Incest गांव की कहानी

Member
289
105
28
रूपाली बाजार देखकर एकदम खुश हो गई थी वह पल में ही उस बात को आई गई कर दी थी इस बात से उसका पानी निकल गया था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका भांजा उससे इस हद तक बेहद गंदे शब्दों में बात करेगा सीधा-सीधा उसका भांजा उसे चोदने की बात कर रहा था अपने मोटे तगड़े लंड से और दावा भी कर रहा था कि उसके लंड से चुदने के बाद वह पूरी तरह से तृप्ति का एहसास करेगी,,,, जैसा कि आज तक उसने महसूस नहीं कर पाई थी भले ही वह दो बच्चों की मां बन चुकी थी लेकिन अपने पति से संपूर्ण सुख का अहसास नहीं कर पाई थी,,,,

थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी बाजार में पहुंच चुकी थी बरसों बाद रूपाली बाजार में आई थी इसलिए उसकी खुशी फूले नहीं समा रही थी एक अच्छी सी जगह बड़ा सा पेड़ देखकर सुरज बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया और पीछे जाकर अपनी मामी को उतरने में सहायता करने लगा उतरते समय एक पाव रूपाली बैलगाड़ी में ही बंदे पैर रखने के लिए पाटे पर रख दी आगे चल कर खुद सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़कर उसे उतरने में मदद कराने लगा,,,, बैलगाड़ी से उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से ब्लाउज में से झांकती रूपाली की लाजवाब चुचियों का थोड़ा सा भाग नजर आने लगा जिसे देखकर सुरज का मन मचल उठा देखते ही देखते सुरज अपनी मामी की मदद करते वैसे बैलगाड़ी से उतार चुका था,,,, बाजार तक पहुंचने में काफी लंबा समय सफर करके रूपाली की कमर थोड़ी अकड़ गई थी इसलिए बात सीधी खड़ी होकर थोड़ा सा कमर से अपने बदन को उठाकर अपने आप को दुरुस्त करने लगी लेकिन ऐसा करने से उसकी लाजवाब उठी हुई चूचियां और ज्यादा मुंह आकर खड़ी हो गई ब्लाउज में से भाले की नोक की तरह चुभती हुई उसकी चुचियों की निप्पल ब्लाउज फाडकर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,,,,, इस नजारे को देखकर सुरज का पजामा तन गया,,,,, इस बात से रूपाली पूरी तरह से अनजान थी,,,, बातों ही बातों में सुरज ने चालाकी दिखाते हुए अपनी मामी से अपने मन की बात कह दिया था और वह भी एकदम गंदे शब्दों में उसे बोलते समय सुरज का लंड एकदम कड़क हो गया था अगर उसकी मामी हां कर देती तो रास्ते में ही जमकर अपनी मामी की चुदाई कर दिया होता और उसे अपनी मर्दानगी का सबूत दे दिया होता,,,,, सुरज अपने मन की बात कह तो दिया था लेकिन उसकी मामी ने उसे कुछ भी नहीं कहा था इस बात को लेकर वह हैरान था जो कि वह समझ गया था कि उसकी कहीं बात उसकी मामी को भी बहुत अच्छी लग रही थी इसीलिए उसने उसे कुछ कहीं नहीं थी वरना जरूर उसे डांटती,, और तो और खेत वाली बात भी उसकी मामी ने अपने पति से नहीं बताई थी जिसका मतलब साफ था कि उसके मन में कुछ चल रहा है,,, इस बात को सोचकर सुरज मन ही मन खुश होने लगा और सही मौके की तलाश करने लगा वह जानता था कि बिना उसकी मामी के सहकार पाए इतना बड़ा काम ह अकेले नहीं कर सकता,,, उसकी मामी की जगह कोई और औरत होती तो बात कुछ और थी अब तक तो वह उस औरत के साथ संबंध बना दिया होता,,,,,,।

अपनी कमर और बदन की अकड़न को दूर करके रूपाली वापस सहज हो गई और खुद ही एक समोसे की दुकान के आगे खड़ी होकर अपने भांजे से सामने ही लगे हेडपंप को चलाने के लिए बोली,,,, सुरज तुरंत हैंड पंप चलाना शुरू कर दिया और रूपाली थोड़ा सा नीचे झुक कर नल से निकल रहे पानी को अपनी हथेली में लेकर अपने चेहरे पर मारने लगी वह अपने आप को तरोताजा करना चाहती थी लेकिन ऐसा करने पर एक बार फिर से उसकी दमदार वजनदार चूचियां ब्लाउज में लटक गई और यह देखकर सुरज मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि काश उसकी मामी के ब्लाउज का बटन टूट जाता तो वह इस समय उस की चुचियों के दर्शन कर लेता लेकिन वह मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझ रहा था बाजार का माहौल था और यहां पर बहुत से लोग आ जा रहे थे ऐसे में अगर सच में उसकी मामी के ब्लाउज के बटन टूट जाता है तो उसके साथ-साथ कई और लोगों की भी नजर उसकी मामी की चुचियों पर गड़ जाती ,, और फिर बाजार में हड़कंप जाता और ऐसा सुरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था लेकिन फिर भी ब्लाउज के बटन ना टूटने के बावजूद भी आधे से ज्यादा चूचियां साड़ी के पल्लू से बाहर झांक रही थी जो कि इस समय केवल सुरज को ही नजर आ रहे थे और सुरज यह देखकर अनजाने में ही पजामे के आगे वाले भाग जो कि उठा हुआ था उसे हथेली में लेकर दबा दिया और उसकी इस हरकत पर उसकी मामी की नजर पड़ गई तिरछी नजरों से अपने भांजे की हरकत को देखकर वह अपने आप पर नजर डाली तो हक्की बक्की रह गई शर्म से उसके गाल लाल हो गए और वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन तब तक वह पानी पी चुकी थी,,, अपने भांजे की इस तरह की हरकत देखकर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी वह अपने भांजे को किसी भी सूरत में रोक नहीं पा रही थी नाही उसे इस तरह की हरकत दोबारा ना करने की सलाह दे रही थी जो कि जाहिर था कि उसे भी अपने भांजे की हरकत और उसकी बातें कहीं ना कहीं अच्छी लग रही थी और उसे इस बात का करो भी हो रहा था कि एक जवान लड़का इस उम्र में भी उसके पीछे इस कदर दीवाना है,,,,।

अब तू भी हाथ मुंह धो ले और पानी पी ले काफी लंबा सफर तय करके आए हैं यहां पर थोड़ी देर आराम से बैठेंगे फिर चलेंगे,,,

तुम ठीक कह रही हो मामी मेरी भी कमर अकड़ गई है,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही दोनों हथेली को जोड़कर वह है नल की तरफ मुंह करके झुक गया और रूपालीनल चलाना शुरु कर दी थोड़ी देर में डालने से पानी निकलना शुरू हो गया और वह भी अपनी मामी की तरह ही अपने चेहरे पर पानी की बूंदे छठ पर और हाथ पैर धो कर पानी पीकर एकदम तरोताजा महसूस करने लगा,,,, पास में ही गरम गरम समोसे और जलेबियां छन रही थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुरज बोला,,,)

तुम यहीं बैठो मैं जलेबी और समोसे लेकर आता हूं,,,,

ठीक है,,,(और इतना कहने के साथ ही दुकान वाले ने बैठने के लिए लकड़ी का पाटी लगाया हुआ था उसी पर रूपाली अपनी गदराई गांड लेकर बैठ गई,,,, और अपने भांजे के बारे में सोचने लगी,,, कि उसका भांजा इस कदर बेशर्म हो जाएगा वह कभी सोची नहीं थी धीरे-धीरे उसके सामने व खुलता चला जा रहा है कहीं ऐसा ना हो कि वह उसके साथ जबरदस्ती करना शुरू कर दें,,,, अपने भांजे के बारे में यही सब सोच रही थी कि तभी थोड़ी देर पहले उसकी कही बात याद आ गई कि उसके मोटे तगड़े लंड से चूदकर वह तृप्त हो जाएगी जो कि आज तक वह कभी भी असली सुख नहीं पाई है,,, अपने भांजे के कहीं बात पर गौर करते हुए बस सोचने लगी कि क्या वास्तव में उसने चुदाई का असली सुख अभी तक नहीं हो पाई है क्या उसका पति उसे वह असली सुख नहीं दे पाता जो उसे चाहिए रोज यही तो है उसकी चुदाई करता है और रोज ही वह खुद एकदम मस्त हो जाती है,,,, इन सब बातों को सोच कर उसके जेहन में एक बात कचोटने लगी कि क्या वास्तव में अपने पति से चुदवा कर वह पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है जिसे सुख को प्राप्त करके वह गहरी नींद में सो जाती है क्या वह सुख भी अधूरा है क्या वह संभोग का असली सुख नहीं है क्या इससे भी आगे कोई अद्भुत और अलग सुख है जो औरत को पूरी तरह से मस्त कर देता है प्रीत कर देता है क्या उसी सुख के बारे में उसका भांजा उससे बात कर रहा था क्या वास्तव में उसके भांजे के लंड की ताकत उसके पति के लंड की तुलना में बहुत ज्यादा है,,,, कहीं ऐसा तो नहीं मोटे और लंबे लंड से चुदवाकर और भी ज्यादा मजा आता है कहीं अपने पति के अपने भांजे से छोटे लंड से चुदवाकर असली सुख नहीं प्राप्त कर पा रही है,,,,,, क्या अब तक वह अधूरी ही है,,, संपूर्ण स्त्रीत्व सुख हुआ अभी तक प्राप्त नहीं कर पाई भले ही रोज अपने पति से शारीरिक संबंध बनाती है अगर ऐसा है तो उसके भांजे को यह ज्ञान कहां से मिला की औरत को छोटे लंड से ज्यादा मोटे लंड और लंबे लंड में ज्यादा सुख मिलता है उसके भांजे को यह कैसे पता चला कहीं ऐसा तो नहीं कि सुरज का कहीं किसी औरत के साथ संबंध है या किसी औरत ने उसे यह बताई हो की औरतों को लंबे और मोटे लंड से ही ज्यादा मजा आता है,,,, नहीं सब सोचकर एक बार फिर से रूपालीअपनी बुर को गीली कर रही थी और तभी सुरज दोनों हाथ में समोसा और जलेबी या लेकर आगे और पास में बैठ कर अपनी मामी को थमाने लगा,,, रूपाली अपने भांजे के हाथ से जलेबियां लेकर खाना शुरु कर दी बड़ी दूर से आ रही थी इसलिए भूख लगी हुई थी और अभी दूर तक जाना भी था और वापस भी लौटना था,,,।

दोनों समोसे और जलेबी हो का लुफ्त उठाते हुए बाजार में चारों तरफ नजर घुमा रहे थे हर तरफ अनाज की दुकान तो कहीं चूड़ियों की दुकान कहीं लड़कियों के रूप सिंगार की दुकान तो कहीं चाय समोसे चाट की दुकान सब अपना अपना दुकान लगाए बैठे थे और गांव के लोग खरीदारी करके एकदम खुश नजर आ रहे थे,,,,,, गांव के बाजार में घूमने का चाट समोसा जलेबी या खाने का मजा ही कुछ और होता है यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे इसलिए इस समय बाजार का वह पूरा लुफ्त उठाना चाहते थे,,,,,, रूपाली की नजर बाजार में एक तरफ चूड़ियों की दुकान पर बिकी हुई थी उसे अपने लिए रंग बिरंगी चूड़ियां खरीदनी थी लेकिन पैसे उतने लाई नहीं थी लेकिन फिर भी अपने मन में सोची थी चलकर एक बार देख तो ले कुछ नहीं तो देख कर ही अपना मन बहला लेगी,,,, यही सोच कर थोड़ी ही देर में दोनों समोसे और जलेबियां खाकर खड़े हो गए और एक बार फिर से दोनों हेड पंप से पानी पीकर अपने आपको भूख से तृप्त कर लिए,,,,,,।

जिस पेड़ के नीचे बेल बना हुआ था वहां ढेर सारी कहां सूखी हुई थी इसलिए उसके खाने की कोई चिंता नहीं थी,,,, रूपाली का मन थोड़ी देर बाजार में घूमने का हो रहा था इसलिए वह सुरज से बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगे और पीछे पीछे सुरज चलने पर रूपाली की चाल बेहद मादक नजर आ रहे थे उसकी उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड कसी हुई साड़ी में और भी ज्यादा उभरकर मटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे साड़ी के अंदर दो बड़े-बड़े खरबूजे बांध दिए गए हो,,,, सुरज को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि बाजार में आए मर्दों की नजर उसकी मामी की खूबसूरती पर जरूर पड़ेगी खास करके मटकती उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर और लटकते हुए उसके दोनों खरबूजो पर,,, और जब वह यही देखने के लिए बाजार के हर मर्दों के नजर को भागने लगा तो उसका सोचना एकदम सही निकला सड़क के किनारे दुकानों पर बैठे मर्दों के साथ साथ आते जाते हुए मर्दों की नजर उसकी मामी की बड़ी बड़ी गांड पर लार टपका ते हुए चिपकी हुई थी जो पीछे से देख रहा था वह उसकी मामी की गांड को देख रहा था और जो आगे से देख रहा था तो उसकी नजर उसकी मामी की चुचियों पर पड़ रही थी उसकी मामी के खूबसूरत बदन का अगाडा और पिछवाड़ा दोनों बेहतरीन तरीके की बनावट में बना हुआ था उसकी मामी के बदन से हर अंग से मधुर रस टपक रहा था जिसे पीने के लिए बाजार का हर एक मर्द लार टपका रहा था,,,,, यह देखकर सुरज को तो गुस्सा आ ही रहा था लेकिन उसे इस बात का गर्व भी हो रहा था कि इस उमर में भी उसकी मामी की खूबसूरती और बदन की बनावट एकदम बरकरार थी आज भी उसकी मामी जवान लड़कियों से पानी भरवा दे ऐसी हुस्न की मल्लिका थी,,,,,,


रूपाली आ गया के चल रही थी और सुरज पीछे-पीछे रूपाली सड़क के दोनों छोर पर बनी दुकानों को देखते हुए आगे बढ़ रही थी और सुरज अपनी मामी की खूबसूरती का रसपान अपनी आंखों से करता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, जेसे ही चूड़ियों की दुकान आई उसकी मामी के पैर ठीठक गए सुरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मामी चूड़ियां खरीदना चाहती है,,,, और देखते ही देखते उसकी मामी चूड़ियों की दुकान की ओर आगे बढ़ गई और वहां खड़ी होकर रंग बिरंगी चूड़ियों को बड़ी हसरत भरी निगाह से देखने लगी,,,, रूपालीजानती थी कि वह पर्याप्त पैसे लेकर नहीं आई है कि बाजार से खरीदारी कर सके इसलिए वह जानती थी कि देखने किसी और कुछ नहीं कर सकती सुरज खड़ा-खड़ा अपनी मामी की हसरत भरी निगाहों को देख कर खुश हो रहा था इसलिए आगे बढ़कर वह अपनी मामी से बोला,,,।

चूड़िया लेना है क्या,,,?


अरे नहीं-नहीं मैं तो देख रही थी,,,,

(उसका इतना कहना था कि तभी सुरज लाल रंग की चुडीयो को अपने हाथ में उठाकर अपनी मामी को दिखाते हुए बोला,,)

तुम पर यह बहुत अच्छी लगेगी,,,, तुम्हारी गोरी कलाई में लाल रंग की चूड़ियां खूब जचेंगी,,,


अरे नहीं नहीं सुरज तू रहने दे मेरे पास पैसे नहीं है,,,

क्या तुम भी,,,, पसंद है तो ले लो सोचना कैसा,,,


अरे पागल हो गया है क्या सोचने से क्या ले सकती हूं क्या मेरे पास पैसे नहीं है अभी दवा लेने जाना है पता है ना तुझे,,,


अरे तुम्हें पैसे देने के लिए कौन कह रहा है मेरे पास पैसे हैं तुम बस ले लो,,,


तेरे पास पैसे हैं,,,(आश्चर्य से सुरज की तरफ देखते हुए) तेरे पास पैसे कहां से आए,,,,


अरे मैं गांव के लड़कों की तरह निकालना नहीं हूं बेल गाड़ी चलाता हूं काम करता हूं दो पैसे मैं अपने खर्च के लिए भी रखता हूं,,,,


तेरे मामाजी को मालूम है,,,


नहीं यह तो मेरी बचत के पैसे हैं मैं इसी दिन के लिए रखा था कि तुम लोगों के लिए कुछ खरीद सकूं,,, और लगता है कि आज वह दिन आ गया है,,,,।

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली बहुत खुश हो रही थी और उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका भांजा उसे चूड़ियां दिला रहा था एक बार फिर से सुरज अपनी मामी से बोला)

लेना है ना,,,

अब तू जीत कर रहा है तो ले लेती हूं लेकिन मंजू के लिए भी ले लेना उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि सिर्फ मैं अपने लिए खरीद कर लाई हूं,,,


हां हां ठीक है,,, ए चूड़ी वाले यह लाल रंग की चूड़ियां पहना देना तो,,,
(दुकानदार जो कि दूसरे ग्राहकों को चूड़ी पहनाने में व्यस्त था वह सुरज की तरफ देख कर बोला)

हां भांजा बस थोड़ी देर रुको मैं पहना देता हूं,,,

(उस दुकानदार की बात सुनकर सुरज मुस्कुराते हो अपनी मामी की तरफ देखा तो रूपाली भी मुस्कुराने लगी आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसका भांजा उसे चूड़ी पहनाने जा रहा था जिंदगी में पहली बार उसका भांजा उसके लिए कुछ खरीद रहा था और वह भी चूड़ियां,,,,)

आओ जब तक वह दूसरों को पहना रहा है तब तक यहीं बैठ जाते हैं,,,(और क्या कहने के साथ ही दुकान के बाहर रखे पाटीए पर दोनों मामी-भांजे बैठ गए,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा ही थी लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे लोग खरीदारी कर रहे थे,,, तभी उसकी मामी बोली,,,)

अगर तेरे पास पैसे हो तो चलते समय समोसे और जलेबियां भी ले लेना घर के लिए,,, और थोड़े खरबूजे भी ले लेना मुझे खरबूजे बहुत पसंद है पैसे तो ‌है ना तेरे पास,,,

हा मा तुम चिंता मत करो तुम जो बोलोगी मैं वह खरीद लूंगा बस,,,,(इतना कहकर सुरज अपने मन में ही कहने लगा कि बस एक बार तुम अपनी बुर मुझे दे दे तो पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूं और इतना अपने मन में कह कर वह अंगड़ाई लेने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी का नंबर आ गया और वह चूड़ी पहनने लगी सुरज या देखकर मन ही मन सोच रहा था कि,,, ए चूड़ी वाले की भी किस्मत कितनी अच्छी है कि गांव की खूबसूरत से खूबसूरत औरत और लड़की का हाथ पकड़कर उन्हें चूड़ी पहना था है और इस समय भी वह बेहद खूबसूरत औरत को अपने हाथों से चूड़ी पहना रहा है जिसका हाथ पकड़ने की

सिर्फ सोच कर ही ना जाने कितने लोग उत्तेजित हो जाते हैं उसकी कलाई को अपने हाथों से पकड़कर वह चूड़ी वाला कितना मस्त हुआ जा रहा होगा जरूर उसका लंड खड़ा हो गया होगा उसकी मामी का हाथ पकड़कर उसे चूड़ी पहनाते हुए,,,, सुरज उस चूड़ी वाले की निगाह को भी बड़े गौर से देख रहा था और समझ रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी की बड़ी बड़ी चूची की तरफ देखकर लार टपका रहा था जो कि ब्लाउज में से आधे से ज्यादा झांक रही थी और अपने मन में यदि सोच रहा था कि वह चूड़ी वाला उसकी मामी को चोदने की कल्पना भी कर रहा होगा हालांकि इस तरह के ख्याल से उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन अपनी मामी की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन को लेकर गर्व भी महसूस हो रहा था,,,,

थोड़ी ही देर में चूड़ी वाले ने ढेर सारी चूड़ियां रूपाली को पहना दिया और सुरज ने अपनी मौसी के लिए भी चूड़ियों को एक लिफाफे में बंधवा कर ले लिया,,,, दोनों दुकान से वापस जाने लगे तो सुरज अपनी मामी की गोरी गोरी कलाइयों में भरी हुई चूड़ियों को देखकर बोला,,,।

देखो माफ तुम्हारा हाथ कितना सुंदर लग रहा है और कितनी खनखन की आवाज भी आ रही है अब तुम्हारी सुंदरता और ज्यादा बढ़ गई है,,,।
(अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपालीशर्मा गई तभी उसे खरबूजे का ठेला नजर आया तो वह उस तरफ उंगली दिखा कर बोली,,,)

सुरज ओ रहे खरबूजे थोड़े बहुत खरीद ले,,,

जरूर,,,, लेकिन तुम्हारे पास तो सबसे बेहतरीन खरबूजा है फिर भी खरबूजा खरीद रही हो,,,

क्या,,,?

ककक कुछ नहीं तुम यहीं रुको मैं लेकर आता हूं,,,
(इतना कहकर सुरज तुरंत उस ठेले पर खरबूजा खरीदने चला गया और रूपाली वही खड़ी-खड़ी अपने भांजे की बात पर गौर करने लगी उसके भांजे ने उसकी चूचियों की तुलना खरबूजा से किया था इस बात का एहसास रूपाली को भी हो रहा था और वहां अंदर ही अंदर शर्मा भी रही थी कि उसका भांजा उसके सामने एकदम बेशर्म हुआ जा रहा है,,, दूसरी तरफ सुरज बड़े बड़े खरबूजे को बीन कर खरीद रहा था सुरज खरगोशों की तुलना अपनी मामी की चुचियों से करता हुआ उतना ही बड़ा खरबूजा खरीद रहा था जितनी बड़ी उसकी मामी की चूचियां थी और देखते ही देखते ‌आंठ दस खरबूजा वह खरीद लिया और अपनी मामी की तरफ आने लगा,,,, यह देखकर रूपाली और खुश हो रही थी कि उसके भांजे ने ज्यादा खरबूजा खरीद लिया था खरबूजा शुरू से ही रूपाली को बेहद पसंद था खरबूजे के थैले को अपनी मामी को पकड़ते हुए सुरज एक बार फिर से मस्ती करते हुए बोला,,,)

देख लो मामी तुम्हारे से ना छोटी है ना बड़ी तुम्हारे ही जैसी है,,,,(सुरज के कहे अनुसार रूपाली खरबूजा के आकार को देखकर मन ही मन शरमा गई क्योंकि वाकई में उसके भांजे ने एकदम उसकी चुचियों के आकार के ही खरबूजे खरीदे थे,,,, रूपाली अपने भांजे की बात को सुनकर मन ही मन शर्मिंदगी महसूस कर रही थी और तभी सुरज समोसे और जलेबी की दुकान पर वापस जाकर,,, घर के लिए समोसे और जलेबी या बंधवाने लगा,,,,,, जब तक वह‌ जलेबी और समोसे बंधवा रहा था तभी रूपाली को जोरों की पेशाब लगी वह इधर-उधर देखने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस भीड़भाड़ वाले बाजार में हुआ पेशाब करने के लिए कहां जाएं अपने मन में सोचने लगी कि जो औरतें इधर आती है अगर उन्हें पेशाब लगती है कहीं ना कहीं तो जाती ही होंगी,,,, उसके पेशाब की तीव्रता बढ़ती जा रही थी वह कभी सुरज की तरफ देख रही थी जो कि दुकान पर खड़ा होकर जलेबी और समोसे ले रहा था और तो कभी बाजार की भीड़ को देख रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह‌ दुकान के पीछे वाले धागे की तरफ जाने की सोची क्योंकि दूसरी तरफ दूर-दूर तक जंगली झाड़ियां नजर आ रही थी,,,,।

पर वह अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू न कर पाने की वजह से सुरज को बताए बिना ही समोसे की दुकान की पीछे की तरफ जाने लगी और देखते ही देखते वह‌दुकान के पीछे आ गई दुकान के पीछे खड़ी होकर वहां दूर-दूर तक नजर दौड़ाने लगी तो देखी कि चारों तरफ जंगली झाड़ियां और खेत ही खेत है तभी वो थोड़ा और आगे जाने लगी क्योंकि जहां पर वह खड़ी थी आते जाते लोगों की नजर वहां पहुंच जा रही थी और वहां लोगों की नजर के सामने पेशाब करना नहीं चाहती थी १०,१५ कदम आगे चलने पर उसे सामने कुछ औरतें पेशाब करती हुई नजर आई तो वह खुश हो गई उसे लगने लगा था कि औरतें इतनी पेशाब करती है,,,, उसके वहां पहुंचने तक वह औरतें वहां से चली गई और वहां जाकर तुरंत वहीं पर खड़ी हो गई जहां पर वह औरतें पेशाब कर कर गई थी,,, वहीं दूसरी तरफ सुरज समोसे और जलेबी बंधवा लिया था और अपनी मामी को इधर उधर देख रहा था और कहीं भी उसकी मामी नजर नहीं आती फिर से समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामी कहां चली गई,,,, उसे भी बड़े जोरों की पेशाब लगी थी इसलिए वह अपने मन में सोचा कि चलो दुकान के पीछे जाकर पेशाब कर लेते हैं उसके बाद देखते हैं कि उसकी मामी कहां गई है,,,, और सुरज भी दुकान के पीछे वाले भाग पर आ गया और दो चार कदम आगे चलने पर उसे झाड़ियों में सुरसुरा हक की आवाज सुनाई दी तो वह उस तरफ नजर करके देखने लगा तो उसकी आंखों में चमक आ गई क्योंकि तीन चार मीटर की दूरी पर ही उसकी मामी अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर बैठी हुई थी और मुत रही थी,,, यह देखते ही सुरज का लंड एकदम से खड़ा हो गया ,,,,, सुनहरी धूप में उसकी मामी की गोरी गोरी गाल और ज्यादा चमक रही थी जिसे देखकर सुरज पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी मामी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसके ठीक पीछे झाड़ियों में खड़ा होकर उसका भांजा उसकी नंगी गांड के साथ-साथ उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है अगर यह बातों से पता चल जाए तो शायद वह शर्म से पानी पानी हो जाए,,,,,।

सुरज झाड़ियों के पीछे अपने आप को छिपाया हुआ था लेकिन इस तरह से कि अगर उसकी मामी की नजर उस पर पड़े तो वह उसे अच्छी तरह से देख पाए लेकिन उसे बिल्कुल भी शक ना हो कि सुरज जानबूझकर वहां पर खड़ा है,,,,, इसलिए सुरज चला कि दिखाता हुआ अनजान बनता हुआ धीरे से गीत गुनगुनाने लगा ताकि उसके गीत की आवाज उसकी मामी सुन सके और पीछे नजर घुमाकर देख सके इसलिए वह अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और गीत गाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, उसकी युक्ति काम कर गई गीत की आवाज सुनकर उसकी मामी तुरंत पीछे नजर घुमाकर देखी तो झाड़ियों के पीछे सुरज खड़ा था वो एकदम से घबरा गयी उसे लगा कि उसका भांजा झाड़ियों के पीछे खड़ा होकर उसे पेशाब करता हुआ देख रहा है लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि उसका भांजा गीत गुनगुनाता हुआ पेशाब कर रहा था,,, जिसका मतलब साफ था कि उसका भांजा इस बात से अनजान था कि उसके थोड़ी ही दूर पर उसकी मामी बैठकर पेशाब कर रही है,,,,,, अब उसे बहुत शर्म आ रही थी उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार बह रही थी लेकिन एकदम से घबरा गई थी अगर इस समय बहुत पर खड़ी हो जाती तो उसका भांजा उसे देख लेता और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी एकदम शांत हो गई और अपनी पेशाब को थोड़ी देर के लिए रोक ली ताकि उसमें से आ रही सीटी की आवाज उसके भांजे के कानों तक ना पहुंच पाए,,, एक बार फिर से वहां झाड़ियों की तरह देखी तो इस बार उसके होश उड़ गए क्योंकि इस बार उसकी नजर उसके भांजे के खड़े टनटनाते लंड की तरफ गई थी और यह देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी कि उसका भांजा अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाता हुआ पेशाब कर रहा था,,,, रूपाली को अपने भांजे का लंड एकदम साफ नजर आ रहा था और एकदम भयानक आकार का दिख रहा था जिसके बारे में सोच कर अनजाने में ही उसके मन में यह ख्याल आ गया कि अगर इतना मोटा लंड उसकी बुर में घुसेगा तो क्या होगा,,, एकदम से रूपाली की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और झाड़ियों के पीछे खड़ा सुरज चोर नजरों से अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देख रहा था जो कि उसने अभी तक यह जानते हुए भी कि झाड़ियों के पीछे उसका भांजा खड़ा है अपनी गांड को साड़ी से ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी,,, ऐसा नहीं था कि वह जानबूझकर अपने भांजे को अपनी गांड के दर्शन करा रही थी वह बस घबराहट में भूल गई थी साड़ी को नीचे करना,,,।

सुरज कुछ देर तक अपनी मामी के गांड के दर्शन करता रहा और पेशाब कर कर अपनी मामी से पहले वहां से जाना चाहता था इसलिए तुरंत वहां से चला गया क्योंकि वह‌यह नहीं बताना चाहता था कि वह इस बात को जानता है कि उसकी मामी वही पेशाब कर रही है इसलिए सुरज के तुरंत वहां से जाते हैं एक बार फिर से रूपाली पेशाब की धार को अपनी गुलाबी छेद से बाहर निकालने लगी और थोड़ी देर में पेशाब करके वहां दूसरी तरफ से घूम कर बैलगाड़ी के पास जाकर खड़ी हो गई तब तक सुरज उसे ढूंढ रहा था जब देखा कि उसकी मामी बैलगाड़ी के पास खड़ी है तो वह तुरंत वहां पर आया और बोला,,।

कहां चली गई थी मामी मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,(सुरज जानबूझकर यह बात अपनी मामी से बोला था ताकि उसकी मामी को यही लगे कि वाकई में उसने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है उसकी मामी भी बात बनाते हुए बोली,,,)

कहीं नहीं बहुत दिन बाद बाजार आई थी ना इसलिए थोड़ा घूम कर आई हूं,,,,।
(रूपाली को ऐसा ही लग रहा था कि उसके भांजे ने उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा है और सुरज अपनी मामी का जवाब सुनकर मन ही मन अपने आप से बोला ,,, कि कितना झूठ बोल रही है ऐसा साथ-साथ नहीं कह देती कि मैं मुत के आ रही हूं,,,,, फिर वह अपने मन में सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ कि उसकी मामी को पता नहीं था कि वह उसे देख लिया है,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह से वह खड़ा होकर पेशाब कर रहा था जरूर उसकी मामी उसके खड़े लंड को देखी होगी,,,, यह सोचता हुआ थोड़ी ही देर में वह चलने के लिए तैयार हो गया बेल गाड़ी पर बैठने मैं अपनी मामी की सहायता करने लगा और उसकी मामी एक बार फिर से ऊपर चढ़ते समय अपनी बड़ी बड़ी गांड को भरकर बेल गाड़ी में बैठ गई और सुरज बेल गाड़ी पर बैठकर बेल को हाक कर आगे बढ़ गया,,,।)
 
Member
289
105
28
एक बार फिर सुरज बाजार में कुछ देर रुक कर बैलगाड़ी लेकर आगे बढ़ गया था,,, लेकिन बाजार में उसने अपनी आंखों से और अपनी बातों से अपनी मामी के साथ खूब मस्ती किया था जिसका एहसास रूपाली को भी थोड़ा थोड़ा हो रहा था,,,,,, खरबूजे वाली बात की तुलना अपनी मामी की चुचियों से करके सुरज अपने हौसले को और बड़ा चुका था,,, वह आप समझ गया था कि उसकी मामी के साथ वो किसी भी तरह की बात करेगा तो उसकी मामी उससे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,, सुरज अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी गंदी बातों से उसकी मामी को भी मजा आता है तभी तो वह उसे रोकती नहीं है ,,बस उपर उपर से ही नाराज होने का नाटक करती है,,,,,, औरत और बाजार में दुकान के पीछे जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अभी भी उत्तेजना की हलचल हो रही थी वह सोचा नहीं था कि उसे ऐसे माहौल में अपनी मामी की नंगी गांड देखने को मिल जाएगी और उस जबरदस्त नजारे को देखकर उसके मन में पूरी तरह से माहौल बन चुका था,,,, ऐसा नहीं था कि सुरज पहली बार अपनी मामी की गांड देख रहा था वह कई बार अपनी मामी को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख चुका था और अपने मामाजी के साथ संभोग रत और संभोग से पहले की क्रियाकलापों को भी देख चुका था,,, लेकिन एक मर्द चाहे जितनी बार भी औरत को नग्न अवस्था में देख ले फिर भी उस औरत को नग्न,,, बिना कपड़ों के देखने की उसकी लालच कभी कम नहीं होती और यही हाल सुरज का भी था क्योंकि वह भी मर्दों की जाति से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था,,,।

अपनी मामी को पेशाब मुद्रा में देखकर वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,,, सुनहरी धूप में गोरी गोरी गांड ओर भी ज्यादा चमकते हुए अपनी आभा बिखेर रही थी,,, जिसकी चमक में खुद है सुरज की आंखें चौंधिया गई थी,,,, ऐसा नहीं था कि सुरज पहली बार किसी औरत की गांड को देख रहा था अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों की गांड को नंगी देख भी चुका था और अपने हाथों से नंगी करके चुका था और गांड चुदाई भी कर चुका था,,,, फिर भी उसे अपनी मामी की नंगी गांड देखकर जो मजा मिलता था वह किसी भी औरत की गांड से ना तो देखकर और ना ही उनसे संभोग करके मिलती थी,,,,।,,,

बाजार से निकल चुके थे और दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनों अपने अपने मन में वही सोच रहे थे जो कि कुछ देर पहले हो चुका था रूपाली भी दुकान के पीछे वाले भाग में जिस तरह से पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी कमर तक उठा कर बैठी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसे इस हाल में देख रहा होगा,,,,‌ यह तो निश्चित तौर पर वह नहीं कह सकती थी कि उसे पेशाब करते हुए उसके भांजे ने देखा था या नहीं देखा था,,, लेकिन जिस हाल में उसने अपने भांजे को देखी थी और उसके अंजानपन को देखकर रूपाली को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे ही उसके भांजे ने अनजाने में ही वहां पर आ गया था लेकिन उसे पेशाब करते हुए देखा नहीं था अपने भांजे को इतने करीब महसूस करके शर्म के मारे रूपाली का जो हाल हो रहा था वह बयां नहीं कर सकती थी वह एकदम शर्मसार हुए जा रही थी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके भांजे की नजर उसकी गांड पर पड़ जाती है तो क्या होता उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका भांजा अपने मन में क्या सोचता,,,, बाजार में पेशाब करते समय जो हाल रूपालीका हुआ था उससे उसे अपनी जवानी के दिनों की बात याद आ गई थी जब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और ऐसे ही एक दिन वह बाजार गई हुई थी और बाजार से लौटते समय खेत में झाड़ियों के पीछे इसी तरह से अपनी सलवार की डोरी खोल कर वह पेशाब करने बैठ गई थी और उसी समय एक आदमी ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया था वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन दरी बिल्कुल भी नहीं थी और तुरंत खड़ी होकर अपनी सलवार को बाद कर उस आदमी को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन इस तरह की हिम्मत वह अपने भांजे के सामने नहीं दिखा पाई थी,,,, अपने भांजे की मौजूदगी में तो उसमें अपनी साड़ी को नीचे कर सकने की हिम्मत नहीं थी ताकि उसकी नंगी गांड ढंक जाए,,,,,, क्योंकि उस समय उसमें शर्म और डर दोनों के भाव एक साथ भरे हुए थे,,,, उस समय अपने भांजे के यहां भाव को देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ है और वह उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा था वधू बड़े आसानी से अपने भांजे के जाल में फंस गई थी उसकी चला कि को बिल्कुल भी समझ नहीं पाई थी और सुरज था कि अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपनी मामी की नंगी गांड को भी देख लिया था और अपने खड़े लंड का दर्शन भी अपनी मामी को करा दिया था जिसे देखकर उसकी मामी की बुर कुलबुलाने लगी थी,,,,,,,।

बेल गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और रूपाली अपने भांजे की हरकत के बारे में सोचकर ‍शर्म भी महसूस कर रही थी और ना जाने क्यों उतेजीत भी हुए जा रही थी,,,। बैलगाड़ी में रखे हुए बड़े-बड़े खरबूजे को देखकर उसकी नजर अपने आप ही अपनी छातियों पर चली गई तो वह मुस्कुरा दी,,, क्योंकि जिस तरह से खुले तौर पर उसके भांजे ने चूचियों की तुलना खरबूजे के आकार को लेकर किया था इस तरह से खुलकर तो कभी उसके पति ने भी उससे यह बात नहीं कहा था लेकिन एक बात पर वह हैरान थी कि उसके भांजे को उसकी चुचियों का आकार एकदम सचोट रूप से कैसे पता है,,,, वह ऐसे ही एक खरबूजे को अपने हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में दूसरे खरबूजे को और सुरज की तरह दोनों को नापने तोलने लगी,,, कभी खरबूजे की तरफ तो कभी अपनी चुचियों की तरफ देख रही थी दोनों के आकार में बिल्कुल भी अंतर नहीं था,,,, रूपाली मन ही मन में सोचने लगी कि उसका भांजा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है,,, या तो ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों का नाप भांप गया हो,,,,।

रूपाली अपने मन में यही सब सोच रही थी और बैलगाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी बाजार काफी दूर निकल गया था,,, एकदम दोपहर का समय हो चुका था लेकिन जगह जगह पर काले काले बादल नजर आ रहे थे लेकिन अभी तक बारिश हुई नहीं थी जो कि उन दोनों के लिए अच्छा था क्योंकि सफर काफी लंबा था ऐसे में बरसात हो जाती तो दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती,,,,,,,, एक नजर अपने भांजे की तरफ डालकर रूपाली बोली,,,।

सुरज तू अब बैलगाड़ी एकदम अच्छा चलाने लगा है बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होती कितने आराम से लेकर जा रहा है,,,


मेरे मामाजी ने मुझे अच्छे से सिखा दिया है,,, तभी तो तुम्हें इतनी दूर ले जाने ले आने की जिम्मेदारी मुझे सौंप दिए हैं वरना वह खुद आ जाते,,,,,


हां सुरज सही बात कह रहा है तू वरना तेरे मामाजी इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं करते कि तुझे बेल गाड़ी ठीक से चलानी ना आती हो तो मुझे तेरे साथ इतनी दूर भेज दिए हो,,,
(दोनों मामी-भांजे को ऐसा ही लग रहा था कि,,, सुरज को बेल गाड़ी चलाने आने की वजह से उसके मामाजी ने सहज रूप से उसे दवा लेने के लिए भेज दिया था बल्कि हकीकत तो यह थी कि जैसे ही बैलगाड़ी मंजू और रविकुमार की नजरों से दूर हुआ था वैसे ही तुरंत वह दोनों घर में आते ही दरवाजा बंद करके सिटकिनी लगा दिए थे,,, और दोनों के बदन से कब कपड़े निकल कर जमीन पर गिर गए दोनों को पता ही नहीं चला,,, इसके बाद दोनों की कामलीला शुरू हो गई,,, ऐसा मौका दोनों को कहां रोज रोज मिलता था इसलिए दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे और हरिया अपनी छोटी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला अभी तक जारी ही था तो उन्होंने घर में दरवाजा बंद करके नंगे होने के बाद कपड़ों को हाथ तक नहीं लगाए थे और उसी तरह से ही घर का काम पूरा होता भी रहा दोनों ने खाना भी खाया और जब से भैया का लैंड खड़ा होता था तब तक वह गुलाबी की बुर में डालकर शांत हो जाता था,,,,)

अच्छा ही हुआ सुरज कि तेरे मामाजी ने तुझे बेल गाड़ी चलाना सिखाती है वरना तू भी गांव के लड़कों की तरह आवारा घूमता रहता और औरतों के बारे में ना जाने कितनी गंदी गंदी बातें करता रहता,,,,।

अरे मामी तुम मुझे गलत समझ रही हो,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं लोगों से गंदी बातें लिखता नहीं हूं लेकिन क्या है ना कि उन लोगों की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगती हैं,,,, पहले देखो मैं इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था जबसे उन लोगों की संगत में आ गया तब से औरतों को दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया,,, और पहले तो मैं औरतों से बिल्कुल भी बात तक नहीं करता था ना उनकी तरफ देखता था,,,, इसमें तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना मैं अपनी गलती तुम्हारे सामने सभी कार्य कर रहा हूं और मैं जानता हूं कि तुम मुझे माफ कर दोगी,,,,,।

(रूपाली अपने भांजे की बात को सुन कर मुस्कुरा रही थी और जैसे उसकी नजर चूड़ियों की तरफ गई तो उसके मन में जो सवाल था वह उसके होंठों पर आ गया और वह सुरज से बोली,,,,)

अच्छा मुझे तो सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहां से,,,, जो तूने मुझे चूड़ियां खरीद के दिला दिया,,, औरत और खरबूजे समोसे और जलेबियां भी खिलाया,,,।

अरे मामी तुम क्या समझती हो कि कहीं में डाका डाल कर पैसे लेकर आया हूं डाकू या चोर नहीं हूं मैं मेहनत के पैसे हैं और वैसे भी मैं तुम्हें उस दिन बताया ही था ना कि नामदेवराय हमें और ज्यादा अधिक काम देने लगा है,,, और तो और मैं उसके आना आज के गोडाउन पर थोड़ा और काम कर देता हूं तो मुझे बख्शीश दे देता है यह पैसे उसी के थे,,,,,,


अरे वाह सुरज तू तो अब कमाने लगा है और तेरी उम्र के लड़के जो भी अपने गांव में है मुझे नहीं लगता कि एक पैसा भी कमा कर आते हैं,,,

नहीं तो वह लोग कहीं काम नहीं करते,,,,

तब तो तू उन लड़कों में सबसे अच्छा लड़का है,,,।

(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज खुश हो गया वह चाहता है तो अपनी मामी को हकीकत बता सकता था कि नामदेव राय क्यों उस पर मेहरबानी करने लगा है वह साला और उसकी बहन की काली करतूतों को अपनी मामी के सामने बता देता लेकिन वह खास मकसद से उस राज को अभी बताना नहीं चाहता था वह खास मौके पर अपनी मामी से उन दोनों की कामलीला को बताना चाहता था ताकि उसका भी काम बन सके,,,,।
दोनों के बीच कुछ देर के लिए फिर से खामोशी छा गई रूपाली अपने मन में सोचने लगी कि उसके भांजे की हरकत तो शर्मिंदगी और उत्तेजना से भरी हुई है लेकिन वह आप कमाने लगा है वह एक अब आदमी बन गया है जो अपने परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलने लगा है इस बात की खुशी रूपाली के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर उसकी हरकतों के बारे में सोच कर उसके चेहरे के भाव बदलने लगते थे वह शर्म से पानी पानी होने लगती थी उसकी बातों पर गौर करके उसकी हरकत को देखकर,,,, उसमें अपने भांजे से ज्यादा एक मर्द नजर आने लगता था,,,, क्योंकि जो कुछ भी हो कहता था जो कुछ भी हो करता था वह एक भांजा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और वैसे भी सुरज की हरकतें एक भांजे की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,, एक मर्द जिस तरह से औरत को रिझाने के लिए अश्लील हरकतें करता है गंदी बातें करता है उसी तरह से सुरज भी अपनी मामी को रिझाने के लिए एक मर्द की तरह ही बर्ताव कर रहा था रूपाली अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसका भांजा उसे अपनी मामी न समझ कर एक औरत समझकर इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,,,, रिश्तो के बीच जब मर्द और औरत का नजरिया आ जाए तो मर्यादा की डोरी टूटने में बिल्कुल भी देर नहीं लगती लेकिन इस मर्यादा की डोरी को टूटने से अभी तक रूपाली बचाई हुई थी लेकिन धीरे-धीरे अपने भांजे की हरकत से उसे भी आनंद आने लगा था उसकी बातें सुनकर उसे भी मजा आता था,,,,,,,, तभी सुरज के मन में ख्याल आया कि देखो उसकी मामी समोसे की दुकान के पीछे वाले वाक्ये के बारे में क्या बताती है,,, इसलिए वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,।

वैसे मामी तुम चली कहां गई थी क्या कोई चीज अच्छी लग गई थी उसे खरीदना चाहती थी क्या,,,, अगर ऐसा है तो मुझे बताई होती मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,,।
(अपने भांजे की यह बात सुनकर रूपाली एकदम सकते में आ गई क्योंकि वह उस समय पेशाब कर रही थी लेकिन अपने भांजे को झूठ बोली थी कि वह बाजार में इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह ठीक अपने भांजे के सामने बैठी हुई थी इसलिए वह अपनी बात को बनाते हुए बोली)

नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो यूं ही बाजार में घूम रही थी काफी दिनों बाद बाजार आई थी ना इसलिए वैसे भी मुझे बाजार घूमने में बहुत मजा आता है,,,,।

ओहहहह तो कहना चाहिए था ना मैं रोज तुम्हें बाजार लेकर जाता अब तो बैलगाड़ी ही मेरे हाथों में आ गई है,,,

हां यह तो तू ठीक कह रहा है अब जब भी मेरा मन करेगा तो तुझे बाजार लेकर चली जाऊंगी अब तो उसके पैसे भी कम आने लगा है इसलिए पैसे की भी चिंता नहीं है,,


हा मा तुम पैसे की बिल्कुल भी चिंता मत करना तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है,,,

अरे वाह तू मेरे लिए जान देने लगा कब से,,,।

अरे कब से क्या जब से इस बात का एहसास हुआ है कि मेरी मामी सबसे खूबसूरत औरत है इसलिए,,,,।
(अपने भांजे के मुंह से औरत शब्द सुनकर रूपाली की दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका भांजा उसे एक औरत के नजरिए से देखता है तभी उसकी हरकतें इतनी अश्लील होते जा रही हैं,,,,)

चल रहने दे मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरत गांव भर में है,,,

तुम्हारी ह गलतफहमी है मामी,,, तुमसे खूबसूरत गांव में तो क्या अगल-बगल के १० गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं है,,,,


तुझे कैसे पता चला कि गांव में मेरे जैसी खूबसूरत औरत कोई और नहीं है तो क्या औरतों को देखता रहता है क्या,,,?

(सुरज को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी मामी सेवा कुछ भी कहेगा उसकी मामी बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि वह बहुत कुछ बोल चुका था गंदी से गंदी बातें कर चुका था यहां तक कि खुले शब्दों में अपनी मामी की बुर में लंड डालने की बात भी कह चुका था लेकिन उसकी मामी से एक शब्द तक नहीं खाई थी इसीलिए सुरज इस मौके का फायदा उठाना चाहता था और अपनी बातों से अपनी मामी का दिल बहलाना चाहता था औरतों की संगत में आकर सुरज को इतना तो समझ में आ ही गया था कि औरतों को किस तरह की बातें अच्छी लगती हैं इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

नहीं पहले तो नहीं देखता था लेकिन जब से मेरी संगत गलत दोस्तों से पड़ गई तब से ना जाने क्यों मेरा नजरिया बदलता चला गया और मैं गांव भर में घूम-घूम कर औरतों को देखने लगा,,,

क्या देखता था औरतों में,,,(रूपाली उत्सुकता भरे शब्दों में बोली,,,,, एक बार फिर से सुरज को माहौल बनता हुआ नजर आ रहा था,,,, बैलगाड़ी कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती चली जा रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी ऐसे में अपनी मामी की उत्सुकता को देखकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, भले ही सुरज अपनी मामी से लाख कोशिशों के बाद भी उसे हासिल नहीं कर पाया था उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था लेकिन उसे अपनी मामी से इस तरह की अश्लील बातें करने में भी बेहद उत्तेजना का अनुभव होता था और उसे बहुत मजा आता था इसलिए अपने होठों पर मुस्कान लाता हुआ अपनी मामी से बोला,,,)

सच कहूं तो औरतों में देखने लायक क्या नहीं है ऊपर से नीचे तक सब कुछ देखने लायक है । सर के बाल से लेकर झांट के बाल तक सब कुछ खूबसूरत ही होता है,,,।
(सुरज जानबूझकर इस तरह की बात कर रहा था और अपने भांजे के मुंह से झांट शब्द सुन कर‌ वह चौंकते हुए बोली,,,)

क्या,,,,?

अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं यहीं पर बात खत्म करता हूं लेकिन जो कुछ भी हकीकत है मैं वही बता रहा हूं,,,


नहीं नहीं वह बात नहीं है तूने कहा क्या खूबसूरती के बारे में,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज समझ गया था कि उसकी मामी वही सुनना चाहती है जो वह बोलना चाहता है इसलिए आप अपनी बात में बिल्कुल भी मर्यादा के शब्द चलाना नहीं चाहता था वह पूरी तरह से अपने शब्दों को अश्लील कर देना चाहता था इसलिए वह बोला,,)

यही मामी की औरतों का सब कुछ खूबसूरत होता है उनके सर के बाल से लेकर के उनके झां‌ट‌ के बाल तक,,,)

सर के बाल तो ठीक है लेकिन उस बाल के बारे में तुझे कैसे पता चला,,,,


अरे मामी तुम भी अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे सब कुछ पता चलता है और वैसे भी ऐसे दोस्त मिले हैं कि अगर नहीं पता चलता हो तो फिर भी सब कुछ बता देते हैं,,,


तूने देखा है क्या वहां के बाल,,,,(रूपाली अपने चेहरे पर शर्म का एहसास लाते हुए बोली)

हां देखा हूं,,,


कहां देखा है,,,(थोड़ा सा रूपाली घबराते हुए बोली उसे इस बात का डर था कि कहीं घर में ही तो नहीं देख लिया है)


अरे अपना मुन्ना है ना वही मुझे पड़ोस के गांव लेकर गया था अपनी चाची के वहां,,,, वहीं पर मैंने उसकी चाची को देखा था,,,।

क्या वह तुझे अपनी चाची दिखाने के लिए किया था,,,


अरे नहीं मैं वह मुझे अपनी चाची दिखाने के लिए नहीं ले गया था बल्कि किसी काम से गया था,,,,

तो तूने केसे देख लिया,,,,?

अरे वहां पहुंचकर मुन्ना किसी काम से किसी दूसरे के घर चला गया और मैं वहीं बैठा रह गया मुझे बैठे-बैठे प्यास लग गई,,,, और मैं पानी लेने के लिए घर के पीछे की तरफ चला गया और वहां जाकर देखा तो मेरे होश उड़ गए,,,।

(इतना सुनकर रूपाली का दिल जोरो से धड़कने लगा अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा क्या राजु ने देख लिया इसलिए उत्सुकता भरे स्वर में बोली,,)

ऐसा क्या देख लिया कि तेरे होश उड़ गए,,,


अरे मामी यह पूछो कि मैंने क्या नहीं देखा,,,, मैं जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो मैंने देखा कि मुन्ना की चाची जो कि एकदम जवानी से भरी हुई थी वह कुए पर खड़ी थी और कुएं में बाल्टी से पानी निकाल रही थी,,,,।
(कुवे वाली बात सुनते ही रूपाली की आंखों के सामने अपनी भांजे के साथ कुएं से रस्सी खींचने वाली बात याद आ गई जब पहली बार वह उसका साथ देने के बहाने उसके साथ कुएं पर आया था और उसके पीछे खड़ा होकर अपने मर्दाना अंग की रगड़ को उसकी गांड पर महसूस कर आया था तभी से रूपाली को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका भांजा बड़ा हो रहा है और साथ में उसका लंड भी बड़ा हो रहा है,,,,)

तो इसमें क्या हो गया कुवे से पानी निकाल रही थी तो,,,


अरे यही तो बात है वह दूसरी औरतों की तरह ही कुवे से पानी निकाल रही थी लेकिन दूसरी औरतों की तरह उसके बदन पर कपड़ा होना चाहिए था ना साड़ी पहनी होनी चाहिए लेकिन वह बिल्कुल नंगी थी एकदम नंगी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था,,,)

क्या,,,,?( रूपाली,,एकदम से चौंकते हुए बोली)


हां मैं एकदम सच कह रहा हूं मैं पहली बार किसी औरत को बिना कपड़ों के देखा था एकदम नंगी और क्या लग रही थी मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था थोड़ी दूरी पर पेड़ के पीछे छुप कर मैं सब कुछ देख रहा था,,,, उसकी गोरी गांड मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मेरा तो हालत ही खराब हो गया,,,, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं एक बार तो ऐसा मन हो रहा था कि वहां से चला जाऊं लेकिन पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था इसलिए मेरे पैर वहीं जम से गए थे,,,, और नजरें उसी दृश्य से चिपक गई थी,,,,,,।


तुझे डर नहीं लग रहा था अगर कोई तुझे वहां देख लेता तो,,,


डर तो मुझे बहुत लग रहा था लेकिन जिस तरह का नजारा मेरी आंखों के सामने पहली बार आया था उधर से जाने का मन नहीं कर रहा था,,,,

फिर क्या हुआ,,,?(रूपाली के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और सुरज अपनी मामी की उत्सुकता देख कर खुश हो रहा था ऐसा किसी भी तरह का वाकया उसके साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था बस वह ऐसे ही मनगढ़ंत बातें अपनी मामी को बता कर उसके मन को टटोल रहा था)


फिर मैं उसी तरह से रस्सी को खींच रही थी और रस्सी खींचने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि जैसे बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो,,,(गांड की जगह बड़े-बड़े तरबूज की उपमा को अपने भांजे के मुंह से सुनकर रूपालीको हंसी आ गई थी लेकिन वह अपने हंसी को रोक ली,,,) मेरी तो हालत खराब हो रही थी पहली बार मैं किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था उसकी नंगी चिकनी पीठ सब कुछ नजर आ रहा था तभी वह पानी निकाल कर मेरी तरफ घूम गई लेकिन उसने मुझे नहीं देखी थी लेकिन मैं सब कुछ देख रहा था उसकी चूचियां,,,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत तो नहीं थी,,,( अपने भांजे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह सीधे-सीधे उसकी चूचियों की तुलना उस औरत से कर रहा था और उसके मुंह से यह सुनकर अच्छा लग रहा था कि उसकी तरह उसकी चूचियां नहीं थी मतलब की रूपाली की खुद की चूचियां बहुत खूबसूरत थी) लेकिन नारंगी से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,,,, उसे देख कर तो मेरी आंखें एकदम चमक गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं वह ठीक मेरे सामने खड़ी थी उसकी नजर कभी भी मेरे पर पड़ सकती थी लेकिन मैं अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा लिया था और थोड़ी देर बाद फिर से नजर उसकी तरफ करके देखने लगा तो इस बार मेरी नजर उसकी चिकने पेट से नीचे की तरफ आई और दोनों टांगों के बीच की वह पतली लकीर मैंने जिंदगी में पहली बार देखा जिसे बुर कहते हैं,,,, घुंघराले बालों से गिरी हुई बहुत खूबसूरत लग रही थी पहली बार मुझे पता चला कि औरत की बुर के आसपास बाल होते हैं,,,,,,(अपने भांजे के मुंह से बेझिझक बुर शब्द सुनकर रूपाली के तन बदन में आग लग गई हो गहरी सांस लेते हुए अनजाने में ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख दी जो कि धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी,,, एक बार इसी तरह की बातों से सुरज ने उसका पानी निकाल दिया था और अब धीरे-धीरे उसके मदन रस की बूंदों को बुर की अंदरूनी दीवारों से बाहर निकलवा रहा था,,,, और सुरज बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) वरना मैं तो यही समझता था कि हम मर्दों के लंड के आसपास ही बाल होते हैं,,,,(सुरज अपने शब्दों के बाण से लगातार अपनी
मामी के संस्कारी और मर्यादा रूपी दीवार को गिराने की कोशिश कर रहा था धीरे-धीरे उसके शब्दों से वह मर्यादा की दीवार डहने को मजबूर होती जा रही थी,,,,,, पहले गांड और बुर और फिर लंड अपने भांजे के मुंह से इस तरह के शब्दों को सुनकर मर्यादा की मजबूत डोरी तार-तार होने पर मजबूत हो रही थी,,, रूपाली में इतनी हिम्मत अब नहीं बची थी कि वह अपने भांजे को इस तरह के शब्दों को कहने से रोक सके,,,, उसे अपने भांजे की इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी खास करके वह बात दोनों टांगों के बीच की पतली दरार,,, औरतों की बुर के बारे में उसे पतली दरार के रूप का व्याख्यान पहली बार हुआ अपने भांजे के मुंह से सुन रही थी वरना आज तक सिर्फ हुआ अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को बुर ही कहती आ रही थी,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।) सच में मामी मैं तो यही सोचता था किसी भी हम मर्दों को ही लंड के आसपास बाल होते लेकिन पहली बार मुन्ना की चाची को देखकर मेरा ख्याल बदल गया था और मैं पहली बार जाना था कि औरतों की बुर के आसपास भी बाहर होते हैं और पहली बार तो मैं किसी औरत की बुर देख रहा था इसलिए दूर देखकर मैं एकदम से हैरान रह गया था इससे पहले तो मैं बुर की कभी कल्पना भी नहीं कर पाता था कि बुर दिखती कैसी है,,,, सच में मामी मैं पहली बार देख रहा था कि औरत की बुर केवल एक पतली दरार की तरह होती है बीच में पतली बनार और इर्द-गिर्द फूली हुई जगह मानो कि जैसे कचोरी फुल गई हो,,,।
(जिस तरह से सुरज औरत के अंगों के बारे में उदाहरण दे रहा था उसे सुनकर रूपालीकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी)

सच में तु पहली बार देख रहा था,,,,


हा मा मैं सच कह रहा हूं में पहली बार देख रहा था,,, इससे पहले में औरतों को केवल कपड़ों में ही देखा था,,, मैं तो तब और ज्यादा हैरान हो गया जब देखा कि मुन्ना की चाची साबुन से अपनी बुर रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी मेरे तो होश उड़ गए सच कहूं मा तो मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,,, ठीक उस दिन की तरह जब खेत में मैंने तुम्हारे हाथ में पकड़ाया था,,,( इस बार अपने भांजे के मुंह से इस तरह की बात सुनकर वह एकदम से मदहोश हो गई,,,, सुरज अपनी मामी के चेहरे पर अपनी बातों का असर देखना चाहता था उसी के पीछे मुड़कर अपनी मामी के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

उसकी मामी का चेहरा शर्म और उत्तेजना से एकदम लाल हो गया था,,, वह तुरंत आगे की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी बातों ने उसकी मामी पर असर करना शुरू कर दिया था और वह भी एकदम बुरी तरह से,,,, अपनी बात को आगे बढ़ाता तब से उसे आगे गांव नजर आने लगा और वह बोला,,)

लगता है हम लोग आ गए ना,,,
(इतना सुनकर रूपाली आगे की तरफ देखने लगी तो गांव नजर आ रहा था और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)

हां यही गांव है आगे चलकर बांई ओर मुड जाना,,,

और थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी ठीक वैद्य के घर के सामने जाकर रुकी,,, बैलगाड़ी में से उतरने से पहले रूपालीसाड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को टटोलकर उस का जायजा लेना चाहती थी कि उसके भांजे के शब्दों ने उसे कितनी क्षति पहुंचाई है,,, इस बार अपने भांजे की बात सुनकर वह झाड़ी नहीं थी लेकिन बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,,।)
 
Member
289
105
28
वैध के घर के सामने बैलगाड़ी आकर रुक गई थी रूपाली अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसकी मंजिल आ गई थी वरना उसका भांजा अपनी बातों से एक बार फिर से उसका पानी झाड़ दिया होता लेकिन अपनी बातों से वह पूरी बुर चिपचिपी कर दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी बारिश होकर बंद हो गई हो और जमीन पूरी गीली हो गई हो,,,,, सुरज तुरंत बेल गाड़ी रोककर पीछे आया और अपनी मामी को उतारने में मदद करने लगा,,,।


वैध के घर १० लोग जैसे बैठे हुए थे जो दवा लेने के लिए आए थे यह बड़ा ही नामचीन वेध था,, इसीलिए तो लोग दूर-दूर से यहां दवा लेने के लिए अपना इलाज कराने के लिए आते थे,,, एक अच्छी सी साफ-सुथरी जगह देखकर,,, रूपाली बैठ गई थी और सुरज कुछ देर तक वही अपनी मामी के साथ बैठा रहा है लेकिन उसे इस तरह से बैठे हैं ना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए वह अपनी मामी से बोला,,,।

लगता है यहां पर कुछ समय लग जाएगा मैं तब तक इधर-उधर घूम कर आता हूं,,,,

(गांव घूमकर थोड़ी देर में सुरज वैद के यहां पहुंच गया तो देखा उसकी मामी बैलगाड़ी के पास खड़ी थी और तुरंत भागते हुए उसके पास गया और बोला,,,)

दवा ले ली,,,

हां हां अभी लेकर ही आ रही हूं और तू कहां चला गया था,,

बस ऐसे ही गांव की सैर करने गया था,,,


चल अब जल्दी कर देख बादल घेरता आ रहा है कभी भी बारिश होने लगेगी,,,

हां तुम सच कह रही हो मामी हमें जल्दी निकलना पड़ेगा जल्दी से बैठो,,,।


थोड़ी देर में सुरज बैलगाड़ी को गांव से बाहर ले कर आ गया वह भी जल्दी पहुंचना चाहता था क्योंकि बारिश कभी भी आ सकती थी,,,,,,,, शाम होने वाली थी और आसमान में बादल अपना रूप बदलते हुए नजर आ रहे थे किसी भी वक्त बारिश आ सकती थी,,,, बादलों को देखकर रूपाली को घबराहट हो रही थी क्योंकि अभी गांव बहुत दूर था अगर रास्ते में तेज बारिश आ गई तो वह लोग कहां रुकेंगे क्या करेंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,
 
Member
289
105
28
सुरज बेल गाड़ी लेकर निकल तो गया था लेकिन,,,,, उसके मन में भी डर था कि कहीं अगर बारिश हो गई तो वह क्या करेगा काफी लंबा सफर तय करना था,,,,,

यही सब सोचता हुआ सुरज बेल गाड़ी लेकर आगे चला जा रहा था बादलों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा था,,, दोनों मामी भांजे को पूरा यकीन हो गया था कि किसी भी वक्त बारिश पड़ सकती है इसलिए दोनों के मन में थोड़ी बहुत घबराहट थी क्योंकि सफर अभी काफी लंबा तय करना था,,,,,,। फिर भी सुरज अपनी बातों से घबराहट को कम करने के लिए वह अपनी मामीसे बोला,,,।

क्या बोले वेद जी,,,

बोले कुछ नहीं बस दवाई दिए हैं और कहे हैं कि,,, दूध के साथ ३ बार लेना,,,,

बोले नहीं कब तक आराम हो जाएगा,,,,


दस १५ दिन लगेगा,,,, एकदम आराम हो जाएगा,,,

चलो तब तो परेशानी की कोई बात नहीं है,,,,


तुझे क्या परेशानी है,,, मेरी तबीयत को लेकर,,,


अरे कैसी बातें करते हो ना तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो क्या मुझे परेशानी नहीं होगी,,,,


वो कैसे,,,,?
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज समझ गया कि उसकी मामी फिर से मसालेदार बातों को सुनना चाहती है इसलिए सुरज बोला,,,)

देखो बात साफ है तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा अगर बीमार हो जाओगी तो,,,, जो तुम्हारा खूबसूरत बदन है ,,,अभी भी जो तुम्हारी जवानी बरकरार है धीरे-धीरे ढलने लगेगी,,(सुरज जानबूझकर अपनी मामी को उसकी जवानी की बात कर रहा था उसके सामने जवानी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और यह सा सुनने में रूपालीको अच्छा भी लग रहा था,,,) तो तुम भी दूसरी औरतों की तरह हो जाओगी,,, तब तुम्हारे लोग वाकर से नहीं रह जाएगा जो इस समय है,,,


कैसा आकर्षण,,,?


अरे तुम्हारी जवानी का और कैसा आकर्षण,,,,

मैं कुछ समझी नहीं मैं भी तो दूसरी औरतों की तरह ही हूं फिर मेरे में ऐसा कौन सा आकर्षण है,,,(रूपाली को अपने भांजे की बातें अच्छी लगने लगी थी इसलिए वह अपने बेटे से और जानना चाहती थी अपने बारे में,,,,, वैसे भी औरतों को अपनी खूबसूरती के बारे में जितना पता होता है उससे ज्यादा मर्दों को उनकी खूबसूरती के बारे में ज्ञान होता है,,,,, सुरज का दिल जोरो से उछल रहा था वह समझ गया था कि उसकी मामी भी दूसरी औरतों की तरह अपनी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ गंदी बातों को सुनना चाहती है और सुरज को क्या चाहिए था अपनी मंजिल तक पहुंचने की यही सबसे अच्छा रास्ता भी था इसलिए वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

क्या मामी इतना भी नहीं समझती,,, आकर्षण का मतलब होता है तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी जवानी,,, तुम्हारी लाजवाब गोल गोल चूचियां जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी पके हुए पपाया की तरह बाहर आने के लिए मचलती रहती हैं,,,, पता है तुमको साड़ी से ढकने के बावजूद भी तुम्हारी चूची कितनी उभरकर साड़ी से बाहर आती है शायद यह तुमको पता नहीं होगा लेकिन देखने वालों के होश उड़ जाते हैं,,,(अपने भांजे की बातों को सुनकर एक बार फिर से रूपाली का दिल जोरो से धड़कने लगा था) तुम्हें तो शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि तुम्हारी चुचियों को देखकर कितने लोग तड़प जाते हैं और लोगों का मन करता है कि तुम्हारी चूची को जोर जोर से पकड़ कर दबाने उन्हें मुंह में लेकर पीएं,,,,


यह क्या कह रहा है सुरज,,,,(धड़कते दिल के साथ रूपाली बोली,)

तुम्हें झूठ लग रहा है ना मा लेकिन मैं जो कुछ भी कह रहा हूं सच कह रहा हूं बाजार में तुम शायद जवान लड़का और मर्दों की नजरों को नहीं देखी थी वरना तुम्हें खुद ही पता चल जाता कि वह लोग तुम्हारी चूची देखकर क्या सोच रहे होंगे और सबसे बड़ा आकर्षण तो तुम्हारी गांड का है बड़ी बड़ी गांड,,,,(ऐसा बोलते हुए खुद सुरज का लंड टनटना गया,,, और रूपाली की तो हालत खराब होने लगी उसकी बुर फिर से गीली होने लगी,,,, उसका भांजा उसके अंगों के बारे में खुले शब्दों में बात कर रहा था जिसे सुनकर रूपाली के तन बदन में आग लग रही थी सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) जब तुम कमर से अपनी साड़ी को कस के बांधती होना तब तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड और भी ज्यादा बड़ी लगने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे साड़ी के अंदर बड़े-बड़े तरबूज भर के रखी हो,,, सच में मैं तुम्हारी गांड देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, तुमने शायद इस बात पर भी बाजार में गौर नहीं की थी वरना तुम्हें तभी पता चल जाता कि तुम कितनी खूबसूरत हो तुम्हारे अंग तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड कितनी आकर्षित करती है मर्दों को,,,।


बबब बाजार में क्या कह रहा था तु,,,


अरे मामी यही कि बाजार में तुम्हें देखकर कितने मर्दों का लंड खड़ा हो गया था,,,।

ततत,, तुझे कैसे मालूम,,,(उत्तेजना में हक लाते हुए स्वर में बोली)

मैंने अपने कानों से सुना था तभी तो बता रहा हूं,,,


क्या सुना था तूने,,,,?(रूपाली धड़कते दिल के साथ आश्चर्य जताते हुए बोली,,, अपने भांजे के मुंह से अपने बारे में दूसरे मर्दों के मन में चल रही गंदी बातों को सुनने में रूपालीके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे सब कुछ अच्छा लग रहा था,,,, आखिरकार उसे अपने बदन पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र में भी उसके में अभी भी पूरी जवानी बरकरार है वह किसी भी मर्द को जवान लड़के को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है जिसका जीता जागता सबूत उसका खुद का जवान भांजा था,,,,)

अरे मामी मैंने जो अपने कानों से सुना था उसे सुनकर तो मैं भी दंग रह गया था तुम सुनोगी तो सही में मुझे तो लगता है कि तुम डर के मारे बाहर निकलना बंद कर दोगी,,,, या तो फिर अपनी बुर पर भी एक ताला लगा कर रखोगी,,,।

क्या,,,?(इस बार अपने भांजे के मुंह से ताला लगाने वाली बात पर रूपाली खिलखिला कर हंस दी)

हां मामी में सच कह रहा हूं उन लोगों की बात ही कुछ ऐसी थी,,,

क्या कह रहे थे वह लोग,,,,


अरे बहुत गंदा बोल रहे थे तभी तो मैं तुम्हें ढूंढ रहा था कि कहां चली गई मुझे डर था कि कहीं वह लोगों के हाथ तो नहीं लग गई,,,

धत्,,,,(रूपाली शरमाते हुए बोली)


हां मामी मैं सच कह रहा हूं लोगों की बात सुनकर मैं घबरा गया था,,,


कह क्या रहे थे वह लोग,,,,


अरे जब तुम चूड़ी खरीदने के लिए दुकान के पास जा रही थी ना तो दो-तीन आदमी वहीं पास में बैठ कर बीड़ी पी रहे थे और उनमें से तो यह कह रहा था,,,।


बाप रे कितनी खूबसूरत औरत है कसम से इसकी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,, और तभी दूसरा बोला


यार तू सच कह रहा है इससे पहले मैंने कभी इसे बाजार में नहीं देखा कौन है यह इतनी खूबसूरत एकदम गोरी चिट्टी ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा है और गांड देखकर कैसे मटका कर चल रही है,,,
और तीसरा बोला,,,।

कसम से यार एक रात के लिए मिल जाए तो इसकी बुर में लंड डाल डाल कर इसकी बुर का भोसड़ा बना दु रात भर इसे सोने ना दु,,, शाली की बुर एकदम गुलाबी होगी,,,, तभी दूसरे ने बोला,,,


सच कह रहा है यार शादी की बुर के बारे में सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया है इसकी चुची देखकर से खरबूजे जैसी है गोल गोल मन करता है कि मुंह में लेकर रात भर पीता रहुं,,,, तभी पहले वाले ने बोला

साली जिस से भी चुदवाती होगी कितना किस्मत वाला होगा,,, यार अगर यह मेरे सामने कपड़े उतार कर खड़ी हो जाए तो इसको नंगी देखकर मुझे तो लगता है कि मेरा लंड ऐसे ही पानी फेंक देगा,,,,।

बाप रे मेरे बारे में इतनी गंदी गंदी बातें ‌वह लोग कर रहे थे और तो कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,

मेरा तो मन कर रहा था कि उन लोगों की टांग तोड़ दूं दांत तोड़ दूं लेकिन क्या करूं अगर सब लोग इकट्ठा हो जाते और पूछते तो क्या हुआ था तो मैं क्या कहता तुमको जो कुछ भी वह लोग कह रहे थे मुझे बताने में शर्म आती है और तुम्हारे बारे में इस तरह की बातें करने में मुझे बहुत गंदा लगता और सच कहूं तो अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो दूसरे जो इकट्ठा होते वहां लोग भी तुम्हें उसी नजर से देखते जैसा कि वह तीनों देख रहे थे,,,।

थे कहां पर तीनो,,,


वहीं पर चूड़ी की दुकान के बगल में बैठे हुए थे,,,,,,

(अपने भांजे के मुंह से उन लोगों की इतनी गंदी गंदी बातें सुनकर रूपाली को गुस्सा भी लग रहा था और वह उत्तेजित भी हो चुकी थी उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपने बुर के चिप चिपेपन को टटोल रही थी,,,, जो कुछ भी सुरज ने बताया था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अपनी मामी के सामने स्तर की गंदी गंदी बातें करने में उसे एक अजीब सा सुख मिल रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका लंड औकात से बाहर एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद रूपाली बोली,,)

बाप रे तब तो मेरा इस तरह से बाजार में घूमना ठीक नहीं है,,,

ठीक नहीं है अरे बिल्कुल भी ठीक नहीं है अगर सोचो बाजार में घूमते हुए अगर थोड़ा बहुत अंधेरा हो जाए तो समझ लो कि वह लोग तो तुम्हें उठा कर ले जाए खेत में और फिर तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी करके तुम्हारी बुर में बारी-बारी से अपना लंड डालकर चोदे,,, तब तुम लोगों का कुछ कर भी नहीं पाओगी और वह लोग अपनी मनमानी कर के चले जाएंगे तुम्हारी जवानी का रस पीकर,,,,।
(सुरज एकदम तमतमा कर उत्तेजित हो गया था अपनी मामी के सामने इस तरह की से गंदी से गंदी बातें करने में उसे बहुत मजा आ रहा था और इस तरह की बातें सुनने में रूपाली को भी अच्छा लग रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने भांजे से इस तरह की बातें करेगी उसके मुंह से अपने बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सुन पाएगी लेकिन आज सब कुछ सोचने के विपरीत ही हो रहा,,, था,,, अपने भांजे की बात सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगे कि अगर वाकई में उसके भांजे के कहे अनुसार ऐसा हो जाए तो वह तीनों उठाकर उसे ही सच में खेत में ले जाएंगे और बारी-बारी से उसके नंगे बदन को नोचेंगे और बारी बारी से उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसे छोड़ देंगे जो कि आज तक किसी को भी अपने बदन को छूने नहीं देती अपने पति के सिवा,,,,, पल भर में उस तरह की कल्पना करके वह अपने बदन में झुरझुरी से महसूस करने लगी थी,,, जब जोर से बादल के गरजने की आवाज आई तब जाकर उसकी तंद्रा भंग हुई तब जाकर उसे होश आया कि वह तो बैलगाड़ी में सफर में है,,, अपने भांजे की बातों में इस कदर खो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला था कि वह कहां पर है कहां जा रही है क्या समय हो रहा है बादलों की गर्जना की आवाज सुनते ही उसका ध्यान बैलगाड़ी से बाहर गया तो उसके होश उड़ गए चारों तरफ बादल ही बादल उमड़ रहे थे और अंधेरा छा गया था जबकि अभी शाम ढली भी नहीं थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे रात हो रही है और बरसात पढ़ना शुरू हो गई थी वह घबराते हुए सुरज से बोली,,,,,।)

अरे सुरज अब क्या होगा यह तो बारिश होने लगी,,

हम यह तो बहुत तेज बारिश हो रही है और हमें तो अभी बहुत दूर जाना है पता नहीं अब क्या होगा,,,


जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी आगे बढ़ा हो सकता है बरसात बंद हो जाए,,,

मैं भी यही सोच रहा था लेकिन बादलों को देखकर लग नहीं रहा है कि बरसात बंद होने वाली है देख नहीं रही हो कितनी तेज हवा चलने लगी है आंधी के साथ बरसात हो रही है,,,,


हाय दैया ऐसे में तो मुसीबत हो जाएगी,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मामी मैं जरूर कुछ ना कुछ करता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही हो बैलगाड़ी को जोर से ले जाने लगा,,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा और तेज बारिश होना शुरू हो गई थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था हवा इतनी तेज थी कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें फिर भी वह बैलगाड़ी को जल्द से जल्द जितना हो सकता था आगे बढ़ा लेना चाहता था वह जानता था कि तेज बारिश में बैल का आगे बढ़ना नामुमकिन है और अगर पानी भर गया तो बेल एक कदम भी नहीं चल पाएंगे इसलिए वह जल्द से जल्द आगे बढ़ रहा था रूपाली के चेहरे पर घबराहट नजर आ रही थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अगर ऐसी तेज बारिश में रुकना पड़ गया तो कहां रुकेंगे,,,,

मन में यही सोचते सोचते सुरज काफी दूर तक ऐसे ही बैलगाड़ी को लेकर आ गया था लेकिन अब धीरे-धीरे पानी भरना शुरू हो गया था तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी बेल गाड़ी में बैठे होने के बावजूद भी रूपाली पर पानी की बौछारें पड़ रही थी जिसकी वजह से उसके कपड़े गीले हो रहे थे सुरज तो धीरे-धीरे गीला ही हो गया था,,, सुरज समझ गया था कि बारिश इतनी जल्दी रुकने वाली नहीं है उन्हें कहीं ना कहीं रुकना ही होगा लेकिन कहां उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, दूसरी तरफ वातावरण भयानक होता जा रहा था जिसे देखकर रूपाली भी घबरा रही थी,,,, तभी सुरज की नजर एक खंडहर नुमा बड़े घर पर पड़े वह पूरी तरह से खंडार हो चुका था लेकिन उसमें बारिश से बचने का जुगाड़ नजर आ रहा था और उसे देखकर सुरज के चेहरे पर मुस्कान आ गए और वहां अपनी मामीको बताई भी ना जल्दी-जल्दी वहां पर पहुंच जाना चाहता था क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया था अगर घुटनों तक पानी आ जाता तो बेल शायद आगे बढ़ने से इंकार कर देता,,,।

और थोड़ी ही देर में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज हवाओं के साथ साथ घमासान बारिश के बीच से वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ उस खंडहर के सामने पहुंच गया और खुश होता हुआ अपनी मामी से बोला,,,।


चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है बारिश से बचने का जुगाड़ हो गया है,,,


कहां,,,?(रूपाली आश्चर्य से इधर उधर देखते हुए बोली)

यह रहा,,,(खंडहर की तरफ हाथ दिखाते हुए सुरज बोला तो उस खंडार की तरफ देखकर उस खंडार की हालत को देखकर रूपाली घबराते हुए बोली,,,)

इस खंडहर में बाप रे बाहर से इतना भयानक लग रहा है क्या इसमें जाना ठीक रहेगा मुझे तो भूत से बहुत डर लगता है,,,


क्या बात हम भी खामखा डरती हो मैं हूं ना तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,,,।
 
Member
289
105
28
तूफानी बारिश में सुरज धीरे-धीरे बैलगाड़ी को एक खंडहर के सामने लाकर खड़ा कर दिया था,,, हवाई बहुत तेज चल रही थी बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले गई थी और आसमान में बादल गरज रहे थे सब मिलाकर एकदम भयानक वातावरण हो चुका था,,, रात पूरी तरह से गहराई नहीं थे लेकिन फिर भी बादलों की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे एकदम कह रही रात हो चुकी है दूर-दूर तक की तो बात छोड़ो 3 4 मीटर की दूरी पर भी कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,,,, हवा के साथ पानी की बौछार बेल गाड़ी के अंदर तक रूपाली के कपड़ों को गीला कर रही थी,,,, सुरज को बारिश से बचने का खंडहर एक उचित स्थान नजर आ रहा था लेकिन खंडहर के नाम पर रूपाली को घबराहट हो रही थी उसे डर लग रहा था,,,,,,।

सुरज अपनी मामी को आराम से उतरने के लिए बोल रहा था ताकि वह खंडहर की तरफ जा सके,,, लेकिन मैं जानता था कितनी तेज बारिश में उसकी मामी आराम से उतर नहीं पाएगी और भीग जाएगी,,,, इसलिए वह खुद बैलगाड़ी से जल्दी से नीचे उतरा बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर वह भी पूरी तरह से तेज बारिश में भीग गया,,, और पीछे की तरफ जाकर अपनी मामी को उतरने के लिए बोला उसकी मामी उसके कंधे का सहारा लेकर बैलगाड़ी से नीचे उतरने लगी लेकिन बैलगाड़ी का पाटिया पूरी तरह से गीला होने की वजह से उस पर पैर रखते उसका पैर फिसला और वह जाकर एकदम से अपने भांजे के ऊपर गिरी लेकिन ऐसा लग रहा था कि सुरज पहले से ही तैयार था वह अपनी मामी को तुरंत थाम लिया लेकिन ऐसा करने से उसकी मामी ठीक उसकी बाहों में आ गई थी और सुरज के तन बदन में अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची की रगड़ से एकदम उत्तेजना फैल गई और इस पल को लगाते हुए तुरंत अपने दोनों हाथों को अपनी मामी के पेट से हटाकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रख दिया और सुरज की हरकत उसकी मामी ने भी महसूस की और वह अपने भांजे की बाहों में उसकी उत्तेजना आत्मक हरकत की वजह से एकदम से गनगना गई,,, सुरज तुरंत अपनी मामी को अपनी बाहों में से आजाद करते हुए बैलगाड़ी में एक कोने में रखी हुई दियासलाई की डिबिया ले लिया वह जानता था कि खंडहर के अंदर रोशनी और आग की जरूरत पड़ेगी,,,,,।
बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर दोनों का एहसास हुआ कि पानी घुटनों तक भर चुका था सुरज तुरंत अपनी मामी का हाथ पकड़कर खंडर की तरफ ले जाने लगा बारिश इतनी तेज थी कि अपने आप को बचाने का उन दोनों को मौका ही नहीं मिला और दोनों पूरी तरह से बरसात में भीग गए,,,।

सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़कर खंडहर के अंदर ले आया,,, खंडार के अंदर एकदम डरावना अंधेरा था,,, लेकिन सुरज एकदम निडर था उसे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था लेकिन रूपाली को घबराहट हो रही थी वह कभी भी इस तरह से कभी अनजान जगह पर रुकी नहीं थी,,,,।
खंडहर की इमारत के अंदर बरसात का पानी नहीं पहुंच रहा था दोनों अंदर एकदम सुरक्षित थे,,,, रूपाली को ठंड लग रही थी,,, सुरज अपनी मुट्ठी में संभाल कर लाई हुई उस दियासलाई को एकदम संभाल कर ,,, अपने हाथों को साफ करके,,,, उसमें से एक तील्ली निकाला और उसे उस दियासलाई की डिबिया में खींच कर आग जलाने लगा और दूसरे प्रयास में ही दियासलाई की तिल्ली में आग लग गई और उसकी आग की रोशनी में खंडहर में उजाला फैल गया खंडहर की इमारत के अंदर काफी जगह था क्या देखकर सुरज खुश होता हुआ बोला,,,।

मैं यहां पर बेल को भी लेकर आता हूं क्योंकि पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है ऐसे में बेल एक स्थान पर खड़े नहीं रह पाएगा और वहां कहीं चला गया तो और मुसीबत हो जाएगी,,,


हां सुरज तू सच कह रहा है जा जाकर जल्दी लेकर आना,,,, मुझे इस खंडहर में डर लग रहा है,,,


डरने की कोई बात नहीं है मामी मैं हूं ना मैं जल्दी से लेकर आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज तुरंत खंडार में से वापस गया और बेल गाड़ी में से बेल को छुडाने लगा,,, दूसरी तरफ रूपाली कुछ देर पहले अपने भांजे की हरकत के बारे में सोचने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुरज के हाथों से अनजाने में हो गया या वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ लगाया था,,,, लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके बदन में पूरी तरह से सिहरन सी दौड़ गई थी,,,, उसे अच्छी तरह से याद था कि जेसीओ बैलगाड़ी से उतरने के लिए नीचे की तरफ बनाई गई लकड़ी के पार्टी पर पैर रखी थी तुरंत पानी की वजह से उसका पैर फिसल गया था और वह अपने भांजे की बाहों में आ गई थी उसे यह भी आता था कि पहले तो उसके भांजे की हथेली उसकी पीठ पर थी लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी हथेली उसकी गांड पर आ गई थी उसे अब धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि सुरज की यह हरकत जानबूझकर की गई थी वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ रखा था,,,, एक बार फिर से अपने भांजे की हरकत के बारे में सोच कर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ ने रखी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में ऐसा उसे जल्दी महसूस होता नहीं था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो गया शायद तेज बारिश का असर था जो उसके बदन में उत्तेजना भर रहा था,,,,,,, रूपाली अपने मन में यही सब सोच रही थी कि तभी सुरज बेल की रस्सी पकड़े आगे आगे चला रहा था और पीछे पीछे बेल शायद बेल को भी जल्द से जल्द बारिश से बचना था और थोड़ी ही देर में सुरज बैल को लेकर खंडहर के अंदर आ गया था,,,।

अब ठीक है मामी इसे भी थोड़ी राहत मिल जाएगी वरना यह भी तेज बारिश में ठंडे पानी में ठिठुरता रहता और अगर यह बीमार हो जाता तो हम घर कैसे जा पाते इसीलिए इसकी सुरक्षा सबसे पहले करनी जरूरी है,,,,।
(दियासलाई की तिल्ली को जलाते समय उसकी रोशनी में सुरज की नजर खंडहर की इमारत के अंदर इधर उधर फेंकी हुई सूखी लकड़ियों पर चली गई थी जिसे देखकर उसे प्रसन्नता हो रही थी और वह तुरंत एक बार फिर से दियासलाई की तिल्ली को जलाकर उसकी रोशनी में जल्दी-जल्दी सूखी लकड़ियों को बटोरना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में सुरज ने ढेर सारी सुखी लकड़ियों को इकट्ठा कर लिया था,,,,, सुरज को इस तरह से सूखी लकड़ियां इकट्ठा करता हुआ देखकर रूपाली बोली,,,)


यह तूने बहुत अच्छा किया सुरज मुझे भी बहुत ठंड लग रही है और वैसे भी यहां पर थोड़ी रोशनी की जरूरत है और गर्माहट की,,,(अपनी मामी की यह बात सुनकर सुरज अपने मन में ही बोला इसकी क्या जरूरत है एक बार मेरी बाहों में आ जाओ और मेरे लंड को अपनी बुर में ले लो फिर देखो बिल्कुल भी ठंड नहीं लगेगी,,,,)

हा,,मामी तुम सच कह रही हो वैसे भी हम दोनों पर कपड़े एकदम से भीख चुके हैं और इस गीले कपड़े में रात गुजारना बहुत मुश्किल होगा,,,,,, रुको मैं पहले इसे जलाने की कोशिश करता हूं,,,,,(इतना कहते हुए सुरज ने दियासलाई की डिबिया को हाथ में लेकर उसमें से तिल्ली निकाला वैसे ही रूपाली बोली,,,।)

ऐसे नहीं जल पाएगा यहां पर सूखे पत्ते भी हैं उन्हें मिलाकर चलाएगा तो तुरंत आग पकड़ने का रुत में बटोरती हुं,,,
(इतना कहने के साथ ही रूपाली सूखे हुए पत्तों को इकट्ठा करने लगी वैसे तो खंडार के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था इसलिए कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक से कुछ पल के लिए इमारत के अंदर उजाला फैल जाता था जिसकी रोशनी में वह सूखे पत्तों को इकट्ठा कर ली थी,,,। थोड़ी ही देर में सूखी लकड़ियों के साथ-साथ सूखे हुए पत्ते को भी इकट्ठा करके सूखी लकड़ियों में मिलाकर सुरज दियासलाई की तिल्ली से खींचकर उस तील्ली को जला लिया और उन सूखे पत्तों को उस तील्ली के सहारे सुलगाने लगा,,, और थोड़ी ही देर में पत्ते सूखे होने की वजह से उसमें आग जलने लगी,,,,,।

ये सही हुआ,,,,(ऐसा कहते हुए रूपाली सूखे पत्ते को अपने हाथ में पकड़कर उस आग में डालने लगी पूरा बदन बीघा होने की वजह से उसके गीले बालों में से पानी की बूंदे टपक रही थी जिसे तिरछी नजर से सुरज देख कर मस्त हो रहा था वैसे भी खूबसूरत बदन गीला होने पर और भी ज्यादा मादक और हसीन हो जाता है,,,, अपनी मामी के खिले बदन को देखकर सुरज को मन ही मन अपनी मामी की खूबसूरती पर गर्व होने लगा था,,,, देखते ही देखते रूपाली और सुरज मिलकर सूखे पत्तों को उस पर डाल डाल कर सूखी हुई लकड़ी को भी चलाना शुरु कर दी और देखते ही देखते लकड़ी में भी आग पकड़ ली,,,,)

अब जाकर सही पकड़ा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने दोनों हाथ उस आग की तपन में गरम करने लगा,,, और रूपाली भी सुरज की तरह ही करने लगे अपनी मामी के गीले कपड़ों को देखकर सुरज बोला,,,)

लाख कोशिश करने के बावजूद भी हम दोनों भीग गए,,, तुम्हारे तो सारे कपड़े गीले हो गए हैं मामी,,, ऐसे ही रहोगी तो बीमार पड़ जाओगे तो वैसे ही दवा लेकर आई हो,,,,।

नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूं आज जल रही है ना उसकी गर्मी से सही लग रहा है,,,,(रूपाली अपने भांजे के सामने अपनी साड़ी को उतारना नहीं चाहती थी वह जानती थी कि अगर वह अपनी साड़ी उतारेगी तो उसका भांजा उसे प्यासी नजरों से देखेगा,,, और वह अपने बदन पर अपने भांजे की घूमती प्यासी नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी,,,, और वैसे भी अपनब भांजे के सामने साड़ी उतारने में उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह ठंड लगने के बावजूद भी बहाना करके बैठी रह गई थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी आज चलने की वजह से खंडहर में रोशनी फैल गई थी,,,, खंडहर का यह हिस्सा काफी बड़ा था,,, मुमकिन था कि जहां कोई आता जाता नहीं था बस कभी कबार मुसाफिर लोग ही यहां से गुजरा करते थे,,,,, सुरज चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर उस खंडहर का मुआयना कर रहा था चारों तरफ जगह-जगह से टूटी हुई दीवारें थी,,,,, जगह जगह पर मकड़ियों का बड़ा-बड़ा ज्यादा लगा हुआ था देखने पर ही है जगह भयानक लग रही थी लेकिन इस समय का माहौल कुछ और था सुरज कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से जंगल जैसी जगह के इस टूटे हुए खंडहर में अपनी खूबसूरत मामी के साथ रात बिताना पड़ेगा,,,, और वह भी पानी में पूरी तरह से भीगी हुई,,,,,,।

सुरज आग की तपन से अपने बदन की गर्मी को दूर करने की पूरी कोशिश करते हुए तिरछी नजरों से अपनी मामी की खूबसूरती को देख रहा था बरसात के पानी में भीगा हुआ उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और मादक लग रहा था,,, जलती हुई आग की रोशनी में सुरज को अपनी मामी का भीगा ब्लाउज और उसमें से जाती हुई उसकी लाजवाब गोरी गोरी चूचियां और उस चूची पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी और उस पर कि चल रही थी जिसे देखकर सुरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,,, दोनों के बीच खामोशी छाई रही बस वातावरण में तेज हवा और तेज बारिश के साथ साथ बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी जो कि बेहद भयानक लग रही थी लेकिन अब इस भयानक माहौल में भी सुरज को मदहोशी का नशा छाने लगा था,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि शायद उसके लिए यह माहौल खुद उसकी जरूरत के मुताबिक तैयार हुआ है उसे लग रहा था आज की रात जरूर वह कामयाबी हासिल करके रहेगा वरना इस तरह के हालात कभी पैदा नहीं होते,,,,,,।

बरसात के ठंडे पानी में भीगने की वजह से और तेज चल रही हवाओं की वजह से रूपाली को ठंड लग रही थी हालांकि जलती हुई आग से उसे कुछ राहत जरूर मिल रही थी लेकिन भीगे हुए कपड़े में वह अपने आप को असहज महसूस कर रही थी वह भी अपने कपड़े उतार कर सुखाना चाहती थी अपने बदन से गीले कपड़ों को उतारकर सहज होना चाहती थी लेकिन अपने भांजे के सामने उसे शर्म आ रही थी वह अपने भांजे के सामने अपने कपड़े उतार कर अपने नंगे बदन क्यों अपने भांजे के सामने प्रदर्शित नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह अपने भांजे की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी वह अपनी तरफ से ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी जिससे उसके भांजे को और ज्यादा बढ़ावा मिले,,,,,,, किसी तरह से वह ठंड में ही आग की तपन से अपने बदन को गर्माहट देने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरज के मन में कुछ और चल रहा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था अपने बेहद करीब रात के सन्नाटे के माहौल में बरसती बारिश में खूबसूरत औरत का साथ अगर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था वैसे भी पहले से ही वह अपनी मामी की तरफ देखकर आकर्षित था उसके बदन की बनावट उसके बदन के मरोड़ अंगों के उभार पर को देखकर वह पहले से ही एक भांजा होने के बावजूद भी एक मर्द की तरह सोचता था,,,,, वह किसी ना किसी बहाने अपनी मामी को अपना टनटनाता हुआ लंड दिखाना चाहता था,,, क्योंकि सफर के दौरान जिस तरह के वार्तालाप दोनों के बीच हो रहा था और उसकी मामी बिल्कुल भी उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि और भी ज्यादा गंदी से गंदी बात सुनने की चाह रख रही थी उसे देखते हुए सुरज समझ गया था कि भले ही उसकी मामी शर्म और संस्कार की दीवार को लांघ कर आगे बढ़ने के लिए अपने आप को तैयार नहीं कर पा रही है लेकिन उसके मन के कोने में कहीं ना कहीं किसी और पुरुष के संसर्ग की कामना जाग रही थी और वह भी कोई गैर नहीं बल्कि अपने ही भांजे के साथ,,,, इस आभास को लिए सुरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और बोला,,,,।


मैं बेल को बांध देता हूं वरना कहीं रात को इधर उधर चला गया तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी,,,(वह जलती हुई आग के इस बार अपनी मामी के सामने सीधे-सीधे खड़ा हो गया था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पैजामा में तंबू बनाया हुआ था जो कि गिले पजामे की वजह से जलती हुई आग की रोशनी में लंड का अक्स उसका उभार एकदम साफ नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही रूपाली के तन बदन में हलचल सी होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी छेद में तो मानो जैसे उबाल आ रहा हो,,,,,, इसी सबसे वह अपने आप को बचाना चाहती थी लेकिन अनजाने में ही वह अपने भांजे के टन टन आए हुए लंड को जो कि अभी भी पजामे के अंदर था फिर भी उसके हालात को देखकर अंदर ही अंदर गनगना गई थी,,,,, सुरज जानता था कि जिस तरह से वह उसकी मामी की आंखों के सामने खड़ा हुआ था,,, उसकी मामी की नजर जरूर उसके पजामे पर पड़ेगी और उसे देखकर उसके बदन में जरूर हलचल होगी,,, सुरज खड़ा होने के साथ ही अपनी मामी की नजरों को भांप गया था और अंदर ही अंदर खुश हो रहा था,,,।

वह बेल के करीब गया और उसकी रस्सी को लेकर एक जगह अच्छे से बांध दिया और वह बेल भी आराम से वहीं बैठ गया क्योंकि वह भी जानता था कि शायद ऐसे हालात में बाहर निकलना ठीक नहीं है,,, वह अपनी मामी के पास आया और बोला,,,।

मेरा कपड़ा पूरी तरह से गिला हो चुका है और ऐसे में मुझे अच्छा नहीं लग रहा है मुझे अपना कपड़ा उतारना ही होगा,,,
(अपने भांजे की यह बातें सुनकर रूपाली का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह इशारों ही इशारों में अपने आप को नंगा करने की बात कर रहा था क्योंकि दूसरा कपड़ा तो था ही नहीं इसलिए रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली)

कपड़ा उतार देगा तो पहनेगा क्या,,,?

अरे देख नहीं रही हो इतनी तेज हवा चल रही है जल्दी से सूख जाएगा और तब तक मैं यह कुर्ता लपेट लूंगा,,,,।

(और इतना कहने के साथ ही बिना वक्त कमाए सुरज दो कदम पीछे हटकर दूसरी तरफ मुंह करके अपने कपड़े उतारने लगा वह जानता था कि जिस जगह पर वह खड़ा है जल्दी भी आप की रोशनी वहां तक भी पहुंच रही है और उसकी मामी को जरूर उसका नंगा बदन दिखाई देगा,,, पहले तो सुरज अपना कुर्ता उतारा कुर्ता उतारने के बाद उसके पानी को गार के उससे अपनी छाती को और बदन को पोंछने लगा ना चाहते हुए भी रूपाली की नजर सुरज के ऊपर चली जा रही थी ,,, सुरज जानबूझकर अपनी छाती को अपने कुर्ते से साफ करते हुए अपनी मामी की तरफ वह करके खड़ा हो गया था और लेकिन वह अपनी मामी की तरफ नहीं देख रहा था वह नीचे नजर झुका है अपनी छाती की तरफ देख रहा था वह जानता था कि जिस तरह से मर्दों की कमजोरी औरत का खूबसूरत बदन होता है उसी तरह से औरतों की भी सबसे बड़ी कमजोरी मर्दों का गठीला कसरती बदन होता है और सुरज एक गठीला बदन वाला नौजवान मर्द था उसकी छाती चौड़ी थी ,,,, और यही औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानकारी ही सुरज अपना पासा फेंक रहा था और उसका पासा सही लग भी रहा था,,,।

आंख की रोशनी में अपने भांजे की चौड़ी छाती को देखकर रूपाली के बदन में कुछ कुछ होने लगा था,,, वह पल भर में ही अपने भांजे की गठीला बदन से अपने पति के बदन की तुलना करने लगी थी जिसके मुकाबले उसके पति का बदन एकदम निर्मल और दुबला पतला था भले ही दिन रात चुदाई करता था लेकिन अपने शरीर के मामले में सुरज से उसका कोई भी मुकाबला योग्य नहीं था,,,, सुरज अपनी छाती को कुर्ते से साफ करने के बाद वापस दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया था क्योंकि अब वह अगला पासा फेंकने वाला था जो कि जानता था कि उसकी मामी पर यह जरूर असर करेगा सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही नंगा होने जा रहा था ऐसा आज तक उसने पहले कभी नहीं किया था बचपन में भले ही नादानी में हुआ अपनी मामी के सामने नंगा घूमता था लेकिन वह पूरा जवान मर्द हो चुका था और ऐसे हालात में एक खूबसूरत औरत के सामने एक मर्द का कपड़े उतार कर नंगा होना औरतों के तन बदन में आग लगा देता है अगर उस औरत के मन में जरा भी आकर्षण हुआ तो लेकिन सुरज पक्के तौर पर यकीन करता था कि उसकी मामी जरूर उसके गठीले बदन की तरफ आकर्षित होगी इसलिए वह अपनी मामी के सामने नंगा होने का पासा फेंक रहा था वह धीरे से अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपने पजामे में फंसाया और उसे नीचे करने लगा,,, रूपाली ना चाहते हुए भी अपने भांजे की तरफ देख रही थी,,, सुरज अपनी उंगलियों के सहारे से अपनी पहचाने को नीचे करता है इससे पहले वह एक नजर पीछे की तरफ अपनी मामी की तरफ देखते हुए बोला,,,,।

मामी तुम इधर मत देखना मुझे शर्म आ रही है,,,।

मैं नहीं देख रही हूं,,,(सुरज की बात सुनते ही वह एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली हालांकि सुरज ने पीछे नजर करके अपनी मामी की तरफ देख लिया था कि वह उसे ही देख रही थी इसलिए मन ही मन खुश होने लगा,,,, और सुरज फिर से अपनी नजर अपनी मामी की तरफ से हटाकर अपनी पहचाने को नीचे करने लगा देखते ही देखते हैं उसका पहचाना उसके गोलाकार नितंबों से नीचे की तरफ आने लगा,,,, रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने भांजे की बात मानने का सवाल ही यहां पैदा नहीं हो रहा था,,,, सुरज के मर्दाना गठीला बदन का आकर्षण उसे भी होने लगा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपने भांजे की तरफ चली जा रही थी,,,,,,

पजामा पूरी तरह से गिला होने की वजह से सुरज धीरे-धीरे उसे अपनी कमर से नीचे की तरफ ले जा रहा था रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे पैजामा नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सुरज के गोलाकार नितंब रूपाली की आंखों के सामने जलती आग की रोशनी में चमक रही थी,,, गठीला कसरत ई बदन होने की वजह से नितंबों के उठाव के साथ-साथ उसमें की कसी हुई नशे भी नजर आ रही थी जिसे देखकर रूपाली की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी देखते ही देख ले सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने पजामे को उतारकर एकदम नंगा हो गया रूपाली के सामने सुरज की पीठ थी,,, रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने भांजे को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख रही थी,,,,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और सुरज पहली बार अपनी मामी की आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगा हो रहा था हालांकि उसका सपना तो यह था कि वह अपनी मामी को चोदने से पहले अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो जाए लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,,,,।

सुरज अपने पजामे को उतारकर अपनी मामी की तरफ देखे बिना ही पजामें से पानी को गार रहा था,,,,,, और रूपाली चोर नजरों से अपने भांजे के नंगे बदन को देख कर उत्तेजित हो रही थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि काश वह भी अपने भांजे की तरह हिम्मत दिखाकर अपने भांजे की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारकर नंगी हो जाती तो कितना मज़ा आता वह पल कैसा होता

है जब वह धीरे-धीरे अपने कपड़े अपने भांजे की आंखों के सामने उतारकर नंगी होती जिस तरह से सुरज पर दीवानगी का असर छाया हुआ है उसे देखते हुए अगर वह अपनी आंखों से मेरे नंगे बदन को देख लेता तो शायद एकदम मदहोश हो जाता और उसका पानी निकल जाता,,,, जैसा कि खुद मेरा उसकी बातों से निकल गया था,,,, अनजाने में यह ख्याल अपने मन में आते ही रूपाली अपने आप से ही शर्म आ गई,,,,
सुरज अपने पहचाने को अच्छी तरह से गार लिया था,,,, और अपनी मामी की तरफ देखे बिना ही नीचे पड़ी एक सूखी लकड़ी को उठाकर इमारत की दीवार की दरार में डालकर उस पर अपना पजामा टांग दिया और कुर्ते को उठाकर एक बार उसे जोर से झाड़ कर अपनी कमर पर लपेटने लगा,,,,,, कमर पर अपने गीले कुर्ते को लपेट ते हुए सुरज को इस बात का आभास था कि उसे क्या करना है,,,, वह‌ अपना अगला पासा फेंकने की तैयारी में था,,,, वह जानता था कि अब उसे क्या करना है उसे इस बात का अंदाजा था कि उसकी मामी की नजर उसके ऊपर ही होगी,, और वह इसी मौके का फायदा उठाना चाहता था,,,,।

उसकी पीठ उसकी मामी की तरफ थी और वह अपने नितंबों को रखते हुए कुर्ते को अपनी कमर से लपेटने लगा लेकिन आगे की तरफ से कुर्ते का भाग ऐसा रखा की कुर्ता उसके लंड के ऊपर ही हो पूरी तरह से ढका ना हो और वैसे ही वह अपनी मामी की तरफ घूमिया जलती हुई आग की रोशनी में उसकी मामी की आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दिया उसे देख कर उसके बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,, बुर की गुलाबी पत्तियां फुदकने लगी,,,, रूपाली को साफ नजर आ रहा था कि आगे की तरफ से उसका कुर्ता लंड के ऊपरी भाग के हिस्से पर था जिससे उसका समूचा लंड झांठ के बाल सहित नजर आ रहा था पल भर में ही रूपाली की सांसे दुखने की तरह चलने लगी और यही तो सुरज की चाल थी वह किसी भी तरह से अपनी मामी को अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था और वह जानता था कि एक बार उसका लंड देख लेने के बाद औरत अपने आप पर काबू नहीं रख पाती,,,,, हालांकि वह पहले भी अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन करा भी चुका था और उसे उसके हाथ में पकड़ा भी चुका था लेकिन रूपाली उस समय अपना हौसला पस्त होने नहीं देती और किसी तरह से अपने आप को संभाल ले गई थी लेकिन इस समय मौका और दस्तूर दोनों हालात के साथ थे तेज बारिश में वैसे भी औरतों का मन पुरुष संसर्ग के लिए तड़प उठता है,,,, और इसीलिए इस समय भी रूपाली के तन बदन में आग लग चुकी थी यह बेहद काम भावना से लिप्त मदहोशी बढ़ा देने वाला नजारा सुरज की तरफ से क्षणिक भर का था उसके बाद उसने अपनी तिरछी नजरों से अपनी मामी की तरफ देख कर यह तसल्ली कर लेने के बाद कि उसकी मामी उसके लंड को ही देख रही है वह खुश होता हुआ तुरंत ऊपर उठा हुआ कुर्ता आगे की तरफ करके अपने लंड को ढकने की पूरी कोशिश करने लगा इस तरह से तो उसका लंड पर्दे के पीछे छुप गया लेकिन जिस तरह से टनटनाया हुआ था उससे कुर्ता एकदम खूंटी कि तरह तंबू बना लिया था रूपाली पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी वह चाह कर भी अपनी नजरों को अपने भांजे के दोनों टांगों के बीच से हटा नहीं पा रही थी,,,,,।

ओहहहह अब जाकर थोड़ा आराम मिला,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गया तब जाकर रूपाली की तंद्रा भंग हुई और वह होश में आई लेकिन शर्म के मारे अपने भांजे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,, तभी सुरज मुस्कुराता हुआ अपनी मामी की तरफ देख कर बोला,,,)

मेरी बात मानो तुम भी अपने कपड़े निकाल कर सुखा लो गीले कपड़ों में बीमार हो जाओगी,,,,,, और वैसे भी यहां कौन है जो तुम्हें इस हालत में देख लेगा,,,।


तू तो है ना,,,(रूपाली शर्माते हुए बोली,,,)

अरे मैं कोई गैर थोड़ी हूं जो मेरे आगे इतना शर्म कर रही हो मैं तो इसलिए कह रहा था कि कहीं तुम बीमार ना पड़ जाओ,,,, देखो तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,।
(वाकई में गीले कपड़ों में रूपाली को ठंड लग रही थी इस बात का एहसास रूपाली को भी अच्छी तरह से था वह तो जलती हुई आगे के सामने उसकी तपन से थोड़ा बहुत राहत महसूस हो रही थी वरना रूपाली की तबीयत जरूर खराब हो जाती ,,,, रूपाली भी अपने भांजे की बात से सहमत थी लेकिन अपने भांजे के सामने कपड़े उतार कर नंगी होने में उसे बहुत शर्म लग रही थी हालांकि अपने भांजे को कपड़े उतारते हुए देखकर वह भी अपने मन में यही सोच रही है कि काश वह भी अपने भांजे के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो मजा आ जाता,,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं आग जल रही है ना इसलिए थोड़ी बहुत गर्मी मिल रही है और ऐसे में कपड़े भी सूख जाएंगे,,,


चलो कोई बात नहीं जैसी तुम्हारी मर्जी,,,(सुरज ऐसा बोल कर अपने मन में सोचने लगा कि ऐसे बात बनने वाली नहीं और आज की रात ही उसके लिए अहम रात है अपनी इच्छाओं को पूरा करने का वह अपने मन में सोचने लगा कि कोई और जुगाड़ लगाना पड़ेगा इसलिए वह बातचीत का दौर शुरू करते हुए बोला,,,)

अच्छा मामी एक बात बताओ,,, क्या पहले भी तुमने इस तरह से किसी अनजान जगह में रात गुजारी हो ऐसी तूफानी बारिश में,,,


नहीं रे ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ यह पहली बार है कि मैं कहीं रात को इस तरह से तूफानी बारिश में फंस गई हूं,,,

मैं भी पहली बार ही,,,,

अगर मुझे जरा भी अंदाजा होता कि आज इतनी तेज बारिश पड़ेगी तो मैं कभी भी दवा लेने के लिए घर से नहीं निकलती,,,,


सही कह रही हो मामी,,,, लेकिन सोचो एक नया अनुभव भी तो मिल रहा है इस जंगल जैसे वीरान जगह पर तूफानी बारिश में ऐसे खंडहर में रुकने का एक अलग ही मजा है,,,


इसमें कौन सी मजा है रे,,,


मजा ही तो है मामी हां मैं अगर अकेला होता या मेरे दोस्त लोग होते तो शायद कोई और बात होती लेकिन मेरे साथ इतनी खूबसूरत औरत है इसीलिए मुझे इस खंडहर में भी बहुत अच्छा लग रहा है,,,,


खूबसूरत औरत,,,, अरे बुद्धू में तेरी मामी हूं,,,

वह तो एक भांजे के नजरिए से लेकिन मैं तुम्हें एक मर्द के नजरिए से देखता हूं इसलिए तुम मुझे खूबसूरत औरत नजर आती हो,,,।
( अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, अपने भांजे की बात सुनकर वो समझ गई कि उसका भांजा उसे बहुत पसंद करता है,,,,, दो दो जवान बच्चे की मां के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि ईस उम्र में भी एक जवान लड़का उसे बेहद प्यार करता है उसे चाहता है उसे पाना चाहता है,,,, लेकिन परेशानी इस बात की थी कि वह जवान लड़का खुद का उसका भांजा था,,, फिर भी वह अपने भांजे को समझाने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं सुरज यह गलत है,,,, मैं तेरी बाहों और तू मेरा भांजा है हम दोनों के बीच मामी भांजे का पवित्र रिश्ता है ना कि मर्द और औरत का इसलिए तू अपनी मर्यादा मेरे अगर तेरे इरादों की भनक गांव में किसी को भी लग गई तो बदनामी हो जाएगी,,,,


कैसी बातें कर रही हो मामी गांव वालों को कैसे भनक लगेगी यह तो सिर्फ हम दोनों के बीच की बात है,,,,(ऐसा कहते हुए वह बैठे हुए ही अपनी मामी का ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच आकर्षित करने के लिए अपना हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा करके अपने लंड को खुजाने लगा और ऐसा करने पर वास्तव में उसकी मामी का ध्यान अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच गया तो वह फिर से हैरान रह गई उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा था जो कि एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे छुपाने की कोशिश सुरज बिल्कुल भी नहीं कर रहा था जब जब वह अपने भांजे के लंड को देख रही थी तब तक उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी,,, वह अपना ध्यान दूसरी तरफ केंद्रित करने को करती थी लेकिन वह ऐसा कर नहीं पा रही थी सुरज अपनी बातों में उसे पूरी तरह से उलझा रहा था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आईने में लगता है कि तुमने कभी अपने आप को ठीक सारा से देखी नहीं हो इसीलिए तुम यह नहीं समझ पा रही हो कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
(अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपालीको बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी अपने भांजे को समझाते हुए बोली)

चल कोई बात नहीं मैं अगर मान भी लूं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं लेकिन फिर भी तू मेरा भांजा है कोई गैर नहीं जो मुझसे इस तरह की बातें करता है,,,,

मुझे तुमसे इस तरह की बातें करने में बहुत अच्छा लगता है,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज जानबूझकर उसकी मामी को नजर आए इस तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए ही अपनी ताकत से वह अपने लंड को अपने अंदर की तरफ खींच रहा था जिससे बार-बार उसका लंड ऊपर नीचे अपना मुंह उठाता हुआ हिल रहा था जिसे देखकर खुद रूपाली हैरान हो रही थी वह अपने भांजे के लंड की ताकत को देखकर ही अच्छी तरह से परखने की कोशिश कर रही थी,,,, जलती हुई आग की रोशनी में उसे अपने भांजे का लंड दम साफ तौर पर दिखाई दे रहा था मोटा लंबा,,, इस तरह के लंड की उसने कभी अपने अंदर कल्पना भी नहीं की थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर हैरान हो रही थी,,,,,, सुरज की हरकतों और उसके इरादों के साथ-साथ उसकी बातों का असर रूपाली पर खूब हो रहा था,,, रूपाली अपने भांजे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)

धत् तू पागल है तेरी तरह अगर किसी और ने मुझसे यह बात कही होती तो मैं उसकी जान ले लेती लेकिन तू मेरा भांजा है इसलिए तुझे कुछ कह नहीं रही हूं,,,।
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज हंसने लगा और से हंसता हुआ देखकर रूपाली भी मुस्कुराने लगी हालांकि बार-बार उसकी नजर अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच टनटनाए हुए लंड पर चली जा रही थी,,, और अचानक ही उसके मन में यह ख्याल आया कि अगर यह लंड है उसकी बुर में चला जाए तो उसकी बुर तो फट ही जाए इतना मोटा है यह ख्याल एकाएक उसके मन में आया था इसलिए वह एकदम से शर्मा गई,,,, सुरज का दिमाग बड़े जोरों से काम कर रहा था क्योंकि यह मौका जिंदगी में दोबारा मिलने वाला नहीं था और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था अभी उसके पास बहुत समय था,,,,, अगर दूसरे दिनों की तरह सामान्य दिन होता तो अभी भी आसमान में बिखरी हुई चांदनी में पूरा गांव नहाया हुआ होता और चारों तरफ रोशनी नजर आती लेकिन तेज बारिश और तूफान के चलते चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था,,, और यह जगह एकदम जंगल में वीराने में थी इसलिए यहां पर किसी के आने का डर भी नहीं था इसीलिए सुरज पूरी तरह से निश्चिंत था थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह अपनी मामी से बोला,,,)

तुम्हें भी भूख लगी होगी ना मां,,, मुझे तो बड़े जोरों की लगी है,,,


हारे तो सच कह रहा है बाजार में समोसे के सिवा और खाए ही क्या थी मुझे भी भूख लग रही है लेकिन यहां कर क्या सकते हैं,,,


अरे भूल गई बैलगाड़ी में समोसे और जलेबियां और खरबूजे भी रखे हुए हैं,,,

तो,,,,?(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली क्योंकि इतनी तेज बारिश में वापस वहां पर जाना ठीक नहीं था)

अरे तो क्या मैं जाकर अभी लेकर आता हूं अच्छा हुआ कि हम लोग बाजार में खरीद कर रखे थे शायद इसी पल के लिए,,,


अरे तू लेकिन जाएगा कैसे अभी भी तेज बारिश हो रही है तो फिर भीग जाएगा फिर से तेरा कुर्ता गिला हो जाएगा,,,


अरे कोई बात नहीं मैं बिना कपड़ों के जाऊंगा और वैसे भी यहां देखने वाला तुम्हारे सिवा और कोई है कहां तुम बस नजर अपनी दूसरी तरफ घुमा लेना,,,,(सुरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामीलाख चाहने पर भी अपनी नजर उसके नंगे बदन से नहीं हटा पाएगी इसलिए वह जानबूझकर बोला था,,, फिर भी इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर रूपाली बोली)


नहीं नहीं रहने दे तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है मुझे भूख नहीं लगी है,,,


अरे कैसी बातें कर रही हो तुम्हें भूख लगी हो और मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को ना लाऊं ऐसा हो सकता है भला मैं अभी गया और अभी आया तुम बस,,,(अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ अपनी कमर पर बांधा हुआ अपना कुर्ता खोलने लगा हालांकि इस बार वह अपनी मामी की तरफ पीठ करके खड़ा नहीं हुआ वह अपनी मामी के सामने खड़ा था ताकि एक बार फिर से वह अपनी मामीको अपना नंगा झूलता हुआ लंड दिखा सके,,,, और इसी आपाधापी में सुरज बिना शर्म किए और बिना वक्त गंवाए तुरंत अपनी कमर पर बना हुआ कुर्ता खोल दिया जिससे उसका टनटनाता हुआ लंड एक बार फिर से हवा में झूलने लगा,,,,,, और जिस पर नजर पड़ते ही रूपाली के तन बदन में फिर से आग लग गई और इस बार वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और एक गहरी सांस लेते हुए अपनी उत्तेजना जाहीर करते हुए हल्के से अपने होंठ की कीनारी को दांत के नीचे दबाकर काटने और यह अपनी मामीकी खूबसूरत हरकत को सुरज अपनी आंखों में कैद कर लिया और मन ही मन एकदम से खुश होने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि भले ही ऊपर से उसकी मामी उसे रोकने की कोशिश कर रही हो लेकिन अंदर से यही चाह रही है कि दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाए,,,, और इसीलिए अपनी कमर पर बंधी कुर्ते को निकालकर वह अपनी मामीको थमाते हुए बोला,,,)


ये गया और आया,,,,
(सुरज एक बार फिर से अपनी मामी की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया था जलती हुई आग की रोशनी में रूपाली को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपने भांजे के गठीले और कसरती बदन को एकदम नग्न अवस्था में देखकर रूपाली की बुर गीली होने लगी,,,,,, वह धड़कते दिल के साथ व्याकुल नजरों से अपने भांजे की तरफ देख रही थी,, जोकी पूरी तरह से नंगा होकर इमारत के एकदम किनारे पहुंच चुका था,,, वह वही खड़ा होकर वातावरण का जायजा ले रहा था,,,बादलों की गड़गड़ाहट बहुत तेज थी रे रे कर बिजली चमक रही थी जिसकी रोशनी में कुछ क्षण के लिए सब कुछ साफ नजर आ रहा था और उसी रोशनी में वह अपनी बैलगाड़ी को भी देख रहा था,,,,, चारों तरफ तेज हवाएं चल रही थी जिससे बड़े-बड़े वृक्ष हवा की दिशा में इधर-उधर लहरा रहे थे जिसे देखकर डर भी लग रहा था लेकिन सुरज हिम्मतवाला था चारों तरफ पानी भर चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा हुआ कि वह बेल को भी अंदर खंडहर में ले आया वरना इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट में उसका बेल बहक जाता और इधर उधर निकल जाता,,,,,।

रूपाली अपने भांजे की तरफ देख रही थी उसका नंगा बदन पीछे से आग की रोशनी में एकदम साफ नजर आ रहा था अपने भांजे को नंगा देखकर रूपाली की बुर कुलबुला रही थी,,, उसे बरसात की याद भी आ रही थी जब कभी भी इस तरह की बारिश या मध्यम बारिश होती थी तो रात भर वह अपने पति से जी भर कर चुदवाती थी और पहल वह खुद ही करती थी क्योंकि ऐसे बारिश के मौसम में उसका मन बहुत ज्यादा था और आज ऐसा ही कुछ हो रहा था लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू करे हुए थी,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह से जंगल में खंडहर में इतनी तूफानी बारिश में एक नौजवान मर्दानगी से भरे हुए मर्द के करीब रहकर और वह भी एकदम नंगा फिर भी वह अपने मन पर काबू कैसे कर पा रही है,,, शायद उन दोनों के बीच का रिश्ता रूपालीको आगे बढ़ने से रोक रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसके भी ईरादे पस्त होते जा रहे थे,,, अपने मन में उठ रही भावनाओं के समंदर में वह सोच रही थी कि कहीं उसकी

मर्यादा और संस्कार भी ना डुब जाएं,,,, अपने भांजे के मर्दाना ताकत से भरे हुए मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर और उसके कटीले बदन को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो गया है और एक ताकतवर मर्द बन चुका है,,,, शायद रूपाली अपने भांजे की मरजानी कि उसके गठीला बदन और उसके मोटे तगड़े लंबे लंड से ही आंक रही थी और यह औरतों के तरफ से मर्दों की मर्दानगी नापने की प्राथमिकता ही थी,,,,, वह अपने विचारों में डूबी हुई थी कि तभी उसे अच्छा की आवाज सुनाई दी और वह देखी तो उसका भांजा घुटनो भर पानी में जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था वह पूरी तरह से मंगा था उसके बदन पर बिल्कुल भी कपड़ा नहीं था ऐसे हालात में एक औरत के लिए अपने आप पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है,,,, लेकिन देखना यही था कि कब तक रूपालीअपनी मर्यादा की डोरी को अपने हाथों से पकड़ कर रखती है,,,, क्योंकि जिस तरह के हालात उसके सामने पैसा रहे थे उसे देखते हुए कभी भी मर्यादा की डोरी टूट सकती थी,,,,

थोड़ी ही देर में सुरज अंधेरे में गायब हो गया तेज हवाओं के साथ हो रही तूफानी बारिश में सुरज को देख पाना रूपाली के लिए कठिन हुआ जा रहा था लेकिन बिजली की चमक के उजाले में वह रह-रहकर नजर आ जा रहा था तब उसे तसल्ली हो जाती थी थोड़ी देर में सुरज बैलगाड़ी तक पहुंच गया था और,,,, समोसे और जलेबी का पड़ेगा और एक खरबूजा अपने हाथ में लेकर उसे सीने से लगाए वापस खंडहर की तरफ आने लगा था,,,, रूपालीअपने भांजे को देखने के चक्कर में अपनी जगह से खड़ी हो गई थी और उसे व्याकुल नजरों से देख रही थी तभी बिजली की चमक के उजाले में उसका भांजा उसे आधा हो नजर आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,,,, वह घुटनों तक पानी में समोसे जलेबी और खरबूजा लेकर आ रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगी कि उसके भांजे को उसकी कितनी फिक्र है कि कितनी तेज बारिश में तूफानी हवाओं में बादलों की गड़गड़ाहट को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए खाने के लिए लेकर आ रहा था,,,,, अभी तक तो सुरज अंधेरे में ठीक से नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही वह खंडहर के अंदर प्रवेश किया वैसे ही जलती हुई आग के उजाले में रूपालीकी नजर एक बार फिर से अपने भांजे के लंड पर चली गई जो कि चलने की वजह से ऊपर नीचे हो कर हील रहा था,,, यह नजारा रूपाली की बुर को पिघला देने वाला था और ऐसा हो ही रहा था उसने आज तक इतना जबरदस्त मुस्टंडा अलग नहीं देखी थी वह तो कभी भी इस तरह के लंड की कल्पना भी नहीं की थी लेकिन यह जानकर उसे गर्व हो रहा था कि सोच से भी अधिक बलवान मर्दानगी ताकत से भरा हुआ लंड उसके भांजे के पास है पानी में भीगा हुआ सुरज का लंड रूपाली को और ज्यादा मदहोश कर रहा था,,,, सुरज जल्दी भी आपके करीब आते ही अपनी मामीकी नजरों को देखकर मन ही मन खुश होने लगा था और एक नजर अपने लंड की तरफ डाला तो उसे शाबाशी देते हुए मन ही मन में बोला,,, वह मेरे बच्चे आज तू ने कमाल कर दिया है अगर आज मेरे मन की हो गई तो तेरी सरसों के तेल से मालिश करूंगा तेरी खूब सेवा करूंगा ताकि तू इसी तरह से औरतों की जमकर सेवा करें और मेरी वाह वाह हो जाए,,,,,,,।

अपनी मामी को समोसे और जलेबी के साथ-साथ खरबूजा था मरने से पहले वह एक हाथ से जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर उसमें से पानी की बूंदों को झटक ने के लिए ऊपर नीचे करके अपने लंड को हिलाने लगा यह देखकर रूपालीकी तो सांस ही अटक गई,,, पल भर में वह ऐसा सोचने लगी कि जैसे उसका भांजा उसकी बुर में डालने के लिए अपने लंड को तैयार कर रहा है,,,,,,, अपनी मामी के सामने सुरज एकदम बेशर्मी दिखाते हुए अपने लंड को पकड़ कर ले जा रहा था और वह भी एक बहाने से ,,, वह अपनी मामी को जताना चाहता था कि उस पर लगी पानी की बूंदों को हटाना चाहता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था अपनी मामीको बहका रहा था उसे चुदवासी बना रहा था और उसकी यह चाल कामयाब भी होती नजर आ रही थी,,, मंत्रमुग्ध होकर रूपालीअपने भांजे की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,, तभी सुरज बोला,,,,।

मामी मेरे कुर्ते से पानी तो पोंछ दो मुझे ठंड लग रही है,,,

(अपने भांजे की बात सुनते ही रूपाली की सांसे तेज चलने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें वह अपने भांजे के नंगे बदन के बेहद करीब खड़ी थी जिसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, मधु‌ अपने मन में सोचने लगी कि इतना कड़क तो मर्दों का लंड तभी होता है,,, जब वह बुर में डालने के लिए तैयार हो जाते हैं,,,, लेकिन मेरे भांजे का तो बहुत मोटा और लंबा है अगर मेरी बुर में गया तो गजब कहल ढाएगा,,, इसकी बाबूजी का तो इससे आधा और पतला ही है हाय दैया मैं तो मर जाऊंगी,,,, अपने मन में इस तरह के विचार लाते हैं रूपालीके गाल शर्म से लाल हो गए वह धीरे से अपने भांजे का कुर्ता हाथ में लिए उसके बेहद करीब पहुंच गई और उसके पीछे खड़ी होकर उसकी पीठ से पानी को पोछने लगी,,,।

थोड़ा नीचे कमर के पास,,,

(रूपाली अपने भांजे के बताए निर्देश के अनुसार कमर तक पानी को साफ करने लगी तभी सुरज और आगे बढ़ते हुए बोला)
कमर के नीचे गांड से लेकर नीचे तक,,,,(सुरज एकदम बेशर्मी भरे शब्दों में बोला अपने भांजे के मुंह से गांड शब्द सुनकर रूपालीमदहोश होने लगी और वैसे भी वह अपने भांजे की गांड को अपने हाथों से स्पर्श करना चाहती थी क्योंकि जब वह अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ था तो वह अपने भांजे की गांड देखकर मस्त हो गई थी,,,, देखते ही देखते रूपालीअपने भांजे के बताए अनुसार वहां गांड से लेकर के नीचे तक उसके पानी को पोछना शुरू कर दी,,,,,, रूपाली की सांसे बहुत ही भारी चल रही थी उसके लिए यह कार्य बेहद जटिल था क्योंकि इस समय उसके भी बदन में उत्तेजना जोर मार रही थी और ऐसे में उसका भांजा पूरी तरह से नंगा खड़ा था और उसका लंड अपनी औकात में था अपने भांजे की गोल-गोल नितंबों को उसके कुर्ते से पोछने पर रूपालीको अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था और उसे इस बात का भी एहसास होने लगा था कि जब उसे इतना मजा आ रहा है तो औरतों की गांड देखकर मर्दों को कितना मजा आता होगा,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि आज तक उसने अपने पति को जवानी से लेकर अब तक ना जाने कितनी बार नंगा देखते आ रही है लेकिन कभी भी,, उसकी नजर उसके लंड को छोड़कर और कहीं भी स्थिर हुई ही नहीं शायद उसका शरीर सुरज की तरह गठीला नहीं था,,,,।)

आगे भी पोछ दो,,,,(सुरज अपनी नजर पीछे घुमा कर अपनी मामीकी तरफ देखते हुए बोला,,,, और उसकी मामीबिना कुछ बोले पीछे खड़ी होकर ही कुर्ते को उसकी चौड़ी छाती पर रखकर पानी की बूंदों को साफ करने लगी ऐसा करने से औपचारिक रूप से रूपालीथोड़ा आगे की तरफ आ गई थी जिससे उसका बदन सुरज के बदन से रह रहे का स्पर्श होने लगा था और अपने भांजे के बदन की गर्मी अपने बदन में महसूस करके उसे उत्तेजना तो महसूस हो ही रही थी साथ में ठंड से राहत भी मिल रही थी अपने भांजे की चौड़ी छाती को साफ करते हुए उसे आनंद आ रहा था,,,, और वह अपने मन में सोच रही थी काश वह अपने आपको अपने भांजे की छाती में छुपा पाती तो कितना मजा आता,,,,।)

नीचे भी साफ करो ना मामी कितना गीला हो गया है,,,,।
(अपने भांजे की बातें सुनकर वह पीछे सही अपनी नजरों को आगे की तरफ करते हुए देखी तो उसके दोनों टांगों में कंपन होने लगी सुरज का लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था यह स्थिति काफी देर से थी इसलिए रूपालीको समझ में नहीं आ रहा था कि उसके भांजे में कितना दम है कि अभी तक उसका लंड खड़ा का खड़ा है और वह अपने भांजे की बात मानते हुए छाती के नीचे से लेकर पेट तक कुर्ता घुमाने लगी,,, रह रह कर रूपालीका मन कर रहा था कि अपने भांजे के लंड को अपने हाथ से पकड़ ले और उस पर लगा पानी कपड़े से नहीं बल्कि अपनी हथेली से घिस घिस कर साफ करें लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और वो अपना हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जा रही थी कि तभी उसकी हथेली पर चलकर उसके लंड से इस पर सोते हुए नीचे की तरफ आ गई और ऐसा होने पर उसका लंड ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया मानो कि जैसे कोई उसे हाथ में लेकर हिला रहा हो या देखकर और उसके लंड की स्पर्श अपनी हथेली में महसूस करके रूपालीकी बुर पानी पानी होने लगी वह एकदम से शर्म से लाल हो गई और सुरज पूरी तरह से मस्त हो गया लेकिन कुछ बोला नहीं थोड़ी देर में सुरज का बदन रूपालीउसके कुरते से साफ कर चुकी थी और सुरज बोला,,,।


बस करो मामी अब ईसे बांध दो मेरी कमर पर जैसे मै बांधा था,,,,।
(सुरज जानबूझकर सब कुछ अपनी मामीसे करवा रहा था वह एक बहाने से अपने बदन को स्पर्श अपनी मामीसे करवाना चाहता था ताकि उसकी मामीके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और ऐसा हो भी रहा था सुरज की बात मानते हुए रूपालीबिना कुछ बोले उसकी कमर से उसके कुरते को बांधने लगी बांधते बांधते रूपालीउसके सामने आ गई और कुर्ते की गिठान उसकी कमर पर बांधते हुए उसके लंड को ही अपनी स्थिर और प्यासी नजरों से देख रही थी,,,, सुरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि उसका फेंका हुआ पासा काम कर रहा था,,,, रूपालीउसके कुरते को कमर पर बाद चुकी थी लेकिन लैंड खड़ा होने की वजह से कुर्ता उसके ऊपर आकर कपड़े की तरह टांगा गया था जिसे रूपालीखुद अपने हाथों से आगे की तरफ खींच कर उसके लंड के आगे कर दी और लंड को पर्दे के पीछे छुपाने की कोशिश करने लगी जो की पूरी तरह से नाकामयाब नजर आ रहा था क्योंकि पर्दे के पीछे होने के बावजूद भी उसके भांजे का लंड अपनी आभा पूरी तरह से बिखेर रहा था खूंटा बनकर,,, अपनी मामीकी गहरी चलती सांसो को देखकर सुरज के तन बदन में आग लग रही थी वह समझ गया था कि उसकी मामीभी चुदासी हो रही है उसे पूरा विश्वास था कि आज की रात वह अपनी और अपनी मामीके बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा कर ही रहेगा,,,)

बस हो गया अब चलो कुछ खा लेते हैं अच्छा हुआ कि मैं बाजार से यह सब ले लिया था वरना आज की रात भूखा ही रहना पड़ता,,,,।
(रूपालीकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी वह बिना कुछ बोले आग की दूसरी तरफ जा कर बैठने लगी तो सुरज फिर से बोला,,,)

मामीतुम खामखा परेशानी उठा रही हो मेरी बात मानो अपने कपड़े उतार दो,,, वरना परेशान हो जाओगी बीमार पड़ जाओगे और मैं नहीं चाहता कि तुम बीमार पडो,,,अगर पूरे नहीं तो अपनी साड़ी उतार कर,,, उसे सूखने के लिए धर दो ताकि बाद में आराम से पहन सको,।
(रूपालीअपने भांजे की बातों को सुनकर रोमांचित हो उठती थी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बात उसका भांजा नहीं बल्कि उसका कोई प्रेमी या उसका पति कर रहा हो,,, और वह भी अपने फायदे के लिए ताकि वह उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख सके,,, अपने भांजे की बात से रूपालीभी सहमत थी इसलिए वह बोली,,,)

तू ठीक कह रहा है मुझे भी ठंडक महसूस हो रही है और अगर गिला कपड़ा पहने रहेगी तो शायद बीमार पड़ जाऊंगी,,,।
(अपनी मामीकी है बातें सुनकर सुरज अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसकी बात उसकी मामीमान रही थी इसलिए वह उत्साहित होते हुए बोला)

हां तुम जल्दी से अपने कपड़े उतार कर यहां सूखने के लिए डाल दो जहां पर मैं डाला हूं और फिर आकर हम दोनों साथ में खाते हैं,,,,,,,।

लेकिन तू मेरी तरफ देखना नहीं मुझे शर्म आती है,,,

क्या मामीतुम भी,,,, इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है आखिरकार यहां पर मेरे को तुम्हारे सिवा है कौन मैं भी तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा बैठा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मैं बीमार पड़ जाऊं और फिर बैलगाड़ी चलाने लायक ना रह जाऊं फिर आमदनी कहां से होगी,,,,

नहीं फिर भी मुझे शर्म आती है,,,


क्या मामीमैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूं कि मैं तुम्हारे नंगे बदन को देख चुका हूं और उस दिन जब शादी में लेकर जा रहा था तो तुम कुएं के पास बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर मुत रही थी,,, तो मैं अनजाने में नहीं तुम्हारे पिछवाड़े को देख लिया था,,,,(अपने भांजे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह एकदम से गनगना गई,,, और फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

वह तो अनजाने में ना मैं जानती नहीं थी इसलिए लेकिन अभी तो कपड़े उतारुंगी तो तेरे सामने ही ना इसलिए तू मेरी तरफ देखना नहीं,,,,

चलो अच्छा ठीक है मैं नहीं देखूंगा बस अब जाओ जल्दी से आओ मुझे बड़ी भूख लगी है,,,,।

(इतना सुनकर रूपाली ५ कदम दूरी पर जाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी खंडहर के इस जगह पर पांच कदमों की दूरी कोई ज्यादा दूर नहीं था जल्दी भी आप की रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी इतनी दूर जाकर शायद रूपालीको इस बात की तसल्ली हो रही थी कि वह अपने भांजे की आंखों के सामने अपने कपड़े नहीं उतार रही है जबकि सुरज अपनी मामीको वादा करने के बावजूद भी चोर नजरों से अपनी मामीकी तरफ ही देख रहा था धीरे-धीरे रूपालीअपनी गीले साड़ी को उतारने लगी और देखते ही देखते अपनी कमर पर बनी साड़ी को उतारकर वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई और साड़ी के पानी को साड़ी को गोल गोल घुमा कर उसमें से पानी गारने लगी,,,, अपनी मामीकी यह अदा देख कर सुरज का लंड उछल रहा था अपनी प्रियतमा से मिलने के लिए और उसकी प्रियतमा उसकी मामीकी दोनों टांगों के बीच गुलाबी छेद के रूप में पानी छोड़ रही थी और एक तरह से उसका पानी छोड़ना अपने प्रियतमा को अपनी तरफ आकर्षित करना था,,,,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मामीअपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो इस खंडहर में रोनक आ जाती,,, फिर भी बरसात के पानी में भीगा हुआ उसके मामीका पेटीकोट,,, की वजह से वह पेटीकोट उसकी मामीके पिछवाड़े के साथ-साथ उसकी जांघों से एकदम चिपका हुआ था जिससे उधर का अंग एकदम उभरा हुआ नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर सुरज का लंड ठुनकी मार रहा था,,,,,,, और वह अपने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

मेरी मानो तो ब्लाउज रहने दो पेटिकोट उतार दो क्योंकि वह पूरी तरह से भीगा हुआ है,,,,।
(रूपालीअपने भांजे की चालाकी को अच्छी तरह से समझ रही थी पेटीकोट उतारने के बाद बाकी रहता है क्या था वह तो पूरी तरह से नंगी हो जाती इसलिए वह अपनी जज्बातों पर काबू करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं चलेगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी पेटीकोट को थोड़ा घुटनों तक उठाकर उस में से पानी गारने लगी,,, पेटिकोट को घुटनो तक उठाने की वजह से उसकी गोरी गोरी पिंडलिया आग की रोशनी में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर सुरज का मन एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,, थोड़ी देर में रूपालीअपनी साड़ी को जोर से झटक ते हुए उसी जगह पर ले जाने लगी जहां पर सुरज अपने पजामे को टांगा था और वहीं पर जाकर अपनी साड़ी को भी टांग दी,,,, साड़ी को उतारने के बाद वह केवल पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी लेकिन फिर भी अपने भांजे की आंखों के सामने इस अवस्था में आने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह

धीरे-धीरे सब कुछ आते हुए आगे की दूसरी तरफ पहुंच गई और अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए ही उसी अवस्था में नीचे बैठ गई,,, सुरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामीअपनी चुचियों के नाम से कहीं कम नापका छोटा ब्लाउज पहनती थी जिसकी वजह से उसके दोनों बड़े-बड़े कबूतर उसमें से बाहर निकलने के लिए पंख फड़फड़ा ते हुए नजर आते थे और ऐसा ही हुआ वह नीचे बैठ गई थी लेकिन उसकी दोनों चूचियां पंख फड़फड़ा कर हवा में उड़ने के लिए बेकरार थी,,,।। जलती हुई आग की रोशनी में सुरज को अपनी मामीकी चूचियां ब्लाउज में कसी हुई एकदम साफ नजर आ रहे थे मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से ब्लाउज को फाड़ कर उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाल ले और उसे मुंह में लेकर दबा दबा कर पिए,,,, लेकिन शायद इसमें अभी समय था,,,,,।

अपने भांजे के सामने रूपाली शर्मा से संकुचा रही थी,,, और सुरज अपनी मामीको शर्माता हुआ देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था,,,, समोसे और जलेबी की पडीके को वह खोलकर दोनों जन के बीच में रख दिया था ताकि दोनों आराम से खा सके रूपालीको भी भूख लगी हुई थी और वह तुरंत हटा कर बढ़ाकर समोसा उठाकर खाने लगे सुरज भी जलेबी लेकर खाने लगा लेकिन उसे जलेबी से ज्यादा रस अपनी मामीकी चुचियों से मिल रहा था जिसे देखकर वह और भी ज्यादा प्यासा होता जा रहा था बारिश था कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी लगातार बादलों की गड़गड़ाहट के साथ तेज हवाए अपना असर दिखा रहे थे रह-रहकर ठंडी हवा का झोंका दोनों के बदन को गनगना दे रहा था,,,,,,,, तभी जैसे कुछ याद आया हो इस तरह से रूपालीबोली,,,,,।


अरे सुरज मेरी चूड़ियां तो थी ना बैलगाड़ी में,,,

हामा तुम चिंता क्यों कर रही हो चूड़ियां सही सलामत है अगर ना भी होती तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी मैं नई खरीद देता,,,

अरे वाह अब तो तू पैसे वाला हो गया है मुझे तो पता ही नहीं था,,, अगर तेरे पास पैसे ना होते तो शायद हम दोनों रात को भूखे ही रहते ,,,

ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मामी नामदेव राय मेरी जेब में है,,,


मैं तेरी बात को समझी नहीं,,,(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली)

यूं समझ लो मामीकी मेरे हाथों सोने के अंडे देने वाली मुर्गी लग गई है,,,,,,,


पहेलियां क्यों बुझा रहा है ठीक ठीक बताता क्यों नहीं,,,
(अपने बदन को सिकोड़ते हुए वह बोली,,,)
 
Member
289
105
28
क्या बताऊं बात ही कुछ ऐसी है तुम विश्वास नहीं करोगी,,,,
(सुरज गर्म लोहे पर हथोड़ा चलाने में माहिर था वह समझ गया था कि उस राज को यहां पर बताने का वक्त आ गया है वह जानता था कि इस तरह की बातें सुनकर उसकी मामी के मन में भी कुछ कुछ होने लगेगा इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मेरे हाथों एक राज लग गया है जो किसी को भी पता नहीं है इसीलिए तो नामदेवराय पूरी तरह से मेरे कब्जे में है,,,।


कौन सा राज कैसा राज मुझे बताएगा भी या यूं ही बडबडाता रहेगा,,,,,,

देखो मामी मैंने आज तक नामदेवराय का यह राज किसी को भी नहीं बताया हूं क्योंकि ‌नामदेवराय से मैंने वादा किया था कि यार आज मेरे सीने में दफन रहेगा मैं किसी से नहीं बताऊंगा इसलिए सिर्फ तुम्हें बता रहा हूं कि मेरे पर लाला इतना मेहरबान क्यों हुआ है और क्यों मामाजी का कर्जा माफ कर दिया,,,,(रूपाली एकदम उत्साहित हो गई थी अपने भांजे की बात सुनने के लिए कि ऐसा कौन सी राज है जिसके चलते नामदेवराय इतना मेहरबान हो गया है अपनी मामी की उत्सुकता देखकर सुरज बहुत खुश हो रहा था क्योंकि सुरज को तो पता ही था कि उसे क्या कहना है जो कि वह अपनी बात को नमक मिर्च लगाकर बताने जा रहा था और उसकी मामी को तो यह अंदाजा भी नहीं था कि सुरज कौन सा राज बताएगा,,,,)
तुम्हें पता है मा कुछ दिन पहले,, मैं नामदेवराय के कर्जे का ब्याज देने के लिए उसके हवेली पर गया था,,,, और मुझे रात हो गई थी हवेली का दरवाजा खुला होने की वजह से मैं वही बैलगाड़ी खड़ा करके अंदर चला गया लेकिन कोई भी नजर नहीं आ रहा था मैं धीरे-धीरे हवेली के अंदर प्रवेश कर गया,,, लेकिन उधर भी कोई नहीं था ,,,

फिर,,,,,?

फिर क्या मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मेरा मन कर रहा था कि वापस घर लौटा हूं लेकिन उसे पैसे देने थे इसलिए मैं रुका रह गया तभी मुझे सीढ़ियों के ऊपर वाले कमरे से हंसने की आवाज आने लगी,,,

क्या,,,, कोई भूत चुड़ैल का मामला तो नहीं है,,,(घबराते स्वर में रूपाली बोली,,)

अरे नहीं मामी तुम आके तो सुनो भूत चुड़ैल वाली कोई बात नहीं है,,,,, मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि हवेली में कोई नजर नहीं आ रहा था और ऐसे में कोई मुझ पर चोरी का इल्जाम भी लगा सकता था कि चोरी छुपे हवेली में घुस रहा है,,,, लेकिन छोटी मालकिन मुझे जानती थी इसलिए मुझे थोड़ी बहुत हिम्मत थी ,,, मैं धीरे-धीरे सीढ़ियों से ऊपर की तरफ चढ गया,,, मैं धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ जाने लगा जहां से हंसने की आवाज आ रही थी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,,, कि कमरे में कौन है,,,,,, मैं तो धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,।
(रूपाली बड़ी उत्सुकता और खामोशी से अपने भांजे की बात सुन रही थी वह उस राज को जाना चाहती थी जिसकी बदौलत उसका इतने वर्षों का कर्जा माफ हुआ था,,, बरसात बड़े जोरों की पड़ रही थी बादलों की गड़गड़ाहट जा रही थी तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी लकड़ी में आग अभी भी चल रही थी जिसकी बदौलत दोनों को इस तूफानी बारिश की ठंडक में गर्माहट मिल रही थी,,,, रूपाली ब्लाउज और पेटीकोट में थी और सुरज पूरी तरह से नंगा था सिर्फ एक कुर्ता अपनी कमर पर लपेटा हुआ था जिसके लपेटने का भी कोई मतलब नहीं था क्योंकि उसका लंड टनटनाता हुआ नजर आ रहा था और चोर नजरों से रूपालीअपने भांजे के बम पिलाट लंड का दर्शन करके अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,,, और सुरज ऐसे माहौल में अपनी बातों में नमक मिर्ची लगाकर बता रहा था,,,।)
मेरा दिल तो जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी मैं धीरे-धीरे दरवाजे तक पहुंच गया,,,(जलेबी का लुफ्त उठा ता हुआ सुरज बोल रहा था,,,,) दरवाजा बंद था अंदर से हंसने की आवाज लगातार आ रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन था अभी थोड़ी देर बाद अंदर से आ रही हंसने की आवाज बदल गई,,

बदल गई मतलब,,,?(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली,,)

बदल गई मतलब जो आवाज कुछ देर पहले हंसने की आ रही थी वही आवाज सहहहहहह आहहहहहहह ऊईईईईई इस तरह की आने लगी,,,,,

क्या इस तरह की आवाज,,,(रूपाली इस तरह की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मामी इस तरह की आवाज मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है,,, मैं यही जानने के लिए खिड़की के पास गया तो देखा खिड़की थोड़ी सी खुली हुई थी और मैं खिड़की में से जैसे ही अंदर नजर दौड़ा आया तो अंदर का नजारा देखकर तो मेरा होश उड़ गया,,,

ऐसा क्या देख लिया अंदर,,,?


अरे मामी मैंने अंदर जो कुछ भी देखा उसे देखकर तो मुझे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था मैंने देखा कि नामदेवराय पूरी तरह से नंगा था,,, और वह एक औरत को चोद रहा था,,,,।

क्या,,,, क्या कहा तूने,,,

हां मामी मैं सच कह रहा हूं नामदेवराय पूरी तरह से लगा था और वह एक औरत को चोद रहा था और अब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी थी नामदेवराय उसकी दोनों टांगे पकड़ कर फैलाया हुआ था,,, और उसकी बुर में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज जानबूझकर अपने लंड को खुजलाने का नाटक कर रहा था और यह देखकर और उसकी गंदी बातों को सुनकर रूपाली के तन बदन में आग लग रही थी सुरज जानबूझकर बेशर्मी दिखाते हुए इस तरह से लंड और बुर जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,,,)

यह क्या कह रहा है सुरज,,,

हां मामी मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,, मेरी तो हालत तब और ज्यादा खराब हो गई जब मैंने देखा कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी छोटी बहन कजरी है,,,,

क्या,,,,?(अपने भांजे के मुंह से कजरी का जिक्र आते ही रूपाली एकदम आश्चर्य से हैरान होते हुए बोली क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि कजरी नामदेराय की छोटी बहन थी,,,,) नहीं सुरज तुझसे कोई भूल हो रही होगी,,,


मुझे भी पहले ऐसा ही लगा था ना मैं बार-बार अपनी आंखों को मलमल कर अंदर के दृश्य को देख रहा था लेकिन मैं कजरी को अच्छी तरह से जानता हूं छोटी मालकिन का चेहरा में कैसे भूल सकता हूं वह तो हमें पढ़ाती थी ना,,, मैंने जो देखा वह मेरी आंखों का धोखा नहीं बल्कि हकीकत था सोनी पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगे चौड़ी थी और नामदेवराय उसकी बुर में अपना लंड डालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर दबा रहा था और उसे भी मजा आ रहा था ऐसा नहीं था कि वह मजबूरी में अपने भाई के साथ ऐसा कर रही थी वह पूरा आनंद ले रही थी,,,,


क्या कह रहा है सुरज वह दोनों तो भाई बहन है ना,,,


हां मामी यह बात में भी अच्छी तरह से जानता हूं कि दोनों भाई बहन हैं लेकिन जो मैंने अपनी आंखों से देखा वह झूठ नहीं था तभी तो लाला आज मेरे काबू में है,,,,


लेकिन भाई बहन के बीच,,, ऐसा रिश्ता संभव नहीं हो सकता,,,

अरे कैसे नहीं हो सकता मामी मैंने तुम्हें बताया था ना नामदेवराय और उसकी बहन के बारे में तो यह दोनों तो भाई बहन हैं और पूरी हवेली में अकेले ही रहते हैं और तो और कजरी पूरी तरह से जवान है खूबसूरत है उसे भी तो मर्दों की जरूरत पड़ती होगी और लाला जो अकेला रहता आ रहा है उसे भी तो औरत की जरूरत पड़ती होगी दोनों एक दूसरे की जरूरत पूरी कर रहे हैं बस,,,,।

(सुरज नामदेवराय और कजरी का जिक्र छेड़ कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह रिश्तो के बीच शारीरिक संबंधों को कोई गलत बात नहीं मानता है ऐसा अपनी मामी को जताना चाहता था ताकि वह अपनी मामी के साथ शारीरिक संबंध बना सकें,,, सुरज अपनी मामी को नामदेवराय और कजरी की बात बताते हुए पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और यही असर रूपाली के बदन में भी हो रहा था उसका चेहरा लाल हो चुका था और उत्तेजना के मारे सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया था ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मुठ मारने जा रहा हूं या देखकर रूपाली के तन बदन में भी आग लग रही थी एक तो नामदेवराय और कजरी दोनों भाई-बहन के बीच के रिश्ते के बारे में सुरज ने बताकर आग में घी डालने का काम कर दिया था रूपाली भी सोचने पर मजबूर हो गई थी कि आखिरकार अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भाई बहन आपस में ही अपने पवित्र रिश्ते को कलंकित करते हुए एक दूसरे से आनंद लेते हैं और शुभम और उसकी मां का जिक्र भी उसे मालूम था जो कि दोनों अपनी जरूरत पूरा करने के लिए एक दूसरे के साथ सारे संबंध बनाकर मजा ले रहे थे,,, इस तरह का ख्याल रूपाली के मन में आ रहा था और वह यह सोच रही थी कि क्यों ना वह भी अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर जवानी का मजा लुटे क्योंकि बार-बार वह अपनी भांजे के लंड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,,। उसे किसी ख्यालों में खोया देखकर सुरज बोला,,,)


क्या हुआ मामी कहां खो गई,,,,

कककक,,, कुछ नहीं,,,(रूपाली हक लाते हुए बोली) मैं कजरी और नामदेवराय के बारे में सोच रही थी। दोनों भाई बहन है समाज में दोनों का इज्जत है रुतबा है जमीदार है और इतनी पूछी पदों पर होने के बावजूद भी दोनों आपस में ही इस तरह के संबंध,,,,, मेरा मतलब है क्या रिश्तो में यह सब मुमकिन है,,,


क्या मामी तुम भी पागलों जैसी बात करती हो मैं गांव में ही दो जन का उदाहरण तुम्हें बता चुका हूं फिर भी हर घर में रिश्तो में इस तरह के संबंध होते ही हैं बस किसी को खबर नहीं पड़ती सब लोग अपने अपने तरीके से अपनी जरूरत को पूरा करते हैं,,,,,
(दोनों आपस में बात करते हुए जलेबी और समोसे खा कर खत्म कर चुके थे,,,, सुरज खरबूजे को हाथ से तोड़कर आधा खरबूजा अपनी मामी की तरफ बढ़ा दिया था उसकी मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर खरबूजा थाम ली थी,,, इस मौके का फायदा उठाते हुए सुरज चुटकी लेते हुए बोला,,,)

तुम्हारे ही नाम का है ना मामी,,,,

(सुरज की बात सुनकर रूपाली उसके मतलब को समझते हुए अनजाने में ही खरबूजा हाथ में लिए हुए ही अपनी छातियों की तरफ देखी तो शर्म से पानी-पानी हो गई और वह नजरें नीचे झुका कर बोली,,)

धत सुरज तू बहुत शैतान हो गया है,,,

शैतान नहीं जानकार हो गया हूं तुम्हारी चूची को बिना हाथ में लिए ही मैं तुम्हारी चूची का नाप का खरबूजा खरीद लिया इससे बड़ी बात क्या हो सकती है,,,,


हां तू बहुत औरतों के बारे में समझने लगा है ना,,,,
(इतना कहकर खरबूजा खाने लगी सुरज भी अपना खरबूजा खाने लगा,,, बैल आराम से कोने में बैठा हुआ था शायद उसे भी इस तूफानी बारिश में इस खंडहर में सर छुपाने से राहत की अनुभूति हो रही थी,,,,, तेज बारिश बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी खरबूजा खाते ‌ हुए रूपाली बोली,,,)

मैंने आज तक इतनी तेज बारिश नहीं देखी और इतनी देर तक गिरते हुए नहीं देखी,,,, चारों तरफ पानी पानी हो गया होगा,,,,


तुम सच कह रही हो मामी,,,, मैंने भी आज तक इस तरह की तूफानी बारिश नहीं देखा हूं,,, शायद यह बरसात भी हम दोनों को मिलाना चाहती है,,,
(सुरज के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ कर हम रूपाली की हालत खराब होने लगी उसकी बुर पानी टपकाने लगी,,,, और वह बात के रुख को बदलते हुए बोली)

कितना समय हो रहा होगा सुरज,,,


अरे अभी कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है इस समय तो हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करते हैं,,,

बाप रे अभी तो पूरी रात बाकी है,,,


अगर बारिश बंद भी हो गई तो भी हमें रुकना होगा क्योंकि चारों तरफ पानी ही पानी होगा कुछ नजर नहीं आएगा सुबह होने का इंतजार करना ही पड़ेगा,,,

हाय दैया पता नहीं है रात कैसे गुजरेगी,,,
(रूपाली अंदर ही अंदर थोड़ा घबराहट महसूस कर रहे थे बरसात या भूत प्रेत से नहीं बल्कि अब उसे अपने भांजे से घबराहट होने लगी थी अपने भांजे की मौजूदगी में उसकी बातों को सुनकर उसका मन देखने लगा था वह किसी तरह से अपने मन को काबू में रखी हुई थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह ज्यादा देर तक अपने मन पर काबू नहीं कर पाएगी और अगर वह अपने भांजे के साथ बहक गई तो क्या होगा यही सोचकर वह हैरान हो रही थी कि तभी उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी और जलेबी समोसा और खरबूजा खाने से प्यास भी लगी हुई थी लेकिन पानी कैसे पिए गी उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह अपने भांजे से बोली,,)

मुझे जोरों की प्यास लगी है लेकिन पानी तो यहां है नहीं,,,,


क्या मामी तुम भी इतनी बारिश हो रही है और तुम कह रही हो यहां पानी नहीं है चलो मैं तुम्हें पिलाता हूं पानी,,,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से खड़ा हो गया लेकिन उसका लंड कुर्ते की आड़ में तंबू बनाया हुआ था जिस पर रूपाली की नजर पड़ते ही उसकी बुर पानी पानी हो गई,,, अपनी मामी की हालत को देखकर सुरज अपने मन में सोचने लगा कि काश मैं तुम्हारी दोनों टांगों के बीच मुंह लगाकर तुम्हारा पानी पी पाता तुम्हें अपनी प्यास बुझा देता और तुम्हारे मुंह में अपना देकर तुम्हारी प्यास बुझा देता,,,, अपने भांजे के खड़े लंड को देखकर रूपालीकी हालत खराब होने लगी सुरज वहा खड़ा होते हैं आगे की ओर बढ़ गया जहां पर बरसात का पानी गिर रहा था,,,,, वह थोड़ा अंधेरा था वहीं से एक नाली बनाकर ऊपर से पानी गिर रहा था जिस पर अपना दोनों हाथ सटाकर सुरज खड़ा हो गया और उसके हाथ में पानी गिरने लगा जिसकी धार नीचे गिरने लगी सुरज तुरंत बोला,,,.

जल्दी आओ मामी,,,,,

(अपने भांजे का जुगाड़ देखकर रूपालीमन ही मन प्रसन्न हो गई और अपनी जगह से खड़ी होकर तुरंत सुरज के पास आई और उसके दोनों हथेली में से गिर रहे पानी को खुद अपनी दोनों हथेली लगाकर अपने मुंह से हटा ली जिससे नीचे गिरने वाला पानी उसकी प्यास बुझाने लगा वह पानी पीने लगी लेकिन जिस तरह से वह झुकी हुई थी उसकी चूचियां ब्लाउज से बाहर नजर आ रही थी अगर एक भी बटन कमजोर होता तो शायद बटन तोड़ कर उसकी दोनों खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां बाहर निकल आती रूपालीपानी पी रही थी और सुरज पानी पिला रहा था लेकिन अपनी नजरों से अपनी मामी की जवानी देख रहा था,,, और अपने मन में कह रहा था कि तुम बरसात का पानी पी लो और मुझे अपना चूची का पानी पिला दो,,,, थोड़ी ही देर में पानी पीकर रूपालीअपनी प्यास बुझा ली थी,,, और फिर खुद सुरज की तरह करके खड़ी हो गई और सुरज उसी तरह से पानी पीने लगा दोनों पानी पी चुके थे लेकिन रूपाली को जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,,, इसलिए मधुभाई खड़ी होकर सुरज को अपनी जगह पर जाने के लिए बोली,,,।


सुरज तू जा मैं अभी आती हूं,,,


अरे यहां खड़ी खड़ी क्या करोगे देख नहीं रही हो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है,,,


अरे बुद्धू मैं जानती हूं तू जा तो सही मुझे काम है,,,

(सुरज समझ गया था कि उसकी मामी को जोरो की पेशाब लगी होगी इसलिए उसे वहां से जाने के लिए कह रही है इसलिए सुरज भी चुपचाप अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया वह अपनी मामी की नंगी गांड को देखना चाहता था जहां पर उसकी मात्र बाफना दे रहा था लेकिन वह जानता था कि रह-रहकर बिजली चमक रही थी और बिजली की चमक के उजाले में उसकी मामी एकदम साफ नजर आ जा रही थी ऐसे में उसकी गोरी गोरी गांड भी एकदम साफ नजर आएगी इसीलिए सुरज दूर जाकर भी अपनी निगाहों को

अपनी मामी से अलग नहीं कर पाया,,,, और सुरज के दूर जाते ही रूपालीअपना पेटीकोट को एकदम से कमर तक उठा दी थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि जहां पर वह खड़ी है वहां पर अंधेरा था और जलती हुई आग की रोशनी भी वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी ऐसे में उसका भांजा उसकी नंगी गांड को नहीं देख सकता,,, इसीलिए वह पूरी तरह से निश्चित थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जलती हुई आग के उजाले में ना सही,,,, पर बिजली की चमक में वह नजर आ जा रही थी और जैसे ही वह अपने पेटिकोट को अपनी कमर तक उठाई थी वैसे ही बिजली की चमक पूरे खंडार में फैल गई थी और उस चमक में सुरज को अपनी मामी की नंगी चिकनी गांट पानी में भीगी हुई नजर आने लगी जिसे देखते ही सुरज का लंड और ज्यादा कड़क हो गया सुरज अपनी जगह पर खड़ा था और कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर अपने लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया था शुरू से ही सुरज की कमजोरी उसकी मामी की गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड रही थी और उसे अपनी नजरों के सामने देखा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,।

जब जब बादल में बिजली चमकती थी तब तक कुछ क्षण के लिए उजाला हो जाता था लेकिन फिर अंधेरा ही अंधेरा ऐसा ही हुआ था,,, अपनी मामी की नंगी गांड देखने के तुरंत बाद अंधेरा हो गया था और रूपालीनीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानता था कि उसकी मामी पेशाब करने वाली है लेकिन अंधेरा होने की वजह से वह देख नहीं पा रहा था कि तभी फिर से बिजली की चमक फैल गई और सुरज को उसकी मामी बैठकर पेशाब करते हुए नजर आने लगी बारिश का शोर और हवाओं का जोर इतना तेज था कि पेशाब करने पर उसमें से आ रही सु मधुर आवाज सुरज के कानों तक बिल्कुल भी नहीं पहुंच पा रही थी रूपाली पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त थे और सुरज अपनी मामी की नंगी गांड देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था कि तभी दूसरी ओर से उसे एक लंबा सा सांप पानी में तैरता हुआ उसकी माह के पास जाता हुआ नजर आया वह तुरंत पास में पड़ा एक बड़ा लकड़ा उठा लिया,, लेकिन उसने अपनी मामी को सांप के बारे में बिल्कुल भी नहीं कहा वह धीरे-धीरे जाकर अपनी मामी के बेहद करीब खड़ा हो गया जहां पर उसे अपनी मामी के पेशाब करने की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रहा था तभी बिजली की चमक हुई और उसके उजाले में सांप उसकी मामी के बेहद करीब आता हुआ नजर आया और एक क्षण भी गवाह बिना सुरज उस बड़े लकड़ी के सहारे से सांप को उठाकर दूर पानी में फेंक दिया,,,, तब तक रूपालीको एहसास हो गया था कि उसके पास एक बहुत बड़ा सांप आ गया था और वह तुरंत खबर आकर खड़ी हो गई और तभी बादलों में तेज गड़गड़ाहट हुई जिसकी बदौलत मधुर एकदम से घबरा कर अपने भांजे के छाती से लग गई सुरज की तुरंत अपनी मामी को अपनी बाहों में जकड़ लिया,,,,,,, सांप पानी में दूर जा चुका था खतरा टल चुका था लेकिन सुरज के दिन की घंटी जोर-जोर से बचना शुरू हो गई थी क्योंकि उसकी मामी का भीगा बदन उसकी बाहों में आ गया था सुरज तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए लकड़ी को एक तरफ फेंक दिया और अपनी दोनों हथेली को अपनी मामी की नंगी गांड पर रखकर उसे जोर से दबा दिया पेटीकोट गीला होने की वजह से रूपालीके उठने के बावजूद भी उसका पेटिकोट उसकी कमर से चिपका ले गया था जिससे उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी,,, सुरज पूरी तरह से पलभर में ही मदहोश हो गया मधुर पूरी तरह से घबरा चुकी थी एक तो लंबा सांप और ऊपर से बादल की गड़गड़ाहट वह पूरी तरह से सहम गई थी और अपने भांजे के छाती में अपना मुंह छुपा दी थी लेकिन उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि एक खतरा तो टल चुका था लेकिन जिंदगी का दूसरा खतरा उसके सामने घंटी बजा रहा था उसका खड़ा लंड एकदम से उसकी नंगी बुर पर दस्तक देना शुरू कर दिया था जैसे ही रूपालीउसकी छाती से लगी थी,,, सुरज फुर्ती और चालाकी दिखाते हुए अपने कुर्ते को कमर से निकाल कर फेंक दिया था जिससे वह एकदम नंगा हो गया था और इसी का फायदा उसे प्राप्त हो रहा था कि इस समय उसका नंगा लंड उसकी मामी की नंगी बुर के ऊपरी सतह पर रगड़ खाने लगा था,,,,,,,।

रूपालीकी घबराहट के मारे गहरी गहरी सांस चल रही थी जिसकी बदौलत उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज की छाती पर उठ बैठ रही थी जिसके चलते राजु की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी सुरज लगातार अपनी मामी की गांड दबा रहा था,,,,,, जिसके चलते उसका लंड और भी ज्यादा कड़क हो गया था,,,, जैसे ही रूपालीको इस बात का एहसास हुआ कि वह अपने भांजे की बाहों में है और उसकी है दोनों हथेली उसकी नंगी चिकनी गांड पर है और उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के द्वार पर ठोकर मार रहा है वह पूरी तरह से सिहर उठी,,, वह पल भर में एकदम से चुदवासी हो गई,,,,,,,,, उसका मन कर रहा था किसी से भी अपनी दोनों टांगें खोलकर अपने भांजे का लंड को अपनी बुर के अंदर ले ले,,,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी जिसकी गवाह उसकी उखड़ी सांसे थी सुरज पूरी तरह से इस पल का मजा लेते हुए हालात का फायदा उठा रहा

था और अपनी मामी की गोरी गोरी नंगी गांड को अपनी हथेली में ले ले कर जोर जोर से दबा रहा था जिसका असर उसके बदन के साथ-साथ उसकी मामी के बदन में भी हो रहा था,,,,,,,। सुरज को लगने लगा था कि उसकी मामी अब इंकार नहीं कर पाएगी और उसके लंड को अपनी बुर में लेने की लेकिन तभी रूपालीको इस बात का एहसास हुआ कि जो कुछ भी हो रहा है गलत हो रहा है तुरंत अपने भांजे की बाहों से अलग हुई उसके चेहरे पर उत्तेजना और सर में दोनों साफ नजर आ रहे थे और वह धीरे से अपने पेटिकोट को नीचे सरकार ने लगे और अपनी नंगी चिकनी गांड को पर्दे के पीछे छिपा ली,,,, और बातों का रुख बदलते हुए बोली,,।


मुझे तो पता ही नहीं चला कि इतना बड़ा सांप मेरी तरफ आ रहा है,,,

मैं भी नहीं देखा था वह तो मेरी नजर पड़ गई मैं तुमको अगर आवाज देता तो तुम घबरा जाती तुम्हारा पांव फिसलने का डर रहता तुम पानी में गिर सकती थी इसलिए मैं कुछ बोला नहीं और तुम्हारे पीछे जाकर सांप को हटा दिया,,,

तू ना होता तो पता नहीं क्या होता,,,,,।
(इतना कहते हुए रूपालीवापस अपनी जगह पर आकर बैठ गई लेकिन कुछ क्षण पहले जो कुछ भी हुआ था वह उसे पूरी तरह से मदहोश बना रहा था वह पहली बार अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के मुख्य द्वार पर महसूस करके एकदम मस्त हो गई थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जब बाहर उसके भांजे का लंड इतना बवाल मचा रहा है तो अंदर जाकर क्या कहर ढाएगा,,,,, सुरज पूरी तरह से नंगा था क्योंकि उसने कुर्ते को ना जाने कहां फेंक दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इधर उधर ढूंढ रहा था तभी उसकी मामी बोली,,,।)

क्या ढूंढ रहा है,,,


तुम्हें सांप से बचाने के चक्कर में ना जाने मेरा कुर्ता कहां गिर गया,,,,


यहीं कहीं होगा,,,,


दिखाई नहीं दे रहा है,,,,


अब इस अंधेरे में तू कहां ढूंढेगा,,,,, अब सुबह में ही मिलेगा,,,,,

हां तुम सच कह रही हो मामी,,,(अपनी मामी के सामने नंगा रहने में सुरज को बहुत अच्छा लग रहा था और वह तुरंत नंगा ही आकर अपनी मामी के ठीक सामने आग के उस पार बैठ गया रूपालीको अपनी बेटी का लंड एकदम बराबर नजर आ रहा था एकदम खड़ा खूंटा की तरह जिसमें दमदार बेल को बांधा जाता था शायद औरत की उफान मारती जवानी को काबू में करने के लिए यही खूंटा काम भी आता है यही सोचकर रूपालीकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, रात गुजरने में अभी बहुत समय बाकी था अभी तो शुरुआत हुई थी लेकिन सुरज को गुस्सा आ रहा था कि वह इतना समय बीत गया लेकिन अभी तक अपनी मामी की जवानी पर काबू नहीं कर पाया था कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गए,,, जिस तरह के हालात दोनों के बीच पैदा हुए थे उसे देखते हुए दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी नहीं तो दोनों को बिल्कुल भी नहीं आ रही थी लेकिन रूपालीको थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी,,,,,, इसलिए वह बोली,,,।

बैठे-बैठे मैं थक गई हूं,,,,


कोई बात नहीं मैं तुम यही लेट जाओ मैं यहां लेट जाता हूं रुको मैं तुम्हारी साड़ी नीचे बिछा देता हूं,,,(इतना कहते ही सुरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और खोटे में टंगी हुई अपनी मामी की साड़ी को लेने लगा और रूपालीअपने भांजे के नंगे बदन को एक बार फिर से देखकर मदहोश होने लगी जब वह वापस आने लगा तो उसके हिलते हुए लंड को देखकर उसका धैर्य जवाब देने लगा सुरज भी अब इस रात का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए ज्यादा से ज्यादा अपनी मामी को उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा था वह तुरंत साड़ी को नीचे जमीन पर बिछाने लगा,,,,,)
आ जाओ इस पर तुम यहां लेट जाओ मैं वहां लेट जाता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपने मन में सोचने लगा की काश उसकी मामी उसे भी अपने पास लेटने के लिए बोलती तो कितना मजा आ जाता,,,,,, और तभी रूपालीबोली)

तू वहां जमीन पर क्यों मेरे पास ही आ कर लेट जा क्योंकि मुझे सांप से बहुत डर लगता है और अगर सांप आ गया तो मैं अकेले नहीं सोऊंगी,,,


क्या मैं इतनी बड़ी हो गई हो फिर भी डरती हो चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारे साथ लेट जाता हूं,,,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों साड़ी के ऊपर लेट गए रूपालीपीठ के बल लेटी हुई थी और सुरज अपनी मामी की तरफ मुंह करके लेटा हुआ था गहरी सांस चलने की वजह से रूपालीकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे सुरज को अपनी मामी का ब्लाउज ऊपर नीचे होता हुआ नजर आ रहा था जिसे देखकर वह कैसी हो रहा था कुछ देर तक दोनों खामोश रहे रूपालीके तन बदन में आग लगी हुई थी वह भी पुरुष संसर्ग के लिए तड़प रही थी खास करके अपने भांजे के लिए अपनी बेटी के लंड को अपने दिल की गहराई में महसूस करना चाहती थी उसका धैर्य पूरी तरह से जवाब दे रहा था,,,, लेकिन शर्म और मर्यादा की दीवार उसे रोक रही थी वह लाला और उसकी बहन के बारे में सोचने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि क्या यह सच में हो सकता है इसीलिए अपनी शंका को दूर करने के लिए वह फिर से अपने भांजे से बोली,,,)

क्या सच में लाला अपनी बहन के साथ था,,,,
(अपनी मामी का यह सवाल सुनकर सुरज अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगा,,,, वह समझ गया कि उसकी मामी के दिल में भी कुछ-कुछ हो रहा है इसलिए वह फिर से बोला,,,)

हां मैं मैं सच कह रहा हूं तभी तो लाला मेरी हर एक बात मानने लगा उसका राज राज रखने के लिए पहले तो वह मुझे भी बोला कि मुंह चुप करने के बदले में वह भी मेरी बहन की चुदाई कर ले लेकिन मैं ऐसा करने से डर रहा था क्योंकि मैं ऐसा करता तो शायद वह मुझ पर गलत इल्जाम लगवा कर मुझे मरवा सकता था,,,,


क्या कर तेरा मन करता है तो तू भी लाला की बहन के साथ वह सब करता जो लाला कर रहा था,,,,


जरूर कर लेता लेकिन उससे पहले मुझे अपना कर्जा माफ करवाना था आमदनी कमाना था इसलिए मैं उसकी बहन को छोड़कर अपना कर्जा माफ करवाया,,,,।

दैया रे दैया मैं तो सोच भी नहीं सकती थी ऐसे इंसान भी दुनिया में है जो अपनी ही बहन और अपनी ही मामी के साथ ऐसा करते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए वह खुद दूसरी तरफ करवट लेकर घूम गई और अपनी गांड को अपने भांजे के लंड के सामने परोस दी क्योंकि वह भी उसी तरह से लेटा हुआ था,,,, रूपालीगहरी सांस लेते हुए बोली)
मुझे ठंड लग रही है,,,,


कह तो रहा था मैं तुम्हारे कपड़े गीले हो गए हैं उसे उतार दो तो तुम्हें शर्म के मारे अपने कपड़े नहीं उतार रही हो यहां पर मुझसे कैसी शर्म,,,, चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हें गर्मी देने की कोशिश करता हूं ,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह खुद ही आगे सरक गया और अपने बदन को अपनी मामी के बदन से एकदम से हटा दिया ऐसा करने से उसका खड़ा लैंड सीधे-सीधे उसकी मामी की गांड पर रगड़ खाने लगा रूपालीएकदम से मचल उठी लेकिन बोली कुछ नहीं उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसके भांजे का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर ठोकर लगा रहा था और उसी गर्मी देने की कोशिश कर रहा था सुरज की हरकत से उसे थोड़ी गर्माहट महसूस होने लगी थी और सुरज भी अपना एक हाथ आगे से ऊपर की तरफ लाकर अपनी मामी के ऊपर रखकर उसे अपनी बाहों मे जकड़ते हुए बोला,,,,,)


थोड़ी गर्मी मिली,,,,

हां अब थोड़ा ठीक लग रहा है,,,,


अगर अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो तुम्हें ठंड लगने नहीं देता,,,,


नहीं मुझे शर्म आती है अगर मैं अपने कपड़े उतार कर तेरे सामने नंगी हो गई तो मैं सोच रही हूं कि कहीं तू भी लाला और श्याम की तरह ना बन जाए,,,,


क्या बात तुम भी मुझे उन लोगों की तरह समझी हो ऐसा करना होता तो अब तक मेरा लंड तुम्हारी बुर की गहराई नाप रहा होता मैं तुम्हें चोदचुका होता,,,,
(सुरज पूरी तरह से अपनी मामी से बेशर्मी भरी बातें कर रहा था यह सुनकर रूपालीपूरी तरह से गनगना गई थी और वह बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती मुझसे इस तरह की बातें करते हुए,,,


तुमसे शर्म करूंगा तो अपने मन की बात किस से कहूंगा,,, वैसे भी मैं तुमसे बहुत कुछ बता चुका हूं जो कि तुम्हें नहीं बताना चाहिए था क्योंकि मैं तुम्हें जानता हूं कि तुम बहुत अच्छी हो मेरी बात का बुरा नहीं मानोगी,(एक तरफ सुरज अपनी बातों से अपनी मामी का दिल बहला रहा था और दूसरी तरफ अपने लंड को और ज्यादा अपनी मामी की गांड से रगड़ रहा था और अपना हाथ आगे की तरफ लाकर अपनी मामी की चूची पर रख दिया था लेकिन उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था वह सिर्फ मौके की तलाश में था लेकिन अपने भांजे की हरकत से रूपालीपूरी तरह से गर्म हुए जा रही थी वह समझ गई थी कि अब वापस लौटना मुश्किल है,,,,)

तेरी बात का मुझे बुरा नहीं लगता सिर्फ डरती हु कि हम दोनों के बीच कुछ ऐसा ना हो जाए जो कि जमाने को पता चले तो हम दोनों बदनाम हो जाए,,,


ऐसा कुछ भी नहीं होगा अगर हम दोनों के बीच ऐसा कुछ होता है तो यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगा,,,,,(सुरज दोनों तरफ से अपनी मामी को घेर रहा था,,, एक तरफ अपनी गंदी अश्लील बातों से अपनी मामी के तन बदन में उत्तेजना फैला रहा था और उसे बैठने पर मजबूर कर रहा था और दूसरी तरफ उसे उसकी गांड पर अपने लंड की गर्मी देखकर उसकी बुर का पानी पिला रहा था ऐसा होता हुआ महसूस करके रूपालीखुद मचल रही थी,,,,, सुरज कैसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया उसकी बाहों में आ गई हो वह पूरी तरह से नंगा था उसकी मामी के बदन पर केवल पेटीकोट और ब्लाउज ही था लेकिन फिर भी सुरज अपने लंड के बलबूते पेटीकोट सहित अपने लंड को अपनी मामी की गांड में खेल रहा था जिसे खुद रूपालीमहसूस करके अपने भांजे की मर्दाना ताकत पर गदगद हुए जा रही थी,,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से लेटे रहे बाहर बारिश अपना जोर दिखा रही थी और अंदर सुरज अपनी मर्दानगी का जोर दिखा रहा था,,, सुरज चाहता था कि उसकी मामी कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,, इसलिए कुछ देर तक खामोश रहने के बाद वह बोला,,,,।)

तुम अगर अपने सारे कपड़े उतार देती तो और अच्छा रहता ऐसे में तुम भी बीमार हो जाओगी और मैं भी तुम्हारे गीले कपड़ों की वजह से बीमार हो जाऊंगा,,,,
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक तरफ तो वो खुद ही अपने कपड़े उतार कर अपने भांजे की बाहों में नंगी होना चाहती थी,,, लेकिन दूसरी तरफ वह मामी भांजे के बीच के रिश्ते की वजह से लाचार नजर आ रही थी,,, फिर भी मामी भांजे के रिश्ते पर वासना के रिश्ते का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा था कुछ देर साथ रहने के बाद रूपालीबोली,,,)
 
Member
289
105
28
अगर मैं ये भी उतार दूंगी तब तो मैं नंगी हो जाऊंगी,,,,


अरे तो क्या हो गया मा,,, इस तूफानी बारिश में इस जंगल में इस खंडार में मेरे और तुम्हारे सिवा तीसरा है कौन तीसरा है यह बेल जो कि कभी कुछ बोलने वाला नहीं है,,,


तू पागलों जैसी बात करता है,,,(बेल का नाम सुनकर रूपालीके होठों पर हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोली)

मुझे देखो मैं एकदम नंगा हूं ना घर में भी शर्म करता तो मैं भी गीले कपड़े पहने रहते और बीमार पड़ जाता,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज उत्तेजित होते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल कर अपने मोटे तगड़े लंड की हाजिरी अपनी मामी को महसूस कराने लगा,,,, अपने भांजे की बात और उसकी हरकत से रूपालीका मन विचलित हो जा रहा था वह उत्तेजित हो रही थी मदहोशी उसके बदन पर छाने लगी थी उसका मन कर रहा था कि हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने भांजे के नंगे लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,)

तेरी बात कुछ और है तू लड़का है,,,

लड़का नहीं हूं पूरा मर्द बन चुका हूं मेरे लंड की ठोकर को महसूस नहीं कर रही हो क्या,,,,(सुरज पूरी तरह से अपनी मामी को अपने काबू में करना चाहता था अपने बस में करना चाहता था इसीलिए खुले शब्दों में अपनी मामी को अपने मन की बात का इशारा दे रहा था)

सो तो हो रहा है,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन फिर भी मगर अपने कपड़े का उतार कर नंगी हो जाऊंगी तो मुझे देख कर मुझे डर है कि कहीं तेरा मन बहक ना जाए,,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज समझ गया था कि उसकी मामी भी नंगी होना चाहती है इसलिए अपनी मामी को दिलासा देने का नाटक करते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं बहकेगा बहकना होता तो अब तक तो मैं तुम्हारा साया ऊपर करके अपने लंड को तुम्हारी बुर में डाल दिया होता,,,,
(सुरज जानबूझकर अपनी मामी को इस तरह की बातें करते हुए अपने मन का इरादा बता रहा था वह क्या-क्या कर सकता है वह बता रहा था और उसकी मामी अपने भांजे की बातें सुनकर अंदर ही अंदर सिहर उठती थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर तूफान मार रही थी)


सच कहता है ना नहीं बहकेगा,,,,


बिल्कुल भी नहीं मामी विश्वास नहीं आता है तो एक बार उतार कर तो देखो,,,,,,,


लेकिन मेरी वजह से तो तेरा खड़ा हो रहा है,,,


क्या खड़ा हो रहा है,,,?(सुरज सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला वह अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था)

वही जो मेरी गांड पर चुभ रहा है,,,,


लेकिन बताओगी मुझे तो नहीं लग रहा है कि कुछ चुभ रहा है मैंने कौन सा कांटा लगा रखा है,,,,,

तू सब जानता है कि क्या चुभ रहा है और तू क्या चुभा रहा है,,,,,,,

मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा है मैं तो तुम्हें अपनी बाहों में भर कर तुम्हें सिर्फ गर्मी देने का काम कर रहा हूं,,,


हां और यह गर्मी तू कहां से दे रहा है,,,, तेरे लंड से जो कि मेरे बदौलत खड़ा हो गया है,,,

अरे ये,,,(इतना कहने के साथ ही अनजान बनता हुआ सुरज अपना हाथ तुरंत नीचे लेंगे और अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी की गांड पर पटकते हुए बोला,,,) यह तो मैं ऐसे ही तुम्हारे बदन की गर्मी से खड़ा हो गया है और इसमें भी तुम्हें गर्व करना चाहिए कि इस उम्र में भी तुम्हें देखकर मेरे जैसे जवान लड़कों का लंड खड़ा हो जाता है,,,

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली चुदवासी हुए जा रही थी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह धड़कते दिल के साथ बोली,,,)

वही तो बुद्धू जब तेरा खड़ा हो गया है तो तू आगे भी कुछ कर सकता है,,,,


तुम्हें चोदने का,,,, नहीं नहीं ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं करूंगा यह तो औपचारिक रूप से है कि किसी का भी खड़ा हो जाए तुम्हारी जैसी खूबसूरत जवानी देख कर लेकिन इससे आगे मैं नहीं बढुंगा,,,,

सच कह रहा है ना,,,,

बिल्कुल मामी मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,,


चल तो ठीक है मैं अपने कपड़े उतार देती हूं लेकिन तू कुछ करना नहीं,,,,( और इतना कहने के साथ ही रूपालीउठ कर बैठ गई और अपने हाथों से अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी ,,,,,,, सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा वह अपनी मामी की तरफ देख रहा था उसकी मामी अपने गले ब्लाउज का बटन धीरे-धीरे खोल रही थी सुरज का दिल जोर से धड़कने लगा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मामी अपने हाथों से अपना ब्लाउज उतार कर उसकी नंगी चूचियों का उसी दर्शन जो कराने वाली थी,,,, सुरज मन ही मन तेज बारिश के लिए शुक्रिया अदा कर रहा था अगर यह तेज तूफानी बारिश ना होती तो शायद इस तरह से अपनी मामी के साथ उसे समय बिताने को कभी नहीं मिलता,,,,, रूपालीहिचकीचा रही थी लेकिन,,, इस तरह से अपने भांजे के सामने अपने ब्लाउज उतारने में उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था जैसे-जैसे रूपालीएक-एक करके अपने ब्लाउज के बटन को रही थी वैसे वैसे सुरज अपनी लंड को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था और रूपालीतिरछी नजरों से अपने भांजे की यह हरकत देखकर पानी-पानी हो रही थी,,, देखते ही देखते रूपालीअपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन

खोल कर अपनी बेलगाम चुचियों को आजाद कर दी ब्लाउज का आखरी बटन खुलते ही रबड़ के गेंद की तरह रूपालीकी दोनों चूचियां उछल कर बाहर आ गई जो की जलती हुई आप की रोशनी में सुरज को एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया था,,,, रूपालीअपनी आंखों से अपने भांजे की हरकत को देख रही थी लेकिन उसे रोक बिल्कुल भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने भांजे की हरकत से आनंद मिल रहा था वह तिरछी नजरों से अपने भांजे के बमपिलाट लंड को देख रही थी,,,,,,,।

रूपालीअपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी ब्लाउज को अपने बाहों में से निकाल रही थी और देखते ही देखते रूपालीअपने बदन से ब्लाउज उतार कर बगल में रख दी और बोली,,,,।

ले मैंने तेरा कहां मानते हुए अपना ब्लाउज उतार दी,,, अब तो ठीक है ना,,,,(, रूपालीउसी तरह से बैठे हुए बोली लेकिन अपनी मामी की नंगी चूचियों को देखकर सुरज से रहा नहीं गया और वह भी उठ कर बैठ गया और अपनी मामी की चुचियों को प्यासी नजरों से देखते हुए बोला,,,)

बाप रे तुम्हारी चूचियां तो कितनी खूबसूरत है मामी एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल इसमें बिल्कुल भी लायक नहीं है एकदम तन कर खड़ी है मानो कि किसी जवान लड़की की चूचियां हो,,,,(सुरज अपनी मामी के सामने बिना शर्म किए बेशर्म की तरह अपनी मामी की छातियों की तरफ देखे जा रहा था और अपनी मामी की चुचियों की तारीफ किए जा रहा था रूपालीको अपने भांजे के मुंह से अपनी चूची की तारीफ सुनकर बहुत ही ज्यादा गर्व का अनुभव हो रहा था लेकिन फिर भी वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आ रही है इस तरह की बातें करते होगे और हां तुझे कैसे मालूम की लड़कीयों की चुचियां कसी हुई और तनी हुई होती है और औरतों की ढीली लचकदार हो जाती है,,,,


हां मैंने देखा है ना,,,,(अब सुरज समझ गया था कि अपनी मामी के सामने शर्म करने का कोई फायदा नहीं है अगर शर्म करेगा तो कर्म फूट जाएंगे इसीलिए वह पूरी तरह से बेशर्म बन जाना चाहता था,,,)

तूने देखा है लेकिन किसकी देखा है,,,,(रूपालीभी अब थोड़ी बेशर्मी पर उतर आई थी क्योंकि उसे भी समझ में आ गया था कि बेशर्मी करने में कितना मजा आता है)


अरे अपना श्याम है ना मैं पढ़ने के लिए जाता था तो उसे घर पर बुलाने जाता था और ऐसे ही उसके घर पर पहुंच गया था तो देखते ही देखते मैं उसके घर के अंदर तक पहुंच गया और वहां देखा कि उसकी बहन झुमरी एकदम नंगी होकर नहा रही थी,,,

क्या एकदम नंगी होकर,,,(रूपालीआश्चर्य जताते हुए बोली)


हां मा एकदम नंगी होकर मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था वह मेरी तरफ पीठ करके नहा रही थी तब मंजू गोरी चिकनी उसकी गांड एकदम गोल-गोल थी,,, मैं वहां से चला जाना चाहता था लेकिन मैं वहां से ही भी नहीं पाया,,, और वह जैसे ही घूमी मेरे तो होश उड़ गए उसकी नंगी चूचियां एकदम कसी हुई थी और सच कह रहा हूं मैं तुम्हारी चूचियां देखकर मुझे यकीन हो गया है कि तुम बहुत खूबसूरत हो इस उम्र में भी झुमरी जैसी लड़कियों से पानी भरवा दो उसकी चूची और तुम्हारी चूची में जमीन आसमान का फर्क है उसकी चूचियां तो संतरे जैसी है लेकिन तुम्हारी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह है कसम से मामी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,।
(सुरज अपनी मामी की खूबसूरती की तारीफ गंदे शब्दों में करे जा रहा था और रूपालीअपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हुए जा रही थी,,,, रूपालीबार-बार अपनी चोर नजरों से अपने भांजे के खड़े नंदी को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर वह अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेगी तो उसके भांजे का लंड उसकी बुर में कहर मचा देगा,,,, वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पति का लंड उसके भांजे के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,,, सुरज और रूपालीअपने अपने मन में अपनी भावनाओं के बवंडर में फंसते चले जा रहे थे और तभी बादलों की तेज गड़गड़ाहट हुई और रूपालीएकदम से चौकते हुए बोली,,,।



लगता है आज रात भर बरसात बंद नहीं होगी,,,,(अपनी चुचियों की तरफ देखते हुए) अभी भी ठंड महसूस हो रही है,,,,


पेटीकोट भी उतार दो तब जाकर तुम्हें सही लगेगा क्योंकि पेटीकोट भी गीली है,,, और अभी तो पूरी रात बाकी है सो नहीं पाओगी,,,,


बात तो तू सच ही कह रहा है,,,,,,, लेकिन झुमरी जब तेरी तरफ घूमी थी तो क्या उसने तुझे देखी नहीं थी,,,,

मुझे देख ली थी मैं तो एकदम से घबरा गया था लेकिन मेरी नजर जीस हिस्से पर जाकर रुकी थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,

किस हिस्से पर,,,,(धड़कते दिल के साथ रूपालीबोली)

उसकी बुर पर,,,(सुरज बेझिझक अपनी मामी के सामने ही गंदे शब्दों में बोला अपने भांजे के मुंह से सीधी सपाट बुर शब्द सुनते ही रूपालीकी खुद की बुर उछलने लगी,,,,)

क्या यह क्या कह रहा है तू,,,

हां मामी मैं सच कह रहा हूं जिंदगी में पहली बार में किसी लड़की की बुर को देख रहा था इसलिए मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,,(अपनी मामी के सामने इस तरह से खुले और गंदे शब्दों में बात करते हुए सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया था,,, जिसे वहां अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने हाथ से हिला दे रहा था और जिसे देखकर रूपालीके तन बदन में आग लग जा रही थी,,,।)


बहुत खूबसूरत थी क्या उसकी,,,,(अपनी नजरों को नीचे किए हुए वह बोली एक औरत होने के नाते औरतों के प्रति ईर्ष्या उसके मन में भी कुछ क्षण के लिए जागने लगा था क्योंकि उसका भांजा झुमरी के बुर की तारीफ कर रहा था लेकिन सुरज भी चला था वह अपने जवाब में चला कि दिखाते हुए बोला)


मैंने तो पहली बार देखा था इसलिए मुझे तो बहुत खूबसूरत लग रही थी मैंने दूसरे की तो देखा नहीं हूं कि उसकी बुर से दूसरी की बुर की तुलना कर सकूं,,,,,।

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरो से धड़कने लगा हुआ किसी ना किसी बहाने अपने भांजे को अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी उसे अपनी बुर की खूबसूरती से वाकिफ कराना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका भांजा एक बार उसकी बुर को देख लेगा तो उस पर पूरी तरह से मोहित हो जाएगा,,,, इसलिए वह बोली,,,)

मुझे तो अभी भी ठंड लग रही है,,,(अपनी दोनों बाहों को आपस में मिलाते हुए अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को बाहों के घेरे में छुपाते हुए रूपालीबोली)

कह तो रहा हूं,,,,, पेटीकोट भी उतार दो अभी तो पूरी रात बाकी है,,,, गीली पेटीकोट में सो नहीं पाओगी,,,।
(अपने भांजे की बात सेवा पूरी तरह से सहमत थी लेकिन ऐसा नहीं था कि वह समझ नहीं रही हो कि उसका भांजा उसके फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने मन की करने के लिए उससे पेटीकोट उतरवाकर उसे नंगी करना चाहता है,,, फिर भी वे इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि गीले पेटीकोट में उसे भी नींद नहीं आएगी और बीमार पड़ने का डर अलग से रहेगा,,,, वैसे भी जिस तरह से उसने अपने भांजे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज के बटन खोल कर उसे उतार कर अपनी चुचियों को नंगी कर दी थी उसी तरह से वह अपनी पेटीकोट को उतार कर अपने भांजे के सामने एकदम नंगी हो जाना चाहती थी इसमें उसे अजीब सा सुख भी प्राप्त हो रहा था इसलिए वह बोली,,,,)

बात तो तो ठीक ही कह रहा है अभी तो सुबह होने में पूरी रात बाकी है और रात भर जाग भी नहीं सकते और इस गीले कपड़े में रह भी नहीं सकते,,,,, एक काम कर तू ही उतार दे मेरी कमर दुख रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,।
(अपनी मामी की है बात सुनते ही सुरज का लंड टन टना कर ठुनकी मारने लगा,,,, सुरज का दिल खुशी से झूम उठा यह तो ऐसा ही हो गया था कि बिल्ली को ही दूध की रखवाली करने के लिए बोला जा रहा है सुरज को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए वह फिर से बोला,,,)

क्या कहा मामी तुमने,,,

अरे ले तू ही उतार दे,,,, मेरी कमर दर्द कर रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,


ठीक है मा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,, जब तक मैं हूं तुम्हें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,
(अपने बेट६ की बात सुनकर रूपालीमुस्कुराते हुए पेट के बल लेटने लगी लेकिन तिरछी नजरों से अपने भांजे के खड़े लंड को देख रही थी उसके लंड की मोटाई लंबाई देखकर रूपालीकी बुर पानी फेंक रही थी,,,, रूपालीपीठ के बल लेट चुकी थी और सुरज अपनी मामी की पेटीकोट की डोरी खोलने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका था ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत के पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नंगी करने जा रहा था ऐसा वह बहुत बार कर चुका था लेकिन आज जो सुकून से अपनी मामी का पेटीकोट उतारकर उसे नंगी करने में मिलने वाला था वैसा सुख उसे अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था जिसके बारे में सोच कर ही उसका दिल बलि्लयो उछल रहा था,,,,, रूपालीपीठ के बल लेट चुकी थी सुरज एक नजर अपनी मामी के खूबसूरत चेहरे की तरफ दौड़ाया और तुरंत अपनी नजरों को नीचे की तरफ ले जाते हुए उसकी खरबूजे जैसी चुचियों से नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,, और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपनी मामी की पेटीकोट की डोरी में उलझा दिया अपनी मामी की गहरी नाभि और कमर देखकर उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की कमर थामकर धक्के पर धक्के लगाए,,,, सुरज की उंगलियां हरकत करना शुरू कर दी थी और अपने भांजे की हरकत को देखकर रूपालीकसमसा रही थी उसके बदन में उत्तेजना का फुहार फूट रहा था जो कि उसकी बुर से निकल रहा था देखते ही देखते सुरज अपनी मामी के साए की डोरी को खोल दिया और कमर पर कसी हुई पेटीकोट एकदम से ढीली हो गई सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने दोनों हाथों से अपनी मामी के पेटीकोट को पकड़ लिया था उसे नीचे की तरफ खींचना शुरू कर दिया था रूपालीयह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी भारी-भरकम कान के नीचे से पेटीकोट बाहर नहीं निकल पाएगी इसलिए अपने भांजे की सहायता करते हुए वह अपनी भारी भरकम

गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी और इसी मौके की ताक में,,, सुरज तुरंत अपनी मामी की पेटीकोट को उसकी कमर से नीचे की तरफ खींच लिया और पलक झपका आते हैं पेटीकोट को उसकी गोरी गोरी जांघों के नीचे लाते हुए उसके पैर से बाहर निकाल दिया इस समय रूपालीअपने भांजे की आंखों के सामने पूरी तरह से महंगी हो चुकी थी जलती हुई आग की रोशनी में सुरज भौचक्का सा अपनी मामी के नंगे बदन को देख रहा,,, था ऐसा नहीं था कि सुरज पहली बार अपनी मामी को नंगी देख रहा था पहले भी वह कई बार अपनी मामी को नंगी और उसे चुदवाते हुए देख चुका था लेकिन आज पहली बार इतने करीब से उसके नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौंधिया दिया जा रही थी,,,, अपने भांजे की आंखों में वासना का उठता हुआ तूफान देखकर रूपालीके तन बदन में आग लग रही थी उसके चेहरे को उसकी भावनाओं को और उसके इरादों को रूपालीअच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि बस उसके इशारे करने की देरी है उसका भांजा उसके ऊपर टूट पड़ेगा और फिर उसे अद्भुत सुख देगा,,,,,।

बरसात का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था जिस तरह से शुरुआत हुई थी उसी तरह से अभी तक बारिश का पानी गिर रहा था वही तेज हवाएं वही बिजली की गड़गड़ाहट पूरे वातावरण को भयानक बना रही थी लेकिन ऐसी भयानक तूफानी बारिश में भी खंडहर के अंदर का माहौल पूरी तरह से मदहोशी से भरा हुआ था दोनों मामी भांजे एकदम नग्न अवस्था में एक दूसरे को देख रहे थे भांजा किसी भी वक्त अपने लंड को अपनी मामी की बुर में डालकर उसकी अद्भुत चुदाई कर सकता था लेकिन अपने अनुभव से सुरज समझ गया था कि अब उसकी मामी की बुर में लंड डालने से उसे कोई नहीं रोक सकता इसलिए वह इस खेल को थोड़ा और आगे धीरे-धीरे बढ़ाना चाहता था रूपालीअपने भांजे की आंखों के सामने पीठ के बल एकदम नंगी लेटी हुई थी और उसकी आंखों में शर्म के साथ-साथ उत्तेजना भी नजर आ रही थी वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ शर्म के मारे घूमाए हुए थे और सुरज था कि,, उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी वह एकदम बेशर्म में बन चुका था शायद बेशर्म बनने के बाद ही जिंदगी का असली सुख मिलता है,,,,, अपनी मामी के नंगे बदन को देखते हुए खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को,,,, सुरज पूरी तरह से सम्मोहित हुआ जा रहा था और वैसे भी झुमरी का जिक्र आते ही जिस तरह से सुरज ने उसकी बुर की तारीफ किया था उसे सुनकर रूपालीथोड़ा सा शक पका गई थी वह अपनी खूबसूरती के आगे किसी और की खूबसूरती की तारीफ सुनना पसंद नहीं कर पा रही थी वह भी खास करके अपने भांजे के मुंह से इसलिए वह किसी भी तरह से अपने भांजे को अपनी बुर करना चाहती थी और पूछना चाहती थी कि उसकी बुर कैसी दिख रही है,,,,,,,, रूपालीअपने भांजे से कुछ पूछ पाती इससे पहले ही सुरज अपना पासा फेंकते हुए बोला,,,,।


बाप रे इतनी खूबसूरत बुर मैंने आज तक नहीं देखा गौरी की बुर तो तुम्हारे बुर के आगे कुछ भी नहीं है मा,,,,,
(बस यही तो रूपालीअपने भांजे की मुंह से सुनना चाहती थी खासकर की गौरी की बुर से तुलनात्मक स्थिति में उसका भांजा अपनी मामी की बुर को उत्कृष्ट साबित कर रहा था इसलिए गर्व के मारे रूपालीगदगद हुए जा रही थी और सुरज अपनी मामी की बुर की तारीफ के पुल बांध रहा था)
कसम से मामी मैंने आज तक इतनी खूबसूरत सुंदर‌ बुर नहीं देखा जान पड़ता है कि जैसे किसी ने रेत में अपनी उंगली से लकीर खींच दी या हो,,,,, कसम से मामी मेरी तो हालत खराब होती जा रही है तवे पर रखी हुई रोटी की तरह तुम्हारी बुर एकदम से फुल गई है,,,,,,,, मैं तुम्हारी बुर को छूकर देखना चाहता हूं मां,,(अपनी मामी की तरफ देखते हुए लेकिन अपने भांजे की बात सुन तो शर्म के मारे रूपालीअपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली और सुरज किसी को ही अपनी मामी की तरफ से इजाजत समझ लिया और अपनी हथेली आगे बढ़ाकर पूरी की पूरी हथेली को अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे ढक लिया मानो कि जैसे वह कचोरी को अपनी हथेली में लेकर छुपा लिया हो,,,, बुर की गर्मी सुरज से बर्दाश्त नहीं हो रसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहहह ओहहहहह मामी तुम्हारी बुर तो एकदम भट्ठी की तरह चल रही है इसकी अपन मुझे अपने बदन में महसूस हो रही है तुम्हारी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है,,,, रुको मैं कपड़े से इसका पानी साफ कर देता हूं,,,,,(पर इतना कहकर सुरज पास में पड़ी अपनी मामी की पेटीकोट को उठा दिया रूपालीकी हालत एकदम खराब होते जा रही थी जिस तरह से सुरज ने अपनी हथेली पर रखकर अपनी मामी की बुर को अपनी हथेली में भर लिया था उससे वह पूरी तरह से गरमा गई थी और पिघलने लगी थी,,,,, सुरज तुरंत पेटिकोट को अपने हाथ में लेकर अपनी मामी की बुर पर लगाकर उसके निकले पानी को साफ करने के बहाने एक उंगली पेटीकोट के कपड़े में फंसा कर उसे अपनी मामी की बुर्के गुलाबी छेद के लकीर में नीचे से ऊपर की तरफ सर काते हुए पानी साफ करने लगा,,, रूपालीको साफ महसूस हो रहा था कि उसका भांजा अपनी उंगली को उसकी बुर की गहराई में डालने की कोशिश कर रहा था

इससे वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहरहह भांजा,,,,,।

क्या हुआ मामी,,,,,

कककक‌क कुछ नहीं,,,,,(अपनी उफान मारती सांसो को काबू करते हुए बोली सुरज समझ गया था कि उसकी मामी को मजा आ रहा है इसलिए अपनी हरकत को और बढ़ाते हुए बोला)

तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है मां,,,,(और इतना कहने के साथ ही फिर से कपड़े से अपनी मामी की बुर को साफ करने के बहाने उसकी बुर में उंगली डालने लगा ऐसा करने से मत हो कि तन बदन में आग लग रही थी वह अपना धैर्य खो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आनंद की अनुभूति उसे पूरी तरह से अपने में समा लेना चाहती थी,,,,, सुरज एक तरफअपनी हरकत को जारी किए हुए था और दूसरी तरफ अपनी मामी को अपनी बातों से बहला रहा था,,,)

ओहहहह तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा नंगी होने के बाद तो तुम ऐसी करती हो जैसे कुदरत का बनाया हुआ कोई करिश्मा हो तुम्हारी बुर लाखों में एक है मैंने आज तक ऐसी दूर नहीं देखा कसम से इस को चूमने का मन कर रहा है,,,, तुम्हारी इजाजत हो तो मैं इस पर अपने होंठ रख दूं,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी रूपालीको समझ में आ गया था कि अब वह पीछे हटने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि उसके भांजे की हरकत ने उसके बदन में आग लगा दिया था और वह किसी भी तरह से इस आग को बुझाना चाहती थी अपने भांजे की फरमाइश सुनकर वह शर्मा कर अपनी पलकों को नीचे झुका ली जो कि अभी तक वह उसकी तरफ देख रही थी,,,, पर झुकी हुई पलकों को सुरज अपनी मामी की तरफ से आमंत्रण समझ कर अपने पैसे होठों को अपनी मामी की बुर के करीब ले जाने लगा जैसे जैसे सुरज अपने होंठ को अपनी मामी की बुर के करीब लेकर जा रहा था वैसे वैसे रूपालीकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसके साथ ही उसकी चुचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी,,,,। सुरज की तमन्ना उसकी ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी आज की रात उसकी जिंदगी की बेहद हसीन और अविस्मरणीय है रात होने वाली थी ऐसी तूफानी बारिश में उसे इस तरह का आनंद मिलेगा और वह भी अपनी मामी के साथ वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था देखते ही देखते सुरज कभी प्यासे होठों को अपनी मामी की दहकती हुई बुर पर रख दिया,,, रूपालीएकदम से कसमसा गई,,, यह अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था एकदम तरोताजा उसके दिलो-दिमाग पर अब सुरज पूरी तरह से छा चुका था सुरज तो अपनी मामी को सिर्फ उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने की फरमाइश किया था लेकिन जैसे ही वह अपने प्यासे होठों को अपनी मामी की भट्टी जैसी तपती हुई बुर पर रखा उसके इरादे पूरी तरह से पिघलने लगे,,,, पहले से ही उसकी मामी ढेर सारा पानी छोड़ रही थी और सुरज अपनी जीभ को अपनी मामी की गुलाबी छेद पर रखते ही वह बड़ी चालाकी से चुंबन लेने के बहाने अपनी जीभ को अपनी मामी की गुलाबी छेद के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, उसकी मामी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से तड़प उठी,,, सुरज अब रुकने वाला बिल्कुल भी नहीं था,,,, उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी वह अपनी जीत से अपनी मामी की बुर को चाटना शुरू कर दिया कभी उसके फूले हुए हिस्से को चाटता तो कभी गुलाबी पत्ती को चाटता तो कभी बुर के अंदर अपनी जीभ डाल कर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दे रहा था,,,, सुरज पूरी तरह से अपना अनुभव अपनी मामी के ऊपर आजमा रहा था और उसकी मामी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से पानी पानी में जा रही थी बार-बार उसकी बुर से पानी निकल जा रहा था,,,,।

तूफानी बारिश में सुरज अपनी मामी की बुर चाटने में लगा हुआ था और उसकी मामी अपने भांजे की बुर चटाई से पूरी तरह से मस्ती में डूबती चली जा रही थी,,, थोड़ी देर में उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी और उसे गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर सुरज के हौसले और ज्यादा बुलंद होने लगे,,,, सुरज अपनी मामी की बुर से अपना मुंह हटाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था,,,, वह पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मामी खुद ईतनी चुदवासी हो जाएगी कि खुद ही उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठेगी,,,, देखते ही देखते सुरज पागलों की तरह अपनी मामी की बुर के निचले छोड़ से ऊपरी किनारे तक जीप से लपालप चाट रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे फिर से भरा हुआ कटोरा उसे मिल गया हो और वैसे भी एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की थाली रखी है और एक तरफ औरत की खूबसूरत दूर रखी हो तो मर्द की पहली पसंद और आखरी सिर्फ और सिर्फ औरत की बुर ही होगी भले ही पेट से भूखा हो लेकिन तन से भूखा रहना वह कभी पसंद नहीं करेगा,,,,।


सहहहरह आहहहहह सुरज यह क्या कर रहा है,,,आहहहहहहह तू तो सिर्फ चुम्मा लेने के लिए बोला था यह अपनी जीभ डाल कर क्या कर रहा है,,,,आहहहहहहह
राजू,,,,,

कुछ नहीं मामी तुम्हारी बुर में मलाई ज्यादा इकट्ठी हो गई है उसे अपनी जीभ से निकाल कर जा रहा हूं और सच पूछो मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,(सिर्फ सुरज अपनी मामी को जवाब देने के लिए अपना मुंह अपनी मामी की बुर से हटाया था और फिर वापस उसी कार्य में जुट गया था अपनी मामी की बुर चाटते हुए सुरज का लंड पूरी तरह से हथोड़ा की तरह कड़क हो गया था जो कि किसी भी वक्त वह अपनी मामी की बुर में डालकर अपनी सारी गर्मी को शांत कर देने की ख्वाहिश रखता था लेकिन इससे पहले वह अपनी मामी को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था और उसकी हरकत से उसकी मामी पूरी तरह से व्याकुल और चुदवासी हुए जा रही थी,,,,, सुरज समझ गया था कि अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है वह अपनी मामी के साथ कुछ भी करेगा उसकी मामी उसे कुछ भी नहीं बोलेगी क्योंकि वहां अपनी हरकत से अपनी मामी को आनंद दे रहा था इसीलिए वह अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी मामी की चूची को थाम लिया दशहरी आम की तरह वह अपनी मामी की चूची को थामकर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मामी की चूची को अपने हाथों में पकड़ कर दबा रहा था उसे अपनी मामी की चूची दबाने में इतना मजा आ रहा था कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों और लड़कियों के साथ व शारीरिक संबंध बनाते हुए उनकी चूचियों का स्तनपान के साथ-साथ स्तन मर्दन किया था उनसे भी ज्यादा मजा उसे अपनी मामी की चुची में आ रहा था,,,,,,
इस तरह से अपने भांजे के द्वारा चूची दबाने में रूपालीको भी आनंद की पराकाष्ठा का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी सुरज अपनी हथेलियों के जोर से पलभर में ही अपनी मामी की गोरी गोरी चूची को टमाटर की तरह लाल कर दिया था खुद शर्म और उत्तेजना के मारे रूपालीका गोरा मुखड़ा लाल हो गया था उसके मुख से लगातार गरमा-गरम सिसकारी की आवाज फूट रही थी,,, वह अपनी बेटी के साथ इस तरह के संबंध की कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन धीरे-धीरे सुरज ने अपनी हरकतों से अपनी चालाकी से अपनी मामी को अपने वश में कर लिया था,,,,,
रूपालीपूरी तरह से आश्चर्यचकित और स्तब्ध हो चुकी थी जिस तरह से सुरज उसकी बुर चाट रहा था आज तक उसके पति ने कभी इस तरह से उसकी बुर से अपने होठ लगाकर इतना प्यार नहीं किया था,,, सुरज पूरी तरह से इस कार्य में मशहूर हो चुका था अपने भांजे की दीवानगी देखकर वह पूरी तरह से अपने भांजे की कायल होते जा रही थी सुरज लगातार अपनी मामी की बुर से अपना मुंह हटाने को तैयार ही नहीं था उसका बस चलता तो वह उसकी बुर के अंदर ऐसे ही घुस जाता रूपालीपूरी तरह से आनंद विभोर होकर अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी और रह-रहकर ना चाहते हुए भी नीचे से अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी जो कि इस हरकत की वजह से सुरज के तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का संचार हो रहा था,,,, ना कभी दोनों हाथों से अपनी मामी की चूची दबाता तो कभी एक हाथ से चूची से खेलते हुए कांच को नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को मुठिया ना शुरू कर दे रहा था,,,,, सुरज जानता था कि उसकी मामी अब उससे पेलवाने के लिए तैयार हो चुकी है लेकिन इससे पहले वह अपने मुंह के करतब से ही अपनी मामी का पानी झाड़ देना चाहता था और देखते ही देखते रूपालीकी गरमा गरम सिसकारियां तेज होने लगी लेकिन उस तूफानी बारिश में उस खंडार में उसकी गरमा-गरम सिसकारी सुनने वाला वहां कोई नहीं था इसलिए वह खुलकर गरमा-गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,,।

सहहहरह आहहहहह आहहहहह मेरे भांजे सुरज आहहहरहह,,,,(ऐसा कहते हुए रहा करो अपनी कमर को ज्यादा ऊपर उठा दे रही थी और सुरज अपनी मामी की कमर था में उसकी बुर से लगातार मलाई चाट रहा था सुरज समझ गया था कि उसकी मामी का पानी निकलने वाला है इसलिए वह अपनी मामी की कमर को कस के थाम लिया था और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को उसकी बुर की गहराई में डाल देने की कोशिश कर रहा था,,, और थोड़ी ही देर में एक तेज चीख के साथ रूपालीअपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल दी और उसी स्थिति में कुछ पल तक स्थिर रह गई सुरज उसी तरह से अपनी मामी की कमर को था में लगातार अपनी मामी की बुर में से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया था क्योंकि रूपालीझड़ चुकी थी,,,, रूपालीझड़ते हुए अपनी मम्मी सोच रही थी कि उसका भांजा किस मिट्टी का बना है एक तरफ वह अपनी बातों से ही उसका पानी निकाल दिया था और दूसरी तरफ अपनी जीभ का कमाल से उसे पिघला चुका था ऐसा तो आज तक उसके पति ने भी नहीं कर पाया था,,,, जब रूपालीकी सांसे धीरे-धीरे दुरुस्त होने लगी तो सुरज उसी तरह से अपनी मामी की कमर था मैं उसे नीचे की तरफ जमीन पर लाकर छोड़ दिया और खुद गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी मामी की बुर से अपने होंठ को हटा लिया और अपनी मामी की तरफ देखने लगा दोनों की नजरें आपस में मिली मैं तो एकदम से शरमा गई और अपनी आंखों को बंद कर ली सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामी की चूची पकड़कर बोला,,,,।

तुम बहुत खूबसूरत हो जितनी खूबसूरत तुम हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी बुर है इसकी मलाई चाटने में मुझे बहुत मजा आया,,,
(सुरज की मामी अपने भांजे की इस तरह की बातें सुनकर शर्म आ रही थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी सुरज अपनी मामी की बुर की तरफ देखकर बोला)

देखो मामी मैं कितना सारा पानी छोड़ी हो,,,, कसम से आज मजा आ गया,,,(जोर से अपनी मामी की चूची को दबाते हुए)

आहहहह क्या कर रहा है सुरज दर्द कर रहा है,,,

क्या करूं मैं तुम्हारी चूची इतनी खूबसूरत है कि जोर जोर से दबाने का मन करता है ऐसा लगता है कि दशहरी आम हो,,,


तू बहुत शैतान हो गया है,,,(इतना कहते हुए रूपालीहल्के से एक चपत अपने भांजे के गाल पर लगा दी तो सुरज तुरंत बोला)

मामी जिस तरह से मुझे प्यार कर रही हो चपत लगाकर थोड़ा इसे भी (अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी की तरफ आगे बढ़ाते हुए) कर देती तो मजा आ जाता,,,
(रूपालीअपने भांजे की हरकत और उसके टनटनाए लंड को देखकर एकदम से सिहर उठी,,, और एकदम से शर्मा गई सुरज बिल्कुल भी पीछे हटने वाला नहीं था वह तुरंत घुटनों के बल आगे बढ़ा और अपने लंड को अपनी मामी के होठों पर रख दिया क्योंकि वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी जैसे ही अपने होठों पर अपने भांजे के लंड का स्पर्श उसकी गर्मी महसूस की वह तुरंत खबर आकर अपनी आंखों को खोल दी और बोली,,,)

यह क्या कर रहा है राजू,,,

वही जो तुम चाहती हो और जिसका यह हकदार है,,, मैं जानता हूं तुम चोरी चोरी मेरे लंड को देख रही थी और मैं औरत के मन को अच्छी तरह से जानता हूं तुम मेरे लंड को देखकर इसे अपनी बुर में लेने की कल्पना भी कर रही थी,,,
(इससे आगे रूपालीके लिए बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह जानती थी कि जो कुछ भी उसका भांजा कह रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी वह अपने भांजे के लंड को अपने हाथ से पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी लेकिन फिर भी अपने भांजे के सामने शर्म आ रहे थे और उसके इसी शर्म को दूर करने के लिए सुरज बार-बार अपने लंड को अपनी मामी के गुलाबी होठों पर रख दे रहा था,,,, उसकी हरकत को देखकर रूपालीबोली,,)

तू करना क्या चाहता है,,?

मैं चाहता हूं कि तुम इसे अपने मुंह में लेकर प्यार करो जी भर कर प्यार करो तुम्हारे प्यार का प्यासा है यह,,,


नहीं सुरज यह गलत है हम दोनों के बीच मां-भांजे का पवित्र रिश्ता है,,,

वह तो समाज के लिए ही लेकिन इस समय इस खंडार में हम दोनों मां-भांजे नहीं बल्कि एक औरत और मर्द हैं जिसकी अपनी अपनी जरूरत है जैसा कि लाला और उसकी बहन के पीछे से अमर उसकी मामी के बीच है उसी तरह से हम दोनों को भी इसी चीज की जरूरत है इस समय देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,

राजू,,,(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीअपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबोच ली अपने भांजे के लंड की गर्माहट से,,, रूपालीकी मर्यादा की दीवार बहने लगी उसके संस्कार हवा में वास्प बनकर उड़ने लगे उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,, अपने भांजे को वह पूरी तरह से अपनी जवानी का मजा चखाना चाहती थी वह अपने भांजे की हरकत और उसके इरादे के आगे घुटने टेक चुकी थी,,, अपने भांजे के लंड को पकड़ कर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसकी गर्माहट उसकी मजबूती को वह पल भर में महसूस कर चुकी थी इसलिए अब वह भी पीछे हटना नहीं चाहती थी और तुरंत,,, अपने पैसे होठों को अपने भांजे के लंड पर रख दी आज उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी अपने भांजे के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रखते ही ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अमृतकलश को अपने होठों से लगा ली हो उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दुनिया का सारा सुख उसे खुद अपने होठों से लगाने के लिए तड़प रहा हो वह देखते ही देखते अपने लाल-लाल होठों को खोल दी और अपने भांजे के लंड के सुपाडे को अपनी मुंह के अंदर प्रवेश कराने की इजाजत दे दी,,,, सुरज इस समय अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब भांजा समझ रहा था क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत के मुंह में उसका लंड था धीरे-धीरे रूपालीअपने भांजे के लंड को अंदर की तरफ लेकर उसे चूसना शुरू कर दी थी लंड को कैसे चोदा जाता है वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन आज उसके मुंह में उसके पति का पतला और कमजोर नहीं बल्कि उसके भांजे का दमदार मर्दाना ताकत से भरा हुआ मोटा और लंबा लंड था जिसे मुंह में भरते ही उसका मुंह पूरी तरह से खुल चुका था उसके लाल-लाल होठों का छल्ला उसके भांजे के लंड की गोलाई के आगे छोटा पड़ रहा था जैसे तैसे करके वह धीरे-धीरे अपनी बेटी के लंड को अपने गले तक लेकर चूसना शुरू कर दी थी सुरज पूरी तरह से मस्त होकर घुटनों के बल ही बैठे हुए अपने आंखों को बंद की भी धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था इस समय मामी भांजे की कामलीला को देखने वाला वहां पर कोई भी नहीं था सिर्फ उसके बेल के सिवा,,,, वह भी काफी देर से अपनी मालकिन और उसके भांजे की कामलीला

को अपनी आंखों से देख कर ना जाने अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,।
 
Member
289
105
28
असली तूफानी बारिश का मजा रूपालीको आज पहली बार मिल रहा था और सुरज भी इससे पहली बार अवगत हो रहा था सुरज धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपनी मामी के मुंह को चोद रहा था जलती हुई आप की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसकी मामी का नंगा बदन संगमरमर की तरह चमक रहा था अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली जवानी में सुरज पूरी तरह से हो चुका था वह एक तरफ लंड चुदाई का मजा लूट रहा था तो दूसरी तरफ अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की पपाया जैसी चूची को जोर जोर से दबा रहा था जिससे रूपालीभी अंदर ही अंदर से लौट रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह जल्द से जल्द अपने भांजे के लंड को अपनी बुर की गहराई में देखना चाहती थी,,,,।

बाहर बारिश अपना चोर दिखा रही थी और अंदर सुरज अपना जोर दिखा रहा था दोनों मामी बेटों का जोश बढ़ता चला जा रहा था दोनों को विश खंडहर में स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे यह खंडहर उन्हें दोनों के लिए बना हो,,,, दोनों शायद अपने घर में इस तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकते थे जितना आनंद उन्हें इस तूफानी बारिश में इस डरावने खंडहर में मिल रहा था,,,, रूपालीअपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे उसके भांजे का लंड कितना मोटा और लंबा है अगर उसकी बुर में जाएगा तो उसकी बुर फाड़ देगा,,,, कुछ देर तक सुरज इसी तरह से मजा लेता रहा और बार-बार अपनी हथेली को नीचे की तरफ झुक कर अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे जोर से मसल दे रहा था जिससे रूपालीखुद अपने भांजे के लंड को लेने के लिए तड़प‌ उठ रही थी,,, सुरज समझ गया था कि अब उसकी मामी को लंड की जरूरत है इसलिए वह हीरे से अपने लंड को अपनी मामी के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,, रूपालीकी पूरी तरह से अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए मौन स्वीकृति दे दी थी,,,।

सुरज गहरी गहरी सांस ले रहा था रूपालीपीठ के बल लेटकर अपनी बेटी के लंड को देख रही थी जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से सना हुआ था,, जलती हुई आग की रोशनी में उसके भांजे का लंड एकदम चमक रहा था जिसकी चमक में वह पूरी तरह से अपनी जवानी अपने भांजे के कदमों में निछावर करने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, सुरज अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोला,,।

बोलो तो मामी मै ईसे तुम्हारी बुर में डाल दुंं,,
(अपने भांजे की बात सुनकर मुझे कुछ बोले नहीं बस शर्मा कर अपनी पलके झुका कर दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,, यह रूपालीकी तरफ से मौन स्वीकृति थी लेकिन सुरज अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

ऐसे नहीं मामी तुम अपने मुंह से बोलो तभी मैं आगे बढ़ुंगा,, मैं तुम्हारी बुर में लंड डाल दूं,,,

इसमें पूछने वाली कौन सी बात है तु मुझे इतना तड़पा रहा है,,, अब जब तक तू अपने लंड को मेरी बुर में डालेगा नहीं तब तक मुझे भी चैन नहीं मिलेगा,,,

ओहहहह मामी यह हुई ना बात इसे कहते हैं औरत वाली बात अब देखना मैं तुम्हारी कैसे चुदाई करता हूं मामाजी को तो तुम भूल ही जाओगी मेरा लंड एक बार अपनी बुर में लोगी तुम मस्त हो जाओगी तुम्हें ऐसा मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच आगे और रूपालीखुद अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैला दी सुरज अपने दोनों हाथों को अपनी मामी की कमर के नीचे से ले गया और उसकी कमर थाम कर उसे अपनी जांगू पर चढ़ा लिया उसकी यादें गाना सुरज की जांघों पर टिकी हुई थी सुरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी की बुर में समाने के लिए रूपालीकी बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो चुकी थी जिससे मोटा लंड अंदर जाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती और रूपालीकी यह देखना चाहती थी कितना मोटा लंड उसकी बुर में जाने के बाद कैसा दिखता है इसलिए वह अपने हाथ की कोनी का सहारा लेकर अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर चुकी थी सुरज बेशर्मी की हद पार करते हुए अपने मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर लंड के हथौड़े को अपनी मामी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा मानो कि जैसे लोहे की पाटी को अपने हथौड़े से पीट रहा है,,, लेकिन अपने भांजे की इस हरकत से रूपालीपूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी एक बार तो वहां बुर में लंड डालने से पहले अपने लंड को उसके नीचे ले जड़ से पकड़ कर उसे पूरा का पूरा बुर के ऊपर रखकर लंबाई नापने लगा जो कि पेट तक आ रहा था यह देखकर रूपालीथोड़ा सा घबरा गई और सुरज चुटकी लेता हुआ बोला,,।

देखना मैं मैं तुम्हारी बुर से डालूंगा और गांड से निकाल लूंगा,,,

चल देखती हूं तेरी मर्दानगी,,,

यह बात है तो यह लो,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज ढेर सारा थूक अपने मुंह में लिए हुए ही उसे अपनी मामी की बुर पर गिराने लगा जिससे उसकी बुर और ज्यादा गिरी हो गई और सुरज अपने मोटे लंड के सुपाडे को अपनी मामी की गुलाबी छेद पर रख कर उसे धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकारने लगा,,, रूपालीको एकदम साफ नजर आ रहा था जलती हुई लकड़ी की रोशनी में रूपालीअपने भांजे के लंड को जो की बहुत मोटा था अपनी बुर के अंदर घुसता

हुआ देख रही थी उसे धीरे-धीरे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि इतना मोटा लंड उसने आज तक अपनी बुर में नहीं ली थी इसलिए उसे थोड़ा दिक्कत आ रहा था लेकिन सुरज पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि औरत को कैसे काबू में किया जाता है,,, सुरज के लंड का सुपाड़ा अभी आधा ही घुसा था और रूपालीको थोड़ा दर्द महसूस होने लगा जो कि उसके चेहरे से लग रहा था इसलिए सुरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामी की चूची को पकड़ लिया था और हल्के से अपनी कमर को आगे खेल दिया जिससे, भक से लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियाो को चीरता हुआ अंदर सरक गया,,,, रूपालीकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी सुरज के लंड का मोटा से बड़ा बुर के अंदर घुस जाने के बाद सुरज के लिए आगे का कार्य एकदम आसान हो चुका था वह देखते ही देखते अपने लंड को और अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया लंड की मोटाई इतनी ज्यादा थी कि रूपालीको अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने भांजे के लंड की रगड़ एकदम साफ महसूस हो रही थी जिससे उसका मजा दुगना होता जा रहा था हालांकि थोड़ा बहुत दर्द का भी उसे महसूस हो रहा था लेकिन इस दर्द के आगे जो सुख मिल रहा था उसके आगे दर्द कोई मायने नहीं रख रहा था,,,,, सुरज का लंड आधा उसकी मामी की बुर में घुस चुका था और सुरज अपने हाथ की हरकत को आगे बढ़ाते हुए कभी चूची को पकड़ ले रहा था तो कभी कमर को कस के पकड़ ले रहा था वह अपनी मामी के नंगे चिकने पेट पर अपनी हथेली को सहला रहा था यह रूपालीको सांत्वना भी दे रहा था कि थोड़ी देर में मजा आने वाला है और देखते ही देखते सुरज का पूरा लंड रूपालीकी आंखों के सामने उसकी बुर के अंदर समा गया रूपालीपूरी तरह से हैरान हो चुकी थी कितना मोटा लंबा लंड जिसे वह देखकर कुछ पल के लिए घबरा गई थी कि वह अंदर कैसे ले पाएगी और वह देखते ही देखते उसकी बुर की गहराई में खो चुका था इससे रूपालीको खुशी भी हो रही थी और जिस तरह का सुख से प्राप्त हो रहा था इस तरह का सुख उसने अपने साथी के संपूर्ण जीवन में कभी प्राप्त नहीं कर पाई थी,,, पूरे लंड को अपनी मामी की गहराई में डाल देने के बाद सुरज मुस्कुराता हुआ अपनी मामी की तरफ देखा और बोला,,,।

देखा मामी कितने आराम से तुमने मेरे लंड को अपने बुर में ले ली,,,,

डाल तो दिया है सुरज अब कुछ कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।
(सुरज अपनी मामी के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मामी सीधे-सीधे उसे चोदने के लिए बोल रही थी इसलिए सुरज एक पल की भी देरी किए बिना अपनी मामी से बोला)

तुम बेफिक्र हो जाओ मामी आज तुम्हें ऐसा सुख दूंगा ऐसी चुदाई करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,

कुछ भी करना भांजा लेकिन मेरी बुर मत फाड़ देना वरना घर जाकर तेरे मामाजी को कैसे अपना बुर दिखाऊंगी मुंह देखकर तो ऐसे भी उन्हें पता नहीं चलेगा लेकिन वह देखकर तो पता ही चल जाएगा कि रात भर किसी से चुदवा कर आई है,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ऐसा कुछ भी नहीं होगा ,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और अपने लंड को अंदर बाहर करके अपनी मामी को चोदना शुरु कर दिया शुरू शुरू में मोटे लंड की वजह से अंदर बाहर होने में थोड़ी बहुत दिक्कत पेश आ रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे रूपालीकी बुर अंदर से पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से अंदर चिपचिपाहट सी हो गई थी और थोड़ी ही देर में सुरज का लंड बड़े आराम से सटासट बुर के अंदर बाहर हो रहा था रूपालीपूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे इतना मोटा लंड जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के अंदर ले रही थी इसलिए चुदाई का उसे परम आनंद प्राप्त हो रहा,,, सुरज का सपना था अपनी मामी को चोदना गांव भर की सारी औरतों को वह रोज चोदता रहा था लेकिन उसका सबसे बड़ा ख्वाब यही था कि वह कब अपनी मामी की बुर में लंड डाले क्योंकि उसकी नजर में उसकी मामी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत ही और ऐसा था कि गांव भर में उसकी मामी जैसी खूबसूरत औरत दूसरी और कोई नहीं थी उसके बदन की बनावट अभी भी जवान लड़कियों की तरह ही थी बस थोड़ा सा बदन भर गया था जिसकी वजह से वह और ज्यादा कामुक लगने लगी थी,, दो दो बच्चों की मामी होने के बावजूद भी चुदवाने पर ऐसा सुख प्राप्त करती थी और देती थी जिसे महसूस करके सुरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था ऐसा सुख तो लाला की बहन को चोदने में भी उसे नहीं आया था जैसा सुख उसे अपनी मामी को चोदने में आ रहा था,,,।

तूफानी बारिश में रूपालीकी सिसकारियां पूरे खंडहर में गूंज रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस तरह से खुलकर चुदाई का मजा उसने आज तक नहीं रही थी भले ही रोज वह अपने पति से चुदवाती थी लेकिन ऐसा सुख उसे आज तक प्राप्त नहीं हुआ था सुरज से पूरी तरह से मस्त कर दे रहा था कभी चूचियों को दबाता तो कभी कमर को लपक लेता तो कभी नीचे की तरफ झुक कर उसके होठों को चूसने लगता यह सब बेहद अद्भुत था रूपालीजैसी संस्कारी औरत के लिए तो यह सब अविस्मरणीय था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी

मस्ती के सागर में वह पूरी तरह से डूब ना शुरू कर दी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की भी जुदाई होती है इस तरह का भी आनंद औरत को प्राप्त होता है लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि मर्द दमदार होना चाहिए जो की औरत को पूरी तरह से नहीं छोड़ कर रख दे और वही कार्य समय उसका भांजा सुरज कर रहा था वह पूरी तरह से अपनी मामी को अपनी आगोश में लिए हुए था और अपने तेज धक्कों से उसे तृप्त कर रहा था रूपालीबार-बार अपने भांजे के लंड की ठोकर को अपने बच्चेदानी पर महसूस करके धन्य हो जा रही थी आज तक उसके बच्चेदानी तक उसके पति का लंड नहीं पहुंच पाया था लेकिन उसके भांजे के लंड का हर एक ठोकर उसे अपने बच्चेदानी पर महसूस हो रहा था जिससे उसका मजा दोगुना होता जा रहा था,,,,।

ओहहहह मामी तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा चोदने में इतना मजा आता है मैंने आज तक कभी सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन आज जो सुख मुझे मिल रहा है वैसे जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगा मेरी जिंदगी की है रात सबसे हसीन रात है या यूं समझ लो कि आज की रात मेरी सुहागरात है,,,।
(अपने भांजे के मुंह से सुहागरात वाली बात सुनते ही रूपालीएकदम से शर्मा कर लाल हो गई और पानी छोड़ने लगी यह देखकर सुरज अपनी मामी से बोला)

क्यों मैं शरमा गई क्या,,,?

तो और क्या तुझे पता है सुहागरात किसके साथ मनाई जाती है,,,

मुझे पता है अपनी पत्नी के साथ है जिसको रात भर चोदते हैं और आज की रात में तुम्हें चोद रहा हूं तो एक तरह से तुम मेरी बीवी हुई,,,

धत् पागल इस तरह की बातें कर रहा है मैं तेरे मामाजी की हूं समझा,,,

मुझे पता है,,(जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए) लेकिन आज तुम्हारी बुर में मेरा लंड गया है तुम्हें जो सुख में दे रहा हूं इस तरह से मामाजी ने भी कभी नहीं दिया होगा इसलिए अब तुम पर सबसे पहला हक मेरा है,,,.
(कोई और समय होता तो शायद अपने भांजे की इस बात पर वह उसके गाल पर थप्पड़ लगा दी होती लेकिन मौका और दस्तूर दोनों सुरज के साथ था और रूपालीके साथ भी इसलिए सुरज कि इस तरह की गंदी बातें भी रूपालीको अच्छी लग रही थी वह और कस के अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने भांजे को चोदने के लिए मजबूर कर दी थी सुरज पागलों की तरह अपनी मामी को चोद रहा था उसकी बुर की चुदाई करके उसे तहस-नहस कर दे रहा था,,,, फुचच फुचच की आवाज लगातार रूपालीकी बुर से आ रही थी और जांघ से जांघ टकराने से एक मधुर आवाज पैदा हो रही थी,, जो की दोनों की मदहोशी बढा रहा था,,, सुरज अपने लंड को अपनी मामी की बुर में पेलता हुआ बोला,,,।

सच-सच बताना मत मेरे लंड से तुम्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ना,,,।

हारे बहुत मजा आ रहा है,,,


तुम्हारी बुर के अंदर मामाजी के लंड से ज्यादा रगड़ नहीं मिल रही हो कि कितना रगड़ मेरे लंड से मिल रही है,,,, है ना,,,,,


हा रे तु मुझे रगड़ रगड़ कर चोद रहा है,,,, मैं आज मान गई कि मैंने एक मर्द को जन्म दिया है,,,


अब तो तुम्हें डर नहीं लग रहा है ना इस खंडहर में,,,


सच कहूं तो आप तो मुझे बहुत मजा आ रहा है इस खंडरर में मैं कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से किसी जंगल में खंडहर में रात बितानी पड़ेगी,,,

यह जान लो आज की रात हम दोनों की सुहागरात है और अब तो मैं रोज तुम्हारी जुदाई करूंगा मौका मिलते ही,,

अब तो मैं खुद तेरे बिना नहीं रह पाऊंगी लेकिन यह बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए,,,

इस बात की किसी को कानों कान भनक तक नहीं पड़ेगी,,,,

(रूपालीअपने भांजे की हरकत और उसकी संगत में पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी एक रंडी की तरह सवाल जवाब करते हुए अपने भांजे से चुदाई का मजा ले रही थी इस तरह का सुख उसने आज तक नहीं प्राप्त की थी जो सुख उसे उसका भांजा दे रहा था अपने भांजे के लंड की मोटाई और लंबाई से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी अपने भांजे का साथ देते हुए वह खुद अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर अपनी बेटी के लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,, तूफानी बारिश और तेज हवाओं के स्वर में रूपालीकी कामुकता भरी मादकता भरी गरमा-गरम सिसकारी की आवाज खंडहर में ही दबकर रह जा रही थी। सुरज के हर एक धक्के के साथ रूपालीखंडार के जमीन पर आगे की तरफ सरक जा रही थी वह तो सुरज उसकी कमर को कस के थामें हुए था,,,, सुरज का हर एक जबरदस्त प्रहार रूपालीको अंदर तक सिहरन भर दे रहा था उसकी हर एक धक्के पर उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छतियो पर लहराने लग जा रही थी,,,। देखते ही देखते रूपालीका बदन अकड़ने लगा सुरज समझ गया कि उसकी मामी का पानी निकलने वाला है और वह भी चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुका था इसलिए नीचे की तरफ झुक कर अपनी मामी को अपनी बाहों में कस कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया और अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा शुरू कर दिया लगभग 20-25 धक्के के बाद दोनों की सांसें एकदम से तेज चलने लगी और दोनों एक दूसरे की बाहों में एकदम से समा गए और देखते ही देखते दोनों झड़ना शुरू

कर दिए,,,
 
Member
289
105
28
अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, रूपालीने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी सुरज उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, सुरज का लंड अभी भी उसकी मामी की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, रूपालीकी गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से रूपालीआज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, रूपालीअपनी मामी के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। रूपालीअपने भांजे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
रूपालीलव लगाकर अपना पानी छोड़ी थी और सुरज भी अपनी गर्म लावा से अपनी मामी की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी सुरज का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मामी अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके भांजे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में सुरज अपनी मामी की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मामी अपने भांजे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि रूपालीके लिए तो उसके भांजे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके भांजे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे सुरज आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब भांजा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, सुरज की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मामी की बुर में डाले हुए ही अपनी मामी की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मा ‌सच सच बताना,,,,,,
(सुरज के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मामी के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने भांजे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो सुरज खुद अपनी मामी के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, रूपालीशर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन सुरज कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मामी की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया सुरज का अपनी मामी के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही रूपालीपूरी तरह से मस्त होने लगी सुरज अपनी मामी के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, रूपालीके लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा सुरज के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से रूपालीको अपने भांजे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, रूपालीके लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन सुरज था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था रूपालीको लग रहा था एक बार फिर से उसका भांजा तैयार हो रहा है इस बात से रूपालीपूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके भांजे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को जन्म दिया था,,,, सुरज पूरी तरह से अपनी मामी के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर

था और अपने दोनों हाथों से अपनी मामी के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब रूपालीको फिर से उत्तेजित कर रहा था और सुरज खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन रूपालीअभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके भांजे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन सुरज की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके भांजे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का रूपालीका यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, रूपालीजानती थी कि उसका भांजा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए सुरज को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(सुरज चाहता तो अपनी मामी के ऊपर से हटता नहीं और ना ही रूपालीउसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर सुरज अपनी मामी के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मामी की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर रूपालीएकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई सुरज भी आराम से उठ कर अपनी मामी की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन सुरज को अपनी मामी के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, रूपालीअपनी बुर की तरफ देखते हुए सुरज से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो सुरज बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि मामाजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने भांजे की इस बात पर रूपालीफिर से शर्मा गई और सुरज से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे मामाजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(सुरज का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन मामाजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं मामाजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(रूपालीकुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके भांजे ने बरसा था,,,, अपनी मामी की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए सुरज बोला,,,)

एक बात तो है मामी दो दो जवान बच्चों की मामी होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान भांजे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मामी की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मामी अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(रूपालीअपने भांजे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने भांजे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो भांजा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि मामाजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने मामाजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी मामाजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(रूपालीअपने भांजे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने भांजे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने भांजे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मामी इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(रूपालीअपने भांजे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(सुरज समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर रूपालीखिलखिला कर हंस दी और सुरज फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया रूपालीको जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो सुरज बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर सुरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और रूपालीएक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका भांजा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, रूपालीकुछ बोल पाती से पहले ही सुरज उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, सुरज का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर रूपालीकी कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में रूपालीअपने भांजे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने भांजे के सामने घुटने टेक रही थी रूपालीहैरान थी अपने भांजे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके भांजे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, रूपालीमंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह सुरज को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और सुरज उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते सुरज उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मामी से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही रूपालीको बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका भांजा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था रूपालीको यकीन हो चला था कि उसके भांजे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने भांजे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए सुरज को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या भांजा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही रूपालीका चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं सुरज तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने भांजे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने भांजे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने भांजे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं भांजा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मामी हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मामी इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने भांजे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने भांजे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने भांजे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही रूपालीकी बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने भांजे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके भांजे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-भांजे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते सुरज अपनी मामी के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें रूपालीअपने भांजे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने भांजे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर सुरज के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मामी अपने भांजे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने भांजे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी सुरज की इस हरकत पर रूपालीएकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह राजू,,,,,,ऊममममममम,,,,
(रूपालीपूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए सुरज अपनी उंगली को अपनी मामी की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था रूपालीपूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी सुरज से अपनी मामी की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मामी का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मामी की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया रूपालीइस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने भांजे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और सुरज तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मामी की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन सुरज अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया रूपालीहैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका भांजा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ रूपालीको अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने भांजे के मुंह में मुत रही थी अपने भांजे का बाल पकड़कर रूपालीउसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत सुरज की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मामी की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, रूपालीया देखकर हैरान थी अपने भांजे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति

ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत सुरज कर रहा था सुरज की हर एक हरकत रूपालीके लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, रूपालीका मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

रूपालीकी बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा सुरज के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से सुरज अपनी मामी के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मामी को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर सुरज समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है सुरज अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, सुरज का लंड एक बार फिर से अपनी मामी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था रूपालीकी बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी सुरज भी भीग रहा था सुरज अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मामी की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मामी को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मामी की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मामी की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही सुरज का लंड अपनी मामी की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही सुरज का लंड एक झटके में उसकी मामी की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके भांजे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने भांजे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी सुरज अपनी मामी की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मामी को चोदना शुरू कर दिया रूपालीकभी सोचा भी नहीं था कि उसका भांजा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

रूपालीकी एक टांग ऊपर उठी हुई थी और सुरज के कमर पर लिपटी हुई थी सुरज एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने भांजे से चुदवाने का मजा ले रहे थे सुरज पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मामी को दे रहा था उसका हर एक धक्का रूपालीकी चीख निकाल दे रहा था,,,, सुरज अपनी मामी की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से सुरज भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था सुरज लगातार अपनी मामी की चुदाई कर रहा था रूपालीकी बुर में बड़े आराम से सुरज का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह सुरज मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मामी मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं मामाजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस मामाजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,

चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मामी की गर्दन को चुमते हुए सुरज लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मामी कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए सुरज अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे रूपालीकी गर्म जवानी में सुरज पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, रूपालीकी खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज की छाती के नीचे दबी हुई थी और सुरज अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मामी को चोद रहा था कुछ देर तक सुरज अपनी मामी को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मामी की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मामी की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मामी की बुर से बाहर निकाल लिया रूपालीको लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था रूपालीकुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही सुरज अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया रूपालीसमझ गई थी कि अब उसका भांजा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए सुरज तुरंत अपनी मामी की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से सुरज पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मामी की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मामी की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में रूपालीको भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी सुरज कभी अपनी मामी की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मामी की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने भांजे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने भांजे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

रूपालीअपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका भांजा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों केतन को भी हो रही थी और रूपालीकी चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को सुरज अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मामी की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने भांजे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही रूपालीअपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने भांजे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने भांजे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(सुरज अपनी मामी से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को रूपालीभी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने भांजे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने भांजे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने भांजे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,

अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-भांजे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे रूपालीने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई सुरज कर रहा था सुरज बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मामी की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं रूपालीदो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मामी की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

रूपालीऔर सुरज दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी रूपालीतुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए सुरज अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मामी के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे रूपालीपूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए सुरज अपनी मामी की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मामी को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब सुरज की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मामी अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी सुरज अपनी मामी को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड रूपालीकी गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मामी की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही सुरज के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मामी को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मामी की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंडके सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से सुरज का लंड भी अपनी मामी की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते सुरज ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मामी की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपालीपूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे सुरज के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मामी की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से रूपालीकी नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके भांजे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने भांजे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या सुरज रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने भांजे की तरफ देखी तो सुरज हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपालीएक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से रूपालीके तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, सुरज भाई आराम से पीछे से अपनी मामी की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए

थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में सुरज और उसकी मामी दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मामी के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही रूपालीनीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो सुरज फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए सुरज अपनी मामी के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो सुरज की मामी बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने भांजे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए रूपालीबोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर मधुर अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो सुरज बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मामी का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मामी तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था रूपालीगिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी सुरज अपनी मामी को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए रूपालीऔर भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मामी की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर सुरज की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मामी के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था सुरज का लंड कभी उसकी मामी की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से रूपालीके भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने भांजे का लैंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने भांजे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,, रूपालीइस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, सुरज अपनी मामी की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था रूपालीउसी तरह से अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने भांजे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी सुरज अपनी मामी की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया सुरज पहली बार देख रहा था कि उसकी मामी की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ सुरज को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने भांजे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे सुरज तुरंत अपनी मामी की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मामी को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने भांजे की ताकत से रूपालीमंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही सुरज अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मामी के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से सुरज का लंड उसकी मामी की बुर में समा गया सुरज अपनी मामी को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और

नीचे सुरज पानी में भीगते हुए अपनी मामी को चोद रहा था,,,, रूपालीअपने भांजे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने भांजे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद सुरज अपनी मामी को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे रूपालीपानी से अपनी पुर को साफ की और सुरज अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने भांजे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके रूपालीअपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मामी बन चुकी थी इसलिए उसे अपने भांजे के सामने शर्म महसूस हो रही थी सुरज बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,।
 

Top