यह कहानी है निखिल और कल्पना की है
कहानी शुरू होती है निखिल के घर से, आज सुबह उसकी बहन अपने कॉलेज के लिए लेट हो रही थी उसने निखिल से आग्रह किया कि वह उसकी मदद करें और उसे कॉलेज छोड़ आए।
निखिल अपनी बहन से बहुत प्यार करता है और उसकी सारी बात मानता है , उसे ऑफिस के लिए देरी हो रही थी फिर भी वह अपनी बहन को मना नहीं कर पाया।
निखिल अपनी बहन को बाइक से उसके कॉलेज छोड़ने गया, कॉलेज के पास पहुंचते ही उसकी बहन बोली, भैया प्लीज आज मुझे ड्राइव करने दीजिए, मैं अपने कॉलेज के दोस्तों को इंप्रेस करना चाहती हूं।
निखिल मान गया, अब निखिल की बहन उससे पीछे बैठा कर बाइक चलाने लगी, कॉलेज में उसके दोस्त उसे बाइक चलाता देखकर बहुत इंप्रेस हो गए। कॉलेज पहुंचते ही उनका फोटो खींचना चालू हो गया। निखिल थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने देखा कि उसकी बहन की अच्छी दोस्त कल्पना उसकी तरफ आ रही थी, निखिल कल्पना को पसंद करता था पर यह बात कभी उससे कह नहीं पाया। कल्पना निखिल के पास आकर उसका हालचाल पूछने लगी, निखिल को बहुत हैरानी हुई क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। थोड़ी देर बाद कल्पना ने कहा कि क्या निखिल उसे बाइक चलाने में मदद करेगा। निखिल थोड़ा हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था की कल्पना ने उससे मदद क्यों मांगी है
कल्पना ने बताया कि उसके घर में कोई उसे बाइक नहीं चलाने देता और क्योंकि निखिल अपनी बहन के साथ बाइक पर आया तो कल्पना को लगा कि शायद निखिल उसकी मदद कर देगा ।
निखिल ने हां कह दिया, कल्पना ने पूछा कि क्या आज दोपहर कॉलेज के बाद वह बाइक चला सकती है, निखिल तुरंत बोला की दोपहर में तो वह अपने ऑफिस में होगा, यह बोलते ही निखिल को लगा कि उसने अच्छा खासा मौका गवा दिया है पर वह कर भी क्या सकता था।
कल्पना ने फिर पूछा की नकल का ऑफिस कब तक का होता है, निखिल ने इस बार थोड़ा सोच कर बोला कि आज 5:00 बजे वह ऑफिस से फ्री हो जाएगा।
कल्पना खुश हो गई, उसने निखिल से कहा कि क्या वह कल्पना को 6:00 बजे कॉलेज से ले जाएगा, निखिल भी खुश हो गया।
आज पूरा दिन ऑफिस का बहुत बड़ा लग रहा था क्योंकि शाम को कल्पना से जो मिलना था, निखिल को पता था कि वह थोड़ी देर के लिए ही मिल पाएगा पर उसके लिए यह भी बहुत था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कल्पना के साथ जा पाएगा
शाम को निखिल ठीक 6:00 बजे कल्पना को लेने पहुंच गया, कल्पना ने कहा कि क्या निखिल कोई ऐसी जगह जानता है जहां लोग कम हो क्योंकि उसे बाइक ठीक से चलानी नहीं आती है, निखिल उसे वहां से थोड़ी दूर बाइक सिखाने वाली जगह पर ले गया। कल्पना ने बाइक चलाना शुरु किया, उसे ठीक-ठाक बाइक चलानी आती थी, निखिल को उसे गाइड करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई पर फिर भी यह एक्सपीरियंस अपनी बहन को बाइक चलाने के एक्सपीरियंस से काफी अलग था। निखिल कल्पना की तारीफ करने लगा कि वह बहुत अच्छा चलाती है और वह बेकार में डर रही थी वह चाहे तो कॉलेज में भी चला सकती है। यह सब सुनकर घटना बहुत खुश हो गई और खुशी में उसका संतुलन बिगड़ गया। निखिल ने संभालने की कोशिश भी बहुत की पर झिझक के कारण वह कल्पना को ढंग से नहीं पकड़ पाया और वह दोनों गिर गए।
निखिल को ज्यादा चोट नहीं आई थी परंतु कल्पना को थोड़ी चोट लग गई थी, निखिल यह देख कर बहुत परेशान हो गया उसने बाइक साइड में लगाई और कल्पना की चोट को देखने लगा, चोट बहुत ज्यादा गहरी नहीं थी पर फिर भी कल्पना बहुत रोई सी हो गई थी। निखिल कल्पना से माफी मांगने लगा। कल्पना ने कहा कि इसमें निखिल की कोई गलती नहीं है । निखिल ने पूछा की कल्पना इतना क्यों रो रही है क्या उसे बहुत दर्द हो रहा है। कल्पना ने कहा कि उसे दर्द नहीं हो रहा है पर उसे डर लग रहा है कि आज के बाद वह बाइक नहीं चला पाएगी। निखिल ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा की सीखते हुए ऐसे छोटे-मोटे एक्सीडेंट तो हो जाते हैं, परेशान मत हो मैं तुम्हें सिखाता रहूंगा। कल्पना ने निखिल को बहुत धन्यवाद दिया पर फिर भी उसकी उदासी खत्म नहीं हो रही थी। निखिल ने फिर से पूछा क्या बात है। कल्पना ने बताया कि वह इस चोट के साथ अपने घर नहीं जा सकती नहीं तो उसके घर वालों को पता चल जाएगा और वह उसे कभी बाइक नहीं चलाने देंगे। निखिल ने कहा बस इतनी सी बात तुम आज हमारे साथ रुक जाओ। यह सुनकर कल्पना ने कहा कि वह अपनी दोस्त को भी बात नहीं बताना चाहती। निखिल ने बताया कि उनका एक फ्लैट खाली है जिसमें पहले किराएदार रहा करते थे, कल्पना चाहे तो वहां रह सकती है, कल्पना यह सुनकर बहुत खुश हो गई।
निखिल और कल्पना थोड़ी ही देर में फ्लैट पर पहुंच गए, फ्लैट थोड़ा छोटा था, वहां पर एक ही बेडरूम था और एक ड्राइंग रूम था। कल्पना सोफे पर बैठ गई और निखिल कुछ दवाइयां ले आया। निखिल में दिखाओ की कल्पना के हाथ में भी चोट थी और उसका घुटना बिछड़ गया था, निखिल ने दवाई लगा दी । निखिल ने कहा की कल्पना कपड़े चेंज कर ले जिससे वह घुटने पर भी दवाई लगा दे तभी उसे समझ आया की कल्पना की कपड़े तो वहां है ही नहीं। निखिल घर गया और अपनी बहन का एक सूट ले आया। कल्पना के हिसाब से वह सूट थोड़ा बड़ा था पर उसके पास कोई और रास्ता भी नहीं था। निखिल ने कल्पना से पूछा कि उसे कहां-कहां चोट लगी है। कल्पना ने बताया कि उसे थोड़ी चोट कमर पर भी लगी है। निखिल कल्पना की कमर पर दवाई लगाने लगा तभी उसे महसूस हुआ की कल्पना अपने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ है। निखिल को अपनी गलती का एहसास हुआ, वह सूट तो ले आया पर वह अंडरगारमेंट्स तो लाया ही नहीं।
निखिल ने खाना बाजार से ऑर्डर कर दिया। निखिल और कल्पना नहीं रात के खाने के साथ बहुत सारी बातें करी। कल्पना को निखिल के साथ बातें करना बहुत अच्छा लग रहा था, उसको पहली बार यह लगा कि वह निखिल को कभी जानते ही नहीं थी , उसके मन का जो डर था वह धीरे धीरे कम हो रहा था । काफी रात हो गई थी निखिल ने कहा कि क्यों ना आप सोया जाए, निखिल ने कहा की कल्पना अंदर कमरे में सो सकती है और निखिल बाहर सोफे पर सो जाएगा। यह सुनकर कल्पना को बहुत अच्छा लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह निखिल का कैसे शुक्रिया अदा करें। कल्पना अंदर सोने चली गई और निखिल बाहर लेट गया।
रात में कल्पना की नींद खुली तो उसे प्यास लग रही थी, वह बाहर आई और उसने देखा कि निखिल ठंड के मारे सोफे पर बड़ी मुश्किल से लेटा हुआ है। कल्पना को यह अच्छा नहीं लगा और वह सोचने लगी कि वह किस तरह निखिल की मदद करें तभी उसे एक विचार आया। कल्पना ने निखिल को जगाया और बोली आप भी मेरे साथ अंदर ही लेट जाइए। निखिल बोला पर यह कैसे मुमकिन है, कल्पना ने कहा कि हम दोनों एक दूसरे से दूसरी तरफ मुंह करके लेट जाएंगे, निखिल यह नहीं समझ पा रहा था कि वह इस बात को माने या नहीं पर कल्पना के मनाने पर मान गया और दोनों बेड पर जाकर लेट गए।
कल्पना को अब बहुत डर लग रहा था, उसने बोल तो दिया पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए और तू बहुत देर तक जाग रही है। काफी देर जागने के बाद कल्पना कब सो गई उसे पता ही नहीं चला। निखिल का भी हाल कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था उसको भी नींद नहीं आ रही थी, वह दूसरी तरफ लिखने के बावजूद भी कल्पना को महसूस कर पा रहा था और यह सोच सोच कर उसे बहुत अजीब लग रहा था कि कल तक जिससे वह बात भी नहीं कर पा रहा था आज वह उसके पीछे लेटी है। उसके मन में सब तरह की भावनाएं जागृत हो रही थी और ना चाहते हुए भी उसका मन बार-बार उसे कह रहा था कि वह एक परी कल्पना को पीछे मुड़ कर देखें । निखिल बहुत देर तक अपने आप को कंट्रोल करता रहा और वह भी थोड़ी देर में सो गया।
निखिल का दिमाग सोते हुए भी सिर्फ कल्पना के बारे में ही सोच रहा था ।
निखिल और कल्पना दोनों सो चुके थे और थोड़े ही देर में कल्पना ने अपना पैर निखिल के ऊपर रख दिया। निखिल जो अभी भी कल्पना के बारे में ही सोच रहा था एक सपने में खो गया।
निखिल ने सपने में अपना आपा खो दिया था और वह कल्पना को किस कर रहा था। सपने में निखिल ने देखा की कल्पना भी अपना आपा खो चुकी है और वह भी निखिल को उसी प्यार के साथ किस कर रही है, कुछ ही देर में खेलने कल्पना का सूट निकाल दिया, उसने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ था, कल्पना मुस्कुराई और उसने कहा कि तुम जान पूछ कर कुछ लेकर ही नहीं आए। इतना सुनते ही निखिल ने अपना मुंह कल्पना के स्तन पर लगा दिया। कल्पना जोर जोर से सांस लेने लगी और निखिल उसके स्तन को चूसने में लगा हुआ था। धीरे धीरे निखिल अपना मुंह कल्पना के टांगो तक ले गया। निखिल कल्पना की च** को चाटने लगा। कल्पना सिसकियां ले रही थी और अनुभूति को समझ नहीं पा रही थी। जैसे-जैसे निखिल की जीभ काम कर रही थी वैसे वैसे कल्पना का अपने आप पर से वश छूटता जा रहा था। आखिर में वह लम्हा आ ही गया जब कल्पना को परम आनंद प्राप्त हुआ। अब कल्पना की बारी थी, कल्पना धीरे धीरे से नीचे पड़ी है और निखिल के ल** को छूने लगी, कल्पना के छूते ही मानो निखिल की पूरे जिस्म में बिजली की कौंध गई हो।
यहां हकीकत में कल्पना ने अपना पैर निखिल के ऊपर रखा हुआ था और वहां सपने में निखिल को ऐसा लग रहा था की घटना उसके ल** को सहला रही है। निखिल का ल** उफान मार रहा था। धीरे धीरे कल्पना ने अपनी जीभ निखिल के गुप्तांग से छुई और निखिल का वीर्य निकलना शुरू हो गया। यह होते ही उसकी नींद खुल गई और उसने देखा की उसका पजामा गीला हो चुका है। कल्पना का पैर भी निखिल के ऊपर ही रखा हुआ था और निखिल को डर था कि कहीं कल्पना इस गीलेपन को महसूस ना कर ले। निखिल हिल भी नहीं सकता था इस डर से कि वह कल्पना को जगा देगा। निखिल को अब अच्छा नहीं लग रहा था और उसे अपनी ऐसी सोच पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
निखिल सुबह उठा तो कल्पना उसके साथ नहीं थी। निखिल को लगा कि कहीं कल्पना को सब पता तो नहीं चल गया और वह चली तो नहीं गई। निखिल ने जब बाहर देखा तो कल्पना नाश्ता बना रही थी। निखिल को उसे देख कर बहुत खुशी हुई और उसने राहत की सांस ली है। निखिल जल्दी से तैयार हो गया और कल्पना और निखिल ने साथ नाश्ता किया। कल्पना ने बताया कि उसे लगता है कि उसकी चोट 2 या 3 दिन में ठीक हो जाएगी और फिर वह वापस अपने घर जा सकेगी। निखिल को यह सुनकर अच्छा नहीं लगा, उसे कल्पना के साथ रहना अच्छा लग रहा था। निखिल ने कहा कि वह आज ऑफिस की छुट्टी ले लेता है परंतु कल्पना ने कहा किसी कोई जरूरत नहीं है और वह निश्चिंत ऑफिस जा सकता है। कल्पना अपना ध्यान रख लेगी।
निखिल शाम को जब ऑफिस से लौट रहा था तब बहुत जोर से बारिश होने लगी , निखिल घर पहुंचते-पहुंचते पूरी तरीके से भीग गया था। घर पर कल्पना ने भी सोचा कि वह अपने सभी कपड़े धो कर सुखा दे उसे क्या पता था कि शाम को बारिश होने वाली है, अचानक बारिश होता देख बाहर की तरफ भागी पर इतने वह कपड़े उतार पाती वह भी पूरी तरीके से भीग गई और उसके सारे कपड़े भी। निखिल जब घर पहुंचा तब पूरी तरह भीग चुका था और कल्पना भी उसी हालत में थी। निखिल को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा। निखिल ने अपने लिए कपड़े निकाले और जो सबसे छोटे कपड़े थे वह कल्पना के लिए निकाल लिए इस उम्मीद में कि शायद कल्पना को ठीक से आ जाए। थोड़ी देर बाद दोनों ने कपड़े बदल लिए। निखिल ने कमरे का हीटर की ऑन कर दिया था क्योंकि उसे डर था कहीं दोनों को ठंडा लग जाए । जब कल्पना उसके सामने आई तो वह ढीले ढाले कपड़ों में जोकर की तरह लग रही थी। कल्पना को देखते ही निखिल को बहुत जोर से हंसी आ गई, यह देखकर कल्पना रोई सी हो गई। निखिल ने अपनी हंसी रोक कर कल्पना से माफी मांगना शुरू कर दिया और निखिल ने कहा कि कल्पना इन कपड़ों में भी बहुत सुंदर लग रही है। कल्पना ने कहा कि निखिल अभी उसकी टांग खींच रहा है। निखिल ने फिर माफी मांगी और कहा की कल्पना उसे माफ कर दे और जो कल्पना सजा देगी वह निखिल को मंजूर होगी। कल्पना को हंसी आ गई और उसने निखिल को चढ़ाते हुए पूछा क्या मैं कुछ भी सजा दे सकती हूं, निखिल अचंभित रह गया पर फिर भी उसका जवाब था हां।
कल्पना ने कहा कि वह चाहती है कि निखिल एक गाना गाए और उस पर डांस करके दिखाएं, निखिल दंग रह गया। निखिल ने कहा कि उसे डांस करना नहीं आता है, यह सुनकर कल्पना ने कहा की फिर तो यह बिल्कुल सही सजा है और निखिल को डांस करना ही पड़ेगा साथ में उसने अपना फोन भी निकाल लिया और कहा कि वह यह सब रिकॉर्ड करेगी और भविष्य में निखिल को ब्लैकमेल भी कर सकती है। निखिल हंसने लगा और बोला जो हुकुम मेरी शहजादी। निखिल ने अपनी बेसुरी आवाज में गाना शुरू कर दिया और साथ में नाचने भी लगा वह बिल्कुल जोकर की तरह लग रहा था यह देख कर कल्पना को बहुत हंसी आ रही थी और वह जो जोर से हंस रही थी। निखिल को भी अच्छा लग रहा था करना को हंसते हुए देखकर। थोड़ी देर बाद निखिल ले फोन पर गाना चला दिया और कल्पना से बोला क्या वह उसका साथ देगी। कल्पना भी तैयार हो गई और अब वह दोनों साथ में नाचने लगे। थोड़ी देर नाचने के बाद दोनों थकने लगे तो वह धीरे-धीरे एक दूसरे के पास आ गए, कल्पना ने अपना सर निखिल की छाती पर रख दिया और दोनों एक दूसरों की बाहों में आकर धीरे धीरे पास आने लगे।निखिल और कल्पना दोनों ही एक दूसरे की बाहों में खो गए थे तभी निखिल को कल्पना का पूरा शरीर महसूस होने लगा और देखते ही देखते उसका लिंग भी खड़ा हो गया। कल्पना भी निखिल के लिंग को महसूस कर पा रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा उसने सोचा कि कहीं कुछ बोलने से निखिल को बुरा ना लग जाए। निखिल की हालत हर गुजरते पल के साथ बेकाबू होती जा रही थी उसका शरीर उसकी नहीं सुन रहा था और धीरे-धीरे उसका ल** निखिल और कल्पना के बीच में फस गया और उन दोनों की शरीर मिलकर उसे सहलाने लगे। निखिल अब पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था और वह अब कल्पना को नहीं छोड़ सकता था वही कल्पना को भी अनचाहा एहसास हो रहा था और उसे भी यह साथ अच्छा लगने लगा। दोनों कुछ नहीं बोले और एक दूसरे को गले लगाए धीरे धीरे हिल रहे थे। निखिल और कल्पना के जिस्म एक दूसरे से बातें कर रहे थे, कल्पना और निखिल दोनों ने ही हल्की सी कमीज पहनी हुई थी और अब उनको ऐसा लग रहा था जैसे वह दूसरे के शरीर को भी छू रहे हो। कुछ देर बाद निखिल अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया और उसका वीर्य निकलने लगा। कल्पना भी अपने एहसास की गहराइयों में थी। निखिल उस मंत्र मुक्त अवस्था से बाहर आया और अचानक से रुक गया। निखिल के रुकने से कल्पना भी मदहोशी से बाहर आ गई और उसने निखिल को छोड़ दिया, निखिल भी धीरे से बाथरूम की तरफ बढ़ गया।
यह सब होने के बाद कल्पना और निखिल एक दूसरे से ठीक से बात नहीं कर पा रहे थे। कल्पना ने खाना लगा दिया और खाने के बाद दोनों ने मिलकर बर्तन धो दिया। दोनों सोने के लिए अपने कमरे में चल रही है और एक दूसरे की तरफ पीठ करके लेट गए। निखिल को जल्दी ही नींद आ गई पर कल्पना बहुत देर तक सोचती रही और वह समझ नहीं पा रही थी कि आज जो हुआ है क्या वह सही है। कल्पना सोचते सोचते अपनी नींद में चली गई। कल्पना अपने सपने में भी निखिल को अपने साथ देखा।
कल्पना के सपने में भी वह निखिल की बाहों में थी और दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे। कल्पना ने देखा की वह बहुत देर तक निखिल के साथ थी। जैसे-जैसे सपना आगे बढ़ा कल्पना ने देखा कि धीरे-धीरे उसके शरीर से कपड़े कम होते जा रहे हैं। शुरुआत में उन दोनों ने वही कपड़े पहने हुए थे जो शाम में पहने हुए थे परंतु धीरे-धीरे वह गायब होना शुरू हो गए पहले निखिल की शर्ट गायब हो गई और फिर कल्पना टी-शर्ट भी गायब हो गई। अब कल्पना अपने स्तन के ऊपर निखिल का सीना महसूस कर पा रही थी और उसे लग रहा था कि निखिल के हाथ उसकी कमर पर है और उसके हाथ निखिल की कमर पर। दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा हुआ है और कल्पना के स्तन पूरी तरीके से निखिल के सीने में दफन हो गए हैं। कुछ देर बाद निखिल की जींस भी गायब हो गई और कल्पना का पजामा भी नहीं रहा अब वह निखिल के ल** को उसके कच्छे मैं तड़पता देख पा रही थी। उसे लग रहा था कि किसी भी पल यह भी गायब हो जाएगा और अगले ही पल निखिल का लिंक कल्पना एक प्रवेश कर जाएगा। कल्पना अब निखिल के पैरों के ऊपर खड़ी थी और किसी भी वक्त उसकी च** में प्रवेश होने वाला है, कल्पना थोड़ी डरी हुई थी पर वह निखिल को जाने देना भी नहीं चाहती थी। जैसे ही निखिल का अंडरवियर गायब हुआ और कल्पना को लगा कि उसके अंदर अब प्रवेश होने वाला है उसकी आंखें खुल गई और उसने देखा कि उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा हुआ है और किसी भी वक्त उसकी उंगली अंदर घुसने को तैयार है। कल्पना झटके से उठ गया पर उसने देखा कि निखिल महान नहीं है। कल्पना ने राहत की सांस ली और उम्मीद की कि निखिल ने कुछ ना देखा हो।