Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 73
काल ने सर्पिणी के मुह से जब लंड निकाला तो वो थोड़ी नाराज हो गई उसे इस मूसल लंड को चूसकर मिलने वाली गरम गरम गाढ़ी मलाई बहुत पसंद आ गयी थी ,कालने उसे पीठ के बल लिटाकर उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चुत पर अपने लंड को रखकर उसके नरम चुत के होठो से घिसने लगा ,सर्पिणी को बहुत मजा आ रहा था ,काल ने उसके लंड से सर्पिणी के चुत को अच्छी तरह घिसकर उसको गरम करता रहा ,जब काल ने देखा कि उसकी चुत अब पनिया गई है ,उसने सर्पिणी के बदन पर पूरा झुक गया और उसके होठो को चुसने लगा और नीचे से लंड को वैसे ही घिसने लगा ,कालने उसकी गांण्ड को अपने दोनो हाथो में पकड़ कर एक जोरदार धक्के के साथ अपना आधा लन्ड उसकी चुत में उतार दिया ,सर्पिणी के मुह से एक जोरदार चीख निकल गई थी ,उसके हजारो साल का आज कौमार्यभंग हुवा था ,उसकी चुत की झील फट गईं थी उसमें से खून और जहर दोनो टपक रहे थे ,कालने एक और धक्के के साथ पूरा लन्ड उसके चुत में घुसा दिया था काल को इस चुत आज बड़ा मजा आ रहा था ,हजारो सालो की छूपी गर्मी के अंदर उसके लंड ने आज दस्तक दी थी ,काल हुमच हुमच के अपने लंड को इस चुत की बरसो पुरानी खाई के दर्शन करा रहा था ,काल के हर धक्के के साथ सर्पिणी की गांण्ड हिल रही थी काल उस गांण्ड को भी दबदबा के बता रहा था आज तुम्हारी भी गहराई में देखने वाला हु ,सर्पिणी भी जल्द सम्भल गई ,उसके दर्द को काल के किस करने से और चुचिया बेरहमी से मसलने में बहुत मदद की थी जब सर्पिणी अपनी गांड़ उठा उठा कर उसका लंड लेने लगी तो काल ने उसके गांण्ड के छेद में उंगली घुसाकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ,सर्पिणी को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था ,काल उसके होठो को चूस रहा था ,एक हाथ से चुचिया मसल रहा था ,नीचे से चुत में लन्ड तेजीसे दौड़ा रहा था और गांड़ में अपनी मोटी ऊँगली तेजीसे अंदर बाहर कर रहा था ,इतना सुख वो ज्यादा देर तक सह ना सकी और तेजीसे झड़ंने लगी उसके झड़ने तक काल रुका और उसका झड़ना खत्म होते ही उसी पोझ में दुगनी तेजीसे उसी तरह चारों तरफ से हमले करता चोद रहा था सर्पिणी इस बार भी जल्द झड गई ,पर वो थकी नही थी ,वो जितना झड रहीं थी उतनी ज्यादा चुदने के लिए और भड़क रही थी इस बार भी काल उसको उसी तरह चोदने लगा ,पर इस बार काल के चुत चोदने की स्पीड से ज्यादा, सर्पिणी की गांड़ ज्यादा तेजी से हिल रही थी ,सर्पिणी के तीसरी बार झड़ने के बाद ,कालने उसको घोडी बनाकर ,पिछसे चुत चोदना शुरू कर दिया ,सर्पिणी अपनी गांड़ पटक पटक कर लंड अपने चुत के अंदर ले रही थी काल अब उसकी गांड़ पे जोर जोर से थपड मार कर उसके चुत को चोद रहा था ,उसने सर्पिणी की बड़ी सी चोटी पकड़ कर उसे खीच के चोदना जारी रखा था ,सर्पिणी के गरदन पूरी तन गई थी ,पर उसको चुदने में इतना मजा आ रहा था कि उसको किसी बात का फर्क ही नहीं पड़ रहा था ,
घोडी बनाकर चोदते हुवे भी सर्पिणी दो बार झड चुकी थी पर उसका चुदने का जुनून कम नही हो रहा था ,तीसरी बार जब वह अपनी चुत से पानी बरसा रही थी ,तभी उस बरसात पर कालने अपने लंड से उसकी चुत में गर्म गर्म गाढ़ी मलाई छोड़नी शुरू की ,उसकी चुत पूरी उस मलाई को अपने अंदर पचाने में लग गई ,सर्पिणी को ठंडा पड़ता देख काल समझ गया, कि इसकी चुत भी अपने मुह की उसके माल की भुकी है ,कालने सर्पिणी जो अपने चुत में काल का माल लेकर पेट के बल लेटकर सुस्त पड़ी थी ,उसके गांण्ड के छेद को अपने दो उंगली में तेल लगाकर कुछ देर तक ढीला करता रहा ,सर्पिणी भी अपने गांड़ के छेद में घुस रही अंगलियो का आनंद लेती अपनी चुत का माल पचा रही थी ,कालने अपनी उंगली निकाल कर ,उसकी गांड़ के छेद में अपना तेल से भिगां लंड भिड़ा दिया ,काल ने सर्पिणी की बड़ी सी गांड़ को थामकर ,उसके गांण्ड में एक करारा धक्का जड़ दिया ,उस नरम से छेद को फैलाता वो लंड आधे से ज्यादा अंदर घुस गया ,सर्पिणी अपने स्वभाविक स्वभाव से साँप के तरह फुफकार उठी वो नागिन की तरह ,अपनी कमर हिलाती अपने आप को छुड़ाने की जी जान लगाकर कोशिश करने लगी ,लेकिन उसके ऐसा करने से काल और बिथर गया उसकी गांड़ की थिरकन से उसने अपने पूरे लंड को उसकी गांड में जड़ दिया ,सर्पिणी और ज्यादा बलखाने लगी ,चिल्लाने लगी और काल किसी बेरहम शिकारी की तरह उसकी गांण्ड के छेद को अपने लंड से नोचने लगा ,सर्पिणी जितना जोर से चिल्लाती काल उतनी ही तेजीसे गांड़ को मारता, थोड़ी ही देर ये खेल चलता रहा ,सर्पिणी के चुत में गांड़ में पड़ रहे लंड के मार से सनसनी होने लगी, जल्द ही उसके चुत ने अपना पानी भलभला के छोड़ दिया ,सर्पिणी के चुत को अब काल के माल की याद सताने लगी ,वो अब और ज्यादा माल पाने के लिये अपनी गांड़ तेजीसे शिवाक़े लन्ड पे पटकने लगी ,शिवा को तो ऐसी ही तेज घोड़िया पसन्द थी ,जिसके ऊपर चढ़के गांण्ड मारँने में मजा आये ,और उसको अच्छे से पता चल गया था कि इस घोडी की चुत को लंड के माल की खुराक देने पर जल्द काबू हो जाती है ,काल ने सर्पिणी की गांड मारते मारते झड़ने के वक्क्त उसके गांड़ से लंड निकाल कर उसके चुत में अंदर तक जड़के अपने माल से भर देता था ,सर्पिणी को भी अपनी चुत में माल मिलते ही मजा आने लगता था ,अब काल ने 2 घण्टे तक उसकी गांण्ड मारी और 1 बार गांण्ड मे और 2 बार उसकी चुत को पानी पिलाया , 12 घण्टे की चुदाई में उसने सर्पिणी के दोनो छेद खोल दिये थे ,सर्पिणी के मुह में 3 बार चुत के 4 बार और गांण्ड में 2 बार अपना पानी भरकर काल उसको समयमनी ने से बाहर लेकर आया ,यहा सर्पलोक में बस 30 मिनीट का ही समय बिता था पर सर्पिणी को अब आराम की जरूरत थी ,सर्पिणी को उसके कमरे में सुलाकर काल विशाखा के कमरे में आ गया था ,विशाखा ने सर्पिणी की तरह ही चोली और साड़ी पहनी थी बस इसका रंग हरा था ,
विशाखा सर्पिणी से उम्र में उसकी आधी थी पर फीगर में वो सर्पिणी से कही अधिक थी, 12 फिट सी सर्पमानव की शरीर की लंबाई ,80 की चुचिया,76 की कमर 84 की गांण्ड वाली विशाखा को देखके काल को ऐसा लगा अभी इसको नंगा करके इसकी गांड मार दु ,एकदम गोलगोल गांड़ थी विशाखा की ,विशाखा ने काल से कहा ,आपको पहले दीदी के पास जाना चाहिए था ,काल हस कर,दीदी का नंबर लग चुका है अब तुम्हारे फुद्दी का नंबर है ,विशाखा यह सुनकर शर्मा गई ,कालने उसके चेहरे को ऊपर करके उसे अपने साथ समयमनी मे लेकर गया उसके होठो का रसपान करने लगा ,विशाखा के जहरीले ओठो का नशा उसे बहुत पसंद आने लगा था उसे पीते हुवे ही ,उसने विशाखा की चोली और कमर की साड़ी खोल कर उसे पूरी नंगी कर दिया था ,एक नंगी नागिन के इस सुनहरे बदन के साथ वो भी सुनहरा नाग एक दूसरे को ओठो को से डंख मारकर नशे में झूल रहे थे ,विशाखा की सुनहरी चुचिया पीकर उसने विशाखा की चुत के नल को पानी बहाने पर मजबूर कर दिया था ,विशाखा को अपनी जीभ का कमाल उसकी चुचिया पर दिखाने के बाद उसने उसकी चुत पर हमला बोल दिया था पर इस बार काल ने 69 में आकर अपना लन्ड भी विशाखा को ओठो पर लगा दिया था ,काल जिस तरह इस सुनहरी चुत के बहते रस को निकालने में लगा था उसी तरह विशाखा भी जीभ काल के लन्ड पे अपनी बहन से ज्यादा तेजी से उसके लन्ड के छेद में चला रही थी जहाँ कालने अपना 4 बार पानी विशाखा को पिलाया था ,उसी तरह विशाखा ने अपने चुत का सुनहरा पानी काल को 3 बार पिलाकर उसे नशा चढ़ा दिया था ,काल को यह बात पता चल गईं थी कि ये दोनो बहने उसके माल की भूखी है ,कालने विशाखा को पीठ के बल लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर उसकी चुत को अब अपने लंड का स्वाद देने का सोचकर उसकी चुत पर अपना लंड लगा दिया ,विशाखा तो बहुत ज्यादा आक्रमक हो गई थी अपने चुत पर उसके लंड का गर्म स्पर्श पाकर वो नागिन की भांति उससे लिपट गई और उसके होठो को डसने लगी ,अपने दांतों से काटने लगी ,चाटने लगी ,उसकी जुबान चुसने लगी ,कालने उसके चुत को दो बार मे ही पूरा फाड़ दिया और अपने लंड को उसकीं चुत में गहराई तक उतार दिया ,विशाखा ने कालपर अपनी चुत के दर्द से और तेज हमले कर दिए थे ,वो तो जैसे आग का शोला बनकर अपनी चुत की आग से उसके लंड को जलाने लगी थी ,काल को इस आग में जलकर और मजा आ रहा था ,विशाखा की इस आग को काल का लंड अपने जोरदार हमलो से और भड़का रहा था ,जबतक इस आग पे काल के लंड ने अपना लावा नही छोड़ा तब तक वो आग विशाखा के चुत से पानी छोड़कर बहुत ज्यादा भड़का रही थी ,काल जब विशाखा की चुत में खाली हो रहा था ,विशाखा ने 6 बार अपना पानी छोड़ दिया था ,कालने उसकी गांड को भी कुतिया बनाकर फाड़ दिया था ,विशाखा सर्पिणी ने कही ज्यादा गर्म थीं काल ने उसको आगे से और पीछेसे 4 बार अपने माल से भरने के बाद ही शांत हुवीं थी ,विशाखा को 12 घण्टे समयमनी में चोदने के बाद वापिस उसके कमरे में सुला दिया था ,अपनी हजारों साल की प्यास बुझने के बाद विशाखा किसी बच्चे की तरह सो गई थी ,काल उसको छोड़कर वहां से राजकुमारी मंदा के कमरे में चला गया ,जो शादी के गुलाबी कपड़ो में किसी गुलाब के फूल की तरह ही अपने बिस्तर पे लेट कर सो रही थी ,उसे लगा शायद काल उसके पास आज आ नही सकेगा ,सर्पिणी और विशाखा के साथ सुहागरात मनाने में ही उसको समय लगने वाला था ,काल ने इस नाजुक सी राजकुमारी के बगल में लेट गया ,वो इच्छाधारी नागिन थी ,विशाखा और सर्पिणी भी आज उसके साथ चुदने के बाद अपनी पूर्ण शक्तिया पाकर इच्छाधारी नागिन बनने वाली थी,पर मंदा अपने जन्म से ही एक इच्छाधारी नागिन थी ,वो एक इंसानी रूप में काल की राह देख रही थी,काल ने सोच लिया था कि अपने बचे हुवे 28 दिन जो सर्पलोक में वो रहने वाला है ,अपना ज्यादा से ज्यादा समय मंदा को देगा ,ताकि उसको वो अपना प्यार दे सके ,मंदा ने एक 6 फिट के इंसानी कन्या का रूप लिया था जिसमे उसकी 38 की चुचिया 28 की कमर और 40 गांड़ में बिस्तर पर लेटी कामदेवी से कम नही लग रही थी,कालने जब उसको स्पर्श किया तो उसने झट से अपनी आंखें खोल दी,अपने सामने काल को देखकर वो झट से उठ गई पर कालने उसे उठने से पहले ही अपनी बाहों में जकड़ लिया,मंदा ने भी अपनी बाहों को का घेरा बनाकर उसे अपने आगोश में ले लिया,
आप को तो अभी सर्पिणी और विशाखा के पास होना चाहिए था ,मंदा ने काल से धीरे से कहा ,काल उसको प्यार से चूमते हुवे बोला ,उन दोनों को उनका हक मिल गया है राजकुमारी जी ,मंदा ने अपनी आंखें काल की आंखों में डालकर कहा ,में आपकी दासी हु ,राजकुमारी कह कर मुझे आप मत पुकारिये ,काल ने हसते हुवे कहा ,आप मेरी पत्नी है ,दासी नही ,हम आपको हमारे दिल मे रखना चाहते है ,आप भी कभी ऐसी बात नही करेंगी ,
मंदा ,जैसा आप ठीक समजे महावीर
मेरा नाम काल है पर आपको में कुछ बाते बताने वाला हु ,मुझे काल के नाम से ही सब जानते है ,पर मेरी असलियत और कहानी में आपको बताना चाहता हु ,इतना कहकर काल उसे बिना कोई अपनी माया का उपयोग करके अपने समय मनी में लेकर गया ,वहां अपने असली शिवा के रूप में आकर उसने अपनी आज तक की पूरी कहानी मंदा को सुना दी ,उसने मंदा से कुछ नही छुपाया ,उसने अपना हर सच ,हर ताकत के बारे में उसे बता दिया ,यहा तक कि अपनी परीक्षा के बारे में भी सब बता दिया ,मंदा की आंखों में आसु छलक रहे थे ,उसने काल को अपने सीने से लगाकर भारी आवाज में कहा ,आप आजसे अनाथ नही है आपकी एक पत्नी है ,जो आपके लिये अपनी जान भी दे सकती है ,आप के आंख से बहते आसु मेरी आत्मा तक को जला रहे है ,आप ने मुझे अपने लायक समझा, और जो बात आपने किसी को नही बताकर मुझे बताई ,में आपका साथ मरते दम तक दुंगी ,मेरी शिवभक्ति ने ही मुझे पतीं भी उनके नाम से ही मिला है ,काल के शिव के नाम से मुझे बचाने वाले मेरे शिव ही निकले ,
शिवा का मंदा के साथ अपने समय मनी में यह मिलन उन दोनों की आत्मा को एक करने वाला था ,आज शिवा ने अपने असली रूप में मंदा से एक होने का फैसला बहुत ही सोच समझकर लिया था ,एक वही थी जो चमत्कारी पथर से सीधा नही जुड़ी थी ,मंदा की तरह माया और उसकी दोनो बेटीयो को भी शिवा ने अपनी असली हकीकत बताने के बारे में सोच लिया था ,उसका यह फैसला उसकी इस परीक्षा में उसे बहुत काम मे आने वाला था ,मंदा ने उसके साथ समय मनी में 5 दिन तक संभोग किया ,इस दौरान वो बाते करते ,साथ मे खाना खाते ,साथ मे नहाते ,और एक साथ हीं सो जाते ,मंदा शिवा के दिल से जुड़ गई थी ,उसके मनमंदिर में बस अब शिवा ही था , शिवाक़े साथ संभोग करते समय पहली बार उसे बहुत दर्द हुवा था ,पर ना वो चीखी ना चिल्लाई, बस मुस्कुराते हुवे अपने आंखों से आसु बहाती रही ,उसने अपने रह तक शिवा को महसूस करके उसे अपने अंदर समा लिया था ,शिवा का उसके शरीर को दिया हुवा दर्द उसके लिये शिवा का उसके प्रति प्यार ही था ,सर्पलोक में 28 दिनों में शिवा 1 घण्टे का समय सर्पिणी और विशाखा को बारी बारी से ले जाकर उन्हें चोदकर छोड़ देता जिससे दिन भर दोनो आराम करती फिर वो मंदा को 12 घण्टे तक समय मनी ले जाकर उसे अपना पूरा वक्क्त प्यार में भिगों देता था ,सर्पलोक में काल ने समयमनी में राजगुरु के साथ कितने ही तरह की ज्ञान की बाते भी सिखने में अपना समय दीया था ,खास करके वो आत्मभंजन यानी अपनी आत्मा को टुकडो में करने को सिख रहा था ,सर्पलोक से विदा लेते समय कितनी ही बाते हो गई थी,सर्पिणी और विशाखा दोनो को अपनी पूरी शक्तिया मिल गई थी साथ मे अब वो दोनो भी इच्छाधारी बन गई थी ,काल आत्मभंजन के साथ कितनी ही विद्या सिख गया था ,मंदा भी शिवा के वजह से गर्भवती हो गई थी ,सबसे विदा लेकर और मंदा से कहकर की वो हर 30 दिन में 5 दिनों के लिये सर्पलोक आएगा ,नागालोक और सर्पलोक में भी कालने समय देकर वहा पर अच्छी तरह से काम चल सके यह व्यवस्था बिठा दी थी ,जिसको अब महाराज और राजगरु के साथ मंदा भी देखने वाली थी ,सबसे एक बार मिलकर काल, सर्पिणी और विशाखा धरती पर लौट आए थे ,सुबह के 6 बजे दोनो को भवानीगढ़ में छोड़कर वो मुंबई के अपने घर मे जाकर नहाने चला गया ,6 घण्टे में शिवा सर्पलोक जाकर कितने हीं काम कर आया था
दो लोको का राजा बनकर वह जल्द ही बाप बनने वाला था और यहा सब अभी नींद से उठने वाले थे,शिवा नहाकर कुछ देर अपने लैपटॉप में काम करता रहा और 8 बजे सबके साथ नाश्ता करने आ गया ,आज वो यहां पर भी कुछ सोचकर ही आया था ,अब उसके मन मे क्या था वह सबके आने के बाद ही पता चलने वाला था ।
 
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Update 74
शिवा जब सबके साथ नाश्ता कर रहा था तब सबको शिवा थोड़ा बदला सा लगने लगा था कल के मुकाबले ,उसके बाल जो पहले थोड़े से सुनहरे थे अब कुछ ज्यादा ही घने सुनहरे लग रहे थे उसकी नीली आंखों में भी हल्की सुनहरी चमक दिखाई देती थी सबसे ज्यादा डर नीलो को शिवा के बदलने से लगता था ,उसकी चुत को फिर फटना पड़ता था उसके बदलाव के साथ ,उसकी और सबकी मन की बातों को जानकर हसि आ रही थी ,उसने अपनी माया से सबके मन मे यह खयाल निकाल दिए कि उसमे कुछ बदलाव हुवा है ,यही सब माया का असर हर एक पर किया जो उसको जानता या पहचानता हो ,
शिवा ने नरगिस से कहा ,मेने और कालने अपना काम लगभग खत्म कर दिया है 2 दिनों में एक सॉफ्टवेयर बन जायेगा ,तुम अपनी सॉफ्टवेयर के लिए एक बड़ी सी ऐड पेपर में दो ,जो भी हमारे सॉफ्टवेयर को हैक करेगा उसे हम एक करोड़ इनाम देंगे ,इसकी वजह से सब जगह हमारे सॉफ्टवेयर के बारे में पता चल जाएगा ,आजकल का जमाने में हमे ऐसे ही बातोसे अच्छी पब्लिसिटी मिल जाएगी और बहुत सी बड़ी कंपनियां हम लोगो के सोफ्टवेयर में रुचि दिखाएगी ,तुम आज सनम के साथ जाकर ऐड भी दे देंना और हमारी कंपनी की जो परमिशन हमने दाखिल की थी ,उसको भी देख लेना ,काल के साथ आज में थोड़ा बाहर जाने वाला हु ,हम 2 घण्टे में वापिस आ जाएंगे ,नेत्रा और हिमांनी तुम दोनो भी नरगिस के साथ चली जाना
सब को कम बताकर काल को साथ मे लेकर शिवा निकल गया लेकिन जो काल बनकर शिवा के साथ आया था वी केतकी नही नेत्रा थी जैसा काल ने उन दोनों के मन में पहली बार ही कह दिया था ,कालने शिवा के बाइक पर थोडी दूर जाते ही नेत्रा का रूप ले लिया और बाइक एक जगह लगाकर दोनो भवानीगढ़ के जंगलों में पहुंच गए जहाँ कालने सर्पिणी ,विशाखा के साथ नील और सब भेडियमानव को पहले ही बुला लिया था ,वहा जाकर उसने अश्व कन्या माला और बानी को भी बुला लिया था ,जिन्हें देखकर सब हैरान थे सिवाय काल,विशाखा और सर्पिणी के ,कालने उन दोनों के बारे में सबको बता दिया ,वो सबको जानती ही थी ,
काल ने फिर सबको यह बता दिया कि कल वो सर्पलोक गया था ,उसने उनको सिर्फ अपने परीक्षा के बारे में छोड़कर सब बता दिया ,सबको यह जानकर खुशी हो गईं थी कि दोनो बहनो को अपनी सारी ताकद हासिल होकर वो इच्छाधरि शक्तियों की मालिक बन गई थी ,जिसकी वजह से उनकी ही ताकद बढ़ने वाली थी ,नेत्रा को भी अपनी दोनो सहेलियों के हजारो साल की प्रतीक्षा का दुख पता था उनको अपना पूर्ण स्वरूप मिलने से उसे भी आनंद ही हो रहा था ,
काल ने कहा ,आप सब लोगो को में एक बात बताना चाहता हु ,इस मंदिर के चमत्कारी पथर के बारे में अब पूरी दुनिया मे पता चलने वाला है ,कोहिम को मैने जब मारा था तब मुझे यह पता चला था, इसके बारे में उसको भेडियमानव को सैकड़ों सालों की तकलीफ देते वक्त एक के दिमाग पे काबू करने पर पता चला था ,कोहिम इसको अकेला ही पाना चाहता था ,जिसकी मदद कुछ पाताल के मायावी असुर कर रहे थे ,कोहिम के मरने के बाद मेने वहाँ के सारे काले शक्ति धारक मायावी असरो को मार दिया था ,पर कुछ असुर मेरे काली घाटी के पहुचने से पहले पाताल में चले गए थे ,उनको यह सब बात पता थी ,अब कोहिम के मरने की खबर उनतक जाने के बाद वो अब अपने साथ और ताक़दवर लोगों को मिलाने के लिये चमत्कारी पथर की बात सब जगह पर फैला देंगे ,हमारे लिये अब खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है ,कौन अब यहाँ पर आ धमके पता नही चल सकता ,बहुत सी बड़ी ताकद रखने वालों से हमारा सामना होने वाला है ,हमे अब पहले से ज्यादा सावधान रहना होगा ,में आज यहां मन्दिर के आसपास एक ताक़दवर सुरक्षा कवच लगाने वाला हु ,आप सबके ऊपर भी में एक ताक़दवर सुरक्षा कवच लगाने वाला हु ताकि आप हर खतरे का डट कर सामना कर सके ,आज रात को में माला और बानी के साथ अश्वलोक जाने वाला हु ,वहां पर इन दोनों की ताकद पूरी करके में सुबह तक आ जाऊंगा ,इन दोनों की ताकद अश्वलोक जाकर पूरी होने के बाद ये पहले से 10 गुना ताक़दवर होगी जो हमारे काम मे बहुत मदद आने वाली है ,आज के बाद कोई भी भवानीगढ़ के मंदिर से कही नही जाएगा ,में हमेशा यहा से जुड़ा रहने वाला हु ,यहा कोई भी खतरा आने पर में पलभर में यहा आ जाऊंगा ,बस आज के बाद सब लड़ाई के हमेशा तैयार रहे ,
काल ने अपनी बात खत्म करने के बाद अपनी पूरी ताकद के साथ एक अभेद्य सुरक्षा कवच मंदिर के चारो तरफ लगा दिया उसके बाद उसने हर एक पर अपना ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा दिया थोड़ी देर सबको समझाकर नेत्रा को लेकर वो वापस मुंबई आ गया ,जब वो घर जा रहे थे तब नेत्रा ने काल से कहा हमे हिमांनी और केतकी को भी इस काम मे लगा देना चाहिए केतकी की ताकद तो मेरे जितने ही है और उसकी कालीनागिनो की फौज बहुत ही खतरनाक है उसको भी हम इस काम में लगा सकते है ,साथ ही काल को हिमांनी और केतकी से शादी कर लेनी चाहिए ,हिमांनी दुनिया की एकमात्र नीली सर्प है जिसमे बहुत ही बेमिसाल ताकद है जो उसको शादी के बाद ही हासिल होगी ,हिमांनी को अगर उसकी पूरी ताकद मिल गई तो वो अकेली ही किसी भी फौज पर भारी पड़ सकती है ,उसकी आधी ताकद तुमको भी मिलेगी जिसका तुम्हे हर तरह की लड़ाई में फायदा ही होगा ,शिवा ने भी उसकी बात का समर्थन किया और कहा वो जल्द ही दोनोसे शादी कर लेगा ,आज पहले उसे अश्वलोक जाके आने दो ,उसके बाद इन दोनों से शादी कर लूंगा ,
शिवा ने अब सोच लिया था वो मरता मर जायेगा पर इस चमत्कारी पथर को किसी गलत हाथ मे जाने नही देगा ,अगर वो चमत्कारी पथर की परीक्षा में नाकाम भी रहा पर वो अपने मरने से पहले इस चमत्कारी पथर की सुरक्षा इतनी मजबूत कर देगा कि कोई चाहकर भी उस तक नही पोहच सकेगा ,सर्पलोक में हासिल ज्ञान से उसे एक बात पता चल चुकी थी अगर वो इस परीक्षा में नाकाम रहा और उस चमत्कारी पथर ने किसी और को बिना कोई परीक्षा के चुन भी लिया तो उसे हासिल करने के लिये उस चुने हुवे व्यक्ति को भवानीगढ़ के मंदिर में आना ही होगा ,तभी वो पथर उसको हासिल हों सकता है ,और शिवा मंदिर के आसपास ऐसी पवित्र शक्ति का जाल बनाकर रखेगा की कोई भी पापी उसको भेदकर मन्दिर में जा ही ना सके ,शिवा ने अपने आप को एक बड़ी लड़ाई के लिये तैयार करना शुरु कर दिया था ,
शिवा ने काल को घर छोड़ दिया उसे एक बात का अहसास था कि उसके सामने बहुत बड़े खतरे आने वाले है ,उसने अपने हर एक चाहने वाले के ऊपर एक सुरक्षा कवच लगा दिया था ,मुम्बई के घरवालों से लेकर नेत्रा के परिवार वालो के हर व्यक्ति पर अब उसका सुरक्षा कवच था ,यहा तक उसने ज्वाला के पूरे परिवार पर भी सुरक्षा कवच लगा दिया था ,शिवा ने सोच लिया था कि अब वो सब के हर अरमान पूरे करेगा उसकी जिंदगी कब खत्म हो इस बात का उसे पता नहीं था पर सबकी इच्छा वो पूरी करने वाला था और इसकी शुरवात वो अभी शान्ती के इतने महिनो की तलाश को खत्म करके करने वाला था ,नेत्रा को जब उसने घर छोड़ा तब दस बज गये थे उसने अपने मन मे देखा इस वक्त शांति कहा है तब उसको वह उसके घरमे अपने बाथरूम में नहाते हुवे दिख गई उसके मन मे अभी उसी शख्स का ख्याल था जो उसे चोद कर गया था ,शिवा ने सीधा गायब होकर शन्ति के बाथरूम पोहच गया और उसपर अपनी माया का प्रयोग करके समयमनी में ले गया ,शांति पूरी नंगी होकर नहा रहीं थी शावर के नीचे भिगतीं वो कही से 3 जवान लड़कियों की माँ नही लगती थी अपनी 45 साल की उम्र में भी वो एक 35 साल की ही गदराई औरत लगतीं थी,शिवा उसकीं 42 की कड़क चुचिया देख रहा था जिसपे बहता पानी उसकी 32 की कमर को भिगाकर उसके 44 की कातिल गांण्ड पर से नीचे गिर रहा था ,पूजा का और उसका चेहरा एकदम हुबहू मिलता था ,पूजा शांति के जवानी के दिन याद दिलाती थी आखिर उसकी बेटी जो ठहरी ,जिस लड़की से वो मोहब्बत करता था ,आज उसकी ही मा को वो चोदने वाला था
शिवा ने पहले पानी का शॉवर बन्द कर दिया ,शन्ति अपने ख्याल में इतना गुम थीं कि उसको कुछ पता भी नही चला ,
आप मुझे क्यो तलाश कर रही थी ,शिवाने अदृश्य रुप मे ही कहा ,शांति इस आवाज से एकदम बिदक गई और डर कर बोली ,कोंन बोलो,कोंन है यहा पर ,शिवा ने हसकर कहा ,डरिये मत ,में वहीं हु जिसको आप इतने दिनो से तलाश कर रही थी ,आप से मिलने ही में आया हु ,कहीये क्या कहना चाहती थी आप मुझसे ,
में तुमको ,,,,तुम दिखते क्यो नही ,कही तुम कोई भूत तो नही हो ,शन्ति ने डर से कहा ,
मेने कहा ने आप डरिये मत और खुद को मुझसे मत छुपाईये, में पहले भी आपको पूरा नंगा देख चुका हूं और आपको एक बार चोद भी चुका हूं ,में कोई भूत नही हु ,बस मुझमे कुछ शक्तिया है ,जैसे में अदृष्य हो सकता हु ,कहीं भी जा सकता हु ,कोई दरवाजे ,खिड़की ,दीवार के आरपार देख भी सकता हु और उनके आरपार भी जा सकता हु,शिवाने कहा ,
तुम इसान ही हो न ,या कोई और ग्रह के जीव ,शन्ति ,
में इंसान ही हु ,पर कुछ शक्तिया का मालिक,शिवा ,
तुम कैसे इंसान हो ,जो अदृष्य होकर औरत से बिना मर्जी संभोग करते हो ,तुमको शर्म नहीं आतीं ऐसा करते हुए,शांति ने कहा ,
पहेली बात में किसी को उसके मर्जी के बिना नही चोदता,तुम्हारी दोनो देवरानियों की इज्जत मैंने बचाई थी,शायद यह बात उनको भी याद नही होगीं ,चलो तुमको में इस बात का सबुत भी दे देता हूं ,शिवाने यह कहकर उसको निता और सीमा के साथ हुवीं घटना की पूरी वीडियो जो उसने रेकॉर्ड की थी वो दिखा दी ,सीमा और निता की सब हवस भरी हरकते ,उनका चुदने के लिये तड़पना, बाद में उनको किसी अदृष्य व्यक्ति के साथ चुदाई करते देख कर शांति भी गर्म होने लगी थी ,उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था ,चुचिया पूरी तनकर कड़क हो गई थी ,चुचिया के बड़े से निप्पल भी तन गये थे और उसकी चुत भी अपना पानी छोड़ रही थी ,जो उसके गीले बदन से समझ नही आ रहा था ,उसकी आंखें भी लाल गलाबी हो गई थी ,उसने कहा ,इनके साथ कौन ऐसा कर सकता है ,और इनकी मदद तुमने की ,लेकिन ,मुझे क्यो नींद में चोदकर चले गए ,मुझे तो किसीने कोई दवाई नही खिलाई थी निता और सीमा की तरह ,
में गलती से तुम्हारे साथ चुदाई कर बैठा था ,इस बात की में आज तुमसे माफी मांगता हूं ,पहली बार ऐसा हुवा था कि मैने किसी को उसकी मर्जी के बिना भोगा हो ,इस बात का आज भी मुझे पछतावा होता है ,तुम जो चाहती हो मुझे सजा दे सकती हो ,और तुम्हारी देवरानियों को साथ जो हुवा उसके पीछे जो है में उसको जल्दी ही ढूंढ लूंगा और फिर शिवा ने शांति को उस रात की पूरी दास्तान सुनाई यह भी बताया की इसमें निता की भाभियों को कैसे ब्लैकमेल करके सब काम करने के लिये मजबूर किया ,सब सुन कर शांति ने कहा ,तुम अनजान होकर हमारे लिये कितना कर रहे हो ,तुम नही होते तो शायद उस दिन मेरी दोनो देवरनिया अपने हवस में अपनी की हुवीं हरकतों से अपनी जान दे देती ,हमारा पूरा परिवार बिखर जाता ,हम किसीको मुह दिखाने के लायक नही रहते ,तुम्हारे इस अहसान के बदले तुमने जो मेरे साथ किया उसको में माफ कर देती हूं ,पर ,तुमने मेरे साथ किये हुवे उस हरकत से में आजतक बैचन रहने लगी हु,मेरा बदन रोज जलता है ,में क्या करूँ इस आग को तुम ही बोलो में क्या करूँ ,इतना कहकर शांति अपने दोनो हाथो में अपना चेहरा छुपाकर जोरजोरसे रोने लगी ,उसकी इतने दिनों की तड़प ,घुटन आज खुलकर बाहर आ गयी थी,उसके बदन को शिवा की चाहत हो गई थी ,जिस अनजान से वो चुदी थी फिर उसके साथ चुदने के लिये वो तडप रहींथी ,पर अपने मुह से वह यह बात नहीं कह पा रही थी ,शिवाने उसको खीच कर अपने बाहो में भर लिया और किसी आशिक की तरह उसे सहलाते हुवे प्यार से चुप कराने लगा ,शन्ति भी किसी बेल की तरह से शिवा से लिपट गईं थी ,उसे बहुत सुकून मिल रहा था उसकी बाहो में आकर ,शिवाने उसके आसु पोछकर कहा ,दर्द मेने दिया था तुमको और दवा भी में ही करूँगा पर तुमको आज एक दर्द और झेलना पड़ेगा जो तुमको सारी तड़प और बैचेनी को खत्म कर देगा ,
इतना कहकर शिवा ने शन्ति के थरथराते होठो को अपने मुह में लेकर बड़े प्यार से उनको चुसने लगा ,शान्ती बस इस मीठे से चुंबन के महसूस करती उसका आनंद लेने लगी ,शिवा ने माया से अपने सारे कपड़े गायब कर दिए और वो नंगा हो गया ,शन्ति को किस करते हुवे उसने शान्ती की बड़ी सी मटकों जैसी गांण्ड को दोनो हाथोसे पकड़ कर दबाने लगा और उसकी चुत को अपने लंड पर दबाने लगा ,शान्ती को अपनी गांण्ड पर शिवा के मजबूत हाथो की पकड़ और चुत पर एक बड़े से गर्म लन्ड का एहसास से एकदम सिहर गई ,उसने भी अपनी बाहों का घेरा शिवा के गर्दन डालकर उसके चुम्बन का साथ देने लगी ,शान्ती के इस गदराई जवानी से शिवा भी गर्म हों रहा था ,शन्ति के ओठो के साथ अब शिवा उसके मुह में जुबान डालकर ऊसकी जीभ को पकड़कर चुसने लगा ,शान्ती को शिवा ने किस करके ही पूरा गर्म कर दिया था ,उसके छाती में शान्ती की बड़ी सी चुचिया दब गई थी और उसके निप्पल खड़े होकर उसको चुभ रहे थे ,शिवा ने शान्ति के होठो छोड़ दिया और नीचे बैठकर उसकी चुत में अपना मुह लगा दिया और उसके झरने से बहते पानी को चुसने लगा ,साथ मे उसने उसके दोनो चुचिया को अपने हाथ ऊपर करके कसकर दबा रहा था ,ऐसी मजबूत पकड़ से चुचिया दबाकर और चुत की चूसाई ने उसके चुत ने अपना पानी शिवाक़े मुह में छोड़ दिया ,उसके हाथ पांव में झड़ंने जान ही नही बची थी ,उसके पाव थरथराने लगे थे ,पर शिवा का मन अभी भरा नही था उसने शन्ति को दीवार की तरफ मुह करके खड़ा किया और उसके शॉवर के पाइप को पकड़ने को कहा ,शिवा का दिल तो उसकी कोरी गांण्ड पे आया था जो कबसे उसको बैचेन कर रही थी ,शिवाने शन्ति के गांण्ड के पास बैठकर उसकी बड़ी सी गांण्ड के को पकड़कर फैला दिया ,जिसके वजहसे उसके गांण्ड का छोटासा लाल छेद शिवा को दिख गया,शिवाने पहली इस गांण्ड से आ रही मदमस्त खुश्बू को मन भर के सूंघने लगा और उसके गांड़ में अपनी जीभ डालकर उसके चुसने और चाटने लगा ,शन्ति अपने गांण्ड के छेद पर हुवे हमले से सीत्कार लगाते हुवे कसमसाई ,और मुह से एक मादक आवाज में बोली ,माँ sssss यह क्यो कर हो तुम ,,,,
शिवा तेजीसे उसकी गांण्ड के छेद को चाटते हुवे अपनी दो अंगलियो से उसकी चुत को चोदने लगा ,पाँच ही मिनीट में शान्ती झड़ंने लगी ,शिवा ने शन्ति की एक टांग अपने हाथ मे पकड़कर उसके चुत में निकलते पानी को चाटने लगा इस बार जब शिवाने उसके चुत के दाने को मुह में लेकर चूसा तो शन्ति के चुतसे एक तेज धार पेशाब की निकल गईं जिसको भी शिवा ने अपने मुह में लेकर पूरा पी गया ,शन्ति अब बुरी तरह थरथर कापने लगी थी ,शिवा ने उसको थामा नही होता तो वो कबसे नीचे गिर गईं होती ,उसका चेहरा, चुचिया, सब एकदम लाल हो गए थे ,शिवा ने फिर शॉवर चालू कर दिया और उसके नीचे शन्ति को लेकर पानी मे भीगता कुछ देर उसके होठो को चूसने लगा ,दोनो के बदन को अच्छी तरह साफ करके, उसे अपनी बाहों में उठाकर वैसाही गीले बदन से बिस्तर पर ले आया ,उसने शन्ति को पीठ के बल लिटाकर उसके दोनो टांगो को अच्छे से फैला दिया और शन्ति के चुत के छेद पर अपने बड़े से लन्ड का टोपा भिड़ा दिया ,शान्ती के कान के पास जाकर शिवा ने धीरे से कहा ,थोडी देर दर्द सहन करना होगा पर उसके बाद तुम हवा में उड़ने लगोगी ,
शन्ति पहले भी अच्छे से चुदी हुवीं थी उसको सब बातें पता थी ,पर उसकी चुत पर जिस लन्ड को वो महसूस कर रही थी वो कोई मामूली लंड नही लग रहा था ,अब तक सिर्फ वो दो ही लन्ड से चुदी थी ,वो भी इसके सामने एकदम मामूली ही थे ,शांति अपने आप को मजबूत करती ,अपने चुत पर होने वाले इस भीषण लन्ड के हमले के लिये तैयार होने लगी थी ,शिवाने अपने मुह को शान्ति के होठो से जोड़कर एक जबरदस्त हमले से अपने लन्ड को शान्ति के तीनों बच्चों को पैदा करनी वाली चुत को फाड़ता हुवा 1/3 अंदर घुसा दिया ,शान्ती को 3 बच्चे पैदा करने पर इतना दर्द नही हुवा था उतना दर्द आज हो रहा था ,वो अपने दर्द से गला फाड़कर चिल्लाने लगी पर शिवाने उसके दर्द की परवाह किये बैगर और दो धक्कों में उसके चुत में जड़ तक अपना 15 इंच का मूसल घुसा दिया ,उसके चुत को बुरी तरह फाड़ दिया था शिवाने ,शान्तिं का रो रो कर बुरा हाल था ,अपने आप को कोसती ,वो शिवा के नीचे तड़फड़ा रही थी ,पर शिवा रुकने का नाम नही ले रहा था ,वो शान्ति की चुचिया दबादबाकर उसके होठो को चूसता उसके चुत में दनादन अपने लन्ड को ठोक रहा था और उसको अपने लंड के माप की बना रहा था 10 मिनीट तक शिवा के नीचे उसके लंड से अच्छी तरह अपनी चुत की कुटाई के बाद शन्ति भी अपनी गांण्ड उठाउठकर उसका साथ देने लगीं थी ,उसकी चुत इस दौरान एक बार झड जाने उसके चुत में चिकनाई आ गईं थी ,शिवा के साथ इसी पोझ में 3 बार झड़ंने के बाद शिवा ने उसे घोडी बनाकर एक ही बार मे अपना लंड उसकी चुत में पूरा उतार दिया ,शान्ती को इतना चुदने के बाद भी बहुत तेज दर्द हुवा था ,शिवा को शान्ती को चोदते हुवे ऐसा लग रहा था मानो वो पूजा को ही चोद रहा हों,उसके लन्ड में एक अलग ही हलचल मची हुवीं थीं ,शान्ती के तीसरे बार पानी छोडते वक्क्त शिवाने भी शान्तिं के चुत में अपना लंड अंदर तक दबाते हुवे उसकी चुत की इतनी सेवा का फल ,अपनी गरम और गाढ़ी मलाई भरभर के देने लगा ,शन्ति के चुत ने आज तक अपनी चुत में इतना गर्म और गाढ़ा माल ,वो भी उसके चुत को पूरा भरने के बाद भी ,उसके चुत के होठो से नीचे बहता पहली बार महसूस कर रही थी , शांति के इतने दिनो की तड़प ,बैचेनी आज पूरी तरह खत्म हो गईं थी ,उसके पूरे बदन को जलाने वाला ताप एक सुखद दर्द के मीठे अहसास में उसके पूरे बदन में फैल गया था ,शान्ती को शिवाने दो बार और जमके चोदा ,जिसमे उसके चुत को ही वो अपना माल खिलाते रहा ,शांति की चुत इस भीषण चुदाई से पूरी सूज गईं थी ,आज शिवा ने अगर उसकी गांड़ मारी तो वो दस दिन बेड से उठ नही सकतीं थी ,शिवा ने शांति को कपड़े पहनकर ,चुत में दवा लगाकर ,एक पेनकिलर दी और आराम करने को कहा, उसने शान्ती से इतना हीं कहा तीन दिन तक तुम आराम करो ,उसके बाद तुम्हारी छोटी सी गांण्ड को भी बड़ा बना देंगे ,शान्ती शिवा की इस बात से शर्मा गई थी ,शिवा उसको समयमनी से बाहर लेकर आया ,समयमनी में बस 6 घण्टे हीं उसने बिताए थे ,मतलब धरती के 15 मिनीट ,उसके बाद उसने 2 घण्टे यानी सर्पलोक के दस दिन का समय मंदा के साथ मीठे प्यार में बिताकर दोपहर 12,:30 को अपने घर लौट आया ,उसने हिमांनी और केतकी के साथ भी पूरी बात की उनको भी पहले नेत्रा ने सब समझा दिया था,दोनो उसका साथ देने को तैयार थी ,केतकी ने शिवा से कहा उसको शिवा के साथ एक बार पाताल जाना है ,वहां पर शिवा को अपने काम मे मदद मिले ऐसा कुछ है ,शिवा ने कहा कल हम पाताल जाएंगे तुम तैयार रहना ,केतकी ने कहा हम दोनों को ही जाना होगा ,शिवा ने यह बात भी मान ली ,रात के बारा बजे तक शिवा ने सुनीता ,ज्वाला,निता ,सर्पिणी ,विशाखा ,सब भेड़ियेऔरत को खुश कर दिया इस बीच वो 2 बार सर्पलोक भी जाके आया था ,रात को12 बजे वो अश्व कन्या माला और बानी के साथ हिमालय के हजोरो मिल नीचे बसे अश्वलोक पहुच गया ,जहा समय की गति बहुत ही धीमी यानी धरती के 1 घण्टे मतलब अश्वलोक 10 दिन होते थे ,अश्वलोक में पहुचने से पहले काल ने भी माला और बानी की तरह अश्व मानव का रूप लिया था ,पहले शिवा सिर्फ किसी इंसान का हीं रूप यानी मर्द या औरत बन सकता था पर इच्छाधारी बनने के बाद वो कोई भी रूप ले सकता था इंसान ,जानवर,पंछी कोई भी रूप अब काल ले सकता था ,अश्वलोक की समस्या बहुत ही विचित्र हो गईं थी ,अश्वलोक का हर अश्व पुरूष हजारो सालो से नपुंसक बन गए थे ,इसी समस्या का हल ढूंढने माला और बानी के साथ काल अश्वलोक आया था ।
 
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Update 75
काल जब अश्वलोक पहुचा वहां का माहौल देख कर बहुत खुश हो गया,उसने सर्पलोक और नागालोक कि सैर की थी वो भी बहुत खूबसूरत थे ,पर अश्वलोक सबसे अलग था ,अश्वलोक में हर तरफ हरियाली, बड़े बड़े जंगल,पानी की बहुत से छोटे छोटे सरोवर ,एक दिल को ठंडक दे ऐसा शांत सा माहौल था ,जैसे उनको रास्ते मे अश्व मानव मिलते ,सब माला और बानी के पीछे बिना बोले चल रहे थे ,चलते हुवे वो एक एक सफेद सी इमारत के सामने पहुचे जहा चारों तरफ बलशाली अश्व सैनिक दिख रहे थे ,काल समझ गया था कि यह सफेद इमारत जरूर यहा के राजा की होगी और यही सच भी था ,यह सफेद इमारत अश्वलोक के महाराज पवन और महारानी सोनी का निवास स्थान थी ,
जब तक वह सब उस इमारत के सामने पहुचते उनके सामने एक बहुत ही मजबूत और ताक़दवर दिखने वाला 10 फिट का मानव और 8 फिट की खबसूरत और सुंदर सी औरत आ गए थे ,उन दोनों को देखकर सबने उनको झुककर सलाम किया,जिसको देखकर काल ने भी वैसाही किया ,महाराज पवन ने कहा,आप सब लोग इस तरह महल की और आने से हम समझ गए थे कि माला और बानी आ गए है ,नही तो यहां महल में सदियों से कोई नही आता है ,माला और बानी तुम दोनो इतने अरसे बाद अश्वलोक लौटकर आयी हो इसका मतलब जरूर तुमने अश्वलोक का बचाने का कोई मार्ग ढूंढ लिया होगा ,तुम मंदिर की रक्षा छोड़कर कभी ऐसी यहा नही आती ,हम सब जानने के लिये आतुर है ,आप ने क्या उपाय खोजा है ,
माला ,महाराज उपाय आपके सामने है ,यह काल है यही हम सबकी एक उम्मीद है ,
महाराज पवन ,माला यह एक इच्छाधारी है ,यह कोई अश्व मानव नही है,यह ना वहां जा सकता है,मान लो यह वहां गया भी तो वही मारा जा सकता है,हमने आज तक कितने ही अश्वलोक के वीर इस काम मे खो चुके है ,हमारे कितने ही दोस्तो ने भी कोशिश की जो अश्व मानव नही थे पर सब नाकाम ही रहे और कोई जिंदा वापिस लौट कर नही आया ,
माला,महाराज ना मेने इनको कुछ कहा ,ना में खुद इनके पास गई ,इन्होंने मुझे अदृश्य होते हुवे भी देख लिया और मेरे मन की बात पढ़कर मेरी मदद करने के लिये ये खुद की मर्जी से ही मेरे साथ आये है ,
महाराज, काल यह बात सच है ,
काल ,महाराज पवन आप सोच रहे है कि यह कैसे सम्भव है जो अश्व कन्या आप सब अश्वलोक पर भारी है ,जिनके सामने खुद आप भी हार मान लेते है ,आप खुद अश्वलोक के सबसे काबिल योद्धा होकर कभी इनके मनकी बात नही पढ़ सके, ना यह दोनो को अदृश्य होने के बाद कभी आप देख सके हो,आप को यही लग रहा है ना महाराज पवन जी ,
महाराज, काल तुम सचमुच खास लगते हो,मुझे तुम पर संदेह नही है ,पर तुम को पता नही है तुम्हे किस तरह के खतरे का सामना करने का पड़ने वाला है ,में तूमको पूरी बात बताता हूं ,फिर तुम अपना फैसला करना ,हजारो साल पहले की बात है ,जब माला और बानी को मन्दिर के रक्षा के लिये चुना गया था ,यह हम अश्वलोक के लोगो के लिये बहुत बड़े सन्मान की बात थी ,हमे इस बात का गर्व होने लगा था कि हम अश्वलोक के लोग इतने ताक़दवर है कि खुद त्रिशक्ति ने हमे किसी काम के लिये चुना ,हम लोगो मे बहुत अहंकार बढ़ गया उसके बाद ,हम लोग हमारे अश्वलोक द के अश्वदेवता को भी भूल गए ,हम उन्हें भी अब तुच्छ समंझने लगे ,जहा हम पर त्रिशक्ति की कृपा है तो यह अश्व देवता किस काम कामके ,हम बहुत ही उन्मुक्त ,गर्विष्ठ हो गए थे ,सारे अश्वलोक के लोग अब अश्व देवता को भूल गए थे ना उनका मानसन्मान करते ,ना उनकीं पूजा ,यहा तक कि कोई उनके मन्दिर में दर्शन करने भी नही जाता था,सैकड़ो साल बीत चुके थे हम लोग अपनी ही मस्ती में रहते थे ,एक दिन मेरे मेरे पिता और मेरी माँ जब अश्वलोक राजा थे और में बहुत छोटा था ,दोनो एक दिन जंगल मे घूमते हुवे ,अपनी कामभावना में लीन होकर कामक्रीड़ा करते गलती से अश्व देवता के मंदिर में चले गए ,वही पर वो अपनी तन की आग शांत कर रहे थे ,तब जो अश्व देवता इतने दिनों से हम सब की वर्तन से पहले से ही नाराज थे ,वो अपने सामने इस तरह कामक्रीड़ा करने वाले हमारे मातापिता के वर्तन से क्रोधित हो गए, उनको यह अपना एक और अपमान लग गया ,तब उन्होंने मेरे पिता को श्राप दिया और कहा कि ,मूर्ख अश्व सम्राट तू अपने अहंकार में यह तक भूल गया कि हम तुम्हारे कुलदेवता है ,हमारा इतने वर्षों से तुम सब लोग जिस तरह से अहवेलना करते आ रहे हो फिर भी मेने कुछ नही कहा ,पर आज तुमने जो हरकत की है उससे यह पता चलता है कि तुम लोग कितने उदण्ड हो गए हो ,में तुम सब अश्वलोक के मर्दो को श्राप देता हूं ,आज के बाद कभी तुम संभोग करने के काबिल नही रहोगें,और जिस रानी को अपनी कामभावना की आग में इतना भान नही रहा कि वह कहा पर अपनी तन की आग बुझा रही है ,में तुमको भी श्राप देता हूं आज के बाद तुम इस तन की आग में हमेशा जलती रहोगी ,और इन मंदिरों के जंगलों में भटकती रहोगी ,कोई भी तुम्हारी इस आग को शांत नही कर सकेगा किसी अश्व मानव से ही तुम्हारी आग बुझ सकती है ,पर आज के बाद इस अश्वलोक मे कोई अश्वमानव में कभी संभोग करने की ताकद होगी ही नही ना कभी उनके मन मे कोई कामभावना का कभी जन्म होगा ,उसके बाद हमारे माता पिता महल वापिस लौट आए ,वो थोडासा डर गए थे उन्होंने यह बात सबको बताई ,लेकिन सब लोगो ने इस बात को हल्के में ले लिया ,पर उसी दिन से सब अश्व पुरुष नामर्द हो गए, मेरे पिता भी ज्यादा दिन जिंदा नही रहे ,उनको यहीं लगता कि सब उनकी ही गलती है,जिसकी सजा पूरे अश्वलोक के लोगो को मिली है ,उन्होंने बहुत कोशिश की इस श्राप को खत्म करने की,हर देवता की वो आराधना करते उनसे उपाय मागंते पर सभी यही कहते कि वे तुम लोगो के कुलदेवता है ,हम उनके श्राप को नही मिटा सकते है ,तुम को उनसे ही माफी मांगकर कोई उपाय ढूढ़ना चाहिये ,पर हमारे पिताजी को अश्व देवता के सामने जाने की हिम्मत ही नही होती थी ,इस दुख और गम में वो चल बसे ,मेरी माँ आज भी उन मन्दिर के आसपास के जंगलों में घूम रही है ,वो अब इतने क्रोध और गुस्से में रहती है कि कोई उनके सामने दिख भी गया तो वो उसपर आक्रमण कर देती है और मार देती है ,मेरे पिता के मरने के बहुत पहले से वो श्राप के कारण जंगलो में घूम रही है ,मेरे पिता के मौत की सबसे बड़ी वजह भी यही है कि मेरी माँ के इस दुर्दशा से वह बहुत पीड़ित और दुखी रहते थे ,मेरे पिता के मृत्यु के बाद में राजा बना ,मेने भी बहुत कोशिश की अश्व देवता के मंदिर में जाकर उनसे माफी मांग सकू ,पर मेरी माँ उस मन्दिर के बाहर ही घूमती रहती है ,वो किसी को भी मन्दिर तो क्या उन जंगलों में दाखिल होते ही पकड़ कर मार देती है ,मेने भी एक दो बार कोशिश की थी अश्व देवता के मंदिर में जाने की ,ताकि में उनसे माफी मांग कर कुछ उपाय जान सकू, पर मेरी माँ ने मुझे भी नही पहचाना ,उन्होंने मुझे भी जान से मार देने की कोशिश की में मेरी जान बचाकर वहां से भाग आया था ,हमार कुछ अश्व पुरुष योद्धा ने भी कोशिश करनी चाही थी मन्दिर में जाने की ,पर वह मेरी माँ के हाथों से मारे गए ,मेरे कुछ दोस्त थे जो अश्वमानव नही थे ,वो लोगो ने भी कोशिश की पर वो लोग भी मारे गए ,वो लोग तो मुझसे भी शक्तिशाली और ताक़दवर थे ,पर मेरी माँ ने उन सबको भी मार दिया ,उस श्राप के बाद हमारे अश्वलोक में कोई भी नए अश्व मानव के बच्चे का जन्म नही हुवा है ,जितनी भी कुवारी अश्व कन्या है सब अभी तक कवारी ही है ,यहा तक कि मेरी पत्नी भी सोनी भी अभी तक कुवारी है ,पहले इस अश्वलोक मे 50 हजार के आसपास अश्व मानव हुवा करते थे लेकिन अब बस 2000 ही अश्व मानव बच गए है ,जिनमे 1600 कवारी अश्व कन्या और 400 अश्व पुरुष ही बचे है,अश्वलोक के लोगो मे सबसे ज्यादा कामशक्ति होती है ,हर अश्व औरत की योनि इतर जीवो के मुकाबले सबसे बड़ी होती है ,उसी तरह हर अश्वपुरष का लिंग भी सबसे बड़ा होता है सब जीवा में ,लेकिन यही चीज हम लोगो के लिये मौत का कारण बन गई है ,अपने नामर्द होने की की वजह से बहुत से अश्व पुरषों ने खुद की जान दे दी और उनकी तरह ही अपनी कामवासना से पीड़ित ,अश्व पुरुष का सहवास न मिलने की वजह से अश्व महिलाओं ने भी अपने आप को खत्म कर दिया ,अब हम बस थोड़े ही बचे है, अगर इस श्राप का कोई उपाय नही मिला तो शायद हम ही आखरी अश्व मानव की पीढ़ी होने वाले है ,
काल ने सब सुनकर कहा ,महाराज आप सब लोगो ने कोशिश कर के देख ली है ,में भी अपनी एक कोशिश करना चाहता हु ,में अगर अपनी कोशिश में नाकाम भी रहा तो भी मुझे अपनी जान जाने का कोई गम नही होगा ,पर अगर में कामयाब रहा और मुझे इस श्राप का कोई उपाय मिल गया तो यह मेरे लिये बहुत खुशी की बात होगी के में आप सबके कोई काम आया ,
महाराज, ठीक है जैसा तुम ठीक समझो ,तुम आज यहा पर आराम कर लो ,कल सुबह तुमको सैनिक अश्व देवता के मंदिर तक जाने का रास्ता बता देंगे ,
महाराज और काल की बाते सब ने सुनी थी,उन्होने काल से भी कही अधिक शक्तिशाली लोगो को उस जंगल मे जाते हुवे देखा था ,जो कभी वापस नही आये थे उस जंगल से,काल से भी उनको ज्यादा उम्मीद नही थी ,पर माला और बानी पर सबको भरोसा था कि वह किसी गलत आदमी को नही ला सकती ,अजीब सी कश्मकश के साथ महल से सभी लौट गए ,काल को महल के ही एक कमरे में ठहराया गया था ,माला और बानी भी महल में ही रुकी हुवीं थी ,दोनो एक ही कमरे में रुके हुवे थे ,
बानी ,काल ने हम दोनों को जिस तरह से अदृश्य होकर भी देख लिया था ,क्या वो सिहाली और मिनाली को भी देख सकता है ,जिनको सिर्फ हम दोनों ही जानते है
माला,पता नही बानी पर वो दोनो बहने भी महाशक्तिशाली है ,आजतक कभी हम दोनों को मन्दिर के रक्षा के लिए किसे के सामने नही आना पड़ा ,तो वो दोनो की तो दूर की बात है, ,जिस तरह हम दोनों भी कुवारी है ,वो दोनो भी थी ,हमने भी उन दोनों बहनों को बहुत वक्क्त से देखा नही है ,पता नही वो दोनो मन्दिर के आसपास भी हमे नहीं दिखी है , वो दोनो ऐसी किसी मुसीबत आने पर ही सामने आ सकती है जिसको हम दोनो भी उसका सामना न कर सके ,पर काल ने उनको देखा है कि नही यह बता नही सकते ,
बानी ,मुझे भी आश्चर्य होता है वो दोनो कितनी बड़ी और विशाल है ,इतनी ताक़दवर होने पर भी कभी उनकी बातों में मुझे गर्व नही दिखा ,कितने साल हो गए है उनसे मिलकर ,उन दोनों के अलावा भी कोई होगा मन्दिर की सुरक्षा के लिये, तुम्हें क्या लगता है ,
माला,बानी यह बात उनको ही पता होगी ,हमे जैसे हमसे नीचे जो है उनके बारे मे सब पता होता है और हमारे ऊपर जो हमसे शक्तिशाली है बस उसका ही पता होता है ,उस तरह उन दोनों को ही पता हो सकता है कि उनके ऊपर कौन शक्तिशाली है ,यह बहुत ही विचार करके बनाई गई व्यवस्था है मन्दिर की सुरक्षा के लिये,और हम कभी एक दूसरे के राज नही बताते किसी दूसरे के सामने ,भले ही काल मन्दिर की रक्षा कर रहा हो ,लेकिन हम सिर्फ उसका साथ दे सकते है ,ना हम उसे उन दोनों के बारे में कभी बताएंगे ना उसके सामने कभी उन दोनोके बारे में कुछ बाते काल के सामने अपने मन मे आने देंगे ,तुम इस बात का खास ध्यान रखना ,काल हमारे मन की बातोंसे कभी उन दोनों बहनों के बारे में कुछ जान न पाए ,
माला और बानी कुछ देर बात करते हुवे सो गई ,काल तो अपने कमरे में आकर बस यही सोच रहा था कब यहां पर रात खत्म होगी और सवेरा होगा ,उसके आंखों में नींद नही थी उसने सारी रात जागकर ही बीता दी और सवेरा होने पर महाराज के दिये हुवे सैनिकों के साथ मन्दिर के रास्ते की तरफ चला गया ,उन सैनिकों ने उसको एक जंगल के बाहर छोड़कर बता दिया ,कि इसी जंगल मे अश्व देवता का मंदिर है ,वो सैनिक काल को उस जंगल के बाहर छोड़ कर चले गए ,काल ने उनके जाने के बाद खुद को अदृश्य करता उस जंगल मे प्रवेश कर लिया ,और धीरे धीरे सब तरफ सावधानी से देखते हुवे आगे चलने लगा ,कुछ देर चलने के बाद उसे लगा कि कोई बहुत तेजी से उसकी तरफ आ रहा है तो उसने खुद को हवा में ही 50 फिट तर ऊपर उठ लिया और उसी जगह पर खड़ा होकर सामने देखने लगा ,एक सफेद रंग की अश्व औरत उसके नीचे आकर खड़ी थी ,वो चारो तरफ देख रही थी ,उसे वहां पर किसी के होने का आभास हो रहा था ,वह बहुत ही गुस्से में लग रहीं थी ,उसने बाल खुले छोड़ रखे थे ,माला और बानी से बड़ी और तगड़ी दिख रही थी यह अश्व औरत ,उसकी बड़ी बड़ी चुचिया काल के दोनो हाथो में भी नहीं आ सकतीं थी ,उसकी चुत एक दम बड़ी थीं,जिससे लगातार पानी रिस रहा था ,वो औरत दिखने में बहुत सुंदर लग रही थी,अपने चारों पैरों से जमीन पर पर धूल उड़ाती घूम घूम कर देख रही थी ,पर उसे कोई देख नही रहा था ,वो गुस्से में चिल्लाने लगी और कुछ देर वहां रहकर,वहां से चली गई ,काल उसकी मन की बातों से समझ गया था, कि इसके कानो ने काल के पैरों की आहट सुनी थी इसी वजह से यह यहा पर आयीं थी ,पर किसी के ना दिखने पर गुस्से में चिल्लाते हुवे चली गई ,यह महाराज की माँ है यह काल समझ गया था ,उसने पहले अपना इच्छाधारी शक्ति का उपयोग करके उस महाराणी की हवस की आगे बुझाने के बारे में सोचा और अपने आप को एक अश्वपुरष मे बदल कर उसके साथ संभोग करने के लिए जाने लगा पर कुछ देर आगे चलने के बाद उसने अपना खयाल बदलकर वापिस अपने इंसानी स्वरूप में आ गया और हवा में उड़ता हुवा अश्व देवता के मंदिर को तलाश करने लगा जल्द ही उसको एक मन्दिर दिख गया जो एक तालाब के किनारे काले पथरो में बना दिख रहा था ,उस मन्दिर में सालो से कोई न आने से मन्दिर में धूल ,मकड़ी के जाले और मिट्टी फैल गई थी पहले काल ने अपने माया का उपयोग करके सब साफ करने की सोची पर उसने कुछ सोचकर खुद के हाथों से मन्दिर की साफ सफाई की ,अपने बदन पर जो कपड़े थे उसके ही मदद से उसने मन्दिर के धूल मिट्टी ,मकड़ी के जालो को निकाल दिया,साफ सफाई के दौरान ही उसे कुछ पुराने बर्तन मीले जिनको उपयोग मन्दिर में पानी लाकर साफ सफाई की जाती होगी ,कालने उसी बर्तनों में तालाब से पानी लाकर मन्दिर के साथ अश्व देवता की मूर्ति भी अच्छी तरह धोकर साफ किया ,फिर मन्दिर के पास ही बने फूलों के पेड़ों से सुगन्धित फूलों को तोड़कर उसने उस अश्व देवता की मूर्ति को चढ़ा दिए ,अश्व देवता को दण्डवत प्रणाम करके काल उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया ,और कहने लगा ,है अश्व देवता आपको तो सब पता ही होगा में आपको क्या बताऊंगा ,आप खुद एक देवता हो में किस काम के लिए आपके पास आया हु आपको पता ही होगा ,लेकिन में आपसे एक ही बात कहना चाहता हु प्रभु ,हम आपके ही बच्चे है ,आप ही हमारे मा बाप हो ,हमसे अगर गलती हुवीं तो सजा देने का आपको हक है ,पर हमको आपके सिवा बचाने वाला भी कोई नही है ,अगर आप चाहे तो क्या नही हो सकता,आप कब तक अपने बच्चों से गुस्सा करेंगे ,हमको हमारी गलती का पछतावा है और हम सब शर्मिंदा भी है हमारी हरकत से ,में सबके तरफ से ही आपके पास आया हु ,आप हम सबको माफ कर दे यही में आपसे विनतीं करता हु,आप ही हमारे लिये सबसे अच्छा फैसला कर सकते है ,और आप जो भी करंगे उसमे हमारी ही भलाई होगी ,अपने पुत्रो को अपनी शरण मे लेकर हमारा उद्धार करे प्रभु ,
काल अपनी बातें कहकर अपनी आंखें बंद करके अश्व देवता की मूर्ति के सामने खड़ा रहा ,तभी उसके कानों में आवाज आयीं ,आंखे खोलो शिवा तुमने कोई गलती नही की है,और फिर भी तुम हमसे क्षमा मांग रहे हो ,कालने आंखे खोलकर देखा तो उसके सामने साक्षात अश्व देवता खड़े थे ,उनके उस दिव्य स्वरूप को देखकर काल उनके चरणों मे गिर गया,
काल,प्रभु मुझे आपने साक्षात दर्शन देकर मेरा जीवन धन्य कर दिया, मेने सपने में नही सोचा था कि कभी आपके दर्शन में कर पाऊंगा ,
अश्व देवता ,शिवा तुम एक ईश्वरीय कार्य करने वाले नेक इंसान हो ,तुमने आज मेरी जो सेवा की है उससे बहुत प्रसन्न हूँ,अपने अंदर इतनी मायावी शक्तिया होकर भी तुमने अपने हाथों से मन्दिर में जो स्वच्छता की ,मेरी पूजा की, इस बात को दर्शाता है कि तुम अपनी ताकद का इस्तेमाल हर जगह नही करते ,तुम्हारी लगन और मेहनत से में बहुत प्रसन्न हूँ,तुमने अपनी इच्छाधरि ताकद का इस्तेमाल करके रानी पाली के पीछे न जाकर मेरे मन्दिर में आकर मेरी सेवा की,अगर तुम रानी पाली से संभोग करने जाते ,तो उसको स्पर्श करते ही तुम शक्तिहीन हो जाते और रानी पाली तुम्हे एक क्षण में मार देती ,उस रानी पाली को एक अश्व पुरुष ही शांत कर सकता है ,कितना भी बड़ा मायावी या इच्छाधारी उसके सामने अश्वपुरष का रूप लेकर जाता तो वो मारा जाता ,तुमने सबसे पहले मेरे मंदिर में आकर जो सेवा की है उसकी वजह से मुझे बहुत प्रसन्नता हुवीं ,में अपना श्राप वापस तो नही ले सकता पर तुमको में अश्वपुरष बना देता हूं ,अब यह निर्णय तुम खुद करना है कि इन सब अश्व मानवों को कैसे बचाना है ,तुम पहले ऐसे अश्वपुरष बनोगे जो किसी अश्व औरत की कोख से पैदा न होकर भी अश्वमानव होगा ,तुम मेरी दिव्य शक्तियों से बने एक खास अश्व पुरुष होंगे जिनमे मेरी तरह ही सब ताकद होगी ,इतना कहकर अश्व देवता ने अपने हाथों से एक सफेद रोशनी की किरण काल के शरीर पर छोड़ दी ,काल के शरीर मे वो किरण जाते ही काल के पूरे शरीर मे वो समय गई कुछ ही पलों में काल को अपने अंदर एक भारीपन महसूस होने लगा ,उसको ऐसा लगा जैसे वो और ज्यादा लम्बा और बलवान हो रहा है,काल एक लंबे ,तगडे, सबसे बलवान अश्वपुरष में बदल चुका था ,उसका पूरा बदन किसी बर्फ की तरह सफेद हो गया था ,काल अपने घोड़े जैसे मजबूत चार पैरों के शरीर को देख रहा था उसके हाथ पहले कही मजबूत और तगडे हो गए थे काल ने अश्व देवता को हाथ जोड़कर इस ताकद को देने के लिये शुक्रिया अदा किया ,
अश्व देवता ,शिवा अब तुम सोचो तुम क्या कर सकते हो इस अश्वलोक के लिये,अगर तुमने सही फैसला किया तो अश्वलोक के जाने से पहले में तुमको एक ऐसी शक्ति दूँगा जिसका तुम्हे आगे चलकर बहुत फायदा होगा ,अब तुम अपने सोच और विचार से ही इस अश्वलोक को बचा सकते हो ,इतना कहकर अश्व देवता वहासे अंतर्धान हो गए ,
काल अपने अश्व शरीर की पूछ हिलाता अपने चारों पैरों से कुछ देर आगे पीछे होता कुछ देर सोचता रहा और फिर अपनी एक राय बनाकर उसने अपने आगे के दोनो पैर हवा में उठाकर रानी पाली की महक लेकर उसके तरफ तेज दौड़ लगा दी ,काल की किसी हवा के झोंके के समान पल भर में रानी पाली के सामने पहुँच गया ,
रानी पाली पहले ही जंगल मे उसे किसी की आहट और महक पाकर भी उसके ना मिलने से गुस्से में थी ,उसने अपने सामने एक अश्वपुरष को देखकर उसपे आक्रमण कर दिया ,काल पर उसने अपने दोनो पैर ऊपर उठकर उसकी छाती पर मारने चाहे पर कालने उसके दोनो पैरों को अपने हाथो में पकड़ लिया ,रानी पाली ने बहुत ताकद लगाई ,अपने हाथोसे काल पर आक्रमण करने की कोशिश की पर उसके पैरों को काल ने जिन हाथो में पकड़ा था ,उस पर उसने अपनी पूरी ताकद लगाकर बहुत से वार किये पर काल पर किसी वार का कोई असर नही हुवा ,रानी पाली ने अपनी मायावी अश्व विद्या से भी काल पर बहुत से वार किये पर काल पर कुछ असर ही नही हुवा ,रानी पाली पूरे पसीने से लथपथ हो गयी थी ,आजतक उसके सामने जो भी आया था वो पल भर में मारा गया था ,पर यह अश्वपुरष उस पर भारी पड़ गया था ,उसके बदन से आती महक से रानी पाली भी अब काम विव्हल हो रही थी ,उसकी चुत में भयंकर खुजली मच गई थी ,वो इस अश्वपुरष से संभोग करने के लिये मचलने लगी थी ,काल ने उसकी मन की बात समझ कर उसके पैर छोड़ दिये ,रानी पाली ने अपनी चुत के ऊपर से अपनी पूछ एक तरफ करके काल के तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गयी ,काल ने भी अपने आगे के पैर पाली के पीठ पर रख दिये ,पाली उसके शरीर के सामने बहुत ही नाजुक थी ,काल पाली से 8 फिट लम्बा था ,उसके वजन से पाली थोड़ी दब सी गई थी ,पर संभोग सुख से हजारो साल से जलती पाली उसके बोझ को खुशी से सहन कर रही थी ,काल ने अपने पेट के नीचे से अपना गलाबी अश्व लिंग बाहर निकाल लिया और एक ही धक्के में वो 5 फिट से बड़ा अश्व लिंग पाली की बड़ी से चुत को फाड़कर अंदर तक घुसा दिया ,पाली अपने चुत में इस विशाल लिंग को लेकर दर्द में जोरसे चिल्लाने लगी ,उसकी चीख इतनी तेज थी कि पूरे जंगल के पंछी पेडों से उड़ गए ,राजमहल तक उसकी चीख सुनाई दी थी ,अश्वलोक के सारे लोग राजमहल के बाहर जमा हो गए थे ,रानी पाली की चुत में काल अपने बड़े से लन्ड के तेज प्रहार कर रहा था ,रानी पाली अपने चुत में हजारो साल से जल रही आग से गर्म लंड को लेकर लगातार चीख रही थी ,उसकी आग को आज एक ऐसा लन्ड बुझा रहा था जो असमान्य लम्बा,मोटा और गर्म था ,पूरे एक घण्टे तक पाली अपने चुत में हो रहे दर्द से चिखती रही ,पर काल उसकी चुत में अपने लन्ड के धक्के लगाता ही रहा ,पाली की चुत इतनी झड़ी थी इस एक घण्टे मे की उसके चारों पैरों के नीचे उसके चुत के पानी जमा हो गया था ,काल ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर उसके चुचिया अपने पंजो में पकड़ ली और उनको दबाता हुवा और तेजीसे पाली को चोदने लगा ,पाली को 6 घण्टे तक काल ने जबरदस्त चोदा उसकी चुत में अपने गर्म वीर्य को उसने 6 बार भर दिया था ,पाली की सारी हवस अब मिट चुकी थी ,अपने चुत में इस लन्ड के वार से अब उसे भी मजा आने लगा था ,काल के वीर्य ने उसकी चुत के साथ उसके गर्भाशय को भी भर दिया था ,उस गर्म वीर्य से उसका सारा मद कम हो गया था ,कालने उसके अंदर अपना वीर्य 7 वी बार भरने के बाद उसके ऊपर से उतर गया ,पाली के चुत से काल वीर्य नीचे टपक रहा था ,पाली थरथर कांप रही थी ,उसके चारों पैरों में जान नही बची थी ,वो अब अपने मानव रूप में आ गई थी ,काल ने उसे कहा रानी पाली आप मेरे ऊपर बैठ जाइए में आपको महल ले चलता हूं ,काल ने अपने आप को पूर्ण अश्व के रूप में बदल कर पाली को अपने ऊपर बिठा दिया,और एक पल में ही महल पोहच गया ,वहां सभी रानी पाली एक दिव्य अश्व पर देखकर हैरान हो गए ,काल एक 20 फिट से लम्बा पूर्ण अश्व रूप में बहुत आकर्षक लग रहा था ,उसका पूरा सफेद शरीर, शरीर पर लम्बे बाल सुनहरी आंखे ,मजबूत शरीर उसे एक अलग ही आभा दे रही थी ,रानी पाली को अपने सामने एकदम ठीक देख कर सब खुश हो गए थे ,रानी पाली उस घोड़े के पीठ से उतरी तो थोड़ी लंगड़ा के चल रही थी ,जैसे ही रानी काल के पीठ से उतरी वो एक अश्व पुरुष में बदल गया ,उसे देखकर सब समझ गए कि ये कोई इच्छाधारी अश्व पुरुष नही बल्कि एक असली और दिव्य अश्व पुरुष है ,वहां पर जितनी भी कवारी अश्व कन्या थी वो काल के शरीर से आती तेज गन्ध से मदमस्त होने लगी थी ,सबकी चुत में सनसनी होने लगी माला और बानी के साथ रानी सोनी भी बावली होने लगी थी ,काल सब देखकर अपने इंसानी रूप में आ गया ,तब जाकर सब थोड़ी शान्त हुवी ,काल ने फिर अश्व मन्दिर में जो हुवा वो सबको बता दिया और रानी पाली के साथ जो उसने संभोग करके उसे शांत किया वो भी बता दिया ,सब सुनकर सब लोग एकदम शांत थे ,तब महाराज पवन कुछ देर बाद बोले ,काल अश्व देवता ने तुम्हे एक अश्व पुरुष बनाकर हम सबपे बहुत बड़ी कृपा कि है ,तुमने हमारी मा को हवस के आग से मुक्त करके मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है ,में चाहता हु की अगर तुम हमारी सब अश्वकन्याओं को गर्भवती कर दो तो यह शाप खत्म हो जाएगा, हमारी आने वाली पीढ़ी तुम्हारे दिव्य खून से बनी होगी ,जो निसंदेह नामर्द ना होकर पूर्ण रूप से स्वस्थ होगी ,अब तुम ही हमारा उद्धार कर सकते हो,काल तुम हमारी पत्नी को गर्भ से कर दो ,वो भी तुमसे एक अश्वमानव कि संतान पैदा करके इस राज्य को एक वारिस देगी ,हम सब अश्वलोक के लोगो के तरफ से में तुमको ये विनतीं करता हु की तुम सबको अपने वीर्य से गर्भवती कर दो ।
 
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Update 76
महल के बाहर मौजूद सभी लोग अपने कान प्राण में लेकर काल क्या फैसला लेता है ये सुनने को बेताब थे ,सभी यही चाहते थे काल हा कर दे ,हजारो साल से अश्व देवता के श्राप से उनके यहां किसी नए अश्व सन्तान ने जन्म नही लिया था सब अपने अश्वलोक की नई पीढ़ी को देखने की चाह रख रहे थे ,अगर काल ने हा कर दी तो उनके खुशी का ठिकाना नही रहता ,पर काल अपने मन मे क्या सोच रहा था अब इन्हें क्या पता काल अपने दिमाग मे सोच रहा था उसके पास 58 दिन बचे है अश्वलोक में और 1200 अश्व कन्या साथ मे माला बानी और दो रानियां ,कुल मिलाकर 1204 को उसे चोदकर गर्भवती करना था ,अगर समयमनी का उपयोग किया तो दिन में 24 घण्टे का वक्त समयमनी में 576 घण्टे उसे मिल जाएंगे हर एक को उसने दस बार भी चोदा तो 30 दिन में ही सबको गर्भवती बना देगा और जो उसकी बाकी दिन मिलेंगे उसमे वो उनकी चुत की खुजली मिटा देगा ,
काल को इतना गहन विचार में देखकर सब की सांस अटक रही थी ,काल ने आखिर अपना मुह खोल दिया ,महाराज पवन में आपकी बात मानने को तैयार हूं पर में इसके बदले आपसे एक मदद चाहता हु ,अगर आपने नही भी कहा तो भी में आप की माँग पूरी कर दूँगा ,
महाराज पवन अधीरता से बोले, काल आप बस आदेश करे हम आपके लिये अपनी जान देने तक हसते हुवे तैयार होंगे,अगर आपका अश्वलोक का राजा बनना हो तो भी हम खुशी से आपको राजा बना देंगे ,और आप के कुछ कहने से पहले ही में आज से आप को अश्वलोक का राजा घोषित करता हु ,आप हमें बस आदेश दीजिये हमे क्या करना है ,
काल, नही महाराज मुझे राजा नही बनना है ,में तो बस इतना चाहता हू की आपके 100 अश्व सैनिक मन्दिर की रक्षा में हमारा साथ दे ,और जब कोई संकट की घड़ी हो तो आप सब बहादुर योद्धा लेकर हमारी सहायता करने को आ जाये ,
महाराज पवन , काल आपने कुछ मांगा नही है बल्कि हमे एक सुनहरा अवसर दिया है ,हम खुद भी मन्दिर के रक्षा के लिये इच्छुक थे ,पर यह अवसर हमारी दोनो बहनो को मिला जो हमसे कही ज्यादा बलवान और शक्तिशाली थी ,अश्वलोक के सभी अश्वमानव बहुत ही ताक़दवर है ,जिन कवारी कन्याओं को आप देख रहे है वो भी अपने कौमार्य भंग होने के बाद 10 गुना ताक़दवर बन जाएगीं,आज से नही अभी से ही में खुद 200 सैनिकों के साथ भवानीगढ़ जा रहा हु ,और में सदा वही रहकर मन्दिर की रक्षा करूँगा ,और जब भी कोई संकट आ जायेगा तब अश्वलोक का हर अश्वमानव आपको वहां पर मौजुद दिखेगा, आज से आप ही यहा के राजा हो ,अगर आप मेरी कुछ इज्जत करते हो तो आप मेरी बात को ना नही करना ,
महाराज पवन की बातों से सारे अश्वपुरष सैनिक महाराज के साथ आने की जिद करने लगे ,काल यह सब देखकर हैरान हो गया ,सब अश्व पुरुष मानो कोई खजाना मिल गया हो ऐसे खुश हों रहे थे ,काल की हा या ना सुनने के लिये उनको समय नही था पल भर में ही सारे अश्व पुरुष अपने सब हथियार लेकर महाराज के सामने खड़े हो गए ,महाराज पवन सबको समजा रहे थे सिर्फ 200 सैनिक ही जायँगे पर कोई सुन ही नहीं रहा था ,उनके प्रेम और प्यार भरी मांग को महाराज पवन भी ना नहीं कर पा रहे थे ,फिर महाराज पवन ने सबको ले जाने की बात मान ली ,उन्होंने काल से कह दिया की आप मन्दिर में किसे मिलना है हमे बता दीजिए हम उनसे मिलकर मन्दिर की सुरक्षा में उनके मार्गदर्शन में काम कर लेंगे ,काल ने भी उनको सर्पिणी और विशाखा के बारे में बताया और उन सब पर अपना एक सुरक्षा कवच लगाकर उन्हें जाने की अनुमति दे दी ,काल ने सर्पिणी और विशाखा को भी मन मे महाराज पवन के आने की बात के साथ उनको भी सुरक्षा में लगाने को कह दिया ,दोनो बहने हैरान थीं काल ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि 3 घण्टे में ही अश्वलोक का राजा 400 अश्व सैनिक लेकर यहा पर सुरक्षा के लिये हमेशा रहने वाला है ,
काल पूरे अश्वलोक में अकेला अश्व पुरुष बचा था और उसके आसपास 1204 अश्व औरते थी सबको एक बार देखकर कालने कहा ,देखिये आप सबको में गर्भवती बना दूँगा ,पर सबसे पहले में माला और बानी से विवाह करना चाहता हु आप सब मेरे साथ अश्व देवता के मंदिर चलिए में उनसे विवाह करने के बाद सबके साथ समय गजारने का वक्त बता दूँगा ,काल के साथ सब अश्व देवता के मंदिर पहुँच गये वहां जाकर सबने पहले अश्व देवता के दर्शन किये ,वहां पर माला और बानी के साथ काल ने अश्व पुरष बनकर विवाह किया रानी पाली ने ही उनका विवाह करवाया ,उस विवाह के वक्त रानी सोनी के मन की बात काल समज गया था ,महाराज पवन बिना बोले ही सोनी को काल के हवाले कर चुके थे ,काल ने भी रानी सोनी के साथ वहां विवाह कर लिया और उसे अपनी पत्नी बना दिया ,सोनी के मन की बात पूरी होने से वो भी खुश थी ,उसके बाद सब महल लौट आए ,काल ने सबसे कहा ,कल सुबह से आप सब महल में 100 के संख्या में हर एक घण्टे बाद आइये ,सुबह सूरज उगने के साथ ही में आप सबको समय दूँगा ,आप अब घर चले जाइये अभी रात भी हो गई है ,हम सुबह मिलेंगे ,काल की बात सुनकर सब अपने घर खुशी से चले गए ,रानी पाली की चुत की आग बुझ गई थी उसे अब 3 दिन उसकी चुत की सूजन उतारने में ही लगने वाले थे ,आज की रात काल माला ,बानी और सोनी के साथ सुहागरात मनाने वाला था ,काल को एक बात आज ही पता चली थी कि माला और बानी दोनो अश्वलोक की राजकुमारियां है और महाराज पवन उनका बड़ा भाई था ,
रानी पाली ने अपने मायावी विद्या से तीनों को महल के तीन कमरे में सुहाग की सेज सजाकर भेज दिया और खुद अपने कमरे में आराम करने चली गई ,काल मन मे सोचने लगा भला हो माया का जिसने मुझे यह समयकुंजी का मनी दिया ,नही तो इन 1200 अश्व कन्या को गर्भवती करने में उसकी गांण्ड फट जाती ,माया को धन्यवाद देता काल सबसे पहले माया के कमरे में चला गया वहाँ पर माया एक अश्व औरत के रूप में उसकी पलंग परबैठी उसकी राह देख रही थी ,काल ने उसे देखकर एक अश्व पुरुष का रूप ले लिया ,अश्वमानव तीन तरह से रह सकते ते जिसमे पहला रूप अश्व पुरुष या औरत जब होते तो आम इंसान की तरह ही होते पर उनकी लम्बाई और शरीर का आकर असमान्य होता था ,यहा की सामान्य अश्वकन्या ही 7 फिट के आसपास होती ,माला ,बानी और सोनी का कद 8 फिट से ज्यादा था और रानी पाली जो पूर्ण औरत बन जाने से 10 फिट की थी उन सब मे ,अब बात करते है अश्वमानव के दूसरे रूप की जिसमे वो अर्ध अश्व मानव होते जिनमे उनका आधा शरीर अश्व का और आधा मानव का होतो ,जिसमे चेहरे से लेकर कमर तक मानव का शरीर होता और उसके नीचे घोड़े की तरह चार पैर होते, और अश्व मानव तीसरा रूप होता पूर्ण अश्व रूप जिसमे वो पूरी तरह एक घोड़े की तरह हो जाते थे ,
अश्व मानव की आयु हजारो वर्षों तक होती थी ,एक बार जवान होने के बाद अपने मरने तक वो कभी बूढ़े नही होते थे ,इन अश्वमानव मे असमान्य गति ,असिमीत बाहुबल के साथ बहुत सारी चमत्कारी शक्तिया होती थी ,एक अश्व मानव अपने बल ,बुद्धि और शक्ति के साथ 1000 मायावी असुरों को पल भर में खत्म कर देने की काबिलियत रखता था ,
अपने अश्व पुरुष के रुप में काल पहली बार आया था अश्वमानव बनने के बाद पहली बार आया था उसके शरीर की लंबाई 15 फिट की थी उसका शरीर बहुत ही ज्यादा ताक़दवर और बलवान था ,उसके लंड का साइज कुछ ज्यादा ही बड़ा लगने लगा था काल को ,उसका लंड करीब 36 इंच लम्बा और 15 इंच मोटा हो गया था ,काल अपने मन मे साला इतना बड़ा लंड ,कही तीनो दुल्हन आज चुदने से कही मर न जाये ,कहा में 15 फिट का सांड़ और कहा यह 8 फिट से थोड़ी ज्यादा तीनो लडकिया ,कही अश्व देवता ने कुछ ज्यादा तो नही शक्तिया दे दी मुझको ,ये तीनो मेरा लंड देखकर डर से कही भाग न जाये ,पर काल को यह पता नही था वो जीन लड़कियों को चोदने वाला था वो कोई आम नही अश्व कन्या थी जिनकी चुत दुनिया मे सबसे बड़ी और गहरी होती है,और कामवासना में सबसे अधिक ज्यादा ,माला को अपने सामने दुल्हन के सफेद लिबास में देख कर काल को उसकी 56 की चुचिया और 64 की करारी गांण्ड देखकर ऐसा लगने लगा था ,साला इन अश्वकन्या की 36 की पतली कमर पर ऐसी कयामत गांण्ड ,जो होगा सो होगा इन सब 1204 अश्वकन्या की चुत के साथ सब की गांड़ में अपने लंड से झंडा गाड़ कर ही धरती जाऊंगा ,
काल ने माला के सुंदर से चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर उसके गलाबी ओठो को चुसने लगा और माला को अपने माया के प्रभाव में समयमनी में ले गया ,माला के होठो को चुसने के साथ ही उसने उसकी चोली की पीठ पे बनी गाठ खोलकर उसके बदन से चोली दूर कर दी ,माला काल के ओठो से मिले प्रथम चुम्बन से मिलते अहसास में डूब गयी थी उसे पता भी नही चला कि कब काल ने उसकी चोली और साड़ी निकाल कर उसको पूरा नंगी कर दिया ,जब कालने उसे किस करते हुवे उसकी नंगी चुचिया पर उसके मजबूत और बड़े पंजोसे दबाना शुरू किया ,माला के बदन में एक बिजली ही दौड़ गयी थी ,काल अपने हाथों में ऐसी बड़ी और नरम चुचिया मिलने पर उनको मस्ती में दबाता माला के होठो को चूस रहा था ,माला की चुत में पहली बार गीलापन आने लगा था ,उसकी चुत अंदर से गर्म होती लपलप करती पहली बार माला को अपने अंदर एक हल्की सी खुजली का अहसास दिलाने लगी ,काल की नाक ने भी एक तेज गन्ध महसूस की थी ,जिसकी वजह से उसकी आंखें थोड़ी लाल होने लगी थी ,काल अब और तेजीसे माला के होठो को चुसता जोरसे उसकी चुचिया मसलने लगा ,माला की चुत में इस वजह से और ज्यादा पानी के बहाव के साथ खुजली भी बढ़ने लगी थी ,माला भी काल को अब अपने बाहो में भर्ती तेजीसे किस करने लगी ,माला ने अपनी जीभ काल के मुह के अंदर घुसाकर उसके जीभ को पकड़कर चुसने लगी ,काल ने माला की चुचिया छोड़कर उसकी बड़ी सी गांड को पकड़ कर उसको दबाकर माला को किस करने लगा था ,माला बेड पर अब पीठ के बल लेट गई थी और काल के भारी भरकम शरीर को अपने ऊपर लेकर उसका साथ दे रही थी ,कालने माला के ओठ छोड़कर उसके चुत के पास अपना चेहरा ले आया ,काल की आंखे बड़ी हो गई थी माला की चुत देखकर ,माला की चुत आज तक की काल के जीवन मे देखी सबसे बड़ी चुत थी ,उससे आकार में दुगनी माया जैसी असुर औरत की भी चुत इतनी बड़ी नही थी ,उस गोरी गुलाबी चुत से टपकता पानी देखकर कालने उस चुत पर हमला बोल दिया माला की चूत में वो जीभ डालकर उसको चुसने लगा माया की चुत में काल की जीभ कहर मचा रही थी ,काल के चुसने के कुछ ही मिनटों में माया पहली बार अपनी कोरी चुत का पानी छोड़ने लगी और काल जैसा जन्मों का प्यासा उस चुत के पानी को पीने में लगा था ,काल का ध्यान इस चुत के नीचे छुपे गांण्ड के छेद पे गया जो उसकी बड़ी सी गांड़ में छुपा हुवा थोडासा दिखाई दे रहा था ,कालने माया को थोड़ा सा ऊपर करता उस लाल छेद को भी अपनी जीभ से छेड़ने लगा ,अपने अंगों से काल के इस कामुक छेड़खानी से माया बुरी तरह शर्मा भी रही थी और अपने चुत से पानी की बारिश भी करती जा रही थी काल ने माला की चुत और गांड को बहुत देर तक चूसकर उनके निकलते पानी से अपनी प्यास बुझा रहा था ,काल की प्यास बुझ नही रही थी माला का पानी उसकी प्यास भड़काता ही जा रहा था पर काल का लन्ड अब फटने पर आ गया था ,उसने माला की चुत को चूसना छोड़ दिया और अपने मोटे से लंड को टोपे को उसकी गीली चुत पर भिड़ा दिया था ,माला की चुत भी इतना झड़ंने के बाद भी शान्त होने का नाम नही ले रही थी ,उसके ऊपर काल के लन्ड का स्पर्श होते ही वो और ज्यादा गर्म हो थीं, काल ने उसके चुत से रिसते पानी से लंड को अच्छी तरह गिला करके अपने लन्ड का तेज प्रहार माला की चुत में कर दिया ,माला की चुत को चीरता हुवा उसका लंड आधे से ज्यादा अंदर घुस गया था ,माला ने अपने मुह से एक तेज चीख निकाल दी ,उसे अपने चुत बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था ,उसकी चुत पुरी तरह फट चुकी थी ,उसकी चुत से खून की धार बहने लगी थी ,अपने लंड पर माला के चुत के गर्म खून से काल और ज्यादा भड़क गया और उसने एक और धक्के में अपना पूरा लंड माला की चुत में उतार दिया ,माला इस धक्के को सहन न कर पायी उसके आंख से आसु निकलने लगे थे ,काल को ना माला के आसु दिख रहे थे ना उसका दर्द उसे समज में आ रहा था ,वो माला के ओठो को चुसता उसके चुचिया को दबाता उसके चुत को रौंदने में लगा हुवा था ,माला अपनी बड़ी सी गांड़ पे उस चुत के हर प्रहार को सहती चुद रही थीं ,माला का दर्द ज्यादा देर नहीं रहा था ,काल के लन्ड के प्रहार का अब वो भी अपनी चुत उठाकर जवाब देने लगी थी ,माला की कसी हुवीं चुत में काल तेज धक्के लगाता जा रहा था ,माला भी हर धक्के को मुह तोड़ जवाब दे रही थी ,माला की चुत जब झड़ने लगीं तब उसकी चुत ने काल के लंड को अपने अंदर पूरा कसके पकड़ लिया और उसके लंड के मुह को अपने अंदर खिंचने लगी जिसकी वजह से काल के लन्ड ने अपना पानी उसके चुत में भरना शुरू कर दिया ,माला की चुत ने अपने झडने का साथ जिस तरह काल के लंड से पानी खिंच लिया था ,उसने काल को एक अश्वकन्या के चुत की ताकद दिखा दी थी ,काल को भी उसकी चुत का इस अनोखा खिंचने का अंदाज पसन्द आ गया था ,काल का लंड अपने माल को खाली करने के बाद वापिस उसकी चुत को फाड़ने में लगा था ,माला की चुत भी काल के उस गाढे माल को पल भर में हजम करके वापस नए माल की तलाश में काल के लंड को खुश करने में लगी रही ,काल एक ही पोझ में 10 बार माया की चुत में अपना माल भर चुका था ,ना काल का लंड माल छोडते तक रहा था ना माला की चुत माल को हजम करते थक रही थी ,दोनो की आग हर पल बढ़ती ही जा रही थी ,माला को कालने घोडी बनाकर चोदना शुरू कर दिया ,इस पोझ मे माया को चुदना बहुत पंसद आने लगा वो अपनी गांड हिला हिलाकर काल का लन्ड अपने अंदर लेने लगी ,आखिर थी तो वो एक घोडी ही जन्मसे उसकी चुत काल के लन्ड से और ज्यादा तेजीसे माल खीचने लगी थी इस पोझमें ,माला ने घोडी बनकर 15 बार झड़ी थी और 15 बार काल के माल को अपने अंदर खीच कर हजम भी कर रही थी ,पिछले 8 घन्टो में माला के अंदर काल 25 बार झड चुका था ,यह घोडी काल के घोड़े को अपने चुत में अपने मन से नचा रही थी और उसके माल को गटक जा रही थी ,माला के चुत में झड़ते हुवे काल इस बार उसकी गांड के नरम छेद में अपनी दोनो अंगलियो से उसे बड़ा कर रहा था ,माला अपनी गांड़ के छेद को खोलबन्द करती अपनी चुत के साथ गांड़ के छेद के अनोखेपन का जलवा दिखा रही थी ,काल ने माला की चुत में झड़ंने के बाद अपने लंड को माला के गांड़ के छेद में लगा दिया ,जैसी ही माला ने अपनी गांड़ के छेद को खोला काल ने एक तेज धक्के से अपने लन्ड को आधा उसके अंदर तक घुसा दिया ,माला के मुह से एक चीख निकल गई पर वो घोडी बनकर ही खड़ी रही ना वो गिरी ना ज्यादा हिली ,अपनी मजबूत टांगो और जांघो की मदद से काल का तूफानी धक्का अपने गांड़ के छेद पर बर्दाश्त कर गई ,काल के दूसरे धक्के ने माला का दर्द और बढ़ा दिया पर वो डगमगाई नही ,रोती ,चिखती माला अपने गांड़ में काल के धक्के अंदर तक लेती रही ,उसके गांड़ के दर्द को भी वो बहुत जल्दी भूल कर अपने गांड़ के अंदर काल के धक्के के मजे लेने लगी ,काल भी इस नरम और कसावट भरी गांड़ के मजे लेता उसकी गांड़ को दबा दबाकर मार रहा था ,काल लगातार तीन बार उसकी गांड में झड़ंने के बाद ही उसकी गांड को छोड़ कर बाजू में हो गया था ,माला की गांड़ से काल का माल उसके छेद से नीचे टपक रहा था ,माला भी अपनी चुत से इस दौरान कई बार अपना पानी छोड़ चुकी थी ,काल ने इस बार माला को 69 में लेकर उसकी चुत के पानी को फिर से पीते हुवे माला को अपना गर्म गाढ़ी सी मलाई को पिलाने लगा था ,माला को कालने 4 बार अपनी मलाई खिलाई थी उसकी चुत का पानी पीते हुवे और इस बार माला की आग कम हो गई थी ,काल को माला की कमज़ोरी अब पता चल गईं थी ,इन घोडीयो की चुत और गांड़ में बहुत ज्यादा ताकद थी ,पर अगर उनको अपनी वीर्य की गर्म मलाई सीधा पिलाई तो जल्दी काबू में आने वाली थी ,काल ने माला को पीठ के बल सुलाकर बड़े प्यार से चोदा और 3 बार उसकी चुत को अपने माल से भर दिया ,माला की आग पुरी तरह ठंडी हो गईं थी ,वो अपनी आँखे बंद करती नींद के आगोश में चली गई थी ,अकेली माला ने ही उसके लन्ड का 32 बार पानी डकार लिया था 12 घन्टो में ,माला की पूरी शक्तिया मिलने के बाद काल को वो जबरदस्त टक्कर देने वाली थी चुदाई में ,और काल को भी अब इस बात का बेसब्री से इंतजार था ,माला को समयमनी से बाहर लाकर उसके कमरें में सुलाने के बाद काल बानी के कमरे की तरफ चला गया ,अश्वलोक में अभी आधा घण्टा ही हुवा था और माला की चुत और गांड़ को अपने लंड के पानी से भरकर अब बानी को चोदने उसके कमरे में आ गया था ,माला की वजह से उसे अश्वकन्या की कमजोरी पता चली थी ,उस कमजोरी को जांचने और परखने काल बानी के कमरे में आ गया था ।
 
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Update 77
बानी अपने कमरे में काल को देखकर शर्मा रही थी ,माला की तरह बानी भी सफेद शादी के कपड़ो में थी ,दोनो को कद एक जैसा यहा तक कि फिगर भी एक जैसा ही था बस बानी की गांड ज्यादा गोल और उठी हुवीं थी माला से,काल के अश्वपुरष के रूप को बानी एक टक देख रही थी,शादी के वक्त अपने अर्ध स्वरूप में ही काल ने तीनों से शादी की थी ,काल इस अनोखे और दिव्य रूप को देखती बानी अपनी किस्मत पर नाज कर रही थी कि उसके इतने साल के इंतजार का फल काल के रूप में ऐसे पतीं के रूप में मिला है,
बानी की आंखों में अपने लिये दिख रहा प्यार महसूस करके काल उसके साथ सुहाग की इस सेज पर बैठ कर बानी के हाथों को थामकर उसे अपने साथ लगा लिया ,बानी ज्यादा शर्मीली नही थी ,अपने पति के साथ खुलकर प्यार करने का उसने पहले ही सोच कर रखा हुवा था ,बानी को जैसे ही काल ने अपनी बाहों में भरकर उसको होठो को चुसने लगा बानी उसका भरपुर साथ देने लगी और अपने होठो का रस काल को पिलाने लगी ,काल को बानी का यह अंदाज पंसद आ गया था उसने बानी के कपड़े एक पल में निकाल कर खुद भी नंगा होते हुवे बानी के होठो को चूसते रहा ,बानी के नंगी चुचिया को जब काल ने अपने हाथों में लेकर दबाने लगा तो माला ने उसे अपने ऊपर खीच कर पीठ के बल लेट गई ,और अपनी चुत को काल के लंड पर घिसते हुवे उसके हाथ से अपनी चुचिया दबवाती काल को होठो को चुस्ती हुवीं मजे से सीत्कार निकालने लगी,काल भी बानी के गर्म चुत पर अपने लन्ड को घिसकर उसे अपने लंड की गर्मी देने लगा ,काल ने बानी के ओठो को छोड़कर जैसेही उसकी चुचिया को चुसने लगा ,बानी एकदम से भलभला कर झड़ने लगी,उसको अपनी चुचिया पर काल की जीभ और दांतों की चुभन से अपनी चुत के अंदर एक टीस उठने का अहसास दे रही थी ,काल को समझ आ गया बानी की कमजोरी उसकी चुचिया है ,कालने बानी की चुचिया को दबाकर ही उसे 2 बार और पानी बहाने पर मजबूर कर दिया था ,कालने अपने आप को 69 में लेकर बानी के मुह के पास अपने लंड को रखकर उसकी पानी से बहती चुत की नदी में अपनी जीभ से गोते लगाते हुवे उसको सुखाने लगा ,पर बानी की चुत काल जितना पानी चूसकर साफ करता उससे दुगना फिरसे बहाकर अपनी चुत के अंदर मौजूद पानी की गहराई उसको दिखा रही थी ,साथ मे अपनी जीभ और मुह का कमाल काल के बड़े से लंड को अपने अंदर लेकर अपनी नरम जीभ और गर्म मुह से उसके रस को अंदर से खिंचने की जान तोड़कर कोशिश कर रही थी ,काल भी बानी को नाराज न करते हुवे उसके मेहनत का फल अपनी गर्म और गाढ़ी मलाई बानी को पिलाता रहता था बीच मे ,बानी के मुह में अपने रस को छोड़कर काल अब इसकी चुत को भेदने के ख्याल से बानी की मुह से अपने लन्ड को निकाल कर ,बानी के दोनो पैरों को अच्छे से फैला दिया और उसके चुत पे अपने लंड को भिड़ा दिया ,उसने अपने दोनो हाथो में बानी की गांड को थामकर उसके होठो को चुसने लगा ,काल ने एक ही बार मे दो जबरदस्त धक्कों के साथ बानी की चुत में अपने लंड को जड़ तक उतार दिया ,बानी के मुह से भी एक भयंकर चीख निकल गई ,अपने चुत में इस भयानक लंड को बिना रुके दो बार एक ही साथ मे लेना क्या बच्चों का काम नही था ,बानी की चुत का छेद फट चुका था ,उसकी चुत से खून की धार काल के लन्ड के साथ,बिस्तर की चादर तक लाल कर रही थी ,काल बानी के होठो से अपने होठो जोड़कर उसीकी जीभ को चूसते हुवे ,बानी की चुत में अपने लन्ड की जगह बनाते उसे कस कसके चोद रहा था ,बानी का दर्द भी ज्यादा देर ना रहा वो तो माली से जल्दी काल के लंड से मजे लेने लगी ,बानी अब किसी बिगड़ैल घोडी की तरह काल के लंड पर अपनी चुत को उठाउठकर मार रही थी ,उसको जैसा काल को उसके लन्ड के साथ अपनी चुत में पूरा उतार ने का भूत सवार हो गया था ,काल एकदम मजबूती से इस घोडी की गांड़ पकड़कर इसकी चुत की अपने लंड से धज्जियां उड़ाता जा रहा ,बानी अपने लंड से पानी निकलते वक्त काल के लंड से भी पानी खीच लेती थी ,उसकी चुत ने जब पहली बार काल के लंड की मलाई का स्वाद चखा तो उसकी भूख कुछ ज्यादा ही बढ़ गई ,बानी ने काल को मजबूती से उसके बाहो में भरकर ,और उसकी टाँगे काल के गांण्ड के पीछे से डालकर, उसके लंड से अपनी चुत को कुटवाती, अपने चुत को उसके लंड के गर्म माल को बराबर खिलाती जा रही थी,बानी ने माला के मुकाबले 15 बार अपनी चुत को काल के माल से भरकर, अपनी चुत का पेट भर रही थी ,कालने जब बानी को घोडी बनाकर ,उसकी चुत को फाड़ना शुरू किया ,तो वो किसी घोडी की तरह हिनहिनाती उसके लंड पर अपनी बड़ी सी गांड़ पटकती अपनी चुत को ज्यादा मजेसे चुदवाने लगी और जिस तेजी के साथ काल के लंड से अपने चुत को माल खिला रही थी उससे भी दुगनी तेजी के साथ खुद भी झड़ती काल के लंड से अपनी चुत को माल खिलवाने पर मजबूर कर देती,काल भी उसकी चुत की ताकद से हैरान था ,जिस तरह वो अपने झड़ंने के वक्त काल को लंड को कसती, दबाती ,उसके लंड के मुह को खींच के उसके अंदर के माल को निकालनेपर मजबूर करा रही थी ,वो काबिले तारीफ़ था ,घोडी बनकर भी उसने काल के लन्ड से 15 बार अपनी चुत भरवा ली थी ,काल उसकी चुत को अपने माल से भरता ,कबसे उसकी बड़ी सी गांड़ के छेद को पहले 1 उंगली से ढीला करता 2 अंगलियो तक पोहच गया था,काल को अब बानी की इस मतवाली गांड़ के छेद के मजे लेने थे ,उसने बानी के चुत से अपना लंड निकाल लिया ,बानी के चुत के पानी से काल का लंड एकदम चमक रहा था ,कालने बानी की बड़ी सी गांड़ को पकड़ कर उसके लाल छेद पर अपना गिला और चिकना लंड लगा दिया ,बानी की गांड़ इतनी नरम थी, और उसका छेद भी इतना लचीला था कि काल ने जैसा ही अपना लंड उस छेद पर रखा ,काल के लंड के सख्ती से उसकी गांड़ जहा पर काल का सूपाड़ा लगा था उतनी अंदर तक धस गई थी ,काल ने अपना दहकता सुपाडा उसकी गांड़ के छेद में एक ही वार में आधा घुसा दिया ,बानी की गर्दन दर्द और जलन से ऊपर उठ गई उसके मुह से एक और करुण सी चीख निकल गई ,काल ने उसके बालो को हाथ से पकड़ के अपने लंड से एक और धक्के के साथ उसकी गांड़ में अपने लंड को उसकी जड़ तक घुसा दिया ,काल की किसी बड़े सन्त्रो की तरह गोटिया बानी की चुत से टकरा गई ,बानी के दर्द का ठिकाना नही था ,उसके गांड़ के छेद में से खून बहने लगा था ,पर काल को इस कसी गांड़ में अपने लंड को मिलती गर्मी का अलग सा नशा होंने लगा ,काल बानी की इस गदराई गांड़ को उसके बालो को पकड़कर ठोकने लगा था ,बानी की गोल गांड़ उसके हर धक्के से ऐसे हिलती की काल के मन मे उसको देख कर मोर नाचने लगते ,वो और तेजीसे गांड़ को मारता उसकी गांड़ में थिरकन की लहरे उठाने लगा था ,बानी भी अपना दर्द भूल कर उसके लंड से अपनी गांड़ को अब मजे से कुटवाने लगी थी ,काल उसकी गांण्ड की गर्मी को ज्यादा देर बर्दाशत नही कर सका ,वो उसकी गांड़ में अपना लंड अंदर तक दबाकर लंबी लंबी पिचकारियां छोड़कर उसके गांड़ में अपनी गर्म सी गाढ़ी मलाई भरने लगा ,बानी को अपनी गांड में इस गर्म माल से एक अलग ही तरह सुखद का अहसास उसकी गांड़ में होने लगा ,वो अपनी चुत से अब तक का सबसे ज्यादा पानी छोड़कर झड़ने लगी और हांफने लगी ,काल समझ गया इस घोडी के गांड में ही माल भरकर इसे ठंडा किया जा सकता है ,काल ने और दो बार बानी की गांड़ मारकर उसके गांड़ में अपना माल भर दिया ,बानी तो अब अपनी पूरी गर्मी मिट जाने से सुस्ताने लगी ,उसकी आंखें भी अपने आप थकान से बन्द होने लगी थी ,समयमनी के अंदर 12 घण्टे में बानी 38 बार काल के लंड से अपनी चुत,गांड़ और मुह में माल भरवाकर सो गयी थी ,काल ने भी बानी को समयमनी से निकाल कर उसके कमरे में सुला दिया ,पिछले 1 घण्टे में दोनो बहनो ने मिलकर काल के लन्ड से समयमनी 70 बार माल निकाल लिया था ,काल इतना माल छोड़ने के बाद भी थका नही था बल्कि उसके लंड में और ज्यादा कड़ापन आ गया था ,काल ने अब अपना मोर्चा सोनी के कमरे की तरफ कर लिया ,सोनी को अंदाजा नही था कि काल आज उसको समय दे पाएगा ,उसको ऐसा लग रहा था कि माला और बानी को ही ठंडा करने में सुबह हो जाएगी काल को ,इस वजह से अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द करके उसने अपने पूरे कपड़े निकाल कर बाथरूम में नंगी ही नहा रही थी ,काल तो कोई दरवाजा बजाने की जरुरत ही नही पड़ी वो अपनी धुन में उस बन्द दरवाजे को पार करता ,सोनी के कमरे में दाखिल हो गया,सोनी को अपने बेड पर ना पाकर काल की नजर उसको धुंडने लगी ,कमरे के बाथरूम में नंगी नहाती सोनी काल को दिख गई ,यहा अश्वलोक में धरती की तरह व्यवस्था नही थी ना ही बाथरुम में कोई शॉवर ,यहा सब काम जादू से होते थे ,सोनी भी इसी तरह जादू से उसके बाथरूम ऊपर बने गर्म झरने के पानी से नहा रही थी,उसके बदन से गिरती पानी के बूंदे उसकी चुचिया ,चुत और गांड को भीगा कर एकदम चमका रही थी,सोनी कद में माला और बानी से थोड़ी कम थी पर उसकी चुचिया और गांड के साथ उसकी चुत भी उन दोनोसे कुछ ज्यादा ही बड़ी दिख रही थी ,काल एकटक इस अश्व सुंदरी को देख रहा था ,58 की बडी सी चुचिया जो सोनी के दोनो नाजूक हाथो में एक भी नही बैठ सकती थी ,अपने दोनो हाथोसे वो चुचिया मलमल के साफ करती ,अपने चुत के उन चिपके हुवे होठो भी साफ कर रही थी ,पर काल की धड़कन तब थम गई जब सोनी ने घूम कर काल की तरफ पीठ करके अपनी 66 की बड़ी सी गोल गांड़ को फैलाकर उसके अंदर छिपे छोटे से लाल छेद में अपनी एक उंगली घुसाकर उसको साफ करने लगी,उसकी नाजुक सी उंगली जब उस छोटे से छेद के ऊपर घूम रही थी काल के दिल पर मानो छुरिया चल रही थी काल का लंड जो पहले से कड़ा होकर उसकी जवानी को देखकर सलामी दे रहा था ,उसके इस हरकत को देखकर जबरदस्त ठुमके लगाने लगा ,सोनी यहाँ तक ही नही रुकी जब उसने वापीस अपनी दोनो उंगलियों में चुत को पकड़ के उससे अपनी चुत से पेशाब निकलाने लगी ,ऊसकी चुत से टपकता पेशाब का सुनहरा पानी अलग ही तरह उसके बदन में गिर रहे पानी मे चमकने लगा ,काल एक पल भी अपने आप को रोक नही सका ,वो झट से सोनी के पास पोहच कर उसकी चुत को मुह लगा कर उसकी पेशाब को पीने लगा ,सोनी को अपने चुतपर किसीके मुह का स्पर्श होते ही उसको एक तेज झटका लगा ,उसने अपनी आँखे नीचे झुका कर देखा तो काल को अपनी चुत को किसी भूखे कुत्ते की तरह उसकी पेशाब को चाटते हुवे देखा ,सोनी एकदम से शरमाकर लाल गलाबी होने लगी ,उसकी चुत का पेशाब और तेजीसे बहने लगा ,काल जिस तरह उसकी चुत को चूस रहा था यह पहली बार उसके कोरी चुत को किसीने स्पर्श किया था ,अपने चुत को मिल रहे इस आनंद से पेशाब करते हुवे ही भलभला कर झड़ने लगी ,काल को अपनी पेशाब पीने का इनाम उसकी चुत ने अपना पहला कोरा पानी पिलाकर दे दिया ,काल भी इस इनाम को दिल से कबूल करते हुवे पूरे लगन से उसकी गांड़ पर अपने हाथ रख कर उसे पीने लगा था ,काल ने अपनी जीभ का कमाल उसकी चुत के साथ उसके गांण्ड के छेद पर भी दिखाता उसे समयमनी में लेकर उसके चूत के झरने पर बार बार बहने को मजबूर कर दे रहा था ,सोनी भी काल के बालों को पकड़कर बड़े प्यार से उसको अपना चुत का पानी पिला रही थी ,उसको चुत के झड़ने का सुख देने वाले मालिक पर बहुत ज्यादा प्यार आने लगा था ,काल ने सोनी के चुत को छोड़कर खड़ा हो गया और पानी मे भीगता उसके नरम गुलाबी होठो को चुसने लगा था ,सोनी तो काल की दीवानी हो गई थी काल को बाहो में भर्ती उसके गले मे लटक गईं थी ,काल उससे कुछ ज्यादा ही लम्बा था ,उसके लटकते पैरों को काल ने अपने कमर पर रख लिया ,और उसकी बड़ी सी गांड़ को अपने मजबूत पंजो में पकड़कर ,उसकी गांण्ड को दबाता होठो को चूसता हुवा बाथरूम से निकाल कर बेड पर ले आया ,उसने सोनी को अपने सीने से लगाकर ही बेड पर पीठ के बल टिका दिया ,सोनी की चुत पर कबसे काल का लंड चुभ रहा था ,उसकी गीली चुत पर जब उस दहकते लंड का टोपा घिसता सोनी को झटका लग जाता था ,कालने सोनी को किस करते हुवे अपने लन्ड का एक करारा धक्का लगा दिया ,सोनी की कमसिन चुत को फाड़कर काल का लंड आधा घुस चुका था ,सोनी को इतना दर्द हो गया कि उसने चीखकर अपने दांतों से काल के कंधों को काट लिया,पर काल को उसके दाँत कहा जख्म दे पाते उसे कुछ फर्क ही नही पड़ा, वो सोनी के गले को चूमता उसकी चुत में दूसरे धक्के से ही अपने लंड को जड़ तक भरके ,सोनी को चोदने लगा ,सोनी रोती,आंसू बहाती काल के लंड को अपनी चुत में झेलती रही ,लेकिन जब उसका दर्द कम हो गया ,तो उसकी आंखें जो आसु बहाकर लाल हो गई थी ,अब उसमे उसके बदन में उठती काम वासना में गलाबी डोरे दिखने लगे ,सोनी अब काल लंड के हर धक्के का मुहतोड़ जवाब देने लगी ,अपनी गांण्ड उठाकर वो काल के लन्ड के ताल से ताल मिलती जंगली घोडी तरह चिढ़कर चुदने लगी ,वो काल के होठो के साथ उसकी जीभ को भी चूसते काटते चुदने लगी ,अपने चुत के झड़ते ही काल के लंड को वो माला और बानी से ज्यादा जोरसे कसती और उसके लन्ड के मुह को अपने चुत खींच कर झड़ंने पर मजबूर करा देती ,बानी की तरह उसने काल के लंड से 15 बार माल खींच लिया था,सोनी को काल ने जब घोडी बनाकर चुत को अपने मूसल से ठोकने लगा तो सोनी काल की उम्मीद से ज्यादा और गर्म होकर काल से तेजीसे चुदने लगी ,काल ने सोनी के गांण्ड के छेद को अपनी उंगली से छेड़ना और उसने अपनी दोनो उंगलियो को अंदर बाहर करना पहली बार घोडी बनाकर चोदते वक्क्त ही शुरू कर दिया था ,सोनी काल की इस हरकत से अपनी गांड के मिलते मजे से जल्दी झड जाती पर अपने झड़ने के साथ वो काल को भी अपनी चुत के ताकद के दम पर झड़ने को मजबूर कर देती थी ,सोनी की चुत में कालने 20 बार घोडी बनाकर अपने लंड से माल भर दिया था ,पर ना उसका जोश कम हो रहा था ,ना उसके चुत की भूक मिट रही थी ,काल ने जब उसके चुत में झड़ने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो सोनी ने गर्दन घुमा कर अपनी लाल आंखों से काल को अपनी नाराजगी दिखाने लगी ,पर कालने जब उसकी गांड़ में अपना लंड घुसा दिया तो उसकी नाराजगी भरी आंखों में दर्दके आसु निकल गए और उसके मुह से एक दर्दनाक चीख ,लेकिन कालने अपने दूसरे धक्के के साथ सोनी के मुह से एक और चीख निकाल दी ,काल सोनी की गांड़ के छेद को तेजीसे बड़ा करने लगा ,ना उसको सोनी के दर्द की परवाह हो रही थी ,ना उसकी चीख और गांड़ के निकलते खून से उसे कोई फर्क पड़ रहा था ,सोनी की चुचिया को थामकर उनको लाल करता, काल सोनी को घोडी बनाकर जमकर उसकी गांड बजा रहा था ,सोनी की चीखें कब कामुक सीत्कार ने ले ली इसका पता सोनी को भी नही लगा ,सोनी अपनी गांड हिलाकर मजे से अब चिखने लगी ,उसे काल के गांड में लन्ड की हर ठोकर मजे दे रही थी ,अपनी चुत से झड़ती वो काल के लंड को अपनी गांड़ में कसती उसे अपनी गांड का जोर दिखा रही थी ,बानी की तरह सोनी के गांड़ में जब काल ने अपनी पिचकारियां भरनी शुरू की ,सोनी अपनी चुत से पानी की धार झोड़ती हांफने लगी ,काल ने भी सोनी की गांण्ड में अपने माल को दो बार और भर दिया ,सोनी को जब काल ने बिस्तर पर छोड़ा तो सोनी अपनी साँसे दुरूस्त करती नीचे पेट के बल लेट गयी ,कालने सोनी को थोड़ी देर आराम करने दिया ,उसके बाद कालने सोनी को 69 में लेकर उसके चुत के पानी के मजे लेने लगा और सोनी को अपने लंड का स्वाद देने लगा ,सोनी के मुह ने भी अपनी चुत की तरह काल के लंड को मजे देते हुवे उसके माल को जल्दी निकलाने को मजबूर कर दिया ,सोनी काल के माल को 4 बार गटक गई और अपनी चुत से भी काल को बराबर सन्तुष्ट करती रही ,कालने सोनी को एकबार और प्यार से चुत में लंड डालकर मजे से चोद के उसकी चुत में अपना माल खाली कर दिया ,सोनी ने काल से उसकी पेशाब पीने की प्यार भरी जिद करने पर आखरी में काल ने सोनी के मुह में अपना लंड अंदर तक घुसाकर उसे पेट भर अपना पेशाब पिलाया, सोनी को तो काल की पेशाब पीकर तेज नशा हो गया और वो अपनी आंखें बंद करती सो गई ,कालने समयमनी से उसे निकाल कर उसके बेड पर सुला दिया ,सोनी ने 42 बार काल के लन्ड से अपने हर छेद को भर लिया था 12 घण्टे समयमनी में रहकर ,कालने सोच लिया था इन तीनो को एक साथ चोदने बड़ा मजा आएगा ,तीनो एक से बढ़कर एक है ,तीनो को समयमनी में साथ लेकर पूरी रात चोदने का कालने तय कर लिया था ,काल अपनी इसी सोच में महल में अपने कमरे की और जा रहा था ,उसने डेड घण्टे में ही तीनो को चोदकर ठंडा कर दिया था ,काल जब अपने कमरे में आया तो उसने देखा ,रानी पाली उसके कमरे में ही थी , उसे अंदाजा भी नही था कि काल आज इस कमरे में आ सकता है ,वो अपनी चुत के सूजन से परेशान , कमरे के बाथरूम में नंगी होकर गर्म पानी से उसे आराम दे रही थी ,पाली को कालने अर्ध अश्व औरत के रूप में चोदा था ,अब पाली अपने अश्व औरत के रुप में काल के सामने थी 10 फिट की पाली की 70 की चुचिया ,बड़ी सी गोरी चुत ,जो उसके लंड से अब सूज गई थी ,उसके अंदर का छेद पूरा लाल होकर दिख रहा था ,पाली की गांड़ का 72 का आकर आगे से समज में आ रहा था,पाली अपनी आंखें बंद करती अपनी चुत को सेक रही थी ,वो अपने ही धुन में घूम गई और काल की तरफ अपनी गांड़ करके अपने गांड़ के छेद को अपने दोनो हाथो से गांड़ को पकड़कर उसे गर्म पानी को मजे देने लगी ,उसके गांड़ का छेद कोरा दिख रहा था जो गर्म पानी गिरने से अपने आप खुलता और बन्द हो रहा था ,पाली के इस हरकत ने उसपर बड़ी मुसीबत को बुलावा दे दिया ,काल वहाँ से चले जाने वाला था पर पाली की गांड ने उसके कदम रोक दिए ,कालने अपने कपड़े निकाल दिए और अपने खड़े लंड को लेकर पाली के पीछे दाखिल हो गया ,
पाली तुमने हमसे इतना बेशकीमती खजाना छुपाकर अच्छा किया ,काल ने पाली के कानों को चूमते हुवे बड़ी सरगोशी भरे आवाज में कहा ,पाली अपने गांड़ के छेद पर गर्म लन्ड के स्पर्श और काल की आवाज से डर गई ,उसने अपने गांड़ को जो पकड़ कर फैलाकर रखा था वो उसके हाथ से एकदम फिसल गई ,जिसकी वजह से काल का लंड उन दो नरम गांड के पाट से दब गया ,पाली काल की आवाज को पहचान कर एकदम धीरे से बोली ,महाराज में तो पूरी आपकी हो गई हूं ,मेरा जो कुछ है सब आपका ही तो है , में भला आपसे क्या छुपाउंगी ,मेरे पास कोई खजाना नही है ,
पाली की गांड़ को दबाता काल ने अपने लंड को पाली की गांड के छेद में दबाते हुवे कहा ,में इस खजाने की बात कर रहा हु पाली ,में इसकी गहराइयों को देखना चाहता हु ,क्या तुम हमे इसके गर्म घाटियों में उतरने दोगी ,
पाली सब समझ गई थी उसने काल से कहा ,आप की ही मिल्कियत है आप जब चाहे तब देख सकते है ,लेकिन आप का इंतजार तीन नई गहराइया कर रही है महाराज आपको आज उनको समय देना चाहिए, में तो अब आपकी ही हु ,आप बाद में जब चाहे तब मेरे इस गहराई को नाप सकते है ,
काल ने हसकर कहा ,उन तीनों के हर गहराई को नाप कर हमने देख लिया है और उनको अपने हिसाब से और गहरा बना दिया है ,आप की आगे की गहराई तो हमने बढा दी है अब इस पीछे की गहराई को नापने का मन है ,क्या हमें इजाज़त है ,काल की बातों से पाली समझ गई कि इस घोड़े ने तीनों को रौंद डाला है अपने लंड से ,उसको पता था यह कोई आम अश्व पुरुष नही बल्कि एक अश्व देवता के आशीर्वाद से बना दिव्य शक्तियों से बना दिव्य अश्वपुरष है ,इसके लिये कुछ भी नामुमकिन नही है ,
पाली ने अपनी गांड को वापिस अपने दोनो हातो में पकड़कर उसे फैला दिया और कहा ,इजाजत है ,काल पाली की इस हरकत खुश हो गया ,उसकी लम्बाई की वजह से उसे पाली के पीछे थोड़ा झुककर उससे चिपकना पड़ा था ,काल नीचे बैठ गया और पाली की गांड़ को फैलाकर ऊसकी गांण्ड के लाल छेद में अपनी जीभ डालकर उसे चाटने लगा ,पाली की चुत भी काल के इस हरकत से पानी छोड़ने लगी थी ,कालने पाली की चुत से न्याय करते हुवे उसे अपनी जीभ का मजा देने लगा ,पाली की चुत अपना दर्द भूलकर काल के जीभ से आनंद लेकर उसे अपना पानी पिला रही थी ,काल ने पाली की चुत और गांड़ को जम कर चूसा था ,पाली भी अपने चुत से कितनी बार पानी छोड़ चुकी थी उसे खुद पता नही था ,काल ने पाली के अंदर वापिस एक आग भड़का दी थी जिसे जानकर काल पाली को समयमनी में ले गया उसे पता था ,अब पाली भी दोनो तरफ से जम कर उसके माल को पीने वाली है,पाली को उठाकर काल उसे अपने बेड पर ले आया ,जिसको काल ने अपने मायावी जादू से सुहाग की सेज में बदल दिया था ,काल ने सबसे पहले पाली को घोडी बनाकर उसकी गांड में अपना लंड उतार दिया ,इस बड़ी सी गांण्ड को कालने अपना मन भरने तक मारा, पाली के गांड में काल 10 बार अपनी पिचकारियां भर चुका था ,पर पाली के गांण्ड के छेद ने उसे दीवाना बना दिया था ,पाली भी पहले बहुत चिल्लाई थी ,अपनी गांड में काल के बड़े से लंड को लेकर उसकी गांण्ड भी जख्मी हो गई थी ,पर उसके गांड़ के जख्मों पर काल जब अपने लंड की गर्म मलाई की पिचकारियां छोड़ता तो उसका दर्द एक सुख में बदल गया था ,काल के लन्ड को गांड में लेने मिलती सनसनी ने उसकी चुत ने भी बहुत बार अपना पानी छोड़ा था ,काल ने पाली के चुत में भी अपने गर्म मलाई को 10 बार भरकर उसकी सूजन की अच्छी तरह सिकाई कर दी थी ,पाली ने काल के कदमों में बैठकर उसके लन्ड को चूसकर अपने मन और पेट के भरने तक उसके मलाई को पिया ,काल ने पाली को भी समय मनी से निकाल कर अपने कमर में ले आया ,पाली के साथ मे भी कालने समय मनी में 12 घण्टे बिता दिये थे ,चारो को चोद कर भी अश्वलोक में बस 3 घण्टे के समय बीत चुका था ,अभी अश्वलोक में रात के 12 भी नही बजे थे ,काल को महल के बाहर से हल्की आवाजे आ रही थी ,उसने महल से बाहर आकर देखा तो बाहर 100 संख्या में अश्वकन्या का एक समूह खड़ा था ,उनके थोड़े दूर ही दूसरा समूह खड़ा था ,1200 अश्वकन्या 12 समूह बनाकर एक कतार में महल के बाहर खड़ी थी ,उनकी बैचेनी और तड़प को काल अच्छी तरह जानता था ,सुबह होने में अभी 6 घण्टे का वक्त था ,लेकिन वो आधी रात से महल के बाहर आकर खड़ी हो गयी थी ,काल ने भी उनको ज्यादा देर इंतजार में खड़ा रखना ठीक नहीं समझा ,काल ने सब अश्वकन्या को अपनी माया के प्रभाव में ले लिया ताकि किसी को समयमनी के बारे में पता न चले ,काल ने सबसे पहले समूह को समयमनी में लेकर गया,उसने सभी अश्व कन्याओं को अपने अश्व औरत के रूप में आने को कह दिया ,फिर कालने हर कवारी अश्व औरत की सील खोलता गया ,कोई भी अश्वकन्या उसके लंड के सामने 5 मिनीट से ज्यादा टिक नही पाती वो झड जाती पर काल के लंड को भी अपनी चुत में झड़ंने पर मजबूर कर देतीं थी ,काल ने 14 घन्टो में हीं हर अश्व कन्या की चुत में दो बार माल भर दिया था बाकी 10 घन्टो में वो हर एक अश्वकन्या की गांड भी मार चुका था ,24 घण्टे में काल ने 100 अश्वकन्या की दो बार चुत में माल भरकर 1 बार गांण्ड मार चुका था ,इसी तरह उसने दोपहर के 12 बजे तक 1200 अश्वकन्या की सील खोल कर उनको चोद दिया था ,12 बजे तक आखरी समूह भी लंगड़ाता हुवा अपनी चुत और गांण्ड में माल भरकर अपने अपने घर लौट गया ,12 बजे महल में आकर जब माला ,बानी और सोनी से मिला तो कालने देखा तीनो का कद 14 फिट तक बढ़ गया था ,तीनों की सारी शक्तिया उनके कौमार्य भंग होने पर पूर्ण रुप से जाग गई थी ,तीनो पहले से कही ज्यादा सुंदर ,आकर्षक और बलशाली हो गई थी ,उनकी चुचिया और गांण्ड में भी जो भराव आया था उसे देखकर काल ज्यादा खुश हो गया था ,इतना ही नही पाली में भी बदलाव आ चुका था काल के चुदने से उसकी भी लम्बाई दो फिट बढ़ गई थी ,उसकी सुंदरता के साथ शक्तिया में भी बढ़ोतरी हुवीं थी ,पाली में भी चुचिया और गांड़ भराव आने से काल की खुशी का ठिकाना नही बचा था ,आखिर सब उसके लन्ड का जो कमाल था ,चारो अपनी बढ़ी शक्तियों और सुंदरता से खुश थी ,सबने मिलकर दोपहर का खाना खा लिया ,उन चारों के साथ कुछ देर बाते करने के बाद काल 2 वापिस अश्वकन्या के पास चला गया ,जिनकी हालत थोड़ी ठीक थीं उन सबको समयमनी में लेकर जमकर चोदा और उनकी चुत और गांण्ड के छेद में अपना माल भरता रहा ,7 बजे काल वापिस महल लौट आया सबके साथ 8 बजे तक खाना खाकर उसने उन चारों को एक साथ समयमनी मे ले गया जहाँ 12 बजे तक यानी समयमनी 96 घन्टो में माला ,बानी ,सोनी और पाली को जमकर चोदा उनके चुत ,गांड़ और मुह को अपने लंड के माल से लबालब भरता रहा ,उन चारों को वो अपनी पेशाब भी पिलाता और उनकी भी पेशाब के मजे लेता, काल की भी शक्तिया इन 1204 अश्व औरतो को चोदने से बढ़ गई थी ,हर कुवारी अश्व औरत को चोदने वाले अश्व पुरुष को उसकी आधी ताकद मिल जातीं थी ,इस हिसाब से 1203 कुवारी अश्व औरतो की चुत और गांड़ मारँने से काल की शक्तियां भी कई गुना बढ़ गई थी (,पाली की सिर्फ उसने गांड़ के कवारे पन कोही तोड़ा था ) काल का लन्ड पहले से थोड़ा लंम्बा और मोटा हो गया था ,उसके लंड से निकलने वाला वीर्य भी अब पहले से ज्यादा गाढ़ा ,ज्यादा गर्म और अधिक मात्रा में निकलता था ,काल अश्वलोक जो 58 दिन रहा उसमे सिर्फ वो दो वक्त के खाने के लिये हैं आराम करता बाकी सारा वक्क्त वो सभी अश्वकन्या को समयमनी में लेकर चोदने का काम करता था ,जिन 1200 कुवारी अश्वकन्या का कौमार्य भंग काल ने किया था उनकी भी पूर्ण शक्तिया जागृत हो गईं थी ,उन सबकी लम्बाई 11 फिट की हो गई थी ,उनके शक्तिशाली होने के साथ उनकी सुंदरता और शरीर मे भी भराव आ गया था ,सबकी सब 1204 अश्व औरते काल ने गर्भवती कर दी थी ,अश्वलोक से जाते समय माला और बानी काल के साथ नही गई उन्होंने काल से कहा कि वो अपने बच्चों को अश्वलोक में ही जन्म देगी कुछ वक्त उनके साथ बिताकर वो 7 दिन में ही धरती पर लौट आएगी ,धरती के हिसाब से 2 दिन के बाद ही सब मा बन जाएगी ,धरती के 24 घण्टे मतलब अश्वलोक में 240 दिन होते थे ,और अश्व औरत 310 दिनों में अपने बच्चे को जन्म दे देती ,माला और बानी अपने बच्चों को जन्म देकर अपना दूध पिलाकर इतने समय मे आराम से बड़ा कर सकती ,बाद में अपने बच्चों को वो सोनी और अपने माँ के पास छोड़कर धरती पर आने वाली थी,काल ने भी सबसे वादा किया कि वो समय निकालकर अश्व लोक में आता रहेगा सबसे मिलने ,उसे भी अपने बच्चों के जन्म की खुशी थी ,एक अनाथ आज 1204 बच्चों का बाप बनने वाला था ,सबसे मिलकर काल जैसे ही अश्व लोक से निकला वो गायब होकर सीधा अश्व देवता के मंदिर पोहच गया ,काल समझ गया उसे अश्व देवता ने ही यहा पर लाया है तभी उसके सामने अश्व देवता प्रकट हो गए ,काल ने उनको चरणों मे झुक गया ,तब अश्व देवता ने कहा ,शिवा में तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ ,तुमने मेरे दिये अश्व पुरुष के वरदान का सिर्फ खुद के लिये ही नही सबके फायदे के लिये उसका इस्तेमाल किया ,मेरे श्राप को खत्म करके तुमने मेरा भी मान रख दिया है ,अगर अश्व मानव ही नहीं रहते तो हमारे अश्व देवता होने का क्या फायदा होता ,कौन हमे पूजता ,तुमने अश्व मानव के नही बल्कि हमारा भी अस्तित्व बचाया है ,साथ मे तुमने अश्व पुरुषो को मन्दिर के सुरक्षा में शामिल करके अश्व लोक का मान भी बढ़ा दिया है ,में तुम्हे पहले एक वरदान देने वाला था ,पर तुम्हारे सब कामो से मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी हुवीं है ,इसीलिये में तुमको दो वरदान देने वाला हु ,जिसका तुन्हें आगे चलकर बहुत ज्यादा लाभ होगा ,पहला वरदान तूमको में यह देता हूं कि जिस आत्मभंजन विधि को तुम सिख चुके थे उसको में तुम्हे पूर्ण रूप से प्रदान करता हु ,जिसकी वजह से तुम अपनी आत्मा के भंग किये बिना ,अपनी आत्मशक्ति के रूप बना सकोगे ,दूसरा वरदान यह है कि जिस काल के रुप में तुमने अश्व लोक की मदद की है उसे तुम जब चाहे तब बिना आत्मभंजन विधि से पूर्ण रूप से दूसरा शरीर दे सकोगे ,वह रूप हमेशा तुम्हारे अधीन रहकर तुम्हारी हर बात मानेगा ,उसमे तुम जो चाहे वो शक्तिया उसको दे सकते हो ,उसे ना कोई मार सकेगा ,ना नष्ट कर सकेगा ,सिर्फ जब तुम चाहोंगे तब वह तुम्हारे अंदर विलीन हो सकता है ,वो जो कुछ करेगा तुम्हे अपने आप पता चल जायेगा ,अब तुम अपने कार्य के लिये जा सकते हो ,मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहेगा ,
अश्व देवता के गायब होते ही काल भवानीगढ़ के जंगलों में पहुच गया ,काल ने अपने मन मे कहा काल बाहर आओ ,इतना कहने के साथ ही काल के शरीर से एक हूबहू काल के जैसा दूसरा काल उसके शरीर से निकलकर उसके सामने आ गया ,पहले वाले काल ने कहा ,काल तुम में मैने अपनी सारी शक्तिया भर दी है जैसा में शक्तिशाली हु वैसे ही तुम भी हो ,जितना मुझे हर चीज का ज्ञान है उतना मेने तुम्हे भी दे दिया ,मेरी हर खूबी ,हर शक्ति ,मेरी पूरी ज़िंदगी की मालूमात तुमको है ,आज के बाद तुम मेरे साथ हीं रहोगे और में धरती पर जब नहीं रहुँगा तब तुम मेरी जगह सब संभाल लेना ,तुम सबसे पहले मनीशा और हेमा के घर जाकर अदृश्य रूप में उनपर नजर रखो ,तुम्हे हर फैसला लेने की छूट है ,सिर्फ मेरी तरह कभी किसी निर्दोष और मासूम की हमेशा रक्षा करोगे ,कभी किसी चीज का ,ताकद का मोह नही करना ,हमेशा सच का साथ देना ,दूसरा काल बोला ,जो आप कहे मालिक में वैसा ही करूँगा ,पहला काल ,मालिक नही तुम मेरे भाई हो आजसे ,तुम मुझे हमेशा भाई कहकर ही बुलाया करोगे
दूसरा काल ,जी भाई ,अब में चलता हूं ,जब भी आपसे मिलने आया करूँगा में हमेशा अदृश्य होकर ही आऊँगा ,इतना कहकर काल वहाँ से मनीषा और हेमा के घर चला गया ,और पहला काल हसके एक तरफ देखकर बोला ,सिहाली और मिहाली तुम्हे क्या लगता है ,मैं तुमको देख नही पाऊंगा ,में तुम्हे ही नही बल्कि तुम्हारी दो गरुड़ सहेलियों को भी कबका देख चुका हूं ,लामी और कामी नाम है ना उन दोनों के ,बहुत ऊपर से नजर रखती है ना मुझपर वो दोनो ,तुम चारो को बाद में मिलूंगा ,अभी मुझे बहुत ज्यादा काम है ,चलो मन्दिर के रक्षा तब तक अच्छी तरह से करना ,
काल के सामने दो अदृश्य रूप से खड़ी 50 फिट से भी लंबी ,तगड़ी ,महाभयंकर दिखने वाली दो शेरनिया खड़ी थी ,दोनो एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखती खड़ी थी ,
सिंहाली ,यह असंभव है ,काल ने हमे कैसे देख लिया ,इतना ही नही वो हमारे नाम भी जानता है ,और तो और उसने लामी और कामी के नाम लेकर उनको भी देखने की बात कही है ,यह कैसे हो सकता है
मिहाली ,कहीं ये दुनिया का पहला सिंहार तो नही ,क्योकि राजगुरु ने हमे पहले ही कहा था ,जो हम दोनों को अदृश्य होकर भी देख सकेगा ,और हमारी तरह सिंह मानव के वंश का नहीं होगा वहीं सिंहार होगा ।
 
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Update 78
काल जब भवानीगढ़ पहुंचा तब सुबह के 6 बज गयें थे ,काल ने जब काल2 को बनाया तब उसने यह सब अदृश्य रूप में रहकर ही किया था ,उसके बाद उसने अपने आप को सदृश्य करके सिंहाली और मिहाली से कुछ देर बात की ,और वहासे सीधा वो सर्पलोक पहुच गया वहां मंदा के साथ 5 दिन प्यार से बिताकर वो अपने घर मुम्बई सुबह के 7 बजे जा पहुंचा, और अपने कमरे से अपना लैपटॉप लेकर नास्ता करने सबके साथ हॉल में आ गया ,सबके साथ नास्ता करते हुवे शिवा ने अपना लैपटॉप काल जो केतकी बनी थी उसके हाथ मे देकर कहा ,काल मैने अपना काम पूरा कर दिया है ,अब तुम देख लो ,इसमे कुछ कमी होगी तो तुम देख लेना और ठीक कर देना ,नरगिस आज से काल तुम सबके साथ रहकर मदत करता रहेगा, सॉफ्टवेयर के लिये जो भी हैक करने का हमारा दावा उसे कबूल करके हमारे पास आएगा ,उसके साथ काल बात करके उसे अपना सॉफ्टवेयर को हैक करने के लिये दे देगा ,तुम बस एक न्यूज़ चैनल से बात करके इसे लाइव दिखाने के लिये बुला लेना ,उनको भी ऐसी खबरों की तलाश रहती है ,वी फ्री में हमारा काम कर देंगे ,जिसका हमे बहुत ज्यादा फायदा होगा ,शिवा ने अपनी मायावी ताकद से अपने सोफ्टवेयर की सारी जानकारी और जरूरी बातें नेत्रा ,काल ,और हिमांनी के दिमाग मे डाल दी ,सब शिवा के बिना ही यह काम करे ऐसा सबके दिमाग मे डालकर शिवा वहां से निकल कर बाहर आया अपनी बाइक लेकर वो बाहर निकल गया ,उसने नरगिस के जो आदमी अपने यानी शिवा की रक्षा के लिए रखे थे ,उनके ऊपर ऐसा जादू कर दिया था कि वो शिवा के पीछे निकलते एक पार्क में जाकर आराम करते और जब भी शिवा घर आ जाये उसके 5 मिनीट बाद वो भी घर मे आ जाते थे ,उनको ऐसा ही लगता जैसे वो दिन भर शिवा के पीछे ही घूमते रहे हो ,नरगिस को भी वही बात बताते जो शिवा ने उनके मन मे रोज बताया करता ,जिसकी वजह से नरगिस को हमेशा ऐसा लगता शिवा की रक्षा में यह लोग कोई कसर नही छोड़ते ,
शिवा गायब होकर सीधा भवानीगढ़ के जंगलों में पहुंचा और वहाँ काल के रूप में महाराज पवन और बाकी सैनिकों से मिला ,महाराज पवन भी काल से मिलकर बहुत खुश हो गये,काल ने उन्हें बता दिया कि जो काम उन्होंने काल को करने के लिये बोला था वो हो गया है ,तब महाराज के साथ सब सैनिक भी खुश हो गये, कालने पवन से कहा ,आप कुछ सैनिक अश्व लोक भेज देंगे तो बहुत अच्छी बात होगी ,क्यो की अभी सब औरते गर्भवती है ,उन्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़ सकती है ,अगर किसी शत्रु ने आक्रमण कर दिया तो मुसीबत हो सकती है ,
काल की बात सुनकर महाराज पवन के साथ सब सैनिक भी हसने लगे ,कुछ देर हसने के बाद महाराज पवन बोले ,क्षमा करें महाराज काल ,पर आप को एक बात बता दु हमारी जो अश्व औरते है वो हम सबसे बहादुर योद्धा होती है ,उनकी ताकद अब आपके साथ सहवास करने से 10 गुना बढ़ गई होगी ,एक अश्व औरत 100 अश्व पुरषों जितनी ताक़दवर होती है ,और आप जैसे दिव्य अश्व पुरुष के सहवास के बाद, उनमे और ज्यादा ताकत आयी होगी इस बात का हमे पूरी तरह यकीन है ,हम अश्व लोक में असली योध्दा हमारी अश्व औरते ही होती है ,आप बिलकुल चिंता न करे अश्वलोक में अश्व देवता के मर्जी के बिना कोई जा नही सकता ,हमारे अश्वलोक में कोई उनकी नजरो से बचकर कभी नही घुस सकता ,आप निश्चित रहे ,और हमारी दो बहनें और माँ अश्वलोक में रहने की वजह से ,वहां पर सब निर्विघ्न तरीके से हर काम होता रहेगा ,बस जब अश्व शिशु होने पर हम सब बारी बारी से जाकर सब को मिलकर आ जाएंगे ,आप इतनी हमे इजाजत दे दीजिए बस ,
काल ,महाराज पवन आप जब चाहे अश्व लोक जा सकते है ,इसमे हमसे पुछने की बात कहा से आ गई ,आप अगर मुझे अपना मानते हो ,तो ऐसी बाते आप आगे से कभी नही करना ,और आप हमसे बड़े है ,मुझे सिर्फ काल कहकर ही बुलाया कीजिये ,
पवन ,आप की हर बात हम मान लेंगे पर आपको महाराज कहने के लिये आप कभी मत कहिए ,
काल ,जैसी आपकी मर्जी ,उसके बाद काल ने हर अश्व सैनिक के साथ पवन को आज की दुनिया का हर ज्ञान दे दिया ताकि कभी उनको इस दुनिया मे कभी कोई परेशानी का सामना न करना पड़े ,काल ने अश्व देवता से मिली अपने दिव्य अश्व पुरुष शक्ति से सबको ताक़दवर और शक्तिशाली बना दिया ,पवन के साथ सब सैनिकों के आंखों में काल के
ऐसे व्यवहार से आँसू आ गए थे ,सब उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े थे ,काल ने सबसे कहा ,मेने आपके ऊपर कोई एहसान नही किया है दोस्तो ,जो मुझे आपके अश्व लोक में मिला है ,उसी शक्ति की मदद से मैंने यह सब किया है ,आपको शक्ति देकर बलवान करने में मेरा ही स्वार्थ छुपा हुवा है ,आप मन्दिर की रक्षा करने में अपनी जान की बाजी लगाने वाले है ,आप जितने बलवान और शक्तिशाली होंगे उतना आपके सामने कोई पापी और दृष्ट शक्ति टिक सकेगी ,सिर्फ अपनी ताकद का कभी कोई गलत फायदा मत उठाना दोस्तो ,ताक़दवर को हमेशा निर्बल और निर्दोष की रक्षा करनी चाहिये ,आप अश्व मानव है और आपने हमेशा हर लड़ाई में सच का साथ दिया है ,आप मुझे इस मंदिर की रक्षा में हमेशा साथ देंगे यही में आपसे चाहूंगा, भले में रहूं या ना रहूं लेकिन आप सब मन्दिर की रक्षा हमेशा बुरी ,दृष्ट और पापी ताकद से करंगे ,आप सब मे एक बहुत बड़ी खूबी है कि आप किसी भी दृष्ट और पापी को कौन से भी रूप में पहचान जाते है ,बस आप अपनी पूरी ताकद से यही काम यह कीजिये ,इतनी ही में आपसे अपेक्षा करूँगा ,
काल की बाते सब सुन रहे थे अश्व मानव ही नही ,भेड़ियेमानव ,विशाखा और सर्पिणी ,सिंहाली और मिहाली ,लामी और कामी ,सब के आंखों में काल के लिये एक सन्मान और आदर दिख रहा था ,अश्वमानव को छोड़ दे तो सबको पता था काल का मंदिर के सुरक्षा से कोई नाता नही है ,ना उसे किसने यह जिम्मेदारी दी है ,ना किसी ने उसे वचन लिया है ,पर जिस तरह से सबसे बलवान और शक्तिशाली होकर भी वो सबके साथ मिलकर मन्दिर के सुरक्षा को मजबूत कर रहा था ,वो काबिले तारीफ था ,लोग शक्तिया मिलने पर सबको अपने कदमो में झुकाना चाहते है ,दुनिया पर राज करना चाहते है ,पर काल अपनी शक्तियों से हमेशा दूसरों की मदद हीं करता आया था ,मंदिर के हर सुरक्षा करने वाली कड़ी की उसने मदद ही कि थी ,अपनी मिली ताकद से उनको पहले से कहीं ज्यादा बलवान और ताक़दवर बनाया था ,मन्दिर की सुरक्षा का असली रक्षक और मजबूत कड़ी वही बन गया था ,कालने सबके साथ कुछ देर बात की और वहाँ से गायब होकर वो सीधा असुर लोग चला गया आज वो माया और उसकी दोनो बेटीयो को अपनी असलियत बताने वाला था ,
काल के जाने के बाद सिंहाली ,मिहाली ,लामी और कामी चारो अदृश्य रूप में बाते करने लगी थी ,
मिहाली, मुझे यह काल कोई इंसान नही लगता ,इसकी बाते, इसका चाल चलन ,इसका दिल और पराक्रम साफ दर्शाता है यह कोई खास है ,जिसे हम पहचान नही पा रहे है ,ऐसा व्यवहार कोई इंसान कभी नही कर सकता ,आजके इंसान मतलबी और खुदगर्ज होते है जो बस खुद का ही भला सोच सकते है ,इस कलियुग में ऐसा इसान होंना असंभव है ,
लामी ,नही मिहाली माना तुम कुछ बाते सही कह रही हो लेकिन हमें भूलना नही चाहिये ,कभी कोई कोई इंसान के अलावा भगवान नही बन सका है इस सृष्टि में आज तक ,भगवान श्री राम ,भगवान श्रीकृष्ण ,इन्होंने किसी इंसान की कोख से ही जन्म लिया था ,पर इंसान होकर वो अपने कर्मो से ही भगवान बन गए ,इनके अलावा भी ना जाने कितने ही इंसान अपने अच्छे कर्मो से प्रसिद्ध हुवे है ,काल भी किसी ऐसे ही अच्छे इंसान का खून होगा ,जो अपने कर्मों से महान बनने वाला है ,
सिंहाली ,काल क्या है क्या नही यह सब संकट की घड़ी में ही पता चलेगा ,में यह देखने के लिये बेताब हु ,जब काल से भी कोई शक्तिशाली उसके सामने आता है तब वह क्या करता है ,आजतक जितने भी काल के सामने शत्रु आये थे काल की ताकद उनसे कही ज्यादा थी ,असली वीर की पहचान अपने सामने जब उससे कही अधिक ताक़दवर खड़ा होता है तभी होती है ,और दुनिया मे कालसे भी कही ज्यादा ताक़दवर मौजूद है ,जो जल्द ही उसके सामने आने वाले है ,तब देखेंगे क्या करता है यह काल भाग जाता है या वीर की तरह सामना करता है ,हम जब तक मन्दिर के सुरक्षा को कोई खतरा होगा तभी मैदान में उतरेंगे नही तो काल को अकेले ही लडने देंगे ,
कामी, सिंहाली काल की यह खुद की लड़ाई नही है ,वह सिर्फ मन्दिर के लिए खतरा होने पर ही किसीसे लड़ेगा ,ना कि अपनी ताकद दिखाने, तुम काल पर गुस्सा हो कि उसने हम सबको देख लिया ,तुम उसको अपने आप से कमजोर समंजने की भूल कर रही हो ,वो बातो से नही अपने कामो से भी महावीर है ,तुम उसके साथ लड़ो या ना लड़ो पर अगर कभी काल को किसी पापी या दृष्ट शक्ति से मुकाबला करते हुवे थोड़ा भी खतरा हुवा तो सबसे पहले उस खतरे के सामने में खड़ी रहूंगी ,काल की जिदंगी बहुत कीमती है ,उसे किसी भी कीमत पर में बचाकर रहुंगी ,
मिहाली ,मेरी भी यही सोच है ,में भी काल के लिये अपनी जान की बाजी लगा सकती हूं
लामी ,मेरी भी सोच तुम दोनो से अलग नही है
सिंहाली ,लगता है तुम तीनो को काल से प्यार हो गया है ,इसलिये उसके लिये मरने तक को तैयार हो ,इतना कहकर वो तीनो पे हसने लगी ,
तीनो एक साथ ,तुम को जो समंझना है तुम समज लो, हमे इस बात से कोई फरक नही पड़ता ,
इसके बाद लामी और कामी चली गईं,मिहाली भी वहाँ से सिंहाली को अकेली छोड़कर चली गई ,
सिंहाली अपने मन मे ,में तुम सबका मन देख रही थी मेरी बहनो ,इस काल के सामने कोई संकट आने की बात बहुत दूर है ,उसके लिये किसिने बुरा सोचने की कोशिश भी की तो उसकी मौत मेरे हाथों से पक्की है ,और मुझे इस बात का यकीन है कि काल ही मेरा होने वाला पतीं है ,तो कैसे में अपने पति को संकट में अकेला छोड दुंगी ,
सिंहाली अकेली ही अपने खयालो में कितनी देर तक बैठी रही ,और उसके बाद अपनी बहन के पीछे फिर से उसे छेडने और तंग करने चली गई ,
कालने असुर लोग जाकर पहले समयमनी में तीनों मा बेटीयो को अश्वपुरष के मिली कामशक्ति की नई ताकद से तबीयत से बजाया ,आज तीनो मा बेटीयो का बुरा हाल कर दिया था काल ने ,काल की हर बढ़ती ताकद के साथ उनकी मुश्किल बढ़ जाती थी ,हर बार उनके चुत और गांड के छेदों की गहराई और साइज काल बदल देता था ,उनके आराम करने के बाद काल ने उनको अपना असली रूप दिखाकर अपनी सच्चाई बता दी ,कालने उन तीनों को मन्दिर के चमत्कारी पथर की सारी कहानी बता दी ,पर अपनी परीक्षा के बारे में और जो काल को उसने बनाया था उसके बारे में कुछ नही बताया ,माया ने शिवा से कहा तुमने हम असुर होकर हमपर भरोसा किया ,और इतनी बड़ी बात हमे बताकर यह बात साबित कर दी है तुम हमे अपना मानते हो और तुम्हारा हम पर पूरा भरोसा है ,हम अपनी जान दे देंगे पर कभी तुमको धोका नही देंगे ,हम हर कदम पर तुम्हारा साथ देंगे ,जिस तरह काटे से काटा निकाला जाता है हम उसी तरह इन पापी असरो और राक्षसों का सफाया करंगे ,में अपने कूछ भरोसे मंद असरो को अब इस काम पर लगाती हु ,उनको में दुनिया के हर असरो और राक्षसों के बीच क्या चल रहा है इसकी खबर निकालने भेज देती हूं ,वो लोग अपने काम मे बहुत माहिर है ,वो हमें हर तरह की खबर भेजते रहंगे उन सबके बीच रहकर ,में तुम्हे तुंरत बताया करूंगी अगर कोई खतरा उस मन्दिर के तरफ आने वाला हो तो ,और हो सके उस खतरे को हम रास्ते मे ही ख़त्म कर देंगे ,पर काल ने माया और उसके बेटीयो को कसम देकर यह बात मानने पर मजबूर कर दिया कि वो कुछ खतरे की बात होने पर काल से बात करेगी ,और जो खतरा होगा उसे में खुद देख लूंगा ,
माया और उसकी बेटीयो ने काल की बात बहुत समाझाने पर ही मानी ,उनके साथ और कुछ देर बात करने के बाद शिवा वहासे पूजा के पास चला गया उसके साथ वक्क्त बिताकर फिर मोना के साथ कुछ प्यार भरी बातें करके उसे खुश करके ,अदृश्य रूप में शांति के पास गया उसकी तबीयत अब थोड़ी बेहतर थी ,उसके साथ कुछ देर बाते की ,शान्ती ने उसे बताया कि वह सीमा से एक बार मिल ले वह उसके साथ बात करना चाहती है ,निता से शांति की मुलाकात नही हुवीं थी पर सीमा को उसने सब बता दिया था और जो मोबाइल में वीडियो शिवा ने दिया था वो भी दिखा दिया था ,तब से सीमा शन्ति से इस अदृश्य इंसान से मिलने की जिद कर रही थी, शिवा ने उसे बता दिया कि वो कल सीमा से मिल लेगा फिर शिवा वहासे निकल गया पर उसने जाते हुवे शन्ति के दिमाग से सीमा और निता की चुदाई की बाते मिटा दी ,और सीमा के मन से भी निता के साथ चुदाई की बात मिटा दी, उसके मन में यही बात शिवा ने बिठा दी कि उसकी किसी अदृश्य इंसान ने मदत की थी और उसकी चुदाई करके उसकी हवस को मिटाया ,और उसे कमरे से बाहर जाने नहीं दिया ,सीमा के मन मे यह भी डाल दिया कि यह बात उसके अलावा किसी को नहीं पता है ,इतना करके शिवा फिर से सर्पलोक मंदा के पास पहुच गया उसके साथ शिवा जो 5 दिन बिताया करता उसमे रोज वों 10 घण्टे सर्पलोक और नागालोक मे अपना समय सबके साथ रहता ,बाकी 14 घण्टे समयमनी में 14 दिन मंदा के साथ बिताया करता इस तरह सर्पलोक में 5 दिन जाकर भी मंदा के साथ 70 दिन समयमनी में रहता ,सर्पलोक से आने के बाद शिवा खाना खाने मुंबई पोहच गया वहाँ पर सबके साथ खाना खाया ,उनके सॉफ्टवेयर को कोई भी हैक नहीं कर पा रहा था ,जिसने भी कोशिश की वो नाकाम ही रहा था ,इंटरनेट से अपने लैपटॉप को जोड़कर भी पूरी दुनिया के हैकर लोगो को चैलेंज किया था काल ने ,हर कोई इसी कोशिश में लगा था ,काल ने सबको 8 दिन का समय दिया था ,और 1 करोड़ रुपये न्यूज़ चैनल वालो के पास जमा कर दिये थे ,पूरी दुनिया मे उनके सॉफ्टवेयर की बाते हो रही थी ,सब इस बात से बहुत खुश थे ,सबने जल्दी खाना खाकर शिवा से विदा ली और वापिस अपने काम मे लग गए ,सबको इस काम मे मजा आ रहा था ,नेत्रा ,हिमांनी ,और काल के रूप में केतकी थी मानो इसमे सब भूलकर पूरी दुनिया के हैक करने वालो का मजा ले रहे थे ,काल और नेत्रा का नाम दुनिया मे एक कंप्यूटर एक्सपर्ट के तौर पर मशहूर होने लगा था ,और साथ मे नरगिस ,सनम का भी क्यो की उनकी सॉफ्टवेयर कम्पनी ने ही तो ऐसा सेकुरिटी सॉफ्टवेयर बनाया था ,शिवा अपने कमरे में आकर कुछ देर बैठा रहा फिर उसने ,ज्वाला और सुनीता को आज जल्दी जाकर समयमनी में 12 घण्टे जम कर बारी बारी से बजाया ,उसके बाद रेहाना और नूरी को 24 घण्टे में पटक पटक के चोदा उनके चुत और गांण्ड की उसने फिर परखच्चे उड़ा दिये ,उसके बाद उसने निता के साथ 2 घण्टे यानी समयमनी में 48 घण्टे बिता दिए ,उसके बाद शिवा एक और चक्कर सर्पलोक मे बिताकर 6 बजे चाय पीकर मुंबई में सबके साथ बिताया ,फिर काल बनकर 3 घण्टे अश्वलोक में 30 दिन रहकर सबकी अश्वकन्या की प्यास समयमनी में लेकर बुझाता रहा ,वहां से 9 बजे घर आया सबके साथ उनकी बातें सुनकर खाना खाकर केतकी और नेत्रा को बता दिया कि 12 बजे वो केतकी के साथ पाताल लोक जाने वाला है ,अपने कमरे में आकर उसने पहले काल 2 को बुलाकर बता दिया कि वह पाताल लोक जाने वाला है सुबह 6 बजे तक आ जायेगा अगर वह नही आया तो काल2 उसकी जगह पर रहकर सबका ख्याल रखे ,उसके बाद काल मंदा के पास सर्पलोक में 1 चक्कर लगाकर 12 बजे से पहले ही घर आया ,और केतकी साथ पाताल लोक चला गया ,केतकी ने उसे बता दिया पाताल लोक में धरती का 1 घण्टे का मतलब 15 दिन होते है इस हिसाब से 90 दिन हम पाताल में रहने वाले है ,केतकी ने काल का हाथ पकड़ कर उसे लेकर धरती से गायब हो गई ,और उसे लेकर एक पल में ही पाताल के अंधरो में दाखिल उसके दुनिया मे दाखिल हो गई ,केतकी का राज्य का नाम बलिलोक था ,यहा सूरज का प्रकाश नही था ,चारो तरफ अँधरे का साम्राज्य था ,जब केतकी काल को लेकर अपने बलिलोक में दाखिल हुवी तो उनका स्वागत कालीनागिनो ने किया ,काल को वह सब पहचान चुकी थीं,उन सब की कामवासना को मिटाने वाले को वों कैसे भूल सकतीं ,उन सबका एक तरह से काल मालिक ही था ,हजारो कालीनागिनो को महानाग बनकर उसने भोगा था ,उन सबको महानाग ने वीर्य ने गर्भवती कर दिया था और उनके गर्भ से पैदा हुवीं हजारो सन्ताने भी अब मौजूद थी ,महानाग और कालीनागिनो इन दोनों के गुण उन सन्तानो में थे ,महानाग जैसा शरीर उनका भी शरीर था पर उतना विशाल नहीं था महानाग जहा 200 फिट चौड़ा और 2 हजार फीट लंम्बा इकलौता सर्प था वही उसकी सन्तान अभी से 5 फिट चौड़ी 50 फिट लम्बाई में थी ,सब काल को यानी अपने पिता को सामने देखकर अपने मानवरूप में आकर उसके सामने झुक गये ,काल भी अपनी इन सन्तानो को देखकर भावुक हो गया ,उसकी आँखों से उन सबको देख कर आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को मन मे गालिया दे रहा था ,अपने भोग में वो इन सबको कैसे भूल गया था ,उसे इस बात का जरा भी इल्म नही रहा था ,अपनी पहली सन्तानो के सामने काल अपने घुटनों पर हाथ जोकर बैठकर उन सबको बोला ,में तुम्हारा गुन्हेगार हु मेरे बच्चों ,में तुम्हारा पिता कहने के लायक नही हु ,मुझे भगवान ने अनाथ क्यो रखा इस बात का मुझे अंदाजा हो गया था ,मुझे जैसे पापी कभी किसी का सगा नही बन सकता इसी वजह से में अनाथ बनकर ही पला ,में तुम्हारे सजा का हकदार हु ,काल फूटफूट कर र्रोने लगा था ,सब काल को आसु बहाते देख कर भावुक हो गए थे ,तभी एक बच्चे ने आगे आकर काल के आसु पोछकर कहा ,हमे तो बताया गया था हमारे पिता दुनिया के सबसे बड़े और अनोखे साँप है ,आप हमें मिलने जल्द आने वाले है ,यह बात हम सबको पता थी ,आप किसी बहुत बड़े दायित्व को निभा रहे है यह बात हमे मालूम है ,और आप तो भगवान शिव के नामधारी है काल, आपके ऊपर पूरी दुनिया को बचाने का दायित्व है ,इसके लिये आप खुद की जान की पर्वा नही करते ,आप दुखी मत होइये पिताजी अक्सर ऐसे कामो में हमे कुर्बानी देनी पड़ती है ,आप अगर ऐसे हताश और दुखी होकर रोते बैठ गए तो आपके दायित्व की रक्षा कौन करेगा ,आप एक महावीर है ,जो अपने आसु कभीं किसी के सामने नही बहाते है ,हम आपके प्यार के लिये तरस रहे है , आपको हमे देखकर खुश होना चाहिये ,हम आपके साथ हमारा वक्क्त खुशी में बिताना चाहते है ,हम आपको रोते हुवे नही देख सकते पिताजी ,
काल एकटक उस बच्चे की बात सुन रहा था ,उसने उस बच्चे से पूछा तुम्हारा नाम क्या है बेटा और तुम्हे इतनी ज्ञान की बाते किसने सिखाई
बच्चा बोला ,मेरा नाम शिव है और पिताजी हमे यह सब बातें बड़ी मा और शिवानी दीदी सिखाती थी ,पर कल रात को शिवानी दीदी और हमारे 10 भाइयों को हेमकेतु उठाकर लेके गया ,उसने हमारी कुछ माताओं की भी बहुत मारा और जख्मी कर दिया है ,आप हमारी शिवानी दीदी और भाईयो को बचा लीजिये वो सबको मारने वाला है ,काल ने जब यह बात सुनी उसकी खोपड़ी ही सटक गई ,वो कब अपने महानाग के रूप में आ गया उसे खुद पता नहीं चला ,उसका महानाग का यह रूप सबसे प्रचंड था जो पहले महानाग हुवा करता था वो शान्त और सौम्य था जो बस 200 फिट चौड़ा 2000 फीट लम्बा था ,पर यह प्रलयकारी महानाग था ,जो प्रचंड गुस्से में था ,उसके आकार की कल्पना भी करना मुश्किल हो रहा था ,काल की ताकद जिस तरह से बढ़ी थी, उसी तरह महानाग का आकार और शरीर भी बढ़ गया था ,
महानाग की सब सन्तान बहादुर और बेख़ौफ थी ,उनमे महानाग का खून जो था ,अपने पिता का प्रचंड रूप देखकर उन्हें डर नही बल्कि खुशी और आनंद हो रहा था ,जिस बाप की वो सन्तान थीं उसे देखकर उन सबको अपने बाप पर और अपने आप पर गर्व हो रहा था ,
महानाग ने केतकी से पूछा ,कहा रहता है मादरचोद हेमकेतु ,मेरे बच्चों को उसने हाथ लगाने की हिमत कैसे की ,मुझे पहले यह बताओ वह मुझे कहा मिलेगा ,आज उसकी मौत होगी ,वह भी बहुत बुरी ,उसे आज महानाग के कहर का पता चलेगा ,जल्दी बोलो वो कहा रहता है ,
केतकी ,काल हेमकेतु मेरी बहन के साथ काली शक्तियों की साधना करता था ,वो पाताल के सोमलोक का राजा है ,मेरे यहा न रहने की बात का उसने फायदा उठाकर शिवानी और बच्चों को उठा लिया है ,शिवानी का जन्म अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण में हुवा था ,उसके साथ शादी करके संभोग करने वाले व्यक्ति शिवानी के साथ आधा पाताल की काली आग का मालिक बन सकता है ,इसी लालच में उसने शिवानी का अपहरण किया होगा ,वो 1008 बच्चों की बलि एक साथ देकर आखिर में शिवानी की बलि देगा ,जिससे वो अकेला काली आग का मालिक बन जायेगा ,हमे शीघ्र ही सोमलोक के शमशान जाना होगा ,वो आज ही सबकी बलि देगा ,आज अमावस्या भी है और सूर्यग्रहण भी ,तुम काल के रूप में आ जाओ में तुम्हे वहां ले चलती हु ,
महानाग ने भी अपने आप को काल के रूप में बदल लिया,
केतकी उसे लेकर एक पल में सोमलोक पहुंच गई ,वहा पर लाखों की संख्या में असुर ,राक्षस, कितने हीं तरह के प्रचंड जीव सोमलोक के शमशान को गोल घेरे में लेकर उसकी रक्षा के लिये खड़े थे ,आज काल के सब रूप बाहर आने वाले थे ,एक भयानक युद्ध की शुरुआत होने वाली थी ,काली दुनिया को आज एक नए महावीर के दर्शन होने वाले थे ,काल की यह पहली परीक्षा थी और दाव पर लगी थी 1008 निर्दोष बच्चें जिनमे 10 का बाप खुद काल था ।
 
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Update 79
काल और केतकी की सामने लाखो की संख्या में नीच ,पापी और दृष्टो की फौज खड़ी थी ,दो लोगो के सामने लाखो थे ,पर ना काल की आंखों में भय था ना केतकी के आंखों में डर, जहा पर था प्रचंड क्रोध और गुस्से की आग ,केतकी को देखकर उस फौज में से दो राक्षस बाहर आ गए 30 फिट से ज्यादा लम्बे ,तगडे केतकी को देखकर वो हसते हुवे बोलने लगे पहले वाला ,केतकी तू भी यहा पर मरने आ गई और साथ मे एक पिल्ले को भी लेकर आयीं, तू तो मरेगी आज लेकिन तेरे साथ जो पिल्ला है उसे में अपने साथ हमेशा रखूंगा ,जानती है किस लिये ,अरे मेरी गांण्ड धोने के लिये ,ही ही ही
दूसरा ,सुन गमासुर केतकी को कोई जान से नही मारेगा ,मेने सुना है यह अभी तक कवारी है ,इसकी चुत और गांड फाडने में बड़ा मजा आएगा ,साली हजारो सालो से कोरी चुत लेकर घूम रही है ,कभी किसका लंड देखा नहीं क्या तूने ,चल आज तुझे में मेरा लन्ड दिखा देता हूं ,तू भी क्या याद करेगी किस लन्ड वाले से पाला पडा था तेरा ,मेरा लंड देखकर तुझे मजा तो बहुत आएगा और जब इस लन्ड से तू चुदेगी तब तेरा मजा दुगना हो जाएगा ,
गमासुर ,अबे पागल डोंमासुर ,तुझसे मेने कितनी बार बोला है ऐसी हजारों साल से प्यासी औरतो को लंड नही दिखाने का ,ऐसी औरते जब लंड देख लेतीं है फौरन नंगी हो जाती है ,अब यह इतने लोगो के सामने नंगी हो गई तो कितने लंड खा पाएगी बिचारी ,तू तो इसकी गांड को ही फाडेगां ,इसकी चुत को इतने लोग चोदेंगे तो यह जिंदा नही बचेगी
काल ने केतकी से कहा ,यह दोनो बस हमको भटकाने कोशिश कर रहे है ,तुम इनकी बातो पर ध्यान मत दो ,इन लोगोने शमशान के चारो तरफ असुर सुरक्षा कवच लगाया है ,जिसे कोई असुर ही भेद सकता है ,तुम एक काम करना में तुम्हारे ऊपर एक असुर कवच लगा देता हूं ,जिससे तुम गायब होकर आराम से शमशान में जा सकती हो ,तुम बच्चों और शिवानी के ऊपर मेरा दिया हुवा कवच लगा दो और वही रुक जाओ ,तुम अंदर जाकर गायब ही रहना ,जरा में भी तो देख लू में कितना पानी मे हु ,काल ने केतकी के ऊपर असुर कवच लगा दिया ,काल ने उसके हाथ मे एक लाल मनी देकर कहा बस अंदर जाकर सब बच्चों को इस मनी से स्पर्श करा दो ,बाकी काम यह मनी खुद कर लेगा ,केतकी वहां से गायब होकर शमशान में आराम से दाखिल हो गई ,
केतकी के गायब होते ही दोनो राक्षस जोरो से हसने लगे और काल की तरफ देखकर गमासुर बोला ,पिल्ले केतकी तो तुझे छोड़कर भाग गई ,तूझे मारकर क्या फायदा ,तुझे में अपनी गांड़ धोने का काम देने वाला हु ,चल थोड़ी देर आराम कर फिर हम यहाँ से चले जायेंगे, तू अब जिंदगी भर मेरा गुलाम रहने वाला है ,
डोंमासुर, यार गमासुर केतकी इतनी आसानी से कैसे चली गई ,वो इतनी डरपोक तो नहीं कि इतनी सेना देखकर भाग जाए ,उसने आज तक कभी कोई मैदान नही छोड़ा युद्ध का भले ही वो अकेली हो ,या उसकी फौज उसके साथ हो ,
गमासुर ,डर प्यार डर हर किसी को अपनी जान प्यारी होती है ,भला वो हजारो को अकेली मार देती थी ,पर यहा हम लाखो ,उसके साथ कौन तो यह मच्छर था ,उसे यह बात अच्छी तरह पता है ,की वह हम सब से लड़कर कभी जीत नही पाएगी ,मेरे खयाल से अब वो उसकी पूरी फौज के साथ आएगी ,हमे बस कुछ देर और उसको रोकना है ,एक बार हेमकेतु का काम हो जाये ,फिर ऐसे 1000 केतकी को हेमकेतु मार सकता है एक झटके में ,चल कुछ देर और सावधानी से हमे रहना होगा ,उसके बाद हेमकेतु शमशान से अपना काम पूरा करके आ जायेगा ,वो आने के बाद जश्न मनायेंग हम सब ,ही ही ही ,
काल एक जगह स्थिर होकर बस केतकी को अपना काम करते देख रहा था ,जैसे ही केतकी ने सब बच्चों के ऊपर उसके लाल मनी से दिया हुवा सुरक्षा कवच लगा दिया ,काल को अब बच्चों की कोई चिंता नही थी ,सामने खड़े सेना की तरफ देखकर उसने अश्व देवता की दी हुवीं आत्म भंजन सिद्धि का मूलमंत्र अपने मन मे पढ़कर अपनी आत्मा से जुड़े अपनी शक्तियों को अलग करना शुरू कर दिया ,उसके शरीर से सर्व प्रथम निकला महानाग, उसके बाद निकला असुर रूप,फिर भेड़िये का रूप ,इच्छाधारी सूवर्ण रूप ,अश्व रूप,जिनके नाम अब थे, कालनाग,कालासूर ,कालभेड़िया, कालअश्व ,और काल सुवर्ण ,सबके सब कोई सामान्य रूप नही बल्कि काल के अंदर मौजूद सभी शक्तियो के मिलन से उन सबकी शक्तिया ,ताकद,और आकार एकदम विशाल ,महाबलवान, और प्रलयंकारी थे ,सबको कालने एक शरीर दिया था आज अपने आत्म भंजन शक्ति से ,सारी सेना अपने सामने इस तरह की महाभंयकर शक्तियों को देखकर थोड़ी बिदक गई थी ,सबसे ज्यादा डर फैला रहा था कालनाग वो इतना महाकाय था कि लाखों की सेना भी उसके आगे कागज समान लगने लगी थी ,लेकिन कुछ मूर्खो को लग रहा था ,की यह माया से ऐसे आकार बनाकर सबको डराना चाहता है ,सब उनको एक छलावा लग रहे थे ,
गामासुर ,अरे पिल्ले ऐसे माया के छल से तू हमको फसा नही सकता ,तेरे से अच्छे और असली लगने वाले जीव हमारे बच्चे बनाते है अपनी मायावी जादू से ,अरे ऐसे जीव बनाता जो असली लगते ,तेरे बनाये यह माया के नकली जीव तूने इतने विशाल बनाकर दिखा दिया कि तुझे छल से किसी को डराना भी नही आता ,कभी ऐसे जीव होते है क्या पगले,
डोंमासुर, अरे गामासूर इसका बनाया यह काला साँप तो देख ,ना इसका सर दिख रहा है कितना बड़ा है और ना लम्बाई ,मेरे खयाल से डर के मारे इस पिल्ले ने कुछ ना सोचकर ऐसे जीव बना दिये है ,तेरे ऐसे खेल से कौन डरेगा पिल्ले ,ए जाओ इस पगले को पकड़ के हमारे पैरों में लाकर पटको ,इस के खेल को खत्म करो और इसकी पहले अच्छी तरह से कुछ लोग गांड़ मारना पहले ,जिस गांड़ में इसके बहुत कीड़े है खुजली करने के ,ही ही ही
काल को पकड़ने के लिये कुछ सैनिक हसते हुवे आगे बढ़ गये, उनको भी काल की इस हरकत पर हँसी आ रही थी ,
तभी कालनाग बोला ,सबसे पहले में इनकी खबर लेता हूं,बहुत बकबक सुन ली मैंने, आज इन सबका शरीर नही आत्मा भी मिटने वाली है हमेशा के लिये,इतना कहकर कालनाग ने अपना विशाल मुह से एक जहर की फूक मार दी ,जिसकी वजह से उनकी तरफ आने वाले सैनिक ही नही बल्कि उनके पीछे खड़े हजारो सैनिक बिना कोई चीखे ,चिल्लाये, एक पल में ही ऐसे गल कर पिघल गये मानो वो मोम के बने हो ,यह देखकर अब सबकी गांड़ बुरी तरह से फट गई ,सिर्फ एक फूक मारके ही उस विशाल सर्प ने उनके हजारो साथी मार दिए थे ,ये एक अगर इतना खतरनाक है तो बाकी के कैसे होंगे
गामासुर, बहनचोद यह तो असली है सब,इतने भयानक जीव भी होते है क्या बे डोंमासुर ,
डोंमासुर, साला मैंने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसे कोई जीवो के बारे में नही सुना था ,यह जरूर कुछ दिव्य शक्तिया होगी ,और हमने उनकी गांड़ में उंगली कर दी बिना सोचे समझे,साला मुझे तो ऐसा लग रहा है इनके सामने हम लाखो की सेना भी कुछ नही है ,यह एक ही करोड़ो की सेना तबाह कर सकता है ,हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो इस हेमकेतु कि मदद करने हम यहां आ गए ,आज लगता है हम नही बच पायंगे,
और यह बात सच भी थी आज काल के सभी रूप बहुत ज्यादा गुस्से में थे ,उनको सामने ऐसी नीच सेना थी जो उनके 10 बेटो को मारने की कोशिश करने वालो कि रक्षा कर रहे थे ,कालनाग के वार के बाद 200 फुट लम्बे विशाल काय कालभेड़िया ने एक छलांग लगा दि उन राक्षसों की सेनापर उसके पंजो के नीचे दबकर कितने मरे इनकी गिनती नही थी ,उस कालभेड़िया की लाल आंखे ,विशाल जबड़ा, बड़े नुकिले दाँत ,देखकर ही सबके पसीने छूट चुके थे ,अपने मुह में लेकर 100 से ज्यादा राक्षसो को पल भर में नोच डालता ,अपने पंजे की वार से बड़े जीवो के कितने ही टुकड़े करता वो राक्षस सेना के चिथड़े उड़ाने में लगा हुवा था ,उसके कहर से पूरी सेना में हड़कंप मच गया था ,कुछ असुरों ने उस पर अपनी माया से वार कर दिये पर उस पर कुछ असर ही नही हो रहा था ,ना उस पर किसी तलवार ,भाले या बाण का असर हों रहा था ,ना उसे कोई जख्मी कर पा रहा था ,उसकी काया किसी वज्र समान कठोर और अभेद्य थी ,कालभेड़िया के डर से हर कोई अपनी जान बचाने के लिये भाग रहा था ,उस युद्ध के मैदान से कितने ही असुर और राक्षसों ने गायब होकर यहा से जाने की कोशिश की पर कोई भी वहाँ से गायब नही हो पा रहा था ,ना युद्ध के मैदान से बाहर निकल पा रहा था ,मैदान के चारो और एक सुरक्षा कवच लगा हुवा था जिसे कोई भी भेद कर वहासे निकल नही पा रहा था ,यह काम कालासुर ने किया था ,अपनी मायावी विद्या का जलवा वो सबको दिखा रहा था ,कालभेड़िया के सामने सब फस गये थे ,जो रुकने का नाम नहीं ले रहा था ,एक भयानक मौत सबको देता उसे मैदान में खून की नदिया बहा रहा था ,हर तरफ बस खून से लथपथ शरीरों के कटे अंग नजर आ रहे थे,पर उनकी भी हालत बहुत दयनीय थी ,चारो तरफ शोर ,चीखों का स्वर गूंज रहा था ,कालभेड़िया ने पांच मिनट के अंदर हर राक्षस ,असुर ,बड़े से जीवो को मार दिया था ,बाकी किसी को उसने कोई मौका भी नही दिया था ,जो दूर खड़े कालभेड़िया के तांडव को देख रहे थे ,वो उनके दूसरे ही काम मे लगे थे ,कालासुर ,कालअश्व , कालसूवर्ण ,कालनाग सब असुरों, राक्षसों के दिमाग पढ़ने में लगे हुवे थे,उनसे बहुत कुछ पता चल रहा था उनको, मौत जब सामने आती है तो कोई भी अपने आप को बचाने की कोशिश करता है या उसको याद करता है जो उसको बचा सके,इसकी वजह राक्षसों की ताकद ,उनमे कौन कितना शक्तिशाली है ,कहा पर है ,कितने है सब कुछ पता चल रहा था ,
कालभेड़िया ने गामासुर और डोंमासुर को छोड़कर सबको मार दिया था ,दोनो अपनी जगह पर डर से पसीने में भीगे ,अपनी मौत के भय से पीले पड़ गए थे ,चारो तरफ लाशों वो जिंदा होकर भी किसी मुड़दे कि तरह लग रहे थे ,जब उन दोनों के सामने काल चलकर आ रहा था तो उनकी पेशाब निकल गई थी डर के मारे ,
गामासुर हकलाहट में बोलने लगा ,आप हमें माफ कर दीजिए ,हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो आपसे हमने ऐसी बाते की ,हमें मत मारीये ,हम यहांसे चले जाएंगे ,फिर कभी जिदंगी में हम यहाँ नही आएंगे ,
डोंमासुर ,आप का अपमान करके हमने नादानी में बहुत बडी भूल कर दी है ,हम उस हेमकेतु की वजह से बहक गये थे ,हमे पता नही था आप कौन है ,हम आपके पाव पकड कर माफी मांगते है ,हमे जीवनदान दीजिये ,
काल ,मौत से बढ़कर तुम दोनो के लिये मेरे पास कोई माफी नही है
यह बात सुनकर दोनो बच्चों जैसे रोने लग गये ,वो दोनो काल से बोलने लगे ,आप हमें मार दीजिये पर इस भेड़िये के हाथों हमे नही मरना है ,आप हमें एक ही वार में खत्म कर दे ,हमे उसके हाथों से नही मरना है ,हम मरने को भी तैयार है पर उस भेड़िये के हाथों इतनी बुरी मौत नही चाहते
काल हसकर ,मौत तो तुम्हे वो ही देगा पर इतनी दर्दनाक नही जितनी बाकी लोगो की हुवीं है ,उससे भी भयानक मौत मिलेगी तुमको ,मार दो इन कमीनो को
बस फिर क्या था कालभेड़िये ने उन दोनों को नोच नोच कर इतने टुकड़ों में मार कर फेंक दिया कि गामासुर और डोंमासुर कि आत्मा भी दूसरा जन्म लेने के बारे में 100 बार सोचेगी ,
हेमकतु भी इतने शोर और चीखों को सुनकर अपनी पूजा को छोड़कर बाहर आ गया था ,पूरे मैदान में सिर्फ लाशें और खून देखकर उसकी भी फट गयी थी ,फिर भी उसे अपनी काली ताकद का घमंड कम नही हुवा काल के साथ मे खड़े 5 को देखकर बोला ,कौन हो तुम सब ,और इन सबको किसने मार दिया ,तुम लोगो ने यह काम किया होगा ,तो तुम्हारी मौत मेरे हाथों से होगी ,हेमकेतु के पूजा में बाधा डालने का दंड तुम्हारी मौत हो गी ,
बस हेमकेतु ने अपना नाम बताकर गलती कर दी ,महानाग को कबसे इसकी ही तलाश थी ,और जब हेमकेतु ने अपना नाम बताया तो महानाग ने ऐसी जहर की फूक मारी की हेमकेतु का बाल तक बचा उसका शरीर इतनी जल्दी पिघल गया महानाग के जहर से किसको कुछ बोलने और कहने का मौका तक नही दिया महानाग में ,कालासुर हसके बोला ,साला ये तो सस्पेंस में ही मारा गया ,इसकी आत्मा भी लगता है पिघल गई होगी ,उसे भी पता नही चला होगा कि वह मरा कैसे ,भाई महानाग उसे कुछ और बोलने ,सुनने का मौका तो दिया होता ,चलो जो हुवा अच्छा हुवा ,इसके साथ टाइमपास करने की बजाय अपने बच्चों को मिल लेते है जल्दी ,चलो सबको वापिस ले चलते है ,
केतकी के साथ सब बच्चों और शिवानी को लेकर वापिस बलिलोक पहुंच गया ,सब लोग शिवानी और बच्चों को देख कर खुश हो गए ,काल ने बाकी बच्चे जो हेमकेतु उठाकर लाया था ,उन सबको उनके माता पिता के पास सही सलामत पहुंचा दिया ,काल ने उसके 5 रूपो को बच्चों से पहचान करा दी ,सबको यही कहा के यह सब तुम्हारे पिता ही है ,काल के साथ उसके 5 रूपो ने अपनी सन्तानो को बहुत प्यार दिया 1 महीने तक वो सब बच्चों के साथ खेलते ,बाते करते ,उन 5 रूप और काल ने बच्चों को बहुत कुछ सिखाया ,अपनी अपनी ताकद का उपयोग करके उनमे भी शक्तिया दे दी ,1 महीने बाद काल ने अपने कलसूवर्ण ,काल अश्व ,और कालसुर को बुलाकर उन्हें सर्पलोक ,अश्वलोक और असुरलोग भेज दिया ,उन सबको पता था उन्हें वहां जाकर क्या करना है ,काल ने भवानीगढ़ जाकर 100 कवारी भेड़ियेऔरत ,बिजली और उसकी दोनो बेटीयो को पातालमे लेकर आया ,साथ मे जिन मादोओ को आने की इच्छा थी उनको भी लेकर आया ,उन सबको काल ने यही बताया था कि हमे अपनी ताकद जल्दी बढ़ाने का वक्त आ गया ,जिनको अपने सन्तानो को मन्दिर के रक्षा में लगाना है वो मेरे साथ चल सकते है ,100 कवारी भेड़ियेऔरत जो कालके साथ संभोग कर चुकी थी भेड़िये के रूप में वो और बिजली के साथ उसकी दोनो बेटिया फौरन तैयार हो गई ,बाकी मादा भेड़िये को भी दो फायदे होने वाले थे एक उन्हें कालभेड़िया से संभोग का अनोखा मजा मिलने वाला था ,और दूसरा उनकी कालभेड़िया से हुवीं सन्तान मन्दिर के रक्षा में लगने का पवित्र काम करने वाली थी ,सब मादा भेड़िये एक पैर पर आने को तैयार हो गये,भवानीगढ़ में सिर्फ नरभेड़िया ही बच गए ,सभी मादा काल के साथ पाताल आ गईं थी ,कालने कालनाग और कालभेड़िया को सब समजा दिया था कि वो दोनो अब यही रहकर अपना वंश बढ़ाये ,सब बच्चों को सही ज्ञान और शिक्षा दे ,यही हमारी फौज होने वाली है आगे चलकर ,कालनाग और कालभेड़िये से सब बच्चे प्यार करते पर सबसे ज्यादा प्यार और मान वो काल को ही देते थे ,काल भी उन बच्चों में एक बच्चा बनकर खुश होता ,अपने हजारो लड़के और लड़कियों में वो हमेशा मशगूल रहता ,केतकी भी हर चीज में काल के साथ ही होती, पर शिवानी तो काल के प्यार में पड़ गयी थी ,वो हमेशा काल के पास ही रहती ,उसने केतकी को भी बता दिया कि वो काल से शादी करना चाहती है ,उसे काल जैसा जीवन साथी कही नही मिल सकता ,केतकी भी उसके बात से सहमत थी ,वो खुद काल से शादी करने वाली थी ,और उसके भी मन मे था कि शिवानी काल की पत्नी बने ,शिवानी को काल जैसा कोई मिल नही सकता और शिवानी से शादी करके काल को जो पाताल की आग की ताकद मिलती ,उसके लिये काल से लायक कोई नही होता ,पर काल तो हमेशा बच्चों में ही रहता था उसके साथ बात कैसे करे इसी बात से केतकी परेशान थी ,इसमें और एक बात हो गई सर्पलोक से कालसूवर्ण वापिस आ गया था ,मंदा ने उसे यह कहकर वापिस भेज दिया कि उसे सिर्फ शिवा की जरूरत है बाकी किसी की नही ,काल को पता था सब मान जायँगे पर मंदा नही मानेगी ,और हुवा भी वैसाही ,काल सूवर्ण भी पाताल में आराम से बच्चों में रहने लगा ,जो बच्चों को हमेशा नए नए रूप बनाकर बहुत हसाया करता ,कालसूवर्ण सबसे शरारती और मस्तीखोर था ,वो महानाग और कालभेड़िया को भी नही छोड़ता था ,उन दोनों को भी वो अपनी ताकद से कभी बिल्ली ,चूहा ,कुत्ता बनाकर भाग जाता ,पूरा दिन वो गायब हों जाता ,पूरा दिन महानाग और कालभेड़िये उस ढूढते रहते ,पर वो नही मिलता ,यह सब उन तीनों की ही मिलीभगत रहती ,ताकि अपने बच्चों के चेहरे पर खुशी देख सके ,महानाग ,कालभेड़िया,कालसूवर्ण कोई अलग तो थे नही एक ही थे बस शरीर अलग उन सब की आत्मा एक ही जो थी ,उनमे एक अटूट रिश्ता था जो भाइयो से भी बढ़कर था ।
 

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