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आदम रुका पड़ा था फिर उसने झट से लंड को छेद के अंदर तक एक साँस में पूरी ताक़त के साथ घुसा दिया....चंपा का पूरा बदन काँप गया....उसने दर्द पी लिया ना जाने कितनी बार बिस्तर पे उसे पटक पटक के रफ चुदाई की थी मर्दो ने इसलिए उसे नये दर्द के अहसास को भी सहने का दम था
आदम धीरे धीरे लिंग अंदर बाहर करने लगा....पर छेद इतना सिकुडा हुआ था कि बार बार चंपा को गान्ड ढीली छोड़ने को कहनी पड़ी थी....फिर आदम ने धक्के तेज़ किए और अब आदम ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा पिछले माह जब वो यहाँ आया था तो उसने चंपा की गान्ड आधी ही मारी थी क्यूंकी चंपा का कोई जानने वाला क्लाइंट आ गया था जिसे चंपा ना ना कर सकी और बीच में ही आदम को उसकी चुदाई रोकनी पड़ी थी
आज आदम ने वो सारी कसर आज निकाल दी और चंपा की गान्ड को चोदने लगा..फ़च फ़च्छ करते हुए गान्ड में लंड फिसलने से आवाज़ें निकल रही थी....बीच बीच में आदम गान्ड से लंड बाहर खींच लेता और छेद को सिकुडत खुलता देख फिर लंड घप्प से अंदर घुसा देता...चंपा हर रगड़ से मस्तिया रही थी....कुछ ही पल में उसे महसूस हुआ कि आदम रुक नही रहा....उसे पेशाब भी उस वक़्त लगने लगी पर उसने आदम को उसकी चुदाई करने दी
आदम ने काफ़ी देर चुदाई के बाद लिंग बाहर खींचा और चंपा को सीधा किया लंड को टीसू पेपर से सॉफ किया और चंपा के मुँह में डाल दिया...."चुउस्स्स चंपा और प्यार से अहांन".....चंपा बड़ी बड़ी निगाहो से आदम को देखते हुए लंड को हलक तक लिए चूस रही थी....कुछ ही देर में आदम ने मुठियाते हुए चंपा का मुँह खुला रखा और अपना गरम गाढ़ा सफेद वीर्य उसके चेहरे और मुँह में छोड़ने लगा....चंपा ने ने आखरी बूँद को भी लंड से चाट के सॉफ कर लिया...और अपने होंठो को हाथो से पोछती हुई आदम की तरफ देखने लगी
दोनो हान्फ्ते हुए बिस्तर पे ढेर हो गये...."उफ़फ्फ़ बड़ी गर्मी है यार".....आदम आँखे मुन्दे अपना पसीना पोंछते हुए चंपा को देख रहा था जिसका पूरा चेहरा लाल था...वो नाक सिकुड़ते हुए बाथरूम में चली गयी....एक कमरा था इसलिए बाथरूम अटॅच था....अंदर चंपा मूत रही थी जिसकी आवाज़ आदम के कानो तक आ रही थी...आदम अपने लिंग को टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगा...
अब उसके दिलो दिमाग़ से थरक उठ चुका था..."ह्म देखा बाबू ये होता है मज़ा".....चंपा आदम के बगल में आके लेट गयी और अपने और आदम के उपर चादर ढक दिया....
."ह्म सो तो है"......आदम ने चंपा की चुचियो को हाथो में लेके मसल दिया....
चंपा : लगता है कुछ करना भूल गये?
आदम : चुचियाँ चुस्स नही पाया हाहहा
चंपा : तो लो अभी लो ये किस मर्ज़ की दवा है
चंपा ने आगे बढ़के अपने दोनो स्तन आदम के चेहरे पे लगभग दबा दिए....आदम दोनो चुचियो को बारी बारी से चूसने लगा एक का निपल चुस्के फिर दूसरे का निपल मुँह में भर लेता....दोनो चुचियो को हाथो से मसल्ते हुए चूसने के बाद आदम ने चंपा को अपने अलग कर दिया
चंपा : आजकल देख रही हूँ थरक की आग बहुत जल्दी लगती है और बुझती है आज मुठियाते वक़्त आपने अपनी माँ का नाम लिया?
आदम : उहह हान्ं वो ग़लती से
चंपा : जिसके साथ बिस्तर गरम करने में मज़ा आए उसका नाम तो ज़ुबान पे आ ही जाता है चाहे वो बहन हो या माँ
आदम ने कस्स्के चंपा का गला दबोच लिया "साली दोस्ती का फ़ायदा उठाती है क्या बक रही है तू"....आदम का स्वर बदला वो बुरी तरह शर्मिंदा हो गया था
चंपा : अर्रे आप तो नाराज़ हो गये ? (चंपा ने आदम के सख़्त हाथो को नर्मी से छुड़ाते हुए खींचा)
आदम ने गला छोड़ा.."आइ आम सॉरी पर ऐसी बात क्यूँ करती है?"........आदम ने झिझकते हुए कहा
चंपा : हो सकता है मेरी सुनने की भूल पर मैं जानती हूँ आप कही ना कही अपनी माँ से बहुत प्यार करते है
आदम : ये तो है पर इससे इन सब का क्या ताल्लुक ?
चंपा : नाम तो मेरा भी ले सकते थे क्यूंकी सबसे ज़्यादा मज़ा मैं ही आपको देती हूँ और यक़ीनन शायद मैं इकलौती औरत हूँ जो आपकी ज़िंदगी में है जिससे सहवात पूरी करने आप यहाँ आते हो क्यूंकी ना आपको मुझे पटाना पड़ता है ना शादी ब्याह का वादा करना जो और लड़कियो के लिए लड़के करके उनकी तब लेते है कोई शादी से पहले तो कोई शादी के बाद
आदम : तू सच कह रही है ना जाने क्यूँ? पर ये ग़लत है यार वो माँ है छी ये सब
चंपा : हम समझते है पर ये जिन्सी आदतें थोड़ी एक बार ज़ुबान पे जिसकी लज़्ज़त लग जाए तो बस उसी के नाम की मुठियाते है ज़रूरी नही की लोग हीरोइनो की नाम की या किसी जानने वाली की जो उन्हें अज़ीज़ लगे मूठ मारे....नाम और रिश्ता कोई सा भी हो सकता है
आदम : लेकिन चंपा देख मैं अपनी माँ को ऐसी नज़रों से नही देखता और उनको अगर मालूम पड़ा कि मैं यहाँ आता हूँ तो हमारा माँ बेटे का रिश्ता भी ना बचेगा
चंपा : ह्म (सिगरेट जलके चंपा ने दो कश लिए और एक कश आदम को लगाने दिया)
आदम : स्मोकिंग किल्स
चंपा : शाना साला (आदम हँसने लगा चंपा की बात को सुन चंपा उसके साथ नंगी चादर उसके और अपनी छातियो तक रखके सिगरेट का कश लेते हुए धुआ छोड़ रही थी)
अचानक आदम को खाँसी उठ गयी चंपा को लगा शायद धुआ बर्दाश्त नही हुआ होगा पर अचानक आदम कलेजा पकड़ के बैठ गया वो ज़ोरो की आहह भरने लगा
आदम धीरे धीरे लिंग अंदर बाहर करने लगा....पर छेद इतना सिकुडा हुआ था कि बार बार चंपा को गान्ड ढीली छोड़ने को कहनी पड़ी थी....फिर आदम ने धक्के तेज़ किए और अब आदम ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा पिछले माह जब वो यहाँ आया था तो उसने चंपा की गान्ड आधी ही मारी थी क्यूंकी चंपा का कोई जानने वाला क्लाइंट आ गया था जिसे चंपा ना ना कर सकी और बीच में ही आदम को उसकी चुदाई रोकनी पड़ी थी
आज आदम ने वो सारी कसर आज निकाल दी और चंपा की गान्ड को चोदने लगा..फ़च फ़च्छ करते हुए गान्ड में लंड फिसलने से आवाज़ें निकल रही थी....बीच बीच में आदम गान्ड से लंड बाहर खींच लेता और छेद को सिकुडत खुलता देख फिर लंड घप्प से अंदर घुसा देता...चंपा हर रगड़ से मस्तिया रही थी....कुछ ही पल में उसे महसूस हुआ कि आदम रुक नही रहा....उसे पेशाब भी उस वक़्त लगने लगी पर उसने आदम को उसकी चुदाई करने दी
आदम ने काफ़ी देर चुदाई के बाद लिंग बाहर खींचा और चंपा को सीधा किया लंड को टीसू पेपर से सॉफ किया और चंपा के मुँह में डाल दिया...."चुउस्स्स चंपा और प्यार से अहांन".....चंपा बड़ी बड़ी निगाहो से आदम को देखते हुए लंड को हलक तक लिए चूस रही थी....कुछ ही देर में आदम ने मुठियाते हुए चंपा का मुँह खुला रखा और अपना गरम गाढ़ा सफेद वीर्य उसके चेहरे और मुँह में छोड़ने लगा....चंपा ने ने आखरी बूँद को भी लंड से चाट के सॉफ कर लिया...और अपने होंठो को हाथो से पोछती हुई आदम की तरफ देखने लगी
दोनो हान्फ्ते हुए बिस्तर पे ढेर हो गये...."उफ़फ्फ़ बड़ी गर्मी है यार".....आदम आँखे मुन्दे अपना पसीना पोंछते हुए चंपा को देख रहा था जिसका पूरा चेहरा लाल था...वो नाक सिकुड़ते हुए बाथरूम में चली गयी....एक कमरा था इसलिए बाथरूम अटॅच था....अंदर चंपा मूत रही थी जिसकी आवाज़ आदम के कानो तक आ रही थी...आदम अपने लिंग को टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगा...
अब उसके दिलो दिमाग़ से थरक उठ चुका था..."ह्म देखा बाबू ये होता है मज़ा".....चंपा आदम के बगल में आके लेट गयी और अपने और आदम के उपर चादर ढक दिया....
."ह्म सो तो है"......आदम ने चंपा की चुचियो को हाथो में लेके मसल दिया....
चंपा : लगता है कुछ करना भूल गये?
आदम : चुचियाँ चुस्स नही पाया हाहहा
चंपा : तो लो अभी लो ये किस मर्ज़ की दवा है
चंपा ने आगे बढ़के अपने दोनो स्तन आदम के चेहरे पे लगभग दबा दिए....आदम दोनो चुचियो को बारी बारी से चूसने लगा एक का निपल चुस्के फिर दूसरे का निपल मुँह में भर लेता....दोनो चुचियो को हाथो से मसल्ते हुए चूसने के बाद आदम ने चंपा को अपने अलग कर दिया
चंपा : आजकल देख रही हूँ थरक की आग बहुत जल्दी लगती है और बुझती है आज मुठियाते वक़्त आपने अपनी माँ का नाम लिया?
आदम : उहह हान्ं वो ग़लती से
चंपा : जिसके साथ बिस्तर गरम करने में मज़ा आए उसका नाम तो ज़ुबान पे आ ही जाता है चाहे वो बहन हो या माँ
आदम ने कस्स्के चंपा का गला दबोच लिया "साली दोस्ती का फ़ायदा उठाती है क्या बक रही है तू"....आदम का स्वर बदला वो बुरी तरह शर्मिंदा हो गया था
चंपा : अर्रे आप तो नाराज़ हो गये ? (चंपा ने आदम के सख़्त हाथो को नर्मी से छुड़ाते हुए खींचा)
आदम ने गला छोड़ा.."आइ आम सॉरी पर ऐसी बात क्यूँ करती है?"........आदम ने झिझकते हुए कहा
चंपा : हो सकता है मेरी सुनने की भूल पर मैं जानती हूँ आप कही ना कही अपनी माँ से बहुत प्यार करते है
आदम : ये तो है पर इससे इन सब का क्या ताल्लुक ?
चंपा : नाम तो मेरा भी ले सकते थे क्यूंकी सबसे ज़्यादा मज़ा मैं ही आपको देती हूँ और यक़ीनन शायद मैं इकलौती औरत हूँ जो आपकी ज़िंदगी में है जिससे सहवात पूरी करने आप यहाँ आते हो क्यूंकी ना आपको मुझे पटाना पड़ता है ना शादी ब्याह का वादा करना जो और लड़कियो के लिए लड़के करके उनकी तब लेते है कोई शादी से पहले तो कोई शादी के बाद
आदम : तू सच कह रही है ना जाने क्यूँ? पर ये ग़लत है यार वो माँ है छी ये सब
चंपा : हम समझते है पर ये जिन्सी आदतें थोड़ी एक बार ज़ुबान पे जिसकी लज़्ज़त लग जाए तो बस उसी के नाम की मुठियाते है ज़रूरी नही की लोग हीरोइनो की नाम की या किसी जानने वाली की जो उन्हें अज़ीज़ लगे मूठ मारे....नाम और रिश्ता कोई सा भी हो सकता है
आदम : लेकिन चंपा देख मैं अपनी माँ को ऐसी नज़रों से नही देखता और उनको अगर मालूम पड़ा कि मैं यहाँ आता हूँ तो हमारा माँ बेटे का रिश्ता भी ना बचेगा
चंपा : ह्म (सिगरेट जलके चंपा ने दो कश लिए और एक कश आदम को लगाने दिया)
आदम : स्मोकिंग किल्स
चंपा : शाना साला (आदम हँसने लगा चंपा की बात को सुन चंपा उसके साथ नंगी चादर उसके और अपनी छातियो तक रखके सिगरेट का कश लेते हुए धुआ छोड़ रही थी)
अचानक आदम को खाँसी उठ गयी चंपा को लगा शायद धुआ बर्दाश्त नही हुआ होगा पर अचानक आदम कलेजा पकड़ के बैठ गया वो ज़ोरो की आहह भरने लगा