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शेखर ने बबलू और बंटी के साथ बैठ कर फुलवा को बताया की बिना पढ़ाई लिखाई के उन्हें शहर में मजदूरी के अलावा कोई काम नहीं मिला। चमड़ी की लत ने हाथ में को भी बचा वह खत्म कर दिया। लेकिन सामान की बोरियां उठाते हुए शेखर ने पता लगाया था कि स्मगलिंग का माल कब और कैसे जाता है।
स्मगलिंग का माल एक ट्रक में घास या गोबर के नीचे छुपाकर भेजा जाता है। यह ट्रक सिर्फ खाना खाने के लिए एक ढाबे पर रुकते हैं और वहां उन्हें गुंडों का पहरा मिलता है। क्लीनर के पास भरी हुई बंदूक होती है। लेकिन अक्सर ये ट्रक ड्राइवर रास्ते में चुपके से रंडियां उठाते हैं और उन्हें चालू ट्रक में चोद कर फिर अगले शहर में उतार देते हैं।
शेखर चाहता था कि फुलवा ढाबे के बाद रास्ते पर रण्डी बन कर खड़ी रहे। इतनी खूबसूरत रण्डी को चोदने के लिए ट्रक रुकेंगे पर 1 चुधाई के 1000 सिर्फ स्मगलिंग करने वाले दे पाएंगे। क्लीनर रखवाली करते हुए ड्राइवर को चोदने का मौका देगा पर क्लीनर जब चोदेगा तब ड्राइवर ट्रक चलाएगा। इस दौरान भाई गाड़ी में से दूरी बनाए रखते हुए उनका पीछा करेंगे। जब फुलवा को उतारने के लिए ट्रक रुकेगा तब भाई ट्रक पर हमला कर ड्राइवर क्लीनर को पकड़ लेंगे। फिर एक भाई फुलवा को लेकर जायेगा तो बाकी दो भाई ड्राइवर क्लीनर को सड़क किनारे छोड़ कर ट्रक और उसके अंदर का माल बेचेंगे।
शेखर के मुताबिक अगर वह पंधरा दिन में सिर्फ एक छापा मारें तो 3 महीने बाद वह ये काम छोड़ गायब हो सकते हैं। चोरी और लूट करना फुलवा को गलत लग रहा था पर जब तक किसी को चोट पहुंचाए बिना वह निकल जाएं फुलवा को ठीक लगा।
इस बात की खुशी में भाई बहन सोने गए। जब तीनों भाइयों का प्यार अपने तीनों छेदों में भर लेने के बाद फुलवा ने अपनी आंखें बंद की तब उसे याद आया कि उसके किसी भी भाई ने कंडोम इस्तमाल नहीं किया था।
फुलवा ने अगले 5 दिन एक जैसे बिताए। उसका एक भाई बाहर बैठ कर पहरा देता जब उसके बाकी के दो भाई उसे रात भर अपने वीर्य से लबालब भरते। फिर सुबह जब उसके चोद रहे भाई उसे आखरी बार चोद कर भर देते तब पहरा देता भाई पानी लाता। रात के भाई सामान उठाने के लिए चले जाते तो दिन में पहरा देता भाई उसे जम कर चोद देता। लड़खड़ाते कदमों से फुलवा जैसे तैसे खाना पकाती और सो जाती। पहरेदार भाई तब भी अपनी सोती बहन को चोदा करता। शाम को रात के भाई थक कर आते तो उनमें से एक भाई पहरा देने बाहर रुकता तो दूसरा भाई फुलवा की गांड़ में अपनी दिन भर की थकान उड़ेल देता।
पांचवे दिन शेखर बड़ी खुशी में आया और उसने अपने भाइयों को गाड़ी में बिठाकर अपना ठिकाना बदला। शेकर को शिकार मिल गया था।