Incest नई दुल्हन by deeply

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नई दुल्हन

ससुर घुसे पिछवाडे -२

ससुर अपने लंड पर दवाई मल चुके थे
सासु ने मेरे चुतड़ों के दोनो पटो को फैला कर गांड इतनी फैला दी थी कि जैसे ससुर से पहले वो इस गांड को फैला कर फाड देना चहती हो,
तभी ससुर ने लंड का मुॅह गांड के छेद से भीड़कर एक जोरदार धक्का दिया मगर लंड फिसल गया

सुसर बोले बडी कसी गॉड है कुत्तिया की

तभी सासु ने एक जोरदार थप्पड़ मारा गांड पर, कुत्तिया छिनालपन कर रही है गांड देने मे, तभी एक और जोरदार थप्पड मारा मै दर्द से कराह उठी,
साली कुतिया तु अपने ससुर के आगे गाड सिकोड़ रही है फैला गांड कुतिया, तेरा कुतियापना मै तेरे नन्दोई के सामने निकालगी ना तुझे बारी बारी उनके खानदान को ना चढाया तेरे ऊपर तो मेरा नाम बदल देना तेरी हिम्मत कैसे हुई , मेरे पति के सामने गांड सिकोडने की, तभी एक दोरदार फिर थप्पड़ मारा

मै बिलबिला के माफ कर दो मा जी, मैंने कुछ नही किया बाबूजी मार लो गांड , मैंन अपनी गांड हिलाते हुये कहा, मार लो बाबूजी गांड मेरी , यह गांड तो आपकी ही है बाबूजी,
तभी बाबूजी ने फिर एक बार गांड के छेद पर लंड रखा और एक जोरदार धक्का दिया सुपाड़ा गांड मे समा गया, मै चीख उठी, दर्द से आगे भागने को हुई तभी ससुर ने दोनों हाथों से मेरी कमर दाब रखी थी तभी फिर एक जोरदार धक्का दिया उनका एक चौथाई लंड मेरी गांड मे समा चुका था मै दर्द से बिलबिला उठी, आँखो से आँसू झरने की भाँति बह उठे मै हाथ जोड़ के बोली बाबूजी बस अब नही मै मर जाऊंगी बाबूजी बहुत बड़ा है आपका, बस रहम बाबूजी मेरी गांड फट गई

सासु बोली चुप अभी क्या फटी अभी और फटेगी

तभी ससुर ने एक जोरदार धक्का मारा की उनका आधा लंड मेरी कसी गांड मे समा गया

मै दोनो हाथ धरती पर पटक रही थी हाये फाड दी गाड ससुरजी ने बहु की गांड फाड दी, कुत्ता क्या खाकर इतना बडा लंड किया, कुत्ते किसी गधी को चोद, हाये बहु की कुवांरी गांड फाड़ दी हरामी

ससुर के माथे पर पसीना था बडी कसी गांड है

सासु बोली साली पैदाइशी छिनाल है रुको मत जी फड़ो गाड इसकी, बहु की गांड सुसुर ना मारेगा तो तेरा भतार( पति) मरेगा,

हाये माँ जी फाड दी है गांड मेरी बाबूजी ने
तभी ससुर ने एक और करारा धक्का मारा की इस बार पुरा लंड गाड मे समा गया, मै छटपटा कर रह गई और इनके दोनों हाथ मेरे दूध को कस कस मीजने लगे और गांड मे उनका लंड अंदर बाहर होने लगा, जल्द ही मेरा दर्द कम हो गया और मुंह से सिसकारिया निकलने लगी
हाये बाबूजी फाड दो बहू की गाड़, अब यह गाड़ तुम्हरी है, हाये बाबूजी

सासु बोली कुत्तिया गर्ममा गई है जी कस कस के अपनी गाड़ी चलाओ, और यह सुनते ही बाबूजी की गति बढ गई लगभग आधे घंटे तक वो ताबड़तोड धक्के लगाते रहे चुतड़ो की थाप से पुरा बरमदा गुज रहा था तो एक तरफ मेरी सिसकारियों से पुरा माहॉल गर्म था सासु भी नंगी होकर मुझसे अपनी चुत चुसावा रही थी उधर खिड़की से नंद भी यह नजारा ले रही थी तभी ससुर ने मेरी गांड मे पानी छोड दिया, ना जाने कितने दिनो की भड़ास थी कि वो जैसे गांड मे मूत रहे थे, लंड निकलते है लावे की भाँति उनका पानी मेरे जांघो वा बुर की दरार के बीच बहने लगा,
 
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नई दुल्हन

नई बछिया मेरी नंनदिया

सुबह देर से उठी कल दो दो सांड झेले थे वो भी दोनो तरफ अभी तक उस दर्द की टीस उठ रही थी मगर औरत का जीवन ही दर्द से भरा है बरहाल देवर ढेला दोनो हर आ गये थे मैने जल्दी से नाश्ता बना लिया सासू माँ ने कहा जरा देख ले बहू सवित्रा तैयार हुई या नही, स्कूल जाने मे रोज देर हो जाती है करमजली को देख ले उठी ना हो तो जल्द उठा के तैयार कर दे

मै कमरे मे गई तो देखा नंद रानी तकिया दबाये सो रही है बेचारे छोटे टोकरे तकिया से दबे है अभी शायद ही हाथ मे माने लायक हुये हो मगर फ्राक मे गजब ढा रही थी फ्रांक उठी थी आश्चर्य तब हुआ जब देखा नंद रानी लाल रंग की चड्डी पहनी हुई है जवानी अभी आ ही रही है मगर बुर का उभार किसी पावरोटी के तरह फुला हुआ था, मैंने झकझोर के उठाया तो उसकी अगडाई उसके टोकरो का और उभार दे रहे थे मगर हाथ मे आने लायक कतई ना थे, जल्द से तैयार होने को कह मै उसका टिफिन तैयार करने चल गई कुछ देर बाद आया तो उसकी कमीज और स्कर्ट पहने हुई थी मैंने कहा नंद रानी तैयार हो गई तभी मैंने स्कर्ट उठाया तो उसने चड्डी पहन रखी थी, हाय फुलझडी तु ऐसे करेगी तो कैसे काम चलेगा

क्या हुआ भौजी

मै उसकी चड्डी खिसका दी सामने उसकी बुर थी जिसपर अभी बाल भी नही आये थे मस्त फुली थी और बुर की दोनो फुत्तीया इस प्रकार कसी थी जैसे दो अशिको ने एक दूसरे को अपनी बाँहो मे जकड़ रखा हो, उसने शर्ममाते मेरा हाथ पकड़ लिया मगर मैंने उसके हाथ झटकते हुये उसके चड्डी उसके पैरो से निकाल फैक दी

अरे नंद रानी अब तो बडी हो चली इसका क्या काम,
इतना शर्मयायेगी तो ना मजा दे पायेगी ना ले पायेगी, मैंने उसकी कुवारी बुर पर हाथ फेरते हुये कहा, अब इसके चारा घोटने के दिन आ गये है तु ताला लगाये घुम रही है

हाये भौजी अम्मा मार डालेगी यदि जान लिया कि मै चड्डी नही पहनती

अरे हमारे समाज मे वैसे भी कोई चड्डी नही पहनता तो तु क्या अलग है, फिर अम्मा को बतायेगा कौन

हाये भौजी स्कर्ट बहुत छोटी है झुकते ही सबके सामने नंगी हो जाऊगी

अरे नंद रानी जब दिखेगा तब बिकेगा, वैसे भी इतना गजब हुस्न पाया है तो दिखा के ललचाने का मजा भी तो ले, चल अब बाते ना कर बैग उठा मै तुझे मोड तक छोड आती हुँ जहाँ तेरी बस आयेगी, गॉव से मोड तक पैदल रास्ता है पतली पगडडी , मै अपनी नंद को लेकर चल दी, लगभग डेढ किलोमीटर का रास्ता है गांव से मोड तक का, मोड पर एक चाय की दुकान पड़ती है अचानक तेज बारिश चालू हो गई, चाय की दुकान तक आते आते हम पूरे भिग चुके थे, मेरी चुची और नंद के टिकोरे साफ नजर आ रहे थे कपड़ो मे, चाय की दुकान पर दो पहलवान अधेड़ बैठे थे, कच्चे दिवार की बनी झोपड़ी मात्र थी चाय की दुकान हम बारिश ठहरने के इंतजार मे चाय की दुकान के अंदर आ गये तो पता चला स्कूल बस जा चुकी है, दोनो पहलवान धोती मे थे सीना पुरा खुला था कंधे पे मात्र गमछा था, काले कलूटे इतने की तवा भी शर्मा जाये, दोनो की नजर मेरी बडी चुची पर थी और नंद के टिकोरो पर

तभी एक बोला क्यो री तु ढेला की महरारू है ना
मै शर्मा के बोली जी

तभी दूसरा बोला सही सुना था ढेला एकदम चोखा माल लाया है
मै समझ गयी यह जादा देर रुकी तो शामत है मगर बाहर जोरदार बारिश हो रही थी वैसे भी यदि इनका मन है तो कोई बचा भी नही सकता मुझे और मेरी नंद को

तभी एक सामने आया अरे हम तेरे जेठ है हमसे कैसी शर्म, उनकी ऑखे सुर्ख लाल हो रही थी जो साफ बता रही थी इनकी आँखो मे वसना के डोरे है जो हमे अपने पाश मे बाँधने को आतुर है

नंद और मै उनके भावो समझ का थरथर कांपने लगे थे नंद ने मेरा आँचल कस के थाम लिया था, उधर बारिश भी अपनी रो मे तेजी से हो रही थी मानो ठान चुकी है कि नंद भौजाई की चुदाई हो इस झोपड़े मे, मै समझ गई थी अब बचना मुश्किल है यदि प्यार से ना तो जबरदस्ती यह दोनो बुर गांड का सत्यानाश जरूर कर देंगे और कमसिन नंद की हालत सोच कर ही रोगटे खडे हो जाते है
मैने मुंह पोछने के बहाने आँचल अपनी चुची से हटा दिया मेरी बड़ी गोल कठोर चुचीयाँ उन्मक्त रूप से आजाद होकर हाहाकार मचाने लगी

तभी एक बोला साड़ी बहुत गीली हो गई पानी बह रहा है तुम साड़ी तार पर फैला दो थोड़ा बहुत पानी नुचड जायेगा तब पहन लेना वरना सर्दी लग जायेगी,
तभी मैने बिना कुछ कहे अपनी साड़ी उतार दी अब मै मात्र पेटीकोट मे थी जो बहुत भीगी थी वह लगभग पारदर्शी था मेरे बदन से चिपका मेरा एक एक अंग नजर आ रहा था खडे होने पर भी मेरे कुल्हो से चिपक मे गांड को स्पष्ट अकार ही नही दे रहा था पारदर्श होने के नाते गांड की दरार भी स्पष्ट नजर आ रही थी तभी मै चप्पल ठीक करने के बहाने झुक गई इसके पारदर्शी पेटीकोट से मेरी गांड का भूरा छेद उन्हे स्पष्ट दिख गया

तभी एक बोला ढेला की खेती तो बडी जानदार है
दूसरा बोला हॉ रे गजब का खेत दिख रहा है

वे दोनो झोपड़ी के अंदर बनी चाय की भट्टी के पास रखी एक बैंच पर बैठे थे, दोनो ने अपनी धोती खिसका ली थी, अपने काले लंड हाथ मे थाम लिये थे, एक का लंड 8 इंची का गजब की मोटाई लिये हुये था तो दूसरे का लंड उतना मोटा तो नही मगर लम्बाई 9 इंच से कम ना थी,
नंद उनके काले लंड देख बहुत डर गई थी और मेरे पास पहुँच गई थी मेरी बुर ने भी उनके पहलवानी लंडो के देख पानी छोड दिया था वो समझ गई आज दमदार कुटाई होनी है

मैने नंद से कहा चली री तु भी शर्ट उतार दे वरना सर्दी लग जायेगी, मगर उसने शर्म से सर नीचे कर लिया, अरे यह तो गाँव के ही है पड़ोस से, इनसे कैसा शर्म तेरे बडे भैया ही है, और मैंने शर्ट के बटन खोल उसकी शर्ट उतार दी मगर उसने शर्म से अपने दोनो टोकरे हाथ से छुपा लिये
 
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नई दुल्हन

नई बछिया मेरी नंनदिया भाग-2




मैने नंद से कहा चली री तु भी शर्ट उतार दे वरना सर्दी लग जायेगी, मगर उसने शर्म से सर नीचे कर लिया, अरे यह तो गाँव के ही है पड़ोस से, इनसे कैसा शर्म तेरे बडे भैया ही है, और मैंने शर्ट के बटन खोल उसकी शर्ट उतार दी मगर उसने शर्म से अपने दोनो टोकरे हाथ से छुपा लिये, शर्ट उतारते हुये नंद के कानो मे कहा, देखे रही है मस्त लंड आज ये सांड तेरी कमसिन बुर चोद कर मानेगे,

तभी एक पहलवान मेरे पास आया, चल तेरा खेत जोते दिया जाये,
तभी मैंने उसका 8 इंची लम्बा और मोटा लंड पकड़ा जो मेरी मुठ्ठी मे समा तक नही रहा था,
हाये जेठ जी इतना लम्बा मोटा है खेत की जुताई नही फड़ाई करेगा, तभी मैने अपना कंगन जमीन पर गिरा दिया और नंद को उठाने को कहा नंद जैसी ही झुकी उसकी स्कर्ट ऊपर को उठ गई उसके सांवले चुतड़ कमसीन बुर के दर्शन मात्र से मेरी मुठ्ठी मे जकड़े लंड ने पानी छोड दिया जबकि दूसरा लंड फनफना गया और उसके मुंह से आह निकला
 
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नई दुल्हन

नई बछिया मेरी नंनदिया भाग-3




मैने नंद से कहा चली री तु भी शर्ट उतार दे वरना सर्दी लग जायेगी, मगर उसने शर्म से सर नीचे कर लिया, अरे यह तो गाँव के ही है पड़ोस से, इनसे कैसा शर्म तेरे बडे भैया ही है, और मैंने शर्ट के बटन खोल उसकी शर्ट उतार दी मगर उसने शर्म से अपने दोनो टोकरे हाथ से छुपा लिये, शर्ट उतारते हुये नंद के कानो मे कहा, देखे रही है मस्त लंड आज ये सांड तेरी कमसिन बुर चोद कर मानेगे,

तभी एक पहलवान मेरे पास आया, चल तेरा खेत जोते दिया जाये,
तभी मैंने उसका 8 इंची लम्बा और मोटा लंड पकड़ा जो मेरी मुठ्ठी मे समा तक नही रहा था,
हाये जेठ जी इतना लम्बा मोटा है खेत की जुताई नही फड़ाई करेगा, तभी मैने अपना कंगन जमीन पर गिरा दिया और नंद को उठाने को कहा नंद जैसी ही झुकी उसकी स्कर्ट ऊपर को उठ गई उसके सांवले चुतड़ कमसीन बुर के दर्शन मात्र से मेरी मुठ्ठी मे जकड़े लंड ने पानी छोड दिया जबकि दूसरा लंड फनफना गया और उसके मुंह से आह निकला

अब आगे


जब नंद खड़ी हुई तब उसकी सीधी नजर पहलवान के काले नाग पर गई जो मेरे हाथो मे जकड़े हुये पानी बहा रहा था, नंद यह देखते है अपने निचले होठो को दॉतो से दबा लिया

मै बोली लगता है इस हल को तेरा खेत बहुत पंसद आया बेचारे उसे सीचने के लिए अभी से पानी बहा रहा है,

पहलवान का लंड झिटके पर इटके मारा जा रहा था, तभी मैंने झटके लेते वीर्य बहाते लंड के आगे हाथ रोक लिया जिस पर उसका वीर्य इकठ्ठा हो गया, और मस्त होकर उसे चाट गई

हाय जेठ जी भले इस नाग का रूप भयानक हो मगर रस इसका है बड़ा मस्त

तभी उसने मुझे बाहो मे कस लिया,

जानेमन तु भी तो अपना रस चका दे, देखे वो कैसा है,

उसने मुझे कच्ची जमीन पर लिटा दिया और पेटीकोट को ऊपर कर दिया, सामने हलके रोयेदार चुत सामने थी, चुत के दर्शन होते ही वो जानवरो की भाँति टूट पड़ा और चपर चपर चाटने लगा, तभी दूसरा पहलवान भी आ गया और उसने भी मुॅह उसी मे भीड़ा दिया दोनो मेरी चुत को बारी बारी से चुसने लगे , मेरी सिसकारी भी झोपड़ी मे गूँज उठी,
हाय जेठ जी हाय, हाय जेठ जी अपनी छोटे भाई की महरारू की चुत चाट जाओ, हाय सीSssss आह जेठ जी, हाय खा जाओ मेरी चुत, थोड़ी देर मे मेरी चुत ने लावा छोड़ दिया

उधर नंद टुकुर टुकुर ताक रही थी, पानी भी अब हलका हो गया था,
तभी मैने नंद को डाटा, तु क्या देख रही है इधर आ मैंने उसे गोदी में बैठाते हुये उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी, बिना बालो की कुवारी बुर उनके सामने थी, दोनो की ऑखो मे एक चमक सी थी जैसे लॉटरी खुल गई हो और दोनो टुट पड़ उस बुर को खा जाने वाले इरादो से और उनकी जीभ चालू हो गई वो गांड से नाभी तक ऐसे चाट रहे थे कि जन्मो के भूखो को कोई मनपंसद खाना मिल जाये, नंद की सिसकिया भी मेरी सिसकियो मे शामिल हो गई दोनो बदल बदल कर मेरी और नंद की बुर चुत बारी बारी से चाट रहे

देखे तैरे भैया तेरी बुरे चाट रहे है मजा आ रहा है

हाये भौजी हाय हाँ भैया हाये भैया बहुत मजा आ रहा है

इनसे चुदवायेगी

हाये भौजी

बोल हरामजादी इनसे चुदवायेगी

हाये भौजी हाँ भौजी चुदवा दो

तभी एक पहलवान बोला बडी कमसीन है झेल लेगी

मेरी चुत ने दूसरी बार लावा छोड दिया था, गभित गाय दूध ना दूहाये तो जेठ जी क्या करते हो

उसके पैर बांध जबरन दुहना पड़ता है

वैसे ही जेठ जी इस बछिया पर चढना होगा हाथ पाँव तो बछिया छोडेगी ही, मगर आज नही देखे पानी बंद हो गया है कोई आ गया तो नाहक बदनामी होगी, फिर दो लोग हो, मैं गाय सह भी लूँ मगर बछिया पर मेहनत करनी होगी जेठ जी उसके लिए दोपहर का समय ही उपयुक्त होगा,

हाये जे तो खडे लंड पर धोखा है,

तभी नंद ने भी पानी छोड दिया

मैंने कहा सब्र करो जेठ जी आज फल चखा है कल खाने को भी मिलेगा, मजबूरी है पानी बंद हो गया सुबह का समय है कोई इधर आता ही होगा, वरना समय मिलता तो कसम से जेठ भी आज आप गाय और बछिया को इस झोपड़ी मे रम्भाते देखते

तभी मैने झट से साडी पहनी और नंद के साथ गॉव की तरफ चल दी,
 
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नई दुल्हनियाँ

मजा मार लियो राजा


आज संडे था नंद को स्कूल भेजना नही था तभी घर के काम जल्दी जल्दी निपटा लिये, हमेशा की तरह ससुर की नजर एकटक चुतड़ो पर ही रहती थी और मै भी कोई कसर नही छोड़ती यहाँ तक की पादना भी होता तो उनकी तरफ गांड निकाल कर ही पादती और शर्माती तो वो घायल से हो जाते थे


दोपहर खाना खेत मे पहुंचाने के लिए सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहनी और चल दी अपने देवर अजय वा पति ढेला जी को खाना पहुंचाने, पहली बार अकेले जा रही थी सुनसान रास्ता तभी रास्ते मे खडा रानू देवर दिखाई दिये, जब से मुॅह दिखाई मे इसने बुर चाटी यह मेरे हर वक्त आगे पीछे मंडराता रहता था

हाये भौजी अकेले कहाँ चल है

देवर जी देख तो रहे हो खाना जीमने का समय है तो खाना देने ही जा रही होगी

चलो भौजी मुझे भी खेत चलना है तुम्हे भी छोड देता है

हाये देवर राजा कितने भले हो मगर केवल छोड़ना ही है ना

हॉ भौजी चलो तो सही

मै आगे आगे वो पीछे पीछे मेरे चुतडो का भरपूर नजारा लेते चल रहा था, मेरे कमसीन भारी चुतड़ अच्छे अच्छे नामर्द का लंड खडा कर दे फिर तो यह अवारा चुदक्कड़ देवर कब तक बरदाश्त करता उसने सारे हथियार डाल मेरा हाथ पकड लिया

हाये भौजी सुन, मेरा एक काम कर दे प्लीज, रानू ने कहा … मेरा आज सुबह से मेरा बहुत मन कर रहा है

मैं समझ तो गयी थी और ये सोच के मेरे मन में गुदगुदी भी हो रही थी कि ये लड़के मेरे कितने दीवाने हैं, पर बनावटी ढंग से मैं बोली

ठीक है बता ना क्या करना है, मैं तेरी भौजी हूँ

“सच… पर पहले प्रामिस कर मेरी कसम खा, मैं जो कहुंगा… सुनने के बाद मुकर तो नहीं जायेगी…”

“हां हां, ठीक है, जो तू कहेगा, करूंगी, करूंगी, करूंगी…”

यह सुनते ही वो लगभग घसीटते हुए, मुझे गन्ने के खेत के अंदर खींच ले गया

हाये देवर जी यहा क्या कर रहे हो

भौजी जो उस दिन चटवायी थी एक बार दे दो

हट पगले वो तो शर्त हारी थी मगर छी छी मैं ना करूगी कुछ और कह तो बता वरना मुझे जाने दे

मगर वो हरजाई कहा मानने वाला था,

उस पकड़ा धकड़ी में मेरा आंचल नीचे गिर गया और मेरी कसी लो कट लाल चोली के अंदर तने हुए मेरे सर उठाये दोनों मस्त जोबन साफ-साफ दिख रहे थे। रानू का तो मुँह खुले का खुला रह गया
वह जमीन पर बैठ गया था और मुझे पकड़कर अपनी गोद में बैठाये हुये था। वह मेरे गुलाबी रसीले होंठ बार चूम चूस रहा था, पर मेरे तने, कड़े-कड़े जोबन को देखकर उससे नहीं रहा गया और चोली के ऊपर से ही उन्हें चूमने, काटने लगा



“अरे इतने बेसबर हो रहे हो… ऊपर से ही…” मैंने उसे चिढ़ाया।


तुम्हारे जोबन हैं ही ऐसे, तुम क्या जानो मैं कैसे इनके लिये तड़प रहा था, लेकिन तुम ठीक कहती हो…”


मेरी चोली इतनी कसी और तंग थी कि उसके हाथ लगाते ही ऊपर के दोनों हुक खुल गये और चूचुक तक मेरे मदमस्त, खड़े, गोरे-गोरे, जोबन बाहर हो गये। पर मैंने हाथ से नीचे चोली कस के पकड़ ली जिससे वह पूरी चोली ना खोल पाये।


थोड़ी देर तक कोशिश के बाद उसने पैंतरा बदला और अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी साड़ी जांघों तक उठा ली और मुझे नीचे से… मैंने तुरंत अपने दोनों हाथ नीचे करके उसे अपनी साड़ी पूरी तरह खोलने से रोका। वहां तो मैं बचा ले गयी पर तब तक अचानक उसने मेरी चोली के सारे हुक खोल दिये और मेरे जोबन को पकड़ के दबाने लगा।


“नहीं… नहीं छोड़ो ना मुझे शर्म लगा रही है…” मैं उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।

पर उसकी ताकत के आगे मेरा क्या जोर चलता, हां, मेरे दोनों हाथ जब जोबन को बचाने के चक्कर में थे तो उसने हँसते हुए मेरी साड़ी पूरी उठा दी और अब उसका एक हाथ कस के मेरी चूत को पकड़े हुए था



और दूसरा जोबन की रगड़ाई कर रहा था। मैं ऊपर से मना भले कर रही थी पर मेरे दोनों निपल मस्ती में कड़े हो रहे थे।

थोड़ी देर तक चूत को सहलाने मसलने के बाद उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा। उसका एक हाथ मेरी गोरी-गोरी कमसिन चूची का रस ले रहा था और दूसरा, निपल को पकड़कर खींच रहा था। उसने मुझे इस तरह उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया की मेरे चूतड़ भी नंगे होकर उसकी गोद में हो गये थे।


अब मैं समझ गयी कि बचना मुश्किल है (वैसे भी बचना कौन बेवकूफ चाहती थी), तो मैंने पैंतरा बदला-

“अरे, तुमने मेरी चोली और साड़ी दोनों खोल ली, मेरा सब कुछ देख लिया, तो अपना ये मोटा खूंटा क्यों छिपाकर रखा है…”

उसके पाजामा फाड़ते, मोटे खूंटे पर अपना चूतड़ रगड़ते मैं बोली।

“देखती जाओ, अभी तुम्हें अपना ये मोटा खूंटा दिखाऊँगा भी और घोंटाऊँगा भी और एक बार इसका स्वाद चख लोगी ना तो इसकी दीवानी हो जओगी…


ये कहते हुए उसने कस के अपनी उंगली पूरी तरह चुत के अंदर डालकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।

मेरी चूत पूरी तरह गीली हो गयी थी और मैं सिसकियां भर रही थी। उसने मुझे जमीन पर, कल जैसे चन्दा लेटी थी, साया और साड़ी कमर तक करके, वैसे ही लिटा दिया। जब उसने अपना पाजामा खोला और उसका मोटा लंबा लण्ड बाहर निकला तो मेरी तो सिसकी ही निकल गई। उसने उसे मेरे कोमल किशोर हाथ में पकड़ा दिया।

कितना सख्त और मोटा… अजय से भी थोड़ा मोटा ही था।

मेरा ध्यान तब हटा जब रानू की आवाज सुनाई दी-



“क्यों पसंद आया, जरा उसको आगे पीछे करो, इसका सुपाड़ा खोलो… असली मजा तो तब आयेगा जब तुम्हारी गुलाबी चूत इसको घोंटेगी…”

मैंने अपने कोमल हाथों से उसको कस के पकड़ते हुए, आगे पीछे किया और एक बार जोर लगाकर जब उसका चमड़ा आगे किया, तो गुलाबी, खूब बड़ा सुपाड़ा सामने आ गया। उसके ऊपर कुछ रिस रहा था।




रानू मेरी दोनों गोरी लंबी टांगों के बीच आ गया और बिना कुछ देर किये, उसने मेरी टांगें अपने कंधे पर रख लीं। उसने अपने एक हाथ से मेरी गीली चूत फैलायी और दूसरे हाथ से अपना सुपाड़ा मेरी चूत पर लगाया। जब तक मैं कुछ समझती, उसने मेरी दोनों चूचियां पकड़कर पूरी ताकत से इत्ती कस के धक्का लगाया की उसका पूरा सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर था।

मेरी बहुत कस के चीख निकल गयी।

वह मुश्कुराता हुआ बोला-



“अरे, मेरी जान अभी तो सिर्फ सुपाड़ा अंदर आया है, अभी पूरा मूसल तो बाहर बाकी है, और वैसे भी इस गन्ने के खेत में तुम चाहे जितना चीखो कोई सुनने वाला नहीं…”





अब उसने मेरी दोनों पतली कोमल कलाईयों को कस के पकड़ लिया और एक बार फिर से पूरे जोर से उसने धक्का लगाया

मेरी चीख निकलने के पहले ही उसने संतरे की फांक ऐसे मेरे पतले रसीले होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच कसके भींच लिया

और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी।





मुझे उसी तरह जकड़े वह धक्के लगाता रहा।





मेरी आधी लाल गुलाबी चूड़ियां टूट गयीं।





मैं अपने गोरे-गोरे मदमस्त चूतड़, मिट्टी में रगड़ रही थी पर उसके लण्ड के निकलने का कोई चांस नहीं था। और जब आधे से ज्यादा लण्ड मेरी चूत ने घोंट लिया तभी उस जालिम ने छोड़ा।





पर छोड़ा क्या… उसके हाथ मेरी कलाईयों को छोड़कर मेरी रसीली चूचियों को मसलने, गूंथने में लग गये।



उसके होंठों ने मेरे होंठों को छोड़कर मेरे गुलाबी गालों का रस लेना शुरू कर दिया और उसका लण्ड उसी तरह मेरी चूत में धंसा था।

“क्यों बहुत दर्द हो रहा है…” उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा।





“बकरी की जान चली गयी और खाने वाला स्वाद के बारे में पूछ रहा है…” मुश्कुराते, आँख नचाते, शिकायत भरे स्वर में मैंने कहा।





“अरे स्वाद तो बहुत आ रहा है, मेरी जान, स्वाद तो मेरे इससे पूछो…”




और ये कह के उसने मेरे चूतड़ पकड़ के कस के अपने लण्ड का धक्का लगाया। अब वह सब कुछ भूल के गचागच गचागच मेरी चुदाई कर रहा था। मेरी चूत पूरी तरह फैली हुई थी। दर्द तो बहुत हो रहा था, पर जब उसका लण्ड मेरी चूत में अंदर तक घुसता तो बता नहीं सकती, कितना मजा आ रहा था।

उसकी उंगलियां कभी मेरे निपल खींचतीं, कभी मेरी क्लिट छेड़तीं, और उस समय तो मैं नशे में पागल हो जाती। उसकी इस धुआंधार चुदाई से मैं जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुँच गयी।



पर रानू को भी मेरी हालत का अंदाज़ हो गया था और उसने अपना लण्ड मेरी चूत के लगभग मुहाने तक निकाल लिया।

मैं- “हे डालो ना, प्लीज़ रुक क्यों गये, करो ना… अच्छा लगा रहा है…”

पर वह उसी तरह मुझे छेड़ता रहा।





मैं- “हे डालो ना, करो ना…” मैंने फिर कहा।





“क्या डालूं… क्या करूं… साफ-साफ बोलो…” वो बोला।
मैं- “चोदो चोदो, मेरी चूत… अपने इस मोटे लण्ड से कस-कस के चोदो, प्लीज़…”
“ठीक है, लेकिन आज से तुम सिर्फ इसी तरह से बोलोगी, और मुझसे एक बार और चुदवाओगी…”




मैं- “हां, हां, जो तुम कहो एक बार क्या मेरे राजा तुम जितनी बार बोलोगे उतनी बार चुदवाऊँगी, पर अभी तो…”







उसने पूरी ताकत से मेरे कंधे पकड़ के इतनी जोर से धक्का मारा कि उसका पूरा लण्ड एक बार में ही अंदर समा गया। और मैं झड़ गयी, देर तक झड़ती रही, पर वह रुका नहीं और धक्के मारता रहा, मुझे चोदता रहा।



थोड़ी ही देर में मैं फिर पूरे जोश में आ गयी थी और उसके हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के देती। मेरे टीन चूतड़ उसके जोरदार धक्कों से जमीन पर रगड़ खा रहे थे। मेरी चूची पकड़ के, कभी कमर पकड़ के वह बहुत देर तक चोदता रहा और जब मैं अगली बार झड़ी तो उसके बाद ही वह झड़ा।





रानू ने मुझे हाथ पकड़ के उठाया और मेरे नितम्बों पर लगी मिट्टी झाड़ने के बहाने उसने मेरे चूतड़ों पर कस-कस के मारा और एक चूतड़ पकड़ के न सिर्फ दबोच लिया बल्की मेरी गाण्ड में उंगली भी कर दी।





“हे क्या करते हो मन नहीं भरा क्या, अब इधर भी…” मैंने उसे हटाते हुये कहा।




“और क्या, तेरे ये मस्त चूतड़ देख के गाण्ड मारने का मन तो करने लगाता है…” ये कहते हुये उसने मेरे जोबन दबाते हुये गाल कसकर काट लिया।

“उइइइइ…” मैं चीखी और उससे छुड़ाते हुए बाहर निकली।

साथ-साथ रानू भी आया। बाहर निकलते ही मैं चकित रह गयी।




अजय भी खेत के बाहर था, शायद वह चीख सुनकर इस तरफ आया हो



रानू ने मेरे कंधे पे हाथ रखा था, मेरी चूची टीपते हुए, अजय को दिखाकर वो बोला- “देख मैंने तेरे माल पे हाथ साफ कर लिया…”
उसने मेरी गांड पर हाथ मारते हुये कहा भौजी अगली बारी तेरी पिछाड़ी

मै शर्माते हुये बोली हाये देवर जी चुत जितनी बार मारो मगर गांड नही हाथ जोड़ती हूँ

बहुत करारा माल है तु भौजी

अजय टुकुर टुकुर ताकता रह गया
 
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नई दुल्हन


दो- दो साथ साथ


सारे का निपटा के आज जल्दी से खाना बना, नहाने के लिए नल पर आई रोज की तरह बरमदे मे ससुर की नेक नजर अपनी बहु के ऊपर थी मै करती क्या नल बरामदे मे था जिसकी एक तरह दिवार थी जो बाहर के लोगो से नजर बचा सकती थी मगर घर के लोगो की नजर से कैसे बचा जा सकता है, ऊपर से रानू भी छत से इधर ही नेप लगाये रखता की मै कब निकलू मूतने या नहाने, बस दो दो कुत्ते अपनी जीभ निकाले हाफते रहते और मुझे नहाते देखते रहते मे पेटीकोट मे नहा रही थी पेटीकोट इतना महीन था की मेरे अंग प्रत्यंग झलकते साफ नजर आते, ससुर घर मे रानू छ्त पर मुझे नहाते देख मुठ्ठ मारने का मजा ले रहे थे, तभी मैने नहाते ही पेटीकोट गिरा दिया जो सरसराते हुये मेरे पैरो को छु गया तभी मै उसे उठाने झुकी थी कि दोनो के मुँह से आह और लंडो से पानी निकल गया मै गदराये गांड और कसी सुजी बुर की झलक साफ नजर आ रही थी, तभी मैने अपनी नंगी गांड हिला दी जैसे उन्हें मेरी गांड निमंत्रण दे रही हो मार लो कसी गांड, दोनो के हाथ लंड पर कसते गये और मुठ्ठ मारने की स्पीड बढ गयी वा लंड तेजी से पानी छोड़ते हुये जैसे नल की टंकी खोल दी हो, ससुर जी का काला नाग का पानी अपने पूरे भयानक रूप मे था एक बार मेरी गांड मे सिरहन दौड गई इसने ही उस रोज मेरी जबरदस्त गांड फाड़ी थी, मै जल्द कपड़े पहन, खेत की ओर खाना देने चल दी,
रास्ते मे रानू खड़ा दिखाई दिया मै सिहर गई और साथ मे मस्ती छा गई यह हरामी आज भी बिना चोदे नही मानने वाला
हाय भौजी क्या मस्त माल हो, देखे जब से तुझे नहाते देखा है मेरे लंड ने तब से बैठा तक नही

सांड देवर आज जल्दी है कल चढ लेना इस बछिया पर आज छोड दे

अरे भौजी इस बछिया को गाय बनाना भी तो है जल्द, तभी को दूध धू मिलेगा इस दूधारू गाये का

रानू ने हाथ पकड़ लिया और बाग के बीचो बीच ले आया

कोई सोच भी नहीं सकता था कि वहां कोई कमरा होगा।


शायद बाग के चौकीदार का हो। पर तबतक रानू मेरा हाथ पकड़कर कमरे के अंदर ले गय और जब तक मेरी आँखें उसके अंधेरे की अभ्यस्त होतीं, उसने अंदर से सांकल लगा दी।

अंदर पुवाल के एक ढेर पे रवी लेटा था जो मेरा ही पड़ोस का देवर लगाता था, और एक बोतल से कुछ पी रह था। दोनों के पाजामे में तने तंबू बता रहे थे कि इंतजार में उनकी क्या हालत हो रही है।

“हे, दोनों… तुमने तो कहा था

तब तक रानू ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी गोद में खींच लिया, और जब तक मैं सम्हलती उसके बेताब हाथ मेरी चोली के हुक खोल रहे थे।
“अरे एक से भले दो… आज दोनों का मजा लो…” रानू बोला।


“अरे लड़कियां बनी इस तरह होती हैं, एक-एक गाल चूमे और दूसरा, दूसरा…” यह कहकर उसने मेरा गाल कस के चूम लिया।


“और एक-एक चूची दबाये और दूसरा, दूसरा…” ये कहते हुए रानू ने कस के मेरी एक चूची अधखुली चोली के ऊपर से दबायी और रवी ने चोली खोल के मेरा दूसरे जोबन का रस लूटा।


मैं समझ गयी की आज मैं बच नहीं सकती इसलिये मैंने बात बदली-

“ये तुम दोनों क्या पी रहे थे, कैसी महक आ रही थी…”

अभी भी उसकी तेज महक मेरे नथुनों में भर रही थी।
“अरे रवि, जरा इसको भी चखा दो ना…” सुनील बोला। मैं उसकी गोद में पड़ी थी।

मेरा एक हाथ रवी ने कस के पकड़ा और दूसरा रानू ने।


रवि ने बोतल उठाकर मेरे मुँह में लगायी पर उसकी महक या बदबू इतनी तेज थी कि मैंने कसकर दोनों होंठ बंद कर लिये।
पर रवि कहां मानने वाला था, उसने कस के मेरे गाल दबाये और जैसे ही मेरा मुँह थोड़ा सा खुला, बोतल लगाकर उड़ेल दी। तेज तेजाब जैसे मेरे गले से लेकर सीधे चूत तक एक आग जैसी लग गयी। थोड़ी देर में ही एक अजीब सा नशा मेरे ऊपर छाने लगा।


“अरे गांव की हर चीज ट्राई करनी चाहीये, चाहे वह देसी दारू ही क्यों ना हो…” रानू हँसते हुये बोला। पर रवि ने दुबारा बोतल मेरे मुँह को लगाया तो मैंने फिर मुँह बंद कर लिया। अबकी रानू से नहीं रहा गया, और उसने मेरे दोनों नथुने कस के भींच दिये।


“मुझे मुँह खुलवाना आता है…” रानू बोला।


मजबूरन मुझे मुँह खोलना पड़ा और अबकी रवि ने बोतल से बची खुची सारी दारू मेरे मुँह में उड़ेल दी।

मेरे दिमाग से लेकर चूत तक आग सी लगा गयी और नशा मेरे ऊपर अच्छी तरह छा गया।


रानू और रवी ने मिलकर मेरी चोली अलग कर दी थी और दोनों मिलकर मेरे जोबन की मसलायी, रगड़ायी कर रहे थे।
“हे तुमने कहा था… की…” मैंने शिकायत भरे स्वर में रानू की ओर देखा।


रानू ने मेरे प्यासे होंठों पर एक कसकर चुम्बन लेते हुये, मेरे निपल को रगड़ते हुये बोला-

“तो क्या हुआ, रवी भी मेरा दोस्त है, और तुम भी… और वह बेचारा भी मेरी तरह तुम्हारे लिये तड़प रहा है, और इसके बाद तो मैं तुमको चोदूंग ही, बिना चोदे थोड़े ही छोड़ने वाला हूँ मैं। तुम मेरे दोस्त की प्यास बुझाओ तब तक मैं दरवाजे पर हूँ निगरानी के लिए, ढेला बगल मे है याद रखना
हाय ढेला पास मे है

अरे रानी चोदवाने में… लण्ड घोंटने में शर्म नहीं और तु शर्मा रही हो…”

“ये साली, शरम छोड़ जादा शरमायेगी… तो यह लंड तुम्हारी गाण्ड में डाल दूंग… वो भी ढेला के सामने”

अब रवी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। मैं अपने घाघरे को ऊपर करने लगी पर “उंह” कहकर उसने सीधे घाघरे का नाड़ा खोल दिया और उसके बाद साये को भी। उसने दोनों को उतारकर उधर ही फेंक दिया जहां मेरी चोली पड़ी थी, और अब उसने मेरे प्यासे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।





उसे कोई जल्दी नहीं लगा रही थी।


पहले तो वो धीरे-धीरे मेरे होंठों को चूमता रहा, फिर उसने अपने होंठों के बीच दबाकर रस ले-लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके हाथ प्यार से जोबन को सहला रहे थे और मैं अपना गुस्सा कब का भूल चुकी थी।




मेरे निपल खड़े हो गये थे। उसके होंठ अचानक मेरे जोबन के बेस पे आ गये और उसने वहां से उन्हें चूमते हुए ऊपर बढ़ना शुरू किया। मेरे निपल उसका इंतजार कर रहे थे, पर उसकी जुबान मुझे, मेरे खड़े चूचुक को तरसाती, तड़पाती रही। अचानक जैसे कोई बाज चिड़िया पर झपट्टा मारे उसने अपने दोनों होंठों के बीच मेरे निपल को कस के भींच लिया और जोर से चूसने लगा।

“ओह… ओह… हां बहुत… अच्छा लगा रहा है, बस ऐसे ही चूसते रहो। हां हां…”





मैं मस्ती में पागल हो रही थी।





थोड़ी देर के बाद उसने मेरी दोनों चूंचियां कस के सटा दीं और अपनी जीभ से दोनों निपल को एक साथ फ्लिक करने लगा। मस्ती में मेरी चूचियां खूब कड़ी हो गयी थीं। वह तरह-तरह से मेरे रसीले जोबन चूसता चाटता रहा।





जब मैं नशे में पागल होकर चूतड़ पटक रही थी, वह अचानक नीचे पहुँच गया और मेरी दोनों जांघों को किस करने लगा।







मेरी जांघें अपने आप फैलने लगी और उसके होंठ मुझे तड़पाते हुये मेरी रसीली चूत तक पहुँच गये।





उसकी जीभ मेरे भगोष्ठों के बगल में चाट रही थी। मस्ती से मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। धीरे से उसने मेरे दोनों भगोष्ठों को जीभ से ही अलग किया और अपनी जुबान मेरी चूत में डालकर हिलाने लगा। मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को उसकी जीभ ऐसे सहला, रगड़ रही थी कि मैं मस्ती से पागल हो रही थी।

मेरी आँखें मुंदी जा रही थीं, मेरे चूतड़ अपने आप हिल रहे थे, मैं जोश में बोले जा रही थी- “हां रवी हां… बस ऐसे ही चूस लो मेरी चूत और कस के… बहुत मज़ा आ रहा है…”







और रवी ने एक झटके में मेरी पूरी चूत अपने होंठों के बीच कस के पकड़ ली और पूरे जोश से चूसने लगा।

उसकी जीभ मेरी चूत का चोदन कर रही थी और होंठ चूत को पूरी ताकत से दबा के ऐसे चूस रहे थे कि बस… मैं अपनी कमर जोर-जोर से हिला रही थी, चूतड़ पटक रही थी और झड़ने के एकदम कगार पर आ गयी थी-









“रवी हां बस ऐसे ही झाड़ दो मुझको ओह्ह्ह… ओह्ह्ह… हां…”

पर उसी समय रवी मुझे छोड़कर अलग हो गया।









मैं शिकायत भरी निगाह से उसे देख रही थी और वह शरारत से मुश्कुरा रहा था। जब मेरी गरमी कुछ कम हुई तो उसने फिर मेरी चूत को चूमना, चाटना, चूसना शुरू कर दिया।


वह थोड़ी देर चूत को चूमता और फिर उसके आसपास…

एक बार तो उसने मेरे चूतड़ उठाकर मेरे लाख मना करने पर भी पीछे वाले छेद के पास तक चाट लिया। उसकी जीभ की नोक लगभग मेरी गाण्ड के छेद तक जाकर लौट गयी और फिर उसने खूब कस के मेरी चूत चूसनी शुरू कर दी। मेरी हालत फिर खराब हो रही थी।



अबकी रवी वहीं नहीं रुका।





वह अपनी जुबान से मेरी क्लिट दबा रहा था और थोड़ी ही देर में उसे कस-कस के चूसने लगा।





मैं अब नहीं रुक सकती थी और मस्ती से पागल हो रही थी-
“हां हां… चूस लो, चाट लो, काट लो मेरी क्लिट, मेरी चूत मेरे राजा, मेरे जानम… ओह… ओह… झड़ने ले मुझे…”





मेरे चूतड़ अपने आप खूब ऊपर-नीचे हो रहे थे पर उसी समय वह रुक गया।





“ओह क्यों रूक गये करो ना… प्लीज…”

मैं विनती कर रही थी।





“अभी तो तुम इतने नखड़े दिखा रही थी, कि तुम रानू से चुदवाने आयी हो… मुझसे नहीं करवाओगी…”


अब रवी के बोलने की बारी थी।





मैं नशे से इत्ती पागल हो रही थी कि मैं कुछ भी करवाने को तैयार थी-





“मैं सारी बोलती हूं। मेरी गलती थी अब आगे से तुम जब चाहो… जब कहोगे तब चुदाऊँगी, जितनी बार कहोगे उतनी बार…” जिससे कहोगे उससे चुदवा लूँगी,


“अब फिर कभी मना तो नहीं करोगी…” रवी बोला।


“नहीं कभी नहीं प्लीज बस अब चूस लो, चोद दो मुझको… तु कहेगा तो उससे चुदवा लूंगी, तू कहेगा तो तेरे बाप के आगे नंगी हो जाऊंगी बस चुस लो राजा” मैं कमर उठाती बोली।







रवी ने जब अबकी चूसना शुरू किया तो वह इतनी तेजी से चूस रहा था कि मैं जल्द ही फिर कगार पे पहुँच गई, अब उसकी उंगलियां भी मुझे तंग करने में शामिल थीं, कभी वह मेरी निपल को पुल करतीं कभी क्लिट को और जब वह मेरी क्लिट को चूसता तो वह चूत में घुसकर चूत मंथन करतीं।





अबकी जब मैं झड़ने के निकट पहुँची तो उसने शरारत से मेरी ओर देखा।





और मैं चिल्ला उठी- “नहीं, प्लीज़, अबकी मत रुकना तुम जिस तरह जब कहोगे मैं तुम चुदवाऊँगी… प्लीज…”



रवी मेरी क्लिट चूस रहा था, उसने कस के पूरी ताकत से मेरी क्लिट को चूमा और उसे हल्के से दांत से काट लिया। मेरे पूरे शरीर में लहर सी उठने लगी और उसी समय रवी ने मेरी दोनों जांघों को फैलाकर पूरी ताकत से अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया और कमर पकड़कर पूरे जोर से ऐसे धक्के लगाये कि 3-4 धक्कों में ही उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में था।





जैसे ही मेरी चूत को रगड़ता उसका लण्ड मेरी चूत में धंसा, मैं झड़ने लगी… और मैं झड़ती रही… झड़ती रही…

लेकिन वह रुका नहीं। उसके शरारती होंठ मेरे निपल को चूम चूस रहे थे।

मैं थोड़ी देर निढाल पड़ी रही पर, उसके होंठ, उंगलियां और सबसे बढ़कर मेरे चूत के अंत तक घुसा उसका मोटा लण्ड, थोड़ी ही देर में मैं फिर उसका साथ दे रही थी।



अब उसने मेरी लम्बी गोरी टांगें उठाके अपने कंधे पे रख रखीं थीं। दोनों हाथों से मेरे भरे-भरे जोबन पकड़ के वह धक्के लगा रहा था

तभी उसने धक्को की स्पीड बढा दी मेरा मूंह से सिरकारीयो से भर गई

बोल भौजी पानी कहा छोडू चुत मे या मुंह मे

हाये भौजी को देवर गभिन नही करेंगे तो कौन करेगा, देवरू अपनी भौजी को गभिन कर दो

और जोश मे अपना लंड मेरी बुर मे झाड़ने लगा
 
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नई दुल्हन

रानू की कुत्तिया


मैं बड़ी मुश्किल से उठकर खड़ी हुई और रवी से बोली- “क्यों चलें…” पर तब तक मैंने देखा की रानू ने मेरी चोली, घाघरा और साया उठाकर अपने कब्जे में कर रखा है।





और रानू बोला- “कहां चली, अभी मेरा नंबर तो बाकी है…”





रानू मेरे कपड़े दिखात बोला- “नहीं नहीं… अगर ये ऐसे ही जाना चाहें तो जाय, कहो तो सांकल खोल दूं…”




मैं समझ गयी थी की बिना चुदवाये कोई बचत नहीं है। और रानू का फिर से उत्थित होता लण्ड देखकर मेरा मन भी बेकाबू होने लगा था। रानू ने मुझे पकड़ के अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लण्ड मेरे गोरे मेंहदी लगे हाथों में दे दिया।

मैं अपने आप उसे आगे पीछे करने लगी।



जल्द ही रानू का लण्ड फुफ्कार मारने लगा था और मेरी मुट्ठी से बाहर हो रहा था।

पर मेरे कोमल किशोर हाथों को उसके मोटे कड़े लोहे की तरह सख्त लण्ड का स्पर्श इतना अच्छा लग रहा था कि उसी से मेरे चूचुक खड़े हो रहे थे।



रानू मेरी फैली हुई जांघों के बीच आ आया और मेरी दोनों सख्त चूचियां पकड़ के उसने दो-तीन धक्कों में आधा से ज्यादा लण्ड मेरी कसी चूत में पेल दिया।



रवी की चुदाई के बाद मेरी चूत अच्छी तरह गीली थी पर रानू का लण्ड इतना मोटा था की मेरी चीख निकल गयी। पर उसकी परवाह किये बगैर रानू ने पूरी ताकत से धक्के लगाना जारी रखा

मैं तड़प रही थी, चिल्ला रही थी, मिट्टी पर, पुवाल पर अपने किशोर चूतड़ काटक रही थी, पर जब तक उसका मोटा मूसल ऐसा लण्ड, जड़ तक मेरी चूत में नहीं घुस गया, वह पेलता रहा… चोदता रहा,
मेरी ओर देखकर रवी मुश्कुरा दिया।

रानू ने मेरे भरे-भरे गोरे-गोरे गाल अपने मुँह में भर लिया था और उन्हें कस के चूस रहा था, अचानक उसने खूब कस के मेरा गाल काट लिया और मैं चीख पड़ी।




थोड़ी देर तक वहां चुभलाने के बाद उसने फिर वहीं कसकर काट लिया और अबकी उसके दांत देर तक वहीं गड़े रहे, भले ही मैं चीखती रही। आज मेरी चूचियों की भी शामत थी।

रानू अपने दोनों हाथों से उन्हें खूब कस के मसल रगड़ रहा था और चूची पकड़ के ही पूरी ताकत से धक्के मार मारकर मुझे चोद रहा था। वह लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालता और फिर पूरी ताकत से पूरा लण्ड एक बार में अंदर तक ढकेल देता। उसका लण्ड मेरी क्लिट को भी अच्छी तरह रगड़ रहा था।





दर्द से मेरी जांघें और चूत फटी जा रही थी पर उसकी इस धकापेल चुदाई से थोड़ी देर में मैं भी नशे से पागल हो गयी और चूतड़ उठा-उठा के उसका साथ देने लगी। रानू के होंठ अब मेरी चूची कस के चूस रहे थे, उसने चूची का उपरी भाग मुंह में दबा लिया और देर तक चूसने के बाद कस के काट लिया।





मैं चीख भी नहीं पायी क्योंकी रवी ने अपने होंठों के बीच मेरे होंठ दबा लिये थे और वह भी उन्हें कस के चूस रहा था। रानू उसी जगह पर थोड़ी देर और चुभलाता, चूसता और फिर कस के काट लेता।

रवी ने भी मौके का फायदा उठा के मेरे होंठ चूसते हुये काट लिये और हँस के बोल-

“अरे, चुदाई का कुछ तो निशान रहना चाहिये…”

रानू ने मेरे दोनों जोबन को कस-कस के ऊपर के हिस्से को अपने दांत के निशान बना दिये थे।

अब तक मेरी टांगें फैली हुईं थीं पर अब रानू ने मुझे मोड़कर लगभग दुहरा कर दिया और मेरे पैर भी सटा दिये जिससे मेरी चूत अब एकदम कसी-कसी हो गयी। और जब उसने लण्ड थोड़ा बाहर निकालकर चोदा तो मेरी तो जान ही निकल गई।





पर रवी को इसमें भी मजा आ रहा था। वह हँस के बोल-





“हाँ… रानू भैया ऐसे ही खूब कस के चोदो की इसका सारा छिनारपन निकल जाय, तीन दिन तक चल न पाये…”





पर लण्ड इतना रगड़-रगड़ के जा रहा था की मैं जल्द ही झड़ गयी।




रवी ने मेरी एक चूची पकड़ ली और कस के सहलाते, दबाते बोल-



“अरी, रानू भैया है यह बहुत टाइम लेगा और तेरी बूर जमकर फडेगा भी…”





रानू मेरे चूतड़ पकड़ के लगातार धक्के लगा रहा था।


तभी रानू ने अपना लड निकाल लिया, मै और मेरी बुर लंड के लिय छटपटाने लगी,
हाय राजा देवरू चोदो ना

तभी रानू बोला चल बाग मे कुत्तिया बन और मेरा हाथ पकड़ के बाग मे ले आया मै ना ना भले करती रही मगर मेरी बुर की आग ने विवश कर दिया, मै कुत्तिया बन गई, तभी रानू ने मेरी कमर पकड़ तेजी से एक धक्का मारा आधा लंड मेरी बुर मे समा गया मै चीख ही पाती की रवी ने मेरी चीख के लिए खुले मुँह मे लंड डाल दिया

तभी रानू ने एक और जबरदस्त धक्का मारा कि लंड पूरा बूर के अंदर समा गया और मेरी चीख गले मे घूंट के रह गई तभी रानू ने एक उंगली मेरी गुदा मे डाल दी अचानक हुये इस हमले से मेरी पीडा बड गई आँखो से आँसू छलक आये मगर रानू अपनी बीच वाली उंगली मेरी गुदा के तेजी से अंदर बाहर कर रहा था तो बुर मे भी धक्को की स्पीड बढ चुकी थी उधर रवी तो जैसे मेरे मुँह नही बुर चोद रहा हो उसके अंडकोष मेरी ठुड्डी पर टकराते थे तभी मुझे ढेला आते दिखाई दिया


मै गू गू कर रह गई मगर आवाज गले तक रह गई उठ कर भाग भी ना सकी सर के बालो और पीठ को रवी कस कर पकड़ा था तो रानू कमर पकड़ कर जोरदार थाप लगा रहा था
और ढेला भैया भौजी तो बडी मस्त लाये हो, तभी मेरे चुतडो पर कस कर हाथ मारते हुये रानू ने कहा, ऐसी मस्त कुत्तिया पूरे गाँव मै कही नही

ढेला झेपते हुये चला गया

रवि दूसरी ओर से मेरी चूची पकड़ के दबा मसल रहा था। मेरे होश लगभग गायब थे, मुझे पता नहीं की मैं कितनी बार झड़ी पर बहुत देर तक चोदने के बाद रानू झड़ा।





मैं बड़ी देर तक वैसे ही लेटी रही। थोड़ी देर बाद रवी ने सहारा देकर मुझे उठाया। जब मैंने गर्दन झुका कर देखा तो मेरे दोनों जोबनों के उपरी हिस्से में खूब साफ निशान थे, और वैसे तो पूरी चूची पर रगड़, खरोंच और काटने के निशान थे।

रानू ने मुझसे कहा- “यार तुम्हें पाकर मैं होश खो बैठता हूं, तुम चीज ही ऐसी हो…”




मैं मुश्कुराके बोली- “चलो चलो ज्यादा मक्खन लगाने की जरूरत नहीं है…” और मैं खेत के लिये चल दी।
 
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नई दुल्हन

मेला

रंगनोई फागुन का समय था इस मौसम मे बुढ्ठो तक मे मस्ती झुम उठती है फिर यह बस्ती उस समाज से थी जहाँ काम ही ईश्वर है जिसका तिस्स्कार ही घृणित है, हमारे समाज मे रंग तो केवल रंगनोई मे खेला जाता है मगर कीचड़, मट्टी, गोबर, तक कुछ भी 15 दिनो पहले से खेला जाना होता है, सबसे जादा रंगडाई भौजीयो या नई दुल्हनो की होती है हम कोई एक बार सवारी कर लेना चहाता है, हमारे समाज मे देवर भौजी, जीजा साली, ही खुलकर हर काम चलता है यह रिश्ते पति से जादा सैक्स करते है मगर रंगनोई के यह 15 दिन मे सारे रिश्ते मर्यादा तोड दी जाती है कोई भी कभी भी किसी पर सवारी कर सकता है वो भी उसके घर वालो के सामने भी कोई रोक नही सकता,
रंगनोई का पहला दिन आज चालू होने वाला था और आज के दिन गॉव के बीच मेला लगता है उसके बाद ही शुरू होता है कि औरते आकसर होली बीतते बीतते गर्भवती हो जाती है और बच्चा किसका वो बता भी नही सकती अकसर कालूआ के घर गोरा पैदा होता है गौरा के घर कलूआ, लगभग हर किसी का रिश्ता प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष जुड़ा ही रहता है जिससे आपस मे कभी ना झगड़ा होता ना ईष्षा, यहाँ समाज ही पुरा एक परिवार है
मेले के लिए मै सवित्रा तैयार हो रहे थे सवित्रा फ्रांक पहनी थी जिसके अंदर की चड्डी मैने डांटते हुये बलपूर्वक उतार दी उसकी कसी बुर पर चुम्मी लेते हुये इस रंगनोई इसका उद्दघाटन हो जायेगा सबित्रा शरमाते हुये अपने दोनो हाथो से मुॅह ढक ली में बोली किससे उदघाटन करवारू अपनी नंद का तेरे भाईयो से, चचेरे भाईयो से, या तेरे वाप से या जीजा से,
जीजा का नाम सुनते ही उसके चहरे पर लाली आ गई
अच्छा नंद रानी अपनी बुर जीजा से चुटवेयेगी

हाये भौजी ना ना, ऊपर वाला इतना बुरी सजा ना दे

क्यो क्या हुआ

भौजी जीजा का तो बापू से भी काफी बडा है मोटा इतना की दोनो हाथो मे ना समाये गधे भी उनके सामने शर्म से सर झुका ले

हाये दईया इतना बडा, तुझे कैसे पता

भौजी वो दमाद है इस घर के, इसी आंगन मे नहाते और चारपाई पर सो जाते अम्मा और मैने घंटो उनके लंड की तेल मालिश करी है, कभी कभी वो मेरे सामने ही अम्मा को कुत्तिया बना चढ जाते तो अम्मा चीख पड़ती, वो अम्मा की गांड जादा मारते थे गांड के रसिया है, भौजी पक्का तुम्हारी गांड रंगनोई मे फटेगी और शायद मेरी बुर भी

अरे नंद रानी बुर गांड तो फटने के लिए ही होती है फिर फटाई रुलाई के बाद मजा भी तो आता है चल जल्दी तैयार हो जा ढोलक की अवाजे आ रही है और भीड का कोलाहल बता रहा है मेला अपने चरम पर है फिर हम दोनो चल दी मेले की ओर
मेले मे तरह तरह की दुकाने सजी थी
 

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