रूपाली बाजार देखकर एकदम खुश हो गई थी वह पल में ही उस बात को आई गई कर दी थी इस बात से उसका पानी निकल गया था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका भांजा उससे इस हद तक बेहद गंदे शब्दों में बात करेगा सीधा-सीधा उसका भांजा उसे चोदने की बात कर रहा था अपने मोटे तगड़े लंड से और दावा भी कर रहा था कि उसके लंड से चुदने के बाद वह पूरी तरह से तृप्ति का एहसास करेगी,,,, जैसा कि आज तक उसने महसूस नहीं कर पाई थी भले ही वह दो बच्चों की मां बन चुकी थी लेकिन अपने पति से संपूर्ण सुख का अहसास नहीं कर पाई थी,,,,
थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी बाजार में पहुंच चुकी थी बरसों बाद रूपाली बाजार में आई थी इसलिए उसकी खुशी फूले नहीं समा रही थी एक अच्छी सी जगह बड़ा सा पेड़ देखकर सुरज बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया और पीछे जाकर अपनी मामी को उतरने में सहायता करने लगा उतरते समय एक पाव रूपाली बैलगाड़ी में ही बंदे पैर रखने के लिए पाटे पर रख दी आगे चल कर खुद सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़कर उसे उतरने में मदद कराने लगा,,,, बैलगाड़ी से उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से ब्लाउज में से झांकती रूपाली की लाजवाब चुचियों का थोड़ा सा भाग नजर आने लगा जिसे देखकर सुरज का मन मचल उठा देखते ही देखते सुरज अपनी मामी की मदद करते वैसे बैलगाड़ी से उतार चुका था,,,, बाजार तक पहुंचने में काफी लंबा समय सफर करके रूपाली की कमर थोड़ी अकड़ गई थी इसलिए बात सीधी खड़ी होकर थोड़ा सा कमर से अपने बदन को उठाकर अपने आप को दुरुस्त करने लगी लेकिन ऐसा करने से उसकी लाजवाब उठी हुई चूचियां और ज्यादा मुंह आकर खड़ी हो गई ब्लाउज में से भाले की नोक की तरह चुभती हुई उसकी चुचियों की निप्पल ब्लाउज फाडकर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,,,,, इस नजारे को देखकर सुरज का पजामा तन गया,,,,, इस बात से रूपाली पूरी तरह से अनजान थी,,,, बातों ही बातों में सुरज ने चालाकी दिखाते हुए अपनी मामी से अपने मन की बात कह दिया था और वह भी एकदम गंदे शब्दों में उसे बोलते समय सुरज का लंड एकदम कड़क हो गया था अगर उसकी मामी हां कर देती तो रास्ते में ही जमकर अपनी मामी की चुदाई कर दिया होता और उसे अपनी मर्दानगी का सबूत दे दिया होता,,,,, सुरज अपने मन की बात कह तो दिया था लेकिन उसकी मामी ने उसे कुछ भी नहीं कहा था इस बात को लेकर वह हैरान था जो कि वह समझ गया था कि उसकी कहीं बात उसकी मामी को भी बहुत अच्छी लग रही थी इसीलिए उसने उसे कुछ कहीं नहीं थी वरना जरूर उसे डांटती,, और तो और खेत वाली बात भी उसकी मामी ने अपने पति से नहीं बताई थी जिसका मतलब साफ था कि उसके मन में कुछ चल रहा है,,, इस बात को सोचकर सुरज मन ही मन खुश होने लगा और सही मौके की तलाश करने लगा वह जानता था कि बिना उसकी मामी के सहकार पाए इतना बड़ा काम ह अकेले नहीं कर सकता,,, उसकी मामी की जगह कोई और औरत होती तो बात कुछ और थी अब तक तो वह उस औरत के साथ संबंध बना दिया होता,,,,,,।
अपनी कमर और बदन की अकड़न को दूर करके रूपाली वापस सहज हो गई और खुद ही एक समोसे की दुकान के आगे खड़ी होकर अपने भांजे से सामने ही लगे हेडपंप को चलाने के लिए बोली,,,, सुरज तुरंत हैंड पंप चलाना शुरू कर दिया और रूपाली थोड़ा सा नीचे झुक कर नल से निकल रहे पानी को अपनी हथेली में लेकर अपने चेहरे पर मारने लगी वह अपने आप को तरोताजा करना चाहती थी लेकिन ऐसा करने पर एक बार फिर से उसकी दमदार वजनदार चूचियां ब्लाउज में लटक गई और यह देखकर सुरज मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि काश उसकी मामी के ब्लाउज का बटन टूट जाता तो वह इस समय उस की चुचियों के दर्शन कर लेता लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था बाजार का माहौल था और यहां पर बहुत से लोग आ जा रहे थे ऐसे में अगर सच में उसकी मामी के ब्लाउज के बटन टूट जाता है तो उसके साथ-साथ कई और लोगों की भी नजर उसकी मामी की चुचियों पर गड़ जाती ,, और फिर बाजार में हड़कंप जाता और ऐसा सुरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था लेकिन फिर भी ब्लाउज के बटन ना टूटने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां साड़ी के पल्लू से बाहर झांक रही थी जो कि इस समय केवल सुरज को ही नजर आ रहे थे और सुरज यह देखकर अनजाने में ही पजामे के आगे वाले भाग जो कि उठा हुआ था उसे हथेली में लेकर दबा दिया और उसकी इस हरकत पर उसकी मामी की नजर पड़ गई तिरछी नजरों से अपने भांजे की हरकत को देखकर वह अपने आप पर नजर डाली तो हक्की बक्की रह गई शर्म से उसके गाल लाल हो गए और वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन तब तक वह पानी पी चुकी थी,,, अपने भांजे की इस तरह की हरकत देखकर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी वह अपने भांजे को किसी भी सूरत में रोक नहीं पा रही थी नाही उसे इस तरह की हरकत दोबारा ना करने की सलाह दे रही थी जो कि जाहिर था कि उसे भी अपने भांजे की हरकत और उसकी बातें कहीं ना कहीं अच्छी लग रही थी और उसे इस बात का करो भी हो रहा था कि एक जवान लड़का इस उम्र में भी उसके पीछे इस कदर दीवाना है,,,,।
अब तू भी हाथ मुंह धो ले और पानी पी ले काफी लंबा सफर तय करके आए हैं यहां पर थोड़ी देर आराम से बैठेंगे फिर चलेंगे,,,
तुम ठीक कह रही हो मामी मेरी भी कमर अकड़ गई है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों हथेली को जोड़कर वह है नल की तरफ मुंह करके झुक गया और रूपालीनल चलाना शुरु कर दी थोड़ी देर में डालने से पानी निकलना शुरू हो गया और वह भी अपनी मामी की तरह ही अपने चेहरे पर पानी की बूंदे छठ पर और हाथ पैर धो कर पानी पीकर एकदम तरोताजा महसूस करने लगा,,,, पास में ही गरम गरम समोसे और जलेबियां छन रही थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुरज बोला,,,)
तुम यहीं बैठो मैं जलेबी और समोसे लेकर आता हूं,,,,
ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही दुकान वाले ने बैठने के लिए लकड़ी का पाटी लगाया हुआ था उसी पर रूपाली अपनी गदराई गांड लेकर बैठ गई,,,, और अपने भांजे के बारे में सोचने लगी,,, कि उसका भांजा इस कदर बेशर्म हो जाएगा वह कभी सोची नहीं थी धीरे-धीरे उसके सामने व खुलता चला जा रहा है कहीं ऐसा ना हो कि वह उसके साथ जबरदस्ती करना शुरू कर दें,,,, अपने भांजे के बारे में यही सब सोच रही थी कि तभी थोड़ी देर पहले उसकी कही बात याद आ गई कि उसके मोटे तगड़े लंड से चूदकर वह तृप्त हो जाएगी जो कि आज तक वह कभी भी असली सुख नहीं पाई है,,, अपने भांजे के कहीं बात पर गौर करते हुए बस सोचने लगी कि क्या वास्तव में उसने चुदाई का असली सुख अभी तक नहीं हो पाई है क्या उसका पति उसे वह असली सुख नहीं दे पाता जो उसे चाहिए रोज यही तो है उसकी चुदाई करता है और रोज ही वह खुद एकदम मस्त हो जाती है,,,, इन सब बातों को सोच कर उसके जेहन में एक बात कचोटने लगी कि क्या वास्तव में अपने पति से चुदवा कर वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है जिसे सुख को प्राप्त करके वह गहरी नींद में सो जाती है क्या वह सुख भी अधूरा है क्या वह संभोग का असली सुख नहीं है क्या इससे भी आगे कोई अद्भुत और अलग सुख है जो औरत को पूरी तरह से मस्त कर देता है प्रीत कर देता है क्या उसी सुख के बारे में उसका भांजा उससे बात कर रहा था क्या वास्तव में उसके भांजे के लंड की ताकत उसके पति के लंड की तुलना में बहुत ज्यादा है,,,, कहीं ऐसा तो नहीं मोटे और लंबे लंड से चुदवाकर और भी ज्यादा मजा आता है कहीं अपने पति के अपने भांजे से छोटे लंड से चुदवाकर असली सुख नहीं प्राप्त कर पा रही है,,,,,, क्या अब तक वह अधूरी ही है,,, संपूर्ण स्त्रीत्व सुख हुआ अभी तक प्राप्त नहीं कर पाई भले ही रोज अपने पति से शारीरिक संबंध बनाती है अगर ऐसा है तो उसके भांजे को यह ज्ञान कहां से मिला की औरत को छोटे लंड से ज्यादा मोटे लंड और लंबे लंड में ज्यादा सुख मिलता है उसके भांजे को यह कैसे पता चला कहीं ऐसा तो नहीं कि सुरज का कहीं किसी औरत के साथ संबंध है या किसी औरत ने उसे यह बताई हो की औरतों को लंबे और मोटे लंड से ही ज्यादा मजा आता है,,,, नहीं सब सोचकर एक बार फिर से रूपालीअपनी बुर को गीली कर रही थी और तभी सुरज दोनों हाथ में समोसा और जलेबी या लेकर आगे और पास में बैठ कर अपनी मामी को थमाने लगा,,, रूपाली अपने भांजे के हाथ से जलेबियां लेकर खाना शुरु कर दी बड़ी दूर से आ रही थी इसलिए भूख लगी हुई थी और अभी दूर तक जाना भी था और वापस भी लौटना था,,,।
दोनों समोसे और जलेबी हो का लुफ्त उठाते हुए बाजार में चारों तरफ नजर घुमा रहे थे हर तरफ अनाज की दुकान तो कहीं चूड़ियों की दुकान कहीं लड़कियों के रूप सिंगार की दुकान तो कहीं चाय समोसे चाट की दुकान सब अपना अपना दुकान लगाए बैठे थे और गांव के लोग खरीदारी करके एकदम खुश नजर आ रहे थे,,,,,, गांव के बाजार में घूमने का चाट समोसा जलेबी या खाने का मजा ही कुछ और होता है यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे इसलिए इस समय बाजार का वह पूरा लुफ्त उठाना चाहते थे,,,,,, रूपाली की नजर बाजार में एक तरफ चूड़ियों की दुकान पर बिकी हुई थी उसे अपने लिए रंग बिरंगी चूड़ियां खरीदनी थी लेकिन पैसे उतने लाई नहीं थी लेकिन फिर भी अपने मन में सोची थी चलकर एक बार देख तो ले कुछ नहीं तो देख कर ही अपना मन बहला लेगी,,,, यही सोच कर थोड़ी ही देर में दोनों समोसे और जलेबियां खाकर खड़े हो गए और एक बार फिर से दोनों हेड पंप से पानी पीकर अपने आपको भूख से तृप्त कर लिए,,,,,,।
जिस पेड़ के नीचे बेल बना हुआ था वहां ढेर सारी कहां सूखी हुई थी इसलिए उसके खाने की कोई चिंता नहीं थी,,,, रूपाली का मन थोड़ी देर बाजार में घूमने का हो रहा था इसलिए वह सुरज से बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगे और पीछे पीछे सुरज चलने पर रूपाली की चाल बेहद मादक नजर आ रहे थे उसकी उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा उभरकर मटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर दो बड़े-बड़े खरबूजे बांध दिए गए हो,,,, सुरज को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि बाजार में आए मर्दों की नजर उसकी मामी की खूबसूरती पर जरूर पड़ेगी खास करके मटकती उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर और लटकते हुए उसके दोनों खरबूजो पर,,, और जब वह यही देखने के लिए बाजार के हर मर्दों के नजर को भागने लगा तो उसका सोचना एकदम सही निकला सड़क के किनारे दुकानों पर बैठे मर्दों के साथ साथ आते जाते हुए मर्दों की नजर उसकी मामी की बड़ी बड़ी गांड पर लार टपका ते हुए चिपकी हुई थी जो पीछे से देख रहा था वह उसकी मामी की गांड को देख रहा था और जो आगे से देख रहा था तो उसकी नजर उसकी मामी की चुचियों पर पड़ रही थी उसकी मामी के खूबसूरत बदन का अगाडा और पिछवाड़ा दोनों बेहतरीन तरीके की बनावट में बना हुआ था उसकी मामी के बदन से हर अंग से मधुर रस टपक रहा था जिसे पीने के लिए बाजार का हर एक मर्द लार टपका रहा था,,,,, यह देखकर सुरज को तो गुस्सा आ ही रहा था लेकिन उसे इस बात का गर्व भी हो रहा था कि इस उमर में भी उसकी मामी की खूबसूरती और बदन की बनावट एकदम बरकरार थी आज भी उसकी मामी जवान लड़कियों से पानी भरवा दे ऐसी हुस्न की मल्लिका थी,,,,,,
रूपाली आ गया के चल रही थी और सुरज पीछे-पीछे रूपाली सड़क के दोनों छोर पर बनी दुकानों को देखते हुए आगे बढ़ रही थी और सुरज अपनी मामी की खूबसूरती का रसपान अपनी आंखों से करता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, जेसे ही चूड़ियों की दुकान आई उसकी मामी के पैर ठीठक गए सुरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मामी चूड़ियां खरीदना चाहती है,,,, और देखते ही देखते उसकी मामी चूड़ियों की दुकान की ओर आगे बढ़ गई और वहां खड़ी होकर रंग बिरंगी चूड़ियों को बड़ी हसरत भरी निगाह से देखने लगी,,,, रूपालीजानती थी कि वह पर्याप्त पैसे लेकर नहीं आई है कि बाजार से खरीदारी कर सके इसलिए वह जानती थी कि देखने किसी और कुछ नहीं कर सकती सुरज खड़ा-खड़ा अपनी मामी की हसरत भरी निगाहों को देख कर खुश हो रहा था इसलिए आगे बढ़कर वह अपनी मामी से बोला,,,।
चूड़िया लेना है क्या,,,?
अरे नहीं-नहीं मैं तो देख रही थी,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी सुरज लाल रंग की चुडीयो को अपने हाथ में उठाकर अपनी मामी को दिखाते हुए बोला,,)
तुम पर यह बहुत अच्छी लगेगी,,,, तुम्हारी गोरी कलाई में लाल रंग की चूड़ियां खूब जचेंगी,,,
अरे नहीं नहीं सुरज तू रहने दे मेरे पास पैसे नहीं है,,,
क्या तुम भी,,,, पसंद है तो ले लो सोचना कैसा,,,
अरे पागल हो गया है क्या सोचने से क्या ले सकती हूं क्या मेरे पास पैसे नहीं है अभी दवा लेने जाना है पता है ना तुझे,,,
अरे तुम्हें पैसे देने के लिए कौन कह रहा है मेरे पास पैसे हैं तुम बस ले लो,,,
तेरे पास पैसे हैं,,,(आश्चर्य से सुरज की तरफ देखते हुए) तेरे पास पैसे कहां से आए,,,,
अरे मैं गांव के लड़कों की तरह निकालना नहीं हूं बेल गाड़ी चलाता हूं काम करता हूं दो पैसे मैं अपने खर्च के लिए भी रखता हूं,,,,
तेरे मामाजी को मालूम है,,,
नहीं यह तो मेरी बचत के पैसे हैं मैं इसी दिन के लिए रखा था कि तुम लोगों के लिए कुछ खरीद सकूं,,, और लगता है कि आज वह दिन आ गया है,,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली बहुत खुश हो रही थी और उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका भांजा उसे चूड़ियां दिला रहा था एक बार फिर से सुरज अपनी मामी से बोला)
लेना है ना,,,
अब तू जीत कर रहा है तो ले लेती हूं लेकिन मंजू के लिए भी ले लेना उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सिर्फ मैं अपने लिए खरीद कर लाई हूं,,,
हां हां ठीक है,,, ए चूड़ी वाले यह लाल रंग की चूड़ियां पहना देना तो,,,
(दुकानदार जो कि दूसरे ग्राहकों को चूड़ी पहनाने में व्यस्त था वह सुरज की तरफ देख कर बोला)
हां भांजा बस थोड़ी देर रुको मैं पहना देता हूं,,,
(उस दुकानदार की बात सुनकर सुरज मुस्कुराते हो अपनी मामी की तरफ देखा तो रूपाली भी मुस्कुराने लगी आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका भांजा उसे चूड़ी पहनाने जा रहा था जिंदगी में पहली बार उसका भांजा उसके लिए कुछ खरीद रहा था और वह भी चूड़ियां,,,,)
आओ जब तक वह दूसरों को पहना रहा है तब तक यहीं बैठ जाते हैं,,,(और क्या कहने के साथ ही दुकान के बाहर रखे पाटीए पर दोनों मामी-भांजे बैठ गए,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा ही थी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे लोग खरीदारी कर रहे थे,,, तभी उसकी मामी बोली,,,)
अगर तेरे पास पैसे हो तो चलते समय समोसे और जलेबियां भी ले लेना घर के लिए,,, और थोड़े खरबूजे भी ले लेना मुझे खरबूजे बहुत पसंद है पैसे तो है ना तेरे पास,,,
हा मा तुम चिंता मत करो तुम जो बोलोगी मैं वह खरीद लूंगा बस,,,,(इतना कहकर सुरज अपने मन में ही कहने लगा कि बस एक बार तुम अपनी बुर मुझे दे दे तो पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं और इतना अपने मन में कह कर वह अंगड़ाई लेने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी का नंबर आ गया और वह चूड़ी पहनने लगी सुरज या देखकर मन ही मन सोच रहा था कि,,, ए चूड़ी वाले की भी किस्मत कितनी अच्छी है कि गांव की खूबसूरत से खूबसूरत औरत और लड़की का हाथ पकड़कर उन्हें चूड़ी पहना था है और इस समय भी वह बेहद खूबसूरत औरत को अपने हाथों से चूड़ी पहना रहा है जिसका हाथ पकड़ने की
सिर्फ सोच कर ही ना जाने कितने लोग उत्तेजित हो जाते हैं उसकी कलाई को अपने हाथों से पकड़कर वह चूड़ी वाला कितना मस्त हुआ जा रहा होगा जरूर उसका लंड खड़ा हो गया होगा उसकी मामी का हाथ पकड़कर उसे चूड़ी पहनाते हुए,,,, सुरज उस चूड़ी वाले की निगाह को भी बड़े गौर से देख रहा था और समझ रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी की बड़ी बड़ी चूची की तरफ देखकर लार टपका रहा था जो कि ब्लाउज में से आधे से ज्यादा झांक रही थी और अपने मन में यदि सोच रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी को चोदने की कल्पना भी कर रहा होगा हालांकि इस तरह के ख्याल से उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन अपनी मामी की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन को लेकर गर्व भी महसूस हो रहा था,,,,
थोड़ी ही देर में चूड़ी वाले ने ढेर सारी चूड़ियां रूपाली को पहना दिया और सुरज ने अपनी मौसी के लिए भी चूड़ियों को एक लिफाफे में बंधवा कर ले लिया,,,, दोनों दुकान से वापस जाने लगे तो सुरज अपनी मामी की गोरी गोरी कलाइयों में भरी हुई चूड़ियों को देखकर बोला,,,।
देखो माफ तुम्हारा हाथ कितना सुंदर लग रहा है और कितनी खनखन की आवाज भी आ रही है अब तुम्हारी सुंदरता और ज्यादा बढ़ गई है,,,।
(अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपालीशर्मा गई तभी उसे खरबूजे का ठेला नजर आया तो वह उस तरफ उंगली दिखा कर बोली,,,)
सुरज ओ रहे खरबूजे थोड़े बहुत खरीद ले,,,
जरूर,,,, लेकिन तुम्हारे पास तो सबसे बेहतरीन खरबूजा है फिर भी खरबूजा खरीद रही हो,,,
क्या,,,?
ककक कुछ नहीं तुम यहीं रुको मैं लेकर आता हूं,,,
(इतना कहकर सुरज तुरंत उस ठेले पर खरबूजा खरीदने चला गया और रूपाली वही खड़ी-खड़ी अपने भांजे की बात पर गौर करने लगी उसके भांजे ने उसकी चूचियों की तुलना खरबूजा से किया था इस बात का एहसास रूपाली को भी हो रहा था और वहां अंदर ही अंदर शर्मा भी रही थी कि उसका भांजा उसके सामने एकदम बेशर्म हुआ जा रहा है,,, दूसरी तरफ सुरज बड़े बड़े खरबूजे को बीन कर खरीद रहा था सुरज खरगोशों की तुलना अपनी मामी की चुचियों से करता हुआ उतना ही बड़ा खरबूजा खरीद रहा था जितनी बड़ी उसकी मामी की चूचियां थी और देखते ही देखते आंठ दस खरबूजा वह खरीद लिया और अपनी मामी की तरफ आने लगा,,,, यह देखकर रूपाली और खुश हो रही थी कि उसके भांजे ने ज्यादा खरबूजा खरीद लिया था खरबूजा शुरू से ही रूपाली को बेहद पसंद था खरबूजे के थैले को अपनी मामी को पकड़ते हुए सुरज एक बार फिर से मस्ती करते हुए बोला,,,)
देख लो मामी तुम्हारे से ना छोटी है ना बड़ी तुम्हारे ही जैसी है,,,,(सुरज के कहे अनुसार रूपाली खरबूजा के आकार को देखकर मन ही मन शरमा गई क्योंकि वाकई में उसके भांजे ने एकदम उसकी चुचियों के आकार के ही खरबूजे खरीदे थे,,,, रूपाली अपने भांजे की बात को सुनकर मन ही मन शर्मिंदगी महसूस कर रही थी और तभी सुरज समोसे और जलेबी की दुकान पर वापस जाकर,,, घर के लिए समोसे और जलेबी या बंधवाने लगा,,,,,, जब तक वह जलेबी और समोसे बंधवा रहा था तभी रूपाली को जोरों की पेशाब लगी वह इधर-उधर देखने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस भीड़भाड़ वाले बाजार में हुआ पेशाब करने के लिए कहां जाएं अपने मन में सोचने लगी कि जो औरतें इधर आती है अगर उन्हें पेशाब लगती है कहीं ना कहीं तो जाती ही होंगी,,,, उसके पेशाब की तीव्रता बढ़ती जा रही थी वह कभी सुरज की तरफ देख रही थी जो कि दुकान पर खड़ा होकर जलेबी और समोसे ले रहा था और तो कभी बाजार की भीड़ को देख रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह दुकान के पीछे वाले धागे की तरफ जाने की सोची क्योंकि दूसरी तरफ दूर-दूर तक जंगली झाड़ियां नजर आ रही थी,,,,।
पर वह अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू न कर पाने की वजह से सुरज को बताए बिना ही समोसे की दुकान की पीछे की तरफ जाने लगी और देखते ही देखते वहदुकान के पीछे आ गई दुकान के पीछे खड़ी होकर वहां दूर-दूर तक नजर दौड़ाने लगी तो देखी कि चारों तरफ जंगली झाड़ियां और खेत ही खेत है तभी वो थोड़ा और आगे जाने लगी क्योंकि जहां पर वह खड़ी थी आते जाते लोगों की नजर वहां पहुंच जा रही थी और वहां लोगों की नजर के सामने पेशाब करना नहीं चाहती थी १०,१५ कदम आगे चलने पर उसे सामने कुछ औरतें पेशाब करती हुई नजर आई तो वह खुश हो गई उसे लगने लगा था कि औरतें इतनी पेशाब करती है,,,, उसके वहां पहुंचने तक वह औरतें वहां से चली गई और वहां जाकर तुरंत वहीं पर खड़ी हो गई जहां पर वह औरतें पेशाब कर कर गई थी,,, वहीं दूसरी तरफ सुरज समोसे और जलेबी बंधवा लिया था और अपनी मामी को इधर उधर देख रहा था और कहीं भी उसकी मामी नजर नहीं आती फिर से समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामी कहां चली गई,,,, उसे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी थी इसलिए वह अपने मन में सोचा कि चलो दुकान के पीछे जाकर पेशाब कर लेते हैं उसके बाद देखते हैं कि उसकी मामी कहां गई है,,,, और सुरज भी दुकान के पीछे वाले भाग पर आ गया और दो चार कदम आगे चलने पर उसे झाड़ियों में सुरसुरा हक की आवाज सुनाई दी तो वह उस तरफ नजर करके देखने लगा तो उसकी आंखों में चमक आ गई क्योंकि तीन चार मीटर की दूरी पर ही उसकी मामी अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर बैठी हुई थी और मुत रही थी,,, यह देखते ही सुरज का लंड एकदम से खड़ा हो गया ,,,,, सुनहरी धूप में उसकी मामी की गोरी गोरी गाल और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर सुरज पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी मामी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके ठीक पीछे झाड़ियों में खड़ा होकर उसका भांजा उसकी नंगी गांड के साथ-साथ उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है अगर यह बातों से पता चल जाए तो शायद वह शर्म से पानी पानी हो जाए,,,,,।
सुरज झाड़ियों के पीछे अपने आप को छिपाया हुआ था लेकिन इस तरह से कि अगर उसकी मामी की नजर उस पर पड़े तो वह उसे अच्छी तरह से देख पाए लेकिन उसे बिल्कुल भी शक ना हो कि सुरज जानबूझकर वहां पर खड़ा है,,,,, इसलिए सुरज चला कि दिखाता हुआ अनजान बनता हुआ धीरे से गीत गुनगुनाने लगा ताकि उसके गीत की आवाज उसकी मामी सुन सके और पीछे नजर घुमाकर देख सके इसलिए वह अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और गीत गाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, उसकी युक्ति काम कर गई गीत की आवाज सुनकर उसकी मामी तुरंत पीछे नजर घुमाकर देखी तो झाड़ियों के पीछे सुरज खड़ा था वो एकदम से घबरा गयी उसे लगा कि उसका भांजा झाड़ियों के पीछे खड़ा होकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि उसका भांजा गीत गुनगुनाता हुआ पेशाब कर रहा था,,, जिसका मतलब साफ था कि उसका भांजा इस बात से अनजान था कि उसके थोड़ी ही दूर पर उसकी मामी बैठकर पेशाब कर रही है,,,,,, अब उसे बहुत शर्म आ रही थी उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार बह रही थी लेकिन एकदम से घबरा गई थी अगर इस समय बहुत पर खड़ी हो जाती तो उसका भांजा उसे देख लेता और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी एकदम शांत हो गई और अपनी पेशाब को थोड़ी देर के लिए रोक ली ताकि उसमें से आ रही सीटी की आवाज उसके भांजे के कानों तक ना पहुंच पाए,,, एक बार फिर से वहां झाड़ियों की तरह देखी तो इस बार उसके होश उड़ गए क्योंकि इस बार उसकी नजर उसके भांजे के खड़े टनटनाते लंड की तरफ गई थी और यह देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी कि उसका भांजा अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाता हुआ पेशाब कर रहा था,,,, रूपाली को अपने भांजे का लंड एकदम साफ नजर आ रहा था और एकदम भयानक आकार का दिख रहा था जिसके बारे में सोच कर अनजाने में ही उसके मन में यह ख्याल आ गया कि अगर इतना मोटा लंड उसकी बुर में घुसेगा तो क्या होगा,,, एकदम से रूपाली की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और झाड़ियों के पीछे खड़ा सुरज चोर नजरों से अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख रहा था जो कि उसने अभी तक यह जानते हुए भी कि झाड़ियों के पीछे उसका भांजा खड़ा है अपनी गांड को साड़ी से ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी,,, ऐसा नहीं था कि वह जानबूझकर अपने भांजे को अपनी गांड के दर्शन करा रही थी वह बस घबराहट में भूल गई थी साड़ी को नीचे करना,,,।
सुरज कुछ देर तक अपनी मामी के गांड के दर्शन करता रहा और पेशाब कर कर अपनी मामी से पहले वहां से जाना चाहता था इसलिए तुरंत वहां से चला गया क्योंकि वहयह नहीं बताना चाहता था कि वह इस बात को जानता है कि उसकी मामी वही पेशाब कर रही है इसलिए सुरज के तुरंत वहां से जाते हैं एक बार फिर से रूपाली पेशाब की धार को अपनी गुलाबी छेद से बाहर निकालने लगी और थोड़ी देर में पेशाब करके वहां दूसरी तरफ से घूम कर बैलगाड़ी के पास जाकर खड़ी हो गई तब तक सुरज उसे ढूंढ रहा था जब देखा कि उसकी मामी बैलगाड़ी के पास खड़ी है तो वह तुरंत वहां पर आया और बोला,,।
कहां चली गई थी मामी मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,(सुरज जानबूझकर यह बात अपनी मामी से बोला था ताकि उसकी मामी को यही लगे कि वाकई में उसने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है उसकी मामी भी बात बनाते हुए बोली,,,)
कहीं नहीं बहुत दिन बाद बाजार आई थी ना इसलिए थोड़ा घूम कर आई हूं,,,,।
(रूपाली को ऐसा ही लग रहा था कि उसके भांजे ने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है और सुरज अपनी मामी का जवाब सुनकर मन ही मन अपने आप से बोला ,,, कि कितना झूठ बोल रही है ऐसा साथ-साथ नहीं कह देती कि मैं मुत के आ रही हूं,,,,, फिर वह अपने मन में सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ कि उसकी मामी को पता नहीं था कि वह उसे देख लिया है,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से वह खड़ा होकर पेशाब कर रहा था जरूर उसकी मामी उसके खड़े लंड को देखी होगी,,,, यह सोचता हुआ थोड़ी ही देर में वह चलने के लिए तैयार हो गया बेल गाड़ी पर बैठने मैं अपनी मामी की सहायता करने लगा और उसकी मामी एक बार फिर से ऊपर चढ़ते समय अपनी बड़ी बड़ी गांड को भरकर बेल गाड़ी में बैठ गई और सुरज बेल गाड़ी पर बैठकर बेल को हाक कर आगे बढ़ गया,,,।)
थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी बाजार में पहुंच चुकी थी बरसों बाद रूपाली बाजार में आई थी इसलिए उसकी खुशी फूले नहीं समा रही थी एक अच्छी सी जगह बड़ा सा पेड़ देखकर सुरज बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया और पीछे जाकर अपनी मामी को उतरने में सहायता करने लगा उतरते समय एक पाव रूपाली बैलगाड़ी में ही बंदे पैर रखने के लिए पाटे पर रख दी आगे चल कर खुद सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़कर उसे उतरने में मदद कराने लगा,,,, बैलगाड़ी से उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से ब्लाउज में से झांकती रूपाली की लाजवाब चुचियों का थोड़ा सा भाग नजर आने लगा जिसे देखकर सुरज का मन मचल उठा देखते ही देखते सुरज अपनी मामी की मदद करते वैसे बैलगाड़ी से उतार चुका था,,,, बाजार तक पहुंचने में काफी लंबा समय सफर करके रूपाली की कमर थोड़ी अकड़ गई थी इसलिए बात सीधी खड़ी होकर थोड़ा सा कमर से अपने बदन को उठाकर अपने आप को दुरुस्त करने लगी लेकिन ऐसा करने से उसकी लाजवाब उठी हुई चूचियां और ज्यादा मुंह आकर खड़ी हो गई ब्लाउज में से भाले की नोक की तरह चुभती हुई उसकी चुचियों की निप्पल ब्लाउज फाडकर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,,,,, इस नजारे को देखकर सुरज का पजामा तन गया,,,,, इस बात से रूपाली पूरी तरह से अनजान थी,,,, बातों ही बातों में सुरज ने चालाकी दिखाते हुए अपनी मामी से अपने मन की बात कह दिया था और वह भी एकदम गंदे शब्दों में उसे बोलते समय सुरज का लंड एकदम कड़क हो गया था अगर उसकी मामी हां कर देती तो रास्ते में ही जमकर अपनी मामी की चुदाई कर दिया होता और उसे अपनी मर्दानगी का सबूत दे दिया होता,,,,, सुरज अपने मन की बात कह तो दिया था लेकिन उसकी मामी ने उसे कुछ भी नहीं कहा था इस बात को लेकर वह हैरान था जो कि वह समझ गया था कि उसकी कहीं बात उसकी मामी को भी बहुत अच्छी लग रही थी इसीलिए उसने उसे कुछ कहीं नहीं थी वरना जरूर उसे डांटती,, और तो और खेत वाली बात भी उसकी मामी ने अपने पति से नहीं बताई थी जिसका मतलब साफ था कि उसके मन में कुछ चल रहा है,,, इस बात को सोचकर सुरज मन ही मन खुश होने लगा और सही मौके की तलाश करने लगा वह जानता था कि बिना उसकी मामी के सहकार पाए इतना बड़ा काम ह अकेले नहीं कर सकता,,, उसकी मामी की जगह कोई और औरत होती तो बात कुछ और थी अब तक तो वह उस औरत के साथ संबंध बना दिया होता,,,,,,।
अपनी कमर और बदन की अकड़न को दूर करके रूपाली वापस सहज हो गई और खुद ही एक समोसे की दुकान के आगे खड़ी होकर अपने भांजे से सामने ही लगे हेडपंप को चलाने के लिए बोली,,,, सुरज तुरंत हैंड पंप चलाना शुरू कर दिया और रूपाली थोड़ा सा नीचे झुक कर नल से निकल रहे पानी को अपनी हथेली में लेकर अपने चेहरे पर मारने लगी वह अपने आप को तरोताजा करना चाहती थी लेकिन ऐसा करने पर एक बार फिर से उसकी दमदार वजनदार चूचियां ब्लाउज में लटक गई और यह देखकर सुरज मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि काश उसकी मामी के ब्लाउज का बटन टूट जाता तो वह इस समय उस की चुचियों के दर्शन कर लेता लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था बाजार का माहौल था और यहां पर बहुत से लोग आ जा रहे थे ऐसे में अगर सच में उसकी मामी के ब्लाउज के बटन टूट जाता है तो उसके साथ-साथ कई और लोगों की भी नजर उसकी मामी की चुचियों पर गड़ जाती ,, और फिर बाजार में हड़कंप जाता और ऐसा सुरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था लेकिन फिर भी ब्लाउज के बटन ना टूटने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां साड़ी के पल्लू से बाहर झांक रही थी जो कि इस समय केवल सुरज को ही नजर आ रहे थे और सुरज यह देखकर अनजाने में ही पजामे के आगे वाले भाग जो कि उठा हुआ था उसे हथेली में लेकर दबा दिया और उसकी इस हरकत पर उसकी मामी की नजर पड़ गई तिरछी नजरों से अपने भांजे की हरकत को देखकर वह अपने आप पर नजर डाली तो हक्की बक्की रह गई शर्म से उसके गाल लाल हो गए और वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन तब तक वह पानी पी चुकी थी,,, अपने भांजे की इस तरह की हरकत देखकर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी वह अपने भांजे को किसी भी सूरत में रोक नहीं पा रही थी नाही उसे इस तरह की हरकत दोबारा ना करने की सलाह दे रही थी जो कि जाहिर था कि उसे भी अपने भांजे की हरकत और उसकी बातें कहीं ना कहीं अच्छी लग रही थी और उसे इस बात का करो भी हो रहा था कि एक जवान लड़का इस उम्र में भी उसके पीछे इस कदर दीवाना है,,,,।
अब तू भी हाथ मुंह धो ले और पानी पी ले काफी लंबा सफर तय करके आए हैं यहां पर थोड़ी देर आराम से बैठेंगे फिर चलेंगे,,,
तुम ठीक कह रही हो मामी मेरी भी कमर अकड़ गई है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों हथेली को जोड़कर वह है नल की तरफ मुंह करके झुक गया और रूपालीनल चलाना शुरु कर दी थोड़ी देर में डालने से पानी निकलना शुरू हो गया और वह भी अपनी मामी की तरह ही अपने चेहरे पर पानी की बूंदे छठ पर और हाथ पैर धो कर पानी पीकर एकदम तरोताजा महसूस करने लगा,,,, पास में ही गरम गरम समोसे और जलेबियां छन रही थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुरज बोला,,,)
तुम यहीं बैठो मैं जलेबी और समोसे लेकर आता हूं,,,,
ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही दुकान वाले ने बैठने के लिए लकड़ी का पाटी लगाया हुआ था उसी पर रूपाली अपनी गदराई गांड लेकर बैठ गई,,,, और अपने भांजे के बारे में सोचने लगी,,, कि उसका भांजा इस कदर बेशर्म हो जाएगा वह कभी सोची नहीं थी धीरे-धीरे उसके सामने व खुलता चला जा रहा है कहीं ऐसा ना हो कि वह उसके साथ जबरदस्ती करना शुरू कर दें,,,, अपने भांजे के बारे में यही सब सोच रही थी कि तभी थोड़ी देर पहले उसकी कही बात याद आ गई कि उसके मोटे तगड़े लंड से चूदकर वह तृप्त हो जाएगी जो कि आज तक वह कभी भी असली सुख नहीं पाई है,,, अपने भांजे के कहीं बात पर गौर करते हुए बस सोचने लगी कि क्या वास्तव में उसने चुदाई का असली सुख अभी तक नहीं हो पाई है क्या उसका पति उसे वह असली सुख नहीं दे पाता जो उसे चाहिए रोज यही तो है उसकी चुदाई करता है और रोज ही वह खुद एकदम मस्त हो जाती है,,,, इन सब बातों को सोच कर उसके जेहन में एक बात कचोटने लगी कि क्या वास्तव में अपने पति से चुदवा कर वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है जिसे सुख को प्राप्त करके वह गहरी नींद में सो जाती है क्या वह सुख भी अधूरा है क्या वह संभोग का असली सुख नहीं है क्या इससे भी आगे कोई अद्भुत और अलग सुख है जो औरत को पूरी तरह से मस्त कर देता है प्रीत कर देता है क्या उसी सुख के बारे में उसका भांजा उससे बात कर रहा था क्या वास्तव में उसके भांजे के लंड की ताकत उसके पति के लंड की तुलना में बहुत ज्यादा है,,,, कहीं ऐसा तो नहीं मोटे और लंबे लंड से चुदवाकर और भी ज्यादा मजा आता है कहीं अपने पति के अपने भांजे से छोटे लंड से चुदवाकर असली सुख नहीं प्राप्त कर पा रही है,,,,,, क्या अब तक वह अधूरी ही है,,, संपूर्ण स्त्रीत्व सुख हुआ अभी तक प्राप्त नहीं कर पाई भले ही रोज अपने पति से शारीरिक संबंध बनाती है अगर ऐसा है तो उसके भांजे को यह ज्ञान कहां से मिला की औरत को छोटे लंड से ज्यादा मोटे लंड और लंबे लंड में ज्यादा सुख मिलता है उसके भांजे को यह कैसे पता चला कहीं ऐसा तो नहीं कि सुरज का कहीं किसी औरत के साथ संबंध है या किसी औरत ने उसे यह बताई हो की औरतों को लंबे और मोटे लंड से ही ज्यादा मजा आता है,,,, नहीं सब सोचकर एक बार फिर से रूपालीअपनी बुर को गीली कर रही थी और तभी सुरज दोनों हाथ में समोसा और जलेबी या लेकर आगे और पास में बैठ कर अपनी मामी को थमाने लगा,,, रूपाली अपने भांजे के हाथ से जलेबियां लेकर खाना शुरु कर दी बड़ी दूर से आ रही थी इसलिए भूख लगी हुई थी और अभी दूर तक जाना भी था और वापस भी लौटना था,,,।
दोनों समोसे और जलेबी हो का लुफ्त उठाते हुए बाजार में चारों तरफ नजर घुमा रहे थे हर तरफ अनाज की दुकान तो कहीं चूड़ियों की दुकान कहीं लड़कियों के रूप सिंगार की दुकान तो कहीं चाय समोसे चाट की दुकान सब अपना अपना दुकान लगाए बैठे थे और गांव के लोग खरीदारी करके एकदम खुश नजर आ रहे थे,,,,,, गांव के बाजार में घूमने का चाट समोसा जलेबी या खाने का मजा ही कुछ और होता है यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे इसलिए इस समय बाजार का वह पूरा लुफ्त उठाना चाहते थे,,,,,, रूपाली की नजर बाजार में एक तरफ चूड़ियों की दुकान पर बिकी हुई थी उसे अपने लिए रंग बिरंगी चूड़ियां खरीदनी थी लेकिन पैसे उतने लाई नहीं थी लेकिन फिर भी अपने मन में सोची थी चलकर एक बार देख तो ले कुछ नहीं तो देख कर ही अपना मन बहला लेगी,,,, यही सोच कर थोड़ी ही देर में दोनों समोसे और जलेबियां खाकर खड़े हो गए और एक बार फिर से दोनों हेड पंप से पानी पीकर अपने आपको भूख से तृप्त कर लिए,,,,,,।
जिस पेड़ के नीचे बेल बना हुआ था वहां ढेर सारी कहां सूखी हुई थी इसलिए उसके खाने की कोई चिंता नहीं थी,,,, रूपाली का मन थोड़ी देर बाजार में घूमने का हो रहा था इसलिए वह सुरज से बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगे और पीछे पीछे सुरज चलने पर रूपाली की चाल बेहद मादक नजर आ रहे थे उसकी उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा उभरकर मटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर दो बड़े-बड़े खरबूजे बांध दिए गए हो,,,, सुरज को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि बाजार में आए मर्दों की नजर उसकी मामी की खूबसूरती पर जरूर पड़ेगी खास करके मटकती उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर और लटकते हुए उसके दोनों खरबूजो पर,,, और जब वह यही देखने के लिए बाजार के हर मर्दों के नजर को भागने लगा तो उसका सोचना एकदम सही निकला सड़क के किनारे दुकानों पर बैठे मर्दों के साथ साथ आते जाते हुए मर्दों की नजर उसकी मामी की बड़ी बड़ी गांड पर लार टपका ते हुए चिपकी हुई थी जो पीछे से देख रहा था वह उसकी मामी की गांड को देख रहा था और जो आगे से देख रहा था तो उसकी नजर उसकी मामी की चुचियों पर पड़ रही थी उसकी मामी के खूबसूरत बदन का अगाडा और पिछवाड़ा दोनों बेहतरीन तरीके की बनावट में बना हुआ था उसकी मामी के बदन से हर अंग से मधुर रस टपक रहा था जिसे पीने के लिए बाजार का हर एक मर्द लार टपका रहा था,,,,, यह देखकर सुरज को तो गुस्सा आ ही रहा था लेकिन उसे इस बात का गर्व भी हो रहा था कि इस उमर में भी उसकी मामी की खूबसूरती और बदन की बनावट एकदम बरकरार थी आज भी उसकी मामी जवान लड़कियों से पानी भरवा दे ऐसी हुस्न की मल्लिका थी,,,,,,
रूपाली आ गया के चल रही थी और सुरज पीछे-पीछे रूपाली सड़क के दोनों छोर पर बनी दुकानों को देखते हुए आगे बढ़ रही थी और सुरज अपनी मामी की खूबसूरती का रसपान अपनी आंखों से करता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, जेसे ही चूड़ियों की दुकान आई उसकी मामी के पैर ठीठक गए सुरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मामी चूड़ियां खरीदना चाहती है,,,, और देखते ही देखते उसकी मामी चूड़ियों की दुकान की ओर आगे बढ़ गई और वहां खड़ी होकर रंग बिरंगी चूड़ियों को बड़ी हसरत भरी निगाह से देखने लगी,,,, रूपालीजानती थी कि वह पर्याप्त पैसे लेकर नहीं आई है कि बाजार से खरीदारी कर सके इसलिए वह जानती थी कि देखने किसी और कुछ नहीं कर सकती सुरज खड़ा-खड़ा अपनी मामी की हसरत भरी निगाहों को देख कर खुश हो रहा था इसलिए आगे बढ़कर वह अपनी मामी से बोला,,,।
चूड़िया लेना है क्या,,,?
अरे नहीं-नहीं मैं तो देख रही थी,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी सुरज लाल रंग की चुडीयो को अपने हाथ में उठाकर अपनी मामी को दिखाते हुए बोला,,)
तुम पर यह बहुत अच्छी लगेगी,,,, तुम्हारी गोरी कलाई में लाल रंग की चूड़ियां खूब जचेंगी,,,
अरे नहीं नहीं सुरज तू रहने दे मेरे पास पैसे नहीं है,,,
क्या तुम भी,,,, पसंद है तो ले लो सोचना कैसा,,,
अरे पागल हो गया है क्या सोचने से क्या ले सकती हूं क्या मेरे पास पैसे नहीं है अभी दवा लेने जाना है पता है ना तुझे,,,
अरे तुम्हें पैसे देने के लिए कौन कह रहा है मेरे पास पैसे हैं तुम बस ले लो,,,
तेरे पास पैसे हैं,,,(आश्चर्य से सुरज की तरफ देखते हुए) तेरे पास पैसे कहां से आए,,,,
अरे मैं गांव के लड़कों की तरह निकालना नहीं हूं बेल गाड़ी चलाता हूं काम करता हूं दो पैसे मैं अपने खर्च के लिए भी रखता हूं,,,,
तेरे मामाजी को मालूम है,,,
नहीं यह तो मेरी बचत के पैसे हैं मैं इसी दिन के लिए रखा था कि तुम लोगों के लिए कुछ खरीद सकूं,,, और लगता है कि आज वह दिन आ गया है,,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली बहुत खुश हो रही थी और उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका भांजा उसे चूड़ियां दिला रहा था एक बार फिर से सुरज अपनी मामी से बोला)
लेना है ना,,,
अब तू जीत कर रहा है तो ले लेती हूं लेकिन मंजू के लिए भी ले लेना उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सिर्फ मैं अपने लिए खरीद कर लाई हूं,,,
हां हां ठीक है,,, ए चूड़ी वाले यह लाल रंग की चूड़ियां पहना देना तो,,,
(दुकानदार जो कि दूसरे ग्राहकों को चूड़ी पहनाने में व्यस्त था वह सुरज की तरफ देख कर बोला)
हां भांजा बस थोड़ी देर रुको मैं पहना देता हूं,,,
(उस दुकानदार की बात सुनकर सुरज मुस्कुराते हो अपनी मामी की तरफ देखा तो रूपाली भी मुस्कुराने लगी आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका भांजा उसे चूड़ी पहनाने जा रहा था जिंदगी में पहली बार उसका भांजा उसके लिए कुछ खरीद रहा था और वह भी चूड़ियां,,,,)
आओ जब तक वह दूसरों को पहना रहा है तब तक यहीं बैठ जाते हैं,,,(और क्या कहने के साथ ही दुकान के बाहर रखे पाटीए पर दोनों मामी-भांजे बैठ गए,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा ही थी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे लोग खरीदारी कर रहे थे,,, तभी उसकी मामी बोली,,,)
अगर तेरे पास पैसे हो तो चलते समय समोसे और जलेबियां भी ले लेना घर के लिए,,, और थोड़े खरबूजे भी ले लेना मुझे खरबूजे बहुत पसंद है पैसे तो है ना तेरे पास,,,
हा मा तुम चिंता मत करो तुम जो बोलोगी मैं वह खरीद लूंगा बस,,,,(इतना कहकर सुरज अपने मन में ही कहने लगा कि बस एक बार तुम अपनी बुर मुझे दे दे तो पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं और इतना अपने मन में कह कर वह अंगड़ाई लेने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी का नंबर आ गया और वह चूड़ी पहनने लगी सुरज या देखकर मन ही मन सोच रहा था कि,,, ए चूड़ी वाले की भी किस्मत कितनी अच्छी है कि गांव की खूबसूरत से खूबसूरत औरत और लड़की का हाथ पकड़कर उन्हें चूड़ी पहना था है और इस समय भी वह बेहद खूबसूरत औरत को अपने हाथों से चूड़ी पहना रहा है जिसका हाथ पकड़ने की
सिर्फ सोच कर ही ना जाने कितने लोग उत्तेजित हो जाते हैं उसकी कलाई को अपने हाथों से पकड़कर वह चूड़ी वाला कितना मस्त हुआ जा रहा होगा जरूर उसका लंड खड़ा हो गया होगा उसकी मामी का हाथ पकड़कर उसे चूड़ी पहनाते हुए,,,, सुरज उस चूड़ी वाले की निगाह को भी बड़े गौर से देख रहा था और समझ रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी की बड़ी बड़ी चूची की तरफ देखकर लार टपका रहा था जो कि ब्लाउज में से आधे से ज्यादा झांक रही थी और अपने मन में यदि सोच रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी को चोदने की कल्पना भी कर रहा होगा हालांकि इस तरह के ख्याल से उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन अपनी मामी की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन को लेकर गर्व भी महसूस हो रहा था,,,,
थोड़ी ही देर में चूड़ी वाले ने ढेर सारी चूड़ियां रूपाली को पहना दिया और सुरज ने अपनी मौसी के लिए भी चूड़ियों को एक लिफाफे में बंधवा कर ले लिया,,,, दोनों दुकान से वापस जाने लगे तो सुरज अपनी मामी की गोरी गोरी कलाइयों में भरी हुई चूड़ियों को देखकर बोला,,,।
देखो माफ तुम्हारा हाथ कितना सुंदर लग रहा है और कितनी खनखन की आवाज भी आ रही है अब तुम्हारी सुंदरता और ज्यादा बढ़ गई है,,,।
(अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपालीशर्मा गई तभी उसे खरबूजे का ठेला नजर आया तो वह उस तरफ उंगली दिखा कर बोली,,,)
सुरज ओ रहे खरबूजे थोड़े बहुत खरीद ले,,,
जरूर,,,, लेकिन तुम्हारे पास तो सबसे बेहतरीन खरबूजा है फिर भी खरबूजा खरीद रही हो,,,
क्या,,,?
ककक कुछ नहीं तुम यहीं रुको मैं लेकर आता हूं,,,
(इतना कहकर सुरज तुरंत उस ठेले पर खरबूजा खरीदने चला गया और रूपाली वही खड़ी-खड़ी अपने भांजे की बात पर गौर करने लगी उसके भांजे ने उसकी चूचियों की तुलना खरबूजा से किया था इस बात का एहसास रूपाली को भी हो रहा था और वहां अंदर ही अंदर शर्मा भी रही थी कि उसका भांजा उसके सामने एकदम बेशर्म हुआ जा रहा है,,, दूसरी तरफ सुरज बड़े बड़े खरबूजे को बीन कर खरीद रहा था सुरज खरगोशों की तुलना अपनी मामी की चुचियों से करता हुआ उतना ही बड़ा खरबूजा खरीद रहा था जितनी बड़ी उसकी मामी की चूचियां थी और देखते ही देखते आंठ दस खरबूजा वह खरीद लिया और अपनी मामी की तरफ आने लगा,,,, यह देखकर रूपाली और खुश हो रही थी कि उसके भांजे ने ज्यादा खरबूजा खरीद लिया था खरबूजा शुरू से ही रूपाली को बेहद पसंद था खरबूजे के थैले को अपनी मामी को पकड़ते हुए सुरज एक बार फिर से मस्ती करते हुए बोला,,,)
देख लो मामी तुम्हारे से ना छोटी है ना बड़ी तुम्हारे ही जैसी है,,,,(सुरज के कहे अनुसार रूपाली खरबूजा के आकार को देखकर मन ही मन शरमा गई क्योंकि वाकई में उसके भांजे ने एकदम उसकी चुचियों के आकार के ही खरबूजे खरीदे थे,,,, रूपाली अपने भांजे की बात को सुनकर मन ही मन शर्मिंदगी महसूस कर रही थी और तभी सुरज समोसे और जलेबी की दुकान पर वापस जाकर,,, घर के लिए समोसे और जलेबी या बंधवाने लगा,,,,,, जब तक वह जलेबी और समोसे बंधवा रहा था तभी रूपाली को जोरों की पेशाब लगी वह इधर-उधर देखने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस भीड़भाड़ वाले बाजार में हुआ पेशाब करने के लिए कहां जाएं अपने मन में सोचने लगी कि जो औरतें इधर आती है अगर उन्हें पेशाब लगती है कहीं ना कहीं तो जाती ही होंगी,,,, उसके पेशाब की तीव्रता बढ़ती जा रही थी वह कभी सुरज की तरफ देख रही थी जो कि दुकान पर खड़ा होकर जलेबी और समोसे ले रहा था और तो कभी बाजार की भीड़ को देख रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह दुकान के पीछे वाले धागे की तरफ जाने की सोची क्योंकि दूसरी तरफ दूर-दूर तक जंगली झाड़ियां नजर आ रही थी,,,,।
पर वह अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू न कर पाने की वजह से सुरज को बताए बिना ही समोसे की दुकान की पीछे की तरफ जाने लगी और देखते ही देखते वहदुकान के पीछे आ गई दुकान के पीछे खड़ी होकर वहां दूर-दूर तक नजर दौड़ाने लगी तो देखी कि चारों तरफ जंगली झाड़ियां और खेत ही खेत है तभी वो थोड़ा और आगे जाने लगी क्योंकि जहां पर वह खड़ी थी आते जाते लोगों की नजर वहां पहुंच जा रही थी और वहां लोगों की नजर के सामने पेशाब करना नहीं चाहती थी १०,१५ कदम आगे चलने पर उसे सामने कुछ औरतें पेशाब करती हुई नजर आई तो वह खुश हो गई उसे लगने लगा था कि औरतें इतनी पेशाब करती है,,,, उसके वहां पहुंचने तक वह औरतें वहां से चली गई और वहां जाकर तुरंत वहीं पर खड़ी हो गई जहां पर वह औरतें पेशाब कर कर गई थी,,, वहीं दूसरी तरफ सुरज समोसे और जलेबी बंधवा लिया था और अपनी मामी को इधर उधर देख रहा था और कहीं भी उसकी मामी नजर नहीं आती फिर से समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामी कहां चली गई,,,, उसे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी थी इसलिए वह अपने मन में सोचा कि चलो दुकान के पीछे जाकर पेशाब कर लेते हैं उसके बाद देखते हैं कि उसकी मामी कहां गई है,,,, और सुरज भी दुकान के पीछे वाले भाग पर आ गया और दो चार कदम आगे चलने पर उसे झाड़ियों में सुरसुरा हक की आवाज सुनाई दी तो वह उस तरफ नजर करके देखने लगा तो उसकी आंखों में चमक आ गई क्योंकि तीन चार मीटर की दूरी पर ही उसकी मामी अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर बैठी हुई थी और मुत रही थी,,, यह देखते ही सुरज का लंड एकदम से खड़ा हो गया ,,,,, सुनहरी धूप में उसकी मामी की गोरी गोरी गाल और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर सुरज पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी मामी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके ठीक पीछे झाड़ियों में खड़ा होकर उसका भांजा उसकी नंगी गांड के साथ-साथ उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है अगर यह बातों से पता चल जाए तो शायद वह शर्म से पानी पानी हो जाए,,,,,।
सुरज झाड़ियों के पीछे अपने आप को छिपाया हुआ था लेकिन इस तरह से कि अगर उसकी मामी की नजर उस पर पड़े तो वह उसे अच्छी तरह से देख पाए लेकिन उसे बिल्कुल भी शक ना हो कि सुरज जानबूझकर वहां पर खड़ा है,,,,, इसलिए सुरज चला कि दिखाता हुआ अनजान बनता हुआ धीरे से गीत गुनगुनाने लगा ताकि उसके गीत की आवाज उसकी मामी सुन सके और पीछे नजर घुमाकर देख सके इसलिए वह अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और गीत गाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, उसकी युक्ति काम कर गई गीत की आवाज सुनकर उसकी मामी तुरंत पीछे नजर घुमाकर देखी तो झाड़ियों के पीछे सुरज खड़ा था वो एकदम से घबरा गयी उसे लगा कि उसका भांजा झाड़ियों के पीछे खड़ा होकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि उसका भांजा गीत गुनगुनाता हुआ पेशाब कर रहा था,,, जिसका मतलब साफ था कि उसका भांजा इस बात से अनजान था कि उसके थोड़ी ही दूर पर उसकी मामी बैठकर पेशाब कर रही है,,,,,, अब उसे बहुत शर्म आ रही थी उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार बह रही थी लेकिन एकदम से घबरा गई थी अगर इस समय बहुत पर खड़ी हो जाती तो उसका भांजा उसे देख लेता और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी एकदम शांत हो गई और अपनी पेशाब को थोड़ी देर के लिए रोक ली ताकि उसमें से आ रही सीटी की आवाज उसके भांजे के कानों तक ना पहुंच पाए,,, एक बार फिर से वहां झाड़ियों की तरह देखी तो इस बार उसके होश उड़ गए क्योंकि इस बार उसकी नजर उसके भांजे के खड़े टनटनाते लंड की तरफ गई थी और यह देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी कि उसका भांजा अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाता हुआ पेशाब कर रहा था,,,, रूपाली को अपने भांजे का लंड एकदम साफ नजर आ रहा था और एकदम भयानक आकार का दिख रहा था जिसके बारे में सोच कर अनजाने में ही उसके मन में यह ख्याल आ गया कि अगर इतना मोटा लंड उसकी बुर में घुसेगा तो क्या होगा,,, एकदम से रूपाली की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और झाड़ियों के पीछे खड़ा सुरज चोर नजरों से अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख रहा था जो कि उसने अभी तक यह जानते हुए भी कि झाड़ियों के पीछे उसका भांजा खड़ा है अपनी गांड को साड़ी से ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी,,, ऐसा नहीं था कि वह जानबूझकर अपने भांजे को अपनी गांड के दर्शन करा रही थी वह बस घबराहट में भूल गई थी साड़ी को नीचे करना,,,।
सुरज कुछ देर तक अपनी मामी के गांड के दर्शन करता रहा और पेशाब कर कर अपनी मामी से पहले वहां से जाना चाहता था इसलिए तुरंत वहां से चला गया क्योंकि वहयह नहीं बताना चाहता था कि वह इस बात को जानता है कि उसकी मामी वही पेशाब कर रही है इसलिए सुरज के तुरंत वहां से जाते हैं एक बार फिर से रूपाली पेशाब की धार को अपनी गुलाबी छेद से बाहर निकालने लगी और थोड़ी देर में पेशाब करके वहां दूसरी तरफ से घूम कर बैलगाड़ी के पास जाकर खड़ी हो गई तब तक सुरज उसे ढूंढ रहा था जब देखा कि उसकी मामी बैलगाड़ी के पास खड़ी है तो वह तुरंत वहां पर आया और बोला,,।
कहां चली गई थी मामी मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,(सुरज जानबूझकर यह बात अपनी मामी से बोला था ताकि उसकी मामी को यही लगे कि वाकई में उसने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है उसकी मामी भी बात बनाते हुए बोली,,,)
कहीं नहीं बहुत दिन बाद बाजार आई थी ना इसलिए थोड़ा घूम कर आई हूं,,,,।
(रूपाली को ऐसा ही लग रहा था कि उसके भांजे ने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है और सुरज अपनी मामी का जवाब सुनकर मन ही मन अपने आप से बोला ,,, कि कितना झूठ बोल रही है ऐसा साथ-साथ नहीं कह देती कि मैं मुत के आ रही हूं,,,,, फिर वह अपने मन में सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ कि उसकी मामी को पता नहीं था कि वह उसे देख लिया है,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से वह खड़ा होकर पेशाब कर रहा था जरूर उसकी मामी उसके खड़े लंड को देखी होगी,,,, यह सोचता हुआ थोड़ी ही देर में वह चलने के लिए तैयार हो गया बेल गाड़ी पर बैठने मैं अपनी मामी की सहायता करने लगा और उसकी मामी एक बार फिर से ऊपर चढ़ते समय अपनी बड़ी बड़ी गांड को भरकर बेल गाड़ी में बैठ गई और सुरज बेल गाड़ी पर बैठकर बेल को हाक कर आगे बढ़ गया,,,।)