Incest गांव की कहानी

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अद्भुत अविस्मरणीय अतुल्य संभोग का सुख भोगते हुए सुरज कजरी के खूबसूरत बदन पर ढेर हो चुका था और कजरी एक असीम आनंद की अनुभूति लेते हुए गहरी सांसे ले रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि संभोग में इतना अत्यधिक आनंद भी कोई दे सकता है,,,, अभी तक वह केवल अपनी वासना की पूर्ति के लिए ही अपने बदन का प्रयोग करती आ रही थी लेकिन आज सही मायने में उसको संभोग के सुख के बारे में ज्ञात हुआ था,,, एक शिक्षिका होने के बावजूद भी आज उसे अपने ही विद्यार्थी से बहुत कुछ सीखने को मिला था,,,,।

ज्ञान सिर्फ शब्दों का हो यह जरूरी नहीं,,, संभोग कला में पारंगत होना भी जीवन में बहुत जरूरी होता है,,, सुरज को शब्दों का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन बहुत ही जल्द उसने संभोग कला में महारत हासिल कर लिया था,,,, और अपनी इस कला का सही उपयोग सही समय पर सही व्यक्ति पर करना उसे बखूबी आता था तभी तो बड़े घर की औरत होने के बावजूद भी कजरी मंत्रमुग्ध से सुरज के सामने चारों खाने चित हो गई थी,,,। कजरी बेलगाम जवानी की मालकिन थी और उसकी जवानी पर अभी तक किसी ने भी लगाम नहीं लगा पाया था,,, जिस किसी के साथ भी संबंध बनाती थी उस पर उसका पूरा वर्चस्व बनाए रहती थी,,,उसके जीवन में आने वाला सुरज ही ऐसा पहला शख्स था जिसके आगे वह घुटने टेक दी थी पूरी तरह से उसके मर्दाना अंग के आगे धराशाई हो गई थी,,,,,, पहली बार में ही सुरज ने मर्दानगी का सही अर्थ उसे समझाया था,,,,।

सुरज का मर्दाना ताकत से भरा हुआ अंग अभी भी कजरी के कोमल अंग को भेदता हुआ उसके अंदर समाया हुआ था,,। ऐसा लग रहा था कि कोई कुशल तैराकी समुंदर को ही अपना घर बना कर उसके अंदर बैठा हुआ है,,,,,, सुरज अपने मोटे तगड़े लंड से कजरी की मदमस्त जवानी की धज्जियां उड़ा दिया था तब तक वह शांत नहीं हुआ जब तक कि अपना गरम लावा से उसकी बुर की कटोरी भर नहीं दिया,,,लंड की गजब की तेज धारदार पिचकारी को अपने बच्चेदानी पर साफ साफ महसूस की थी और पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,,, इतने सारे लावा को वह पहली बार अपनी बुर के अंदर महसूस कर रही थी क्योंकि इतना किसी का निकलता ही नहीं था जितना कि सुरज ने निकाला था,,,।
दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,,कुछ देर तक उसी तरह से शांत लेटे रहने के बाद सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,,।


कैसा लगा कजरी दीदी,,,,

पूछो मत सुरज गजब का मजा आ गया ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था तुम्हारा लंड कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है तुम्हारे जैसा लंड मैंने आज तक नहीं देखी,,,,।
(कजरी के मुंह से अपनी तारीफ खास करके अपने लंड की तारीफ को सुनकर खुश हो गया और उसके होठों को चूम लिया,,,)

तू बहुत खूबसूरत हो कजरी दीदी मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा तुम्हारा अंग अंग ऐसा लगता है कि भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया है,,,,


तुमको भी बहुत मजा आया ना सुरज,,,।


बहुत मजा आया कजरी दीदी,,,,


मुझे दीदी मत बोला करो,,,, दीदी कहते हो तो ऐसा लगता है कि अपनी बहन को ही चोद रहे हो,,,,


तो क्या हुआ कजरी दीदी तुम्हारी जैसी खूबसूरत बहन हो तो कौन भाई होगा जो नहीं चोदेगा,,,,


धत् कैसी बातें करते हो कोई अपनी बहन को चोदता है क्या,,,!


अगर बहन चाहे तो क्यों नहीं,,,,( सुरज अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोला,,, सुरज ने अभी अपनी ममेरी बहन की चुदाई नहीं किया था बहन उससे बड़ी थी जिसकी शादी हो चुकी थी लेकिन अपनी मौसी की चुदाई कर चुका था इसलिए उसे धीरे-धीरे लगने लगा था कि रिश्तो के बीच भी चुदाई मुमकिन है दूसरी तरफ कजरी का भी हाल यही था भले ही वह भाई और बहन के बीच शारीरिक संबंध से इंकार कर रही हो लेकिन वह तो खुद अपने बड़े भाई के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रखती थी इसलिए उसके लिए भी भाई-बहन के बीच का पवित्र रिश्ता कोई मायने नहीं रखता था,,,। सुरज की बात सुनकर कजरी बोली,,,)

तुम पागल हो गए हो सुरज भला रिश्तो के बीच चुदाई मुमकिन कैसे हैं,,,,?


क्यों मुमकिन नहीं है कजरी दीदी जब एक खूबसूरत बहन अपनी बड़ी बड़ी चूची को झूलाते चलेंगी और अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते चलेगी अपने भाई को तड़पाएगी तो क्या होगा,,,जब वह खुद तैयार हो अपने भाई से चुदवाने के लिए तो भाई को भला ईंकार कैसे हो सकता है,,,
(भाई बहन के ऊपर सुरज की बातें और उसका मंतव्य सुनकर कजरी के बदन में गुदगुदी होने लगी थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि दुनिया में केवल वही एक ऐसी औरत नहीं है जो अपने भाई से चुदवाती है ऐसे कई लोग हैं जो अपनी बहन को चोदते हैं,,,,इस बात से उसे थोड़ी संतुष्टि मिल रही थी लेकिन सुरज की उत्तेजना एक बार फिर से बढ़ने लगी थी इसलिए कजरी की बुर में ढीला पड रहा लंड एक बार फिर से खुशी के मारे फूलने लगा था जिसका एहसास कजरी को अपनी बुर के अंदर बराबर हो रहा था,,,, उसे भी आनंद आ रहा था सुरज की ताकत से‌ वह पूरी तरह से परिचित हुए जा रहे थे एक बार झड़ने के बावजूद भी और वह भी उसे तीन बार झड़ चुका था और तुरंत तैयार भी हो रहा था यह सब बातें कजरी को आश्चर्यचकित कर रहे थे नहीं तो एक बार की चुदाई के बाद तो आदमी ढेर हो जाता है,,,, जैसा कि उसका खुद का भाई,,, लेकिन सुरज की बात कुछ और थी इसे थकान बिल्कुल भी महसूस नहीं होती थी,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ईसी कार्य के लिए जन्म लिया है,,,।

कजरी को,,, बड़े जोरो की पिशाब लगी थी,,, इसलिए वह सुरज को अपने ऊपर से उठाते हुए बोली,,,।

चल अच्छा हट,,, बडा आया अपनी बहन को चोदने,,,,


तो क्या अभी अभी तो अपनी बहन को चोदा हुं,,,,
(सुरज के कहने का मतलब को समझकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं तुम्हारी सगी बहन थोड़ी हूं,,,


तो क्या हुआ दीदी तो कहता हूं ना,,,,
(कजरी सुरज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरज था कि हटने का नाम नहीं ले रहा था,,, उसका लंड अभी भी कजरी की बुर में घुसा हुआ था,,,। जोकि धीरे-धीरे फूलने लगा था उसे फूलता होगा कजरी अपनी बुर में बराबर महसूस कर रही थी और इसी की वजह से उसकी उत्तेजना भी फिर से शुरू होने लगी थी लेकिन उसे बड़े जरूर की पेशाब लगी थी इसलिए उसे हटाना जरूरी था वह हट नहीं रहा था इसलिए कजरी जोर देते हुए बोली,,,)

चल अच्छा हट जाओ सगी बहन होती तो नहीं चोदता अभी सिर्फ बातें कर रहा है,,,

नहीं-नहीं जरूर चोदता अगर तुम इसी तरह से मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होती तो जरूर मेरा लंड तुम्हारी बुर में होता जैसा कि अभी घुसा हुआ है,,,,(सुरज धीरे-धीरे जोश में आ रहा था जिसकी वजह से वह हल्के हल्के उसकी चुचियों को मुंह में लेकर काट ले रहा था,,,,उसका इस तरह से चुचियों को काटना अच्छा भी लग रहा था लेकिन पेशाब की तीव्रता की वजह से वह परेशान थे इसलिए ना चाहते हुए भी उसे बोलना पड़ा,,,।)



अरे उतारोगे,,, मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,
(खूबसूरती की मूरत कजरी के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह उत्तेजित स्वर में बोला,,,)

अभी तो मुत कर आई थी,,,


तो क्या हुआ फिर से लग गई है,,,,


तुम्हें पैसाब बहुत जल्दी जल्दी लगती है,,,(इतना कहते हुए वह उठने लगा और कजरी अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर थोड़ी होने लगी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी,,, जहां पर सुरज का लंड अभी भी पूरी तरह से गहराई में धंसा हुआ था,,,, सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर में से लंड को निकालने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है,,,


निकालोगे नहीं तो पैशाब कैसे करुंगी,,,(कजरी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देखते हुए ही बोली,,)

तुम कहती हो तो निकाल देता हूं वरना मेरा इरादा अभी ईसे निकालने का बिल्कुल भी नहीं था,,,,


बहुत शैतान हो मैं तो तुम्हें कितना सीधा साधा समझ रही थी,,,,


अब जिसके पास इतनी खूबसूरत गुलाबी छेद है तो उसे देखकर इंसान कब तक सीधा-साधा रह सकता है,,,,


बातें बहुत आती है तुझे चलो जल्दी से निकालो,,,।


ठीक है महारानी जैसी आपकी आज्ञा,,,(सुरज की बात सुनकर कजरी हंसने लगीऔर सुरज अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को उसके गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच फंसे मुसल को निकालना शुरू कर दिया,,, सुरज अपनी कमर को उठाते हुए अपने लंड को बाहर खींच रहा था बाहर खींचते समय भी लंड की नशे बुर की अंदरूनी दीवारों पर रगड़ खा रही थी जिसकी वजह से कजरी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,और देखते ही देखते सुरज ने अपने लंड को उसकी बुर से पक्क की आवाज के साथ बाहर खींच लिया,,, कजरी मुस्कुराने लगी और खड़ी होने लगी सुरज भी खड़ा हो गया था और अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,।


अब कपड़े मत पहनो फिर से निकालना पड़ेगा,,,,।


तो क्या हुआ निकाल देना कपड़े उतारने में तो तुम माहिर हो,,,


नहीं नहीं तुम बिना कपड़ों के ही बाहर जाओ एकदम नंगी,,, बहुत अच्छा लगेगा,,,,


पागल हो गया क्या बिना कपड़ों के बाहर कैसे जाऊंगी किसी ने देख लिया तो,,,


यहां कौन आएगा देखने के लिए इतनी वीरान जगह है एकदम सुनसान यहां कोई नहीं आता,,,।

नहीं नहीं मैं कपड़े पहन कर ही जाऊंगी,,,(अपने पेटीकोट को नीचे से उठाते हुए बोली तो सुरज तुरंत आगे बढ़ा और उसके हाथ से पेटीकोट छीन लिया और बोला,,,)

कोई नहीं देखेगा ऐसे ही चलो ना एक बार एकदम नंगी बहुत मस्त लगोगी साड़ी में जब चलती हो तो एकदम कयामत लगती हो बिना कपड़ों के चलोगी तो तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड,,,(अपने लंड को पकड़ कर हीलाते हुए) एकदम बावला हो जाएगा,,,,
(सूरज की बात सुनकर वह कुछ सोचने लगी सुरज की बातें उसके मन पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रही थी वह भी बिना कपड़ों के ही बाहर जाना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि बिना कपड़ों के घूमने में घर से बाहर आम के बगीचे में क्या-क्या लगता है वैसे तो घर में व कई बार बिना कपड़ों के घूम चुकी थी लेकिन आज वह अलग अनुभव लेना चाहती थी इसलिए उसकी बात मानते हुए बोली,,,)

ठीक है तेरी बात मैं मान लेती हूं लेकिन तुझे भी इसी तरह से चलना होगा नल तक,,,, वहीं पर में पेशाब करूंगी,,,,


ठीक है कजरी दीदी,,,,


फिर दीदी कहा,,,,


ठीक है कजरी,,,,,
(कजरी मुस्कुराते भी झोपड़ी के बाहर कदम रखने से पहले एक बार चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है वैसे भी इस जगह पर कोई आता नहीं था फिर भी वह थोड़ी तसल्ली कर लेना चाहती थी और जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तो वह अपना एक कदम बाहर निकाल दी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी आज वह पहली बार घर के बाहर नंगी घूमने का अनुभव ले रही थी पीछे पीछे सुरज खड़ा था जो कि झोपड़ी से बाहर निकलने मैं समय ले रही थी तो वह ठीक कजरी के पीछे आ गया उसकी चूची दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ने लगा सुरज की हरकत से वग पूरी तरह से बावली हो गई,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।

सहहहहहह ,,,,,आहहहहहहह सुरज,,,,,, पेशाब तो कर लेने दे,,,,


रोका किसने है खड़े-खड़े मुत लो,,,ना,,,


धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,, छोड़ो मुझे,,,,( और इतना कहकर झोपड़ी के बाहर निकल गई,,, आगे आगे चल रही है कजरी की बड़ी बड़ी गांड मटकते हुए देखकर सुरज के होश उड़ रहे थे,,,,उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्वर्ग में पहुंच गया और वहां पर परियों के साथ काम लीला रचा रहा हो,,,, आगे-आगे चल रही कजरी उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लग रही थी साड़ी में चलते हुए उसे देखा था लेकिन नंगी देखने का सुख उसके भाग्य में लिखा हुआ था इसीलिए आज वहां इस आम के बगीचे में हमसे बिना कपड़ों के चलते हुए देख रहा था कजरी रह-रहकर पीछे की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और जवाब में सुरज अपना लंड पकड़ कर हिला दे रहा था,,, दोनों की इस तरह की हरकतें बेहद मदहोशी फैला रही थी दोनों की आंखों में चार बोतलो का नशा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते कजरी हेड पंप के पास पहुंच गई और बेझिझक सुरज के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दि,,, ५ कदम की दूरी पर सुरज खड़ा हो गया था क्योंकि उसे इतने जोरो की पिशाब लगी हुई थी कि उसकी गुलाबी बुर के छेद से पेशाब की धार बाहर निकलने लगी और साथ ही उसमें से मधुर सिटी की ध्वनि सुनाई देने के लिए जो कि सुरज के हौसले पस्त कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,

कजरी पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त हो चुकी थी सुरज उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था और तुरंत ठीक उसके पीछे बैठ गया और अपने लंड को उसकी गांड के बीचो-बीच से निकालकर उसकी बोर के गुलाब की पत्तियों पर अपने लंड की ठोकर मारने लगा,,,, कजरी को जैसे ही यह एहसास हुआ और पूरी तरह से बावरी हो गई उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी और वो सुरज को रोकने के बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अपनी नजरों को पीछे करके उसको देखने लगी और सुरज अपने होठों को आगे बढ़ा कर उसके होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा,,,,, और कजरी तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर सुरज के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी बुर पर रख देना शुरू कर दिया हालांकि अभी भी वह पेशाब की धार मार रही थी जो कि रह-रहकर सुरज के लंड की सुपाड़े को भिगो दे रही थी जिसे जरा जो कि उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,,,,,,,।

सुरज पूरी तरह से बदहवास हो चुका था वह तुरंत कजरी की बांह पकड़कर उसे खड़ी उठाने लगा,,, कजरी ठीक से मुत नहीं पाई थी लेकिन फिर भी मंत्रमुग्ध से सुरज के इशारे पर नाचने लगे थे वह खड़ी हो गई थी और सुरज उसे हेड पंप के सहारे उसकी गांड टीका कर उसे खड़ी कर दिया था,,,, कजरी की गुलाबी बुर लप-लपा रही थी,,,गहरी सांस खींचते हुए सुरज उसकी चिकनी बुर की तरफ देखा और तुरंत अपने होंठ को उसकी बुर से लगा दिया जिस पर अभी भी पेशाब की बूंदे लगी हुई थी और वह भेज जग अपने होठों पर ओस की बूंद की तरह लेकर उसे जीभ के सहारे अपने गले के नीचे उतार दिया,,,, अद्भुत सुख और रोमांच से कजरी पूरी तरह से मस्त होने लगी उसकी आंखें खुली थी और वो चारों तरफ देख रही थी कहीं कोई आ ना जाए उसे डर भी लग रहा था जो कि वहां पर कोई आने वाला नहीं था आज आसमान के नीचे खुले में नंगी होकर जवानी का मजा लेने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, वास्तव में सुरज उसे बेमिसाल लगने लगा था,,,,। सुरज पागलों की तरह उसकी बुर चाट रहा था कजरी भी पूरी तरह से मस्त होकर अपनी बुर को गोल-गोल घुमाते उसके चेहरे पर रख रही थी हालांकि वह ठीक से पेशाब नहीं कर पाएगी इसके उत्तेजना के मारे उसकी बुर से रह-रहकर पेशाब की धार फूट पड़ रही थी जो कि सुरज उसे अमृत की धार समझ कर उसे अपने मुंह में लेकर पी जा रहा था यह कजरी और सुरज के लिए बेहद अनोखा अनुभव था जिसमें पूरी तरह से दोनों भीग चुके थे,,,, सुरज की उत्तेजना और उसका हौसला देखकर कजरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। एक तरह से वह सुरज की गुलाम बन चुकी थी जितना सोची थी उससे कई ज्यादा सुरज से मजा दे रहा था रह रह कर सुरज अपनी उंगली उसकी बुर में डाल दे रहा था जिसकी वजह से अपनी उत्तेजना को ना संभाल पाने के कारण वह हेड पंप के हफ्ते को कस के पकड़ ले रही थी और खुद भी अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रही थी,,,, पेशाब का स्वाद नमकीन खारेपन का था लेकिन सुरज को उसकी पेशाब का स्वाद अमृत से कम नहीं लग रहा था धीरे-धीरे करके वहां उसकी बुर से निकलने वाले पैशाब को पूरी तरह से अपने गले के नीचे गटक गया था,,,,,कजरी की गर्म शिसकारियों की आवाज से पूरा आम का बगीचा पूछ रहा था लेकिन उसे सुनने वाला वहां कोई नहीं था,,,,।

सुरज से अब रहा नहीं जा रहा था वह तुरंत खड़ा हुआ है और अपने लंड को खड़े-खड़े ही ,,, कजरी की बुर में डालना शुरू कर दिया,,, सुरज का लंड आराम से चला जाए इसलिए कजरी अपनी एक टांग उठा कर वापस उसकी कमर में डाल दी और सुरज बड़े आराम से उसकी एक टांग उठा है उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया अद्भुत संभोग,,, शायद इस तरह के संभोग के बारे में कजरी ने भी कभी कल्पना नहीं की थी,,, सुरज का हर एक धक्का उसके होश उड़ा रहा था,,,
सुरज की कमर लगातार चल रही थी,,,।

कजरी अपने शर्मो हया सब कुछ त्याग चुकी थी,,, तभी तो जिंदगी का सबसे अनोखा सुख भोग रही थी जिसकी कल्पना भी कर पाना मुश्किल था बड़े घर की औरतें इस तरह से खुले में आम के बगीचे में नंगी होकर गांव के लड़के से चुदवाएगी इस बारे में किसी ने भी कल्पना नहीं की थी,,, वैसे भी सुरज की हिम्मत की दाद देना पड़ जाए क्योंकि ऐसा काम लोग चोरी छुपे घर के अंदर करते हैं लेकिन वह किसी की परवाह किए बिना अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए लाला की बहन को झोपड़ी से बाहर लाकर उसके चुदाई कर रहा था,,,,
अपनी टांग को उठाएं उठाएं कजरी को दर्द महसूस होने लगा था लेकिन फिर भी दर्द की परवाह किए बिना वह संभोग के असीम सुख को प्राप्त करने में लगी हुई थी और देखते ही देखते दोनों की सांसे तेजी से चलने लगी,,, और सुरज बिना आसन बदले एक बार फिर से कजरी को चांद पर लेकर जा चुका था दोनों का लावा निकल चुका था सुरज अपना लंड बुर से बाहर निकाल कर अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगा और कजरी गहरी गहरी सांसें लेने लगी,,,।

बाप रे कितना हरामी है तु अपनी मनमानी करने से पीछे नहीं हटता,,,

क्या करूं तुम्हारी जवानी का नशा ही कुछ ऐसा है कि बार-बार पीने को मन करता है,,,,।

दो दो बार झढ़ने के बाद भी सुरज का लंड ज्यों का त्यों खड़ा था,,,, और वह वही पर कजरी की आंखों के सामने ही खड़े होकर पेशाब करने लगा,,, सुरज की इस हरकत पर कजरी हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,।

अरे थोड़ी तो शर्म कर लिया होता,,, दूर जाकर मुत नहीं सकते थे,,,


अब तुम से कैसी शर्म,,,,(इतना कहकर मुस्कुराने का क्या और सुरज का कहना भी ठीक ही था कजरी यह बात अच्छी तरह से जानती थी,,,, कुछ देर तक वह दोनों वहीं खड़े रहे नंगे पन का एहसास दोनों को एकदम मस्त कर रहा था शाम ढलने वाली थी और कजरी बोली,,,।)

बहुत देर हो गई है अब मुझे चलना चाहिए,,,, अंधेरा हो गया तो मुश्किल हो जाएगी भैया तरह तरह के सवाल पूछना शुरू कर देंगे,,,।


तो क्या हुआ बता देना कि आम के बगीचे में चुदवा रही थी,,,।

धत्,,,,,(और इतना कहकर कजरी इतनी गांड मटका कर झोपड़ी के अंदर जाने लगी तो पीछे पीछे सुरज भी चल दिया,,,, कजरी झोपड़ी के अंदर अपनी पेटीकोट उठाकर उसे पहन कर अपनी डोरी बांध रही थी,,, वहीं पास में पड़ी कजरी की चड्डी को उठाकर सुरज उसे चारों तरफ घुमा कर देखने लगा एकदम मखमली कपड़े की बनी हुई थी सुरज से रहा नहीं गया और वह अपनी नाक से लगाकर उसे सुंघने होने लगा,,,,)

वाहहह ,,, क्या खुशबू है एकदम तरोताजा मेरा तो फिर से लंड खड़ा होने लगा है,,,,,,,(सुरज की बात सुनते हैं कजरी सुरज की तरफ देखी तो उसे अपनी चड्डी सुनता हुआ पाकर ही दम हैरान हो गई और बोली,,)

तुम सच में एकदम पागल हो,,,


तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,


धत् पागल,,,,(इतना कहकर सुरज की तरफ पीठ करके नीचे झुक कर अपनी साड़ी उठाने लगी तो उसके झुकने की वजह से उसका बड़ा पिछवाड़ा देखा कर सुरज से रहा नहीं गया वैसे भी उसकी चड्डी सुंघकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और वह बिना समय गंवाए सीधा उसके पीछे पहुंच गया था,,,और वह नीचे गिरी साड़ी उठा पाती इससे पहले ही सुरज पीछे से उसकी पेटीकोट कमर तक उठा दिया था,,, और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डाल दिया वह उसे रोकती रह गई लेकिन वह उसे चोदना शुरु कर दिया कजरी के तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह सुरज की इस मनमानी का मजा लेने लगी पीछे से भी सुरज का लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा थाजो कि यह कजरी के लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि पीछे से कोई भी उसकी चुदाई अच्छा नहीं कर पाता था,,, सुरज बड़े आराम से कर रहा था इसलिए वह मजा लेने लगी और अपने कर्मचारियों से एक बार फिर से पुरी झोपड़ी को संगीतमय बना दी,,,,।

थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर झोपड़ी से बाहर निकल गए और जाते समय कजरी उसके होठों पर चुंबन करके उससे विदा ली और वहां से अपने घर की तरफ निकल गई सुरज भी अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,।
 
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अद्भुत अविस्मरणीय अतुलनीय ,,, संभोग की तृप्ति का अहसास लिए कजरी और सुरज अपने अपने रास्ते चले जा रहे थे कजरी आज बहुत खुश थी पहली बार किसी असली मर्द से पाला जो पडा,,,था,,, शाम होने तक तीन बार की घमासान चुदाई का एहसास कजरी हल्के हल्के लंगड़ा कर चल रही थी ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,,, अपनी बुर में उसे मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन यह दर्द उसके लिए बहुत खास था यह यादें यह पल उसकी जिंदगी की सबसे बेहतरीन पल बन चुकी थी,,, क्यों कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई इस तरह से चुदाई करता होगा,,,, एक नहीं दो नहीं तीन तीन बार चुदाई करने पर तीनों का अद्भुत की पराकाष्ठा का अनुभव कराते हुए सुरज ने उसे दिन में ही उसे तारे दिखा दिए,, थे,,,। ऊंची नीची पगडंडियों से चलते हुए कजरी को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड महसूस हो रही थी,,,,सुरज के लंड से निकले गर्म लावा की धार अभी भी उसकी बुर से रह रह कर बह रही थी,,,, सुरज के साथ बिताए हुए एक-एक पल को याद करके कजरी के होठों पर मुस्कान तैरने लग रही थी,,,, वो कभी सोची नहीं होती कि इतनी जल्दी सब कुछ हो जाएगा उसे लग रहा था कि धीरे-धीरे आगे बढ़ना पड़ेगा लेकिन किस्मत बड़े जोरों पर थी जो की पहली बार में ही सब कुछ हो गया था,,,
सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड की धार को अपनी बुर की गहराई में बड़े अच्छे से महसूस कर पाई थी उसका हर एक देखा उसके बच्चेदानी को छूकर गुजर जाता था यह एहसास उसकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन एहसास था इस तरह का अनुभव है अभी तक नहीं कर पाई थी शायद इतना मोटा लंबा लंड उसे मिला ही नहीं था,,,,

सुरज के लंड से चुदवाकर कजरी अपने आपको प्यासे कुए का मेंढक भी समझने लगी थी क्योंकि असली सुख तो आज उसे सुरज ने दिया था,,,, उसकी संभोग की कार्यक्षमता उसकी कार्यशैली उसकी गरमा गरम हरकतें सब कुछ अद्भुत थी खास करके आम के बगीचे में खुले में हेड पंप के पास वाली हरकत कजरी को एकदम मदहोश और मस्त कर गई थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आम के बगीचे में खुले में चुदाई का आनंद लेगी,,,, और बार-बार सुरज का उसकी दोनों टांगों के बीच मुंह मारना उसे पूरी तरह से सुरज का गुलाम बना दिया था सुरज की बुर को चाटने की कार्यशैली देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी इस तरह से आज तक किसी ने भी उसके साथ बुर चाटने वाली हरकत नहीं किया था उसकी जीभ बुर की गहराई तक चली जाती थी,,,,,,, बिना चुदाई किए ही वह उसका पानी निकाल चुका था,,, यही सबसे बड़ा उसकी मर्दाना ताकत का प्रमाण था,,,।कजरी को यह भी समझ में आ गया था कि सुरज जितना भोला भाला मासूम चेहरे से लगता है उतना भोला भाला वह था नहीं औरतों के मामले में तो खास करके,,,, और यही अदा तो कजरी को भा गई थी उसे लगा था कि सुरज को सब कुछ सिखाना पड़ेगा लेकिन,,, सुरज तो पहले से ही संभोग की पूरी पुस्तिका का अध्ययन कर चुका था,,,,

कजरी को अपने खूबसूरत बदन पर गर्व होने लगा था,,, खास करके अपनी बड़ी बड़ी गांड पर,,क्योंकि सुरज सबसे ज्यादा उसकी गांड से खेल रहा था और वही अंग उसे सबसे ज्यादा उत्तेजित भी कर रहा था,,,, मोटे तगड़े लंड की अगर तू अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अभी भी महसूस कर पा रही थी,,,, जिस तरह की तेज धक्कों के साथ उसने उसकी चुदाई किया था वह अविस्मरणीय था बिना थके बिना हारे वह डंटा हुआ था जब तक की उसको पूरी तरह से पानी पानी ना कर दिया,,,,।


दूसरी तरफ सुरज बहुत खुश था क्योंकि उसने कभी सोचा नहीं था कि बड़े घर की औरत की चुदाई कर पाएगा इस बारे में तो कभी वो सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन नामदेवराय की बहन कजरी किसी सपने की तरह ही उसकी झोली में आ गिरी थी सब कुछ इतनी आसानी से और आराम से हो गया इस पर अभी भी सुरज को विश्वास नहीं हो रहा था उसकी मदमस्त काया उसका गुदाज बदन उसकी गदराई जवानी,,, सुरज को पूरी तरह से दीवाना बना गई थी जुदाई के मामले में भले ही कजरी ने सुरज के आगे घुटने टेक दि‌ थी,,, लेकिन वास्तविकता यही थी कि कजरी की गदराई मदमस्त जवानी के आगे सुरज खुद ध्वस्त हो चुका था वह उसकी जवानी का कायल हो चुका था एक तरह से उसका गुलाम हो चुका था,,,,उसकी बुर से निकला नमकीन पानी का स्वाद अभी भी उसे अपने होठों पर महसूस हो रहा था,,,,जिसकी मादक खुशबू में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,, आज से एक नया अनुभव भी मिला था कजरी की बुर को चाटते हुए उसकी बुर से निकला नमकीन पेशाब की बूंदे उसके गले को तर कर गई थी जिसका एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह के हालात से गुजरेगा लेकिन उत्तेजना और मदहोशी के आलम में आज उसने कजरी के पेशाब की बूंदों को भी स्वाद ले चुका था और वह उसे किसी अमृतधारा से कम नहीं लग रही थी,,,,सुरज की आंखों के सामने भी कजरी गदराई मस्त जवानी से भरी हुई बदन का हर एक कटा आंखों के सामने नाच रहा था उसके लाल लाल होंठ उसके तीखे नैन नक्श उसके गुलाबी गाल सुराही दार गर्दन हिरनी सी बलखाती कमर मदमस्त नितंबों का उभार ,,,,छातियों की शोभा बढ़ाते दोनों अमृत कलश,,, यह सब सुरज के लिए बिल्कुल अनोखा था,,,, एकदम बेशकीमती खजाने की तरह,,, जोकि उसके हाथ लग चुका था,,,,,, मखमली बुर की कोमलता,,, और उसके अंदर की गर्मी अभी तक वह अपने अंदर महसूस कर रहा था,,,,,,, सुधियां काकी मंजू मौसी और फिर कजरी तीनों की दमदार चुदाई करके जिस तरह से उन तीनों को वह पूरी तरह से संतुष्ट किया था ईससे सुरज का आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ गया था उसे अपने लंड पर पूरा यकीन हो गया था कि वह किसी भी औरत को पूरी तरह से तृप्त कर सकता है जिसमें सच्चाई भी थी,,,।

घर पहुंचते-पहुंचते शाम ढल चुकी थी,,,,, घर पर पहुंचा तो उसकी मामी खाना बना रही थी और मंजू मौसी खाना बनाने में मदद कर रही थी वही आंगन में खाट पर बैठा रविकुमार बीड़ी सुलगा कर कश खींच रहा था,,,, सुरज को देखते ही वह बोला,,,,।


दिन भर कहां घूम रहे थे छोटे सरकार,,,,
(रविकुमार की बात सुनते ही सुरज कुछ बोलता है इससे पहले ही मंजू बोली,,,)

आज पढ़ने गया था भैया,,,,।
( मंजू की बात सुनते ही रविकुमार एकदम आश्चर्यचकित हो गया और बोला,,,)

क्या बोली पढ़ने गया था मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था,,,।


हां मुन्ना के बापू वो अपने मालिक है ना,,,, नामदेवराय उनकी बहन पढ़ाती है वह खुद आई थी गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए बोलने और आज सब बच्चे गए भी थे,,,,।


चलो,,, कुछ तो अच्छा हो रहा है नहीं तो इसे पढ़ने के लिए बोल बोल कर मै तो थक गया था,,, कुछ सीखा कि नहीं,,,,(सुरज की तरफ देखते हुए सुरज से बोला)


जी जी जी,,,, जी मामाजी,,,, क ख ग घ,,,,


चलो अच्छा है शुरुआत अच्छी हो रही है मैं भी यही चाहता था कि कुछ पढ़ लिख कर सीख जाता तो आगे काम देता,,,,
(अपने मामा की बात सुनकर सुरज अपने मन में ही बोला कि क ख ग क साथ वह बहुत कुछ सीख कर आए हैं आज जिंदगी का सबसे अच्छा फल सपा सीख कर आया है,,,, किताबों के काले अक्षर ही नहीं पढ़ाई बल्कि आज नामदेवराय की बहन ने अपनी जवानी की किताब का हर एक पन्ना खोल कर उसे दिखा भी दी और सिखा भी दी,,, मन ही मन खुश होता हुआ सुरज अपने मामा से बोला,,,)

जी मामाजी में अच्छे से सीख जाऊंगा,,,


मुझे तुमसे यही उम्मीद है अब जल्दी जाओ हाथ मुंह धो कर आ जाओ,,,, खाना खाना है,,,,

जी मामाजी,,,,(इतना कहकर वह घर से बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया सुरज को घर से बाहर जाता देख कर मंजू भी उसके पीछे पीछे चल दी,,,,,, सुरज हाथ मुंह धो रहा था तो मंजू उसके पास आकर खड़ी हो गई और बोली,,,)

कहां था रे तू आज दिन भर बाकी सब लड़के आ गए थे तुझे छोड़कर,,,,


अरे कहीं नहीं मौसी,,, गांव के नुक्कड़ पर बैठ गया था दोस्तों के साथ,,,,(सुरज अपनी मौसी को झूठ मुठ का बात बना था मैं बोला क्योंकि सच्चाई तो वह बता नहीं सकता था,,,)

अच्छा चल कोई बात नहीं मेरे साथ जरा पीछे चलेगा,,,,


क्यों पीछे क्यों जाना है,,,


अरे बेल को पानी पिलाना है भैया ने कहां है,,, आज से पानी देना भूल गए थे रात को चिल्ला चिल्ला कर परेशान करेगा इसलिए भैया बोले कि उसके आगे एक बाल्टी पानी भर कर रख दो,,,


तो क्या हुआ जाओ ना मौसी,,,, अकेली चली जाओ,,,


मुझे डर लग रहा है,,,,


डर लग रहा है किस बात का डर लग रहा है पहले तो नहीं लगता था आज अचानक से डर कैसे लगने लगा,,,,


अरे तू समझ नहीं रहा है मुझे कोई भूत प्रेत डर नहीं लगता वो क्या है ना कि आज पीछे बड़ा सांप निकला था इसलिए मुझे डर लग रहा तु लालटेन लेकर चल,,,,


अच्छा यह बात है तो सीधे-सीधे कहो ना,,,,


तू एकदम बुद्धू है,,, आज दिन भर मैं तेरा कितना इंतजार कर रही थी आज बहुत सही मौका था भाभी एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,,, आज दिन में चुदवाने का बहुत अच्छा मौका था,,,।


क्या बात कर रही हो मौसी,,,(सुरज आश्चर्य जताते हुए बोला क्योंकि वह अपनी मौसी को यह नहीं जताना चाहता था कि उसकी बात सुनकर उसे पछतावा नहीं हुआ,,,,, इसीलिए वह आश्चर्यचकित होकर बोला था,,)

तो क्या सच कह रही हु तुझे याद करके मेरी बुर कितना पानी छोड़ रही थी ऐसा लग रहा था कि तेरी याद में बिछड़ कर रो रही है,,,,,,


ओ मेरी प्यारी मौसी,,,, कसम से तुम्हारी चुदाई मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होती दिन में जो कसर रह गया था आज रात को पूरा कर दूंगा,,,,,
(अपने भतीजे की बातें सुनकर मंजू मन ही मन प्रसन्न हो गई और उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,)

अरे अभी तक वहां क्या कर रहा है चल जल्दी आ,,,

(रविकुमार सुरज को आवाज लगाते हुए बोला तो बीच में ही मंजू बोल पड़ी,,,)


आ रही हूं भैया जरा बैल को पानी देते आऊ,,,, सुरज भी चल रहा है,,,,


ठीक है मंजू जल्दी आना,,,, खाना लग रहा है,,,


जल्दी आई भैया,,,,,, सुरज जल्दी से पानी की बाल्टी ले‌ले में लालटेन ले लेती हूं,,,,


ठीक है मौसी,,,,,(इतना कहकर वहां पानी से भरी बाल्टी उठा लिया और दोनों घर के पीछे की तरफ जाने लगे,,,,
सच कह रही हूं सुरज आज बहुत अच्छा मौका था,,,
(मंजू दिन में मिले सुनहरे मौके का फायदा उठाने के लिए सुरज को बोल रही थी जो कि वह उठा नहीं पाई थी,,,लेकिन अब मंजू को कौन समझाए कि वह पहले ही मीठी खीर थी लेकिन आज सुरज दोपहर के समय मालपुआ खा कर आया था और भला खीर और मालपुआ का कोई मुकाबला हो सकता है,,,,,,, सुरज कुछ बोल नहीं रहा था क्योंकि वह जानता था कि दिन की गर्मी को वह रात की ठंडक में एकदम शांत कर देगा उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था,,, दोनों बैल के सामने खड़े थे,,, सुरज बैल के सामने पानी से भरी बाल्टी को रख दिया और बोला,,,।


ले पी ले रात को चिल्लाना नहीं,,,, नही तो खामखा मौसी की चुदाई करते करते मुझे बाहर आना पड़ेगा,,,,


और अगर सुरज नहीं आया तो भैया को भाभी की चुदाई करते करते बाहर आना पड़ेगा,,,,।

(इतना कहने के साथ ही दोनों हंसने लगे दोनों के बीच समाज की नजरों में मौसी और भतीजे का रिश्ता बरकरार था लेकिन दुनिया यह नहीं जानती थी कि चारदीवारी के अंदर यही पुरवा और भतीजा अपने रिश्ते नातों को भूलकर एक मर्द और एक औरत बन जाते हैं जो कि सारी रीति-रिवाजों मर्यादा की दीवार को लांघकर एक दूसरे में समा जाते हैं,,,,मंजू और सुरज दोनों एक-दूसरे से काफी हद तक खुल चुके थे,,,, मंजू हंसते हुए लालटेन सुरज को पकड़ा दी और इधर उधर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी,,,)


क्या हुआ मौसी अब क्या देख रही हो,,, यहां कहीं भी साप नहीं है,,,


तेरे पजामे में तो है ना,,,,


हां यह बात तो है मौसी लेकिन क्या तुम्हें उस से डर नहीं लगता,,,


नहीं रे तेरे पजामे के अंदर का सांप तो मेरे काबू में है क्योंकि इसकी गुफा जो मेरे पास है उसी में जाकर शांत हो जाता है,,,


हाय तुम ऐसी बातें मत करो नहीं तो मेरा सांप तुम्हारी गुफा में जाने के लिए उतावला हो जाएगा,,,


उसे समझा कर रख थोड़ी देर इधर-उधर घूमा ले रात को इसे अपनी गुफा में लेकर सो जाऊंगी,,,,



हाय मौसी तुम तो मेरी तडप बढ़ा रही हो,,, जल्दी चलो यहां खड़ी खड़ी क्या कर रही हो,,,,



अरे रुको ना चलते हैं,,, तो पहले लालटेन की लो धीमी कर दें उजाला बहुत है,,,


क्यों मौसी इरादा क्या है,,,


अरे मुझे जोरों की पेशाब लगी है मुतना है ,,,
(मंजू की बात सुनते ही सुरज का लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा,,,,)

हां ऐसी बात करके सच में तुम मुझे मजबूर कर रही हो मुझसे रात तक का इंतजार नहीं होगा,,,


लालटेन की लौ धीमी तो कर मुझे जोरो की पिशाब लगी और तुझे चुदाई की पड़ी है,,,,


क्या करूं वह मेरी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत लड़की खड़ी है और मैं अपने आप पर सब्र कैसे रख सकता हूं,,,।


तु जल्दी से लौ धीमी कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(मंजू अपनी जगह पर खड़े खड़े कसमसाते हुए बोली,,,)

अरे ऐसे ही कर लो ना मौसी यहां कौन देखने वाला है ,,,


तेरे सामने,,,, तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,

आआआआ हा,,,,,,,, हाय मेरी शर्मीली मौसी जब अपनी दोनों टांगें खोलकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर उछल उछल कर चुदवाती हो तुम शर्म नहीं आती,,,


तब बात कुछ और होती है तब तो नशा सा छाने लगता है,,,


लेकिन अभी तो मुझे नशा छा रहा है और मैं लालटेन किलो धीमी नहीं करूंगा तुम्हें मेरी आंखों के सामने पेशाब करना होगा मैं आज देखना चाहता हूं कि तुम पेशाब करते हुए कैसी लगती हो,,,,


तू सच में पागल है,,,


जल्दी करो मौसी,,, नहीं तो मा आ जाएगी बुलाने,,,
(सुरज की बातों को सुनकर मंजू समझ गई थी कि ऐसे मानने वाला नहीं है अपनी मनमानी करके ही रहेगा और वैसे भी उसकी बात सुनकर मंजू के मन में भी उत्सुकता जगने लगी,,,वह भी सुरज की आंखों के सामने पेशाब करके देखना चाहती थी उसके बदन में भी उत्तेजना की कसमसाहट होने लगी थी,,, वो पूरी तरह से तैयार थी,,,,इसलिए वह नखरा दिखा दे मैं अपनी सलवार की दूरी खोलने लगी और सुरज के ठीक सामने खड़ी थी और सुरज ठीक उसके पीछे लालटेन लिए खड़ा था चारों तरफ लालटेन के दायरे में उजाला था बाकी चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था और यहां पर कोई आता भी नहीं था इसलिए सुरज निश्चिंत था निश्चिंत तो मंजू भी थी बस दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,, मंजू अपनी सलवार की डोरी खोलते हुए बोली,,,)


ठीक है मैं मुत लेती हूं लेकिन अगर भाभी आ गई तो कह दूंगी की लालटेन बंद था इसने दोबारा चालू कर दिया देखने के लिए,,,,,, फिर देखना तुझे कैसी डांट पड़ती है,,,,


कोई बात नहीं मौसी,,, तुम्हें पेशाब करते हुए देखने के लिए तो मै मार भी खा सकता हूं,,,,
(इतना कहते हुए वहां लालटेन की रोशनी में अपनी मौसी मंजू को देखने लगा जो कि अपनी सलवार की दूरी को खोल चुकी थी और अपनी सरकार को ठीक कर चुकी थी मंजू भी मन ही मन मुस्कुरा रही थी और खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जैसे ही वह सलवार को नीचे करेगी उसकी गोल-गोल गांड उसकी आंखों के सामने लालटेन के उजाले में चमक उठेगी और उसको चमकता हुआ देखकर उसकी आंखों की चमक बढ़ जाएगी,,,, इसलिए वह भी बेकरार थी अपनी गांड दिखाने के लिए,,, वह अपनी सलवार को नीचे की तरफ करने लगी अब उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,, देखते ही देखते मंजू अपनी सलवार को घुटनों तक खींच दी,,,, लालटेन के उजाले में उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड चमकने लगी,,,, यह देख कर सुरज की सांस अटक ने लगी ऐसा नहीं था कि सुरज ने अपनी मौसी को नंगी देखा नहीं था वह खुद अपने हाथों से अपनी मौसी को नंगी भी कर चुका था लेकिन पेशाब करते हुए उसे शायद पहली बार देख रहा था इसलिए उसकी आंखें खुमारी के नशे में डूबने लगी थी,,,, मंजू भी उसकी तड़प को बढ़ाते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी गोल-गोल गांड पर रखकर उसे अपनी हथेली में दबोचते हुए पीछे नजर घुमा कर उसकी तरफ देखने लगी,,, मंजू की हरकत सुरज के लिए असहनीय साबित हो रही थी उसकी हालत खराब हो रही थी और मंजू भी यही चाहती थी,,,,मंजू यहां पर किसी युक्ति को अंजाम देने के लिए नहीं आई थी बल्कि यह सब एकाएक अचानक ही हो रहा था और इसमें दोनों को मजा आने लगा था,,,,।


हाय मौसी तुम्हारी गांड कितनी खूबसूरत है,,,, मन कर रहा है कि इसे चूम लूं,,,,


रात को चुमना मेरे सुरज,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी मादक अदा बिखेरते हुए नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी,,, सुरज की तो सांसे ही अटक गई थी बेहद काम उत्तेजना से भरपूर मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,। जैसे ही बार पेशाब करना शुरू कि उसकी गुलाबी बुर की गुलाब की पत्तियों के पीछे से नमकीन खारे पानी का झरना जैसे ही फुटा वैसे ही उसमें से सुमधुर संगीत की ध्वनि सुरज के कानों में पड़ने लगी और वह उस मधुर मादक ध्वनि में पूरी तरह से खो गया,,,, अद्भुत दृश्य का नजारा था उसकी आंखों के सामने उसकी जवान मौसी अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी,,, जोकि सुरज के लिए मादकता से भरा हुआ था सुरज क्या उसकी जगह कोई भी होता तो मैं पूरी तरह से मस्त हो जाता,,,,सुरज से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था और वहां अपने पहचानने में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे एक हाथ से मुठीयाते हुए एक हाथ में लालटेन लिए मंजू के बेहद करीब पहुंच गया और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर थोड़ा सा झुक कर वहां मंजू की गांड को अपनी हथेली से सहलाने लगा,,, जैसे ही मंजू पीछे की तरफ नजर घुमाई तो सुरज का खडा लंड उसके गालो पर रगड खा गया,,, मंजू उत्तेजना के मारे एकदम से कसमसा उठी और बिना देर किए बिना सोचे समझे सुरज के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,।


आहहहहह मौसीसिसिसिसीआआआआ,,,,,,
(सुरज के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मौसी इस तरह की हरकत करेगी,,, वह पूरा का पूरा मुंह में लेकर चुसना शुरु कर दी थी,,,, अद्भुत सुख का अहसास सुरज और मंजू दोनों को हो रहा था एक साथ मंजू दो-दो काम कर रही थी मुत भी रही थी और सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूस भी रही थी,,,। सुरज से बर्दाश्त नहीं हो रहा था जल्द से जल्द अपने लंड को मंजू की गुफा में डाल देना चाहता था मंजू भी पेशाब कर चुकी थी उसकी बुर में भी चींटियां रेंग रही थी,,, सुरज ने तुरंत फुर्ती दिखाते हुए लालटेन को एक डाली में टांग दिया और नीचे झुककर उसकी कमर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, मंजू कि शायद उसके इशारे को समझ गई थी और गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार उसकी तरफ खींची चली जा रही थी जैसे ही वह खड़ी हुई सुरज उसकी कमर पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगा और मंजू थोड़ा सा झुक गई और अपनी गांड को दुश्मन को नेस्तनाबूद करने के लिए अपनी गांड की तोप ऊपर की तरफ हवा में लहरा दी,,, पर मौके की नजाकत को समझते हुए सुरज अपने लंड को उसकी तोप की गुफा में दाग दिया,,,

उत्तेजना के मारे उसकी बुर चिपचिपा गई थी जिससे सुरज का लंड पहली बार में ही उसकी बुर के अंदर सटक गया,,, सुरज बिना थी उसकी कमर पकड़कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,, दोनों मदहोशी में सब कुछ भूल गए थे दोनों एक ही भूल गए थे कि किसी भी वक्त उन्हें बुलाने के लिए उसके मा या उसके मामा आ सकते हैं दोनों बस मजा लेना चाहते थे अपने अपने गर्म लावा को निकाल कर अपनी प्यास बुझाना चाहते थे,,, सुरज की कमर अभी तेजी से रफ्तार पकड़ी हुई थी कि दूर से आती आवाज सुनाई दी,,,।


सुरज और सुरज मंजू इतनी देर से क्या कर रहे हो तुम दोनों,,,

(सुरज अपनी मामी की आवाज सुनते ही जोर जोर से एक दौ और धक्का मार के अपना लंड बाहर निकाल लिया,,,,सारे मजाक पर पानी फिर गया था उसकी मामी दोस्त से मिलने बुला रही थी वो किसी भी वक्त यहां आ सकती थी इसलिए सुरज तुरंत अपने पैजामा को ऊपर करते हुए बोला,,,)


जल्दी करो मौसी अपनी सलवार पहन लो,,,


इसीलिए मैं कह रही थी,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी सलवार पकड़ कर अपनी कमर सकी थी और उसकी डोरी बांधने लगी सुरज अपनी मामी के वहां आने से पहले एकदम दुरुस्त हो गया था मंजू भी अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर लेती हो जानबूझकर लालटेन को अपने हाथ में ले ली थी और सुरज से बोली,,,)


चल सुरज देर हो रही है भाभी बुला रही है,,,,
(इतना कहते हुए रूपाली उन दोनों के पास पहुंचती वह दोनों खुद आगे बढ़ गए थे,,,)


कितनी देर लगा दीए तुम दोनों,,,


क्या करूं भाभी बेल था कि पानी पीने का नाम ही नहीं ले रहा था थक हार कर उसके सामने रख कर चले आए,,,,


चल ठीक करी चलो जल्दी से खाना लगा है खा ले,,,,।


(सुरज और मंजू दोनों अपने मन में सोचे कि बाल बाल बचे,,,, उन दोनों को अत्यधिक उन्माद और उत्तेजना का नशा छा गया था सुरज अपना गर्म लावा अपनी मौसी की बुर में डाल देना चाहता था लेकिन उससे पहले उसकी मामी गई थी सारा मजा किरकिरा हो गया था इस तरह से घर के पीछे चुदाई करने में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हुआ था इसी की वजह से मंजू सचेत होने के बावजूद भी एक दम मदहोश हो गई थी,,,, सभी लोग साथ में खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद भाभी और ननद दोनों बर्तन भास्कर अपने अपने कमरे में चले गए,,,,, रविकुमार अपनी बीवी रूपाली के और सुरज अपनी मौसी मंजू के कपड़े उतार कर तुरंत नंगी कर दिया क्योंकि घर के पीछे की खुमारी उसकी आंखों में अभी भी छाई हुई थी और बिना रुके ताबड़तोड़ धक्के पर धक्के लगाने लगा,,,, अंत में थक हार कर दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गए,,।
 
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इसी तरह से सुरज के दिन अच्छे गुजरने लगे थे,,,, ऐसा लग रहा था कि सुरज की हथेली में चांद उतर आया हो,,, जिस उम्र में लड़के सिर्फ सपने देखा करते थे कल्पनाओं की दुनिया में उनकी पसंदीदा औरतों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए अपना हाथ से हिला कर काम चलाते थे उस उम्र में सुरज तीन तीन औरतों की चुदाई कर रहा था,,,, । और तीनों औरतें उसके मर्दाना अंग का लोहा मानने लगी थी,,,,।
कजरी पढ़ाने के बाद रोज उसी तरह से सुरज को वापस बुला लेती थी और पूरे बगीचे में चुदाई का नंगा नाच नाचा करती थी,,,, सुरज के साथ उसे अब बहुत मजा आने लगा था,,, घर पर भी वह‌ अपने बड़े भाई से चुदवाती थी,,,,,,, लेकिन जो मजा सुरज के साथ आ रहा था अब नामदेवराय के साथ उसे बिल्कुल भी नहीं आता था क्योंकि सुरज के लंड की लंबाई और चौड़ाई के मुताबिक उसकी बुर में सांचा बन चुका था,,,। जिसमें नामदेवराय का पतला लंड जाता जरूर था लेकिन कुछ महसूस नहीं करवा पा रहा था,,,, नामदेवराय को तो इस बात की भनक तक नहीं थी कि पढ़ाने के बहाने उसकी बहन गांव के लड़के से चुदवाने जाती है,,,,,,।

दूसरी तरफ मंजू का जीवन एकदम मंजू हो गया था उसके जीवन में बहार आ गई थी शादीशुदा जिंदगी से पहले ही वह रोज सुहागरात मना रही थी और रोज सुरज से नए नए तरीके से पूरी संतुष्टि प्रदान कर रहा था,,,, रूपाली वैसे तो पूरी तरह से सामान्य ही रहती थी लेकिन कभी-कभी जब वह शांत बैठी रहती थी तो उसे वहीं कुंए वाली घटना याद आ जाती थी और उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने भांजे का मोटा तगड़ा लंबा लंड धंसता हुआ महसूस होने लगता था,,,, और उस पल को याद करके वह गनगना जाती थी ,,, इसीलिए वह कभी भी आप उसे साथ में कुए पर चलने के लिए नहीं बोलती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह खुद बहक ना जाए,,,, सुरज उसका सगा लड़का नहीं था लेकिन बचपन से उसे अपने बेटे जैसा प्यार किया था,,,, और वह अपने भांजे के बारे में इस तरह के गंदे ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहती थी,,,,,,,।


ऐसे ही दिन सुबह सुरज नहा धोकर तैयार हो गया था पढ़ने जाने के लिए उसकी मामी रूपाली खाना बना रही थी,,,, मंजू घर का काम कर रही थी और वह पढ़ने जाने से पहले खाना खाकर ही जाता था इसलिए अपनी मामी के पास आकर वह खड़ा हो गया और बोला,,,।


मामी खाना तैयार हो गया है,,,


हां बस थोड़ा रुक जा मैं तुझे गरमा गरम परोसती हुं,,,,(इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी रोटियां बेलने लगी सुरज ठीक उसके सामने खड़ा होकर उसे रोटियां बेलता हुआ देख रहा था कि तभी उसकी नजर,,, उसकी मामी की छातियों की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा हुआ था जो कि गिरा हुआ नहीं था गर्मी की वजह से रूपाली जानबूझ कर उसे अपने कंधे से अलग कर दी थी और सुरज की किस्मत तेज थी कि ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था,,,, सुरज को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपनी मामी की छातियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया था ,,, एकदम गदराई हुई,,,,मांसल भरी हुई छातियां अपनी आभा बिखेर रही थी,,, पहले से ही रूपाली की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी कौन होती और वह ब्लाउज छोटा ही पहनती थी और इसी वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया पहले से ही बाहर झांका करती थी और आज ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला होने की वजह से सुरज को अपनी मामी की चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी पसीने से लथपथ पसीने की बूंदे मोती के दाने की तरह उसकी छातियों से लगी हुई थी और धीरे-धीरे चुचियों पर फिसल रही थी जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,, पसीने से तरबतर चूचियां और ज्यादा मोहक और मादक लग रही थी,,, हालांकि सुरज को अभी अपनी मामी की चूचियों कई निप्पल नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर,,, ब्लाउज के अंदर झांकने की कोशिश करने लगा क्योंकि जब तक चूचियों के साथ-साथ अंगूर का दाना नजर नहीं आता तब तक देखने वालों का मन नहीं भरता और किसी कोशिश में सुरज अपनी मामी के ब्लाउज के अंदर झांक रहा था और उसकी यह कोशिश रंग लाने लगी उसे अपनी मामी की चुचियों के बीच की शोभा बढ़ा रही अंगुर नजर आने लगे जिस पर नजर पड़ते ही सुरज का लंड फूलने लगा,,,, उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूखता जा रहा था ऐसा नहीं था कि वहां पहली बार अपनी मामी की चुची को देख रहा था,,,दीवार में बने छोटे से छेद से वह अपनी मामी की कामलीला को और उसके बदन को पूरी तरह से नंगी देख चुका था उसके अंग अंग से दूर से ही वाकिफ हो चुका था लेकिन आज के बाद कुछ और थी पूरी तरह से नग्नता मैं जितना मजा नहीं आता उससे कहीं ज्यादा अर्ध नग्न अवस्था में औरत के मादक शरीर को देखने में उत्तेजना का अनुभव होता है और यही सुरज के साथ भी हो रहा था वह अपनी मामी की बड़ी-बड़ी नंगी चुचियों को पहले भी देख चुका था लेकिन आज ब्लाउज में उसकी हल्की सी झलक पाकर वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,रूपाली को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसका भांजा उसकी आंखों के सामने खड़ा होकर उसके ब्लाउज में झांक रहा है और वह पूरी तरह से बेफिक्र होकर रोटी पका रही थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ है और ब्लाउज के ऊपर का बटन खुला हुआ है जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही है,,,।


सुरज अपनी मामी को इस हाल में देखकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और उसे अपनी मामी की खूबसूरती का आभास भी हो रहा था वह अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी मामी की चूचियां दूसरी औरतों से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक है,,,, जिसकी हल्की सी झलक पाकर उसकी हालत खराब होती जा रही थी,,, उसका मन तो कर रहा था कि उसके पास बैठकर वह अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की चूचियों को दबा दबा कर उसका मजा ले लेकिन ऐसा कर नहीं सकता था कुए पर का अनुभव उसे बहुत अच्छे से था अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को वह बहुत करीब से महसूस कर पाया था और उत्तेजना के अद्भुत अनुभव से परिचित हो पाया था,,,

अपनी मामी की चुचियों के निप्पल को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी ब्लाउज में कैद चूचियों की निप्पल अंगूर के बड़े दाने की तरह नजर आ रही थी जिसका रस पीने में अद्भुत सुख का अनुभव महसूस होता होगा एक तरह से पल भर में उसे अपने मामा से ईर्ष्या होने लगी थी कि उसके हाथों में इतनी खूबसूरत औरत है जिसको जब चाहे तब वह चोद सकता है सुरज को ऐसी पलिया ख्याल आने लगा कि अगर उसे मौका मिलेगा तो अपनी मामी को जरूर अद्भुत सुख देगा उसे पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करेगा क्योंकि उसे अपने लंड पर पूरा भरोसा था और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उसकी मामी एक बार उसके लंड को अपनी बुर में ले लेगी तो उसकी गुलाम बन जाएगी,,,, जैसा की सुधियां काकी उसकी मंजू मौसी और कजरी का हाल हो रहा था,,,,।

सुरज उत्तेजना में इतना ज्यादा ओतप्रोत हो गया था कि उसे इस बात का भी आभास नहीं हुआ कि उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ है,,, वह लार टपका ता हुआ ललचाई आंखों से अपनी मामी के ब्लाउज में ही झांक रहा था,,,, इस तरह से खड़ा देखा कर रूपाली उससे बोली,,,।

अरे खड़ा क्यों है बैठ,,,,(इतना कहते हुए जैसे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाई और अपने भांजे की तरफ देख कर उसकी नजरों को देखी तो उसके शब्द उसके मुंह में ही अटक गए क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसका भांजा उसकी ब्लाउज में झांक रहा है और वह अपनी नजरों को नीचे करके अपनी छातियों की तरफ देखी तो पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसे इस बात का आभास हो गया कि उसके उसका बटन खुला हुआ है उसमें से उसके आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही हैं और उसे देखकर उसका भांजा ललच रहा है,,,, रूपाली की तो हालत खराब हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने भांजे की हरकत पर उसे शर्म महसूस होने लगी क्योंकि सुरज जवान लड़का था वह उसका भांजा होने के बावजूद भी वह बड़े मजे लेकर उसकी चुचियों को देख रहा था यह बात रूपाली को अजीब लग रही थी उसे तुरंत कुंए वाली बात याद आ गई जब कोई मे से बाल्टी खींचने के बहाने वह ठीक उसके पीछे खड़ा था और उसकी गांड के बीचो बीच अपने लंड को धंसाय चला जा रहा था,,, रूपाली अपने भांजे की इस हरकत को देख कर उसे समझ में आ गया था कि उस दिन जो कुछ भी हुआ था सुरज जानबूझकर किया था उसे इस बात का आभास था कि उसका लंड पजामे में तंबू बनाया हुआ है और उसी तंबू को वह जानबूझकर उसकी गांड से रगड़ रहा था,,,,

उस दिन वाली घटना और अभी मौजूदा हालात को देखकर रूपाली शर्म से गडी जा रही थी,,। रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भांजा इतनी गंदी हरकत कैसे कर सकता है,,,, रूपाली यह सब सोच रही थी कि तभी,,,,उसकी नजर अपने भांजे के पजामे में बने तंबू पर गई तो उसका मुंह खुला का खुला रह‌ गया,,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे बैल और भैंस बांधने के लिए कोई खूंटा उसके पजामे में अटक गया हो,,,, रूपाली की अनुभवी आंखें समझ गई थी कि उसके भांजे के पजामे जबरदस्त खुंटा है तभी तो कुंए पर साड़ी पहनी होने के बावजूद भी गांड के बीच धंसा चला जा रहा था,,,,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भांजा उसे देखकर इस तरह उत्तेजित क्यों हुआ जा रहा है,,,,अपनी मामी को देखकर उसके मन में इतने गंदे विचार क्यों आ रहे हैं,,,यह सब ख्याल मन में आने के बावजूद भी रूपाली को भी ना जाने कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था उसे अपने बदन में भी गुदगुदी सी महसूस होने लगी थी खास करके उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस हो रही थी,,, उसे अपनी पतली दरार में से काम रस रिश्ता हुआ महसूस होने लगा था,,,, पल भर में ही रूपाली की भी सांसे भारी हो चली थी और गहरी सांस लेने की वजह से,,, चुचियों का ऊपर नीचे होना अपनी अलग ही कहानी बयां कर रहा था अपनी मामी की उठती बैठती चूचियों को देखकर सुरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,,
दूसरी तरफ रूपाली अजीब सी कशमकश में थी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं मंजू या मुन्ना के पापा ना आ जाए और इस हाल में देखकर कहीं कुछ गलत ना समझ बैठे इसलिए बहुत अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए सुरज से बोली,,)


तू बैठ में खाना लगाती हूं,,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर जैसे वह नींद से जागा हो इस तरह से एकदम से हड़बड़ा गया और अपनी गलती का एहसास उसे होते ही वह वहीं पास में नीचे बैठ गया,,, रूपाली असहज महसूस कर रही थी वह जल्दी जल्दी खाना परोस कर थाली को अपने भांजे के आगे रख दी,,, और वापस रोटियां बेलने में लग गई,,, सुरज जल्दी-जल्दी खाना खाकर जा चुका था उसके बाद में उत्तेजना का अनुभव अभी भी हो रहा था दूसरी तरफ रूपाली की हालत खराब होती जा रही थी वह समझ गई थी कि उसका भांजा बड़ा हो रहा था,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी ही मामी के बारे में गंदे विचार मन में लाकर उत्तेजित क्यों हो रहा था रूपाली को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था आखिरकार वह उसकी मां जैसी थी और वह उसके बेटे जैसा,,,,

सुरज अपनी मामी की चूचियों के बारे में सोचते हुए,, शुभम के घर की तरफ चला जा रहा था वह पढ़ने जाने के लिए उसे रोज बुलाने जाता था,,,, देखते ही देखते वह उसके घर पर पहुंच गया,,,,घर के बाहर खड़ा होकर वहां शुभम का नाम लेकर बुलाने लगा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो घर में प्रवेश कर गया और इधर उधर देखते देखते वह सीधा अंदर की तरफ जाने लगा,,, तीन कमरे सीधे-सीधे बने हुए थे सुरज धीरे-धीरे इधर उधर देखता हुआ तीसरे कमरे में पहुंच गया था लेकिन उधर भी कोई नहीं था तीसरे कमरे के पीछे दरवाजा बना हुआ था वह सोचा शायद उधर होगा और यही सोचकर वह तीसरे कमरे को भी पार कर गया और तीसरे कमरे को पार करते उसकी आंखों के सामने जो नजारा नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,।
 
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तीसरे कमरे को पार करते ही,,, जिस तरह का नजारा सुरज की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर सुरज के तो होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,,, वह आखे फाडे उस अद्भुत दृश्य को देखने लगा उसे यकीन नहीं हो रहा है ना कि वह शुभम के घर पर इस तरह का नजारा देख पाएगा,,,,,और वह भी तीन कमरों को पार करने के बाद घर के पीछे जो जगह चारों तरफ से पेड़ पौधों के साथ-साथ लकड़ी के पाटीयो को जोड़कर एक घेराबंदी से जोड़ा गया था,,,,, घर के पीछे की हरियाली आंखों को ठंडक प्रदान तो कर ही रही थी लेकिन घर के पीछे का अद्भुत नजारा पूरे बदन में गर्मी फैला रहा था,,, सुरज की तो सांसे ही बंद हो चली थी वह बस एकटक उस नजारे को देख जा रहा था,,,,सुरज आखिरकार कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा था अगर उसकी जगह कोई और होता तो उसका तो शायद,,, खड़े-खड़े पानी निकल जाता नजारा ही इतना मादकता से भरा हुआ था,,,।
क्योंकि सामने एकदम नंगी खड़ी होकर की शुभम की बहन जिसका नाम गौरी था वह नहा रही थी,,,,वह पूरी तरह से पानी में भीगी हुई थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था वह संपूर्ण रूप से एकदम नंगी खड़ी थी,,,, ज्यादा गोरी तो नहीं थी लेकिन खूबसूरती के सांचे में उसका बदन ढाला हुआ था,,,, उसकी पीठ सुरज की तरफ थी,,, जिसकी वजह से उसकी नंगी चिकनी मखमली पीठ के साथ-साथ उसके उभार दार नितंब अपनी आभा बिखेर रहे थे,,,, तीन तीन औरतों का अनुभव सुरज को औरतों के बदन के भूगोल को समझने में काफी मददगार साबित हो रहा था,,,, गौरी की उभारदार गांड को देखकर सुरज समझ गया था कि गौरी की जवानी पूरी तरह से गदराई हुई जिसका रस निचोड़ कर पीने बहुत मजा आएगा,,,,अभी तो सुरज केवल अपनी आंखों से ही दूर खड़ा होकर उसकी जवानी का रसपान कर रहा था,,,, सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा था गौरी बार-बार नीचे झुककर बाल्टी में से लोटा भर भर कर पानी अपने ऊपर डाल रही थी,,,, वह खड़ी होकर बाल्टी की ओर झुकने की वजह से जब जब वह झुके रही थी तो उसकी गदराई गांड आसमान में चांद की तरह निखर कर सामने आ रही थी,,,, सुरज दूर से ही खड़ा होकर इस दृश्य को देखकर ललचा रहा था और उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,, उत्तेजित अवस्था में वह शुभम की बहन गौरी को नहाता हुआ देखकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया था,,, लोटे से किसका हुआ पानी उसके बदन के हर एक कोने तक पहुंच रहा था उसके रेशमी बालों को बिग उड़ता हुआ उसकी चिकनी पीठ से सरक कर उसके संपूर्ण नितंबों को भी भीगोता हुआ उसके नितंबों की पतली गहरी दरार में प्रवेश करके उसकी नंगी चिकनी जांघों को अपनी आगोश में लेता हुआ उसके कदमों में जाकर गिर जा रहा था,,,, एक तरह से तो सुरज को उसके बदन पर उसके बदन को भिगो रहे पानी की बूंदों से जलन होने लगी थी अपने मन में सोच रहा था कि काश वह भी पानी होता तो उसके बदन को पूरी तरह से अपनी आगोश में भर लेता,,,,
गौरी की गोल गोल भरी हुई चिकनी गांड पर सुरज का मन फिसल रहा था,,,, उसका मन कर रहा था कि आगे बढ़कर गौरी को अपनी बाहों में भर ले और उसके साथ भी मजा मार ले,,,,,, पजामे में सुरज का लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया था आखिरकार एक जवान नंगी लड़की को देखेगा तो किसी का भी लंड खड़ा ही हो जाएगा और इतनी खूबसूरत है बदन का हर एक कौण एकदम लाजवाब था हालांकि अभी तक सुरज ने उसको पीछे से ही देखा था उसकी तरबूज जैसी गोल-गोल गांड को देखकर सुरज का मन उसकी नारंगी जैसे चुचियों को देखने का मन कर रहा था,,। लेकिन वह नहाने में मशगूल थी,,,उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पीछे खड़ा होकर कोई जवान लड़का उसके नंगे बदन को देख कर मस्त हो रहा है,,,,,,,

शुभम की बहन गौरी को देखकर सुरज गर्म आहें भर रहा था,,, कि तभी उसके पैर से पास में पड़ा लोटा,,, लग कर नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही गौरी पीछे नजर घुमा कर देखी तो,,, सामने दरवाजे पर सुरज खड़ा था,,, एक बार तो उस पर नजर पड़ते ही गौरी घबरा गई लेकिन वह सुरज को अच्छी तरह से जानती थी वैसे भी छोटा सा गांव होने की वजह से लोग एक दूसरे को जानते ही थे,,,, सुरज को देखकर अपने आप को संभालते हुए वह बोले,,,।


तु यहां क्या कर रहा है,,,,,,


तुझे देख रहा हूं,,,,मममम,, मेरा मतलब है कि मैं यहां शुभम को ढूंढते हुए आया हूं,,,(सुरज एकदम से हकलाते हुए बोला,,, उसकी घबराहट देखकर गौरी अंदर ही अंदर मुस्कुराने लगी,,,)


आया तो है तू शुभम को ढूंढने लेकिन मुझे भी अच्छी तरह से समझ में आ रहा है कि तू मुझे ही देख रहा है वरना तु यहां से चला गया होता,,,,

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है गौरी मैं अभी-अभी आया हूं,,,,(सुरज फिर से घबराहट भरे स्वर में बोला,,,,गौरी अभी भी सुरज की तरफ पीठ करके खड़ी थी सिर्फ गर्दन घुमा कर उससे बात कर रही थी,,, सुरज का मन उसकी चुचियों को देखने का कर रहा था,,, जहां तक सुरज का मानना था कि चुचियों को देखकर ही उसकी सुंदरता का अंदाजा लगाया जाता है,,,,,,)

अभी-अभी आया है तो चला जाना चाहिए था ना खडा क्यों है,,,,(गौरी बात तो उसे जरूर कर रही थी लेकिन उसकी नजरों को भांपने की कोशिश कर रही थी,, उसे साफ पता चल रहा था कि सुरज भले ही लाख सफाई दे रहा हूं लेकिन उसकी नजर उसके नंगे चिकने बदन के साथ-साथ उसकी गांड पर टिकी हुई थी सुरज बार पर उसकी गांड की तरफ देख रहा था उसकी ललचाई नजरों को गौरी अच्छी तरह से पहचान रही थी और अंदर ही अंदर गौरी सुरज की प्यासी नजरों को देखकर खुश भी हो रही थी ,,,सुरज का उसको इस तरह से प्यासी नजरों से देखना अच्छा लग रहा था,,,,)

वो तो बस,,,,,(इतना कहकर सुरज खामोश हो गया इसे ज्यादा बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी,, तो गौरी ही उसकी बात को सुनकर बोली,,,)

क्या वह तो बस,,,, मुझे नंगी देख रहा था ना और लगता है कि अभी तक ठीक से देखा भी नहीं है,,,,(गौरी की बातों को सुनकर सुरज एकदम शांत हो गया क्योंकि गौरी एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी,,,,) अच्छा ले,,,,
(पर इतना कहने के साथ ही गौरी जो कि अभी तक उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी वह उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई बिना शर्माए बिना घबराए एकदम बेझिझक,,, ऐसा लग रहा था कि एक अनजान लड़के के उसे नंगी देखी जाने पर भी उसे बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही है,,,, सुरज की आंखों के सामने जो गौरी एकदम सीना ताने खड़ी थी उसकी बदमस्त गोल गोल नारंगी जैसे चुचियों पर नजर पड़ते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया वह पागलों की तरह आंखें फाड़े उसकी छातियों की तरफ देख रहा था,,,, उसकी छातियों में बेहद आकर्षक कसक था,, जिस के आकर्षण में सुरज पूरी तरह से खींचता चला जा रहा था,,,, एकदम नारंगी को की आकार की बेहद आकर्षक चूचियां की मालकिन थी गौरी ऐसा लग रहा था कि अभी तक उसकी नारंगीयों का रस किसी ने चखा नहीं था,,, गौरी उसी तरह से खड़ी हो गई थी मानो की कोई शिल्पकार की मूर्ति हो,,, सुरज अपनी प्यासी आंखों से उसके बदन का ऊपर से नीचे तक मुआयना कर रहा था,,,, उसकी मदमस्त नारंगीयो जैसी चुचियों पर से उसकी नजर धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरक रही थी चिकना मांसल पेट चर्बी को नामोनिशान नहीं था जो कि पानी की बूंदे उस पर मोतियों के दाने की तरफ चल रही थी छाती और कमर के बीच गहरी नाभि छोटी सी बुर से कम नहीं लग रही थी जिसमें पानी की बूंदे ओस की बूंदों की तरह जमी हुई थी जिसे अपने होंठ लगाकर उसका स्वाद चखने का मन सुरज को कर रहा था,,,, सुरज की सा,से ऊपर नीचे हो रही थी धीरे-धीरे उसकी नजर नीचे की तरफ चल रही थी मानो कि उसकी नजर ना हो पानी की बूंद हो,,,, देखते ही देखते सुरज की प्यासी और व्याकुल नजरें गौरी की दोनों टांगों के बीच के उसके तिकोन भाग पर पहुंच गई जिसको देखने के लिए हर मर्द व्याकुल रहता है तड़पता रहता है लेकिन यहां सुरज का भाग्य बहुत तेज था जो कि गौरी खुद उसे अपने नंगे बदन के साथ-साथ अपना तिकौन वाला भाग भी दिखा रही थी,,,,सुरज तो गौरी की दोनों टांगों के बीच की उस पतली कलिहारी को देखकर एकदम पागल हो गया,,, एकदम पतली संकरी गली नुमा बुर की दरार को देखकर सुरज एकदम पागल हो गया,,,, उस पर हल्के हल्के रेशमी मुलायम बाल उगे हुए थे जिस पर पानी की बूंदे ओस की बूंदों की तरह चमक रही थी सुरज की नजर उसकी दोनों टांगों के बीच से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी और यह देखकर गौरी मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,ऐसा नहीं था कि गौरी किसी को भी अपना नंगा बदन देखने को या दिखाने के लिए तैयार हो जाती सुरज के प्रति उसका आकर्षण बहुत पहले से ही था जब वह अपने भाई शुभम साथ उसे देखी थी,,, इसलिए आज उसे मौका मिल गया था सुरज को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने का जो कि अनजाने में ही प्राप्त हुआ था,,,, जितना उत्साहित और उत्तेजक सुरज था उससे ज्यादा कहीं व्याकुल गौरी थी,,, सुरज को गौरी को नंगी देखने में मजा आ रहा था और छोरी को सुरज को अपने आप को नंगी दिखाने में आनंद आ रहा था,,,,सुरज से रहा नहीं गया और उसके मुंह से उसकी तारीफ निकल गई,,,


गौरी तू बहुत खूबसूरत है,,,,


मुझे पता है,,,,(गौरी नाक सिकोड़ते हुए बोली,,, वैसे भी सुरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना उसे अच्छा लग रहा था वह सिर्फ जानबूझकर इस तरह से बोल रही थी,,, सुरज अभी-अभी उसे ऊपर से नीचे की तरफ जी जान लगा कर देख रहा था ऐसा लग रहा है कि जैसे उसने इससे पहले किसी नंगी औरत या लड़की को देखा नहीं था तीन तीन खूबसूरत औरतों की चुदाई करने के बावजूद भी नई जवान लड़की देखते ही सुरज के पजामे में हलचल होने लगती थी और यही मर्दों की फितरत भी होती है,,, एक औरत

से कभी भी उसका मन नहीं भरता,,

एक जवान लड़के को अपना नंगा बदन दिखाने में गौरी को भी बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसके बदन में सनसनी सी फेल रही थी,,,। लेकिन वक्त की नजाकत को गौरी अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसे काफी समय हो गया था परवाह नहीं चाहती थी कि उसके घर वाले उसे इस हालत में देख लें कि कोई जवान लड़के के सामने वह पूरी तरह से नंगी खड़ी है इसलिए सुरज से बोली,,,।

चल देख लिया ना,, अब जा,,,,
(गौरी की आवाज में उसके शब्दों में एक विश्वास था बिल्कुल भी डर नहीं था घबराहट में थी एक अंजाम लड़के को अपना जवान नंगा जिस्म दिखाना कोई आम बात नहीं थी,,,, लेकिन गौरी बेफिक्र थी,,,,उसकी बात सुनने के बावजूद भी सुरज भी खड़ा होकर उसके नंगे पन का दर्शन कर रहा था तो गौरी फिर बोली,,,)


चल अब जाना खड़ा क्यों है,,,
(गौरी की बात सुनकर सुरज को भी लगने लगा कि अब वहां से चले जाना चाहिए अगर किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा,,,, इसलिए वह बोला,,,)

शुभम कहां है पढ़ने जाना है,,,,


मुझे नहीं लगता कि आज वह आएगा,,, वह खेत पर गया है खेतों में पानी देने,,,,( गौरी सुरज की लालच को बढ़ाने के लिए अपने दोनों हाथों से अपनी चुचियों पर की पानी की बूंदों को साफ करते हुए इसे अपनी हथेली में भरकर ऊपर की तरफ उठाने लगी यह देखकर सुरज के मुंह से गर्म आह निकल गई,,,, गौरीकी हरकत और उसकी बात को सुनकर सुरज बोला,,)

ठीक है मैं खेत पर चला जाता हूं वही पूछ लूंगा चलेगा कि नहीं,,,(इतना कहकर सुरज पीछे कदम लेकर जा ही रहा था कि वापस कदम बढ़ाते हुए गौरी से बोला,,,,)

और हां गौरी तू बहुत खूबसूरत है खास करके तेरी चूचियां तेरी बुर,,,,
(इतना कहने के साथ ही गौरी का जवाब सुने बिना ही वहां से वापस लौट गया और गौरी उसे जाते हुए देखती रह गई सुरज के आखिरी शब्द उसके तन बदन में आग लगा गए यह पहली बार था जब गौरी की किसी लड़के ने इतने खुले तौर पर तारीफ किया था और वह भी उसकी चूची और उसकी बुर की हालांकि उसकी चूची और बुर अभी तक किसी लड़के ने देखा ही नहीं था बस केवल कल्पना किया करते थे सुरज पहला सख्स था जो गौरी को पूरी तरह से नंगी देखा था उसी को उसकी बुर को एकदम गौर से देखा हूं उसकी बलखाती कमर के साथ-साथ उसकी मदमस्त गांड के दर्शन किया था,,,, सुरज के कहे शब्द उसके बदन की उत्तेजना को एकदम से बढ़ा दिए थे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और उसके होठों पर मुस्कान आ गई थी,,,,
सुरज शुभम को बुलाने के लिए खेत पर चला जा रहा था वैसे तो उसे बुलाने की कोई जरूरत वह समझता नहीं था लेकिन वह नहीं चाहता था कि कजरी और उस पर कोई शक करें इसीलिए वह जानबूझकर उन्हें बुलाता था ताकि उन लोगों को ऐसा लगे कि अगर कजरी और उसके बीच कुछ चल रहा होता तो वहां इस तरह से उन्हें रोज बुलाने नहीं आता,,,)
 
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गौरी की मद मस्त नंगी जवानी को देखकर सुरज पूरी तरह से गर्म हो गया था,,,, पहले भी उसकी गौरी से मुलाकात हो चुकी थी लेकिन तब वह कपड़ों में देखा था और उसके देखने का नजरिया भी बदला नहीं था लेकिन आज जब उसे नहाते हुए पूरी तरह से नंगी अपनी आंखों से देखा तो जाकर पता चला कि गौरी कितनी खूबसूरत है,,,, गौरी पूरी तरह से अनछुई लड़की थी,,,,अभी तक गांव के किसी लड़के ने उसके अंगों को उसके बदन को स्पर्श तक नहीं किया था और ना ही वह किसी को करने दी थी,,,वह तो सुरज की किस्मत बहुत तेज थी कि उसने गौरी को एकदम नग्नावस्था में देख लिया था और जो मेरी उसे जानबूझकर अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,, अगर सुरज की जगह कोई और होता तो शायद वह डंडा लेकर उसे खूब पीटती,,,, लेकिन सुरज का आकर्षण उसे बहुत पहले से ही था,,, इसलिए वह भी मौके का फायदा उठाते हुए अपने नंगे बदन का दर्शन उसे करा दी,,, और अपनी इस हरकत पर गौरी को किसी भी तरह का पछतावा या गलत नहीं लगा वह पूरी तरह से खुश थी क्योंकि यह बात अभी अच्छी तरह से जानती थी कि लड़कों को कैसे अपने काबू में किया जाता है भले ही वह इस तरह की हरकत और पैंतरेबाजी अभी तक किसी पर आजमाई नहीं थी लेकिन एक जवान लड़की होने के नाते उसे इतना तो ज्ञान था ही,,,,।

सुरज गौरी के नंगे बदन का दर्शन करके पूरी तरह से गनगना गया था,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कपड़ों में बिल्कुल सामान्य सी लगने वाली लड़की बिना कपड़ों के इतनी खूबसूरत और लाजवाब लगती होगी उसका अंग-अंग खरा सोना नजर आ रहा था,,,,औरतों के बदन की भूगोल को पूरी तरह से समझ सकने के कारण सुरज को इतना तो ज्ञान हुई गया था कि गौरी के बदन का हर एक कोना एकदम तराशा हुआ था उसके गुलाबी और उसके गोरे गोरे गाल रेशमी बाल हिरनी जैसी गर्दन के साथ-साथ मदमस्त कर देने वाली दोनों नारंगिया वाकई में उसकी छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,,, चिकना सपाट पेट जिस पर पानी की बूंद बिल्कुल भी ठहर नहीं रही थी और चिकनी पीठ की शोभा बढ़ा रही गहरी नाभि शायद बुर से भी ज्यादा खूबसूरत नजर आ रही थी,,,, पतली कमर के नीचे का कसा हुआ उभार गांड की सर्वोत्तम परिभाषा को,,, परिभाषित कर रहा था,,,, सुरज की आंखों ने अब तक जितने भी ने तंबू के दर्शन किए थे शायद उनमें से एक खूबसूरत नितंबों में से एक नितंब गौरी की थी,,,, जिसे जीभ लगाकर चाटने का मन कर रहा था,,,,,, सुरज ने गौरी के दोनों टांगों के बीच किस पत्नी करार के भी दर्शन कर लिए थे और धन्य हो गया हल्के हल्के रेशमी बालों से घिरी हुई उसकी पतली दरार किसी जंगल की गहरी घाटी में बहती हुई नदी की तरह लग रही थी,,, जिस में सुरज का डूब कर तैरने का मन कर रहा था,,,,,,, संपूर्ण रूप से नंगी होकर नहाते हुए वह एकदम कामदेवी लग रही थी,,,,


खेतों की तरफ जाते हुए भी सुरज के दिलों दिमाग पर गौरी छाई हुई थी,,, उसकी हरकत उसकी नजाकत और एकदम निडर होकर यह कहना कि सब कुछ देख लिया ना अब जा इस पर सुरज पूरी तरह से फिदा हो चुका था,,,, सुरज को लगने लगा था कि गौरी उसे जानबूझकर अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,,, वरना उसे कब का भगा दी होती और अपने अंगों को छुपाने की भरपूर कोशिश करती लेकिन ऐसा कुछ नहीं गौरी बिल्कुल भी नहीं कर रही थी ना तो सूरज को अपनी आंखों के सामने खड़ा देखकर घबरा गई थी और ना ही अपने कोमल बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश की थी,,,,,,,,सुरज अपने मन में यही सोचता हुआ चला जा रहा हूं ताकि काश गौरी को भी चोदने का मौका मिल जाता तो वह अपने आप को सबसे भाग्यशाली समझता,,,,,,,


देखते ही देखते सुरज शुभम के खेतों पर पहुंच चुका था चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे लेकिन शुभम उसे कहीं भी नजर नहीं आ रहा था सुरज कुछ देर तक इधर-उधर घूम कर उसे ढूंढता रहा वैसे तो सुरज के लिए उसे ढूंढना इतना जरूरी नहीं था लेकिन वह नहीं चाहता था कि किसी भी तरह से उन लोगों को उसके और कजरी के बीच क्या चल रहा है उसके बारे में शक हो,,,, इसीलिए वह जानबूझकर शुभम को बुलाता था ताकि उन लोगों को बिल्कुल भी शक ना हो और वह दोनों साथ में पढ़ते वक्त इसी तरह से इनकार करते थे जैसा कि कजरी दूसरे लड़कों के साथ करती थी बिल्कुल भी लगाव या अपनापन सुरज से नहीं दिखाती थी और इसीलिए शुभम भी उस पर बिल्कुल भी शक नहीं करता था,,,।

खेत के चारों तरफ घूम घूम कर सुरज ने मुआयना कर लिया था लेकिन कहीं कोई भी नजर नहीं आ रहा था तब वह सोचा कि हो सकता है जैसे हम खेतों के बीच में हो जहां पर वह अपने लिए छोटी सी झोपड़ी बनाया था ताकि खेतों पर काम करने आए तो उसमें आराम कर सके,,,,,,, इसलिए शुभम के खेतों के बीच में से वह झाड़ियों को हटाता हुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा,,,।


दूसरी तरफ झोपड़ी के अंदर शुभम अपने लंड को बड़ी तेजी से बुर के अंदर बाहर करते हुए,,,,

आहहहहहह,,,,, सच में तेरी बुर बहुत मस्त है तुझे रंडी बनाकर चोदने बहुत मजा आता है,,,आहहहह मेरी रानी ऐसे ही रोज मुझे दिया कर मैं तुझे मस्त कर दूंगा,,,,ऊफफ इस उमर में भी तेरी बुर कितनी गरम है,,,,ओहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुझे मैं रानी बनाकर रखूंगा,,,,( चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए,,) हाय तेरी चूची कितनी बड़ी बड़ी है लगता है कि जैसे मेरे लिए संभाल कर रखी थी,,,, इसे तो मैं पी जाऊंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही बना दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाना जारी रखा,,,,

सहहहह आहहहहह ,,, मेरे लाल तेरे लिए ही तो है मेरी चूचियां,,,, जब तू छोटा था तो इसी तरह से मुंह लगाकर पीता था लेकिन अब अपने पेट की भूख मिटाने के लिए पीता था लेकिन आज अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए पी रहा है,,,,ऊममममम धीरे से बेटा इस तरह से तो तेरे बाबूजी भी नहीं काटते,,,,,आहहहहहह जरा धीरे धक्के मार,,, मैं भागी नहीं जा रही हूं तुझ से चुदवाने के लिए तो नहीं खेत में काम करने का बहाना देकर तुझे यहां लेकर आई हूं,,,, नही तो गौरी कहां खेतों पर आने दे रही थी,,,,


तू सच में कितनी अच्छी है मां,,,, तभी तो तुझे चोदने में इतना मजा आता है मन करता है कि गौरी की चुदाई कर दु तक हम दोनों को किसी का डर नहीं रहेगा,,,,



हां कह तो तू ठीक ही रहा है लेकिन तू जानता है गौरी मानने वाली नहीं है अगर उसे हम दोनों के बारे में पता चल गया था शायद हम दोनों का भी बुरा हाल कर देगी,,,,


जब करेगी तब देखा जाएगा अभी तो मुझे अपनी मां मंगलदेवी को चोदने में बहुत मजा आ रहा है,,,(इतना कहने के साथ शुभम अपनी मां मंगलदेवी के होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,ऊममममम,,,,,ऊमममममम,,,)

तेरे होठों में बहुत रस है,,,, बाबूजी को भी पिलाती है कि नहीं,,,,

ओ मुआ अब किसी काम का नहीं है,,, हरामि का खडा ही नहीं होता,,,, अगर किसी तरह से खड़ा कर दूं तो दो ही झटके में पानी फेंक देता है,,, इसलिए तो मुझे तेरा सहारा लेना पड़ रहा है,,,,

ओहहह मां,,, तो बहुत अच्छे हैं अच्छा हुआ कि बाबूजी का खड़ा नहीं होता वह तुझे चोद नहीं पाते वरना मुझे इतना मजा कभी नहीं मिल पाता औरत को कैसे चोदा जाता है या मैं कभी नहीं सीख पाता,,,,तूने मुझे चुदाई सिखा कर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान की है और इसीलिए मैं एहसान का बदला चुका रहा हूं,,,(जोर से धक्का लगाते हुए जिसकी वजह से शुभम की मां मंगलदेवी के मुंह से आह निकल गई जब जब उसकी आह निकल रही थी तब तब शुभम का मजा दोगुना होता जा रहा था,,, अपनी मां मंगलदेवी के कराने की आवाज को सुनकर शुभम बोला,,,)


क्या हुआ मां एकदम अंदर तक चला जा रहा है क्या,,,,


नहीं रे तेरा ज्यादा लंबा नहीं है,,,, थोड़ा सा और बड़ा होता तो मेरे बच्चेदानी तक पहुंच जाता लेकिन फिर भी बहुत मजा देता है,,,,(अपनी मां मंगलदेवी के मुंह से अपने लंड के बारे में सुनकर बहुत थोड़ा उदास हो गया क्योंकि उसकी मां ने कही थी कि ज्यादा लंबा नहीं है लेकिन फिर भी इस बात की तसल्ली थी कि उसके लंड से उसकी मां मंगलदेवी को बहुत मजा आ रहा था,,,, ज्यादा लंबा शब्द सुनकर अनायास ही शुभम के दिमाग में उस दिन वाला दृश्य नजर आने लगा जब सुरज उससे गुस्सा करके अपना पजामा नीचे करके अपना लंड दिखा रहा था और उसके लंड को देख कर खुद शुभम की हालत खराब हो गई थी क्योंकि उसके लंड के सामने शुभम का आधा भी नहीं था और इसीलिए से हम सोचने लगा कि अगर उसकी जगह सुरज होता तो शायद उसकी मां मंगलदेवी पूरी तरह से पागल हो जाती उसके लंड को अपनी बुर में लेकर क्योंकि उसका लंड उसके लंड से ज्यादा लंबा था और मोटा भी वह बड़े आराम से उसकी मां मंगलदेवी के बच्चेदानी तक पहुंच जाता,,,, अनायास ही सुरज के लंड का ख्याल आते ही शुभम थोड़ा सा गुस्सा हो गया किस तरह का ख्याल उसके मन में आया कैसे और वह इसी गुस्से को उतारने के लिए जोर जोर से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया झोपड़ी में रखी हुई चारपाई चरमरा रही थी,,,।


अरे धीरे बेटा तू तो खटिया ही तोड़ डालेगा,,,,,


टूट जाने दो मां हम दोनों की चुदाई की निशानी होगी कि मैं तुम्हारी चुदाई करते करते खटिया भी तोड़ डाला था,,,


नाना ऐसा मत करना हम का खर्चा बढ़ जाएगा इसे बनाना पड़ेगा मेहनत करनी पड़ेगी तो आराम से ही कर,,,, लेकिन जल्दी पानी मत निकालना बहुत मजा आ रहा है,,,


मुझे भी बहुत मजा आ रहा है ना मैं भी चाहता हूं कि मेरा पानी जल्दी लाने के लिए दिन रात तुम्हारी बुर में लंड डालकर पडा रहु,,,, लेकिन क्या करूं तुम्हारी बुरा अंदर से इतना ज्यादा गर्म हो जाती है कि ऐसा लगता है कि सब कुछ बिगड़ जाएगा और तुम्हारी बुर की गर्माहट पाते हैं मेरी मोमबत्ती पिघलने लगती है,,,,।


लेकिन आज ऐसा मत होने देना बेटा मैं हमेशा प्यासी रह जाती हूं और तू अपना पानी निकाल कर चला जाता है,,,


आज नहीं जाऊंगा आज मैं अपनी रानी की पूरी सेवा करूंगा,,,

ओ मेरा राजा बेटा,,,( और इतना कहने के साथ ही शुभम की मां मंगलदेवी उसका बाल पकड़कर उसके होठों को अपनी चूची पर रख दी और उसे पिलाने लगी शुभम भी मन लगाकर अपनी मां मंगलदेवी की चूचियों की सेवा कर रहा था और उसकी बुर की खातिरदारी भी,,,,, गौरी को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि खेतों में काम करने के बहाने उसकी मां और उसके भाई आपस में चुदाई का गंदा खेल खेलते हैं,,,, इससे पहले दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं था दोनों के बीच मां-बेटे का पवित्र रिश्ता बना हुआ था लेकिन शुभम की मां मंगलदेवी अपने पति से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थी और उसके बदन में जवानी की आग लगी हुई थी वह अपने बदन की तपिश को बुझाना चाहती थी उसे जवान लंड की आवश्यकता थी,,, और ऐसे में ही १ दिन वह खेत में अपने बेटे को मुठ मारते हुए देख ली थी,,अपने बेटे की इस हरकत पर शुभम की मां मंगलदेवीं पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसे अपने बेटे पर गुस्सा नहीं आया था बल्कि अपने लिए एक उम्मीद की किरण नजर आने लगी थी वह समझ गई थी कि उसका बेटा भी पूरी तरह से जवान हो गया है और जवानी की गर्मी शांत करने का बहाना ढूंढ रहा है ऐसे में उसका काम जरूर बन जाएगा और उसे मौका मिल गया एक दिन वह अपने ही खेत पर बने हेडपंप पर नहा कर छोटी सी झोपड़ी में जाकर कपड़े बदल रही थी और उसी समय उसका बेटा भी झोपड़ी में प्रवेश कर गया था उस समय तो शुभम की मां मंगलदेवी के बदन पर पानी से भीगी हुई साड़ी थी जिसे वह अपने बेटे को झोपड़ी के अंदर देखते ही १ बहाने से उतार फेंकी और उसके सामने पूरी तरह से नंगी हो गई शुभम के लिए पहला मौका था जब किसी नंगी औरत को देखना था और वह भी खुद की अपनी सगी मां को वह पूरी तरह से मदहोश हो गया अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, अपनी मां मंगलदेवी की पानी से गीली बुर देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा,,, जोकि पजामे में उठता हुआ शुभम की मां मंगलदेवी को साफ नजर आ रहा था,,, शुभम से रहा नहीं जा रहा था और शुभम की मां मंगलदेवी की भी हालत खराब हो रही थी,,,, मौका और दस्तूर दोनों शुभम की मां के पक्ष में था और वह‌ बोली,,,,


शुभम मुझे नंगी देखकर तेरा तो खड़ा हो गया है कुछ करने का मन है क्या,,,?
(अपनी मां मंगलदेवी के मुंह से इस तरह का सवाल सुनते ही शुभम अपने आप को रोक नहीं पाया और हां में सिर हिला दिया,,,, फिर क्या था उसी दिन दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता खत्म हो गया और एक मर्द और औरत का रिश्ता शुरू हो गया दोनों चुदाई में पूरी तरह से मस्त होते हैं और इसी तरह से रोज खेतों पर खेत में काम करने के बहाने चुदाई करना शुरू कर दिया,,,,और आज भी वह खेत में काम करने के बहाने घर से दोनों मां-बेटे आ गए थे और झोपड़ी के अंदर चुदाई का गरमा गरम कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे जिसे देखने वाला कोई नहीं था दोनों आपस में पूरी तरह से लिप्त हो चुके थे शुभम का लंड उसकी मां मंगलदेवी की बुर की गहराई नाप रहा था,,, और शुभम की मां मंगलदेवी उसका हौसला बढ़ाते हुए खुद उसे अपना दूध पिला रही थी,,,।

शुभम के धक्के तेज चल रहे थे शुभम की मां मस्त हो रही थी,,,, यहां पर कोई आने वाला नहीं था इसलिए दोनों खुल कर मजा ले रहे थे,,,,

आज तेरी बुर का भोंसड़ा बना दूंगा,,,,


बना ना मादरचोद मैं तो तड़प रही हूं जोर जोर से चोद मुझे मस्त कर दे मुझे,,,,


यह बात है देख आज तेरी कैसी हालत करता हूं,,,
(शुभम अपनी मां की बात सुनकर पूरी तरह से जोश में आ गया था और जोर जोर से धक्के लगाने की तैयारी कर ही रहा था कि उसके कानों में उसका नाम सुनाई देते हैं वह बुरी तरह से चौक गया,,,)


शुभम,,,,ओ ,,,,,शुभम ,,,, कहां गया भोंसड़ी के पढ़ने नहीं चलना है क्या,,,,?
(इतना सुनते ही शुभम के तो होश उड़ गए उसकी आवाज बड़े करीब से आ रही थी उसकी मां मंगलदेवी भी एकदम सकते में आ गई,,,,,)

यह कौन आ रहा है बेटा,,,


सुरज है ना मुझे बुलाने आया है पता नहीं कौन ईसे यहां भेज दिया,,,


हट बेटा मुझे उठने दे अगर वह देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,,

(अपनी मां की बात को और मुसीबत को अच्छी तरह से समझता था इसलिए जल्दी से बे मन से अपने लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकालकर खडा हो गया और जल्दी से पजामा पहनने लगा,,,,शुभम की मां मंगलदेवी भी जल्दी से उठी और जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज का बटन बंद करके अपनी पेटीकोट की डोरी बांधने लगी,,,, अपनी साड़ी को दुरुस्त करने लगी तो शुभम उससे बोला,,,)

तुम कोने में खड़े हो जाओ मां अगर बाहर जाओगी तो वह देख लेगा और इतने सुनसान अकेले खेत में हम दोनों को देखकर खामखा शक करेगा,,,


तु ठीक कह रहा है बेटा,,,,लेकिन तू भी अंदर मत रहे बाहर निकल जा अगर अंदर आ गया तो हम दोनों को अंदर देखकर वाकई में शक करने लगेगा,,,


तुम ठीक कह रही हो,,,,(इतना कहकर जैसे ही शुभम झोपड़ी से बाहर निकला वैसे ही सामने से सुरज आ गया,,,अपनी मां की चुदाई करने में शुभम काफी मेहनत कर चुका था इसलिए पसीने से तरबतर था और उसे इस तरह से पसीने में भीगा हुआ देखकर सुरज बोला,,,,)

शुभम खेतों में काम करने की जगह तो झोपड़ी में काम कर रहा था जो इतना पसीने में भीगा हुआ है,,,, और यह तेरा लंड खड़ा क्यों है,,,(इतना सुनकर शुभम की तो घिघ्घी बंध गई,,, अब क्या जवाब दे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,)


बताना अंदर क्या कर रहा था,,,,ओहहह अब समझा मुट्ठ मार रहा था,,, अरे हरामी इतनी मेहनत करने से अच्छा था कि अपनी मां को ले आया होता और उसकी चुदाई कर दिया होता तब तुझे मजा भी आ जाता,,,।(सुरज की बात को अंदर खड़ी शुभम की मां मंगलदेवी सुन रही थी और इस बात पर वह पूरी तरह से गनगना गई क्योंकि उसका दोस्त शुभम को उसकी मां चोदने के लिए कह रहा था जो कि शुभम वही कर भी रहा था,,, सुरज की बात सुनकर गुस्से में शुभम बोला,,)


तेरी मामी साथ आने को तैयार होती तो मजा आ जाता,,,


पहले ठीक से अपनी मां की तो चुदाई कर ले मुझे लगता नहीं है कि तु अपनी मां को संतुष्ट कर पाएगा,,, तेरी मां की चूची देखा है कितनी बड़ी-बड़ी है,,, उसकी गांड कितनी बड़ी बड़ी है तेरी मां के लिए तो मोटा और लंबा लैंड चाहिए जो कि मेरे पास है एक ही बार में तेरी मां को मस्त कर दूंगा,,,,(सुरज की बात सुनकर शुभम की मां मंगलदेवी की हालत खराब होने लगी,,, क्योंकि शुभम का दोस्त सुरज सीधे-सीधे उसे चोदने की बात कर रहा था और शुभम की मां मंगलदेवी अपने मन में सुरज की बात सुनकर ही सोचने लगी कि सुरज जो कुछ भी कह रहा है वह सच कह रहा था उसके मन में भी मोटे लंबे लंड से चुदवाने की इच्छा बहुत समय से थी लेकिन उसकी इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी बस जरूरत पूरी हो रही थी,,,)


सुरज जबान संभाल कर बात कर मेरी मां के बारे में उल्टा सीधा मत कहना,,,,


क्यों क्यों तुझे बुरा लग रहा है और जब तू मेरे परिवार वालों के बारे में यह सब चलता है तो मुझे क्या अच्छा लगता है,,,


जो भी है लेकिन में यह सब बातें नहीं सुनना चाहता,,,,(शुभम एक बहाने से उसे झोपड़ी से थोड़ा दूर ले जाना चाहता था ताकि वह झोपड़ी के अंदर प्रवेश न कर पाए,,, इसलिए वो धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

तुझे यहां भेजा किसने,,,,


तेरी बहन ने और किसने तेरे घर गया तो पता चला कि तु यहा खेत पर है,,,,
(शुभम अपनी बहन को मन ही मन गाली देने लगा क्योंकि सारा मजा किरकिरा कर दी थी वह अपनी मां की चुदाई किए बिना ही कर खड़ा हो गया था उसकी मां भी संतुष्ट नहीं हो पाई थी दोनों चरम सुख पाते पाते रह गए थे इसलिए गुस्सा दोनों का जायज था लेकिन दोनों कर भी कुछ नहीं सकते थे क्योंकि जरा सा भी भनक लगने पर पूरे गांव में बदनामी होने का डर था इसलिए वह कुछ बोला नहीं और उसके साथ पढ़ने के लिए चल दिया,,, पर उन दोनों के जाते हैं शुभम की मां मंगलदेवी की जान में जान आई लेकिन सुरज पर गुस्सा भी बहुत आया,,, क्योंकि इसकी वजह से उसका पानी निकलते निकलते रह गया था लेकिन वह खटिया पर एक टांग रखकर अपनी पेटीकोट को कमर तक उठाकर अपनी उंगली का सहारा लेकर अपना पानी निकाल कर ही बाहर निकली,,,।
 
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सुरज और गौरी की मुलाकात बेहद अद्भुत थी,,,सुरज गौरी से अनजान बिल्कुल भी नहीं था ना ही गौरी सुरज से अनजान थी,, बस दोनों की मुलाकात ज्यादा नहीं होती थी,,
और मुलाकात भी हुई तो ऐसे हाल में इसके बारे में दोनों ने कभी सपने में नहीं सोचा था,,,, सुरज का तो अभी भी बुरा हाल था,,,पढ़ाई में उसका बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था,,।बार-बार उसकी आंखों के सामने गौरी का नंगा बदन नजर आ जा रहा था उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी पूरी तरह से खिली हुई थी छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों नारंगीया,, अपने पूरे शबाब में खिली हुई थी रस से भरी हुई दोनों चुचियों को देखकर सुरज का मन डोल गया था,,,, चिकना सपाट पेट चर्बी का बिल्कुल भी नामोनिशान नहीं था खेत में काम करके उसका बदन पूरी तरह से गठीला हो गया था,,, जोकि किसी भी उम्र के मर्दों को ललचाने के लिए काफी था,,,, नंगी चिकनी पीठ संगमरमर के पत्थर की तरह चमक रही थी उस पर पानी की बूंदे मोतियों के दाने की तरह फिसल रही थी और नितंबों का उभार अद्भुत तूफान उमडता हुआ नजर आ रहा था,,,, जिसमें सुरज का अस्तित्व पूरी तरह से बिखरता जा रहा था,,, गौरी की गांड की खूबसूरती को देखकर सुरज मदहोश हो गया था,,,, गौरी की गांड की बनावट बेहद कलात्मक थी जिसको देख पाना भी किस्मत की बात थी सलवार में कसी हुई गांड सुरज बहुत बार देख चुका था लेकिन बिना सलवार की नंगी गांड को देखने का जो मजा है,,, वह शायद सुरज से बेहतर कोई नहीं जानता था इसीलिए तो गौरी पूरे उसके दिलो-दिमाग पर छाई हुई थी,,,, और जिस तरह से उसने खुद उसकी तरफ घूम कर अपनी नारंगी या और अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ पतली तरह के दर्शन कर आई थी उससे सुरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था क्योंकि वह जानता था कि गौरी जैसी हिम्मत कोई भी लड़की नहीं दिखा सकती कोई भी लड़की अपने आप से अपने मन का बर्तन किसी अनजान लड़के को नहीं दिखाएगी,,, सुरज का मन उसकी हल्के बालों वाली पतली दरार को देखकर पूरी तरह से झूम उठा था,,,तीन औरतों की चुदाई का सुख भोग चुका सुरज बुर के भूगोल को पूरी तरह से समझ चुका था अच्छी तरह से समझ गया था कि किस उम्र की लड़की की बुर कितना मजा देगी,,,, सुधियां काकी से चुदाई करने के बाद वह संभोग की बाराखडी को समझ पाया था,,, फिर अपनी मौसी कि मंजू बुर में लंड डालकर उसकी गर्मी को महसूस कर पाया था लेकिन कजरी के साथ संभोग करके वह पूरी तरह से संभोग की महागाथा को कंठस्थ कर चुका था संभोग के संपूर्ण अध्याय के बारे में समझ चुका था,,,,इसीलिए वह समझ चुका था कि गौरी को मेरे साथ उसे बहुत मजा आएगा लेकिन यह बात उसे बार-बार परेशान कर रही थी कि वह यह जानते हुए भी कि पीछे खड़ा होकर वा देख रहा है फिर भी उसकी तरफ घूम कर अपनी चूची और अपनी बुर क्यों दिखाई,,, सुरजअपने मन में यही सोच रहा था कि कहीं उसके मन में उसके लिए प्यार तो नहीं है,,,,नहीं तो कोई भी लड़की इस तरह से गैर लड़के को क्यों अपना जवान बदन दिखाएगी,,, जो कुछ भी हो उसे बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी इस पल को वह अपने सीने में संजोकर रखा हुआ था,,,।

नहाने के वाक्ए के बाद गौरी भी मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि आज उसने अपना बेशकीमती खजाना खूबसूरत बदन सुरज को दिखा दी थी इस बात से उसके बदन में हलचल मची हुई थी कि वह पूरी तरह से नंगी थी और वह भी सुरज की आंखों के सामने जिसे वह मन ही मन पसंद करने लगी थी,,,, मैं मन ही मन भगवान को शुक्रिया अदा कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसे संपूर्ण रूप से मन की देखने के बाद सुरज अपने होशो हवास में नहीं रह पाएगा उसके दिलो-दिमाग पर सिर्फ वही छाई रहेगी,,, और ऐसे में होगा उसके साथ जरूर मुलाकात करेगा,,,,। गौरी ने कभी भी अनजाने में भी दूसरों के सामने नहाने की चेष्टा नहीं की थी और ना ही लोगों को अपना बदन देखने का मौका दी थी यह सब कुछ अनजाने में हुआ था लेकिन अनजाने में होने के बावजूद भी गौरी अपनी तरफ से रही सही कसर को पूरी कर दी थी,,,। चुनरी और सुरज दोनों को दूसरी मुलाकात का बेहद बेसब्री से इंतजार था अब वह मुलाकात किस हालात में किस समय होगा यह दोनों को पता नहीं था,,,,।


दूसरी तरफ रविकुमार को आज खेतों में पानी देने जाना था क्योंकि सुरज घर पर नहीं था,,, और आज बैल गाड़ी लेकर निकलने का उसका मन नहीं कर रहा था,,,,,,, इसलिए वह काम कर रही रूपाली से बोला,,,,।


आज मैं खेतों पर चला जाता हूं पानी देने,,,,


क्यों आज रेलवे स्टेशन नहीं जाएंगे क्या,,?


नहीं आज मन नहीं है,,,,(इतना कहकर वा चलने लगा तो रूपाली आवाज देते हुए बोली)

खाना तो खा लीजिए,,,,


खेत पर ही भेज देना या तो खुद लेकर आ जाना मैं वही खा लूंगा,,,,( इतना कहकर वह घर से बाहर निकल गया,,, लेकिन तभी उससे जोरो की प्यास लगी और वह पास में ही नहाने के लिए बनाए गए लकड़ियों के पट्टी के गुसल खाने की तरफ आगे बढ़ गया क्योंकि वहां पीने का पानी रखा रहता है,,,, रविकुमार कुछ और अपने कदम बढ़ाने लगा तो उसे पानी

गिरने की आवाज आने लगी,,,, उसे लगा कि कोई नहान है लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ता रहा और जैसे ही वह ४ फीट के बने उस गुसलखाना के करीब पहुंचा और अंदर की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए,,,, रविकुमार के पूरे बदन में कपकपी सी फैलने लगी,,, छोटे से लकड़ी के टूटे-फूटे गुसल खाने में उसकी बहन मंजू नहा रही थी और वो भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर,,,रविकुमार के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जवान बहन को पूरी तरह से नंगी देख रहा था हालांकि घर के पीछे वाले भाग में जब वह बैल को पानी पिला रहा था तब वह अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था उसकी हवा में लहराती हुई मंजू गांड को देखा था लेकिन आज उसकी किस्मत बड़े जोरों पर थी आज वह अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी देख रहा था,,,,रविकुमार अपने मन में सोचने लगा कि उसके माता पिता ने उसकी बहन का नाम मंजू बहुत सोच समझ के रखा था क्योंकि वाकई में उसका पूरा बदन गुलाब की पतियों की तरह एकदम कोमल थी,,,। मंजू की सुडोल गांड उसे साफ नजर आ रही थी जिस पर पानी की बूंदे फिसल रही थी,,,,,,, रविकुमार की धोती में हलचल सी मचने लगी,,, उसकी आंखों में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी,,,, ऐसा पहली बार नहीं था क्या अपनी बहन को देखकर उसका मन बहका ना हो इससे पहले भी वह कई मौकों पर अपनी बहन की जवानी देख कर पाए चुका था लेकिन अपने आप को संभाल ले गया था लेकिन आज उसे पूरी तरह से नंगी देखकर वह अपने होशो हवास खो बैठा था,,,, अपनी बहन को नंगी नहाते हुए देखकर धोती के ऊपर से ही वह अपने लंड को मसल रहा था,,,,,, लेकिन तभी उसे इस बात का आभास होते ही की किसी की नजर उस पर पढ़ सकती हो कि साथ में देखकर लोग क्या सोचेंगे इसलिए वह धीरे से वहां से खिसक लिया,,,,,

मंजू आज अपने बड़े भाई के तन बदन में आग लगा दी थी अपनी खूबसूरत मत मस्त जवानी की आंच से उसे पिघला दी थी,,,, रविकुमार का मन पूरी तरह से बहक गया था,,, वह खेतों में पहुंच गया और ट्यूबवेल चालू करके खेतों में पानी देने लगा लेकिन उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, रविकुमार का खेत बीचोबीच था चारों तरफ रविकुमार के खेत लहलहा रहे थे,,, और मादकता की रविकुमार के तन बदन में भी लहरा रही थी,,, धोती में उसका लंड बगावत पर उतर आया था घर से लेकर खेतों तक बिल्कुल भी शांत नहीं बैठा था उसी तरह से टनटनाकर खड़ा था मानो कि दुश्मन को ललकार रहा हो,,, रविकुमार को जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह किनारे खडा होकर अपनी धोती में से अपने खड़े लंड को निकाल कर पेशाब करना शुरू कर दिया अपने खड़े लंड को देखकर अनायास ही उसके मन में ख्याल आ गया कि काश वह अपने लंड को अपनी छोटी बहन मंजू की बुर में डाल सकता तो कितना मजा आता वह अपने मन में यही सोचता हुआ पेशाब कर रहा था कि उसकी बहन अभी पूरी तरह से कुंवारी है उसकी बुर एकदम संकरी होगी उसे चोदने का बहुत मजा आएगा,,,अपनी सगी बहन को चोदने के ख्याल से ही रविकुमार के तन बदन में आग लगने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उससे रहा नहीं जा रहा था अपने आपको संभाले नहीं जा रहा था,,,,,,वह अपने मन में यही सोच रहा था कि खाना देकर उसकी बीवी खेतों पर आएगी तो वह उसकी जमकर चुदाई करेगा क्योंकि बिना चोदे उसकी गर्मी शांत होने वाली नहीं थी और इसी इंतजार में वह खेतों के बीच में बनी झोपड़ी से खटिया को बाहर निकाला और पेड़ के नीचे घनी छांव में खटिया गिरा कर उस पर लेट गया और धोती में से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे मुठीयाना शुरू कर दिया,,,,।

उसके ख्यालों में उसके दिलो-दिमाग पर केवल उसकी छोटी बहन को ला भी छाई हुई थी उसका मंजू बदन उसके तन बदन में आग लगा रहा था उसके बारे में गंदा सोचने पर मजबूर कर रहा था धीरे-धीरे लंड को सहलाते हुए उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी रविकुमार अपने अनुभव से यह सीखा था कि अपने हाथ से हिला कर पानी निकाल देने पर भी उसे संतुष्टि बिल्कुल भी नहीं मिलेगी बल्कि उसकी प्यास और ज्यादा बढ़ जाएगी वह जानता था कि जब तक वह अपने लंड को किसी की बुर में डालने देता तब की गर्मी शांत होने वाली नहीं थी इसीलिए वह बड़ी बेसब्री से अपनी बीवी का इंतजार कर रहा था,,,, लेकिन अपनी बहन मंजू के बारे में सोच रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि कैसे मंजू को पटा कर अपने नीचे लाया जाए,,, मंजू को चोदने की वह मन में योजना बनाने लगा युक्ति तलाशने लगा,,,, रविकुमार मंजू का बड़ा भाई अपने मां-बाप को वचन दिया था कि वह मंजू को अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा करेगा और वहां अपने वादे के मुताबिक,,, मंजू को पाल पोस कर बड़ी तो कर दिया था लेकिन उसकी मदमस्त जवानी देख कर उसके मन में लालच आ गया था वह मंजू को भोगना चाहता था,,,, वासना की आग में बंद हो चुका था भाई बहन का रिश्ता उसकी आंखों के सामने धुंधलाता नजर आ रहा था,,, बार बार उसकी आंखों के सामने मंजू का नंगा बदन ही नजर आ रहा था,,,, उसकी खूबसूरत चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांडबार-बार उसे

अपनी बहन के बारे में गंदा सोचने पर मजबूर कर दें रही थी,,,।

यही सब सोचकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,, धोती में से वह अपने लंड को बाहर निकाल कर जोर जोर से मुठिया रहा था कि तभी उसे मंजू खाना लेकर आती नजर आई और वह तुरंत अपने खड़े लंड को धोती के अंदर छुपा लिया,,,, लेकिन अपने लंड को छुपाने में उससे जरा सी चूक हो गई थी और इस नजारे को मंजू दूर से ही देख ली थी,,,,।
 
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रविकुमार की आंखों में अपनी छोटी बहन की मदहोश कर देने वाली जवानी की चमक साफ नजर आ रही थी,,, जिसे याद करके वह अपने लंड को धोती से बाहर निकाल कर चला रहा था,,,, लेकिन उसी समय उसे अपनी बहन मंजू खाना लेकर आती भी नजर आई और वह तुरंत उसे अपने धोती के अंदर छुपाने की कोशिश करने लगा लेकिन मंजू की तेज नजरों ने अपने बड़े भाई की इस हरकत को पलभर में ही अपनी आंखों में थाम ली,,, इस दृश्य को देखकर उसके तन बदन मैं झुरझुरी सी फैलने लगी,,,, किसी तरह से अपने आप को संभाल कर वह अपने कदम को आगे बढ़ाने लगी,,, सामने आ रही है अपनी बहन को देखकर रविकुमार की सांसो की गति तेज होने लगी वैसे भी वह,,, अपनी बहन को ही याद करके उत्तेजित हुआ जा रहा थाऔर ऐसे में अपनी आंखों के सामने ही अपनी बहन को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी,,,,,, वह समय की नजाकत को देखते हुए झट से अपने लंड को धोती के अंदर छुपा लिया था लेकिन यह नजारे को उसकी बहन मंजू अपनी आंखों से देख चुकी थी,,,,।

उसके लिए यह दृश्य कोई नया नहीं था बहुत पहले से ही वह अपने बड़े भैया के लंड को अपनी आंखों से देखते आ रही है,,,, अपने भैया भाभी को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देखकर उन दोनों के बीच की संभोग की असीम कला को देखकर वह खुद ना जाने कितनी बार उतेजीत होकर अपनी उंगली से ही अपनी जवानी की गर्मी को पिघलाने की कोशिश कर चुकी थी,,,, और अपनी जवानी की गर्मी को संभालना पाने की वजह से ही तो है अपने भतीजे कि दोनों टांगों के बीच अपना सब कुछ निछावर कर दी,,,, लेकिन आज उसे हैरानी ईस बात की हो रही थी कि उसके भैया खेतों पर इस तरह की हरकत क्यों कर रहे थे,,,, अपनी आग बुझाने के लिए थे उनके पास खूबसूरत औरत थी तो अभी यह सब किस लिए यह सब सवाल समझते भी मंजू अपने भैया के करीब पहुंच गई जहां पर रविकुमार,,, झोपड़ी के बाहर पेड़ के छांव के नीचे खटिया बिछा कर लेटा हुआ था,,,, मंजू को अपने करीब पहुंचता देखकर रविकुमार अपने पैरों को घुटनों से मोड़ लिया ताकि धोती में बना तंबू मंजू देखना है और अपनी धोती को व्यवस्थित करता हुआ वह बोला,,,।


मंजू तु,,,,,तो क्यों खाना लेकर आई है अपनी भाभी को भेज दी होती मैं तो उसे ही कहा था कि खाना लेकर आना,,,,
(अपने भैया की बात सुनकर मंजू को समझ में आ गया कि वह इसीलिए अपने लंड को सहला रहे थे चुदाई के पहले उसकी धार तेज कर रहे थे,,,,व चित्र से समझ गई कि अगर उसकी जगह की भाभी खाना लेकर आई होती तो भैया इसी समय खटिया पर लेटा कर उसकी भाभी की चुदाई कर दिए होते,,,, भाभी की चुदाई का ख्याल मन में आते ही,,, मंजू की बुर पनियाने लगी,,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, पहले वह छोटे से छेद में से दूसरे कमरे के नजारे को देखकर वह अपने भैया से चुदाने के फिराक में रहती थी,, लेकिन अपने भतीजे सुरज का सहारा मिल जाने के बाद उसकी कमी पूरी हो रही थी,, उसकी मंशा को पर लगने लगे थे वह सुरज से बहुत खुश थी लेकिन आज अपने मन में अपने भैया की मनटंसा को जानकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी होने लगी थी,,, अपने भैया की बातें सुनकर मंजू खाने की पोटली को खटिए पर रखते हुए बोली,,,)


कोई बात नहीं भैया मैं आ गई हूं ना भाभी की कमी पूरी कर दूंगी,,,(अचानक ही अपनी जबान से निकले हुए शब्दों को संभालते हुए वह बोली,,) मेरा मतलब है कि तुम्हें भूखा रहना नहीं पड़ेगा मैं आपके लिए खाना लेकर आई हुं,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह खटिया के नीचे जमीन पर बैठ गई,,,, अपनी बहन की बात सुनकर रविकुमार बोला)


तेरी भाभी आई होती तो बात कुछ और होता,,,(मंजू अपने भैया के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी,,)


क्यों भैया ऐसा क्यों कह रहे हो मैं भी तो सब कुछ कर सकती हूं जो भाभी कर सकती है तुम्हारे लिए खाना लेकर आई हूं,,, ताकि तुम खाना खाकर अपना पेट भर सको,,(मंजू बड़े चालाकी से अपनी बात का रुख बदलते हुए बोली इस तरह से बात करने में मंजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि उसकी भैया पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके हैं तभी तो उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,,)


बात खाना खिलाने की नहीं है मंजू,,,, तू नहीं समझेगी,,,


अरे वाह ऐसी कौन सी बात है भैया कि मैं नहीं समझुंगई मैं भी बड़ी हो गई हूं,,,,



बड़ी तो तू हो गई है लेकिन तेरे भाभी जैसी तू मेरी सेवा नहीं कर पाएगी,,,


नहीं भैया अब तो आप गलत बोल रहे हो,,,, मुझसे बोल कर तो देखो मैं तुम्हारी हर तरह से सेवा करूंगी क्या तकलीफ है बोलो,,,,

(अपनी बहन की बात सुनकर रविकुमार के तन बदन में उत्तेजना के शोले धड़कने लगे अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी बहन उसकी मन की मनसा को समझ पाती,,,, उसके दिल में क्या चल रहा है वह उसे पढ़ पाती,,, तो शायद उसका काम बन जाता,,,, मंजू की बातों को सुनकर रविकुमार का मन कर रहा था कि बिना कुछ बोले मंजू को खटिया पर पटक कर उसकी चुदाई कर दे लेकिन ऐसा करसकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
क्योंकि मंजू उसकी छोटी बहन थी और वह उसे बड़े प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया था,,,, इसलिए वह अपने जज्बातों को संभालते हुए बोला,,)


नहीं-नहीं मंजू तू रहने दे तू इतनी दूर खेतों पर खाना लेकर आई है वही बहुत बड़ी बात है,,,,, चल अच्छा तू खाना निकाल,,,,(इतना कहते हुए रविकुमार अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से काबू कर पाया था और वह खटिया पर बैठते हुए मंजू की तरफ देखा जो कि खटिया से नीचे बैठी हुई थी,,, वह अपने भइया की बात सुनकर खाने की पोटली को खोलने लगी थी,,, रविकुमार की नजर सीधे कुर्ती में से झांकती उसकी दोनों चूचियों पर गया,,, अपनी बहन की दोनों गोलाइयो को देखकर पल भर में ही रविकुमार की सारी भावनाएं पसीना बनकर उसके माथे से टपकने लगी उसकी आंखों के सामने वह सब कुछ पल भर में चलचित्र की तरह आगे पीछे दौड़ने लगा जिस नजारे को देखकर वह अपनी बहन की तरफ आकर्षित हुआ था उसका झाड़ू लगाना और झाड़ू लगाते समय कुर्ती में से झांकती उसकी दोनों चुचियों को पहली बार देखकर रविकुमार की आंखों में वासना की चमक ऊपस आई थी,,, झुकने की वजह से उसकी गोला कार गांड का अद्भुत आकार ले लेना,,,, घर के पीछे बेल को बांधते समय अनजाने में ही अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखना उसकी नंगी गांड को देखकर उसकी जवानी पर फिसल जाना और उसे नहाते हुए देखना यह सब दृश्य किसी चलचित्र की तरह उसकी आंखों के सामने घूमने जाना और एक बार फिर से उसकी आंखों में वासना की चमक नजर आने लगी उसकी बहन खाने की पोटली को खो चुकी थी लेकिन रविकुमार के मन में कुछ और चल रहा था वह तुरंत,, दर्द से कराहने की आवाज लिए,,,, फिर से खटिया पर लेट गया,,,,।


आहहहहहहह,,,,,,,


क्या हुआ भैया,,,,,(वह तुरंत खाने की पोटली छोड़कर अपने भैया की तरफ देखने लगी)


जांघों में बहुत दर्द हो रहा है मंजू इसीलिए तो कह रहा था कि तेरी भाभी आई होती तो अच्छा था,,,


तो बोलो ना भैया क्या करना है मैं कर दूंगी,,,


जांघों पर थोड़ा मालिश करना था,,, सरसों के तेल की ताकि थोड़ा आराम मिले,,,(दर्द से कराहने का नाटक करते हुए रविकुमार बोला,,,,)



कोई बात नहीं भैया मैं मालिश कर देती हूं लेकिन सरसों का तेल,,,,,(आश्चर्य से अपने भैया की तरफ देखते हुए बोली,,,,)


हां अंदर पड़ा है सीसी में,,,,(घास फूस की बनी झुग्गी के अंदर इशारा करते हुए बोला,,, अपने भाई की बात सुनकर मंजू अपनी गांड मटकाते हुए झोपड़ी के अंदर चली गई और उसे जाता हुआ रविकुमार लार टपका करके देख रहा था और उसकी निगाह मंजू की गोलाकार गांड पर टिकी हुई थी,,, जो कि इस समय कयामत ढा रही थी,,, पल भर में मंजू की भी चाल बदल गई थी क्योंकि वह अपने भैया की बातों से उसके इरादों को भाप गई थी उसे ऐसा लगने लगा था कि उसका भईया उसकी चुदाई की फिराक में है,, उसकी ताकत को देखकर वह उस पर मन ही मन फिदा हो जाती थी जिसके लंड को उसकी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखकर अपनी खुद की बुर को गिला करने के लिए आज उसे अपनी बुर में रहने का मौका मिल रहा है इसलिए किसी भी तरह से इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि सुरज से उसके भैया का लंड उन्नीस ही था और सुरज का बीस,,, लेकिन अनुभव उसके भैया में कूट-कूट कर भरा हुआ था और औरतों के बदन से खेलना अच्छी तरह से जानता था कैसे उन्हें उत्तेजित किया जाता है कैसे संतुष्ट किया जाता है इसकी कला में वह पूरी तरह से पारंगत था,,,, हालांकि सुरज भी कम नहीं था वह अपने अनाड़ी पन का अनुभव दिखाते हुए उसे अभी तक संतुष्ट करता रहा था और वह संतुष्ट भी थे लेकिन आज मंजू कुछ नया अनुभव करना चाहती थी इसलिए अपने होठों पर मादक मुस्कान लिए झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गई और जैसे ही वो झोपड़ी के अंदर गई रविकुमार से रहा नहीं गया और वह धोती के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर मसल दिया,,,,,।

रविकुमार के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और उसे अपनी बहन में एक औरत नजर आ रही थी जिसके साथ वह संभोग सुख भोगना चाहता था इसलिए वह चलाकी दिखाते हुए अपनी धोती को चारों तरफ से ढीली कर दिया था ताकि बड़े आराम से उसकी छोटी बहन उसके लंड का दर्शन कर सके वह यह बात बिल्कुल भी नहीं जानता था कि उसके लंड के दर्शन वह कई बार कर चुकी थी,,,

इधर-उधर देखने के बाद जल्द ही मंजू की नजर सरसों के तेल से भरी सीसी पर चली गई वह झट से उसे उठा ली,,, उसे हाथ में लेकर कल्पना करने लगे कि कैसे वह इसी शीशी में से सरसों का तेल निकाल कर उसकी भैया के लंड पर मालिश कर रही है,,,, यह ख्याल उसके दोनों टांगों के बीच कपकपी सा फैला गया,,,,मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह तुरंत सरसों के तेल की शीशी लेकर झोपड़ी से बाहर आ गई जहां पर खटिया पर लेटा हुआ रविकुमार उसका बड़ा बेसब्री से इंतजार कर रहा था,,,,,।


लाइए भैया में मालिश कर देती हूं,,,,(खटिया के पाटी पर बैठते हुए मंजू बोली,,,,)

यहां दोनों झांगो मैं बहुत दर्द हो रहा है,,,(अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ें हुए ही वह अपनी हथेली अपनी दोनों जांघों पर रखता हुआ बोला)


कोई बात नहीं भैया मैं मालिश करके तुम्हारे दर्द को गायब कर दूंगी,,,,, लेकिन एक काम करो दोनों टांगों को फैला लो तब अच्छे से मालिश कर पाऊंगी,,,,,,
(मंजू की बात सुनते ही रविकुमार थोड़ी सोच में पड़ गया क्योंकि वह जानता था कि दोनों टांगों को फैला कर ही उसकी धोती में बना तंबू मंजू की आंखों के सामने नजर आने लगेगा वह पहले थोड़ा हिचकी मार रहा था लेकिन अपने मन में सोचा कि अगर कुछ पाना है तो कुछ ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा जो होगा देखा जाएगा यह मन में सोच कर वह अपनी दोनों टांगों को सीधा खटिया पर फैला लिया और ऐसा करने पर उसकी धोती खुंटे की शक्ल में खड़ी की खड़ी रह गई,,,, मंजू की नजर उस पर पडते ही उसकी बुर कुल बुलाने लगी,,,, वह तिरछी नजरों से अपने भैया के खुंटे को देख रही थी,, और रविकुमार भी पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपने कमरों को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था तो उसके मन में ऐसा हो रहा था कि वह उसे खोलकर दिखाएं,,,,


यहां जगह चारों तरफ खेतों से घिरी हुई थी चारों तरफ हरे हरे खेत लहलहा रहे थे दूर दूर तक सेइस जगह को देखे जाने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी और इस समय यहां कोई आता भी नहीं था,,,, इसलिए रविकुमार और मंजू दोनों निश्चिंत थे,,,, मंजू अपने भैया की बड़ी इज्जत करती थी लेकिन यह इज्जत धीरे-धीरे वासना और आकर्षण में बदलने लगी थी जब से वह छोटे से छेद में से अपने भैया और भाभी को नग्न अवस्था में चुदाई करते हुए देखती थी,,, वैसे भी मंजू की उमर पर पूरी तरह से खुमारी छाई हुई थी वह क्या उसकी उम्र की कोई भी लड़की उस दृश्य को देख लेती तो उसका भी हाल मंजू की तरह ही होता,,,,,,, रविकुमार का शरीर ज्यादा हुष्ठ पुष्ठ नहीं लेकिन बेहद फुर्तीला था,,, इसलिए उसके शरीर में कसाव भरपूर था,,, । मंजू से बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था,,,वह सीसी के ढक्कन को खोल कर सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिराने लगी सरसों के तेल की धार को देखकर रविकुमार का लंड उबाल मार रहा था,,,, अब वह अपने मन में तय कर चुका था कि आज वह मंजू की गुलाबी बुर में अपना लंड डाल कर ही रहेगा,,,,
 
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आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी दोपहर का समय था और ऐसे में रविकुमार खेतों पर काम करने के लिए गया था और खाना लेकर मंजू आई थी अपने भैया के लंड को देखकर उसकी मंजू के मन में हलचल सी होने लगी थी,,,,।
मंजू सरसो के तेल को अपनी हथेली में गिरा ली थी,,,उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज क्या आने वाला है लेकिन इतना आभास हो चुका था कि जो भी होने वाला था बहुत ही अच्छा होने वाला था,,,

रविकुमार कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी भावनाओं को इस कदर अपने अंदर बदल देगा और वह भी अपनी बहन के प्रति,,,रविकुमार की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी धोती के अंदर उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,रविकुमार यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन एकदम जवान खिली हुई थी और शादी की उम्र हो चुकी थी ऐसे में उसका मन भी मचलता होगा चुदवाने को करता होगा इसलिए रविकुमार को अपनी सोच पर पूरा विश्वास था कि अगर एक बार वह मंजू को बहकाने में सफल हो जाएगा तो वह मंजू की दोनों टांगों के बीच का रास्ता बड़े आराम से तय कर लेगा,,,,,,

मंजू अपने बड़े भैया की उठी हुई धोती की तरफ देखकर सरसों के तेल को बड़े अच्छे से अपनी भैया की जांघों पर लगाने लगी और मालिश करने लगी,,,मंजू के कोमल हथेली और उंगली का स्पर्श पाते ही रविकुमार के तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़कने लगे,,, सांसो की गति तेज हो गई और एक अद्भुत सुख की प्राप्ति उसे अपनी दोनों टांगों के बीच के बीच अद्भुत ज
औजार में महसूस होने लगी,,,, रविकुमार काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, अपने भैया की जांघों की मालिश करते समय मंजू के तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, मंजू धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता अपने भैया के लंड की तरफ बढ़ना चाहती थी,,, और उसे पूरा विश्वास था कि वह अपनी हथेली उंगलियों का कमाल दिखाकर वहां तक जरूर पहुंच जाएगी,,,,मालिश करते करते हो अपने भैया की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी जवाब में रविकुमार भी मुस्कुरा दे रहा था,,, दोनों के बीच की यह मुस्कुराहट असीम आनंद की अनुभूति करा रही थी,,, लहराते हुए खेतों के बीच दोनों संपूर्ण रूप से निश्चिंत थे,,, क्योंकि जब आप दोनों चित्रा से जानते थे कि इस समय यहां कोई आने वाला नहीं था मंजू भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बाकी कामों में व्यस्त होगी और वैसे भी खाना लेकर खुद आई थी तो उसकी भाभी का यहां आने का सवाल ही नहीं उठता था,,,,,,


कैसा लग रहा है भैया,,,?(मंजू अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए रविकुमार की तरफ देख कर बोली)

थोड़ा थोड़ा आराम महसूस हो रहा है लेकिन थोड़ा ऊपर की तरफ कुछ याद आता है तो महसूस हो रहा है,,,,(रविकुमार भी अपने मन में यही चाहता था कि उसकी बहन उसके औजार की तरफ आगे बढ़े उसके मुसल जैसे लंड को देखकर उसे छुने के लिए पकड़ने के लिए व्याकुल हो जाए,,,मंजू ने अपने भैया की मनसा को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह अपने भैया की छेड़खानी अपनी भाभी के साथ दीवार के छेद में से देख चुकी थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि दिन में चरित्रवान बने रहने वाला उसका बड़ा भाई रात को किस कदर औरत के जिस्म से खेलने के लिए व्याकुल हो जाता है तड़प उठता है,,,, रविकुमार की व्याकुलता मंजू की मंजू बुर में हलचल को बढ़ा रही थी,,,)

कोई बात नहीं भैया तुम्हारे बदन का सारा दर्द आ जाता रहेगा आज मेरे हाथों का कमाल देखना,,,


यही देखने के लिए तो तुम्हें मालिश करने के लिए बोला हूं,,,, क्योंकि तुम्हारी भाभी बड़ी अच्छे से करती थी,,,

मैं भी बड़े अच्छे से करूंगी भैया,,,


क्या तुम पहले कभी इस तरह की मालिश की हो,,,


नहीं नहीं,,,, पहली बार आपकी ही कर रही हुं,,,


तो देखना ठीक से करना,,,,(अपने लंड के इर्द-गिर्द खुजलाने के बहाने से वह मंजू की तरफ की धोती को हल्का सा हटाना चाहता था ताकि मंजू उसके लंड को देख सकें और ऐसा हुआ भी बातों ही बातों में खुजलाने के बहाने वह अपनी धोती को हल्के से दूसरी तरफ खींच दिया था जिससे उसके लंड का जड़ वाला हिस्साबड़ी साफ तौर पर मंजू को नजर आने लगा था और उसके नीचे उसकी गोलाई के इर्द-गिर्द उसके झांटों का झुरमुट भी नजर आ रहा था,,, मंजू की दोनों टांगों के बीच इस दृश्य को देखकर कंपन सी होने लगी भले ही वह सुरज के मजबूत लैंड से चुदवाने का सुख रोज प्राप्त कर दी थी लेकिन यह हर औरत और मर्द की कमजोरी होती थी कि एक ही मर्द से या एक ही औरत से उन लोगों का मन कभी नहीं भरता था भले ही वह कितने की खूबसूरत औरत हो या मर्द कितना भी ताकत से भरा हुआ हो,,,यह बात इस समय दोनों पर लागू हो रही थी रविकुमार और मंजू दोनों पर रविकुमार के पास उसकी खूबसूरत बीवी की जो पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी और मंजू के पास उसका भतीजा था जो मर्दाना ताकत और मर्दाना अंक की मजबूती से भरा हुआ था लेकिन फिर भी दोनों बहेक रहे थे,,,)

तुम चिंता मत करो भैया भाभी की कमी महसूस होने नहीं दूंगी इस समय मैं तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगी कि तुम जिंदगी भर याद रखोगे,,,,


मैं भी यही चाहता हूं मंजू मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है,,, बस थोड़ा उपर की तरफ मालिश कर वही सारा दर्द इकट्ठा हो गया है,,,,(गरम आहे भरता हुआ रविकुमार बोला अपने भाई की बात सुनकर उसकी मंशा पूरी तरह से साफ हो चुकी थी जो कि मंजू अच्छी तरह से समझ गई थी अपने भाई की हरकत और उसकी बातों को सुनकर उसकी गुलाबी गाल सुर्ख लाल होने लगे जो की मंजू के मंजू चेहरे को और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, वो शरमाते हुए बोली,,,)

ठीक है भैया,,,(पर इतना कहकर वह सरसों के तेल की शीशी से और ज्यादा सरसों का तेल अपनी हथेली पर गिरा कर जांघो के ऊपर लगाकर मालिश करने लगी अपनी भैया की बात मानते हुए अपने दोनों हथेली को रविकुमार की दोनों जांघों पर रखकर उसे धोती के अंदर अपनी हथेली को सरकाने लगी थी,,,मंजू कि इस मदहोश कर देने वाली हरकत रविकुमार के तन बदन में आग लगा रही थी रविकुमार को ऐसा लग रहा था कि जैसे मालिश करने वाली उसकी बहन नहीं बल्कि कोई रंडी अपनी हरकतों से उसे उकसा रही है,,,,,, मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह खटिया पर अपनी गांड रख कर बैठी हुई थी,,, उसकी जांघों की मोटाई देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी सलवार फट जाएगी,,, मंजू की नजरें अपने भाई के लंड की जड़ की तरफ गड़ी हुई थी,,, रविकुमार की अनुभवी आंखें मंजू की नजरों को अच्छी तरह से भाग गई थी वह मन ही मन खुश हो रहा था जो दिखाना चाह रहा था वह मंजू बड़ी उत्सुकता से देख रही थी,,,, रविकुमार यह बात नहीं जानता था कि उसकी बहन उसके और उसकी बीवी के कारनामों को अपनी आंखों से कई बार देख चुकी थी लेकिन मंजू के लिए भी यह पहली मर्तबा था जब वह बेहद नजदीक से अपने भैया के लंड का दीदार कर रही थी,,,,मंजू अपने भैया के लंड को छुना चाहती थी उसे अपनी उंगलियों से स्पर्श करना चाहती थी,,,, उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और इसीलिए रविकुमार‌ भी उत्सुक था वह चाहता था कि उसकी बहन मालिश करते हुए उसके लंड को पकड़ ले ताकि उसके बाद के कार्यक्रम को वह शुरू कर सके,,,, मंजू मालिश करते हुए बोली,,,।)

अब कैसा लग रहा है भैया,,,?


बहुत अच्छा लग रहा है ,,, बस इसी तरह से मालिश करती रहो,,,,,,

हां भैया तुम्हें एकदम आराम हो जाएगा,,,,,(इतना कहते ही मंजू अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाने का क्या देखते ही देखते मंजू अपने भैया की टांगों के बीच पहुंचने लगी,,,, उसकी उंगलियां रविकुमार के लंड से दो अंगूल दूर ही थी,,, रविकुमार को इसका आभास हो गया था उसका पूरा बदन में चल रहा था उसके लंड की एठन बढ़ती जा रही थी,,,,और मंजू पानी पानी हो रही थी,, रविकुमार को लग रहा था कि उसकी बहन की उंगली उसके लंड पर अब छुई कि तब छुई,,, ठंडी ठंडी हवा कह रही थी जो कि मंजू की रोशनी बालों को इधर-उधर लहरा रही थी और वह बार-बार अपनी उंगली का सहारा देकर अपनी उलझती लटो को सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,,।)

अच्छा हुआ भैया कि तुमने यहां सरसों के तेल की शीशी रखे थे वरना उसे लेने के लिए घर जाना पड़ता,,,,


हां मैं जानता हूं तभी तो है सरसों की तेल की शीशी रखे रहता हूं क्योंकि तुम्हारी भाभी यहां मेरी मालिश कर देती है,,,


मैं भी भैया भाभी की तरह कर रही हु ना,,,


हां अभी तक तो ठीक कर रही हो लेकिन आगे देखते हैं तुम अपनी भाभी की तरह कर पाती हो कि नहीं,,,,


जब ना कर पाऊं तो बताना,,,,(उत्सुकता और उत्तेजना का मिश्रण मंजू के गुलाबी चेहरे पर साफ नजर आ रहा था वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी दो अंगूर की दूरी पर उसके सपनों का खजाना खड़ा हुआ था,,,, जिसे पकड़ने के लिए वह उतावली हुए जा रही थी,,,, आखिरकार अपनी हिम्मत को बढाते हुए वह अपनी उंगलियों को थोड़ा और आगे सरकाई और उसकी उंगलियां दोनों तरफ से एक साथ रविकुमार के लंड की जड़ पर स्पर्श होने लगी रविकुमार के लिए यह मौका काफी था वह इसी मौके की तलाश में था जैसे ही उसकी उंगलियों का पोर,, लंड की जड़ों में झांटों की झुरमुटो मे से होकर स्पर्श हुई,,,, रविकुमार जानबूझकर अपने मुंह से हल्की सी चीज की आवाज निकालते हुए बोला,,,,।)


आहहहहह ,,, मां,,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,।


क्या हुआ भैया क्या हुआ इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो,,,,


बहुत दर्द हो रहा है मंजू,,,


लेकिन अभी तो आराम हो रहा था,,,,


हां लेकिन जहां तुम्हारी उंगली स्पर्श हुई है वहां बहुत तेज दर्द हो रहा है,,,,


कहां पर स्पर्श हुई मुझे भी बताओ मैं अच्छे से मालिश कर दूंगी,,,,(मंजू अच्छी तरह से जानती थी जो कुछ भी हो रहा था इसमें दोनों की सहमति थी बस दोनों अनजान बनने का नाटक कर रहे थे,,,, मंजू समझ गई थी किसके भैया के मन में कुछ और चल रहा था)


अरे वहीं पर जहां पर अभी अभी तुम्हारी उंगली छुकर गुजरी है,,,,

कहां यहां,,,,(मंजू जानबूझकर अपनी उंगली को इधर-उधर घुमा कर बता रही थी)

नहीं,,,,


यहां,,,,


नहीं नहीं मंजू थोड़ा ऊपर कि तरफ,,,,,,,(दर्द से कराहने का नाटक करते हुए बोला,,)


यहां पर,,,,


थोड़ा और ऊपर की तरफ बीच में उंगली लाओ,,,,
(मंजू अच्छी तरह से जानते थे कि उसके भैया उसे उसका लैंड पकड़ने के लिए बोल रहे थे लेकिन मंजू जानबूझकर अनजान बन रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके भैया उसे सीधी-सादी लड़की समझते थे,,,, अपने भैया की बात मानते हुए जैसे पहले वह अपनी उंगली का इस पर अपने भाई के लंड की जड़ पर कराई थी उसी तरह से इस बार और उसी तरह से अपने दोनों हाथों की उंगलियों का स्पर्श अपने भाई के लंड पर धोती के अंदर से कराते हुए बोली,,,,)

यहां पर,,,


आहहहहह,,,,,, हां मंजू यहीं पर,,,,औहहहह बहुत दर्द हो रहा है,,,,,,,

(मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जबकि उसका भाई उसे पूरी तरह से इशारा कर चुका था लेकिन फिर भी,,,मंजू अपने भैया की नजर में एक संस्कारी लड़की थी जो मर्यादा से और संस्कारों से गिरी हुई थी इस तरह से खुलकर अपने भाई के अनुसार उसके लंड पर मालिश करना उसके लिए उचित नहीं था इसलिए वह असमंजस में पड़ गई थी,,, वह सोचने लगी थी वह रविकुमार की उठी हुई धोती की तरफ देख रही थी जहां से उसके लंड की जड़ एकदम साफ नजर आ रही थी उसके लंड की जड़ की मजबूती और गोलाई को देखकर,,,, उसकी बुर बर्फ की तरह पिघल रही थी,,, हरीया अपनी बहन की तरफ देख रहा था,,, उसकी असमंजसता को रविकुमार अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह बोला,,,)


क्या हुआ मंजू क्या सोच रही हो मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।


लेकिन भैया,,,,,,



लेकिन क्या मंजू,,,,


मेरी उंगली तो,,,,(इसे आगे कहने की हिम्मत मंजू में जरूर थी लेकिन वह अपने भैया के सामने खुलकर बोला नहीं चाहती थी इसलिए अपने शब्दों को वही रोक दी)


हां मैं जानता हूं मंजू तुम्हारी उंगली मेरे उस पर छु रही है,,,लेकिन मुझे उसी जगह पर बहुत दर्द हो रहा है मुझे मालिश की बहुत जरूरत है इसीलिए तो कह रहा था कि तुम्हारी भाभी होती तो मुझे कोई चिंता करने की जरूरत नहीं थी,,,,।


तो क्या भाभी,,, उसी जगह पर मालिश,,,


तो क्या,,,,, मैंने इसीलिए तो उसे यहां आने के लिए बोला था,,,,, और तुम कहती हो कि भाभी की कमी पूरी कर दूंगी,,,, जाओ तुम से नहीं होगा अपनी भाभी को भेजो,,,,
(मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसका भाई उसे जाने के लिए बोल रहा था लेकिन वह जाने के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह का मौका बार-बार आने वाला नहीं था अगर एक बार वह अपने भैया के साथ चुदवा लेती है तो घर में ही उसे दो दो मर्दों का साथ मिल जाएगा और उसकी बुर कभी प्यासी नहीं रहेगी,,, उसकी प्यास हमेशा बुझती रहेगी और रोज-रोज संभोग कला में नयापन महसूस करेगी,,,, इसलिए वह बोली,,,)


क्या सच में ज्यादा दर्द कर रहा है,,,,


तो क्या इसीलिए तो आज में रेलवे स्टेशन नहीं गया,,,, क्योंकि ठीक से बैठा नहीं जा रहा था,,,,
(अपने भैया की बात कसम तरवा पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी कि उसके भैया सच में आज उसके साथ चुदाई करने का सपना देख रहे थे,,,जो कि अगर वह भी आगे बढ़ेगी तो यह सपना हकीकत में बदल जाएगा जैसा कि वह खुद चाहती थी उसे इस तरह से ख्यालों में खोया हुआ देखकर रविकुमार फिर से बोला)


तुझे विश्वास नहीं होता है तो धोती हटा कर देख क्या हालत हुई है,,,,


मैं,,,(अपने पिया की बात पर एकदम से आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)


तो क्या पगली,,,,


लेकिन भैया,,,,


अरे किसी को कानों कान खबर नहीं पड़ेगा वैसे भी यहां पर देखने वाला कौन है यहां पर कोई आता भी नहीं है,,,,
(रविकुमार पूरी तरह से इस कोशिश में जुटा हुआ था कि उसकी बहन मंजू किसी भी तरह से मान जाए उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ ले बस उसके बाद का रास्ता व खुद तय कर लेगा,,,,) क्या सोच रही हो मंजू क्या तुम मुझे इसी तरह से दर्द में देखना चाहती हो,,,,


नहीं नहीं भैया,,,,,

तो फिर क्या सोच रही हो धोती हटा कर देख लो उसकी हालत को,,,,

(अपनी भैया की बात सुनकर मंजू अपने मन में सोचने लगी कि सती सावित्री बने रहने में कोई भला ही नहीं है और उसका भैया भी यही चाहता है तो वह क्यों ना नूकुर कर रही है उसे कदम लेने का कोई भी फायदा नहीं नजर आ रहा था आखिरकार संभोग सुख से अच्छी तरह से वाकिफ तो उसका खुद का भतीजा ही कराया था एक बार फिर से वह अपनी जवानी अपनी भैया के हाथों में सौंप देगी तो क्या हो जाएगा आखिरकार उसके भैया के हाथों से उसकी जवानी और ज्यादा निखर जाएगी,,,, किस लिए वह अपने मन में ठान ली थी कि जो होगा देखा जाएगा और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों से अपने भाई की धोती को पकड़ कर,,,उसे एक तरफ कर दी और अगले ही पल उसकी आंखों के सामने उसके भाई का लहराता हुआ लंड नजर आ गया,,,,, जो की पूरी तरह से काले काले बालों के झांटो की झुरमुटो से घिरा हुआ था,,,


मंजू की आंखों में चमक आ गई थी आज पहली बार अपने भैया के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,,मंजू लंड को देख रही थी रविकुमार अपनी बहन की खूबसूरत चेहरे के बदलते हाव भाव को देख रहा था उसकी अनुभवी आंखें अपनी बहन की आंखों में आई चमक को बड़े साफ तौर पर देख रही थी,,, रविकुमार की आंखों में बसना की चमक बढ़ने लगी थी,,, अपनी बहन की जवानी देख कर उसके अंदर हवस आ गई थी,,, अब पीछे कदम हटाना दोनों के बस में नहीं था,,,,
उत्तेजना के मारे रविकुमार का लंड लार टपका रहा था जोकि उसके लिंग के छोटे से छेद में से बुंद बनकर उसके लंड की संपूर्ण लंबाई को नाप ते हुए उसकी जड़ को भिगो रहे थे,,,,)

देख रही है मंजू,,,,(अपनी अंदरूनी शक्ति से अपने लंड को आगे पीछे बिना छुए हिलाते हुए) देख कर सब इधर-उधर हो रहा है इसे बहुत दर्द हो रहा है,,,


इसे शांत करने का इलाज क्या है भैया,,,,


इसे शांत करने का इलाज सिर्फ तेरे पास है,,,


मेरे पास,,,,(मंजू अपने भाई साहब के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी बस अनजान बनने का नाटक कर रही थी)


मेरा मतलब है कि तू इसकी मालिश करेगी तो अपने आप शांत हो जाएगा,,,,


क्या सच में ऐसा होगा यह नीचे बैठ जाएगा,,,,


हां यह नीचे बैठ जाएगा तब इसे पूरा आराम मिल जाएगा,,,, तू करेगी ना मालीश,,,,


हां भैया करूंगी लेकिन मालिश क्या पूरे,,,,, सबकी करनी पड़ेगी,,,(अपने भाई के सामने लंड शब्द कहने में उसे शर्म आ रही थी इसलिए उसकी शर्म को दूर करते हुए रविकुमार बोला)

हां मंजू पूरे लंड पर तेल की मालिश करनी होगी,,,
(यह पहला मौका था जब रविकुमार अपनी बहन के सामने गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, ऐसा वह समझ रहा था लेकिन मंजू इससे भी ज्यादा गंदी गंदी बातें अपने भैया भाभी दोनों के मुंह से सुन चुकी थी लेकिन यह सब रविकुमार को नहीं मालूम था और मंजू भी अपनी भैया के मुंह से लंड शब्द सुनकर पूरी तरह से ऊतेजना से गदगद हो गई थी,,,।)

लेकिन भैया कोई देख लिया तो,,,

अरे पगली यहां कौन देखने वाला है,,,,, कोई नहीं देखेगा,,,, यहां पर ऐसे भी आता ही कौन है,,,, (रविकुमार अपनी बहन मंजू को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा था वैसे भी मंजू सबको समझ गई थी बस ना समझने का नाटक कर रही थी उसकी निगाह बार-बार अपने भाई के खड़े लंड पर जो कि आसमान की तरफ आंख उठा कर देख रहा था उसकी तरफ बार-बार चली जा रही थी,,,,मंजू अपने जीवन में पहली मर्तबा अपने भाई का ही लंड देखी थी भले ही दूर से लेकिन उसके भाई का ही लंड उसकी जिंदगी में पहला लंड था,, जिसके भूगोल से आकार से वह पूरी तरह से वाकिफ हुई थी,,,, रविकुमार को तो मौका मिल ही गया था अपने बहन के नंगे पन का दर्शन करने का तभी तो उसके मन में अपनी बहन के ही प्रति वासना ने जन्म लिया,,,, धीरे-धीरे रविकुमार अपनी धोती को अपनी कमर से अलग कर चुका था कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगा था,,,,और अपनी बहन की हालत को बढ़ाने के लिए वह बार-बार रह रह कर अपने लंड की जड़ को पकड़ कर उसे हिला दे रहा था और अपने भाई के हिलते हुए लंड को देखकर मंजू डामाडोल हो रही थी,,,,बुर से निकल रहे काम रस की वजह से उसकी सलवार गीली हो चुकी थी,,,।)

अब सोच क्या रही हो मंजू,,,,, मालिश करो मुझे दर्द से छुटकारा दो,,,,
(मंजू अच्छी तरह से जानती है कि उसके भैया किस दर्द की बात कर रहे हैं,,,, मंजू भी अपने भाई की बात मानते हुए सरसों के तेल की शीशी वापस उठा ली और इस बार वह तेल को अपनी हथेली पर ना गिरा कर सीधे सीसी से तेल की धार को लंड की धार पर गिराने लगी,,,, रविकुमार पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था अपनी खूबसूरत बीवी के साथ ना जाने कितनी बार बार वर्षों से चुदाई करता चला आ रहा था लेकिन आज मंजू की वजह से जिस तरह का उत्तेजना हो उसे अपने बदन में हो रहा था इस अनुभव उसे कभी नहीं हुआ था,,, और ना तो आज तक उसने इस तरह की मालिश करवाई थी,,,,, देखते ही देखते रविकुमार का लंड सरसों के तेल में पूरी तरह से डूब गया,,,,सरसों के तेल की शीशी का ढक्कन लगाकर होगा उसे खटिया के नीचे रखते हुए बोली,,,)

अब,,,,,


अब क्या मालिश करो,,,,


मतलब कि कैसे,,,,,


तुम्हें सब कुछ सिखाना पड़ेगा दोनों हाथ से इसी तरह से तो की जाती है मालिश,,,,


ठीक है भैया,,,


कर लोगी ना,,,, देखो तुमने मुझसे वादा की हो की मुझे तुम्हारी भाभी की कमी महसूस नहीं होने दोगी,,,,


बिल्कुल नहीं भैया भाभी से भी अच्छी तरह से मालिश करूंगी,,,,


तो देर किस बात की है शुरू हो जाओ ताकि जल्द से जल्द मैं इस दर्द से निजात पा सकूं,,,,

ठीक है भैया,,,,(और इतना कहने के साथ ही मंजू अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी भैया के लैंड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे हल्के हल्के मालिश करने लगी मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है अपनी भैया की चुदाई भले ही वह देखा करती थी लेकिन कभी सोची नहीं थी कि इस तरह से वह अपने भैया के लंड की मालिश कर पाएगी,,,,, उत्तेजना से मंजू की बुर का हाल बुरा था,,,. धीरे-धीरे मंजू बड़े अच्छे से मालिश करने लगी थी रविकुमार के लंड की मोटाई वह अपनी पूरी हथेली महसूस कर रही थी उसके लंड की गर्मी से उसकी बुर पिघल रही थी,,,,,,, रविकुमार का पूरा वजूद मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था वह पूरी तरह से अपने आप को सातवें आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रहा था,,,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसकी बहन उसे इतना मजा देगी,,,,आज वह मंजू के हाथों की हरकत को महसूस करके अपनी खूबसूरत बीवी को भूल चुका था,,,,, रिश्ते नातों को वह एक तरफ रख कर मर्द और औरत का खेल खेल रहा था,,,।

अपने भाई के लंड की मालिश करने में मंजू को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, वह अपनी दोनों हथेली में ऊपर नीचे करके अपने भाई के लंड को पकड़े हुए थी अपने मन में यही सोच रहे थे कि सुरज का लंड भले ही इससे थोड़ा मोटा और लंबा है लेकिन उसके भैया का भी लंड लाजवाब है,,,। मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि,,, यहीं लंड उसकी भाभी की बुर में जाता है वह कितना मस्त हो जाती हैं,,, कितने मजे लेने कर इसी लंड को अपनी बुर में लेती है,,,, जरूर उसके भैया उसकी भाभी को पूरी तरह से मजा देते हैं,,,, और यही मजा मंजू खुद लेना चाहती थी,,,, और इस समय वह पूरी तरह से हकदार भी थी ,,,,।

रविकुमार का लंड पूरी तरह से सरसों के तेल में सना हुआ था,, सरसों का तेल पाकर रविकुमार का लंड और ज्यादा बलवान हो गया था,,,, रविकुमार को अपने ऊपर पूरी तरह से विश्वास था वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बहन उसके लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी तो वह अपने लंड से उसे पूरी तरह से मस्त कर देगा,,,, और अभी तक वह अपनी बहन की सहमति को देखते हुए उसे विश्वास हो गया था कि उसकी बहन जरूर उसे आज मस्त कर देगी,,,, मंजू की हाथों में रविकुमार को जादू सा महसूस हो रहा था,,,, इसलिए उसके मुंह से ना चाहती हुए भी हल्की-हल्की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज फुट पड रही थी जिसे सुनकर मंजू और ज्यादा मस्त हुई जा रही थी,,,,।


आहहहहहहह आहहहहहह ओहहहहहहह,,, मंजू तुम्हारे हाथों में तो जादू है,,,,


क्यों भैया,,,,,


बहुत आराम मिल रहा है,,,,


मैं कहती थी ना भाभी से भी अच्छा मालिश करूंगी,,,, मैं कर तो रही हूं ना,,,,


हां मंजू तुम अपनी भाभी से भी अच्छा कर रही हो,,,, ऐसा आराम तो मुझे कभी नहीं मिला,,,,,आहहहहहहह,,,,,,
(सरसों के तेल में सना हुआ रविकुमार का लंड और ज्यादा चमक रहा था मंजू उत्तेजना के मारे अपनी भैया के लंड को अपनी हथेली में जोर जोर से दबा दे रही थी,,,, मुसल जैसे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर मंजू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहे थे उसकी बुर कुल बुला रही थी उसे अपने अंदर लेने के लिए,,,, उसका मन कर रहा था कि अपनी सलवार उतार कर अपनी भैया के लंड पर अपनी गुलाबी बुर रख दे और उसे अपने अंदर ले ले,,,, और शायद उसका यह करना उसके भैया को जरा भी हैरानी महसूस नहीं होने देता क्योंकि उसका भाई भी यही चाहता था लेकिन इस तरह की हिम्मत करने कि उसे अभी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी वह नहीं चाहती थी कि उसकी भैया को किसी भी प्रकार की भनक हो की वह खुद इस खेल को खेलना चाहती है,,, इसलिए वह अपने भैया के लंड की मालिश करते हुए बोली,,,।


इससे ऐसा कौन सा काम कर दिए थे भैया की इतना ज्यादा दर्द कर रहा था,,,,,(मंजू मुस्कुराते हुए अपने भैया के लंड की मालिश करते हुए बोली,,)


क्या बताऊं मंजू जाने दे बताने जैसा नहीं,, है,,


क्यों भैया बताने जैसा क्यों नहीं है


वह कुछ और बात है तुझसे कहा नहीं जाता,,,


वाह भैया,,,, अपने इसकी मालिश करवा रहे हो और बता नहीं पा रहे हो,,,,


बता तो दो लेकिन तू मेरे बारे में गलत समझेगी तो,,,


नहीं समझूंगी,,,, अगर ऐसा कुछ होता तो मैं मालिश नहीं करती चली जाती,,,,,


तो बता दु किस वजह से मेरा लंड दुख रहा है,,,,।
(रविकुमार पूरी तरह से बेशर्म बन चुका था अपनी बहन के सामने लंड शब्द कहने में उसे जरा भी झिझक महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि वह जल्द से जल्द अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच के खजाने को पा लेना चाहता था,,,,, अब दोनों तरफ बराबर से लगी हुई थी रविकुमार बताने के लिए मचल रहा था और मंजू सुनने के लिए तड़प रही थी,,,।)

हां भैया बताओ ना,,,, इतना दर्द क्यों होता है,,,(मंजू अपने भैया के लंड के सुपाड़े पर बराबर से तेल लगाकर मसलते हुए बोली,,, जिससे रविकुमार की आह निकल गई,,,)

तू जिद कर रही हो तो बता देता हूं,,, वो क्या है ना कि तेरी भाभी को धीरे-धीरे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,।
(अपने भैया के मुंह से इतना सुनते ही मंजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गई थी किसके भैया किस बारे में बात कर रहे हैं,, फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,)

धीरे धीरे मैं कुछ समझी नहीं भैया,,,,


अरे पगली इसीलिए तो कह रहा था कि तू नहीं समझेगी,,,


अरे भाई ऐसे कैसे नहीं समझूंगी मैं भी बड़ी हो गई हूं शादी करने लायक हो गई हुं,,, आखिरकार भाभी भी तो एक औरत है और मैं भी एक औरत हम तो भला एक औरत एक औरत की बात क्यों नहीं समझेगी,,,,

(मंजू की बातें सुनकर रविकुमार हंसने लगा वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बहन कितनी भोली है जबकि वह नहीं जानता था कि उसकी बहन सारे खेल खेल चुकी है,,,,)


हां पगली मैं जानता हूं तू अब बड़ी हो गई है,,, लेकिन अभी भी तू उन सब बातों को समझने लायक नहीं है,,,,


क्या भैया समझाओगे तो क्या नहीं समझूंगी,,,,,(उत्तेजना के मारे मंजू अपने भैया के लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबाकर ऊपर की तरफ खींचते हुए बोली मंजू की यह हरकत रविकुमार की उत्तेजना को बढ़ा रही थी)


समझ तो तु जाएगी,,,, लेकिन मुझे डर है कहीं तो कहीं यह बात किसी को बता ना दे अपनी भाभी को ना बता दे,,,,

नहीं नहीं भैया मैं समझदार हूं बेवकूफ थोड़ी हूं जो किसी को भी यह सब बात बता दुं,,,


मतलब तू सच में बड़ी हो गई है,,,


और क्या,,,(मंजू इतराते हुए बोली,,)


अच्छा ठीक है तू कहती है तो मैं बता देता हूं,,,,, तेरी भाभी को धीरे-धीरे से चुदवाना पसंद नहीं है,,,,,
(इस बार रविकुमार एकदम खुलकर बातें करने लगा और अपने भैया के मुंह से चुदाई वाली बात सुनकर मंजू उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, रविकुमार अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अब समझ में आया,,,,

जवाब में मंजू बोली कुछ नहीं बस हल्के से शनीलमगई उसका इस तरह से शर्माना देखकर रविकुमार की उत्तेजना बढ़ने लगी रविकुमार का लंड मंजू की हथेली में कस्ता चला जा रहा था,,,, अपनी भैया के मुंह से चुदवाना शब्द सुनकर वह कुछ ज्यादा ही जोर से अपने भैया के लंड को दबाना शुरु कर दी थी,,,,मंजू अंदर ही अंदर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने भैया के लंड को लेने के लिए उसकी बुर बार-बार कामरस छोड़ रही थी,,,,।


लगता है तू सब कुछ समझ गई,,,,


नहीं नहीं भैया अभी भी कुछ कुछ रह गया है,,,


मतलब,,,,


मतलब यही कि,,,, धीरे-धीरे से मतलब,,,


अरे पगली,,, तेरी भाभी अपनी बुर में मेरा लंड धीरे धीरे से अंदर बाहर नहीं बल्कि एकदम रफ्तार से अंदर बाहर लेना पसंद करती है और इसी चक्कर में मेरा लंड दर्द करने लगता है,,,,

(इस बार तो अपनी भैया के मुंह से एकदम खुले शब्दों में लंड और बुर शब्द सुनकर उसकी बुर अमृत की बूंद टपका दी उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, अपने भैया से नजर मिलाने की ताकत उसमें नहीं थी लेकिन अपनी प्रतिक्रिया वह अपने भैया के लंड को जोर जोर से दबा कर दे रही थी मंजू के हथेली का कसाव अपने लंड पर महसूस करके रविकुमार इतना तो समझ गया था कि उसकी बहन भी मजा ले रही है उसे भी मन करने लगा है,,,,)

अब तो तुझे समझ में आ गया होगा ना,,,

हां भैया,,,,(दूसरी तरफ शर्म के मारे मुंह करके मुस्कुराते हुए बोली) लेकिन भैया भाभी को जोर-जोर से क्यों मजा आता है,,,,


पता नहीं क्यों हो सकता है सभी औरतों को जोर-जोर से ही मजा आता हो,,,,, तूने भी तो कभी,,,,, मजा ली होगी,,,,(इस बार रविकुमार अपने सारे पत्तों को खोल देना चाहता था इसलिए अपनी बहन से ना करने वाली बात वाकई रहा था अपने भाई के मुंह से अपनी इस तरह से खुले शब्दों में बातें सुनकर मंजू की बुर फुदकने लगी थी यह बात सच है कि वह भी मजा ले चुकी थी लेकिन अपने भैया से खुलकर कैसे कह दें इसलिए वह अनजान बनते हुए बोली,,)

नहीं नहीं भैया मैंने आज तक ऐसा वैसा कुछ कि नहीं हूं,,,


लेकिन मंजू तुम जवान हो शादी लायक हो तुम्हारा मन भी तो करता होगा,,,,
(अपनी भैया की यह बात सुनकर बार बोली कुछ नहीं बस खामोश रही तो रविकुमार अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
अच्छा सच सच बताना मंजू देखो यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा,,,,
(अपनी भैया की यह बात सुनकर उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके भैया क्या कहने वाले हैं,,)
मेरा लंड तुम्हें कैसा लग रहा है,,,,
(रविकुमार की बात सुनकर मंजू खामोश रही उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलें,, और कुछ बोल नहीं रही थी इसलिए रविकुमार फिर बोला,,,)
देखो मंजू डरने वाली बात नहीं है तुम जोर जोर से मेरा लंड दबा दे रही हो मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हें भी मजा आ रहा है और हां तुम मालिश तो बहुत अच्छी करती हो मेरा पूरा दर्द खत्म हो गया है,,,, बोलो कैसा लग रहा है,,,


अच्छा,,,,,


पहली बार देख रही हो या पहले भी देख चुकी हो,,,,लंड,,,

पहली बार,,,,(मंजू रविकुमार की तरफ देखे बिना जवाब दे रही थी वह दूसरी तरफ मुंह घुमा कर उत्तर दे रही थी और जोर-जोर से अभी भी अपने भैया के लंड को दबा रही थी,,,)


क्या सच में मंजू तुम इतनी खूबसूरत हो जवान हो तो क्या सच में तुम पहली बार लंड देख रही हो,,,


हां भैया में पहली बार देख रही हुं।
(मंजू की बातें सुनकर रविकुमार का सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मंजू की बातें उसे उत्तेजित कर रही थी और यह जानकर कि वह पहली बार एक मर्द का लंड देख रही है वो और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,)


तुम्हें डर तो नहीं लग रहा है ना,,,


नहीं भैया बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है बल्कि ना जाने क्यों अच्छा लग रहा है,,,


ऐसा ही होता है मंजू तुम एक जवान लड़की हो इसलिए लंड को पकड़ना तुम्हें अच्छा लग रहा है,,,, लेकिन क्या तुम्हें जरा भी डर नहीं लग रहा है,,,,


किस बात का डर भैया,,,,


अरे मेरा मतलब है कि मेरे लंड की मोटाई और लंबाई तो तुम देख रही हो और इसमें कोई शक नहीं है कि तुम अपनी बुर का छेद भी अच्छी तरह से जानती हो,,,,(रविकुमार अपनी बहन की बुर का नाम अपने होठों पर लाते हैं वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगा उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और यही हाल मंजू का था क्योंकि वहां सीधे-सीधे उसकी बुर के बारे में बोल रहा था,,,,, मंजू अच्छी तरह से समझ गई थी कि अब पूरी तरह से खुलने में ही मजा है शर्म आने से काम चलने वाला नहीं है,,,, रविकुमार अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) लंड की तुलना में तुम्हारी बुर का छेद बहुत छोटा है,,,, छोटा है ना मंजू,,,,


हां भैया,,,,,


तो तुम्हें डर नहीं लग रहा है कितना मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से छेद में जाएंगा कैसे,,,


मैं भी यही सोच रही थी,,,,, मेरी उसका छेद बहुत छोटा है,,,,


खुल कर बोलो ना मंजू जैसे मैं कह रहा हूं किस का छेद छोटा है,,,,
(मंजू बोली कुछ नहीं बस खामोश रही)

क्या हुआ चुप क्यों हो बोलो ना किस का छेद छोटा है,,,

(मंजू अच्छी तरह से समझ गई थी कि आज दूसरी बार उसकी बुर का उद्घाटन उसके ही बड़े भैया के लंड से लिखा है इसलिए सरमाया सब कुछ त्यागना होगा तभी वह मजा ले पाएगी इसलिए वह बोली,,,)

मेरी बबबबब,, बुर का,,,,


आहहहहहह,,,, देखो तुम्हारे मुंह से बुर शब्द सुनकर कितना मजा आ जाता है,,,,


लेकिन मुझे बहुत शर्म आ रही है,,,,


शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है मंजू,,,, अच्छा तुम देखना चाहती हो कि मोटा लंड छोटे से छेद में जाता कैसे हैं,,,,


हां देखना चाहती हूं,,,, लेकिन कैसे,,,,


इसके लिए तुम्हें मेरा साथ देना होगा,,,,


मैं कुछ समझी नहीं,,,,
(मंजू सब कुछ समझ रहे थे लेकिन ना समझने का सिर्फ नाटक कर रही थी उसे भी बहुत मजा आ रहा था वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी अभी भी उसके भाई का लंड उसके हाथ में था जिसे वह अब हीलाना शुरू कर दी थी,,,)

समझ जाओगी,,,, लेकिन पहले बोलो मेरा साथ दोगी कि नहीं,,,,

दूंगी,,,,


तो सच सच बताना मेरे लंड की मालिश करते हुए तुम्हारी बुरा पानी छोड़ रही है कि नहीं,,,,


मुझे नहीं पता,,,(मंजू शरमाते हुए बोली वह अपनी बुर की हालत को अच्छी तरह से समझ रही थी उसकी बुर पानी पानी हो गई थी,,,)


लेकिन मुझे पता है,,,,


तुमको कैसे पता भैया,,,,


आखिरकार मैं एक मर्द हूं और एक औरत के बदन में क्या क्या बदलाव कब होता है यह अच्छी तरह से जानता हूं,,,


लेकिन मुझे तो नहीं लग रहा है कि तुम जो कुछ भी कह रहे हो वह सच है,,,,


मैं जो कुछ भी कह रहा हूं उसमें बिल्कुल सच्चाई है देखना चाहती हो,,,,


दिखाओ,,,,(मंजू अब पूरी तरह से मैदान में उतर जाना चाहती थी इसलिए वह अपनी तरफ से पूरी छूट दे रही थी)


लेकिन यह बात किसी को भी मत बताना,,,


नहीं बताऊंगी,,,,,



तो फिर अभी बताता हूं कि मैं कितना सच कह रहा हूं,,,( इतना कहने के साथ ही रविकुमार उठ कर बैठ गया और अपने हाथ को सीधे अपनी बहन को मंजू की दोनों टांगों के बीच डालकर सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर को टटोलने लगा,,,, उसकी सलवार पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बुर से निकले काम रस का गीला पन उसे अपनी उंगलियों पर भी महसूस होने लगा था,,,, वह अपनी गिरी उंगली को वापस खींच कर उस पगली को मंजू की आंखों के सामने लाते हुए बोला,,,) देख मंजू तेरी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,,
(मंजू अपनी भैया की उंगलियों में लगी अपने काम रस को देखकर एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई,,, और शर्मा कर मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ नजर फेर ली और बोली)

धत मुझे शर्म आ रही है,,,,


इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है यह तो प्राकृतिक रूप से होता है सब को होता है लेकिन अभी भी तुम्हारी शंका दूर नहीं हुई है ना,,,


कौन सी शंका भैया,,,


यही कि तुम्हारे छोटे से छेद में इतना मोटा लंबा लंड जाएगा कैसे,,,

हां यह शंका तो अभी भी दूर नहीं हुई,,,



दूर करना है,,,,

हां,,,,, लेकिन कैसे ,,,?


हम दोनों को झोपड़ी में चलना होगा,,,,,


कोई आ गया तो,,,(किसी की आने की शंका को जताकर मंजू अपनी तरफ से पूरी स्वीकृति दे दी थी और रविकुमार अपनी बहन के सामान तरण को पूरी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला,,)

तुम चिंता मत करो यहां कोई आने वाला नहीं है,,,, बस तुम यह बताओ की झोपड़ी में चलने के लिए तैयार हो की नहीं,,,


तैयार हु,,,(अब मंजू पूरी तरह से मजा लेने के लिए तैयार थी,,, सुरज से तो रोज ही चुदवा कर मजा ले रही थी लेकिन आज अनुभवी हाथों में अपनी जवानी देना चाहती थी,,, अपनी बहन का जवाब सुनते ही रविकुमार जिस हाल में था उसी हाल में खटिया पर से नीचे उठा और तुरंत अपनी बहन के पास पहुंचकर उसे अपनी गोद में उठा लिया मंजू इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए वह पूरी तरह से हैरान हो गई और वह उसे गोद में उठाए हुए झोपड़ी के अंदर जाने लगा रविकुमार का लंड लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था,,, इसलिए सलवार के ऊपर से ही गांड पर ठोकर मारने लगा अपनी गांड पर अपनी भैया के लंड की ठोकर महसूस करके वह पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी देखते ही देखते रविकुमार उसे झोपड़ी के अंदर लेकर आ मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि अब झोपड़ी के अंदर कौन सा खेल शुरू होने वाला है,,,, मंजू जवान खूबसूरत लड़की थी और रविकुमार इस खेल में पूरी तरह से माहिर मंजू को पूरा यकीन था कि उसका भाई अपने अनुभव से उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा,,,, झोपड़ी के अंदर पहुंचते ही रविकुमार मंजू को अपनी गोद में से नीचे उतारा और उसे अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी अपने भैया के हाथ को का पूरे बदन पर महसूस कर रहे थे सलवार के ऊपर से ही वह अपनी बहन की गांड को जोर जोर से दबा रहा था उसके लंड की ठोकर उसे अपनी टांगों के बीच में सो रही थी जिससे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचते चली जा रही थी,,, थोड़ी ही देर में रविकुमार अपनी हथेली को अपनी बहन के साथ खूबसूरत बदन के कोने-कोने तक पहुंचा रहा था वह कुर्ती के ऊपर से अपनी बहन की चूचियों पर हाथ रखकर जोर जोर से दबा कर उसके मंजू होठों का आनंद ले रहा था,,,, स्तन मर्दन की मदहोश कर देने वाली अनुभूति सेवा पूरी तरह से उत्तेजित होने जा रहे कोई और ना चाहते हुए भी एक बार फिर से अपने भाई के लंड को पकड़ कर दबा रही थी उसका मन तो कर रहा था कि खुद ही अपनी सलवार उतार कर अपने भाई के लंड पर सवार हो जाए लेकिन ऐसा कर सकने से वह बच रही थी,,,,)

आहहहह भैया,,,,


क्या हुआ बहना दर्द कर रहा है क्या,,,

हां भैया,,,


तू चिंता मत कर मजा भी बहुत आएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह सलवार की डोरी को खोलने लगा,,, रविकुमार अपनी बहन की सलवार की डोरी को खोल कर उसे उसी स्थिति में छोड़ दिया और पल भर में ही मंजू की सलवार उसके कदमों में जाकर ई कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई रविकुमार औरत की खूबसूरत बदन से खेलना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अगले ही पल अपनी हथेली को अपनी बहन की देखती हुई बुर पर रखकर सहलाने लगा जो की पूरी तरह से पानी पानी हुई थी उसकी हथेली भी पूरी तरह से मंजू के काम रस में डूब गई,,,, मंजू को बहुत मजा आ रहा था,,,।

आहहहहह भैया,,,


कैसा लग रहा है मंजू,,,


बहुत अच्छा लग रहा है भैया,,,

अभी तो और मजा आएगा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही वह खुद अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपनी बहन के दोनों टांगों को ऊपर कैसे खोलकर एक नजर भर कर अपनी बहन की गुलाबी बुर को देखने लगा जो कि बहुत खूबसूरत थी,,,, रविकुमार का मन कर रहा था कि उसे खा जाएं उसकी खूबसूरती उसे भा गई थी,,, रविकुमार अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच के खजाने को देख रहा था और मंजू अपने भैया को देख रही थी दोनों की स्थिति एक जैसी ही थी दोनों उतावले थे,,, लेकिन रविकुमार मैं सब्र पूरी तरह से था वह जानता था कि किस तरह से मजा लिया जाता है और मजा दिया जाता है इसलिए अगले ही पल अपने होठों को अपनी बहन की बुर पर रख दिया,,,मंजू को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी और पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और इसी के साथ उसकी कमर भी आगे की तरफ बढ़ गई जिसे रविकुमार अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसके नितंबों को अपने दोनों हथेली में जोर से थाम लिया और भूखे की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,,,।

ऊमममममममम,,,,,,आहहहहहहहहह,,,ऊमममममममम,,,सहहहहहहहरह,,,ओहहहहह भैया,,,,(मंजू के सब्र का बांध टूट चुका था वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने भैया के सिर पर हाथ रख दिया और उत्तेजना के मारे खुद ही उसे अपनी दोनों टांगों के बीच खींचने लगी रविकुमार बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी हरकत की वजह से मंजू को बहुत मजा आ रहा था और यही तो मैं चाहता था बड़े आराम से और उसकी दोनों टांगों के बीच विजय प्राप्त कर लिया था,,,, अपनी जीभ से मंजू गुलाबी बुर से खेल रहा था,,, अपनी जीभ की

नोक से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेद रहा था,,, जिससे मंजू को असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, रविकुमार यही समझ रहा था कि उसकी बहन का यह पहली बार है वह इस बात से पूरी तरह से अनजान था कि उसकी बहन उसके भांजे से चुदवा रही थी,,, रविकुमार बहुत खुश था कि उसके हाथ एक कुंवारी खूबसूरत जवान लड़की लगी थी जिसकी जवानी को वह होले होले से पी रहा था,,, जितना हो सकता था रविकुमार अपनी जीभ को बुर के अंदर डालकर उसकी मलाई चाट रहा था,,,, घास फूस की बनी झोपड़ी में पल भर में ही मंजू की गरम सिसकारियां गुंजने लगी उसे बेहद आनंद आ रहा था,,,,।

रविकुमार अपनी बहन की बुर को जीभ से चाटते हुए अपने लंड के लिए रास्ता बनाने के लिए अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश कर दिया उसे ऐसा लग रहा था कि वह अपने लिए रास्ता बना रहा है लेकिन वह यह नहीं जानता था कि उससे भी मोटा और लंबा लंड उसकी बुर की गहराई को रोज नाप रहा था,,,। अपने भैया की ऊंगली को अपनी बुर के अंदर महसूस करके मंजू पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी रविकुमार अपनी उंगली को बुर के अंदर गोल गोल घुमा रहा था जिससे मंजू को समझते देर नहीं लगी थी कि उसका भैया अपने अनुभव का पूरा उपयोग दिखा रहा है,,,, मंजू गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,।

कुछ देर तक झोपड़ी के अंदर रविकुमार अपनी बहन की जवानी का रस चूसता रहा,, उसे लगने लगा था कि उसने अपने लिए रास्ता बना लिया है इसलिए खड़ा होकर उसकी कुर्ती को भी उतारने लगा और उसका साथ देते हुए मंजू भी अपने दोनों हाथों को ऊपर कर दी ताकि वह उसकी कुर्ती को आराम से निकाल सके अगले ही पर मंजू पूरी तरह से उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी थी,,,, यह पहला मौका था जब रविकुमार अपनी बहन को अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देख रहा था अपनी बहन की मदमस्त कर देने वाली जवानी देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था उसका लंड लार टपका रहा था,,,, छातियों की शोभा बढ़ाने उसके दोनों नारंगी यों को देखकर उसकी प्यास बढ़ने लगी और अगले ही पल का अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की एक नारंगी को अपनी हथेली में दबाते हुए बोला,,,।


मंजू तेरी चूची में बहुत रस भरा हुआ है,,,,
(इतना सुनकर मंजू के मंजू गाल सुर्ख लाल हो गए वह कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म आने लगी,,)

अब कैसा लग रहा है मंजू,,

बहुत मजा आ रहा है भैया,,,,,


इस खेल में बहुत मजा आता है,,,, बस इस बारे में तुम किसी को कुछ भी मत कहना,,,


मैं किसी को कुछ भी नहीं कहूंगी,,,,


तुम बहुत अच्छी लड़की हो,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ से एक चूची दबाते हुए दूसरी चूची पर अपना मुंह ढक दिया और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,, मंजू की चूचियों की निप्पल अंगुर के दाने की तरह रस से भरी हुई थी और एकदम कड़क हो गई थी,, जिसे रविकुमार बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर उसका स्वाद ले रहा था,,,,

सरहहह आहहहहहह ऊईईईईईई मां,,,,,ऊहहहहहहह,,,

( झोपड़ी के अंदर मंजू की गनीलमगरम सिसकारियां गूंज रही थी और उसकी सिसकारियां की आवाज सुनकर रविकुमार की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह बारी बारी से है मंजू की नारंगी ओ का रस पी रहा था,,,,)

भैया तुम भाभी के साथ भी इसी तरह से करते हो क्या,,,


तो क्या इसी तरह से तेरी भाभी को बहुत मजा आता है,,,


लेकिन भाभी की तो चूचियां बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,


पहले थोड़ी थी जब शादी करके आई थी तो तेरे जैसी ही थी वह तो हमें उस पर इतनी मेहनत करके जोर जोर से दबा दबा कर पीकर उसे एकदम मस्त कर दिया हूं,, अब देखना तेरी भी बड़ी-बड़ी हो जाएगी,,,(अपनी भैया की बात सुनकर मंजू शर्माने लगी,,,, रविकुमार अपनी बहन की नंगी जवानी से पूरी तरह से खेलना चाहता हूं दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपने घरों में आराम कर रहे होते हैं और ऐसे में रविकुमार अपनी बहन की जवानी से खेल रहा था वह भी खेत के बीचो बीच,,,,,,अपनी बहन की नंगी जवानी से खेलने के लिए रविकुमार भी अपना कुर्ता उतार कर फेंक दिया दोनों एकदम नंगे हो गए,,,, रविकुमार अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए बोला,,,)


अब देखना मंजू मेरा लंड तुम्हारी गुलाबी बुर में कैसे आराम से घुस जाता है,,,,


क्या तुम सच कह रहे हो भैया,,,(लंड की तरफ देखते हुए)मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कितना मोटा लंड मेरी छोटे से छेद में जाएगा कैसे,,,


चला जाएगा मंजू बड़े आराम से चला जाएगा बस एक बार तुम इसे मुंह में लेकर चुस लो इसे गीला कर दो तब देखना कितने आराम से जाता है,,,,
(मंजू का भी मन अपने भैया के लंड को मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था लेकिन वह इतनी जल्दी तैयार कैसे हो सकती थी इसलिए जानबूझकर नाटक करते हुए बोली,,)

धत् ,,,,,ऐसा कहीं किया जाता है क्या,,,,


अरे तो क्या तेरी भाभी भी तो ऐसा करती है वह तो अपने आप ही मुंह में लेकर चूसना शुरू कर देती है,,,क्योंकि वह जानती है कि ऐसा करने पर बड़े आराम से बुर में घुसजाता है,,,


क्या सच में ऐसा होता है,,,

कुछ नहीं कुछ नहीं मंजू कुछ नहीं,,, बस थोड़ा सा सब्र रख,,, अभी देखना कितना मजा आता है,,(पर इतना कहने के साथ है कि वह आगे की तरफ झुक कर अपनी बहन की चूची को मुंह में भर लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया वह इस तरह से उसे आनंद देने की कोशिश कर रहा था ताकि वह फिर से उत्तेजित होने लगी और बारी-बारी से उसके दोनों कश्मीरी सेव को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया मंजू को अभी भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद वह ऐसा नाटक करने लगे कि उसे अपनी भैया की चूची चटाई पर बहुत मजा आ रहा है और वह धीरे-धीरे गरम सिसकारी लेने लगी और उसकी गर्म सिसकारी को सुनकर रविकुमार बोला,,,)


अब कैसा लग रहा है मंजू,,,


बहुत अच्छा लग रहा है भैया,,,

मैं कहता था ना बहुत मजा आएगा,,,, बोलो तो आगे बढ़े वरना निकाल लो,,,।


नहीं नहीं भैया ऐसा मत करना निकालना नहीं,,,


तो बोलो ना अब क्या करूं,,,


वही जो भाभी के साथ करते हो,,,


भाभी के साथ क्या करता हूं जरा अपने मुंह से तो बताओ,,,

चुदाई,,,,(मंजू एकदम परिसर में बनते हुए बोली क्योंकि से बहुत मजा आ रहा था और अपने भैया के तेज झटकों को अपनी बुर के अंदर महसुस करना चाहती थी,,, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह बोली,,) चोदो भैया मुझे चोदो,,,,


अपनी बहन की मदहोशी और उसकी बात सुनकर रविकुमार के होठों पर मुस्कान आ गई और वह बोला,,,


यह हुई ना बात अब देखना कितना मजा आता है,,,
(और इतना कहने के साथ ही रविकुमार अपने लंड को अंदर बाहर करके अपनी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया झोपड़ी के अंदर भाई-बहन का पवित्र रिश्ता तार-तार हो रहा था लेकिन इस रिश्ते के बारे में अब दोनों को बिल्कुल भी परवाह नहीं थी बस आप वह दोनों भाई बहन नहीं बल्कि एक मर्द और औरत हो चुके थे,,,, रविकुमार धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, बार-बार वह अपनी बहन की चूची को मसलते हुए उसे मुंह में लेकर पीना शुरु कर दे रहा था,,, मंजू को बहुत मजा आ रहा था भले ही सुरज से उसके लंड से थोड़ा पतला हो थोड़ा छोटा था लेकिन अनुभव से भरा हुआ था,,,,,

फच फच की आवाज से पूरी झोपड़ी गुंज रही थी,,,, मंजू अपने भाई का साथ देते हुए अपने हाथ को आगे बढ़ा कर उसकी गोटियों को सहला रही थी और बार-बार थोड़ा ऊपर नजर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देख ले रही थी,,,वह बड़े आराम से अपनी बुर में अपने भैया का लंड अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी,,,,। रविकुमार रह रह कर बड़ी तेजी से धक्के लगाता था और फिर एकाएक अपनी रफ्तार को कम कर दे रहा था वह यह जताना चाहता था कि औरतों को तेज धक्के में ही ज्यादा मजा आती थी,,,, मंजू का खूबसूरत चेहरे को जो कि पसीने से पूरी तरह से तरबतर हो चुका था उसे देखते हुए बोला,,,।


बोलो मेरी बहन कैसा लग रहा है,,,


बहुत अच्छा लग रहा है भैया ऐसा सुख मैं कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे मिलेगा,,,,(रविकुमार जानबूझकर धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था इसलिए मंजू बोली) धीरे-धीरे नहीं भईया जोर जोर से धक्के लगाओ,,,
(इतना सुनते ही रविकुमार मुस्कुराने लगा और बोला)

देखी मैं कहता था ना तेज धक्के में ही ज्यादा मजा आता है,,,।


हां भैया तुम सच कहते थे तेज धक्कों में ही ज्यादा मजा आता है लेकिन कहीं तुम्हारा लंड फिर से दुखने लगा तो,,,


कोई बात नहीं तू है ना मालिश कर देगी,,,
(इस बात पर दोनों हंसने लगे दोनों को बहुत मजा आ रहा था रविकुमार एक ही स्थिति में है अपनी बहन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था मंजू को यकीन नहीं हो रहा था कि रात को बाहर छोटे से छेद से देख कर मस्त हो जाती थी और अपनी भाभी की जगह अपने आप की कल्पना करती रहती थी वह दृश्य इस कदर वास्तविक में बदल जाएगा,,)

और मंजू में कहता था ना कि देखना तेरे छोटे से छेद में मेरा मोटा लंड आराम से चला जाएगा,,,


हां भैया तुम सच कहते थे मुझे तो इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था लेकिन तुम मुझे लगता है धीरे-धीरे सब कुछ सिखा दोगे,,,


तू चिंता मत कर मैं तुझे धीरे-धीरे इस कला में माहिर खिलाड़ी बना दूंगा,,,,(और इतना कहकर जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,)

भैया धक्का लगाते हुए मेरी चूची को पियो मुझे और मजा आता है,,,।


क्या बात है मंजू ले तेरी ख्वाहिश अभी पूरी कर देता हुं,,,( और इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन पर झुक गया और उसकी चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया साथ ही अपने धक्कों को भी जारी रखा,,,,इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी लेकिन दूसरी बार वह झड़ने के बेहद करीब पहुंच चुकी थी जिसकी वजह से उसकी गरम सिसकारियां की आवाज और ज्यादा तेज हो गई और उसके बदन अकड़ने लगा,,,)

ओहहह भैया मुझे कुछ हो रहा है,,,आहहहह और जोर जोर से धक्के लगा ओ,,,आआआाहहहहहह,आहहहहहह
(हर यह समझ गया था किसकी बहन का पानी निकलने वाला है इसलिए अपने धकको को तेज कर दिया था क्योंकि वह भी चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुका था,,, और वह भी देखते ही देखते जबरदस्त दो चार धक्कों के बाद दोनों का पानी एक साथ निकल गया,,, रविकुमार अपना पानी निकालते समय अपनी बहन को जोर से अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया था और मंजू भी अपनी बाहों का कसम अपने भैया की पीठ पर बढ़ा दी थी दोनों एक साथ झड़ने लगे थे और रविकुमार अपनी बहन के ऊपर ढेर हो गया,,,,मंजू पूरी तरह से मस्त हो चुकी रविकुमार भी ईस नए पन से पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, थोड़ी देर बाद रविकुमार उठा और अपने कपड़े पहनने लगा,,, वासना का तूफान थम चुका था इसलिए शर्म के मारे अपने भैया से नजर नहीं मिला पा रही थी रविकुमार मंजू कि मनो स्थिति को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह बिना कुछ बोले झोपड़ी के बाहर निकल गया,,,मंजू जल्दी से अपने कपड़े पहने लगी वह मन ही मन मुस्कुरा दे रहे थे क्योंकि अब घर में ही उसे दो लंड मिल चुके थे जिससे वह जब चाहे तब अपनी प्यास बुझआ सकती थी,,,, वह कपड़े पहन कर झोपड़ी से बाहर निकली और बिना रुके जाते-जाते बोली,,,।


भैया खाना खा लेना और बर्तन लेकर आना मैं जा रही हूं,,,
(रविकुमार अच्छे से समझ रहा था कि उसकी बहन शर्मा रही है इसलिए रुकना नहीं चाहती और वह कुछ बोला भी नहीं,,, मंजू के चले जाने के बाद वह खाना खाकर कुछ देर तक वही आराम किया और वापस घर आ गया,,।)
 
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मंजू पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने बड़े भैया से चुदवाएगी,,, क्योंकि वह अपने बड़े भैया की बहुत इज्जत करती थी उसके बड़े भैया भी उसका हर तरह से ख्याल रखते थे एक अपनी बेटी की तरह ही उसका पालन पोषण करके उसे बड़ा किए थे इसलिए मंजू के मन में अपने भैया के लिए बहुत इज्जत थी,,,, लेकिन वक्त और हालात के साथ रिश्ते भी बदलते रहते हैं ऐसा ही मंजू के साथ भी हुआ था,,। वह वक्त ,,माहोल और अपनी उपासना के अधीन होकर,,, अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी जिसने उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई थी,,,,,पहले अपनी भतीजी के साथ और सिर्फ अपने बड़े भैया के साथ शारीरिक संबंध बना कर वो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,

जिस अद्भुत काम क्रीडा को वह दीवार के क्षेंद से देख कर आनंदित होती थी और अपने हाथों से अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती थी अब उसी काम क्रीड़ा का वह भरपूर मजा लूट रही थी,,,,,,,

रविकुमारका मन कभी-कभी अपनी छोटी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद कुंठित होने लगता था वह अपने आप पर गुस्सा करने लगता था,,, वह अपने मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहा था,,, बार बार सोचता था कि आखिरकार वह ऐसा क्यों किया,,,, उसके मन में डर पैदा होने लगा कि अगर यह बात किसी को पता चल गई तो समाज में उसकी क्या इज्जत रह जाएगी वह तो कहीं का नहीं रहेगा,,,,फिर ऐसी गलती नहीं करेगा ऐसी कसम खाकर वहां अपनी दिनचर्या में लगा हुआ था,,,। धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,शुरु शुरु में तो वह मंजू से नजर तक नहीं मिला पाता था उससे बात करना छोड़ दिया था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह अपनी बहन के सामने आएगा तो कहीं उसका मन फिर ना बदल जाए क्योंकि वह अपनी बहन की खूबसूरती का रस पहले ही पी चुका था वह अपनी बहन की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ था वह अपनी बहन के बदन के हर एक अंग से वाकिफ हो चुका था उसमें से झड़ रहे मदन रस का वह रसपान कर चुका था,,,, इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं वह दोबारा,, अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध ना बना ले,,, इसलिए वह मंजू से कतराता रहता था,,,।

मंजू को अपनी और अपने बड़े भैया के बीच की शारीरिक संबंध को लेकर किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था,,, वह तो इस रिश्ते के चलते बहुत खुश थी वरना वह आपने शादी का इंतजार कर रही थी कि कब उसकी शादी हो और कब उसे रोज चुदवाने को मिले लेकिन अब घर में ही दो दो लंड का बंदोबस्त हो चुका था हालांकि अपने भैया के साथ एक ही बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन रोज रात को अपने जवान भतीजे के साथ अपनी बुर की गर्मी शांत करती थी,,,,,,,।

सुरज और कजरी के बीच चुदाई का खेल बिना किसी रूकावट के जारी था ,,, जिसकी भनक अब तक किसी को भी नहीं थी,,,, लेकिन सुरज के मन में गौरी बस गई थी,,,,,, उसका सादगी पर उसका भोलापन पूरी तरह से उसे अपना दीवाना बना दिया था,,,, दिन-रात सुरज के जेहन में केवल गौरी ही नाच रही थी,,, सुरज बार-बार उस दृश्य को याद करके मस्त हो जाता था जब वह शुभम को बुलाने के लिए उसके घर पहुंचा था उसे अंदाजा नहीं था कि शुभम के घर पर उसे बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा,,,,। बार-बार गौरी का नंगा बदन सुरज के जेहन में उत्तेजना की लहर दौडा रहा था,,, सुरज कभी सोचा भी नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिलेगा,,,,,, गौरी से उसकी मुलाकात बहुत ही कम होती थी लेकिन तब उसका नजरिया एकदम साफ सुथरा था लेकिन जब से औरतों की संगत में पड़ा था तब से उसका औरतों लड़कियों को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया था,,, गौरी को एकदम नंगी नहाता हुआ देख कर पहली बार से ऐसा हुआ था कि गौरी बिना कपड़ों के बेहद खूबसूरत लगती है उसका अंग-अंग तराशा हुआ था,,,। खास करके उसकी गोलाकार खरबूजे जैसी मदमस्त कर देने वाली गांड जो कि बेहद नपे तुले आकार में थी,,,। जिसे देखते ही सुरज की आंखों की चमक बढ़ गई थी,,। सुरज का मन उस समय गौरी की नंगी गांड को अपने दोनों हाथों ने दबोचने को कर रहा था,,,लेकिन ऐसा कर सके नहीं कि उसने हिम्मत उस समय बिल्कुल भी नहीं हो रही थी काफी देर तक गौरी उसी अवस्था में नंगी नहाती रही उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि पीछे खड़ा सुरज उसके खूबसूरतयौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
सुरज के कानों में बार-बार उसके कहे गए शब्द मिश्री से भूल जाते थे जब वह उसे से कही थी कि देख लिया ना अब जा,,,लेकिन सुरज उसके कहे गए गई इन शब्दों का मतलब समझ नहीं पा रहा था,,, दिन रात वह गौरी के उन शब्दों का मतलब को ढूंढता रहता था लेकिन उसे किसी भी प्रकार का निष्कर्ष नहीं मिल पा रहा था,,,, लेकिन वह अपने मन में यही विचार करता था कि,,, अगर उसकी जगह कोई और लड़की होती तो उसे भला-बुरा कहती उसे डांटती उसे धमकाती,,, क्योंकि वह उसे नग्नावस्था में देख रहा था,,,लेकिन उसका यह कहना कि देख लिया ना अब जा इसी के मतलब को वह समझ नहीं पा रहा था,,,,वह फिर अपने

ही मन में यही सोचता रहता कि क्या गौरी जानबूझ कर उसे अपने नंगे बदन का दर्शन करा रही थी,,,, क्योंकि जब वह उसे नहाते हुए देखा था तब उसकी पीठ दरवाजे की तरफ से और चेहरा सामने की तरफ ऐसे में सिर्फ उसके मदमस्त कर देने वाली चिकनी पीठ के साथ-साथ उसकी खूबसूरत गांड नजर आ रही थी,,, लेकिन सुरज की तरफ देखने पर भी वह अपने बदन के किसी भी हिस्से को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वो जानबूझकर अपने दोनों नारंगीयो के साथ-साथ अपनी लहसुन को दिखा रही हो,,, और सुरज भी इस भरपूर नजारे का पूरा मजा लेते हुए उसके बदन के हर एक अंग के नाप को अपनी आंखों से नाप लिया था ,,,। उसके लाल लाल होठ उसकी खूबसूरत मुस्कान सब कुछ सुरज अपने आंखों में और अपने दिल में कैद कर लिया था,,,। इसलिए तो जब जब गौरी की याद आती थी उसके पहचानने में तंबू बन जाता था और इस समय भी उसका यही हाल था,,,वह किसी ना किसी बहाने शुभम के घर जाने लगा था लेकिन उसे गौरी कहीं नजर नहीं आती थी,,,, उत्तेजना के मारे उसके बदन में आग लगी हुई थी,,, इसीलिए वह सुधियां काकी के घर पहुंच गया,,,। क्योंकि इस समय सुधियां काकी ही उसके बदन की गर्मी को शांत कर सकती थी वैसे भी,,, सुरज की संभोग गाथा में सर्वप्रथम सुधियां काकी का ही वर्णन था और वही उसे संभोग कला सिखाने मैं मदद की थी,,,,।


थोड़ी ही देर में सुरज सुधियां काकी के घर के बाहर दरवाजे पर पहुंच गया और बाहर से ही आवाज लगाते हुए बोला,,,।


सुधियां काकी वो सुधियां काकी घर पर हो कि नहीं,,,।
(इस आवाज को सुधियां काकी की बहू नीलम अच्छी तरह से पहचानती थी,,, वह समझ गई कि सुरज आया है,,, उसके बदन में गुदगुदी होने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझती थी कि उसका घर पर आने का क्या मकसद होता है वह जरूर सासु मां को चोदने है इस ख्याल से ही उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,वह गेहूं साफ कर रही थी,,,, इस समय घर पर उसकी सांस नहीं थी इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगी,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें,,,, फिर से आवाज आई,)


सुधियां काकी,,,,,, सुधियां काकी,,,,,,।
(तभी दरवाजा खुला और सामने सुधियां काकी की बहू नीलम नजर आई वह बड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजा खुली थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि सुरज उसकी सास की चुदाई करने के लिए ही आया है और इस समय उसकी सास नहीं है पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा होगा,,, अपनी सास की गैरमौजूदगी में नीलम का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके भी अरमान मचल रहे थे क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसका पति घर पर नहीं था ऐसे में उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होना जायज था,,,,)

माजी तो घर पर नहीं है,,,,


कहां गई है काकी,,,,


किसी काम से गई हैं समय लग जाएगा,,,,



ठीक है तो मैं चलता हूं फिर कभी आ जाऊंगा,,,,(बड़े गौर से घूंघट के अंदर के खूबसूरत चेहरे को देखने की कोशिश करता हुआ सुरज बोला लेकिन घूंघट की वजह से उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसकी गोलाकार छातियां जवानी की पूरी किताब के पन्ने पलट रही थी जिसे ऊपर से ही पढ़ कर सुरज मस्त हुआ जा रहा था,,,,)


कोई काम था क्या,,,?


नहीं ऐसे ही काकी से बस मिलने आया था यहीं से गुजर रहा था तो अब नहीं है तो फिर कभी आ जाऊंगा,,,


अरे ऐसे कैसे जा रहे हो,,, मैं तो हूं ना,,,,,अगर मां जी को पता चला कि तुम आए थे और बिना रुके चले गए तो हो सकता है मुझ पर नाराज हो जाए इसलिए पानी पी कर ही जाना,,,,,,,।


ठीक है नीलम भाभी तुम इतना कहती हो तो पी लेता हूं,,,,


आ जाओ,,,,(इतना कहने के साथ ही नीलम एक तरफ खड़ी हो गई ताकि सुरज अंदर आ सके और सुरज भी कमरे के अंदर प्रवेश कर गया,,,, सुरज के कमरे में प्रवेश करते ही नीलम दरवाजा बंद कर दि,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, घर में केवल नीलम और सुरज ही थे,,,और नीलम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वैसे ही उसकी गैरमौजूदगी में उसकी सांस उसे घर में अपने कमरे में बुलाकर जबरजस्ती दवाई थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर पानी पानी हो गई थी नीलम अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी सास उम्र दराज होकर भी एक जवान लड़के का लंड लेकर ईतनी मस्त हो गई थी,,तो वह तो अभी पूरी तरह से जवान है उसके साथ सुरज क्या करेगा,,,,। इस बात को सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, धड़कते दिल के साथ नीलम दरवाजा बंद कर दी,,,,, और सुरज खुद ही खटिया गिरा कर उस पर बैठ गया,,, जब वह दरवाजा बंद कर रही थी तो सुरज की प्यासी नजरें उसकी उभरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी,,,, औरतों की संगत में अब सुरज को हर एक औरत में केवल अपनी प्यास बुझाने का सामान ही नजर आता था,,, नीलम की उभरी हुई गांड सुरज के पजामे में हलचल मचाने लगी,,,, दरवाजा बंद करके वह सुरज की तरफ देख कर घूंघट के अंदर ही मुस्कुराने लगी और घर के अंदर चली गई,,,।

नीलम के अंदर जाते ही सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे सुधियां काकी की बहू चोदने को मिल जाती तो बहुत मजा आ जाता,,,,,,और कमरे के अंदर पहुंचकर नीलम यह सोच रही थी कि ऐसा क्या किया जाए कि सुरज उसे चोदने के लिए मजबूर हो जाए क्योंकि सामने से यह कहना कि वह चुदवाना चाहती है यह उसके लिए शर्म की बात होती लेकिन उसके बदन की जरूरत इस समय सुरज के प्रति आकर्षित कर रही थी,,,,वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब सुरज जैसा जवान लड़का उम्रदराज औरत को इतनी मस्ती के साथ चोद सकता है तो वह तो पूरी तरह से जवान है उसे चोदने के लिए वह तो तडप उठेगा बस हल्का सा इशारा करने की देरी है,,,, बस फिर क्या था नीलम अपने अंदर की औरत को जगाने लगी और किसी भी तरह से सुरज से संभोग सुख प्राप्त करने के लिए मचल उठी और उसके जुगाड़ में लग गई,,,,,,,।

सुरज बाहर खटिया पर बैठा हुआ बड़ी बेसब्री से नीलम भाभी का इंतजार कर रहा था उसकी एक झलक पाने के लिए,,, तड़प रहा था,,,,, और यही हाल नीलम का भी था,,, इसलिए वहएक गिलास में ठंडा पानी और एक कटोरी में थोड़ा सा गुड लेकर कमरे से बाहर आई,,,अभी भी उसने घूंघट पूरी तरह से नहीं उठाई थी केवल उसके लाल लाल होंठ नजर आ सके बस इतना ही घूंघट ऊपर की तरफ उठाई थी,,,। नीलम को गुड़ और पानी लाता देखकर,,, सुरज औपचारिक रूप से बोला,,,।


अरे इसकी क्या जरूरत थी नीलम भाभी मैं कोई मेहमान थोड़ी हूं जो इतनी खातिरदारी कर रही हो,,,


नहीं-नहीं सुरज मुझे इतना तो करना ही होगा वरना माजी को पता चलेगा तो वह क्या बोलेंगी,,,,,,,


अरे नीलम भाभी कुछ नहीं बोलूंगी सुधियां काकी बहुत अच्छी है,,,


मैं तो जानती हूं सुधियां काकी बहुत अच्छी है,,,,(नीलम अपने मन में ही बोली चुदवाती है इसीलिए,,,) इसीलिए तो उन्होंने मुझको सहेज के रखा है कि जब भी कोई द्वार पर आ गई तो उसे यूं ही वापस नहीं भेजना चाहिए,,,


वाह नीलम भाभी, सुधियां काकी के विचार बहुत ही उच्च कोटि के है,,,,,
(काम भी उच्च कोटि के हैं नीलम अपने मन में ही बोली,,, सुरज कटोरी में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे मुंह में डालकर खाने लगा,,,, और घूंघट में झांकने की कोशिश करता हुआ बोला,,,)

बहुत ही मीठा गुड़ है नीलम भाभी,,,,,


अपने खेत के गन्ने के रस से बना हुआ पुल है इसलिए बहुत स्वादिष्ट है,,,


सच में सुधियां काकी के रस से बना गुड़ बहुत मीठा है,,,


सुधियां काकी के रस से नहीं गन्ने के रस से बना गुड़ है,,,(नीलमव्यंग कसते हुए बोली,,,)


हा हा,,, वही,,,, आप मजाक बहुत करती हो नीलम भाभी,,,


तुम जैसे देवर होंगे तो नीलम भाभी तो मजाक करेगी ही,,,


चलो यह तो अच्छा है कि तुम मुझे अपना देवर मानती हो,,,


पूरे गांव भर में तुम ही अच्छे लड़के हो जिसे मैं देवर का दर्जा दे रही हुं,,,,


तब तो मैं बहुत खुश नसीब हु नीलम भाभी,,,


खुशनसीब तो मैं हूं जो तुम जैसा देवर मिला है,,,,
(सुरज को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि एक ही दिन में जिससे इतना जान पहचान भी नहीं है वह इतना अपनापन क्यों दिखा रही है लेकिन कुछ भी हो नीलम की बदन की बनावट उसका गोरा रंग सुरज के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को हवा दे रहा था,,,, नीलम भी उसके खूबसूरत चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी वाकई में सुरज के चेहरे पर मासूमियत और भोलापन दोनों बराबर मात्रा में थी और बदल उसका बेहद गठीला था नीलम उसके मासूमियत भरे चेहरे को देखकर,,, यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो उस दिन अपनी आंखों से देखी थी वह सच था,,, क्योंकि जिस तरह से वह तेज-तेज अपनी कमर हीलाते हुए धक्के लगाकर उसकी सासु मा को चोद रहा था वह मासुम बिल्कुल नहीं हो सकता,,, नीलम की आंखों ने अपनी सास की चुदाई करते हुए जो कुछ भी देखा थाउसने बिल्कुल की रहने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी कमर ताबड़तोड़ चल रही थी,,,, उसके तेज धकको का उसकी सास भी बड़ी बेशर्मी से मजा ले रही थी,,,। उस दृश्य के बारे में सोच कर नीलम की बुर गीली हो रही थी,,,, सुरज की नजर उसकी छातियों की गोलाईयों पर थी जिसे अपने हाथों में दबोच कर उसे दबाने का मन कर रहा था उसके लाल-लाल होठों पर अपने होठों पर रखकर पीने को हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब सुधियां काकी इतना मजा दे सकती है तब नीलम कितना मजा देगी,,,, दूसरी तरफ नीलम भी पूरी जुगाड़ में थी,,,,पता नहीं आज के जैसा उसे मौका मिल पाता या नहीं इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी क्योंकि उसकी सास शादी की रस्म में पड़ोस में गई हुई थी,,,,जोकि ज्यादा देर के लिए नहीं गई थी वह कभी भी आ सकती थी लेकिन नीलम के पास इतना तो समय था कि वह अपनी बदन की प्यास सुरज से बुझा ले,,,,,,, इसलिए वह सुरज के ऊपर अपनी जवानी का जलवा बिखेर देना चाहती थी,,,, ओर इसीलिए वह पानी के ग्लास को नीचे रखने के बहाने झुकी और उसके झुकते ही,,,,उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियों का नजारा सुरज की आंखों से बच नहीं सका,,, रामा ने पहले से ही अपनी चुचियों का नजारा दिखाने के उद्देश्य से ही अपने

ब्लाउस के उपर के दो बटन को खोल दी थी जिसकी वजह से उसके झुकते हुए उसके दोनों खरबूजे एकदम से आधे से ज्यादा बाहर को लटक गए,,,,।

ब्लाउज में से बाहर झांकते उसके दोनों कबूतरों को देखकर,, सुरज के खुद के पर फड़फड़ाने लगे उसके पजामे में हलचल होने लगी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से उसे नीलम भाभी की चूचीया देखने को मिल जाएगी,,,,,, उसकी चुचियों के साथ-साथ दोनों चुचियों की शोभा बढ़ा रहे उसके दोनों अंगूर भी नजर आ रहे थे जिसे मुंह में लेकर चबा जाने की इच्छा हो रही थी,,,।


नीलम अपनी चुचियों का भरपूर मजा आ रहा है उसे दिखा देना चाहती थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर दोनों के बीच कुछ हो सकने की संभावना को बढ़ा सकती है तो उस समय इसलिए किया ही नहीं जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ जाएगा और वह उसके साथ चुदाई करने के लिए तड़प उठेगा,,,,,, सुरज की आंखें फटी की फटी रह गई थी बेहद खूबसूरत चुचियां उसके हौसले को बढा रही थी,,, सुरज पानी पीना भूल गया था और उसकी हालत को देखकर रामा को शर्म तो आ ही रही थी लेकिन उसके तन बदन की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसे लगने लगा था कि अब जरूर कुछ,,,वह अपने मन में ठान लेते कि जब उम्रदराज होकर भी उसकी सासू मां ने जमके लड़के से चुदाई का भरपूर मजा लूट रही है तो वह क्यों नहीं वैसे भी,,, उसका पति कुछ महीनों से बाहर गया हुआ था,,, इसलिए उसकी भी दोनों टांगों के बीच गर्मी कुछ ज्यादा बढ़ गई थी जिसे शांत करना बेहद जरूरी हो गया था,,,,।,,


भ,,,भ,,,भ,, नीलम भाभी,,, तुम्हारी चुचीया तो बाहर आ गई,,,।
(सुरज आंखें फाड़े उसकी चूचियों की तरफ देखते हुए बेशर्मी भरे शब्दों में बोला वह बिल्कुल भी अपने शब्दों को छुपाने की कोशिश नहीं किया था क्योंकि वहां अच्छी तरह से जानता था कि नीलम कुछ महीने से अकेले ही हैं पति की संगत उसे प्राप्त नहीं हुई है और ऐसे में वह प्यासी जरूर होगी,,,, कुछ इस तरह से वह अपनापन दिखाते हुए उससे बातें कर रही थी सुरज को लगने लगा था कि यहां पर भी जरूर उसकी दाल गल जाएगी,,,और औरतों की संगत में रहकर औरत के मन में क्या चल रहा है इसकी पहचान उसे होने लगी थी वह समझ गया था कि यह नीलम प्यासी है,,,,सुरज किस तरह की बातें सुनकर नीलम एकदम से शर्म आ गई थी क्योंकि इस तरह की बातें उससे आज तक किसी ने नहीं किया था,,,, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी तो यही चाहती थी,,,,,, सुरज के मुंह से चूची शब्द सुनकर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, वह एकदम शरमाते हुए बोली,,,,,,)



हाय दैया,,,, यह भी बड़ी बेलगाम हो गई है कहीं भी निकल जाती है,,,(अपने साड़ी के आंचल से उसे छुपाने की कोशिश करते हुए बोली तो सुरज बोला)

लगता है तुम्हारी चुचीया बड़ी बड़ी है इसलिए ब्लाउज में नहीं समा पाती,,,,,,(सुरज एकदम खुलकर बातें कर रहा था)

हाय दैय्या कैसी बातें करते हो,,, तुम्हें लाज नहीं आती,,,


लाज कैसी नीलम भाभी जो सच है वही तो बोल रहा हूं,,,, तुम्हारी चूचियां सच मे बड़ी-बड़ी है,,,,


नहीं नहीं इतनी भी बड़ी नहीं है जैसा तुम बोल रहे हो,,,


नहीं नीलम भाभी मैं सच कह रहा हूं बड़ी बड़ी है तभी तो अपने आप ब्लाउज के बटन खोल कर बाहर आ गई उसका वजन तुम्हारे ब्लाउज से संभाला नहीं जा रहा है,,,,।

(सुरज की उत्तेजना भरी बातें सुनकर नीलम की बुर गीली होने लगी थी,,, वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि सुरज बातों का जादूगर है उसके शब्दों में बहुत ज्यादा उत्तेजना होती है तभी तो वह जिस तरह से बातें कर रहा था उस तरह से उसके पति ने भी बातें नहीं किया था नीलम अपने मन में सोचने लगी कि वह तो अपनी बातों से ही उसकी बुर को पूरी तरह से गीली कर दिया है,,,।)


नहीं-नहीं सुरज,,,,, इस तरह से बातें मत करो मुझे शर्म आती है पानी पी लो,,,,।
(सुरज अब तक के अनुभव से यही सीखा था कि औरतों के नानू कर में ही उसकी हामी होती हैअच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी बात है उसे बुरी लगती तो वहां कब से उसे यहां से जाने के लिए कह चुकी होती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं कह रही थी बस शर्मा रही थी इसलिए सुरज को लगने लगा था कि अब उसके दोनों हाथ में फिर से लड्डू आ गया है,,,, और वह भी बेहद स्वादिष्ट,,,)


अब तो मेरी प्यास पानी से नहीं बुझने वाली नीलम भाभी,,,


यह क्या कह रहे हो सुरज इस तरह से बातें मत करो,,,(घूंघट में ही अपनी खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए नीलम बोली)


जो भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं नीलम भाभी मेरी एक-एक बात में सच्चाई है तुम बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।

(सुरज की इस तरह की बातें सुनकर नीलम मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह उसकी खूबसूरती की प्रशंसा कर रहा था और दुनिया में ऐसी कौन सी औरत है कि जो अपनी खूबसूरती की प्रशंसा नहीं सुनना चाहेगी उसे सुरज की बातें अच्छी लग रही थी लेकिन ना जाने क्यों से डर लगने लगा था इसलिए वह उससे बोली,,,)

नहीं नहीं सुरज इस तरह से बातें मत करो तुम पानी पी कर चले जाओ वरना मेरी सांस आ जाएगी,,,


तुम्हारी सास आ जाएगी तो क्या हुआ,, मै पराया थोड़ी हूं और वैसे भी,,,तुम ही ने अभी मुझे अपना देवर बनाया है और देवर का इतना तो हक होता ही है,,,(इतना कहते हुए सुरज उसका हाथ पकड़ लिया और वह एकदम से शर्मा कर सिहर उठी,,, उसके पति के बाद आज किसी और ने उसकी कलाई थामी थी,,, और इसीलिए एक मर्दाना हाथों में अपनी कलाई पाते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,)


आहहहहह,,,सुरज,,, मेरी कलाई दुखने लगी है कितनी जोर से पकड़े हो,,,(अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली)


मेरा तो मन कर रहा है कि तुम्हारे हाथ को जिंदगी भर ना छोडु,,,।


आहहहह,,, सुरज तू बड़ा बेशर्म है अभी जा यहां से,,,।
(ना जाने क्यों अब नीलम को डर लगने लगा था उसे शर्म आ रही थी अब तक वह सुरज से सब कुछ करवा देने के जुगाड़ में लगी हुई थी और सब कुछ होता देख कर ना जाने क्यों उसके मन में घबराहट हो रही थी,,,, लेकिन सुरज भी औरतों की संगत में पक्का खिलाड़ी बन चुका था नीलम के मन की बात को वह अच्छी तरह से समझ रहा था,,, नीलम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)


सुरज तु पानी पी और जा यहां से कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,,,


ठीक है नीलम भाभी तुम कहती है तो मैं चला जाऊंगा लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरी बात सच है कि गलत यह दिखाना होगा ,,


,कौन सी बात,,,,,?


यही कि तुम्हारी चूचियां छोटी-छोटी है या बड़ी बड़ी,,,

धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,


हां नीलम भाभी में पागल हो गया हूं तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हारा उसने देख कर मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,।
(नीलम को डर भी लग रहा था और सुरज की बातें सुनकर उसे प्रसन्नता भी हो रही थी उसे मजा भी आ रहा था किसी जवान लड़के ने पहली बार उसकी खूबसूरती की तारीफ किया था,,,,)



नहीं-नहीं सुरज जो तू कह रहा है वह ठीक नहीं है तू जा यहां से,,,


तो चलो ठीक है मैं भी यहीं बैठा रहता हूं कोई आएगा तो कह दूंगा कि नीलम भाभी ने हीं मुझे बुलाई थी,,,।
(इतना सुनते ही नीलम के तो होश उड़ गए और वह बोली)

कितना बेशर्म और हटिला है तू,,,


चला जाऊंगा बस दिखा दो एक बार,,,,


तो बहुत जिद कर रहा है,,,(इतना कहते ही नीलम अपने मन में सोचने लगी कि वह है क्या कर रही है और शिकार हुआ अभी तो उसे अपना सब कुछ सोचना चाहती थी और इसीलिए तो वह उसे अंदर बुलाई थी और आज जब सब कुछ सही होने जा रहा है तो वह खुद ही इंकार कर रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके अंदर से ही आवाज आ रही थी कि नीलम क्या कर रही है ऐसा अच्छा मौका तुझे फिर कभी नहीं मिलने वाला है और वैसे भी अगर तेरी सास देख भी जाती है तो तू भी तो कह सकती है कि वह खुद ही सुरज के साथ चुदवाती है और वह अपनी आंखों से भी देख चुकी है दोनों का राज राज ही रह जाएगा ना उसे कोई शिकायत रहेगी ना तुझे कोई भी ऐसा मौका हाथ से जाने मत देन नीलम इस मौके का फायदा उठा,,, नीलम अपने मन की बात को सुनते हुए बोली)


ठीक है अच्छा मैं तुझे दिखा देती हूं लेकिन इसके बाद तु चले जाना,,,( नीलम यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह सुरज को अपनी चूचियां दिखा देंगे कि किसी भी हारने वाला बिना उसकी चुदाई कीए वहां से जाने वाला नहीं है और यही वह चाहती भी थी,,,)

वाह नीलम भाभी मेरी अच्छी नीलम भाभी,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज खटिया पर से खड़ा हो गया और नीलम घुंघट में अपने खूबसूरत चेहरे को छिपाए हुए अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी नीलम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह किसी गैर मर्द के सामने अपने कपड़े उतार रही थी,,,उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी थी और देखते ही देखते उत्तेजना के मारे सुरज के पजामे में तंबू बन गया था जिस पर नीलम की नजर पड़ी तो उसके होश उड़ गए अब उसका मन मचलने लगा सुरज के लंड को बुर में लेने के लिए,,,, धीरे-धीरे करके नीलम अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और ब्लाउज के दोनों आंखों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अलग करते हैं अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचीयों को सुरज की आंखों के सामने नुमाइश करने लगी,,,, गोल गोल तनी हुई चुचियों को देखते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया,,, अब सुरज को किसी के इजाजत की जरूरत नहीं थी क्योंकि एक तरह से नीलम की तरफ से उसे निमंत्रण मिल गया था,,, अपने ब्लाउज के बटन खोल ना यह नीलम की तरफ से सुरज के लिए आमंत्रण ही था जिसे शहर से स्वीकार करते हुए फटी आंखों से सुरज उसकी गोल-गोल चुचियों को देखे जा रहा था,,और इस तरह से अपनी चूचियों को दिखाते हुए नीलमके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)

बस अब हो गया ना अब जा यहां से,,,,(नीलम चाहती तो बिल्कुल भी नहीं थी कि सुरज वहां से चला जाए लेकिन फिर भी वहां औपचारिक रूप से उसे जाने के लिए कह रही थी लेकिन मन में यही चाहती थी कि वह रुका रहे और भला सुरज कैसे जाने वाला था क्योंकि उसके आंखों के सामने खड़ा करते हुए दो कबूतर जो नजर आ रहे थे जिसका शिकार किए बिना वह वापस जाने वाला नहीं था,,, इसलिए सुरज अपना कदम आगे बढ़ाते हुए बोला))


अब कैसे चला जाऊं नीलम भाभी मीठा गुड़ खिला दी हो,,, तो पानी कौन पिलाएगा लेकिन अब पानी नही ,,, मेरी प्यास तो तुम्हारा दूध पीकर ही बुझेगी,,,,
(इतना सुनकर नीलम कुछ समझ पाते इससे पहले भी फुर्ती दिखाते हुए सुरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपने दोनों हाथों में नीलम की दोनों चूचियों को थाम लिया था और तुरंत उस पर मुंह लगाकर पीना शुरू कर दिया था यह नीलम के लिए बिल्कुल असहनीय था वह ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, वह छटपटाती इससे पहले ही वह पूरी तरह से सुरज के काबू में आ गई थी,,, औरतों को कैसे काबू में किया जाता है यह कला सुरज अच्छी तरह से जानता था सुरज बारी बारी से बिना रुके उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था पल भर में ही नीलम के मुंह से सिसकारी की आवाज निकालने लगी उसे मजा आने लगा था क्योंकि इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसकी चुचियों को मुंह में लेकर पीया नहीं था,,, इसलिए यह हरकत नीलम के लिए बेहद उत्तेजना कारक थी,,,,।

सससहहहह आहहहहहहहहह,,, सुरज यह क्या कर रहा है,,,



तुम्हारी सेवा कर रहा हूं नीलम भाभी,,,


आहहहहहह यह कैसी सेवा है रे,,,


नीलम भाभी या नीलम भाभी की देवर के द्वारा की जाने वाली सेवा तुम्हारा कोई देकर नहीं है ना इसलिए तुम्हें अब तक इस सेवा से वंचित रहना पड़ा लेकिन आज तुम मुझे अपना देवर बना दिया अब तुम्हें इस तरह की सेवा बराबर मिलती रहेगी,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज दोनों हाथों से उसकी जोर-जोर से चूचियां दबाते हुए उसके अंगूर को मुंह में लेकर चूस रहा था,, वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी वह सुरज के बाल को जोर से पकड़ कर उसे अपने दोनों चूचियों के बीच दबा रही थी,,,, और मजे लेते हुए सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,)

सससहहहह ,,आहहहहहहह,,,,,, सुरज,,, चला जा यहां से किसी भी वक्त माजी आ जाएंगी,,,


तो क्या हुआ नीलम भाभी,,,,आज तो मैं कह कर लिया हूं कि तुम्हारी सेवा किए बिना मैं यहां से नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हथेलियों में दबाकर जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया,,,, नीलम के ऊपर दोनों तरफ से हमला हो रहा था और वह इस प्यार के लिए हमले को संभाल नहीं पा रही थी उसकी सिसकारी की आवाज बढ़ते ही जा रही थी दोनों चूचियां बारी-बारी उसके मुंह में आ रही थी और वह अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,।

आहहहहहह सुरज आहहहहहहह,,,,,ऊमममममममम,,,

(उसकी गरम शिकारियों की आवाज सुनकर सुरज समझ गया था कि उसे भी मजा आ रहा है इसलिए वह बोला,,,)


कैसा लग रहा है नीलम भाभी,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है सुरज कि मुझे डर भी लग रहा है कहीं माजी आ गई तो गजब हो जाएगा,,,


ओहहहह नीलम भाभी कुछ नहीं होगा तभी तो कह रहा हूं जल्दी-जल्दी करने दो,,,,, तुम्हारी चूचियां बहुत रसीली है नीलम भाभी,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह नीलम की साड़ी को खोलने लगा,,,)


औहहहह यह क्या कर रहा है सुरज मेरी साड़ी क्यों उतार रहा है,,,


साड़ी उतारने के बाद ही तो मैं तुम्हारी अच्छी तरह से सेवा कर पाऊंगा नीलम भाभी,,,देवर नीलम भाभी की सेवा तकरीर अच्छी तरह से कर पाता है जब वह उसे अपने हाथों से नंगी करता है,,,।
(पर इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे सुरज नीलम की साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर गिरा दिया नीलम भी उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानते थे कि साड़ी उतार कर नंगी होने के बाद ही मजा ज्यादा आता है,,, सुरज एक झटके में उसके साया का नाड़ा खोल दिया,, उसका साया भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरा,,,, पल भर में ही सुधियां काकी की बहू उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी केवल ब्लाउज ही था जो की पूरी तरह से खुला हुआ था और उसे भी पीछे से अपनी बाहों में लेकर उसका ब्लाउज भी उतार दिया और पीछे से उसे अपनी बाहों में करते हुए उसकी दोनों चूचियों को दबा कर उसकी गर्दन पर चुंबन की बारिश कर दिया,,,,, सुरज की हरकत से नीलम पूरी तरह से पानी पानी हो गई,,,।

सुरज अपने दोनों हथेलियों को उसके पूरे बदन पर इधर से उधर घुमाने लगा नीलम को मजा आ रहा था उसका मजा बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे सुरज की हथेली उसके पेट के नीचे की तरफ जा रही थी और नीलम अच्छी तरह से समझती थी इसलिए अपनी दोनों टांगों को आपस में सटाकर अपने बुर को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन सुरज कहां मानने वाला था,,,, सुरज भी ताकत दिखाते हुए अपने हाथों से उसकी टांग को खोल कर अपनी हथेली को उसकी दहकती हुई बुर पर रख दिया,,,,

और उसे मसलने लगा,,, नीलम एकदम से तिलमिला उठी,,,, सुरज का लंड पजामे के अंदर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था जो कि बार-बार उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था,,,। मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड अपनी गांड पर महसुय करते ही उसकी राही सही शर्म भी जाती रही इतना तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि सुरज का लंड उसके पति से बहुत ज्यादा दमदार था,,, इसलिए बहुत तुरंत अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर उसके पजामे में अपना हाथ डाल दी और उसके खाली लंड को पकड़ ली,,, उत्तेजना के मारे सुरज का लंड बहुत गर्म था,,, जिसकी वजह से नीलम की हालत खराब होने लगी सुरज अच्छी तरह से समझता था कि नीलम को क्या चाहिए इसलिए तुरंत अपने पजामे को उतार कर फेंक दिया,,, और नंगा ही उसके पीछे सट गया,,,

अब सुरज का लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गांड के बीचोबीच रगड़ खा रहा था और नीलम पानी पानी हुए जा रही थी,,,। सुरज भी काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था क्योंकि उसके हाथों में नई नवेली शादीशुदा औरत जो हाथ लग गई थी जिसकी खूबसूरती है उसकी मादकता भरी खुशबू उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,। सुरज धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके खिला रहा था मानो कि जैसे उसकी चुदाई कर रहा है और इस हरकत की वजह से नीलम मदहोश हुए जा रही थी अभी भी उसके हाथ में सुरज का लंड था जिसे वो धीरे-धीरे मुठिया रही थी,,,,। सुरज उसकी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसकी गुलाबी पत्तियों को मसलते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर डाल दिया और जैसे उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश के वैसे ही उसकी दर्द भरी कराह फूट पड़ी,,,।

आहहहहह,,,,,,, धीरे से दुख रहा है,,,


क्या नीलम भाभी उंगली से इतना दर्द कर रहा है तो मेरा लंड कैसे लोगी,,,


जो भी करना आराम से करना,,,,।

(और इतना सुनते ही सुरज का जोश दोगुना हो गया और वह जल्दी-जल्दी अपनी ऊंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करने लगा,,,, नीलम पानी पानी हुए जा रही थी,,,, और थोड़ी देर बाद सुरज नीलम के ठीक सामने घुटने के बल बैठ गया और उसकी एक टांग उठाते हुए उसे अपने कंधे पर रख दिया ऐसा करने पर नीलम की बुर सीधे उसके मुंह पर आ गई सुरज अपनी जीभ निकाल कर उसकी गुलाबी बुर के मदन रस को चाटना शुरू कर दिया,, नीलम की मदहोशी और उत्तेजना बढ़ने लगी उसके मुख से बड़े तेजी से सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,।

ओहहहहह ,,,, सुरज है क्या,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,(नीलम की उत्तेजना और मदहोशी बढ़ जाना जायस था क्योंकि उसके पति ने अब तक उसकी बुर को कभी चांटा नहीं था इसलिए सुरज की इस हरकत पर वह पूरी तरह से मस्त हो गई मानो कि जैसे हवा में उड़ रही हो और सुरज लगातार बार-बार अपनी जीभ को उसकी पुर की गहराई में अंदर बाहर करता हुआ उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बिना चोदे ही सुरज ने उसे २ बार झाड़ चुका था,,,

नीलम एकदम काम विह्वल होते जा रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी जल्द से जल्द उसकी बुर में लंड डालना जरूरी हो गया था,,,,।इसलिए सुरज तुरंत खड़ा हुआ और एक बार उसके कंधों को पकड़कर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा क्योंकि जो क्रिया कुछ देर पहले वह कर रहा है वही किया हुआ चाहता था कि नीलम भी करें,,,, लेकिन नीलम उसका इरादा समझते ही थोड़ा आनाकानी कर रही थी,,,लेकिन सुरज के समझाने पर वह मान गई और कुछ ही देर बाद बहुत बड़े मजे लेकर लॉलीपॉप की तरह सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूस‌ रही थी,,,, सुधियां काकी की बहू कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से आनंद ले पाएगी और वह भी खुलकर अपने घर के आंगन में जो कि आसमान पूरी तरह से खुला हुआ था और केवल दीवाल से घिरा हुआ आंगन और दरवाजा लगा हुआ था और दरवाजा बंद था इस तरह से खुले में वह कभी मजा नहीं ली थी इसलिए उसका मजा और दुगुना होता जा रहा था,,,।

नई नवेली दुल्हन के गुलाबी होठों के बीच अपना लंड पाकर सुरज अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए डर रहा था कि कहीं उसका पानी में निकल जाए इसलिए वह तुरंत अपने लंड को बाहर निकाला,,, और नीलम को उसका कंधा पकड़ कर उठाने लगा,,,,।


कहां पर करोगे,,,


यही खटिया पर,,,


माजी आ गई तो,,,


आ गई तो क्या हुआ दरवाजा तो बंद है दरवाजा खुलने से पहले कपड़े पहन लेना,,,

ठीक है जल्दी करना,,,


तुम चिंता मत करो नीलम भाभी,,,

(सुरज की बात सुनते ही उतावलापन दिखाते हुए खटिया पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,, उसका सहयोग देखकर सुरज बोला,,,)


यह हुई ना बात,,,(इतना कहने के साथ ही बाहर खटिया पर चढ़कर नीलम की दोनों टांगों के बीच में जगह बना कर नीचे अपना दोनों हाथ ले जाकर उसकी गांड को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लिए व्यवस्था करने लगा और अगले ही पल अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखकर हल्का सा धक्का लगाया बुर पहले से ही मिली थी इसलिए चिकनाहट पाकर,,, मोटा सुखाड़ा अंदर की तरफ सरकने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन सुपाड़ा मोटा था और अब तक नीलम अपने पति के पतले लंड से चुदते आ रही थी,,,,

इस बार उसका किसी असली मर्द से पाला पड़ा था इसलिए उसके चेहरे पर दर्द के भाव नजर आने लगे,,, सुरज संभोग क्रिया का पक्का खिलाड़ी बन चुका था इसलिए वो धीरे धीरे कोशिश करते हुए आगे बढ़ने लगा और आखिरकार कामयाबी पाते हुए नीलम की गुलाबी बुर के छेद में अपना मोटा सुपाड़ा प्रवेश करा ही दिया,,,, नीलम के मुंह से दर्द भरी कराह टूट पड़ी,,,।


आहहहहहह,,,,,


बस बस नीलम भाभी हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर की तरफ सरकाना शुरू कर दिया,,,, इसके बाद तो देखते ही देखते सुरज का लंड नीलम की बुर के अंदरूनी सारी अड़चनों को दूर करता हुआ आगे बढ़ता चला गया सुरज का लंड ईतना मोटा था कि नीलम को अपनी बुर की अंदर की दीवारों पर उसकी रगड़ साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसका आनंद बढ़ता जा रहा था,,,


और इस बार सुरज अपना सारा अनुभव काम में लगा था वह एक करारा झटका मारा और इस बार उसका लंड पूरी तरह से विजई पताका लेना था वह उसकी बुर की गहराई में गड गया,,,,,, इस बार सुरज का लंड नीलमके बच्चेदानी को छू गया था ईसलिए नीलम के तन बदन में उत्तेजना कि वह फुहार उठने लगी जैसा कि उसने अभी तक अनुभव भी नहीं की थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,सुरज को समझते देर नहीं लगी कि जब सब कुछ हाथ में है इसलिए वह अब हल्के हल्के धक्के लगा कर नीलम की चुदाई करना शुरू कर दिया था,,,।


ओहहहह नीलम भाभी अब कैसा लग रहा है ,,, ( अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को थाम कर उसकी चुदाई करता हुआ बोला,,,)


ओहहहहह मेरे प्यारे देवर बहुत मजा आ रहा है बहुत अच्छा लग रहा है,,,,


ओहहहह नीलम भाभी तुम्हारी खुशी में तो मेरी खुशी है नीलम भाभी,,, देखना अब यह देवर तुम्हारी कैसी सेवा करता है,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी चुचियों को थाम लिया और जोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, फच फच की आवाज से पूरा आंगन गूंज रहा था,,, लेकिन उस आवाज को इस खडई दुपहरी में सुनने वाला कोई नहीं था,,,‌,,, चरर,,,मरर की आवाज खटिया भी करने लगी थी,,, नीलम को डर लग रहा था कि कहीं सुरज के तेज झटकों की वजह से खटिया टूट ना जाए इसलिए उसे आराम से करने के लिए बोल रही थी लेकिन सुरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि आराम से करने में मजा नहीं आता तेजी से ही धक्के लगाने में मजा आता है,,,,और आज उसको भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था क्योंकि उसका पति कभी भी तेज रखो के साथ इस की चुदाई कर नहीं पाता था तुरंत ही झड़ जाता था लेकिन सुरज बिना झड़े उसकी दो बार पानी निकाल चुका था और तीसरी बार की तैयारी में लगा हुआ था,,,।


स्तन मर्दन की वजह से उसकी दोनों चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई थी,,, उसकी सांसे गहरी चल रही थी,,, सुरज के तेज धक्के उसे आनंद की परिभाषा समझा रहे थे,,,, और देखते ही देखते नीलम की सांसे तेज चलने लगी उसके बदन की अकड़न बढ़ने लगी सुरज को समझते देर नहीं लगी कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बाहों में कस लिया और जोर जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।

सुरज उसकी चुचियों पर सर रखकर जोर जोर से हांफ रहा था,,,, मदहोशी के आलम में नीलम अपने आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,, इस तरह का आनंद उसे कभी नहीं आया था,,,, थोड़ी देर बाद सुरज उसके ऊपर से उठा और खटिया से नीचे उतर कर अपने कपड़े पहने लगा नीलम अभी भी खटिया पर नंगी लेटी हुई थी,,,।


क्या नीलम भाभी नंगी ही रहना है क्या उठकर कपड़े पहन लो सुधियां काकी कभी भी आ जाएंगी,,,।
( इतना सुनते हैं जैसे वह होश में आई हो तीन खटिया पर से उठ कर अपना ब्लाउज जमीन पर से उठाकर उसे पहनने लगी और देखते ही देखते अपने सारे कपड़े पहन कर एकदम व्यवस्थित हो गई,,,)

कैसा लगा नीलम भाभी,,,


(इतना सुनते ही नीलम शर्मा गई और तुरंत शर्मा कर अंदर कमरे की तरफ भाग गई और सुरज खुश था कि आज उसके हाथ एक और खूबसूरत औरत लग गई थी,,, सुरज भी वहां से चलता बना,,,)



आहहहहह,,,, नीलम तृप्त हो चुकी थी,,,,,, उसे इस बात की संतुष्टि और खुशी थी की,, सुरज जैसा जवान लड़का,,, उसके खूबसूरत जवानी के रस को अपने हाथों से मैं छोड़ कर उसे संतुष्ट कर दिया और इस बात का दुख भी था कि उसका पति सुरज के जैसा गठीला बदन वाला क्यों नहीं है और उसमें सुरज की तरह मर्दाना ताकत क्यों नहीं है,,,,,, निश्चित रूप से नीलम को इस बात का अफसोस था कि उसके पति का लंड सुरज के लंड की तरहमोटा तगड़ा और लंबा क्यों नहीं है , जिसमें उसे पहली बार संभोग के असली सुख से वाकिफ कराया,,,,,,,।

अनजाने में ही नीलम सुरज के द्वारा अपनी सास की चुदाई देखी थी और इस तरह से सुरज ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था उसी समय उसकी मर्दाना ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी बस उसे महसूस करना बाकी था और हम अपनी आंखों से साफ तौर पर देखी थी कि जब-जब सुरज जोर-जोर से अपने लंड को उसके साथ की बुर में पेल रहा था और वह भी पीछे से खड़ा होकर तब तक उसके साथ की भारी-भरकम गांड नदी के पानी की तरह लहरा उठती थी,,, और बस उसी अनुभव के लिए उस पल को महसूस करने के लिए नीलम पूरी तरह से तड़प उठी थी,,,,।
लेकिन इतने आराम से सुरज के मर्दाना ताकत को अपने अंदर महसूस करने को उसे मिल जाएगा इस बारे में उसने कभी सोचे नहीं थी उसे लगा था कि सुरज को वह उसके सास के साथ के शारीरिक संबंध के संदर्भ में सुरज के साथ खुद संभोग सुख प्राप्त करेगी लेकिन यह सब करने की भी जरूरत नहीं पड़ी थी बस हल्का सा अपनी जवानी का जलवा दिखाई और सब कुछ अपने आप ही हो गया,,,,,।


सुरज की जिंदगी में रोज एक चांद जुडता जा रहा था,,, तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में इतनी सारी औरतें आएंगी और अभी एक से बढ़कर एकवह पहले ही सोचता था कि उसे यह सुनहरा मौका शादी के बाद अपनी बीवी के साथ ही मिल पाएगा और इसके लिए उसे सब्र भी था लेकिन जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह अब भी जारी था,,,।


शुभम अपनी मां के साथ खाना खा रहा था,,, घर पर उन दोनों के सिवा और कोई नहीं था क्योंकि गौरी घर पर नहीं थी खाना खाते हुए शुभम अपनी मां से बोला,,।


क्यों मा मौका बहुत अच्छा है,,, बस तुम्हारे साड़ी उठाने की देरी है,,,


चल चुपचाप खाना खा,,,, बडा आया है साड़ी उठवाने वाला,,,, तेरी जल्दबाजी में किसी दिन हम दोनों पकड़े जाएंगे,,,।


ऐसा क्यों कह रही हो मां,,,(अपना हाथ बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,,)

आहहहह,,,हट ,,,रहने दे,,,,,,, देखा नहीं उस दिन तेरा दोस्त कैसे खेत पर आ गया था अच्छा हुआ कि उसने देखा नहीं वरना उसी दिन हम दोनों पकड़े जाते ,,,, और मुझे तो डर था कि कहीं अपना मुंह चुप रखने के एवज में वो भी मेरी चुदाई ना कर देता,,,,,,


क्या मां तुम भी खामखा डरती हो,,,, ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला,,,


नहीं नहीं मैं कहती हूं अगर हो गया होता तो क्या करता,,,(अपनी मां की बात सुनकर शुभम खामोश रहा क्योंकि वह जानता था कि रंगे हाथ पकड़े जाने पर वह भी कुछ नहीं कर सकता था उसकी मां अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) अगर सोच वह हम दोनों को चुदाई करते हैं देख लिया होता और हम दोनों के रिश्ते के बारे में तुम्हें जानता ही है ऐसा गंदा काम वह अपनी आंखों से देख लिया होता तो,,, जाहिर है कि ,,, तुझे चुदाई करता हुआ देखकर उसका भी मन बहकना लगता अगर ऐसे में वह‌ अपना मुंह बंद करने के लिए यह कहता की ,,, जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा है वह किसी को भी नहीं कहेगा बदले में मेरी चुदाई करना चाहता तब तू क्या कहता इंकार कर देता,,,,(शुभम अभी भी चुप था) नहीं कर पाता,,,, इसीलिए कहती हूं सोच समझकर किया कर,,,, कहीं भी शुरू पड़ जाता है।।

तुम तो ऐसै कह रही हो मां,,, कि जैसे तुम्हारा मन बिल्कुल भी नहीं था,,, आखिर खेतों में हम दोनों ने कितनी बार चुदाई किया है कभी पकड़े गए क्या,,, और तुम्हारा भी तो मन बहुत करता रहता है,,,। तुम नहीं कहती रहती हो आज मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है,,,यह खुजली मिटा दे,,,
(अपने बेटे की मुंह से यह सुनकर वह एकदम से शर्म आ गई और बोली,,,)


अच्छा यह बात है ना,,, कोई बात नहीं अब मैं बिल्कुल भी नहीं कहूंगी की मेरी बुर में खुजली हो रही तब हीलाते रहना अपने हाथ से,,,,(शुभम की मां गुस्सा करते हुए दूसरी तरफ मुंह करके बैठ गई या देखकर शुभम एकदम से घबरा गया क्योंकि वह अपनी मां की चुदाई करते हुए अपनी गर्मी शांत करता था और से अच्छा भी लगता था अगर उसकी मां उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं रखेगी तो उसे अपने हाथ से ही हीलाना पड़ेगा,,, आए र इसके सिवा उसके पास कोई दूसरा जुगाड़ नहीं था,,, इसलिए वह अपनी मां को मनाते हुए बोला,,,)


क्या मां तुम भी नाराज हो गई,,,, तुम तो जानती हो तुम्हारे बिना मेरा मन कही नहीं लगता,,,,,, और इस तरह से नाराज हो जाओगी तब तो मैं मर ही जाऊंगा,,,,


तो जा कर मर जा,,, मुझे क्या इस तरह से इल्जाम लगाते हुए तुझे शर्म नहीं आती,,,

क्या मां जो कुछ भी कहा सच तो था,,, क्या तुम्हें मजा नहीं आता,,, अपने बेटे से चुदवाने में,,,(शुभम की मां कुछ बोल नहीं रही थी बस मुंह फुला कर बैठी थी,,, शुभम अपनी मां को मनाने की लाख कोशिश कर रहा था,,,,, शुभम की मां अपने बेटे से नाराज नहीं होना चाहती थी लेकिन उसकी बात से उसे गुस्सा आ गया था,,,,,यह बात उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि अपने बेटे के साथ चुदवाने में उसे भी बहुत मजा आता है और यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो अब तक जारी था,,, शुभम के पिताजी तीन चार साल पहले ही गुजर गए थे,,, शुभम की मां खेतों में काम कर कर के अपने बदन की बनावट और गठीलेपन को बरकरार रखे हुए थी,,,अभी भी शुभम की मां जवान थी इसलिए उसकी दोनों टांगों के बीच गर्मी महसूस होना लाजमी था,,, संभोग सुख की तृष्णा से वह पूरी तरह से ग्रस्त हो चुकी थी पति के ना होने पर उसकी यह प्यास बढ़ती जा रही थी उसे अपनी बुर में लंड लेने की प्यास कुछ ज्यादा ही तड़प दिखा रही थी और ऐसे ही एक दिन दोपहर में अपनी प्यास को अपने हाथ से ही बुझाने की कोशिश करते हुए खेतों में से एक मोटा तगड़ा बैंगन लेकर आई,,, उस समय घर पर कोई नहीं था और उसकी बुर में पूरी तरह से मस्ती छाई हुई थी चींटियां रेंग रही थी जल्द से जल्द में अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी इसलिए जल्दबाजी में दरवाजा बंद करना भूल गई और कमरे में आकर अपने सारे वस्त्र निकालकर एकदम नंगी हो गई और बैगन के आगे ढेर सारा सरसों का तेल लगा कर उसे अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी मंजू छेद में डालने की कोशिश करने लगी और उसके मुंह से गनीलमगरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,, और उसी समय खेल कर शुभम अपने घर पर आ गया दरवाजा तो पहले से ही खड़ा था इसलिए बिना कुछ बोले अंदर कमरे में प्रवेश कर गया और अंदर का नजारा देखते ही उसके होश उड़ गए उसकी आंखों के सामने उसकी मां एकदम नंगी नीचे चटाई बिछाकर,,,,,अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर में बैगन डालने की कोशिश कर रही थी,, यह देखते हैं शुभम को तो होश उड़ गए,,, साथ मे शुभम की मां भी एकदम हड़बड़ा गई,,वह अपने आप को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी लेकिन आप उसके लिए कोशिश नाकाम हो चुकी थी उसकी हरकत उसके बेटे की आंखों में वासना की चमक को जगा गई थी वह अपनी मां के नंगे बदन को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया था जिंदगी में पहली बार किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था और वह भी खुद की अपनी मां को,,,वह प्यासी नजरों से अपनी मां की चूचियों को देख रहा था उसकी दोनों टांगों के बीच के मुस्कुरा भी छेद को देख रहा था जिसमें वह अभी भी उस बैगन को लगाए हुए थी,,,,,,,, उस समय शुभम की मां कुछ बोल नहीं पाई,,, दोनों की अपनी-अपनी जरूरत थी दोनों तरफ खामोशी छाई हुई थी,,,, पल भर में ही शुभम की मां ने निर्णय ले ली की अब वह अपनी प्यास अपने बेटे से बुझाएगी इसलिए अपने बदन के अंगों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,,। शुभम की मां मुस्कुराने लगी अपनी मां की तरफ आकर्षित होता चला गया और उस दिन वह,,, दोनों अपने पवित्र रिश्ता को तोड़ कर एक दूसरे में समा गए और तब से यह सिलसिला आज तक जारी था,,, शुभम की मा भी अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम के बिना उसे भी अच्छा लगने वाला नहीं है,,, लेकिन फिर भी झूठ मुठ का गुस्सा दिखा रही थी,,, शुभम अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,)

चलो अच्छा ठीक है तुम्हें देखकर मेरा ही लंड खड़ा हो जाता है बस,,,, अब तो खुश,,,।
(अपने बेटे की बात सुनते ही शुभम कि मा मुस्कुराने लगी,,, और बोलो,,,)

दरवाजा बंद कर दे,,, अब कोई गलती नहीं,,,।
(इतना सुनते ही शुभम जल्दी से उठा और दरवाजा बंद कर दिया और तब उसकी मां कोने में खड़ी होकर अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और वह तुरंत अपनी मां के पीछे आ गया और अपने पजामे को उतारकर अपना लंड,, पीछे से अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, शुभम के पास सर्वप्रथम यही जरिया था अपनी मर्दानगी दिखाने का,,, और इसी के चलते ही वह सुरज का मजाक उड़ाया करता था क्योंकि सुरज बहुत शर्मिंदा लड़का था और शुभम चुदाई का अनुभव अपनी मां से ले चुका था,,, इसलिए औरतों के मामले में,,अपने दोस्तों में सुरज में वह अपना हाथ ऊपर रखना चाहता था भले ही वह अपनी मां के साथ ही चुदाई करता था लेकिन फिर भी उसके अंदर चुदाई के मामले में आत्मविश्वास था,,,, शुभम को अभी भी ऐसा ही लगता था कि सिर्फ उसके हम उम्र लड़कों में वही चुदाई का सुख भोग रहा है,,,, बाकी सब अपने हाथ से काम चला रहे हैं जिसमें उसे लगता था कि , सुरज भी वैसा ही होगा लेकिन वह कहां जानता था कि सुरज उससे चार कदम आगे था,, अपनी मां की चुदाई करते हुए शुभम अपने मन में यही सोच रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां बोल रही थी उसमें सच्चाई थी अगर वाकई में सुरज उन दोनों को उस हाल में देख लिया होता तो शायद अपना मुंह बंद करने के एवज में वह भी वही चीज मांगता है,,,,


जो वह कर रहा था अगर ऐसा हो जाता तो सुरज पूरी तरह से उसकी मां पर छा जाता,,, क्योंकि सुरज के लंड से शुभम अच्छी तरह से वाकिफ हो चुका था और जिस तरह का प्यासा पन उसकी मा में था,,, शुभम को पक्का यकीन था कि उसकी मां सुरज की दीवानी हो जाती और उसका पत्ता साफ हो जाता,,, यही सोचकर वह घबरा गया था लेकिन इस समय अपनी मां की बुर की गर्मी को शांत करने में लगा था,,,,)


दूसरी तरफ गौरी नदी के किनारे मटकी लेकर पानी भरने गई थी वह कपड़े धोने भी गई थी वह कपड़े धो रही थी उसका पूरा दिन कपड़े धोने में लगा हुआ था और धीरे-धीरे उसकी मटकी नदी के पानी में आगे बढ़ रही थी,,, सुरज भी किस्मत से वही अपनी गाय और बकरियों को पानी पिला रहा था तभी उसकी नजर गौरी पर पड़ी तो उसकी आंखों में चमक आ गई और वह तुरंत उसके पास पहुंच गया,,, गौरी कपड़े धोने में पूरी तरह से लीन हो चुकी थी,,, और सुरज उसके पास पहुंचकर बोला,,,।


गौरी तुम यहां क्या कर रही हो,,,


अब लगता है कि दिखाई भी नहीं दे रहा है,,, जैसा उस दिन बिना बोले कमरे में घुस आए थे,,,,।


देखो गौरी उस दिन के लिए मैं तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं,,, उस दिन जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था मुझे नहीं मालूम था कि तुम नहा रही हो,,,,


लेकिन बाहर खड़े होकर बोलना तो चाहिए था घर में कोई है कि नहीं तुम तो बिना कुछ बोले ही अंदर आ गए,,, ( गौरी कपड़े धोते हुए बोली,,, सुरज भी उसके पास बैठ गया और कपड़ों को वह भी बात बात में धोने लगा,,,, गौरी यह देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, सुरज का इस तरह से उसके पास बैठकर कपड़ों को धोना अच्छा लग रहा था,,,)


मुझे क्या मालूम था मुझे लगा कि शुभम अंदर ही होगा इसलिए बिना बोले आ गया था,,,


चलो कोई बात नहीं लेकिन आइंदा से आना तो दरवाजा खटखटा कर ही आना,,,,


आइंदा से ऐसा ही करूंगा,,,,
(दोनों के बीच फिर से खामोशी छा गई गौरी कपड़े धोने में लगी हुई थी और सुरज चोर नजरों से उसकी खूबसूरती का रस पी रहा था गौरी उसे अच्छी लगने लगी थी,,, नदी पर इस समय कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का समय था और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था शीतल हवा बह रही थी,,, और ऐसे में नदी के किनारे बड़े-बड़े पत्थरों पर बैठकर कपड़े धोने का मजा ही कुछ और था यह एहसास सुरज को पहली बार हो रहा था,,,, चुप्पी तोड़ते हुए सुरज बोला,,,)


बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,


कहो,,,,


तुम,,,, तुम मतलब की,,,,


अरे तुम तो नहीं कहते रहोगे कि कुछ बोलोगे भी,,,,


मेरा मतलब है कि ,,, तुम हमेशा अपने सारे कपड़े उतार कर नहाती हो,,,


हां तो क्या हुआ,,,, मैं हमेशा से ही अपने सारे कपड़े उतार कर नहाती हु,(गौरी एकदम बेझिझक होकर बोली,,, क्योंकि उसका स्वभाव ही यही था वह किसी चीज से शर्म नहीं करती थी जो मन में आता था वह बोल देती थी लेकिन ऐसा नहीं था उसका स्वभाव इस तरह का था तो उसका चरित्र भी इस तरह का हो,,,,,,आज तक उसने अपने चरित्र पर दाग नहीं लगने दी थी ना ही किसी को अपने बदन को स्पर्श करने दी थी,,,,,, क्योंकि कुछ महीने पहले ही जब वह खेतों में पानी दे रही थी तो अंधेरा हो गया था उसने गांव के दो मनचले लड़के मौके का फायदा उठाने की पूरी कोशिश किए थे तो उनका पूरी तरह से विरोध करते हुए गौरी घास काटने वाली हसीया से उन दोनों पर वार कि थी और वह दोनों जान बचाकर भागे थे,,,,,,, गौरी का इस तरह से बेझिझक होकर बोलना सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहे थे,,,,)

तुम्हें तुम्हारी मां यानी मंगलमामी कुछ नहीं कहती की कपड़े पहन कर क्यों नहीं नहाती कोई देख लेगा तो,,,, शुभम ही कभी मेरी जगह आ जाता तो,,,,


मुझे कोई नहीं कहता और हां मेरा भाई तो बिल्कुल नहीं आ सकता क्योंकि मैं उसे चेतावनी दे चुकी हूं कि अगर ऐसा कभी हुआ तो मैं उसकी जान ले लूंगी और मेरे गुस्से से वह अच्छी तरह से वाकिफ है,,,,।


लेकिन फिर भी तो दरवाजा बंद करके नहाना चाहिए था,,,


अरे मुझे पता था कि मां और भाई दोनों खेत पर गए हैं तो कोई आने वाला नहीं था,,, मुझे क्या मालूम था कि तुम आज आओगे,,,।


मैं तो अनजाने में आ गया था कोई जानबूझकर नहीं आया था,,,


हां मैं जानती हूं लेकिन चले जाना चाहिए था ना,,, तू तो बस देखता ही रह गया,,,(कपड़े धोते हुए सुरज की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली उसकी मुस्कुराहट में सुरज का अपनापन लग रहा था इसलिए वह भी जवाब देते हुए बोला)

क्या करूं मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया,,,


क्यों समझ में नहीं आया,,,,,,


नजारा ही कुछ ऐसा था,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,(सुरज आप अपने दिल की बात बताने की ठान लिया था)


क्यों कभी देखा नहीं था क्या,,,

मां कसम पहले कभी भी मैंने इस तरह का दृश्य नहीं देखा था,,,,(सुरज की बातें सुनकर कपड़े धोते हुए भी गौरी मन ही मन खुश होने लगी) पहली बार में किसी लड़की को एकदम नंगी देखा था,,,,(सुरज नंगी शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए बोला और इस शब्द का असर गौरी पर भी हो रहा था वह मंद मंद मुस्कुरा रहे थे उसको मुस्कुराता हुआ देखकर सुरज की हीम्मत बढ़ने लगी थी,,,)

देख कर चले जाना चाहिए था ना वहां रुका क्यों रह गया था,,,।


भला कोई जवान लड़का जवान लड़की को एकदम नंगी और वह भी एक दम नहाती हुई देख ले तो क्या वहां चला जाएगा बिल्कुल भी नहीं जाएगा उसकी तो सुध बुध सब खो जाएगी,,, एक जवान खूबसूरत लड़की को नंगी देख कर बिना पिए ही ४ बोतलों का नशा हो जाएगा,,,, कसम से मेरा तो दिमाग काम करना ही बंद कर दिया था,,,


क्यों,,,?


क्योंकि पहले भी मैं तुम्हें देख चुका हूं लेकिन कपड़ों में पहली बार मैंने बिना कपड़ों के देखा तो मुझे पता चला कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,(अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर जो मेरे मन ही मन और ज्यादा प्रसन्न होने लगी,,,, गौरी से इस तरह की बात करके सुरज के भी तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,,)

चल झूठा,,,


नहीं नहीं सच कह रहा हूं जल्दी तुम बहुत खूबसूरत हो उस दिन पहली बार मुझे एहसास हुआ जब तुम्हें पूरी तरह से नंगी नहाते हुए देखा,,,(इस तरह की बातें सुरज को करते हुए गौरी रोक देना चाहती थी लेकिन उसकी बातों में उसकी खूबसूरती की तारीफ की थी इसलिए वहां उसे रोक नहीं पा रही थी और सुरज की हिम्मत इसलिए बढ़ती जा रही थी और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच कहूं तो तुम्हारी पहली बार में किसी खूबसूरत लड़की की गांड को देखा था नहीं तो गांड के बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि बिना कपड़ों के गांड इतनी खूबसूरत दिखती है,,, तुम्हारी खूबसूरत खरबूजे जैसी गोल गोल गांड देखकर मेरी हालत खराब हो गई,,,।
(अपनी गांड की तुलना खरबूजे से होते ही उसकी हंसी छूट गई और वह हंसते-हंसते बोली)

किसके जैसी,,,


खरबूजे जैसी,,,


खरबूजे जैसी,,,,( और इतना कहकर जोर जोर से हंसने लगी,,,हंसते हुए चोरी और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी लेकिन हंसने का कारण सुरज को पता नहीं चल रहा था कि वह हंस क्यों रही है इसलिए सुरज बोला,,,)


तुम हंस क्यों रही हो,,,,


हंसो नहीं तो और क्या करूं कोई उसकी तुलना खरबूजे से करता है क्या,,,।


मुझे खरबूजा सबसे ज्यादा अच्छा लगता है इसलिए तो खरबूजे की तरह बोला,,,,।


क्या तुझे सच में मेरी खरबूजे जैसी लगी,,,,,,


हां सच में,,,,


पागल है तू,,,


तुम हो ही इतनी खूबसूरत पागल तो हो ही जाऊंगा,,,,,


चल कोई बात नहीं लेकिन इतना देखने के बाद भी तू चला क्यों नहीं गया,,, चले जाना चाहिए था ना,,,


जाने वाला ही था,, लेकिन तभी तुम मेरी तरफ घूम गई और फिर जो नजर आया उसे देखकर मेरी सांसे बंद हो गई,,,।
(इस बार सुरज के कहने का मतलब को जोड़ी अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके चेहरे पर शर्म की लाली मचाने लगी किन फिर भी वह सुरज से और ज्यादा सुनना चाहती थी उसकी खूबसूरती की तारीफ सुनना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)


क्या नजर आया,,,?(गौरी उत्सुकता दिखाते हुए बोली,, सुरज को लगने लगा था कि गौरी भी बहुत जल्दी उसकी बाहों में आने वाली है,,,, इसलिए वह बोला,,)

तुम्हारी खूबसूरत छाती,,,, तुम्हारी छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों दशहरी आम,,,,ऊफफफ,,, मेरे तो मुंह में पानी आने लगा था,,,,

दशहरी आम,,,,(इतना कहकर गौरी फिर से हंसने लगी,,, उसे फिर से हंसता हुआ देखकर सुरज बोला,,)


अब क्यों हंस रही हो,



हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,,दशहरी आम,,,, तुझे दशहरी आम भी पसंद है,,,,।


कोई खास नहीं लेकिन,,, तुम्हारी छातियों को देखकर मुझे दशहरी आम याद आ गया और सच कहूं तो पल भर में ही मुझे दशहरी आम भी सबसे प्रिय लगने लगा,,,,।


लेकिन दशहरी तो बड़े बड़े होते हैं लंबे लंबे,,,, और मेरे तो,,,(इतना कहकर गौरी रुक गई,,,)



हां मैं जानता हूं,,,दशहरी आम बड़े बड़े होते हैं तुम्हारे छोटे छोटे हैं लेकिन जब बड़े होंगे तो एकदम दशहरी आम की तरह और भी ज्यादा खूबसूरत और रसीले हो जाएंगे,,,।
(इस बार अपनी चूचियों की तारीफ सुनकर गौरी शर्म से पानी पानी हो गई सुरज के कहे अनुसार अभी सच में उसकी चूचियां दशहरी आम की तरह बड़ी-बड़ी नहीं थी लेकिन फिर भी बेहद आ कर सकते इतना तो अच्छी तरह से जानती थी शर्म के मारे गौरी इससे ज्यादा नहीं बोल पाई तो सुरज खुद ही उसकी तारीफ के पुल बांधते हुए बोला,,)

और जब मेरी नजर तुम्हारी चिकनी कमर के नीचे नाभि के सीधे नीचे की तरफ गई तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,,,,


क्यों,,? (उत्तेजना के मारे गौरी कांपते स्वर में बोली)

नाभि के नीचे ही तो असली खजाना दोनों टांगों के बीच,,, तुम्हारी वह पतली दरार,,,, लहसुन की कली कि तरह लग रही थी,,,।
(सुरज की बातों को सुनकर गौरी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव करने लगी इस तरह की बातें उसी से आज तक किसी ने भी नहीं की थी इसलिए इस तरह की मादक बातें उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,, उसे लगने लगा कि वह बहुत रही है इसलिए सुरज को तुरंत रोकते हुए बोली,,)

बस कर अब बहुत हो रहा है,,,(तभी वह अपनी नजर नदी की तरफ घुमाई तो उसकी मटकी दूसरे किनारे पर जा पहुंची थी,,, और वह एकदम से बड़बड़ाते हुए बोली,,,)

हाय दैया मेरी मटकी तो वह जा लगी,,,, अब क्या होगा मां तो मुझे मार ही डालेगी,,,,(गौरी एकदम घबराते हुए बोली और उसको इस तरह से घबराता हुआ देखकर सुरज उसे समझाते हुए बोला,,,)

अरे अरे तुम चिंता मत करो मैं लेकर आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही वो अपना कुर्ता निकाल कर वहीं पास में रख दिया उसके गोरा और गठीला बदन देखकर गौरी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वो शनीलमकर दूसरी तरफ नजर घुमा‌ ली और सुरज तुरंत नदी में छलांग लगा दी और तैरता हुआ दूसरे किनारे पर पहुंच गए और वहां से मटकी लेकर आ गया,,, और गौरी को मटकी थमाते हुए बोला,,,।)

जब तक मैं हूं तब तक तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,
(सुरज की यह बात सुनकर की गौरी मुस्कुराने लगी और तभी उसकी नजर सामने की तरफ गई तो वह हंसते हुए बोली,,,)


जाओ संभालो तुम्हारी बकरी और गाय वह देखो दूसरे के खेतों में जा रही है,,,।
(इतना सुनते ही सुरज एकदम से चिल्लाता हुआ और भागता हुआ बोला,,)


अरे बाप रे,,,, अरे रुक जा बस वहीं रुक जा आगे मत बढ़ना,,,(ऐसा कहते हुए सुरज भागता हुआ गाय और बकरी के पीछे जाने लगा और उसका चिल्लाना और उसका भागना देखकर गौरी जोर-जोर से हंसने लगी और नदी का पानी मटकी में भरकर वहां से वापस घर को लौट गई,,, गौरी और सुरज के प्रेम प्रकरण की शुरुआत हो चुकी थी,,।)
 

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