तो दोस्तो, यह था.. रघु और नीलम की जिंदगी का इतिहास.. जो अब बिंदिया के लिए नासूर बन गया था।
बिंदिया अपनी माँ-बाप की ग़रीबी के चलते अपने आप को बेसहारा महसूस कर रही थी।
दूसरी तरफ सोनू जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था। ना किसी काम की चिंता, ना कोई फिकर..
सुबह-सुबह जब सोनू उठा तो उसने देखा कि रजनी बिस्तर पर एकदम नंगी उल्टी लेटी हुई थी, उसके और सोनू के ऊपर रज़ाई पड़ी थी।
सोनू रजनी की तरफ पलटा और रजनी की गाण्ड को सहलाने लगा, जिससे रजनी भी जाग गई।
उसने सोनू के हाथ को अपनी गाण्ड पर रेंगता हुआ महसूस किया, तो उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।
उसने अपनी खुमारी भरी आँखों को खोल कर सोनू की तरफ मुस्कुराते हुए देखा।
'कब उठे तुम?' रजनी ने सोनू से पूछा।
'अभी थोड़ी देर पहले..' ये कहते हुए सोनू रजनी के ऊपर आ गया।
रजनी उल्टी लेटी हुई थी.. जिसके कारण सोनू का लण्ड रजनी की गाण्ड की दरार में जा धंसा।
सोनू के गरम लण्ड को अपनी गाण्ड के छेद पर महसूस करके रजनी मदहोश हो गई।
'आह.. क्या कर रहे हो.. सुबह-सुबह ये… तू भी ना सोनू…' रजनी ने अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे से इधर-उधर हिलाते हुए कहा।
जिसे सोनू का लण्ड का सुपारा ठीक उसकी गाण्ड के छेद पर जा लगा।
'आह्ह.. सी..इईईईईई सोनू..' रजनी एकदम मस्तया गई।
यह देख कर सोनू ने झुक कर रजनी के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया।
सोनू का लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर तना हुआ दस्तक दे रहा था।
रजनी ने अपने होंठों को सोनू के होंठों से अलग करते हुए कहा- ओह्ह.. क्या इरादा है तुम्हारा? कहीं.. अपनी मालकिन की गाण्ड तो नहीं मारनी?
सोनू- मैं तो कब से आप से भीख माँग रहा हूँ.. पर आप करने ही नहीं देतीं।
रजनी- नहीं सोनू.. मुझे बहुत डर लगता है… मैंने कभी गाण्ड में किसी का लण्ड नहीं लिया..
तभी दरवाजे पर आहट हुई.. सोनू रजनी के ऊपर से उठ कर नीचे बगल में लेट गया और जया कमरे में दाखिल हुई।
अपनी बेटी और सोनू को रज़ाई के अन्दर नंगे देख कर जया के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।
'तुम खुश हो ना यहाँ बेटी?' जया ने रजनी की तरफ देखते हुए कहा।
'हाँ माँ.. मुझे भला यहाँ तुम्हारे रहते हुए क्या परेशानी हो सकती है..' रजनी ने भी अंगड़ाई लेते हुए कहा।
जया ने मेज पर चाय रखी और मुड़ कर चली गई।
जया के जाते ही, सोनू ने एक बार फिर से रजनी को अपनी बांहों में भर लिया.. पर रजनी ने सोनू को पीछे हटा दिया, 'हटो ना रात भर सोने नहीं दिया.. अब तो बस करो।'
यह कह कर रजनी उठ कर अपने साड़ी पहनने लगी।
सोनू भी बेमन से उठा और अपने कपड़े पहन कर चाय पी कर बाहर चला गया।
दूसरी तरफ रघु को आज बिंदिया को उसके मायके लेकर जाना था।
रघु के घर वाले इसकी तैयारी कर रहे थे और फिर रघु और बिंदिया को तांगें में बैठा कर उसके घर के लिए रवाना कर दिया।
जब बिंदिया अपने पति रघु के साथ अपने मायके पहुँची, तो बेला अपनी बेटी और जमाई को देख कर बहुत खुश हुई.. उसने और उसके पति ने अपने जमाई के बहुत आवभगत की।