हम लोग अभी पूल से कुछ दूरी पर थे...लेकिन वहां का नजारा साफ़ दिख रहा था...सीमा को तो मालूम ही था की वहां कैसा माहौल हो सकता है लेकिन मेरे लिए तो बहुत शॉकिंग था....इसलिए पहली नजर पड़ते ही मेरे पैर वहीँ रुक गए...सीमा भी समझ गयी...
सीमा – क्या हुआ...रुक क्यों गए/
मैं – वहां सब लोग तुम्हारी फॅमिली के हैं?
सीमा – हाँ...क्यों?
मैं - - चौंकते हुए – क्या मतलब क्यों? ये सब क्या कर रहे हैं ? ऐसे कैसे?
इससे ज्यादा मैं कुछ कह नहीं पाया...
सीमा – मैं नहीं समझा सकती...धीरे धीरे तुम सब खुद ही समझ जाओगे...अब ज्यादा परेशां मत हो...अपना कला चश्मा पहन लो...और अपनी शर्ट ओपन कर लो...
मैं – क्यों?
सीमा – क्योंकि तुम ठहरे नम्बरी ठरकी...तुम वहां सब को घूर घूर के देखोगे..और तुम्हारा लंड खड़ा हो जायेगा....सब सोचेंगे की मैंने किस चोदु से शादी कर ली जिसने कभी लड़की ही न देखि हो...
मैं – मैंने लड़की बहुत देखि...औरत भी देखि...फॅमिली भी देखि लेकिन ऐसी नहीं...
सीमा – ये तो कुछ भी नहीं है. आगे आगे देखना....अब चलो भी आगे...
हम आगे चल पड़े...
दरअसल जो नजारा मैंने देखा था वो कुछ ऐसा था की....वहां पूल के बहार तीन बेंच थी...जिसमे एक आदमी और दो औरत लेटे हुए थे...वो आदमी सीमा के पापा थे....एक चड्डी में लेटे हुए थे...शरीर पूरा खुला हुआ था...छुपाने की कोई कोशिश नहीं...इतना खुला हुआ की ये भी दिख रहा था की चड्डी के अन्दर उनका लंड कितना बड़ा है....उनके बगल की बेंच में दो औरतें थी.....वो दोनों औरतें सीमा की दो मम्मियां थी..और पापा की तरह मम्मियों ने भी अपने आप को छुपाया नहीं था...दोनों बिकिनी में थी...एक सीधी लेटी हुई थी और एक औंधी...सीधी लेटी हुयी के दूध कहर बरपा रहे थे और औंधी लेटी हुई की गांड...दोनों की बिकिनी बस नाम भर की थी...इतने छोटी भी नहीं थी की सब दिखे मगर इतनी बड़ी भी नहीं थी की कुछ छुप जाए....उनके अलावा......एक लड़की पूल के अन्दर थी दो लड़कों के साथ...वो दोनों लड़के सीमा के भाई थे और वो लड़की उसकी बहन थी....वो सब भी स्विमिंग ड्रेस में रहे होंगे....वो लोग पानी के अन्दर थे इसलिए ठीक से दिखा नहीं......उसकी बहन को मैंने पहचान लिया था....लेकिन मुझे फिर यद् आया की ये दोनों औरतें एक बार सीमा से मिलने आई थी उसके हॉस्टल और सीमा ने उनका इंट्रो ये कह के करवाया था की ये उसके बड़े पापा की बेटियां हैं...वो दोनों औरतें उम्र में बहुत बड़ी नहीं लग रही थी......
ये सब सोचते सोचते हम लोग पूल के नजदीक पहुच गए....एकदम करीब...और तभी सीमा के पापा ने हमें देखना और एकदम ख़ुशी से चिल्ला पड़े...”मेरी बेटी आ गयी..”....वो ऐसा बोल के तुरंत ही अपनी बेंच से उठ खड़े हुए...और सीमा की तरफ भागे...और आके उसके गले लग गए....और गले लगने में किसी प्रकार का संकोच नहीं किया उन दोनों ने...ऐसे गले लगे जैसे बस घुस ही जायेंगे एक दुसरे में....बाप बेटी बहुत दिनों बाद मिले थे लेकिन फिर भी उनका ये मिलन देख के मन में एक टीस सी उठ गयी...और फिर वो उससे अलग हो के मेरी तरफ आये और उतने ही जोश से मेरे गले लगे......आदमी औरत के शरीर की बनावट अलग अलग होती है...उनकी बेटी उनसे कम ऊँची थी...लेकिन मैं तो लगभग उन्ही की ऊँचाई का था...इसलिए जो तम्बू उनकी चड्डी में था वही तम्बू मेरी चड्डी में भी था और गले मिलने पर हम दोनों के तम्बू भी एक दुसरे से टकरा गए......मेरा तो लंड इसलिए खड़ा था क्योंकि मैंने इतनी सारी बिकिनी पहनी लड़कियां एक साथ नहीं देखि थी...लेकिन उनका लंड क्यों खड़ा था? जो भी हो......जैसे ही उनके लंड में मेरे लंड से संपर्क किया मेरा मन किया की भोसड़ी वाले का लैंड तोड़ के उसी की गांड में डाल दूं.....मन में एक अजीब सी गुस्से की लहर दौड़ गयी....
लेकिन इसके पहले की उस लहर का कुछ होता वो मुझसे अलग हुए और तभी मुझे ख्याल आया की उनके पीछे पीछे बाकी के लोग भी दौड़े चले आ रहे हैं....और वो सब भी पहले सीमा से मिलने वाले हैं और फिर मुझसे....जैसे ही वो अलग हुए तो मैंने देखा की सीमा की दो मम्मियों में से एक उससे चिपकी हुई हैं और दूसरी उसी की तरफ बढ़ रही हैं....दोनों माँ बेटी के दूध चिपके हुए कितने अच्छे लग रहे थे...की तभी वो उससे अलग हुई और मेरी तरफ आई.....और उसकी दूसरी मम्मी उसके गले लग गयी....पहली मम्मी ने जैसे ही मुझे गले लगाया मैंने उनके दूध फील किये और उन्होंने ने निश्चित ही मेरा लंड फील किया होगा....मैं उनके दूध के फीलिंग ले ही रहा था की वो मुझसे अलग हुई और फिर उसकी दूसरी मम्मी ने मुझे गले लगाया.....वाह मजा आ गया...दोनों के दूध भरे पूरे थे और दोनों ने ही गले मिलने में कोई कोताही कोई संकोच नहीं दिखाया था...बढ़िया कस के दोनों ने गले लगाया था मुझे....मैं इस मीठी फीलिंग में था ही की तभी सीमा का एक भाई उसके गले लगा....और भी बहनचोद पूरी तरह से चिपक के गले लगा...और सीमा ने भी उसे पूरा खुल के चिपकाया अपने गले से भी और पूरे बदन से भी....मैं अभी उसकी दोनों मम्मियों के दूध की फीलिंग को यद् कर रहा था की तभी ख्याल आया की अब ये मादरचोद मेरे गले लगेगा...और जैसे इसके बाप ने मेरे लंड पे टक्कर मारी थी वैसे ही ये भी मरेगा....दूध का पूरा मजा हवा हो गया और मेरा खड़ा लंड बैठ गया और मैं तुरंत ही थोडा टेढ़ा सा हो गया जिससे की उसका खड़ा लंड मुझे अपने शरीर पर फील न हो...मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की उस सिचुएशन को बचाने की...और बचा भी ले गया...दोनों भाई मुझसे गले लगे और फिर जैसे ही मैंने राहत की सांस ली ...वैसे ही दिखी मुझे मेरी साली....
ये भी नम्बरी माल थी....कद काठी में लगभग सीमा जैसी ही थी...और अभी अपनी गीलीं बिकिनी में दौड़ती हुई ऐसी लग रही थी की जैसे अभी पटक के न चोदी गयी तो नाराज हो जाएगी......सीमा और वो जब गले लगे तो क्या कहूं क्या लगा,.....चार चार दूध की थैलियाँ प्रेसर से इधर उधर हो रही थी...सीमा ने तो कपडे पहने थे लेकिन मेरी साली की गांड उसकी बिकिनी से बाहर आ आ के हिल रही थी....मैं वेट कर रहा था की अब मेरी बारी आएगी....अब ये मुझसे चिप्केगी...वो तो गले लगेगी लेकिन मैं तो फुल चिपक लूँगा....सीमा की दोनों मम्मियों ने भी बिकिनी ही पहनी हुई थी लेकिन उनके शरीर को मैंने इतने गौर से नहीं देखा था...जितना दिखा उतना ही देखा...लेकिन अपनी साली को तो मैं बाकायदा ताड़ रहा था...गीला बदन....चिपकी हुई बिकिनी....वो सीमा से अलग हुई और मेरी तरफ देखा...मेरा लंड पोजीशन में आ चूका था..मैं एकदम कास के चिपक के गले मिलने के लिए तैयार था की तभी सीमा के बाप ने अपनी माँ चुदवा ली और सबको आवाज दी की सब लोग इकट्ठे हो जाओ...एक लास्ट ड्रिंक सबका एक साथ और फिर उसके बाद सब चेंज कर के डाइनिंग टेबल पर मिलेंगे....मेरी साली मेरी तरफ एक कदम चल दी थी लेकिन फिर पलट के बार की तरफ चल दी.....
सीमा समझ गयी की मैंने क्या सोचा था और क्या हो गया....उसने मुझे देखा और आँख मार के थोडा सा हंस दी...मैं भी कमीनो की तरह थोडा सा मुस्कुरा दिया...वो सभी लोग तेजी से बार की तरफ चल रहे थे....मैं और सीमा सबसे पीछे थे....
मैं – तुम्हारे यहाँ सब लोग घर वाले एक दुसरे के सामने ऐसे बिकिनी में घूमते हैं?
सीमा –( एकदम नार्मल रहते हुए ) हाँ. पूल पे साडी पहन के तो नहीं आ सकते न.
मैं – हाँ लेकिन बिकिनी में. ऐसे. इस टाइप की बिकिनी में. फ़िल्मी स्टाइल में. ओह गॉड....
सीमा – (चिढाते हुए ) कह तो ऐसे रहे हो जैसे कितना बुरा लग रहा हो तुम्हें...मैं देख रही थी कैसे चिपक चिपक के मिल रहे थे....हरामी कहीं के..
मैं – नहीं यार. मैं तो शॉक में था...जैसे तुम सबसे मिली मैं भी वैसे ही मिला...
सीमा – हाँ हाँ....लेकिन अपनी साली से नहीं मिल पाए....कैसे लंड खड़ा हो गया था तुम्हारा.
मैं – तुम्हें दिख गया क्या? मैं तो शर्ट ओपन कर लिया था. फिर भी दिख गया?
सीमा – मुझे क्या सबको दिखा होगा.
मैं – तुम्हारे घर वालों के भी तो लंड खड़े हैं. मैंने तो फिर भी शर्ट ओपन कर के छुपाने की कोशिश की है लेकिन वो तो इतना भी नहीं कर रहे. सीमा तुम्हारे पापा और तुम्हारे दोनों भाइयों के खड़े लैंड उनकी चड्डियों में से दिख रहे हैं. साफ़ साफ़.
सीमा – पता है.
मैं – क्या पता है? तुम उनके लंड देख रही थी?
सीमा – अब चुप रहो. बार आ गया....बाकी बात बाद में...
हम लोग बार तक पहुच गए थे........