Incest माँ को पाने की हसरत

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दोनो ने साथ में नाश्ता किया...और फिर कुछ देर बात करने लगे....बिशल यानी रूपाली के हज़्बेंड का रवैया शादी के बाद पहले जैसा हो गया था अब वो माँ के साथ साथ बीवी को भी गाली गलोच करने लगा था और घर में आए दिन कलेश करता रहता था...अब तो घर चलना मुस्किल सा हो गया है रूपाली नौकरी करती है तो कुछ पैसे वोई घर में लगाती है बाकी मौसा जी जुआ की दुकान से थोड़ा बहुत जो मिलता है उससे घर का खर्चा निकाल देते है अपना और अपनी बीवी का....फिर मौसी उसकी बीमारी को लेके बातचीत करने लगी

मौसी : ह्म तो तुझे मर्दाना कमज़ोरी सी लगती है तू भी ना खामोखाः अपनी ज़िद्द के आगे ऐसी गंदी दवाइयाँ यूज़ कर बैठा अब भुगत

आदम : जो हो गया सो हो गया मौसी अब तो आपके पास हूँ अब आप ही मेरे बीमारी का कोई घरेलू इलाज बता सकती है जिससे कोई प्राब्लम भी ना हो

मौसी : सुधिया काकी को आने दे उसके पति डेढ़ मास हो गया इंतेक़ाल को ओझा था उसके पास हर बीमारी का नुस्ख़ा और खासकरके मर्दो की बीमारी का उसी ने तो टोटके दिलाए वरना तेरे मौसा तो मुझे जुए में बेच ही खाते भागने तक की नौबत आ गयी थी जुए की ऐसी बुरी लत लगी उन्हें उपर से उनका वो काला सा गुंडा दोस्त उसने तो उस रात तो मेरी इज़्ज़त लूट ही ली थी ये तो भला हो कि उस रात घर जल्दी सुधिया काकी आ गयी थी वरना वो कमीना तो तेरी मौसी की इज़्ज़त लूट ही लेता

आदम : माइ गॉड इतना कुछ हो गया और आपने मुझे बताया तक नही

मौसी : बेटा तू आता ही कब है? जो मालूम चलेगा परिवार वाले तो मुझे लालची ख़ुदगार कमीनी ना जाने क्या क्या कहते है? मुझे उनकी परवाह नही पर अब आया है तो मुझसे दूर ना होना कही तू भी ना भूल जाना मुझे

आदम : ऐसा बिल्कुल नही होगा मौसी यक़ीनन सुधिया काकी तो बहुत कुछ जानती है जिसके टोटके इतने कारगर हो सकते है उसके पास तो मेरी बीमारी का भी इलाज होगा

मौसी : वो शाम को आ सकती है खैर तू तब तक मुँह हाथ धोके आराम कर आजा सबसे मिलके खाना वाना ख़ाके कल सुबह ही जाना

आदम : अर्रे पहले से छुट्टी कर रखी है धंधे में प्राब्लम हो जाएगा

मौसी : छुपकर अब आया है तो रहना पड़ेगा वरना तुझे खूब मारूँगी

आदम : हाहाहा चलो ठीक है अर्रे क्या हुआ (इतना में मौसी की कमर में जैसे लचक आ गयी वो कमर पकड़े दाँतों पे दाँत रखके बैठ गयी)

मौसी : हाए अल्लाह इस्शह लगता है कल का दर्द फिर बढ़ रहा है

आदम : क्या हुआ था मौसी?

मौसी : कल पैर फिसल गया गुसलखाने की सीडियो पे गिर पड़ी बच गयी वरना कमर की हड्डी टूट जाती और सर बाल्टी पे लग्के फॅट जाता किसी तरह बॅलेन्स बना लिया था..लेकिन हाए रे ये मोच का दर्द

आदम : एक काम करो मैं मालिश कर देता हूँ मुझे मालिश आती है

मौसी : नही नही तू क्यूँ तक़लीफ़ कर रहा है आने दे ना सुधिया काकी को

आदम : मौसी मुझसे हुज़्ज़त मत करो प्ल्ज़्ज़ आपको दर्द हो रहा है लाओ मैं मालिश कर दूं मुझे आती है

आदम की ज़िद्द के आगे मौसी ने हार मान ली...एक तो घर पे कोई नही उपर से दिल में हिम्मत सी पैदा हो गयी...मौसी की झिझक का मतलब आदम को समझ आया..उन्होने नाइटी के अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था...क्यूंकी रात को नशे में धुत्त जब मौसा घर लौटते थे तो उन्हें अपनी बीवी की चुदाई करने में मुस्किल नही चाहिए होती थी...इसलिए ताहिरा खुद ही अंदर कुछ नही पहनती थी और उपर से नाइटी डाल लेती थी...लेकिन कुछ दिनो से मौसा को नयी बीमारी डाइयबिटीस ने आ घैरा था जिससे उनका शुगर लेवेल बढ़ गया और वो एक ही चुदाई करने के बाद ठीक ढंग से मौसी को संतुष्ट भी ना कर पाते और कभी कभी तो बीच में ही कराह भरके कमज़ोरी से सो जाते...बेचारी ताहिरा अपनी उंगलियो से ही अपनी चूत की आग शांत कर लेती....एक शादी शुदा और एक जवान लड़के की माँ थी पर जिन्सी हसरत गयी नही थी जिस्म से

दो बच्चों के बाद ऑपरेशन करा लिया था....खैर आदम ने नारियल का तेल लिया और बिस्तर पे शीतलपाटी बिछा दी...उस पर मौसी लेट गयी..."बेटा तू रहने मैने अंदर कुछ पहना नही है खामोखा तुझे दिक्कत होगी".....मौसी ने आखरी प्रयास किया पर आदम ने बिना कुछ सोचे उन्हें पेट के बल लिटाया और उनकी पीठ की मालिश करने लगा

पीठ को नाइटी के उपर से ही मालिश करने से ताहिरा शांत सी हो गयी आँखे मूंद ली उसने...उसके खुले गले होने से नाइटी के कपड़े के भीतर दोनो हाथ तेल से सने ले जाते हुए नंगी पीठ को मलना शुरू किया वो खड़ा था...और लगभग घुटने मोड बिस्तर पे जैसे खड़ा था..उसका लिंग मारे उत्तेजना में तोप की तरह खड़ा हो गया...उसने बड़े ही धीरे धीरे और बड़ी मजबूती से पीठ दबानी शुरू की

ताहिरा : अहः उम्म्म अच्छे से कर हां अच्छा कर रहा है

आदम : तुम्हारा दर्द छू मंतर हो जाएगा मौसी

ताहिरा : तू ये सब कहाँ से सीखा?

आदम : एक लौंडा है थाइलॅंड का नेट पे दोस्ती है उसी से और पता है उसकी गर्लफ्रेंड क्या है? पोर्न्स्टार

ताहिरा : पोर्न्स्टार?

आदम : ह्म जो अश्लील फ़िल्मो में करवाती है

ताहिरा : छी छी ऐसी से मुहब्बत

आदम : मुहब्बत ना जात देखती है ना धरम ना रिश्ते देखती है ना उमर

ताहिरा : उम्म्म्म

आदम : उफ्फ आपके बीच के हिस्से में नस चढ़ि हुई है रुकिये इसे ठीक कर देता हूँ (आदम ने चोट को पकड़ लिया..उसने मौसी की वहाँ जो कि कूल्हें के लगभग करीब ही थी वहाँ मालिश करने के लिए अपना हाथ नाइटी के नीचे की तरफ से अचानक से डाल दिया पर उसी वक़्त उसे ज़ोर का झटका लगा दिल मुँह को आ गया और लिंग रह रहके तड़पने लगा बुरी तरह अकड़ गया पॅंट में)

मौसी ने पैंटी पहनी नही थी...और उनके नितंब के उपर से आदम अपना हाथ लोवर बॅक तक ले आया था..मौसी एक पल के लिए हड़बड़ाई...पर उसने ज़्यादा विरोध नही किया वो एकदम सख़्त हो गयी थी...आदम ने बिना कुछ सोचे समझे पीठ की मालिश शुरू कर दी धीरे धीरे दबाते हुए उसने धीरे धीरे नाइटी को उपर उठाना शुरू कर दिया...

उसने पहले झट से जाके कमरे का दरवाजा लगा लिया ना परवाह कि कोई आ भी सकता है? और दोनो को बंद कमरे में देखके बातें भी बन सकती है....आदम ने नाइटी को पूरा उठा दिया अब मौसी पीछे से पूरी नंगी थी उनके काले नितंब उठे हुए थे उनके पेट से लेके कमर चर्बिदार थी उसकी तोंद को मुट्ठी में लेके आदम ने दो तीन बार दबाया और पूरी पीठ को नितंबो तक मालिश करना शुरू किया
 
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मौसी : कौके बोलबी ना ? (मौसी ने अपनी तेज़ चलती साँसों पे काबू पाते हुए उसे हिदायत दी) किसी को कहेगा नही

आदम : चुपचाप मालिश के मज़े लो मौसी

मौसी : सस्स्सह उम्म्म्म

कुछ ही देर में मौसी को आराम मिलने लगा और उनका दर्द कहीं हद तक कम हो गया पंखा बंद था इसलिए दोनो पसीने पसीने हो रहे थे पूरी पीठ तेल और पसीने से भीग चुकी थी...आदम ने नाइटी वापिस ढकनी चाही पर उसके अंदर का सोया हुआ शैतान उसे इस बात की इज़ाज़त नही दे रहा था

उसने फ़ौरन अपनी पॅंट खोल दी और उसे सरकाते हुए एक ओर फ़ैक् दिया..बेखौफ़ होके उसने अपने कच्छे को टाँगों तक उतार दिया फिर धीरे धीरे ताहिरा के जिस्म पे झुकने लगा और उसने नितंबो के बीच अपना लिंग लाके रगड़ना शुरू कर दिया हाथ का नही बल्कि किसी लोहे का गरम चुभता डंडा जैसा महसूस करते ही ताहिरा की साँसें तेज़ हो गयी और उसकी आँखे लाल और बड़ी बड़ी हो गयी अब तक मालिश ने उसकी आग भड़का दी थी और अब उसका भांजा उस पर चढ़ने को था

ताहिरा : अर्रे पागॉल की कोर्चीस? पागल हो गया है तू क्या कर रहा है? (ताहिरा हड़बड़ा कर उठने को हुई पर आदम ने उसे पीठ से वापिस लेटा दिया)

ताहिरा : बाबा ये सब ठीक नही है मैं तेरी माँ की उमर की हूँ

आदम : सस्सह मौसी मैं ज़्यादा कुछ नही करूँगा बस मुझे ब अपने से दूर ना होने दे मैं तुझे चोदुन्गा नही बस उपर उपर से

ताहिरा : नही तू उठ मैं कह रही हूँ ना उठ तू पागल हो गया है क्या?

ताहिरा इतना कुछ कह ज़रूर रही थी पर अंदर ही अंदर उसकी भी लालसा जाग रही थी आख़िर वो एक थर्कि औरत थी...पर रिश्तो के दायरे में अब भी बंद थी उसे याद आया जब कमसिन उमर में आदम ने उसके सोते वक़्त उसकी नाभि और होंठो को चूमा था...उसका चुंबन फ्रेंच किस जैसा होने लगता तो ताहिरा उसे अपने से धकेल देती पर उसकी नादानी और शरारत समझके उसे मांफ कर देती पर आज आदम उसके बेहद करीब आ गया

आख़िरकार ताहिरा को उसके आगे घुटने टैकने परे...पर उसने मुँह से विरोध करना ना छोड़ा बोलती रही बोलती रही पर आदम उसकी गान्ड के बीच में अपना लिंग घिस्सने लगा..ताहिरा के मुँह से सिसकारिया निकलने को हो गयी....और उसने काफ़ी विरोध करने के बाद अपनी आँखे मूंद ली...आदम ने कुछ देर लिंग को घिस्सने के बाद गान्ड की फांकों को चौड़ा किया गान्ड का सिकुडा छेद और चिकनी बैंगनी चूत उसके सामने थी..उसकी सूजी चूत फूली हुई सी थी

उसने ताहिरा को पेट के बल लेटा दिया ताहिरा को ख्याल आया कि वो जैसे सम्मोहित बेजान भान्जे के साथ बिस्तर गरम कर रही थी....ताहिरा की नाइटी लगभग आदम ने उसके गले तक उठा दी....और उसकी भारी भारी 38 इंच की चुचियो को घूर्ने लगा जिसके काले मोटे निपल्स सख़्त थे....आदम ने थोड़ा तेल लिया और उसकी चुचियों पे मलने लगा....ताहिरा ने दो बार हाथ झटका पर तीसरी बार में वो सहन ना कर पाई...ताहिरा ने हाथ इर्द गिर्द फैला लिए आदम उसकी चुचियो की तेल से मालिश करने लगा

एक चुचि को दोनो हाथो से मालिश करना पड़ रहा था...छाती उपर नीचे हो रही थी ताहिरा का गला सुख चुका था....आदम ने काफ़ी देर तक वैसी मालिश की....अचानक दरवाजे पे दस्तक होने लगी "क्या रे ताहिरा ताहिरा माँ? दरवाजा तो खोल बंद क्यूँ कर रखा है सो रही है क्या अर्रे ताहिरा?"......आदम और ताहिरा मौसी सकपका गये

उसने जल्दी जल्दी अपनी नाइटी को ठीक किया और आदम को लगभग दाँत पे दाँत रखके बोली जल्दी से पॅंट पहनने को....आदम ने जल्दी से अपना कच्छा पहन लिया और पॅंट भी जैसे तैसे पहन ली नतीजन ज़िप और बटन लगाना भूल गया

ताहिरा ने खुद की साँसों पे काबू पाया..अभी जो कुछ होने जा रहा था वो आगे बढ़ भी सकता था...शायद चुदाई तक पहूचके ताहिरा आदम को रोक देती...पर उसी वक़्त ना जाने कौन आ मरी थी?
 
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दरवाजा खुलते ही आदम और ताहिरा को बंद कमरे में देख वो औरत थोड़ा अस्चर्य चकित हुई...लगभग 62 की उमर थी पुरानी सी साड़ी पहन रखी थी....देखके ही लग रहा था घरो पर काम करती होगी ग्राम क्षेत्र की थी फिगर उसका चर्बिदार शरीर...चुचियाँ जैसे ब्लाउस फाड़के लटक जाए...गोल गहरी नाभि जिसके नीचे से थोड़ा पेट उठा हुआ था...भारी उचे नितंब थे वजन लगभग 76 किलो तो होगा अढेढ़ उमर की औरत थी नाम था सुधिया....सुधिया काकी जो ताहिरा मौसी के घर आना जाना करती थी....जिसके बारे में ताहिरा मौसी ने पहले बताया था

ताहिरा मौसी उसको देखके सकपकाई ज़रूर पर उसकी घबराहट गायब हुई....

सुधिया काकी : तू बंद कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़का कौन है?

मौसी : ये मेरी बहन अंजुम का बेटा मेरा भांजा

सुधिया : ओह अच्छा बेटा कैसा है तू? तेरी मौसी तेरे बारे में बड़ी बात करती रहती है तेरी माँ ठीक है?

आदम : हां काकी जी

मौसी : वो दरअसल ये मेरी मालिश कर रहा था

ये सुनके आदम थोड़ा सा चौंक ज़रूर गया...पर सुधिया काकी मुस्कुराइ जैसे उसे कमरे के अंदर क्या चल रहा था इस बात की भनक जैसी लग गयी हो...पर उसे कोई ज़्यादा हैरानी नही हुई..सॉफ ज़ाहिर था खेली खाई औरत थी कुछ कुछ समझ रही थी...

ताहिरा मौसी : अर्रे सुधिया काकी लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गयी? आप तो शाम को आने वाली थी ना

सुधिया काकी : गाओं गयी थी ना तो सोचा जल्दी से टाउन आ जाउ फोन आने लगे थे बर्तन कपड़े धोना था चार घर का 2 दिन से छुट्टी कर रखी थी सोचा जल्दी ही आ जाउ

ताहिरा मौसी : ये तो आपने ठीक किया (ताहिरा अब भी हाँफ रही थी उसका पूरा बदन काँप रहा था चेहरा लाल सा था उसकी हालत को सुधिया काकी ने नोटीस कर लिया और वो आदम को भी देखने लगी मेरे जीन्स के बटन और ज़िप खुली देखके वो मुस्कुराइ जिसे भाँपते ही आदम जल्दी जल्दी ज़िप लगाने लगा)

सुधिया काकी : वाह लगता है भानजे ने मालिश अच्छी की पर ताहिरा कम से कम अंदर कुछ पहन तो लिया कर

ताहिरा मौसी को समझ में आते ही वो हड़बड़ा सी गयी उसकी ज़ुबान लरखड़ाने लगी....सुधिया काकी को उसकी नाइटी के बाहर से चुचियो के सख़्त कठोर निपल्स सॉफ दिख रहे थे....

ताहिरा मौसी : ह..हां क्या कर..ए ? वो रात को बड़ी गर्मी लगती है ना इसलिए सिर्फ़ नाइटी पहन लेती हूँ

सुधिया काकी : हाहाहा मुझसे ना छुपा तेरा पति भी इस उमर में भी बड़ा थर्कि है मधमेय का रोगी है पर अब भी खड़ा हो जाता है उसका (मौसी के गाल शरम से लाल हो गये और सुधिया के लफ़्ज़ों ने आदम का लंड और खड़ा करवा दिया)

ताहिरा मौसी : काकी आदम सुन रहा है क्या सोचेगा आप भी ना ?

सुधिया काकी : अर्रे ये क्या सोचेगा? ये तो नया नया जवान हुआ है क्या मर्द औरत के बीच का रिश्ता जानता नही होगा...लेकिन तुझे शरम आनी चाहिए कि कम से कम पीछे दीवार की छोटी सी खिड़की तो बंद करके मालिश करवाती

ताहिरा और आदम अचंभित होके एकदुसरे का मुँह देखने लगे.....यानी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....आदम जनता था सुधिया काकी से कुछ छुपा नही है

सुधिया काकी : इतना घबराने या डरने की ज़रूरत नही तुम दोनो को मुझे आजतक लगता आया है कि इस खेल में सिर्फ़ मैं ही खिलाडन हूँ पर यहाँ तो ताहिरा तू भी खिलाड़ी बनी बैठी है अपने ही भानजे के साथ

ताहिरा : नही नही वो बस क्या बोलूं


सुधिया काकी : अर्रे तो छुपाना कैसा वो भी सुधिया से मैं क्या पराई हूँ? तू भी औरत है और मैं भी


ताहिरा : इसका मतलब आप भी अपने परिवार में किसी से


सुधिया काकी : किसी भानजे या भतीजे से नही अपने बेटे रामदीन से


ताहिरा : क्या रामदीन? (एकाएक ताहिरा मासी का मुँह खुला का खुला रह गया यानी कि अब तक उन्हें भी सुधिया काकी किससे फसि हुई है ये मालूम था नही)

अड़ेढ़ उमर की थी ज़रूर लेकिन लगता है भोसड़ी में अब भी खुजली बरक़रार थी जो सहावत वो अपने बेटे से पूरी कर रही थी...उसका बेटा रामदीन कोई 23 साल का लौंडा था जो शहर में काम करता था और 15 15 दिन घर बैठा रहता था....बाप रिकक्षावाला था 2 साल पहले मर गया उन्ही दो सालो के अंदर रामदीन सुधिया काकी यानी अपनी माँ को चोदने लगा था...इसमें पहल माँ ने ही कर दी थी


आख़िर उसे चूत की इतनी खुजली थी कि मिटाने वाला कोई था नही...हालाँकि चुदक्कड किसम की औरत थी और उसके काई नाजायेज़ रिश्ते रहे थे पर 1 राउंड के बाद कोई उसकी बुर में लंड नही डालता था क्यूंकी साली मर्दो को इस उमर में भी थका देती थी और शायद बुढ़िया होने की वजह भी कहीं थी....रामदीन को एकदिन माँ ने रंगे हाथो एक रंडी को खेतो में चोद्ता देख लिया...जिसके बाद दोनो माँ बेटों में कुछ दिन तक झगड़ा बरक़रार रहा...लेकिन बेटे ने सॉफ कह दिया मुझे शादी नही करनी बस ऐसे ही औरतों के साथ संबंध बनाने है अब तू किसी से भी बनवा....सुधिया बेशरम औरत थी बेटे के लिंग को उसने देखा था कितना मोटा और लंबा था उसे डर लगा कहीं ग़लत इरादा करके वो घर छोड़ ना दे जिससे कि वो सड़क पे आ जाए और उसने फ़ैसला करते हुए अपने बेटे के सामने नंगी पेश हो गयी....शुरू शुरू में बेटे को थोड़ा अज़ीब लगा पर अब काम से फारिग होके वो अपनी हसरत माँ के साथ घर की चार दीवारी में उसकी चूत गान्ड की चुदाई करके निकालता था

ताहिरा और आदम का डर गायब हो गया और वो निसचिंत हुए कि चलो उनकी चोरी किसी की आँखो में नही आई ....सुधिया ताहिरा को मशवरा देने लगी और उसे और प्रोत्साहन करने लगी कि वो आदम को ढंग से चुदाई करना सिखाए तभी उसे पूरा मज़ा मिलेगा....ताहिरा आदम के सामने बेशर्मो की तरह सुन रही थी आदम का लिंग अपनी औकात में खड़ा था


सुधिया : पीछे की गली बंद ज़रूर है पर कभी कभी कोई ना कोई गुज़र जाता है तेरी पीछे की खिड़की खुली थी और मैं तफ़सील करना चाह रही थी कि तू घर में है कि नही बस जैसे ही खिड़की से देखा तो तेरा ये भांजा तेरी पीठ की मालिश करते हुए तेरी गान्ड में अपना मोटा लिंग रगड़ने लगा था....उसके बाद इसने तुझे पलटा दिया और तेरी छातियो की मालिश कर ही रहा था इतने में मुझे लगा कि कोई सच में तेरे घर आ ना जाए वरना तेरी पोल तो खुल जाएगी इसलिए मैं खुद तेरे यहाँ आ गयी कब कौन आ जाए क्या पता तेरा बेटा या बहू आ जाते तो तू क्या करती? वैसे मालिश तो तेरा भांजा अच्छे से करता है मैने गौर किया है


आदम का चेहरा लाल हो गया उनकी बातों से


ताहिरा : ह्म पर आपने अच्छा किया दरअसल मैं और यह इतने ज़्यादा बहेक गये कि वक़्त और जगह देखा ही नही

सुधिया : चल कोई बात नही पर मुझे खुशी है कि तेरे पीछे कोई तो है अब


ताहिरा का मुँह लाल हो गया शरम से वो आदम से जैसे नज़र चुराने लगी ...फिर आदम ने ही बात छेड़ी और सुधिया काकी को अपनी समस्या बताई...ताहिरा भी आदम की बीमारी उन्हें बताने लगी सुधिया काकी कुछ देर सुनके काफ़ी गंभीर चुपचाप खड़ी रही

सुधिया : ह्म समस्या है पर गंभीर नही सुधिया किस मर्ज़ की दवा है इसके लिए आदम तुम्हें एक दवा खानी होगी और अपने लिंग की मालिश भी


आदम : क्या मालिश?


सुधिया : हां एक बार औज़ार दिखाना

आदम शर्मा गया और ताहिरा मौसी की ओर देखने लगा...."अब शरमाना कैसा? सुधिया काकी सबकुछ जान चुकी है चल तुझे डर है तो अंदर के कमरे में सुधिया काकी को दिखा दे....आदम ने हामी भरी और तीनो कमरे में आए
 
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आदम ने झट से अपनी जीन्स और कच्छा नीचे टाँगों तक उतार दिया...ठीक उसी पल ताहिरा और सुधिया काकी के सामने आदम का लंड फूँकारे मारते हुए उत्तेजना में खड़ा सलामी देने लगा....

सुधिया : ह्म ये तो पूरा अपनी औकात पे खड़ा है (सुधिया काकी के मज़बूत हाथो ने मेरे लिंग को जो पकड़ा तो मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गयी)

सुधिया : अभी पानी नही निकाला इसलिए एकदम लोहे जैसा सख़्त हो रखा है...ह्म इलाज हो जाएगा इसका मुझे आज का वक़्त दे (काकी ने मेरे लिंग को मुट्ठी में कस्के इधर उधर घुमाके बड़े गौर से देखा)

"1 महीने की मालिश में ही इसका और भी लंबा और मोटा हो जाएगा और छूटने पे काबू पाने लगेगा जिससे ये लंबी चुदाई करेगा और औरतों को संतुष्ट भी कर सकेगा".......ताहिरा की आँखो में चमक सी आई वो मुझे देखके मुस्कुराइ

ताहिरा : तब तो जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दो


सुधिया : लेकिन ये इलाज मुझे ही करना होगा क्यूंकी मेरे हाथ सख़्त है और तुझे भी शरीक होना होगा पर याद रहे इस 1 महीनो के अंदर आदम तुम्हें किसी के साथ यौन संबंध नही बनाना वो मालिश की औषधि मैं एक वैद से ले आउन्गि इसकी मालिश मैं खुद करूँगी


आदम : तो कितना देना होगा?

सुधिया : हट पगोल पैसा क्यूँ देगा तू? ताहिरा का भांजा मतलब मेरा भी ख़ास कोई पैसे वैसे देने की ज़रूरत नही मैं दवाई कल लाके ताहिरा को दूँगी तुम मौसी के पास आके ले लेना बाकी रही मालिश की तो मुझे यहीं करना होगा

ताहिरा : यहाँ नही कल तो रविवार है


सुधिया : तो जगह मुक़र्रर कर


आदम : अर्रे आप लोग चिंता क्यूँ करते है? मैं अकेले रहता हूँ कोई साथ में नही है आप लोग मेरे यहाँ आ जाइएगा मैं आपको घर तक का किराया दे दूँगा प्ल्स ना मत कीजिए बस इलाज जल्द से जल्द करवा दीजिए

ताहिरा : हां काकी


सुधिया : तो ठीक है कल मैं और ताहिरा तुम्हारे घर आके वही से तुम्हारी मालिश शुरू कर देंगे पर ध्यान रहे कोई हम तीन के अलावा ना हो

आदम : उसकी फिकर ना कीजिए मेरे अलावा और आप लोगो के अलावा कोई नही होगा


इरादा तय हो गया....सुधिया काकी और कुछ देर तक बात करके हमसे फिर चली गयी जाते जाते मुस्कुरा के कह गयी अधूरा काम जल्दी निपटा लो मौसी और मैं शर्मा गये....ताहिरा मासी लेट हो रही थी इसलिए वो मुझे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कपड़े धोने गुसलखाने चली गई....अभी मौसा या किसी के आने का वक़्त नही था...मैं बहुत एग्ज़ाइटेड था कि ताहिरा मौसी ने मेरे इलाज का इंतज़ाम कर दिया है और ताहिरा मौसी भी रोमांचित थी मेरे इलाज से मेरे मोटे लंबे लिंग को लेने की चाहत उनमें भी कहीं ना कहीं थी

जो अधूरा रह गया था उसे पूरा करने दिया जाए सोचके मैने कमरा ठीक से बंद किया और गुसलखाने पे दस्तक देने लगा.....मौसी नहाने की तय्यारी कर रही थी..."अर्रे कौन है?".....मौसी ज़ोर से बोली


आदम : मौसी दरवाजा खोलो ना

मौसी : आदम बाज आजा तू इतना बेशरम हो गया है सुधिया काकी ने देख लिया अब भी जी नही भरा तेरा

आदम : वोई तो जी नही भरा मेरा

मौसी : हाए अल्लाह तू तो तेरे मौसा से भी ज़्यादा थर्कि है रुक तेरी शादी करवानी पड़ेगी

आदम : मौसी अभी हाथ में टाइम है खोल दो ना


मौसी : नही बाबा मुझे नहा लेने दे फिर कभी


आदम : प्लज़्ज़्ज़ ना मौसी एक बार बस एक बार प्लज़्ज़्ज़

काफ़ी उकसाने समझाने के बाद लोहे का दरवाजा हल्का सा खुला मैने झट से दरवाजा आधा खोला और अंदर दाखिल होके फटाक से कुण्डी लगा दी....मौसी हड़बड़ा के उठ गयी उनके पूरे बदन पे साबुन लगा हुआ था और फर्श पे कपड़े थे जो अब भी धो रही थी....मैने अपने कपड़े जैसे तैसे उतारे और कच्छा भी उतार लिया....मेरा फन्फनाता लंड देखके मौसी की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी

मौसी : देख कितना काम पड़ा है अब तक तो मैं निपट भी जाती

आदम : अच्छा लाओ मैं मदद कर देता हूँ


मौसी की नही सुनी और सीधे कपड़ों को निचोड़ने लगा हम दोनो झुके हुए थे इसलिए ताहिरा मौसी के झुकने से उसकी झूलती साबुन लगी चिकनी छातियो को मैं घूर्रने लगा...एक को हाथ में लेके दबा सा दिया तो मौसी के मुँह से आआहह फुट पड़ी...

कपड़े निचोड़के धो देने के बाद मैने मौसी को अपनी बाहों में खेंच लिया उसकी कमर में हाथ लपेटे हुए उसके हाथो में अपना लंड दे दिया...वो मेरे मोटे लंड को आगे पीछे करके हिलाने लगी....पास में मग था जिससे मैं उनके शरीर पे और अपने शरीर पे पानी डालने लगा....मौसी की टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी और कांख में भी बाल थे जो शायद कयि महीनो से सॉफ नही की थी मौसी
 
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मैं उनके कांख के बाल पे हाथ फेरने लगा और फिर अपना लिंग उन्हें सहलाने को बोला....उन्होने लंड को सहलाया और उसे बड़े गौर से देखने लगी...

ताहिरा : वाक़ई तेरा लंड मोटा है सस्स कितना कठोर है?

आदम : मुँह में लेके देखो

ताहिरा : छी घिन आती है

आदम : अच्छा मौसा जी का भी तो चुस्ती होगी तुम

ताहिरा मौसी का जवाब ना पाके मैं समझ चुका था....मैं उनके चेहरे पे आगे बढ़के लिंग का दबाव देने लगा...तो उन्होने अपने चेहरे से लिंग हटाते हुए अपने मुँह में ले लिया और दो-तीन बार बड़े प्यार से चुस्के मुँह से बाहर निकाल दिया जैसे उनसे हो नही पा रहा हो पर मैने सख्ती से उनके बाल पकड़े और उनके मुँह में अपना लंड घुसा दिया...वो फिर से मेरे लंड को उगलने लगी पर मैं डटा रहा और उनके बाल नही छोड़े पूरा जड़ तक हलक में घुसा दिया वो अओउूउ अओउू करने लगी उनकी आँखे बाहर को आ गयी फिर मैने लिंग को उनके मुँह से निकाला वो ख़ासने लगी और फिर मुँह से थूक फैक्ते हुए मेरे लिंग को दुबारा चूसा....इस बार बड़े प्यार से कुछ देर चुसवाने के बाद मैने अंडकोष के नीचे उनका मुँह लाया वो मेरे टट्टो को चाटने लगी उसमें अपना चेहरा रगड़ने लगी...वो किसी पेशेवर रांड़ की तरह दिख रही थी


फिर उसके मुँह में लंड दिया उसने फिर चूसा...उसके बाद मेरे लंड पे ढेर सारा थूक लगा दिया....मेरे गीले लंड को उसने हाथो में लिए दबोचा...मैने उन्हें उठाया और उनके चेहरे को पकड़के स्मूच करने लगा...हम दोनो एकदुसरे के होंठो को चुस्सते रहे....एक अज़ीब सा सुख प्राप्त हो रहा था जैसे हमे एकदुसरे की ज़ुबान और होंठो को चूस्ते हुए मज़ा आ रहा था ..उनके मुँह से आती गरम हवा मुझे अपने मुँह में महसूस हो रही थी...

फिर हमने होंठ अलग किए मौसी अब तक चुदने को तय्यार हो चुकी थी आँखें लाल हो चुकी थी...मैने उन्हें वोई गुसलखाने में लेटा दिया और उनकी टाँगों को अपनी कमर में इर्द गिर्द लपेट दिया अपने लिंग को उनकी चूत में अड्जस्ट करने लगा....उनकी झान्टो के बालों में लिंग को रगड़ते हुए चूत के मुँह पे लंड रखा और धक्का दिया....लंड अंदर फ़च से घुस्स गया मौसी की चूत ने मेरा लंड खा लिया

आदम : ओह्ह क्या गरम भट्टी है? सस्शह उफ़फ्फ़


मौसी : उफ़फ्फ़ आहह मार धक्के इस्सह आदम (वो मुझे अपनी नंगी छातियो से लगाने लगी उनकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी)

मैं नीचे से धक्के पेलने लगा..उफ्फ उनकी चूत काफ़ी रसभरी और गरम थी अंदर से...हर धक्के में मुझे पूरी ताक़त लगानी पड़ती अपनी कुल्हो में....मेरे चूतड़ आगे पीछे हो रहे थे और वो बुरी तरह छटपटा रही थी सर इधर उधर मार रही थी...मैं 5 धक्के ही लगाया होउंगा कि मेरा छूटने के कगार पे पहुच गया मैं कुछ देर शांत रहा तो एक जलन का अहसास हुआ चूत की गिरफ़्त में मेरा लंड था

और मौसी ने बड़े कस्के मेरे लंड को दबोच लिया था...फिर उन्होने अपनी पकड़ ढीली छोड़ी और खुद नीचे से लंड को भीतर से रगड़ने लगी चूत से...मैं उनकी चुचियो को चुस्सने लगा उन्हें शांत करने लगा...लेकिन वो मुझे चोदने के लिए उकसा रही थी

ताहिरा : और कर ना ?

आदम : मौसी निकल जाएगा

ताहिरा : आदम कर कुछ नही होगा


मैं फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा इस बार संयम से...अब तक मेरा लिंग छोटा पड़ गया था....मेरे धक्के मारते ही मुझे कुछ गरम गरम अहसास हुआ ताहिरा मौसी झढ़ चुकी थी वो आँखें मुन्दे सी पड़ी थी बस मुँह से ओह्ह्ह ओह्ह्ह आहह उम्म्म की आवाज़ें आ रही थी...कुछ धक्को बाद मैने चूत से लंड को पूरी ताक़त से बाहर खींचा और उसके बाद उनकी चूत की फांकों को देखने लगा जो बैगनी रंग की थी...उनकी चूत के दाने को मुँह में भरके तीन उंगली चूत में करने लगा..मौसी को मज़ा आ रहा था

उन्होने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली...मैं उंगली तेज़ी से करने लगा...उसके बाद मैने तीन उंगली जब बाहर निकाली तो वो मौसी के रस से भीगी हुई थी एक को जब मुँह में लिया तो उसका स्वाद नमकीन सा था...मैने मौसी को हाथ देके खड़ा किया और उन्हें घोड़ी बनाया अब उनकी गान्ड की फांकों के बीच में था मेरा लंड मैं उनकी गान्ड मारना चाह रहा था...

ताहिरा : नही गान्ड नही वो मत मार ससस्स बहुत दिनो से नही मारी इसलिए टाइट हो गयी है


आदम : मैं उंगली करके चौड़ा कर देता हूँ

ताहिरा : नही नही तू चूत मार ले


आदम : अर्रे कुछ नही होगा थोड़ा घुसा लेने दो दर्द ख़तम हो जाएगा

ताहिरा : ठीक है जल्दी कर

मैने पूरी ताक़त से उनकी गान्ड को चौड़ा किया और अपने लंड पे और उनकी गान्ड के छेद पे ढेर सारा थूक डालके उसमें उंगली करके गीला कर दिया अब मैं लंड को उनके छेद में आहिस्ते आहिस्ते फिराते हुए घुसाने लगा जैसे काफ़ी मुस्किलो बाद सुपाडा अंदर दाखिल ही हुआ था तो मौसी ने अपने मुँह पे हाथ रख लिया....इतने में बाहर से मौसा की आवाज़ सुनाई दी....वो घर की कुण्डी लगी देख बाथरूंम में आवाज़ लगा रहे थे

मौसा : क्या री? बिशल की माँ अंदर हो क्या?

ताहिरा और मैं फिर एक बार हड़बड़ाये...ताहिरा मौसी को मैने इशारा करते हुए कहा कि जवाब दे ताहिरा मौसी ने डरते हुए जवाब दिया कि वो नहा रही है 10 मिनट लगेगा....मौसा ने कोई जवाब नही दिया बस इतना बोले कि उन्हें ज़ोरो की भूक लगी है इतना कह कर वो पास के कमरे में दाखिल हो गये थॅंक गॉड साथ में कोई कपड़ा नही लाया था वरना पूछते कि कौन आया हुआ है? और कहाँ है?....ताहिरा ख़ौफ्फ भरी निगाहो से मेरी ओर देखने लगी....मैने उन्हें फिर घोड़ी बनाके झुकाया और उनके नितंबो के बीच के छेद में फँसे मेरे लंड पे पूरा दबाव देने लगा


धीरे धीरे लिंग अंदर घुस्सने लगा और आधा लिंग जैसे अंदर गया वो तड़पने लगी...मैं वैसे ही धक्के पेलने लगा...वो हल्की हल्की आहें भर रही थी...मौसा को मालूम नही कि गुसलखाने मे उनकी बीवी अपने भानजे से चुद रही है इधर मौसी की गान्ड में आधा लिंग घुसाए मैं उनकी चुदाई कर रहा था

अब मेरा सबर का बाँध टूटने लगा और मैने मौसी की खरबूजे जैसी चुचियो को कस कस्स्के दबोचते हुए मुट्ठी कस्स ली और ठीक उसी पल मेरे लिंग ने बेतहाशा पानी छोड़ा जो उनकी गान्ड को गीली करते हुए अंदर दाखिल हो रहा था....उनका पूरा बदन काँप उठा फिर झड़ने के बाद मैं किसी सांड़ की तरह उनके उपर से उतर गया उनके गान्ड के छेद से लिंग बाहर को हल्के से निकाला जो अंदर की गंदगी और मेरे वीर्य से लथपथ था और फिर उनकी गान्ड के छेद की तरफ देखा जो खुल रहा था सिकुड रहा था...और मेरा वीर्य उगल रहा था छेद से लेके चूत के हिस्से तक मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य बह रहा था...और फर्श पे टपक भी रहा था..

मौसी उठ खड़ी हुई फिर हम दोनो साथ में नहाए और उसने रास्ता देखके के जैसे तैसे मुझे बाहर जाने का इशारा किया मैं बाहर निकलके दबे पाओ गली से बाहर हो लिया उसके एक चक्कर बाद जब वापिस आया तो सीधे कमरे में आया मौसा से मिला....वो मुझसे गले लगे..कुछ देर बाद मौसी पीले रंग की नाइटी पहन के अंदर आई मुझे देखके शरमाने लगी....रात तक मैं रुका था

रूपाली भी आई जिसे देखके मेरे दिल की धड़कन फिर तेज़ हो गयी लेकिन उसके पति के आते ही कुछ देर हम साथ रात के खाने के वक़्त बैठे गपशप किए लेकिन उसके बाद रूपाली अपने पति के साथ उठके रूम में चली गयी...रात में मौसी के साथ फिर कोई चुदाई का प्रोग्राम नही बना क्यूंकी मौसा और मौसी भी अपने कमरे में जा चुके थे

रात को साथ मे परिवार के साथ भोजन करने का अलग आनंद था…रूपाली से इस बीच काफ़ी बात चीत करने का मन बना हालाँकि उसके पति के सामने इतना कुछ सवालात तो कर ना सका पर खातिरदारी में मौसी और रूपाली ने कोई कसर नही छोड़ी थी और मौसा और भाई से मिलके भी अच्छा महसूस हो रहा था…

लेकिन पूरी रात नींद नही आ रही थी मुझे....आज भीषण चुदाई जो की थी ताहिरा मौसी की उफ्फ अब भी आँखो में उनकी सिकुद्ती खुलती गान्ड के छेद से निकलता मेरा वीर्य दिख रहा था...कैसे गुसलखाने में ही उनकी मस्त चुदाई की थी...अभी सोच की कशमकश में डूबा सा था..कि एक शैतानी हरकत सूझी
 

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