उस तरफ दौड़ लगा। ' लाम्बा ने मुख्य सड़की से विपरीत दिशा की ओर सकेत करते हुए कहा।
ड्राइवर ने संदिग्ध दृष्टि से उसकी ओर देखा।
'डर मत...मैं दो मिनट तक गोली नहीं चलाऊंगा। दो मिनट यानी एक सौ बीस सैकिण्ड।'
'स..साहब
'भाग!'
'साहब।'
'भाग! ' चिल्लाते हुए लम्बा ने हवाई फायर किया। फायर के साथ ही वह वहां से पूरी शक्ति लगाकर निकल भा गा। भागते हुए वह बार-बार मुड़कर शंकित दृष्टि सें लाम्बा की ओर देख रहा था।
लम्बा पहले अपना जगह खड़ा रहा। उसके बाद उसने माउजर यथास्थान पहुंचाकर वैन की ड्राइविंग सीट संभाल ली।