Incest बरसात की रात (completed)

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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
 
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पल भर में ही रघु की हालत खराब हो चुकी थी ऐसा नहीं था कि पहली बार वह इस नजारे को अपनी आंखों से देख रहा था इससे पहले कि वह अपनी मां के खूबसूरत कथन के लगभग लगभग हर किस्से को देखे चुका था लेकिन अपनी मां के बदन में जिस तरह की लचक मरोड़ और कटाव को देखकर वह उत्तेजित होता था उस तरह से वह किसी भी औरत के खूबसूरत बदन को देखकर उत्तेजित नहीं होता था अपनी मां में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजनापूर्ण अंगों का एहसास होता था,,,वह सब्जी काटते काटते जिस तरह से अपनी आंखें चौड़ी करके ब्लाउज में से झांक रहे उसकी बड़ी बड़ी चूची को देख रहा था उसे कजरी बेहद खुश नजर आ रही थी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,,,, कजरी को लगने लगा था कि उसका पहला वार ठीक निशाने पर जा लगा था,,,, वह उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को चोरी करके रोटी दोनों टांगों के बीच से अपने दोनों हाथों को थाली में रखकर आटे को गुंथने लगी,,,, और आटे को गुंथते समय ऊपर नीचे हिलने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों में जैसे जान आ गई हो इस तरह से आपस में रगड़ खाकर हिल रही थी,,, कुछ पल के लिए रघु सब्जी काटना भूल गया था और फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था मानो कि जैसे अभी दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के ब्लाउज को खोल कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाना शुरु कर देगा,,,,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कब तक जितनी भी चुचियों को वह देख चुका था उनमें से लाजवाब चुची उसकी मां की ही थी,,,, अपने बेटे को इस तरह से अपनी चुचियों को घूरता हुआ देखकर कजरी बोली,,,।


अरे सब्जी भी काटेगा कि देखता ही रहेगा,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही रघु एकदम से झेंपता हुआ फिर से सब्जी काटने लगा लेकिन चोर नजरों से बार-बार वह अपनी मां की चूची की तरफ देख ले रहा था आखिरकार आंखों के सामने इतना मादक दृश्य जो था भला उस देश से को देखने से वह अपने मन को कैसे मना कर सकता था,,,। बड़ा ही मोहक दृश्य के साथ-साथ मौसम भी बनता जा रहा था,, अंधेरा हो चुका था ठंडी हवा चल रही थी आसमान में धीरे-धीरे बादल छाने लगी,थे,,, बारिश पड़ने के आसार नजर आ रहे थे,,,, कजरी बन में बारिश पड़ने की प्रार्थना भी कर रही थी,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बरसात के मौसम में तन बदन कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो जाता है पुरुष संसर्ग के लिए और यही हाल मर्दों का भी होता है,,,,)

शालू के जाने के बाद मुझे लगता नहीं था कि तू मेरी इतनी मदद करेगा,,,(चूल्हे में सूखी हुई लकड़ी डालते हुए)


तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा था,,,,


वैसे भी तू घर का काम कहां करता था जब कोई काम बोलो तो बहाना बनाकर निकल जाता था लेकिन जिस तरह से तु शालू के जाने के बाद से मेरी मदद कर रहा है मुझे बहुत खुशी मिल रही है,,,,


पहले की बात कुछ और थी मा पहले शालू थी तो मुझे बिल्कुल भी फिकर नहीं होती थी मैं जानता था कि शालू सब कुछ कर देगी लेकिन शालु के जाने के बाद तुम अकेली पड़ गई हो,,,,,,(इतना कहने के बाद वह अपनी मां को गौर से देखने लगा उसकी मां की उसकी आंखों में देखने लगी रघु को यही सही मौका लगा अपनी मां के मन में चल रहे भावनाओं के बारे में जानने के लिए इसलिए वह बेझिझक अपनी मां से बोला) वैसे भी मैं पिताजी के जाने के बाद वर्षों से तुम अकेले ही हो,,,,
(अपनी बेटे के मुंह से इस बात को सुनते ही कजरी थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इस तरह का सवाल पूछ बैठेगा फिर भी अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं रे अकेले कहां पड़ गई हूं तू है चालू है तुम दोनों तो हो,,,



यह तो मैं भी जानता हूं मां,,,, लेकिन पिताजी नहीं है इसका तो भरपाई नहीं हो सकता ना,,,,


हां वो तो है,,,,(आटे की लोई बनाते हुए बोली,,,)

कितना कठिन हो जाता है एक औरत के लिए बिना आदमी के जीवन गुजारना,,,(सब्जी काटते हुए रघु बोला,,,)


तु बात तो एकदम ठीक ही कह रहा है,,,, मुझे ही देख ले कैसे मैंने तुम दोनों को पाल पोस कर बड़ा किया,,,,, लेकिन सच कहूं तो तेरा मुझे बहुत सहारा है,,,(रोटी को बेलते हुए बोली,,,)


मेरा सहारा,,,, कैसे,,,?(सब्जी और चाकू को उसी तरह से हाथ में पकड़े हुए बोला)


अरे देखना,,, जो काम तेरे पिताजी को करना चाहिए था वह काम तूने किया,,,


कौन सा काम मां,,,,


अरे तेरी बहन की शादी,,,,अब तूने ही तो सब कुछ तय किया था,,, वरना मैं कहां मालकिन को जानती थी शादी की बात तो तेरे से ही शुरू हुई और देखा चालू अपनी ससुराल है और बड़ी हंसी खुशी से राज कर रही है,,,।


हां सो तो है लेकिन यह तो मेरा फर्ज था,,,,,,


फिर भी रघु इस दौरान तूने अपने बाबूजी की कमी महसूस होने नहीं दिया,,,


कुछ भी हो मा लेकिन उनकी जगह तो नहीं ले सकता ना,,,,
(रघु के कहने का मतलब को कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके पति की जगह लेने से उसका मतलब साफ था कि वह उसके साथ हमबिस्तर का संबंध बनाना चाहता था,,,, अपने बेटे की बात का मतलब समझते ही,,, कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी,,, लेकिन कजरी बोली कुछ नहीं,,,, रघु उसी तरह से सब्जी करता रहा,,, ब्लाउज में से झांसी अपनी मां की चूचियों के ऊपर पसीने की बूंदे उपसता हुआ देखकर रघु बोला,,,)

इतनी ठंडी हवा चल रही है फिर भी तुम्हारी उस पर,,,( चुची की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) पसीना हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर उसके ऊंगली का इशारा अपनी चूची की तरफ होता देख कर अपनी चूची की तरफ देखने लगी जिसपर वास्तव में पसीने की बूंदे उपस रही थी,,,)

ओहहहह,,, चुल्हा जल रहा है ना इसकी वजह से,,, जरा इसे पोछ दे मेरे हाथों में आटा लगा है,,,,
(इतना सुनते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, वह तुरंत सब्जी छोड़कर घुटनों के बल चलता हुआ अपनी मां की करीब गया और अपनी मां की साड़ी का पल्लू अपने हाथ में लेकर अपनी मां की चूची पर से पसीने की बूंदों को साफ करने लगाअपनी मां की चूची पर हाथ लगाते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी उसका लंड खड़ा होने लगा ब्लाउज में से झांक रही खरबूजे जैसी उसकी दोनों चूचियां दशहरी आम की तरह रस से भरी हुई थी जिसे रघु अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने के लिए उतावला हो रहा था,,,, कजरी भी अपने बेटे की हाथों का स्पर्श अपनी चूची पर पाते ही मस्त हो गई,,,,उसका दिल तो चाहता था कि अपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी चूची को तोहफे के रूप में उसके हाथों में थमा दे,,, लेकिन कजरी अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी,,, धीरे धीरे साड़ी के पल्लू से अपनी मां की चूची पर उपसी हुई पसीने की बूंदों को वह अच्छी तरह से साफ कर दिया,,,,,,,अपनी मां की चूची की नरमाहट को एक बार और महसूस करके वह पूरी तरह से गनगना गया,,,,उत्तेजना के मारे रघु की सांसें तेज हो चली थी जिसका एहसास कजरी को अच्छी तरह से हो रहा था अपने बेटे की हालत पर उसे अंदर ही मजा आ रहा था,,,,,,।

अब देखो अच्छी तरह से साफ हो गया ना,,,,(ऐसा कहते हुए वक्त पीछे की तरफ घुटनों के बल आने लगा तो उसकी मां बोली,,,)


यह तो फिर पसीने से भीग जाएगी,,,,


तो क्या हुआ मैं फिर साफ कर दूंगा,,,,


कब तक साफ करते रहेगा,,,


जब तक तुम्हारी गीली होती रहेगी,,,,(इस बार रघु अपनी मां की चूची के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की बुर के लिए बोला था,,, जो की कजरी इतनी नादान नहीं थी कि अपनी बेटी के कहने का मतलब कुछ समझ ना पाए वह अपने बेटे के कहने का मतलब को समझ चुकी थी और उसकी बात सुनकर अपनी बुर में से पानी की बूंद को टपकती हुई महसूस भी की थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,, वो ज्यादा कुछ नहीं बोली बस अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)


चल देखूंगी कब तक तु साथ देता है,,,


हमेशा,,,, जब तक तुम संतुष्ट ना हो जाओ,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी रघु कि तरफ आश्चर्य से देखी तो रघु तुरंत अपनी बात को बदलता हुआ बोला,,)


मेरा मतलब है कि जिंदगी भर,,,,


तुझ पर मुझे पूरा भरोसा है,,,,(इतना कहने के साथ गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी को थोड़ा सा और घुटनों के ऊपर ले जाकर बैठ गई जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच अच्छा खासा जगह बन गया रघु सब्जी काट चुका था इसलिए एक बहाने से उसे खड़ा करती हो हुए बोली,,)


बेटा जरा लालटेन की रोशनी बढ़ा देना तो,,, कढ़ाई में सब्जी डालनी है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी पास में पड़ी कढ़ाई को उठाकर चूल्हे पर रखने लगी रघु को लगा कि उसकी मां सच में कढ़ाई में सब्जी डालने के लिए उसे लालटेन की रोशनी बढ़ाने के लिए बोली ताकि कढ़ाई में अच्छी तरह से दिखाई दे सके लेकिन जैसे ही वह खड़ा होकर लालटेन की रोशनी को बढ़ाने लगा वैसे ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी नजर सीधे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच साड़ी के बीचो बीच चली गई जिसमें लालटेन की रोशनी में रघु को अपनी मां की कसी हुई और फुली हुई बुर साफ नजर आ रही थी,,, जिस पर हल्के हल्के रेशमी बालों का गुच्छा भी नजर आ रहा था लोगों की तो हालत खराब हो गई पल भर में ही उसकी पजामी का आगे वाला भाग एकदम से तन कर तंबू हो गया कजरी की नजर जैसे यह अपने बेटे पर गई और साथ में उसके तंबू पर गई तो उसके भी होश उड़ गए लेकिन वह मन ही मन खुश हो गई क्योंकि उसकी यह तरकीब काम कर गई थी वो जानबूझकर अपनी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर लोगों को खड़े होकर रोशनी बढ़ाने के लिए बोली थी वह जानती थी कि जब वह खड़ा होगा तो उसकी नजर उसकी टांगों के बीच जरूर जाएगी और ऐसा ही हुआ,,,, कजरी कुछ बोली नहीं बस सब्जी डालकर उसने मसाला डालने लगी वह कुछ देर तक और अपने बेटे को अपनी मदमस्त कसी हुई बुर के दर्शन कराना चाहती थी ताकि रघु पूरी तरह से उसकी बुर देखकर मदहोश हो जाए और जो वह चाहती है वह करने के लिए बिना किसी रोक-टोक के तैयार हो जाए,,,। रघु की तो हालत खराब हो रही थी,,,ठंडी ठंडी हवा में भी उसके पसीने छूट रहे थे,,,, बडा ही मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,वह फटी आंखों से लगातार घूर घुर के अपनी मां की बुर को देखे जा रहा था जो कि,,, साड़ी के पर्दे में कैद होने के बावजूद भी पड़ी साफ साफ नजर आ रही थी,,,,,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देख देख कर कजरी ललचा रही थी,,,,,, बस कजरी इस मादक दृश्य पर पर्दा डालना चाहती थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पूरी तरह से रघु को उत्तेजित कर देना चाहती थी,,,,,, इसलिए अपनी टांगों को ठीक कर के वह रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,


थोड़ा सा तेल देना तो,,,
(और कजरी की आवाज सुनते ही रघु की जैसी तंद्रा भंग हुई हो और वह तुरंत तेल के डिब्बे को लेकर अपनी मां के पास रख दिया और वहीं बैठ गया क्योंकि तब तक उसे इस बात का अहसास हो गया था कि,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और पजामे में अच्छा खासा तंबू बन गया है इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गया था,,,,,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने बेटे के हाल पर कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसके बेटे के पजामे में छुपा हथियार कैसा है,,,,,,,क्योंकि बड़ी करीबी से उसने अपने बेटे के लंड को अपने बुर के इर्द-गिर्द महसूस कर चुकी थी,,, इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, रघु के हाथों से तेल का डिब्बा लेकर कढ़ाई में तेल डालने लगी और सब्जी को पकने के लिए ढक कर रख दी,,,, दूसरे चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखकर रोटी बेल कर उस पर रखने लगी,,, रघु पूरी तरह से आवाक् हो चुका था,,,ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी बुर के दर्शन कर रहा हो,,,, ना जाने कितनी बार और न जाने कितनी औरतों की बुर चोद चुका था,,, लेकिन जो उत्तेजना जक्ष जो एहसास उसे अपनी मां की बुर देखने पर होता था,,, उस तरह का एहसास उसे किसी की भी बुर देखने में या उस में लंड डालकर चोदने में नहीं होता था,,, रघु पूरी तरह से अद्भुत अहसास से भर चुका था,,,,


कुछ क्षण के लिए दोनों खामोश हो चुके थे,, कजरी इस तरह के पल की विवसता ऊन्मादकता और कमजोरी को अच्छी तरह से समझती थी,,, इसलिए कुछ क्षण तक वह भी खामोश रहना ही उचित समझी,,,, रघु वही पास में बैठा अपनी मां की रसीली बुर की संरचना के बारे में कल्पना करने लगा,,,जबकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर एक जैसी ही होती है,,,,, फर्क सिर्फ कसाव और ढीलेपन के साथ-साथ बुर वाली के चरित्र का होता है,,,,

माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन रसोई के दायरे का वातावरण पूरी तरह से उन्मादकता से भरा हुआ था उत्तेजना की गर्मी मां बेटे दोनों को सुलगा रही थी,,, कजरी प्रसन्न होते हुए उसी डिब्बे में से थोड़ा तेल कढ़ाई में डालकर उसमें बेली हुई पुडी को डालकर पका रही थी,,, जो कि थोड़ी ही देर में गर्म होकर फूल गई,,,,,,


तू जानता है की पूडी इतनी फूल क्यों जाती है,,,?(बड़े चमचे से गरम तेल में तेरती हुई पूडी को पलटते हुए बोली,,)


नहीं मैं नहीं जानता,,,,


मैं तुझे बताती हूं जब कोई चीज ज्यादा गर्म हो जाती है तो वह इसी तरह से फूल जाती है,,, जैसे कि यह पूडी,,, और भी ऐसी चीज है जो गरम होने के बाद फुल जाती है,,,(अपने बेटे की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली)


पुड़ी के अलावा और कौन सी चीज है जो गर्म होने पर फुल जाती है,,,(रघु अपनी मां के कहने की मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन वह अपनी मां के मुंह से जानना चाहता था इसलिए वह नादान बनता हुआ बोला)


हममम,,, ऐसी चीज बहुत ही खास लेकिन वक्त आने पर तुझे खुद ब खुद पता चल जाएगा,,,,


भला ऐसी कौन सी चीज है जो वक्त आने पर पता चल जाएगा अभी भी तो बता सकती हो,,,,


तू बड़ा बेसब्रा है,,, थोड़ा इंतजार तो कर समय आने पर मुझे बताने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,(कढ़ाई में दूसरी पुडी को तलते हुए बोली,,,,, अपनी मां के कहने का मतलब को रुको अच्छी तरह से समझ रहा था और जिस अंदाज में उसने गरम होकर फुलने वाली बात की थी अपनी मां का इशारा अपनी बुर की तरफ,,, एकदम साफ लफ्जो में कहते हुए देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,, वह समझ गया था कि उसकी मां बहुत ही जल्द उसके लिए अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर को उसके आगे परोस देगी,,, अपनी मां की बातों को सुनकर रघु की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसे लगने लगा था कि कहीं उसके लंड की नसें ना फट जाए,,, जिस तरह से उसकी मां दिलासा दे रही थी रघु कुछ और नहीं पूछा सका,,,, बस पूडी को बेलते हुए वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे के साथ-साथ ब्लाउज में हलचल कर रही चूचियों को देखता रहा,,,,,,मां बेटे दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुके थे दोनों के तन बदन में उत्तेजना अपना पूरा असर दिखा रहा था कजरी की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, और रघु को इसी बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दें,,,,,


आखिरकार भोजन बन कर तैयार हो गया,,,,,,,, दोनों मां-बेटे हाथ मुंह धो कर खाना खाने की तैयारी करने लगे लेकिन कजरी हाथ पैर धोने के बाद अपनी साड़ी को करते हो तब उठाकर उसने अपनी कमर पर खोस ली जिससे घुटनों से नीचे तक का भाग पूरी तरह से उजागर हो गया अपने हाथ को तोड़ते हुए मेरे को अपनी मां की इस हरकत पर ध्यान दिया था वह घुटनों से नीचे मांसल पिंडलियों, चिकनी टांग को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,। कजरी का भी दिल धक-धक कर रहा था,,,, अपने बेटे को और खुद को खाना परोस कर वहीं खाने बैठ गई लेकिन कजरी अपने बेटे के ठीक सामने बैठ गई और लालटेन को उतार कर जहां बैठी थी वहां से थोड़ी सी ऊंचाई पर लालटेन को रख दी,,, कजरी अपने बेटे के सामने टांगों को फैला कर बैठ गई और बीच में खाली लेकर खाने लगी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से बैठने पर उसकी दोनों टांगें खुल जाएंगे और एक बार फिर से उसके बेटे को उसकी रसीली बुर के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, और ऐसा ही हुआ इस बार भी रघु की नजर अपनी मां के इस तरह से बैठने की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच चली गई और इस बार लालटेन एकदम करीब होने की वजह से उसका उजाला पूरी तरह से कजरी के साड़ी तक पहुंच रहा था मानो की लालटेन से उठ रही पीली रोशनी उसकी मां की बुर को स्पर्श करना चाहती हो,,,,,,
रघु की हालत एक बार फिर से खराब होने लगी जिस तरह सेउसकी मां बता रही थी कि कोई भी चीज जब गर्म हो जाती हो तो मैं पूरी तरह से फूल जाती है उसी तरह से उसकी मां की बुर भी पूरी तरह से गर्म होकर कचोरी की तरह खुल चुकी थी जिसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी,,,वह अपनी कामुक हरकत से पूरी तरह से अनजान बनी रहना चाहती थी ताकि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसके गदराए जिस्म की उत्तेजना से भरपूर केंद्र बिंदु को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो सके,,,,,, और ऐसा हो भी रहा था रघु का लंड था कि नीचे बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,,। रघु के खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच केंद्रीत हो चुकी थी,,,,,, कजरी के गजराए बदन में उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर और ज्यादा सुशोभित हो रही थी,,,,, रघु की आंखें पलक झपकना भूल चुकी थी वह एक टक अपनी मां की बुर को ही देखे जा रहा था,,,कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी किसी तरह से वह बैठी हुई है उसकी बुर उसके बेटे को साफ दिखाई दे रही होगी इसलिए कुछ देर तक वह अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दि लेकिन वह समझ चुकी थी कि उसका बेटा पूरी तरह से तड़प उठा होगा और यही तड़प तो वह उसके अंदर चाहती थी इसलिए,,,,,, वह यही बात पक्की करने के लिए कि उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच देख रहा है या नहीं इसलिए वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,,


अरे तू अभी तक खाया नहीं कहां ध्यान है तेरा,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजरों की तरफ उसके सिद्धांत को समझते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखी तो जानबूझकर शर्मा ने का नाटक करते हुए बोली,,,)

अरे बाप रे,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दोनों टांगे एक तरफ कर ली और शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली,, रघु अपनी मां के इस हरकत पर पूरी तरह से मस्त हो गया क्योंकि जिस तरह से हुआ शर्मा कर अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके इतनी दूर को छुपा ली थी वह नजारा पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,, और कजरी खाते हुए बोली,,,)

जल्दी से खा ले नहीं तो ठंडा हो जाएगा,,,,


अभी तो पूरा गर्म हुआ हूं,,,,


क्या,,,,?


कककक,,,कुछ नहीं मैं कह रहा हूं कि इतनी जल्दी ठंडा नहीं होगा अभी तो गरम खाना है,,,,
(कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी थोड़ी देर बाद दोनों ने अपना अपना खत्म कर लिया और सोने की तैयारी करने लगे,,,, आसमान में बादल छाने लगे थे बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे,,, दोनों छत पर सोने के लिए जा रहे थे और रघु आगे आगे और कजरी पीछे लालटेन लिए चल रही थी कि तभी उसके मन में एक और युक्ति सूझी और वह सीडी पर ही लालटेन को रख दी तब तक रघु 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था,,,।


रघु तू चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,


कहां जा रही हो,,,( रघु सीडी पर चढ़े हुए ही अपनी गर्दन पीछे घुमा कर अपनी मां की तरफ देखती हुए बोला,,)


अरे तुझे बताना जरूरी है क्या तू चल मैं आ रही हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर जाने लगी और लालटेन को वही सीढ़ी के पास रख दी,,, रघु को अंदेशा हो गया था कि उसकी मां क्या करने जा रही है,,, इसलिए वह छत की तरफ ना जाकर वही खड़ा रहा और अपनी मां की तरफ देखता रहा जोकी ताडपत्री और टूटे हुए लकड़ी से बनाए हुए गुसल खाने की तरफ जा रही थी रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,।)
 
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रघु को इस बात का अंदेशा हो गया था कि क्या करने के लिए उसकी मां गुसल खाने की तरफ जा रही है इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था लेकिन फिर भी इसके आगे जाने की हालत में हो बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसका मन कुछ और ही कह रहा था,,, वह ना तो एक सीडी नीचे उतरा और ना ही ऊपर,,, वह दीवाल की ओट से अपनी मां को बड़ी गौर से देख रहा था और उसकी मां मादक चाल चलते हुए आगे बढ़ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा कहीं ना कहीं से उसे देख रहा होगा इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका रही थी,,,,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,,मर्दों की नजर हमेशा औरतों की बड़ी बड़ी गांड पर ही आकर्षित होती रहती है और अपने बेटे की हरकत को तो वह भली-भांति जानती थी,,,।

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह एक टक अपनी मां की तरफ ही देख रहा था,,,अपनी मां की मटकती गांड को देख कर आनायास ही उसका हाथ पजामे के ऊपर से अपने लंड पर चला गया जो कि पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, यह पल बेहद अद्भुत और काम उत्तेजना से भरा हुआ था,,, क्योंकि बेटा अपनी मां की खूबसूरत बदन और उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपना लंड मसल रहा था,,,,कजरी को पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसे ही देख रहा होगा इसलिए एक बार भी पीछे मुड़कर अपने बेटे की तरफ नहीं देखी,,, गुसल खाने के करीब पहुंचते ही वह अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़कर जानबूझकर अपने दाएं बाएं देखने लगी कि तुम कोई देख तो नहीं रहा है,,, और वह अपने बेटे को यह यकीन दिलाना चाहती थी कि उसे इस बात का आभास तक नहीं है कि उसका बेटा उसे देख रहा है,,,,,, इसलिए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए और घर के बाहर खुले वातावरण का आनंद लेते हुए वह अपनी सारी को उसी तरह से पकड़े हुए हैं धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी ,,,,जैसे कि यह सारा कार्यक्रम उसने अपने बेटे को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने के लिए ही रखा हो,,, और वैसे भी यह सब जानबूझकर ही था देखते ही देखते कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,,,, एक पल के लिए तो रघु की दिल की धड़कन रुक गई रघु आंखें फाड़े अपनी मां के इस खूबसूरत मादक नजारे को देखता रह गया,,,,,, अंधेरी रात थी लेकिन फिर भी लालटेन की रोशनी के दायरे में कजरी की मदमस्त गांड रघु को एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,, रघु की सांसे बहक रही थी कुछ क्षण तक कजरी उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाए हुए खड़ी रही और इसके बाद नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी वैसे भी ऊसे बड़े जोरों की पेशाब लगे हुई थी,,,,, पेशाब करते करते वहां एक साथ दो काम कर देना चाहती थी पेशाब भी और अपने बेटे को अपने खूबसूरती के जाल में पूरी तरह से विवस करने की,,, जो कि दोनों काम बड़ी बखूबी से हो रहा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गांड को देखकर रघु की हालत खराब होने लगी थी,,, कजरी इतनी जोर से मुत रही थी कि उसके मुतने की आवाज बांसुरी की धुन की तरह रघु के कानों में पड रही थी,,, रघु के कानों में जैसे मिश्री घुल रही हो,,, रघु पल-पल मादकता के एहसास से मदहोश होता चला जा रहा था,,,, कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी हालांकि वह पूरी तरह से खुली नहीं लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से और जिस तरह से पेशाब करती है उसी तरह से पेशाब कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों को पेशाब करते हुए देखने में मर्दों को कितना मजा आता है क्योंकि ऐसा उसके साथ हुआ तो बहुत बार होगा लेकिन कभी कबार उसकी नजर उन अनजान नजरों पर पड़ जाती थी जो उसे पेशाब करने की स्थिति में आंखें फाड़े देखते रहते थे उस पर कजरी शर्म से पानी पानी हो जाती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसे पेशाब करते हुए देखे लेकिन इस समय की बात कुछ और थी,,, कजरी के तन बदन में मादकता का एहसास एक मादक खुशबू की तरह घुलता चला जा रहा था,,, और वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी को जानबूझकर वह पेशाब करते हुए अपनी गोरी गोरी गांड को दिखाएगी,,,। और वह भी किसी गैर को नहीं बल्कि अपने ही सगे बेटे को इसलिए तो यह पर उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था एक बार निश्चित करने के लिए कि जो पैंतरा उसने आजमाया है उस पर खरी उतरी है या नहीं इसलिए वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर अपने बेटे को देखने नतीजों की सीढ़ियों पर खड़ा होकर दीवार की ओट में से उसे ही देख रहा था बस पल भर के लिए वह अपनी नजर घुमा कर वापस उसी स्थिति में हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि उसका यह पूरी तरह से काम कर गया था अपने बेटे को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई इसका आंसर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच किस को गुलाबी पत्तियों के बीच महसूस होने लगी जिसमें से पेशाब के साथ-साथ उत्तेजना का मधुर रस भी टपक रहा था,,,।

अपने काम में पूरी तरह से वह कामयाब हो चुकी थी इसलिए तुरंत पेशाब करके उठ खड़ी हुई यह देखते ही रखो तुरंत सीढ़ियों से ऊपर चला गया और कजरी वापस लालटेन उठाकर छत पर आ गई,,, रघु एक तरफ चटाई बिछा रहा था,,,, उसे एक तरफ चटाई बिछाता हुआ देखकर कजरी उसे कहना चाहती थी कि वह उसके पास ही सोए,,, लेकिन ऐसा कहने से उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, रघु‌ खुद चाहता था अपनी मां के पास सोना लेकिन वह भी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,, कजरी को ही अपने बदन का दर्द का बहाना बनाते हुए बोलना पड़ा कि,,,,।


आहहहहह,,,, रघु खेतों में काम कर करके मेरा बदन पूरा टूट रहा है,,,, शालू होती तो मेरी मालिश कर देते और बचे आराम मिल जाता,,,,,(कजरी का इतना कहना था कि रघु तुरंत बोल पड़ा)


अरे मैं हूं ना मा,,, मैं मालिश कर दूंगा आखिरकार शालू की जगह मुझे भी हाथ बढ़ाना है,,,,(रघु किसी भी तरह से अपने हाथ में आई इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था वह किसी न किसी बहाने से अपनी मां को स्पर्श करने का सुख प्राप्त करना चाहता था,,,)


तू कर पाएगा,,,,


यह पूछो कि मैं क्या नहीं कर पाऊंगा तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द रफूचक्कर हो जाएगा,,,,


क्या बात है,,,,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,


भरोसा रखो मै शिकायत का बिल्कुल भी मौका नहीं दूंगा,,,
(रघु अपनी मां को भरोसा दिलाते हुए बोला वैसे भी उसे अपने बेटे पर पूरी तरह से भरोसा था,,,भले ही बात मालिश की हो रही हो लेकिन दोनों के कहने का मतलब एक ही है दोनों शारीरिक संतुष्टि की बात कर रहे थे,,,उसका बेटा उसे किस तरह से सारी संतुष्टि देगा यह उसे अच्छी तरह से पता था क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी बड़ी बेटी और अपने बेटे के बीच शारीरिक संबंध देख चुकी थी उन दोनों की घमासान चुदाई को अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,,,, बस वह खुद अपने बेटे के मर्दाना ताकत से दो चार हाथ होना चाहती थी,,, वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बिस्तर में उसके साथ किस तरह की उठापटक करता है,,, इसलिए अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली,,)



चल देखते हैं,,, हाथ कंगन को आरसी क्या,,,,,,


देख लो मैं कब इनकार कर रहा हूं,,,,

(अपने बेटे की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखते हुए वह नीचे चटाई बिछाने लगी,,, आसमान में बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, कजरी चटाई बिछा ही रही थी कि तभी जोरों की बारिश शुरू हो गई,,,,)

अरे ये तो बारिश शुरू हो गई जल्दी चल नहीं तो भीग जाएंगे,,,,,,


सत्यानाश ,,,,,रघु अपने मन में ही बोला उसे लग रहा था कि बारिश के कारण कहीं सारा मामला बिगड़ ना जाए कहीं उसकी मां का दिमाग बदल ना जाए क्योंकि वह इस तरह के मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वह मन ही मन बरसात को गाली देने लगा और अपनी चटाई को भी समेटने लगा,,,,,,


चल जल्दी चल बड़ी जोरों की बारिश पड़ रही है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों सीढ़ी के रास्ते नीचे आने लगे,,, लेकिन तब तक कजरी पूरी तरह से नहीं लेकिन फिर भी साड़ी गीली होने लगी थी और रघु का कुर्ता गीला हो चुका था,,,, दोनों जल्दी से अंदर वाले कमरे में पहुंच गए रघु दीवाल मैं गढ़ी हुई लकड़ी पर लालटेन टांग दीया,,, लालटेन की पीली रोशनी अंधेरे को चीरते हुए उजाला प्रदान करने लगी,,, पूरे घर में उजाला फैल गया,,,बाहर बड़े जोरों की बारिश शुरु हो चुकी थी बादलों की गड़गड़ाहट तेज हो चुकी थी,,,,,, रघु अपने कुर्ते को निकालने लगा क्योंकि वह गीला हो चुका था,,,प्रकाश ने अपने बेटे की उपस्थिति में ही उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी को कंधे पर से नीचे गिरा कर अपनी कमर में बंधी साड़ी को खोलने लगी क्योंकि उसकी साड़ी भी गीली हो चुकी थी,,,, रघु अपने कुर्ते को उतारते हुए अपनी मां पर नजर डाला तो एकदम दंग रह गया उसकी आंखों में चमक छाने लगी,,, रघु की मां कमर में बसी साड़ी को खोल रही थी और उसकी विशाल छातियां अपनी मादकता फैला रही थी,,, रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपनी मां की ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर रघु के मुंह में पानी आने लगा,,, और उसकी गहरी नाभि को देखकर रघु को ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि जैसे वह छोटा सा गड्ढा उसकी मां की नाभि नहीं बल्कि उसकी रसीली बुर हो,,,,,, रघु के लंड मैं सनसनाहट सी दौड़ गई थी,,,, कजरी बेझिझक अपने बेटे के सामने ही अपनी साड़ी उतार रही थी शायद इस बात का आभास उसे हो गया था कि अगर जिंदगी का मजा लेना है तो थोड़ा बेशर्म मरना होगा अपने अंदर के शर्म को मारना होगा,,, और रघु अपनी मां को एकटक देखता जा रहा था ,,, जैसे ही कट गई अपनी साड़ी को उतार कर वहीं पास में डाली हुई रस्सी पर टांगी,,, वैसे ही उसकी नजर अपने बेटे पर गई जो कि उसे ही देख रहा था उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर कजरी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है,,,,?


तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,,,


चल झूठा,,,,, मैं भला कब से खूबसूरत होने लगी,,,,


नहीं मा सच में तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,


चल बातें मत बना मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,, जल्दी से तेल की मालिश कर दे वरना आज नींद नहीं आएगी,,,,



तुम चिंता मत करो ना तुम खटिया पर लेटो मैं तेल लगा कर तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,,
(अपने बेटे के मुंह से तेल लगाने वाली बात सुनते ही उसकी गुलाबी पुर की गुलाबी पत्तियों में झुर झुरी सी छा गई,, क्योंकि तेल लगाने वाली बात का तात्पर्य वह अच्छी तरह से समझती थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं बस खटिया पर पेट के बल लेट ते हुए बोली,,,)


चल देखते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह पेट के बल खटिया पर लेट गई,,,, रघु पेटीकोट में छुपी उसकी उभरी हुई गांड को देखकर एक दम मस्त हो गया जो कि कुछ देर पहले वह उसी गांड को एकदम नंगी देख चुका था,,,, रघु बिल्कुल भी देर ना करते हुए जल्दी से तेल के डिब्बे में से कटोरी में तेल गिराने लगा लगभग तेल से आधी कटोरी भर दिया था,,,, दूसरी तरफ कजरी अपने बेटे को देख रही थी जिस तरह से वह कटोरी में तेल गिरा रहा था उसे देखते हुए कजरी को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे आज वह तेल लगाकर उसकी चुदाई करेगा,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने बेटे के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,, रघु कटोरी लेकर अपनी मां के पास आ गया,,, पर खड़े होकर उसकी मदमस्त भरी हुई गांड को देखने लगा कार्ड के ऊपर पतली चिकनी कमर पर फिसलन भरी राह को देखने लगा मांसल चिकनी पीठ के बीच में पतली गहरी दरार को देखने लगा जो कि बेहद मादकता से भरी हुई थी,,,,, रघु गहरी सांस लेते हुए खटिए पर ही बैठ गया,,,,,,

आज कुछ गजब का होने वाला था इस बात का एहसास दोनों मां-बेटे को हो चुका था बाहर बड़ी तेज बारिश हो रही थी,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार वातावरण में शोर मचा रही थी ठंडी ठंडी हवा बह रही थी जो कि अंदर कमरे तक पहुंच रही थी और कमरे को दोनों मां-बेटे की जवानी की गर्मी से राहत पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन शायद जवानी की गर्मी की आंखें मौसमी बारिश की ठंडक कमजोर पड़ती नजर आ रही थी,,,, ऐसे खुशनुमा मौसम में भी दोनों मां-बेटे एकदम गरम हो चुके थे,,, हाथ में तेल की कटोरी लिए हुए रघु बोला,,,।


कहां दर्द कर रहा है मां,,,,,


अरे यही कमर बहुत ज्यादा दर्द कर रही है दर्द तो पूरा बदन ही कर रहा है लेकिन कमर कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही हैं,,,(हल्की दर्द से भरी हुई कराह के साथ वह बोली)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां मेरा हाथ लगते ही दर्द दूर हो जाएगा,,,,,

काश ऐसा ही हो,,,,


ऐसा ही होगा बस तुम देखती जाओ,,,(इतना कहने के साथ ही रघु कटोरी के तेल की धार अपनी मां की कमर पर गिराने लगा,,, तेल की तेज धार कजरी को अपनी कमर पर साफ तौर पर महसूस हो रही थी,,, तेल के गिराने के बाद रघु तेल की कटोरी को खटिए के नीचे रखकर अपने दोनों हाथ को एक साथ अपनी मां की कमर के इर्द-गिर्द रख दिया,,, मांसल कमर जैसे ही रघु के दोनों हाथों में समाई रघु की हालत एकदम से खराब हो गई अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके तन बदन में अद्भुत सुख का अहसास होने लगा पहली बार वह इस तरह से अपनी मां की कमर को पकड़ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मां की कमर दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को उसकी बुर में डालने जा रहा है,,,, रघु इस अद्भुत पल के एहसास में पूरी तरह से डूबने लगा और गहरी सांस लेने लगा,,,, कजरी की भी यही हालत थी पहली बार बरसों के बाद फिर मर्दाना हाथ उसकी कमर को पकड़े हुए थे और वह भी खुद का बेटा ही कजरी के तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी कजरी की गर्म सांसे माहौल को और गर्म करने लगी,,,,, रघु लंबी आह भरते हुए अपनी मां की कमर पर गिरे हुए तेल को हथेली से इधर-उधर फैलाते हुए मालिश करने लगा,,,, गजब का एहसास से भरा हुआ यह पल दोनों मां बेटे पूरी तरह से जी लेना चाहते थे,,,।

रघु धड़कते दिल के साथ अपनी मां की चिकनी कमर पर मालिश करना शुरू कर दिया था,,,, उसकी हथेली और ऊंगलीया बराबर कमर पर गर्दिश कर रही थी,,,,,, रघु ऊतेजना के मारे,,,, अपनी हथेलियों का दबावअपनी मां की कमर पर बढ़ा दे रहा था जिससे उसकी मां भी उत्तेजित हो जाती थी पहली बार अपने कमर पर मर्दाना हथेलियों का एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर दे रहा था मदहोशी का असर उसकी दोनों टांगों के बीच की उस बेशकीमती खजाने पर पड़ रही थी,,, जिसके चलते कजरी खुद मां बेटे की बीच की पवित्र रिश्ते की दीवार को गिराने पर आतुर हो चुकी थी,,,, कमर पर मालिश करते हुए भी रघु की नजर और ध्यान दोनों अपनी मां की गोलाकार बड़ी-बड़ी गांड पर केंद्रित थी,,, जो कि इस समय पेटीकोट नुमा पर्दे में कैद थी,,,वैसे भी जमाने का दस्तूर यही है कि जो चीज कीमती होती है उसे हमेशा परदे में ही रखा जाता है चाहे वो खजाना हो या नारी,,,,।

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था पजामे में पूरी तरह से बवंडर सा उठ रहा था,,। वह अपनी मां की गांड को अपने हाथों से दबाते हुए उसकी मालिश करना चाहता था,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,अपनी उत्तेजना पर वह बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए वह अपनी उंगलियों को धीरे धीरे ऊपर की तरफ जब ले जाता तो पेटिकोट की किनारी से अंदर सरका देता,,, और नीचे की तरफ लाता तो पेटिकोट की किनारी से अपनी ऊंगलियों को अंदर सरकार देता जिससे उसे अपनी मां के नितंबो के उठाव का अहसास होने लगता था,,,, ज्यादा कुछ ना करते हुए भी इतने से ही रघु को बेहद उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,,,,, रह रह कर वह अपनी मां की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा देता था मानो कि जैसे वह अपनी मां के साथ संभोग का वह उत्तेजना भरा पल महसूस कर रहा हो जिससे रघु कि ईस तरह की हरकत से कजरी के तन बदन में मीठा सा दर्द उठने लगता था और उसके मुंह से हल्की कराह भरी आह निकल जाती थी,,,,कजरी को इस बात का आभास तक नहीं था कि अपने बेटे से मालिश करवाने में उसे इतना ज्यादा आनंद आएगा,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,(रघु अपनी मां की कमर पर हथेली से दबाव देते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,,बहुत अच्छा लग रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तू इतनी अच्छी मालिश कर सकता है,,,,

मैं बहुत कुछ कर सकता हूं मां बस एक बार मौका दे कर देखो,,,,(रघु का इशारा दूसरी तरफ था जो कि उसकी मां उसके इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी)


और क्या क्या कर सकता है तू,,,,


वह सब काम कर सकता हूं जो एक मर्द को करना चाहिए,,,,(इस बार थोड़ा जोर से अपनी मां की कमर को हथेली में दबाते हुए बोला,,, अपनी बेटे की बातें सुनकर कजरी को मजा आ रहा था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में कह रहा है,,,,)


मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है तु सब कुछ कर सकता है,,,, समय आने पर तुझे वह सब करना पड़ेगा जो एक मर्द को करना चाहिए,,, अभी बस मालिश करके मेरे दर्द को दूर कर,,,,
(रखो अपनी मां के मुंह से कुछ और सुनना चाहता था लेकिन उसकी मां बात को बदल दी थी,,,)

अब कहां ज्यादा दर्द कर रहा है मां,,,,


यहां पीठ के ऊपरी भाग पर,,,(अपने हाथ को पीछे लाकर अपनी पीठ की तरफ उंगली करते हुए बोली,,, कजरी जानबूझकर अपनी पीठ की तरफ इशारा कर रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरफ उसका बेटा अच्छी तरह से मालिश नहीं कर पाएगा क्योंकि वह ब्लाउज पहनी हुई थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,)


ठीक है मैं अभी दर्द दूर कर देता हूं,,,,,(रघु भी यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां जिस जगह पर मालिश करने के लिए बोल रही है बिना ब्लाउज उतारे उस जगह की मालिश वह नहीं कर पाएगा,,,,,,अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था वह अपनी मां से ब्लाउज उतारने वाली बात कैसे कहे,,, वह इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था,,, बादलों की गड़गड़ाहट एकाएक बढ़ जा रही थी जिससे कजरी उसकी आवाज से चौक जाती थी बाहर तूफानी बारिश हो रही थी,,,, ऐसे में पूरा गांव नींद की आगोश में चला गया था लेकिन कजरी और रघु दोनों आस लगाए धीरे-धीरे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे,,, कुछ देर तक उसी तरह से बैठे रहने पर कजरी बोली,,,)


क्या हुआ,,,, नहीं हो पाएगा क्या,,,,(कजरी की बात सुनकर रघु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी मां उसे उकसा रही है इसलिए रघु बोला,,,)


होगा कैसे नहीं,,,,,जो काम में एक बार हाथ में ले लेता हूं तो उसे पूरा किए बिना नहीं छोड़ता लेकिन इसमें एक दिक्कत है,,,,,


कैसी दिक्कत,,,,?


बिना ब्लाउज उतारे मालिश नहीं हो पाएगी,,,(रघु अपने मन की बात बोल दिया,,,केसरिया अपने बेटे की यह बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)


फिर,,,,,


फिर क्या अपने ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज उतारो,,,,
(इस तरह की बात करने मात्र से रघु की हालत एकदम से खराब होने लगी वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मानो जैसे कि वह अपनी मां के साथ संभोग कर रहा हो और अपने बेटे की इस तरह की खुली बातें सुनकर कजरी की भी हालत खराब हो गई मानो कि जैसे वह उसके कपड़े उतारने के लिए बोल कर उसके साथ संभोग करना चाहता हो,,,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,, क्योंकि वह भी आतुर थी अपने बेटे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज ऊतारने के लिए,,,,, इसलिए गहरी सांस ली और उठते हुए बोली,,,)

रुक जा उतारती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह धीरे से उठी,, और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, उसकी पीट रघु की तरफ थी,,, रघु चोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी मां धीरे-धीरे अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए अपनी खूबसूरत खजाने को उजागर करने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,कजरी एक-एक करके धड़कते दिल के साथ अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और बड़े ही कामुक नजरों से रघु अपनी मां की हरकत देख रहा था हालांकि वह आगे से सरकार को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसे अपनी मां के दोनों हाथों की हरकते साफ पता चल रहा था कि वह कब अपनी ब्लाउज का कौन सा बटन खोल रही है,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने हाथों से अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे उतारने लगी ब्लाउज को उतारते समय रघु की नजर जो भी हल्की सी नजर आ रहे हैं कजरी की चूची पर पड़ गई और उस मदहोश कर देने वाली रस से भरी हुई दशहरी आम की झलक भर देख कर रघु का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया,,,,रघु का मन बहुत कर रहा था कि वहां से बढ़कर अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में भरकर लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें अभी नहीं थी,,, देखते ही देखते कजरी अपना ब्लाउज उतार कर अपने सिरहाने रख ली कमर के ऊपर सेवा पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी हालांकि पूरी तरह से अभी रघु अपनी मां के दशहरी आम को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसके मन की लालच बढ़ती जा रही थी,,।
कजरी जानती कि किस तरह से उसका बेटा उसके दोनों चुचियों को नहीं देख पा रहा है और उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही है लेकिन यही वह चाहती थी वह धीरे-धीरे अपने बेटे मे अपनी खूबसूरत बदन की मदहोशी भर देना चाहती थी,,, वह उसी तरह से लेट गई और बोली,,,)

अब ठीक है ना,,,,


हां मां अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से तेल से भरी कटोरी को उठा लिया और उसकी धार को अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ गिराने लगा,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,,, लोगों की आंखों के सामने उसकी मां अधनंगी लेटी हुई थी,,, अपनी मां की खूबसूरत जिस्म की बनावट देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,,,वह अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर अपनी दोनों हथेलियां ऊपर से नीचे घुमाना शुरू कर दिया,,,, लेकिन इस तरह से बैठे होने की वजह से,,, वो ठीक तरह से अपनी मां की मालिश नहीं कर पा रहा था,,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।


मैं जिस तरह से बैठा हूं उस तरह से ठीक तरह से मालिश नहीं हो पा रही है तुम कहो तो,,,(इतना कहकर वो खामोश हो गया कजरी को बहुत मजा आ रहा था बरसात की तूफानी रात में वह पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए वह अपने बेटे से बोली)

तुझे जैसा ठीक लगता है वैसा कर मुझे बस इस दर्द से निजात दिला,,,,
(फिर क्या था रघु पेटीकोट में कैसे अपनी मां की उभरी हुई गांड को देखकर,, अपनी एक टांग अपनी मां की गांड के उस पार ले जाते हुए घुटनों के बल बैठ गया अब उसके दोनों घुटने कजरी की गांड के इर्द-गिर्द थे,,,ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह अपनी मां की गांड पर सवार हो चुका हो कजरी को भी अपने बेटे की इस हरकत का आभास पूरी तरह से हो गया तो वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगी,, अब वह अपनी मां की पीठ की तरफ आ कर चुप कर दोनों हाथों से अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर दबाव देते हुए उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,, इस तरह से कजरी को भी बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी वह एक तरह से अपनी मां के जिस्म से खेल रहा था जिसमें कजरी को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,, रघु जिस तरह से बैठा हुआ था उस तरह से उसकी मां की बड़ी बड़ी उभरी हुई गांड उसकी दोनों टांगों के ऊपरी सतह पर स्पर्श हो रही थी जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक वह अपनी मां के पीठ की मालिश करता रहा,,, और अपनी मां से बोला,,,।


अब बोलो कैसा लग रहा है,,,,


बहुत अच्छा बेटा बहुत अच्छा,,,,, मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तू मालिश करने में इतना माहीर है,,,,
(कजरी एकदम से उन्मादीत स्वर में बोली,,, अपनी मां की संतुष्टि भरी बातें सुनकर रघु को भी संतुष्टि मिल रही थी इसलिए वह बोला,,,,)


रुको मा तुम्हारी टांगों की भी मालिश कर दु,,, खेतों में चल चल कर दुखने लगे होंगे,,,


हां तु सच कह रहा है,,, मेरे पैरों में भी दर्द हो रहा है,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां टांगो के दर्द को भी दूर कर दूंगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां के पैरों की तरफ आ गया हालांकि बार-बार अपनी मां की गांड का हो रहा स्पर्श उसके तन बदन में उत्तेजना की आग और ज्यादा भढका चुका था,,, वह अपनी मां के पैरों के लग आकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ करने लगा अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी पूरी तरह से सिहर उठी उसे लगने लगा था कि जैसे उसका बेटा उसकी सारी को कमर तक उठा देगा लेकिन उसकी धारणा गलत साबित हुई वह अपनी मां की साड़ी को केवल घुटनों तक लाकर उसी तरह से रोक दिया,,,,, अपनी मां की गोरी गोरी मांसल पिंडलियों को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी,,, उसके पजामे में गदर मचा हुआ था,,, उत्तेजना की पराकाष्ठा क्या होती है यह ना तो रघु जानता था और ना ही कजरी दोनों केवल मजा ले रहे थे दोनों अपने-अपने नाजुक और कठोर अंगों में उत्तेजना के बवंडर को अच्छी तरह से महसूस कर रहे थे,,,,

अपनी हथेली में सरसों का तेल गिरा कर वह अपनी मां की पिंडलियों को दोनों हाथों से मालिश करने लगा बारी-बारी से वह अपनी मां की टांग पर मालिश करते हुए उसके पैरों को दबा रहा था,,,, कजरी अद्भुत सुख के एहसास से भर्ती चली जा रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि मात्र मालिश करने में इतना अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की अनुभूति उसके होगी वह पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,उसका मन कर रहा था कि यह मालिश वालिश का बहाना छोड़ कर सीधे अपने बेटे को अपने ऊपर चढ़ा ले और उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख भोग ले,,,, लेकिन नहीं सीधे-सीधे अपने बेटे को चोदने के लिए नहीं बोल सकती थी लेकिन फिर भी उसे जो वह कर रहे थे इसमें बहुत मजा आ रहा था वह जानती थी कि रास्ता भले ही टेढ़ा मेढ़ा चल रहा हो लेकिन मंजिल तक पहुंचेगी जरूर,,, इसी उम्मीद से वह अपने बेटे की हर हरकत का आनंद ले रही थी,,,,

रघु की सांसे बहक रही थी अपनी मां की पिंडलियों की मालिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को पिंडलियों के ऊपर की तरफ ले जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेली ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी की सांसे बहकती चली जा रही थी ,,,रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की गर्म जवानी का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,,, देखते ही देखते रघु अपनी दोनों हथेलियों को,,, अपनी मां की जांघों तक लेकर चला गया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे रघु उसके साथ मनमानी कर रहा हो,, और कजरी उसे अपने बदन से मनमानी कर देने की इजाजत दे दी हो,,,,

आसमान में बादल का गरजना अभी भी चालू था यह बरसात की रात दोनों मां-बेटे के बीच एक नए रिश्ते को जन्म देने वाली थी,,,, ना तो कजरी अपने बेटे को आगे बढ़ने से रोक रहीं थी और ना ही रघु रुकना चाहता था,,, शायद इस समय हालात और बदन की जरूरत ही यहीं थी,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित अब वह मालिश करने की जगह उत्तेजना के चलते अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को हथेली में भरकर दबा दे रहा था जिससे कजरी के तन बदन में सिरहन सी दौड़ जा रही थी,,, कजरी पेट के बल लेटी हुई थी,,, उसकी गदराई गांड रघु की आंखों के सामने थी जिसे देख कर रघु के मन में लालच उठ रही थी,,,,उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था और वह बार-बार अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रहा था,,,,, रघु मालिश करने की जगह अपनी मां की जांघों को सहलाने लगा,,,, जिस जगह पर उसकी हथेलियां घूम रही थी वहां से उसकी उंगलियां कजरी के नितंबों के उभार के ऊपर थिरकन कर रही थी,,,रघु को इस बात का आभास था कि उसकी उंगली उसकी मां की गांड के ऊभरे हुए भाग के शुरुआत पर टिकी हुई थी,,,,,,,रघु इस हद से आगे गुजर जाना चाहता था लेकिन इससे पहले अपनी मां की सहमति जानना उसके लिए बेहद जरूरी था वैसे तो उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी मां उसे पूरी तरह से खुला निमंत्रण दे चुकी है अपनी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए लेकिन फिर भी वह अपनी मां की हमी चाहता था,,,, इसलिए वह अपनी मां की जांघों को सगलाते हुए बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है मां,,,?



आहहह,,,,, बहुत अच्छा बेटा बहुत ही अच्छा तेरे हाथों में तो जादू है तेरा हाथ रखते मेरे बदन से दर्द दूर होता चला जा रहा है जहां जहां तेरा हाथ लग रहा है वहां दर्द का नामोनिशान नहीं,, है,,,आहहहहह,,, बस ऐसे ही ऐसे ही मालिश करता रहे मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,
(कजरी एकदम मादक स्वर में बोली,,, रघु अपनी मां की मादक स्वर को अच्छी तरह से पहचान रहा था क्योंकि इस तरह की बात अक्सर को वह पहले भी कई बार सुन चुका था पहली बार हलवाई की बीवी के साथ उसे इस तरह की आवाज के बारे में ज्ञात हुआ और धीरे-धीरे जितनी भी औरतों के संगत में होगा आता क्या सबके साथ ऐसे कामुक छाया में औरतों की आवाज की क्या स्थिति होती है भाई भली-भांति जाने लगा इसलिए उसे पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी है अब वह कुछ भी करेगा उसकी मां कुछ नहीं बोलेगी वैसे भी अपनी मां की तरफ से संतुष्टि भरे आदेश को प्राप्त कर चुका था इसलिए रघु एक पल भी देखना लगाते हुए अपनी उंगलियों को दोनों जांघों के बीच ले जाने लगा जैसे जैसे उसकी उंगली आगे बढ़ने की वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसकी उंगली किस दिशा में आगे बढ़ रही है और देखते ही देखते रघु को अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर के रेसमी बालों का एहसास होने लगा और ऐसा होते ही रघु के खड़े लंड से मादक तरल पदार्थ नीचे चु गया,,, यह साफ तौर पर अपनी मां की मदद से जवानी के आगे घुटने टेक देने का आगाज़ था रघु को इस बात का डर था कि उसका उसकी मां की बुर में गए बिना ही कहीं पानी ना छोड़ दे,,,,लेकिन रघु इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था और बात अच्छी तरह से जानता था कि जितनी भी औरतों के साथ हो चुदाई का शुभ हो चुका है उनकी जवानी से कह चुका है उन सब में सबसे अद्भुत और बेहद कमनीय काया की मालकिन उसकी मां थी,,,,, वो जानता था कि उसकी मां की गांड को साड़ी में देखने के बावजूद भी कितने लोगों का पानी निकल जाता है अगर वह किसी के सामने अगर अपने वस्त्र उतारकर नंगी हो जाए तो भी सामने वाला चोदे बिना ही अपने घुटने टेक देगा,,, लेकिन यह रघु की सूझबूझ और इसकी मर्दाना ताकत का असर ही था कि अब तक वह अपनी मां के खूबसूरत बदन से खेलने के बावजूद भी,,टिका हुआ था उसके लिए पानी नहीं छोड़ा था हालांकि कई बार वहां अपने आप को कमजोर होता है मैं सोच कर चुका था लेकिन हिम्मत नहीं आ रहा था अपनी मां की खूबसूरत सेनानी को पूरी तरह से संतुष्ट कर देना चाहता था ना कि अपनी मां को संतुष्ट किए बिना ढेर होना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां उससे बहुत ज्यादा उम्मीद लगाए हुए है और वह अपनी मां की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहता था,,, इसलिए जैसे ही उसे अपनी मां की बुर के ऊपर उगे हुए रेशमी बालों का एहसास अपनी उंगलियों पर हुआ वह पूरी तरह से सचेत हो गया क्योंकि वह बेहद नाजुक घड़ी थी,,, इसी पल मेंबहुत से लोग अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाती और पानी छोड़ देते हैं इसलिए रघु अपने आप को पूरी तरह से संभाल चुका था लेकिन कजरी ऐसे नाजुक मौके पर पूरी तरह से बहक गई थीक्योंकि उसे साफ तौर पर महसूस हो रहा था कि उसके बुर के बाल उसके बेटे की उंगली से ही स्पर्श हो रहे हैं और इसी उत्तेजना के चलते अपने मन पर काबू नहीं कर पाई और उसकी बुर पानी छोड़ दी,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,, रघु को अपनी उंगलियों पर अपनी मां के मदन रस का फुहार पडता हुआ महसूस हुआ,,, और उसकी गहरी चल रही सांसो को देखकर रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां की बुर ने पानी छोड़ दि है,,, रघु की भी हालत एकदम से खराब हो गई उसे अपना लंड फटने की स्थिति में महसूस होने लगा,,,
अद्भुत और अवर्णनीय दृश्य कमरे के अंदर का होता जा रहा था बाहर का माहौल पूरी तूफानी बारिश से झूम रहा था तेज ठंडी हवाएं सरररररर सररररररर करके वातावरण को और भी ज्यादा ठंडा बना रही थी लेकिन कमरे के अंदर का दृश्य और वातावरण पूरी तरह से गर्म था,,, रघू अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी से खेल रहा था,,,,,,, रघु की भी सांसें उखड़ रही थी अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी को पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहता था कजरी भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,, और उसे भी इस खेल में मजा आ रहा था,,,,
रघु अभी तक अपनी उंगलियों को अपने हाथ को अपनी मां की जांघों के बीच में से बाहर नहीं खींचा था उसे तो मजा आ रहा था वह अपनी उंगली को गोल गोल घुमा रहा था अपनी मां के रेशमी बालों के इर्द-गिर्द हालांकि अभी तक वह अपनी उंगली से अपनी मां की बुर को स्पर्श तक नहीं किया था,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसे अपनी उंगली पर महसूस हो रही थी,,,,, अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को वह अच्छी तरह से महसूस कर रहा था,,,, वह ईस खेल में और आगे बढ़ना चाहता था,,, पेटिकोट जागो तक चढ़ी हुई थी,,, पेटिकोट के अंदर रघू का हाथ था,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मां की बुर को अपनी उंगली से स्पर्श करना चाहता था उसे छूना चाहता लेकिन ना जाने क्यों वह रुका हुआ था शायद वह इससे आगे बढ़ने से पहले अपनी मां की ईच्छा जान लेना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है ना,,,(गहरी सांस लेते हुए वह बोला,,,अपने बेटे की यह बात सुनकर कचरी को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सवाल का जवाब दे कि नहीं क्योंकि उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन जवाब देने में उसे शर्म आ रही थी लेकिन फिर भी उसे कुछ तो बोलना था और वैसे भी उसकी इच्छा आगे बढ़ने को कर रही थी वह यही अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा इसे आगे बढ़कर कोई और हरकत करें इसलिए वह मादक स्वर में बोली,,,)


सससहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत राहत मिल रही है बेटा तेरी इस तरह की मालिस तो मेरे बदन के सारे दर्द को दूर कर देगी,,,


तो क्या रहने दो या और करु मालिश,,,,,(अपनी मां की इच्छा जानने का रघु के पास इससे अच्छा और कोई सवाल नहीं था,,,)

करता रहे बेटा,,, ऐसे ही करता रे,,, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,, मालिश करना बंद मत करना तेरे हाथों में जादू है,,,
(अपनी मां की तरह की बातें सुनकर रघु खुश होता हुआ बोला)



ठीक है मां,,,,आज भी तुम्हारा सारा दुख सारी तकलीफ दूर कर दूंगा अब देखो मेरे हाथ का कमाल,,,,
(ऐसा कहते हुए रघु उसी तरह से अपनी उंगली को अपनी मां की बुर के बाल पर घुमाता रहा,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी सिरहन दौड़ जा रही थी बार-बार वह सोच रही थी कि अब उसका बेटा अपनी उंगली उसकी बुर में छुआएगा,,,, लेकिन रघु अपनी मां को और ज्यादा तड़पाना चाहता था इसलिए वह अपनी उंगली को कजरी की बुर से स्पर्श नहीं कर रहा था बस उसके इर्द-गिर्द ले जाकर वापस खींच ले रहा था कजरी की बुर बहुत पानी छोड़ रही थी इतना तो वह जवानी के दिनों में नहीं छोड़ती थी,,,, अपनी मां के तरफ से पूरी तरह से स्वीकृति पाते ही रघु को मनमानी करने का पूरा अधिकार मिल गया था इसलिए वह,,,,,, दोनों हाथ बाहर निकाल कर अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरका ने लगे अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि मैं जानती थी कि आप उसका बेटा उसकी गांड को एकदम नंगी कर देगा और ऐसा ही हुआ रघू धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी ऊपर की तरफ उठाने लगा जैसे जैसे रघू की आंखों के सामने कजरी की मदमस्त गांड का उभार नजर आता जा रहा था वैसे वैसे रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, कजरी की शाडी उसके नितंबों के आधे तक ही आई थी कि उसकी जांघों के नीचे दबी हुई साड़ी ऊपर की तरफ नहीं हो पा रही थी यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से पता थी,,, कजरी चाहती तो थोड़ा सा अपनी जांघों को ऊपर की तरफ करकेसाड़ी कमर तक उठाने में रघु का सहयोग कर सकती थी लेकिन ना जाने क्यों उसे इस समय एकदम शर्म आ रही थी ,,वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार शर्म आती क्यों नहीं उसका बेटा जो उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी कर रहा था,,,।
लेकिन रघू के लिए पर्याप्त था,,, रघुअपनी मां को यह जताना चाहता था कि वह उसकी मालिश करने के लिए ही उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, इसलिए कटोरी उठाकर उसकी तेजधार को अपनी मां की गांड के बीचो बीच उसकी फांकों पर गिराने लगा,,,कजरी की हालत खराब होती जा रही थी अपने बेटे की हरकत से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी शर्म के मारे और उत्तेजना के मारे उसके गोरे गोरे गाल टमाटर की तरह लाल हो चुके थे रघु ढेर सारा तेल उसकी गांड पर गिरा कर कटोरी को नीचे रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड की मालिश करना शुरू कर दिया ढेर सारा तेल की गांड की दरार से होता हुआ उसकी बुर की गुलाबी फांको के बीचो-बीच इकट्ठा हो रही थी,,, जोकि रघु के लिए ही राहत वाली बात थी इससे तेल की चिकनाहट पाकर रघु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में जा सकता था,,,
अपने बेटे के मजबूत हथेलियों को अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करते ही कजरी के तन बदन में आग लग गई,,,वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसकी मालिश करेगा और इस तरह से करेगा कि वह पानी पानी हो जाएगी,,, रघु की हालत खराब थी वह अपनी मां की मोटी मोटी जांघों के इर्द-गिर्द अपना घुटना टीका कर एक तरह से अपनी मां के ऊपर बैठकर उसकी मालिश कर रहा था बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेलियों में जितना हो सकता था उतना लेकर वह जोर-जोर से दबाते हुए मालिश कर रहा था उत्तेजना के मारे रघु के भी गाल लाल हो चुकी थी,,,,,,रघु ने अब तक जितनी भी औरतों के साथ समय गुजारा था उन सब में सबसे ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का एहसास उसे अपनी मां के साथ आ रहा था बार-बार उसे ऐसा लग रहा था कि उसका लंड पानी फेंक देगा,,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी मर्दाना ताकत के केंद्र बिंदु को संभाले हुए था,,,,,,

वातावरण और भी ज्यादा तूफानी होता जा रहा था बाहर और तेज हवाएं चल रही थी तूफान आ रहा था बरसात अपने जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण रह रह कर भयानक हो जा रहा था,,,, पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां बेटे की आंखों से नींद कोसों दूर थी,,। दोनों के दिल की धड़कन बहक रही थी,, सांसो का उतार-चढ़ाव जारी था,,। ऐसे में रघू अपनी मंजिल पाने के लिए टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजर रहा था जिसमें उसे मजा भी आ रहा था वह बार-बार अपनी मां की गांव की दोनों आंखों को अपने दोनों हथेली में भरकर एक दूसरे से जुदा करते हुए जोर जोर से मालिश कर रहा था,,,, कजरी अत्यधिक उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी,,,, बार-बार उसकी बुर पानी पी रही थी वह खुद हैरान थी कि उसकी बुर में कितना पानी है इतना तो वह पेशाब करते समय पानी नहीं छोड़ती थी जितना कि मदहोश होकर छोड़ रही थी,,,
रघु का लंड बवाल मचाने को तैयार था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे अपने काम की चीज की खुशबू मिल गई हो और उस खुशबू के अंदर समा जाने के लिए पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,,, लेकिन किसी तरह से रघू संभाले हुए था,,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था बाहर इतनी तेज हवा चल रही थी कि हवा के झोंके से अंदर वाले कमरे का पर्दा लहरा उठता था,,, लेकिन ऐसी तूफानी बारिश में किसी भी कभी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था दोनों पूरी तरह से मुक्त थे क्योंकि शालू अपने ससुराल में थी और इस समय पूरे घर में केवल रघू और उसकी मां ही थी,,,, कजरी अपने मन में इस बात के लिए बार-बार धन्यवाद दे रही थी कि इस समय शालू घर पर नहीं थी वरना इस तरह का अनमोल मदहोशी से भरा हुआ पल वह नहीं गुजर पाती,,,,

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था और आगे चलने को मचल रहा था इसलिए रघु इस बार अपनी वाली को मालिश करने के बहाने अपनी मां की गांड की दोनों फांकों के बीच की गहरी दरार में उंगली डालकर ऊपर से नीचे तक मालिश करने की मन में ठान लिया,,, पर मालिश करते हुए वह गांड की गहरी दरार में अपनी उंगली डालकर नीचे की तरफ लाने लगा,,, कजरी की संपूर्ण गांड सरसों के तेल से डूबी हुई थी इसलिए बड़े आराम से रघु की उंगली दरार में फिसल रही थी जैसे ही रघु की बीच वाली उंगली कजरी के गांड के भूरे रंग के छेद के ऊपर पहुंची,,, कजरी के संपूर्ण बदन में सिरहन सी दौड़ गई,,, रघु को गांड की गहराई कुछ ज्यादा ही थीइसलिए उसे अपनी मां की गांड का छेद तो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास पूरी तरह से था कि जिस जगह पर वह अपनी उंगली रखे हुए हैं वह उसकी मां की गांड का छेद इस बात से इस अहसास से रघु की पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को अपनी मां की गांड के छेद से हटा नहीं रहा था वह अपनी मां की गांड के छेद में उंगली डालना चाहता था इसलिए अपनी उंगली का दबाव अपनी मां की गांड के छोटे से छेद पर बढ़ाने लगा,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से कजरी पूरी तरह से पानी पानी हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी गांड के छेद में रहना चाहता है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, ना चाहते हुए भी उसके कमर के नीचे वाले भाग में कसमस आहट होने लगी तो रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ ला दिया,,, और गांड के छेद के ठीक नीचे उत्तेजना का केंद्रीय बिंदु थी कजरी की बुर रघु पूरी तरह से मचल उठा जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली अपनी मां की बुर पर स्पर्श हुई,,,,,,, वैसे ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी और एक बार और अपनी बेटी की उंगली का स्पर्श अपनी बुर पर महसूस होते ही कश्मीर की दूर अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाई और फिर से पानी की पिचकारी फेंक दी,,,, जिंदगी में पहली बार कजरी की बुर बार-बार पानी फेंक रही थी,,, अपनी मां के भजन रस की पिचकारी उसे अपनी उंगली पर महसूस हुई थी और वह तुरंत अपनी उंगली को थोड़ा सा और ज्यादा दबाव देते हुए अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच रगड़ने लगा,,,, कजरी के लिए यह उत्तेजना असहनीय था ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।

सससहहहहह,,,, आहहहहहहह,,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रहे गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही रघु बोला)


क्या हुआ मां अब कैसा लग रहा है,,,,,(अपनी मां की बुर की पतली दरार को अपनी उंगली से रगडते हुए बोला,,,,)


बहुत मजा आ रहा है,,,,(इस बार उत्तेजित अवस्था में अच्छा लगने की जगह से मजा आ रहा है निकल गया था,,, मजा शब्द अपनी मां के मुंह से सुनते ही रघु के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगी उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी क्योंकि वह मालिश का नहीं बल्कि काम क्रीड़ा का आनंद ले रही थी,,,, लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी लेकिन मोटी मोटी जांघों की गहराई के बीच छिपी हुई गुलाबी छेद तक लालटेन की पीली रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए रघु को अपनी मां की बुर देखने में दिक्कत हो रही थी ऐसा नहीं था कि वह बुरके दर्शन ना किया हो,,, उसने ना जाने कितनी औरतों की बुर के दर्शन कर चुके थे,,, और खेतों में पेशाब करते हुए अपनी मां की बुर की भी दर्शन कर चुका था लेकिन नजदीक से देखने का मौका नहीं मिला था आज उसके पास पूरा मौका था अपनी मां की बुर को एकदम नजदीक से देखने के लिए लेकिन लालटेन की रोशनी उसकी बुर के करीब पहुंच नहीं पा रही थी,,,, इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की जांघों के बीच से खींचता हुआ अपनी बीच वाली उंगली को अपनी नाक के पास जाकर उसकी मदहोश कर देने वाली खुशबू को पूरी तरह से अपने अंदर खींच लिया जिससे उसकी उत्तेजना में चार चांद लग गया पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और अपनी मां से बोला,,,,,।


पीठ के बल हो जाओ मा आगे से भी अच्छी तरह से मालिश कर दुं,,,,(अपनी बहकती हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए बोला,,,, अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी को शर्म आने लगी हालांकि वह भी अच्छी तरह से अपनी बुर को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस ना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे शर्म आ रही थी,,,, कुछ देर तक तो ऐसा लगा कि जैसे वह तेरे को की बातें सुन ही नहीं पाई तो रघु फिर से बोला,,,)

क्या हुआ पीठ के बल घूम जाओ ना,,,,


मुझे शर्म आती है,,,,


इसमें कौन सी शर्म,,,, मालिश ही तो करना है,,,, और मैं तुमसे वादा कर चुका हूं कि आज तुम्हारे बदन का पूरा दर्द निकाल दूंगा,,,,


लेकिन फिर भी तेरी आंखों के सामने नंगी,,,,,,, मुझे शर्म आती है,,,।


शरमाओ मत मा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है,,,,,, इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,, वैसे भी तो मैं तुम्हारी गांड की मालिश कर ही चुका हूं,,,
( रघु जानबूझकर अपनी मां के सामने गांड शब्द का प्रयोग करते हुए बोला क्योंकि वह धीरे-धीरे खोलना चाहता था और अपनी मां को भी संपूर्ण रूप से मुक्त करना चाहता था ताकि वह शर्म के बंधन से मुक्त हो चुके,,,, और अंदर ही अंदर कजरी भी यही चाहती थी इस बात का आभास उसे अच्छी तरह से था की शर्म के बंधन को तोड़कर ही जीवन का असली मजा ले सकती है,,। अपने बेटे की बातें सुनकर हुआ कुछ देर तक सोचती रही उसके अंदर उत्तेजना का बवंडर उठ रहा था जिस पर उसका काबू बिल्कुल भी नहीं था,,,,,,, बाहर हो रही तेज बारिश की आवाज उसके तन बदन में उत्तेजना की निरंतर वृद्धि कर रहे थे उसके संपूर्ण बदन में मदहोशी छाई हुई थी,,, सांसों की गति बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जो उसका बेटा कह रहा है ऐसा करने पर उसके बदन का हर एक हिस्सा उसके बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो जाएगा,,, कजरी यह सोच सोच के सिहर उठ रही थी किपीठ के बल हो जाने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और उसकी सबसे बेशकीमती खजाना उसकी बुर उसके बेटे के सामने एकदम नंगी हो जाएगी,,,,उसके तन बदन में अजीब सी उत्सुकता बढ़ने लगी थी कुछ समय बीतने के बाद रघु फिर से बोला,,,,)


क्या सोच रही हो मां लगता है तुम्हें मालिश नहीं करवाना है,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं लेकिन उसकी आंखों के सामने ही करवट बदलने लगी उसकी हालत खराब हो रही थी और रघु के दिल में हलचल बढ़ने लगी थी देखते ही देखते कजरी शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद करके पीठ के बल लेट गई,,,, और उसके इस तरह से लेटने से रघु की उत्तेजना में एकाएत वृद्धि हो गई,,, अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई,,,,उसकी नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पड़ गई जिस पर झांटों का झुरमुट ऊगा हुआ था,, उसे देखते ही रघु के लंड ने अपनी मां की जवानी को सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,,,,रघु की सांसों की गति पर रघू का बिल्कुल भी काबू नहीं था वह पूरी तरह से बहक चुकी थी,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की नंगे बदन के कौन से अंग को देखकर पूरी तरह से संतुष्ट हो जाए क्योंकि कचरी की खूबसूरती बेमिसाल है और रघु अपनी मां की खूबसूरती को अच्छी तरह से पहचानता था लेकिन आज पहली बार अपनी आंखों के सामने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था हालांकि कमर के इर्द गिर्द अभी भी पेटीकोट लिपटी हुई थी,, लेकिन वह सब कुछ साफ नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, वह अपने नजरों को दूसरी तरफ पैर कर उस पर अपना हाथ रख ली थी इस अवस्था में अपनी बेटे के सामने पूरी तरह से शर्मा रही थी,,,,,, सांसो के उतार-चढ़ाव के साथ साथ उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लहरा रही थी,,,,,, रघु की आंखें फटी की फटी रह गई थी बार बार उसकी नजर कभी अपनी मां की चूचियों पर तो कभी उसकी मद भरी रसीली बुर पर चली जा रही थी,,,,
रघु को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की बुर कचोरी की तरह फूल चुकी थी,,, उसका मन बार-बार अपनी मां की बुर को हथेली में भरकर दबाने को कर रहा था उसमें जीभ डालकर उसके मदन रस को चाटने का मन कर रहा था,,,,
बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी,,, बारिश का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था चारों तरफ पानी पानी हो गया था तेज चलती तूफानी हवा अंदर के कमरे के परदे को भी झकझोर कर रख दे रही थी कमरे में तूफानी हवा अपनी ठंडक को बिखेर रही थी लेकिन कजरी की मदमस्त गरमा गरम जवानी के आगे पल भर में घुटने टेक दे रही थी क्योंकि ऐसे मौसम में भी कजरी और रघु दोनों के माथे से पसीने की बूंदे उपस रही थी,,, जो की गवाही दे रही थी कि औरत की गर्म जिस्म के आगे बर्फ का पहाड़ भी पिघलने पर मजबूर हो जाता है,,,,,,

रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ क्या करें,,, कजरी की हालत खराब थी कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां और उसकी दोनों टांगों के बीच की बेशकीमती खजाना अपने बेटे के सामने उजागर की हुई थी,,,तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से अपने बदन की नुमाइश अपने बेटे की आंखों के सामने करेगी,,, रघु भी खटिया पर बैठा हुआ था,,,,, कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई है,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और बुर उसके बेटे की आंखों के सामने होगी और उसका बेटा उसकी दोनों मदमस्त खूबसूरत हम लोग को नजर भर कर देख रहा होगा इस बात का एहसास ही उसके तन बदन में आग लगा रहा था,,,, जिस तरह का एहसास कजरी के तन बदन में उसके मन में भर रहा था इस तरह का अनुभव उसे अपनी शादी की पहली रात में भी कभी नहीं हुआ था,,, रघू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर के घुंघराले बाल काट के मदन रस से बनी मोती समान बूंद को देखकर बोला,,,।


वाह तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी हल्के से अपनी आंख खोलकर किसी नजरों से अपने बेटे की तरफ देखिए तो उसकी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर मदहोशी से एकदम से कसमसाने लगी,,,। लेकिन जवाब में कुछ बोल नहीं पाई कुछ बोलने के लिए उसके लब खुल नहीं रहे थे,,,, पर अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना ही वह वापस कटोरी को उठाकर,,, तेल की धार को अपनी मां की चुचियों पर गिराते हुए बोला,,,)

आज देखना मैं ऐसी मालिश करूंगा कि फिर कभी जिंदगी में तुम्हारे बदन में दर्द नहीं उठेगा,,,(ऐसा कहते हो गए वहकटोरी से सरसों की धार को अपनी मां की दोनों चुचियों पर भारी बारिश गिराने लगा और उसे नीचे एक लकीर के रूप में गिराते हुए अपनी मां की गहरी नाभि में उस धार को छोड़ने लगा,,, कजरी की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और देखते ही देखते कजरी की गहरी नाभि सरसों के तेल से पूरी तरह से लबालब भर गई उसके बाद रघु कटोरी को वापस खटिया के नीचे रख दिया,,,, आधी रात गुजर चुकी थी लेकिन दोनों को समय का बिल्कुल भी भान नहीं था दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत के बावजूद भी ना तो कजरी के चेहरे पर थकान नजर आ रही थी और ना ही रघू के,,,
ऐसा लग रहा था कि मानो आज की रात दोनों जागकर ही बिताने वाले हैं,,,,,,

अपनी मां के दोनों दशहरी आम को देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था अपनी मां की चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना चाहता था उसकी मालिश करना चाहता था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा करने पर उसकी मां की प्रतिक्रिया क्या होगी लेकिन उसे इतना तो विश्वास हो चुका था कि जिस तरह से दोनों के बीच शर्म का पर्दा धीरे धीरे उठता चला जा रहा है उसकी इस हरकत पर उसकी मां खामोशी रहेगी और उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लेगी ,, इसलिए रघूअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर सीधे उसको अपनी मां की दोनों चुचियों पर रख दिया कजरी अपने बेटे की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से सिहर उठी,,,,,कुछ सेकेंड तक रघु उसी तरह से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरे रहा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की सूचियों से वह कैसे आनंद ले,,,, अपने दिल की धड़कन पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था सरसों का तेल सूचियों पर पूरी तरह से सन चुका था उत्तेजना के मारे रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की चुचियों के निप्पल एकदम तनी हुई नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मूंगफली हो,,,वह अपनी मां की चूचियों को अपने हथेली में पकड़े हुए ही अपनी मां के चेहरे की तरफ देखने लगा जो कि उसका चेहरा पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुका था लेकिन वह रघु की तरफ देखने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,,,रघु अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी मां की चूचियों की गोलाई को अपनी हथेली में दबाना शुरू कर दिया कजरी को साफपता चल रहा था कि अब उसके बदन की मालिश नहीं बल्कि उसके बदन के साथ काम क्रीड़ा का खेल खेला जा रहा है लेकिन उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,, अपनी मां की चूची को जोर जोर से दबाते हुए रघु गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी किसी भी पल ऐसा लगने लगता था कि उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,,,
देखते ही देखते होते सेना के कारण कजरी की चुचियों के आकार में इजाफा होने लगा,,, रघु बड़ी शिद्दत से अपनी मां की दोनों चुचियों के साथ खेलना शुरू कर दिया था साथ में मालिश भी हो रही थी,,, जिस तरह से रघु अपनी मां की चूचियों को जोर जोर से दबा रहा था उसी से कजरी के बदन में दर्द हो रहा था लेकिन यह दर्द,,, दर्द कम मजा बहुत दे रहा था क्योंकि इस तरह की हरकत पर बदन में दर्द नहीं होता है और दर्द इस बात का निशानी होता है कि मजा बहुत आ रहा है,,,,,

अपने बेटे की हरकत की वजह से वहां अपने गर्म सिसकारी को बड़ी मुश्किल से रोक कर रखी थी लेकिन ज्यादा देर तक वह अपनी भावनाओं को काबू में नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकलने लगी,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहहह,,,ऊईईईईईईई,,, मां,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रही गरम सिसकारी की आवाज को सुन कर रघु का मन खुशी से उछलने लगा,,, क्योंकि यह आवाज आवाज ना होकर रघू के लिए इशारा थी उसके आगे बढ़ने के लिए इसलिए बहुत जोर जोर से अपनी मां की दोनों चूचियों को सरसों के तेल से रगडते हुए बोला,,,)


कैसा लग रहा है मां,,,,,


सहहहहहहहह,,,,, पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,,, बस ऐसे ही दबाते रह,,,,,
(काम क्रीड़ा के आनंद में सरोबोर होकर कजरी के मुंह से दबाते रह निकल गया और अपने इस निकले हुए शब्द पर गौर करते ही कजरी शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि यह शब्द उसके मुंह से मदहोश होकर निकला था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसकी आंखों में खुमारी छा चुकी थी और अपनी मां की यह बात सुनते ही,,, रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया,,, वह और जोश के साथ अपनी मां की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,, अपनी मां की तपती हुई गर्मी को वह खुद सहन नहीं कर पा रहा था,,, खुद उसके मुंह से भी गर्म सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी,,,,


तुम्हारे बहुत बड़े बड़े हैं,,,,


क्या,,,,?( कजरी मदहोश भरे स्वर में बोली)


तुम्हारी चूचियां,,,,


क्यों,,,,,?(कजरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)

बहुत बड़े-बड़े है दोनों ठीक से मेरे हाथ में नहीं आ रहे है,,,,,



तुझे अच्छे नहीं लग रहे हैं क्या,,,,(कजरी उसी तरह से मादक स्वर में बोली हालांकि अभी तक वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला रही थी वह दूसरी तरफ नजर फेर के ही बात कर रही थी,)


सच कहूं तो मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं,,,,(अपनी मां की बातें सुनकर रघु पूरी तरह से जो उसने कहा बार जोर से अपनी मां की चूची को दबा दिया जिससे कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,, क्या कर रहा है दर्द कर रहा है,,,,


दर्द को मिटाने के लिए ही तो जोर जोर से दबा रहा हूं,,,,


इतना भी जोर से मत दबा,,,,,कहीं ऐसा तो नहीं कि जोर जोर से दबाने में तुझे मजा आ रहा हो,,


कुछ कुछ ऐसा ही लग रहा है ना जाने मेरे बदन में क्या हो रहा है,,,,


अपने आप को संभाल कहीं गिला ना हो जाए,,,,


क्या गिला ना हो जाए,,,,

मममम,,, मेरा मतलब है कि कहीं तेरे पसीने ना छुट जाए,,,


मां तुम्हारा बेटा ऐसा वैसा नहीं है कि उसका पसीना छूट जाएगा बल्कि मैं अच्छे अच्छों का पसीना छुड़ा सकता हूं,,,


तभी तो मुझे तेरे ऊपर नाज है,,,

भरोसा रखो दर्द करेगा लेकिन जिंदगी में कभी दर्द भी नहीं होगा आज ऐसी तुम्हारी मालिश करूंगा,,,,(रघुअपनी मां की बातों को सुनकर एकदम मस्ती में आकर जोर-जोर से अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,, कजरी को बहुत मजा आ रहा था पानी छोड़ने वाली बात करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और यही हाल रघु का भी था अपनी मां के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, उसके पजामे में भूचाल उठ रहा था,,,वह बार-बार अपने एक हाथ से अपने लंड को पजामे के अंदर बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन वह पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह अकड चुका था और यह तभी शांत रहने वाला था जब इसके अंदर की सारी गर्मी कजरी की बुर निचोड नाले,,,, रघु की नजर बार-बार अपनी मां की दोनों जनों के बीच चली जाती थी क्योंकि कजरी मदहोश होकर उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों जांघों को आपस में रगड़ रही थी,,,, रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां के बदन में उन्माद बढ़ रहा है,,, उसकी मां की जवानी जंगली घोड़ी से कम नहीं थी जिसे काबू में करने के लिए अच्छा खासा हुनर की जरूरत थी,,, और रघु घोड़ी को कैसे काबू में किया जाता है यह अच्छी तरह से जानता था,,, अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाते हुए अपनी मां की नाभि के गड्ढे में भरे सरसों के तेल को अपनी उंगली से बाहर निकाल कर उसे अपनी मां के चिकने मांसल पेट पर फैलाने लगा,,, कजरी की सांस अटक रही थी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह जिंदगी में पहली बार महसूस कर रही थी बार-बार उसकी सांसे बहक जा रही थी,,,, उसका बेटा इतना बड़ा खिलाड़ी होगा इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,,

रघु अपनी मां की गहरी नाभि में से सरसों के तेल को बाहर निकालकर पूरी तरह से पेट पर फैलाने लगा चुचियों से हाथ हटाते ही रघु दोनों हथेलियों को अपनी मां की चिकनी पेट पर फिराने लगा,,,,,, रघु को बहुत मजा आ रहा था चर्बी का नामोनिशान नहीं था एकदम चिकना पेट का और एकदम गोरा रघु के तन बदन में उत्तेजना के चिंगारी फूट रही थी वह बड़ी शिद्दत से अपनी मां के चिकने पेट पर अपना हाथ फिरा कर तेल लगा रहा था,,,, कजरी से रहा नहीं जा रहा था गहरी सांस से लेते हुए अपनी आंखों को बंद किए हुए थे बेहद खूबसूरत मदहोश कर देने वाला उन्मादक नजारा थालेकिन कजरी इस देश को अपनी आंखों से देखने में शर्म आ रही थी शायद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार अभी भी उसके अंदर बची हुई थी वह पूरी तरह से गीरी नहीं थी,,,,कुछ देर तक वह इसी तरह से अपनी मां के चिकने पेट पर अपनी दोनों हथेलियां फिर आता रहा और बार-बार कमर की तरफ लाकर उसे कस के दबोचता रहा जैसा कि एक मर्द औरत की चुदाई करते समय उसकी कमर को अपनी हथेली में लेकर दबाता है,,। अपनी मां के खूबसूरत बदन की मालिश करने में रघू अच्छा खासा समय व्यतीत कर चुका था,,,आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन नींद दोनों की आंखों में बिल्कुल भी नहीं थी,,,, रघु की आंखों में अब उसकी मां की बुर चमक रही थी जिस तरह से वह अपनी मां के संपूर्ण बदन से खेल रहा था अब उसकी बुर से खेलना चाहता था,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,
(लेकिन इस बार वह कुछ बोली नहीं बस कह रही तेरी सांसे लेती रही शायद अब बोलने के लिए उसके पास शब्द नहीं बचे थे क्योंकि रघु ने जिस तरह की मालिश उसकी की थी वह बेहद अवर्णनीय थी ,,, अद्भुत थी जिसका कोई जोड़ नहीं था कचरी ने आज तक इस तरह की मालिश ना तो देखी थी और ना करवाई थी,,,अपने बेटे की इस कारीगरी पर वह बार-बार उसे दिल से दुआ दे रही थी,,,अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब ना आता देख कर रघु उसके हाव-भावऔर गहरी चल रही सांसो की गति से यह अनुमान लगा चुका था कि जो भी वह कर रहा है उसमें उसकी मां को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और आगे बढ़ने की अनुमति भी दे रही है इसलिए इशारों ही इशारों में अपनी मां की अनुमति पाते ही वहअपनी मां की दोनों टांगों के बीच मखमली बुर के तरफ अपना ध्यान केंद्रित करने लगा,,,,।

वह अपने फुगली को ऊपर की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ लाते हुए बोला,,,।


अब देखना मां अब मैं तुम्हारी ऐसी अद्भुत तरीके से मालिश करूंगा कि देखती रह जाओगी ना तो ऐसी मालिश किसी ने किया होगा और ना ही सोचा होगा,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा किस तरह की मालिश करने वाला है लेकिन इतना उसे मालूम था कि जो भी उसका बेटा करेगा उसने उसका ही भला होगा इसलिए मौन स्वीकृति धारण करते हुए वह अपने बेटे को आगे बढ़ने की इजाजत दे चुकी थी और इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए रघु अपनी उंगलियों को पेट की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ आगे बढ़ाने लगा और जैसे-जैसे उसकी उंगलियां बुर के ऊपर से होते हुए घुंघराले बालों से होते हुए नीचे की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, और जैसे ही कजरी ने अपने बेटे की ऊंगली को अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वैसे ही उसके पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, और रघु खुद अपनी मां की बुर को उंगली से स्पर्श करते ही मदहोश हो गया,,,, अब उससे सबर करना नामुमकिन सा हो रहा था,,,, उससे आप एक पल भी ठहरा नहीं जा रहा था और यही हाल कजरी का भी बार-बार उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, 4 बोतलों का नशा अपनी आंखों में लेकर रघु एक गहरी दृष्टि अपनी मां की रेशमी घुंघराले बालों से ढकी हुई बुर पर डाला,,, पर बिना कुछ सोचे समझे ही अपने प्यासे होठों को सीधे अपनी मां की कचोरी जैसे खुली हुई बुर पर रख दीयाऔर एक गहरी सांस लेकर उसमें से उठ नहीं पा तक खुशबू को अपने अंदर पूरा का पूरा उतार लिया,,, बेहद अतुल्य अद्भुत और मादकता से भरी हुई खुशबू कजरी की बुर से उठ रही थी आज तक इस तरह की खुशबू को उसने किसी भी औरत की बुर में महसूस नहीं किया था इसलिए वह मादक खुशबू सराब से भी ज्यादा असर करते हुए रघु के दिलो-दिमाग पर छा गया और वह पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी मां की गुलाबी बुर के ऊपरी सतह पर रख कर चाटना शुरू कर दिया पहले तो कजरी को कुछ पता ही नहीं चला लेकिन जैसे हीउसे अपनी पुर पर कुछ अजीब सा होता हुआ महसूस हुआ तो वह अपनी आंखों को बंद रख नहीं पाई और तुरंत अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच ले गई वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,

आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज बढ़ती जा रही थी बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था हवाए तेज चल रही थी,,,और तेज चलती हवाएं अंदर कमरे में पहुंचकर लालटेन को झकझोर दे रही थी जिससे लालटेन से उठ रही पीली रोशनी बहक सी जा रही थी,,,, रघु पूरी तरह से अपनी मां के ऊपर छा चुका था उसे कुछ भी सोचने समझने का मौका नहीं दिया था खटिया के पाटी पर बैठकर वह अपनी मां की बुर चाट रहा था कजरी ने आज तक इस तरह का नजारा ना देखी थी ना ही अपने पति के द्वारा इस तरह की हरकत का अनुभव लेते हुए मजा ली थी यह सब उसकी जिंदगी में पहली बार हो रहा था इसलिए पूरी तरह से हैरान थी उसे उसे तो यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसकी बुर को अपनी जीभ से चाट रहा है,,, एकाएक उसके बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी थी,,,,,, कजरी अपनी बेटी को इस तरह की हरकत करने से रोकना चाहती थी और उसे रोकने के लिए अपने लबों को खोल ही थी कि रघु की जीभ उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में अंदर तक घुस गई,,,पल भर में अपने बेटे की सरकार से उसके तन बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना और आनंद की अनुभूति होने लगी कि वह कुछ बोल नहीं पाए उसके लबों से एक भी शब्द फुट नहीं पाए और एक अद्भुत एहसास से उसकी आंखें बंद हो गई,,,, रघु जो चाहता था उसे मिल चुका था हालांकि मंजिल अभी भी प्राप्त नहीं हुई थी लेकिन नजर जरूर आ रही थी रास्ते एकदम आसान हो चुकी थी दोनों साथ मिलकर कर रहे थे मंजिल का मिलना एकदम तय था,,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां की झांटों वाली बुर को चाट रहा था,,,, बुरके घुंघराले रेसमी बाल बार बार उसके मुंह में आ जा रहे थे,,, लेकिन उसकी मां की झांठ के बाल भी उसे बेहद आनंद दे रहे थे,,,,कुछ देर तक वहां खटिया के पाटी पर बैठकर ही अपनी मां की बुर को चाटता रहा,, हालांकि इस स्थिति में हुआ ठीक से अपनी मां की बुर की चटाई नहीं कर पा रहा था लेकिन वह अपना मुंह हटाना नहीं चाहता था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी मां को अपने बस में कर लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मां को उसका बुर चाटना अच्छा नहीं लगा तो ऐसा कभी नहीं करने देगी और रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था क्योंकि आज तक उसने बहुत सी औरतों और लड़कियों की बुर को चाटा था और जिसने उसे बेहद आनंद प्राप्त हुआ था लेकिन वह अपनी मां की चूत चाटना चाहता था उसके आनंद को प्राप्त करना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का विश्वास था कि दूसरी औरतों से ज्यादा उसकी मां की बुर उसे ज्यादा मजा देगी,,,। और ऐसा हो भी रहा था जिस तरह कि मादक खुशबू और आनंद का अनुभव वह अपनी मां की बुर से प्राप्त कर रहा था ऐसा मजा उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था,,, उसके कानों में थोड़ी ही देर में उसकी मां की गर्म सिसकारी की आवाज सुनाई देने लगी,,,, उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, अब वह पूरी तरह से अपनी मां के साथ मनमानी कर सकता था,,,, इसलिए तुरंत खटिया के पाटी पर से हट कर वह अपनी मां की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया,,, उसकी मां भी अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी दोनों टांगों को जिस तरह से वह चाहता था उसी तरह से फैला ली,,, अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाकर वह अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जांघों को थाम लिया और इस बार अपनी मां की बुर के ऊपर अपने होंठ रखने से पहले अपनी मां की तरफ देखा जो कि उसी को देख रही थी आपस में दोनों की नजरें टकराई और उसकी मां एकदम से मदहोश हो गई वह अपनी मां से पूछा,,,


अब कैसा लग रहा है मा,,,,(अपने बेटे का सवाल सुनकर कजरी कुछ बोली नहीं लेकिन शर्मा कर हंसते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर ली उसकी हंसी बड़ी कातिल थी एकदम मादकता से भरी हुई रघु अपने उपर काबू नहीं कर पाया,,,और एक बार फिर से अपनी मां की फूली हुई बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया रघु को बहुत मजा आ रहा था धीरे-धीरे कजरी का भी डर और शर्म खुलता जा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद से भाव विभोर होती जा रही थी मदहोशी बढ़ती जा रही थी और मदहोशी में वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के सर पर रख ली,,, और अपने बेटे के सर को जोर से दबा के उसके मुंह को अपनी बुर पर दबाने लगी, इससे रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया और वहां पागलों की तरह अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,
रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था किअपने लंड को उसकी फिर में जाने के लिए जगह बनाना बहुत जरूरी है इसलिए वह अपना एक उंगली डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा क्योंकि उसे इस बात का पूरी तरह से जानता था कि वर्षों से उसकी मां चुदवाई नहीं है उंगली का तो नहीं जानता लेकिन उसकी मां किसी के लंड को अपनी बुर में नहीं चाहिए इस बात का विश्वास उसे गले तक था,इसलिए अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की बुर में अच्छी तरह से डालने के लिए उसमें जगह बनाना जरूरी था,,, दूसरी तरफ कजरी पागल हुए जा रही थी,,,अपने बेटे की उंगली को अपनी बुर में अंदर बाहर होता महसूस करते ही उसके दिलो-दिमाग पर उत्तेजना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी,,,

सससहहहहह,,, आहहहहह,,,,,ओह,,,,रघु,,,,,, यह क्या कर रहा है रे ओह मां,,,, मर गई,,,,, ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहहह,,,,,, हाय दइया यह क्या हो रहा है मुझे,,,,ओहहहह,,,,, रघु मेरे बेटे यह क्या कर रहा है तू,,,,

रघु अपनी मां को पूरी तरह से आनंदित कर दे रहा था वह लगातार अपनी मां की बुर चाट रहा था और उसमें उंगली अंदर बाहर कर रहा था रघु को बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु का लंड फटने की स्थिति में आ चुका था,,,,, वह अपनी मां की बुर को तब तक चाटता रहा जब तक उसकी बुर से पानी नहीं फेंक दिया,,,, बस ऐसे ही उसकी पुर से मदन रस की पिचकारी बाहर निकली रघू उसे अमृत की धार समझकर जीभ से चाट गया,,,,,

कजरी की बुर एक बार फिर से झड़ चुकी थी,,,, वह पानी पानी हो गई थी लेकिन रघु अभी एक बार भी नहीं झड़ा था,,, लेकिन अब उसका लंड बगावत पर उतर आया रघु कुछ ऐसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका लंड कह रहा हूं कि मुझे बाहर निकालकर बुर में डालो वरना मैं फट जाऊंगा,,, रघु भी अपने लंड की विवशता को अच्छी तरह से समझता था,,,क्योंकि घंटो गुजर गए थे और ऐसे हालात में उसने अभी तक अपने लंड को उसके महबूबा से मतलब कि उसकी बुर से मिलाया नहीं था,,, और उसका लंड अपनी बुर से जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था,,,रुको धीरे से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच से खड़ा हुआ और खटिया से नीचे उतर गया उसकी मां अभी भी अपनी दोनों टांगों को उसी तरह से फैलाई हुई थी,,, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन उस पर अभी अधूरापन था,,, खालीपन था जिसको भरना रघु अच्छी तरह से जानता था,,,।


यह कैसी मालिश थी बेटा मेरे बदन में मीठा-मीठा दर्द उठने लगा है,,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोली हालांकि उसे अभी भी शर्म महसूस हो रही थी,,,लेकिन शायद उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसे भी बेशर्म बनना पड़ेगा इसलिए तो अपनी दोनों टांगों को अभी भी उसी तरह से फैलाए हुए थी,, मदन रस से उसकी बुर और उसके बाल पूरी तरह से गीले हो चुके थे अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए रघु बोला,,,)


यह भी दूर हो जाएगा मां,,, लेकिन इसके लिए अभी खास मालिश बाकी है,,(अपने कुर्ते को उतार कर जमीन पर फेंकते हुए) लेकिन यह मालिश हाथों से नहीं होगी इसके लिए खास अंग का उपयोग करना पड़ेगा जो की पूरी तरह से तुम्हारे दर्द को दूर कर देगी,,,,


हाथों से नहीं होगी फिर किससे करेगा तु मालीश ,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली,,, ओर रघू अपनी मां की बात सुनते ही अपने पजामे कोएक झटके में घुटनों तक खींच कर नीचे कर दिया और उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहराने लगा,,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर कजरी की सांस अटक गई,, और रघु अगले ही पल अपने पजामे को उतार कर जमीन पर नीचे फेंक दिया और अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर हीलाते हुए बोला,,,)



इससे अब आगे की मालिश इससे ही होगी यही तुम्हारे बदन के सारे दर्द को दूर कर पाएगा,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर और उसके खड़े लंड को ले जाता हुआ देखकर कजरी की आंखों में चमक आ गई उसकी बुर एक बार फिर से कचोरी की तरह फूलने पीचकने लगी,,,, उत्तेजना के मारे गला सूखने का का अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर उसे इतना तो विश्वास हो गया था कि आज उसकी खैर नहीं है लेकिन फिर भी वह अपने आप को पूरी तरह से अपनी बेटे के हवाले कर चुकी थी,,,उसे विश्वास था कि उसका बेटा उसे मंजिल तक पहुंचा कर रहेगा उसे बीच राह पर अकेला नहीं छोड़ेगा,,,, लेकिन अपने बेटे के स्थिति को देखकर वह पूरी तरह से शर्म आ गई थी उसका बेटा पहली बार उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा होकर अपनी खड़े लंड को दिखाकर अपनी मर्दाना ताकत की गवाही दे रहा था,,, रघूबेशर्मी की सारी हदों को पार कर देना चाहता था इसलिए अपनी मां की बुर में लंड डालने से पहले उसकी इजाजत लेना जरूरी समझ रहा था हालांकि वह इशारों ही इशारों में अपनी बुर को उसके हवाले कर चुकी थी लेकिन फिर भी उसका मन उसके मुंह से सुनने को हो रहा था इसलिए वह बोला,,,)

क्या मां तुम्हें मेरे मोटे लंड से मालिश करवाना मंजूर है या कहो तो नहीं करु,,,(बेशर्मी दिखाते हुए रघु अपने लैंड को हिलाते हुए बोला,,, भला एक मां के पास बेटे के ईस तरह के सवाल का जवाब कैसे हो सकता है,,, लेकिन फिर भी कजरी को इस बात का आभास हो चुका था कि स्वर्ग का आनंद लेना है तो बे शर्म बनना पड़ेगा इसलिए वह बोली,,)


तेरी मर्जी जो करना है करो मुझे तो बस इस दर्द से निजात पाना है,,,,
(दर्द से निजात पाने का मतलब रघु अच्छी तरह से समझ रहा था,,इसलिए मुस्कुराता हुआ एक बार फिर से खटिया पर चढ़ गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपने लिए जगह बनाने लगा,,, बरसों के बाद कोई लंड कजरी की बुर में जाने के लिए तैयार था पर्वती किसी गैर मर्द का नहीं अपने खुद के सगे बेटे का इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे पता नहीं चल रहा था कि आगे जो भी होगा कैसा होगा,,,बरसों से चुदाई के सुख से वंचित थी इसलिए बुर में लंड जाने का एहसास वह पूरी तरह से भूल चुकी थी,,, रघू पूरी तरह से तैयार था,, अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर उसे अपनी मां की बुर पर लगाने लगा क्योंकि कुछ देर पहले पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर ,,,बुर की गर्मी से सूख चुकी थी,,,, रघूअपनी मां की तरफ देखा जो कि शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर कर लेटी हुई थी,,अपना दोनों हाथ अपनी मां के नितंबों के नीचे लाया और उसे पकड़कर खींचके अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, रघूअपने लंड कै सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख कर हल्कै से अंदर की तरफ ठेला,,,,लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए थोड़ी दिक्कत आ रही थी लेकिन फिर भी रघु कहा हार मानने वाला था वह दोबारा कोशिश किया और इस बार बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ सरकने लगा कजरी की हालत खराब हो रही थी एक नए सुख के एहसास से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,
रघु बड़ी शिद्दत से अपने लंड को अपनी मां की बुर के छेद में डाल रहा था,,, और जैसे-जैसे लंडबुर की गहराई में उतर रहा था वैसे वैसे कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी देखते ही देखते रघु के लंड का पूरा सुपाड़ा बुर की गहराई में घुस गया,,,,

आहहहहह,,,,की आवाज के साथ कजरी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में स्वागत की रघु का पूरा लंड कजरी की बुर में समा चुका था कजरी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की गहराई में घुस चुका है,,, अपनी तसल्ली के लिए अपने सिर उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी तब जाकर उसे यकीन हुआ कि वाकई में उसकी बुर ने इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर की गहराई में छुपा ली है,,,अपनी मां को इस तरह से नजरें उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखता हुआ पाकर रघु बोला,,,


क्या देख रही हो मां पूरा का पूरा घुस गया है,,,,,, अब देखना में तुम्हारी कैसी चुदाई करता हु
(अपने बेटे की बेशर्मी भरी बातें सुनकर कजरी एकदम से शर्मा गई लेकिन उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी जिसे देखकर रघु का जोश बढ गया और वह अपने लंड को बाहर की तरफ खींच कर वापस धक्का मारकर उसे बुर में घुसेड़ दिया,,,, एक बार फिर से कजरी के मुंह से आहहह निकल गई,,,,, फिर क्या था रघु अपनी कमर को हीलाना शुरू कर दिया,,, वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था बरसों के बाद कजरी चुदवा रही थी यह एहसांस उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,बरसों के बाद अपनी बुर में अपने ही बेटे का लंड लेकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुकी थी,,। रघु अपनी मां की दोनों जांघों को अपनी जांघों पर लेकर अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करते हुए उसको चोद रहा था,,,,,, अपनी मां को चोदने पर उसे देहात उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,, देखते ही देखते रघु के धक्के तेज होने लगीउसके हर धक्के के साथ कजरी की बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छाती पर लहरा जा रही थी खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,।


बहुत मस्त बुर है मा तुम्हारी,,,आहहहहह मैं तो पागल हुए जा रहा हूं,,,, कितनी कसी हुईं बुर है,,, कभी किसी का डलवाई नहीं क्या,,,,

नहीं रे तेरे बाबूजी के देहांत के बाद से पूरी सूखी पड़ी है,,, आज पहली बार तेरा ही जा रहा है,,,,,,


ओहहहहह मेरी प्यारी मां कैसा लग रहा है तुम्हें मेरे लंड से चुदवाना,,,,


बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा तो तेरे बाबूजी भी नहीं दीए,,,
(कचरी भी शर्मा शर्मा कर मदहोश होते हुए अपने बेटे के सवाल का जवाब दे रही थी,,,)


आप चिंता मत करो मैं ऐसे ही तुम्हारी रोज चुदाई करूंगा तुम्हें वह सुख दूंगा जो बाबूजी कभी नहीं दे पाए,,,

ओहहहहह मेरा प्यारा बेटा ऐसे ही मुझसे प्यार करते रहना,,,


तुम चिंता मत करो ना मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा कि तुम बाबूजी को भूल जाओगी,,,(और इतना कहने के साथ ही रघुअपनी मां की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर को धक्का देने लगा बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बड़े आराम से अब लंड को अंदर बाहर ले रही थी उसमें से फच्च फच्च की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, जांघों से जांघें टकराने का आवाज और ज्यादा मादकता फैला रहा था,,,
रखो पूरी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था,,,

बाहर बादलों का गरजना और तेज हो चुका था बरसात और आंधी दोनों तेज हो चुकी थी बाहर का माहौल पूरी तरह से डरावना था लेकिन अंदर का माहौल पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था मदहोश कर देने वाला था कजरी की गरम जवानी पीली रोशनी मे अपनी आभा बिखेर रही थी,,,।
दोनों मां बेटे एकदम नंगे होकर जवानी का मजा लूट रहे थे आधी रात से ज्यादा का समय बीत चुका था पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां-बेटे मां बेटे के रिश्ते से आगे निकलकर मर्द और औरत का रिश्ता निभा रहे थे रघु चुदाई के खेल में पूरी तरह से मजा हुआ खिलाड़ी था इसलिए अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्ट करते हुए उसे चोद रहा था और कजरी बरसों बादअपनी मदहोश कर देने वाली जवानी को अपने बेटे के हाथों में सौंप कर निश्चिंत होकर संतुष्टि के एहसास से भर्ती चली जा रही थी,,,
कचरी की सांसे तेज चलने लगी थी उसके चेहरे का रंग बदलते जा रहा था उसके चेहरे पर शर्म और उत्तेजना की लालिमा साफ नजर आ रही थी उसकी तेज चलती है सांसे को देखकर रघु समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह अपने दोनों हाथों को उसकी दोनों पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी बांहों में भरकर उसके ऊपर झुक गया और अपने होठों पर अपनी मां की गुलाबी होठों पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया कजरी की जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसका बेटा ले रहा था अपने बेटे के इस तरह के चुंबन से कजरी पूरी तरह से मस्त हो गई और शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी इतनी ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रही थी कि झड़ने से पहले ही उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,,, कजरी का बदन अकड़ने लगा थारघु को औरत के झड़ने का एहसास अच्छी तरह से था इसलिए वह करके अपनी बाहों में उसे और ज्यादा दबोच लिया था और अपनी कमर बड़ी तेजी से हिलाना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था रघु के हर ठाप पर कजरी की आह निकल जा रही थी रघु की रफ्तार बढ़ती जा रही थी वह किसी इंजन सा चल रहा था और देखते ही देखते कजरी अपनी बाहों का कसाव रघु के ऊपर बढ़ाने लगी और अगले ही पल कजरी भला भला कर झढ़ने लगी,,, बरसों के बाद चुदवाई करवाते समय कजरी झढ़ी थी इसलिए यह एहसास उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल एहसास था,,।

कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त कर पाती उससे पहले काफी समय से अपनी उत्तेजना को काबू में कीए रहने की वजह से
रखो पहली बार ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और दो-चार तेज झटकों के बाद वह भी झड़ गया,,, दोनों कुछ देर तक एक दूसरे की बाहों में उसी तरह से नंगे पड़े रहे,,,।
 
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रघु अपनी मां की बाहों में ढेर हो गया था अद्भुत सुख के अहसास से पूरी तरह से दोनों मां-बेटे भर चुके थे,,, रघु का मन मानने को तैयार नहीं था कि आज उसने अपनी मां की चुदाई कर दिया है उस हसीन खूबसूरत,, लाजवाब रसीली बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल दिया अपने सारे अरमान निचोड़कर अपनी मां की बुर में उड़ेल दिया है,,,,,, कजरी की सांसे अभी भी बेहद गहरी चल रही थी शायद उसे भी यकीन नहीं हो रहा था कि आज वह मां बेटे की पवित्र रिश्ते को तार-तार करते हुए अपने बेटे के साथ बेटे का रिश्ता ना रखते हुए एक मर्द का और औरत का रिश्ता बना ली है अपने बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात का एक नया रिश्ता कायम कर ली,,, रघु के मोटे तगड़े लंड को कजरी अभी भी अपनी बुर के अंदर महसूस कर रही थी,,,,, वर्षों से जिसमें खालीपन था अब वह पूरी तरह से भर चुका था,,, कजरी अपने बेटे के मर्दाना ताकत का लोहा मान चुकी थी हालांकि उसे अपने बेटे पर पूरा विश्वास था कि वह उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा लेकिन उस संतुष्टि को खुद ही महसूस करके वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी,,,,,, आज उसकी सूखी जमीन पर हल चल चुका था,,, जैसे बरसों के बाद सुखी जमीन पर सावन की फुहार झूम कर बरस रही हो इस तरह का एहसास कजरी को हो रहा था दोनों की सांसें गहरी चल रही थी,,, दोनों एक दूसरे को बाहों में लिए हुए थे,,,, कजरी की आंखें तृप्ति के एहसास से पूरी तरह से बंद हो चुकी थी,,, रघु मस्त हो चुका था औरतें कितना अधिक सुख दे सकते हैं आज उसे अपनी मां को चोद कर एहसास हुआ था आज वह पूरी तरह से संभोग सुख से भर चुका था उसने आज तक इस तरह का एहसास का अनुभव कभी नहीं किया था जिंदगी की पहली चुदाई हलवाई की बीवी के साथ किया था लेकिन पहली बार में भी उसे इतना मजा नहीं आया था जितना कि आज उसे अपनी मां के साथ आ रहा था,,, मन ही मन में वह अपनी मां को धन्यवाद दे रहा था और इस बात का गर्व भी कर रहा था कि उसकी मां सभी औरतों से सबसे ज्यादा खूबसूरत है और सभी औरतों में सबसे ज्यादा चुदाई का सुख भी देने वाली है,,, रघु अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालना नहीं चाहता था,,, अभी भी उसका समुचा लंड उसकी मां की गहराई में पड़ा हुआ था जो कि झड़ने के बाद भी ढीला नहीं हुआ था,,,,

बरसात कम होने का नाम नहीं ले रही थी,, दोनों मां बेटे के बीच के इस गरमा गरम संभोग की निशानी बन चुकी थी यह बरसात की रात,,,,,, दोनों मां-बेटे को यह बरसात की रात जिंदगी भर याद रहेगी क्योंकि यह बरसात की रात दोनों के लिए यादगार रात हो चुकी थी,,,वैसे तो कजरी के जीवन में ना जाने कितने सावन आए थे और वैसे ही उसे सूखा छोड़ कर गुजर गए थे लेकिन यह सावन उसके लिए कुछ खास था,,, बंजर पड़ी जमीन पर सावन की फुहार जो पड़ चुकी थी,,, सावन की पहली बार में ही कजरी को अपनी बंजर पड़ी जमीन पर हरियाली नजर आने लगी थी,,,,।

रघु अपनी सांसों को दुरुस्त करता हुआअपनी मां की तरफ देखा वह उसी तरह से अपनी आंखों को मूंदकर गहरी गहरी तृप्ति भरी सांसे ले रही थी,,, रघु को अपनी नंगी साथियों पर अपनी मां की नंगी चूचियां बेहद नरम नरम लग रही थी लेकिन चुचियों की तनी हुई मूंगफली के सामान निप्पल किसी भाले की तरह चुभ रही थी,,, लेकिन यह चुभन उसे बहुत सुकून देने वाली लग रही थी,,,रघु अपनी मां की दोनों टांगों के बीच था और कचरे की मोटी मोटी जांघें घुटनों से ऊपर की तरफ उठी हुई थी लालटेन की रोशनी में दोनों मां बेटों का नंगा जिस्म बेहद कामुक लग रहा था,,,,,,

कजरी बेशर्म बनने के बावजूद भी शर्म से पानी पानी हुई जा रही थीक्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि उसके बेटे का नंगा लंड उसकी नंगी बुर के अंदर गहराई तक घुसा हुआ है,,, इसलिए वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी इसलिए अपनी आंखों को खोल नहीं रही थी मुंदे हुए थी,,। रघु भी अपनी मां किस शर्म को दूर करते हुए उससे बातचीत करने के लिए बोला,,,।

बहुत मजा आया मां,,, मैं कभी सोच नहीं सकता था कि चुदाई में इतना मजा आता है,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी के तन बदन में हलचल सी हो रही थी क्योंकि उसका बेटा बिल्कुल भी शर्मा नहीं रहा था और शर्माता तो उसको चोद कैसे पाता,,,,) बहुत कसी हुई है मां,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी धीरे से बोली,,,)

क्या,,,,,?



तुम्हारी बुर मां,,,, बहुत कशी हुई है,,, ऐसा लगता है कि जैसे किसी जवान लड़की की हो,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी बुर की कसावट के बारे में सुनते ही कजरी के बदन में उन्माद चढने लगा,,, उसकी सांसे एक बार फिर से कह रही हो मेरे को उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा खुलकर उसकी बुर की कसावट के बारे में अपने मुंह से बोलेगा और ऐसे भी अपने बेटे के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी और अपनी बुर पर गर्व भी कर रही थी,। अपने बेटे की बात सुनकर कजरी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह सिर्फ आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, रघु अपनी बात को जारी रखते हुए बोला,,) बहुत मजा आया मां मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि,,, ईतनी उम्र के बावजूद भी तुम्हारी बुर कसी हुई है,,,,(अपनी मां के गर्दन पर मदहोशी भरा चुंबन लेते हुए बोला रघु के इस तरह से चुम्मबन और अपनी गरम सांस उसकी गर्दन पर छोड़ने की वजह से कजरी फिर से मस्त होने लगी खास करके अपने बेटे की बातें सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर फिर से उठने लगी,,, रघु का लंड अभी भी कजरी की बुर में था,,, और उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां रघु की चौड़ी छाती के नीचे दबी हुई थी,,, रघु लगातार उसकी गर्दन के दोनों तरफ चुंबनों से उसकी गर्दन गीला कर रहा था,,, कजरी के बदन में उन्माद चढ़ने लगा था,,,, अपनी मां की गर्दन को बेतहाशा चुमते हुए रघू बोला,,,,।


तुम को कैसा लगा मां,,,, मजा आया कि नहीं,,,,
(अपने बेटे के सवाल का उत्तर वह कैसे दे पाती,, आखिरकार वह उसकी मां जो थी उसे शर्म आ रही थी जवाब देते हुए,,,हालांकि जिस तरह का सुख का अनुभव उसे मिला था,,, जिंदगी में पहली बार उसे एक औरत होने पर गर्व हो रहा था,,, बहुत खुश थी और पूरी तरह से तृप्त भी लेकिन अपने बेटे के सवाल पर और कुछ बोल नहीं पाई बस हल्का सा मुस्कुरा दी आंखें अभी भी उसकी मुंदी हुई थी,,,रघु अपनी मां के इस शर्म को पूरी तरह से दूर करना चाहता था जिस तरह से वह दूसरी औरतों के साथ चुदाई का सुख भोगते हुए उन्हें पूरी तरह सेधीरे-धीरे करके खोल चुका था उसी तरह से वह भी चाहता था कि उसकी मां भी पूरी तरह से खुलकर अपने जीवन का मजा ले इसलिए वह अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला,,,।


तुम शर्माती बहुत हो मां,,, अब मुझसे कैसी शर्म शर्म के सारी दीवारें तो टूट चुकी है,,, तुम मुझसे चुदवा चुकी हो और मैं तुम्हें चोद चुका हूं,,,, देख नहीं रही हो अभी भी मेरा लंड तुम्हारी बुर में, है,,,, सच कहूं तो मेरा मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है कि तुम्हारी बुर में से मैं अपना लंड बाहर निकाल लू बहुत गर्म बुर है तुम्हारी,,,,,,
(रघु जानबूझकर बेशर्मी भरी बातें कर रहा था वह चाहता था कि उसकी गंदी गंदी बातें सुनकर उसकी मां भी उससे उसी तरह से बात करें,,,, कजरी पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि उसका बेटा जिस तरह से बातें कर रहा था उस तरह से तो मर्द अपनी बीवी से या एक रंडी से करता है,,, इसलिए ना जाने क्यों अपनेबेटे की बातों को सुनकर कजरी अपने अंदर एक साथ दोनों चरित्र को ढूंढने लगी को समझ नहीं पा रही थी कि उसके बेटे के लिए वह क्या है अगर उसका बेटा इस अवस्था तक भी उसके अंदर मां को ढूंढता तो उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाता,,, और बीवी तो वह उसकी थी नही,, प्रेमिका भी नहीं थी,, इसलिए अपने मन में सोच रही थी तो वह उसके बेटे की नजर में क्या है,,, उसका बेटा कहीं उसे रंडी समझकर तो नहीं चोद रहा है,,,, कजरी बेवजह अपने द्वारा ही उत्पन्न किए हुए इस भूलभुलैया में उलझ कर रह जा रही थी जो कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था रघु कजरी को अपने ही मां समझ कर ही उसकी चुदाई कर रहा था क्योंकि रिश्तो में पहली बार उसने इस तरह की चुदाई के सुख का अनुभव किया था और उसमें किसी और औरत के साथ संभोग सुख से ज्यादा अपनी मां के साथ चुदाई में मजा आ रहा था,,, अगर वह अपनी मां में एक औरत को देख कर उसके साथ संभोग करता तो शायद उसे इतना सुख नहीं मिल पाता,,,, कजरी कुछ बोल नहीं रही थी रघू अपनी मां के मन को पूरी तरह से खोलने में लगा हुआ था वह धीरे-धीरे उसकी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था,,, दोनों की तन बदन में उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी कचरी को साफ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर में उसके बेटे का लंड एक बार फिर से फूलने लगा था क्योंकि इसकी बुर के अंदरूनी दीवारों में एक बार फिर से कसाव बढने लगा था,,,)


कुछ तो बोलो,,,, ताकि मुझे भी पता चले कि तुम्हें यह सब अच्छा लग रहा है,,,,,,


मुझे शर्म आ रही है,,,,(कजरी उसी तरह से आंखों को मुंद हुए ही शरमा कर बोली,,,)

अब शर्माने का कोई मतलब नहीं है,,, एक बार आकर खोलकर हकीकत को देखो तुम अपनी दोनों टांगे फैलाएं मेरे लंड को अपनी बुर मे ली हुई हो,,,
(अपने बेटे की ईतनी गंदी बात सुनकर एक बार फिर से कजरी के बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,,, पप्पी आंखों को खोना नहीं चाहते थे लेकिन हकीकत से मुखातिब भी होना चाहती थी इसलिए अपनी पलकों को पटपटाते हुए अपनी आंखों को खोली और जैसे रघु इसी इंतजार में था जैसे ही उसकी मां की आंख खुली और तुरंत अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होंठों पर रख कर,,, उसके होठों का रसपान करने लगा कजरी के तन बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां के लाल लाल होठों का रस चूस रहा था,,,, बारिश का जोर अभी घटा नहीं था बरसात अपने पूरे शबाब में था बादलों की गड़गड़ाहट रह रह कर माहौल को डरावना कर दे रहे थे,,,बादलों की गड़गड़ाहट से कजरी को हमेशा डर लगता था लेकिन आज उसे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था क्योंकि आज वह अपने बेटे की बाहों में थी,,, अपने बेटे के साथ अपनी अधूरी जवानी का मजा लूट रही थी,,,, अपनी खूबसूरत यौवन को अपने बेटे की जवानी पर लुटा रही थी,,, वह अपने बेटे के द्वारा अपने लाल-लाल होठों की चुसाई का आनंद लूट रही थीवापी अपने होठों को हरकत देना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों उसे शर्म महसूस हो रही थी और उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आ रहा था कि अपने बेटे से चुदवाने के बाद भी उसे शर्म आ रही है,,,, रघु एक बार फिर से अपनी मां के ऊपर पूरी तरह से छा चुका था वह अपनी मां के होठों का आनंद लुटते हुए अपने एक हाथ से अपनी मां के दशहरी आम को जोर जोर से दबा रहा था उत्तेजना और उन्माद की स्थिति में कजरी का बदन थरथराने लगा,,, रघु का लंड पूरी तरह से एक बार फिर से तैयार हो चुका था कजरी को अपनी बुर अपने बेटे के लंड से लबालब भरी हुई महसूस हो रही थी,,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही होता है या उसकी बुर इतने वर्षों में लंड का स्वाद नआ चखने की वजह से और ज्यादा कसी हुई हो गई है,,। रघु की हरकतें कजरी को पूरी तरह से उन्माद के सागर में घसीटे लिए जा रही थी अभी अभी वह अपने बेटे के लंड का आनंद लेते हुए ढेर सारा पानी छोड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर से अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,,लेकिन वह खुद हैरान थी कि एक बार झढ़ने के बाद उसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर से बिना निकाले फिर से तैयार हो चुका था,,,, इसी एहसास और अपने बेटे के द्वारा चुंबन और स्तन मर्दन की कामुकता को ना सह पाने की वजह से गहरी गहरी सांस लेते हुए एक बार फिर से अपनी बुर से मदन रस का फव्वारा फेकने लगी,,,। अपनी मां के इस तरह से झड़ने की वजह से रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और अपनी कमर को धीरे धीरे हिलाना शुरू कर दिया,,,,,,, रघू अपनी मां के साथ खटिया पर जबरदस्त शक्ति का प्रदर्शन कर रहा था,,,वह अपनी कमर को हिलाना शुरू किया ही था कि उसकी मां अपने दोनों हाथों को उसके पेट से होता हुआ नीचे की तरफ लाकर उसके नितंबों पर रखकर उसे रोकने का इशारा कर दी,,,, रखो अपनी मां के इशारे को समझ गया और उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,

क्या हुआ मा,,,,?
(कजरी शर्मा रही थी झड़ने की वजह से उसकी सांसे पूरी तरह से दुरुस्त नहीं हुई थी अभी भी बहकी हुई थी क्योंकि बार-बार उसकी बड़ी बड़ी छातियों पर नीचे हो रही थी जो कि रघू अपने सीने पर साफ महसूस हो रही थी,,, कजरी को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटे से कहे कि ना कहे लेकिन फिर अपने बारे में सोचने लगी कि अपने बेटे के साथ वह इतनी बड़ी बेशर्मी वाला काम कर तो दी है तो शर्म करने की जरूरत ही क्या है इसलिए वह शर्माते भी अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली और बोली,,,,,)

मुझे जोरो की पेशाब लगी है,,,,(अपने बेटे के सामने पेशाब वाली बात करते हुए वह पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी,,, लेकिन ना जाने क्यों उसे यह शब्द कहते हुए बेहद उत्तेजना का अनुभव भी हो रहा था,,,,,रघु भी अपनी मां के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया उसका लंड और ज्यादा मोटा होने लगा जो की कजरी को अच्छी तरह से महसूस हो रहा था,,,पहली बार कजरी को इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में औरत की बुर मोटे लंड के बिना पूरी तरह से अधूरी है,,, बरसो गुजर गए थे लेकिन फिर भी कजरी कोअपने पति के पतले और कमजोर लंड की बनावट अच्छी तरह से याद थी जोकि उसकी गरम बुर में घुसते ही ढेर हो जाती थी,,,।
रघु पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था इस बात का एहसास की उसकी मां को जोरों से पेशाब लगी है यह बात ही उसकी उत्तेजना को परम शिखर तक पहुंचाने के लिए काफी थी रघू से रहा नहीं जा रहा था औरएक बार फिर से अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रसपान करते हुए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, कजरी उत्तेजना में भी घबराहट कालका करने लगी और घबराहट इस बात की कि कहीं उसे इस बात का डर है कि उसका मुत वहीं ना निकल जाए,,, इसलिए वह अपने बेटे को समझाती हुए बोली,,,।


रुक जा मुझे पेशाब तो कर लेने दे,,,,

यहीं कर लो ना मां,,,,

धत्त पागल हो गया क्या,,,,


पागल नहीं दीवाना हो गया हूं तुम्हारी कसी हुई बुर का (जोर-जोर से अपनी कमर को हिलाता हुआ बोला,,, हालांकि अपने बेटे की हरकत की वजह से कजरी भी पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसे काफी देर से पेशाब लगी हुई थी,,, उसका बेटा जिस तरह से धक्के लगा रहा था निश्चित था कि उसका पैसाब किसी भी समय निकल जाएगा,,,, इसलिए वह एक बार फिर से अपने बेटे को समझाते हुए बोली,,,)


रघु तुझे मेरी कसम,,,, रुक जा,,,, मुझे पेशाब कर लेने दे,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर बोली कसम की बात सुनते ही रघू की कमर जैसे कि तेसे रुक गई,,, रघु भी अपनी मां की आंख मैं आंखें डाल कर देखने लगा रघु को अपनी मां की आंख में जोरो की पेशाब वाली तड़प साफ नजर आ रही थी,,,,, रघु मुस्कुराने लगा और उसके होठों पर चुंबन लेकर दूसरी तरफ करवट लेते वे अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल दिया,,, जोकि बुर एकदम कसी होने की वजह से उसकी आवाज करते हुए लंड बाहर निकल गया,,, खटिया से उड़ते समय कजरी एक नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर डाली तो उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,और यह मुस्कान इसलिए कि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे के इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी छोटी सी बुर की गहराई में पूरी तरह से ले चुकी थी,,, कजरी खटीए पर से उठी और खटिया पर पडी चादर को उठाकर अपनी कमर से लपेटने लगी तो रघु तुरंत चादर को खींचकर अपनी दुसरी और फेंक दिया उसकी मां एकदम से झेंप गई और बोली,,,।

अरे यह क्या कर रहा है,,, ला चादर दे मुझे देख नहीं रहा है मैं एकदम नंगी हुं,,,,


अच्छी तरह से देख रहा हूं कि तुम एकदम नंगी हो लेकिन यह भी जानता हूं कि तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो,,,


तू चाहता क्या है,,,?(अपनी बुर पर अपनी हथेली रखते हुए बोली,,, अपनी मां की बात और उसका इस तरह से अपनी बुर को हथेली से ढकना देखकर वह हंसने लगा उसको हंसता हुआ देखकर कजरी बोली,,।)


हंस क्यों रहा है,,,,?

अरे हंसु नहीं तो और क्या करु,,,,


ऐसा क्यों,,,,?


अभी-अभी तुम्हारी चुदाई कीया हु,,,तुम्हारी गुरु में अपना लंड डालकर तुम्हें 14 तुम्हारी बुर को चाहता हूं और फिर भी तुम मुझसे ही अपनी बुर छुपाने की कोशिश कर रही हो,,,

(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी एकदम से शर्म आ गई क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था बिल्कुल सच कह रहा था लेकिन फिर भी उसे ना जाने क्यों शर्म आ रही थी इसलिए वह बोली,,)

कुछ भी हो मुझे शर्म आ रही है,,,


क्या मा तुम भी आखिरकार इस घर में आप मेरे और तुम्हारे सिवा तीसरा कोई भी नहीं है,,, हम दोनों को अब ईस घर में इसी तरह से रहना है,, अब शर्माने से काम नहीं चलेगा वैसे भी तुमने मेरे लिए अपनी दोनों टांगे खोल दी हो अब शर्माने से कोई फायदा नहीं है,,,,
(कजरी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, अपनी बेटे की बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और उसी जोरो की पिशाब लगी हुई थी बार-बार अपने पैर पटक रही थी उसे इस तरह से अपने पैर पटकते हुए देख कर रघू बोला,,,)

क्या कर रही हो मां जाओ जल्दी वरना तुम यहीं पेशाब कर दोगी,,,,,,(ऐसा कहते हुए रघु मुस्कुरा रहा था और एक हाथ से अपने खड़े लंड को हिला भी रहा था कजरी की नजर बार बार उसके लंड पर चली जा रही थीऔर एक बार फिर से उसे अपनी बुर में लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,
बरसात अभी भी जोरों की पड़ रही थी बादलों की गड़गड़ाहट से डर भी लग रहा था क्योंकि उसे मुतने के लिए बाहर जो जाना था,,, तो कुछ देर तक ऐसे ही खड़ी रही तो रघू फिर से बोला,,,।)

क्या हुआ अभी तक खड़ी क्यों हो,,,,


मुझे डर लग रहा है रघु तू तो जानता है बादलों की गड़गड़ाहट से मुझे डर लगता है,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही रघु मुस्कुराने लगा,,, और मुस्कुराते हुए बोला)

ओहहहहह,,, इसका मतलब है कि मुझे साथ चलना होगा,,, मैं भी यही चाहता था,,, तुमको पेशाब करते हुए देखने में बहुत मजा आता है,,,


इसका मतलब तू पहले भी देख चुका है,,,,(रघु की तरफ नजर उठा कर देखते हुए बोली,,,)


आज झूठ नहीं बोलूंगा मां,,, क्योंकि आज तुमने मुझे दुनिया का सबसे बड़ा सुख दिया है मैं पहले भी तुम्हें पेशाब करते हुए देख चुका हूं यह बात तो तुम भी अच्छी तरह से जानती हूं खेत में जब मैं तुम्हें पेशाब करता हुआ देख रहा था तो तुम मुझे पकड़ ली थी और बहुत डांटी थी,,,(कजरी अपने बेटे की बातें सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे अपने बेटे की बातें अच्छी लग रही थी रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) मैं तो तबसे तुम्हारी इस बड़ी-बड़ी (अपना हाथ अपनी मां की गांड पर फेरते हुए) गांड का दीवाना हो गया हुं,,,,
(रघु ने जिस अंदाज से कजरी की गांड पर हाथ फेर कर यह बात किया था कजरी पूरी तरह से गनगना गई,,, रघू उत्तेजित अवस्था में अपनी मां की गांड पर जोर से चपत लगा दिया जिससे वह पूरी तरह से चौक गई,,)

आहहहहह क्या कर रहा है,,,,


मजा ले रहा हूं तुम्हारी गांड से,,,,(रघु एक हाथ से अपने खड़े लंड को हिलाते हुए बोला जिस पर नजर पड़ते हीउसे अपनी बुर में लेने के लिए कजरी का मन ललच ऊठ रहा था,,, कजरी थोड़ा सा नखरा दिखाती हुए बोली,,)


चलना रघु बड़े जोरों की लगी है,,,


चलो मैं तैयार हूं,,,(अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची हो को देखकर लार टपकाते हुए बोला,,,)

एक चादर तो ले लुंं


अरे रहने दो ऐसे ही चलो,,,


कोई देख लिया तो,,,


कौन देखेगा,,, आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा है,,, और ऐसे में तूफानी बारिश तेज हवा चल रही है कौन देखने वाला है भला,,, चलो इतनी तेज बारिश हो रही है कि कोई देखना चाहेगा तो भी नहीं दिखेगा,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर कजरी पूरी तरह से आश्वस्त हो गई और आगे आगे चलने लगी पीछे रघू टंगी हुई लालटेन को अपने हाथ में ले लिया,,,)
 
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बेहद काम उत्तेजना से भरा हुआ यह नजारा था,,, कजरी पर बदन से खूबसूरती शहद की तरह टपक रही थी,,, लालटेन की रोशनी में उसका मादक मांसल भरा हुआ बदन,,, और भी ज्यादा लुभावना लग रहा था कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी में कोई अप्सरा लग रही थी,,, रघु अपनी मां के बदन के हर एक कटाव को देखकर अपने तन मन में उठती हुई चिंगारी ओ को दबाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन जितनी भी वह अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश करता था उतना ही उसका मन और ज्यादा मचल उठता था,,,,एक बार अपनी मां को चोद लेने के बाद भी उसका मन बिल्कुल भी भरा नहीं था ना ही उसका तन थका था,,, वह सुबह तक जितना हो सकता था उतना अपनी मां को चोदना चाहता था,,, यह बरसात की रात उसके लिए बेहद खास थी उसकी जीवन की सबसे बेहतरीन रात थी,,,

कजरी अंदर के कमरे के परदे को अपने हाथों से हटाते हुए आगे बढ़ रही थी,,। उसकी नंगी भराव दार गांड को देखकर रघु का लंड अकड़ रहा था,,, वैसे भी रघू खटिया पर एक बार अपनी मां की चुदाई कर लेने के बाद भी अपना लंड बुर में से बिना निकाले,, दोबारा तैयार हो गया था और अपनी मां को चोदना भी शुरू कर दिया था लेकिन उसकी मां को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और अगर वह अपनी कसम देकर उसे रुकने को ना कहती तो रघु एक बार फिर से खटिया पर ही अपनी मां की चुदाई कर दिया होता ,,,इसलिए बड़े बेमन से वहां अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाला था और उसे मुताने के लिए बाहर ले जा रहा था,,

कजरी की बड़ी बड़ी गांड जितनी बार भी रघू देखता था उतना उसके लिए कम था अपनी मां की गांड को देख कर उसे ऐसा लगता था जैसे कि वह जन्नत का नजारा देख लिया उसकी बनावट बेहतरीन थी उसका उभार उसका उसकी गौलाई सब कुछ बेहतरीन थी एकदम उम्दा किस्म की,,,, रघु को तो जैसे पूरी दुनिया मिल गई थी हाथ में लालटेन लिए हुए भी अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार पीछे से अपनी मां की गांड पर जोर जोर से चपत लगा दे रहा था,,,, लालटेन की पीली रोशनी की वजह से रघु के द्वारा चपत लगाने की वजह से कजरी की गोरी गोरी गाल टमाटर की तरह लाल हो गई थी यह बराबर दिखाई नहीं दे रहा, था,,,कचरी को रघु के द्वारा इस तरह से गांड पर चपत लगाने की वजह से उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन उसने उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, इसलिए वह हल्की आहह लेकर इस से ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी,,,। अपने बेटे के सामने इस तरह से एकदम नंगी होकर चलने में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी आज तक वह पूरी तरह से नंगी होकर चार कदम भी नहीं चली थी लेकिन आज उसे पूरी तरह से नंगी होकर अपनी बेटे की आंखों के सामने अपने बेटे के साथ साथ बाहर तक जाना था इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,, और अपने बेटे के द्वारा बार-बार अपनी बड़ी बड़ी गांड को छेड़े जाने के कारण वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरती चली जा रही थी,,, की पेशाब ना लगी होती तो एक बार फिर से अपने बेटे से चुदवाने में और ज्यादा मजा आता,,,

देखते ही देखते वह बाहर आ गई बाहर बड़े जोरों की बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था,,, घर से बाहर भी घुटनों तक पानी लगा हुआ था तेज तूफानी हवा से पानी की बौछार अंदर तक आ रही थी जिससे पानी की बूंदे,, उसके नंगे बदन पर पड रही थी और ठंडी बुंदो की वजह से उसका नंगा बदन गनगना जा रहा था,,,, रघु लालटेन ले अपनी मां के पास खड़ा था वह भी पूरी तरह से धंधा है उसका लंड अपनी मां की मटकती गांड को देखकर अभी भी पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था,,,, घर के बाहर घुटनों तक पानी और तेज बारिश को देख कर कजरी अपनी बेटे से बोली,,,,।


मैं वहां तक कैसे जाऊं यहां तो घुटने तक पानी भरा हुआ है और तेज बारिश हो रही है,,,,(गुसल खाने की तरफ इशारा करते हुए बोली,,, रघु को भी घर के बाहर की स्थिति अच्छी तरह से मालूम थी वह जानता था कि इतने पानी में और तेज बारिश में वहां तक नहीं जाया जा सकता,,,, इसलिए वह एक नजर घर के बाहर चारों तरफ घुमाते हुए बोला,,)

तो यही मुंह मुत लो ना,,, बाहर जाने की क्या जरूरत है,,,

धत्त,,,, पागल हो गया है क्या ,,,,(कजरी अपने बेटे की बात सुनकर शरमाते हुए बोली)


अरे इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,,,तुम भी अच्छी तरह से देख रही हो कि घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है इतनी तेज बारिश हो रही है बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाएं और ऊपर से घुटनों तक पानी भरा हुआ है बाहर जाओगे की तो कैसे जाओगी अगर पैर फिसल गया तो,,, और मुसीबत बढ़ जाएगी,,,
(कजरी अपने बेटे की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन जो बात उसका बेटा कर रहा था कजरी इस बारे में कभी सोचा भी नहीं थी,,, एक तो वह घर के किनारे ही उसे मुतने के लिए बोल रहा था और उसकी आंखों के सामने ही,,, भले ही रघु उसे चोरी-छिपे पेशाब करते हुए देख चुका था और कुछ देर पहले वह खुद जानबूझकर उसकी आंखों के सामने पेशाब कर रही थी जिसे वह चोरी चुपके से देख भी रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे इस बारिश में उसकी आंखों के सामने मुतने में शर्म आ रही थी,,,,लेकिन उसे बड़े जोरों की फसल लगी हुई थी कुछ देर अगर वह इसी तरह से रुकी रही तो अपने आप ही पेशाब हो जाएगी यह बात भी अच्छी तरह से समझ रही थी,,, इसलिए वह कसमसा ते हुए बोली,,,।)


यहां पर,,,, यहां पर मुझे बड़ा अटपटा लग रहा है,,,


कैसा अटपटा,,,,(रघु लालटेन को नीचे जमीन पर रखते हुए बोला,,,)


रघु मैं यहां पर कैसे कर सकती हूं,,,,(अपनी कमर पर अपने दोनों हाथ रखते हुए बोली,,, रघु अपनी मां की यह अदा देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,,)


कर सकती हो यहीं पर बैठ जाओ,,, और मुत लो,,,,(रघू इस बारअपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए बोला अपने बेटे की यह हरकत देखकर कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई,,, वह तिरछी नजर से अपने बेटे के लैंड को देख कर बोली,,,)


कोई देख लिया तो,,,,


क्या मां तुम भी एकदम पागल हो गई हो,,,, देख रही हो बारिश कितनी तेज हो रही है कहां कुछ भी तो दिखाई नहीं दे रहा है,,,, कोई देखता भी होगा तो उसे कुछ दिखाई भी नहीं देता होगा,,,,जो भी करना है जल्दी करो मेरे लंड से रहा नहीं जा रहा है जल्दी से मुत लो तो तुम्हारी बुर में लंड डाल दुं,,,(रघु एकदम से बेशर्म बनता हुआ अपनी मां से एकदम गंदी बात करने लगा अपने बेटे के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर कजरी के बदन में सरसराहट दौड़ने लगी,,,कजरी को इस बात का अहसास होने लगा कि उसका बेटा कितना उतावला है उसकी बुर में लंड डालने के लिए,,,इस बात से कचरी भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसकी बुर में खुजली होने लगी वह भी जल्द से जल्द मुतने के बाद अपनी बुर में अपने बेटे के लंड को लेने के लिए मचलने लगी,,,,,,,, इसलिए उसकी भी उत्सुकता बढ़ने लगी अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए पेशाब करने के लिए,,,,,,

बरसाती माहौल होने के बावजूद भी दोनों मां-बेटे के बदन में गर्मी छाई हुई थी,, कजरी कुछ देर तक उसी तरह से खड़ी रही तो रघु बोला,,,,


चलो आगे बढ़ो नहीं तो यही शुरु हो जाऊंगा क्योंकि मुझसे रहा नहीं जा रहा है तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर,,,,


एकदम बेशर्म हो गया है तु,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)

बेशर्म हो गया हूं तभी तो तुम्हें चोद रहा हूं,,,(अपने लंड को ऊपर नीचे करके जोर से हिलाते हुए बोला,, कजरी से अपनी बेटे की हरकत बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह एक कदम आगे बढ़ी,, तेज चलती हवाओं के साथ साथ पानी की बौछार कजरी पर बराबर पड रही थी जिससे पानी के ठंडक से वह पूरी तरह से गन गना जा रही थी,,,,,, उत्तेजना के मारे रघु की हालत खराब हो रही थी,,। कजरी एकदम किनारे खड़ी हो गई जहां से एक कदम भी आगे लेने से घुटने भर पानी था,,,,,

कजरी वहीं पर गांड फैलाकर बैठ गई,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघू एकदम से मस्त हो गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां बैठ कर पेशाब कर रही थी,,,कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी उसका बेटा उसके पास में खड़ा होकर उसे पेशाब करते हुए देख रहा है उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने थी उसका पूरा नंगा वजूद उसकी आंखों के सामने था,,,,,
कजरी कितनी चोरों की पेशाब लगी हुई थी कि उसकी बुर से बहुत ही तेजी से सीटी की आवाज निकलने लगी थी लेकिन बारिश का शोर इतना था कि वह ठीक से सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी रघु बड़े गौर से अपनी मां की बुर से निकल रही सीटी की आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा था और उसे हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई देने लगी थी वह पूरी तरह से मदहोश होता हुआ एकदम से उत्तेजित हो गया,,, रघु से रहा नहीं जा रहा कजरी भी एकदम निश्चिंत होकर पेशाब कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इतनी रात को और तेज बारिश में उसके बेटे के सिवा कोई तीसरा उसे नहीं देख रहा है,,,,
रघु अपनी उत्तेजना पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और जिस तरह से कजरी बैठी थी ठीक उसी तरह से उसके पीछे जाकर बैठ गया,, कजरी को यह एहसास हो गया कि उसका बेटा ठीक उसके पीछे बैठ गया है और इस वजह से उसके पसीने छूटने लगे,,, एक तरफ उसकी बुर से पेशाब छूट रही थी और माथे से पसीना,,,,अपन दोनों के लिए बेहद अतुल्य और अद्भुत था दोनों इस पल को जीने की कभी कल्पना भी नहीं किए थे,,,,, रघू धीरे-धीरे पीछे से अपनी मां से एकदम से सट गया,,, और नीचे से रघू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की बुर की गुलाबी होंठ पर सटा दिया,,, जैसे ही अपने बेटे को लंड को कजरी अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वह एकदम से गनगना ऊठी,,,, उसकी सांसों की गति एकदम से तेज हो गई,,,, रघु की भी हालत खराब थी रघूनीचे से अपनी दोनों हथेली को अपनी मां की गांड पर रखकर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ से तकरीबन 1 इंच जितना,,, और उसका लंड पूरी तरह से कजरी की बुर के एकदम ऊपरी सतह पर आ गया जहां से उसके पेशाब की धार छूट रही थी,,,, और देखते ही देखते रघु की भी पेशाब छूट गई कजरी को बेहद अजीब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि,, उसके पेशाब की धार उसके बेटे के लंड पर पड रही थी कजरी पूरी तरह से मदहोश हो गई पुरुष के पेशाब की धार और तेज हो गई,,,, वह साफ देख पा रही थी कि उसका बेटा भी मुत रहा था,,,,
दोनों मां-बेटे उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गए थे,,, रघु अभी भी अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में पकड़े हुए था,, बेहद उत्तेजना से भरा हुआ यह मादक दृश्य था,,, तूफानी बारिश में बादलों की गड़गड़ाहट के बीच अंधेरी रात में दोनों मां-बेटे,, जवानी का मजा लूट रहे थे,,, रघू अपनी मां की गांड को उसी स्थिति में छोड़कर अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर अपनी मां के दोनों दशहरी आम को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,रघु,,,,,,,


क्या हुआ मा,,, मजा आ रहा है ना,,,,,

सससहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,,,,, थोड़ा धीरे दबा,,,,, दर्द कर रहा है,,,,


मजा भी तो आ रहा है ना मां,,,,,, बस ऐसे ही अपने पेशाब की धार मेरे लंड पर गिराते जाओ देखो कैसे और मोटा हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी जहां से उसके पेशाब की धार सीधे उसके लंड के सुपाड़े पर पड रही थी,,, अपनी आंखों से यह दृश्य देखकर कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, उसकी सांसे बहकने लगी,,, अपने बेटे की हरकत का मजा लेते हुए कजरी बोली,,,)

तु सच में बहुत बेशर्म हो गया है रे,,,


तुम भी तो बेशर्म हो गई हो मां तभी तो नंगी होकर मजा ले रही हो,,,


वह तो तूने मजबूर कर दिया वरना मैं कभी सपने में भी ऐसा काम नहीं करने वाली थी,,,,



सहहहहहह,,,, मजबूर क्यों हो गई मां,,,(अपनी मां की दोनों चूचियों को जोर से दबाते हुए बोला,,,)


पता नहीं कैसे लेकिन हो गई,,,,,


मजा तो आ रहा है ना मां,,,,


मजा नहीं आता तो तेरे साथ रात भर जागती नही,,,,


ओहहहहह मां तुम बहुत प्यारी हो,,,,( ऐसा कहती है रखी है तेरी मां की नंगी पीठ पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,,कजरी अपने बेटे की हरकत की वजह से पल-पल उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचती चली जा रही थी रघु अपनी मां की जवानी से धीरे-धीरे खेलते हुए उसे जवानी की आग में और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,)

आखरी बूंद तक मेरे लंड पर गिरा दो,,,, मां,,,,

(कजरी ऐसा ही कर रही थी वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन अपने बेटे के कहे अनुसार अपनी बुर से पेशाब की आखिरी बूंद तक निचोड़ कर रख दे रही थी,,,, रघू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, घर के बाहर का खुला मौसम और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,, यही हाल कजरी का भी था कजरी से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,, इसलिए वह अपनी गोल गोल गांड को आगे पीछे करके अपने बेटे के लंड पर रगड रही थी,,, अंदर कमरे में अपनी मां को ले जाने तक का इंतजार रघु से अब कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए रघु अपने हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे से लाते हुए अपने लंड को ऊपर की तरफ उठाकर,, अपनी मां की बुर् के गुलाबी छेद को ढूंढने लगा,,,, उसे ठीक से अपनी मां का गुलाबी छेद मिल नहीं रहा था,,,, इसलिए कोशिश करते हुए रघु बोला,,,।

आहहहहह,, मां तुम्हारा छेद मिल नहीं रहा है,,,।

(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी बिना कुछ बोलो अपनी गांड को थोड़ा सा और ऊपर उठाकर एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और अपने बेटे का लंड को पकड़ कर सीधे अपने गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दी रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां ने मंजिल तक जाने का रास्ता दिखा दि थी,,, इसलिए रघु बड़े आराम से अपनी मां की बुर में अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया और अपनी कमर हिलाने की जगह अपनी मां की कमर पकड़कर उसे ऊपर नीचे उठक बैठक कराने लगा जिससे रघु का लंड पूरी तरह से कजरी की बुर में अंदर बाहर होने लगी कजरी भी बड़ी शिद्दत से अपने बेटे के लंड पर बैठ बैठ रही थी उसे मजा आ रहा था,,, रघु थोड़ी ही देर में अपनी मां की कमर पर से अपना हाथ हटाकर अपने हाथ को अपनी मां की चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि वह‌ समझ गया था कि उसकी मां को क्या करना है यह अच्छी तरह से वह जान गई थी,,,, कजरी बिना अपने बेटे का सहारा लिए अपने बेटे के लंड पर उठबैठ रही थी,,,।


सहहहहहह,,, बहुत मजा आ रहा है मा मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हें चोद पाऊंगा,,,,


आहहहहह आहहहहहहह,,,,मे भी कभी नहीं सोची थी कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,।

इस रिश्ते से खुश तो हो ना मां,,,,


हां लेकिन डर भी लग रहा है कि कहीं किसी को पता ना चल जाए,,,,



कभी किसी को पता नहीं चलेगा मा,,,, घर के बाहर हम लोग उसी तरह से रहेंगे लेकिन घर के अंदर आते ही हम दोनों के बीच एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम हो जाएगा,,,,


क्या जिंदगी भर तु मुझे ऐसे ही खुश रखेगा,,,,


जिंदगी भर,,,, मैं तुम्हें ऐसे ही खुशी देते रहूंगा,,,,

(रघु और कजरी दोनों मदमस्त जवानी का मजा लूट रहे थे कजरी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका सारा बेटा उसे इस तरह से शारीरिक सुख देगा उसके साथ संभोग करेगा उसे चुदाई का अद्भुत सुख प्रदान करेगा,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी आंखों के सामने तूफानी बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था एक दूसरे का घर कब दिखाई नहीं दे रहा था बड़े-बड़े पेड़ सूखे पत्तों की तरह लहरा रहे थे बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी,,, अपनी बेटी की शादी करने के बाद उसके बेटे के साथ इस तरह का रिश्ता कायम हो जाएगा इस बारे में कभी उसने कल्पना भी नहीं की थी,,, लेकिन कजरी की सोच और धारणा के विरुद्ध सब कुछ बदल चुका था आज कजरी अपने बेटे के साथ इस पल का बेहद आनंद लूट रही थी,,,
रघु अपनी मां को जबरदस्ती दुखों के साथ उसकी चुदाई करना चाहता था लेकिन इस आसन से ठीक से हो नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह अपना लंड अपनी मां की बुर से बाहर निकाल कर उसकी बांह पकड़कर उसे खड़ी किया,,, और दीवार के सहारे उसे खड़ी करके हल्का सा झुकाते हुए उसके पीछे आगे और अपनी मां की चिकनी कमर को थाम कर लालटेन की रोशनी अपनी मां की गुलाबी बुर में लंड डाल दिया और से चोदना शुरू कर देना इस तरह से रघू को बहुत अच्छी तरह से अपनी मां की चुदाई करने का मौका मिल रहा था,,, कजरी की मस्त हुए जा रही थी,,,। और तूफानी बारिश के शोर का फायदा उठाते हुए कचरी दिल खोलकर गरम सिसकारी की आवाज अपने मुंह से निकाल रहे थे क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मादकता भरी आवाज को कोई सुन नहीं पाएगा,,,,

एक बार झड़ जाने के बाद रघू झड़ने का नाम नहीं ले रहा था,,, और कजरी दूसरी बार की चुदाई में दो बार झड़ चुकी थी,,,,,, अपने बेटे के हर धक्के के साथ उसके मुंह से आह निकल जा रही थी अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर उसे गर्व होने लगा था वाकई में पहली रात में ही उसने चार पांच बार उसका पानी निकाल चुका था,,, कुछ देर तक इसी तरह से झुका कर चोदने के बाद वह एक बार फिर से अपने लंड को बुर में से बाहर निकाल लिया पर अपनी मां को सीधे खड़ी करके उसके होंठों पर होठ रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी रघु अपनी मां की जान को पकड़ कर ऊपर करते हैं उसे अपनी कमर से लपेट लिया और इसी तरह से दूसरी जांघ को भी मजबूती से पकड़ कर अपनी कमर से लपेट ते हुए उसके नितंबों को नीचे से पकड़ कर अपनी गोद में उठा लिया और अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही अपने लंड को बुर में डालकर बड़े आराम से अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दी कजरी अपने बेटे की ताकत पर गदगद हुए जा रही थी क्योंकि उसका वजन अच्छा खासा था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह से उसे अपनी गोद में उठा लेगा,,,


रघु अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और उसे चोदने का आनंद लूटने लगा कुछ देर तक रघू बाहर वाले घर में खड़े होकर इसी तरह से अपनी मां की चुदाई करता रहा और उसे चोदते हुए ही अपनी गोद में उठाए हुए हैं अंदर कमरे तक ले आया और उसे खटिया पर लेटा कर उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसे चोदना शुरू कर दिया खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,कजरी को इस बात की चिंता थी कि उसके बेटे के दमदार धक्के की वजह से कहीं खटिया टूट ना जाए लेकिन कजरी के आनंद की कोई सीमा नहीं थी,,,
कुछ देर बाद दोनों की सांसें तेज होने लगी दोनों चरम सुख की तरफ आगे बढ़ते चले जा रहे थे और देखते ही देखते रघु के तेज धक्के के साथ कजरी गरम सिसकारी लेते हुए झड़ने लगी और दो चार धक्कों के बाद रघू भी कजरी के ऊपर ढेर हो गया,,,।
 
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कजरी कजरी,,,ओ कजरी,,,, अभी भी सोई हैं क्या,,,? बाप रे रात की बारिश ने तो जैसे सब कुछ दबा कर दिया हो,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही कजरी की नींद टूटी तो वह खटिए मैं अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और दोनों पूरी तरह से नंगे थे बाहर ललिया की आवाज सुनते ही वह बुरी तरह से चौक गई उसे डर था कि कहीं ललियां अंदर ना आ जाए,, अगर अंदर आ गई तो सब कुछ तबाह हो जाएगा इसलिए आनन-फानन में वह एकदम से खटिए पर उठ कर बैठ गई,,,, रघू की भी नींद तुरंत खुल गई,,, रघु भी मौके की नजाकत को समझते हुए,,, तुरंत खटिया पर से नीचे खड़ा हुआ और आनन-फानन में अपने कपड़े पहनने लगा जो की खटिए के नीचे फेंके हुए थे,, कजरी भी तुरंत खटिया से नीचे उतरी और अपनी पेटीकोट पहनने लगी कोने में पड़ी ब्लाउज को उठाकर जल्दी से अपनी बाहों में डालकर अपनी बड़ी-बड़ी दशहरी आम को छुपाने लगी,,,, ललिया अब तक घर के बाहर ही खड़ी थी,,, कजरी और रघु यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि ललिया का बिल्कुल भी भरोसा नहीं था वह बेझिझक अंदर तक आ जाती थी और वह दोनों नहीं चाहते थे कि उन दोनों की इस हालत को कोई और देखें,,,, कजरी मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी कि ऐन मौके पर उसकी आंख खुल गई थी वह दोनों कपड़े पहन चुके थे,,,, वह यह सोचकर एकदम से घबरा उठी थी कि अगर खटिया पर उन दोनों को ललीया अपनी आंखों से देख लेती तो क्या होता,,,,

कजरी अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बाहर आ गई,,,,


क्या हुआ इतनी सुबह सुबह,,,,


अरे यह सुबह-सुबह है तु ही देर तक सो रही थी उठने का समय है,,,,और अपने चारों तरफ देख तो सही क्या हाल हुआ है,,,,, खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है,,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ भरा है तो सुख भी जाएगा,,, लेकिन यह बात है कि रात को जो बारिश हुई ऐसी बारिश मैंने कभी जिंदगी में नहीं देखी थी और यह रात की बारिश मैं कभी जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगी,,,,।


सच कह रही हो कजरी नेट एकदम से घबरा गई थी मैंने भी ऐसी बारिश कभी नहीं देखी थी इतनी जोर जोर से बादल गड़गड़ा रहे थे,,, इतनी तेज आंधी चल रही थी,,, की मुझे तो लगने लगा था कि आज मेरी मड़ई उड़ जाएगी,,,,


चल अच्छा हुआ बच गई,,,,


मैं तो खेतों में जा रही हूं एक नजर मारने,,, तुझे आना है तो आ जा,,,



नहीं तु जा मुझे अभी बहुत काम है,,,, गाय भैंस को चारा भी देना है,,,,


ठीक है मैं जा रही हूं,,,( और इतना कह कर ललिया चली गई,,,,, कजरी मन ही मन में उसको बुदबुदाते हुए वापस कमरे में आ गई,,,, रघु वही अंदर वाले कमरे में खड़ा था और अपनी मां से बोला,,,)

क्या हुआ गई कि नहीं,,,?


गई,,,,



साली परेशान करके रख दी है,,,,
(अपने बेटे के मुंह से ललिया के लिए गाली सुनकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)


गाली कब से देने लगा,,,,


क्या करूं मा,,,, यह ललिया चाची ना हम दोनों को चैन से सोने भी नहीं देगी,,,,


तू सच कह रहा है,,,,, अगर आज मेरी नींद वक्त पर ना खुलती तो गजब हो जाता,,,,



क्या हो जाता कुछ नहीं,,,, हम दोनों का राज,,, राज ही रहता,,,,


वह कैसे,,,?(कजरी तिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


अरे उसे भी अपने खेल में शामिल कर लेते,,,,



और तुझे क्या लगता है कि वह शामिल हो जाती है,,,


क्यों नहीं होती,,,, औरत की सबसे बड़ी कमजोरी यही होती है,,, चाचा जी को देखो एकदम मरियल से है,, और चाची एकदम गदराई हुई,,,,उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर मुझे लगता नहीं है कि चाचा जी चाची को खुश कर पाते होंगे,,,,


ओर जेसे तू खुश कर लेता ना,,,,(कजरी प्रश्न सूचक नजरों से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तुम नहीं हुई क्या मां,,,, तुम जैसी खूबसूरत हुस्न की परी स्वर्ग की अप्सरा को जब मैं अपने (पजामे के ऊपर से ही धीरे-धीरे तन रहे अपने लंड के ऊपर हाथ रखते हुए) लंड से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया तो ललिया क्या चीज है,,,।

(अपने बेटे की इस तरह की गंदी बात और उसकी हरकत जो कि वह अपने हाथ से अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबा रहा था यह देखकर कजरी पूरी तरह से एक बार फिर से उत्तेजित होने लगी,,, और अपने लिए स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा का बडाई सुनते ही वह मन ही मन और खुश होने लगी,,, वह मुस्कुराते हुए अपने बेटे के पजामे की तरफ देखते हुए बोली,,)

बड़ा नाज है तुझे अपने,,,,,,लंड पर,,,(कजरी लंड शब्द पर कुछ ज्यादा ही भार देते हुए बोली,,,)


क्यों नहीं होगा मां,,,,, लेकिन सच कहूं तो,,,,(अपनी मां की तरफ कदम बढ़ाते,,, हुए) मुझे सबसे ज्यादा नाज है तुम्हारी (अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की दोनों टांगों के बीच रखकर उसकी बुर को दबाते हुए) इस रसीली बुर पर,,,,,,,,, एक लंड की असली ताकत की परीक्षा तभी होती है जब वह किसी बेहद खूबसूरत हसीन औरत जैसे कि तुम उसकी बुर में जाकर उसे पूरी तरह से संतुष्ट करके ही बाहर आए तब जाकर वह एक असली मर्द कहलाता है,,,,,,,


और तूने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी अपना हाथ आगे बढ़ाकर सीधे उसे अपने बेटे को लंड पर रख दी जो की पूरी तरह से तैयार हो चुका था,,, अपनी मां के हाथों की पकड़ को अपने लंड पर महसूस करते ही रघू से रहा नहीं गया,,, और वह अपनी मां की कमर में अपना दूसरा हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर एक बार फिर से उसके होठों का रसपान करने लगा थोड़ी सी देर में कजरी पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई उसकी सांसे गहरी चलने लगी अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए मचलने लगी,,,, और रघु भी अपनी मां को एक बार फिर से चोदने के लिए बेताब हो गया,,, अपनी मां के होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया,, भले ही वह रात में जमकर अपनी मां की दो बार चुदाई कर चुका था लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी था और वैसे भी संभोग कभी भी पूर्ण नहीं होता इसकी चाहत खत्म नहीं होती,,, इसीलिए रघू अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर चपत लगाने लगा,,, कजरी मदहोश होते ही अपना एक हाथ अपने बेटे के पजामे में डाल कर उसके खड़े लंड को पकड़ ली,,,वह भी अपने बेटे से खुलकर प्यार नहीं कर पाई थी लेकिन एक ही रात में धीरे-धीरे वह पूरी तरह से खुलती चली जा रही थी,,,, कजरी पूरी तरह से मदहोशी में अपने बेटे के मोटे तक में लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर मुठिया रही थी,,, रघू अपनी मां की इस कामुक हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो उठा और एक झटके से हमसे उसकी बांह पकड़ कर दूसरी तरफ घुमा दिया और उसकी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही वह बिना कुछ बोलेगहरी सांस लेते हुए अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा,,,कजरी अपने बेटे के इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह अपने बेटे की हथेली का दबाव अपनी पीठ पर पाते ही वह उसी दिशा में नीचे की तरफ झुकती चली गई और रघु तब तक अपनी मां को झुकाता रहा जब तक कि उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से खील नहीं उठा,,,, रघु को बड़े आराम से अपनी मां की गुलाबी बुर नजर आने लगी,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात भर उसी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई किया है,,,, रघु तुरंत अपना पजामा घुटनों तक खींच दिया,,, और अपने टनटनाते लंड को हाथ से पकड़ कर उसके मोटे सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पतियों के बीच रगडना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की इस जबरदस्त कामुक हरकत की वजह से ना चाहते हुए भी कजरी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।


सहहहहहहहह,,,रघघघघुऊऊऊऊऊऊ,,,,,
(अपनी मां की मादक सिसकारी की आवाज सुनते ही रघू पूरी तरह से पागल हो गया,,, वह मदहोश हो उठा अपनी मां की गर्भ सिसकारी की आवाज ने उसे पूरी तरह से चुदवासा कर दिया,,, और वह अपने बदामी रंग के सुपाड़े को हल्के से अपनी मां की गुलाबी पत्तियों के बीच सरकाना शुरू कर दिया अपनी मां की बुर में लंड डालना उसके लिए बेहद आसान हो चुका था क्योंकि रात भर में उसने अपनी मां का छेद बड़ा जो कर दिया था,,,,, कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बेटे का लंड उसकी बुर में पहली बार जा रहा हो कजरी कोअपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने बेटे के लंड की मोटाई की रगड़ बराबर महसूस हो रही थी,,,, जैसे-जैसे रघु का लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे कजरी का मुंह खुलता चला जा रहा था,,,,, और देखते ही देखते रघु ने एक बार फिर से अपनी मां की मतवाली जवानी को काबू में करते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर की गहराई में डाल दिया और लगा अपनी कमर हिलाने,,,, कजरी एक बार फिर चहक उठी,,, उसकी बेलगाम जवानी पर उसका बेटा पूरी तरह से काबू पा चुका था उसकी कमर था मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और उसके हर एक धक्के पर कजरी आगे की तरफ लुढ़क जा रही थी क्योंकि वह खटिया के पाटी को पकड़कर अपने आप को संभाले हुए थी,,,,
देखते ही देखते अंदर वाले कमरे में कजरी की मादक सिसकारियां गूंजने लगी,,,, और जांघ से जांघ टकराने की आवाज अलग उन्माद जगा रही थी,,,,

एक बार फिर कजरी पानी पानी हो चुकी थी,,, और कुछ ही देर में रघू भी ढेर हो गया,,,,।

कजरी अपने कपड़े दुरुस्त कर के काम में लग गई लेकिन उसे एक बात की चिंता सताए जा रही थी कि अब उसके और उसके बेटे के बीच किसी भी प्रकार की दीवार नहीं रह गई थी सब कुछ ढह चुका था और कजरी यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरत चुदवाने के बाद और ज्यादा प्यासी हो जाती है,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि यह यह सिलसिला अब यहां रुकने वाला नहीं था,,,,,।
और वह यह भी नहीं चाहती थी कि दोनों के बीच के इस सिलसिले पर किसी तरह की रुकावट आए,,, और ना ही किसी भी तरह से दोनों मां-बेटे की बदनामी हो,,,,,, वैसे भी आज सुबह में ललिया के हांथो दोनों पकड़ा ते पकड़ाते बचे थे,,,, अब इस तरह की गलती दोबारा ना हो इसलिए कजरी अपने मन में फैसला कर ली थी और रघु को बुलाकर बोली,,,।

रघु हमें आज ही लकड़ी का दरवाजा बनाना होगा,,,


वह किसलिए मां,,,


अरे बुद्धू देखा नहीं आज सुबह में ललिया कैसे आ धमकी थी,,, अगर हम दोनों पकड़े जाते तो,,, द्वार पर दरवाजा रहेगा तो हम लोगों को इत्मीनान रहेगा,,,


सच कह रही हो मां,,,, मैं अभी इंतजाम करता हूं,,,,

और रघू,,, बांस का इंतजाम करने लगा और उसे दरवाजे की ऊंचाई तक काटकर एक-एक करके सारे बांस को जोड़ता गया और दरवाजा तैयार कर दिया,,,


दूसरी तरफ़ बिरजू अपने प्यार को पाकर पूरी तरह से खुश हो चुका था जो उसे छूने से भी डरता था वह 2 दिन से सालु की चुदाई कर रहा था शालू भी बहुत खुश थी,,, बिरजू को जब यह बात का पता चला कि सालु के पेट में उसका बच्चा पल रहा है तो वो खुशी से झूम उठा,,, उसे यही लग रहा था कि शादी से पहले शालू की चुदाई करने पर ही बच्चा ठहर गया है,,, जबकि हकीकत सिर्फ सालु और रघु ही जानते थे राधा और बड़ी मालकिन को यही लगता था कि शालू के पेट में पल रहा बच्चा बिरजू का ही है,,,, शालू तो अपनी गलती को छुपाने के लिए ही बिरजू के साथ चुदवाने का बस नाटक की थी ताकि वह अपने पाप को दुनिया वालों से छुपा सके अपनी और अपने भाई के बीच के नाजायज संबंध को बिरजू के नाम से ढंक सके और वह अपने भाई के द्वारा बताएं गए युक्ति पर चलकर वहां कामयाब भी हो चुकी थी,,,शालू के ससुराल में सब को यही लगता था कि उसके पेट में पल रहा बच्चा उनके खानदान का चिराग है,,,
बिरजू से चुदवाने में उसे अच्छा तो लगता था लेकिन अपने भाई की तरह वह तृप्ति का अहसास नहीं दिला पाता था,,,।

शाम ढल चुकी थी,,, रघु बांस की लकड़ियों का एक अच्छा खासा दरवाजा तैयार कर दिया था और उस में अंदर से कड़ी भी लगा दिया था,,, दरवाजे को देखकर ललिया बोली,,,।

अरे वाह कजरी यह एक ही दिन में इतना अच्छा दरवाजा तैयार करके लगा भी दी,,,


हां रे,,,


इतने सालों से तो मैं देखती आ रही हूं,,, दरवाजे की जरूरत कभी पडी नहीं,,,। शालू के जाते ही दरवाजे की जरूरत पड़ गई,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,
(ललिया की ऐसी बात सुनते ही कजरी एकदम से सकपका गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले तभी अपने दिमाग को दौडाते हुए हक लाते हुए बोली,,,)

व,,व,,,वो क्या है ना कि तू तो जानती ही हैं,,, की इससे पहले दरवाजे की जरूरत क्यों नहीं पड़ी,,,, दिनभर शालू घर पर ही रहती थी तो एक तरह से घर की रखवाली हो जाया करती थी,,, मैं दिन भर खेतों में इधर-उधर काम करती रहती हुं,,, दिन भर कहां घर पर रहती हुं,,, और शालू के जाने के बाद तू तो जानती ही है की रघू का कोई ठिकाना नहीं होता वो दिन भर घूमता रहता है,,,,, कभी हां तो कभी वहां और वैसे भी बरसात का महीना शुरु हो गया है तो देख ली जानवर कीड़े मकोड़ों का घर में घुसा आना अच्छा नहीं लगता है,,, इसलिए दरवाजा रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूंगी,,,।


बात तो तू सही कह रही है कजरी,,,, दरवाजा भी अच्छा बनाया है,,, लेकिन बनाया किसने ,,,


रघु ने और किसने,,,,




वाह दरवाजा तो बहुत अच्छा बनाया है मैं भी बनाऊंगी,,, रघु से,,,


बनवा लेना,,,,,
(ललिया मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चली गई और उसके जाते ही कजरी राहत की सांस ली,,,,,,,
शाम ढलने लगी थी,,, रघु बहुत खुश था क्योंकि एक ही रात में उसे सारी दुनिया जो मिल गई थी अपनी मां को पाकर वह बहुत खुश था,,, और उसकी मां की बहुत खुश थी यह बात भी रघु अच्छी तरह से जानता था तभी तो वह दोनों के बीच पनपते संबंध को लेकर किसी को भनक ना लग जाए इसीलिए तो दरवाजा लगवा दी थी ताकि बेझिझक दोनों घर के अंदर मस्ती कर सकें,,, रघु अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी खरीदने के लिए हलवाई के वहां पहुंच गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां को जलेबी और समोसे बहुत पसंद है,,, वह अपने मन में यही ठान कर रखा था कि आज वह अपनी मां को जलेबी और समोसे खिला कर अपना लंड चटवाएगा,,, और अपनी इस अभिलाषा को लेकर वह बेहद उत्साहित भी था,,,,।

हलवाई की दुकान पर रघू पहुंच चुका था,,, औरो दिन की तरह आज भी दुकान पर इक्का-दुक्का लोग ही बैठे हुए थे,,, हलवाई की बीवी पर नजर पड़ते ही रघु को पुराने दिन याद आ गए,,,,
 
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आखिरकार हलवाई की बीवी रघु के संभोग गाथा की पहली नायिका जो थी,, जिसने सर्वप्रथम उसे एक औरत के खूबसूरत जिस्म के हर कोने से उसके हर एक अंग से वाकिफ कराई थी,,, संभोग की परिभाषा को रघु के साथ मिलकर सार्थक करके दिखाई थी,,, रघु ने जिंदगी में पहली बारहलवाई की बीवी के साथ संभोग की शुरुआत करके उसके एहसास से पूर्ण रूप से अवगत हुआ था,,, इसीलिए वह हलवाई की बीवी के एहसान को जिंदगी में कभी भी भुला नहीं सकता था,,,,

हलवाई की बीवी की नजर जैसे ही रघू पर पड़ी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और साथ ही तन बदन में उन मादकता बढ़ने लगी,,,, हलवाई की बीवी रघु से चुदवाने के बाद अभी तक उस तरह की तृप्ति का एहसास नहीं महसूस कर पाई थी इसलिए रघु की याद उसे बहुत सताती थी,,, इसलिए तो आज रघू को इतने दिनों बाद देख कर वो खुशी से फूली नहीं समा रही थी,,,, और एकदम से खुश होते हुए बोली,,,।


आज बड़े दिनों बाद याद आई रे तुझे यहां की,,,(कढ़ाई में समोसे तलते हुए बोली,,,)

ऐसी बात नहीं है चाची,,, याद तो तुम्हारी रोज ही आती थी,,,(हलवाई की बीवी की खुली हुई दोनों टांगों के बीच झांकते हुए बोला,,,हलवाई की बीवी रघु की नजरों को अच्छी तरह से भांप गई थी और इसीलिए मुस्कुराते हुए बोली,,,)


मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि तुझे मेरी याद आती होगी,,,


सच कह रहा हूं चाची,, वैसे भी तुम भूलने वाली चीज बिल्कुल भी नहीं हो,,, हां इस बात के लिए माफी मांगता हूं कि इधर आ नहीं सका और शादी में तुम्हारे वहां आने के बावजूद भी मैं तुमसे मिल नहीं पाया क्योंकि काम ही बहुत ज्यादा था तुम तो अच्छी तरह से जानती हो कि बहन की शादी थी कितना दौड धुप करना पड़ता है,,,


हां बात तो सही है,,,, लेकिन फिर भी तुझसे मैं नाराज हूं,,,


किसलिए,,,,,?


मेरे साथ साथ तु ,( अपने चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली कर लेने के बाद हलवाई की बीपी चूल्हे के अगल-बगल अपनी दोनों टांगों को फैलाए हुए थी और उसे रघु की तरफ करके दोनों टांगों को खोलकर बड़े अच्छे से,, अपनी बुर के दर्शन कराते हुए) इसे भी भुल गया,,,
(रघु तो हलवाई की बीवी की मादक अदा और उसकी बालों से भरी हुई बुर को देखकर एकदम से मदहोश हो गया,,, उसे पुराने दिन याद आ गए जब वह पहली बार नजर भर कर हलवाई की बीवी की बुर को देखा था हाथ में लालटेन दिए हुए उसे पेशाब कराते हुए देखा था,,, सब कुछ किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के सामने चलने लगा मोटी होने के बावजूद भी हलवाई की बीवी की मादकता और आकर्षण बरकरार थी,,, खड़े-खड़े किसी का भी पानी निकालने के लिए उसकी जवानी सक्षम थी,,,, रघु आंखें फाड़े उसकी खुली दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,रघु की हालत को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुराने लगी और वापस से अपनी टांग दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,।)

क्यों सच कह रही हूं ना,,,


नहीं चाची ऐसी बिल्कुल भी कोई बात नहीं है,,,, समय नहीं मिल पा रहा था खेती का काम ऊपर से शादी ब्याह उसी में ही उलझ कर रह गया,,,


तो आज कैसे फुर्सत मिल गई,,,,


अब तो बस फुर्सत ही फुर्सत है,,,,,,,, मैं समोसे और जलेबी लेने आया था,,,



चल अच्छा हुआ इसी बहाने तुझे मेरी याद तो आई,,, समोसे जलेबी नहीं खाने का होता तो याद भी नहीं आती,,, तू बिल्कुल बुद्धू तुझे दुनिया की सबसे बेशकीमती रसमलाई खिलाती हूं फिर भी तुम समोसे और जलेबी पर जान दिए हुए हैं,,,,


चाची तुम्हारी रसमलाई उसका स्वाद अभी तक मेरी जुबान पर है,,,,(रघु गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)


चखेगा फिर से रसमलाई,,,,,


चाची नेकी और पूछ पूछ,,,,, बिल्कुल चखुंगा,,,,,(रघु एकदम से मदहोश होता हुआ बोला,,, उसकी बात सुनकर हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और उसकी बुर में खुजली बढ़ने लगी,,, वह जल्द से जल्द पुराने दिनों की तरह आज भी रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,, और रघु कढ़ाई में समोसे गलती हुई हलवाई की बीवी को बड़े गौर से देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छोटी सी ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, जो कि कढ़ाई मैं समोसे को चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह मिल रही थी जिसे देख कर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, बहुत खूबसूरत गदराए और हुस्न की मलिका उसकी झोली में थी फिर भी वह अभी भी दूसरी औरतों को देखकर लाल टपकारा था यही हर मर्दों की फितरत होती है मौका मिलने पर वह मौका कभी नहीं छोड़ते भले ही उनके बिस्तर में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यो ना हो,,, और रघु की भी यही इच्छा हो रही थी,,, हालांकि वह हलवाई की बीवी की जमकर चुदाई कर चुका था आज कई दिनों बाद उससे मुलाकात होते ही और उसकी मादक अदाओं को देखकर,,, रघु का लंड हलवाई की बीवी को देखकर खड़ा होने लगा था,,,,,,, हलवाई की बीवी अपने मन में रघु से चुदवाने का योजना बना रही थी,,,, इसलिए थोड़ा समय बीत जाने का इंतजार कर रही थी और वह इसी योजना के तहत रघु से बोली,,,,।)


रघु तेरे चाचा जी पास वाले गांव नहीं गए हैं इसलिए थोड़ी मेरी मदद कर दे,,,,।


बोलो चाची तुम्हारी मदद करने के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं,,, करना क्या है बोलो,,,,,।
(हलवाई की बीवी की टांग खोलकर बुर दिखाने वाली अदा को देखकर रघु का लंड पजामे में खड़ा हो चुका था,,, और उसकी पजामे को देखकर हलवाई की बीवी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

जा जरा पीछे जाकर लकड़िया ला दे तो चूल्हा बुझने वाला है,,,।


ठीक है चाची में अभी जाकर लेकर आता हूं,,,,,,
(इतना कहकर रघु पीछे की तरफ चल दिया जहां पर ढेर सारी सुखी कोई लकड़िया रखी रहती है हलवाई की बीवी उसे जाते हुए देखती रही उसे साफ महसूस हो रहा था कि रघु से बात करके पुराने दिनों को याद करके उसकी बुर पसीजने लगी थी,,,,,, वह खुश होकर पूड़ी बेलने लगी ताकि और समोसे तैयार कर सके दूसरी तरफ रघू घर के पीछे की तरफ जैसे ही पहुंचा तो हेड पंप के पास का दृश्य देखकर उसकी आंखें चौड़ी हो गई,,,, वहां पर रघु की तरफ पीठ किए हुए एक लड़की बैठी हुई थी और यह लड़की वही लड़की थी जिसे रघू पहली बार इसी जगह पर मिला था और वह बर्तन साफ कर रही थी,,, काफी दिन बीत चुके थे इसलिए उसका नाम तक याद नहीं था लेकिन उसकी गोरी गोरी गांड देखकर उसके होश उड़ गए थे,,,, लड़की हेड पंप के पास बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु एकदम से स्थिर खडा हो गया,,,,,,, गांव के किनारे हलवाई की दुकान होने की वजह से यहां पर हमेशा शांति रहती थी और इसीलिए ही,,, उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज सीधे रघु के कानों में मिश्री की तरह घुल रही थी,,,,,, रघू तो उसे देखता ही रह गया,,,,, रघु को सिर्फ उसकी नंगी गांड ही नजर आ रही थी,,,, यह दृश्य रघु को पूरी तरह से मदहोश कर देने के लिए काफी था,,,, फिर पंप के अगल बगल जामफल के पेड़ लगे हुए थे जिससे वहां पूरी तरह से छाया थी,,,, अपने आप ही रघू का हाथ पजामे के ऊपर से लंड को दबाने लगा,,,,,,,, गोलाकार जवान गांड रघु के होश उड़ा रही थी,,,,,, पल भर में ही रघू उस लड़की की गांड से हलवाई की बीवी की गांड की तुलना करने लगा,,,, रघु समझ गया था कि यह हलवाई की लड़की है,,,,अपने मन में ही सोच रहा था कि एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी मदमस्त कर देने वाली गांड दूसरी तरफ बेटी की 4 बोतलों के नशा से भरपूर जवान गांड,,, दोनों अपने आप में बेमिसाल है एक दूसरे से तुलना करना उन दोनों की खूबसूरती और उनके खूबसूरत अंगों की तोहीन करने के बराबर थी,,,। रघु अपने मन में ही सोचने लगा कि दोनों मां बेटी की गांड अपने आप में लाजवाब थी,,, रघु अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वहां लड़की पेशाब करके तुरंत खड़ी हुई और अपनी सलवार को कमर तक खींच कर सलवार की डोरी बांधने के लिए रघु की तरफ घूमी तो रघू को अपनी आंखों के सामने देखती हो पूरी तरह से चौक गई,,,उसके पीछे कोई लड़का खड़ा होगा इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था इसलिए पूरी तरह से खबर आ चुकी थी और तुरंत रघु की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और अपनी सलवार की डोरी बांधते बांधते बोली,,,।
 
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वह लड़की एकदम से हतप्रभ हो गई थी ,,, हैरान थी अपनी आंखों के सामने उसी लड़के को देखकर,,,,,, जो कुछ महीने पहले इसी तरह से उसे नहाते हुए देख रहा था उस दिन की बात याद आते ही और अभी जिस अवस्था में वह उसे देख रहा था इसको लेकर,,, उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया,,,।

तुम्हें कुछ समझ में आता है कि नहीं,,,(सलवार की डोरी को बांधकर कुर्ती को नीचे करते हुए,,,)

मैंने क्या किया,,,?


तुम सच में दुस्ट हो,,, चोरी-छिपे देख भी रहे हो और कहते हो कि मैंने क्या किया,,,?(दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए गुस्से में बोली,,,)


पर मैंने देखा क्या कुछ भी तो नहीं देखा,,,,(रघु मासूम बनता हुआ बोला)


मैं सब जानती हूं कि क्या देखे हो,,,, तुम्हें शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,,


पर क्या करते हुए बताओ गी,,,,


अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं तुम्हारे जैसा चलाकर दुष्ट इंसान मैंने आज तक नहीं देखी,,,,


देखो तुम क्या कह रही हो यह तो मैं बिल्कुल भी नहीं जानता लेकिन मुझे भला-बुरा बिल्कुल भी मत कहो मैंने कुछ किया नहीं हूं,,,,
(रघु की बात सुनते ही वह और ज्यादा गुस्से में आ गई क्योंकि वह जानती थी कि उसने उसे क्या करते हुए देखा है और फिर भी बड़े आसानी से पलट जा रहा है)



एक बार नहीं हजार बार कहुंगी,,,, और तुम यहां आते क्यों हो समोसे जलेबी खाना है तो आगे से चला जाया करो,,, मैं अभी जाकर मां को बताती हूं,,,,(इतना कहते हुए वक्त गुस्से में आकर उसके पास से गुजरने के बाद ही थी कि वह उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए बोला)


क्या कहोगी जाकर,,,,?


यही कि तुम पीछे क्यों आते हो और अभी अभी तुमने मुझे किस हालात में देखे हो,,,,



पीछे क्यों आते हो तो मैं तुम्हें बता दूं कि,,, मैं अपनी मर्जी से पीछे नहीं आया,,, तुम्हारी मां ने मुझे सूखी हुई लकड़िया लाने के लिए यहां भेजी है और मेरी किस्मत देखो इतनी तेज की तुम्हें मुतते हुए देख लिया,,,(रघु मुतने वाली बातइतना सहज होकर और बेशर्मी भरी हंसी लेकर बोला था कि वह और ज्यादा क्रोधित हो गई और वैसे भी उसके मुंह से अपने लिए मुतने वाला शब्द सुनकर वह एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,उसी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस तरह के शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके सामने,,, एकदम से आग बबूला होते हुए बोली,,)


कितनी बेशरम हो तुम इतनी बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है कि लड़की से किस तरह से बात किया जाता है,,,,


मुझे अच्छी तरह से मालूम है क्योंकि लड़की से औरत से किस तरह से बात किया जाता है लेकिन मैं तो सिर्फ सच्चाई बता रहा था कि यहां पर आने पर मैंने क्या देखा और अगर तुम्हारी मां पूछेगी तो उन्हें भी मैं यही कहूंगा कि मैं यहां आकर क्या देखा और वैसे भी मैंने कोई गलती नहीं किया मेरी आंखों के सामने ठीक सामने तुम्हारी नंगी गांड थी जब तुम सलवार नीचे करके मुत रही थी,,,,,,,(रखो उस लड़की से बातें करते रहो बार-बार उसकी छातियों की तरफ देख रहा था जोकि कुर्ती में से उसके अमरुद बाहर को झांक रहे थे,,, और उसकी नजरों को हलवाई की लड़की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, रघू की नजरों की वजह से और उसकी बातों की वजह से उसे शर्म आ रही थी,,, हलवाई की लड़की को समझते देर नहीं लगी की रघू बेहद बेशर्म किस्म का लड़का था,,, उससे बात करने की और ज्यादा हिम्मत उसमें नहीं थी,,,। प्रभात चित्र से समझ गई थी कि अगर वह अपनी मां से इस बारे में बात करेगी तो वह बिल्कुल बेशर्म की तरह उसकी मां के सामने भी वही करेगा तो उसके सामने कह रहा है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहती थी और पैर पटक कर चली गई,,, रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,, हलवाई की लड़की होने के बावजूद भी उसके बदन पर चर्बी का असर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा था बहुत ही खूबसूरत बदन था उस लड़की का,,,
रघु की नजर में उसके डोलते हुए नितंब बस गए थे,,, जो कि एकदम कसे हुए थे,,, हलवाई की लड़की की गांड देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया था,,,,। रघु मन मसोसकर रह गया और फिर सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके,,, हलवाई की बीवी के पास आ गया और सूखे में लकड़ियों को उसके करीब रखते हुए बोला,,।


लो ले आया सूखी लकड़ियां,,,


बहुत अच्छा किया रघू तुने,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

अब चाची जल्दी से गरमा गरम समोसे और जलेबियां तोल दो,,,,


क्यों आज तुझे रसमलाई नहीं खाना है क्या,,,,(नजरों को मादक अदाओं से घुमाते हुए बोली)


खाना तो है चाची,,, लेकिन तुम्हारी बिटिया यही है,,,,


तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी,,,,(वह चक्र पकड़ ताकते हुए बोली)


बहुत हिम्मत वाली हो गई हो चाची तुम,,,, अगर किसी दिन चाचा को पता चल गया तो तुम्हारी खैर नहीं,,,।


पता चलता है तो चलने दो खुद से तो कुछ उखडता नहीं है,,,



चाचा के साथ मजा नहीं आता क्या चाची,,,,।


उनसे मजा मिलता तो तेरे से कहती क्या,,,, औरत को आदमी से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए रहता है दो वक्त की रोटी और रात को पलंग तोड़ चुदाई बस इससे ज्यादा और क्या चाहिए लेकिन यहां तो दोनों की मुसीबत है काम करते-करते थक जाओ सुबह से शाम तक और रात को बस खटिया में पड़े पड़े अंगड़ाई लेते रहो,,,,।


अरे चाची चाचा कुछ नहीं करते तो तुम्ही चढ जाया करो चाचा पर,,,,


मैं जिस दिन चढ़ गई ना प्राण पखेरू सब उड़ जाएंगे और वैसे भी तेरे चाचा में इतना दम नहीं है चढ़ तो जाऊं,,, लेकिन वह मुआ ईतना थका रहता है कि,,, उसका खड़ा नहीं हो पाता,,,,।


ओहहहहह,,, चाची तब तो सच में तुम्हें हमेशा के लिए मेरे जैसे लौंडे की जरूरत पडती ही रहेगी,,, लगता है अब तुम्हारी सेवा का जिम्मा मुझे ही लेना पड़ेगा,,,,,।



तो ले लेना इतना सोचता क्यों है,,,(सूखी हुई लकड़ी को चूल्हे में डालते हुए बोली,,,,,,)


चलो कोई बात नहीं यह जिम्मेदारी तो मुझे जिंदगी भर के लिए मंजूर है,,,, मैं जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,
(मेरे मुंह से इतना सुनते ही वह अपने होठों पर उंगली रख कर मुझे चुप रहने का इशारा करते हुए अपने चारों तरफ देखने लगी और बोली)


पागल हो गया गया कोई सुन लेगा तो,,,,


कोई नहीं सुनेगा चाची,,, एक काम करो ना चाची,,,,


बोल,,,,,



एक बार फिर अपनी टांग खोल कर अपनी रसमलाई दिखा दो,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


तू सच में बुद्धू है मैं तुझे पूरी रसमलाई का कटोरा दे रही हूं और तू सिर्फ उसे देखना चाहता है,,,,।


क्या करूं चाची इस समय मेरा देखने का बहुत मन कर रहा है,,,,,,(रघु पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला और हलवाई की बीवी उसकी ईस हरकत को देखकर उत्तेजित होने लगी,,,, रघु की हरकत से उसके गोरे गाल पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,,, वह धीरे से बोली,,,)


चल अंदर तुझे अच्छे से दिखाती हुं,,,,


लेकिन तुम्हारी बेटी,,,,



तो उसकी चिंता बिल्कुल भी मत कर,,,,



लेकिन तुम्हारा चूल्हा जल रहा है,,,,।


यहां पुरी भट्टी सुलग रही है और तुझे चूल्हे की पड़ी है,,,।
(वह दोनों हाथों से अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ इशारा करते हुए बोली, रघू को उसकी यह हरकत बेहद लुभावनी लगी और वह धीरे से बोला,,,)

लेकिन तुम्हारी बेटी,,,।


मैं कह रही हूं ना तु उसकी चिंता मत कर,,, मैं सब संभाल लूंगी बस तू बोल चलता है कि नहीं अंदर,,,,


चाची तुम्हारी बुर चोदने के लिए भला कौन इनकार कर सकता है,,,,,,,
(रघु की बात सुनते ही हलवाई की बीवी के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, पर मुस्कुराते हुए अपनी बेटी को आवाज देते हुए बोली,,,।)



साधना और साधना ईधर आ तो,,,,(पूडी को बेलते हुए बोली,,,, अब जाकर रघु को उसका नाम पता चला साधना नाम सुनते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपने मन में ही बोला,,, वाह क्या नाम है जैसा नाम है वैसी खूबसूरती,,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि तभी वह लगभग दौड़ते हुए वहां आकर हाजिर हो गई,,, उसकी नजर रघु पर पडते ही वह नाक सिकोड़ने लगी,,, तभी उसकी मां बोली,,,)

बेटी जरा यह समोसे कर देना तो और जलेबीया भी छान देना,,, तब तक नहीं रघु से हिसाब किताब कर लु,,, इसकी बहन की शादी का हिसाब किताब अभी करना बाकी है,,,।
(इतना कहते हुए वह अपनी जगह से खड़ी हुई ,,,साड़ी जांघो तक चढ़ी हुई थी इसलिए उसके खडी होते ही,,, साड़ी उसके कदम तक नीचे आ गई लेकिन जांघों से नीचे आने के दौरान इतने बीच में रघु को उसकी मोटी मोटी नंगी जांघों के दर्शन हो गए हालांकि वह इस दिल को भी देख चुका था लेकिन उत्तेजना के लिए औरतों के किसी भी अंग का बस झलक भर पा जाना ही काफी होता है,,,, इसलिए रघु जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालने के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी साड़ी को झाड़ते हुए नीचे उतर आई और उसकी बेटी साधना उसकी जगह पर जाकर बैठ गई,,, रघु का मन कर रहा था कि हलवाई की बेटी को नजर भर कर देखता ही रह जाए क्योंकि गजब की कशिश उसके चेहरे पर नजर आ रही थी,,,, और वह गुस्से मे रघू की तरफ देख भी नहीं रही थी,,,,
हलवाई की बीवी अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए घर के अंदर जाने लगी और,, पीछे पीछे लार टपकाते हुए रघू एक नजर उसकी बेटी साधना पर मारते हुए घर के अंदर घुस गया,,,, हलवाई की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस बात को सोचकर ही कि अब उसकी बुर में वही मोटा तगड़ा लंड फिर से जाने वाला है जिसे अपनी बुर में महसूस कर के वह पानी पानी हो जाती थी,,,। रघु के पास गांव के सबसे हसीन और खूबसूरत जवान औरत उसकी मां अब उसकी बाहों में थी जिसके साथ अब वह जब चाहे तब कुछ भी कर सकता था,,, लेकिन मर्दों की फितरत में अक्सर यही होता है कि मौका मिलते हैं किसी गैर औरत की बाहों में जाने से बिल्कुल भी नहीं कतराते,,, लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता था कि हलवाई की बीवी ही उसकी जिंदगी में पहली औरत थी जिसने उसे चुदाई के अद्भुत सुख से वाकिफ कराई थी,,, जिसने रघू को अपनी दूर के दर्शन करा कर एक औरत की बुर की संरचना क्या होती है उससे वाकिफ कराई थी,,, सही मायने में हलवाई की बीवी संभोग विषय की उसकी अध्यापिका थी और वह उसका छात्र तो गुरु दक्षिणा तो बनती ही थी,,,। इसीलिए तो वहां यहां पर आया था अपनी मां को खुश करने के लिए समोसे और जलेबी लेने के लिए लेकिन हलवाई की बीवी की तड़प देखकर वह उसकी कामाग्नि को शांत करने के लिए उसके
पीछे पीछे घर में घुस गया था,,,

हलवाई की बीवी के मदमस्त खूबसूरत मक्खन जैसे बदन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था इसलिए घर में घुसते उसे अपनी बाहों में लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,,,,,। हलवाई की बीवी जो कि पहले से ही गीली हो रही थी वह पूरी तरह से मदमस्त हो गई मदहोश हो गई और वह कसके रघु को अपनी बाहों में भर ले जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचीया उसकी छातियों पर नगाड़े की तरह बजने लगी,,, दोनों की सांसें एकदम तेज चलने लगी,,,, हलवाई की बीवी की बुर में आग लगी हुई थी जिस शांत करना बेहद जरूरी था,,,।

ओहहहहह,,,, रघू मेरी बुर में आग लगी हुई है,,, इसे शांत कर रघू मेरी रसमलाई को चाट,,,,ओहहहहह रघू,,,,,।(ऐसा कहते हुए वह खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,,और देखते ही देखते वह अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर कमर के नीचे एकदम नंगी हो गई,,,,रघु को इस बात का अहसास नहीं था कि वह खुद अपने हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठाया था लेकिन जैसे ही हो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी फूली हुई बुर को टटोलना चाहा तो उसके हथेली में उसकी नंगी बुर आ गई और वह पूरी तरह से की गई थी एकदम चिपचिपी,,, रघू जैसे ही अपनी नजरों को नीचे किया तो नीचे की तरफ देखकर दंग रह गया,,,,,, एक औरत की प्यास इस कदर बढ़ जाती है इस बात का एहसास रखो को अच्छी तरह से मालूम था और उसी तरह से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, तन की प्यास औरतों को किसी भी हद तक जाने के लिए मजबूर कर देती है ठीक वैसा ही हलवाई की बीवी के साथ भी हो रहा था वह रघू से चुदवाना चाहती थी काफी दिनों बाद रघु को देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गया था और अपनी बेटी की उपस्थिति में भी वह घर के अंदर रघु को ले जाकर अपने जिस्म की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी,,, नंगी बुर हथेली में आते ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया,,, वह जोर-जोर से उसकी बुर को मसलने लगा उसकी गर्माहट उसे अपनी हथेली में महसूस हो रही थी जिसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ रहा था,,,,,,

रघु के इस तरह से बुर को रगड़े जाने की वजह से हलवाई की बीवी एकदम से चुदवासी हो गई और बार-बार रघू से बुर चाटने की गुजारिश कर रही थी,,,, रघु भी मचल रहा था,, इसलिए उसकी तरफ देखते ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और हलवाई की बीवी मदमस्त अदा बिखेरते हुए अपनी एक टांग उठा कर खटिया पर रख दी जिससे रघु को थोड़ी और जगह मिल गई और वह हलवाई की बीवी की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने प्यासे होठों को उसकी मचलती बुर पर रख दिया,,,,।

सहहहहहह आहहहहहह,,,, रघू,,,,,,,
(काफी दिनों बाद एक जवान लड़के की प्यासी होठों को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही,,,, हलवाई की बीवी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाई और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, उसकी गर्म सिसकारी में एक तडप थी एक कशिश थी,,,, अपने पति से की गई बेवफाई थी,,, एक औरत का अधिकार था,,, एक गूंज थी उन मर्दों के खिलाफ जो उन्हें जब चाहे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करते हैं उनसे अपनी शारीरिक भूख मिटा कर करवट लेकर सो जाते हैं,,, उन्ही सब का जवाब थी हलवाई की बीवी,,,,, जोकी मस्ती के साथ अद्भुत गर्म सिसकारी की आवाज निकालते हुए एक जवान लड़के से अपनी बुर चटवा रही थी,,,,,, अपनी मां की बुर का स्वाद चखने के बाद,,, अद्भुत और स्वादिष्ट एहसास उसे किसी और की बुर में नहीं मिलता लेकिन हलवाई के बीवी की बात कुछ और थी इसीलिए तो वह जितना हो सकता था उसने जीभ को उसकी बुर की गहराई में डालकर उसमें से मलाई चाट रहा था,,,,,,,।

ओहहहहह रघू मेरे राजा ऐसे ही पूरी जीभ डालकर चाट,,,आहहहहहह बहुत मजा आ रहा है बहुत मजा तेरा बड़ी बेसब्री से कई दिनों से इंतजार कर रही थी,,,सहहहहह,,आहहहहहहह,,,, आज मिला है ,,,,,मस्त कर दे मुझे,,,,,,
(हलवाई की तरह की बातें करते हुए रघु का हौसला बना रही थी और रघू उसकी बातों को सुनकर पूरे गर्मजोशी के साथ मदहोशी में उसकी बुर ऐसे चाट रहा था मानो कि जैसे उसके सामने मीठी खीर की कटोरी भरी पड़ी हो,,,,, कुछ देर तक रखो उसी तरह से हलवाई की बीवी की बुर चाटता रहा इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी,,,, पजामे में रघु का मुसल ओखली में घुसने के लिए तैयार था,,,, रघू खड़ा हुआ और उसके खड़े होते हैं बिना किसी ईसारे के मानो हलवाई की बीवी को क्या करना है वह जानती हो,,, इसलिए वह खटिया के पाटी पर बैठ गई अपनी भारी-भरकम शरीर के कारण नीचे अच्छी तरह से बेठ पाना उसके लिए मुनासिब नहीं था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आना शुरू हो गया,,,, सब कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पहली बार रघू के साथ यह उन्मादक पल विता रही हो,,, अपने उत्तेजना के मारे सूखते गले के नीचे थूक को निगलते हुएअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसके पजामे को एक झटके से घुटनों तक खींच दी,,,।

आहहहहह,,,, अद्भुत अतुल बेहद उत्तेजना से भरा हुआ नजारा एक बार फिर उसकी आंखों के सामने घूमने लगा रघु का मतवाला आजाद लंड हवा में लहराने लगा,,,, उसकी अकड़ किसी पहाड़ की तरह थी जिसके सामने दुनिया की किसी भी औरत की बुर की ताकत टकरा कर घुटने टेक दे,,,,, रघु का बेलगाम लंड हवा में लहरा रहा था जिसे हलवाई की बीवी अपना हाथ आगे बढाकर उसे हवा में ही लपक ली,,,,,,, और उस पर काबू पाने के लिए उसे सीधे अपने मुंह में भर ली,,,। एकदम अंदर गले तक और तब तक जब तक उसकी सांस अटकने ना लग गई फिर बाहर ऐसा वह बार-बार कर रही थी,,,, हालांकि लंड चूसने की कारीगरी उसे रघु ने अपना लंड चुसवा कर ही सिखाया था इसमें वह पूरी तरह से पारंगत हो चुकी थी और इस समय रघु को पूरी तरह से अपने वश में कर रही थी,,, रघु तो पूरी तरह से मस्त हो चुका था जिस तरह से वह उसके लंड को चूस रही थी,,, उसे डर था कि कहीं उसका पानी उसके मुंह में ना छुट जाए,,,, इसलिए मैं तुरंत अपनी कमर को पीछे लेते हुए अपने लंड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया,,, हलवाई की बीवी की सांसे गहरी चल रही थी,,,, दोनों पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे श्री वालों की बीवी अपने गुलाबी बुर के अंदर रघु के मोटे तगड़े लंड को लेने के लिए तैयार हो चुकी थी,,,, रघु अपने लंड को हिलाते हुए गहरी सांस लेते हुए बोला,,,।


अब बोलो चाची क्या करु,,,?
(दूसरी तरफ उसकी बेटी साधना समोसे कल चुकी थी लेकिन जलेबी कितना करना है या उसे नहीं मालूम था इसलिए वह पूछने के लिए चूल्हे पर से हटी और सीधा घर के दरवाजे पर पहुंच गए आवाज दे नहीं पा रही थी कि अंदर से आती आवाज उसके कानों में पड़ने लगी जो कि हिसाब किताब के बारे में बिल्कुल भी नहीं थी,,,)

अब तो अच्छी तरह से जानता है रखो तुझे क्या करना है तेरा यह पहली बार नहीं है जो मुझे सिखा ना पड़े तेरे मोटे तगड़े लंड को देखकर मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,।
(लंड और बुर सब्द कानों में पड़ते हैं साधना के कान खड़े हो गए उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके कानों में क्या शब्द पड़ेंगे और वह भी घर के अंदर से जहां पर उसकी मां एक गैर जवान लड़के के साथ अंदर थी,,,, साथी ना समझ गई कि अंदर जरूर कुछ गड़बड़ चल रही है अब सुनने से नहीं बल्कि देखने से ही पता चलेगा कि अंदर क्या हो रहा है इसलिए वह दरवाजे में से अंदर की तरफ झांकने लगी दरवाजा के कांच के टुकड़ों से बना हुआ है एक लकड़ी का दरवाजा था जिसमें से अंदर झांकना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन अंदर जैसे ही उसकी निगाहें सीधे उसकी मां पर और उस लड़के पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसकी मां खटिया के पाटी पर बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक थी हल्की हल्की उसकी बड़ी बड़ी गांड साधना को नजर आ रहे थे लेकिन उस लड़के पर नजर पड़ते उसके होश उड़ गए थे क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था और साधना के लिए तो यह पहली बार था उसने आज तक एक जवान लंड़ को अपनी आंखों से कभी नहीं देखी थी और ना ही उसकी कल्पना की थी,,,,उसकी आंखों के सामने जो था वह सब कुछ हकीकत था कोई सपना बिल्कुल भी नहीं था,,,। रखो जिस तरह से उसे अपने हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके हीला रहा था उसे देखकर साधना की कंपकंपी छूट गई,,,, तभी उसके कानों में जो सुनाई दिया उसे सुनकर उसके होश उड़ गए,,,।


मेरी रानी तुम्हारी बुर में जाने के लिए मेरा लंड तड़प रहा है,,,,



मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है मेरे राजा,,,,तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तो मैं न जाने कब से तड़प रही हूं,,,, बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है डाल दे जल्दी से अपनी लंड को मेरी बुर में,,,,(इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी खड़ी हुई और उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही पकड़े हुए वह घूम कर अपनी गांड को रघु के सामने परोस दी और झुक कर खटिया के पाटी को पकड़ ली,,, यह सब नजारा साधना के लिए अद्भुत था कभी ना देखा हुआ नजारा देखकर साधना की हालत खराब होने लगी उसकी टांगों के बीच कपकपी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें घर के अंदर चुदवाने की तैयारी कर रही थी,,, और मैं बाहर खड़ी दरवाजे के छेद मे से देख रही थी,,,,इन सब से अनजान होने के बावजूद भी उसे इतना तो पता चल ही रहा था कि एक औरत अपने कपड़े उतार कर एक मर्द के साथ क्या करवाती हैं,,,इसलिए वह हैरान थी उसे अपनी मां से इस तरह की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उस लड़के को देख कर उसे गुस्सा भी आ रहा था जो कि अपने मोटे तगड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिला रहा था और साधना यह भी जानती थी कि कुछ ही पल में वह लड़का अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल देगा जिसे साफ जुबान में चुदाई कहते हैं,,,।

अपनी मां को ऐसा करने से रोकना चाहती थी उस लड़के को वहां से भगाना चाहती थीलेकिन ना जाने उस नजारे में कैसी कशिश थी कि साधना चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी इसमें उसका बिल्कुल भी दोष नहीं था,,,यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है कि आंखें यही सब देखने के लिए भटकती रहतीं हैं,,, मन मचलता रहता हूं और उम्र के मुनासिब ही घर के अंदर का नजारा बना हुआ था देखते ही देखते रघू साधना की मां के पीछे आ गया और जोर से उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मजा ले रहा था,,, लेकिन साधना एकदम हैरान थी क्योंकि वह लड़का बड़े जोरों से उसकी मां की गांड पर चपत लगा रहा था और उसकी मां दर्द से कराहने की जगह अजीब अजीब सी आवाज निकाल रही थी,,,,

साधना का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन कोई भी वहां मौजूद नहीं था क्योंकि हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था और बरसात का मौसम होने की वजह से वहां पर किसी के आने की आशंका भी नहीं थी,,,
देखते ही देखते रघु अपने हाथ में लंड लेकर ठीक है उसकी मां के पीछे आ गया और नीचे की तरफ हल्के से कमर झुकाकर अपने लंड को उसकी मां की बुर में डाल दिया जैसे जैसे लेडीस की मां की बुर में जा रहा था वैसे वैसे उसकी मां के चेहरे के हावभाव बदलते जा रहे थे,,,, साधना की हालत पर पल खराब होती जा रही थी,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मां को एक जवान लड़के से चुदवाते हुए देख रही थी,,, उसे बड़ा अजीब लग रहा था पल भर में उसे इस बात का एहसास होगा कि उसकी मां उसके पिताजी को धोखा दे रही है लेकिन क्यों दे रही है इस सवाल का जवाब शायद जानने के लिए वह अभी पूरी तरह से परिपक्व नहीं थी,,,,,,

आहहहहह आहहहहह,,,,ओहहहह मेरे राजा,,,,,आहहहहहह,,,,



साधना को एकदम साफ उसकी मां की आवाज सुनाई दे रही थी,,, इस तरह की आवाज साधना के लिए बिल्कुल नई थी बेहद अजीब थीलेकिन ना जाने क्यों इस तरह की आवाज सुनकर साधना के तन बदन में भी कुछ कुछ होने लगा था उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की उस जगह में से कुछ रिसता हुआ महसूस हो रहा था,,,। यह सब कुछ उसके लिए नया था उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे उसकी कमर था हमें अपनी कमर को आगे पीछे करके ही मारा था जिसका मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए तो उसकी भी खुद की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां को मजा आ रहा है और वह लड़का अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर से हटा कर आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से उसकी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को बाहर निकालकर उसे दबाते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाना शुरू कर दिया,,,,,,, रघु जोर जोर से धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ उसकी मां की हालत खराब हो जा रही थी लेकिन मजा दोगुना आ रहा था,,, यह सब नजारा साधना के बर्दाश्त के बाहर था,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी आंख दरवाजे से लगाए खड़ी थी,,,, उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि उसकी मां कौन से हिसाब की बात कर रही थी,,,,उसे अपनी मां पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसने चेहरे को देखकर उत्तेजना भी बढ़ रही थी और इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह अपने बदन में पहली बार कर रही थी,,,,

उसकी मां की गरम सिसकारी की आवाज तेज होने लगी रघु को एहसास हो गया कि वह चढ़ने वाली है इसलिए अपने को को तेज कर दिया नहीं बाहर खड़ी साधना को बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि उसकी मां की सिसकारी की आवाज तेज क्यो हो गई,,,, जितनी तीव्रता से रफ्तार के साथ रखो कमर हिला रहा था उसे देखकर साधना हैरान थी क्योंकि आज तक उसने अपनी आंखों से चुदाई नहीं देखी थी यह पहला मौका था जब अपनी आंखों से चुदाई देख रही थी और वह भी अपनी मां की,,,, क्रोध उतेजना का मिलाजुला असर साधना के चेहरे पर दिखाई दे रहा था,,।

आखिरकार कुछ धक्के के बाद दोनों एक साथ झड़ गए यह नजारा यह कामलीला खत्म होने का एहसास साधना को तब हुआ जब उसकी मां अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी और वह तुरंत उस जगह को छोड़कर वापस चूल्हे के पास बैठ गई और बिना कुछ पूछे अपने मन से ही जलेबी छान में लगी,,, थोड़ी देर बाद दोनों घर से बाहर निकल गई और ऐसा बर्ताव करने लगे कि जैसे अंदर कुछ हुआ ही ना हो,,,, रघु जलेबी और समोसे लेकर अपने घर की तरफ चला गया,,,।
 

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