Erotica चुदकड ब्यानजी by स्नेहील

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इनकी सुहागरात ओर हनीमून के बाद चलते हैं वापस अपनी महिमा के पास बाकी की कहानी उसी की जुबानी

मैं अपनी ब्यान से बदला लेने का सोच ही रही थीकी उनदिनों मुझे अपने बड़े बेटे के लिए लड़की देखनी थी तो हम लड़की देख आये।।

दीया जिसे महिमा देख के आयी ।।
आपको बताते है दीया के बारे में वापस महिमा को आराम देते है।

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दीया बहुत सुंदर थी फिगर भी बढ़िया था। वो होस्टल में रहती थी वहाँ से ही अपनी कॉलज पूरी कर रही थी।
वो अभी वर्जिन थी बस आगे से।।। पीछे तो दो चार के लिए थे।दो तीन बॉयफ्रेंड तो अभी भी थे उंसके।। उसे पता था कि उसके गांव में ऐसे रीतिरिवाज है कि अगर सुहागरात को खून नही निकला तो लड़की की शादी टूट जाती है और बेज्जती होती है वो अलग । इसलिए उसने अपनी आगे वाली को बहुत संभाल कर रखा था। उसे लड़के वाले देखने आए इसलिए वो गांव आयी थी।वो तो थी एकलौती ,एक भैया भाभी मम्मी पापा यही सब थे।उसकी भाभी थी प्रिया भरे पूरे बदन की थी शादी को 5 साल हो चुके थे एक साढ़े तीन साल का बच्चा भी था आशु।दीया अपनी भाभी से काफी खुली हुई थी सब शेयर करती थी। उसकी भाभी भी कभी कभी उसकी रगड़ के लेती थी कभी कभी तो दोनों साथ साथ नहाती थी। दोनो एक दूसरे के राज जानती थी। लड़के वालों के जाने के बाद प्रिया भाभी दीया से बोली क्यों केन्का लाग्या पावणा।।
ठीक है भाभी। बाकी तो आप सब देखलो।भाभी आप ध्यान रखना ना मै उससे मिलके आती हु। दिया का यहाँ भी एक बॉयफ्रेंड था भानु ।।घर के पास ही एक छत छोड़कर उसकी भाभी को भी पता था।। वो बोली ठीक है जल्दी आ जाना और तेल लगाके जाना ओरआराम आराम से लेना।क्या भाभी आप भी।।।।।दीया अपनी छत से उसकी छत पे पहुची ऊपर ही उसका रूम था रूम खुला ही था और दोनो एक दूसरे को किस करने लगे इतने दिनों बाद आई है मेरी रानी वो उसे पीछे करके दोनो हाथों से उंसके बोबे दबाने लगा।

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अऊच धीमे कर ना।अब उसने दीया का कुर्ता उतारा और उसे बेड पे ले गया।दीया भी उंसके लण्ड को टटोलने लगी। पेंट के ऊपर ही दिया ने उसके लण्ड को पकड़ लिया।

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भानु ने एक हाथ से दीया का सलवार का नाडा खोल दिया। सलवार अब नीचे था। दीया केवल ब्रा पैंटी में थी उसकी ब्रा बड़ी मुश्किल से उंसके बोबो को संभाले थी ।।भानु ने अपनी पेंट खोली दीया ने उसका अंडरविअर भी खोल दिया और भानु का लण्ड बाहर आ गया। यह वही लन्ड़ था जिसने दीया की गांड का छेद खोला था । दीया ने उसे हाथ मे लिया और नीचे बैठ के चूसने लगी।

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भानु ने उसकी ब्रा खोल दी और उसके मोटे मोटे बोबे बाहर आ गए।दीया अब उसके आन्डो को मुंह मे ले के चूस रही थी भानु अब पूरा गर्म हो चुका था। उसने दीया को उठाया उसकी पैंटी खोली ओर बेड पे लेटा दिया और बोला आज भी पीछे से। दीया बोली तू तो जनता है फिर भी पूछ रहा हैं। उसने दीया की गांड के नीचे दो तकिये लगाए और थोड़ा तेल दीया की गांड के छेद पर थोड़ा अपने लन्ड पर औऱ एक झटके में आधा लन्ड दीया कि गांड में पेल दिया।

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आ … आ … आ … ह … आह …!!!”आह भानू के बच्चे फाडेगा क्या मेरी आराम से तो कर।ओर धीरे धीरे पूरा लण्ड दीया की गांड में । अब भानु अंदर बाहर कर दीया की गांड मारने लग गया । भानु की स्पीड भी बढ़ने लगी । थोड़ी देर में दीया का दर्द जाता रहा और मजे आने लगेआह … ह … ह …!!”आह … उफ़ … हा … उई … ई … ई … हक़्क़ … सी … इ … इ … ई … ई … आह … उफ़ … हाय … जोर से करो जानू… यस … यस … ओ गॉड! सी..इ … इ … इ … ई … ई … ई!“आह भानु आह बेबी … पूरा अन्दर तक जा रहा है … आह मेरी जान पेलो … आह मेरी खुजली मिटा दो … आह तेरा वाला बड़ा मजा दे रहा है … आह!” दीया एक हाथ से अपनी चूत के दाने को भी मसल रही थी और सिसकारियां ले रही थी।

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और भानु पूरे जोश में दीया को पेल रहा था ।10 मिनट की धकमपेल के बाद भानु ने दीया को घोड़ी बनाया फिर उसकी गांड में अपना लन्ड़ डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।।

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आह भानु मेरी जान फाड़ दे आज इसे ओर जोर से डाल इसमें। भानु भी उसकी गांड पे चपेट लगाते हुए जोर जोर से पेल रहा था।

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ले मेरी जान इतने दिनों बाद आई है आज तो पूरी कसर निकालूंगा। पूरा रुम पट पट पट पट फचक फचक की आवाजों से गूंज रहा था दोनो पसीने पसीने हो रहे थे।भानु और जोर से लण्ड अंदर बाहर कर रहा था। उसका लन्ड सटासट सटासट अंदर जा रहा था। और दीया की गांड गपागप लण्ड खा रही थी।दीया को बहुत मज़ा आ रहा था और वो मस्ती के मारे ‘आह्हह … उह्ह … म्ह्ह्ह … अह्ह … ओह्ह्ह … उईई जान और जोर से अपनी दिया को ।आह मेरी जान पेलो …पेलो मेरे राजा।।।।।कर रही थी।भानु के झटके अब ओर ज्यादा तूफानी हो रहे थे।आहआह…आई… ओह… मर गई… हा… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय… सी… ई…ई’ भानु मेरा हो रहा है आह मां कमीने निकाल दिया मेरा।। ओर इसी के साथ दीया की चूत ने अपना सारा रस निकाल दिया। भानु भी दो चार तगड़े झटके देकर दीया की गांड में अपना सारा पानी छोड़ दिया।


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दोनो कुछ देर यू ही पड़े रहे फिर भानु बोला अब तो तेरी सील खुलने की तैयारी हो गयी।। आज कौन देखना आया तुझे।हा आज कोई आये थे कमीने तू अलग बिरादरी का नही होता तो तुझसे ही अपनी सील तुड़वाती मैं।।चल अब मैं चलती हु बहुत देर हो गयी बहुत थका दिया तूने तो जल्दी आऊंगी फिर।दीया वापस घर आ गयी उसकी भाभी बोली क्यों घोट आयी क्या।। क्या भाभी आपको तो पता है ना।खूब रगड़ाई हुई दिके अभी तक पसीने निकल रहे है। ठीक है आराम करले रात को साथ सोऊंगी फिर तेरी रेल बनाउंगी।। रात को दोनो साथ सो रही थी बातों बातों में प्रिया भाभी का हाथ दिया के बूब्स पर चलने लगा। आह भाभी आपकी नियत सही नही लग रही भैया को छोड़ कर मुझपे चढ़ने की तैयारी कर रही हैं आप।। हा मेरी बन्नो बहुत दिन हो गये तेरी रगड़ाई करे हुए।अब तो प्रिया भाभी का हाथ सीधे दीया की चुत को कस के पकड़ा हुआ था ।

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और एक हाथ से उंसके एक बोबे को जोर जोर से मसल रहीं थी कितने मोटे करवा लिए मेरी बन्नो ने कितनो से मसलवाये है अब दोनों हाथों से दीया कि गांड पकड़ के बोली ले ले के खूब मोटी कर ली गांड अब प्रिया भाभी ने दीया को पूरी नँगी कर दिया और खुद भी पूरी नँगी हो गयी दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस रही थी।

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अपनी चूते एक दूसरे से रगड़ रही थी ।

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आह भाभी तुम कितनी गर्म हो।। तुम भी कोई कम माल नही हो मेरी बन्नो।। चलो अब अपनी भाभी को अपनी जीभ का कमाल तो दिखाने दो ।ओर प्रिया भाभी नीचे आ गयी भाभी ने अपना मुंह आगे कर के, दीया की चूत को चूमा..दीया तो जैसे, उसकी चूत चूमने से ही हवा मे उछल पड़ी..अपने होठों को दाँत से दबा कर, वो मज़ा ले रही थी..आह भाभी उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय… उसकी भाभी लगातार, उसकी चूत को चूमते जा रही थी..अपनी जीभ बाहर निकाल कर, वो दीया की चूत के होठों पर फिरा रही थी, ऊपर से शुरू करके, नीचे की ओर, उसकी चूत के दरवाजे की ओर उसकी जीभ बढ़ रही थी..दीया के पैर फैले होने की वजह से, उसकी चूत के होंठ खुले हुए थे..अब प्रिया भाभी ने दीया की गाण्ड पकड़ कर, पीछे दबा कर दीया की चूत को ओर भी चौड़ा कर दिया था..प्रिया भाभी ने अपना मुंह खोला और दीया की चूत को अपने मुंह मे ले लिया..दीया के चूत के होंठ, भाभी के मुंह के होंठों के बीच थे और भाभी की जीभ दीया की चूत मे घूम रही थी..आह … ह … ह! ई ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़!
अब वो नीचे से ऊपर की ओर अपनी जीभ फिरा रही थी..

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दीया की चूत के दरवाजे से दीया की चूत के दाने तक, दीया की चूत चाटी जा रही थी और जल्दी ही, भाभी ने अपनी जीभ दीया की चूत के अंदर डाल दी..दीया तो जैसे उछल ही पड़ी..
उसके मुंह से जोरदार सिसकारी निकली – आआआः माँ याह याः मेरी भाभी क्या कर रही हो . !!..
थोड़ी देर दीया की चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद,
दिया की चूत से रस की नदी बह रही थी और दिया तो बहुत चूदासी हो गयी ।।वो अपनी गाण्ड हिलाने लगी, अपने पैर हिलाने लगी और अपने मुंह से सिसकारियां निकालने लगी..
भाभी अब उसके चूत के दाने को चूस रही थी..दीया जल्दी ही झड़ने वाली थी..वो भाभी के मुंह पर अपनी चूत दबाने लगी..
अचानक ही, दीया झड़ गई प्रिया भाभी अभी भी, उसकी चूत के दाने को अपने होठों मे पकड़ कर चूसे जा रही थी..
दिया जोर से चिल्लाई – ओह.. !!.. आ अहह.. !!.. रूको.. !!.. भाभी बस करो.. !!.. मेरा हो गया है.. !!.. बस करो मेरी भाभीजान.. !! ओह मेरी बन्नो हो गयी खाली निकल गया मेरी ननंद रानी का।।। हाँ मेरी प्यारी भाभी।।। ठीक है तेरा तो निकल गया पर मेरा तो तेरे भाई से ही निकलवाउंगी तेरे भाई से मेहनत करवाउंगी। तू सो जा। अब जा रही हु मै।दीया बोली भाभी कहा लोगी। जंहा तेरे भैया डालेंगे वही। फिर हँसती हुई चली गयी।।।।।
दीया भी अगले दिन होस्टल आ गयी।।कॉलेज में लेक्चर के टाइम वो ओर उसका बॉयफ्रेंड पीछे की सीट पे बैठे है। दीया उसकी पेंट में हाथ डाल कर उसका लण्ड मसल रही थी।

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उसका बॉयफ्रेंड यश बस दीया के अपने मजे के लिए था। उसका मन होता था तभी उंसके साथ करती थी बाकी नही।यश बोला जानू बहुत ईच्छा हो रही है मुँह में ले के तो निकाल दो।फिर लेक्चर के बाद दोनो वाशरूम गए वहा दीया ने यश के लण्ड को मुँह में लेके उसे चूस चूस कर उसे झड़ा दिया।

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आज दीया की एक फ्रेंड का बर्थडे था जो होस्टल में ही रहती थी। वो चार पांच फ्रेंड मिलकर उसका बर्थडे मना रही थी । जीया उसकी सहेली थी जिसका बर्थडे था। सब मिलके आज जिया की लेने वाली थी। सबने मिलके केक कटवाया ।दीया बोली केक तो आज जिया का कटेगा एक बोली जिया तो दिन में कटवा कर आई होगी।सबने मिल कर उसे केक कटवाया ओर उंसके यह वहा लगाने लगी दीया ने उसे पकड़ कर उसकी पैंटी के अंदर तक केक डाल दिया। ऐसे ही मस्ती चलती रही फिर जिया वाशरूम में साफ होके आयी। अब बेड पर तीन चार लडकियो के बीच जिया अकेली ओर दीया उनकी लीडर।अब जिया के कपड़े खुलने लगे। दीया ने उसकी बच रही पैंटी भी हटा के उसे नँगा कर दिया।ओर बोली मेरी जान पहले तो ये बता दिन को कहा गयी थी। आज किसका लिया मेरी जान ने। जिया बोली हाँ आज बॉयफ्रेंड के साथ गयी थी कमीने ने दिन भर ली मेरी ।दीया बोली ओहो मैडम जी चुद के आयी है। कोई कसर बाकी होगी तो वो हम पूरी देंगे और दीया उसके बूब्स दबाने लगी उसकी एक सहेली नीचे जिया की चुत सहलाने लगी।क्या करने वाली हो आज तुम जिया बोली।।।। दीया ने कहा मैडम जी आज आपकी गांड ओर चूत दोनो मारने वाले है।और सब हँसने लगी। थोड़ी देर बाद उसकी दो फ्रेंड जिया के दोनों बूब्स को अलग अलग चूस रही थी और दिया नीचे दो उँगली जिया की चूत में अंदर बाहर अंदर बाहर कर रही थी औऱ उसकी चुत चूस रही थी

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और जिया सिसक रही थी। आह दीया मान फाडेगी क्या मेरी।।औऱ थोड़ी देर में जिया ढेर हो गयी। दोनो तीनो रातभर जिया की लेती रही ।।

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तो ऐसी है महिमा की होने वाली बहु दीया।
 
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वापस महिमा की जुबानी
लड़की देख के आगये पकी भी हो गयी अब सगाई की तैयारी होने लगी।सगाई के साथ मेरी बुरी गत की भी। नई ब्यान ने पहले ही चैलेज कर रखा था मुझे की सगाई मै मुझे नँगी करके भेजेंगी।ब्याहीजी भी काफी ठरकी लग रहे थे। मीले थे तब ही ऊपर से नीचे तक ताड रहे थे मुझे ।। अभी एक ब्यान से तो बदला पूरा नही किया और दूसरी ओर मुझपे चढ़ाई की तैयारी कर रही थी।।।खैर सगाई का दिन भी आ गया। हम ब्यानजी के घर रवाना हुए। एक कार में मेरे पति ड्राइव कर रहे थे पास में एक रिलेटिव था और मैं मेरी नंनद नंदोईजी पीछे बैठे थे मैं बीच मे थी।मैंने घूँघट निकाल रखा था। कुछ देर चलने के बाद ही नंदोईजी कि हरकते चालू हो गयी। उनका हाथ मेरी जांघो को सहला रहा था। फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ पे रख दिया। मेरी उंगलियों में अपनी उंगलिया डाल दी ।कुछ देर बाद उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लौड़े पर रख दिया। मैं भी उनके लौड़े को पेंट के ऊपर से ही सहला रही थी।पेंट के ऊपर उनका लौड़ा आकार ले रहा था और उनका तना हुआ लौड़ा साफ देखा
जा सकता था।

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मेरे पति ड्राइव में बिजी थे और रिलेटिव ओर नंनद सोने में और नंदोईजी और मैं इस खेल में बिजी थे।तभी मेरी नंनद ने शॉल मांगी। मैंने एक उन्हें दी और एक मैं औऱ नंदोईजी आधी आधी पाँव तक ओढ़ ली। अब नंदोईजी ने अपनी पैंट की जिप खोल दी और मेरे हाथ डालने लगे। मैंने जिप में बड़ी मुश्किल अपना हाथ डाला औऱ उनके नँगे लौड़े को पकड़ लिया।गरमगरम लौड़ा मेरे हाथ मे था।मैने उसे जिप के बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठिया रही थी।

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मस्ती के मारे मैं भी अपने होठों को दाँत से दबा कर मज़ा ले रही थी..मेरी भी अंदर ही अंदर गीली हो रही थी।अब लग रहा था कहि नंदोईजी का लावा नही निकल पड़े क्योंकि मैं काफी देर से मसल रही थी। इतने में मेरे पति ने गाड़ी एक होटल के सामने रोक दी। नंदोईजी ने फट से अपना लौड़ा ज़िप में डाल दिया अब यहा से घर ज्यादा दूर नही था इसलिये किसी को फ्रेश वगैरह होना हो इसलिए हम सब उतरे और मेरा और नंदोईजी का खेल बन्द हो गयाहम वापिस बैठे पर इस बार ननंद बीच मे बेठ गयी। और ब्यान ब्याही का घर भी आ गया देखते है कैसा स्वागत होता है मेरा।
 
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आते ही ब्यानो की टोली टूट पड़ी मुझ पर एक एक करके मुझसे गले लिपट लिपट कर राम राम कर रही थी।
कोई कोई तो गालियां भी दे रही थी। अब मेरी ब्यान दीया की मम्मी जिसका नाम प्रीति है खूब गदराया बदन है खूब चुलबुली मस्तीखोर है और गालियां बकने में माहिर हैं गलियों के सिवा तो कुछ बात ही नही करती। वो आयी और सब मिलके गालिया देने लगी।

ब्यानजीकैसी बनी , हमें देखने का चाव,
ब्यान कैसे चुदी, हमें देखने का चाव।
जब ब्यानजी न्हाने निकरीं, जब ब्यानजी ,
संग चले सब, संग चले सब यार।
रगड़ रगड़ के नहलाया खूब दिया इन्हें प्यार
जब ब्यानजी को जाड़ा लागा, जब ब्यानजी को,
लिपट गए सब, लिपट गए सब यार
कस कस के जोबन मसला पहना दिया
इन्हें अपने बाहों का हार
जब ब्यानजी को गरमी लागी, जब ब्यानजी को,
अलग हटे सब, अलग हटे सब यार,
(पंखा झलें सब यार)। ac की लियाये कार
न्हाय धोय जब बाहर निकरीं, न्हाय धोय जब,
दरशन कर रहे, दरशन कर रहे यार।
नजरो से ही पेल गए यार ,ब्यान को आई खार
जब ब्यानजी को भूख लगी तब, जब ब्यानजी को,
भोग लगावें लौड़े का, भोग लगावें सब या र।
जब ब्यानजी को चुदास लगी जब ब्यान को
लौड़े डाल गए सब यार चोद चोद के ब्यान न कर दिया बुखार

सब नाच गाकर एक्टिंग कर कर के बता रही थी।
तालिया तालिया बजा बजाकर गालिया दे रही थी।

ब्याना आयी रे देखो ब्याना आयी रे

नागी आगी रे ब्याना तो नागी आगी

चड्डी कोणी रे ब्यान के चड्डी कोणी

अरे झाटा दिखगी रे ब्यान की झांटा दिख गी

फिर एक बोली कि ब्याहिजी के लिए भी तो कुछ बोलो फिर प्रीति ब्यान बोली

ब्याही की घणी छोटी लुल्ली रे ब्याही की छोटी लुल्ली

चुदबा आयी रे ब्यान म्हारी चुदबा आयी रे


ओर सब जोर जोर से हँसने लगी।।मैंने घाघरा लूगड़ी पहन रखी थी एक पीछे से आई और मेरा घाघरा ऊपर कर दिया मैंने फट से नीचे किया। पर मेरी ब्लैक पैंटी के सब को दर्शन हो गए
प्रीति ब्यान बोली ब्यानजी ब्लैक कलर थांका ब्याही ने बहुत पसंद है और हँसने लगी सब अलग अलग आकर गले लगी कोई कह रही थी ब्यानरांड भरा बदन की आयी हैं रोज घोटटी होई दो चार का।। ले लेर गांड बोबा सब एक जीसान कर लिया।एक बोली ब्याहिजी के तो बस की बात नी लागे या। कितना के नीचे आयी ब्यानरांड।सब मिलकर छेड़खानिया कर रही थी ।थोड़ी देर में सगाई का फंक्शन शुरू हुआ।सगाई की रस्म के बाद खाना पीना शुरू हुआ सब ब्यान मिलकर मनुहार करने लगी एक दो ने तो गुलाबजामुन में पूरा नमक भर के मुझे खिला दिया। खाने के बाद अब सोने की बारी थी। लेकिन मेरे लिए रूम अलग था ।मैं समझ तो गयी थी कि ब्यान मस्ती मजाक करेगी कपड़े तो खुलने पक्के थे मेरे। रूम में मैं प्रीति ब्यान और 4, 5 उनकी रिश्तेदार थी।प्रीति ब्यान बोली आओ ब्यानजी थांका लाड़ लड़ाऊं। और मुझे गले लगा लिया।औऱ लेट गयी । मेरी ब्यान नीचे मैं ऊपर।पीछे किसी ने मेरा घाघरा ऊपर किया और मेरी चड्डी निकाल दी। मैं कुछ नही कर पायी ब्यानजी ने मुझे कस के दबोचा था। अब मेरी नँगी गांड को सब मसल रही थी।

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तभी किसी ने मेरी गांड में उँगली डाली।

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में झटपटाई ।पर उनकी उँगली पूरी अंदर घुस गई।किसी ने मेरे घाघरे का नाडा खोला औऱ मेरा घागरा पूरा खोल दिया नीचे से मुझे नँगा कर दिया।अब ब्यान ने मुझे अपने पर से हटाया ओर बगल में लेटा दिया। अब हमला मेरे बलाउज पर था।अगले पल ही सब ने मिलकर मुझे पूरी नँगी कर दिया। सब हँसकर मजे ले रही थी।ओर में शर्म से पानी पानी हो रही थी।प्रीति ब्यान ने मेरे बोबो को पकड़ा औऱ जोर से मसल रही थी।

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नीचे किसी की उंगलियां मेरी रसभरी से खेलने लगी थी।

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ब्यानरांड का बोबा तो मोटा मोटा है खूब मसलवावे अपना यारा सु।नीचे से किसी ने मेरी रसभरी पर हाथ लगा के बोला आपणो पावणों भी तो इमे से निकलेडो ह।ओर सब जोर जोर से हँसने लगी।एक बोली क्यू ब्यानरांड म्हाको पावणों ब्याहिजी को ही ह या कोई औऱ यारा को ह।खूब चुदक्कड लागे ब्यान तो।अब मेरे बोबे के निप्पल मेरी प्रीति ब्यान के दांतों के बीच मे थे वो चूस कम और काट ज्यादा रही थी थी। अब किसी ने नीचे मेरी रसभरी में एक उंगुली घुसेड़ दी।ओर बोली ब्यानजी कि रसभरी तो लसलसी हो रिये रास्ता में कोई को लेर आयी दिके। रास्ता में ही लौड़ा खार आगी ब्यान तो।।उन्हें यह नही पता था कि नंदोईजी के साथ रास्ते मे हुई छेड़खानी से मेरी रसभरी लसलसी हो रही थी।अब दो उँगली मेरे नीचे थी। मैं सीसकी आह ब्यानजी मानो ।। पीछे से किसी ने मेरी गांड में भी उँगली डाल दी मेरा तो बुरा हाल हो रहा था। दोनो उँगली आगे पीछे करके उँगली से मेरे दोनो छेद चोद रही थी।

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इधर ब्यान ने तेल मंगवाया ताकि मेरी मालिश कर सके । अब ब्यान मेरे बोबो को तेल लगाकर मसल रही थी और निचेमेरे रसभरी के दाने पर किसी की जीभ चल रहींथी

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ओर दोनो छेदो में तो उंगलियां पहले से ही थी।मेरी तो बुरी गत बन रही थी।मेरी ब्यान बोली आज तो थांकी फटबा वाली हैं थांका ब्याही ने तो अब थोड़ी भी सब्र नी हो रिये। कब से बुला रिये थाने।आज सुबह से ही बे की धोती तम्बू बनेडी ही। ब्यान के घुसेडबा वे लिए बे सुबह से ही मचल रिये।लेकिन मैँ भी तो म्हारी ब्यान की भज्जी लेवा।अब ब्यान ने उनका हथियार मंगवाया जिससे मेरी लेने वाली थी स्ट्रैप डिलडो।

ब्यान डिलडो सेट कर रही थी और बोल रही थी ब्यानजी ख़ास थांके लिए शहर से मंगवाया हां।।थांके घुसेड कर आज इको मुहूर्त करा।अब ब्यान ने नीचे से सबको हटाया औऱ बोली हटो ऐ म्हारी ब्यान के घुसेडबा तो दयो।और ब्यान नीचे आके डिल्डो मेरी रसभरी में पेलने लगी।रसभरी पर रख के एक जोरदार
धक्का लगाया औऱ आधे से ज्यादा डिल्डो एक जी बार मे मेरी गीली रसभरी में घुस गया।ब्यानजी ने एक ओर झटका लगाकर पूरा डिल्डो मेरी रसभरी में जड़ तक पेल दिया।मेरी तो सिसकी निकलने लग गयी। आह उफ ब्यानजी कांई कर दिया।सब बोल रही थी घुसेड़ ही दियो ब्यान के।एक बोली हाल तो शुरुआत हुई ह हाल तो पूरी रात बजी ब्यान तो।एक बोली ब्यानरांड के तो घुस गयो तो भी उफ नी करी चुदा चुदा पक्की हो गी ब्यानरांड तो।।और प्रीति ब्यान धक्के पे धक्के मारकर मेरी चुदाई कर रही थी।

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डिल्डो भी पूरा लण्ड जैसा अहसास करा रहा था।पहले ही मेरी रसभरी में चली उनकी उंगलियों ओर जीभ से में अब झड़ू अब झड़ू हो रही थी रही सही कसर अब डिल्डो निकाल रहा था। ब्यानजी झटके मार रही थी औऱ कुछ कुछ बोल कर मुझे छेड रही थी।ब्यान बोल रही थी।ब्यान जी को तो बोस्यो बन रखियो ह पूरी ढिली कर रखिया ह एका यार।।ब्यानजी लगातार अंदर बाहर करके मेरी चुदाई कर रही थी। मैं भी पूरी चूदासी हो चुकी थी।आंख बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी मैने दोनो हाथों से पलँग की चादर को कस के पकड़ा था।अब मेरा कभी भी निकल सकता था। ब्यान हर झटके के साथ बोली जा रही थी । ल म्हारी ब्यानरांड ल और ल थारा बोस्या में। ल ओर चुद।इतो गहरो हो ग्यो बोस्यो पुरो गाँव समा जाई इमे तो। सब हँस हँस के मेरी चुदाई देख रही थी और मजे ले रही थी।अब मेरी रसभरी ने हार मान ली और पूरा रस बाहर निकाल दिया औऱ में झड़ गयी। ब्यानजी बोली ल यातो चुद गी ब्यान।। ब्यानजी अभी भी झटके मार रही थी। फिर बोली पूरी मैं ही चोद लेउ तो बेके लिए कई बची ओर मेरी रसभरी से डिल्डो निकाल दिया। औऱ रूम से जाने लगी औऱ सब से बोली मैं आगे की तैयारी करू थे भी थोड़ी बहुत कसर निकाल लो थांकी, फेर जल्दी लेर आजाजो म्हारी ब्यानरांड ने।।ओर हँसती हुई चली गयी।बाकी सब फिर मस्ती के मूँड़ में थी। एक बोली ब्यानजी तो फुल चटोकड लागे आपणी पीछे की चाटकर साफ कर देइ।एक बोली हा मैं तो सुबह से धोकर भी नई आयी कि नई ब्यान आयी बीसे चटवा कर साफ करवालेउ।। फिर सब एक दूसरे के घाघरे में मुझे घुसेड़ने लगी औऱ में मजबूरी में उनके गांड के छेद को अपनी जीभ से चाट रही थी थोड़ी देर बाद सब मुझे दूसरे रूम की तरफ ले गयी ब्याहिजी वाले रूम में
और सबने ने मिलके मुझे रूम में धकेल दिया। और रूम बन्द कर दिया।रूम में ब्याहिजी नँगे पड़े थे। और मेरी प्रीति ब्यान उनके काले मोटे लौड़े को तेल से चमका रहीं थी।

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मेरी ब्यान के एक हाथ मे ब्याही का लौड़ा था और उसने दूसरे हाथ से मुझे पकड़ कर बेड पर बैठा दिया। औऱ लौड़े को रगड़ते हुए बोली। देखो ब्यानजी पसन्द आयो कांई। यो ही घुसेलो थांके आज।फिर ब्यान ब्याहिजी को बोली लो संभालो थांकी ब्यान रांड ने मैं तो चाली।
 
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मैंने एक लुगड़ी में खुद को समेटा हुआ था।

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पीछे ब्याही ने मेरी लुगड़ी खिंच ली और मैं पूरी नँगी हो गयी। औऱ ब्याहिजी ने पीछे से मेरे दोनो बूब्स पकड़ लिए। और मसलने लगे। उनके दोनों हाथों मेरे दोनो बोबे थे।ब्याहिजी बोल रहे थे। म्हारी ब्यान का मोटा मोटा खरबूजा जिसान का बोबा।ब्यानजी कुण कुण दबायो थांका।मैं शर्म के मारे पानी पानी हुई जा रही थी।ब्याहिजी और मसलते हुए बोले ब्यानजी ब्याही से कांई शर्माओ। लगे कोई ब्याही रगडियो नीं थाने। थांके भी तो एक और ब्याही हैं लगे कस कर नीं बजाई दिके थाने। कोई बात नी आज थांकी पूरी शर्म निकाल देउ मैं।।म्हाके तो ब्याना कि इसान रगड़ाई हुए की अगला दिन चल भी नीं पावे। म्हाके तो ब्याना ने तो ब्यानरांड बोले ओर राँडा की जेन ही जोरदार ठुकाई करनी पड़े।
फिक्र मत करो थांको भी वोही हाल करू।अब उनके दोनों हाथ मेरी गांड की दोनो फांको को कस के दबा रहे थे।वाह ब्यानजी कई तरबूज की जीसान ढूंगा(गांड) कर रखिया है खूब मरवाओ दिके।

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अब उनका एक हाथ मेरी रसभरी पर आगया ओर उसे रगड़ने लगे।मैं बोली आह ब्याही जी, मानो मत करो । कांई नीं करू ब्यान, आज तो पुरो रस निचोड़ देउ इको।आज तो इने ठोक ठोक लाल कर देउ।और ब्याहिजी ने दो उँगली मेरी रसभरी में डाल दी।

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औऱ मेरी सिसकी निकल गयी। उफ़… उम्म्ह… अहह… हय ब्याहिजी ।और ब्याहिजी उँगली से ही मुझे चोदने लग गए। और बोले ,म्हारी ब्यान अबार तो उँगली घुसेड़ी हु। अबार तो म्हारो मूसल घुसेदनो बाकी ह। ब्याहीजी एक हाथ से मेरे बोबे दबा रहे थे तो एक हाथ की उंगली से मेरी चूत चोद रहे थे। मेरी रसभरी गीली होने लगी।अब उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और खुद ऊपर आ गए।ओर मुझे किस करने लगे मेरे होंठो को अपने होंठो में ले के चूसने लगे।और मेरे होंठो को काट भी रहे थे।

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ब्याहिजी तो फुल जोश में थे । आज तो मेरी फटने वाली थी।ब्याहिजी का बड़ा सा काला भुसन्द लौड़ा ऊपर नीचे मेरी रसभरी पर रगड़ खा रहा था।

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अपने दोनों हाथों से वो मेरे दोनो बोबे मसल रहे थे ।काफी देर तक मेरी ऐसी ही रगड़ाई चलती रही।तभी ब्यानजी वापस आयी औऱ बोली हाल तक ही नी घुसेडीयो कांई ब्यान रांड का बोस्या में। और मेरी ब्यान ने मेरे ब्याही का कड़क लौड़ा पकड़ा और मेरी रसभरी में घुसाने लगी और बोलीकोई बात कोणी में ही घुसेड़ देउ और ब्याही का सुपाड़ा ओर थोड़ा लौड़ा मेरी रसभरी में घुस गया।
GIF-210308-213457 मेरी गीली चूत की पंखुड़ियाँ खुद ही खुल कर उसको निगलने लगी अब ब्याही नेधक्का लगाया और आधे से ज्यादा लौड़ा अंदर अगले ही पल दूसरे धक्के में ब्याहिजी ने पूरा लोहे जैसा सख्त लौड़ा मेरी रसभरी में पेल दिया उनका लौड़ा मेरी रसभरी में पूरा समा गया. जब ब्याहिजी का लौड़ा पूरा मेरी चूत में घुस गया तो ब्याहिजी के आंड मेरी गाँड़ के छेद को छूने लगे, और उनका लौड़ा मेरी गीली चूत के छेद में जितना अंदर जा सकता था उतना अंदर घुसा हुआ था।.मेरी चूत तो पूरी तरह से ठसाठस हो गयी थी ....सुई जाने भर की जगह नहीं थी उसमें।

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मैं सिसकी।आह ब्याहिजी कांई कर दिया आह अरे ब्रारे ब्यानजी कई करवा दिया यो।।।ब्यान अभी भी वही खड़ी थी और ब्याहिजी के धक्के चालू हो गए बयान बोली और घुसेडो म्हारी ब्यान रांड के। पूरी फाड़ कर रख दीजो इकी।। बिना फाडे नी भेजा इने।
गाभिन कर दो इने ....ब्यानजी क पेट न ढोल कर दो ....चोदो और चोदो ब्यान ने...इने थांका बच्चा की माँ बना दो .....ओर
ये सुनकर तो ब्याहीजी चूत में कस कस के लंड पेलने लगे और दांत पीसते हुए बोले: ऐक़ा बोस्या ने तो चोद चोद कर सुजा देऊ आज ..कई दिन लंगड़ाकर चाली तो मने याद करी ...और लौड़ा की मलाई एका बोस्या में ऐन उदेलूँगा की एक नी जुड़वाँ बच्चा होएला।।
फिर ब्यान हँसने लगी और बोली ठीक म्हारी ब्यानजी चुदवाओ मैं तो जाऊ ओर ब्यानजी रूम से चली गयी औऱ रुम बाहर से बंद कर दिया। इधर ब्याहिजी के धक्के चालू थे।आह ब्याहिजी उफ।। ब्याहिजी का लौड़ा मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा खाकर अंदर बाहर हो रहा था।ब्याहिजी पूरे जोश में लण्ड पेल रहे थे।आह ब्याहिजी आराम से तो कर लो धीमे करो म्हारा ब्याहीजी।पर एक बार लौड़ा चूत में चला जाये तो मर्द कहा सुनते है।मैं तेज झटको से दर्द से कराह रही थी सिसक रही थी पर ब्याहिजी लगातार मेरी चूत में तेजी से धक्के मार रहे थे। उनका लौड़ा ‘ठप्प.. ठाप्प्प.. तडापप्प.. सड़ाप्प्प..’ की आवाजें निकालता हुआ मेरी चूत में अन्दर-बाहर आ-ज़ा रहा था। आह म्हारा ब्याहिजी आहआह … ह … ह …!!”आह…आई… ओह… मर जाउली… हा… उफ़… उम्म्ह… अहह… हय… याह … हाय… सी… ई…ई’ आह …म्हारा रामजी ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़!

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ब्याहिजी का लौड़ा अंट शंट टेड़ा बांका मेरी चूत में जा रहा था जिससे मेरी चूत में भी चुदाई से दर्द होने लगा।ब्याहिजी भी मुझे चोदते हुए बोल रहे थे। म्हारी ब्यान को बोस्यो तो अबार भी टाइट है। मजो आग्यो ब्यान के बोस्या म म्हारो औजार डाल कर। मैं बोली बस म्हारा ब्याहिजी दर्द हो रिये अब मत करो।वो बोले हाल तो पूरी रात बाकी ह ब्यान अबार सु हार मान ली कांई।और वापस सटासट लौड़ा डाल कर पेलने लग गए।धीरे धीरे मेरा दर्द दूर होने लगा और मैं ब्याहिजी के लौड़े से चूदकर स्वर्ग की सैर करने लगी।
पूरे रूम में चुदाई का संगीत गूंज रहा था साथ में मेरी सिसकिया भी ।खप -खप , गप -गप ,सट -सट .फट -फट , भच -भच , फच -फच और आवाजें अब ब्याहिजी के काले भुसन्द लौड़े और मेरी पनियाई चूत में घर्सन से आ रही थी जिसे कोई बहार से ही सुनकर बता सकता था की अन्दर चुदाई चल रही हे च ...चत ..पुच ..पच ! मेरी चूत भी ब्याहिजी के काले भुसन्द लौड़े को और सहन नही कर पा रही थी और अपना रस निकलने को बेताब थी।और एक जोरदार सिसकी आह म्हारी माँ आह ब्याहिजी तो निकाल दियो म्हारो के साथ मेने पूरा रस निकाल दिया।
लेकिन ब्याहीजी अभी भी लगे हुए थे सटासट सटासट चुदाई कर रहे थे मेरी चूत की काफी गहराई तक चुदाई हो रही थी

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बार बार हर बार ब्याहिजी के लंड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी के मुह से टकरा रहा था और मैं दर्द से दोहरी हो रही थी !ब्याहिजी भी अब कस कस के चोदने लगे थे उनके धक्को की रफ़्तार तूफानी हो गई थी !

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ब्याहिजी के धक्कों से मेरी चूत का रेशा रेशा हिल उठा !
ब्याहिजी ओर मैं दोनो पसीने पसीने हो गए थे ब्याहिजी अभी भी झटके पर झटके दिए जा रहे थे उनकी कमर किसी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह चल रही थी !
वो अपने लंड को पूरी गहराई तक ठेल ठेल कर पेल रहे थे !

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आधे घण्टे से ज्यादा हो गये थे ब्याहीजी को मेरी चूत में अपना लौड़ा डाले हुए। पर अभी भी उनका निकला नही था।लेकिन उनके धक्कों की स्पीड अब और भी बढ़ने लगी।
ब्याहिजी के लंड के सुपाडे से वीर्य की गरम और गाढ़ी धार समेरी चूत के अन्दर बच्चेदानी के मुह से किसी गोली की तरह टकराई !
और वो भी वीर्य की गरम गाढ़ी धार के बचेदानी से टकराने से वीर्य की गर्मी सहन नहीं कर सकी और मैं जोरों से चिल्ला पड़ी !" आह ..रे ...आस्स्स्स्स्स्स ...म्हारा ब्याहिजी.... उह्ह्ह ....ओह्ह रे ओह्ह रे ..म्हारी माँ हूऊऊऊ ..आह ..!
ओह … ओह … सी … इ … इ … ओ ब्याहिजी ओ… ह … हां … हा … मर गी … सी … इ … इ..इ … ई … ई … !!!”
“ब्याही.!..! … !..जी! सी … ई … ई … ई! … उफ़..फ़..फ़ … बस..! बस..! … हा … आह … ह … ह … ह..!!! … सी..सी..सी … !”
आह … ह … ह … ह..!!! … सी..सी..सी … ! सी … इ … इ … !!”

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तभी लंड के छेद से एक एक करके वीर्य की बोछार होने लगी और बच्चेदानी का मुह पूरा गाढे और गरम वीर्य से भर गया ! मैं भी दूसरी बार पूरी तरह से झड कर निहाल हो चुकी थी !
 
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ब्याहीजी ने तो खूब रगड़ रगड़ की ली मेरी, इतनी मलाई डाली मेरे की सही में ही, गाभींन हो जाऊं मैं।
मैं काफी थक गयी थी ब्याहिजीने मुझे बाहों में ले लिया औऱ बोले म्हारी ब्यानजी थांकी लाल हुई नी हुई।मैं बोली इतना जोर से करो तो लाल तो होई।हाल तो केवल सगाई हुई ह शादी भी नी हुई और थे तो जान ही ले ली म्हारी ।ब्याहिजी मेरी गांड पे हाथ फेरते हुए बोले जान नी हाल तो गांड लेउ थांकी ओर हँसने लगे। मैं भी शरमा गयी। ब्याहिजी बोले ब्यानजी थे तो सगाई में चुद री हो म्हारी दूसरी ब्यान म्हारी बहु प्रिया की मम्मी तो म्हारा छोरा ने देखबा आयी तभी मैं पेल दीयो बीने।।फिर ब्याहिजी उनकी चुदाई की कहानी सुनाने लग गए।वो बोल रहे थे.
""बी ब्यान ने मैं घर दिखाबा के बहाने दूसरा कमरा में ले ग्यो ओर अंदर आते ही पीछे से ब्यान ने पकड़ ली औऱ दोनु हाथा सु बेका बोबा मसलबा लाग ग्यो। ब्यान ही तो लम्बी पतली दुबली सी बोबा कसेड़ा हा। ब्यान कसमसाबा लाग गी। अब ब्यान का घागरा पर से ही बेकी चूत ने भींच ली।अब बोबा छोड दुसरो हाथ ब्यान के घाघरा में घुसेड़ दियो घाघरा से बेकी चड्डी में और दो उँगली बेकी चूत में डाल दियो। ब्यान तो मचलबा लाग गी।अब ब्यान ने पलँग के कोना पर ही घोड़ी बना दी औऱ बेको घाघरो ऊपर सरका दियो बेकी चड्डी खोल दी औऱ पीछे से ही बेकी चूत में घुसेड़ दियो और खूब कस कर बेकी चूत मारी।ब्यान गयी जब लंगड़ाकर चल री ही, बेकी चुत को बोस्यो मैं ही बनायो""
उनकी चुदाई की कहानी तो खत्म हो गयी फिर वो मुझे बोले ब्यानजी थे भी इसान ही चालो।
ब्यान हो तो थे भी मालदार।। ब्याहिजी जब स्टोरी सुना रहे थे तब ही ऐसे ही मेरे नँगे बदन को सहला रहे थे थोड़ी देर बाद ही उन का लौड़ा टनटना गया और मैं घबरा गई क्योंकि ब्याहीजी पीछे से डालने वाले थे।वैसे मैं भी उनकी स्टोरी सुन के खुद को इमेजिन करके खूब गर्म हो चुकी थी। ब्याहिजी ने वेसलीन ली और उसे मेरे गांड के छेद में भर दिया । और बहुत सारी अपने लौड़े पर भी मल ली।अब ब्याहिजी ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आ गए और अपना भारी भरकम मूसल मेरी गांड के छेद में डालने लगे। मैं मेरे ब्याहि से बोलने लगीं नही ब्याहीजी मानो बटे मत करो फाट जाई म्हारी।।।नही करो ब्याहिजी।।थांको बहुत मोटो ह म्हारी न फाड़ देइ।।
पर ब्याहिजी ने अपने लौड़े का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर लगया ओर एक ही झटके में अपना काला भूसन्द लौड़ा आधे से ज्यादा मेरी गांड में पेल दिया

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आआआआ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......अरे ऎऎऎ ...म्हारी माँ...मर गी मैं तो ....म्हारी फट गी रे .......अरे मर गी रे ....म म म ....अरे म्हारा राम जी फट गई रे ....म्हारी रे ...आआआअ ... रे ....आ रे ब .ब .ब्रारे रे .....आआ… कांई करू रे में ...!" न ..नहीं ...अब ..नी ..पर ब्याहीजी ने एक औऱ तगड़ा झटका लगाकर पूरा लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक पेल दिया और कस कस के शॉट पे शॉट मारे जा रहे थे। बीच बीच मे मेरी गांड पे एक चपेट पड रही थी

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अब ऐसे ही ब्याहीजी का लौड़ा मेरी कस के गांड मार रहा था मैँ सिसक रही थी बोल रही थी मानो ब्याहिजी आराम से कर लो पर ब्याहीजी तो कस कस के मेरी गांड मार रहे थे।ब्याहिजी का लौड़ा सटासट मेरी कसी गांड में अंदर बाहर हो रहा था।। मेरा तो दर्द के मारे बुरा हाल था। मैं बोले जा रही थी आह ब्याहिजी आह दर्द हो रिये आह म्हारी माँ किसान को ब्याही दियो आह फाड़ देइ रे म्हारी माँ यो ब्याही तो।पर ब्याहिजी तो मेरी गांड मारने में व्यस्त थे।ब्याहिजी की कमर किसी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह चल रही थी !

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उन्होंने मेरी चोटी पकड़ ली और जोर से धक्के लगाने लगे। मेरा तो दर्द से बुरा हाल था। संकरे गांड के छेद में मोटा मूसल।मैं तो बस सिसक रही थी।आह म्हारा ब्याहिजी कितनो मोटो ह थांको अरे ब्रारे गांड में पूरा का पूरा मोटा लौड़ा ठूंस कर कस कर जा रहा था !अब हर धक्के के साथ मेरे मुह से ...आँह ...उंह ....उह्ह .इह्ह्ह .निकल रही थी !मैं अपनी दोनों आँखों को कस के मूँद चुकी थी !

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ब्याहिजी भी जोश में बड़बड़ा रहे थे ले म्हारी ब्यानरांड ले और ले कितनी कसी हुई गांड ह थारी, म्हारा लौड़ा ने भीच रखी ह।और फिर मेरी गांड पे चपेट मार दी। उन्होंने चपेट मार मार कर मेरी गांड लाल कर दी।अब उनका एक हाथ मेरी चूत पर आ गया। ब्याहिजी गांड में धक्के लगा रहे थे साथ ही मेरी चूत भी मसल रहे थे।

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मेरे तो दोनो छेदों पर हमला हो रहा था।आह ।म्हारा ब्याहिजी अब तो फाड़ दी म्हारी अब तो निकाल लो इने।अरे ब्रारे किसान अंदर बाहर हो रिये यो। अरे रामजी इतो मोटो डाल दियो म्हारे तो मैं दर्द मैं बड़बड़ा रही थी।आह म्हारी आह वापस निकाल दियो रे म्हारो ब्याही और मैने ब्याहिजी के हाथ मे ही सारा रस निकाल दिया।ब्याहिजी का अभी भी नही हुआ वो 20 25 मिनट से मेरी गांड मार रहे थे कभी स्पीड धीमे करते वापस हचक हचक के गांड मारना चालू कर देते। मेरी हालत खराब हुई जा रही थी अब और सहन करना मुश्किल साबित हो रहा था।मैंने ब्याहिजी को बोला आह ब्याहिजी अब तो निकाल लो थांको अब तो बस करो ब्याहिजी। ब्याहिजी की भी स्पीड बढ़ने लगी वो और भी जोरदार धक्के मारने लगे और 8 9 जोरदार धक्कों में उनके लौड़े की सारी मलाई मेरी गांड में ही डाल दी।

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ब्याहिजी ने तो चोद चोद के दोनों छेदों में दर्द कर दिया। मैं काफी थक गई थी वही नंगी पड़ी पड़ी कब सो गयीं पता ही नही चला । ब्याहिजी भी रातभर मुझे नँगी बाहों में लेके सोते रहे । मुझे इतना कस के चोदने के बाद भी उनका मन नही भरा और रात में मेरी चूत का एक बार और बाजा बजाया।।
 
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सुबह मैं उठी तब बिल्कुल नँगी ब्याहिजी की बाँहो में पड़ी थी।

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मैं उठी औऱ आस पास कुछ ओढ़ने को मिला नही तो लुगड़ी लपेट कर बाथरूम चली गयी

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दोनो छेदों की रगड़ाई के कारण मुझसे चला भी नही जा रहा था मैं लंगड़ाकर चल रही थी। फिर मुझे ब्याहिजी की बात याद आगयी ओर मुझे हंसी आ गयी।। मेरी जांघे ब्याहिजी की मलाई से सनी पड़ी थी। मैंने अपनी रसभरी को देखा मेरी चूत तो जैसे फट के फ़ेल गई हो ऐसे मुंह फाडे पड़ी थी ..!

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मैं वापस आयी जब ब्याहिजी उठ गए थे और पलँग पर पैर फैला कर बैठे थे उनकी कमर तक चादर थी उन्होंने मुझे पकड़ा मेरी लुगड़ी हट गई। उन्होंने मुझे चादर में ले लिया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया औऱ दोनो हाथों से मेरे बोबे सहलाने लगे।

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मैं बोली ब्याहिजी रात भर सु भी मन नी भरियो के थांको। ब्याहिजी बोले ब्यानजी पेली तो यो बताओ लंगड़ाकर चाली नी चाली मैं मुस्कुराने लग गयी और बोली इतरो मोटो घुसाओ तो लंगड़ाकर तो चलनो ही पड़ी इतने मै ब्यानजी भी आ गयी। और मेरे से बोली क्यों ब्यानजी चुदालिया कई। मैं शर्मा गयी फिर ब्यान ब्याहिजी से बोली लो अब तो छोड़ दो ब्यानजी ने एने निलार धुलार तैयार करणो ह।। ब्याहिजी बोले म्हारी ब्यान ने तो मैं ही निला देउ और तैयार कर देउ तू तो कपड़ा लिया।
फिर ब्याहिजी नँगे ही मुझे गोद में उठा कर बाथरूम ले गए

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औऱ शावर चला दिया हम दोनों गीले हो गए फिर ब्याहिजी ने मुझे नीचे घुटनों में बल बैठा दिया और अपना मूसल मेरे मुंह के पास लियाये।

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मैं भी बिना देर किए ब्याहिजी के लौड़े को चूमने लगी औऱ उसे धीरे धीरे मुंह मे लेने लगी ब्याहिजी का औजार अभी पूरी तरह से तैयार नही था।मेरा तो मन कल से ही इसे मुंह मे लेने का कर रहा था। सही बताऊ तो लौड़ा चूसने में बहुत मजे आते थे। इससे पहले अपने पति नंदोईजी और बड़े ब्याहिजी का ही चूसा था। आज एक नया लौड़ा चूस रही थी।जहाँ तक अंदर जा रहा था वहाँ तक मै उसे गप गप खा रही थी।एक हाथ से उनके आन्डो को पकड़ कर उनका लौड़ा अपने मुँह में अंदर बाहर कर रही थी। ब्याहिजी भी सिसक रहे थे वे मेरा सर पकड़ कर अपने लौड़े पर आगे पीछे कर रहे थे।

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हाँ म्हारी ब्यान मजा करा रिये तू तो म्हारा लौड़ा ने हाँ इसान ही चूस इने। वाह म्हारी ब्यान तो लौड़ा चुसबा में एक्सपर्ट दिखे।।ब्याहिजी का लौड़ा पूरा तन्ना गया था।। अब मेने ब्याहिजी का लौड़ा मुंह से निकाला और उनके आंड चूसने लगी। एक हाथ से उनका लौड़ा मैंने कस के पकड़ा था औऱ मेरी जीभ उनके आण्डों पर चल रही थी।वाह म्हारी ब्यान मजो आग्यो ,ब्याहिजी पूरे गर्म हो चुके थे। उन्होंने अब मुझे दिवार के सहारे खड़ा किया औऱ अपना लौड़ा मेरी चूत में डालने लगे।मैँ भी काफी गर्म हो चुकी थी इसलिए मेरी चूत भी पनिया गयी।गीली होने के कारण लौड़ा एक दो झटको में ही पूरा घुस गया

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अब ब्याही जी अंदर बाहर निकाल कर मुझे चोदने लगे। ब्याहिजी कस कस के सटासट धक्के लगाने लगेकल रात का ही दर्द कम नही हुआ और अभी फिर मेरी चूत में काला भुसन्द लौड़ा था।।ब्याहिजी बोल रहे थे ब्यान थे भी चूस कर मजो दिया। मैं थाने चोद कर मजो देउ।।वो मेरा एक बोबा पकड़ के और वो जोरदार धक्के लगाकर चोदने लगे।आयह ब्याहिजी अब औऱ कितनी फ़ाडो म्हारी ने।। अरे ब्रारे धीमे कर लो। अब ब्याहिजी ने खड़े खड़े ही एक पाँव पकड़ कर उनके कन्धे तक लगा लिया में हल्की टेढ़ी होगयी। अब वापस ब्याहिजी अंदर बाहर करने लगे। अब तो उनका लौड़ा ओर अंदर जा रहा था

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और उनकी स्पीड भी काफी बढ़ गयी थी।आह ब्याहिजी म्हारा ब्याहिजी आराम से कर लो।ब्याहीजी सटासट सटासट लौड़ा पेल रहे थे और मेरी सिसकी रुक ही नही रही थी।

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आयाआआआआ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....आ ...आह ....ऊऊ ....हाँ ..रे .....आह्ह रे ...आउ ....उह्ह ...ह्हि ...आह ..आहा ...ऊऊह ..अरे ...म्हारी माँ ....आह रे ...ओह रे माँ ....ऒऒह री माँ ..अरॆऎऎऎए निकल रहा था।। थोड़ी देर में ही ब्याहिजी ने मेरी चूत का कामरस निकाल दिया। पर उनका लौड़ा अभी भी गचागच जा रहा था।ब्याहिजी बोल रहे थे।

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ल म्हारी ब्यानरांड और ल चोद चोद कर लाल कर देउ। उन्होंने मुझे बोला देखो ब्यानजी किसान गपागप लौडो खा रिये थांकी चूत। मैंने नीचे देखा मेरी चुत में लौड़ा सटासट जा रहा था।आह हाँ ब्याहीजी किसान जा रिये यो ।।।सफ़ेद रंग की लिसलिस्सा पानी किसी मलाई की तरह पुरे लंड पर फेलने लगी थी ! चूत के मुह पर भी वो सफ़ेद मलाई पूरी तरह से लग चुकी थी !हर बार अन्दर बाहर होने से वो सफ़ेद चीज और बाहर आने लगी थी।अब वापस में भी गरम हो गयी और उनके तेज होते हुए शॉट का जवाब अपनी सिसकियों से देने लगीआ ...आह ....ऊऊ ....हाँ ..रे ...ब्याहीजी..आह्ह रे ...आउ .औऱ...उह्ह ...आह ..आहा .इसान ही ..ऊऊह ..अरे ..म्हारी माँ या ब्यान कई करवा दी ब्याहिजी सु फड़वा दी म्हारी ने ....आह रे ब्याहिजी घर जाकर किसान मुँह दिखाऊ थांका ब्याही ने ,के बताऊ कटे चौड़ी करवार आयी मैं माई ...ओह रे माँ ....चुदास में मैं कुछ भी अंट शंट बड़बड़ा रही थी।ब्याहिजी कि स्पीड अब तूफानी हो चुकी थी उनका भी कब भी हो सकता था। वो भी धक्के लगा लगा के बोल रहे थे।ब्यानजी बोल दिजो ब्याही लाड़ लडा कर भेजिया ह।और दो चार तेज झटको में अपना गरमगरम वीर्य मेरी चूत में डाल दिया।

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हम दोनों ही बुरी तरह से हांफने लगे। ब्याहिजी का !बहुत ही मोटा और लम्बा मूसल जेसा लौड़ा था जिस पर वीर्य और मेरी चूत का रज लिपसा हुआ था ! मैं अब बुरी तरह से थक भी चुकी थी। अब जेसे मेरे बदन में जान ही नहीं रही थी !अब ब्याहिजी ने मुझे नहलाया पूरे बदन को रगड़ रगड़ कर साफ किया।

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ब्याहिजी मुझे नँगी ही गोद मे उठा के रूम में ले आये हम दोनों ही कपड़े पहनने लगे फिर ब्याहिजी ने बाँहों में जकड़ा किस किया और बोले ब्यानजी वापिस कब आ रिया हो, चुदबा ने जल्दी आ जो। मैं शर्मा गयी फिर ब्याहिजी चले गये और ब्यानजी और उनकी दो चार रिलेटिव आ गयी औऱ सब मुझे कल रात को लेकर छेड़ने लग गयी। ब्यान बोली क्यों ब्यानजी फाटि नीं फाटि थांकी मोटो मूसल खा कर।। एक बोली ब्यानजी को मूसल से कांई हुए ब्यानजी की तो इतरी चौड़ी ह की पुरो गांव समा जावे इमे।और सब हँसने लगी। ऐसे ही मस्ती मजाक के बाद हमारी विदाई का टाइम आ गया।
 
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अब बस रंग का दस्तूर करना था। सब गोला बना कर मुझे घेरे खड़ी थी। ब्यानजी ने शुरुआत की और मेरे गालो पर लाल रंग मलने लगी धीरे धीरे सब चालू हो गयी सब ने मुझे जकड़ रखा था हिलना डुलना भी दूभर हो गया था।पीछे से किसी ने पूरा घाघरा हवा में उठा दिया और मेरी गांड पे रंग लगाने लगी मेरी चुत बोबे कुछ भी नही छोड़े सब रंग से पोत दिया

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फिर दो तीन रंग की भरी बाल्टी मेरे ऊपर उंडेल दी । फिर ब्यान बोली ब्यानजी को तो काम हो ग्यो अब ब्याही के भी रंग लगा देवा। एक बोली खूंटा ने भी रगड़ देवा। एक बोली खूंटो या लुल्ली या तो देखबा सु पतो चाली फिर सब हंसी। अब मेरे पति को कोई बहाना बना कर अलग रूम में बुला लिया जहाँ केवल एक कुर्सी थी।मैं खिड़की से सब देख रही थी कि क्या हो रहा है।वो कुर्सी पे बैठे पीछे से ब्यानजी ने उनके गालो पर रंग मलना शुरू कर दिया ब्यानजी के साथ दो तीन औऱ रिलेटिव थी सब उन पर टूट पड़ी। एक बोली ब्याहीजी कि चड्डी फाड़नी ह आज। एक उनकी पैंट का बटन खोलने लगी ।बाकी उनकी शर्ट के अंदर ही हाथ डाल कर सीने पर रंग लगाने लगी।अब वो सम्भल गएउन्होंने ब्यान को आगे खिंचा और गोद में बैठा लिया पीछे से फिर कोई और उनके गालो पर रंग मलने लगी और ब्यान मौका देख कर गोद से हट गई अब पीछे से एक रंग की बाल्टी पूरी उन पर डाल दी वो पूरे तरबतर हो गए । अब वो भी जोश में आ गए। उन्होंने वापस प्रीति ब्यान को बाँहो में जकड़ लिया और दोनो हाथों से उनके बोबे मसलने लगे । इसी मस्ती मजाक में वो ब्यानजी को लेके जमीन पर पड़ गए।ऊपर ब्यानजी और नीचे वो ।।अब उन्हें भी रंग की पुड़िया मिल गयी वो भी ब्लाउज के ऊपर और उनके पेट पर रंग लगा रहे थे ।अब वापिस बाकी औरतो ने उनकी पेंट पर हमला कर दिया और बटन खोल दिया चैन भी खोल दी

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पर अब वो सम्भल गए। उन्होंने प्रीति ब्यान के घाघरे में दोनो हाथ डाल दिये और उनकी चड्डी उतारने लगे अगले पल प्रीति ब्यान की चड्डी उनके हाथों में थी। ये देख कर एक दो वापस पीछे हटने लगी बोल रही थी यो ब्याही तो सबने नांगी कर देइ। अब ब्यान उनकी गिरफ्त से आजाद होकर कुर्सी के आसपास आ गयी वो भी आ गए। और उन्हें वापस कुर्सी पर बैठा दिया। उनकी पेंट बटन ओर चेन खुलने से नीचे उतर रही थी जिसे वे ऊपर कर रहे थे इतने में उन पर पीछे से वापस हमला हुआ। प्रीति ब्यान ने इसका फायदा उठाते हुए अपने दोनों हाथों में रंग लिया औऱ सीधे उनके चड्डी में हाथ डाल दिये औऱ खूब जोर जोर से उनके खूंटे पर रंग लगाने लगी।चल रही मस्ती से उनका खूंटा भी तन्ना गया था।वो सम्भले जब तक ब्यान ने अपना काम कर दिया था उन्होंने ब्यानजी को पकड़ कर अपनी गोदी में बैठा लिया। पीछे से उनका घाघरा ऊपर कर अपनी चड्डी में से हल्का सा लौड़ा बाहर निकाला औऱ ब्यान को उस पर बैठा दिया। ब्यान को उनकी चुत पर लौड़े का अहसास हुआ। ब्यान ने पीछे देखा दोनो की नजर मिली ब्यान झेप गयी।उन्होंने ब्यान को हल्का सा उठाया और अपना पूरा लौड़ा चड्डी से निकाल कर ब्यानजी को वापस अपने लौड़े पर बैठा दिया इस बार ब्यानजी की चूत की दरार पर पूरा लौड़ा रगड़ खा गया।

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ब्यान किसी तरह बच कर उठ गई उन्होंने ने अपना लौड़ा अंदर किया और ब्यान के पीछे लपके ब्यानजी को जमीन पर गिरा कर वो उनपर आगये उन्हें मिली रंग की पुड़िया से दोनो हाथों में रंग लेकर ब्यानजी के घाघरे में हाथ डाल दिये और उनकी चूत औऱ गांड पर रंग मलने लगे। उनकी चूत बिल्कुल सफाचट थी । ब्यानजी कि हालत देखने लायक थी क्योंकि
वो अब उन पर भारी पड़ रहे थे। इतने में दोनो तीनो रिलेटिव एक साथ उनकी चड्डी पर झूमी ओर अगले पल उनकी चड्डि तहस नहस थी ब्यानजी भी छुड़ा कर भाग गयीं सब हँसती खिलखिलाती हुई रूम के बाहर आ गयी। ब्यानों ने उनकी चड्डी तो फाड़ दी थी और सब जगह खूब रंग भी लगा दिया।और उनकी मस्ती मजाक समाप्त हो गयी उन्होंने फटी हुई चड्डी वही छोड़ी ओर पेंट के बटन चैन लगा कर रूम से बाहर आ गए। अब ब्यानों ने हमे विदाई थी और बोली ब्यानजी बीज तो डाल दिया थांके अब इको ध्यान राखजो।।। अब हम सब वापस घर आ गए नन्दोई जी को कुछ काम था वो वही से ही निकल गए।आने के बाद में बाथरूम में आगयी नहाने।। मेरे पति भी आ गए बोले साथ मे नहाते है हम दोनों पूरे नँगे हो गए। उनका लौड़ा खूब रंगा पूता हुआ था

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मैं समझ गयी सब ब्यान का कमाल ह। हम दोनों ने एक दूसरे का रंग उतारा ।।वो तो ब्यानजी के साथ हुई रगड़ाई से पहले ही गर्म थे नहाने के बाद सीधे बेड पे ले आए। और जोर जोर से पेलने लगे मैं बोलने लगी सोनम का पापा आज तो ज्यादा ही जोश में आ गया कई ब्यानजी की याद तो नी आ रिये। फिक्र मत करो जल्दी थांके नीचे लियाउ फिर इसान ही जोर जोर का धक्का दिजो।उनसे चुदने के बाद खाना खाके फ्री हुए फिर मेरी ननद और मैं बातें करने बैठ गए। मेरी ननंद बोली भौजाई कांई कांई करी ब्यान थारे साथ।मैं बोली ब्यान तो ब्याहिजी के नीचे लियायी।।ननद बोली भोजाई ब्याही जी को खाकर आयी दिके खूब बजाई दिके ब्याहीजी।। पूछो मत बाईजी कई बुरी गत बनी म्हारी हाल एक बयान सु बदलो तो लियो कोणी दूसरी भी बिका मर्द को डंडो घुसेड़ दी।कोई बात कोणी भोजाई ई बार दोनु सु बदलो लेवा।।अब देखते ह आगे क्या होता हैं मेरे साथ मै बदला ले पाती हूँ या मेरी ही बुरी गत बनती है।।
 
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अब चलते हैं दिया के पास, दिया सगाई करके वापस होस्टल आ गयी थी। रात में वो ओर जिया दोनो नँगी बिस्तर में पड़ी थी। जिया क्यों जीजू का देखा क्या। दिया बोली अभी कहां हम तो मिल भी नही पाए । बस भाभी के कारण नंबर एक्सचेंज हो गए। डेली बात भी हो रही हैं। जिया बोली वाह मेरी लाडो वैसी बाते भी हुई क्या ।।। नही यार अभी तो हफ्ता भर हुआ है इतना खुले नही है हम।

थोड़े दिनों बाद दोनो में काफी खुलके बाते होने लगी दोनो फ़ोन में सेक्स की बाते करते और दिया अपनी सहलाती ओर वो अपना लण्ड मसलता।

बात करते है दिया के होने वाले पति की उसका नाम विराज था। विराज की भी काफी गर्लफ्रैंड रह चुकी थी।कितनो की तो वो सील तोड़ चुका था।उसका लौड़ा भी काफी लंबा मोटा था।
सगाई को लगभग एक महीना भर हो गया।। दिया को भी लण्ड लिए हुए काफी टाइम हो गया था।कल रात फ़ोन पर ही विराज ने उसे काफी गीली कर दिया था।आज तो उसने लण्ड लेने का प्रोग्राम बना लिया था।उसने यश को फ़ोन किया।यश को अभी तक दीया ने दी नही थी।और दोनो दोपहर में एक होटल रूम मे मिले।। दीया ने विराज को कॉल किया थोडी देर बात करने के बाद वो बोली जान जो तुमने कल मेरे साथ फ़ोन में किया उसको याद कर कर के मुझे कुछ हो रहा है वापस मेरे साथ वो सब करो ना। विराज भी अपने घर मे रूम में था वो बोला मेरी जान ऐसे नही वो बोलो क्या करूँ तुम्हारे साथ। दिया शर्माने का नाटक करती हुई बोली क्या तुम भी मेरे मुँह से सब गन्दा गन्दा निकलवाओगे। विराज बोला जब तक नही बोलोगी तब तक कुछ नही करूँगा।दिया बोली जानु कल तुमने मुझे फ़ोन में चोदा था वेसे ही अभी भी चोदो ना जान । विराज बोला ठीक है मेरी जान ।दिया ने फोन का स्पीकर ऑन किया, उसे साइड में रखा और यश को बाँहो में लिया उंसके कान में बोली की जैसे जैसे फ़ोन से आवाज आये उसे भी वो सब करना है।। यश भी समझ गया की दीया लण्ड तो उसका लेगी पर फील अपने होने वाले पति को करेगी।।
विराज ने भी अपना रूम बन्द कर लिया और बेड पर पूरा नँगा हो गया
फोन में विराज बोलने लगा


विराज- अब मैं जो बोलूंगा वो तुम्हें इमेजिन करना है और खुद वैसे ही करना है।
दीया- ओके बाबा, अब शुरू भी करो।
विराज- ठीक है, अब मैं तुम्हारे कमरे में आ रहा हूँ, दरवाज़ा बंद कर दिया है।
तुम्हारे बिस्तर पर हूँ, तुम्हारे पास… मैं तुम्हें किस कर रहा हूँ। तुम्हारे गालों पर, तुम्हारी पलकों पर, तुम्हारे कान के नीचे, और गर्दन के पीछे।
दीया- आअह्ह्ह विराज… मैं फील कर रही हूँ ये सब तुम मेरे साथ कर रहे हो। मैंने अपनी आँखें बंद की हैं, तुम्हारा चेहरा मेरे सामने है अच्छा लग रहा है।

यश भी ऐसे ही दीया को किस कर रहा था।

और विराजअपने लण्ड को हाथों में ले के धीरे धीरे मुठिया रहा था।

विराज- गुड, सही जा रही हो। तुमने क्या पहना ह
दीया-जींस टॉप
विराज-केवल जीन्स टॉप ही
दीया-अंदर पिंक कलर की ब्रा पैंटी

विराज-“अब मैं तुम्हारा टॉप उतार रहा हूँ। तुम गुलाबी ब्रा में बहुत खूबसूरत लग रही हो।”

यश ने भी दीया का टॉप हटा दिया और ऊपर से दीया केवल पिंक ब्रा में हो गयी

दीया- ओके मैंने टॉप उतार दी है।
“विराज, तुम मुझे देख रहे हो न? मुझे शर्म आ रही है!”

विराज- अभी से शर्म कैसे मेरी जान?
विराज-और अब तुम्हारी जीन्स खोल रहा हूँ।”
“ये लो… तुम्हारी जीन्स भी गई।”
“बला की खूबसूरत लग रही हो तुम इस गुलाबी ब्रा और पैंटी में।”

यश ने दीया की जीन्स भी खोल दी

दीया-ओह विराज तुम भी ना

विराज-“उफ्फ्फ्फ़ तुम्हारी चूत… पैंटी के अंदर से झाँक रही है, बिलकुल बर्गर जैसी!”
दीया- क्या कर रहे हो विराज? ऐसा भी कोई करता है क्या? मुझे कुछ हो रहा है

विराज- फील करो। मैं ब्रा के ऊपर से तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ और चूत को मसल रहा हूँ, तुम्हारी चूत गीली हो रही है।

यश भी ब्रा पैंटी में बैठी दीया के बूब्स दबा रहा था और उसकी चूत मसल रहा था।

विराज : मैंने एक बूब निकाल लिया है दूसरे को ब्रा के अंदर ही हाथ से पकड़ लिया है अब जीभ से तुम्हारे निप्पल को खोज रहा हूँ, उधर उंगली से….


दीया : देखो… ये रहे….. जानुउउउउउ…..

विराज: अहहह मिल गये निप्पल……मैंने सिर्फ़ ज़ीभ की टिप से निपल को छुआ है।
दीया: ये कड़ा हो रहा है…………..उफ

यश भी दीया के निप्पल पर अपनी जीभ फेर रहा था।

विराज : फिर मैं निप्पल पर झीभ से ही उसे ऊपर मोड़ दिया, फिर नीचे….. फिर लेफ्ट और फिर राइट…. और फिर गोल गोल घुमा रहा हूँ …. अब मैंने इसे चूसना शुरु कर दिया….

दीया : लिक इट बेबी…. उम्म्म्मम उफ

विराज-मैं चूसता जा रहा हू अब मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रीप खोल दी और दूसरे बूब को भी मुँह में भर लिया है….

दीया : दबाओ दूसरे को… उम्म्म्म इसको भी चूस लो…विराज इसे भी मत छोड़ना

इधर यश भी बिल्कुल वैसा ही करे जा रहा था। जैसा विराज फोन में बोल रहा रहा था।
दीया के दोनो बोबे पूरे नँगे हो गए थे और उन्हें दबा रहा था मुंह मे लेके चूस रहा था।


विराज-अब मैंने टोपलेस तुम्हें हग कर लिया है और तुम्हारे निपल्स मेरे चेस्ट पर निपल्स से रब हो रहे हैं…… और रब करो…..
दीया: उम्म्म्मम ह्म्‍म्म्ममम ओह गॉड, विराज यू आर सो सेक्सीईई
विराज : वेट…… जान अब मैं नीचे जा रहा हूँ और नाभि को लिक कर रहा हूँ…
दीया : निकाल दो …. पेंटी भी निकाल दो… उम्म्म
विराज : अब मैं तुम्हारे पैर क अंगूठे को चूस रहा हूँ और लिक करते हुए ऊपर आ रहा हूँ….. अब मेरे लिप्स तुम्हारी जाँघो पर हैं… बहुत सुंदर हो तुम मेरी जान…
दीया : जो चाहे कर लो ! मैं तुम्हारी ही हूँ

उधर फ़ोन में विराज जैसा बोल रहा था । यश दीया के साथ बिल्कुल वैसा ही कर रहा था।।दीया भी बहुत चूड़ासी हो गयी थी।

विराज : अब मैं जन्नत की खुशबू ले रहा हूँ, बहुत सुंदर है.. अब मैंने लिप्स से पकड़ कर पेंटी नीचे कर दी….

दीया: आह जान पूरी निकाल दो ना आआ…

विराज : पूरी निकाल दी… अब मैं ज़ीभ की टिप से तुम्हारी चूत को सहला रहा हूँ, और लिप्स को ज़ीभ से खोलने की कोशिश कर रहा हूँ…… कैसा लग रहा है…. जान….?

दीया : उईईई मममम्ममी….. बहुत्त्त्त मस्त लग रहाआआ हैईईइ… करते रहो…



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यश भी दीया की चूत को चाटे जा रहा था
दीया पूरी चूदासी हो गयी थी

दीया- मैं तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ ओह विराज तुमने तो मुझे पूरा नँगा कर दियाऔर अपनी चूत सहला रही हूँ।

विराज- मैं अपने लण्ड को तुम्हारी चूत के मुँह पर रगड़ रहा हूँ तुम्हारे बूब्स दबा रहा हूँ, निप्पल रगड़ रहा हूँ।

अब तुम सहलाना बंद करो और अपनी दाएं हाथ की बड़ी उंगली को मुँह में डालकर गीली करो। दूसरे हाथ से चूत के दोनों होठों को खोलकर गीली उंगली चूत में डालो।”

विराज-अब तुम लोलीपोप चूसना।

दीया- लोलीपोप? मैं कोई बच्ची तो नहीं हूँ जो लोलीपोप चूसूंगी !

विराज-“मना ना करो, तुम्हारे लिए बहुत टेस्टी लोलीपोप लाया हूँ।”

दीया-“अच्छा ! कहाँ है दो।”

विराज-“पहले तुम अपनी आँखें बंद करो।”

दीया-“मैं अपनी आँखें बंद करती हूं।”

विराज-अब मैं अपना लन्ड निकाल कर के तुमसे कह रहा हूं जानू अपना मुँह खोलो !

दीया -ठीक है बाबा मैं अपना मुँह खोलती हूं और तुम अपना लन्ड मेरे मुँह में दे दो।

यश ने भी बिल्कुल वैसा किया अपना लण्ड दीया के मुंह मे दे दिया
विराज बोला दीया मेरी जान अब तुम बताओ तुम क्या करोगी मेरे लण्ड के साथ


दीया बोली-
मैं आँखें खोलती हूं और तुम्हारा लन्ड देखती हूं-
तो यह लोलीपोप है?

विराज-हाँ, अब चूसो !

दीया-मैं तुम्हारा जींस का बटन खोल कर अंडरवीअर नीचे करके घुटने तक,फिर तुम्हारा लन्ड चूसने लगती हूं।

दीया ने यश की जीन्स खोलकर अंडरवियर नीचे कर दी और यश का लण्ड चूसने लगी।

दीया साथ मे यश का लण्ड चूस रही थी और बीच बीच मे विराज को बोल रही थी।

दीया-तुम मेरे सर के पीछे से पकड़कर कस के चुसवाने लगते हो। तुम्हारा लंबा मोटा लन्ड मेरे मुँह में पूरा नहीं जा पा रहा है,

विराज-मैंने तुम्हे पकड़कर अपने लन्ड को ज़ोर से तुम्हारे मुँह में डाल दिया।

दीया-मैं तुम्हारा पूरा लन्ड लोलीपोप की तरह चूस रही हूं।

विराज अपने रूम में अपने लण्ड को मुठिया रहा था। वह दीया के साथ चुदाई को इमेजिन कर रहा था। उसे लग रहा था दीया सही में उंसके लण्ड को चूस रही है।
और उसके मुठियाने की स्पीड बढ़ने लगी

विराज बोला“बस रुक जाआआओ ! वरना मैं झर जाऊँगा।”

दीया-“तो झर जाओ !”

विराज- नहीं ! मुझे अभी तुम्हारी चूत और तुम्हारी गान्ड मारनी है।

दीया- ठीक है बाबा मैं हट जाती हूं।

विराज- अब तुम जैसे ही पलटती हो, मैं तुम्हे पीछे से पकड़ कर तुम्हारे मम्मे दबा रहा हूँ।।

दीया-आउच विराज धीरे दबाओ।।

विराज- इस समय मेरा लन्ड तुम्हारी गान्ड के छेद के पास गड़ रहा है।मैं तुम्हे ऐसे अपनी बाहों में उठा रहा हूं कि मेरा लन्ड तुम्हारी गान्ड से रगड़ रहा है और तुम्हे उठा के बेड के पास ले गया ।

वहाँ पहुंच कर मैं तुम्हे घोड़ी बनाता हूँ तुम्हारी गान्ड के छेद पर वैसलीन लगा रहा हूँ, और अपने लन्ड पर भी !

दीया- आज क्या पहले गान्ड मारोगे?

विराज-“हाँ !”

दीया-“तो ठीक है ऐसे मारना मेरी गान्ड फ़ाड़ देना ! ठीक है?”

विराज-अब मैं पहले दो उंगलियों से तुम्हारी गान्ड का छेद बड़ा कर रहा हूं, फ़िर धीरे से अपना सख्त लन्ड तुम्हारी गान्ड पर लगा रहा हु और धीरे से तुम्हारी गान्ड मारना शुरू कर दी। धीरे धीरे धक्के देता जा रहा हु, मेरे हाथ तुम्हारे मम्मों पर आ जाते हैं और मैं उन्हें दबा रहा हू, बीच बीच में दो उंगलियों से मैं तुम्हारी चूत में भी फ़िन्गरिन्ग कर रहा हु

इधर यश ने भी दीया को घोड़ी बनाया और दीया की गांड में अपना लण्ड डालने लगा। दिया उसकी गर्लफ्रैंड बनी तो काफी टाइम हो गया पर दीया की गांड मारने का मौका उसे आज मिला था।
वो मन ही मन सोच रहा था कि दीया कितनी बनी चुदककड है अपने मंगेतर से फ़ोन से बात करते हुए मुझसे चुदवा रही ह।
उसका मंगेतर तो बेचारा लण्ड हिला रहा है। और दीया की गांड तो मैं मार रहा हूं।


दीया-आऽऽऽहऽऽ आआऽऽ मज़ा आऽऽ रहाऽऽ है… और जोर से और जोर से
” मुझे धीरे में मज़ा नहीं आ रहा, जोर से मारो मेरी गान्ड फ़ाड़ दो आज विराज”
विराज-अब मै तुम्हारी जांघें पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच रहा हु और एक झटके में अपना पूरा लन्ड तुम्हारी गान्ड में डाल दिया

दीया- आऽऽऽऽह ऽऽआअऽऽऽऽ अऽऽऽऽ मर गई !
विराज-इससे पहले कि तुम सम्भलो, मैं तुम्हारी गान्ड जोर जोर से मार रहा हु, पूरा लन्ड बाहर निकाल कर जोर से एक झटके में अन्दर बाहर कर रहा हु।

यश ने भी अपना लण्ड जड़ तक दीया की गांड में पेल दिया और कस कस के धक्के मारने लगा
उसका लण्ड अभी तक वर्जिन था। पर दीया की गांड में घुसने के बाद उसकी वर्जिनिटी भी जाती रही।

दीया-“मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है !”

विराज-मैं अपनी स्पीड बढ़ा रहा हू!

दीया-मैं कहती हूं- रुक जाओ प्लीज बस !

विराज- नहीं आज सचमुच में तुम्हारी गांऽऽऽऽड फ़ाड़ के रहूंगाऽऽऽ”
“मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽऽ है नाऽऽऽ.?”

विराज अपने लण्ड को अब जोर जोर से मुठियाने लगा।

दीया-“हाँऽऽऽऽऽ!

विराज-मैं फ़िर तुम्हारी गान्ड के पट्टों पर थप्पड़ मार रहा हु सटाक सटाक !

यश भी दीया की गांड पर चपेट लगाने लगा ।


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दिया-मुझे बहुत मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहा है, मेरे चूतड़ बिल्कुल लाल हो गये और मेरी गांड का बुरा हाल हो गया, लेकिन तुम रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हो !

विराज-ठीक है मैं रुकता हु पर एक शर्त है कि तुम मेरे लन्ड पर बैठ कर कूदोगी क्योंकि मुझे अभी तुम्हारी गान्ड और भी मारनी है !

दीया-अच्छा बाबा ! अच्छा ! अब तुम नीचे लेट जाओ मैं
तुम्हारे लन्ड पर तुम्हारी तरफ़ मुंह करके बैठ रही हूं और कूदना शुरू कर देती हूं।

अब दीया ने यश को बेड पर लेटा दिया और खुद उंसके लण्ड को अपनी गांड के छेद पर सेट करने लगी

विराज-आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽऽआअ, मेरे लन्ड पर ऐसे ही कूदती रहो !

दीया-इस पोजीशन में तुम्हारा लन्ड बहुत अन्दर तक जा रहा है।

विराज-एक हाथ से मैं बारी बारी तुम्हारे मम्मों को मसल रहा हु और दूसरे से तुम्हारी चूत को !

दीया यश के लण्ड पर बैठकर लण्ड को अंदर बाहर कर रही थी। यश का लण्ड दिया कि गांड में काफी अंदर जा रहा था।यश भी उसकी चूत को हाथों से मसल रहा था।अब दीया का होने वाला था।


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विराज भी काफी देर से अपने लण्ड को मुठिया रहा था अब उसके हाथ और तेज चलने लगे गए ।दीया की सिसकारियां उसे और गर्म कर रही थी।कभी भी पिचकारी निकल सकती थी।

यश दीया के उछलते बोबो को पकड़ रहा था और चूत के दाने पर अपनी उंगली चला रहा था

दीया- मेरा हो रहा है विराज आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽ आअ आऽऽऽहऽऽ आअऽऽ अऽऽऽऽ मर गई।
उफ़्फ़्फ़्फ़ ! मेरी चूत के जूस तुम्हारे हाथ पर और तुम्हारे पेट पर फ़ैल गया.’ मैं थक गई कूद कूद के”

विराज-“अच्छा तो हट जाओ !”
वापिस घोड़ी बनो आज तुम्हारी गांड में ही अपनी मलाई डालूंगा।

फ़िर एक झटके में अपना लन्ड तुम्हारी गांड में डाल दिया।

दीया- हाऽऽऽऽय आऽऽज क्या जान निकालने का इरादा है?
विराज-“नहीं, लेकिन जब दर्द होता है तभी तो मज़ा आता है !”

और मैं जोर जोर से तुम्हारी गांड मार रहा हु। मेरा लन्ड पिस्टन की तरह तुम्हारी गांड में जा रहा है।

यश भी घोड़ी बनी दीया की गांड में ताबडतोड धक्के मार रहा था दीया की ऐसी हालत हो गयी थी कि उसकी चूत ने दूसरी बार पानी छोड़ दिया
विराज ने भी मुठ मार मार कर अपने लण्ड से पानी निकाल दिया

दीया-वाह विराज तुमने मुझे एक बार और झड़ा दिया।

विराज-ओह जान मेरा भी हो रहा है ।ओह में भी आया।और मेरा निकल गया और तुम्हारे गांड में पूरा का पूरा रस डाल दिया

दीया- ओह विराज तुमने तो आज फाड़ ही दी ।मेरी फोन में ही क्या हालत कर दी मेरी शादी के बाद पता नही क्या करोगे

विराज-तुम्हारी सुबह शाम चुदाई करूँगा अपना लण्ड तुम्हारी चूत में ही रखूँगा।
दीया- ठीक है बाबा में बाथरूम जा रही हु रात में बात करते ह
और दीया ने कॉल कट कर दिया।
पर यश का अभी भी नही हुआ
यश और जोर से सटासट सटासट धक्के मारने लगा
दीया बोली ओह यश तुम्हारा निकला नही क्या।आज क्या फाड़ के ही मानेगा क्या मेरी
हा ओर जोर लगा हाँ ओह यश बेबी ओर जोर से मार मेरी गांड को
दो चार तेज झटको में यश का भी निकल गया।और दोनो निढाल हो कर बेड पर पड़ गए।
यश बोला दीया तुम तो बहुत बड़ी वाली निकली एक साथ दो का पानी निकलवा दिया ।।बेचारा तुम्हारा मंगेतर तो अपना लण्ड हिला रहा है उसे क्या पता तुम सही में ही लण्ड ले रही हो। दिया बोली उस बेचारे के लिए अपनी वर्जिनिटी बचाकर रखी है सुहागरात में उससे ही तुड़वाऊंगी अपनी सील।


वापस महिमा की जुबानी
अब मुझे वापस अपने बेटे की शादी की तैयारियों में जुटना था।मैंने मेरी ननंद को फोन किया और उनसे बोली कि बाईजी इस बार आपको ओर नंदोईजी को जल्दी आना हैशादी में। नंदोईजी तो सोनम की शादी में भी ज्यादा नही रुके थे। मेरी ननंद बोली ले भौजाई थे ही बोल दो थांका नन्दोई ने।।
मैंने नंदोईजी को बोला फिर वो बोले जल्दी तो आ जायेंगे । पर इस बार निमंत्रण देने आपको आना पड़ेगा ।
मैं बोली ठीक है इस बार निमंत्रण देने मैं खुद ही आऊंगी।

अब मैं निमंत्रण देने जा रही हु अपने नंदोईजी के पास देखते है वो कैसे निमंत्रण लेते हैं मेरा।
 
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मैं अकेली ही पहुँची थी मेरी ननंद के घर पर। दोपहर में पहुँची थी तो शाम तक नंनद संग गप्पे लड़ा रही थी।। रात को खाना हुआ ।मैं और मेरी नंनद उनके रूम में बैठे थे तभी नन्दोईजी आये। मुझसे राम राम करी।फिर मेरी ननंद बोली भौजाई अटे पास में आज रातीजगा ह।मैं तो बटे जा रियु। थे भी अटे लगाओ रातीजगो। और फिर मेरे नन्दोईजी से बोली ज्यादा तंग मत करजो म्हारी भौजाई ने।
ननंद गयी, रूम बन्द हुआ। और नन्दोईजी को तो मानो सब्र नही था।
उन्होंने मुझे बाँहों में जकड़ लिया।
बोले आओ म्हारी सलहज बहुत दिन बाद मिली हो। बी दिन भी गाड़ी में गर्म कर छोड़ दियो। नन्दोईजी मुझे चूमने लगे।उनके हाथ मेरे पीठ पर चलने लगे। मैंने घागरा लुगड़ी पहने थे।नन्दोईजी ने मेरी लुगड़ी हटा दी और नन्दोईजी आगे से मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे और एक हाथ से मेरे घाघरे का नाडा खोलने लगे और अब मैं केवल ब्रा और चड्डी में ही थी। नन्दोईजी मेरी गांड की फांको को कस के मसलने लगे

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।उन्होंने भी पहले अपना कुर्ता उतारा फिर अपना पजामा भी खोल दिया वो भी केवल अंडरवियर में आ गए। और अब उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ा और अंडरवियर के ऊपर ही उनके लौड़े पर रख दिया। मैं ऊपर से ही उसे मसल रही थी दबा रही थी।

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अब नंदोईजी पलँग के किनारे बैठ गए और मुझे जमीन पर घुटनो के बल बैठा दिया और मेरे मुँह को अपने अंडरवियर के पास ले आये। मैंने उनका अंडरवियर उतार दिया और उनके लौड़े को चूमने लगी फिर उसे मुँह में ले के चूसने लगी एक हाथ से उनके आण्डों को सहला रही थी। उनका लौड़ा ओर कड़क होता जा रहा था।नंदोईजी बोल रहे थे। हाँ म्हारी सलहज इसान ही चुसो इने हाँ इसान।।नन्दोई ने अपना हाथ पीछे डाल कर मेरी ब्रा खोल दी और मेरे दोनो बोबे नँगे हो गए। अब वो मेरे बोबे मसल रहे थे। मैंने भी पूरा का पूरा लौड़ा अपने मुंह मे भर लिया इतना मोटा था कि बड़ी मुश्किल से मुँह में आया।

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नंदोईजी जी आंहे भरने लगे। आह म्हारी सलहज।हाँ इसान ही।अब मैने उनके आण्डों को मुंह मे लेना शुरू किया। पहले एक फिर दूसरा। क्या मोटे मोटे आंड थे उनके।नन्दोईजी ने अब मुझे उठाया और पलँग पे लेटा दिया औऱ

मेरी दोनों टाँगे उनके कन्धों पे थी, नीचे भी उन्होंने मोटा तकिया लगा दीया, फिर फैला के ,
अपना लौड़ा मेरी चुत में डालने लगे। मै भी काफी चूदासी हो गयी थी इसलिये मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी। गीली चूत में उनका लौडा आसानी से जाने लगा।दो झटको में ही उन्होंने पूरा लौड़ा जड़ तक पेल दिया। मैं उनको बाँहो में भीचने लगी।आह नन्दोईजी आह।नन्दोईजी तो लौड़े को अंदर बाहर निकाल कर मेरी चुदाई करने लगे।

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आह नन्दोईजी कांई कर दिया। मेरी पूरी चुत ठसाठस भर चुकी थी।
उनका ठेला गया लौड़ा चूत मे जड़ तक धँस कर एकदम से कस गया. चूत मे लौड़े के इस जबर्दाश्त घूसाव से मैं भी मस्ती मे उछल पड़ी और चीख सी पड़ी "आह नंदोईजी हाइईइ आअहह..." फिर नन्दोईजी ने अपने लंड की ओर देखा तो पाया कि लंड का कोई आता पता नही था और पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया था.
अब मुझे भी दर्द के बजाय बहुत मज़ा मिल रहा था. बस मेरा यही मन कर रहा था की नन्दोईजी उस घूसे हुए मोटे लौड़े को आगे पीछे करें. मोटा लौड़ा जो बुर के लिसलिस्से पानी से अब पूरी तरीके से भीग चुका था, मेरी चूत में किसी मोटे पिस्टन की तरह आगे पीच्चे होने लगा।।आज तो आनन्द आ रिये सलहज की लैबा में,इतना बोलते ही नन्दोईजी हचक हचक कर चोदने लगे ।।मैं भी अपनी चूत मे लगी आग को बुझाने के लिए हर धक्के पर अपनी गांड को उठाने लगी थी क्योंकि उन के मोटे लौड़े को पूरी गहराई मे घूस्वा कर चुदवाना चाह रही थी।।नन्दोईजी के हर धक्के के साथ मेरी चूत पूरी गहराई तक चुद रही थी. उन का सुपाड़ा मेरी चूत की दीवार को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था. मैं जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही हो।।नन्दोई जी हर धाक्के को अब तेज करते जा रहे थे. उनका लौड़ा जब मेरी चूत में पूरी तरह से अंदर धँस जाता तब नन्दोई जी के दोनो आंड मेरी गांड पर टकरा जाते।।. कमरे मे फाकच्छ फ़ाच्छ के आवाज़ भरने लगी. सिसकरने तेज कर दी थी. अचानक मेरे शरीर मे ऐंठन शुरू होने लगी ही थी की ननदोईजी ने मुझ को कस कर जकड़ लिया और मेरी गीली और चू रही चूत को काफ़ी तेज़ी से चोदने लगे. मैं चीख सी पड़ी " आह म्हारी माँ ओह म्हारा नन्दोईजी आह." और मेरी की चूतसे पानी निकल कर लंड पर पड़ने लगा.।। मैं झड़ गयी।

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नन्दोईजी कुछ देर मुझे ऐसे ही चोदते रहे फिर पोजीशन चेंज करी और फिर मुझे घोड़ी बना दिया।। और मेरी गांड में तेल लगाने लगे।नन्दोईजी का लौड़ा मेरी गांड में पहली बार जाने वाला था। उनका लौड़ा तो मेरी गीली चूत से चिकना हो ही गया था। धीरे धीरे उनका सुपाड़ा फिर पूरा लौड़ा मेरी गांड में।

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मेरी कामुक आवाजें निकल रही थीं.इईईईई माँ आह बचाओ … रेबा दो … नन्दोईजी नीं जाई … यो म्हारी फाड़ देई … मत करो.आह … ह … ह!! सी … ई … ई … ई! … बस बस..उफ़..फ़..फ़!अब नन्दोईजी लौड़ा सेट करके धक्के मारने लगे। मैं घोड़ी बन कर अपने नन्दोईजी से गांड मरा रहीं थी।उनका लौड़ा मेरी गांड की गहराई में घुस रहा था।
आहहहह… दर्द हो रिये आराम से डालो म्हारी… में… ओह्हहहह… … यो मूसल … आहहहह… कांई आज म्हारी ने.. आहहहह… फाड़ो म्हारी ने आहहह…
वो बोले म्हारी सलहज कांई कसी हुई ह थारी।म्हारो तो पुरो ही भीच ग्यो।

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नन्दोईजी अब बेदर्द हो गए थे और धचक धचक कर घुस रहे थे हुमच हुमच कर गांड मार रहे थे उनके हाथ मेरी सख्त गांड पर कसे हुए थे मेरे मुह से आआआआआ।ह्ह्ह्ह्ह अये…. माँ ,,,,,अरी बाईजी… मर गैईईईईईईईइ ,,रेरेरेरेरेरे म्हारा रामजी.....की आवाजें आ रही थी
वो मुझे गचा गच पेल रहे थे रूममें चुदाई का संगीत घुंज रहा था ..खप्प खप्प . ,पुच्च पुच्च ..,फक्क फक्क , सट सट , गप्प गप्प ! मुझे लग रहा था कि आज तो मेरी गांड गयी पर अब कुछ मजे भी आ रहे थे
नन्दोईजी भी समझ गए की अब उनका पूरा लंड गांड में अच्छे से घुस गया हे तो अब पूरी ताकत और रफ़्तार से गांड मारने की बारी आ गई हे ! उन्होंने मेरी गांड पर अपने पंजे दबाये

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और हुमच हुमच कर तेज तेज धक्के मार मार कर तूफानी रफ़्तार से मुझे पेलने लगे !रुम में फच्च फच्च की आवाज़े तेज हो गई थी ...!" नन्दोईजी ने अपनी रेल की स्पीड इतनी तूफानी कर दी की मेरा मुह खुला ही रह गया

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और मेरी सिसकियां आहे कराहे रूम में घुन्जने लगी ....आआआआअ…। ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरॆऎऎऎऎ ..ब्रा ब्रा ब्रा ब्रारे.....मरी ईईईईईईईईइ रे में तो आआज ...आआआआआइ ननंदोईजी तो फाड़ दी म्हारी।थोड़ी देर बाद अब मुझे सही लग रहा था।पर नन्दोईजी ने एक हाथ मेरी चूत की फांको पर रख कर मसलने लगे और बोलने लगे किसान लाग रिये म्हारी सलहज ने।


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तब मैं तेज धक्को में सिसकते ही बोली :-" ...ठीक लाग रिये नंदोईजी ......बा रे ...बड़ो आछो लाग रिये। इसान ही करता जाओ नन्दोईजी इसान ही ...चिल्ला कर बोली :-" आआआआआअ ..ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...रॆऎऎऎऎऎऎऎ नन्दोईजी ...आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...मैं तो झड गई .. !"मैंने उनके हाथ पर ही पूरा रस निकाल दिया उन्होंने मेरा रस ही मेरी गांड पे लेपने लगे उनका बदन भी अब झटके खाने लगा। और दो चार तगड़े झटको में नन्दोईजी ने सारी मलाई मेरी गांड में निकल दी और बोले आआअह ..सलहज ले निचोड़ लो पूरो मन्ने......थे तो पूरी गन्ना को रस निकालबा वाली मशीन हो ........!"
नन्दोईजी ने तो गांड का गुड़गांव बना दिया मैं थक कर लेट गयी नन्दोईजी भी मुझे बाहों में लेके लेटे रहे थोड़ी देर हमने बाते की और आधे घण्टे बाद उनका लौड़ा वापस तन्ना गया।और मुझे नीचे लेटा कर एक राउंड और मेरी चूत की चुदाई की।फिर हम नँगे ही सो गए
सुबह के टाइम रतजगा खत्म होने पर मेरी ननंद वापस आयी। और रूम का दरवाजा बजाने लगी मेरे नन्दोईजी ने टॉवेल लपेट कर रूम खोला औऱ ननंद भी आ गयी ननंद मेरे साइड में सोने लगी दोनो के बीच मे नँगी पड़ी थी कुछ देर बाद ही लगा ननंद सो गई है। तब नन्दोईजी उठे मेरे ऊपर आ गए। मेरे बदन को सहलाने लगे और मुझे होंठो पर चूमने लगे मैंने धीरे से उनके कान में कहा नन्दोईजी मानो बाईजी उठ जाई। पर वो तो कहा रुकने वाले थे।रात में इतनी बार झड़ने के बाद भी मन मेरा भी कर रहा था कि नन्दोईजी के लौड़े से एक बार फिर झड़ जाऊ पर मेरी ननंद सो रही थी इसलिए मैं शर्मा रही थी।नन्दोईजी अपने लौड़े को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे।अब उन्होने धीरे धीरे मेरी चूत में अपना सुपाड़ा घुसा दिया आह नन्दोईजी मानो। तभी मेरी ननंद उठी औऱ लेटी लेटी हमारे पास आ गयी औऱ मेरे नन्दोईजी से बोली क्यों परेशान कर रिया हो म्हारी भौजाई ने रातभर सु मन नी भरियो कांई थांको। फिर में भी मेरी ननंद से अपने नन्दोईजी की शिकायत करने लगी देखो नीं बाईजी नन्दोईजी रात भर निचोड़ ली मन्ने फिर भी और कर रिये। पर नन्दोईजी ने तो धीरे धीरे पुरा का पूरा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। पूरा निकाल कर जड़ तक वापस पेलने लगे।आह म्हारा नन्दोईजी।।मेरी ननंद बोली धीरे तो डालो म्हारी भौजाई के। अब नन्दोईजी थोड़ी स्पीड बढ़ाकर कस कस के चोदने लगे ।मेरी ननंद भी मेरे बोबे सहलाने दबाने लगी मेरे निप्पल को कस कर दबाने लगी।मैं भी पूरी चूदासी हो चुकी थी। नन्दोईजी के धक्कों का जवाब अपनी गांड उठा कर दे रहि थी ।।ताकि मेरी चूत में उनका लौड़ा और अंदर तक जा सके।अपनी ननंद के सामने हिअपने नन्दोईजी का लौड़ा अपनी चूत में खा रही थी।
चूत में पूरा का पूरा मोटा लंड ठूंस कर कस कर जा रहा था
मैं अपनी दोनों आँखों को कस के मूँद चुकी थी !और नन्दोईजी के हर झटके का मजा ले रही थी।मैं इतनी चुदासी हो गयी कि कुछ भी अनाप शनाप बड़बड़ाने लगी। आह हाँ नन्दोईजी हाँ इसान ही करता जाओ हाँ म्हारा नन्दोईजी।मेरी ननंद मेरे मजे लेने के लिए नन्दोईजी से बोली रुको म्हारी भोजाई के दर्द हो रिये।पर मैं बोली अरे बाईजी मत रोको नन्दोईजी ने करबा दो। और नन्दोईजी और करो आहह…ओहहहहह… अच्छे से पेलो अब आहहहह… दर्द में ज्यादा ओह्हहहह… मजो आ रिये।।।आहह
बाईजी म्हारो तो हो रिये आह बाईजी देखो नन्दोईजी तो वापस झाड़ दी मन्ने और एक बार फिर से मेरा निकल गया। थोड़ी देर नन्दोईजी ऐसे ही मेरी मारते रहे ।।मेरी चुदाई से मेरी ननंद भी गर्म होने लगी उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी नँगी हो गयी।औऱ मुझे बोली भौजाई थारा नन्दोई ने बोल नीं म्हारी भी अच्छे से पिलाई करे।नन्दोईजी समझ गए और उन्होंने मेरी चूत से उनका लौड़ा निकाला औऱ मेरी ननंद को बाहों में लेके उनकी चूत में डाल दिया। अब मेरी ननंद की सिसकारियां निकलने लगी।हां म्हारी भौजाई की मारी जीसान ही मारो।। मेरी ननंद ने मेरा हाथ पकड़ कर उनके बोबो पर रख दिया मै भी उन्हें मसलने लगी।औऱ नन्दोईजी मेरे होंठों में जीभ डालकर मुझे किस करने लगे। मेरी ननंद का एक हाथ मेरी चूत सहला रहा था।हम तीनों एक दूसरे में लगे हुए।थोड़ी देर बाद नन्दोईजी ने मेरी ननंद की चूत में दनादन धक्के लगाए और दोनो झड़ गए। दोनो मुझे बीच मे ले के लिपट कर सो गए।मैं बोली अब तो निमंत्रण स्वीकार कर लिया। हाँ भोजाई अब तो जल्दी आनो ही पड़ी।।
मैं वहाँ से आ यी फिर शादी कि तैयारियो में लग गयी।दिन भी कम बचे थे ।गीत भी लेलिये लगभग सब मेहमान भी आ गए। मेरी बड़ी ब्यान सोनम की सासु रवीना ब्यान के आने का इंतज़ार था।उसे काफी पहले बुला रहे थे पर वो शादी के 3 4 दिन पहले आईं थी।।
अब मेरे पास मौका था रवीना ब्यान से बदला लेने का।।
 
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शादी का माहौल था। मेरी रवीना ब्यानजी भी आ गयी थी अब मुझे भी तो उनसे बदला लेना था जब मैं मेरी बेटी सोनम को लेने गयी थी तब रवीना ब्यानजी ने ही मेरे, उनके पति का लंबा मोटा मूसल घुसेड़वाया था। औऱ तो और मेरी गोदभराई की रस्म भी कर डाली और ब्याहीजी ने सबके सामने और चोदा था मुझे।। ओर सारा माल मेरे मुँह में भर दिया था ।।अब तो ब्यानजी की खूब रगड़ाई करनी थी मुझे ब्यानजी दिन को आ गयी शाम तक मस्ती मजाक करते रहे और रात को हम सब औरतो ने मिलकर ब्यानजी को चुदने के लिए मेरे पतिदेव के रूम में भेज दिया और रूम बन्द कर लिया।।
अब मेरा बदला पूरा होने वाला था अब मेरे पति का ब्यानजी के घुसने वाला था।।


अब ब्यानजी की बारी ठुकने की.......



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