Incest बरसात की रात (completed)

Member
437
722
93

साधना रघू को अपनी आंखों से बड़े आराम से जाते हुए देखती रही उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि जो कुछ देर पहले उसकी आंखों ने देखा था वह सच है या एक सपना लेकिन वास्तविकता यही थी कि जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था सब कुछ सच था,,,, आज से अपनी मां का नया रूप देखने को मिला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी मां इस कदर नीचे गिर जाएगी कि गांव के जवान लड़के के साथ चुदवाएगी,,,, ऐसा क्यों हुआ क्या कमी पड़ गई जो उसकी मां को इस तरह के कदम उठाने पड़े यह साधना के समझ के बाहर की बात थी,,,,। लेकिन वह हैरान थी बार-बार अपनी मां के मासूम चेहरे को देख रही थी और उस मासूम चेहरे के पीछे छुपी एक अय्याश औरत को,,,,साधना अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके पिताजी को यह बात मालूम पड़ेगी तो वह क्या सोचेंगे उन पर क्या गुजरेगी,,,,,,, उसे जो कुछ भी उसकी मां ने की थी उस बारे में सोच कर बुरा भी लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों कि उसने पहली बार अपनी आंखों से एक पूरे चुदाई के प्रसंग को अपनी आंखों से देखी थी और वह भी अपनी ही मां की किसी के गैर जवान लड़के के साथ वह बिल्कुल अद्भुत था उसके लिए उसने अपनी आंखों से कभी भी इस तरह के दृश्य को ना तो देखी थी ना ही इस तरह के ब्रिज के बारे में कभी कल्पना ही की थी,,, इसलिए अभी भी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी ना चाहते हुए भी उसके दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में मुनमुनाहट सी हो रही थी,,,,अपनी मां के खूबसूरत मासूम चेहरे को देख कर उसे कुछ देर पहले घर के अंदर का वह दृश्य याद आ रहा था जब वह जवान लड़का उसकी मां के पीछे खड़े होकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था उसके हर एक धक्के के साथ उसकी मां के मुंह से अजीब अजीब सी आवाजें निकल रही थी और चेहरे के हाव भाव बदलते नजर आ रहे थे,,,,,,साधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां का चेहरा एकदम लाल टमाटर की तरह हो गया था,,,, और जिस तरह से वह लड़का अपना दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर अपने हाथों से ही उसकी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा रहा था वह प्रसंग याद करके साधना की गर्म जवानी से भरी हुई कसी बुर पिघलने लगी थी,,,,। अपने आप ही उसकी सांसे गहरी होने लगी थी,,,, जब उसकी मां की नजर साधना पर पड़ी तो उसे किसी ख्यालों में खोया हुआ पाकर वह बोली,,,।

क्या हुआ कहां खोई है,,,?

कककक, कुछ नहीं,,,,,


अंधेरा होने वाला है जाकर सारे सामान को समेट कर रख दे,,,।


ठीक है,,,( और इतना कह कर वह उसी पल को याद करके सारे सामान को समेटने लगी,,, दूसरी तरफ रघु बहुत खुश था,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि समोसे और जलेबियां खरीदते खरीदते उसे रसमलाई का स्वाद भी चखने को मिल जाएगा,,,,,,, जब वह घर पहुंचा तो अंधेरा हो चुका था,,,,,, आज उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था,,,, आज वह अपनी मां को अपना लंड चूसवाना चाहता था,,,वह देखना चाहता था कि उसकी मां किस तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चुस्ती है,,,,,, सबके साथ जितनी भी औरतों के साथ उसने संभोग किया था उसकी चुदाई किया था उन सब को उसने अपना लंड चुसवाया था,,,,,, इसीलिए वह अपनी मां के साथ भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहता था,,,। जब वह घर पर पहुंचा तो देखा कि रामु उसकी मां से बात कर रहा था,,,।

अरे रामू तु,,, बड़े दिनों बाद,,,,


ऐसा क्यों कह रहा है,,, जैसे कि मैं बहुत दूर रहता हूं,,,,


वो बात नहीं है,,,, काफी दिन हो गए हम दोनों एक साथ कहीं मिलते नहीं है घूमते नहीं है वरना हम दोनों का तो बिना एक दूसरे के दिन ही नहीं गुजरता था,,,।


हां यार रघु सच कह रहा है तू,,,,
(रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रामू उससे क्यों दूरियां बनाने लगा था जब से उसने इस बात का पता चला था कि रघु तूफान वाली रात को उसकी मां की जमकर चुदाई किया था और चुदाई में उसकी मां को भी बहुत मजा आया था तब से वह रघू से पहले की तरह बात नहीं करता था उसके मन में,, रघु और उसकी मां के बीच हुए शारीरिक संबंध को लेकर एक टीस थी,,, वह गुस्सा करता था,,, लेकिन वह इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर पा रहा था कि उसकी ही वजह से वह भी जिंदगी में पहली बार जुदाई के सुख से वाकिफ हुआ था और वह भी अपनी मां को ही चोदकर जोकि रघु के ही बदौलत क्योंकि वह उसकी मां और रघु के बीच के संबंध को जान गया था,,,,,, इस बारे में वह अपनी मां से बात भी किया था,,, और उसकी मां ना चाहते हुए भी अपने ही बेटे के साथ चुदवाने लगी,,,,,,,)लेकिन क्यों नहीं मिलते हैं यह बात भी तो अच्छी तरह से जानता है,,,,


क्यों नहीं मिलते हो तुम दोनों मुझे भी तो बताओ,,,,(रामू की बात सुनते ही कजरी बीच में बोल पड़ी,,,।)

अरे कुछ नहीं चाची अब पहले जैसा समय नहीं रहता ना,,, सारा दिन काम में उलझे रहते हैं,,,


अच्छा तुम दोनों बातें करो मैं गाय और बकरियों को देखकर आती हुं,,,(इतना कहकर कजरी खड़ी हुई और घर के पीछे की तरफ जाने लगी जहां पर गाय और भैंस बकरीया बांधती थी ,,। कजरी के जाते ही रघू बोल पड़ा,,,)


क्यों रे रामू क्यों नहीं मिलता मुझसे बता तो,,, तेरी मां को मैंने चोदा था इसलिए ना,,,,,,,,,
(रघु की बात सुनकर रामू कुछ नहीं बोलातो रघु जानबूझकर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

इसीलिए नाराज है ना तू,,,,


, छोड तु ऊन बातों को,,,,,,


अच्छा जाने दे वह सब बातें मैं नहीं करता,,,,,,, लेकिन सच बताऊं तो तेरी मां मजा बहुत देती है,,, जवान लड़की जितना मजा नहीं देती उतना मजा तेरी मां से मिलता है,,,
(रघु उसे चिढ़ाने के लिए यह सब बोल रहा था लेकिन सच्चाई भी इसमें उतनी ही थी जितना कि वह बोल रहा था,,, और यह बात है रामू भी अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह भी अपनी मां को चोदता था,,।)

देख रघू यह सब गंदी बातें मुझसे मत किया कर,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,।


अच्छा बच्चु,,, अपनी मां को सोच करते हुए अपनी बहन को पेशाब करते हुएदेखना अच्छा लगता है और बातें करना खराब लगता है भूल गया सब कुछ मेरे साथ मिलकर तू अपनी मां को खेतों में नहीं देख रहा था उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड के दीखाते हुए सोच कर रही थी,,,


अब नहीं करता ना,,,,


चल अच्छा जाने दे,,,, ये सब बातें करके कोई फायदा नहीं है,,,, हम दोनों को फिर से पहले की तरह ही रहना चाहिए,,,


मैं तो अभी भी पहले की तरह ही रहना चाहता हूं रघु लेकिन तू नहीं बदला,,,।


क्या मतलब कि मैं नहीं बदला,,,,


तू अभी भी मेरे मां को चोदता है,,,,


क्या बात कर रहा है पागल हो गया क्या,,,,?

पागल नहीं हो गया हूं लेकिन मैं सच कह रहा हूं जो मैं अपनी आंखों से देखा हूं वही बता रहा हूं,,,,।


क्या देखा तु अपनी आंखों से,,,,


यही कि तू खेता में मेरी मां को चोद रहा था,,,,

(राहुल की बात सुनते ही रघु थोड़ा सा सक पका गया क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी,,,,वो कुछ बोल सकने की स्थिति में नहीं था फिर भी बोला,,,)


यार इसमे अब मेरी कोई गलती नहीं है चाची है ही इतनी खूबसूरत कि मुझसे रहा नहीं जाता और उस दिन भी ऐसा ही हुआ था,,,,।


जो कुछ भी हो रहा है रघू गलत हो रहा है,,,, तू ही सोच अगर मैं तेरी मां की चुदाई करु तो,,,
(रामू की बात सुनते ही रघु एकदम गुस्से में आ गया वह अपनी मुट्ठी को जोर से भींच कर अपने आप को शांत करने लगा क्योंकि वह जानता था कि गलती उसकी भी है,,, रघु बोला कुछ नहीं,,,,)


तुझे कैसा लगेगा रघू बोल,,,,।


मुझे क्या,,,, मुझे कुछ नहीं लगेगा औरतों को अगर जरूरत पड़ती है तो उन्हें रोक नहीं सकते उस तरह से तू भी अपनी मां को रोक नहीं सकता क्योंकि उन्हें भी जरूरत है,,,, अगर उनकी जरूरत घर में ही पूरी हो जाए तो शायद उनको मेरी जरूरत ना पड़े,,,,।
(रघु की बात सुनकर रामू उसकी बात से पूरी तरह से सहमत था,,,, जब इस तरह के हालात दोनों के बीच बिल्कुल भी नहीं थे तब दोनों दिन भर औरतों की ताका झांकी में ही लगे रहते थे रामू खुद अपनी मां को चोदना चाहता था तभी तो रघु जब भी उसकी मां के बारे में उसकी बहन के बारे में,,, एकदम गंदी बातें करता था तोरामू को बहुत अच्छा लगता था उसे उत्तेजना का अनुभव होता था,,,, रामू यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि उसके द्वारा उसकी मां की चुदाई के कारण ही उसे खुद अपनी मां को चोदने का मौका और सौभाग्य प्राप्त हुआ था और साथ ही खेतों में जब वह उसकी मां की चुदाई कर रहा था तो उसकी बहन ने अपनी आंखों से देख ली थी जो कि पूरी तरह से उत्तेजित होकर खुद अपने भाई से चुदवाई पर इस तरह से रामू को अपनी मां के साथ साथ अपनी बहन को भी चोदने का मौका मिल गया,,,,,,, वरना अब तक वह सिर्फ हाथ से हिला कर ही काम चला रहा था,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) क्यो क्या हुआ,,,? तू खुद अपनी मां को चोदना चाहता था मुझे पूरा यकीन तो तेरी हरकतों को देखकर यह बात को तु झुठला नहीं सकता,,,, सच कहूं तो तुझे भी इसने बहुत मजा आएगा तू अपनी मां को चोद सकता है,,,( रखो यह बात नहीं जानता था कि रामू खुद अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया है इसलिए वह उसे अपनी मां को चोदने का आसान तरीका बता रहा था,,,,)


यह तो कैसी बातें कर रहा है रघू,,,, मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता,,,


क्यों नहीं कर सकता मैं तेरा दोस्त हूं मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है और ना ही कुछ छुपा हुआ है,,,, भूल गया हम दोनों साथ में मिलकर तेरी दोनों बहनों की मस्त गोरी गोरी गांड देखकर मुट्ठ मारते थे,,,,जब कभी भी मैं तेरी मां के बारे में गंदी बातें करता था तो सबसे पहले तेरा लंड खड़ा हो जाता था,,,,, और याद है तुझे रात को तेरी मां जब मैदान में सोच करने गई थी तो हम दोनों चोरी-छिपे झाड़ी के पीछे बैठकर तेरी मां को देख रही थी उस समय सबसे पहले तेरी मां की नंगी गांड देखकर तेरा खड़ा हुआ था,,, उसकी नंगी गांड देखकर हम दोनों साथ में हीलाना शुरू किए थे,,,,, और, तु सबसे पहले झड़ गया था,,,,,, याद है कि नहीं,,, और ऐसा क्यों हुआ था तुझे पता है ना,,,, क्योंकि तू अपनी मां को चोदना चाहता था,,,,।
(रघु की बातों को सुनकर रामू कुछ बोल नहीं रहा था और बोलता भी कैसे सब कुछ सच जो था,,,, रामू रघु से बोलना चालना इसलिए बंद किया था कि वह उसकी मां की चुदाई करता था,,, पर इस बात को लेकर रामू को जलन होती थी कि उसकी मां रघु से क्यों चुदवाती है,,,, क्योंकि रामु अपने आप को उसकी खुद की मां को चोदने का अधिकारी समझता था,,,।)

अब बोलेगा कुछ नहीं मुझे सब पता है क्योंकि जो कुछ भी मैं कह रहा हूं सब सच है,,,, मैं तो यही कहूंगा कि मेरा ही सही मेरी और तेरी मां की करतूतों के बारे में उसे बातें करके खुद भी उसकी चुदाई कर मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मां तुझसे भी चुदवाएगी ,,,। बोल कोशिश करेगा कि नहीं अगर ऐसा नहीं करेगा तो तेरी मां बार-बार मेरे पास आती रहेगी,,,,।


चल छोड़ इन बातों को,,,,,,, मुझे जोरों की भूख लगी है मैं जा रहा हूं,,,,।
(रामू कुछ भी हो अपनी हकीकत को किसी और को बताना नहीं चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी मां के बीच जो कुछ भी चल रहा है इस बारे में किसी और को पता चले जैसा कि रघु खुद अपनी मां के एवज में यही चाहता था,,,, रामू वहां से चला गया और रघू मुस्कुराते हुए घर में प्रवेश किया तब तक थोड़ी देर में उसकी मां भी आ चुकी थी,,,,रघु अपने हाथ में लिए हुए समोसे और जलेबीयो के पड़ीके को,,, अपनी मां के हाथों में पकड़ाते हुए बोला,,,।)


यह लो मां समोसे और जलेबीया,,,,


अरे तू यह किस लिए ले आया खाना तो बना चुकी हुं,,,(कजरी उन पड़ीको को हाथ में लेते हुए बोली,,,)


अरे मां जलेबियां खिलाकर तुम्हारी रसमलाई जो चाटना हैं,,,।

(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से शर्मा गई उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रघु अब बात करते समय भी अब शर्माता नहीं है,,, कजरीअच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किसी बारे में बोला है लेकिन फिर भी वह अनजान बनते हुए बोली,,,)

रसमलाई मैं कुछ समझी नहीं,,,


अरे मां तुम्हारी बुर की मलाई,,, अपनी जीभ से चाटना,, है,(इतना कहते हुए रघु,, अपनी जीभ को बाहर निकाल कर बुर चाटने की अदाकारी करते हुए बोला,,, और कजरी अपने बेटे की हरकत को देखकर पूरी तरह से पानी पानी हो गई और वह बोली,,,)

बाप रे कितना शैतान हो गया है तु थोड़ा तो शर्म कर,,,,


वह कहते हैं ना मां जिसने किया शर्म उसके फूटे करम तो ऐसा ही कुछ है अगर मैं शर्म किया होता तो तुम्हारी रसमलाई जैसी बुर चोदने को ना मिलती,,,,


बात तो तू ठीक ही कह रहा है,,, लेकिन थोड़ी बहुत तो शर्म किया कर आखिरकार में तेरी मां हूं,,,,।



वह तो मैं अब घर के बाहर लेकिन इस चारदीवारी में तो तुम एक खूबसूरत औरत हो जिसकी मैं जब चाहु तब दोनों टांगे फैलाकर ले सकता हूं,,,।


धत्त,,,, शैतान चल जल्दी से हाथ धो ले मैं तेरे लिए खाना निकालती हूं,,,,
(इतना कहकरमुस्कुराते हुए कजरी खाना निकालने के लिए चली गई और रघु हाथ धोने के लिए थोड़ी ही देर में दोनों मां बेटी खाना खाकर और समोसे और जलेबीयो का चटकारा लेते हुए खड़े हो गए,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे,,, हाथ में लालटेन उठाए रघू बोला,,,)

क्यों मा मुतने चलोगी,,?


नहीं आज मुझे लगी नहीं है,,, तू ही जाकर हिलाते हुए मुत ले,,,


भगवान ने मुझे हीलाने वाला औजार दिया है तो हिला कर ही मुतुंगना,,, और तुम्हें सिटी मारने वाला जब तुम पेशाब करती हो तो तुम्हारी बुर से बहुत तेज सीटी की आवाज निकलती है,,,
(रघु की इस तरह की बातें सुनकर कजरी की हालत खराब हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतने खुले शब्दों में उससे यह सब कहेगा,,, लेकिन फिर भी कजरी को मजा आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी,,,, रघु की बातें उसकी बुर गीली कर रही थी,,, )

अच्छा जा मुत के आ,,,(कजरी शरमाते हुए बोली और रघु हंसते हुए बाहर चला गया और थोड़ी ही देर में पेशाब करके वापस आ गया,,,हालांकि कजरी को भी पेशाब लगी थी लेकिन इतने जोरो से नहीं लगी थी कि जाना पड़े,,, रघू बिस्तर समेटने लगा तो कजरी बोली,,,)


कहां,,,?


छत पर और कहां,,,?


देख नहीं रहे हो बाहर बादल है कभी भी पानी बरस सकता है,,,,

तो,,,


तो क्या यही कमरे में,,,,
(कजरी खुलकर मज़ा लेना चाहती थी इसलिए अंदर ही सोना चाहती थी और अपनी मां की बात सुनकर रघु भी पूरी तरह से मस्तीया गया,,, और मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज में बोला,,,)

लगता है आज तुम्हारा भी लेने का बहुत मन कर रहा है,,,

धत्त,,,,जाकर पहले दरवाजा बंद करके आ,,,( कजरी भी शरमाते हुए बोली अपनी मां की बात सुनते ही रखो तुरंत गया और अपने हाथों से बनाए हुए दरवाजे को बंद करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि ईस दरवाजे की वजह से अब वह उसकी मां खुलकर कभी भी चुदाई का मजा लूट सकते हैं,,,, दरवाजा बंद करते समय रघु के मन में लड्डू फूट रहे थे और दूसरी तरफ कजरी की बुर पानी छोड़ रही थी क्योंकि वह जानते थे कि अब खटिया में एक बार फिर से घमासान चुदाई होने वाली,,, है,,,।)
 
Member
437
722
93

रघु दरवाजा बंद करके एकदम अंदर वाले कमरे में पहुंचा तो दंग रह गया उसकी मां कजरी खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी खटिया पर लेटी हुई थी,,,, लालटेन मद्धम रोशनी में जल रही थी,,,। जिस के उजाले में रघु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु तो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर एक बार फिर से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, रघु भले ही अपनी मां की जमकर चुदाई कर चुका था उसके नंगे बदन को देख चुका था अपने हाथों से उसके हर एक अंग को छूकर स्पर्श करके महसुस करके देख चुका था लेकिन कजरी का खूबसूरत बदन इतने बेहतरीन तरीके से तराशा हुआ था कि उसे बार बार नंगी देखने के बावजूद भी मन नहीं भरता था,,,,रघु बड़े गौर से अपनी मां को देख रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन रघू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,, पल भर में ही उसके पैजामा मे तंबू बन गया,,, कजरी को साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों के सामने उसके पहचानी का आगे वाला भाग उठता जा रहा था,,, और जब रघु का लंड पजामे में अपनी औकात में आ गया तो कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई खूंटा गड़ा हो,,,, अपने बेटे के खूंटे को देख कर बोली ,,,।

बाप रे तेरा तो देखकर ही खड़ा हो गया,,,,


खटिया पर नंगी लेटोगी तो मेरा तो क्या किसी का भी खड़ा हो जाएगा,,,,


तो उतार दे अपने कपड़े,,,,,


उतारना ही पड़ेगा मां,,, तुम्हारी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए मुझे कपड़े उतार कर नंगा होना पड़ेगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने कपड़े उतारने लगे और अपने बेटे को कपड़े उतारता हुआ देखकर कजरी के तन बदन में हलचल सी मचने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच,,,,, वह अपनी हथेली को अपनी बुरर पर रखकर उसे मसलते हुए बोली,,,)

दरवाजा तो बंद कर दिया है ना,,,,


बिल्कुल मेरी जान,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने पर जाने को भी बार उतार फेंका और उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया अपने बेटे के लहराते हुए लंड को देखकर कजरी की बुर कुलबुला रही थी,,, और अपने बेटे के मुंह से अपने लिए जान शब्द सुनकर उसके तन बदन में उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी चिकोटि काटने लगी,,,जिंदगी में पहली बार किसी ने उसे जान कहकर बुलाया था और वह भी उसका खुद का सगा बेटा,,,उसे जान शब्द अपने बेटे के मुंह से सुनकर अच्छा भी लग रहा था लेकिन हैरान भी थी,,, क्योंकि वह उसकी मां थी और वह उसका बेटा था लेकिन फिर भी अपने मन में सोचने लगी कि एक बार अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगे खोल देने पर दोनों के बीच का रिश्ता बदल गया है अब वह उसका बेटा बिल्कुल भी नहीं रह गया अब वह पूरा मर्द था और वह एक औरत मां बेटे का रिश्ता दोनों के बीच खत्म हो चुका था,,,,, और मन ही मन कजरी इस रिश्ते से बेहद खुश थी शालू जब तक अपने ससुराल नहीं गई थी तो कचरिया की सोच कर हैरान और परेशान हो जाती थी कि अकेले और कैसे रहता हूं कि घर में लेकिन अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना लेने के बाद अपने मन में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ की सालु अपने ससुराल चली गई उसके और उसके बेटे के बीच में तीसरा कोई भी नहीं था वह जब चाहे तब अपनी शारीरिक भूख अपने बेटे से मिटा सकती थी,,,,,,

रघु कि नजर अपनी मां की चूचियों पर थी जोकि पानी भरे गुब्बारे की तरह छातीयो पर लहरा रही थी,,,,जब तक रघु ने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी नहीं देखा था तब तक उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु केवल उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड थी जो की साड़ी में लिपटी हुई होती थी लेकिन जब से वह अपनी मां को नंगी देख चुका था उसे भोग चुका था तब से उसकी मां की खूबसूरत बदन में ऐसा कोई भी अंग नहीं था जो उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु में अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक अंग को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ जाती थी,,,,इस समय उसे अपनी मां की चूची दशहरी आम की तरह लग रहे थे जिसमें मीठा रस भरा हुआ था और उसे चखने के लिए उसे जोर जोर से दबाना लाजिमी था,,, लेकिन उसकी प्राथमिकता इस समय अपने लंड को उसकी मां के मुंह में डालकर उसे चुसवाना था,,, क्योंकि बड़ी बात बिल्कुल भी नहीं थी ऐसे हालात में लेकिन फिर भी रुको थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां हो सकता है उसके लंड को मुंह में ना लें,,,, इसलिए वो पहले अपनी मां को गरम करना चाहता था क्योंकि उत्तेजना में दुनिया की कोई भी औरत संतुष्टि पाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं,,,, इसलिए रघु अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए अपनी मां को ललचा रहा था,,,, और उसकी मां अपने बेटे के लंड को देखकर ललच भी रही थी,,,,। इसलिए वह बोली,,,।


अब वहां खड़ा ही रहेगा कि यहां आएगा भी,,,।
(कजरी की बातों में अपने बेटे को पानी की उत्सुकता साफ झलक रही थी इसलिए तो रघू अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

ओहहह,,,, मेरी रानी को बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह रानी शब्द सुनते ही कजरी एकदम से शर्मा गई और शर्माते हुए बोली,,,)


तू रानी मत कहा कर,,,,


क्यों,,,,?(अपने लैंड को हिलाते हुए)

क्योंकि मुझे शर्म आती है रानी कह कर तो तेरे पिताजी ने भी आज तक मुझे नहीं बुलाया था,,,,


लेकिन मैं तो बुलाऊंगा क्योंकि तुम मेरी रानी हो मेरी जान मेरी सब कुछ हो,,,,

हरामी में तेरी मां हूं,,,

तो क्या हुआ एक बार तुम्हारी बुर में लंड डालने के बाद हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता बिल्कुल भी नहीं रह गया हम दोनों के बीच केवल मर्द और औरत का रिश्ता है,,, तुम खूबसूरत हो जवान हो,,,, मुझे अपना प्रेमी ही समझ लो,,,,,(ऐसा कहते हुए वह खटिया पर बैठ गया,,,अपने बेटे की मधुर बातों को सुनकर कजरी शर्मा रही थी शर्म से पानी पानी हुए जा रहे थे उसे अपने बेटे की बातों का असर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर में होता हुआ महसूस हो रहा था जोकि धीरे-धीरे गीली होने लगी थी,,, रघु को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसकी बातों से एकदम से शर्मा रही है रघु अपनी मां की शर्म देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो जाता था उसे रहने की और वह अपने होंठों को नीचे की तरफ लाकर अपनी मां के होठ पर रख दिया और उसे चूमना शुरू कर दिया,,,,,, अपने होठों पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श पाते ही,,, कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,, और वह अपने बेटे का साथ देते हुएअपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी दोनों के जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर बाहर हो रही थी दोनों एक दूसरे के जीभ को चाट कर मजा ले रहे थे,,,,,, कजरी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,
रघु भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना एक नीचे की तरफ लाकर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रख दिया और उसकी गीली बुर में अपनी उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा,,, कजरी की हालत अपने बेटे की उंगली से ही खराब होने लगी,,,, उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,, रघु की उंगली कजरी की पुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही थी कजरी उत्तेजना के मारे खटिया पर ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए रगड़ रही थी,,। रघुअपनी मां के होठों पर से अपने होठों को हटाकर उसकी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जिसने उसकी उंगली बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही है और वह से अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,,।


आहहहहह,,,, मेरी जान तेरी बुर तो बहुत पानी छोड़ रही है,,,रे जी मैं तो आ रहा है कि खा जाऊं,,,(रघु जोर-जोर से अपनी मां की बुर में उंगली करते हुए बोला,,,)

तो खा जाना रे रोका किसने है,,,(कजरी भी एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,, रघु अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया था और अपनी मां से से बातें कर रहा था कि जैसे किसी और औरत की बुर में उंगली कर रहा है लेकिन जहां तक संभोग में सुख और संतुष्टि की बात आती है तो हर इंसान ही करता है औरत और मर्द चुदाई के दौरान खुलकर गंदी गंदी बातें करके एक दूसरे को गाली देकर बातें करते हैं तो चुदाई का मजा और ज्यादा बढ़ जाता हैयह बात शायद पहली अच्छी तरह से जानती थी इसीलिए अपने बेटे का साथ देते हुए उसी भाषा में बात कर रही थी,,,।)


सच कह रहा हूं मेरी रानी तेरी बुर की मलाई जीभ से चाटने का मन कर रहा है,,,।

तो चाटना मादरचोद मैं भी तड़प रही हूं अपनी मलाई तुझे खिलाने के लिए,,,,।


मादरचोद बोलती है रंडी,,,,(अपनी मां की चूची को और दम लगाकर दबाते हुए बोला और इस तरह से जोर से दबाने की वजह से कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,,, मादरचोद नहीं है तो और क्या है तू अपनी मां को चोदता है तो मादरचोद ही हुआ ना तू भोसड़ी के,,,


हां शाली में हूं मादरचोद लेकिन तू भी छिनार है,,,,आहहहहह बहुत मजा देती है तू,,,,आहहहहहह मन कर रहा है कि घुस जाऊं भोसडै में,,,,


तो घुस जाना मादरचोद,,,, वहीं से तो तू निकला है और उसी में फिर से घुस जा,,,,,आहहहहहह,,, लगता है बिना चोदे ही पानी निकाल देगा मादरचोद,,,,,।



तेरी बुर में पानी की कमी नहीं है मेरी रानी मेरी छम्मक छल्लो तेरी बुर में से पानी की नदियां बह रही है,,, और यह सब कुछ तेरे लंड का करा कराया है,,,, भोसड़ी के तेरा लंड कितना बड़ा है ऐसा लगता है जैसे गधे का लंड है,,,


गधे का लंड ही तो तेरी बुर में जा रहा है मजा नहीं आ रहा है क्या तुझे,,,,(एक साथ अपनी दोनों उंगलियों को अपनी मां की बुर में डालते हुए बोला,,,)


मजा तो बहुत आ रहा है कभी तो तेरे आने से पहले अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर तेरा इंतजार कर रही थी,,,,


मेरे लंड से इतना प्यार है तो ले लेना मुंह में चुस के देख कितना मजा आता है,,,, एकदम गन्ने का मिठास मिलेगा तुझे,,,,।


तो ला डाल दे मेरे मुंह में मैं भी आ जाना मुंह में डालकर तेरे लंड को देखु तो सही कैसा लगता है,,,।


बहुत मजा आएगा रानी बहुत मजा इतना मजा की तू मेरे लंड को मुंह से बाहर नहीं निकालेगी,,,,,(अपरा को बिल्कुल भी देरी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना अवस्था में उसके मुंह में लेने की बात कर रही थी,,, इसलिए वह अपनी मां की छाती के ऊपर अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर खड़ा हो गया और अपनी फ्रेंड को हाथ से हीलाते हुए उसके सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर रखकर उसे रगड़ने लगा,,,,, कजरी के लिए यह बिल्कुल नया था,,, क्योंकि आज तक कुछ नहीं अपने पति के लंड को मुंह में नहीं गई थी उसे लंड को मुंह में लेना बहुत घिनौना लगता था,,, रघू बड़ी मस्ती के साथ अपने लंड को अपनी मां के होठों पर रगज रहा था और कजरी अपने होठों को बंद कर ली थी लंड को मुंह में लेने वाली बात को वह उत्तेजना में बोली थी,,,। उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा सच में ऐसा करेगा लेकिन रघु को तो बहुत मजा आ रहा था बार-बार वह अपनी लंड के सुपाड़े को जबरदस्ती अपनी मां के होंठों के बीच घुसेडना चाहता था लेकिन उसकी मां जबरदस्ती अपने होठों को बंद किए हुए थी,,,।


हाय मेरी रानी अब और मत तड़पा मेरा लंड तड़प रहा है तेरे मुंह में जाने के लिए,,,


ऊमममम,,, मुझसे नहीं होगा मैंने कभी इसे अपने मुंह में नहीं ली,,,,


तो एक बार इसे अपने मुंह में ले कर देख मेरी जान बहुत मजा आएगा,,,,, खोल अपने गुलाबी होंठों को और जाने दे मेरे लंड को उसके अंदर,,,,,आहहहहह मेरी रानी खोल,,,,,(ऐसा कहते हुए रघुअपने लंड कैसे पानी को जबरदस्ती अपनी मां के होठों के बीच ले जाने लगा लेकिन इस बारकजरी विरोध ना करते हुए अपने बेटे का साथ देने लगी और अपनी गुलाबी होठों को धीरे से खोल दी और जैसे ही उसके होठों के पट खुले वैसे ही रघु जल्दबाजी दिखाते हुए अपने लंड को उसके मुंह में ठूंस दिया,,,,,,,।


आहहहहह मेरी रानी आप अपनी जीभ को उस पर गोल गोल घुमाओ देखो बहुत मजा आएगा,,,।

और कजरी भी आज्ञाकारी बेटे की बात मानते हुए उसी तरह से करने के लिए जैसा कि रघु बता रहा था थोड़ी देर में कजरी को मजा आने लगा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि लंड चाटने में इतना मजा आता है,,,।

कजरी को पहली बार में ही इतना मज़ा आने लगा था लेकिन रखो तो जैसे स्वर्ग में उड़ रहा हूं उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इतने अच्छे से उसके लंड की चटाई करेगी,,,,कुछ ही देर में रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूटने लगी जैसा कि अब तक उसकी मां के मुंह से फुट रही थी,,,,।


सहहहहहह,,,आहहहहहह,,, मेरी रानी,,,,ओहहहह,,, मेरी कजरी रानी बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही,,,,(और ऐसा कहते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,,कजरी मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चाट रही थी मुंह में लेकर चूस रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, यह बात रघु कोई अच्छी तरह सेसमझ में आ रही थी कि उसकी मां को मजा आ रहा है रघु अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर फिर से अपनी मां की बुर में उंगली डाल दिया और उसे अंदर-बाहर करने लगा कजरी का मजा बढने लगा था लेकिन रघू इस मजे को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था,,,। इसलिए अपनी मां के मुंह से अपनी लंड को वापस खींच कर अपने आसन को बदल दिया,,, कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जब उसे पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के बारे में मालूम होगा तो वह उत्तेजना से और खुशी से गदगद हो गई,,,, क्योंकि रघू अपनी मां के ऊपर था,,, और कजरी नीचे लेकिन एक दूसरे का अंग एक दूसरे के मुंह में था,,,कजरिया राम से अपने बेटे का लैंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और रघु अपनी मां के बुर में जीभ डालकर चाट रहा था दोनों को एक साथ सुख मिल रहा था,,,,

लालटेन की पीली रोशनी बंद कमरे के अंदर दोनों मां बेटे एक दूसरे के अंगों से भरपूर सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, कजरी बार-बार पानी छोड़ रही थी जो कि उसकी बुर की गवाही दे रही थी कि उसे लंड चाहिए था,,,, रघु मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, कई औरतों के संगत में आकर औरतों की जरूरत को बड़े अच्छे तरह से जानता था,,,। कुछ देर तक और अपनी मां की बुर चाटने के बाद वह खड़ा हुआपर अपनी मां की तरफ देखने लगा चौकी उत्तेजना में पूरी तरह से लाल हो चुकी थी उसके होंठों से लार चु रही थी,,,,,, यही मौका सबसे खास होता है क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में औरतों की चुदाई औरतों को ज्यादा आनंद देती है,,,,

रघु समय ना गंवाते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया,,, और अपनी मां की बुर में एक झटके में अपना पूरा लंड डाल दिया और दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर उसे दबाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करने लगा,,,। वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था और बाहर बारिश गिरना शुरू हो गई थी,,,,रघु के धक्कों की वजह से खटिया चरमरा रही थी कजरी को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए,,,।

आहहहहह आहहहहह आहहहहह हरामी मादरर्चोद और जोर से चोद ,,,आहहहहहह,,,, लेकिन संभाल के कई खटिया टूट ना जाए,,,।


टूट गई तो क्या हुआ मेरी जान,,, मेरी रंडी बुरचोदी,,,, तेरी बुर चोदने के लिए तो मैं पलंग भी तोड़,,दु,,,,(ऐसा कहते हुए रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, साथ ही बार-बार अपनी मा की चुची को बारी बारी से मुंह में लेकर पी भी रहा था,,, कजरी अपनी बेटी की जबर्दस्त प्रहार की वजह से आहत भी हो रही थी लेकिन मजा भी बता रहा था,,,,)

आहहहहह आहहहहह,,,, हरामजादे कितना दम है रे तेरे में,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, सारी ताकत मेरी बुर पर ही निकाल रहा है क्या,,,,(कजरी मस्ती भरे स्वर में बोली)


तो क्या मेरी रंडी,,,, तेरी बुर में ही मुझे अपनी सारी ताकत लगाना है,,,, तभी तो तू मेरे लंड़ की दीवानी होगी,,,।


अब हो तो गई हूं तेरे लंड को बिना मुझे मजा नहीं आता,,, क्या मस्त लंड है तेरा मादरचोद अपनी मां को चोदता है,,,,आहहहहहह,,, रंडी बना दिया है तूने मुझे,,,


और तूने मुझे मादरचोद बना दी है बुर चोदी,,,,,


दोनों मां-बेटे एक दूसरे को गाली गलौज के साथ बात करते हुए चुदाई का परम आनंद लूट रहे थे,,, ऐसा सुख कजरी में कभी जिंदगी में प्राप्त नहीं की थी और ना ही रघु ने,,, कई औरतों के साथ चुदाई का खेल खेलने के बावजूद भी जो मजा उसे अपनी मां के साथ आ रहा था वैसा मजा उसे किसी के साथ नही आया था,,,

फच्च फच्च की आवाज कजरी कीबुर से लगातार आ रही थी,,,, कचरी की ओखली में उसका बेटा लगातार अपना मुसल मार रहा था,,,, जबरदस्त आनंद की पराकाष्ठा को दोनों प्राप्त कर रहे थे घर के बाहर बारिश तेज हो चुकी थी और इधर रघु अपनी मां की बुर में पानी की बौछार करने वाला था,,,ईस बार का सावन कजरी के लिए बहुत खास था क्योंकि वर्षों से उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार नहीं पड़ी थी लेकिन सावन के शुरू होते ही उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार मानो अपनी कृपा बरसा रही हो,,, उसकी सूखी जमीन सावन की फुहार से एकदम गीली चली थी,,,,।

देखते ही देखते कजरी की सांसे बड़ी तेज चलने लगी,,, रघु समझ गया और अपने दोनों हाथ के नीचे से डालकर अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया और अपने सीने से लगाकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,दरवाजा लग जाने की वजह से दोनों निश्चिंत होकर उसी तरह से सो गए रघु का लंड अभी भी उसकी मां की बुर,,, बाहर पक्षियों के चहकने की आवाज से कजरी की नींद खुली तो,, उसका बेटा उसके ऊपर ही सोया हुआ था कजरी को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था और वह उसके बारे में उंगली डालकर सहलाने लगी,,,,रघु की नींद खुल गई और नींद खुलते ही वह अपने होंठों को अपनी मां के होठों पर रखकर चुंबन करने लगा,,,, थोड़ी देर बाद वह अपने बेटे से बोली,,,।

रघु मुझे एक बात सच सच बताना,,, शालू के पेट में किसका बच्चा है,,,,?
 
Member
437
722
93

अपनी मां का सवाल सुनते हो रघु एकदम से चौंक उठा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह का सवाल पूछ बैठेगी,,, लेकिन यह सवाल उसकी मां के मन में आया कैसे इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान और परेशान भी था,,, फिर भी निश्चिंत होकर वह अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,।

कैसी बातें कर रही हो मां बिरजू का और किसका,,,, और यह बात तो तुमने ही मुझे बताई थी,,,,,,।


लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता की शालू ऐसा कर सकती है,,,।


सब कुछ तुम्हारे सामने ही तो था मां,,,( वह अभी भी पूरी तरह से नंगा अपनी मंकी मां पर लेटा हुआ था लेकिन ऐसा कहते हुए वह अपनी मां के ऊपर से उठने लगा और खटिया के पाटी पर बैठ गया,,,)

नहीं नहीं सब कुछ मेरी आंखों के सामने नहीं था यह तो मेरी आंखों के सामने बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है,,,।


कैसी बातें कर रही हो मां,,,,,, क्या हो गया है तुम्हें आज बहकी बहकी बातें कर रही हो,,,,(रघु अपनी मां से नजरे चुराता हुआ बोला,,, उसके मन में शंका हो रही थी कि कहीं उसकी मां को कुछ पता तो नहीं चल गया इसलिए वह इस समय अपनी मां से कतरा रहा था लेकिन कजरी सब कुछ जानती थी वह बस अपने बेटे के मुंह से सुनना चाहती थी,,,)




बहकी बहकी बातें नहीं कर रही हूं लेकिन मैं तेरे मुंह से सच सुनना चाहती हूं,,,, तुम दोनों भाई बहन मिलकर मुझे क्या पट्टी पढ़ा गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन कुछ तो हुआ है,,, ,,,(कजरी भी खटिया पर बैठते हुए अपने बदन पर चादर डालते हुए बोली,,,)

अब क्या बताऊं बिरजू और शालू दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे और दोनों के बीच कब क्या हो गया पता ही नहीं चला,,,


चल यह बात तो मैं मानती हूं,,, कि उन दोनों में प्यार था और वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,,,,,, लेकिन रघू मैं तेरी मां हूं तुम दोनों की मां हु मुझे इतना तो पता चलता ही है कि मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं,,,,(रघु की आंखों में झांकते हुए बोली रघु एकदम से सकपका गया,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां को पता चल गया है कि उसके और उसकी बहन के बीच में कुछ चल रहा है,,,, फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,,,)

क्या बात तुम भी बे मतलब की बातें कर रही हो,,,


बेमतलब की नहीं बेटा मैं सच कह रही हुं,,,, क्योंकि मैंने तुम दोनों को छत पर चुदाई करते हुए देख ली थी,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही रघु की आंखें चौड़ी हो गई क्योंकि वह अभी तक ही समझ रहा था कि उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर रघु दिन से हैरान हो गया था,,,बात को बदलने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह बिल्कुल सच था,,,, कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,,,)
लेकिन उस समय में कुछ नहीं बोली क्योंकि बहुत बड़ी जो हमारे सर पर भी पता थी वह माथे से दूर होने वाली थी और सिर्फ तेरी वजह से इसलिए मैं खामोश रही लेकिन आज मैं तुझसे यह कह रही हूं,,,,,,(रघु के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था बस शर्म से अपना सर नीचे झुकाए खटिया के पाटी पर बैठा था,,,) अब इंकार करने से कोई फायदा नहीं मैं अपनी आंखों से देखी थी तू अपनी बड़ी बहन को चोद रहा था और वह भी खूब मजे ले रही थी,,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि सालु इतनी समझदार और भोली भाली होने के बावजूद ऐसे कदम क्यों उठा ली,,, (रघु शर्म से नजरे झुकाए बैठा हुआ था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,,,यह बात कजरी भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया उसी तरह से उन दोनों भाई-बहन के बीच की सारी संबंध स्थापित हो गया होगा इसमें कुछ गलत कजरी को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि वह खुद मां होने के बावजूद भी अपनी बेटे के साथ ही चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,,।)
तू कुछ बताएगा भी कि ईसी तरह से खामोश बैठा रहेगा,,,


मममम,,, मैं क्या बोलूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,,


जो कुछ भी हुआ वह सब मुझे बता दे मैं तुझे मारने पीटने वाली या तुझे भला बुरा कहने वाली नहीं हूं क्योंकि अब हम तीनों एक ही कश्ती पर सवार, है,,,।(इतना कहने के साथ ही कचरी अपने बदन पर डाले हुए चादर को हटा दी और एक बार फिर से निर्वस्त्र हो गई क्योंकि वह रघु को यह बताना चाहती थी कि अब उसे शर्म करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है,,,खास करके तब जब एक बेटा खुद अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना देता है और एक मां खुद अपने बेटे से संतुष्ट होती है,,,। चादर के हटते ही रघु की नजर अपनी मां की छातियों पर चली गई जो कि सुबह-सुबह और भी ज्यादा खूबसूरत और उत्तेजक नजर आ रही थी,,,, कचरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

शालू के पेट में तेरा ही बच्चा है ना,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुन कर रखो अपनी मां की आंखों में देखने लगा लेकिन उसे अपनी मां की आंखों में जरा भी गुस्सा क्रोध नजर नहीं आ रहा था बल्कि सच जानने की उत्सुकता नजर आ रही थी और जैसा कि उसकी मां ने बताया कि वह तीनों एक ही कश्ती पर सवार है तो रघू को इस बात से थोड़ी हिम्मत मिलने लगी,,,, वह भी अपनी मां को सब सच बताने का ठान लिया था और अपनी मां का यह सवाल सुनते ही बोला,,,,)

तुम ठीक कह रही हो मां,,,, दीदी के पेट में मेरा ही बच्चा है,,,।
(यह सुनते ही कजरी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया हालांकि उसे पूरी तरह से शक हो चुका था कि उसकी बेटी के पेट में उसके ही बेटे का बच्चा है,,,,)


लेकिन यह सब हुआ कैसे क्योंकि शालु जैसी लड़की सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हुआ था,,, वहीं सच था,,, मैं अंदर कमरे में इसी कमरे में सोया हुआ था,,, और सुबह सुबह शालू मुझे जगाने के लिए आई थी,,,, तुम तो जानती हो मा कि मैं तोलिया लपेट कर सकता हूं नींद में इधर-उधर तोलिया हो गया था,,,, और मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था मैं गहरी नींद में था शालू मुझे जगाने आई और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई,,,, और वह ना जाने क्यों बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली और हीलाने लगी,,,, मेरी नींद खुली तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था वह मुझे नहीं देख पाई थी कि मैं जाग गया हूं मैं उसी तरह से आंखें बंद कर लिया क्योंकि तुम तो अच्छी तरह से जानती हो मां की उस तरह का पल एक जवान लड़के के लिए कैसा होता है,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर और वह भी अपनी बेटी के बारे में उसकी गंदी हरकत के बारे में सुनकर ही कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह शालू को कभी भी गंदा काम करते हुए सोची नहीं थी और अपने बेटे के मुंह से सुनकर यह पहली मर्तबा था जब वह सालु के बारे में पूरी तरह से कल्पना कर रही थी की उस दिन क्या क्या हुआ होगा कैसा लग रहा होगा रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

वह मेरा लंड हीलाना शुरू कर दी थी मुझे अच्छा लग रहा था,,, मैं देखना चाहता था कि वह और क्या करती है और तभी बाहर किसी की आवाज आई और वो तुरंत भाग खड़ी हुई,,,, इसी तरह से दूसरे दिन भी हुआ लेकिन मेरी हालत एकदम खराब हो गई मुझसे रहा नहीं गया और मैं दीदी का हाथ पकड़ लिया और उसके बाद वह सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था,,,। और यह सिलसिला रोज का हो क्या एक तरह से कहूं तो दीदी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी बिना मेरे लंड को अपनी बुर में लिए उनका मन नहीं मानता था,,,,(रघु बिना रुके बोले जा रहा था साथ ही अपनी बहन के बारे में और खुद के बारे में इतनी गंदी बात बताते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी साथ ही अपनी मां की नंगी चूची को देखकर उसकी उत्तेजना और पढ़ रही थी और वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हाथ से अपनी मां की चूची को दबा भी रहा था और बात को आगे भी बढ़ा रहा था,,,) हम दोनों रोज चुदाई करते हैं छत पर तुम्हारे सो जाने के बाद हमें हमेशा दीदी के पास चला जाता था और दीदी की जमकर चुदाई करता था और ऐसे ही किसी दिन तुम्हारी नजर हम दोनों पर पड़ गई होगी,,,,।

हां रात को मेरी नींद खुल गई थी तो तुम दोनों पर मेरी नजर पड़ गई थी लेकिन तब तक तो शालू पेट से हो चुकी थी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि तुम दोनों ने मिलकर अपनी गलती उस बिरजू के मत्थे क्यों चढ़ दीए और कैसे,,,,,,,(कजरी को अपने बेटे के हाथों से स्तन मर्दन कराना अच्छा लग रहा था,,,कजरी के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी आगे की कहानी सुनने के लिए क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि साल और उसका बेटा मिलकर कैसे अपनी करनी को दूसरे के मत्थे की लकीर बना दिए थे,,,,रघु जवाब देता हुआ बोला लेकिन अपनी मां की चूची दबाते दबाते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और कजरी की भी नजर अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच झूलते हुए उस लंड पर पड़ चुकी थी जो कि रात भर उसकी बुर के अंदर शरण लिए हुए था,,,, और उसे देख कर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,)

मैं अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू सालु से प्यार करता है और उसके साथ हीविवाह करना चाहता है चालू नहीं बताई थी कि उसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था लेकिन सालु आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी,,,।

फिर क्या हुआ,,,?(इस बार कजरी से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रघु के लंड को अपने हाथ में पकड़ लि और उसे हिलाना शुरू कर दी,,,, जिससे रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।)

फिर क्या था हम दोनों ने षड्यंत्र रचाया,,,, बिरजू को फंसाने का क्योंकि वह पहले से ही शालु पर मरता था और वह आलू को चोदना भी चाहता था और इसी का फायदा उठाकर मैं दीदी को सारी पट्टी पढ़ा दिया और पट्टी पढ़ाने के बादशालू से बोला कि वह आम वाले बगीचे में उसे बुलाया और वहां पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और ऐसा ही हुआ शालू बिरजू को आम वाले बगीचे में बुलाई और उसके साथ चुदवाई,,,, उस बेचारे को तो मालूम ही नहीं था कि उसके चोदने से पहले ही शालू पेट से हो चुकी है और शालू यह बात जानती थी कि वह इस मामले में पूरी तरह से गिरते हुए उसे समय का बिल्कुल भी भाग नहीं होता और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने बड़ी मालकिन से इस बारे में बात किया था और तब जाकर शालू की शादी बिरजू से हुई,,,।


अपने बेटे की बात सुनते ही आश्चर्य और खुशी से कजरी की आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रखो को क्या बोले उसे डांटे फटकारे मारे या भला बुरा कहे,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसमें रघु की गलती सरासर थी लेकिन एक बड़ी समस्या से निकालकर चालू की अच्छे घर में विवाह भी उसी ने ही संपन्न करवाया था,,,, अगर कजरी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे से चुदवाने का हनन देना लूट रही होती तो शायद अपनी बेटी और अपनी बेटी के पीछे सारी संबंध को लेकर कजरी बवाल मचा चुकी होती या तो फिर उसे दिल का दौरा पड़ चुका होता लेकिन अब वह इस रिश्ते से खुश थी ,,,,


बाप रे मेरी पीठ पीछे तुम दोनों ने इतना बड़ा षड्यंत्र रचा दिया और मुझे इसकी भनक तक नहीं लगी वह तो अच्छा हुआ था कि मैं रात को छत पर तुम दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी थी वरना मुझे जिंदगी में कभी भी पता नहीं चलता कि मेरे ही घर में मेरे बेटे और बेटी आपस में चुदाई का मजा लूट रहे है,,,।


जैसे कि हम दोनों,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी अपनी मां की चूची पर रख कर दबातें हुए बोला,,, और रघु ने इतनी मस्ती भरी अदा सेअपनी मां की चूची दबाया था कि उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, और अपनी मां की उत्तेजना का रघु पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी बहन के बीच 4 दिसंबर को लेकर उसकी मां उसे भला-बुरा का है इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेना चाहता था ताकि वह भी सब कुछ भूल कर उन दोनों के रिश्ते पर अपनी सम्मति की मुहर लगा दे,,,, और इसीलिए रघू तुरंत अपनी मां पर झुकता हुआ अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया और खटिए पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर उसे अच्छी तरह से अपनी मां की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद पर लगाकर हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड फिर से कजरी की बुर में समा गया,,,, हल्की सी आह की आवाज के साथकजरी ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में समा लेने के लिए आमंत्रण दिया,,, और फिर क्या था एक बार फिर से रघु अपनी मां की बुर में समा गया था,,,उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों में पकड़ कर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, पर एक बार फिर से कजरी अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की आगोश में अपनी जवानी को समेट कर उसे सौंप चुकी थी,,, और गर्म सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लूट रही थी,,,,

थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों पर जा रहे थे इसलिए कजरी अपने ऊपर से अपने बेटे को हटाते हुए बोली,,,,।

चल हट अब उठ जा घर का काम भी करना है खेतों में भी जाना है,,, शालू अपने ससुराल में है इसलिए मुझे ही ढेर सारा काम करना पड़ता है,,,,।


तुम कहो तो मा,, मै शालु को कुछ दिनों के लिए ले आऊ,,,।


क्यों क्या करने के लिए उसकी चुदाई करने के लिए,,,


अरे नहीं मा,,,(रघु अपनी मां के ऊपर से उठता हुआ बोला,,) पहली बार है ना शालू के बिना यह घर अच्छा नहीं लगता,,,(नीचे जमीन पर गिरी अपने पजामे को उठाकर पांव में डालते हुए बोला,,, कजरी भी खटिया के नीचे गिरी अपनी साड़ी को नीचे छुपकर उठाते हुए बोली,,,)

क्या मालकिन उसे आने के लिए राजी होंगी,,,।


यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो तुमसे इजाजत तो मैं इस रविवार को ही जाकर ले जाऊंगा,,,


ठीक है जैसी तेरी मर्जी वैसे भी उसके बिना अच्छा तो नहीं लगता लेकिन उसके आ जाने पर हम दोनों के बीच यह मधुर मिलन नहीं हो पाएगा,,,,।


कैसे नहीं हो पाएगा मां,,,,,(पजामा पहन कर फिर से खटिया के पाटी पर बैठता हुआ बोला)

पागल हो गया क्या शालू की मौजूदगी में मैं तेरे लिए अपनी टांगे खोलने वाली नहीं हूं,,,,(खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी पांव में डालकर उसे अपनी कमर की तरफ खींचते हुए बोली,,,)

तुम अकेले अपनी दोनों टांगे नहीं खोल सकती लेकिन सोचो अगर तुम दोनों मिलकर अपनी दोनों टांगे मेरे लिए खोलो तो,,,
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से सन्न रह गई ,,)

क्या पागल हो गया है क्या शालू और मैं दोनों एक साथ,,, तू सच में पागल हो गया है,,( खटिया से नीचे उतरकर अपने पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए बोली)


अरे हो सकता है क्यो नहीं हो सकता क्या तुम दोनों की चुदाई में एक साथ नहीं कर सकता,,,, मेरे लंड में बहुत दम है मेरा लंड एक साथ तुम दोनों मां बेटी की बुर में जाकर तुम दोनों का पानी निकाल सकता है,,,।

चल रहने दे अपने लंड की बढ़ाई करने के लिए,,,,(साड़ी को अपनी कमर से बांधते हुए बोली,,,,)


अरे मां जरा तुम भी सोचो कितना मजा आएगा,,, हम तीनों एक साथ एकदम नंगे तुम भी नंगी दीदी भी और मैं भी,,, मैं कभी तुम्हारी बुर चाट रहा हूं तो कभी दीदी की कभी तुम्हारे मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही है तो कभी दीदी के और कभी तो मेरा लंड चाट रही हो तो कभी दीदी और वह भी एक दूसरे के सामने कितना मजा आएगा सोचो चल मेरा लंड तुम्हारी बुर से निकलकर दीदी की बुर में जाएगा एक साथ हम तीनों कितना मजई आएगा मां जरा सोचो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी खुद कल्पनाओ कि दुनिया में खोने लगी जैसा जैसा रघु बता रहा था वैसा वैसा वह अपने मन में कल्पना कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ऊलझन भी हो रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े कैसे उतार पाएगी,,,। हालांकि अपनी बेटी की बात सुनकर उसके भी मन में अपनी बेटी की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर अपने ही बेटे के साथ चुदाई का सुख भोगने के लिए उत्सुकता बढ़ती जा रही थी लेकिन अपने मुंह से खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,)

तेरी मर्जी में जो आए वह कर,,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर जाने लगी तो रखो खुश होता हुआ बोला)

तो ठीक है मैं ऐसी रविवार को दीदी को लेने के लिए जा रहा हूं,,,,।

(कजरी यह सोचकर ही मदहोश हुए जा रही थी कि,,,कितना बजे आएगा जब उसका बेटा और उसकी बेटी और वह खुद नंगी होकर एक दूसरे के साथ मजा लेंगे,,,, देखते-देखते रविवार का दिन आ गया और बड़े सवेरे ही रघु तैयार होकर जमीदार के घर पहुंच गया,,, जमीदार की बीवी रघु को देखते ही एकदम खुश हो गई,,, और उसका आवभगत करते हुए बोली,,,,)

आओ रघू तुम्हारा इंतजार में हमेशा करती रहती हूं लेकिन तुम हो की यहां का रास्ता ही भूल गए हो,,


नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तो रोज ही यहां आना चाहता हूं लेकिन अब यह मेरी दीदी का ससुराल है इसलिए थोड़ा सबर करता हूं,,,,


हर यह तुम्हारा ही घर है यहां जब चाहो तब आ सकते हो कोई पाबंदी नहीं है,,,,


जमीदार कैसे हैं,,,(पलंग पर लेटे हुए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,,)

जैसा छोड़ कर गए थे वैसे ही है,,,,

(रघु को देखते ही जमीदार की आंखें तन गई उसका गुस्सा बढ़ गया आखिर बढ़ता भी कि नहीं उसकी हालत का जिम्मेदार भी तो वही था उसकी आंखों के सामने ही उसकी औरत की चुदाई करता था,,,, एक नजर जमीदार के ऊपर डाल कर वह मालकिन से बोला,,,।)

बड़ी मालकिन बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।

कहो रघु इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,,।

पहली बार सालु घर से इतना दूर गई है,,, मतलब कि यह उसका ही घर है लेकिन मां बहुत परेशान रहती है मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों के लिए चालू कर घर ले जाता तो मां को थोड़ी शांति मिल जाती और मैं वापस आकर छोड़ जाऊंगा,,,,।


क्यों नहीं रघू मैं समझ सकती हूं,,,, लेकिन जो आग मेरे अंदर लगी है शायद तुम नहीं समझ पा रहे हो,,,, अपनी बहन को तुम ले जा सकते हो लेकिन उससे पहले मेरी आग बुझाना होगा,,,,(रघु कुछ कह पाता इससे पहले ही जमीदार की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और रघु के सामने अपनी नंगी बुर परोश,,,दी,,, रघु बड़ी मालकिन की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था,,,, और वह जमीदार की आंखों के सामने ही आगे बढ़ा और जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर कर के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया जमीदार अपनी आंखों से देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था,,, और देखते ही देखते रघु अपनी बहन के सास की चुचियों से खेलता हुआ,,, उसे जमीदार के पलंग पर ही झुका दिया उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए अपने मुसल को जमीदार की बीवी की ओखली में डाल दिया,,,, जमीदार के कमरे में जमीदार की बीवी की गरम सिसकारी बुझने लगी जिसे सुनकर जमीदार गुस्से से भरता चला जा रहा था,,। लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था जमीदार की बीवी को कितना मजा मिल रहा है उसके चेहरे को देख कर ही पता चल रहा था और रघु भी कस कस के धक्के लगा रहा था उसी समय जमीदार की दूध पीने का समय हो रहा था,,, और दूध पिलाने का जिम्मा शालू का था इसलिए वह रोज की तरह गिलास लेकर जमीदार की कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कमरे में से अजीब अजीब लेकिन जानी पहचानी आवाज सुनाई देने लगी उस आवाज को सुनकर वह एकदम से चौक गई,,,, जमीदार की बीवी अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के चक्कर में दरवाजा बंद करना भूल गई थी दरवाजा थोड़ा सा खुला था और जब शालू थोड़े से खुले दरवाजे में अंदर की तरफ झांककर देखी तो दंग रह गई,,,

उसकी सास अपने पति के सामने पलंग के ऊपर झुकी हुई थी और गांड उपर की तरफ उठाई हुई थी और चुदवा रही थी,,, लेकिन किस से लेकिन यह उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन ध्यान से देखने पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी सांस के पीछे उसका भाई रघु खड़ा था जोकि उसकी सास को चोद रहा था शालू वहां खड़ी नहीं रह सकी और वापस रसोई घर की तरफ चली गई,,,, थोड़ी देर बाद लौटी तो सब कुछ शांत हो चुका था,,,लेकिन यह खबर सुनते ही की रघू उसे लेने आया है तो वह खुश हो गई,,, सब से आशीर्वाद लेकर चालू अपने घर की तरफ निकल गई लेकिन उसकी सास नहीं रघु को तांगा ले जाने के लिए बोली और रघु तांगे में अपनी बहन को बैठा कर अपने घर की तरफ ले जाने लगा ,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके भाई से क्यों चुदवा रही थी,,,। यही जानने के लिए वह बोली,,,।


क्यों रे अंदर क्या हो रहा था,,,


कहां,,,?

बाबूजी के कमरे में उनकी आंखों के सामने ही,,,,।


अच्छा तो तुझे पता चल गया,,,,(रघु हंसते हुए बोला)


हंस मत यह सब कैसे हो गया मुझे बता,,,


अरे यह सब बहुत पहले से चल रहा है तुझे याद है ना मैं मालकिन को उनके मायके लेकर गया था वही रास्ते में ही हम दोनों के बीच जुदाई का खेल शुरू हो गया,,, तू तो जानती ही है कि तेरी सांस कितनी जवान है और तेरे बाबूजी तेरे ससुर बूढ़े हो चुके हैं और अब तो बिस्तर ही पकड़ लिए है,,,, जवान औरतों की अपनी ख्वाहिश होती है खास करके चुदवाने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही थी तो रास्ते में ही मेरे लंड से चुदवाना शुरू कर दी,,,, और यह सिलसिला अभी तक जारी है,,,,।


बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है वह सभ्यता की मूरत इतनी शालीनता से रहती है इतनी संस्कारों वाली है,,,वह ऐसी होंगी उनके बारे में तो मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकती थी,,,,


अरे दीदी तू नहीं जानती जो सीधी सादी होती हैं खास करके उन में ही जवानी की आग भरी होती है,,, तेरी जेठानी राधा वह क्या कम है,,,


क्या मतलब,,,?(आश्चर्य जताते हुए शालू बोली)



मतलब यही कि तेरी जेठानी भी मेरे लंड का स्वाद अच्छा हो चुकी है,,,,।

क्या,,,?


तो क्या दोनों की चुदाई करने के बाद ही तो तेरा उस घर में जाने का रास्ता साफ हुआ है,,, क्योंकि उन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी है मेरा लंड,,, जब तक मेरा लंड समय-समय पर उन दोनों की बुर में ज्यादा रहेगा तब तक तो उस घर में रानी की तरह राज करेगी इसलिए मुझे समय समय पर उन दोनों की सेवा करनी ही पड़ेगी,,,।
(तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता चला जा रहा था और साथ में एक के बाद एक राज पर से पर्दा खुलता चला जा रहा था,,,)

और यह भी सुन तेरे बाद ही तेरी जिठानी और तेरी सास दोनों मां बनेंगी जिसका बाप मैं ही हूं,,,,,

(शालू की तो आंखें आश्चर्य से चोडा होती चली जा रही थी,,उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह बिल्कुल सच था और जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच होने वाला था,,,)

बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता नहीं चला,,,।


अरे दीदी बहुत कुछ बदल गया है घर चलोगी तो सब पता चल जाएगा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु और जोर से तांगा हांकने लगा,,,)
 

Top