रघु का लण्ड उसके धोती में एकदम तना हुआ था, लालटेन के धीमी रोशनी कमरे में फैली हुई थी, रघु ने बिंदिया की तरफ करवट बदली और उसकी कमर पर हाथ रख दिया।
बिंदिया जो अभी तक जाग रही थी, रघु के हाथ को अपने ऊपर महसूस करके एकदम सिहर गई, दोनों एक ही रज़ाई के अन्दर लेते हुए थे और बेला दूसरी रज़ाई में थी।
रघु ने अपने हाथ को बिंदिया के चेहरे पेट पर घुमाना चालू कर दिया। बिंदिया एकदम से काँप गई, उसने रघु के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और रघु की तरफ चेहरे को घुमा कर देखने लगी। दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
बिंदिया पीठ के बल लेटी हुई थी, वो कभी चेहरे को अपनी माँ बेला की तरफ घुमा कर देखती.. तो कभी रघु की तरफ..।
बिंदिया को इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि रघु जो कल तक उससे देखना पसंद नहीं करता था। आज उससे अपनी बांहों में भरे हुए है।
रघु ने उसके कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया.. अब दोनों एक-दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे। इससे पहले कि बिंदिया को कुछ समझ आता, रघु ने पीठ के बल लेटते हुए.. अपने दोनों के ऊपर से रज़ाई को कमर तक सरका दिया।
अब बिंदिया करवट के बल लेटी हुई थी। उसकी पीठ अपनी माँ बेला की तरफ थी और रघु पीठ के बल लेटा हुआ था।
अपने पास हो रही सरसराहट से बेला का ध्यान उन दोनों की तरफ गया। जो अभी तक सोई हुई नहीं थी और वो अपने सर को थोड़ा सा उठा कर दोनों की तरफ देखने लगी.. क्योंकि बिंदिया की पीठ उसकी तरफ थी, इसलिए बेला ठीक से देख नहीं पा रही थी।
रज़ाई को कमर तक सरकाने के बाद.. रघु ने अपनी धोती को अपने ऊपर से हटा दिया। उसका 8 इंच का फनफनाता हुआ लण्ड बाहर उछल पड़ा। जिससे देख कर बिंदिया के दिल की धड़कनें थम गईं। वो फटी हुई आँखों से कभी रघु की तरफ देखती और कभी रघु के मूसल जैसे काले लण्ड की तरफ।
"माँ उठ जाएगी..।" बिंदिया ने घबराते हुए फुसफुसाया।
रघु ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और बिंदिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया। बिंदिया का पूरा बदन एकदम से काँप गया, साँसें मानो जैसे थम गई हों। उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे उसने कोई लोहे के गरम रॉड पकड़ ली हो। वो बुरी तरह सहम गई और उसने अपना हाथ पीछे को खींच लिया।
ये देख रघु करके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई, वो अपने होंठों को बिंदिया के कानों के पास ले गया और धीमे स्वर में बोला- ओए डर क्यों रही है.. हिला ना इसे.. मेरी जान..।"
ये कहते हुए उसने फिर से बिंदिया का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया और उसका हाथ पकड़े हुए मुठ्ठ मारने वाले अंदाज में बिंदिया के हाथ को धीरे-धीरे अपने लण्ड पर आगे-पीछे करने लगा।
बिंदिया शरम से गढ़ी जा रही थी।
थोड़ी देर बाद रघु ने बिंदिया के हाथ से अपना हाथ हटा लिया और थोड़ा सा बिंदिया के तरफ झुकते हुए, उसके होंठों की तरफ अपने होंठों को बढ़ाने लगा। बिंदिया की धड़कनें एकदम से तेज हो गईं और उसने अपने आँखों को बंद कर लिया।
जैसे ही रघु ने बिंदिया के होंठों पर अपने होंठों को रखा.. बिंदिया के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
रघु धीरे-धीरे उसके होंठों को चूसने लगा, बिंदिया भी धीरे-धीरे गरम होने लगी। रघु ने एक हाथ बिंदिया की बाईं चूची पर रख कर धीरे से उसे मसल दिया, बिंदिया के पूरे बदन में मानो करेंट सा दौड़ गया।
उसका हाथ रघु के लण्ड पर खुद ब खुद आगे-पीछे होने लगा। पीछे लेटी हुई बेला ये नज़रा आँखें फाड़े देख रही थी।
उसकी नज़र रघु के फुंफकार रहे काले चमड़ी वाले लण्ड और उसके गुलाबी सुपारे पर से हट ही नहीं रही थी और उसकी बेटी रघु के लण्ड को धीरे-धीरे हिला रही थी।
ये देख कर बेला की चूत पूरी तरह पनिया गई, उसका हाथ लहँगे के ऊपर उसकी चूत पर आ गया और वो अपनी पनियाई हुए चूत को धीरे-धीरे लहँगे को ऊपर से मसलने लगी।
पीछे लेटी हुई बेला ये नज़रा आँखें फाड़े देख रही थी।
उसकी नज़र रघु के फुंफकार रहे काले चमड़ी वाले लण्ड और उसके गुलाबी सुपारे पर से हट ही नहीं रही थी और उसकी बेटी रघु के लण्ड को धीरे-धीरे हिला रही थी।
ये देख कर बेला की चूत पूरी तरह पनिया गई, उसका हाथ लहँगे के ऊपर उसकी चूत पर आ गया और वो अपनी पनियाई हुए चूत को धीरे-धीरे लहँगे को ऊपर से मसलने लगी।
रघु भी बिंदिया के होंठों को चूसते हुए.. उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी मसल रहा था और बिंदिया की चूत भी धीरे-धीरे पानी बहाने लगी।
रघु ने अपना दूसरा हाथ नीचे ले जाकर बिंदिया के लहँगे को ऊपर खिसकाना चालू कर दिया.. बिंदिया का जवान बदन रघु के दमदार हाथों से रगड़े जाने के कारण बेकाबू हो गया था।
वो इस कदर गरम हो गई थी कि वो ये भी भूल गई थी कि उसकी माँ भी उसी कमरे में है। लहंगा ऊपर सरकते ही.. रघु ने चड्डी के ऊपर से बिंदिया की चूत पर हाथ रख कर धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। अपनी चूत पर रघु के हाथ पड़ते ही.. बिंदिया एकदम से मचल उठी।
उसकी चूत ने कामरस बहाना और तेज कर दिया.. उसकी साँसें और तेज हो गईं। गनीमत थी कि रघु ने उसके होंठों को अपने होंठों में भर रखा था।
ये सब देख कर पीछे लेटी बेला का बुरा हाल हो रहा था, उसकी चूत पूरी पनिया गई थी। बिंदिया का हाथ अब पूरी तेज़ी से रघु के लण्ड के ऊपर आगे-पीछे हो रहा थे। उसके हाथों में पहनी हुई चूड़ियाँ बजने लगी थीं। जो बेला को और गरम बना रही थीं।
बिंदिया की जवान चूत को पहली बार ऐसे किसी ने टटोला था। जवानी की आग और चूत पर रघु के हाथों ने बिंदिया के सबर का बाँध तोड़ दिया और उसकी चूत ने कामरस बहाना शुरू कर दिया।