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फुलवा को लेकर सुंदर को गए आधा घंटा ही हुआ था जब SP प्रेमचंद ने surprise inspection के लिए सबको बुलाया। सोनी ने SP प्रेमचंद को रोकने की कोशिश की पर वह सबके सामने SP प्रेमचंद को बता नहीं सकती थी। फुलवा को लापता पाते ही सिपाही कालू ने कहा कि फुलवा को सोनी दरवाजे तक ले गई थी।
सोनी को SP प्रेमचंद ने अपने दफ्तर में बुलाया और सिपाही कालू से कहा कि आज वह व्यस्त रहेगा। सोनी ने दफ्तर में जाते ही कालू ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।

सोनी झूठी हिम्मत से, "सर, इसका मतलब क्या है? मैंने आप के कहने पर फुलवा को बाहर भेजा है! मेरा पति काम होते ही फुलवा को वापस लाएगा। फिर ये surprise inspection क्यों?"
SP प्रेमचंद, "शादीशुदा हो कर भी कितनी मासूम हो! मेरे लिए रंडियों को परोसते हुए ऐसे मटकती हो पर तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा? यहां आते ही मैंने तय किया था कि तू मेरी अपनी रखैल बनेगी। तूने खुद मुझे जाल दिया और उसमें फंस भी गई। अब अगर इसी जेल में कैदी बनकर आना नही चाहती तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी।"
सोनी ने डरते हुए अपना सर हिलाकर हां कहा।
प्रेमचंद, "अब अपनी वर्दी उतार और वहां कुर्सी पर रख!"
सोनी रोते हुए, "मैं रण्डी नहीं हूं! मैने हमेशा आप की मदद की है! आप के कहने पर जेल की औरतों का बलात्कार करने में भी आप का साथ दिया। आपके सबूत मिटाए, आप के भाईसाहब लिए यहां के गुंडों को जेल पर राज करने दिया! मैं हमेशा…"
प्रेमचंद ने सोनी का गला दबा कर उसकी बात रोकी।
प्रेमचंद, "सुन बे दो टके की दल्ली! मैं इस जेल का राजा हूं और यहां के बाकी सब मेरे गुलाम! अगर मैं चाहूं तो तुझे अभी इस जेल में नंगा घुमाऊं! समझी?"
सोनी ने डर कर अपना सर हिलाते हुए हां कहा।
प्रेमचंद, "अब इस से पहले कि मैं तेरी वर्दी फाड़ कर तुझे आज शाम को नंगे बदन घर जाने को कहूं, अपनी वर्दी उतार!"
सोनी ने रोते हुए अपनी टोपी, फिर बेल्ट, फिर जूते और मोजे उतारे।
प्रेमचंद अपनी छड़ी हाथ में बजाकर, "तेरी सुहागरात नहीं है जो तू मेरे इशारे का इंतजार करे! चल नंगी हो जा!"
सोनी ने रोते हुए अपना शर्ट और पैंट उतार दी। नीली ब्रा और पैंटी में सोनी ने अपने बदन को छुपाते हुए खड़ा होना पसंद किया।

प्रेमचंद ने अपनी नजरों के सामने कांपती सोनी के ललचाते बदन को देख कर अपने मोटे होठों को गीला किया। प्रेमचंद ने सोनी के हाथ उठाए और टांगे फैलाई।
सोनी ने चौंक कर आह भरी जब उसकी पैंटी के ऊपर से एक झुनझुनाता छोटा पतला vibtrator चलने लगा। प्रेमचंद सोनी के बदन को चूमते हुए उसके यौन मोती को छोटे vibrator से उत्तेजित कर रहा था। सोनी ने अपने मुंह को मोड़ कर अपने होठों को दबाते हुए अपने बदन पर काबू पाने की नाकाम कोशिश की।

प्रेमचंद एक मंजा हुआ खिलाड़ी था जिसने नजाने कितनी औरतों का बलात्कार करते हुए औरत के मन और बदन में कश्मकश पैदा करना सीखा था। धीरे धीरे सोनी की सांसे तेज और बदन गरम होने लगा। सोनी अपने बदन के विद्रोह से रो पड़ी।

प्रेमचंद ने सोनी की पैंटी को पैरों के बीच में से खींचते हुए जगह बनाई और वह छोटा पतला vibrator सोनी की यौन पंखुड़ियां के ठीक बीच में रख कर पैंटी को उसकी जगह पर लाया। पैंटी vibrator को अपनी सही जगह पर रख कर सोनी को तड़पा रही थी जब प्रेमचंद ने सोनी को अपनी में पर लाया।
सोनी की ब्रा का हुक खोलते हुए प्रेमचंद ने सोनी के मम्मे को दबाकर उनकी सक्ति और बनावट को आजमाया। सोनी की आंखों में से आंसू और होठों से आहें निकल रही थी। प्रेमचंद ने सोनी को पीठ के बल मेज पर लिटाया। सोनी के जवान मम्मे चूचियों को सीधे आकाश की ओर किए अपनी जगह पर बने रहे।
प्रेमचंद ने फिर एक डॉक्टरी टेप से दो छोटे vibrator को सोनी की चुचियों पर चिपका दिया। झनझनाहट अब सोनी की चूत के साथ उसके मम्मों के जरिए भी होती उसके बदन को और भड़का रही थी।

प्रेमचंद ने सोनी का चेहरा एक ओर मोड़ा और सोनी से पूछताछ करने लगा।

प्रेमचंद, "सोनी, ये बता की तूने मेरे लिए क्या क्या किया है?"
सोनी रोते हुए, "मैने आप के कहने पर जेल में हर गैर कानूनी काम को बढ़ावा दिया है। विधायकजी के गुंडों को घर का खाना दिलाते हुए बाकी कैदियों को बस एक वक्त का खाना दिया है। आप की खिदमत में हर रात रंडियां पेश की हैं। उन रंडियों को पहले साफ करते हुए उनके बदन में बीमारी ना होने की जांच भी की। जब आप ने उन रंडियों को पीट कर छोड़ दिया तब उनके बदन से आप के वीर्य के निशान मिटाए और उनके मुंह बंद करने के लिए उन्हें धमकाया भी। हुजूर मैं पतिव्रता हूं मुझे कलंकित ना करें!"
प्रेमचंद ने सोनी की पैंटी को उतारते हुए वाइब्रेटर को उसकी सही जगह पर बनाए रखा।
प्रेमचंद, "बता, मैंने तुझे कैसे फंसाया?"
सोनी और जोरों से रोते हुए, "जब मैंने बताया की मेरे पति के ग्राहक किसी औरत की इज्जत लूटना चाहते हैं और मेरे पति उसके लिए अच्छी रण्डी ढूंढ रहे हैं। तब आप ने मुझे जेल में से एक रण्डी ले जाने का सुझाव दिया। हुजूर, आप ने मुझे मनाया की यही सबसे अच्छा और महफूज तरीका होगा! हुजूर, मुझे बक्श दो! मुजूर मैं आप की गुलामी करूंगी! मुझे जाने दो!!…"
प्रेमचंद ने अपनी लंबी उंगली पर तेल लगाया और सोनी की चूत के गीले मुंह को सहलाने लगा। सोनी नहीं!!… नहीं!!… नही!!… चिल्ला रही थी पर उसकी चूत में से यौन रसों का बहाव तेज़ हो रहा था।

प्रेमचंद ने अपने उंगली को सोनी की तपती गर्मी में डाल दिया और उसकी चीख निकल गई। Vibrator की छेड़खानी से उत्तेजित जवानी बस गरम उंगली से यौन उत्तेजना के शिखर पर पहुंची। सोनी का बदन कांपने लगा और वह मेज पर उछलती अनजाने में अपनी कमर को हिलाकर प्रेमचंद की उंगली से चूधने लगी।
प्रेमचंद के सब्र का बांध टूटा और उसने अपनी पैंट उतार कर अपने सुपाड़े को सोनी की गीली जवानी से भिड़ा दिया।
सोनी चीख पड़ी, "कंडोम!…"
प्रेमचंद ने मुस्कुराकर अपने लौड़े को एक तेज धक्के से सोनी की गरम भट्टी में पेल दिया। सोनी की चीख में दर्द नही पर डर और विवशता का में था। सोनी शादीशुदा महिला थी जिसका पति, सुंदर उसे हर रात संतुष्ट करता। लेकिन इस तरह पराए मर्द संग विवशता से चुधना अपने आप में एक अनोखा अनुभव था।
प्रेमचंद ने सोनी के घुटनों को अपने कंधों पर मोड़कर रखते हुए अपनी खुदगर्जी को साबित किया। प्रेमचंद तेज चाप लगाते हुए सोनी की शादीशुदा जवानी को लूटता उसे झड़ने को मजबूर कर रहा था।

सोनी ने अपने बदन की बगावत से हारते हुए आह भरी और अपनी उंगलियों से मेज के निचले हिस्से को कस कर पकड़ लिया। प्रेमचंद की तेज रफ्तार चुधाई से सोनी की जवानी ने पानी छोड़ दिया। सोनी की आह निकल गई और वह कांपते हुए झड़ने लगी।
प्रेमचंद ने अपने लौड़े पर सोनी की गर्मी में चूसने का अनुभव किया और वह जंगली भेड़िए की तरह कराहते हुए झड़ गया। प्रेमचंद की गर्मी से सोनी की कोख भर गई। सोनी की सुहागन जवानी कुलटा के दाग में पोत दी गई थी।

सोनी के ऊपर से प्रेमचंद उठ गया। प्रेमचंद ने चूचियों पर चिपके मेडिकल टेप के छोर पकड़े और उन्हें खींच निकाला।
सोनी की उत्तेजना से संवेदनशील हुई चूचियां दर्द से चीख पड़ी। सोनी की चीख प्रेमचंद के ऑफिस में गूंज उठी।
प्रेमचंद ने मुस्कुराते हुए सोनी को देखा। सोनी ने अपने बदन को प्रेमचंद से छुपाने के लिए उसकी मेज पर पेट के बल लेट लिया था।
प्रेमचंद ने हाल ही में सुना था कि लखनऊ का एक डॉक्टर अपने लौड़े पर इंजेक्शन लेकर अपनी पेशेंट को लगातार 8 घंटे चोदा करता था। प्रेमचंद ने उस मरे हुए डॉक्टर को याद करते हुए वह इंजेक्शन अपने लौड़े के जड़ में लगाया। प्रेमचंद का लौड़ा और गोटियां फूलने लगी जब सोनी के कपड़ों में रखा उसका फोन बजने लगा।
बदहाल सोनी कोई फोन उठाने की हालत में नहीं थी पर जब प्रेमचंद ने देखा की सुंदर का कॉल है तो उसने वह फोन सोनी को दिया।