Erotica चुदकड ब्यानजी by स्नेहील

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ये कहानी राजस्थान के गांव की हैं जहां समधन को ब्यानजी ओर समधी को ब्याहीजी कहते है दोनों का रिश्ता
हँसी मजाक ओर मस्ती वाला होता है तो कहानी शुरू करते है। कहानी है महिमा की
महिमा, महिमा चौधरी जैसे मोटे मोटे बोबे ओर मस्त फूली हुई गांड जो अक्सर साड़ी या घागरा लुगडी पहनती है उम्र 40 44 के बीच मे जिसके 2 लड़के एक लड़की है स्वभाव अभी भी शर्मिला है
जिसने अभी तक केवल अपने पति का केला खाया है दूसरा लंड देखा भी नही
ये कहानी मारवाडी कल्चर से भरपूर है इसमें कुछ कुछ शब्द बोली मारवाड़ी होगी
हाँ तो आगे की कहानी महिमा के शब्दों में
बात उन दिनों की है जब मेरी इकलौती ननद के लड़के की शादी थी इकलौती भाभी होने के नाते मेरी ननद ने मुझे
4 ,5 दिन पहले ही बुला लिया शादी का माहौल था रोज रात को महिलाएं गीत गाती डांस चलता रहता था
औऱ साथ मे एक दूसरे केसाथ मस्ती चलती रहती थी और एक दिन सब ने मिलकर मेरा नंबर ले लिया
वो 6,7 थी औऱ मै अकेली एक ने मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया औऱ उसका एक हाथ साड़ी के ऊपर मेरी चूत
पर और एक हाथ से दोनों बोबे संभाले थे वो बोली इकलौती मामी है ऐसे कैसे बच जाएगी पता नही कितनो को चढ़वाया
होगा आज हमें भी चढ़ाई करनी है ये बोलते बोलते मेरे बॉब्स को भी मसलती जा रही थी और मेरा शर्म से कुछ बोला
भी नही जा रहा था। तभी मेरी ननद बोली इसने तो अभी अपने नन्दोई को भी नही चढ़ाया तुम्हे कैसे चढ़ा लेगी।
दूसरी बोली सही में अभी तक नंदोई से भी बची है और कोई ब्याहीजी है या नही इसके। मेरी ननद ने कहा नही
दूसरी बोली तभी अभी तक शर्म नही खुली हमारे तो कहते है ननदोई ओर ब्याही दोनो को हक़ है जब चाहे अपनी मार ले ओर अपन को खुशी खुशी देनी भी पड़े। ननद ने कहा कोई ना आज ही मुहूर्त निकालते मेरी भाभी की उसके नंदोई से साथ सुहागरात का औऱ सब मिलकर मुझे नन्दोई के कमरे में लेकर चली। नंदोई जी बाहर थे । सब ने मुझे पलंग
पर लेटाया ओर चढ़ गई मेरे ऊपर एक ने मेरे दोनो हाथ पकड लिए ओर एक ने मेरे नीचे पेटीकोट में हाथ डाल कर
मेरी पेन्टी निकाल दी ओर दूसरी ने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल ओर ब्रा भी निकाल दी । एक बोली कुछ इसके
नंदोई को भी मेहनत करने दो। अब मुझे पलंग पे पटक के वो जाने लगी तभी मेरी ननद ने मेरे पेटिकोट में हाथ डालकर
मेरी बिना बालो की चिकनी रसभरी को सहला के कहा भाभी ऐसी हि पसन्द ह थारा नंदोई ने ओर हँसती हुई जाने
लगी फिर मुड़कर वापस आयी और बोली आपनो लॉलीपॉप समझ ही खाजो शर्म मत करजो ओर बोल के चली गयी
ओर मेरा बुरा हाल था आज तक केवल अपने मर्द का ही लॉलीपॉप चखा था पर आज। ऐसा नही था किये माहौल
आज आज में ही तैयार हो गया मेरे नंदोई तो कब से मेरे ऊपर चढ़ना चाहते थे पिछली होली पे भी मेरे कहा कहा
रंग लगाया ब्लाउज के अंदर बाहर पर खूब रगड़ाई की पर ऊपर चढ़ने को मौका नही मिला।कुछ मेरी शर्म ओर कुछ उनका संकोच पर आज तो उनका दिन था मतलब रात। हाँ तो मेरी ननद के जाने के बाद में खुद को संभाल रही थी
 
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हाँ तो मेरी ननद के जाने के बाद में खुद को संभाल रही थी
कपड़े सही कर रही थी तभी नंदोई जी आ गए और उन्होंने कमरा बंद कर दिया। बाहर से उन्हें
काफी बोल के भेजा की सलहज की खूब रगड़ाई करनी है। वो आये मैं घबरा के उठनेलगी
पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के लेटा दिया और मेरे ऊपर आगये बिना कुछ बोले अपना काम करने लगे
मुझे बाहो में ले लिया और अपने होठों को मेरे होठो से चिपका दिए। में तो शर्म से पानी पानी हुई
जा रही थी। और वो काफी देर तक मेरे होठो का रसपान कर रहे थे। और अब उन्होंने धीरे धीरे
मेरी साड़ी खोलना शुरू की मेरे एक हाथ ने उनके हाथ को पकड़ के रोकना चाहा पर वो कहा
रुकने वाले थे अब में केवल ब्लाउज ओर पेटिकोट में मेरे नंदोई के नीचे थी। नंदोई काफी जोश में थे
वो एक हाथ से पेटिकोट को ऊपर घुटने तक ले आये मेने अपने एक हाथ से रोका। लेकिन उनका दूसरा हाथ
अब मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लग गया और जल्दी ही मेरे बोबे नंगे हो गए अब उनके हाथ मेरे
नंगे बूब्स को मसल रहे थे। उनका जोश उफान पर था। आज तो लग रहा था जोरदार रगड़ाई होने वाली
है मेरी। उनका दूसरा हाथ पता नही कब मेरे पेटिकोट के नाड़े पर पहुच गया ओर उसे भी खोल दिया और धीरे
धीरे उसे नीचे सरका कर निकाल दिया । अब मैं अपने नंदोई के नीचे बिल्कुल नंगी थी । अब उनके होठ मेरे
होंठों से हटकर मेरे निप्पल पे आ गए। ओर जोर जोर से चूसने लगे । आह उ नंदोई जी धीरे करो मेरेमुँह से निकला।
पर वो कहा सुनने वाले थे ।इधर वो ओर जोर से मेरे निप्पल चूस के काट रहे थे उधर मेरी सिसकारियां बढ़ रही थी
वो एक हाथ से मेरा एक बोबा मसल रहे थे और दूसरा बोबा चूस रहे थे उनका दूसरा हाथ धीरे धीरे नीचे जाने लगा
जिसे मेने रोक लिया वो काफी जोश में आ गए थे उनका औजार उनके पाजामे के अंदर से ही मेरी वाली को
रगड़ रहा थाअब लग रहा था कि अब उनका औजार उनकी नही सुन रहा है वो जल्दी ही पजामा फाड़ कर
मेरे अंदर समा जाएगा अब जो हाल मेरे पहले बोबे का था वो ही दूसरे का हो रहा था। उनके काटने से दर्द के मारे
आंखे बंद थी और हल्की हल्की आहे निकल रही थी। अब उनके होठ नीचे जाने लगे पर पेट पर ही मेने रोक लिया
अब वो ओर देर नही चाहते थे वो अपना पजामा खोलने लगे शर्ट तो वो पहले ही खोल चुके थे अब वो भी नंगे थे
वो मेरे ऊपर आ गए और उनका डंडा मेरी रसभरी पर पूरा अपना जोर देकर रगड़ मार रहा था। कमरे में पूरा अंधेरा
था और एक कम्बल में हम दोनों नंगे। अब नन्दोई जी ने अपना डंडा पकड़ा और मेरी रसभरी के मुंह पे रख कर
अंदर डालने लगे। हल्के से जोर से ही उनका सूपाडा मेरे अंदर आ गया ओर मेरी सिसकारी निकलने लगी। क्योंकि
उनकी रगड़ाई ओर नए लंड के अहसास से मेरी वाली पनिया गयी थी।
आह आह उ नंदोई जी। अब धीमे धीमे वो अपना पूरा डंडा अंदर करने लगे एक झटका, दो, तीन, ओर फिर पूरा
अंदर । गरमागरम लंड मेरे उनके से 19 20 बड़ा ही था एक दम कडक पत्थर हुआ जा रहा था जैसे क़ोई गरम लोहे
की रॉड हो । हल्का सा दर्द और नए लंड के एहसास से में पूरी पागल हुई जा रही थी। अब तक केवल अपने पति कोऊपर चढ़ाया था पर आज नंदोई थे। अब पूरा काम तो उनके औजार को ही करना था। अंदर बाहर अंदर बाहर
अब नंदोई जी मुझे चोद रहे थे ।में भी पैर खोल के उनके लंड का स्वागत अपनी चुत में कर रही थी। अब उन्होंने
अपनी स्पीड बढाई। पूरे रूम में मेरी चूडियों पायल पलंग के हिलने की आवाज ओर दोनो के बदन मिलने की आवाज ओर तेज होती मेरी सिसकारियों बस ये ही सुनाई दे रहा था।
 
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उनके दोनो हाथ मेरे दोनो हाथों को जकड़े थे। हमारी उंगलिया
आपस मे गुथमगुथा थी। और नंदोई पूरे जोश में अपनी सलहज को हचक हचक के चोद रहे थे। उनकी धक्कों की
रफ्तार ओर बढ़ चुकी थी। और मेरा बुरा हाल कर रहा था उनका तगड़ा मूसल। 5,10 मीनट की तगडी चुदाई को सहन कर
अब मेरी रसभरी रस छोड़ने को तैयार थी मेने उनके हाथों को कस के पकड़ा और अपना पूरा रस उनके लॉलीपाप
पर डाल दिया। पर उनका औजार अभी कहा रुकने वाला था वो तो वैसे ही स्पीड में लगातार मुझे चोद रहा था। उनका मूसल पूरा अंदर जाकर मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रहा था। आ, आ ,आ, नंदोई जी ,आ आ आराम से।
मेरी चुत फिरसे गरम हो चुकी थी पर मेरे नंदोई तो बेरहमी से धक्के पर धक्के मारकर मेरी चुदाई कर रहे थे ।
औऱ बढ़ती उनकी जोरदार स्पीड से लग रहा था कि अब उनका लंड अपना लावा बाहर निकालने वाला है
पर तब तक तो मेरी चुत की जोरदार कुटाई हो चुकी थी और मेंने उन्हें कस के पकड़ के दूसरी बार अपनी रसभरी
का रस निकाल दिया ओर दो चार झटको बाद नंदोई ने भी अपनी मलाई मेरी चुत में निकाल दी पर लास्ट के दो चार तेज
झटको ने जैसे मेरी जान निकाल दी इतनी जोरदार थे। हम दोनों थक के निढाल पड़े थे । थोड़ी देर में नंदोई जी उठे
बाथरूम चले गए मेने भी अपने पेटिकोट से रसभरी से बहता रस पूछा ओर वापस नंगी ही लेट गयी। आज पहली बार अपने पति के अलावा दूसरे से चूदी थी पर थे तो अपने नंदोई इसलियें थोड़ी बहुत ग्लानि भी जाति रही। पर काफी तगडी रगड़ाई हुई आज मेरी। ओर उनके जोश को देखकर लग रहा था अभी तो हचक के चुदाई होने वाली है मेरी ।पता नही नंदोई जी आज सोने भी देंगे या नही।थोड़ी देर में नंदोई जी आ गए । में करवट लेके लेटि थी पीछे से वो आये और हग करके लेट गए उनका मुरझाया हुआ लंड जो अब भी काफी बड़ा लग रहा था पीछे से मेरी गांड की दरार में रगड़ खा रहा था और उनके
दोनो हाथ पीछे से मेरे बोबो को सहला रहे थे।
 
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उनका मुरझाया हुआ लंड जो अब भी काफी बड़ा लग रहा था पीछे से मेरी गांड की दरार में रगड़ खा रहा था और उनके
दोनो हाथ पीछे से मेरे बोबो को सहला रहे थे ओर वो पीछे से मेरी गर्दन पर किस करने लगे उनका एक हाथ सरक
कर नीचे जाने लगा मेरे एक हाथ ने उसे पकडा फिर भी वो मेरी रसभरी को हल्के हल्के सहला रहा था इन हमलों से मैं
वापस गरम हो रही थी और इनकी बाहो में आगे पीछे होके मचल रही थी। उनका डंडा भी अब धीरे धीरे सख्त होकर
मेरी गांड की दरार में चुभ रहा था। मुझे पता था अगर दूसरी बार चुदाई हुई तो वो पहले से भी जोरदार होगी। क्योंकि मेरे
पति भी दूसरे राउंड मे मेरी चूत का कचूमर बना देंते थेओर नंदोई तो आज अलग ही जोश में थे। उनके सख्त होते लंड से ओर सब्र नही हो रहा था उन्होंने मुझे सीधा किया ओर मुझ पे चढ़ गए। ओरअपने होठ मेरे होठो से चिपका दिए और अपने लंड से मेरी चुत को रगड़ने लगे। अब उन्होंने अपने डंडे को पकड़ा और मेरी रसभरी की मुंह पर रखा जोश में वो इतने बावले थे कि एक ही बार मे आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में था। दूसरे झटके में तो पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया।
आआआआआआ नंदोईजी आराम से।उनका लंड तेजी से अंदर बाहर होकर वापस मुझे चोद रहा था। अब तो शुरू से ही उनकी धक्को की स्पीड ज्यादा थी नंदोई के लंड पे तो जैसे तूफान सवार हो बड़ी बेहरहमी से मेरी चूत की कुटाई कर रहा था। ओर तेज होती चुदाई से मेरी भी रसभरी में दर्द होने लगा।रूम तो दोनों के शरीर के मिलने के आवाज पट पट पट से गूंज रहा था और वो ओर धीमे धीमे तेज हो रही थी। ओर बाहर से औरतों के ठहाको की आवाज भी आ रही थी मेरी
ननद ही होगी वो जो चाहती थी वो तो हो रहा है । उसका पति उसकी भाभी की कितनी जोरदार चुदाई कर रहा था बाहर जाती आवाज से शायद उसे भी पता चल गया हो कल तो बहुत छेड़ने वाली है फिर तो मेरी ननद। नंदोई जी धीमे करो मेने कहा पर आज कहा सुनने वाले थे वो। लंड तो पूरा अंदर जाकर मेरे अंदर चोट पहुचा रहा था।और मेरी रसभरी ओर ज्यादा नही सहन कर पा रही थी। आह आह नंदोई जी बोलते हुए आखिर झड़ गयी पर वो तो अभी उसी ही स्पीड में चोद रहे थे अब लास्ट की तो चुदाई ओर भी जोरदार हो रही थी ओर मेरी चीखे निकल रही थी । अरे बार्रे नंदोई जी धीमे।मुझे झड़े भी 10 मिनट हो गयी होगी पर वो कहा रुक रहे थे में वापस झड़ने के कगार पर आ गयी और अब तो इनके धक्के सीधे बच्चेदानी पर जा रहे थे। आह मेरा हो रहा था और एक तूफानी धक्के के साथ दोनो झड़ गए। दोनो वापस निढाल हो के लेट गए
पहले से भी ज्यादा अब थकान थी ।चुदाई भी तो पहले से ज्यादा देर तक हुई थीं ।अब मेने अपना पेटिकोट संभाला ब्लाउज भी पहना ओर बाथरूम में चली गयी अभी की चुदाई से तो टांगे भी सीधी नही हो पा रही थी। अपनी रसभरी पे पानी डाल के साफ करके उसे रिलैक्स किया और वापस आ गयी वापस आते ही नंदोईजी ने जकड़ लिया वापस पूरी नंगी कर दिया ओर हम दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहो में सोने लगे। आज क्या चुदी थी में पूरा बदन टूट गया पर
पूरा मन की गई चुदाई के आनंद से सराबोर हो गया। ओर पता ही नही कब नींद आ गयी।
सुबह 6 साढ़े 6 बजे मेरे बूब्स पर उनकी जीभ महसूस हुई नंदोई जी तो सुबह सुबह ही चालू हो गए
 
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सुबह 6 साढ़े 6 बजे मेरे बूब्स पर उनकी जीभ महसूस हुई नंदोई जी तो सुबह सुबह ही चालू हो गए । रात भर उनके साथ मै नंगी सो रही थी जिनसे में घूँघट निकालती हु उनसे चिपक कर पूरी रात नंगी सोई थी मैं इसलिए अब शर्म तो कम हो गयी थी। नंदोई मेरे बूब्स को काट रहे थे और मेरी सिसकारियां निकलने लगी उन्हें लगा में जग गयी और वो ऊपर आ गए
ओर मेरे होठो को धीरे धीरे चूमने लगे। अब तो मैं भी उनका साथ दे रही थी । वो वापस नीचे हुए और मेरे बूब्स को चूसने लगे छोटे बच्चे जैसे मेरा दूदू पीने लगे ऐसा लग रहा था जैसे दूध की एक बूंद भी वो छोड़ना नही चाहते। मेरा बुरा हाल हो रहा था । नीचे उनका लंड भी चुत में ठोकरे खा रहा था। अब वापस वो मेरे होठो को चूमने लगे और अपना डंडा पकड़ के
मेरी रसभरी के मुंह पे लगाया और धीरे धीरे बड़े प्यार से अंदर कर रहे थे।कल रात की जोरदार चुदाई के बाद मेरी चूत
सुन्न पड़ी थी थोड़ा सा लंड अंदर जाते ही हल्का हल्का दर्द होने लगा पर सुबह सुबह नंदोई जी का रूप बदला बदला
लग रहा था। कल रात जो हचक हचक के चोद रहे थे वो अब बड़े प्यार से लंड डाल के बड़े आराम और बड़े प्यार से मेरी चुदाई कर रहे थे । धीमे से पूरा लंड बाहर निकालते ओर धीमे ही पूरा लंड अंदर कर देते । साथ मेरे होठो पर बड़े प्यार से चुम रहे थे। वो लगातार इसी स्पीड में मुझे चोदे जा रहे थे और मेरे मुँह से उ आ आउच नंदोई जी के अलावा कुछ नही निकल रहा था । उनकी 10 15 मिनट की प्यारभरी चुदाई का मेरी चुत ने डटकर सामना किया और झड़ी नही।
अब उनका उनके लंड पर से कंट्रोल हट चुका था और उनका लंड कल रात वाली स्पीड में मुझे हचक हचक के चोदे
जा रहा था। आआआआआआ नंदोईजी आराम से। उनका लंड मेरी चुत में लगातार जोर से टक्कर मार रहा था।
लेकिन मेरी रसभरी अब भी डटी थी और लंड का जमकर मुकाबला कर रही थी। नंदोईजी का लंड अब आप से
बाहर था और मेरी चुत की जोरदार कुटाई कर रहा था लगभग आधे घंटे की चुदाई को हो चुकी थी। नंदोई के एक
जोरदार झटके से उनका लावा मेरे अंदर था और एक चीख के साथ मेरी रसभरी ने भी अपना रस छोड़ दिया।
मेरी चुत में तो जेसे बढ़ आ गयी हो। रात भर जितना रस बहा उतना तो एक ही बार मे निकल गया। मेरी वाली ने
भी लगभग आधा घंटा नंदोईजी के मूसल को घोंटा था। ओर इस चुदाई में उनके लंड का पूरा साथ निभाया था।
हम दोनो थक के निढाल हो गए। बाहर भी चहल पहल होने लगी थी सब उठ गए थे। नंदोईजी ने कपड़े पहन ओर बाहर चले गए। इस पूरी रात ओर सुबह की चुदाई में न उन्होंने बात की न मेने दोनोके शर्म लिहाज का दायरा था। जिनका लिहाज करके घूँघट करती थी उनसे ही नंगी होके चुदवाई थी पर आदर सम्मान लिहाज उतना ही था। मैं भी उठ कर अपने कपड़े पहने ओर बाथरूम चली गयी। वह अपनी रसभरी को पानी से धोया सही में कितना रस टपका था आज मेरा। नंदोईजी ने
कस के चोदा था मुझे। में बाथरूम से वापस आयी तो पलंग पे मेरी ननद बैठी थी जो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ओर उसे देखकर मेरी नजरे नीची थी। उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने पास बैठा लिया ।ओर पूछने लगी क्यों भोजाई पसंद आयो
कई। मेने कहा क्या। वो मेरी रसभरी पे हाथ रख के बोली इसने जो रात भर घोटा था वो। में बस शर्मा गयी। फिर वो बोली क्यों कितने राउंड खेले कल। मेरे से कुछ बोला ही नही जा रहा था फिर वो बोली एक मैंने ना में सर हिलाया फिर बोली
दो वापस मेने ना में सर हिलाया फिर बोली तीन मेंने हा में सर हिलाया फिर वो हँसने लगी फिर बोली फिर खूब मजा कराया
होगा तुम्हारे नंदोई ने ओर बोली सुबह पहले जगा के लि या नही। मैन बोला हाँ नंदोईजी तो सुबह पहले ही चालू हो
गए थे। वो बोली भाभी सुबह सुबह लेने की तो उनकी आदत है। फिर बोली चलो भाभी नहा धो के फ्रेश हो जाओ
में बोली मेरी ब्रा पैंटी तो देदो। वो हँसते हुए बोली भिजवाती हु फिर चली गयी में भी नहा धो के फ्रेश हो के काम मे लग
गयी फिर दिन को रेस्ट करने लगी दिन तक भी ऐसा लग रहा था जैसे नंदोईजी का लंड अभी भी मेरी चुत में अंदर बाहर हो रहा है। शादी को दो चार दिन ही थे अब नंदोईजी ने काम मे व्यस्त हो गए और ननद भी कभी कभी गीतों के टाइम छेड़खानी हो जा ती थी।अब मेरी चुत को नंदोईजी जी का लंड लिए हुए दो दिन हो चुके थे मेरी चुत को भी उनके लंड
की याद आने लगी थी और मुझे भी पता था उनका लंड भी मेरी वाली के लिए तड़प रहा होगा । शादी के दिन पहले सुबह मै मेरी ननद बैठे थे नंदोईजी तैयारियो मर बिजी थे और सुबह बाहर से आये थे ओर आके मेरी तरफ देख के मेरी ननद
से बोले आके मेरी थोड़ी सी मालिश कर दे और रूम में चले गए। मेरी ननद बोली अब भी मालिश मैं ही करु आपकी ये सलहज
कब काम। आएगी । और मेरे मना करने पर भी कटोरी में तैल डाल के मुझे उनके रूम में भेज दिया।
 
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शादी के एक दिन पहले सुबह 10 11 बजे के लगभग मै मेरी ननद बैठे थे नंदोईजी तैयारियो में बिजी थे और सुबह बाहर से आये थे ओर आके मेरी तरफ देख के मेरी ननद
से बोले आके मेरी थोड़ी सी मालिश कर दे और रूम में चले गए। मेरी ननद बोली अब भी मालिश मैं ही करु आपकी ये सलहज
कब काम। आएगी । और मेरे मना करने पर भी कटोरी में तैल डाल के मुझे उनके रूम में भेज दिया।
ममैं रूम में आई दरवाजा बंद किया नंदोई केवल पाजामे में पेट के बल लेटे हुए थे। मेने तेल की कटोरी पास की
टेबल पर रखी और थोड़ा तेल लेके उनके पीठ पर लगाने लगी। वो सीधे हो गए और मेरा हाथ पकड के मुझे खुद
के ऊपर ले लिया। मैने अभी भी उनसे घूँघट कर रखा था । वो मेरा घूँघट हटाने की कोशिश करने लगे
पर मैं अपने हाथों से उन्हें रोकती रही लेकिन वो कामयाब हो ही गए। मेरा शर्म के मारे बुरा हाल था। अब उन्होने मुझे नीचे करा ओर खुद मुझ पे चढ़ गए। मेने तेल की तरफ इशारा करते हुए कहा मालिश। वो बोले मे करता हु तुम्हारी मालिश
ओर बाहों में जकड़ लिया। मुझे पता था अब कौनसी मालिश होगी मेरी। वो भी दिन के उजाले में ।पहले तो रात का अंधेरा था और कम्बल थी अब तो कुछ नही था इसलिये अब ओर ज्यादा शर्म आ रही थी। नंदोईजी अब मुझे चूमने लगे में भी उनका साथ देने लगी ।साथ ही अब उन्होंने मेरी साड़ी खोल दी और।पेटिकोट घुटने तक लियाये ब्लाउज के भी दो तीन हुक खोल दिये।आज तो नंदोई जी कुछ और ही चाहते थे उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के खुद के पाजामे में कैद अपने लंड पर
रख दिया।मैं हाथ हटाने लगि पर उनके हाथो ने कसकर मेरे हाथ मे लौड़ा थमा दिया । अब मैं भी उनके चुम्मे का जवाब
दे रही थी और उनके तगड़े मूसल को जो अब खूब तन्नाया हुआ था उसे अपने हाथ से ऊपर नीचे कर रही थी। कितना बड़ा था हाथ मे ही नही आ रहा था। एक दम गरमागरम। क्या एहसास था। अब उन्होंने मुझे बैठाया ओर खुद पूरे नंगे
हो गए पहली बार उनके हथियार के दर्शन हुए कितना तगड़ा था एक दम खड़ा। अब वो लेट गए उन्होंने मुझे अपनी टांगों
के पास बिठाया ओर मेरे मुंह को अपने लंड के पास ले गए मैं शर्मायी एक तो आधी नंगधडंग हो गयी थी और आंखों के सामने उनका काला लंड।आज नंदोईजी अपना लॉलीपाप चुस्वा के ही मानने वाले थे ।मेने उनके लंड को मुंह मे लिया ओर धीरे धीरे
चूसने लगी अपने मुंह मे अंदर बाहर करने लगी क्या स्वाद था उनके लंड का अब मैं थोड़ा खुल गयी और उनके लंड को बढ़िया से चूसने लगी जिस लंड ने मुझे इतना मजा कराया था अब मैं उसे मजे करा रही थी अब नंदोईजी जी सिसक रहे थे। बीच बीच मे बोल देते हा ऐसे ही करो ऐसे ही। में अब पूरा लंड मुह मैं ले रही थी पुरा गले तक जा रहा था। ‘उम्म्म्म उमग्ग्ग उम्म्म. बीच मे बीच मे वापस बाहर निकाल देती गले मे खासी होने लगी थी। अब नंदोईजी से रुका नही गया और उन्होने मुझे लेटाया ओर मेरे ऊपर आगये उनके लंड की चुसाई से तो वे जोश में बावले हो गए थेअगले पल तो मेरा ब्लाउज ओर पेटिकोट खोल कर पूरी नंगी कर दिया। मेरी चुत भी जलदी से उनका मूसल घोंटना चाहती थी। पर जिनसे अभी तक घूँघट किया इतना लिहाज किया उनके सामने पूरी नंगी वो भी उजाले में थोड़ा संकोच तो था पर कुछ भी हो अभी तो बस अपनी रसभरी की सुननी
थी जिसे बस नंदोई का मूसल दिख रहा था।उन्होंने लंड को चुत के मुंह पर सेट किया और बड़े बड़े धक्के मारने लगे 2 झटको में ही पूरा मुस्सल अंदर जड तक कर दिया । आँआह … उम्म्ह… अहह… हय नंदोईजी… याह… ओह।। आराम से।पर वो तो जोरदार चुदाई के मूड में थे। लंड की धकमपेल शुरू हो गयी थी।उनके ज़ोरदार धक्को से मेरी चुचिया भी उछल रही थी।इधर मेरी रसभरी को ज़ोरदार कुटाई से मजा भी आ रहा था और हल्का दर्द भी हो रहा था। लंड तो बस फाड़ रहा था मेरी। तेजी से बाहर जाता वापस उतनी ही
तेजी से पूरा अंदर तक पहुच जाता। अब नंदोईजी जी अपने दोनों हाथों से मेरे दोनो बोबो को पकड़ के ओर कस के अपना लंड मेरी चुत में पेल रहे थे । ऊम्म्म्म नंदोईजी… आह धीरे!आज वापस नंदोईजी का लंड मेरी चुत की चटनी बना
रहा था। उनके लंड के तेज झटकों ने आखिर मुझ को झड़ा दिया। उन्हें कस के पकड़ के मेने अपनी अपनी रसभरी का रस निकाल दिया लेकिन उनका लंड तो अभी भी मुझे हचक हचक के चोद रहा था। मेरी चुत गीली होने से पूरे रूम
में फचक फचक की आवाज आ ने लगी। उनके लंड का तो लावा तो निकला नही मेरी चुत वापस गर्म हो गयी। अब नंदोईजी के तूफानी धक्कों से लगा उन्हे हो रहा हैं लेकिन उनसे पहले में दोबारा झाड़ गयी और दो चार झटको के बाद नंदोईजी ने मेरी रसभरी को अपने गरमागरम वीर्य से भर दिया। दोनो थक के निढाल थे । उन्होंने मेरे माथे पे चुम्मा
दिया और बोले क्यों सलहज जी हो गयी मालिश मेने शर्मा के मुंह फेर लिया ।
 
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नंदोईजी का भी फ़ोन बजने लगा। शादी की तैयारी के हिसाब से उन्हें जाना था। उन्होंने कपड़े पहने ओर चले गए।इतनी चुदाई के बाद भी मन तो मेरा कर रहा था नंदोईजी एक ओर राउंड खेल लो फिर चले जाना।मेने कपड़े पहने इतने में मेरी ननद आ गयी और बोली। भोजाई नंदोईजी की मालिश के लिए भेजी पर खुद की मालिश करा ली।और हँसने लगी।ओर मेरी रसभरी की तरफ देख कर बोली भोजाई नंदोईजी को घोंट कर ब्याहीजी के लिए तैयार होगी या। उसके बाद तो सब शादी में बिजी हो गए और वापस नंदोईजी के नीचे आने का मौका नही मिला। ओर शादी से फ्री हो के मै भी जल्दी घर आ गयी।
अब मुझे भी मेरी बिटिया के लिए लड़का देखने जाना था। मैं ओर मेरे पति देव गए लड़का भी देख लिया। और होने वाले ब्याही बयान से भी मिल लिए। अब उन्हें हमारे घर आना था लड़की देखने। एक दिन वो आ गए और रिश्ता भी पक्का कर लिया। अब फाइनली मुझे नए ब्याही बयान मिल गए। ब्यानजी का नाम रवीना था फिगर भी रवीना टंडन जैसा भरा पूरा ब्याही जी की मेहनत दिख रही थी खूब दबाके मोटे किये थे ।ओर ब्याहीजी लम्बी चौड़ी कद काठी के थे।मुझ से उम्र में दो तीन साल ही बड़े थे। रिश्ता पक्का हुआ तो मेरी ननद का फ़ोन आया और मुझे छेड़ने लगी बोली नया ब्याहीजी मिल गया अब उनके निचे आने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही दिनों में मेरी बिटिया की सगाई थी।
 
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पहले जब मेरी बिटिया का रिश्ता पक्का करने मैं ओर मेरे पति उनके घर गए थे तब ही मेरी ब्यानजी कितनी छिछोरी है पता चल गया था मैंने उनसे हाथ जोड़कर राम राम किया और वो पास आयी गले लगकर दो उंगली मेरी गांड में साड़ी के ऊपर से ही कि ओर बोली अब तो थे ब्यानजी बन गया हो तो अब तो राम राम इसाण होई। ओर हँसने लगी में क्या बोलती बस शर्मा गयी। पता चल गया था कि किसी दिन उनके हाथ लग गयी तो जम के रगड़ाई होगी मेरी।

अब हम भी सगाई की तैयारियों में बिजी हो गए। वो अपने रिश्तेदारों के साथ हमारे घर आने वाले थे और रात रोककर सुबह उन्हें विदाई देनी थी। मेरी ननद भी जल्दी आ गयी थी पर नंदोईजी भी बिजी होने के कारण बाद में आने वाले थे। सगाई वाली सुबह मेरी ननद बोलीभौजाई आज तो नई ब्यानजी की खूब रगड़ाई करनी है। मेने भी बोला हाँ पहली ब्यान है रगड़ाई तो बनती है। शाम को सब मेहमान आगये ब्याहीजी ब्यानजी पावणा ओर उनके रिश्तेदार। आते ही ब्यानजी मेरे गले लगी मेने भी उन्हें कस के जकड़ा ओर अपनी दो उंगली साडी के ऊपर से उनकी गांड में वो भी कहाँ कम थी उन्होंने भी मेरी गांड में उंगली की बोली राम राम ब्यानजी।
थोड़ी देर दोनो ऐसे ही रही फिर हटी। अब मेरी ब्यान को मेरी ननद ओर मेरे रिश्तेदारों ने घेर लिया। मेरी ननद ने पीछे से आकर ब्यान जी के दोनों भारी भरकम बोबो को पकडकर औऱ बाकी
ओरतो, किसी ने ब्यान जी की चूत सहला के किसी ने गांड में उंगली देखे किसी ने बोबे दबाकर नई बयान से राम राम किया और अभी से ही ब्यान की रगड़ाई शुरू कर दी।
 
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और ब्यान जी का गालियों से स्वागत किया मेरी ननद ने गीतों में गालियां देनी शुरू की। बोली,
ब्याहीजी वाली न मोरयो लेग्यो, बागां में जार पफेड़ी र
हां बागां में जार पफेड़ी र।
खेत-खेत का चणा रुखाल्या पालर पाणी पीदो रे हां पालर पाणी पीदो रे
बारा बारा बरसा परणया क रहगी तो ही ठालड़ रेगी र, हां तो ही ठालड़ रेगी र
एक रात म्हारा खसम क रहजा झटपट लालो लेजा ये, हां झटपट लालो ले जा ये
काणी छोरी हो तो थारी जेलू भूर्यो बेटो हो तो मारो ये, हां भूर्यो बेटो हो तो मारो ये।

एक रात म्हारा खसम क रहजा झटपट लालो लेजा ये, हां झटपट लालो ले जा ये।

ब्यानजी से मस्ती तो चालू थी। साथ मे सगाई का प्रोग्राम भी चालू हो गया था। रिंग सेरेमनी हुई। फिर खाने का प्रोग्राम । अब हम सब ब्यानजी की मनुहार करने लगे खाने की। मैने सबसे पहले पहले एक बड़ा गुलाब जामुन
उनके मुंह मे ठूस दिया वो अंदर नही गया उसके पहले ही दूसरा भी ठूस दिया। अब तो ब्यानजी का मुंह पूरा भर गया कुछ बोला क्या कुछ निगला भी नही जा रहा था। पास में से कोई बोली ब्यानजी मोटा मोटा लॉलीपाप लियेड़ा हैं मुंह मे ये तो आराम से कहा ले ई । ओर सब हँसने लगी । फिर सबने कुछ न कुछ खिलाके ब्यान की मनुहार की।
मेरी ननद कहा कम थी वो ब्यानजी के पेटिकोट में हाथ डालकर उनकी रसभरी पर गुलाब जामुन लगा कर बोली ब्यानजी आता से मीठो मुंह करलो। पास में से कोई बोली अटे तो मोटा मोटा मूसल सु मीठो मुंह करे ब्यानजी। खाने
के टाइम भी बहुत छेड़ा ब्यानजी को चैन से खाना भी नही खाने दिया खूब मस्ती की। अब सोने की बारी थी सब जेंट्स को ऊपर छत पर सुला दिया उनके साथ आई रिश्तेदार औरतों को पास के कमरे में सुलाया पर केवल ब्यानजी
के लिए सोने की अलग व्यवस्था थी। केवल उन्हें हमारे पास सुलाया ताकि रात भर उनकी रगड़ाई कर सके। एक बड़े डबल बेड पर में मेरी ननद ओर बीच मे हमारी नई ब्यान थी और कमरे में मेरी 5,6 रिश्तेदार थी हम 7,8 थी और मेरी
बयान अकेली।अब धीमे धीमे ब्यानजी से हंसी मजाक होने लगी मेरी ननद ने ब्यानजी की रसभरी को सहला के पूछा
ब्यानजी कितना को घोंटी या। ब्यानजी थोड़ी देर चुप रही तो दूसरी बोली ब्यानजी गिन रिये कितना को ली है और फिर सब हँसने लगी। अब हमें मैन काम करना था क्योंकि फ्री होते होते वेसे ही बहुत टाइम हो गया था। अब मैने बोला ब्यानजी गर्मी हो री होइ लाओ थाका कपड़ा उतार देवा।मेरी ननद बोली भोजाई पहली ब्यान है कपडा उतारा कोनी फाड़ा। ओर अब ब्यानजी कस वस्त्रहरण चालू हो गया। पहले ब्यानजी की साड़ी खुली ।ब्यानजी ने भी काफी बचाव किया पर वो अकेली थी उनका बस कहा पे चलता। अब मेरी ननद ने सीधे उनके पेटिकोट में हाथ डालके उनकी चड्डी को खीच के बाहर निकाल दिया और उनके सामने ही उनकी चड्डी फाड् दी जैसे कह रही हो कि जैसे उनकी चड्डी फटी है वैसे उनकी भी फटने वाली है। अब ब्यानजी छटपटाने लगी पर एक हाथ से मैने उनकी पेटिकोट की दरार को पकड़ा और दोनों हाथों से जोर लगा के उनके पेटिकोट को चर्र की आवाज के साथ फाड् दिया। अब बेचारी ब्यान केवल ब्रा में थी अब ओर अपने दोनों हाथो से अपनी रसभरी को हमसे छुपा रखा था। ओर बोल रही थी। ब्यानजी मानो कई इज्जत लूट री हो म्हारी।पर आज तो ब्यानजी की इज्ज़त तार तार होने वाली थी। अब ब्यानजी की बची ब्रा भी हमने फाड् दी। अब हमारी नई ब्यान हमारे सामने पूरी नंगी थी। अब कोई ब्यान की गांड में उंगली कर रही थी तो कोई उनके बोबे दबा रही थी। और उन्हें बोल रही थी कितनो से डब्वाया है जो इतने मोटे मोठे हो गये। अब एक तरफ में एक तरफ मेरी ननद ओर बीच मे मेरी ब्यानजी। ब्यानजी का एक बोबा मेरे मुंह मे तो एक मेरी ननद के, दोनों उनके बच्चो जैसे दूदू पी रहे थे। और हमारे पड़ोस में रहने वाली रश्मि भाभी उनकी टाँगों के बीच
उनकी रसभरी को अपनी उंगली से चोद रही थी।
 
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उंगली जाते ही ब्यानजी कसमसाने लगी तभी रश्मि भाभी बोली
ब्यानजी आराम से करवा लो नही तो पूरी मुट्ठी पेल देऊ। इस तिहरे हमले से ब्यान मचल रही थी । हमारी जीभो ओर रश्मि भाभी की उंगली ने उन्हें सिसकने पर मजबूर कर दिया। आआआह मम्मम्ह!अब तो ब्यानजी को खूब प्यार करना था और अपने प्यार
की निशानी भी छोड़नी थी जो उनके गर्दन पर बोबो पर काट के छोड़ रहे थे। काफी देर उनका दूदू पीने ओर उनका बोबा काटने के बाद मेरी ब्यान भी चुदासी होने लगी थी । मेरी ननद ने भी अब उनके बोबो को छोड़ कर होठो पे हमला किया दोनो होंठो को अपने होठो में लेके जोर जोर से चूसने लगी थोड़ी देर बाद ये मौका मुझे मिला पहले बार किसी औरत का चुम्मा ले रही थी मैं। मेने भी उनके होठो को जम के चूसा। नीचे भी रश्मि भाभी दो दो उंगलियों से उनकी रसभरी को मथ रही थी। अब हमें ब्यानजी को झडाना नहि था बल्कि ओर कुछ स्पेशल देना था। अब मै बाहर गयी और किचन में रखे फ्रिज से ब्यानजी के लिए स्पेशल चीज ले आयी जो मेरी ननद ने खास ब्यानजी के लिए खरीदे थे। सुबह ही मेरी ननद लंबे लंबे और मोटे मोठे खीरे लाई थी। अब मेने दो चार खीरो में से मेरी ब्यान से पूछा
ब्यानजी कौनसो खीरो खाओं। वो बोली कोइसो ही काटलो। मेरी ननद उनकी रसभरी पर हाथ रख के बोली यो मुंह से खाबा को कोनी अटे से खाबा को है।मेरी बयान बोली अरे बार्रे म्हारी फाड् देओ थे तो। अब एक लंबा मोटा सा खीरा मैंने ओर एक खीरा मेरी ननद ने लिया ओर वापस उसी पोजिशन में आ गयी बीच मे ब्यानजी ओर अगल बगल हम दोनों। अब मेरी ननद ने खीरा ब्यानजी की रसभरी के मुंह पर लगाया और उसकी पंखुड़ियों को खोलने लगी । ओर धीरे धीरे खीरा घुसाने लगी ।और ब्यान की सिसकारियां निकलने लगी। अब वो धीरे धीरे मस्ती में आके हमे गालियां देने लगी।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ब्यानजी की लोड़ी फाड् मत दीजो इने।’इतनी रगड़ाई के बाद ब्यानजी कि रसभरी लसलसाने लगी थी।अब मेरी ननद ने मुझे इशारा किया और अपना खीरा हटा लिया । अब मेरी बारी थी उनके खीरा डालने की अब मेने अपना लम्बा मोटा खीरा उठाया और ब्यान जी की रसभरी में डालने लगी। धीरे धीरे करके लगभग एक चौथाई खीरा ब्यान के अंदर डाल दिया। अब ब्यान चिखि ओर बोली। अरे बार्रे ब्यानजी फाट गी म्हारी।
ओर मुझे गली देती हुई बोली अरे ब्यानजी मानो थांकी जीसान बोस्यो थोड़ी ह म्हारो फाट जाई म्हारी। मेरी ननद बोली ब्यानजी फटेडी तो पहली से ही है थाकि। रश्मी भाभी ब्यानजी के लिये बोली
लंड बिना न हो सवेरो लंड बिना न ढले जीकी रात
इसान की है आपणी फटा बोस्या की ब्यान।।
बोलो फटा बोस्या की ब्यान।
ओर हम सब हँसने लगी। काफी देर तक हम दोनों अदल बदल कर अपने खीरा से ब्यानजी को चोद रहे थे।
अब मेरी ननद सीधी हुई और बोली बहुत देर होगी ब्यानजी ने तड़फते हुए और तेजी से खीरा ब्यानजी की रसभरी में करने लगी। अंदर बाहर अंदर बाहर सटासट सटासट आधे से ज्यादा खीरा ब्यानजी की रसभरी में जा रहा था। और ब्यानजी सिसकते हुए आंखे बंद करके चुदाई का आनंद ले रही थी। आआ हहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ब्यानजी। अब ननद के खीरा की भी स्पीड बढ़ने लगी और मेरी ब्यानजी की सिसकारियां भी उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ म्हारी ब्यान।। अब एक जोर के झटके में ब्यानजी का फव्वारा छूट गया। और उन्होंने रसभरी का सारा
रस खीरे पर निकाल दिया। और हम सब बोले चुद गए ब्यानजी।
 

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