Adultery चन्डीमल हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर (सम्पूर्ण)

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रजनी ने फिर से झुक कर जया की दूसरी चूची को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया और सोनू ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर एक बार फिर से जया की चूत के छेद पर टिका दिया।

"हाँ बेटी बहुत मोटा लौड़ा है रे तेरे इसस्स्स्स्सस्स नौकर का… मेरी चूत का भी भोसड़ा बना दियाआ.. साला एक नंबर का चोदू है..बहन का लौड़ा.. ओह आह्ह.. धीरेए हरामखोर.. मुझ बुढ़िया पर तरस खा..।"

सोनू ने जया की चूत में अपने मूसल जैसे लण्ड को अन्दर-बाहर करते हुए कहा- चुप साली इतनी कसी हुई चूत है तेरी.. और तू अपने आप को बुड्डी कह रही हाय.. आज तो सारी रात तेरी इस चूत में लण्ड पेल-पेल कर इसका भोसड़ा बनाऊँगा।

जया भी मस्ती में अपनी गाण्ड को ऊपर की तरफ उछाल रही थी और सोनू पीछे से धक्के लगाते हुए अपने हाथ की दो उँगलियों को रजनी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था.. दोनों किसी रांड की तरह मस्ती में सिसया रही थीं।

पूरा कमरा उन तीनों के मादक और कामुक सिसकारियों से गूँज रहा था। जया ने अपनी दोनों बाँहों को रजनी की पीठ पर कसा हुआ था।

सोनू कभी रजनी की चूत में लण्ड डाल कर पेजया और कभी जया की में पेजया। जया कुछ देर बाद झड़ कर ढेर हो गई। वो उठ कर रजनी के बगल में लेट गई। सोनू ने रजनी को पीठ के बल लेटा कर उसकी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया।

जया ने झुक कर रजनी के होंठों पर अपने होंठों पर रख दिया और उसके होंठों को चूसते हुए.. एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत के भगनासे को मसलने लगी।
जया के इस तरह करने से रजनी एकदम मस्त हो गई।
"आह.. डाल ना बहनचोद मेरी फुद्दी में लौड़ा आह…।"

सोनू ने अपना लौड़ा रजनी की चूत के छेद पर टिका कर अपनी गाण्ड को नीचे तरफ दाबना चालू कर दिया। सोनू का लण्ड अगले ही पल कामरस बहा रही रजनी की चूत की गहराईयों में समा गया।

रजनी- आह.. भर दे.. मेरीई चूत को अपने बीज़ से.. उइईए ओह.. मेरी कोख भर दे.. साले हरामी ओह..।

ये सुनते ही सोनू ने अपने लण्ड को पूरी रफ़्तार से रजनी की चूत की अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, जया उसकी चूत के दाने को मसलते हुए सोनू के मोटे लण्ड को अपनी बेटी की चूत में अन्दर-बाहर होता देख रही थी।

"हाँ.. चोद साले.. फाड़ दे.. इस छिनाल की चूत को ओह बड़ा मोटा केला है रे तेरा… मेरी बेटी कितनी खुशकिस्मत है…।"

रजनी- हाँ.. माँ..आहह.. दिल करता है.. पूरी रात इसका लण्ड अपनी चूत में लेकर लेटी रहूँ… ओह्ह फाड़ दे रे मेरी चूत.. हरामी ओह आह्ह.. आह्ह… और ज़ोर से चोद.. लगा ठोकर.. ना… साले ओह्ह… बस मेरा पानी छूटने वाला है.. ओह और अन्दर तक डाल..ल्ल्ल्ल..।

रजनी ने अपनी टाँगों को सोनू के कंधों पर रख कर ऊपर उठा रखा था.. जिससे सोनू का लौड़ा जड़ तक आसानी से उसकी चूत की गहराईयों में उतर कर उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था। रजनी झड़ने के बेहद करीब थी, उसका पूरा बदन अकड़ने लगा और उसका बदन झटके खाते हुए झड़ने लगा।

चूत की दीवारों ने लण्ड को अपनी गिरफ्त में कसना शुरू कर दिया और सोनू के लण्ड ने गरम खौजया हुआ लावा निकाल कर रजनी की चूत की दीवारों को सराबोर करने लगा।

रजनी की चूत का मुँह बिल्कुल ऊपर की तरफ था और वो अपनी चूत की दीवारों से सोनू के लण्ड का पानी बह कर अपने बच्चेदानी की तरफ जाता हुआ महसूस कर रही थी। उसके होंठों पर संतुष्टि से भरी मुस्कान फ़ैल गई।
उसी स्थिति में तीनों थक कर सो गए।
 
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अगली सुबह रजनी और सोनू अपने गाँव के लिए रवाना हो गई.. दोपहर तक दोनों घर पहुँच गए। जैसे ही दोनों घर के अन्दर आए.. सोनू की नजरें दरवाजे की ओट से उसकी तरफ देख रही दीपा से जा टकराईं। जैसे ही दोनों की नज़रें आपस में मिल कर चार हुईं.. दीपा शर्मा कर पीछे हट गई और अन्दर चली गई।

ये देख कर सोनू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।

पीछे खड़ी रजनी भी दोनों के बीच पक रही खिचड़ी को ताड़ गई और अगले ही पल उसे ध्यान आया कि कहाँ वो सोनू को दीपा के लिए इस्तेमाल करना चाहती थी और कहाँ वो खुद उसके लण्ड की दीवानी हो गई है।

उसने अपने सामान को कमरे में रखा और सोनू भी अपने सामान को लेकर पीछे कमरे में चला गया। आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। ये जान कर रजनी मन ही मन बहुत खुश थी। अब उसे सोनू और दीपा के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करने पड़ेगी।

शाम का समय था.. जब सोनू घर के कुछ काम निपटा कर नदी की तरफ जा रहा था। उसने नदी के किनारे बेला को देखा.. सोनू को देखते ही बेला की आँखों में चमक आ गई.. पर उसने अपने चेहरे से जाहिर नहीं होने दिया कि वो उसको देख कर बहुत खुश है।
उसने अपने चेहरे पर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए.. मुँह को दूसरी तरफ घुमा लिया।

सोनू- क्या हाल काकी… मुझसे नाराज़ हो।

बेला- ठीक हूँ.. तू मेरा क्या लगता है कि मैं तुझसे नाराज़ होंऊँ।

सोनू- ना काकी.. ऐसी बातें करके मेरा दिल ना दुखा..।

बेला- अच्छा, अगर तू मेरा कुछ लगता तो.. मेरी बेटी की शादी के लिए नहीं रुकता..? तू उस छिनाल की चूत की चक्कर में उसके साथ चला गया।

सोनू- अच्छा तो ये बात है… ठीक.. अगर तुमको ऐसा लगता है.. तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ.. आख़िर नौकर हूँ और अगर सेठ की बात नहीं मानता तो क्या करता…? तुम ही बताओ.. क्या तुम उनका कहना टाल सकती हो…? चलो छोड़ो.. जाने दो, तुम्हें तो मुझे पर विश्वास ही नहीं है।

ये कह कर सोनू आगे की तरफ़ बढ़ने लगा। बेला के होंठों पर तेज मुस्कान फ़ैल गई। उसने सोनू का हाथ पकड़ लिया।

"अरे वाह.. एक तो ग़लती और ऊपर से मुझ पर ही गुस्सा दिखा रहा है.. चल उधर जा.. झाड़ियों की तरफ.. मैं थोड़ी देर में आती हूँ।"
ये कह कर बेला ने सोनू का हाथ छोड़ दिया और सोनू घनी झाड़ियों की तरफ चला गया।

वो झाड़ियों के बीच ऐसी जगह बैठ गया.. जहाँ पर किसी की नज़र ना पहुँचे।
थोड़ी देर बाद बेला ने चारों तरफ नज़र दौड़ाईं.. कोई दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा था और फिर वो भी उसी तरफ बढ़ गई। जब बेला सोनू के पास पहुँची.. तो उसकी आँखों में चमक भर गई। सोनू अपना पजामा सरका कर नीचे बैठा हुआ.. अपने लण्ड को सहला रहा था।

बेला ने सोनू के मोटे लण्ड की तरफ देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए बोली।
बेला- अरे.. मेरे होते हुए इस हाथ से क्यों हिला रहा है.. देख अभी कैसे इसको खड़ा करती हूँ।

ये कह कर बेला सोनू के पास आकर बैठ गई और झुक कर उसके लण्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया। फिर उसने अपने उँगलियों से उसके लण्ड के सुपारे को सहलाते हुए.. उसके सुपारे को अपने होंठों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया।
 
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बेला पागलों की तरह उसके आधे से ज्यादा लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थी। उसके मुँह से थूक निकल कर सोनू के अंडकोषों की तरफ जा रहा था।
सोनू मस्ती में आँखें बंद किए हुए.. अपने दोनों हाथों से बेला के सर को पकड़ कर अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को चोद रहा था। बेला उसके लण्ड को मुँह में लिए हुए अपनी जीभ को नोकदार बना कर उसके लण्ड के सुपारे को कुरेद रही थी।
सोनू इस चुसाई से एकदम मस्त हो गया था। उसने बेला के सर को पकड़ कर ऊपर खींचा.. जिससे सोनू का लण्ड झटके ख़ाता हुआ.. उसके मुँह से बाहर आ गया।
बेला समझ गई कि अब सोनू चोदने के लिए बिल्कुल तैयार है।
वो जल्दी से सोनू के पैरों के ऊपर दोनों तरफ पाँव करके उसके लण्ड के ठीक ऊपर आ गई। सोनू ने अपने लण्ड के सुपारे को उसकी चूत के छेद पर लगा कर बेला की आँखों में ताका.. सोनू का इशारा समझते ही बेला ने अपनी चूत को उसके लण्ड पर दबाना शुरू कर दिया।
लण्ड का सुपारा बेला की चूत के छेद को फ़ैलाते हुए अपना रास्ता बनाने लगा।
बेला की चूत की दीवारें सोनू के लण्ड पर एकदम कसी हुई थीं और सोनू का लण्ड बेला की चूत से बुरी तरह रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था।
"ओह्ह मुझे तेरी और तेरे लौड़े की बहुत याद आई मेरे राजा.. ओह्ह तीन दिन से तेरे लण्ड के बारे में सोच-सोच कर ये अपना पानी बहा रही है.. आह.. आह.. चोद.. ना..आहह.. मुझे हरामी ओह.. तेरा लण्ड है ही मूसल.. ओह्ह आह्ह.. आह।"
सोनू- हाँ काकी.. मुझे भी तेरी चूत की बहुत याद आईई… ऐसी कसी हुई चूत के लिए कौन दीवाना नहीं हो सकता.. आह्ह.. ले साली और ले पूरा अन्दर ले..आह्ह.. रांड..।
बेला- आह साले रांड बोजया है मुझे आह्ह.. तो चल चोद ना मुझे रांड की तरह ओह्ह आह्ह.. आह्ह..।
दोनों की साँसें अब पूरी तेज़ी से चल रही थीं। बेला अपने भारी-भरकम चूतड़ों को ऊपर की और उछाल कर फिर से सोनू के लण्ड पर अपनी चूत पटक कर सोनू का लण्ड जड़ तक पूरा चूत में ले लेती और बेला की मस्त गाण्ड के साथ सोनू के अन्डकोष चिपक जाते। गाँव से दूर झाड़ियों में छिपे हुए दोनों वासना का नंगा खेल रहे थे।
सोनू नीचे से कमर हिलाते हुए बेरहमी से बेला की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच-दबोच कर मसल रहा था। बेला के चेहरा कामवासना के कारण एकदम लाल सुर्ख होकर दहक रहा था।
सोनू अपना एक हाथ पीछे ले गया.. उसने बेला की गाण्ड की दरार में अपनी उँगलियों को घुमाना शुरू कर दिया। बेला के बदन में सिहरन दौड़ गई और वो और तेज़ी से अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर पटकने लगी।
सोनू भी पूरी मस्ती में आकर अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालते हुए.. अपने लण्ड को जड़ तक बेला की चूत की गहराईयों में पहुँचा रहा था। सोनू के लण्ड के गरम सुपारे से बेला को अपनी चूत में अजीब सा आनन्द महसूस हो रहा था और वो उसे आनन्द की चरम सीमा तक पहुँचा रहा था।
सोनू ने बेला की गाण्ड की दरार में अपनी उँगलियों को घुमाते हुए अपनी एक ऊँगली को उसके गाण्ड के छेद अन्दर डालना शुरू कर दिया।
जैसे ही सोनू की थोड़ी सी ऊँगली बेला की गाण्ड के अन्दर गई.. बेला एकदम से सिसया उठी और पागलों की तरह सोनू के लण्ड पर कूदने लगी।
"हाए हरामी.. गाण्ड तो मारने का इरादा नहीं है तेरा…।"
सोनू- तू देगी अपनी गाण्ड में लौड़ा डालने..?
बेला ने सोनू के लण्ड पर अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से पटकते हुए कहा- डाल लेना मेरे राजा.. ये गाण्ड मैं सिर्फ़ तुझको ही दूँगी.. ओह्ह ओह्ह अभी तो बस मेरी चूत की प्यास बुझा दे।
बेला का बदन एकदम से अकड़ने लगा और बेला की चूत ने अपना लावा उगलना शुरू कर दिया। सोनू के लण्ड से वीर्य की बौछार होने लगी। दोनों तेज़ी से हाँफते हुए झड़ने लगे।
दोनों चुदाई के इस खेल में इतने मस्त थे कि उन्हें दुनिया जहान का कोई होश ही न था।
चुदाई के बाद दोनों ने एक-दूसरे को चूमा और कुछ देर बाद दोनों ही अलग हो कर उधर से चल पड़े।
 
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जब बेला घर पहुँची, तो घर पर सिर्फ़ रघु ही था, बिंदिया अपनी पड़ोस के घर गई हुई थी। जैसे ही बेला कमरे के अन्दर आई.. तो रघु ने बिंदिया से पूछा।
"क्या बात है सासू जी.. आज बहुत खुश लग रही हो।"
रघु की बात सुन कर बेला थोड़ा चौंक गई.. उसने अपने आप को संभालते हुए कहा- नहीं तो.. ऐसी तो कोई बात नहीं है दामाद जी..।
रघु- चलो अगर आप मुझे अपनी ख़ुशी का राज नहीं बताना चाहती तो मैं ही बता देता हूँ कि आप इतनी खुश क्यों हो..।
बेला ने थोड़ा सा घबराते हुए कहा- आप किस बारे में बात कर रहे हैं… कौन सा राज़ ?
रघु ने बेला के तरफ देखते हुए अजीब से मुस्कान के साथ कहा- वही.. जो आप अभी-अभी नदी के किनारे वाली झाड़ियों के बीच करके आ रही हैं।
बेला ने रघु की बात सुन कर घबराते हुए कहा- में.में. कुछ समझी नहीं.. आप क्या कह रहा हैं.. मैं तो वो बस..।
रघु ने बेला को बीच में टोकते हुए कहा- हाँ.. मैंने सब देख लिया सासू जी… क्या चूत है आपकी.. एकदम गदराई हुई.. ऐसी चूत तो मैंने आज तक नहीं देखी.. बस एक बार चोदने के लिए मिल जाए तो मेरे जिंदगी बन जाएगी।
बेला- ये.. ये.. क्या कह रहे हैं आप.. कैसी गंदी बातें कर रहे हैं आप… मैं आप की सास हूँ।
रघु- अच्छा.. मैं गंदा बोल रहा हूँ.. तो तुम भी तो वहाँ अपनी गाण्ड हिला-हिला कर अपनी बेटी की उम्र के छोरे का लण्ड सरेआम ले रही थीं… देखो सासू जी… अगर घर में जवान लण्ड मौजूद है, तो बाहर जाकर क्यों अपना मुँह काला करवा रही हो।
बेला ने गुस्से से कहा- रघु अपनी मर्यादा में रहो… वरना मैं कहती हूँ ठीक नहीं होगा।
रघु ने गुस्से से आग-बबूला होते हुए कहा- अच्छा साली.. अब तू देख.. तेरी और तेरी बेटी की इज्जत के धज्जियाँ कैसे उड़ाता हूँ… बहनचोद गान्डू समझ रखा है क्या.. मुझे…? बेटी साली.. चिल्लाने लगती है और माँ तो साली ऐसे नखरे करती है.. जैसे बहुत शरीफ हो। आज तो तेरी चूत में अपना लण्ड डाल कर पेल कर ही रहूँगा।
बेला- तुम होश में नहीं हो.. अभी तुम से बात करने का कोई फायदा नहीं।
रघु- मुझे बात करके लेना ही क्या है, मुझे तो बस तेरी चूत चाहिए.. और हाँ.. सुन आज रात को तैयार रहना और अगर कोई आनाकानी की.. तो याद रखना..मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
ये कहते हुए, रघु ने आगे बढ़ कर बेला को अपनी बाँहों में भर लिया। बेला रघु की इस हरकत से एकदम से घबरा गई और वो रघु की गिरफ़्त से छूटने के लिए हाथ-पैर मारने लगी। पर 22 साल के हट्टे-कट्टे रघु के सामने बेला की एक ना चली।
रघु ने बेला को चारपाई पर पटक दिया और किसी भूखे कुत्ते की तरह उस पर सवार हो गया। उसने बेला के होंठों को अपने होंठों में भर लिया और ज़ोर से चूस डाला।
बेला ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। रघु पागलों की तरह बेला के गालों और गर्दन को चूमने लगा।
"आह्ह.. दामाद जी.. ये क्या कर रहे हैं आप.. छोडिए मुझे.. ये ये सब ठीक नहीं है।"
रघु- क्यों साली.. उधर तो उस लौंडे का लण्ड अपनी चूत में उछल-उछल कर ले रही थी। मुझे में क्या खराबी है… बहनचोदी.. अगर ज्यादा नखरा किया.. तो तेरे पति को जाकर तेरी करतूतों के बारे में सब बता दूँगा।
रघु की बात सुन कर बेला बुरी तरह से डर गई। रघु ने बेला को कमजोर पड़ता देख कर फिर से उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। बेला रघु के नीचे किसी मछली की तरह छटपटाने लगी। रघु ने एक हाथ नीचे ले जाकर बेला के लहँगे को ऊपर उठाना चालू कर दिया। बेला ने भी हाथ नीचे ले जाकर रघु का हाथ पकड़ कर उसे रोकने की नाकामयाब कोशिश की।
पर रघु के आगे उसकी एक ना चली और रघु ने बेला के हाथ को झटकते हुए उसके लहँगे को ऊपर उठा दिया और बेला के होंठों से अपने होंठों को हटाते हुए, चारपाई के किनारे खड़ा हो गया। बेला के झांटों से भरी गदराई चूत देख कर रघु के लण्ड एकदम से तन गया।
उसने देखा कि बेला की चूत से पानी बह कर अभी भी बाहर आ रहा था। ये सोनू और बेला का कामरस था। जिसकी वजह से अभी तक बेला की चूत लबलबा रही थी।
रघु- धत साली.. देख अभी भी तेरे भोसड़ी उस बहनचोद के पानी से भरी हुई है..खैर आज तो तुम बच गईं, पर याद रखना.. अब तू कल मुझे अपनी चूत देगी, वरना तू जानती है ना… मैं क्या कर सकता हूँ…?
रघु ने बेला की टांगों को फैला कर ऊपर उठा रखा था और बेला शरम से मरी जा रही थी। उसका दामाद उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत को देख रहा था। रघु पीछे हट गया, बेला के नजरें अपराध बोध और शरम से एकदम झुक गईं।
वो चारपाई से उतरी और बिना रघु की तरफ देखे बाहर चली गई। रघु का लण्ड अब उसके पजामे में फटने को था।
 

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