- 1,531
- 1,642
- 143
नई दुल्हन
नथ उतराई
पीछे आके उन्होंने मुझे कस के पकड़ था और दोनों हाथों से कस-कस के मेरे मम्मे दबाने लगे.
और ‘उनका’ पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गांड़ के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, लंड का दिल सबसे जादा गांड पर है
मैंने चारों ओर नज़र दौडाई. कमरे में कुर्सी-मेज़ वा बॉस के बने झोलीयो के अलावा कुछ भी नहीं था. कोई गद्दा माात्र जमीन पे बिछा था उसी पर लेट काम किया जा रहा था मेरा, असल मे परिवार का मुुख्य धंधा बॉस की झोलिया बनाना है
बरहाल मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ थी और फनफ़ना कर उनका लंड बाहर था
सुपाड़ा अभी भी खुला था, पहाड़ी आलू की तरह बड़ा और लाल.
मैंने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मैं लॉलीपॉप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ हीं देर में मेरी जीभ उनके पी-होल को छेड़ रही थी.
उन्होंने कस के मेरे सिर को पकड़ लिया. अब मेरा एक मेहन्दी लगा हाथ उनके लंड के बेस को पकड़ के हल्के से दबा रहा था और दूसरा उनके अंडकोष (Balls) को पकड़ के सहला और दबा रहा था. मस्त चुसती है कुत्तिया जोश में आके मेरा सिर पकड़ के वह अपना मोटा लंड अंदर-बाहर कर रहे थे.
उनका आधे से ज्यादा लंड अब मेरे मुँह में था. सुपाड़ा हलक पे धक्के मार रहा था. जब मेरी जीभ उनके मोटे कड़े लंड को सहलाती और मेरे गुलाबी होठों को रगड़ते, घिसते वो अंदर जाता.... खूब मज़ा आ रहा था मुझे. मैं खूब कस-कस के चूस रही थी, चाट रही थी.
“कुर्सी पकड़ के झुक जाओ...” वो बोले..
मैं झुक गई
मेरी चूत और कसी कसी हो रही थी.
एक हाथ से वो मेरा जोबन मसल रहे थे और दूसरे से उन्होंने मेरी चूत में उँगली करनी शुरू कर दी.
चूत तो मेरी पहले हीं गीली हो रही थी, थोड़ी देर में हीं वो पानी-पानी हो गई. उन्होंने अपनी उँगली से मेरी चूत को फैलाया और सुपाड़ा वहाँ सेंटर कर दिया.
फिर जो मेरी पतली कमर को पकड़ के उन्होंने कस के एक करारा धक्का मारा तो मेरी चूत को रगड़ता, पूरा सुपाड़ा अंदर चला गया, मै बिलबिला उठी इस अप्रत्यक्षित धक्के से, मुंह से आई माँ निकला और छटपटा का आगे बढना चाहा मगर वो सजग थे उनके दोनो हाथ मे कमर कस कर पकडे थे
तभी बिना रहम किये दूसरा धक्का मारा अब की धक्का मारते है आधा लंड बुर मे था जो झिल्ली तोडते हुये घुसा था, मेरी बुर अब चुत बन चुकी है इसका सबुत मेरी बुर के किनारे टपकते लाल रंग ने दे दिया था, आई अम्मा फट गई निकल ही पाया था की तीसरा धक्का मार चुके थे अब लंड पुरा चुत के अंदर समा चुका था मेरे ऑखो से ऑसू थे, मै बोली जी जरा आसाम से दर्द कर रहा है मगर कहाँ मानने वाले होते है मर्द उन्हे चोदना है, फिर गॉड हो या बुर फटे या चितड़ा हो, लंड महाराज घुस चुके थे अपने घर मे तो हलचल मचाना चालू कर दी लगातार धक्के मारे जाने लगे, मेरे चुतड़ और उनकी जाँघ टकराने वा लंड वा चुत के लड़ने की फच फच की आवाज वा मेरे सिसकारी पूरे कमरे मे गूँज रही थी जब कभी वो कर कर धक्के लगाते तो उई माँ मेरे मुँह से निकल आता
दो चार धक्के ऐसे मारने के बाद उन्होंने मेरी चूचियों को कस-कस के रगड़ते, मसलते चुदाई शुरू कर दी.
जल्द हीं मैं भी मस्ती में आ कभी अपनी चूत से उनके लंड पे सिकोड़ देती,
कभी अपनी गांड़ मटका के उनके धक्के का जवाब देती. साथ-साथ कभी वो मेरी क्लिट, कभी निप्पल्स पिंच करते और मैं मस्ती में गिनगिना उठती
तभी उन्होंने अपनी वो उँगली, जो मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी और मेरी चूत के रस से अच्छी तरह गीली थी, को मेरी गांड़ के छेद पे लगाया और कस के दबा के उसकी टिप अंदर घुसा दी.
“हे...अंदर नहीं......उँगली निकाल लो.....प्लीज़...”
मैं मना करते बोली.
पर वो कहाँ सुनने वाले थे. धीरे-धीरे उन्होंने पूरी उँगली अंदर कर दी.
अब उन्होंने चुदाई भी फुल स्पीड में शुरू कर दी थी. उनका बित्ते भर लंबा मूसल पूरा बाहर आता और एक झटके में उसे वो पूरा अंदर पेल देते. कभी मेरी चूत के अंदर उसे गोल-गोल घुमाते. मेरी सिसकियाँ कस-कस के निकल रही थी.
उँगली भी लंड के साथ मेरी गांड़ में अंदर-बाहर हो रही थी.
लंड जब बुर से बाहर निकलता तो वो उसे टिप तक बाहर निकालते और फिर उँगली लंड के साथ हीं पूरी तरह अंदर घुस जाती.
पर उस धक्का पेल चुदाई में मैं गांड़ में उँगली भूल हीं चुकी थी.
जब उन्होंने गांड़ से गप्प से उँगली बाहर निकाली तो मुझे पता चला. सामने मेरी ननद ने टेबल पर वेसलीन की ट्यूब रखी थी.
उन्होंने उसे उठा के उसका नोज़ल सीधे मेरी गांड़ में घुसा दिया और थोड़ी सी क्रीम दबा के अंदर घुसा दी.
और जब तक मैं कुछ समझती उन्होंने अबकी दो उंगलियां मेरी गांड़ में घुसा दी.
दर्द से मैं चीख उठी. पर अबकी बिन रुके पूरी ताकत से उन्होंने उसे अंदर घुसा के हीं दम लिया.
“हे...निकालो ना.... क्या करते हो.? उधर नहीं...प्लीज़ हाथ जोड़त बानी....चूत चाहे जित्ती बार चोद लो... ओह...”
मैं चीखी.
वो बोले क्या मस्त गांड है तेरी कुत्तीया
लेकिन थोड़ी देर में चुदाई उन्होंने इत्ती तेज कर दी कि मेरी हालत खराब हो गई. और खास तौर से जब वो मेरी क्लिट मसलते...,
मैं जल्द हीं झड़ने के कगार पर पहुँच गई तो उन्होंने चुदाई रोक दी.
मैं भूल हीं चुकी थी कि जिस रफ़्तार से लंड मेरी बुर में अंदर-बाहर हो रहा था,
उसी तरह मेरी गांड़ में उँगली अंदर-बाहर हो रही थी.
लंड तो रुका हुआ था पर गांड़ में उँगली अभी भी अंदर-बाहर हो रही थी. एक मीठा-मीठा दर्द हो रहा था पर एक नए किस्म का मज़ा भी मिल रहा था. उन्होंने कुछ देर बाद फिर चुदाई चालू कर दी.
दो-तीन बार वो मुझे झड़ने के कगार पे ले जाके रोक देते पर गांड़ में दोनों उँगली करते रहते और अब मैं भी गांड़, उँगली के धक्के के साथ आगे-पीछे कर रही थी. अचानक से उन्होने धक्को की स्पीड बढा दी, बोल कुत्तीया किस किस से चुदेगी,
जी आपकी कुत्तिया हूँ जिधर कहे उधर गांड खोलना ही है इस कुत्तीया को,
बड़ी गर्म कुत्तिया है तू, तेरी गदराई ये मस्त गाड तो मेरी जीजा ही फाडेगा
हाय जी आपकी मर्जी आपकी कुत्तिया हूँ फड़वा दिजिये इसे नंददोई जी से ही
वादा किया है मैने तेरी मस्त गांड देने का उन्हे रंगनोई( होली) मे, बड़ा हरामी जीजा है पिछले दफा रंगनोई मे अम्मा के सामने मेरी गांड फाड़ी थी
बहुत चीखा चिल्लाया ,...
लेकिन ले ली इन्होने
मम्मी को उन्होंने साफ साफ़ बता दिया की ढेला की उन्होंने होली के दिन , गांड मारी थी , दिन में भी और रात में भी ,...
ये भी की उस स्साले की एकदम कसी कोरी कुँवारी थी।
और मम्मी बजाय बुरा मानने के झुक के उन्होंने अपने दामाद का मुंह चूम लिया और
उनकी सास प्यार से उनके बाल सहलाते , उनकी तारीफ़ कर रही थीं ,
" सही किया तूने ,... चाहे ससुराल वाली या ससुराल वाला ,... छेद छेद में भेद करना कोई अच्छी बात थोड़े ही है।
" भोंसड़ी के , पता नहीं मेरी समधिन ने किससे किससे चुदवा के
तुझे जना है , तेरे मामा से , या किसी गदहे घोड़े से , या कातिक में कुत्तों से ,... इतना मस्त लंड पाया है
लेकिन उस रंडी ने जना एकदम सही है , मेरी पसंद का दामाद। जानते हो मै तेरे आते ही समझ गई थी , तेरी नजर ढेला की गांड पर है होली मे इसकी गांड तु खोल ही देगा, मै जल्द इसकी शादी कर रही हूँ इसकी दुल्हन की गाड भी तू ही खोलना, फिर अम्मा ने अपने सामने मेरी गांड मरवाई
हाय री, बहुत दर्द हुआ था जी
हॉ हुआ था, मगर वादा करने पर मै अपनी दुल्हन की गांड दूँगा तो आधे लंड से ही मेरी गांड मारी, फिर जीजा तो जीजा होते है उनका अलग सम्मान होता है घर के सारे छेद तो उनके ही है
वो तो है जी, मैने देखा उनके धक्को की स्पीड बढ गई है
मगर तेरी मस्त कसी गांड उनके लंबे मोटे लंड से ही फटेगी
हाय जी मै गांड नही दूँगी बुर मार ले, मै मना नही करूंगी
साली कुत्तिया रंगनोई मे वो तुझे गाभिन करके ही जायेंगे,
हाय जी गाभिन
तभी मेरी बुर ने पानी छोड दिया
हाये जी जोर से ज़ी फाड दो बुर
और इसी के साथ उनकी पिचकारी ने भी अपना पानी छोड दिया एक गर्म गर्म पानी से मेरी बुर भर रही थी यह यहसास भी अद्भुत था