अद्भुत अविस्मरणीय अतुल्य संभोग का सुख भोगते हुए सुरज कजरी के खूबसूरत बदन पर ढेर हो चुका था और कजरी एक असीम आनंद की अनुभूति लेते हुए गहरी सांसे ले रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि संभोग में इतना अत्यधिक आनंद भी कोई दे सकता है,,,, अभी तक वह केवल अपनी वासना की पूर्ति के लिए ही अपने बदन का प्रयोग करती आ रही थी लेकिन आज सही मायने में उसको संभोग के सुख के बारे में ज्ञात हुआ था,,, एक शिक्षिका होने के बावजूद भी आज उसे अपने ही विद्यार्थी से बहुत कुछ सीखने को मिला था,,,,।
ज्ञान सिर्फ शब्दों का हो यह जरूरी नहीं,,, संभोग कला में पारंगत होना भी जीवन में बहुत जरूरी होता है,,, सुरज को शब्दों का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन बहुत ही जल्द उसने संभोग कला में महारत हासिल कर लिया था,,,, और अपनी इस कला का सही उपयोग सही समय पर सही व्यक्ति पर करना उसे बखूबी आता था तभी तो बड़े घर की औरत होने के बावजूद भी कजरी मंत्रमुग्ध से सुरज के सामने चारों खाने चित हो गई थी,,,। कजरी बेलगाम जवानी की मालकिन थी और उसकी जवानी पर अभी तक किसी ने भी लगाम नहीं लगा पाया था,,, जिस किसी के साथ भी संबंध बनाती थी उस पर उसका पूरा वर्चस्व बनाए रहती थी,,,उसके जीवन में आने वाला सुरज ही ऐसा पहला शख्स था जिसके आगे वह घुटने टेक दी थी पूरी तरह से उसके मर्दाना अंग के आगे धराशाई हो गई थी,,,,,, पहली बार में ही सुरज ने मर्दानगी का सही अर्थ उसे समझाया था,,,,।
सुरज का मर्दाना ताकत से भरा हुआ अंग अभी भी कजरी के कोमल अंग को भेदता हुआ उसके अंदर समाया हुआ था,,। ऐसा लग रहा था कि कोई कुशल तैराकी समुंदर को ही अपना घर बना कर उसके अंदर बैठा हुआ है,,,,,, सुरज अपने मोटे तगड़े लंड से कजरी की मदमस्त जवानी की धज्जियां उड़ा दिया था तब तक वह शांत नहीं हुआ जब तक कि अपना गरम लावा से उसकी बुर की कटोरी भर नहीं दिया,,,लंड की गजब की तेज धारदार पिचकारी को अपने बच्चेदानी पर साफ साफ महसूस की थी और पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,,, इतने सारे लावा को वह पहली बार अपनी बुर के अंदर महसूस कर रही थी क्योंकि इतना किसी का निकलता ही नहीं था जितना कि सुरज ने निकाला था,,,।
दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,,कुछ देर तक उसी तरह से शांत लेटे रहने के बाद सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,,।
कैसा लगा कजरी दीदी,,,,
पूछो मत सुरज गजब का मजा आ गया ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था तुम्हारा लंड कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है तुम्हारे जैसा लंड मैंने आज तक नहीं देखी,,,,।
(कजरी के मुंह से अपनी तारीफ खास करके अपने लंड की तारीफ को सुनकर खुश हो गया और उसके होठों को चूम लिया,,,)
तू बहुत खूबसूरत हो कजरी दीदी मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा तुम्हारा अंग अंग ऐसा लगता है कि भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया है,,,,
तुमको भी बहुत मजा आया ना सुरज,,,।
बहुत मजा आया कजरी दीदी,,,,
मुझे दीदी मत बोला करो,,,, दीदी कहते हो तो ऐसा लगता है कि अपनी बहन को ही चोद रहे हो,,,,
तो क्या हुआ कजरी दीदी तुम्हारी जैसी खूबसूरत बहन हो तो कौन भाई होगा जो नहीं चोदेगा,,,,
धत् कैसी बातें करते हो कोई अपनी बहन को चोदता है क्या,,,!
अगर बहन चाहे तो क्यों नहीं,,,,( सुरज अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोला,,, सुरज ने अभी अपनी ममेरी बहन की चुदाई नहीं किया था बहन उससे बड़ी थी जिसकी शादी हो चुकी थी लेकिन अपनी मौसी की चुदाई कर चुका था इसलिए उसे धीरे-धीरे लगने लगा था कि रिश्तो के बीच भी चुदाई मुमकिन है दूसरी तरफ कजरी का भी हाल यही था भले ही वह भाई और बहन के बीच शारीरिक संबंध से इंकार कर रही हो लेकिन वह तो खुद अपने बड़े भाई के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रखती थी इसलिए उसके लिए भी भाई-बहन के बीच का पवित्र रिश्ता कोई मायने नहीं रखता था,,,। सुरज की बात सुनकर कजरी बोली,,,)
तुम पागल हो गए हो सुरज भला रिश्तो के बीच चुदाई मुमकिन कैसे हैं,,,,?
क्यों मुमकिन नहीं है कजरी दीदी जब एक खूबसूरत बहन अपनी बड़ी बड़ी चूची को झूलाते चलेंगी और अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते चलेगी अपने भाई को तड़पाएगी तो क्या होगा,,,जब वह खुद तैयार हो अपने भाई से चुदवाने के लिए तो भाई को भला ईंकार कैसे हो सकता है,,,
(भाई बहन के ऊपर सुरज की बातें और उसका मंतव्य सुनकर कजरी के बदन में गुदगुदी होने लगी थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि दुनिया में केवल वही एक ऐसी औरत नहीं है जो अपने भाई से चुदवाती है ऐसे कई लोग हैं जो अपनी बहन को चोदते हैं,,,,इस बात से उसे थोड़ी संतुष्टि मिल रही थी लेकिन सुरज की उत्तेजना एक बार फिर से बढ़ने लगी थी इसलिए कजरी की बुर में ढीला पड रहा लंड एक बार फिर से खुशी के मारे फूलने लगा था जिसका एहसास कजरी को अपनी बुर के अंदर बराबर हो रहा था,,,, उसे भी आनंद आ रहा था सुरज की ताकत से वह पूरी तरह से परिचित हुए जा रहे थे एक बार झड़ने के बावजूद भी और वह भी उसे तीन बार झड़ चुका था और तुरंत तैयार भी हो रहा था यह सब बातें कजरी को आश्चर्यचकित कर रहे थे नहीं तो एक बार की चुदाई के बाद तो आदमी ढेर हो जाता है,,,, जैसा कि उसका खुद का भाई,,, लेकिन सुरज की बात कुछ और थी इसे थकान बिल्कुल भी महसूस नहीं होती थी,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ईसी कार्य के लिए जन्म लिया है,,,।
कजरी को,,, बड़े जोरो की पिशाब लगी थी,,, इसलिए वह सुरज को अपने ऊपर से उठाते हुए बोली,,,।
चल अच्छा हट,,, बडा आया अपनी बहन को चोदने,,,,
तो क्या अभी अभी तो अपनी बहन को चोदा हुं,,,,
(सुरज के कहने का मतलब को समझकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
मैं तुम्हारी सगी बहन थोड़ी हूं,,,
तो क्या हुआ दीदी तो कहता हूं ना,,,,
(कजरी सुरज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरज था कि हटने का नाम नहीं ले रहा था,,, उसका लंड अभी भी कजरी की बुर में घुसा हुआ था,,,। जोकि धीरे-धीरे फूलने लगा था उसे फूलता होगा कजरी अपनी बुर में बराबर महसूस कर रही थी और इसी की वजह से उसकी उत्तेजना भी फिर से शुरू होने लगी थी लेकिन उसे बड़े जरूर की पेशाब लगी थी इसलिए उसे हटाना जरूरी था वह हट नहीं रहा था इसलिए कजरी जोर देते हुए बोली,,,)
चल अच्छा हट जाओ सगी बहन होती तो नहीं चोदता अभी सिर्फ बातें कर रहा है,,,
नहीं-नहीं जरूर चोदता अगर तुम इसी तरह से मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होती तो जरूर मेरा लंड तुम्हारी बुर में होता जैसा कि अभी घुसा हुआ है,,,,(सुरज धीरे-धीरे जोश में आ रहा था जिसकी वजह से वह हल्के हल्के उसकी चुचियों को मुंह में लेकर काट ले रहा था,,,,उसका इस तरह से चुचियों को काटना अच्छा भी लग रहा था लेकिन पेशाब की तीव्रता की वजह से वह परेशान थे इसलिए ना चाहते हुए भी उसे बोलना पड़ा,,,।)
अरे उतारोगे,,, मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,
(खूबसूरती की मूरत कजरी के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह उत्तेजित स्वर में बोला,,,)
अभी तो मुत कर आई थी,,,
तो क्या हुआ फिर से लग गई है,,,,
तुम्हें पैसाब बहुत जल्दी जल्दी लगती है,,,(इतना कहते हुए वह उठने लगा और कजरी अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर थोड़ी होने लगी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी,,, जहां पर सुरज का लंड अभी भी पूरी तरह से गहराई में धंसा हुआ था,,,, सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,)
तुम्हारी बुर में से लंड को निकालने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है,,,
निकालोगे नहीं तो पैशाब कैसे करुंगी,,,(कजरी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देखते हुए ही बोली,,)
तुम कहती हो तो निकाल देता हूं वरना मेरा इरादा अभी ईसे निकालने का बिल्कुल भी नहीं था,,,,
बहुत शैतान हो मैं तो तुम्हें कितना सीधा साधा समझ रही थी,,,,
अब जिसके पास इतनी खूबसूरत गुलाबी छेद है तो उसे देखकर इंसान कब तक सीधा-साधा रह सकता है,,,,
बातें बहुत आती है तुझे चलो जल्दी से निकालो,,,।
ठीक है महारानी जैसी आपकी आज्ञा,,,(सुरज की बात सुनकर कजरी हंसने लगीऔर सुरज अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को उसके गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच फंसे मुसल को निकालना शुरू कर दिया,,, सुरज अपनी कमर को उठाते हुए अपने लंड को बाहर खींच रहा था बाहर खींचते समय भी लंड की नशे बुर की अंदरूनी दीवारों पर रगड़ खा रही थी जिसकी वजह से कजरी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,और देखते ही देखते सुरज ने अपने लंड को उसकी बुर से पक्क की आवाज के साथ बाहर खींच लिया,,, कजरी मुस्कुराने लगी और खड़ी होने लगी सुरज भी खड़ा हो गया था और अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,।
अब कपड़े मत पहनो फिर से निकालना पड़ेगा,,,,।
तो क्या हुआ निकाल देना कपड़े उतारने में तो तुम माहिर हो,,,
नहीं नहीं तुम बिना कपड़ों के ही बाहर जाओ एकदम नंगी,,, बहुत अच्छा लगेगा,,,,
पागल हो गया क्या बिना कपड़ों के बाहर कैसे जाऊंगी किसी ने देख लिया तो,,,
यहां कौन आएगा देखने के लिए इतनी वीरान जगह है एकदम सुनसान यहां कोई नहीं आता,,,।
नहीं नहीं मैं कपड़े पहन कर ही जाऊंगी,,,(अपने पेटीकोट को नीचे से उठाते हुए बोली तो सुरज तुरंत आगे बढ़ा और उसके हाथ से पेटीकोट छीन लिया और बोला,,,)
कोई नहीं देखेगा ऐसे ही चलो ना एक बार एकदम नंगी बहुत मस्त लगोगी साड़ी में जब चलती हो तो एकदम कयामत लगती हो बिना कपड़ों के चलोगी तो तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड,,,(अपने लंड को पकड़ कर हीलाते हुए) एकदम बावला हो जाएगा,,,,
(सूरज की बात सुनकर वह कुछ सोचने लगी सुरज की बातें उसके मन पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रही थी वह भी बिना कपड़ों के ही बाहर जाना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि बिना कपड़ों के घूमने में घर से बाहर आम के बगीचे में क्या-क्या लगता है वैसे तो घर में व कई बार बिना कपड़ों के घूम चुकी थी लेकिन आज वह अलग अनुभव लेना चाहती थी इसलिए उसकी बात मानते हुए बोली,,,)
ठीक है तेरी बात मैं मान लेती हूं लेकिन तुझे भी इसी तरह से चलना होगा नल तक,,,, वहीं पर में पेशाब करूंगी,,,,
ठीक है कजरी दीदी,,,,
फिर दीदी कहा,,,,
ठीक है कजरी,,,,,
(कजरी मुस्कुराते भी झोपड़ी के बाहर कदम रखने से पहले एक बार चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है वैसे भी इस जगह पर कोई आता नहीं था फिर भी वह थोड़ी तसल्ली कर लेना चाहती थी और जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तो वह अपना एक कदम बाहर निकाल दी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी आज वह पहली बार घर के बाहर नंगी घूमने का अनुभव ले रही थी पीछे पीछे सुरज खड़ा था जो कि झोपड़ी से बाहर निकलने मैं समय ले रही थी तो वह ठीक कजरी के पीछे आ गया उसकी चूची दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ने लगा सुरज की हरकत से वग पूरी तरह से बावली हो गई,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।
सहहहहहह ,,,,,आहहहहहहह सुरज,,,,,, पेशाब तो कर लेने दे,,,,
रोका किसने है खड़े-खड़े मुत लो,,,ना,,,
धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,, छोड़ो मुझे,,,,( और इतना कहकर झोपड़ी के बाहर निकल गई,,, आगे आगे चल रही है कजरी की बड़ी बड़ी गांड मटकते हुए देखकर सुरज के होश उड़ रहे थे,,,,उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्वर्ग में पहुंच गया और वहां पर परियों के साथ काम लीला रचा रहा हो,,,, आगे-आगे चल रही कजरी उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लग रही थी साड़ी में चलते हुए उसे देखा था लेकिन नंगी देखने का सुख उसके भाग्य में लिखा हुआ था इसीलिए आज वहां इस आम के बगीचे में हमसे बिना कपड़ों के चलते हुए देख रहा था कजरी रह-रहकर पीछे की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और जवाब में सुरज अपना लंड पकड़ कर हिला दे रहा था,,, दोनों की इस तरह की हरकतें बेहद मदहोशी फैला रही थी दोनों की आंखों में चार बोतलो का नशा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते कजरी हेड पंप के पास पहुंच गई और बेझिझक सुरज के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दि,,, ५ कदम की दूरी पर सुरज खड़ा हो गया था क्योंकि उसे इतने जोरो की पिशाब लगी हुई थी कि उसकी गुलाबी बुर के छेद से पेशाब की धार बाहर निकलने लगी और साथ ही उसमें से मधुर सिटी की ध्वनि सुनाई देने के लिए जो कि सुरज के हौसले पस्त कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,
कजरी पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त हो चुकी थी सुरज उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था और तुरंत ठीक उसके पीछे बैठ गया और अपने लंड को उसकी गांड के बीचो-बीच से निकालकर उसकी बोर के गुलाब की पत्तियों पर अपने लंड की ठोकर मारने लगा,,,, कजरी को जैसे ही यह एहसास हुआ और पूरी तरह से बावरी हो गई उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी और वो सुरज को रोकने के बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अपनी नजरों को पीछे करके उसको देखने लगी और सुरज अपने होठों को आगे बढ़ा कर उसके होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा,,,,, और कजरी तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर सुरज के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी बुर पर रख देना शुरू कर दिया हालांकि अभी भी वह पेशाब की धार मार रही थी जो कि रह-रहकर सुरज के लंड की सुपाड़े को भिगो दे रही थी जिसे जरा जो कि उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,,,,,,,।
सुरज पूरी तरह से बदहवास हो चुका था वह तुरंत कजरी की बांह पकड़कर उसे खड़ी उठाने लगा,,, कजरी ठीक से मुत नहीं पाई थी लेकिन फिर भी मंत्रमुग्ध से सुरज के इशारे पर नाचने लगे थे वह खड़ी हो गई थी और सुरज उसे हेड पंप के सहारे उसकी गांड टीका कर उसे खड़ी कर दिया था,,,, कजरी की गुलाबी बुर लप-लपा रही थी,,,गहरी सांस खींचते हुए सुरज उसकी चिकनी बुर की तरफ देखा और तुरंत अपने होंठ को उसकी बुर से लगा दिया जिस पर अभी भी पेशाब की बूंदे लगी हुई थी और वह भेज जग अपने होठों पर ओस की बूंद की तरह लेकर उसे जीभ के सहारे अपने गले के नीचे उतार दिया,,,, अद्भुत सुख और रोमांच से कजरी पूरी तरह से मस्त होने लगी उसकी आंखें खुली थी और वो चारों तरफ देख रही थी कहीं कोई आ ना जाए उसे डर भी लग रहा था जो कि वहां पर कोई आने वाला नहीं था आज आसमान के नीचे खुले में नंगी होकर जवानी का मजा लेने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, वास्तव में सुरज उसे बेमिसाल लगने लगा था,,,,। सुरज पागलों की तरह उसकी बुर चाट रहा था कजरी भी पूरी तरह से मस्त होकर अपनी बुर को गोल-गोल घुमाते उसके चेहरे पर रख रही थी हालांकि वह ठीक से पेशाब नहीं कर पाएगी इसके उत्तेजना के मारे उसकी बुर से रह-रहकर पेशाब की धार फूट पड़ रही थी जो कि सुरज उसे अमृत की धार समझ कर उसे अपने मुंह में लेकर पी जा रहा था यह कजरी और सुरज के लिए बेहद अनोखा अनुभव था जिसमें पूरी तरह से दोनों भीग चुके थे,,,, सुरज की उत्तेजना और उसका हौसला देखकर कजरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। एक तरह से वह सुरज की गुलाम बन चुकी थी जितना सोची थी उससे कई ज्यादा सुरज से मजा दे रहा था रह रह कर सुरज अपनी उंगली उसकी बुर में डाल दे रहा था जिसकी वजह से अपनी उत्तेजना को ना संभाल पाने के कारण वह हेड पंप के हफ्ते को कस के पकड़ ले रही थी और खुद भी अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रही थी,,,, पेशाब का स्वाद नमकीन खारेपन का था लेकिन सुरज को उसकी पेशाब का स्वाद अमृत से कम नहीं लग रहा था धीरे-धीरे करके वहां उसकी बुर से निकलने वाले पैशाब को पूरी तरह से अपने गले के नीचे गटक गया था,,,,,कजरी की गर्म शिसकारियों की आवाज से पूरा आम का बगीचा पूछ रहा था लेकिन उसे सुनने वाला वहां कोई नहीं था,,,,।
सुरज से अब रहा नहीं जा रहा था वह तुरंत खड़ा हुआ है और अपने लंड को खड़े-खड़े ही ,,, कजरी की बुर में डालना शुरू कर दिया,,, सुरज का लंड आराम से चला जाए इसलिए कजरी अपनी एक टांग उठा कर वापस उसकी कमर में डाल दी और सुरज बड़े आराम से उसकी एक टांग उठा है उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया अद्भुत संभोग,,, शायद इस तरह के संभोग के बारे में कजरी ने भी कभी कल्पना नहीं की थी,,, सुरज का हर एक धक्का उसके होश उड़ा रहा था,,,
सुरज की कमर लगातार चल रही थी,,,।
कजरी अपने शर्मो हया सब कुछ त्याग चुकी थी,,, तभी तो जिंदगी का सबसे अनोखा सुख भोग रही थी जिसकी कल्पना भी कर पाना मुश्किल था बड़े घर की औरतें इस तरह से खुले में आम के बगीचे में नंगी होकर गांव के लड़के से चुदवाएगी इस बारे में किसी ने भी कल्पना नहीं की थी,,, वैसे भी सुरज की हिम्मत की दाद देना पड़ जाए क्योंकि ऐसा काम लोग चोरी छुपे घर के अंदर करते हैं लेकिन वह किसी की परवाह किए बिना अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए लाला की बहन को झोपड़ी से बाहर लाकर उसके चुदाई कर रहा था,,,,
अपनी टांग को उठाएं उठाएं कजरी को दर्द महसूस होने लगा था लेकिन फिर भी दर्द की परवाह किए बिना वह संभोग के असीम सुख को प्राप्त करने में लगी हुई थी और देखते ही देखते दोनों की सांसे तेजी से चलने लगी,,, और सुरज बिना आसन बदले एक बार फिर से कजरी को चांद पर लेकर जा चुका था दोनों का लावा निकल चुका था सुरज अपना लंड बुर से बाहर निकाल कर अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगा और कजरी गहरी गहरी सांसें लेने लगी,,,।
बाप रे कितना हरामी है तु अपनी मनमानी करने से पीछे नहीं हटता,,,
क्या करूं तुम्हारी जवानी का नशा ही कुछ ऐसा है कि बार-बार पीने को मन करता है,,,,।
दो दो बार झढ़ने के बाद भी सुरज का लंड ज्यों का त्यों खड़ा था,,,, और वह वही पर कजरी की आंखों के सामने ही खड़े होकर पेशाब करने लगा,,, सुरज की इस हरकत पर कजरी हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,।
अरे थोड़ी तो शर्म कर लिया होता,,, दूर जाकर मुत नहीं सकते थे,,,
अब तुम से कैसी शर्म,,,,(इतना कहकर मुस्कुराने का क्या और सुरज का कहना भी ठीक ही था कजरी यह बात अच्छी तरह से जानती थी,,,, कुछ देर तक वह दोनों वहीं खड़े रहे नंगे पन का एहसास दोनों को एकदम मस्त कर रहा था शाम ढलने वाली थी और कजरी बोली,,,।)
बहुत देर हो गई है अब मुझे चलना चाहिए,,,, अंधेरा हो गया तो मुश्किल हो जाएगी भैया तरह तरह के सवाल पूछना शुरू कर देंगे,,,।
तो क्या हुआ बता देना कि आम के बगीचे में चुदवा रही थी,,,।
धत्,,,,,(और इतना कहकर कजरी इतनी गांड मटका कर झोपड़ी के अंदर जाने लगी तो पीछे पीछे सुरज भी चल दिया,,,, कजरी झोपड़ी के अंदर अपनी पेटीकोट उठाकर उसे पहन कर अपनी डोरी बांध रही थी,,, वहीं पास में पड़ी कजरी की चड्डी को उठाकर सुरज उसे चारों तरफ घुमा कर देखने लगा एकदम मखमली कपड़े की बनी हुई थी सुरज से रहा नहीं गया और वह अपनी नाक से लगाकर उसे सुंघने होने लगा,,,,)
वाहहह ,,, क्या खुशबू है एकदम तरोताजा मेरा तो फिर से लंड खड़ा होने लगा है,,,,,,,(सुरज की बात सुनते हैं कजरी सुरज की तरफ देखी तो उसे अपनी चड्डी सुनता हुआ पाकर ही दम हैरान हो गई और बोली,,)
तुम सच में एकदम पागल हो,,,
तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,
धत् पागल,,,,(इतना कहकर सुरज की तरफ पीठ करके नीचे झुक कर अपनी साड़ी उठाने लगी तो उसके झुकने की वजह से उसका बड़ा पिछवाड़ा देखा कर सुरज से रहा नहीं गया वैसे भी उसकी चड्डी सुंघकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और वह बिना समय गंवाए सीधा उसके पीछे पहुंच गया था,,,और वह नीचे गिरी साड़ी उठा पाती इससे पहले ही सुरज पीछे से उसकी पेटीकोट कमर तक उठा दिया था,,, और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डाल दिया वह उसे रोकती रह गई लेकिन वह उसे चोदना शुरु कर दिया कजरी के तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह सुरज की इस मनमानी का मजा लेने लगी पीछे से भी सुरज का लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा थाजो कि यह कजरी के लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि पीछे से कोई भी उसकी चुदाई अच्छा नहीं कर पाता था,,, सुरज बड़े आराम से कर रहा था इसलिए वह मजा लेने लगी और अपने कर्मचारियों से एक बार फिर से पुरी झोपड़ी को संगीतमय बना दी,,,,।
थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर झोपड़ी से बाहर निकल गए और जाते समय कजरी उसके होठों पर चुंबन करके उससे विदा ली और वहां से अपने घर की तरफ निकल गई सुरज भी अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,।
ज्ञान सिर्फ शब्दों का हो यह जरूरी नहीं,,, संभोग कला में पारंगत होना भी जीवन में बहुत जरूरी होता है,,, सुरज को शब्दों का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन बहुत ही जल्द उसने संभोग कला में महारत हासिल कर लिया था,,,, और अपनी इस कला का सही उपयोग सही समय पर सही व्यक्ति पर करना उसे बखूबी आता था तभी तो बड़े घर की औरत होने के बावजूद भी कजरी मंत्रमुग्ध से सुरज के सामने चारों खाने चित हो गई थी,,,। कजरी बेलगाम जवानी की मालकिन थी और उसकी जवानी पर अभी तक किसी ने भी लगाम नहीं लगा पाया था,,, जिस किसी के साथ भी संबंध बनाती थी उस पर उसका पूरा वर्चस्व बनाए रहती थी,,,उसके जीवन में आने वाला सुरज ही ऐसा पहला शख्स था जिसके आगे वह घुटने टेक दी थी पूरी तरह से उसके मर्दाना अंग के आगे धराशाई हो गई थी,,,,,, पहली बार में ही सुरज ने मर्दानगी का सही अर्थ उसे समझाया था,,,,।
सुरज का मर्दाना ताकत से भरा हुआ अंग अभी भी कजरी के कोमल अंग को भेदता हुआ उसके अंदर समाया हुआ था,,। ऐसा लग रहा था कि कोई कुशल तैराकी समुंदर को ही अपना घर बना कर उसके अंदर बैठा हुआ है,,,,,, सुरज अपने मोटे तगड़े लंड से कजरी की मदमस्त जवानी की धज्जियां उड़ा दिया था तब तक वह शांत नहीं हुआ जब तक कि अपना गरम लावा से उसकी बुर की कटोरी भर नहीं दिया,,,लंड की गजब की तेज धारदार पिचकारी को अपने बच्चेदानी पर साफ साफ महसूस की थी और पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,,, इतने सारे लावा को वह पहली बार अपनी बुर के अंदर महसूस कर रही थी क्योंकि इतना किसी का निकलता ही नहीं था जितना कि सुरज ने निकाला था,,,।
दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,,कुछ देर तक उसी तरह से शांत लेटे रहने के बाद सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,,।
कैसा लगा कजरी दीदी,,,,
पूछो मत सुरज गजब का मजा आ गया ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं मिला था तुम्हारा लंड कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है तुम्हारे जैसा लंड मैंने आज तक नहीं देखी,,,,।
(कजरी के मुंह से अपनी तारीफ खास करके अपने लंड की तारीफ को सुनकर खुश हो गया और उसके होठों को चूम लिया,,,)
तू बहुत खूबसूरत हो कजरी दीदी मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा तुम्हारा अंग अंग ऐसा लगता है कि भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया है,,,,
तुमको भी बहुत मजा आया ना सुरज,,,।
बहुत मजा आया कजरी दीदी,,,,
मुझे दीदी मत बोला करो,,,, दीदी कहते हो तो ऐसा लगता है कि अपनी बहन को ही चोद रहे हो,,,,
तो क्या हुआ कजरी दीदी तुम्हारी जैसी खूबसूरत बहन हो तो कौन भाई होगा जो नहीं चोदेगा,,,,
धत् कैसी बातें करते हो कोई अपनी बहन को चोदता है क्या,,,!
अगर बहन चाहे तो क्यों नहीं,,,,( सुरज अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोला,,, सुरज ने अभी अपनी ममेरी बहन की चुदाई नहीं किया था बहन उससे बड़ी थी जिसकी शादी हो चुकी थी लेकिन अपनी मौसी की चुदाई कर चुका था इसलिए उसे धीरे-धीरे लगने लगा था कि रिश्तो के बीच भी चुदाई मुमकिन है दूसरी तरफ कजरी का भी हाल यही था भले ही वह भाई और बहन के बीच शारीरिक संबंध से इंकार कर रही हो लेकिन वह तो खुद अपने बड़े भाई के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रखती थी इसलिए उसके लिए भी भाई-बहन के बीच का पवित्र रिश्ता कोई मायने नहीं रखता था,,,। सुरज की बात सुनकर कजरी बोली,,,)
तुम पागल हो गए हो सुरज भला रिश्तो के बीच चुदाई मुमकिन कैसे हैं,,,,?
क्यों मुमकिन नहीं है कजरी दीदी जब एक खूबसूरत बहन अपनी बड़ी बड़ी चूची को झूलाते चलेंगी और अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते चलेगी अपने भाई को तड़पाएगी तो क्या होगा,,,जब वह खुद तैयार हो अपने भाई से चुदवाने के लिए तो भाई को भला ईंकार कैसे हो सकता है,,,
(भाई बहन के ऊपर सुरज की बातें और उसका मंतव्य सुनकर कजरी के बदन में गुदगुदी होने लगी थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि दुनिया में केवल वही एक ऐसी औरत नहीं है जो अपने भाई से चुदवाती है ऐसे कई लोग हैं जो अपनी बहन को चोदते हैं,,,,इस बात से उसे थोड़ी संतुष्टि मिल रही थी लेकिन सुरज की उत्तेजना एक बार फिर से बढ़ने लगी थी इसलिए कजरी की बुर में ढीला पड रहा लंड एक बार फिर से खुशी के मारे फूलने लगा था जिसका एहसास कजरी को अपनी बुर के अंदर बराबर हो रहा था,,,, उसे भी आनंद आ रहा था सुरज की ताकत से वह पूरी तरह से परिचित हुए जा रहे थे एक बार झड़ने के बावजूद भी और वह भी उसे तीन बार झड़ चुका था और तुरंत तैयार भी हो रहा था यह सब बातें कजरी को आश्चर्यचकित कर रहे थे नहीं तो एक बार की चुदाई के बाद तो आदमी ढेर हो जाता है,,,, जैसा कि उसका खुद का भाई,,, लेकिन सुरज की बात कुछ और थी इसे थकान बिल्कुल भी महसूस नहीं होती थी,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ईसी कार्य के लिए जन्म लिया है,,,।
कजरी को,,, बड़े जोरो की पिशाब लगी थी,,, इसलिए वह सुरज को अपने ऊपर से उठाते हुए बोली,,,।
चल अच्छा हट,,, बडा आया अपनी बहन को चोदने,,,,
तो क्या अभी अभी तो अपनी बहन को चोदा हुं,,,,
(सुरज के कहने का मतलब को समझकर कजरी मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
मैं तुम्हारी सगी बहन थोड़ी हूं,,,
तो क्या हुआ दीदी तो कहता हूं ना,,,,
(कजरी सुरज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरज था कि हटने का नाम नहीं ले रहा था,,, उसका लंड अभी भी कजरी की बुर में घुसा हुआ था,,,। जोकि धीरे-धीरे फूलने लगा था उसे फूलता होगा कजरी अपनी बुर में बराबर महसूस कर रही थी और इसी की वजह से उसकी उत्तेजना भी फिर से शुरू होने लगी थी लेकिन उसे बड़े जरूर की पेशाब लगी थी इसलिए उसे हटाना जरूरी था वह हट नहीं रहा था इसलिए कजरी जोर देते हुए बोली,,,)
चल अच्छा हट जाओ सगी बहन होती तो नहीं चोदता अभी सिर्फ बातें कर रहा है,,,
नहीं-नहीं जरूर चोदता अगर तुम इसी तरह से मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होती तो जरूर मेरा लंड तुम्हारी बुर में होता जैसा कि अभी घुसा हुआ है,,,,(सुरज धीरे-धीरे जोश में आ रहा था जिसकी वजह से वह हल्के हल्के उसकी चुचियों को मुंह में लेकर काट ले रहा था,,,,उसका इस तरह से चुचियों को काटना अच्छा भी लग रहा था लेकिन पेशाब की तीव्रता की वजह से वह परेशान थे इसलिए ना चाहते हुए भी उसे बोलना पड़ा,,,।)
अरे उतारोगे,,, मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,
(खूबसूरती की मूरत कजरी के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह उत्तेजित स्वर में बोला,,,)
अभी तो मुत कर आई थी,,,
तो क्या हुआ फिर से लग गई है,,,,
तुम्हें पैसाब बहुत जल्दी जल्दी लगती है,,,(इतना कहते हुए वह उठने लगा और कजरी अपने हाथ की कोहनी का सहारा लेकर थोड़ी होने लगी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर दी,,, जहां पर सुरज का लंड अभी भी पूरी तरह से गहराई में धंसा हुआ था,,,, सुरज कजरी की आंखों में देखते हुए बोला,,,)
तुम्हारी बुर में से लंड को निकालने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है,,,
निकालोगे नहीं तो पैशाब कैसे करुंगी,,,(कजरी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देखते हुए ही बोली,,)
तुम कहती हो तो निकाल देता हूं वरना मेरा इरादा अभी ईसे निकालने का बिल्कुल भी नहीं था,,,,
बहुत शैतान हो मैं तो तुम्हें कितना सीधा साधा समझ रही थी,,,,
अब जिसके पास इतनी खूबसूरत गुलाबी छेद है तो उसे देखकर इंसान कब तक सीधा-साधा रह सकता है,,,,
बातें बहुत आती है तुझे चलो जल्दी से निकालो,,,।
ठीक है महारानी जैसी आपकी आज्ञा,,,(सुरज की बात सुनकर कजरी हंसने लगीऔर सुरज अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को उसके गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच फंसे मुसल को निकालना शुरू कर दिया,,, सुरज अपनी कमर को उठाते हुए अपने लंड को बाहर खींच रहा था बाहर खींचते समय भी लंड की नशे बुर की अंदरूनी दीवारों पर रगड़ खा रही थी जिसकी वजह से कजरी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,और देखते ही देखते सुरज ने अपने लंड को उसकी बुर से पक्क की आवाज के साथ बाहर खींच लिया,,, कजरी मुस्कुराने लगी और खड़ी होने लगी सुरज भी खड़ा हो गया था और अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,।
अब कपड़े मत पहनो फिर से निकालना पड़ेगा,,,,।
तो क्या हुआ निकाल देना कपड़े उतारने में तो तुम माहिर हो,,,
नहीं नहीं तुम बिना कपड़ों के ही बाहर जाओ एकदम नंगी,,, बहुत अच्छा लगेगा,,,,
पागल हो गया क्या बिना कपड़ों के बाहर कैसे जाऊंगी किसी ने देख लिया तो,,,
यहां कौन आएगा देखने के लिए इतनी वीरान जगह है एकदम सुनसान यहां कोई नहीं आता,,,।
नहीं नहीं मैं कपड़े पहन कर ही जाऊंगी,,,(अपने पेटीकोट को नीचे से उठाते हुए बोली तो सुरज तुरंत आगे बढ़ा और उसके हाथ से पेटीकोट छीन लिया और बोला,,,)
कोई नहीं देखेगा ऐसे ही चलो ना एक बार एकदम नंगी बहुत मस्त लगोगी साड़ी में जब चलती हो तो एकदम कयामत लगती हो बिना कपड़ों के चलोगी तो तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड,,,(अपने लंड को पकड़ कर हीलाते हुए) एकदम बावला हो जाएगा,,,,
(सूरज की बात सुनकर वह कुछ सोचने लगी सुरज की बातें उसके मन पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रही थी वह भी बिना कपड़ों के ही बाहर जाना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि बिना कपड़ों के घूमने में घर से बाहर आम के बगीचे में क्या-क्या लगता है वैसे तो घर में व कई बार बिना कपड़ों के घूम चुकी थी लेकिन आज वह अलग अनुभव लेना चाहती थी इसलिए उसकी बात मानते हुए बोली,,,)
ठीक है तेरी बात मैं मान लेती हूं लेकिन तुझे भी इसी तरह से चलना होगा नल तक,,,, वहीं पर में पेशाब करूंगी,,,,
ठीक है कजरी दीदी,,,,
फिर दीदी कहा,,,,
ठीक है कजरी,,,,,
(कजरी मुस्कुराते भी झोपड़ी के बाहर कदम रखने से पहले एक बार चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है वैसे भी इस जगह पर कोई आता नहीं था फिर भी वह थोड़ी तसल्ली कर लेना चाहती थी और जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तो वह अपना एक कदम बाहर निकाल दी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर तोड़ने लगी आज वह पहली बार घर के बाहर नंगी घूमने का अनुभव ले रही थी पीछे पीछे सुरज खड़ा था जो कि झोपड़ी से बाहर निकलने मैं समय ले रही थी तो वह ठीक कजरी के पीछे आ गया उसकी चूची दोनों हाथों से पकड़कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ने लगा सुरज की हरकत से वग पूरी तरह से बावली हो गई,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।
सहहहहहह ,,,,,आहहहहहहह सुरज,,,,,, पेशाब तो कर लेने दे,,,,
रोका किसने है खड़े-खड़े मुत लो,,,ना,,,
धत्,,,, पागल हो गया है क्या,,,, छोड़ो मुझे,,,,( और इतना कहकर झोपड़ी के बाहर निकल गई,,, आगे आगे चल रही है कजरी की बड़ी बड़ी गांड मटकते हुए देखकर सुरज के होश उड़ रहे थे,,,,उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह स्वर्ग में पहुंच गया और वहां पर परियों के साथ काम लीला रचा रहा हो,,,, आगे-आगे चल रही कजरी उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लग रही थी साड़ी में चलते हुए उसे देखा था लेकिन नंगी देखने का सुख उसके भाग्य में लिखा हुआ था इसीलिए आज वहां इस आम के बगीचे में हमसे बिना कपड़ों के चलते हुए देख रहा था कजरी रह-रहकर पीछे की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और जवाब में सुरज अपना लंड पकड़ कर हिला दे रहा था,,, दोनों की इस तरह की हरकतें बेहद मदहोशी फैला रही थी दोनों की आंखों में चार बोतलो का नशा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते कजरी हेड पंप के पास पहुंच गई और बेझिझक सुरज के सामने ही अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर नीचे बैठ गई और मुतना शुरू कर दि,,, ५ कदम की दूरी पर सुरज खड़ा हो गया था क्योंकि उसे इतने जोरो की पिशाब लगी हुई थी कि उसकी गुलाबी बुर के छेद से पेशाब की धार बाहर निकलने लगी और साथ ही उसमें से मधुर सिटी की ध्वनि सुनाई देने के लिए जो कि सुरज के हौसले पस्त कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,,
कजरी पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त हो चुकी थी सुरज उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था और तुरंत ठीक उसके पीछे बैठ गया और अपने लंड को उसकी गांड के बीचो-बीच से निकालकर उसकी बोर के गुलाब की पत्तियों पर अपने लंड की ठोकर मारने लगा,,,, कजरी को जैसे ही यह एहसास हुआ और पूरी तरह से बावरी हो गई उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी और वो सुरज को रोकने के बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अपनी नजरों को पीछे करके उसको देखने लगी और सुरज अपने होठों को आगे बढ़ा कर उसके होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करने लगा,,,,, और कजरी तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर सुरज के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी बुर पर रख देना शुरू कर दिया हालांकि अभी भी वह पेशाब की धार मार रही थी जो कि रह-रहकर सुरज के लंड की सुपाड़े को भिगो दे रही थी जिसे जरा जो कि उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,,,,,,,।
सुरज पूरी तरह से बदहवास हो चुका था वह तुरंत कजरी की बांह पकड़कर उसे खड़ी उठाने लगा,,, कजरी ठीक से मुत नहीं पाई थी लेकिन फिर भी मंत्रमुग्ध से सुरज के इशारे पर नाचने लगे थे वह खड़ी हो गई थी और सुरज उसे हेड पंप के सहारे उसकी गांड टीका कर उसे खड़ी कर दिया था,,,, कजरी की गुलाबी बुर लप-लपा रही थी,,,गहरी सांस खींचते हुए सुरज उसकी चिकनी बुर की तरफ देखा और तुरंत अपने होंठ को उसकी बुर से लगा दिया जिस पर अभी भी पेशाब की बूंदे लगी हुई थी और वह भेज जग अपने होठों पर ओस की बूंद की तरह लेकर उसे जीभ के सहारे अपने गले के नीचे उतार दिया,,,, अद्भुत सुख और रोमांच से कजरी पूरी तरह से मस्त होने लगी उसकी आंखें खुली थी और वो चारों तरफ देख रही थी कहीं कोई आ ना जाए उसे डर भी लग रहा था जो कि वहां पर कोई आने वाला नहीं था आज आसमान के नीचे खुले में नंगी होकर जवानी का मजा लेने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, वास्तव में सुरज उसे बेमिसाल लगने लगा था,,,,। सुरज पागलों की तरह उसकी बुर चाट रहा था कजरी भी पूरी तरह से मस्त होकर अपनी बुर को गोल-गोल घुमाते उसके चेहरे पर रख रही थी हालांकि वह ठीक से पेशाब नहीं कर पाएगी इसके उत्तेजना के मारे उसकी बुर से रह-रहकर पेशाब की धार फूट पड़ रही थी जो कि सुरज उसे अमृत की धार समझ कर उसे अपने मुंह में लेकर पी जा रहा था यह कजरी और सुरज के लिए बेहद अनोखा अनुभव था जिसमें पूरी तरह से दोनों भीग चुके थे,,,, सुरज की उत्तेजना और उसका हौसला देखकर कजरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। एक तरह से वह सुरज की गुलाम बन चुकी थी जितना सोची थी उससे कई ज्यादा सुरज से मजा दे रहा था रह रह कर सुरज अपनी उंगली उसकी बुर में डाल दे रहा था जिसकी वजह से अपनी उत्तेजना को ना संभाल पाने के कारण वह हेड पंप के हफ्ते को कस के पकड़ ले रही थी और खुद भी अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रही थी,,,, पेशाब का स्वाद नमकीन खारेपन का था लेकिन सुरज को उसकी पेशाब का स्वाद अमृत से कम नहीं लग रहा था धीरे-धीरे करके वहां उसकी बुर से निकलने वाले पैशाब को पूरी तरह से अपने गले के नीचे गटक गया था,,,,,कजरी की गर्म शिसकारियों की आवाज से पूरा आम का बगीचा पूछ रहा था लेकिन उसे सुनने वाला वहां कोई नहीं था,,,,।
सुरज से अब रहा नहीं जा रहा था वह तुरंत खड़ा हुआ है और अपने लंड को खड़े-खड़े ही ,,, कजरी की बुर में डालना शुरू कर दिया,,, सुरज का लंड आराम से चला जाए इसलिए कजरी अपनी एक टांग उठा कर वापस उसकी कमर में डाल दी और सुरज बड़े आराम से उसकी एक टांग उठा है उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया अद्भुत संभोग,,, शायद इस तरह के संभोग के बारे में कजरी ने भी कभी कल्पना नहीं की थी,,, सुरज का हर एक धक्का उसके होश उड़ा रहा था,,,
सुरज की कमर लगातार चल रही थी,,,।
कजरी अपने शर्मो हया सब कुछ त्याग चुकी थी,,, तभी तो जिंदगी का सबसे अनोखा सुख भोग रही थी जिसकी कल्पना भी कर पाना मुश्किल था बड़े घर की औरतें इस तरह से खुले में आम के बगीचे में नंगी होकर गांव के लड़के से चुदवाएगी इस बारे में किसी ने भी कल्पना नहीं की थी,,, वैसे भी सुरज की हिम्मत की दाद देना पड़ जाए क्योंकि ऐसा काम लोग चोरी छुपे घर के अंदर करते हैं लेकिन वह किसी की परवाह किए बिना अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए लाला की बहन को झोपड़ी से बाहर लाकर उसके चुदाई कर रहा था,,,,
अपनी टांग को उठाएं उठाएं कजरी को दर्द महसूस होने लगा था लेकिन फिर भी दर्द की परवाह किए बिना वह संभोग के असीम सुख को प्राप्त करने में लगी हुई थी और देखते ही देखते दोनों की सांसे तेजी से चलने लगी,,, और सुरज बिना आसन बदले एक बार फिर से कजरी को चांद पर लेकर जा चुका था दोनों का लावा निकल चुका था सुरज अपना लंड बुर से बाहर निकाल कर अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगा और कजरी गहरी गहरी सांसें लेने लगी,,,।
बाप रे कितना हरामी है तु अपनी मनमानी करने से पीछे नहीं हटता,,,
क्या करूं तुम्हारी जवानी का नशा ही कुछ ऐसा है कि बार-बार पीने को मन करता है,,,,।
दो दो बार झढ़ने के बाद भी सुरज का लंड ज्यों का त्यों खड़ा था,,,, और वह वही पर कजरी की आंखों के सामने ही खड़े होकर पेशाब करने लगा,,, सुरज की इस हरकत पर कजरी हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,।
अरे थोड़ी तो शर्म कर लिया होता,,, दूर जाकर मुत नहीं सकते थे,,,
अब तुम से कैसी शर्म,,,,(इतना कहकर मुस्कुराने का क्या और सुरज का कहना भी ठीक ही था कजरी यह बात अच्छी तरह से जानती थी,,,, कुछ देर तक वह दोनों वहीं खड़े रहे नंगे पन का एहसास दोनों को एकदम मस्त कर रहा था शाम ढलने वाली थी और कजरी बोली,,,।)
बहुत देर हो गई है अब मुझे चलना चाहिए,,,, अंधेरा हो गया तो मुश्किल हो जाएगी भैया तरह तरह के सवाल पूछना शुरू कर देंगे,,,।
तो क्या हुआ बता देना कि आम के बगीचे में चुदवा रही थी,,,।
धत्,,,,,(और इतना कहकर कजरी इतनी गांड मटका कर झोपड़ी के अंदर जाने लगी तो पीछे पीछे सुरज भी चल दिया,,,, कजरी झोपड़ी के अंदर अपनी पेटीकोट उठाकर उसे पहन कर अपनी डोरी बांध रही थी,,, वहीं पास में पड़ी कजरी की चड्डी को उठाकर सुरज उसे चारों तरफ घुमा कर देखने लगा एकदम मखमली कपड़े की बनी हुई थी सुरज से रहा नहीं गया और वह अपनी नाक से लगाकर उसे सुंघने होने लगा,,,,)
वाहहह ,,, क्या खुशबू है एकदम तरोताजा मेरा तो फिर से लंड खड़ा होने लगा है,,,,,,,(सुरज की बात सुनते हैं कजरी सुरज की तरफ देखी तो उसे अपनी चड्डी सुनता हुआ पाकर ही दम हैरान हो गई और बोली,,)
तुम सच में एकदम पागल हो,,,
तुम्हारा दीवाना हो गया हूं,,,
धत् पागल,,,,(इतना कहकर सुरज की तरफ पीठ करके नीचे झुक कर अपनी साड़ी उठाने लगी तो उसके झुकने की वजह से उसका बड़ा पिछवाड़ा देखा कर सुरज से रहा नहीं गया वैसे भी उसकी चड्डी सुंघकर वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और वह बिना समय गंवाए सीधा उसके पीछे पहुंच गया था,,,और वह नीचे गिरी साड़ी उठा पाती इससे पहले ही सुरज पीछे से उसकी पेटीकोट कमर तक उठा दिया था,,, और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डाल दिया वह उसे रोकती रह गई लेकिन वह उसे चोदना शुरु कर दिया कजरी के तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह सुरज की इस मनमानी का मजा लेने लगी पीछे से भी सुरज का लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा थाजो कि यह कजरी के लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि पीछे से कोई भी उसकी चुदाई अच्छा नहीं कर पाता था,,, सुरज बड़े आराम से कर रहा था इसलिए वह मजा लेने लगी और अपने कर्मचारियों से एक बार फिर से पुरी झोपड़ी को संगीतमय बना दी,,,,।
थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर झोपड़ी से बाहर निकल गए और जाते समय कजरी उसके होठों पर चुंबन करके उससे विदा ली और वहां से अपने घर की तरफ निकल गई सुरज भी अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,।