Incest छोटी कहानियों का संग्रह

किस तरह की स्टोरी आपको ज्यादा पढ़ना अच्छा लगता है ?


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भाभी और माँ की चुदाई
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भाभी और माँ की चुदाई
हैल्लो दोस्तों.. में अपने घर में अपनी माँ सुजाता देवी और भाभी नीरू के साथ रहता हूँ। मेरे भाई का नाम सुभाष है और वो बाहर जॉब करता है और भाभी की उम्र 25 साल की है और में 19 साल का हूँ। मेरी माँ सुजाता 43 साल की है और स्कूल में टीचर है। मेरी माँ बहुत सुंदर और सेक्सी है और में अपनी माँ के स्कूल में ही पढ़ता हूँ। माँ की नीरू भाभी से बहुत पटती है.. नीरू भाभी मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। भाभी का कद 5 फुट 5 इंच है और रंग सांवला, शरीर भरा हुआ.. माँ का कद छोटा है.. वो कोई 5 फुट 2 इंच की है और बहुत गोरी है.. माँ स्लिम है और उसकी चूची मोटी है और चूतड़ भारी हैं। में भाभी के साथ वक्त बिताना चाहता था.. क्योंकि वो मुझे बहुत सेक्सी लगती थी। एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे एक मस्त सेक्सी स्टोरी की किताब दी.. जिसमे भाभी देवर की चुदाई लिखी गई थी। कहानी पढ़कर मेरा लंड अकड़ रहा था और मुझे अपनी भाभी की याद आ रही थी.. में वो मस्त किताब पढ़ते हुये भाभी को कल्पना में चोदने लगा और अपने लंड को पकड़कर मुठ मारने लगा।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो चुका था और मेरे मुँह से कहानी के शब्द निकल रहे थे.. ऑह्ह्ह्ह भाभी बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे चोद लेने दो। भाभी मेरा लंड निचोड़ दो.. तभी मेरे लंड ने रस की धारा छोड़ दी और मेरे लंड से रस की बरसात मेरे सीने पर जा गिरी। नीरू भाभी का कमरा मेरे कमरे के बगल में ही था और माँ का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था। रात को जब में सोने की तैयारी कर रहा था.. तो नीरू भाभी के कमरे में माँ बैठी थी। नीरू ने एक ग्रीन कलर की टी-शर्ट और पतले से कपड़े का पजामा पहना हुआ था और माँ ने पेटीकोट और ब्लाउज पहना हुआ था। माँ भाभी से कह रही थी कि बहू तू अभी जवान है.. सुभाष ना जाने कहा चला गया है.. तू अगर दूसरी शादी करना चाहे तो कर सकती है।
मुझे पता है कि एक जवान औरत के जिस्म में कैसी आग लगती है जब मर्द ना हो तो चूत बिना लंड के बहुत तड़पती है। में आज भी बिना चुदाई के नहीं रह सकती हूँ.. तू तो जानती है कि गंगू अब भी मुझे हफ्ते में एक बार चोद लेता है.. तुझे भी कोई ना कोई बंदोबस्त करना चाहिये अपनी जवान चूत की गर्मी निकालने का.. भाभी चुपचाप सुनती रही और फिर बोली कि माँ जी आप ठीक कहती है.. पर आप तो जानती हैं कि मेरे मायके में कोई नहीं है और फिर मुझसे शादी कौन करेगा.. जबकि मेरा पति अभी ज़िंदा है। क़िसी बूढ़े के गले पड़ने से तो आपके साथ रहना अच्छा है.. आपका और देवर जी का प्यार ही मुझे ज़िंदा रहने के लिये काफ़ी है। माँ अचानक मुस्कुरा पड़ी.. हाँ में तो भूल ही गई थी.. तुम राजू को क्यों नहीं पटा लेती.. घर में मर्द है और हमको नज़र नहीं आ रहा है।
तुम्हारी चूत भी ठंडी हो सकती है और वो भी चुदाई सीख लेगा.. वैसे भी देवर पर तो भाभी का हक होता है.. जैसे जीजा का साली पर हक होता है और भगवान की कृपा से राजू भी जवान हो चुका है.. तुम उस पर अपने हुस्न का जादू चला लो और घर में ही चुदाई लीला शुरू कर लो। जब तेरा काम शुरू हो जायेगा.. तो मुझे बता देना। फिर हम आगे की सोचेगें.. ये कहते हुये माँ ने भाभी को अपनी बाहों में भरकर जोर से चूम लिया। मुझे अपनी लॉटरी निकलती दिख रही थी.. भाभी उठकर खिड़की के पास गई। जब वो चलती थी.. तो साफ पता चलता था कि उसने अपनी टी-शर्ट और पजामे के नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था। भाभी की माखन जैसी चिकनी जांघे और भरे चूतड़ बहुत मस्त लगते थे.. उसकी चूचियाँ उठक बैठक कर रही थी और मेरे पजामे में नाग देवता फिर सर उठा रहे थे.. भाभी मुझे बहुत प्यार करती थी।
माँ थोड़ी देर में अपने कमरे में चली गई और भाभी मेरे कमरे में अंदर आ गई। अब मुझे माँ और भाभी के प्लान का पता था.. वो मेरे पलंग पर मुझसे चिपककर बैठ गई.. उसके जिस्म से गर्मी निकलकर मेरी जांघों पर महसूस हो रही थी। तभी भाभी ने मेरा सर पकड़कर अपने सीने पर रख दिया और मेरे बालों में उंगलियाँ चलाने लगी.. तो राजू मुझे बता कि तुम पढ़ते कब हो और पढ़ते भी हो या फिर बस लड़कीयों के साथ इश्क करते रहते हो। में मुस्कुरा रहा था.. भाभी अब तुम ही मुझे पढ़ा दिया करो.. वो हंसकर बोली कि तुम मुझे क्या फीस दोगे बेटा? में चौंक गया और बोला कि फीस तो माँ देगी.. में भला कहाँ से दूँगा? में तो अभी छोटा हूँ। भाभी ने मुझे गौर से देखा और मुस्कुरा पड़ी.. तू इतना छोटा भी नहीं है बेटा.. फीस तो में तुझसे ही लूँगी.. तुझे नहीं छोडूंगी बिना फीस लिये। उसकी नज़रे मुझे अजीब तरीके से देख रही थी।
उसकी चूची मेरे सीने में धँस रही थी और मेरे बदन में एक अजीब सी हलचल हो रही थी.. मेरे हाथ भाभी की जांघों को स्पर्श कर रहे थे और मुझे लगा कि जैसे कोई बिजली का करंट लग गया हो.. तो कब से पढ़ाई शुरू की जाये बेटा? पहली बात भाभी आप मुझे बेटा मत कहा करो सिर्फ नाम लेकर बुलाया करो और दूसरी बात.. पढ़ाई कल से करेगें.. ठीक है ना? फिर मैंने कहा और वो फिर से मुस्कुरा पड़ी.. अच्छा बाबा बेटा नहीं कहूँगी खुश? कल 4 बजे शाम को पढाई शुरू होगी। मुझे स्कूल से 3 बजे छुट्टी होती है.. लेकिन अगले दिन में भूल गया कि मेरी प्यारी भाभी मुझे पढ़ाने वाली है और में क्रिकेट खेलने चल पड़ा। 5 बजे याद आया कि भाभी मेरा इंतज़ार कर रही होगी.. तो में घर की तरफ भागा.. माँ बाज़ार गई हुई थी। भाभी मेरे कमरे में बैठी मेरी किताबे देख रही थी.. ओह! मर गया राजू बेटा.. भाभी ने ज़रूर तेरी वो सेक्सी किताब देख ली होगी। फिर मैंने अपने आपको कोसा और मैंने देखा कि भाभी असल में मस्त सेक्सी किताब ही पढ़ रही थी.. मुझे देखकर उसका चेहरा लाल हो गया और उसने किताब वापस किताबों में रख दी। इतनी देर कैसे लग गई? में तेरा कब से इंतज़ार कर रही हूँ.. चलो पढ़ाई शुरू करें।
में चुपचाप बैठ गया.. लेकिन मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं था.. मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। अचानक भाभी बोली कि क्या बात है.. तुम हर वक्त ऐसी वैसी किताबे ही पढ़ते रहते हो? में बोला कि मुझे ये किताब मेरे दोस्त ने दी थी। मुझे अच्छी लगी है.. भाभी ने किताब को उठाते हुये कहा कि अगर तुझे सेक्सी किताब इतनी ही पसंद है.. तो चलो वो ही पढ़ते हैं। राजू इस किताब में भाभी और देवर हैं.. तुम देवर के डायलॉग बोलना और में भाभी का रोल अदा करती हूँ। में अब खुल चुका था.. भाभी बस बातें ही करेगें या कुछ और भी? क्या हम रोल प्ले नहीं कर सकते.. जैसे कि किताब में है? भाभी को अपना प्लान सफल होते दिखाई पड़ रहा था.. वो भारी आवाज में बोल पड़ी.. मेरे राजू देवर तुम जो कहोगे.. तेरी भाभी सब करेगी। देवर राजा लगता है.. मेरा देवर जवान हो गया है और अपनी भाभी का ख्याल रख सकता है।
राजू अगर तेरा बड़ा भाई चला गया है.. तो उसकी पत्नी की जिम्मेदारी अब तुझे ही उठानी होगी। मुझे देखने दो कि तेरा हथियार कितना बड़ा है? भाभी ने हाथ आगे बढ़ाकर मेरे लंड को पकड़ लिया.. जो कि पहले से ही खड़ा था। दोस्तों मेरा लंड 8 इंच का है। मेरा लंड भाभी के हाथ के स्पर्श से पूरा तन गया और मैंने भी हौसला दिखाते हुये भाभी की मस्त चूची को पकड़कर मसल दिया। भाभी बोली कि सामान तो मुझे भी आपका देखना है.. मैंने मन में सोचा कि वाहह्ह्ह भाभी मेरा भाई गांडू था.. जो तेरे जैसे माल को छोड़कर चला गया। भाभी ने मेरे कान को चूमकर धीरे से कहा कि तेरा भाई मुझे ठंडी करने के काबिल नहीं था.. इसलिये साला मुझसे दूर भाग गया कि उसकी बदनामी ना हो.. लेकिन मुझे कोई दुख नहीं है.. मुझे अपना प्यारा देवर अपने पति के रूप में मिल गया है.. वाह्ह्हह देवर राजा बहुत कमाल का डंडा है.. लगता है आज रात को भाभी की चूत की खूब पिटाई होने वाली है। भाभी ने मेरे लंड की मुठ मारते हुये कहा।
फिर मैंने भाभी की टी-शर्ट उतार फेंकी और उसकी मस्त चूचियाँ आज़ाद हो गई.. जिनको मेरे हाथों ने क़ैद कर लिया। भाभी के हाथ मेरा पजामा खोलने लगे और फिर मेरे लंड को सहलाने लगे। फिर मैंने भाभी की चूची पर अपना सर झुका दिया और पूछा कि भाभी मेरी रानी क्या मुझे चूची को चूसने की इजाजत है? तेरी चूची को चूसने का सपना में ना जाने कब से देख रहा हूँ.. तुम बहुत सेक्सी हो भाभी। भाभी ने मेरे लंड को कसकर पकड़ा हुआ था और वो मस्ती में बोली कि पूछते क्या हो राजू.. तुम मेरे स्वामी हो। जो चाहो करो मेरे जिस्म के साथ.. मेरे राजू मुझे अपनी पत्नी बना लो.. आज से नीरू तेरी हुई मेरे सरताज.. आज से तेरी हर इच्छा पूरी करना मेरा फ़र्ज़ है। मुझे नंगी कर दो देवर जी.. मुझे अपने लंड से निहाल कर दो। आज में कोई फासला नहीं रखना चाहती कि में इस घर की बहु हूँ। मुझे बहु के सभी हक दे दो.. मुझे अपना बना लो देवर राजा.. इसी में हम सब का सुख है। भाभी के हाथ मेरे लंड से मस्ती में खेल रहे थे और मैंने अब भाभी का पजामा भी नीचे खींच डाला।
भाभी की चूत एक फूले हुये पकोड़े की तरह थी.. जिस पर शायद सुबह ही शेव की गई थी। फिर मैंने भाभी की चूत पर प्यार से थपकी मारी और उसकी मस्तानी चूत का रस मेरी उंगलियों पर लग गया। मैंने भाभी की चूत के रस से भीगी हुई उंगली अपने मुँह में लेकर चूस डाली.. वाह भाभी क्या स्वाद है तेरी चूत का? ऐसा रस मैंने कभी नहीं चखा.. भाभी तेरी चूत की बात ही कुछ और है.. बहुत नमकीन भी है भाभी। भाभी प्यार से मुस्कुरा पड़ी.. देवर राजा चूत का रस एक जैसा ही होता है.. अगर तुम अपनी माँ सुजाता देवी की चूत को भी चखो.. तो ऐसी ही नमकीन होगी.. क्यों चखना चाहोगें अपनी माँ की चूत? मुझे गुस्सा आ गया.. भाभी ऐसा मत कहो.. वो मेरी माँ है। क्या कोई अपनी माँ के बारे में ऐसी बात करता है?
लेकिन भाभी का मूड बिल्कुल वैसा ही रहा और मुस्कुराते हुये कहा कि देवर राजा औरत तो औरत होती है.. मादरचोद कल तक मुझे भी तो भाभी माँ ही कहते थे। अब जब में चुदाने के लिये तैयार हूँ.. तो मेरी चूत के स्वाद की तारीफ करते हो। क्यों अब में भाभी माँ नहीं रही? में फिर से सकपका गया और बोला कि भाभी तुमको मैंने कभी माँ के रूप में नहीं देखा है.. तुम मुझे पहले दिन से ही सेक्सी देवी लगती थी.. में तेरी कल्पना करके कई बार मूठ मार चुका हूँ। जब भैया तुम को लेकर कमरे में जाते थे.. तो मुझे आग लग जाती थी। भाभी जलती हुई बोली कि तेरा भाई क्या खाक करता था.. तेरी भाभी के लिये साला बोलता था कि वो मुझे प्यार तो करता है.. पर चूत की आग नहीं बुझा सकता। उस बहनचोद से कुछ नहीं होता था और मेरी चूत आग में जलती रहती थी। राजू आज मेरी चूत की आग बुझा दो.. में वादा करती हूँ.. तुझे और भी लड़कियों को चोदने में मदद करूँगी.. देवर राजा तुझे मजा करवाऊँगी.. बस अपना लंड तैयार रखना।
में भाभी की चूची को चूसने लगा और उसकी चूत को सहलाने लगा। भाभी भी मेरे लंड को मसलने लगी और फिर अचानक उसने मुझसे अलग होते हुये झुककर मेरे लंड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूम लिया। भाभी का मुँह मेरे लंड पर ऐसे कस गया.. जैसे कि मेरा लंड क़िसी भीगी चूत में घुस गया हो। कुछ देर भाभी मेरा लंड चूसती रही और फिर उसने अपना सर उठाया और अपने बाल खोल दिये.. काली ज़ुल्फो से ढका हुआ भाभी का चेहरा बहुत कामुक लग रहा था। उसका सम्पूर्ण रूप से नंगा जवान जिस्म मुझे उत्तेजित कर रहा था। कमरे की दूधिया रोशनी में भाभी एक सेक्सी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। भाभी चलो अब उसी तरह से हम खेल खेले.. जिस तरह सेक्सी किताब में भाभी देवर खेल खेलते है.. भाभी तुम किताब वाली भाभी का रोल अदा करो और में देवर वाला। किताब को पढ़ते हुये बोलने लगी कि देवर जी आपका लंड तो बहुत मोटा है.. मेरी चूत में कैसे घुसेगा राजा? तेरे भाई का छोटा है.. तो घुस जाता है.. पर देवर जी आपका तो मूसल लंड मुझे डरा रहा है। में भाभी की चूत में उंगली डालकर पेलता हुआ बोला कि भाभी जान लंड जितना मोटा भी क्यों ना हो.. चूत में घुस ही जाता है।
भाभी मेरी रानी ज़रा इसको अपनी चूत पर रगड़ो.. फिर देखना कैसे घुसता है तेरी चूत में। भाभी फिर से किताब के डायलॉग बोलने लगी.. लेकिन मैंने अपनी ज़ुबान भाभी की नमकीन चूत में डालकर चाटना शुरू कर दिया। भाभी की चूत से रस टपकने लगा और वो किताब के डायलॉग भूल गई और सिसकारी लेने लगी.. ऊऊ राजू मादरचोद चूस मेरी चूत ऑह्ह्ह्ह बहनचोद चूस अपनी माँ की चूत। मेरी चूत आज तक नहीं चाटी क़िसी मादरचोद ने.. चूस मेरी चूत.. घुसेड़ दे अपनी जीभ आह्ह्ह्ह में मर गई। भाभी का चूत रस मेरे होठों पर बहने लगा और मैंने उसके भारी चूतड़ अपने हाथों में थाम लिये। भाभी के चूतड़ बहुत मस्त है.. भाभी की नंगी जांघे मेरे कानों पर कसी हुई थी और वो मुझे छोड़ने के मूड में नहीं थी। भाभी की चूत की खुशबू मुझे नशा चढ़ा रही थी.. भाभी ने मेरा लंड कसकर पकड़ लिया और मुझसे विनती करती हुई बोली कि राजू मेरे मालिक अब और ना तड़पाओ वरना मेरी चूत फिर से झड़ जायेगी.. पेल दो अपना हरामी लंड मेरी हरामी चूत में.. नीरू रंडी की चूत तेरे लंड की भीख मांगती है.. राजू प्लीज़ अपनी भाभी को चोद डालो.. इसको अपने लंड से खूब मारो.. तेरी माँ की भी यही इच्छा है.. प्लीज़ चोदो राजा।
भाभी अब पलंग पर जांघे फैलाये पड़ी थी और उसकी फूली हुई चूत मुझे चुदाई के लिये दावत दे रही थी। फिर मैंने भाभी की जांघों को और चौड़ा करते हुये अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया। भाभी तेरी चूत तो आग की भट्टी है.. साली चुदवाने के लिये मचल रही है.. तेरे देवर का लंड आज तेरे पति के लंड की जगह लेने लगा है.. कहते ही मैंने अपना लंड भाभी की चूत में धकेल दिया। भाभी के मुँह से दबी हुई सिसकारी निकल गई.. उसकी चूत से इतना रस निकला हुआ था कि चिकनाई अधिक होने से लंड आसानी से चूत की गहराई में उतरता चला गया। भाभी एक कुत्तिया की तरह हाँफ रही थी। उसने अपनी टाँगें मेरे चूतड़ो पर कस ली थी और उसके पैर की एड़ी मेरे चूतड़ो पर दबाव डाल रही थी और मेरी कमर चुदाई करते हुये आगे पीछे हो रही थी.. बस कुछ ही देर में मेरा लंड एक गधे के लंड का रूप धारण कर चुका था।
जब में धक्का मारता तो मेरे अंडकोष भाभी की चूत से टकरा जाते और भाभी उत्तेजना से चीख पड़ती.. कैसा लगा मेरे लंड का स्वाद.. तेरी माखन जैसी चूत को भाभी? आह्ह्ह्ह बहनचोद तेरी चूत भी बिल्कुल माखन है.. भाभी बड़ी भूखी है तेरी चूत। मेरा लंड पूरा खा गई है और साली कुत्तिया और माँग रही है.. साली छिनाल कहीं की.. बहुत मज़ा दे रही है तेरी चूत अपने देवर को। चुदवा ले रानी आज अपने राजू से.. ओह नीरु भाभी आईईईईई में रुक नहीं सकता.. राजू चोद ले नीरू को तेरी भाभी तेरी रंडी बन चुकी है.. तेरा लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है.. चोद इस रंडी को.. ज़ोर से चोदो.. उइईई माँ आ ज़ोर से मार मेरी चूत को राजू चोद ले अपनी भाभी को राजू.. मादरचोद पेल अपनी भाभी माँ को.. चोद हरामी और्रर्रर्र भाभी ना जाने क्या क्या बोल रही थी और में धक्के पर धक्का मारता जा रहा था.. मेरे अंडकोष से लंड का गाड़ा रस एक ज्वालामुखी की तरह उठने लगा।
मेरी चुदाई के धक्के अब तूफ़ानी रफ़्तार पर थे.. हाईईइ नीरू रंडी चुद गई.. राजू मर गई मादरचोद चोद मुझे आह्ह्ह्ह बहनचोद तेज़ी से मारो मेरी चूत.. ओह राजू तेरी भाभी की चूत.. साले चोद मुझे। तभी मेरे लंड से रस की नदी बह निकली और उसी वक्त भाभी की चूत से रस की बरसात होने लगी। में आख़री दम तक चुदाई करता रहा। मेरे लंड से जब आख़री बूँद भाभी की चूत में गिर चुकी थी तो अपने लंड को भाभी की चूत में डालकर में निढाल होकर उसके जिस्म पर लेट गया। रात के 12 बजे मेरी आँख खुली तो भाभी मुझसे लिपटकर सो रही थी। फिर मैंने झुककर भाभी की चूची को किस किया तो भाभी की आँख खुल गई.. क्यों बेटा माँ का दूध पी रहे हो? अभी तक भाभी माँ को चोदकर मन नहीं भरा क्या? और चोदना चाहते हो क्या? में भाभी की बातों से फिर उत्तेजित होने लगा और उसके बदन को सहलाने लगा। भाभी तुम गंदी बातें बहुत करती हो और गाली भी बहुत देती हो.. लेकिन अच्छा लगता है तेरी गाली को सुनना। चुदाई में जितनी गंदी गाली दो.. मज़ा आता है। चलो फिर से चुदाई करे। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
भाभी अब कौन सा खेल खेलते हुये चुदाई करेगें हम दोनों? भाभी बोली कि राजू अगर तुम चाहो.. तो अपनी माँ के कमरे से एक किताब ले आओ.. साली सुजाता भी सेक्सी कहानियों की शौकीन है। उसके तकिये के नीचे एक किताब ज़रूर होगी.. हम उसको पढ़कर खेल खेलेंगे.. यानी कि उसके रोल अदा करेगें? में कुछ समझ नहीं पाया.. क्या माँ भी? हो सकता है। पिता जी की मौत को भी बहुत वक्त बीत चुका था.. हो सकता है मेरी माँ सुजाता देवी भी चुदाई के लिये तड़प रही हो। माँ के बदन की कल्पना से मेरा लंड फनफना उठा.. हो सकता है कि आज सुजाता की चूत भी मुझे मिल जाये। में ये तो जानता था कि सुजाता और नीरू ने मुझसे चुदाई का प्लान बनाया था.. लेकिन यह नहीं जानता था कि माँ भी इस चुदाई में शामिल होगी या नहीं। नीरू भाभी बोली कि मेरे राजा तो चलें सुजाता के कमरे में? में चुपचाप चल पड़ा।
हम देवर भाभी मादरचोद नंगे थे। फिर मैंने नीरू की कमर में बाहें डाल रखी थी और वो मुझे चूमती हुई नीचे माँ के कमरे की तरफ ले चली। कमरे में बत्ती जल रही थी और माँ पलंग पर लेटी हुई थी। पंखे की हवा से उसका पेटिकोट उसकी जांघों तक उठा हुआ था.. भाभी ने होठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और फिर माँ के तकिये से एक किताब खींच ली। हम चुपचाप कमरे से बाहर निकले.. भाभी आगे थी और में पीछे.. भाभी की गांड ठुमक ठुमक कर रही थी। उसी वक्त मेरा मन नीरू की गांड चोदने को करने लगा। उसके गोल गोल मोटे चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे। अपने कमरे में मैंने नीरू को पेट के बल लेटा दिया और उसके चूतड़ सहलाने लगा। फिर में नीरू की पीठ पर चढ़ गया और उसकी गर्दन को चूमने लगा और चूची को मसलने लगा। नीरू ने किताब पलंग पर इस तरह रखी थी कि हम दोनों पढ़ सकते थे।
किताब की पहली लाईन पढ़कर नीरू बोली कि बेटा क्या अपनी माँ को चोदोगे? साले तुझे शर्म नहीं आयेगी अपनी माँ को चोदते वक्त? माँ को चोदने वाले को मादरचोद कहते है। क्या तू मादरचोद बनेगा बेटा? मैंने भाभी की गर्दन को काट खाया और पढ़कर अपना डायलॉग बोला कि माँ तू इतनी कामुक हो कि में अपने आपको रोक नहीं सकूँगा। तुझे देखकर मुझे पापा से जलन हो रही है कि मुझे तेरा बेटा बनना पड़ा है। तेरी चूत जिसमे से में पैदा हुआ हूँ.. वो तो चोदने के लिये बनी है.. हाँ माँ में मादरचोद बनूँगा.. तुझे पापा से अधिक आनंद दूँगा.. भाभी बोली कि अच्छा बेटा चोद लेना अपनी माँ को.. पहले मेरी चूची तो चूसो.. जिस तरह बचपन में चूसते थे। बेटा तेरा लंड मेरे चूतड़ की दरार में चुभ रहा है। क्या माँ की गांड मारोगे.. तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई और पीछे पलटकर देखा.. तो सुजाता देवी खड़ी थी। माँ ने कोई कपड़ा नहीं पहना था.. माँ की जांघों के बीच छोटी छोटी काली झांटे थी और उसकी मस्त छोटी चूची खड़ी थी। माँ ने अपनी चूत पर हाथ रगड़ते हुये मुझे देखा और बोली कि राजू अपनी भाभी को चोदकर तुमने आधी मुश्किल तो हल कर दी है.. अब बाकी की भी हल कर दो। अपनी माँ की प्यासी चूत को भी खुश कर दो। बहुत तड़पी है मेरी चूत जवान लंड के लिये। जब से तेरा लंड नीरू की चूत में घुसते हुये देखा है.. में चैन से नहीं बैठ पाई.. तेरा लंड तेरे बाप की याद दिलाता है।
अपनी भाभी को चोदकर तुम आधे मादरचोद बने थे.. अब मुझे चोदकर पूरे बन जाओ और हम तीनों घर में चुदाई के पार्ट्नर बन जाये और तेरे लिये इस घर में गंगा के साथ जमुना भी बहेगी। भाभी के साथ माँ भी चुदवायेंगी तुझसे। मेरे राजा में समझ गया कि अब सारी बात खुल चुकी है और शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है। फिर मैंने सुजाता को पलंग पर नीरू के साथ ही पटक दिया और माँ को चूमने लगा। नीरू तुम माँ की चूत को चाटो और उसकी गांड को सहलाओ। आज से हम चुदक्कड़ परिवार है.. राजू आज से तू चोदू देवर और मादरचोद बेटा है। जिस चूत से में निकला हूँ.. उसी चूत को चोदकर में अपनी माँ की आग ठंडी करूँगा और आज से तुम दोनों के लिये घर का मर्द बनकर रहूँगा। क्यों माँ तुझे अपना बेटा एक मर्द के रूप में स्वीकार है? मैंने कहते ही माँ की चूची को ज़ोर से भींच लिया और उसके बूब्स को मुँह में डालकर चूसना शुरू कर दिया। हाँ बेटा तेरा लंड पाकर मेरी चूत धन्य हो जायेगी.. नीरू बेटी तो मेरी बहू ही रहेगी.. चाहे उसको सुभाष चोदे या फिर तू। मुझे चोदकर अपना बना लो बेटा और घर की इज़्ज़त को घर में ही संभाल लो मेरे राजा। ऊपर से में सुजाता की चूची चूसने लगा और नीचे से भाभी माँ की चूत चाट रही थी। मेरी माँ का बदन गर्म हो चुका था और वो चुदाई के लिये तड़प तड़प कर उछल रही थी। बेटा अब देर मत करो.. इस चूत को चोद डालो। बहु तुम तो अपनी आग बुझा चुकी हो.. मुझे भी शांत हो जाने दो। मुझे भी इस गधे के लंड से चुद जाने दो.. बेटा कैसे चोदोगे अपनी माँ को? किस स्टाईल में चोदोगे राजा.. मेरी चूत से लार टपक रही है.. एक कुत्तिया की तरह चोदो। फिर मैंने हंसते हुये कहा कि माँ तुम अपने आपको कुत्तिया बता रही हो.. तो फिर क्यों ना में तुझे कुत्तिया की तरह ही चोद लूँ।
तुम अपने घुटनों और कोहनी के बल खड़ी हो जाओ और में तुझे पीछे से कुत्ते की तरह चोदूंगा। तुम मेरी कुत्तिया बनोगी ना? माँ कुत्तिया बन गई और उसने अपनी गांड ऊपर उठा ली.. सुजाता के गोरे गोरे चूतड़ बहुत मादक थे। मुझे उसकी गांड पर इतना प्यार आया कि मैंने उसकी गांड को चूम लिया और उसकी गांड को कुत्ते की तरह सूंघने लगा। नीरू ने मेरे लंड को चूसा और जब मेरा लंड उसके थूक से भीग गया.. तो मैंने माँ के पीछे पोज़िशन ले ली। भाभी ने मेरे लंड का निशाना सुजाता की चूत पर लगाया और बोली कि शाबाश देवर राजा.. चोद डालो अपने दूसरे शिकार को। नीरू के बाद सुजाता को अपनी रंडी बना लो चोद लो अपनी कुत्तिया को। ऐसा लंड इसको कई सालों से नहीं मिला है.. अपने मूसल लंड को पेल दो इस छिनाल की प्यासी चूत में। फिर मैंने अपना लंड एक ही धक्के में सुजाता की चूत में पेल दिया और उसके चूतड़ को ज़ोर से चांटा मार दिया। सुजाता सिसकारी ले उठी.. ओह्ह राजा धीरे से.. बहुत मोटा है तेरा। में तो लंड का स्वाद ही भूल चुकी थी.. आराम से बहु मेरी चूची चूसो.. पेलो बेटा बहुत मज़ा आ रहा है। चोदो अपनी माँ को, बहुत मस्त हो चुकी हूँ.. चोद उस चूत को जिसने तुझे जन्म दिया है.. फाड़ दे मेरी चूत को। में मरी उईई माँ आआअहह और सुजाता पागलों की तरह बोले जा रही थी और में जानवरो की तरह उसको चोद रहा था।
फिर भाभी हम दोनों को पागलों की तरह चूम रही थी और काट रही थी और मेरे अंडकोष से खेल रही थी। नीरू भी कुछ बोल रही थी.. सुजाता को चोद लो राजू.. इसको लंड की ज़रूरत है। हम दोनों को लंड चाहिये तेरा। मेरे राजा चोदो माँ को.. उधर सुजाता झड़ रही थी.. उसको सांस मुश्किल से आ रही थी। मेरा लंड अब सुपरफास्ट ट्रेन का पिस्टन बन चुका था और मेरा लावा भी छूट पड़ा। मेरा लंड रस सुजाता की चूत में गिरने लगा और उसकी गांड से होता हुआ जाघों से नीचे जाने लगा.. सुजाता भी थकी हुई कुतिया की तरह झड़कर हाँफ रही थी। नीरू मुस्कुरा कर बोली कि ये होती है घरेलू चुदाई और उसका मज़ा भी अलग ही होता है ।।

धन्यवाद …
 
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नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होता
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भाग ०१

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नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होत ___________________________________________________________

मेरा नाम रेमो है. मेरी उम्र 24 साल की है. मै दिल्ली के एक अमीर घर का इकलौता वारिस हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा और मम्मी के अलावा और कोई नहीं रहता. मेरे पापा एक जाने माने बिजनसमैन हैं. मम्मी घर पर ही रहती हैं. घर काफी बड़ा होने के कारण घर के काम काज करने घर में एक नौकरानी भी रख ली गयी है. नौकरानी का नाम मोहिनी है. वो बिहार के किसी गाँव की थी. उम्र कोई 25- 26 साल की होगी. तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद देखने में काफी खुबसूरत भी थी. लेकिन मेरा ध्यान उस पर नही जाता था. मै अपने कालेज से आ कर सीधे अपने कमरे में चला जाता और अपना काम करता.मोहिनी सुबह के छः बजे ही आ जाती थी जब सभी कोई सोये रहते थे. वो आ कर सबसे पहले सभी कमरों की सफाई करती थी.एक दिन घर में पापा और मम्मी नहीं थे . वो दोनों मेरे मामा के यहाँ गए थे. उस रात मै अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था. मै आराम से नंगा हो कर पूरी रात फिल्म देखता रहा. फिल्म देखने के दौरान मैंने 3 बार मुठ मार लिया. मै कब नंगे ही निढाल हो कर बिस्तर पर सो गया की मुझे पता भी नहीं चला. सुबह के छः बजे मोहिनी मेरे घर आई. उसके पास भी मेरे घर की एक चाभी रहती थी. इसलिए मुझे पता भी नही चला कि मोहिनी आई है. और मै नंगा ही सोया हुआ था. मोहिनी मेरे कमरे में अचानक आ गयी. उसने मुझे नंगा सोया हुआ देखा तो वो मुझे वापस नहीं लौट मेरे कमरे की सफाई करने लगी. सफाई कर के वो वापस दुसरे कमरे में चली गयी. उसकी ड्यूटी सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक की थी. आज मम्मी पापा थे नहीं इसलिए उसे नाश्ता भी बनाना था. मै सुबह के नौ बजे उठा. मैंने अपने आप को नंगा पाया तो सोचा चलो कोई बात नहीं किसने मुझे देखा है? अचानक कमरे में नजर दौड़ायी तो देखा हर सामान करीने से रखा हुआ है. तो क्या मोहिनी मेरे कमरे में आयी थी? क्या उसने मुझे नंगा देख लिया? मै सोच कर शर्मा गया. मै सोचा क्या सोचती होगी वो. मेरी तो सारी इज्ज़त मिटटी में मिल गयी. खैर मैंने कपडे पहने और अपने कमरे से बाहर आया. देखा मोहिनी किचन में काम कर रही थी. थोड़ी देर के बाद जब मै फ्रेश हो गया तो मैंने मोहिनी से नाश्ता मांगा. उसने मुझे पराठा और सब्जी ला कर दी. मै चुप चाप खाता रहा.मैंने धीरे से पूछ लिया - मेरे कमरे की सफाई तुमने कर दी?
मोहिनी ने कहा- हाँ.
मैंने कहा - कब?
मोहिनी ने कहा - जब आप सोये हुए थे.
मेरा गाल शर्म से लाल हो गया.
मैंने थोड़े गुस्से में कहा- मुझे जगा कर ना मेरे कमरे में आना चाहिए था?
मोहिनी ने लापरवाही से कहा- क्यों? पहले तो कभी जगा कर कमरे में नही जाती थी. आप कितनी बार सोये रहते और मै आपके कमरे की सफाई कर देती हूँ. फिर आज मै क्यों आपको जगा कर आपके कमरे में जाती?बात भी सही थी.मैंने कहा- अच्छा सुनो, मम्मी को नहीं बता देना आज सुबह के बारे में.
मोहिनी - क्या?
मैंने कहा - यही कि रेमो बाबा नंगा सोया हुआ था. मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा - सिर्फ नंगे सोये थे आप? आपके तौलिये में ढेर सारा माल है वो किसका था? मैंने कहा - हाँ जो भी था. किसी को बताना नही. मोहिनी ने कहा- चिंता नहीं करें. नहीं बताऊँगी. अरे आप जवान है. ये सब तो चलता रहता है.मै अब कुछ निश्चिंत हो गया. उसने मुझे जवान होने के कारण कुछह छुट दे दी . मै खा रहा था.
मोहिनी ने कहा- एक बात कहूं रेमो बाबु? बुरा तो नहीं मानोगे?
मैंने कहा - बोलो क्या बात है?
मोहिनी ने कहा- आपका हथियार छोटा है. इसे बड़ा कीजिये. नहीं तो आपकी बीबी क्या कहेगी.
मैंने कहा - हथियार? ये हथियार क्या है?
मोहिनी - हथियार मतलब आपका लंड.कह के वो मुस्कुराने लगी. ये सुन के मेरा दिमाग सन्न रह गया. तो इसने मेरे लंड का साइज़ भी देख लिया. हाँ ये बात सच थी की मेरे लंड का साइज़ छोटा था और मै इस से काफी चिंतित भी रहा करता था. लेकिन मेरे लंड पर टिप्पणी करने का अधिकार मोहिनी को किसने दे दिया? मै अचानक उठा और अपने कमरे में आ कर लेट गया. मुझे मोहिनी पर काफी गुस्सा आ रहा था.


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भाग ०२
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नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होता
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थोड़ी देर के बाद मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ.

मै सोचने लगा - सचमुच मेरे लंड का साइज़ छोटा है. जब मेरी शादी होगी तो मेरी पत्नी क्या सोचेगी.?

ये सोच कर मै परेशान हो गया. अचानक दिल में ख़याल आया कि हो सकता है की मोहिनी को इसे इलाज़ के बारे में कुछ देशी नुस्खा पता हो. मैंने पहले अपने सभी खिडकी को बंद किया और फिर वहीँ से मोहिनी को आवाज लागई. मोहिनी मेरे कमरे में आई.

मैंने मोहिनी से कहा- क्या कर रही है तू अभी?

मोहिनी - कुछ नही बाबा. बस इधर उधर सफाई कर रही थी.

मैंने कहा - वो सब छोड़. देख न मेरा बदन बड़ा दुःख रहा है क्या तू मेरी मालिश कर देगी?.

वो मेरे बगल में मेरे बिस्तर पर बैठ गयी. बोली - हाँ , क्यों नहीं .आप लेट जाओ मै आपकी मालिश कर देती हूँ.

मै कहा - नहीं सिर्फ कंधे को थोडा दबा दो कह कर मैंने शर्ट उतार दिया. .

वो मेरे कंधो की मालिश करने लगी. फिर बोली - ये गंजी भी खोल दो बाबा, अच्छे से तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ. मैंने गंजी उतार दिया. और बिस्तर पर लेट गया.मै सिर्फ हाफ पैंट में था. वो मेरे नंगे छाती और पीठ की बेहतरीन तरीके से मालिश कर रही थी. घर में कोई नहीं था और एक औरत मेरे बदन की मालिश कर रही थी. मामला फिट था. लगा अब सही मौका है इसे शीशे में उतारने का.

मै उसकी चूची को घूरने लगा. वो मेरी नजर को पढ़ रही थी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

मैंने उस से कहा - मोहिनी , तू दिन भर काम करती है. थकती नहीं है क्या?

मोहिनी मेरे छाती पर हाथ फेरती हुई बोली - साहब, थकती तो हूँ , मगर काम तो निपटाना होता है न.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी मालिश रोकते हुए कहा - आज कौन सा काम है तुझे. देखो न घर में कोई है भी नहीं बात चीत करने के लिए . मै बहुत बोर हो रहा हूँ. तू यहाँ बैठ मेरे पास. आज तुझसे ही बात करके मन बहलाऊंगा.

मोहिनी - अच्छा बाबा. जैसा आप कहें.

मैंने - ठीक से बैठ ना ..नहीं तू लेट जा....आराम से.. इसे अपना बिस्तर समझ.

मैंने जब ये कहाँ तो वो धीरे से मेरे बिस्तर पर मेरे बगल में लेट गयी. उसकी बड़ी बड़ी चूची किसी गुम्बद की तरह ऊपर की तरफ ताक रही थी. मेरी नजर कामुक होने लगी. मै उसके ढीले ब्लाउज में से झांकते उसके गोरे गोरे चुचियों पर नजर गडाने लगा. वो भी मेरी नजर को ताड़ गयी थी. उसने जान बुझ पर अपनी साडी का पल्लू नीचे कर दिया और कहा - आज बड़ी गरमी है ना रेमो बाबा.

अब उसकी चुचीयों के गहरी घाट बड़ी आसानी से दिख रहे थे. उसके चूची के घाट के ऊपर में कुछ गुदा हुआ सा था. मुझे लग गया कि ये बहूत ही खुली हुई मस्त औरत है और इस से कुछ गरम बातें की जा सकती है. वैसे भी घर पर कोई और है नहीं.


मैंने उसके साड़ी के पल्लू को उसके बदन से दूर हटाते हुए कहा कहा - हाँ सही कह रही है तू, बड़ी गरमी है.

वो बिना किसी परेशानी के मेरे बदन में सट गयी थी.

फिर मै उसके बदन से थोडा और सटते हुए मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा और कहा - और बता, तेरे घर में कौन कौन है.

उसने बेफिक्री के साथ कहा - मै, मेरा मरद और तीन बच्चे,

मैं उसकी नाभी पर उंगली फेरते हुए कहा - तीन बच्चे? तू लगती तो नहीं तीन बच्चों की माँ.

मोहिनी - साहब 23 साल में ही तीसरी बच्चे की माँ बन गयी थी. अभी तो वो दो साल का भी नहीं हुआ है.

मैंने उसकी नाभि में उंगली डालते हुए पूछा - पहला बच्चा कितने साल में पैदा कर दी थी तुने.

मोहिनी - जब पहला पैदा हुआ था तो मेरी उम्र 19 साल की थी . दुसरे के वकत मै 21 साल की और तीसरे की वक़त 23 साल की थी.

मै उसके नाभि में उंगली डाल रहा था लेकिन उसने किसी प्रकार का कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढी और मैंने उसके चूची की घाटी के उपरी हिस्से पर गुदे हुए अक्षर पर अपना हाथ ले गया और उस से पूछा - मोहिनी , ये क्या है?



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भाग ०३


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मोहिनी - ये? जब मै आठ-नौ साल की थी तभी मेरी दादी ने मेरे सीने पर ये गुदवा दिया था. इसमें मेरा नाम लिखा हुआ है.

इधर मेरा लंड टाईट होने लगा था .

मै जान बुझ कर उसके चूची पर हाथ रखे रहा और काफी धीरे धीरे सहलाते हुए कहा - मुझे आज तक पता नहीं था की तू तीन बच्चे की माँ है. मुझे लगा कि तेरी अभी अभी शादी हुई होगी. तेरा बदन तो एकदम ढीला नहीं हुआ है.

मोहिनी - अच्छा? बदन ढीला होता है तो क्या होता है?

मैंने उसके चूची को दबाते हुए कहा - देख, तेरी चूची अभी भी किसी कुंवारी लड़की से कम टाईट थोड़े ही है. मैंने दोनों चूची को बारी बारी से दबा दबा कर मुस्कुराते हुए कहा - तू अभी भी किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं.

मोहिनी - वो तो मेरा मरद भी कहता है.

मै उसके चूची को खुल्लम खुल्ला जोर जोर से दबाने लगा.अब मुझे अन्दर से काफी यकीन हो गया कि इस से कुछ और भी काम करवाया जा सकता है. मैंने अपनी एक टांग उसके ऊपर चढाते हुए उस से सट कर कहा - मोहिनी अगर मै तुमसे एक सवाल पूछूंगा तो तुम बुरा तो नहीं मानोगी?

मोहिनी ने कहा - पहले पूछिए तो सही.

मैंने कहा - तू अपने मरद से रोज़ सेक्स करती है क्या?

मोहिनी - सेक्स मतलब?

मैंने कहा - मेरा मतलब तू अपनी पति से रोज़ चुदवाती हो क्या?

मोहिनी - नहीं , रोज़ तो नहीं लेकिन लगभग हर तीसरे दिन वो मुझे चोद ही डालता है.

मैंने कहा - मोहिनी, तुमने जो कहा की हथियार यानी लंड को बड़ा कीजिये . कितना बड़ा होना चाहिए ये?

मोहिनी - उतना तो जरुर होना चाहिए कि बीबी को खुश रख सके.

मैंने कहा - तेरे मरद का कितना बड़ा लंड है?

मोहिनी - कोई ख़ास नहीं. लेकिन ठीक ठाक है.

मैंने कहा - मेरा लंड क्या सचमुच काफी छोटा है? क्या मै सचमुच अपनी बीबी को खुश नही कर पाऊँगा?

मेरे सवाल को सुन कर वो मुसुकुराने लगी .मैंने भी उस कि चूची को मसलते हुए फिर कहा - ए, बोल ना, मेरा लंड क्या सचमुच काफी छोटा है? क्या मै सचमुच अपनी बीबी को खुश नही कर पाऊँगा? क्या कोई उपाय है क्या लिंग को बड़ा करने का?

मोहिनी ने हँसते हुए कहा- अरे रेमो बाबु ,इतने सारे सवाल एक साथ? मै क्या कोई मास्टर हूँ? मै तो मज़ाक कर रही थी, लंड के छोटे बड़े होने से बीबी को थोड़े ही कोई फर्क पड़ता है? वैसे आपका लंड इतना भी छोटा नही है.

मोहिनी के मुह से लंड शब्द सुन कर मेरे मन में कुछ होने लगा.

मैंने कहा- अच्छा, ये बता कि बीबी को तो बड़ा लंड चाहिए ना?

मोहिनी ने कहा- मर्द का लंड कितना भी छोटा क्यों ना हो वो बीबी को चोद ही डालता है. बीबी की चुदाई हर लंड से की जा सकती है.

मोहिनी के इतना खुल के बोलने पर मै पूरी तरह से आज़ाद हो गया.

मैंने उस पर लगभग चढ़ गया और अपना लंड उसके बदन पर दबाते हुए पूछा - अगर बीबी की गांड मारनी हो तो?

मोहिनी ने कहा - वो भी होती है. चूत और गांड सभी आराम से मार सकते हो.

मैंने उसके चूची को जोर से दबाते हुए कहा - मोहिनी, बड़े लंड से चुदवाने पर औरत को ज्यादा मज़ा आता है या दर्द होता है?

मोहिनी - ये तो चुदने वाली औरत पर निर्भर करता है कि वो नयी है पुरानी. अगर नयी हुई तो छोटा लंड भी उसे दर्द देगा. लेकिन अगर पुरानी हुई तो बड़ा लंड भी उसे मज़ा देगा.

मैंने मोहिनी से कहा- मोहिनी , अगर तुम बुरा नहीं मानो तो क्या तुम मेरे लंड को देख कर बता सकती हो की मेरा लंड कितने पानी में है?



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भाग ०४
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मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है. आप पैंट उतारो . मै देखती हूँ आपके लंड को .

मैंने पैंट उतार दिया. अब मै अंडरवियर में था. मेरा लिंग खडा हो गया था .

मैंने कहा- बताओ.

मोहिनी ने कहा - अरे बाबा , पूरा दिखाओ ना. ये अंडरवियर उतारो ना.

मेरा दिल जोर से धड़क रहा था. मैंने आज तक किसी मर्द के सामने अपने लंड को नहीं दिखाया ये तो औरत है. लेकिन फिर भी मन में एक अजीब सा आनंद था कि कोई औरत स्वयं ही मेरे लंड को देखना चाहती है. इसलिए मैंने थोडा हिचकते हुए अपने अंडरवियर को अपने लंड से थोडा नीचे किये. मेरा लंड सामने आ गया.

मोहिनी जमीन पर ठेहुने के बल बैठ गयी और अपना मुह मेरे लंड के सीध में लेते आई. मेरे लंड को वो गौर से देख रही थी . उसने मेरे अंडरवियर को पकड़ा और जमीन तक लेते आई. मैंने पैर उठा कर अंडरवियर को पुरी तरह खोल दिया. अब मै कमर के नीचे बिलकूल नंगा था. अचानक मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी. मेरा लंड तनतना गया .

मैंने कहा- ये क्यों कर रही हो?

मोहिनी ने कहा- देख रही हूँ कि कितना बड़ा होता है.

मुझे काफी आनंद आ रहा था. मेरे सामने रात वाली ब्लू फिल्म का सीन दौड़ने लगा.

मैंने कहा - बोल ना? कैसा है मेरा लंड?

मोहिनी - बढ़िया है बाबा. एकदम परफेक्ट.

मैंने कहा - अब बता , तेरे मरद से बड़ा है कि छोटा..?

मोहिनी - बिलकूल बराबर है.

मैंने कहा- मोहिनी, आज तक मैंने किसी औरत का चूत नहीं देखा है तू अपनी चूत मुझे दिखा ना. मै सिर्फ देखूँगा. कुछ करूंगा नहीं.

मोहिनी ने कहा- ठीक है. इसमें कौन सी बड़ी बात है.

कह कर वो खडी हुई और एक झटके में अपनी साडी खोल दी. उसने पेटीकोट नही पहनी थी. उसने पेंटी पहन रखी थी. उसने खुद ही अपनी पेंटी को थोड़ी नीचे कर दी . मै उसके चूत को एकटक निहार रहा था. चिकना चूत था उसका. चौड़ा और फुला हुआ.

मैंने कहा- ये पेंटी पूरा खोल ना.

उसने अपनी पेंटी पूरी तरह से खोल दी. अब वो सिर्फ ब्लाउज में थी. इधर मेरा लंड तनतना रहा था.

मैंने झट से कहा- मोहिनी मै तेरे चूत को छूना चाहता हूँ.

वो बोली - छु लो ना. इसमें कौन सी बड़ी बात है?

मै उसके चूत को सहलाने लगा. बिलकूल ही कोमल पत्ते की तरह बुर था . उसने भी मेरा लंड पकड़ लिया. अब मै कुछ भी करने के लिया आज़ाद था. मैंने एक हाथ उसके चूची पर रखा और सहलाने लगा. अगले मिनट में ही मैंने उसके चूची को भी नंगा कर दिया. अब वो मेरे सामने बिलकूल नंगी खड़ी थी और मेरा लंड सहला रही थी.

मैंने कहा - मोहिनी, तेरी चूत एकदम इतनी चिकनी कैसी है? क्या रोज़ शेविंग करती हो?

मोहिनी - मेरा मर्द है ना. वो हर सप्ताह मेरी चूत अपनी रेजर से साफ़ कर देता है.
ये सुनते ही मेरा लिंग इतना बड़ा हो गया था कि मैंने कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरा लंड इतना बड़ा हो सकता है.

मैंने कहा - हाय, इतनी चिकनी चूत देख मुझे इसे चूसने का मन कर रहा है.

मोहिनी - तो चुसो ना साहब इसे.

मैंने मोहिनी को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके चूत पर अपनी जीभ घुसा कर उसे चाटने लगा. मोहिनी 3 बच्चों की माँ हो कर भी किसी कुवारी लड़की से कम नहीं थी. उसका बुर और चूची में काफी कडापन था. थोड़ी देर में उसके चूत ने मस्त पानी निकाला. मै उसके पानी को चाटने के बाद धीरे धीरे मै ऊपर की तरफ बढ़ा और उसकी चूची को मुह में ले कर चूसने लगा.

मेरा लंड तनतना रहा था. मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी.

वो बोली - रेमो बाबा, एक काम करो. तुम अपना लंड मेरे चूत में डालो. तब पता चलेगा कि तुम्हारा लंड का साइज़ सही है कि नहीं.

मैंने कहा - तू मुझसे चुदवायेगी?

वो बोली - हाँ, क्यों नहीं. जरा देखूं तो सही. बाबा का हथियार सही है या नहीं?

मै मन ही मन काफी खुश हो गया. मैंने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और मोहिनी के बुर में घुसा दिया. जब मेरा लंड मोहिनी के बुर में अन्दर जा रहा था तो मुझे काफी मज़ा आया. मैंने काफी अन्दर तक अपना लंड घुसा दिया. लेकिन वो कराहने लगी.

वो बोली - बस बाबा, अब और अन्दर नहीं जाएगा. बहुत बड़ा है तेरा लंड. अब यही से चोदो.

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मैंने उसके चूत को चोदना शुरू कर दिया. उसके बुर में जा कर मेरा लंड और भी बड़ा और मोटा हो गया. मोहिनी के मुह से आह आह की आवाज निकलने लगी.

वो बोली - धीरे धीरे कीजिये ना. दर्द होता है.

मुझे महसूस हुआ कि जिस लंड को मै हमेशा छोटा मानता आया हूँ वो किसी महिला के भी बुर में दर्द पैदा करने के लिए काफी है. 5 मिनट की चुदाई के बाद उसके बुर ने दोबारा पानी छोड़ दिया. 10 मिनट तक चुदाई करने के बाद मेरा माल निकलने वाला था. उसे अनुभव हो गया था कि मेरा माल निकलने वाला है.

वो बोली - माल अन्दर में मत गिरा देना साहब .

ज्यों ही मेरा शरीर अकड़ने लगा त्यों ही उसने अपने कमर को नीचे कर के मेरे लंड से अपने बुर को निकाल ली और झट से नीचे आ कर मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. 3-4 सेकेंड में ही मेरा लंड महाराज से वीर्य निकलना शुरू हो गया. कुछ वीर्य उसने पी ली और कुछ उसके मुह से बाहर निकल आया.

थोड़ी देर के बाद उसने कहा- देखा ना रेमो बाबु, लंड छोटा या बड़ा नही होता. सभी लंड चुदाई के लिए अव्वल होते हैं.

थोड़ी देर के बाद मैंने अपने लंड की साइज़ की सत्यता जांचने के बहाने मोहिनी की गांड की भी चुदाई की . उस में भी मै सफल हो गया.

मोहिनी ने आज मुझे विश्वास दिला दिया कि मर्द कभी भी नामर्द नहीं हो सकता. मैंने उसे एक हज़ार का पत्ता निकाल के दिया. उस के बाद जब भी मौक़ा मिलता मै मोहिनी को अवश्य ही चोदता हूँ . इसके लिए मैं मोहिनी को अलग से सभी से छुपा कर पैसे भी देता हूँ.



समाप्त
 

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