Erotica कामुक भिखारी

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UPDATE-15

गंगू की लंबी जीभ ने मुम्मेथ की चूत की गहराई बड़ी आसानी से नाप ली...उसके अंदर से निकल रहा रस उसे इतना स्वादिष्ट लग रहा था की वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था...और अचानक मुम्मेथ झड़ने के कगार पर आ गयी...उसने गजब की शक्ति और फुर्ती दिखाते हुए गंगू को नीचे पटका और खुद उसके चेहरे पर सवार होकर जोरों से अपनी चूत को उसके चेहरे पर घिसने लगी...वो ऐसे घिस रही थी मानो अपनी चूत का रस निकलवा रही हो उसके मुँह की मशीन से...गंगू के बाल पकड़कर वो बावली कुतिया की तरह अपनी आँखे बंद किए उसके मुँह के अंदर अपनी चूत को ठूसकर जोरों से हीले जा रही थी..

'''अहह ....चााट कुत्तेsssssssssssssssss ...... अहहsssssssssssssssss ....भेन चोद ..... अहह ...सालेsssssssssssssssssssssssssss .....खा जा आ ...मेरी चूत को ......अहहsssssssssssssssssssss ......''

और अगले ही पल उसकी चूत के अंदर से गरमा गरम रसमलाई निकल कर गंगू के चेहरे पर बिखर गयी...गंगू को ऐसा लगा की उसके चेहरे पर किसी ने गिलास भरकर मीठा पानी फेंक दिया है..वो अपनी जीभ से , ज़्यादा से ज़्यादा मलाई को चाटकर अपनी प्यास बुझाने लगा.

झड़ने के बाद मुम्मेथ किसी कटे पेड़ की तरह एक तरफ गिर गयी....उसके शरीर मे जान नही बची थी...पूरा शरीर पसीने से नहा चुका था.

अब गंगू की बारी थी...वो उठा और उसने अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया...मुम्मेथ आधी बेहोशी मे थी, जैसे ही उसकी नाक के पास गंगू का लंड आया, एक तेज दुर्गंध से उसकी आँखे खुल गयी..जैसे मिर्गी के मरीज को बदबूदार चप्पल सुंघा दी गयी हो

और आँखे खुलते ही उसकी आँखो के सामने गंगू का नाग लहराता देखकर वो डर सी गयी...चेहरे के इतने पास होने की वजह से वो कुछ ज़्यादा ही बड़ा और भयानक लग रहा था...बालों से भरा हुआ...और उपर से उसमे से आ रही दुर्गंध उससे बर्दाश्त नही हो रही थी..उसे ऐसा लगा की उसको उल्टी आ जाएगी अगर उसने गंगू के लंड को मुँह मे लिया...पर लेना तो था ही..वरना ऐसे मर्द खुश नही होते..और अगर वो खुश नही हुआ तो उसकी चुदाई कैसे करेगा.

वो झट से उठी और भागकर फ्रिज मे से फ्रूट जैम की शीशी निकाल कर ले आई...उसने उसका ढक्कन खोला और उसके अंदर गंगू के लंड को डाल दिया और सारा जैम गंगू के लंड के उपर लग गया...फिर उसने उसे बाहर निकाला और अपनी जीभ निकाल कर धीरे-2 उसके उपर लगा हुआ जैम चाटने लगी...और फिर सब कुछ चाटने के बाद उसने गंगू के लिसडे हुए लंड को अपने मुँह मे भरकर चूसना शुरू कर दिया..अब वो मीठा एहसास दे रहा था.

दूसरी तरह गंगू समझ रहा था की ये भी शायद बड़े लोगो का कोई तरीका होगा...पता नही कैसे-2 कामो मे इन लोगो को मज़े आते हैं..उसे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसे तो मज़े आ रहे थे...एक नये अनुभव का एहसास हो रहा था..

मुम्मेथ का मुँह उसके लंड को पूरा अंदर नही ले पा रहा था...पर फिर भी वो उसको चूसती रही..

मुम्मेथ को ऐसा करता देख गंगू ने कमान संभाली और उसके बालों को पकड़ कर अपना पूरा लंड एक ही झटके मे उसकी हलक तक उतार दिया...मुम्मेथ की तो आँखे निकल कर बाहर आ गयी...उसे ऐसा लगा की उसकी साँसे रुक जाएगी, उसके गले की नसें फट जाएगी..

गंगू ने उसके चेहरे को किसी सस्ती रंडी की तरह चोदना शुरू किया...हर झटके मे उसके लंड का टोपा मुम्मेथ के टॉन्सिल्स को छूकर वापिस आता..थोड़ी देर बाद वो अभ्यस्त हो गयी और उसे भी मज़ा आने लगा.

गंगू भी जानता था की उसके पास ज़्यादा समय नही है...उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और उसकी दोनो टांगे फेला कर उसे मोरनी बना दिया...और उसकी आँखों में देखते-2 अपना मीठा लंड उसकी चाशनी से भीगी चूत की गहराइयों मे उतार दिया...

उसकी चीख इतनी तेज थी की पूरी बिल्डिंग मे गूँज गयी...इतना मोटा लंड शायद उसने पहली बार लिया था..

''अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स्स ......... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे............. ओह ... फ़ाआड डाली तूने तो मेरी ................... उम्म्म्मममममम .....पर .......... मजाआा ...... आआआआ ...... राआआआssssssssssssssssss ...... हैssssssssssssssss ईईईईई..... अहह ......ऐसे ही करो............... ज़ोर से .................उम्म्म्मममममममम ....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स ......फककककक मीईई ......हाआआरडर ''

इतनी अँग्रेज़ी तो गंगू को भी आती थी....उसने मुम्मेथ की ईच्छा पूरी करते हुए उसकी रेल बना डाली....और अगले पाँच मिनट के अंदर ही उसने उसकी सारी मांसपेशियाँ ढीली कर दी....हर झटके मे आ रही फॅच-2 की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था....मुम्मेथ का सेल फोन बज रहा था, पर उसे सुनाई ही नही दे रहा था...वो तो अपनी जिंदगी की सबसे ज़्यादा रफ़ चुदाई करवाने मे लगी थी..

गंगू उसके उपर लेट गया और दोनो के शरीर एक दूसरे से पूरी तरह से चिपक गये..उसका लंड अभी भी अंदर था और वो अपने चूतड़ उठा-2 कर उसे अंदर बाहर कर रहा था...गंगू उसके होंठों को चूसता हुआ झड़ना चाहता था...उसने मुम्मेथ के मोटे होंठों को चूसना शुरू किया और जल्द ही उसका ऑर्गॅज़म निकट आ गया...और उसके लंड के पाइप से गाड़े रस की सारी सप्लाई उसकी चूत के अंदर पहुँच गयी.

मुम्मेथ को ऐसा लगा की उसे अंदर तक किसी गर्म लावे से भर दिया गया है..

वो तो फिर से बेहोशी के कगार पर पहुँच गयी...क्योंकि वो लगातार तीसरी बार झड़ चुकी थी..

नीचे खड़े हुए पुलिस के लोगो को अब विश्वास होने लगा था की शायद उनकी इन्फ़ॉर्मेशन ग़लत थी...क्योंकि अब तक 1 घंटे से ज़्यादा हो चुका था, और ऐसी डील्स अपने समय के अनुसार ही होती है, वरना नही होती..उन्होने अपने सीनियर्स से परामर्श किया और वहाँ से निकल गये..

भूरे ने जब उन्हे जाते हुए देखा तो वो भी समझ गया की पुलिस वाले क्यो चले गये हैं, पर उसे अभी भी डर था की कही कोई पुलिस वाला छुप कर बिल्डिंग की निगरानी ना कर रहा हो, इसलिए वो खुद जाकर या अपने किसी साथी को उपर बिल्डिंग मे भेजकर कोई रिस्क नही लेना चाहता था...गंगू का कोई पता नही था, वो उसका वहीं रुककर इंतजार करने लगा...वो उसे भी उपर भेजकर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..देर से ही सही, उसे विश्वास था की वो वहाँ ज़रूर पहुचेगा..शायद रास्ता ना मिल रहा हो या ट्रेफिक मे फँसा हो.

और उपर गंगू अपने जीवन की सबसे मस्त चुदाई करने के बाद पस्त सा होकर एक तरफ लुडक गया..मुम्मेथ उसके सीने पर सिर रखकर होल से मुस्कुराइ..उसने भी आज से पहले ऐसी चुदाई नही करवाई थी.वो आज बहुत खुश थी..उसने साइड की ड्रॉयर से दस हज़ार की गड्डी निकाल कर गंगू को दे दी...गंगू की तो लॉटरी निकल गयी...पहले भूरे ने दस दिए और अब मुम्मेथ ने भी...इतने पैसे तो आज तक उसने नही देखे थे.

उसके बाद दोनों ने अपने-2 कपड़े पहने..और गंगू वहाँ से पेकेट लेकर बाहर निकल आया..

वो बड़ी सी सतर्कता से इधर उधर देखकर बाहर निकल रहा था...उसे बिल्डिंग से बाहर निकलता देखकर कल्लन की नज़र उसपर पड़ी और वो एकदम से चिल्लाया : "अर्रे भाई...वो देखो ...वो रहा साला गंगू ...''

भूरे ने चोंक कर उसी तरफ देखा, तब तक गंगू ने भी उन्हे देख लिया था और वो भागकर उनके पास पहुँच गया.

भूरे को तो विश्वास ही नही हो रहा था की गंगू बिल्डिंग से निकला है .....पर वहाँ कोई तमाशा करना बेकार था, वो जल्दी से गाड़ी मे बैठे और वापिस झुग्गी की तरफ चल दिए..

रास्ते मे गंगू को पता चल गया की पुलिस तैनाक थी और वो पकड़ा जा सकता था..इसलिए वो लोग भी वहाँ पहुँच गये थे..

गंगू के चालक दिमाग़ ने झट से कहानी बना ली और उसने भूरे को विश्वास दिला दिया की वो भी पुलिस से बचने के लिए काफ़ी देर तक बिल्डिंग मे ही छुपा रहा और उनके जाने के बाद ही बाहर निकला...और फिर उसने वो पेकेट भूरे को दे दिया...वो भी काफ़ी खुश हुआ...क्योंकि आज उसकी जान जो बच गयी थी...वरना नेहाल भाई तो उसकी लाश भी ना मिलने देते..
 

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