Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

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फुलवा, "पठान साहब आप का मैने क्या बिगाड़ा है? मैं अभागी तो अपने बाप से लूट गई! कुछ तो रहम करो!"


शेरा पठान ने फुलवा के पेट को सहलाते हुए, "पिंकी गुड़िया तेरी कोख में मेरा बच्चा बन रहा है। क्या तू उसे ये बताएगी की उसका बाप, लखनऊ का सबसे बड़ा कातिल अपने वादे से मुकर गया? मैंने कहा था कि मैं तेरी गांड़ मारूंगा, तू भूल कैसे सकती है?"


फुलवा अपने बंधनों से जुंझती हुई रोने लगी। शेरा पठान फुलवा के पेट पर चढ़ गया और उसने फुलवा के पैरों को खोला। फुलवा को डर और राहत का एक साथ एहसास हुआ। शेरा पठान ने फिर घूमकर फुलवा को दबाए रखते हुए फुलवा के हाथ खोले।


फुलवा ने छूटने की कोशिश करने से पहले शेरा पठान ने फुलवा को पलट दिया। आगे क्या होगा यह जान कर फुलवा हाथ पांव मारने लगी।


शेरा पठान ने फुलवा को कस कर बेड पर फैला कर बांध दिया। फुलवा अपने आप को हिला भी नहीं सकती थी। शेरा पठान ने अपने काम का मुआयना किया और नीचे गिराया गया तकिया उठाया। शेरा पठान ने फुलवा की चीख को नजरंदाज करते हुए उसे बेड पर से कमर को पकड़ कर उठाया। शेरा पठान ने फुलवा के पेट के नीचे तकिए को रखा जिस से फुलवा की गांड़ उठ गई।


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शेरा पठान ने फिर दूध रखी मेज में से Peter uncle का लोशन निकाला। फुलवा शेरा पठान को रुकने को कह रही थी पर अब उसकी बातों में भी जोर नही था।


शेरा पठान ने लोशन से पहले अपने लौड़े को चिकना किया और फिर लोशन की बॉटल पर बने छेद को फुलवा की डर से बंद गांड़ पर जोर से दबाया। लोशन की पिचकारी से फुलवा की गांड़ अंदर बाहर से चिकनी हो गई और फुलवा अपने पैरों को हिलाने की कोशिश करने लगी।


शेरा पठान ने फुलवा की गांड़ पर तमाचों की ताबड़तोड़ बरसात करते हुए उन ललचाते गोलों को लाल कर सूजा दिया। फुलवा की गांड़ के दर्द से वह डर भूल गई और फुलवा की गांड़ ढीली हो गई।


शेरा पठान ने फुलवा की कमजोरी का फायदा उठाते हुए उसकी गांड़ के गोलों को कस कर पकड़ा। फुलवा की आह पर हंसते हुए शेरा पठान ने इन मजेदार गद्देदार गोलों को दूर कर उनके बीच में बने भूरे सिकुड़े छेद को देखा। शेरा ने लोशन की चमक से चमचमाता कसा हुआ छेद देख कर इस पर अपनी लार टपकाई।


फुलवा सिसक उठी। शेरा पठान ने अपने चमकते चिकने लौड़े के फूले हुए सुपाड़े से फुलवा की थरथराती गांड़ को धक्का दिया।


फुलवा के मुंह से चीख और आंखों में से आंसू निकल गए। शेरा पठान ने फुलवा को तड़पाते हुए अपने सुपाड़े से फुलवा की गांड़ को सिर्फ धक्का देना जारी रखा। फुलवा का बदन अब भी नशे की गिरफ्त में ज्यादा देर इंतजार नहीं कर पाया। फुलवा अनजाने में शेरा पठान की ताल में अपनी गांड़ हिलाने लगी।


शेरा पठान ने अपने लौड़े पर थोड़ा जोर लगाया। शेरा के शेर का मुंह खजाने की तंग गूंफा में अटक गया।


फुलवा, "भैय्या, मुझे बचाइए!…
नहीं!!…
नहीं!!…
मां!!…
ओ मां!!…
बचाओ!!…
नही!!…
नही!!…
ना!!…"


शेरा पठान ने फुलवा की गांड़ को अपने सुपाड़े पर तड़पने दिया। फुलवा चीख चीख कर अपनी आवाज खो बैठी। फुलवा का गला बैठ गया।


शेरा पठान ने फुलवा की गांड़ को खोले रखते हुए आगे पीछे करने लगा। शेरा पठान के सुपाड़े से फुलवा की गांड़ चूध रही थी।


फुलवा को एहसास हुआ कि शायद शेरा पठान का लौड़ा बापू से छोटा था या फिर बापू ने रूखा सूखा लौड़ा पेलकर उसकी गांड़ में से खून निकाला था। शेरा पठान के सुपाड़े से अपनी गांड़ मरवाते हुए फुलवा को तनाव और दबाव के अलावा कुछ नहीं हो रहा था।


शेरा पठान को फुलवा की गांड़ ने हिलकर चोदने की इजाजत दी। शेरा पठान ने अपने लौड़े को सुपाड़े से आधा इंच ज्यादा धंसाते हुए फुलवा की नई चीख को निकाला।


शेरा पठान आधा या एक मिनट तेजी से सुपाड़े से फुलवा की गांड़ मारते हुए फिर आधे इंच की डुबकी लगता। फिर इस आधे इंच लंबे से दो मिनट तेज ठुकाई करते हुए अचानक और आधे इंच तक धंस जाता।


फुलवा को दर्द नही हो रहा था तो उसकी गांड़ ने भी खुल कर अपनी तबाही का मजा लिया। शेरा पठान से गांड़ मरवाना किसी उत्कृष्ट खिलाड़ी के साथ खेलने जैसा था।


शेरा पठान ने फुलवा की (लगभग) कुंवारी बुर को दो बार भर कर फुलवा की गांड़ को तबियत से खोलने का इंतजाम कर लिया था। शेरा ने अपने पूरे 6 इंच फुलवा की गांड़ में भरने के लिए 10 मिनट का वक्त लिया।


फुलवा बेचारी शेरा पठान को अपनी गांड़ में धक्का मुक्की करने से रोकने में असमर्थ हो कर झड़ने लगी। फुलवा अपने नशे में चूर बदन को संभाल नहीं पा रही थी और शेरा फुलवा पर फतह किए जा रहा था।


फुलवा की गांड़ में पूरी तरह धंस जाने के बाद शेरा पठान ने फुलवा को अपने बदन से ढक दिया।


शेरा पठान, "पिंकी गुड़िया, बोल तेरी गांड़ का कौन आशिक बेहतर है! बोल शेरा का शेर तेरे बाप के पिद्दी से चूहे को भुला पाया?"


फुलवा ने रोते हुए शेरा पठान को रुकने की आखरी गुजारिश कि। शेरा पठान फुलवा से गुस्सा हो गया।


शेरा पठान ने अपने लौड़े को पूरी तरह फुलवा की गांड़ में से बाहर निकाल लिया और एक गोते में पूरी तरह गाड़ दिया।


फुलवा की मुट्ठियों में चादर पकड़ ली गई। फुलवा ने अपने सर को उठाकर चीखते हुए अपनी मां को पुकारा।


फुलवा के सीने के नीचे हाथ डाल कर उसके जवान कसे हुए मम्मों को शेरा पठान ने कस कर पकड़ लिया। उन मासूम कच्चे मम्मों का सहारा लेकर शेरा पठान ने फुलवा की गांड़ को फाड़ कर खोलना शुरू किया।


फुलवा रोती बिलखती माफी मांगने लगी पर फुलवा के बदन ने गद्दारी करते हुए झड़ना शुरू कर दिया।


शेरा पठान का लौड़ा जड़ से निचोड़ लिया गया और शेरा पठान ने दहाड़ कर फुलवा को अपने नीचे दबा लिया। फुलवा ने अपनी आतों में दुबारा गर्मी महसूस की और वह अपने आप से घिन करते हुए रोने लगी।


शेरा पठान ने फुलवा को छोड़ दिया। फुलवा जानती थी कि भागना मुमकिन नहीं था। फुलवा अपनी गांड़ में से टपकते वीर्य को चादर पर बहाती बैठ गई।


शेरा पठान ने Peter uncle ने रखा दूध फुलवा को पीने को कहा। फुलवा सब कुछ भुलाने को तयार वह दूध पी गई। कुछ ही पलों में फुलवा की आंखें भारी और सर हल्का हो गया। फुलवा चुपके से बिस्तर पर सो गई।


सुबह जब फुलवा की आंख खुली तो बहुत देर हो चुकी थी। फुलवा की चूत और गांड़ में से बहते खून और वीर्य के अलावा शेरा पठान का कोई निशान नहीं था। फुलवा के सूजन से लाल मम्मे और दर्दनाक छिली हुई चूचियां रात भर चले जुल्म और सितम बता रहे थे।


लड़खड़ाते कदमों से फुलवा बाथरूम की ओर बढ़ी तो गांड़ में से आती दर्द की तेज लहर से वह जमीन पर गिर गई। Peter uncle ने अंदर आकर फुलवा को घसीटते हुए बाथरूम में लाया। ठंडे पानी में मिलाए antiseptic दवा ने फुलवा के हर अंग को बुरी तरह जलाते हुए उसे उसके जख्मों का हिसाब दिया।


फुलवा ने Peter uncle से दुबारा रिहाई की भीख मांगी पर Peter uncle उसे वापस डॉक्टर के सामने ले गया।


डॉक्टर फुलवा की चूधी हुई जवानी को देख कर गुस्सा हो गया।


डॉक्टर, "कितनी बार बताया की शेरा पठान को आखिर में परोसना! अब मैं इस फटी हुई चूत को ठीक करूं या झिल्ली को जोडूं। यहां झिल्ली का कुछ बचा भी नहीं है!"


Peter uncle खौफ से गिड़गिड़ाने लगा, "बस एक बार डॉक्टर! शेरा ने सबको बता दिया था की उसकी बोली डेढ़ लाख रुपए की है। किसी और ने इस से ज्यादा बोली लगाई नहीं। अगर इसे कुंवारी नहीं बना पाए तो मेरी गांड़ सील दो क्योंकि अगला ग्राहक मेरी गांड़ फाड़ कर ही दम लेगा!"


डॉक्टर ने अपने पूरे हुनर का इस्तमाल किया और फुलवा को 7 दिन बेड में बांध कर रखने को कहा।


डॉक्टर ने Peter uncle को बताया की आज के काम के लिए वह दुगना लेगा और Peter uncle मान गया।


सात दिनों तक फुलवा को हाथ पांव बांध कर बेड पर रखा गया। फुलवा के जख्मी अंगों को जुड़ने में न केवल ज्यादा वक्त लगा पर खुजली के साथ बेहद दर्द भी हुआ। फुलवा मन ही मन सोच रही थी कि Peter uncle के दोस्त शेरा पठान ने उसकी ऐसी हालत की है तो जिस से Peter uncle डरता है वह उसका क्या हश्र करेगा।
 
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फुलवा को आज Peter uncle ने कुछ खिलाया ही नहीं था। डरा हुआ Peter uncle घर में डरा हुआ घूम रहा था।


फुलवा बेबसी से बेड पर हाथ जोड़ कर बैठी अगले हमले का इंतजार कर रही थी। बाहर से आवाजें आने लगी तो फुलवा की आंखें भर आईं।


दरवाजा खुला और अंदर आते आदमी को देख फुलवा भी चौंक गई। Peter uncle जिस से बुरी तरह डरा हुआ था वह तो एक आकर्षक लड़का था।


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लड़का मुश्किल से फुलवा से बड़ा होगा पर फुलवा अब तक जान चुकी थी कि बेरहम और बुरा होने के लिए बुरा दिखना जरूरी नहीं। फुलवा का बदन सिसकियों से हिलने लगा। फुलवा अपने जोड़े हुए हाथों में रो रही थी।


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लड़का, "Peter uncle ने कहा कि तुम कुंवारी हो। क्या यह सच है?"


फुलवा कुछ कह नहीं पाई और रोती रही। लड़का हंस पड़ा।


लड़का, "चलो तुम ने झूठ तो नही कहा! (प्यार से) बताओ क्या Peter uncle ने मेरे बारे में कुछ बताया?"


फुलवा ने रोते हुए अपने सर को हिलाकर ना कहा। फुलवा के पेट में से आवाज आई और लड़का चौंक गया। लड़के ने दरवाजा खोल कर Peter uncle को बुलाया और फुलवा को भूखा रखने के लिए डांटा।


Peter uncle दौड़ते हुए अपनी थाली फुलवा के लिए ले आया। Peter uncle ने दूध के बारे में पूछा पर लड़के को एक नज़र देख कर मुरझाकर चला गया।


लड़के ने फुलवा के आंसू पोंछे। फुलवा लड़के की इस हमदर्दी से डर गई। लड़का सिर्फ मुस्कुराता रहा और उसने फुलवा के लिए खाना लाया।


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फुलवा को अपने हाथों से खिलाते हुए लड़का अपने बारे में बताने लगा।


लड़का, "मेरा नाम लाला ठाकुर है। मैं इन बदनाम गलियों में किसी ऐसे को ढूंढ रहा हूं जो आज से कुछ 10 साल पहले इसी रास्ते गए थे। Peter uncle मुझसे डरता है क्योंकि मेरे पास वह हथियार है जो किसी के पास नही। (फुलवा ने डर कर लड़के को देखा) जानकारी!!… बेहद कारगर और खतरनाक हथियार।"


फुलवा को खाना खिलाकर पानी पिलाते हुए लाला, "मैं तुम्हें यहां से नही छुड़ा सकता। मुझे Peter uncle की जरूरत है। मैने तुम्हारे लिए कोई कीमत नहीं चुकाई। Peter uncle ने डर कर तुम्हें नजराने के तौर पर मुझे दिया है। मैने आज तक किसी के साथ रात गुजारने की कीमत नही चुकाई। आज तुम्हारे लिए मैं कीमत चुकाऊंगा!"


फुलवा ने अपने सर को झुका लिया पर लाला ठाकुर ने फुलवा का चेहरा अपने हाथों में लिया।


लाला ठाकुर, "बोलो, आजादी के अलावा मैं तुम्हें क्या दे सकता हूं?"


फुलवा, "आप मुझे कुछ देंगे?"


लाला ठाकुर, "आज़ादी छोड़ कुछ भी!"


फुलवा ने लाला ठाकुर की आंखों में सच्चाई देख कर, "मेरे गांव में मेरे भाई मुझे ढूंढ रहे होंगे तो उन्हें बताना की अब फुलवा को भूल जाओ! मैने तुम्हारी बात नही मानी और बापू ने मुझे अब लौटने लायक नही छोड़ा! उन से… उन से कहना की वह खुद को संभालें और मुझे भूल जाएं।"


फुलवा रोने लगी और लाला ठाकुर ने उसे अपनी बाहों में ले लिया। फुलवा ने लाला ठाकुर की गर्मी में खुद को भुलाते हुए दिल में भरे सारे दर्द को आंसुओं के साथ बाहर निकाल दिया।


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फुलवा जानती थी कि आज उसे कोई नशा नहीं दिया गया। लेकिन फुलवा को इस आकर्षक लड़के की बाहों में सुकून के साथ उत्तेजना भी महसूस हो रही थी।


फुलवा शरमाकर, "ठाकुरजी, मेरी जिंदगी अब बस एक मर्द से दूसरे मर्द तक बन चुकी है। अगर आप बुरा ना माने तो मुझे दिखाइए की मर्द संग अच्छा भी लग सकता है।"


लाला ठाकुर ने मुस्कुराते हुए फुलवा के बालों में अपनी उंगलियां फेरते हुए उसके माथे को चूमा। फुलवा को आज तक किसी मर्द ने प्यार से सहलाया नही था। फुलवा इस एहसास को सोखते हुए गरमाने लगी। लाला ठाकुर ने फुलवा के बदन पर अपने हाथ को हल्के से घुमाते हुए उसे उसके बदन को गरमाने का एहसास दिया।


फुलवा सिसक उठी। लाला ठाकुर ने फुलवा के बालों को चूमते हुए अपनी उंगलियों से फुलवा के तलवों पर गुदगुदी की। फुलवा हंस पड़ी तो लाला ठाकुर ने फुलवा के गालों को चूमते हुए उसके पैरों की उंगलियों को छेड़ा।


फुलवा की लूटी हुई जवानी नैसर्गिक उत्तेजना से खिलने लगी। लाला ठाकुर ने फुलवा के गले और फिर कंधों को चूमते हुए उसके पेट को चूमा। फुलवा की नाभी में लाला ठाकुर की जीभ ने डुबकी लगाई और वह किकिया उठी।


लाला ठाकुर फुलवा की हालत पर मुस्कुराता उसके घुटनों और ऐड़ियों को चूमते हुए फुलवा की सबसे छोटी उंगलियों को सहलाते हुए चूमने लगा। फुलवा की धड़कनें तेज हो गई और वह उतावली हो कर लाला ठाकुर को कुछ करने को कहने लगी।


लाला ठाकुर ने फुलवा के बुलावे को इशारा मानते हुए ऊपर उठना शुरू किया और अपना क्रम दोहराते हुए फुलवा के होठों तक पहुंचा। लाला ठाकुर फुलवा के थरथराते होठों से एक सांस की दूरी पर रुक गया और फुलवा ने अधीर हो कर लाला ठाकुर को चूम लिया।


एक मासूम कुंवारी का यौन उत्तेजना में जलता भोलापन उस चुंबन में उतर आया था। एक ऐसी सौगात जिसके लिए कौडीमल और शेरा पठान ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई थी वह फुलवा ने बिना किसी हिचकिचाहट के लाला ठाकुर को से दिया।


लाला ठाकुर ने भी फुलवा के इस तोहफे का आदर करते हुए उसे अपने अनुभवी होठों से सिखाना शुरू किया। फुलवा ने लाला ठाकुर को अपनी बाहों में लेते हुए उस से सीखना शुरू किया।


होंठ खुले और जीभें एक दूसरे से भिड़ गईं। फुलवा की तीखी कट्यार ने लाला ठाकुर की तेज तलवार से भिड़ते हुए जवानी की चिंगारियां उड़ाई।


फुलवा की चुचियों ने सक्त हो कर लाला ठाकुर के सीने पर रगड़ते हुए उसे अपना स्वाद चखने का न्योता दिया। फुलवा की जवानी ने काम रसों की धारा बहाते हुए अपने प्रेमी को अपने अंदर आने का न्योता दिया। फुलवा की उंगलियों ने अपने नाखूनों से लाला ठाकुर की पीठ पर निशान बनाते हुए उसे अपने ऊपर राज करने का न्योता दिया।


लाला ठाकुर अनुभवी भी था और होशियार भी। लाला ठाकुर ने फुलवा की बाहों में से निकलते हुए उसके कपड़े खोल दिए। इस बार फुलवा न केवल तयार थी पर लाला ठाकुर को अपने बदन से कपड़े उतारने को मदद भी कर रही थी। लाला ठाकुर ने फुलवा की चोली उतार कर उसके मम्मों को चूमते हुए उसकी चूचियों को चूस कर अंदर न बने दूध को पिया। फुलवा झड़ने की कगार पर रोते हुए चीख पड़ी।


लाला ठाकुर ने फुलवा को अधर में लटका कर उसके कसे हुए पेट को चूमते हुए उसका घाघरा खोला। फुलवा अब लाला ठाकुर के सामने नंगी पड़ी थी। लाला ठाकुर अपने कपड़े उतारते हुए नीचे सरकता हुआ फुलवा की चूत पर पहुंचा।


फुलवा ने भागने की कोशिश करते हुए, "ई!!… गंदा!!…"


लाला ठाकुर ने फुलवा की एक न सुनी और उसके पैरों को फैला कर फुलवा के यौन होठों को चूमने लगा। फुलवा इस तरह के सुख पाने को बेखबर चीख पड़ी।


लाला ठाकुर ने फुलवा की भीगी हुई पंखुड़ियों को चूमना शुरू कर और फुलवा ने लाला ठाकुर को रोकना बंद कर दिया। फुलवा की चूत में से बहती धारा की उगम पर लाला ने अपने होठों को लगाकर पीना शुरू किया तो फुलवा ने अपने बालों को खींच कर तड़पना शुरू किया।


लाला ठाकुर की जीभ ने फुलवा की गरम जवानी में डुबकी लगाई और फुलवा चीखते हुए झड़ गई। लाला ठाकुर ने फुलवा को झड़ते रखा जब वह बारी बारी उसकी रसीली पंखुड़ियां, बहती हुई चूत और इनपर चमकते यौन मोती को चूमते हुए चूसता।


लाला ठाकुर ने असहाय हो कर फुलवा को चोदने के लिए उस पर चढ़ने लगा तब फुलवा झड़ कर लगभग बेसुध हो चुकी थी। फुलवा की चूत पर लाला ठाकुर के 7 इंच लंबे 3 इंच मोटे औजार ने दस्तक दी तो फुलवा ने अपनी एड़ियों को लाला ठाकुर के कमर पर बांध लिया।


लाला ठाकुर ने फुलवा की आंखें में देखते हुए गोता लगाया और फुलवा चीखते हुए झड़ गई। फुलवा को अपने अंदर धंसे हुए लाला ठाकुर के औजार पर प्यार आ रहा था पर वह नहीं जानती थी कि वह क्या करे।


लाला ठाकुर ने फुलवा को प्यार का तरीका सिखाते हुए अपनी कमर को हिलाकर उसकी आत्मा तक को हिलाना शुरू कर दिया। फुलवा नादान जवानी में जलती लाला ठाकुर को साथ देने लगी।


लाला ठाकुर ने फुलवा को चूमते हुए उसकी चीखें निगल ली। लाला फुलवा की कुंवारी जवानी को असली तरह से इस्तमाल कर रहा था। फुलवा ने लाला ठाकुर से लिपटकर झड़ते हुए उस से चुधाना जारी रखा।


फुलवा की गर्मी शिखर पर पहुंच कर टूटते हुए बिखर गई। फुलवा ने लाला ठाकुर को कस कर पकड़ लिया। लाला ठाकुर का लौड़ा बुरी तरह निचोड़ लिया गया। लाला ठाकुर ने फुलवा को चोदना जारी रखा पर जैसे ही फुलवा छूट गई फुलवा की रसों से भरी चूत ढीली पड़ गई।


लाला ठाकुर के सबर का बांध टूटा और वह फुलवा को अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्मी में खाली हो गया।


फुलवा जानती थी कि वह एक रण्डी थी। अच्छा प्रेमी भी उसके नसीब में सिर्फ एक रात रहेगा। फुलवा इस रात को अपनी पूरी जिंदगी के लिए संजो कर रखना चाहती थी। एक ऐसी रात जब उसने अपनी मर्जी से अपना बदन किसी को दिया हो।


लाला ठाकुर बेहद हुनरमंद प्रेमी था जिस ने फुलवा को हर तरह सुख दिया। पर सबेरे फुलवा ने लाला ठाकुर से सोने का झूठा नाटक करते हुए उसे जाने से नही रोका।


Peter uncle फुलवा पर खुश था की उसने लाला ठाकुर को खुश कर दिया था। Peter uncle ने फुलवा को बताया की अब वह फुलवा को दुबारा कुंवारी नहीं बनाएगा और साथ ही वह फुलवा को 3 दिनों के लिए घुमाने ले जायेगा।


फुलवा ने बुझे हुए स्वर में हां कहा।


Peter uncle फुलवा को अपनी गाड़ी में बिठाकर लखनऊ से कुछ दूरी पर एक बंगले में ले आया। फुलवा को Peter uncle ने ऊपर के कमरे में जाने को कहा और खुद सारे दरवाजे ताले लगाकर बंद करने लगा।


फुलवा को ऊपर के कमरे में से आवाजें आ रही थी तो उसने अंदर झांक कर देखा। फुलवा देख कर चौंक गई की डॉक्टर बेड में नंगा बैठा सेक्स करते लोगों की फिल्म देख रहा था। फुलवा भागने को मुड़ रही थी जब Peter uncle ने उसे पकड़ कर अंदर लाया।


Peter uncle, "Doctor, ये बंगला बेहतरीन है। किसका है ये?"


डॉक्टर, "कौडीमल की बीवी मां बनने की कोशिश करने यहां आती है। अब तुम तो जानते हो की मैं कितना अच्छा इलाज करता हूं। बस समझ लो खुश होकर ये बंगला 3 दिन के लिए दे दिया है।"


फुलवा को डॉक्टर की ओर धकेल कर Peter uncle, "2 बार सिल देने के लिए ये 3 दिन के लिए तुम्हारी है और साथ ही ये कीमती घड़ी भी!"


डॉक्टर भूखी नजरों से फुलवा की ओर बढ़ा। फुलवा अपनी किस्मत से हार कर वहीं खड़ी रही।
 
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लार टपकाते भूखे भेड़िए की तरह डॉक्टर ने फुलवा की ओर बढ़ते हुए उसे देखा। फुलवा को पीछे से Peter uncle ने दरवाजा बंद करने का एहसास हुआ। डॉक्टर ने फुलवा के कंधों को पकड़ा और उसे बेड पर फेंक दिया।


Peter uncle ने फुलवा की घाघरा चोली को उतार फैंका। फुलवा किसी बेजान गुड़िया की तरह बेड पर पड़ी रही। डॉक्टर ने फिर एक इंजेक्शन निकाला और फुलवा की बाजू में लगाया।


फुलवा जानती थी कि हो न हो यह भी वैसी ही नशा होगी जैसी Peter uncle उसे रोज देता था। फुलवा को इंजेक्शन देने के बाद डॉक्टर इंजेक्शन के असर के लिए रुका नही। उसने फुलवा को खींच कर बेड से नीचे उतारा और अपने बदन को ढकने वाला तौलिया उतार दिया।


डॉक्टर का औजार 5 इंच लंबा और डेढ़ इंच मोटा था। डॉक्टर ने फिर फुलवा के बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर अपने लौड़े पर फुलवा का चेहरा दबाया।


फुलवा को कल रात लाला ठाकुर ने मर्द को चूसना सिखाया था। फुलवा लाला ठाकुर की अच्छाई को याद कर डॉक्टर का लौड़ा चूसने लगी। डॉक्टर ने कराहते हुए फुलवा की चुसाई का मजा लिया। डॉक्टर ने अधीर हो कर फुलवा के सर पकड़ कर अपने लौड़े से उसका मुंह चोदने लगा।


फुलवा जैसे तैसे सांसे लेती डॉक्टर की जबरदस्ती सह रही थी। दवाई का असर होने लगा वैसे फुलवा भी मन लगाकर डॉक्टर का साथ देने लगी। डॉक्टर झड़ने के करीब पहुंचा तो उसने फुलवा को अपने लौड़े से दूर किया।


फुलवा को बेड पर लिटा कर उसके पैरों को फैलाकर खोला गया। डॉक्टर ने फुलवा पर चढ़ते हुए अपने लौड़े का सुपाड़ा फुलवा की गीली चूत पर लगाया। डॉक्टर फुलवा के बदन पर टूट पड़ा। वह एक ही वक्त पर फुलवा को जोर जोर से चूम रहा था, फुलवा के मम्मों को दबाते हुए निचोड़ रहा था और फुलवा की गरम जवानी में अपना लौड़ा तेज़ी से पेल रहा था।


फुलवा दवाई से उत्तेजित हो कर डॉक्टर का साथ देने लगी। डॉक्टर को फुलवा की उत्तेजना में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसके लिए फुलवा बस एक गरम बदन थी जिसे उसने इंजेक्शन दे कर गरम किया था।


डॉक्टर के तेज धक्के और इंजेक्शन के भारी असर से फुलवा झड़ने लगी। फुलवा की चूत में झड़ने की लहरों ने उठते हुए डॉक्टर के लौड़े को निचोड़ लिया। डॉक्टर फुलवा के होठों पर कराहते हुए झड़ गया।


डॉक्टर ने अपने गंदे पानी से फुलवा की जवानी को दाग लगाकर उठते हुए तौलिए से अपना लौड़ा पोंछा।


डॉक्टर Peter uncle से, "नाम क्या है इसका?"


Peter uncle, "पिंकी।"


Doctor, "काफी दिनों बाद पिंकी मिली है। दो टीना, रीना और तीन पम्मी के बाद ये दूसरी पिंकी मिली है। पता है बाकी की लड़कियों का क्या हुआ?"


Peter uncle ने अपने कंधे उड़ाकर बताया की उसे अपनी इस्तमाल कर फेंकी लड़कियों के आगे होने वाले हश्र में कोई दिलचस्पी नहीं थी। डॉक्टर ने भी मुस्कुराकर सवाल को छोड़ते हुए बात वहीं पर छोड़ दी।


अपनी जांघों पर बहते वीर्य को महसूस कर फुलवा ने एक ओर मुड़कर सुस्ताने की कोशिश की। फुलवा को एहसास हुआ कि उसके पीछे से आ कर कोई लेट गया है। फुलवा को देखने की हिम्मत नहीं हुई।


पीछे से फुलवा की गांड़ को सहलाते हुए उसकी गांड़ के गोलों को फैलाया गया। सुपाड़े ने फुलवा की गांड़ को दबाया और चौंक कर फुलवा की आंखें खुल गईं।


डॉक्टर फुलवा को देखते हुए अपने सोए लौड़े को हिला रहा था जब सुपाड़ा आराम से फुलवा की गांड़ में धंस गया।


फुलवा, "Peter uncle?"
 
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Peter uncle ने फुलवा को जवाब न देते हुए उसके कसे हुए पेट को पकड़ा। Peter uncle ने अपने लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर फुलवा की ढीली होती गांड़ में दबाने लगा।


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फुलवा, "uncle!!…
आ!!…
आ!!…
आह!!…
उन्ह!!…
अम्म्म!!!…
अम्म!!…
आ!!…
आह!!…
हा!!…
आ!!…
आंह!!…"


Peter uncle ने अपने लौड़े की जड़ से फुलवा की गांड़ को दबाया। फुलवा ने दर्द भरी आह भरते हुए एक आंसू बहा दिया। डॉक्टर फुलवा की बेबसी से उत्तेजित हो गया। डॉक्टर ने फुलवा का पैर पीछे करते हुए Peter uncle की हिलती कमर पर रखा।


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फुलवा का पैर उठने से उसकी गरम जवानी खुल गई तो Peter uncle का लौड़ा फुलवा की गांड़ में दब गया। Peter uncle ने संतुष्टि की आह भरी और तेजी से कमर हिलाने लगा। डॉक्टर ने फुलवा की चूत में अपनी लंबी उंगली डाल कर उसे अपनी उंगली से चोदने लगा।


फुलवा गरमाकर अपनी कमर हिला कर अपने दोनों लुटेरों को साथ देने लगी। फुलवा की चूत में से यौन रसों का बहाव बढ़ा वैसे Peter uncle की रफ्तार बढ़ गई। जैसे ही Peter uncle ने आह भरी डॉक्टर ने अपने अंगूठे से फुलवा की चूत के ऊपर फूले हुए यौन मोती को दबाकर रगड़ दिया। फुलवा का बदन अकड़ गया और वह बुरी तरह झड़ने लगी।


फुलवा की गांड़ में कसने से Peter uncle झड़ नही पाया। डॉक्टर ने Peter uncle को अपने स्खलन पर काबू पाने दिया और फिर फुलवा का झड़ना रोका।


डॉक्टर के इशारे पर Peter uncle ने फुलवा को घोड़ी बना कर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। Peter uncle ने फुलवा की गांड़ को तेजी से चोदना जारी रखा और फुलवा आहें भरती उत्तेजित होती रही।


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फुलवा की उत्तेजित आहें सुनकर डॉक्टर ने फुलवा के सामने बैठते हुए अपने लौड़े को फुलवा के मुंह में भर दिया। फुलवा Peter uncle से गांड़ मराते हुए डॉक्टर का लौड़ा चूसने पर मजबूर थी। फुलवा डॉक्टर के लौड़े पर सांस अटकने से पीछे हो जाती तो अपनी गांड़ मरवा लेती। Peter uncle fir फुलवा को आगे धकेलकर अपने लौड़े पर से हटा कर डॉक्टर के लौड़े पर दबा देता।


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फुलवा ग्लग!!… ग्लूग!!… ग्लग!!… ग्लूग!!!… से ज्यादा विरोध भी नही कर सकती थी।


Peter uncle का स्खलन एक बार रुक चुका था तो अब वह तेज झटकों से खाली होने की कोशिश में था। Peter uncle ने फुलवा की गांड़ को अपने पूरे लौड़े से चोदते हुए आह भरी।


Peter uncle ने अपने लौड़े को फुलवा की आतों में दबाते हुए अपना वीर्य उड़ेल दिया। Peter uncle की गर्मी को अपनी आतों में महसूस कर फुलवा झड़ गई। फुलवा की चीखों से डॉक्टर का लौड़ा झनझना उठा और डॉक्टर ने अपने खारे घोल से फुलवा की जीभ को रंग दिया।


फुलवा के पास कोई चारा नहीं था। सांस लेने की जगदोजहत में फुलवा को डॉक्टर का गंदा पानी पीना पड़ा। Peter uncle बेड पर लेट गया और डॉक्टर भी। फुलवा किसी इस्तमाल कर फेंके गए खिलौने की तरह वैसी ही घोड़ी बने बैठी रही।


डॉक्टर, "Peter uncle, सच बताओ। तुम्हें छोटे लड़के पसंद है ना? इसी लिए कुंवारी लड़कियों को हमेशा पीछे से गांड़ मराते हो और कभी उनके मम्मे दबाने या चूसने की कोशिश नही करते।"


Peter uncle, "Doctor साहब, हम सब की अपनी अपनी मजबूरियां हैं। कौन सोचेगा की डॉक्टर औरतों को गर्भवती बनाने के लिए नींद की दवा देकर उनके पति का माल इस्तमाल करने के बजाय खुद उन्हें चोदकर अपने माल से भरता है!"


डॉक्टर हंसते हुए मान गया की उसे Peter uncle को कुछ कहने का हक्क़ नही। चूधी पड़ी फुलवा तो मानों वहां की मेज हो ऐसे वह दोनों बातें कर रहे थे।
 
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डॉक्टर ने Peter uncle को सुस्ताते छोड़ा और फुलवा को पकड़ कर बेडरूम के बाहर ले गया। फुलवा अपनी चूत और गांड़ में से बहता वीर्य महसूस करती डॉक्टर के साथ बाहर आ गई।


डॉक्टर ने हॉल में रखे एक बैग में से एक और इंजेक्शन* निकाला। फुलवा अब भी काम प्रेरक इंजेक्शन के नशे में इस इंजेक्शन को देख डर गई। डॉक्टर ने इंजेक्शन भर कर फुलवा की ओर देखा।


डॉक्टर, "डर मत। ये मेरे लिए है। ये एक नई दवा है जिसे लगाने से बूढ़े मर्द का भी वीर्य बन सकता है। लेकिन अगर कोई जवान मर्द इसे ले तो उसका लौड़ा 8 घंटे खड़ा रहेगा और ढेर सारा वीर्य बनाता रहेगा।"


फुलवा ने डॉक्टर को इंजेक्शन अपने लौड़े पर लेते देखा। कुछ ही पलों में डॉक्टर का लौड़ा फिर से फूल गया। डॉक्टर फुलवा को पकड़ कर बाहर बगीचे में ले आया। डॉक्टर ने चांदनी रात में गीली घास पर फुलवा को लिटा दिया।


फुलवा ने अपनी आंखों के सामने चांद और टिमटिमाते तारों को देखा। फुलवा मन ही मन समझ गई की अब वह कभी चांद तारों को देख कर खुश नही हो पाएगी। डॉक्टर ने फुलवा के बगल में बैठ कर उसे चूमना शुरू किया। फुलवा की नशे से बेबस जवानी फिर से जाग उठी। डॉक्टर ने फुलवा को चूमते हुए उसे पेट को सहलाया। फुलवा का बदन जल रहा था पर मन रो रहा था। फुलवा ने डॉक्टर का साथ देते हुए अपने बलात्कार का मज़ा लेने की ठान ली।


डॉक्टर की उंगलियां नीचे सरकी और फुलवा की गीली पंखुड़ियां को खोल कर उसकी बहती चूत को सहलाने लगी। चूत पहले से ही डॉक्टर के वीर्य से चिपचिपी थी। अब उसमें काम रसों का बहाव बढ़ गया और वह झरना बनकर बहने लगी।


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डॉक्टर ने फुलवा के बदन को अपने बदन से ढकते हुए अपने लौड़े को फुलवा की योनि से लगाया।


फुलवा सिसक उठी और डॉक्टर ने अपने फूले हुए लौड़े से फुलवा को दुबारा लूटना शुरू कर दी।


डॉक्टर का लौड़ा अब ज्यादा कड़क हो गया था। डॉक्टर ने फुलवा के कंधों को का कर पकड़ा और उसे गाल पर चूमने लगा।


डॉक्टर ने जोर से चाप लगाते हुए फुलवा को गहराई तक भर दिया।


फुलवा चीख पड़ी, "मां!!…"


डॉक्टर ने फुलवा की चीख को सुनकर उसके गाल पर मुस्कुराते हुए अपने लौड़े को सुपाड़े की नोक तक योनि के बाहर लाया। फुलवा अगले हमले के लिए तयार थी पर फिर भी उसकी चीख निकल ही गई।


"मां!!…
आ!!…
आह!!…"


डॉक्टर ने तेजी से फुलवा को चोदना शुरू किया। फुलवा दूर चांद को देखती अपने जलते बदन को लूटते मर्द को भुलाने की नाकाम कोशिश करते हुए सिसकते हुए रोती रही और उत्तेजित हो कर आहें भरती रही।


फुलवा जवानी और नशे से बेबस हो कर जल्द ही झड़ गई। डॉक्टर ने भी करहाते हुए फुलवा की चूत पर अपने लौड़े की जड़ दबाई। फुलवा को अपनी कोख में गर्मी की सैलाब उमड़ता महसूस हुआ। फुलवा ने राहत की सांस ली की अब डॉक्टर उसे रात भर आराम करने देगा।


तभी डॉक्टर ने फुलवा के ऊपर से उठते हुए फुलवा की एड़ियों को पकड़ा। इस से पहले कि फुलवा कुछ कह पाती डॉक्टर ने फुलवा को मोड़ते हुए फुलवा के घुटनों को फुलवा के कंधों से लगाया। एक हाथ से फूलवा को दबाए रखते हुए डॉक्टर ने अपने चिकने लौड़े को फूलवा की चूत में से निकाला। अब अपने दूसरे हाथ से अपने लौड़े की दिशा बदल कर डॉक्टर ने अपने सुपाड़े को फुलवा की गांड़ पर लगाया।


फुलवा चीख पड़ी पर डॉक्टर ने अपने पूरे लौड़े को एक झटके में फुलवा की गांड़ में उतार दिया। फुलवा ने चीखते हुए डॉक्टर को रोकने के लिए अपना हाथ उठाया। पर डॉक्टर ने फुलवा का मुंह दबाकर उसकी गांड़ को बेरहमी से मारना जारी रखा।



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फुलवा की आंखों में दर्द से ज्यादा बेबसी के आंसू थे। उसके बदन का टुकड़ा टुकड़ा नोच कर खाया जा रहा था और वह विरोध भी नही कर सकती थी। फुलवा के बदन ने नशे में वापस डॉक्टर को साथ देना शुरू कर दिया।

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फुलवा ने चीखना बंद करते हुए अपने पैरों को ढीला कर दिया। इस से डॉक्टर को उसकी गांड़ मारने में सहूलियत हो गई। डॉक्टर ने फुलवा का मुंह छोड़ दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी रांड की गांड़ मारने लगा।



फुलवा डॉक्टर का साथ देती लाला ठाकुर को याद करते हुए झड़ने लगी। डॉक्टर ने फुलवा को बेरहमी से पुरे आधे घंटे तक ठोका और आखिरकार उसकी आतों में अपना गरम पाप उड़ेलकर रुक गया।



फुलवा ने बिना हिले डॉक्टर को उसकी मन मर्जी करने दी तो डॉक्टर उस के ऊपर से उठ गया। फुलवा ने अपनी गांड़ में से टपकते वीर्य को महसूस करते हुए उठने की कोशिश की।



फुलवा अपने घुटनों और हथेलियों पर खड़ी घोड़ी बन उठ रही थी जब डॉक्टर फिर से फुलवा पर लपक गया। फुलवा के फैले हुए पैरों के बीच में से उसे अपने बदन से दबाकर डॉक्टर ने फुलवा का चेहरा घास में दबाया।



फुलवा वापस चीख पड़ी। डॉक्टर ने अपने लौड़े को दुबारा उसकी गांड़ में पेल दिया और उसकी गांड़ मारने लगा। फुलवा अब की बार चुप चाप अपनी गांड़ मराती पड़ी रही।


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फुलवा के लिए अब यह मान लेना जरूरी था की मर्द के लिए औरत 3 छेद से ज्यादा कुछ नहीं।
 
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बेदर्दी की रात में फुलवा लड़की से रण्डी बन ही गई। अब वह नशा उतरने के बाद भी अपने बदन को इस्तमाल कर डॉक्टर का साथ दे रही थी। इसे हासिल करते हुए डॉक्टर ने फुलवा की चूत और गांड़ को चार चार बार भरा था।


सुबह Peter uncle ने अपने गुलाम को ढूंढते हुए बेडरूम के बाहर कदम रखा तब फुलवा सोफे पर लेटे डॉक्टर से चुधवा रही थी। फुलवा ने डॉक्टर का लौड़ा अपनी वीर्य से लबालब भरी चूत में रख कर उस पर सवारी कर रही थी।


डॉक्टर, "आ गए, Peter uncle! देख तेरी रण्डी की चूत का भोसड़ा बना चुका हूं! अब बिना झिझक इस से दिल खोल कर धंधा करवा!"


फुलवा किसी बेजान चाबी की गुड़िया की तरह अपने बारे में सुन कर भी डॉक्टर के लौड़े पर नाचती रही। Peter uncle का लौड़ा खड़ा था और वह फुलवा की उछलती गांड़ को सहलाने लगा।


डॉक्टर, "Peter uncle, मैं रात भर इसे बजा रहा हूं। मेरा इस चिपचिपे बर्तन में जल्दी झड़ना मुश्किल है। आओ, लगे हाथ तुम इसकी गांड़ मार कर इसे आगे की बात सिखाओ!"


Peter uncle ने एक गंदी मुस्कान के साथ फुलवा के पीठ की ओर से आते हुए डॉक्टर के पैरों के बीच बैठ गया। फुलवा के उछलते कूल्हों को देख कर Peter uncle ने एक गदराई मांसल गोलाई पर जोरदार तमाचा मारा।


फुलवा पीटने से जैसे जाग गई। फुलवा ने चौंक कर अपने मुस्कुराते चोदू डॉक्टर को देखा। फुलवा ने पीछे मुड़कर देखा तभी Peter uncle ने अपने दूसरे हाथ से उसके दूसरे गोले पर तमाचा जड़ा दिया।


फुलवा (रोते हुए), "क्यों मार रहे हो uncle? सब कुछ तो कर रही हूं!"


लेकिन रुके वो दल्ला Peter uncle कैसा?


Peter uncle ने फुलवा के उछलते चूतड़ों को पीट पीट कर लाल कर दिया। पचाक!!… पचाक़!!… की आवाज से अपनी चूत बजाती फुलवा की गांड़ टमाटर सी लाल हो गई।


Peter uncle ने फुलवा को आगे की ओर धकेला तो डॉक्टर ने फुलवा को अपनी बाहों में ले लिया। फुलवा डॉक्टर की बाहों में लेट कर अपनी कमर हिलाती चुधवा रही थी जब उसे अपनी गांड़ पर दबाव महसूस हुआ।


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फुलवा, "uncle!!…
Peter uncle!!…
रुको!!…
नही!!…
बस हो गया!!…
आप को भी लूंगी!!…
एक साथ
न… ही…!!…
ई!!…
ई!!…
आ!!…
आ!!…
ऊंह!!…
हा!!…
हा!!…
हाह!!…
आह!!…"


Peter uncle का लौड़ा फुलवा की गांड़ और चूत को अलग करते पतले हिस्से से डॉक्टर के लौड़े पर रगड़ने लगा। डॉक्टर का लौड़ा अपने लौड़े से छू लेने से Peter uncle को किसी मर्द का साथ महसूस हुआ।


Peter uncle ने पागलों की तरह फूलवा पर टूट पड़ते हुए उसे अपने लौड़े पर दबाया। फुलवा को अपने सीने पर दबाते हुए Peter uncle ने फुलवा को दो लौड़ों पर बिठाया। दोहरे हमले से फुलवा तड़प उठी।


डॉक्टर ने फुलवा के मम्मों को अपने पंजों से दबाया तो Peter uncle ने डॉक्टर के हाथों को अपने हाथों से दबाया। Peter uncle अब फुलवा को अपने लौड़े पर से चुधवाते हुए डॉक्टर के साथ का मजा ले रहा था।


फुलवा अपनी गांड़ और चूत के बीच बने परदे को रगड़ता महसूस कर झड़ने लगी। Peter uncle ने फुलवा के बालों को पकड़ लिया और उसे खींचते हुए गांड़ मारता रहा।


Peter uncle अपनी उत्तेजना को काबू नही कर पाया और फुलवा को गांड़ में झड़ गया। Peter uncle को फुलवा की गांड़ में धड़कता महसूस कर डॉक्टर भी झड़ गया। Peter uncle और आखिरकार डॉक्टर का भी लौड़ा नरम पड़ कर फुलवा के जख्मी बदन में से बाहर निकल आया।


फुलवा वैसे ही दोनों के बीच वीर्य का मिश्रण बहाती पड़ी रही।


Peter uncle, "डॉक्टर, तुमने तो इसे बिलकुल भर दिया है। अब इसे धोना पड़ेगा।"


किसी कपड़े या पालतू जानवर की तरह फुलवा के बारे में बात करते हुए डॉक्टर,
"धोने की क्या जरूरत है! फिलहाल के लिए सिर्फ सुखा दो! बाद में धो लेना!"


Peter uncle मान गया और फुलवा को एक चौखट से बांध दिया गया। Peter uncle ने फुलवा के हाथ और पैरों को चार कोनों से बांध दिया और उसकी पीठ पर चाबुक जैसी चीज से मार कर उसे झटके देकर फुलवा की चूत और गांड़ को खाली करने लगे।


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जब Peter uncle थक कर कुछ खाने या पानी पीने जाता डॉक्टर आकर फुलवा को चोदता। फुलवा की दुबारा भरी हुई चूत या गांड़ देख कर Peter uncle उसे दुबारा झटकता।


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यही खेल दोनों मर्दों ने फुलवा के साथ 2 और दिन खेला और फिर फुलवा के नंगे बदन को गाड़ी की डिक्की में डाल कर Peter uncle अपने घर लौटा।
 
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3 दिनों तक 2 मर्दों की हवस और पिटाई झेलने के बाद जब फुलवा Peter uncle के घर पहुंची तो Peter uncle ने उसे रगड़ रगड़ कर धोया और एक गोली दी। ये वही गोली थी जो उसे पिछले 3 दिनों से मिल रही थी। Peter uncle ने फुलवा को फिर आराम करने दिया और अपने काम में लग गया।


5 दिनों तक गोलियां खाने के बाद Peter uncle ने गोलियां रोक दी। गोलियां रोकने के 2 दिन बाद फुलवा के पेट में मरोड़ उठने लगे और उसका मासिक धर्म शुरू हो गया। फुलवा ने कुछ कपड़े से उस खून को छुपाने की कोशिश की पर Peter uncle ने उसे बताया की अब वह बच्चे के डर से मुक्त होकर चुदाने को तयार हो गई है।


Peter uncle ने फिर फुलवा को एक रण्डी की खास दोस्त से मिलवाया। Peter uncle ने चमकीले पैकेट में से कंडोम खोल कर फुलवा को दिखाया। Peter uncle ने एक नकली लौड़े पर फुलवा को कंडोम चढ़ाना और उतारना सिखाया। Peter uncle ने फुलवा को समझाया की यह छोटी सी चीज औरत को सिर्फ पेट से होने से ही नहीं पर कई लाइलाज बीमारियों से भी बचाती है। अगर कोई ग्राहक इसे इस्तमाल करने से मना कर देता है तो रण्डी उस ग्राहक को लेने से मना कर सकती है।


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Peter uncle ने फिर अपने लौड़े पर कंडोम पहना और फुलवा की गांड़ मार दी। फुलवा Peter uncle से अपनी गांड़ मरा कर सुस्ता रही थी जब Peter uncle ने उसे बताया की उसकी रण्डी बनकर जिंदगी परसों से शुरू होगी।


उस दिन शाम को Peter uncle ने फुलवा को हरी साड़ी और ब्लाउज पहन कर तयार होने को कहा। फुलवा तयार हो कर अपने कमरे में इंतजार करते खड़ी रही।


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दरवाजा खुला और एक 55 -60 साल का आदमी अंदर आया।


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आदमी, "वाह!!… मेरे इंतजार में कितनी खूबसूरत लग रही हो बहु!"


फुलवा को Peter uncle की बात याद आई की यहां लोग औरत नहीं पर सपने को चोदने आते हैं। आज कोई ससुर अपनी बहु को लूटने आया था।


फुलवा ने अपने किरदार को निभाते हुए अपने सर पर घूंघट डाल दिया और झुक कर "ससुरजी" के पैर छू लिए।


ससुर (हवस भरी उंगलियों से फुलवा के सर को छू कर), "बेचारी बहु रानी! जवानी की कसक से तिलमिलाती मेरे बेटे का इंतजार करती रहती हो। क्या करूं! तुझे तड़पकर अपने पास लाने के लिए ही मैं उसे महीने महीने के लिए भेज देता हूं। आ अपने ससुर जी के सीने को ठंडक पहुंचा! जरा मुझे ललचाते तेरे दूधिया गोले तो दिखा!"


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फुलवा ने ससुर की ओर पीठ की और उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। ससुर लार टपकाते हुए फुलवा को देख रहा था जब फुलवा बस उसकी ओर पीठ किए खड़ी रही।



ससुर, "बहु!… ऐसे ना तड़पाओ रानी! जरा अपना मुखड़ा दिखाओ!…"


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फुलवा ने अपने कंधे से पल्लू थोड़ा गिराते हुए ससुर को देखा।



फुलवा ने ससुर को तड़पाते हुए अपने हुस्न का जलवा बिखेरना शुरू किया।


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ससुर ने अपनी बहु की जलवे से घायल होते हुए अपने सीने पर हाथ रखा।



ससुर, "कितनी बेशरम बहु हो तुम!… अपने पिता समान ससुर के सामने बिना घूंघट किए ऐसे खड़ी हो!"


फुलवा जानती थी कि यह बस उसे और ज्यादा उकसाने को कहने का तरीका है। इसी लिए फुलवा ने अपने पल्लू को अपनी खुली छाती से हटा कर उस से घूंघट किया।


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ससुर, "ऐसे घूंघट से तो बेहतर है की तुम घूंघट ना करो!"


फुलवा ने ससुर को ललचाना जारी रखा।


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ससुर, "मैं अपने बेटे को तेरी यह हरकतें बताऊं तो वह तुझे तलाक दे देगा। फिर तुझे मेरी रखैल बन कर मेरे सामने नंगा रहना होगा।"


फुलवा ने ससुर की यह इच्छा भी पूरी करते हुए अपनी कमर पर बंधी हुई साड़ी को खोलते हुए नंगी हो गई।


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ससुर ने अब बेसबरी में अपने कपड़े उतार दिए और फुलवा के सामने खड़ा हो गया। फुलवा ने ससुर का इशारा समझ कर उसके खड़े लौड़े को अपनी हथेली की गर्मी में लिया और धीरे धीरे सहलाया।


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ससुर ने आह भरते हुए, "बहु!!… और न तड़पाओ! मुझे अपनी गर्मी में दबाओ!"


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फुलवा ने ससुर को बेड पर बिठाया पर उस के पैरों के बीच बैठ कर खुद उसका लौड़ा चूसने लगी।


ससुर का लौड़ा चूसने लगा और वह अपनी बहु को पुकारता फुलवा के मुंह को अपने लौड़े पर दबाने लगा। ससुर ने फुलवा को अपने लौड़े से दूर किया ताकि वह शीघ्रपतन से बच जाए पर फुलवा ने अपने हमले को जारी रखा। फुलवा ने अपनी लार से चिकने लौड़े को अपनी चुचियों में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।


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ससुर ने फुलवा को पकड़ कर बेड पर पटक दिया और उसके पैरों को फैला कर खुद बीच में आ गया। फुलवा अब तक इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि वह इस अनजान मर्द का लौड़ा लेने को तैयार थी। तभी फुलवा को कुछ याद आया और उसने ससुर को लाथ मार कर गिरा दिया। ससुर ने गुस्से से फुलवा को देखा पर उसके हाथ में कंडोम को देख कर मुस्कुराया।


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ससुर, "हां! हम नही चाहते की तुम इतनी जल्दी मेरे बेटे को बुलाकर हमारा मजा रोको!…"



ससुर ने अपने लौड़े पर कंडोम पहना और फुलवा की गरमा गरम चूत में दाखिल हो गया। ससुर इतना उतावला हो गया था की वह तेजी से फुलवा को बहु कहते हुए चोद रहा था।


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फुलवा ने बूढ़े को अपनी चूत को लूटने दिया। इसी दौरान उत्तेजित फुलवा भी झड़ गई।


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फुलवा के झड़ने से ससुर बहुत खुश हुआ। उसने अपनी बहु पर जीत हासिल करने की खुशी में उसे और तेजी से चोदना जारी रखा।

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लेकिन बूढ़ा जल्द ही थकने लगा। तो बूढ़ा फुलवा की पीठ की ओर से लेट कर उसे पीछे से चोदने लगा। फुलवा को पीछे से चोदते हुए ससुर उसके मम्मे दबाते हुए उसे चोद रहा था फुलवा को जल्द ही एहसास हुआ की ससुर झड़ने वाला है।


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फुलवा ने ससुर को खड़ा किया और कंडोम उतार दिया। फुलवा ने ससुर के सुपाड़े को चूसते हुए उसका लौड़ा हिलाया। ससुर अचानक फुलवा के मुंह में फट गया।


फुलवा के मुंह में से सारा माल उसके सीने और मम्मों पर गिर गया।


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ससुर फुलवा से बेहद खुश होकर वहां से चला गया। फुलवा बिस्तर में गिर गई और अपनी हालत पर रोने लगी।
 
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Peter uncle ने फुलवा को अगली शाम स्कर्ट और टॉप पहनकर बैठने को कहा।


फुलवा अपने अगले ग्राहक का इंतजार करते हुए अपने बेड पर बैठ गई। कुछ देर बाद एक 40 के करीब का गुस्सैल आदमी अंदर आया। फुलवा असमंजस में खड़ी हो गई तो उसने फुलवा का गला पकड़ कर उसे दीवार से सटा दिया।


मर्द, "हरामी कुतिया! दो साल से मेरे सामने नाच रही थी और अब किसी और से शादी करेगी? आज तुझे सबक सिखाता हूं!!"


मर्द ने फुलवा की स्कर्ट की उठते हुए अपनी पैंट उतार दी। फुलवा की पैंटी को फाड़ते हुए उसने फुलवा की चूत खोल दी।


मर्द, "प्रमोशन के लिए बॉस बॉस बोलते हुए अपने कूल्हे मटकाती थी ना?… अब बोल!!…"


फुलवा डरकर, "बॉस…"


बॉस ने अपने लौड़े पर कंडोम पहना और एक झटके में फुलवा की सुखी जवानी को चीरते हुए अंदर घुस आया।


फुलवा चीख पड़ी, "आह!!!…
आ!!…
आ!!…
आन्ह!!…"


बॉस, "कमिनी!!… जा अब बता अपने मंगेतर को की तेरी कोरी जवानी को तेरी प्रमोशन खा गई…"


फुलवा को बॉस ने तेजी से चोदना शुरू कर दिया। दीवार से सटा कर चोदते हुए बॉस ने फुलवा का गला थोड़ा ढीला छोड़ दिया। फुलवा ने राहत भरी सांस ली और अचानक उसके शरीर ने अकड़ते हुए झड़ना शुरू कर दिया।


गला दबाने से सांस रुक गई थी और सांस लेने की राहत में फुलवा का शरीर उत्तेजित हो कर झड़ रहा था। फुलवा की चूत में यौन रस भर आए और कंडोम की चिकनाहट के साथ मिलकर दोनों को मजा आने लगा।


बॉस, "चीनाल!!… तू तो बलात्कार होने से भी खुश होती है! ले… और ले!!…"


बॉस ने अपने दाहिने हाथ से फूलवा को गले से दीवार पर दबाए रखा और बाएं हाथ से फूलवा की दाईं जांघ को उठाकर फुलवा की चूत को बेरहमी से कूटने लगा।


कंडोम पर बने कुछ खुर्तरे हिस्से फुलवा की चूत के साथ उसके यौन मोती को भी रगड़ रहे थे। इस से फुलवा की उत्तेजना और भड़क उठी। फुलवा आहें भरती हुई अपनी उंगलियों से अपने गले को छुड़ाने की कोशिश करती रही पर उसका लगातार झड़ना भी जारी रहा।


फुलवा को तेजी से 5 मिनट तक चोदकर बॉस उस से चिपक गया और उसके काम को चूमते हुए आहें भरने लगा। फुलवा को बॉस का लौड़ा अपनी चूत में धड़कता महसूस हुआ और उसने चैन की सांस ली।


बॉस ने फुलवा को पुराने खिलौने की तरह बेड पर फेंका। बॉस ने फिर अपने लौड़े पर से भरा हुआ कंडोम उतार दिया। फुलवा को उम्मीद थी कि अब बॉस चला जायेगा पर बॉस ने अपने लौड़े पर दूसरा कंडोम चढ़ाना शुरू किया।


फुलवा बोल पड़ी, "फिर से…"


बॉस, "तुझ जैसी रण्डी मुझे 2 साल तड़पाए और मैं तुझे बस एक बार चोद कर माफ कर दूं?"


फुलवा डर गई और बॉस फुलवा पर झपट पड़ा। फुलवा डर कर हाथापाई करने लगी और बॉस ने देखते ही देखते उसे पूरी तरह नंगा कर दिया।


फुलवा ने अपनी जान बचाने के लिए बॉस पर नाखून चलाने की कोशिश की। बॉस ने फुलवा को पेट के बल लिटा कर उसके चेहरे को तकिए पर दबाया। फुलवा की सांसे दुबारा दबने लगी और वह हाथ पांव मारते हुए अपने सर को तकिए से उठाने में लग गई।


इस छटपटाहट में फुलवा के पैर फैल चुके थे। बॉस ने फुलवा की पीठ पर लेटते हुए अपने पूरे वजन से फुलवा को बेड पर दबाया और एक हाथ से दुबारा फुलवा का चेहरा तकिए पर दबाया। फुलवा अपने दोनों हाथों को लगा कर अपने चेहरे को उठाने लगी।


बॉस ने फुलवा की इस हरकत का फायदा उठाते हुए अपने सुपाड़े को फुलवा की गांड़ पर लगाया। फुलवा ने चौंक कर बॉस को देखा और उसने अपने लौड़े को फुलवा की गांड़ में पेल दिया।


कंडोम की चिकनाहट से फुलवा की गांड़ मारने में सहूलियत हुई पर कंडोम पर बने उठाव से फुलवा की गांड़ छिलने लगी। फुलवा ने दर्द भरी आह भरी।


बॉस, "तेरी गांड़ से मुझे ललचाकर मुझ से प्रमोशन लिया था ना? ले अब अपनी गांड़ से ही उसका हिसाब चुका!…"


फुलवा ने अपनी गांड़ मराते हुए तकिए को पकड़ कर उड़ा दिया। अब उसे सांस दबने का डर कम हो गया। फुलवा ने फिर आहें भरते हुए अपने दाहिने हाथ को अपने पेट के नीचे से सरकाते हुए अपनी चूत और यौन मोती को सहलाना शुरू किया। बॉस ने फुलवा के कंधों को पकड़कर अपने लिए चोदने की मजबूत पकड़ बना ली थी। बॉस अभी झड़ने से काफी देर तक गांड़ मारने को तयार था।


फुलवा ने अपनी गांड़ मराते हुए अपनी चूत को सहलाने और लाला ठाकुर को याद करना शुरू किया। फुलवा की आहें गरमाने लगी पर बॉस को इस बात का अंदेशा नहीं था कि वह किसी और के लिए गरम हो रही थी।


बॉस ने तेजी से फुलवा की गांड़ को पेलते हुए अपने पूरे लौड़े से फुलवा की गांड़ मारने लगा। फुलवा भी लाला ठाकुर को याद करते हुए बॉस को साथ देने लगी। बॉस ने फुलवा की गांड़ को पूरे 15 मिनट तक मराते हुए उसे 3 बार झड़ाया और आखिर में कराहते हुए फुलवा की गांड़ में कंडोम भरने लगा।


उस रात बॉस ने फुलवा को और 3 बार चोदा। थकी हुई फुलवा को 5 कंडोम के बीच में रख कर सबेरे चला गया।


सुबह Peter uncle ने फुलवा को उठाया और नहा धोकर तैयार होने को कहा। उस दिन से फुलवा दिन भर Peter uncle के घर के काम करती और शाम से सबेरे तक अलग अलग मर्दों से चुधवाती।
 
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फुलवा को वैश्या की तरह जिते हुए बस 10 दिन हुए थे पर उसे किसी ने बॉस पर गुस्सा उतारने, बीवी पर जबरदस्ती करने, बेटी की इज्जत लूटने, गर्लफ्रेंड को इस्तमाल करने या फिर सेक्रेटरी पर भड़ास निकालने के लिए इस्तमाल किया था। ऐसा ही उसका अगला ग्राहक भी था जो अपनी भाभी से सीखने आया था।


फुलवा को बेड पर बिठाकर देवर, "भाभी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं और भैय्या भी बार बार आप को छोड़ कर काम के लिए कई दिनों तक चले जाते हैं। मुझे सिखाइए की औरत को कैसे खुश करते हैं!"


फुलवा, "देवरजी, भाभी मां समान होती है! ऐसी गन्दी बातें ना करें! मुझे जाने दो!"


देवर ने फुलवा को बेड पर लिटाकर चूमना शुरू कर दिया।


देवर, "भाभी!! मैं आप को नही छोड़ सकता! रोज आप की पैंटी चुराकर उस में मुठ मार कर थक गया हूं! अब मुझे आप की चूत चाहिए! बस एक बार भाभी!! बस एक बार दे दो!"


फुलवा इस जवान लड़के की अघोष में गरमाने लगी। फुलवा की चूत में यौन रस भर आए। देवर ने फुलवा की बेचैनी को महसूस करते हुए उसका ब्लाउज उतार दिया और उसके मम्मों को दबाते हुए उसकी चूचियां चूमने लगा।


फुलवा आहें भरने लगी। देवर ने मौका साध कर फुलवा को नंगा कर दिया। देवर ने फिर नीचे सरकते हुए अपनी उंगलियों से फुलवा की चूत सहलाना शुरू किया। फुलवा भी उसे अपने हाथ से सिखाने लगी की औरत को शरीर सुख कैसे देते हैं।


देवर ने इसी दौरान अपने कपड़े उतार दिए और फुलवा के मुंह पर अपना लौड़ा रखते हुए उसके बदन पर लेट गया। फुलवा ने समझदारी दिखाते हुए पहले इस धड़कते जवान लौड़े पर कंडोम पहना दिया और फिर उसे हिलाकर चूसने लगी।


देवर भी फुलवा की चूत को अपनी उंगलियों से चोदते हुए उसके यौन मोती को बड़ी खूबी से सहला रहा था। फुलवा देवर की उंगलियों ने झड़ गई और उसकी चीखें देवर के लौड़े से दब गई।


देवर ने फिर फुलवा के थके बदन को खोल कर उसकी बहती हुई चूत पर अपने सुपाड़े को लगाया। फुलवा को देखते हुए "भाभी!!" कर पुकारते हुए देवर ने तेज गोता लगाया।


फुलवा अभी झड़ी थी और उत्तेजना वश देवर का साथ देने लगी। देवर मेज से फुलवा की चूत में अपना जवान लौड़ा दौड़ा रहा था जब अचानक किसी ने जोर से उसे खींच कर अलग कर दिया।


काम उत्तेजना से अतृप्त आंखें खोल कर फुलवा ने देखा तो उसका पहला ग्राहक, ससुर उन दोनों को देखता खड़ा था।


ससुर, "बेशरम!! बेहया!! भाभी और देवर के पवित्र रिश्ते को ऐसे बरबाद करते हुए तुम्हें जरा भी शर्म नही आई!"


देवर एक ओर खड़ा हो गया और फुलवा अनजाने में अपना बदन चुराने लगी। ससुर ने गुस्से से फूलवा को देखा।


ससुर, "जिस दिन मेरा बेटा तुझे लाया था उसी दिन मुझे समझ जाना चाहिए था कि तुझ जैसी दो कौड़ी की लड़की हमारी इज्जत मिटाकर ही दम लेगी! तुझे रण्डी की तरह घर के सभी मर्दों से चुधना है तो चल! मैं दिखाता हूं इस घर के मर्द कैसे हैं!"


ससुर ने अपने कपड़े उतार दिए और अपने लौड़े पर कंडोम चढ़ा कर फुलवा पर टूट पड़ा। फुलवा ससुर का लौड़ा अपनी चूत में घुसता महसूस कर चीख पड़ी।


लेकिन फुलवा की गरमाई जवानी ने जल्द ही ससुर की हवस को भी अपना लिया। ससुर तेजी से फुलवा को चोद रहा था और फुलवा ने ससुर को अपनी बाहों में भर कर झड़ना शुरू कर दिया।


ससुर झड़कर थकी फुलवा के ऊपर से उठ कर।


ससुर देवर से, "ऐसे चोदते हैं घर की रण्डी को! चल आ जा!"


देवर ने फुलवा के बगल में लेट कर फुलवा के पैर को अपनी कमर पर खींचते हुए उसे एक ओर से चोदना शुरू किया। फुलवा अपने बदन को छूट दे कर चूधती देवर का कंडोम लगा लौड़ा अपनी चूत में सेंक रही थी जब उसे उसके पीछे ससुर का एहसास हुआ।


फुलवा डॉक्टर और Peter uncle के बीच चुधा चुकी थी पर अब तक किसी ग्राहक ने उसे जोड़ी में नही छोड़ा था।


फुलवा, "ससुरजी!… नही… नहीं!!… ससुरजी नही!!…"


ससुर ने पीछे से फुलवा की कमर पकड़ ली और अपने सुपाड़े को फुलवा की गांड़ पर लगाया। फुलवा अब तक गांड़ मारना सिख चुकी थी और उसने अपनी गांड़ को खोल दिया। ससुर का लौड़ा आसानी से फुलवा की गांड़ में से देवर के लौड़े से बीच के पतले परदे से टकराने लगा।


दोनों बाप बेटे फुलवा को जोर जोर से चोदते हुए उसके बदन को लूट रहे थे। फुलवा बेचारी अपनी जवानी लुटाते हुए इन मर्दों का खिलौना बन कर झड़ती जा रही थी।


आखिर में ससुर की सांसे फूलने लगी और उसने फुलवा की कमर को पकड़ कर तेजी से झटके लगते हुए उसकी गांड़ में अपना कंडोम भर दिया। देवर फुलवा की चूत तेजी से चोदे जा रहा था जिस से ससुर का लौड़ा सहलाया जा रहा था।


ससुर का लौड़ा पिचक कर बाहर निकलने के बाद देवर ने और तेज़ी से फुलवा को चोदते हुए अपने स्खलन को प्राप्त किया। देवर ने फुलवा की चूत में अपने कंडोम को भरा और फुलवा ने चैन की सांस ली।


अफसोस पर फुलवा गलत थी। जहां ससुर एक बार गांड़ मारने से थक कर सो गए वहां देवर और सीखना चाहता था। जवान देवर ने पूरी रात में दो बार फुलवा की चूत चोदी और दो बार गांड़ मारी।


थकी हुई फुलवा को सबेरे नींद मिली पर जल्द ही ससुर ने उठ कर उसे दुबारा चोद दिया। फुलवा की आहोें से देवर जाग गया और उसने फुलवा की गांड़ मारते हुए अपने पिता का साथ दिया। फुलवा के बगल में 7 इस्तमाल किए कंडोम फेंक कर दोनों चले गए।


फुलवा लूटी हुई बेड पर नंगी पड़ी थी जब Peter uncle ने अपने लौड़े पर कंडोम चढ़ाते हुए उसे बताया की आज रात 3 भाई एक साथ उसे अपनी बहन बनाकर चोदने आ रहे हैं।


फुलवा ने Peter uncle से अपनी गांड़ मराते हुए सोचा की उसकी वजह से शायद कोई सेक्रेटरी कुंवारी रहकर अपने पति तक पहुंची थी तो कोई औरत अपने ससुर और देवर के हवस से बची रही थी।
 
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देर तक फुलवा अपने अगले ग्राहकों का इंतजार करती रही पर रात के 9 बजे तक कोई नही आया। परेशान हो कर फुलवा अंधेरे में बिस्तर पर लेट गई।


अचानक दरवाजा खुला और तीन मर्द फुलवा के कमरे में दाखिल हो गए। तीनों से अजीब बू आ रही थी जो एक ही वक्त गंदी, आकर्षक और जानी पहचानी हुई थी। सबसे आगे वाले ने फुलवा से फुसफुसाते हुए बात करना शुरू किया।


बड़ा भाई, "बहना, तुमसे कहा था इस गलत आदमी के साथ नहीं जाना! हमारी बात क्यों नहीं मानी? पूरी दुनिया ढूंढ कर आए तो तुम एक रंडीखाने में मिली!"


फुलवा को तीनों दिख नही रहे रहे पर उसे ऐसे लगा जैसे उसी के भाई उसे बापू के साथ जाने के लिए डांट रहे थे।


फुलवा रोते हुए, "गलती हो गई भैय्या!!
मैं लूट गई, बरबाद हो गई!!…
मुझे भूल जाइए!!…
अब मैं आप की बहन नहीं रही!!…"


बड़ा भाई, "सही कहा!… अब तू एक पेशेवर रण्डी बन गई है। इस लिए हम सब तुझे चोद कर तुझे हमारी बात न मानने की सज़ा देंगे!"


फुलवा चौंक गई जब छोटे भाइयों ने उस पर झपट कर उसे बेड पर सटा दिया। फुलवा को एहसास हुआ कि अंधेरे में इन दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए थे।


फुलवा चीख पड़ी, "भैय्या नहीं!!…"


बड़े भाई ने अपने कपड़े उतारते हुए फुलवा को भी नंगा किया। छोटे भाइयों ने फुलवा का एक एक मम्मा मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। फुलवा की चूत में यौन रस बह उठे।


फुलवा को बड़े भाई का सुपाड़ा अपने यौन पंखुड़ियां पर महसूस हुआ। वह अनजाने में अपनी कमर उठाकर उसका स्वागत करने तयार हो गई। फुलवा की चूत के मुंह को फैलाते हुए बड़े भाई का सुपाड़ा फुलवा की गर्मी में समाने लगा।


फुलवा को एहसास हुआ कि बड़े भाई ने कंडोम पहना नही था। त्वचा से त्वचा की घर्षण से आते मजे से फुलवा झड़ते हुए चीख पड़ी।


फुलवा, "भैय्या कंडोम!!…"


छोटे भाई मम्मों को चूसते हुए हंसने लगे।


बड़ा भाई, "घर की बात घर में हो तो कंडोम की क्या जरूरत?"


बड़े भाई ने अपने लौड़े को फुलवा की चूत में धीरे धीरे सरकाते हुए अपनी यौन कौशल की मिसाल पेश की। फुलवा आज से पहले ऐसी उत्तेजना में सिर्फ लाला ठाकुर से चुधी थी।


फुलवा अपने यौन ज्वर में जलती बड़े भाई को रोकने में असमर्थ हो कर चुधवाने लगी। बड़े भाई ने अपने लौड़े को जड़ से सिरे तक बाहर खींचते हुए उसे फिर से फुलवा की गीली भट्टी में पेल दिया।


फुलवा "भैय्या!!…
आ!!…
आ!!…
आह!!…"
कर चुधवाती बड़े भैय्या के लौड़े के मजे लेती रही।


बड़े भाई ने फुलवा की जांघों को पकड़ कर अपनी कमर को हिलाते हुए फुलवा को तेजी से चोदना जारी रखा जब छोटे भाइयों ने मम्मे चूसते हुए उसकी चूत पर बना यौन मोती और उछलती गांड़ की संकरी गली को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरु किया।


इस चौतरफे हमले में हार कर पस्त होते हुए फुलवा झड़ने लगी। फुलवा का झड़ना कुछ कम हुआ तो बड़े भाई ने दाहिने ओर आते हुए उस भाई को अपनी जगह दे दी। फुलवा को यकीन नही हो रहा था कि मर्द अपनी खुशी लिए बगैर उसे छोड़ किसी और को अपनी जगह दे रहा है।


दूसरे भाई ने अपने यौन कौशल को दिखाते हुए फुलवा को 3 छोटे और 1 लंबे चाप से चोदना शुरू किया। इस कारण दूसरा भाई भी बिना कंडोम के फुलवा को चोदकर भी अपना स्खलन रोकने में सफल रहा। 3 छोटे चाप से फुलवा गरमाती और लंबे चाप से फुलवा झड़ जाती। लगातार 10 मिनट तक झड़ते हुए फुलवा अधमरी सी हो गई तो दूसरे भाई ने अपने लौड़े को बाहर खींच कर खुद को झड़ने से रोका।


फुलवा ने तड़पते हुए निराशा भरी आह भरी और तीसरा भाई उसकी चूत में बिना कंडोम के दाखिल हो गया।


तीसरा भाई अपने लौड़े को नीचे झुककर फुलवा की चूत में पेलता पर ऊपर उठकर फिर अपने लौड़े को सुपाड़े तक बाहर खींच लेता। इस से लौड़ा अंदर जाते हुए चूत के सामने वाले हिस्से को रगड़ता अंदर जाता पर पीछे वाले हिस्से को रगड़ते हुए बाहर आता। अपनी चूत की इतनी खूबी और विविधता से चुधाई महसूस करती फुलवा लगातार झड़ते अपने यौन रसों की फुहार उड़ाते हुए बेसुध हो गई।


फुलवा की आंखें खुली तो उसने अपने आप को अकेला पाया। फुलवा की चूत मर्दाना मक्खन से पूरी तरह भर कर बह रही थी। फुलवा को यकीन था की तीनों भाइयों ने उसे एक से ज्यादा बार भरा है।


रात की गंध अब तेज़ थी। फुलवा को याद आया की यही गंध उसे राज नर्तकी की हवेली में आई थी। राज नर्तकी यहां है यह सोच कर फुलवा डर गई।


उतने में दरवाजा खुला और फुलवा की चीख निकल गई।


शेखर, बबलू और बंटी कमरे में आ गए तो फुलवा ने अपने नंगे बदन को अपने गिरे हुए कपड़ों से ढकने की नाकाम कोशिश की।


शेखर ने फुलवा के बगल में बैठ कर उसे गले लगाया और फुलवा जोर जोर से रोने लगी।


फुलवा, "भैय्या!!…
मैं लूट गई भैय्या!!…
मैं गंदी हो गई!!…
मुझे माफ करना भैया!!…
मैने आप की बात नहीं मानी!!…
बापू ने मुझे धोखा दिया और मेरी… (जोर जोर से रोने लगी)"


शेखर, "माफी तो हमें मांगनी चाहिए! हमने तुम्हें पूरी सच्चाई नहीं बताई। अगर बताई होती तो यह हालत नहीं होती। चलो! यहां से हम तुझे ले जा रहे हैं!"


फुलवा, "पर Peter uncle? वो मुझे जाने नहीं देगा!"


शेखर की आंखों में अजीब चमक थी, "अब हमने उसकी बोलती बंद कर दी है। चलो जल्दी!"


फुलवा नीचे देखती, "भैय्या यहां 3 और लोग भी हैं! जिन्होंने मुझे आज रात…"


बबलू और बंटी हंस पड़े तो शेखर ने उन्हें डांटकर चुप किया।


शेखर, "फुलवा, वो हम ही थे! अगर हम तुम्हें नहीं चोदते तो Peter uncle को हम पर शक हो जाता और हम लोग उसे झांसा देकर पकड़ नही पाते।"


फुलवा हैरानी से उन्हें देखते हुए, "आप तीनों ने अपनी बहन को…"


शेखर, "हमें एक दूसरे से कई बातें करनी हैं पर अभी नहीं! फटाफट अपने कपड़े लो और चलो!"


फुलवा ने अपने कपड़े पहने और एक पोटली में कुछ और कपड़े ले कर बाहर निकली। Peter uncle कहीं भी दिख नहीं रहा था। बबलू और बंटी उसे लेकर बाहर आए और दो गली पार लगाई हुई गाड़ी में उसे बिठाया।


फुलवा ने देखा कि यह वही गाड़ी है जो बापू ने घर बेचकर खरीदी थी। शेखर कुछ देर बाद पीछे से आया और उसने गाड़ी चलाना शुरू किया।


कुछ देर बाद फुलवा से रहा नहीं गया।


फुलवा, "आप ने मुझे कैसे ढूंढा? और यह गाड़ी? बापू?"


शेखर ने अपने भाइयों को देखा और फिर फुलवा की ओर देख कर मुस्कुराया।


शेखर, "लाला ठाकुर ने तेरा संदेश हम तक पहुंचाया। वह इंसाफ करना चाहता था इस लिए उसने बापू को भी ढूंढ लिया और उसका पता भी बताया। फिर हमने बापू को पकड़ा। उसने तुझे बेचने की बात कबूली और हमने उसे पीटकर उसकी गाड़ी उस से छीन ली। बापू से तुम्हारा पता मिला और हम तुम्हें बचाने आ गए।"


शेखर ने गाड़ी एक रास्ते के किनारे लगाई। बबलू और बंटी पानी लाने के लिए गए। शेखर ने गाड़ी के अंदर का सामान हिलाकर जगह बनाई और सब के लिए बिस्तर लगाया। फुलवा ने गाड़ी में देखा और उसे पता चला कि भाई इसी गाड़ी में रहते हैं।


फुलवा, "भैय्या, अब हम क्या करेंगे? कैसे रहेंगे?"


शेखर ने एक गहरी सांस ली।


शेखर, "फुलवा, देख हम जहां रहते थे वहां हम एक जवान लड़की को अकेला छोड़कर जा नही सकते। साथ ही पिछले 6 साल में मुझे और पिछले 3 साल में बबलू और बंटी को चमड़ी की लत लग गई है। हम कोई पैसा जमा नहीं कर पाए। जो भी कमाया था वह चमड़ी पर लूटा दिया। एक तरीका है जिस से हम सब जल्द ही अमीर बन कर खुशी खुशी जी सकते हैं।"


फुलवा, "चमड़ी? तरीका?"


शेखर, "हमने कल रात तुम्हें चोदा क्योंकि हमें लड़कियों को चोदने की लत लग गई है। लेकिन अगर तुम हमारा साथ दो तो हम हम जल्द ही अमीर हो जायेंगे।"


फुलवा, "शेखर भैया, आप चाहते हो कि मैं आप तीनों की बीवी बनकर रहूं। आप सब की भूख मिटाऊं। ठीक है! और ये अमीर बनने का तरीका क्या है?"

***
 

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