Incest माँ को पाने की हसरत

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आदम रुका पड़ा था फिर उसने झट से लंड को छेद के अंदर तक एक साँस में पूरी ताक़त के साथ घुसा दिया....चंपा का पूरा बदन काँप गया....उसने दर्द पी लिया ना जाने कितनी बार बिस्तर पे उसे पटक पटक के रफ चुदाई की थी मर्दो ने इसलिए उसे नये दर्द के अहसास को भी सहने का दम था

आदम धीरे धीरे लिंग अंदर बाहर करने लगा....पर छेद इतना सिकुडा हुआ था कि बार बार चंपा को गान्ड ढीली छोड़ने को कहनी पड़ी थी....फिर आदम ने धक्के तेज़ किए और अब आदम ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा पिछले माह जब वो यहाँ आया था तो उसने चंपा की गान्ड आधी ही मारी थी क्यूंकी चंपा का कोई जानने वाला क्लाइंट आ गया था जिसे चंपा ना ना कर सकी और बीच में ही आदम को उसकी चुदाई रोकनी पड़ी थी

आज आदम ने वो सारी कसर आज निकाल दी और चंपा की गान्ड को चोदने लगा..फ़च फ़च्छ करते हुए गान्ड में लंड फिसलने से आवाज़ें निकल रही थी....बीच बीच में आदम गान्ड से लंड बाहर खींच लेता और छेद को सिकुडत खुलता देख फिर लंड घप्प से अंदर घुसा देता...चंपा हर रगड़ से मस्तिया रही थी....कुछ ही पल में उसे महसूस हुआ कि आदम रुक नही रहा....उसे पेशाब भी उस वक़्त लगने लगी पर उसने आदम को उसकी चुदाई करने दी

आदम ने काफ़ी देर चुदाई के बाद लिंग बाहर खींचा और चंपा को सीधा किया लंड को टीसू पेपर से सॉफ किया और चंपा के मुँह में डाल दिया...."चुउस्स्स चंपा और प्यार से अहांन".....चंपा बड़ी बड़ी निगाहो से आदम को देखते हुए लंड को हलक तक लिए चूस रही थी....कुछ ही देर में आदम ने मुठियाते हुए चंपा का मुँह खुला रखा और अपना गरम गाढ़ा सफेद वीर्य उसके चेहरे और मुँह में छोड़ने लगा....चंपा ने ने आखरी बूँद को भी लंड से चाट के सॉफ कर लिया...और अपने होंठो को हाथो से पोछती हुई आदम की तरफ देखने लगी

दोनो हान्फ्ते हुए बिस्तर पे ढेर हो गये...."उफ़फ्फ़ बड़ी गर्मी है यार".....आदम आँखे मुन्दे अपना पसीना पोंछते हुए चंपा को देख रहा था जिसका पूरा चेहरा लाल था...वो नाक सिकुड़ते हुए बाथरूम में चली गयी....एक कमरा था इसलिए बाथरूम अटॅच था....अंदर चंपा मूत रही थी जिसकी आवाज़ आदम के कानो तक आ रही थी...आदम अपने लिंग को टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगा...

अब उसके दिलो दिमाग़ से थरक उठ चुका था..."ह्म देखा बाबू ये होता है मज़ा".....चंपा आदम के बगल में आके लेट गयी और अपने और आदम के उपर चादर ढक दिया....

."ह्म सो तो है"......आदम ने चंपा की चुचियो को हाथो में लेके मसल दिया....

चंपा : लगता है कुछ करना भूल गये?

आदम : चुचियाँ चुस्स नही पाया हाहहा

चंपा : तो लो अभी लो ये किस मर्ज़ की दवा है

चंपा ने आगे बढ़के अपने दोनो स्तन आदम के चेहरे पे लगभग दबा दिए....आदम दोनो चुचियो को बारी बारी से चूसने लगा एक का निपल चुस्के फिर दूसरे का निपल मुँह में भर लेता....दोनो चुचियो को हाथो से मसल्ते हुए चूसने के बाद आदम ने चंपा को अपने अलग कर दिया

चंपा : आजकल देख रही हूँ थरक की आग बहुत जल्दी लगती है और बुझती है आज मुठियाते वक़्त आपने अपनी माँ का नाम लिया?

आदम : उहह हान्ं वो ग़लती से

चंपा : जिसके साथ बिस्तर गरम करने में मज़ा आए उसका नाम तो ज़ुबान पे आ ही जाता है चाहे वो बहन हो या माँ

आदम ने कस्स्के चंपा का गला दबोच लिया "साली दोस्ती का फ़ायदा उठाती है क्या बक रही है तू"....आदम का स्वर बदला वो बुरी तरह शर्मिंदा हो गया था

चंपा : अर्रे आप तो नाराज़ हो गये ? (चंपा ने आदम के सख़्त हाथो को नर्मी से छुड़ाते हुए खींचा)

आदम ने गला छोड़ा.."आइ आम सॉरी पर ऐसी बात क्यूँ करती है?"........आदम ने झिझकते हुए कहा

चंपा : हो सकता है मेरी सुनने की भूल पर मैं जानती हूँ आप कही ना कही अपनी माँ से बहुत प्यार करते है

आदम : ये तो है पर इससे इन सब का क्या ताल्लुक ?

चंपा : नाम तो मेरा भी ले सकते थे क्यूंकी सबसे ज़्यादा मज़ा मैं ही आपको देती हूँ और यक़ीनन शायद मैं इकलौती औरत हूँ जो आपकी ज़िंदगी में है जिससे सहवात पूरी करने आप यहाँ आते हो क्यूंकी ना आपको मुझे पटाना पड़ता है ना शादी ब्याह का वादा करना जो और लड़कियो के लिए लड़के करके उनकी तब लेते है कोई शादी से पहले तो कोई शादी के बाद

आदम : तू सच कह रही है ना जाने क्यूँ? पर ये ग़लत है यार वो माँ है छी ये सब

चंपा : हम समझते है पर ये जिन्सी आदतें थोड़ी एक बार ज़ुबान पे जिसकी लज़्ज़त लग जाए तो बस उसी के नाम की मुठियाते है ज़रूरी नही की लोग हीरोइनो की नाम की या किसी जानने वाली की जो उन्हें अज़ीज़ लगे मूठ मारे....नाम और रिश्ता कोई सा भी हो सकता है

आदम : लेकिन चंपा देख मैं अपनी माँ को ऐसी नज़रों से नही देखता और उनको अगर मालूम पड़ा कि मैं यहाँ आता हूँ तो हमारा माँ बेटे का रिश्ता भी ना बचेगा

चंपा : ह्म (सिगरेट जलके चंपा ने दो कश लिए और एक कश आदम को लगाने दिया)

आदम : स्मोकिंग किल्स

चंपा : शाना साला (आदम हँसने लगा चंपा की बात को सुन चंपा उसके साथ नंगी चादर उसके और अपनी छातियो तक रखके सिगरेट का कश लेते हुए धुआ छोड़ रही थी)

अचानक आदम को खाँसी उठ गयी चंपा को लगा शायद धुआ बर्दाश्त नही हुआ होगा पर अचानक आदम कलेजा पकड़ के बैठ गया वो ज़ोरो की आहह भरने लगा
 
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चंपा : अर्रे क्या हुआ बाबू ठीक हो? बाबू (चंपा आदम के पीठ को सहलाते हुए कहती है)

आदम : हान्ं हां अब ठीक्क हूँ अफ

चंपा : ये कैसा दर्द उठा?

आदम : पता नही एक बार डॉक्टर को दिखा लेता हूँ हो सकता है शायद गॅस्ट्रिक प्राब्लम हो

चंपा : तुमको जितना जानती हूँ उसके हिसाब से ना तो तुम शराब पीते हो और ना कोई ड्रग्स लेते हो फिर ये दर्द कैसे? आजकल दिल की शिकायतें आती है मेरी काकी का एक कस्टमर ऐसे ही तो मरा खैर जाने दो तुम चाहो तो आराम कर सकते हो यहाँ

आदम : नही नही अब मुझे निकलना चाहिए रात बहुत हो गयी है

चंपा : पक्का

आदम : हां पक्का और ख्याल रखने का शुक्रिया

चंपा : चाहो तो आज की रात मुफ़्त की राइड मार सकते हो ?

आदम : फ्री राइड? तुम कब्से ऑफर देने लगी ?

चंपा : ऑफर नियमित समय तक ओल्ड यूज़र के लिए आज की रात तक वॅलिड

आदम का मन तो हुआ कि नही अब रुकना ठीक नही पर चंपा ने उसके सामने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली?...साली थर्कि हो गयी थी या शायद आदम का मोटा लंड उसे पसंद आ गया था....जब औरत खुद ही ऑफर दे रही थी तो मर्द क्या कर सकता है?...उस रात आदम का जाना हुआ ही नही फ्री की राइड के चक्कर में उसने 2 बार और चंपा की चुदाई कर दी....इस बार उसने वीर्य चंपा के भीतर ही छोड़ दिया...

अगले दिन वो घर सुबह सुबह पहुचा फिर 2 घंटे की नींद ली...उठा नाश्ता किया....पर आज कसरत ना कर सका...नहा धोके सीधे क्लिनिक पहुचा

आदम के कुछ टेस्ट हुए....जिन रिपोर्ट्स को देखने के बाद डॉक्टर ने सबकुछ नॉर्मल करार दिया...."ह्म आदम सुनो तुम्हारे चेस्ट में गॅस्ट्रिक का पेन उठा था क्यूंकी तुम्हारा डाइजेस्टिव सिस्टम बहुत कमज़ोर हो गया है जैसा तुमने बताया कि तुमने 19 साल की उमर से लेके 21 तक सप्प्लिमेंट्स लिए जिनका लोंग कन्स्यूम करना तुम्हारे लिए महँगा पड़ा है यू हॅव यूज़्ड ओरल स्टेराइड्स समझते भी हो".........आदम ने कोई जवाब नही दिया शर्मिंदा था

डॉक्टर : बॉडी को नॅचुरली ग्रो करना चाहिए तुम्हें खैर ये तो आजकल के जेनरेशन का एक शौक है जो बाद में जाके उन्हें शॉक ही देता है जैसे हार्ट फेल्यूर,किड्नी डॅमेज,लिवर इन्फेक्षन,डिप्रेशन,हार्ट अटॅक और पूअर लिबीडो

आदम : खैर कर भी क्या सकता हूँ? जो अरमान था वो पूरा ना हो सका....रेसलिंग करने का बहुत शौक था लेकिन जिम के डमब्बेल हाथ में लेते ही गिर पड़ता खुद का मज़ाक बनते देख मैने ये रास्ता चुना हालाँकि मुझे इससे कोई ख़ास फरक ना पड़ा पर मुझमें थोड़ा बदलाव आ गया

डॉक्टर : देखो आदम बॉडी वोडी बनाने पे कम और अपने बीमारी को ठीक करने की कोशिश करो नो फ्राइड फुड्स जंक फुड्स आंड आल्कोहॉल आंड नोट ईवन एनी काइंड ऑफ ड्रग आइ आम पर्सनली रेकोंमेड इट टू यू

आदम : नो प्राब्लम सर अब तो ऐम ही कहाँ है? अगर ऐम होता तो इस छोटे शहर में क्या करता परिवार से दूर? खैर जाने दीजिए वैसे मेरे सेक्षुयल ड्राइव को तो कोई!

डॉक्टर : लकी पर्सन हो बच गये पर हेवी डोस और कंटिन्यू करते या आगे कोई भी दवाई लेने की सोच रखी है तो आइ विल से यस हो सकता है इंपोटएन्सी एरेक्टीले डिसफंकशन सो बेटर बी अवेर ये लिवर की टॉनिक है इसे सुबह शाम ले लेना आंड वादा करो नो डिज़ाइर टू पुट यू इन एनी डेंजर

आदम : वादा सर पक्का वादा (आदम के जैसे आँखो मे आँसू घुल गये थे)

घर आके वो कुछ देर सदमे में रहा फिर उसने सारे डमबेल और बारबेल सेट को बिस्तर के नीचे अच्छे से कारटन में फोल्ड करके रख दिया शायद अब कसरत करने की उसमें ताक़त बची नही थी...

लेकिन वक़्त के साथ साथ आदम फिर अपने रोज़ मरहा की ज़िंदगी में लौट गया....वोई काम वोई अकेलापन...लेकिन चंपा की वो बात वो माँ की एक फॅंटेसी की तरह आदम के ज़हन में घर कर गयी...बीमारी के चलते वो भूल सा गया था कि चंपा ने उससे क्या कह डाला था? खैर उससे ज़्यादा उसे अपनी बीमारी का स्ट्रेस हो गया था....

उसने माँ बाप को अपनी बीमारी के बारे में ज़रा सा भी मालूमत ना चलने दिया....अब उसे अहेसास हुआ था की चंपा ने उसके जल्दी झड जाने पे क्यूँ सवाल उठाया था? कही ना कही शायद उसकी बीमारी का दुष्प्रभाव था

रिकक्षे पे सवार आदम जल्द ही एक एरिया पहुचता है...रिक्शा रुकने के बाद वो अपनी कमर और गान्ड को सहलाते हुए गुस्से भरी निगाहो से रिक्शेवाले की तरफ देखता है....

आदम : साले मेन रोड से लाने को कहा था तेरे शॉर्टकट के चक्कर में गली गली के उबड़ खाबड़ पथरीली रास्तो पे चलके कमर में मोच आ गयी अगर हॅंडल ना पकड़ा होता रिक्शे के बीच बीच में उछलने से तो गिर ही जाता बाइ गॉड

रिक्शेवाला : अर्रे भैया पॅसेंजर तो आराम से आते है उस रास्ते से देखो मेन रोड पे जाम और ट्रॅफिक लगा रहता 2 घंटे के रास्ते को 20 मिनट का रास्ता बना दिया और बाकियो तो मज़े आते है इस रोड से आने में

आदम : क्यूंकी तेरे रिक्शे में गान्डु लोग ज़्यादा चढ़ते होंगे उन लोगो की तरह गन्दू समझ रखा है साला उछल उछल के पूरे रास्ते रिक्शे की सीट पे मेरी तो गान्ड दर्द से फॅट रही है

रिक्शेवाला चुप हो गया....उसने अपना किराया लिया और उल्टे रास्ते वापिस चला गया...आदम पूरे रास्ते खुद को कोस रहा था कि जब माँ ने मना किया था तो खामोखाः अपनी दूसरी मौसी से मिलने चला आया...लेकिन क्या करे बहनों की जंग एक तरफ और अपना अलग रिश्ता एक तरफ....आदम अपनी गान्ड को सहलाता हुआ जीन्स के उपर से ही ताहिरा मौसी के घर पहुचा.
 
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ताहिरा मौसी के बारे में थोड़ा बताता चलूं आपको...ताहिरा मौसी यानी की आदम की दूसरी वाली मौसी एक और मौसी जो है वो भी दिल्ली में रहती है....लेकिन उससे आदम को इतनी हमदर्दी नही कारण ताहिरा की बात जुदा है एक तो उनका सेक्सी बर्ताव और दूसरा उनसे खुल्लम खुल्ला कुछ भी बात करने में ज़रा सी भी शरम नही लगती...ताहिरा का पति पेशेवर जुआरी है ताहिरा के ससुराल में उसकी एक पागल सास है जो अक्सर बीमार रहती है दो ननद है जो टाउन से बाहर ब्याही गयी है आना जाना उनका कम है...बस घर में ताहिरा अपने पति और दो बेटों के साथ रहती है

कच्ची उमर की थी जब जुआरी अब्दुल मौसा से फॅस गयी...आदम के नाना ने उसे तभी से घर और खून दोनो से अलग कर दिया चूँकि उन्होने घरवालो को काफ़ी बेज़्ज़त करवाया था अपनी हरकतों से और नाना ने अपना सबकुछ बेटी की शादी में लगा दिया जिसको भी अब्दुल मौसा बेच खाए....लेकिन नाना की मौत के बाद मुफ़लिसी बढ़ी तो ताहिरा मौसी ने ही अपने मायके वालो को दिल्ली जाने का बंदोबस्त कराया था

हालाँकि आदम की माँ की अपनी बहन से हमेशा 36 का आकड़ा रहता था...दोनो अगर एक जगह बैठ जाए तो बातें बहस में और बहस झगड़े में और झगड़ा लड़ाई में तब्दील हो जाता था....लेकिन आदम को ताहिरा मौसी से काफ़ी लगाव था अपनी माँ के बाद वो ताहिरा मौसी को ही बेहद मानता था....क्यूंकी कुछ दिनो तक ताहिरा ने ही आदम को दूध पिलाया था....उस वक़्त आदम का बड़ा भाई पैदा हुआ था तो ताहिरा की चुचियो से खूब दूध बहता था....इसलिए अपने बेटे के साथ साथ उसने आदम को भी कुछ दिन तक उसके दिल्ली जाने से पहले दूध पिलाया था....ताहिरा का ममता का प्यार उसे खींच लाया था...ताहिरा आदम को नहला भी चुकी थी उसे नंगा भी देख चुकी थी और उसे काफ़ी पसंद भी करती थी...

मुझे दरवाजे पे दस्तक देनी की ज़रूरत नही पड़ी थी...क्यूंकी दुकान और टेलर शॉप के ठीक बगल में एक छोटी गली अंदर जा रही थी जिसके किनारे नाली बह रही थी उस छोटी गली के अंदर घुसते ही मेरी ताहिरा मौसी का घर शुरू हो जाता था मतलब उनका खुला आँगन किचन भी बाहर था....सुना था अभी संपत्ति का बँटवारा नही हुआ इसी लालसे में घर में उनके एकदुसरे से खटपट चलती रहती थी रिश्तेदारो में

आदम अभी आँगन में आया ही था...कि दाए ओर लोहे का दरवाजा खुला और अंदर के गुसलखाने से बाहर ताहिरा मौसी निकली...उन्होने लाल कलर की रेशम चमकदार नाइटी पहनी हुई थी....उनके बाल बिखरे हुए थे वो थोड़ी काली थी पर नैन नक्श तीखे थे...नाक में लौंग था और बाल बिखरे हुए....जानने में देरी ना लगी कि वो शायद मूत्के बाहर निकली थी....क्यूंकी गुसलखाने से पखाना जुड़ा हुआ था....सीडियो से उतरते ही एक बार को ताहिरा ठिठकि और आदम को देखते ही देखते वो उसके करीब जैसे दौड़ पड़ी

आदम : मौसी ओ मौसी
(आदम को झट से ताहिरा ने गले लगा लिया)

आदम को अपने सीने में कुछ चूबता महसूस हुआ ये उसकी ताहिरा मौसी के सख़्त निपल्स थे और उनकी छातिया नाइटी अंदर से ही आदम के सीने में जैसे दब सी गयी थी...दोनो कुछ देर तक एकदुसरे के गले मिले...जब आदम ने उसे अपने से अलग किया तो उनकी आँखे थोड़ी नम थी

ताहिरा मौसी : आज जाके तुझे मेरी याद आई

आदम : अर्रे तो इसमें रोना कैसा?

ताहिरा मौसी : हट मैं तुझसे बात नही करूँगी तू भी अपनी माँ की तरह मुझसे नफ़रत करता है एक ही शहर में रहता है और मुझसे मिलने की फ़ुर्सत नही ऐसा कौन सा काम करता है रे तू?

आदम : क्या करू तेरी बहन जो मेरी गान्ड के पीछे पड़ी रहती है? लेकिन अब फिकर नही अब हमारी मिलने में कोई बंदिश नही खैर जाने दे उसकी बात वो तो बेवकूफ़ है पर तू तो समझदार है ना अच्छा ये बताओ मौसी सब ठीक है....

ताहिरा मौसी : हां सब भलो....तू सुना अपना?

आदम : कुछ नही बस कल डॉक्टर से दवा लेके घर आया

ताहिरा मौसी : क्यूँ क्या हुआ?

आदम ने अपनी बीमारी के बारे में बताया...ताहिरा मौसी ने आदम को खूब डांटा की इतना सबकुछ हो गया तो कम से कम उसके पास ही खाने को चला आता...लेकिन आदम उनके घर की परिस्थिति जानता था....1 टाइम का खाना भी उनसे मुस्किल से जुटता था....बड़े भाई ने शादी तो कर ली थी पर अपनी थरक भुजाने के अलावा वो कुछ भी नही करता था....उसकी नौकरी छूट चुकी थी और वो पहले की तरह यहाँ वहाँ मारा मारा फिरता था
 
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आदम घर पे कौन मज़ूद है ये सब जानने लगा?....तो मालूम चला कि छोटा भाई अपनी बुआ के यहाँ गया है और बड़ा भाई उसका रात से पहले घर नही लौटने वाला...सुबह उसकी बीवी के साथ खूब झगड़ा हुआ है...

ताहिरा मौसी : अर्रे रुक तो तेरी भाभी से तुझे मिलाती हूँ अर्रे रूपाली बेटा रूपाल्लीी आए रूपाल्ली शायद तय्यार हो रही होंगी कंप्यूटर कोर्स करती है ना

आदम : वाहह भाई ने तो मॉडर्न भाभी लाई है घर

ताहिरा मौसी : बीवी का भड़वा है तेरा भाई तो अभी देखना सज धज के निकलेगी महारानी सुबह का जो नाश्ता भाई बस अब दो टाइम का खाना मुझे भी बनाना पड़ेगा

आदम हंस पड़ा इतने में...दरवाजे के खुलते ही अपने कमरे से रूपाली बाहर आई अफ मनमोहक सेंट की महेक उसकी सरीर से आ रही थी...रूपाली की उमर लगभग 24 थी रंग गोरा...आँख छोटे छोटे...हल्का मेकप कर रखा था लेकिन बनारसी साड़ी पहन रखी थी...अगर छाती पे पल्लू ना होता तो उसके चुचियो का साइज़ ब्लाउस के उपर से ही जायेज़ा ले लेता आदम.....रूपाली भी बड़े गौर से आदम को देख रही थी जैसे उसके सामने कोई राजकुमार खड़ा हो....5फ्ट 9 इंच का गोरा चिटा पतला दुबला स्मार्ट लड़का था जो कि टाउन के लड़को से कही हटके था स्टाइल में भी और सुंदरता में भी सालिहत से रहता था...आदम ने उसकी आँखो में अपने लिए कशिश देखते हुए मुस्कुराया और धीरे धीरे रूपाली भी मुस्कुरा पड़ी

बिना संकोच किए आदम ने हाथ आगे बढ़ाया और उसे ही कहा...ताहिरा को तो कोई ऐतराज़ था नही उसका इतना ध्यान भी नही था दोनो पे...रूपाली ने आगे बढ़के आदम का हाथ थाम लिया...नाज़ुक कोमल गोरे हाथो को अपने हाथो में लेके कुछ देर तक आदम हाथ थामे रहा फिर दोनो ने धीरे धीरे अपने अपने हाथ एक दूसरे से अलग किए..

रूपाली : माँ चाइ बनाई आपने?

ताहिरा : नही नही ये तो अभी आया तू जा लेट हो जाएगी मैं बना लूँगी खामोखा चाइ बनाएगी?

रूपाली : अर्रे नही नही माँ मैं बना देती हूँ ना इतने दूर से आया है आदम तुम बैठो आदम मैं आप लोगो के लिए चाइ बनाती हूँ (इतना कह कर रूपाली अपना पर्स उतारके रसोईघर में जाके खड़ी हो गयी चूल्हा बाहर था इसलिए चाइ भी वो बाहर ही बना रही थी)

आदम उसके मटकते चुतड़ों को साड़ी के बाहर से नोटीस कर रहा था....ह्म भरे भरे कूल्हें थे...उसके भाई की चाय्स तो नंबर एक ही होती है आय्याश नंबर वन था...ज़रूर रोज़ रात को घर लौटने के बाद उसकी ज़बरदस्त चुदाई तो करता ही होगा...लेकिन रूपाली के स्वाभाव से वो उसे घमंडी मगरूर नही लगी उसकी आवाज़ भी काफ़ी मधुर थी....इतने में कान में ताहिरा बैठी बैठी आदम के पास आके फुस्फुसाइ

ताहिरा : तूने क्या आके जादू कर दिया चाइ बनाने को चूल्हे के पास खड़ी हो गयी वरना इन्स्टिट्यूट जाने में लेट हो जाए तो घर सर पे जैसे उठा लेती है

आदम : हो सकता है पहली बार आया हूँ इसलिए शायद

ताहिरा ने कोई जवाब नही दिया..कुछ देर में चाइ की ट्रे लेके तीन प्याली चाइ उसने टेबल पे सजाई....अब तक जो पल्लू ढका था वो हल्का सा छाती से खिसका और लटक गया...अब रूपाली के चाइ के लिए झुकने से 1 हाथ दूर बैठे आदम की निगाह उसकी चुचियो के कटाव पे पड़ी गले में एक आर्टिफिशियल सोने की चैन झूल रही थी और उसके ठीक उसके नीचे दो संतरे जैसी भाभी की चुचियाँ ब्लाउस में क़ैद थी...अंदर काले रंग की ब्रा आदम को सॉफ दिख गयी....आदम की निगाह जैसे कटाव से रूपाली के चेहरे पे पड़ी दोनो की नज़रें मिली रूपाली उसे देखके मुस्कुरा के सीधी हो गयी उसने आदम के सामने ही अपना साया ठीक किया और आदम और ताहिरा से विदा लेके चली गयी

उसके जाते ही ताहिरा उसकी शिकायत करने लगी...लेकिन आदम ने सुनके भी अनसुना जैसे किया...अब घर में मौसी और भांजा दोनो अकेले थे....रूपाली की हैसियत थोड़ी ग़रीब सी हो गयी थी क्यूंकी उसके पास एक सोने की चैन भी नही थी...अय्याश तो था लेकिन बीवी की हसरतों को जैसे उसका भाई पूरा नही कर पा रहा था....रूपाली के बदन को सोचते ही आदम को महसूस हुआ कि उसका लंड अपनी औकात पे आ गया है...उसने पॅंट के उपर से ही अपना उभार दबोचा

ताहिरा : अब खाना खा के ही जाना

आदम : अच्छा मौसी लेकिन कोई आ तो नही जाएगा

ताहिरा : मौसा तो दोपहर को आएँगे अभी वक़्त ही क्या हुआ है सुबह 10 बजे है चल तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ बाप रे भाभी को तो नये नये देवर पे प्यार आ गया है चाइ नाश्ता के लिए पूछा आदम घर पे रहना आज हाहाहा (ताहिरा आदम को चिडाने लगी आदम हँसने लगा)
 

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